संपादकीय-1
शादियां अब हर तरह के लोगों के लिए एक जुआ बन गर्ई हैं जिस में सब कुछ लुट जाए तो भी बड़ी बात नहीं. राजस्थान की एक औरत ने 2015 में कोर्ट मैरिज की पर शादी के बाद बीवी मर्द से मांग करने लगी कि वह अपनी जमीन उस के नाम कर दे वरना उसे अंजाम भुगतने पड़ेंगे. शादी के 8 दिन बाद ही वह लापता हो गई पर उस से मिलतीजुलती एक लाश दूर किसी शहर में मिली जिसे लावारिस समझ कर जला दिया.
औरत के लापता होने के 6 माह बाद औरत के पिता ने पुलिस में शिकायत कि उस के मर्द ने उन की बेटी एक और जने के साथ मिल कर हत्या कर दी है. दूर थाने की पुलिस ने पिता को जलाई गई लाभ के कपड़े दिखाए तो पिता ने कहा कि ये उस के बेटी के हैं. मर्द और उस के एक साथी को जेल में ठूंस दिया गया. 7 साल तक मर्द जेलों में आताजाता रहा. कभी पैरोल मिलती, कभी जमानत होती.
अब 7 साल बाद वह औरत किसी दूसरे शहर में मिली और पक्की शिनाख्त हुई तो औरत को पूरी साजिश रचने के जुर्म में पकड़ लिया गया है आज जब सरकार हल्ला मचा रही है कि यूनिफौर्म सिविल कोर्ट लाओ, क्योंकि आज इस्लाम धर्म के कानून औरतों के खिलाफ हैं. असलियत यह है कि ङ्क्षहदू मर्दों और औरतों दोनों के लिए ङ्क्षहदू कानून ही अब आफत बने हुए हैं. अब गांवगांव में पुलिस को मियांबीवी झगड़े में बीवी पुलिस को बुला लेती है और बीवी के रिश्तेदार आएंगे निकलते छातियां पीटते नजर खाते हैं तो मर्दों को गिरफ्तार करना ही पड़ता है.
शादी ङ्क्षहदू औरतों के लिए ही नहीं मर्दों के लिए आफत है, जो सीधी औरतें और गुनाह करना नहीं जानती वे मर्द के जुल्म सहने को मजबूर हैं पर मर्द को छोड़ नहीं सकती. क्योंकि ङ्क्षहदुओं का तलाक कानून ऐसा है कि अगर दोनों में से एक भी चाहे तो बरसों तलाक न होगा. ङ्क्षहदू कानूनों में छोड़ी गई औरतों को कुछ पैसा तो मिल सकता है पर उन को न समाज में इज्जत मिलती न दूसरी शादी आसानी से होती है.
चूंकि तलाक मुश्किल से मिलता है और चूंकि औरतें तलाक के समय मोटी रकम वसूल कर सकती हैं. कोई भी नया जना किसी भी कीमत पर तलाकशुदा से शादी करने को तैयार नहीं होता. सरकार को ङ्क्षहदूमुसलिम करने के लिए यूनिफौर्म सिविल कोर्ट की पड़ी है जबकि जरूरत है ऐसे कानून क जिस में शादी एक सिविल समझौता हो, उस में क्रिमीनल पुलिस वाले न आए.
जब औरतें शातिर हो सकती हैं, अपने प्रेमियों के साथ मिल कर पति की हत्या कर सकती हैं, नकली शादी कर के रूपयापैसा ले कर भाग सकती है. न निभाने पर पति की जान को आफत बन सकती है तो समझा जा सकता है कि देश का कानून खराब है और यूनिफौर्म सिविल कोर्ट बने या मन वालूे ङ्क्षहदू विवाह कानून तो बदला जाना चाहिए जिस में किसी जोर जबरदस्ती की गुंजाइश न हो. यदि लोग अपनी बीवियों के फैलाए जालों में फंसते रहेंगे और औरतें मर्दों से मार खाती रहेंगी तो पक्का है समाज खुश नहीं रहेगा और यह लावा कहीं और फूटेगा.
