पति-पत्नी के झगड़ों ने लिया भयानक रूप

मियांबीवी के ?झगड़े आम हैं पर कभीकभार हत्या में भी तबदील हो जाते हैं. दिल्ली में एक मेकैनिक का घर बेचने को ले कर हो रहे ?झगड़े में मर्द ने औरत पर किसी तेज चीज से हमला कर दिया और शायद यह एहसास होने पर कि कुछ गलत हो गया है, उस ने खुद को भी घायल कर लिया. दोनों की अपने बड़े बच्चों के सामने मौत हो गई.

कुएं में कूद जाऊंगी, आग लगा लूंगी, जहर पी लूंगा, घर छोड़ कर भाग जाऊंगा जैसे बोल अकसर मियांबीवी के ?झगड़ों में ?ाल्ला कर बोले जाते हैं. मर्द और औरत में कौन सही है, कौन गलत, इस का फैसला नहीं होता. ?झगड़ा तो किस की चलेगी पर होता है. पहले हमेशा मर्दों की चलती रही है पर अब औरतें भी बराबर होने लगी हैं.

यह बात दूसरी है कि आम आदमी को पट्टी पढ़ाई जाती है कि औरत पैर की जूती है, वहीं रखो. यही सीख जो मांबाप देते हैं, पंडेपादरी देते हैं, समाज देता है, रिश्तेदार देते हैं, ?झगड़ों को मारपीट की हद तक ले जाते हैं.

जिस भी बात पर 2 जनों की राय एक न हो वहां कौन सही है, कौन गलत का पूरा फैसला कभी नहीं हो सकता. हर मामले के कई पहलू होते हैं और हरेक अपनी समझ  से अपना मन बनाता है. अच्छे पतिपत्नी वे होते हैं जो एकदूसरे की पूरी तरह सुनते हैं और बिना अकड़ लाए तय करते हैं कि क्या सही है, क्या गलत है. अगर पतिपत्नी में से कोई तीसरे से चिपक भी रहा है तो मरनामारना कोई तरीका नहीं है. आज किसी को मार कर उस की लाश को निबटाना आसान नहीं है. अगर बच्चे हों तो मारने वाला भी जेल में रहता है तो बच्चों की देखभालके लिए कोई बचता नहीं. तीसरे के साथ जुड़ाव होने पर घर से अलग होना सब से सही है.

हमारे समाज में पतिपत्नी के ?झगडे़ मारपीट में इसलिए ज्यादा तबदील होते हैं कि यहां शादी को तोड़ना आसान नहीं है. अगर ?झगड़े के बाद आदमी या औरत कुछ दिन अपना अकेले का घर बना सकते हों तो उन्हें जल्दी ही एहसास हो जाए कि वजह कुछ भी रही हो, वे एकदूसरे के बिना अधूरे हैं. इस के लिए जरूरी है कि मर्द और औरत हमेशा बाहर काम करते रहें और अपने पैरों पर खड़े हों.

दूसरी जरूरत यह हो कि कानून यह मजबूर करे कि कोई मकान मालिक अकेले आदमी या अकेली औरत को मकान किराए पर देने से मना न करेगा. चाहे मकान बड़ा हो या छोटी खोली, आजकल अकेलों को घर मिलना मुश्किल होता जा रहा है.

मुश्किल यह है कि सरकारें तो धर्म, हिंदूमुसलिम, मूर्तियों, नारों में इतनी लगी हैं कि समाज की सब से बड़ी जरूरत, घर, सुखी घर, पर उन का कोई ध्यान नहीं है.

नीतीश कुमार: प्रधानमंत्री पद की ‘पदयात्रा’

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बार फिर वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने के लिए एक तरह से मानो तलवार खींच ली है. वे लगातार राहुल गांधी से ले कर अरविंद केजरीवाल जैसे नेताओं से मिल रहे हैं. उन की इस भेंटमुलाकात का सिलसिला एक तरह से ‘प्रधानमंत्री पद’ हासिल करने के लिए पदयात्रा के समान है.

नीतीश कुमार के पास 17 साल के मुख्यमंत्री पद का गौरवशाली इतिहास है और देशभर में उन की अलग पहचान भी है. मगर यह भी सच है कि बीच में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन कर के अपनी छवि और भविष्य पर सवालिया निशान भी लगा लिया है.

इस ‘पदयात्रा’ के पड़ाव यह सच है कि नीतीश कुमार ने भाजपा से अलग हो कर कांग्रेसी और राष्ट्रीय जनता दल के साथ तालमेल कर के भाजपा को और सब से ज्यादा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को धोखा दिया है.

घटनाक्रम बता रहा है कि आज के सत्तासीन केंद्र के ये नेता विपक्ष और दूसरी पार्टियों को एक तरह से खत्म कर देना चाहते हैं. ऐसे में नीतीश कुमार का एक बड़ा चेहरा देश के सामने आया है और वे लगातार देश के बड़े नेताओं से मिल रहे हैं और सब को एकजुट कर रहे हैं.

मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी यानी माकपा के दफ्तर में पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी और भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी के महासचिव डी. राजा से मुलाकात करने के बाद नीतीश कुमार ने पत्रकारों से कहा कि यह समय वाम दलों, कांग्रेस और सभी क्षेत्रीय दलों को एकजुट कर के एक मजबूत विपक्ष बनाने का है.

6 सितंबर, 2022 को नीतीश कुमार अरविंद केजरीवाल से मुलाकात के लिए उन के आवास पर पहुंचे. इस मौके पर दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और जनता दल (यू) के नेता संजय झा भी मौजूद थे.

अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर के बताया कि मेरे घर पधारने के लिए नीतीश कुमार का शुक्रिया.

नीतीश कुमार ने उन के साथ देश के कई गंभीर विषयों पर चर्चा की. उन्होंने अपने ट्वीट में बताया कि उन के साथ शिक्षा, स्वास्थ्य, आपरेशन लोटस, खुलेआम विधायकों की खरीदफरोख्त कर चुनी सरकारों को गिराना, भाजपा सरकार में बढ़ता निरंकुश भ्रष्टाचार, महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई.

वहीं नीतीश कुमार ने कहा कि हमारी कोशिश क्षेत्रीय पार्टियों को एकजुट करने की है. अगर सभी क्षेत्रीय पार्टियां मिल जाएं, तो यह बहुत बड़ी बात होगी और हम मिल कर देश के लिए एक मौडल तैयार करने पर काम कर रहे हैं.

इस से पहले नीतीश कुमार ने कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके राहुल गांधी से भी मुलाकात की थी और यह संदेश दे दिया कि वे एक ऐसी पदयात्रा पर निकल पड़े हैं, जो आने वाले समय में उन्हें प्रधानमंत्री पद तक पहुंचा सकती है.

मैं पिछले कुछ दिनों से एक लड़की को पसंद करने लगी हूं, मैं क्या करूं?

