बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बार फिर वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने के लिए एक तरह से मानो तलवार खींच ली है. वे लगातार राहुल गांधी से ले कर अरविंद केजरीवाल जैसे नेताओं से मिल रहे हैं. उन की इस भेंटमुलाकात का सिलसिला एक तरह से ‘प्रधानमंत्री पद’ हासिल करने के लिए पदयात्रा के समान है.

नीतीश कुमार के पास 17 साल के मुख्यमंत्री पद का गौरवशाली इतिहास है और देशभर में उन की अलग पहचान भी है. मगर यह भी सच है कि बीच में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन कर के अपनी छवि और भविष्य पर सवालिया निशान भी लगा लिया है.

इस ‘पदयात्रा’ के पड़ाव यह सच है कि नीतीश कुमार ने भाजपा से अलग हो कर कांग्रेसी और राष्ट्रीय जनता दल के साथ तालमेल कर के भाजपा को और सब से ज्यादा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को धोखा दिया है.

घटनाक्रम बता रहा है कि आज के सत्तासीन केंद्र के ये नेता विपक्ष और दूसरी पार्टियों को एक तरह से खत्म कर देना चाहते हैं. ऐसे में नीतीश कुमार का एक बड़ा चेहरा देश के सामने आया है और वे लगातार देश के बड़े नेताओं से मिल रहे हैं और सब को एकजुट कर रहे हैं.

मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी यानी माकपा के दफ्तर में पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी और भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी के महासचिव डी. राजा से मुलाकात करने के बाद नीतीश कुमार ने पत्रकारों से कहा कि यह समय वाम दलों, कांग्रेस और सभी क्षेत्रीय दलों को एकजुट कर के एक मजबूत विपक्ष बनाने का है.

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