सवाल
मैं 19 साल का हूं और अपनी जिंदगी में कुछ करना चाहता हूं, पर मेरा मन जिस्मानी संबंध बनाने के लिए उतावला रहता है. जब भी कुछ करना चाहता हूं, तो मन इसी तरफ चला जाता है. लोग मुझ से नफरत करते हैं और नालायक समझते हैं. मैं खुद को कैसे साबित करूं?
जवाब
आप को जिस्मानी संबंध का सच्चा सुख तभी हासिल होगा, जब आप पढ़लिख कर कुछ बन जाएंगे, वरना जिंदगीभर यों ही तरसते रहेंगे. अपना उतावलापन छोड़ कर पहले पढ़ाई पूरी करें और नौकरी या कारोबार कर के कुछ कमाई करें. निकम्मे लोगों को न प्रेमिका मिलती है और न ही बीवी.
सोशल बैवसाइट सर्वे करने वाली एक आईटी कंपनी की हालिया रिपोर्ट चौंकाती है, जिस में पोर्न बेस्ड सर्वे के आधार पर ये आंकड़े दिए गए हैं कि देश में 22 से 34 आयुवर्ग के युवा पोर्नोग्राफी, पेड सैक्स, बैव सैक्स चैट के जरिए अपनी पौकेट ढीली कर रहे हैं. उन की कमाई का लगभग 20 से 30त्न हिस्सा पेड सैक्स के लिए जा रहा है. माध्यम चाहे जो भी हो, सैक्स के लिए मोटी रकम अदा करनी पड़ रही है यानी सैक्स अब सस्ता व सुलभ नहीं, बल्कि महंगा और अनअफोर्डेबल है. पेड सैक्स की बढ़ती लोकप्रियता व चलन ने सैक्स को आम लोगों की पहुंच से दूर कर दिया है. अब यह पैसे वालों का शौक बन गया है. सैक्स की बढ़ती मांग और आपूर्र्ति के बीच गड़बड़ाए तालमेल ने सैक्स बाज़ार के रेट आसमान पर पहुंचा दिए हैं. इस का दूसरा बड़ा कारण है मोटी जेब वालों की सैक्स तक आसान पहुंच. जहां जैसी जरूरत हो, मोटी रकम दे कर सैक्स बाज़ार से सैक्स खरीद लिया, नो बारगेनिंग, नो पचड़ा. इस का नतीजा हाई रेट्स पेड सैक्स के रूप में सामने आया. सैक्स वर्कर्स ने भी मांग के आधार पर अपनी दरें ऊंची कर लीं.
क्या है पेड सैक्स
सैक्स के लिए जो रकम अदा की जाती है उसे पेड सैक्स कहा जाता है. इस के कई रूप हो सकते हैं. वर्चुअल सैक्स से ले कर लाइव फिजिकल सैक्स तक. औनलाइन सैक्स मसलन, पोर्न वीडियो, पोर्नोग्राफी, औनलाइन पेड फ्रैंडशिप, वीडियो सैक्स, वैब औरिएंटेड सैक्स. औफलाइन सैक्स मसलन, ब्रोथल पिकअप सैक्स, कौलगर्ल औन डिमांड आदि. सैक्स के इन तमाम माध्यमों में कहीं न कहीं प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पैसे इनवैस्ट किए जाते हैं. सैक्स के तमाम माध्यमों में सीधे इनवैस्टमैंट को पेड सैक्स कहते हैं.
सैक्स की राह नहीं आसान
कुछ दशक पहले तक सैक्स तक आम लोगों की आसान पहुंच थी. छोटीमोटी रकम अदा कर के यौनसुख का आनंद उठाया जा सकता था, पर सैक्स के विभिन्न मौडल सामने आने के बाद उस की दरों में कई गुणा वृद्धि हुई है.
क्या है इन की कैटेगरी व प्रचलित दरें
– औनलाइन पेड सैक्स : प्रति मिनट डेटा चार्जेज.