सवाल-

मैं एक 15 साल की लड़की हूं. पिछले कुछ दिनों से मैं एक लड़की को पसंद करने लगी हूं, जो उम्र में मुझसे 3 साल बड़ी है. अब मैं उसे दीदी भी नहीं कहती हूं और उस के पास ही रहने को मचलने लगती हूं.

वह लड़की भी इस बात को जानती है और कभीकभार वह मेरे नाजुक अंगों को सहला देती है. इस में मुझे बड़ा मजा आता है. ऐसा क्यों है? क्या यह कोई बीमारी है?

जवाब-

नहीं, यह कोई बीमारी नहीं है. कई लड़कियों को लड़कियों के साथ ही मजा आता है और कई तो आपस में शादियां कर के सुकून से रह भी रही हैं. ऐसे समलैंगिक संबंधों को अब कानून ने भी मंजूरी दे दी है.

आप अपनी सहेली से खुल कर बात करें. अगर उसे भी आप जितना ही मजा आ रहा हो तो आगे और मजा ही मजा है. इस का बेहिचक लुत्फ उठाएं और मन में कोई शक न रखें.

बिग बॉस 16: शिव ठाकरे और एमसी स्टेन पर भड़के राहुल वैद्य, कहा-शो से बाहर निकालो

बिग बॉस 16: राहुल वैद्य को लगता है कि एमसी स्टेन और शिव ठाकरे को घर से बाहर निकालना चाहिए क्यूकी वो घर में रहने के लायक नहीं है, बीते एपिसोड एमसी स्टेन और शालिन भनोट के बीच जबरदस्त झगड़ा दर्शकों को देखने को मिला जोकि ऐसी लड़ाई इससे पहले नहीं दिखी थी, टीना दत्ता के पैर में मोच आ जाने की वजह से शालीन भनोट उन्हे देखने के लिए दौड़ पड़े तभी एमसी स्टेन ने कहा की उसे डॉक्टर देखे तो ज्यादा बेहतर है.

इसी बात को लेकर दोनों ने एक दूसरे को अशब्द कहा और दोनो के बीच गाली-गलौज शुरू हो गई और बात इतनी बढ़ गई थी दोनों आपस में मार पीट पे उतर आए एमसी स्टेन ने शालिन भनोट को मारने के लिए फूलदान उठा लिया. तभी शिव ठाकरे ने शालिन भनोट को मुक्का मारकर उन्हे रोका. यह एक हिंसक लड़ाई थी जिसके कारण टीना दत्ता और सुंबुल तौकीर खान के बीच में लड़ाई भी हुई.

इन सबके बीच, सुंबुल तौकीर का एक के पक्ष में उतर आए, उन्होंने शालिन भनोट को कस कर गले लगा लिया. वो उनसे कहते रहे कि वह हिंसक नहीं होने देंगे लेकिन ऐसा लग रहा था की उसे उस पर भरोसा नहीं है. सुंबुल तौकीर रोने लगे और उन्हे गले लगा लिया.

बीते एपिसोड मे अंकित गुप्ता और अर्चना गौतम मे भी हुई थी लड़ाई 

एक बार फिर प्रियंका चौधरी और अर्चना गौतम एक दूसरे से लड़ते भिड़ते नजर आए.  इसी बीच अंकित गुप्ता ने अर्चना गौतम की तुलना राखी सावंत से कर दी. कुछ दिनों पहले प्रियंका चौधरी, अर्चना गौतम को सपोर्ट करते नजर आ रही थी और अब वो एक दूसरे के कट्टर दुश्मन बन गए है और कई बार ऐसा भी देखा गया है जब प्रियंका किसी से लड़ती थी तो अंकित उनका फुल सपोर्ट करते थे और इसी बीच उनके बीच लड़ाई होने के कारण अंकित गुप्ता ने अर्चना गौतम को किया राखी सावंत से कम्पेयर, अंकित के यह बात से पूरे घरवाले दंग रह गए. अंकित ने अर्चना को राखी सावंत से कम्पेयर करते हुए बोल की ‘यह राखी सावंत बनना चाहती है लेकिन इसे यह नहीं पता की राखी सावंत को सिर्फ एंटेरटेनमेंट के लिए बुलाया जाता है इसी वजह से अभी तक वो ट्रॉफी नहीं जीती.

जवां मोहब्बत: 18 की दुल्हन, 61 का दूल्हा

कहते हैं इश्क पर किसी का जोर नहीं चलता. चाहे कोई कितना भी इस के बहाव को रोकने की कोशिश करे, रोका नहीं जा सकता है. ऐसा ही कुछ पाकिस्तान में रावलपिंडी की 18 वर्षीया आशिया  के साथ हुआ. उस का दिल 61 साल के शमशाद पर आ गया था. इस के बाद जो हुआ…

आशिया कुछ हफ्ते बाद ही 18 ही होने वाली थी. अम्मीअब्बू उस की शादी को ले कर चिंतित थे.

वे उस के लिए अच्छा सा रिश्ता ढूंढ रहे थे. मनपसंद रिश्ता नहीं मिल पा रहा था. उन्हें शमशाद के आने का इंतजार था. वह महीनों से आए नहीं थे.

उन के बारे में आशिया की अम्मी हफ्ते भर से बातें कर रही थीं कि वह आएंगे तब उन की मुश्किल दूर हो जाएगी. बेटी का रिश्ता तय हो जाएगा. वह कई बार अपने शौहर से बोल चुकी थीं कि किसी से शमशाद के बारे में मालूम करें कि वह महीनों से क्यों नहीं आ रहे हैं.

शमशाद के बारे में अम्मी और अब्बू से बातें सुनसुन कर आशिया के मन में उन्हें देखने की इच्छा मचलने लगी थी. उस के दिल में निकाह को ले कर गुदगुदी होने लगी थी. उसे लगा जैसे उस की पसंद का दूल्हा चल कर उस के घर आने वाला हो. वह चुपके से रसोई में अम्मी से पूछ बैठी, ‘‘अम्मी शमशाद कौन है?’’

‘‘क्यों? क्या करना है उन के बारे में तुझे जान कर?’’ अम्मी झिड़कते हुए बोलीं.

‘‘मेरी अच्छी अम्मी, प्यारी अम्मी बताओ न, कौन हैं शमशाद? तुम अब्बू से उन के बारे में बातें करती रहती हो.’’ आशिया ठुनकते हुए बोली.

‘‘आएंगे, तब मिल लेना. और हां, जो कुछ तुम से पूछें, उस का सहीसही जवाब देना.’’ अम्मी प्यार से उस के गाल पर एक चपत लगाती हुई बोलीं.

अम्मी का जवाब आशिया को बेहद ही प्यारा लगा. उस के मन की बेचैनी और बढ़ गई. उस की अल्हड़ उम्र सपने बुनने लगी.

वह दिन भी आ गया, जब घर पर शमशाद आए. उन्हें अम्मी और अब्बू ने बैठकखाने में बिठाया था. आशिया ने कमरे के दरवाजे के परदे से झांक कर

देखा. उसे शमशाद की पीठ नजर आई. केश पीछे से आधे सफेद दिखे. वह चौंक गई, खुद से सवाल कर बैठी, ‘‘अरे

यह कौन है? यह तो कोई बुजुर्ग दिखता है.’’