– फोन फ्रैंडशिप : 2 से 3 हजार रुपए प्रतिमाह सदस्यता.
– कौलगर्ल औन डिमांड : 2 से 10 हजार रुपए प्रति घंटा.
– स्कौर्ट सर्विस (श्रेणी एबीसी ) शुरुआती दर.
– ब्रोथल सैक्स : 500 से 1,500 रुपए तक नाइट/आवर.
– हाउस सर्विस : पर शौट (हाउसवाइफ, कालेज/वर्किंग वूमन) 3 से 5 हजार रुपए पर शौट.
मार्केट में चल रही इन दरों को देख कर आसानी से यह कहा जा सकता है कि ऐक्स्ट्रा मैरिटल सैक्स की चाह रखने वालों को अब मनी कैपेबिलिटी भी ऊंची रखनी होगी. यौनतृप्ति की राह आसान नहीं है. सैक्स के बाजार ने एक बड़ा रूप ले लिया है, जहां जिस की जितनी हैसियत है उस हिसाब से यौन संतुष्टि पा सकता है. आम व सामान्य लोगों के लिए यौनलिप्सा के दरवाजे लगभग बंद होते प्रतीत हो रहे हैं.
कौलगर्ल रिचा चंद्रा बताती हैं, ‘‘वर्षों से (लगभग 11 साल पहले) जब वे इस पेशे में आई थीं, तब उन के पास ठीक से खाने व ब्रोथल की मैडम को रैंट चुकाने तक के पैसे नहीं थे, क्योंकि तब ग्राहकों की पेइंग कैपेसिटी बहुत कम थी और मार्केट में सप्लाई ज्यादा. इसलिए औनेपौने रेट पर भी वे ग्राहक पटा लेती थीं, तब न तो इतने बड़े और ग्लैमरस तरीके से उन्हें प्रोजैक्ट किया जाता था और न ही इंटरनैट के जरिए विज्ञापन व प्रचारप्रसार था.
‘‘अब स्थिति बिलकुल उलट है. ऐडवर्ल्ड व सोशल मीडिया की आसान पहुंच ने सबकुछ बदल दिया है. अब वे विज्ञापन के जरिए अपना बेस प्राइस भी तय कर सकती हैं और अपनी सर्विस के लिए बारगेनिंग भी. साथ ही ग्लैमरस प्रोजैक्शन ने मार्केट में उन की प्राइस वैल्यू औैर बढ़ा दी है.
‘‘इस तरह जहां वे पहले वननाइट सर्विस के लिए 200 से 500 रुपए तक ही कमा पाती थीं आज वह बढ़ कर 2 से 5 हजार रुपए तक हो गया है. रिचा आगे बताती हैं कि विवाह से इतर सैक्स की चाह ने भी बाज़ार में क्लाइंट की संख्या में खासा इजाफा किया है. इंटरनैट पर बढ़ते सैक्स के प्रोजैक्शन ने युवाओं में लाइव सैक्स की चाह को बढ़ाया है.’’
चाहे जो हो, सैक्स का बाज़ार महंगाई के प्रभाव से अछूता है. जब तक लोगों की जेबें गरम रहेंगी, बिस्तर भी गरम होता रहेगा. हैसियत और ओहदे के हिसाब से बेहतर सेवाएं भी मिलती रहेंगी. पैसे वालों के लिए अल्ट्रामौडर्न स्कौर्ट्स सर्विस तो आम लोगों के लिए साधारण ब्रोथल सर्विस.
मांग है तो आपूर्त्ति भी लगातार बनी रहेगी, तो पैसा फेंकिए और तमाशा देखिए. इस में हर्ज ही क्या है?