‘‘आशिया… आशिया… रसोई में आना बेटा. शमशाद के लिए चायनाश्ता ले कर चलना है.’’ अम्मी की आवाज आई.  आशिया चुपचाप रसोई में चली गई. अम्मी से कुछ पूछे बगैर चायनाश्ते की ट्रे उठा ली और अम्मी के पीछेपीछे बैठक

में आ गई. वहां पहले से ही अब्बू भी बैठे थे.

उन के सामने वही इंसान बैठा था, जिस के बारे में घर में कई दिनों से बातें हो रही थीं. उन्हीं के आने का अम्मीअब्बू को इंतजार था. लेकिन वह आशिया के सपनों का शहजादा नहीं था. वह तो कोई 60 साल का लग रहा था. हां, पहनावे से अच्छा जरूर दिख रहा था.

वह भागती हुई रसोई में आ गई. अम्मी भी तुरंत आ गईं और पूछा, ‘‘तुम इतनी जल्दी क्यों आ गई? जाओ वहां, उन्हें तुम से कुछ सवाल पूछने हैं.’’

आशिया ने हिम्मत कर पूछा, ‘‘क्या इन्हीं से हमारा निकाह…’’

अम्मी बीच में ही हंसती हुई बोल पड़ीं, ‘‘अरे धत पगली! वह तो निकाह करवाने वाला है, लड़के और लड़कियों के लिए रिश्ते ले कर आते हैं. तेरे लिए एक

रिश्ता ले कर आए हैं. जा, जा कर अपने होने वाले दूल्हे के बारे में जो पूछना है पूछ ले.’’

‘‘मेरा जिस से निकाह होना है वह कोई और है? मैं तो उन्हीं को अपना दूल्हा समझ रही थी.’’ बोलते हुए आशिया बैठकखाने में चली गई. उस के जाने पर अब्बू वहां से चले गए.

शमशाद ने एक नजर आशिया पर डाली. बैठने का इशारा किया. आशिया उस के सामने की कुरसी पर बैठ गई और उस के सवालों का इंतजार करने लगी. कुछ समय तक चुप्पी छाई रही. वहां उन दोनों के अलावा और कोई नहीं था. शमशाद ने सीधा सा सवाल किया, ‘‘तुम्हारी उम्र कितनी है?’’

‘‘जी, 17 साल 10 महीने.’’ आशिया बोली.

‘‘सहीसही बताओ, 18 साल पूरे होने में कितने दिन बचे हैं?’’ शमशाद बोले.

‘‘जन्म की तारीख के हिसाब से कुल 42 दिन बचे हुए हैं.’’

‘‘तुम्हारी माहवारी की तारीख क्या है?’’ शमशाद ने पूछा.

आशिया को बड़ा अटपटा लगा यह सवाल सुन कर. वह चुप रही. शमशाद ने दोबारा पूछा, ‘‘कहां तक पढ़ी हो? उस की तारीख याद रखनी चाहिए तुम्हें.’’

‘‘जी…जी, पता है. महीने की 22-23 तारीख.’’ आशिया बोली.

‘‘शाबाश! इस तरीख को खुद याद रखना और होने वाले शौहर को याद रखना जरूरी है.’’ शमशाद बोले.

‘‘क्यों, शौहर को क्यों?’’ आशिया ने जिज्ञासा जताई.

‘‘बहुत खूब पूछा तुम ने. वह इसलिए ताकि उस दौरान होने वाली तुम्हारी तकलीफों और नासाज सेहत को शौहर भी समझ सके. वैसे तुम हो हिम्मती.’’

‘‘जी!’’ आशिया बोली.

‘‘ठीक है, अब तुम जाओ,’’ शमशाद बोले.

‘‘सिर्फ यही पूछना था?’’ आशिया बोली.

‘‘हां, बाकी सवाल अम्मीअब्बू से बात करने के बाद पूछूंगा.’’ शमशाद बोले.

‘‘मैं आप से एक सवाल पूछूं?’’

‘‘हां हां, पूछो.’’

‘‘आप अपनी बीवी की माहवारी के बारे में जानते हैं?’’ आशिया तपाक से पूछ बैठी.

‘‘यही तो मुझ से गलती हो गई. मैं उस बारे में कभी नहीं पूछ पाया. उस का खयाल नहीं रख पाया. वही उस की बीमारी का कारण भी बना और कई दिनों तक खून बहता रहा. उस ने जब इस बारे में बताया, तब तक बहुत देर हो चुकी थी. एक दिन वह मुझे छोड़ कर दूसरी दुनिया में चली गई.’’ शमशाद मायूसी से बोल कर ऊपर की ओर देखने लगा.

आशिया को लगा जैसे उस ने शमशाद की दुखती रग पर हाथ रख दिया हो. वह सहम गई और सौरी बोल कर वहां से अपने कमरे में चली आई.

शमशाद के साथ अम्मी और अब्बू की करीब आधे घंटे तक बाचचीत होती रही. उन के बीच क्या बातें हो रही थीं, इस पर आशिया ने ध्यान नहीं दिया. उस के दिमाग में एक ही बात कौंध रही थी कि अच्छा शौहर वही होता है, जो उस की सेहत का खयाल रखता है.

एक हफ्ते बाद ही शमशाद फिर आए. अब्बू काम के सिलसिले में बाहर निकले हुए थे. अम्मी बाजार गई हुई थीं. घर पर केवल आशिया ही अकेली थी.

उस ने शमशाद को बैठकखाने में बिठाया और खातिरदारी में लग गई. रसोई में चाय बनाते वक्त आशिया की बातें एक बार फिर घूमने लगीं. कुछ समय में ही वह चाय और नाश्ता ले कर बैठकखाने में आ गई.

शमशाद ने पूछा, ‘‘कैसी हो आशिया?’’

‘‘जी, बहुत अच्छी हूं.’’ आशिया चहकते हुए बोली.

‘‘बहुत खुश नजर आ रही हो,’’ शमशाद बोले.

‘‘आप आए न इसलिए.’’ आशिया बोली.

‘‘अच्छा, तो मेरी बातें तुम्हें अच्छी लगीं… बहुत सी लड़कियों को मेरे सवाल अच्छे नहीं लगते हैं. मेरा सवाल सुनते ही मुंह बिचका लेती हैं. मुझे गलत समझ बैठती हैं. वे दोबारा मुझ से बात तक नहीं करतीं.’’

‘‘मैं तो कहती हूं कि आप बहुत अच्छा पूछते हैं,’’ आशिया बोली.

‘‘तुम बहुत सुंदर हो, तुम्हें देख कर तो मोहल्ले के लड़के आहें भरते होंगे.’’ शमशाद तारीफ में बोले.

‘‘भरा करें आहें मेरी बला से. मैं उन के पीछे नहीं भागती. सारे के सारे निखट्टू हैं.’’ आशिया ने ताने मारे.

‘‘तुम्हें कैसा लड़का पसंद है?’’ शमशाद ने पूछा.

‘‘आप जैसा?’’ अचानक आशिया के मुंह से निकल गया.

‘‘मुझ जैसा या मैं?’’ शमशाद भी अचानक बोल पड़े.

‘‘धत तेरे की!’’ आशिया जाने लगे.

‘‘यहीं बैठो न, तुम से बातें कर के बहुत अच्छा लग रहा है.’’ शमशाद ने उस का हाथ पकड़ कर वहीं बिठा लिया. आशिया वहीं स्टूल पर बैठ गई. बैठते ही पूछ बैठी, ‘‘तुम सिर्फ निकाह करवाने का काम करते हो? अब तक कितने जोड़ों के निकाह करवा चुके हो?’’

‘‘अरे नहीं, मैं निकाह नहीं करवाता वह तो काजी करवाता है. मैं तो उस के लिए जोड़े मिलवाने का काम करता हूं. बड़ी मुश्किल से रिश्ते बनते हैं,’’ शमशाद बोले.

‘‘मेरे लिए कैसा रिश्ता ढूंढा है?’’ आशिया ने जिज्ञासा से पूछा.

‘‘जो ढूंढा था, लगता है तुम्हारे लायक सही नहीं होगा. किसी और की तलाश करनी होगी,’’ शमशाद बोले.

‘‘उस में कमी है क्या?’’

‘‘नहीं, कमी उस में नहीं वह बराबरी का नहीं है. मुझे लगता है वह तुम्हारी तरह खुले विचारों का नहीं है,’’ शमशाद बोले.

‘‘सही फरमाया आप ने, मुझे एकदम से खुले विचारों वाला ही चाहिए, जैसे कि आप हैं. आप से बातें कर लगता है कि मैं बराबर की उम्र के किसी लड़के के साथ बात कर रही हूं.’’

उस रोज आशिया और शमशाद की काफी बातें हुईं. उन्होंने परिवार, शादी और समाज से ले कर दुनियाजहान की भी बातें कीं. कम उम्र वाली लड़की से शादी करने पर भी बातें हुईं.

दोनों ने उसे गलत नहीं कहा. उन्होंने इमरान खान की शादी के हवाले से उस की प्रधानमंत्री बनने की उपलब्धि तक गिनवा दी.

दोनों बातें करने में इतने मशगूल हो गए कि उन्हें समय का पता ही नहीं चला. बातोंबातों में आशिया ने शमशाद से उन के खानदान और परिवार के बारे में भी मालूम कर लिया.

पता चला कि शमशाद अपनी अकेली जिंदगी गुजारने पर मजबूर हैं. गुजारे के लिए मकान के बाहर 5 दुकानें हैं. उस से उन्हें किराया मिलता है. मकान की ऊपरी मंजिल पर 2 परिवार किराए पर रहते हैं. वही लोग घर की देखभाल भी कर देते हैं.

आशिया की अम्मी आईं और देरी का कारण बताया. आशिया से शमशाद की खातिरदारी के बारे में पूछा. शमशाद ने ही बताया कि उन की बेटी ने उन की बड़ी अच्छी मेहमाननवाजी की है. उसे 2 बार चाय नाश्ता करवाया है. यह भी कहा कि आशिया एक नेकदिल इंसान है. जितनी सुंदर दिखती है उस से भी अधिक सुंदर उस का मन है.

शमशाद जाने को तैयार हो गए. इस पर आशिया बोली, ‘‘थोड़ी देर और

ठहर जाइए न, खाना खा कर जाइएगा.’’

‘‘कोई लड़का तुम्हें पसंद आया?’’ अम्मी ने आशिया से पूछा.

‘‘हां अम्मी, आया न!’’ कहती हुई आशिया शरमाती हुई अंदर चली गई. शमशाद भी अगले हफ्ते आने को बोल कर चले गए.

आशिया अम्मी के साथ रात का खाना पकाने की तैयारी कर रही थी. आशिया ने कहा, ‘‘अम्मी, शमशाद बहुत अच्छे हैं.’’

‘‘अच्छे हैं तभी तो तुम्हारे लिए रिश्ता ढूंढने के लिए उन्हें कहा है.’’ अम्मी बोली.

‘‘लेकिन अम्मी, मुझे तो शमशाद ही पसंद हैं.’’ आशिया बोली.

‘‘क्या बकती हो तुम? कहां तुम्हारी कमसिन उम्र और कहां शमशाद की उम्र! हाय तौबा, क्या हो गया है तुम्हें.’’ अम्मी चौंकती हुई बोलीं.

‘‘कुछ नहीं अम्मी, मेरा उन पर दिल आ गया है. वह मुझे बहुत अच्छे लगे.’’

‘‘बहुत अच्छे लगने से क्या होता है. पूरी जिंदगी गुजारनी है उन के साथ. वह तुम से 40 साल से अधिक बड़े हैं.’’

‘‘बड़े हैं तो क्या हुआ. वह नेक इंसान हैं. नेक काम करते हैं. अच्छी आमदनी है. और क्या चाहिए. मुझे पता नहीं क्यों ऐसा लगता है कि वह मुझे बहुत खुश रखेंगे.’’ आशिया बोलती चली गई.

‘‘यह बात दोबारा मत बोलियो. अब्बू सुनेंगे तो गजब हो जाएगा. …और हां रिश्तेदार क्या कहेंगे हमारे बारे में.’’ अम्मी बिफरती हुई बोलीं.

2 हफ्ते तक शमशाद नहीं आए. आशिया चिंतित हो गई. उस से अधिक चिंता उस के अम्मीअब्बू को होने लगी. विवाह के नए कानून की वजह से उन की चिंता और बढ़ गई.

दरअसल, पाकिस्तान सरकार ने विवाह का नया कानून बनाया है. उस के मुताबिक लड़की की 18 की उम्र होते ही उस का निकाह करना जरूरी होगा.

ऐसा नहीं करने पर इस का जुरमाना उस के मातापिता या अभिभावक को भरना पड़ेगा.

कानून के मुताबिक मुसलिम पुरुषों और महिलाओं को 18 साल की उम्र के बाद शादी का अधिकार दिया गया है. इसे पूरा करना उन के अभिभावकों, विशेषकर उन के मातापिता की जिम्मेदारी है.

पाकिस्तान में यह कानून सिंध प्रांतीय विधानसभा के एक विधायक की पहल पर बनाया गया है. इस कानून से सरकार का मकसद सामाजिक बुराइयों, बच्चियों से बलात्कार और अनैतिक गतिविधियों को काबू में करना है. इस के अंतर्गत 18 साल की उम्र होने पर लोगों की शादी को अनिवार्य बनाने के प्रावधान किए गए हैं.

‘सिंध अनिवार्य विवाह अधिनियम, 2021’ में कहा गया है कि ऐसे वयस्कों के अभिभावकों जिन की 18 साल की उम्र के बाद भी शादी नहीं हुई हो, उन्हें जिले के उपायुक्त के समक्ष इस की देरी के उचित कारण के साथ एक शपथपत्र प्रस्तुत करना होगा. शपथपत्र प्रस्तुत करने में विफल रहने वाले अभिभावकों को 500 रुपए का जुरमाना देना होगा.