‘अगर आप को पता चल जाए कि आप जिस शख्स के विवाह समारोह में जा रहे हैं, वहां दहेज लिया गया है, तो वैसे विवाह में कतई न जाएं. अगर किसी मजबूरी की वजह से वहां जाना पड़े तो जाएं, लेकिन वहां खाना न खाएं.’ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आजकल अपनी हर सभा में यह बात जरूर कहते हैं. बिहार में शराबबंदी को अच्छीखासी कामयाबी मिलने के बाद उन्होंने अब दहेजबंदी की पहल शुरू की है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कहते हैं कि दहेज को रोकने की बात को ज्यादातर लोग नामुमकिन करार दे रहे हैं, पर ऐसे लोगों को यह सोचना चाहिए कि शराब पर पाबंदी लगाने के बाद भी ऐसी ही दलीलें दी जा रही थीं. अब यह हालत है कि बिहार में शराबबंदी को कामयाबी मिलने के बाद दूसरे राज्यों में भी शराब पर रोक लगाने की आवाजें बुलंद होने लगी हैं.
बिहार कमजोर वर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2016-17 में तकरीबन 987 बेटियां दहेज के नाम पर मार दी गईं, वहीं साल 2015 में 1154 बेटियों की जानें दहेज की वजह से चली गईं. महिला हैल्पलाइन में हर साल दहेज के चलते सताई गई बेटियों के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं.
साल 2015 में जहां 93 मामले दर्ज हुए थे, वहीं साल 2016 में वे बढ़ कर 111 हो गए. इस के अलावा साल 2016 में राज्य के अलगअलग थानों में दहेज के नाम पर सताने के कुल 4852 मामले दर्ज किए गए थे.
राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो के आंकड़े बताते हैं कि हर घंटे दहेज के नाम पर एक लड़की को मार दिया जाता है. कमजोर वर्ग के एडीजी विनय कुमार ने बताया कि दहेज प्रताड़ना में कानून किसी को बख्श नहीं रहा है, इस के बाद भी ऐसे मामलों में कमी नहीं आ रही है.
दहेज किस कदर परिवार को बरबाद कर रहा है और बेटियों की जानें ले रहा है, इस का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि साल 2016 में जहां राज्य में छेड़खानी के 342 मामले थानों में दर्ज हुए, वहीं दहेज के लालच में 987 बेटियों की जानें ले ली गईं.
समाजसेवी आलोक कुमार दावा करते हैं कि सामाजिक जागरूकता के जरीए दहेज को काफी हद तक कम किया जा सकता है. अगर सरकार गंभीरता से साथ दे, तो शराबबंदी की तरह दहेजबंदी को भी कामयाबी मिलनी तय है.
बिहार महिला आयोग की अध्यक्ष अंजुम आरा बताती हैं कि शराबी पति की पिटाई और दूसरे तरीकों से तंग औरतों की रोज 3-4 शिकायतें आयोग को मिलती थीं, पर शराबबंदी के 8 महीने के गुजरने के बाद ऐसा एक भी मामला दर्ज नहीं हुआ है.
मर्द शराब पीते हैं और उस का खमियाजा औरतों और बच्चों समेत पूरे परिवार को उठाना पड़ता है. दहेज पर रोक लगाने के लिए बिहार सरकार ने बिहार राज्य दहेज निषेध नियमावली 1998 में दहेज निषेध अफसर की तैनाती की बात कही है.
इन अफसरों को दहेज लेनेदेने वालों के खिलाफ कानूनन कार्यवाही करने के साथसाथ सामाजिक जागरूकता फैलाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है.
आज तक दहेज निषेध अफसरों को फाइलों से बाहर ही नहीं निकाला गया था यानी उन की कहीं तैनाती नहीं की गई थी. अब सरकार ने दहेज पर रोक लगाने के लिए कमर कसी है, तो उम्मीद है कि दहेज के लिए बेटियों की जिंदगी दांव पर लगाने वालों को सबक सिखाया जा सकेगा.