आशिया की उम्र 18 साल हो गई थी और उस के लिए कोई रिश्ता तय नहीं हो पाया था. जबकि आशिया रिश्ता तय करवाने वाले से ही निकाह की जिद लगाए बैठी थी.

आखिरकार उस के मातापिता को जिद माननी पड़ी. उन्होंने शमशाद को बुलवाया. शमशाद के आने पर उन से आशिया की बात बताई. शमशाद को भी आशिया पसंद थी. इसलिए उन्होंने देरी किए बगैर हामी भर दी. जल्द ही उन के निकाह की तारीख मुकर्रर कर दी गई. उस परिवार में ही नहीं, उन के इलाके में यह खबर आग की तरह फैल गई कि 18 साल की लड़की 61 साल के बुजुर्ग से शादी करने वाली है.

सभी मीडिया वाले सक्रिय हो गए. उन्होंने अपनेअपने स्तर से उन की शादी का कवरेज किया. निकाह के अगले रोज आशिया और शमशाद के इंटरव्यू के साथ खबर अखबारों और चैनलों में आ गई.

आशिया ने इंटरव्यू में कहा कि शमशाद इलाके में गरीब लड़कियों की शादी करवाते थे, मुझे यही आदत अच्छी लगी. दूसरी बात वह लड़की के हक की बात खुल कर करते हैं. एक यूट्यूबर ने उन की शादी पर अनोखा विवाह बना कर वीडियो अपलोड कर दिया.

शमशाद ने कहा कि वह खुद को काफी खुशनसीब मानते हैं कि इस उम्र में लाइफ पार्टनर मिला. वह बोले, आशिया मेरा बहुत ध्यान रखती हैं. आशिया ने कहा, शमशाद भी उन का खूब ध्यान रखते हैं. आशिया ने बताया, ‘उन्हें जिस चीज की भी जरूरत होती है, वह ला देते हैं. मेरे परिवार की भी मदद करते हैं.’

शमशाद बताते हैं कि वे इस बात के लिए शुक्रगुजार हैं कि उन्हें इस उम्र में 18 साल की आशिया से शादी करने का मौका मिला. उन्होंने बताया कि उन की शादी की बात सुन कर कई रिश्तेदारों ने मुंह बनाए. लोग वैसे भी जीने नहीं देते हैं. कोई न कोई रुकावट पैदा करने की कोशिश करते हैं. लोग उम्र के अंतर को ले कर असहज थे.

जब आशिया से इस इंटरव्यू के दौरान पूछा गया कि इतनी कम उम्र में बड़ी उम्र के शख्स से शादी करने की क्या जरूरत थी तो आशिया ने कहा, ‘‘रिश्तेदार तो अब भी कहते रहते हैं. लोग वैसे भी बात करने से पीछे नहीं हटते हैं. मैं जब भी मोहल्ले में जाती हूं तो लोग कहते हैं कि तुम ने उस में क्या देखा?’’

आशिया ने कहा कि वह लोगों को नहीं समझा सकती हैं. उन्हें इन बातों से फर्क नहीं पडता है. इस शादी से आशिया और शमशाद भले ही खुश हों, लेकिन हर लव स्टोरी की तरह समाज इस में भी दुश्मन बना हुआ है, जो उन्हें उम्र के फासले को ले कर ताने मारता रहता है लेकिन इश्क के इन परिंदों को इस की कोई परवाह नहीं है.

मैं और मेरी गर्लफ्रैंड कुछ ऐक्साइटिंग करना चाहते हैं, इसके लिए हम क्या करें?

सवाल

मुझे और मेरी गर्लफ्रैंड को रिलेशनशिप में रहते 2 साल हो गए हैं. पिछले साल हम बहुत मिलतेजुलते थे, घूमते थे. बहुत अच्छा टाइम स्पैंड करते थे. लेकिन इस साल लौकडाउन व कोरोना वायरस की वजह से हमारा मिलनाजुलना बहुत कम हो गया. लेकिन स्थिति में कुछ सुधार हुआ तो पूरे प्रीकौशंस के साथ हम फिर से डेटिंग कर रहे हैं. मुझे लगता है कि कुछ नया, कुछ ऐक्साइटिंग किया जाए ताकि हमारी रिलेशनशिप ज्यादा स्पाइसी हो, दोनों के बीच रोमांच बना रहे. बताइए कि मुझे क्या नया करना चाहिये?

जवाब

आप के रिलेशनशिप को 2 साल हो चुके हैं. एकदूसरे को काफी हद तक जान चुके होंगे. इस रिलेशनशिप को आप तरोताजा और ऐक्साइटमैंट से भरा रखना चाहते हैं तो अब डेटिंग में कुछ नए एक्सपैरिमैंट कर सकते हैं, जैसे नाइट कैंपिंग कर सकते हैं. खुले आसमां और नैचुरल इन्वायरमैंट में समय बिताना काफी रोमांटिक होगा.

गर्लफ्रैंड के साथ लौंग ड्राइव पर निकलें. मौसम के हिसाब से और सिचुऐशन देखते हुए ही सबकुछ प्लान करें. गर्मी में किसी ठंडी जगह पर जाएं. सर्दी के मौसम में घूमनेफिरने के बहुत से औप्शंस हैं, जैसे गार्डन, ऐडवैंचर पार्क, विंडो शौपिंग के बाद ओपन साइड लंच करें. कई बार मौसम के कारण भी डेटिंग बेमजा हो जाती है. डेटिंग डैस्टिनेशन बदलते रहें. भले ही कोई जगह आप को बहुत प्यारी लगती हो लेकिन बारबार एक ही जगह पर जा कर बोरियत हो सकती है.

इस के अलावा कुछ ऐसा भी करें जो पहले नहीं किया, जैसे अगर अब तक डांस नहीं किया है तो कपल डांस करें. एकदूसरे के लिए गाना गाएं, गेम खेलें. किस, हग इत्यादि करने का तरीका बदलें. ऊपर बताए रोमांटिक डेट आइडिया अपना कर देखें, मुलाकातें ज्यादा मजेदार हो जाएंगे 

प्यार सबकुछ नहीं जिंदगी के लिए 

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के आईटी चौराहे पर रैड सिग्नल होने से ट्रैफिक रुक गया. हमारी बाइक यानी मोटरसाइकिल के ठीक बगल में एक दूसरी बाइक आ कर रुकती है. नए जमाने के स्टाइल वाली बाइक पर एक लड़का अपने पीछे एक लड़की को बैठाए है. दोनों आपस में बात करते हैं. लड़का सम झाते हुए कहता है कि यह आईटी चौराहा है. दाहिनी तरफ आईटी कालेज है. लड़का आईटी चौराहे से कपूरथला की तरफ जाने वाला था. वहां कई रैस्तरां हैं. लड़की को ले कर उसे वहां जाना रहा होगा. यह अंदाजा लड़की को लग जाता है. शायद वह पहले कभी उधर गई होगी. वह लड़के के कान में कहती है, ‘उधर आज नहीं जाना. वहां भीड़ बहुत होती है. भीड़भाड़ वाली जगह हमें पसंद नहीं आती.’ वह कहता है, ‘कोई नहीं, आज सीतापुर रोड की तरफ चलते हैं. वहां अच्छी जगहें हैं.’

इसी बीच चौराहे का ट्रैफिक सिगनल ग्रीन हो जाता है. लड़का अपनी बाइक सीतापुर रोड की तरफ मोड़ देता है. दोनों को देख कर यह लग रहा था कि वे एकांत में कुछ समय गुजारना चाहते थे. ऐसे लोगों को प्यार करने वाला कपल कहा जाता है. जब प्यार की बात होती है तो ऐसे ही कपल की चर्चा सब से ज्यादा होती है. इन की दोस्ती, इन का प्यार छोटीछोटी वजहों से टूट जाता है. हर दोस्ती को प्यार की नजर से नहीं देखना चाहिए. हर कपल को प्यार करने वाला कपल नहीं माना जा सकता. यह जरूर है कि दोस्ती में सैक्स और प्यार दोनों आगे बढ़ जाते हैं. प्यार और सैक्स के बीच दूरी बनाए रखना जरूरी है. जहां यह दूरी नहीं होती वहां प्यार बदनाम हो जाता है. प्यार के ऐसे ही रास्ते से घर, परिवार और समाज को डर लगता है. यही डर पाबंदी का भी रूप ले लेता है.

प्यार के अलग फलसफे प्यार को ले कर दिल और समाज में अलगअलग फलसफे हैं. कहीं कहा जाता है कि ‘प्यार ही जिंदगी है’ तो कहीं कहा जाता है कि ‘प्यार सबकुछ नहीं जिंदगी के लिए.’ यह सच है कि प्यार से खूबसूरत चीज दूसरी दुनिया में नहीं है. प्यार उम्र, जाति और दूरी के बंधन को भी नहीं मानता है. आज जिस प्यार की बात हम करने जा रहे हैं वह ‘टीनएज लव’ या ‘युवावस्था में होने वाला प्यार’ है. यह प्यार उम्र के उस दौर में होता है जब सब से अधिक जरूरत युवाओं को अपने कैरियर पर ध्यान देने की होती है. ऐसे युवाओं को ही सम झाने के लिए कहा जाता है, ‘प्यार से भी जरूरी कई काम हैं, प्यार सबकुछ नहीं जिंदगी के लिए’. क्लीनिकल साइकोलौजिस्ट डाक्टर मधु पाठक कहती हैं, ‘‘किशोरावस्था में शरीर में हारमोनल चेंज आते हैं. ऐसे में लड़के और लड़कियों के बीच आपस में एकदूसरे के प्रति आकर्षण बढ़ता है. यह आकर्षण पहले दोस्ती, फिर प्यार, फिर शादी तक भी पहुंच जाता है.

समाज की नजरों से देखें तो इस को सफल प्यार कहा जाता है. जो प्यार शादी तक नहीं पहुंच पाता उस को असफल प्यार की श्रेणी में रख दिया जाता है. प्यार की कुछ कहानियां पहले आकर्षण के बाद खत्म हो जाती हैं. कुछ एकतरफा हो कर ही रह जाती हैं, कुछ दोस्ती से आगे नहीं बढ़ पातीं और कुछ तो शादी के बाद भी टूट जाती हैं.’’ अलगअलग है प्यार और सैक्स  प्यार के अलगअलग दौर होते हैं. हर दौर की अपनी मुश्किलें होती हैं. प्यार का सब से अलग दौर वह होता है जब उस में सैक्स की चाहत पनप जाती है. असल में लड़कालड़की के बीच जो आकर्षण प्यार की तरह से दिखता है उस में सैक्स का अहम रोल होता है. प्यार और सैक्स के बीच में एक बहुत ही पतली विभाजन रेखा होती है. यह इतनी पतली होती है कि इस में अंतर कर पाना समाज और देखने वालों के लिए मुश्किल होता है.

समाज का एक बड़ा वर्ग प्यार को सैक्स का आकर्षण सम झता है. सैक्स को ले कर लड़कियों के व्यवहार के प्रति समाज का नजरिया बेहद संकीर्ण होता है. इस की वजह यह है कि समाज उन लड़कियों को सही नहीं मानता जो शादी से पहले सैक्स कर लेती हैं. शादी के पहले सैक्स के प्रति इसी सोच के कारण मातापिता और समाज प्यार करने वालों को सही नहीं मानते. उन के बीच दूरियां डालने का काम करते हैं. प्यार और सैक्स में घट रही दूरियों के कारण ही प्यार की चुनौतियां बढ़ रही हैं. समाज और परिवार का मानना होता है कि किशोरावस्था से ले कर युवावस्था तक का समय कैरियर बनाने व अपने भविष्य की मजबूत नींव रखने के लिए होता है. ऐसे में प्यार का होना उन को रास्ते से भटकाने का काम करता है, जिस से प्यार के चक्कर में पड़ कर लड़के हों या लड़कियां, अपने भविष्य से खिलवाड़ करते हैं. यहीं पर यह धारणा जन्म लेती है कि प्यार सबकुछ नहीं जिंदगी के लिए.

प्यार में नासम झी खतरनाक  हमारे समाज में सब से गलत धारणा यह है कि प्यार पहली नजर में हो जाता है. प्यार अंधा होता है, प्यार सोचसम झ कर नहीं किया जाता और प्यार में अमीरीगरीबी नहीं देखी जाती. ये बातें किताबी होती हैं. प्यार जब वास्तविकता के धरातल पर उतरता है तो ये सारी बातें बेमानी हो जाती हैं. और तब जातिधर्म, अमीरीगरीबी, रूपरंग सभी कुछ माने रखने लगते हैं. पहली नजर के आकर्षण में होने वाले प्यार के समय मानसिक स्तर के तालमेल को भी महत्त्व नहीं दिया जाता है. जबकि, सचाई यह होती है कि जिन लोगों के विचार आपस में नहीं मिलते उन के बीच दूरियां बनी रहती हैं. वे प्यार, मोहब्बत और शादी के बंधन में भी तालमेल नहीं बना पाते हैं. जो युवा प्यार में नासम झी करते हैं वे कभी प्यार में सफल नहीं हो सकते. लखनऊ में घर से भाग कर शादी करने वाले लड़केलड़कियों के जिन मामलों में पुलिस में रिपोर्टें दर्ज हुईं, पुलिस ने कुछ लड़केलड़कियों को पकड़ कर कोर्ट में पेश किया, तो ज्यादातर लड़कियां कम उम्र की थीं. वे अपने पिता के घर जाने को तैयार नहीं थीं.