स्टार प्लस के धमाकेदार शो ‘गुम है किसी के प्यार में’ ने लोगों का दिल जीतने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. नील भट्ट, आयशा सिंह और ऐश्वर्य शर्मा स्टारर ‘गुम है किसी के प्यार में’ इन दिनों काफी उतार-चढ़ाव से गुजर रहा है. जहां विराट और पत्रलेखा के बीच चीजें सुधरने का नाम नहीं ले रही हैं तो वहीं सई का जीना भी दूभर हुआ पड़ा है. बीते दिन भी ‘गुम है किसी के प्यार में‘ दिखाया गया था कि पाखी की तबीयत अचानक खराब हो जाती है. इस चीज के लिए सई तुरंत वहां आती है, लेकिन विराट उसे चव्हाण हाउस में घुसने तक नहीं देता है. लेकिन ‘गुम है किसी के प्यार में’ में आने वाले मोड़ यहीं नहीं खत्म होते हैं.
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‘गुम है किसी के प्यार में’ में आगे दिखाया जाएगा कि पत्रलेखा को मनाने के लिए विराट छुट्टियां प्लान करता है. वह रिजॉर्ट की टिकट बुक कराता है, जिसे विनायक देख लेता है. लेकिन विराट बताता है कि यह ट्रिप पूरे परिवार के लिए नहीं, बल्कि केवल पत्रलेखा और विराट के लिए ही है. हालांकि पत्रलेखा उस चीज पर कोई रिएक्शन नहीं देती.
आयशा सिंह स्टारर ‘गुम है किसी के प्यार में’ करिश्मा अपने बॉयफ्रेंड के साथ कॉफी हाउस में डेट पर जाती है. लेकिन वहां उसका बॉयफ्रेंड उससे बदतमीजी करना शुरू कर देता है. यह चीज सई देख लेती है और वह उस लड़के को सबक सिखाने की कोशिश करती है. लेकिन करिश्मा का बॉयफ्रेंड उसका हाथ पकड़ लेता है. वहीं करिश्मा भी सई को उसके निजी मामलों से दूर रहने के लिए कहती है. हालांकि सई जाते-जाते सुन लेती है कि वह लड़का करिश्मा का बॉयफ्रेंड है.
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सई के इस्तीफे की खबर सुनकर काकू की खुशी चौथे आसमान पर पहुंच जाती है. वह यह चीज पत्रलेखा को बताती हैं, जिससे वह हैरान रह जाती है. भवानी काकू पत्रलेखा को विराट के साथ हनीमून पर जाने के लिए कहती हैं, साथ ही घर में नन्हा मेहमान लाने की भी सलाह देती हैं जिससे विनायक को कोई साथी मिले.
‘गुम है किसी के प्यार में’ (Gum Hai Kisi Ke Pyar Mein) में सई विराट और पत्रलेखा की जिंदगी से बाहर निकलने के लिए बड़ा फैसला लेगी. वह पुलिस डिपार्टमेंट में अपनी नौकरी से इस्तीफा दे देगी. वह विराट से कहती है कि उसके और सवि के यहां रुकने से पत्रलेखा की इनसिक्योरिटी बढ़ रही है और बात उसकी जान पर बन आई है. दूसरी तरफ अश्विनी विराट को समझाती है कि वह अपनी जिंदगी में पत्रलेखा को जगह दे.
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टीवी शो ‘गुम है किसी के प्यार में’ (Gum Hai Kisi Ke Pyar Mein) में एंटरटेनमेंट (Entertainment News) यहीं नहीं खत्म होता. शो में जल्द ही दिखाया जाएगा कि विराट घुटनों पर बैठकर पत्रलेखा से माफी मांगेगा. वहीं पत्रलेखा उससे वादा लेगी कि विराट उसे अपनी पत्नी का दर्जा दे. इतना ही नहीं, विराट पत्रलेखा का हाथ थामकर अग्नि का फेरा लेता है और कहता है, “मैं आज से, अभी से और इसी पल से तुम्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करता हूं.”