ऐसे में उन को ‘बालिका गृह’ भेजा गया. वहां जांच में पता चला कि आधे से अधिक लड़कियां गर्भवती निकलीं. प्यार में घर से विद्रोह कर लड़के के साथ भाग जाना और फिर गर्भवती होना प्यार के लिए बेहद खतरनाक हो जाता है. ऐसे मामलों में ही घरपरिवार और समाज का डर भी पैदा हो जाता है जो आपराधिक गतिविधियों को जन्म दे देता है. इस वजह से ऐसे कपल कई बार आत्महत्या करने जैसे आत्मघाती कदम उठा लेते हैं. कई बार समाज इन के प्रति हिंसक हो जाता है. प्यार में नासम झी भारी पड़ती है. सम झदारी और सू झबू झ से सफल होता है प्यार समाज में तमाम ऐसे उदाहरण भी हैं जो जातिधर्म या दूसरे बंधनों से अलग हो कर भी प्यार, शादी, परिवार और समाज के लिए उदाहरण या रोल मौडल माने जाते हैं. ऐसे लोगों के गुणों को देखें तो पता चलता है कि ये प्यार और सैक्स के बीच दूरी को बना कर रखने वाले थे. इन्होंने अपने कैरियर को प्राथमिकता दी.

जब आत्मनिर्भर हो गए तब शादी व सैक्स के फैसले किए. जिस के बाद इन के प्यार पर किसी भी तरह की उंगली न उठी. ऐसे ही प्यार में शादी करने वाली शबाना खंडेलवाल ने गैरधर्म में शादी की थी. शबाना कहती हैं, ‘‘हमारा प्यार जब आगे बढ़ा तब हम ने यह फैसला किया था कि जब हम अपने पैरों पर खड़े हो जाएंगे तभी शादी का फैसला लेंगे. यही हुआ. हम ने अलग रहने का फैसला भले ही लिया पर एकदूसरे के परिवार के सुखदुख में हिस्सा लेते रहे. दोनों ही परिवारों ने हमें स्वीकार किया.’’

शबाना आगे कहती हैं, ‘‘अगर हम ने केवल प्यार के युवा आकर्षण में पड़ कर ऐसा कदम उठाया होता तो हम सफल नहीं होते. प्यार का विरोध करने वाले यह सोचते हैं कि केवल आकर्षण में ऐसे कदम उठाने वालों में जिम्मेदारी का भाव नहीं होता है. इस कारण वे प्यार का विरोध करते हैं. जिन लोगों में जहां प्यार का आकर्षण और जिम्मेदारी का भाव दोनों होता है वहां पर प्यार के सफल होने के अवसर बढ़ जाते हैं. समाज ऐसे लोगों को स्वीकार कर लेता है.’’ डाक्टर मधु पाठक कहती हैं, ‘‘रिश्तों की सफलता व असफलता की तमाम वजहें होती हैं. ऐसे में प्यार में टूटने वालों को अपने जीवन से खिलवाड़ नहीं करना चाहिए. जिंदगी की जो तमाम वजहें होती हैं, प्यार उन में से एक है.

प्यार सबकुछ नहीं जिंदगी के लिए, ऐसे में एक वजह के लिए पूरी जिंदगी को दांव पर लगाना उचित नहीं होता.’’  युवाओं से केवल घर व परिवार को ही नहीं, देश व समाज को भी उम्मीदें होती हैं. युवाशक्ति देश के विकास में अहम रोल अदा करती है. प्यार के लिए जिंदगी को दांव पर लगाना ठीक नहीं है. प्यार से भी जरूरी कई काम हैं.

गरम लोहा: बबीता ने क्यों ली पति व बच्चों के साथ कहीं न जाने की प्रतिज्ञा?- भाग 3

बच्चे छोटे थे तो ठीक था. जो भी खरीद कर लाती थी खुशीखुशी पहन लेते थे. पर बड़े हो जाने पर पहनते वही हैं जो उन्हें पूरी तरह से पसंद हो. मगर शौपिंग के लिए साथ हरगिज नहीं जाएंगे. कई बार खीज कर कह बैठती कि तुम दोनों की जगह अगर 2 बेटियां होतीं मेरी तो वे मेरे साथ शौपिंग के लिए भी जातीं और घर के कामों में भी मेरा हाथ बंटातीं.

सब से अधिक असमंजस और परेशानी वाली स्थिति मेरे लिए तब बन जाती है जब कहीं जाने पर वहां पहुंच कर दूसरेतीसरे दिन पहनने के लिए कपड़े निकाल कर देती हूं और वे यह कह कर पहनने से इनकार कर देते कि यह तो अब टाइट होने लगा है या इस की तो चेन खराब है. तब मेरे पास अपना सिर पीटने के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचता. कई बार तो इस वजह से नई जगह में मुझे टेलर और कपड़ों की दुकान तक के चक्कर लगाने पड़ गए थे.

मैं ने मन ही मन तय किया कि मुझे कुछ ऐसा करना चाहिए, जिस से इन्हें मेरी स्थिति का अंदाज लगे और ये अपनी जिम्मेदारियां समझने लगें. मैं ने मन ही मन प्लान बनाया और फिर उस पर अमल करना शुरू कर दिया.

मुझे पता था कि इकलौते साले और इकलौते मामा की शादी के लिए अपूर्व और बच्चे भी बहुत उत्साहित हैं, साथ ही उन्हें मेरे उत्साह का भी अंदाजा है, बस इसी बात को हथियार बना कर मैं अपने प्लान पर अमल करने में जुट गई.

आयूष की शादी 1 महीने के बाद होनी तय हुई थी, इसलिए मुझे तैयारी ज्यादा करनी थी और समय कम था.

मैं ने तय यह किया कि मैं अपूर्व के औफिस और बच्चों के स्कूल जाने के बाद बाजार जाऊंगी पर मैं शादी के लिए कोई तैयारी कर रही हूं, इस की भनक तीनों को नहीं लगने दूंगी. खरीदे सारे कपड़े और बाकी सारा सामान मैं लाने के बाद अलमारियों में रख देती. सब के सामने सामान्य रहने का नाटक करती. शादी के प्रति न ही सब के सामने अपनी खुशी और उत्साह को प्रकट करती और न ही शादी की कोई चर्चा उन के सामने करती.

10-15 दिन तो सभी अपनेअपने काम में मशगूल रहे. किसी ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया कि मैं शादी के मसले पर शांत बैठी हूं. फिर एक दिन डिनर पर अपूर्व ने जब शादी का जिक्र छेड़ा तो मेरी ठंडी प्रतिक्रिया ने सब को चौकन्ना कर दिया. मैं ने कनखियों से देखा कि तीनों की सवालियां नजरें एकदूसरे से टकराईं.

‘‘क्या बात है बबीता आयूष की शादी के नाम पर तुम इतनी चुपचाप बैठी हो… अभी तक तुम ने कोई तैयारी भी शुरू नहीं की… सब कुछ ठीक तो है न?’’

‘‘हां ठीक है,’’ मैं ने जानबूझ कर संक्षिप्त जवाब दिया पर यह जवाब उन के कान खड़े करने के लिए पर्याप्त था.

‘‘कोई परेशानी है?’’ मेरी खामोशी से अपूर्व विचलित नजर आए.

तीर निशाने पर लगता देख मैं अपने प्लान की कामयाबी के प्रति आश्वस्त होते हुए गंभीर मुद्रा बना कर बोली, ‘‘मैं नहीं जा रही शादी में.’’

‘‘क्यों? क्या हो गया?’’ तीनों बुरी तरह चौंके.

‘‘भूल गए मेरी भीष्म प्रतिज्ञा?’’ मैं ने ऋतिक की तरफ देखते हुए कहा.

‘‘अरे मम्मा, मामा की शादी हो जाने दो, फिर ले लेना प्रतिज्ञा,’’ नटखट ऋतिक अपनी शैतानी से बाज नहीं आ रहा था. पर मैं ने अपनी हंसी पर पूर्ण नियंत्रण रखा था.

‘‘मैं सीरियस हूं. मेरी बात को कौमेडी बनाने की जरूरत नहीं है,’’ कह कर मैं जल्दीजल्दी अपना खाना खत्म कर प्लेट सिंक में रख बैडरूम में चली गई.

‘‘पापा, लगता है मम्मा नाराज हैं हम लोगों से,’’ गौरव की फुसफुसाती आवाज सुनाई दी मुझे.

‘‘तुम लोग चिंता न करो, अगर वह नाराज होगी तो मैं संभाल लूंगा,’’ अपूर्व ने बच्चों से कहा.

दूसरे ही दिन दोपहर में औफिस से अपूर्व का फोन आया. मेरे हैलो बोलते ही कहने लगे, ‘‘बबीता, आज सोच रहा हूं शाम को घर जल्दी आ जाऊं. आयूष की शादी की शौपिंग कर लेते हैं. मेरी भी सारी पैंटशर्ट्स पुरानी हो गई हैं.

2-4 जोड़ी कपड़े नए ही ले लेता हूं और तुम भी अपने लिए नईनई साडि़यां ले लो. आखिर इकलौते भाई की शादी है, पुरानी साडि़यां थोड़े ही जंचेंगी तुम पर.’’

बड़ी मुश्किल से अपनी हंसी पर काबू रख पाई थी मैं अपूर्व से बात करते समय. सोचने लगी जब तक प्यार से मिन्नतें करती थी कि अपनेअपने कपड़ों की खरीदारी में तो कम से कम मेरा साथ दिया करो तुम सब तब तक किसी के ऊपर मेरी बात का असर नहीं हुआ पर जरा सी टेढ़ी हुई नहीं कि एक झटके में जिम्मेदारी का एहसास हो गया जनाब को.

उधर कालेज से आते ही गौरव ने कहा, ‘‘मम्मा, कल रात मैं ने नैट पर सर्च किया. औनलाइन बड़ी अच्छीअच्छी शर्ट्स मिल रही हैं. सोच रहा हूं मामा की शादी के लिए इस बार औनलाइन ही कपड़े मंगवा लूं. ख्वाहमख्वाह ही तुम्हें हम लोगों के कपड़ों के लिए बाजार के कई चक्कर लगाने पड़ते हैं.’’

मेरा तीर निशाने पर लगा था. अपूर्व और बच्चे दोनों ही अपनेअपने कपड़ों के इंतजाम में जुट गए तो मुझे भी लगा कि अपना रुख थोड़ा ढीला कर देना चाहिए.

एक दिन जब अपूर्व ने सूटकेस निकाल कर उस में कपड़े डालते हुए कपड़े पैक करने की पहल की तो मुझ से रहा नहीं गया. मैं हंसते हुए बोली, ‘‘अब बस रहने दो. यह सब काम तुम्हारे वश का नहीं है. तुम लोगों ने अपने कपड़े अपनी पसंद के खरीद लिए और यह तय कर लिया कि किस अवसर पर क्या पहनोगे यही मेरे लिए बहुत है. कहीं जाने की तैयारी के लिए इस से अधिक की अपेक्षा नहीं करती मैं तुम लोगों से.’’

‘सच लोहा जब गरम हो तब वार करने पर वस्तु को मनपसंद आकार दिया जा सकता है.

कहने को उसके पास सब कुछ है अच्छी नौकरी, दिल्ली जैसे शहर में अपना घर, एक लाइफ पार्टनर, लेकिन फिर भी वह अकेली है पास बैठे पति से बात करने के बजाय वह सोशल साइट्स पर ऐसा कोई ढूँढती रहती है जिससे अपनी फीलिंग्स शेयर कर सके.

BIGG BOSS 16: अंकित गुप्ता ने राखी सावंत से की अर्चना गौतम की तुलना तो भड़कें फैंस

बॉलीवुड एक्टर सलमान खान का होस्टिंग वाला शो बिग बॉस 16 दर्शकों को बहुत लुभाता है और दर्शक इसे बहुत प्यार देते है. शो के हाल ही के एपिसोड काफी जबरदस्त भी थे.

शो की खास बात यह है कि यहाँ पर पल भर में रिश्ते बनते है और पल भर में बिगड़ते है। एक बार फिर प्रियंका चौधरी और अर्चना गौतम एक दूसरे से लड़ते भिड़ते नजर आए। इसी बीच अंकित गुप्ता ने अर्चना गौतम की तुलना राखी सावंत से कर दी.

प्रियंका- अर्चना बने दुश्मन

कुछ दिनों पहले प्रियंका चौधरी, अर्चना गौतम को सपोर्ट करते नजर आ रही थी और अब वो एक दूसरे के कट्टर दुश्मन बन गए है और कई बार ऐसा भी देखा गया है जब प्रियंका किसी से लड़ती थी तो अंकित उनका फुलसपोर्ट करते थे और इसी बीच उनके बीच लड़ाई होने के कारण अंकित गुप्ता ने अर्चना गौतम को किया राखी सावंत से कम्पेयर, अंकित के यह बात से पूरे घरवाले दंग रह गए.

साजिद से भिड़ी अर्चना

बीते एपिसोड में घर के नये कप्तान साजिद खान सभी सदस्यों को काम बाँट रहे थे उसी दौरान अर्चना ने कप्तान के दिए हुए काम को करने से इनकार कर दिया। अर्चना का यह फैसला घरवालों को पसंद नहीं आया। इसी वजह से घरवालों ने अर्चना को घरवालों ने जमकर फटकार लगाई.

अंकित के बयान पर भड़के लोग

इसी बीच प्रियंका और अंकित ने भी अर्चना की क्लास लगाई और इसी दौरान अंकित ने अर्चना को राखी सावंत से कम्पेयर करते हुए बोल की ‘यह राखी सावंत बनना चाहती है लेकिन इसे यह नहीं पता की राखी सावंत को सिर्फ एंटेरटेनमेंट के लिए बुलाया जाता है इसी वजह से अभी तक वो ट्रॉफी नहीं जीती और इस बयान के बयान सोशल मीडिया पे काफी हलचल मच गई और यूजर जमकर ट्रोल कर रहे है.

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