सलमान खान का रियलिटी शो ‘बिग बॉस 16′ (Bigg Boss 16) ने अपना आधे से ज्यादा सीजन पूरा कर लिया है. टीवी के इस शो का 12वां हफ्ता चल रहा है, जिस वजह से अब घर के मौजूद कंटेस्टेंट्स भी गेम मोड में आ गए हैं. हर किसी की नजर शो की ट्रॉफी पर है और ऐसे में शो के कंटेस्टेंट्स एक-दूसरे पर इल्जाम लगाने से भी पीछे नहीं रह रहे. बिग बॉस में टीना दत्ता और श्रीजिता डे (Sreejita De) की दोस्ती और फिर बदलते रिश्ते फैंस ने अच्छे से देखे हैं लेकिन अब श्रीजिता ने टीना दत्ता (Tina Dutta) के पर बड़ा इल्जाम लगाया है. श्रीजिता ने दावा किया है कि टीना दत्ता लड़कों के बिना नहीं रह पातीं. श्रीजिता की यह बातें सुनकर सोशल मीडिया यूजर्स तक हैरान हैं.
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दरअसल, सोशल मीडिया पर बिग बॉस 16 के मेकर्स ने शो के अपकमिंग एपिसोड का प्रोमो शेयर किया है, जिसमें श्रीजिता सौंदर्या शर्मा के साथ बैठी हुई हैं और टीना के खिलाफ जहर उगल रही हैं. इस वीडियो में श्रीजिता टीना को घर तोडने वाली बताते हुए कहती दिख रही हैं कि लड़कों के अटेंशन के बिना रह नहीं पाती है वो बहुत लोगों के घर तोड़ने की कोशिश की है. खुद के घर इसीलिए नहीं बसा पाई अभी तक. आप अंदर से इतना नाखुश हों कि, लोगों को कूल डाउन करके उससे आपको खुशी मिलती है. वहीं, श्रीजिता की इस बात पर सौंदर्या भी सिर्फ हां में अपनी गर्दन हिलाती दिख रही हैं. बता दें कि टीना और श्रीजिता टीवी के पॉपुलर सीरियल ‘उतरन’ में साथ नजर आ चुके हैं.
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टीना दत्ता और श्रीजिता डे ने ‘बिग बॉस 16’ के घर में साथ एंट्री ली थी। दोनों साथ ही गेम खेल रहे थे लेकिन कुछ ही समय बाद श्रीजिता शो से बाहर हो गईं. लेकिन जब उन्होंने बतौर वाइल्ड कार्ड कंटेस्टेंट घर में एंट्री मारी तो टीना को खूब खरी-खोटी सुनाई. श्रीजिता शो में आने के बाद से ही लगातार टीना को टारगेट कर रही हैं. वहीं, टीना भी इस बात का जवाब देती हैं. हालांकि, अब श्रीजिता की इस बात का घर में कितना बड़ा बखेड़ा होता है, यह तो देखने वाली बात है.
सवाल
मेरी ननद किसी लड़के से 8 सालों से रिलेशनशिप में है. हालांकि वह कहती है कि उन्होंने कभी मर्यादा की सीमारेखा नहीं लांघी है, फिर भी मुझ डर लगता है कि वह कभी कोई गलत फैसला न ले ले. उसने यह बात घर में सभी से छिपा रखी है. मुझे भी इस बात की जानकारी अनजाने में ही हो गई है. अब मुझे लगता है कि यह बात मुझे अपने पति व सास को बता देनी चाहिए. पर कहीं ननद मुझ से हमेशा के लिए खफा न हो जाए. क्या यह ठीक रहेगा?
जवाब
आप अपनी ननद की नाराजगी की चिंता किए बगैर इस बात से घर वालों को अवगत कराएं, क्योंकि यदि जानेअनजाने कल को उस के जीवन में कुछ गलत होता है तो आप को सारी उम्र इस बात का मलाल रहेगा.
बिग बॉस के घर में अब प्रियंका चौधरी (Priyanka Chaudhary) और अंकित गुप्ता (Ankit Gupta) की दोस्ती पर कई बार सवाल उठ चुके हैं. घरवालों से लेकर फैंस तक को यह लगता है कि प्रियंका, अंकित का केवल यूज कर रही है. ऐसे में आज प्रियंका के प्यार का इम्तिहान होने वाला है. बिग बॉस ने एक नया प्रोमो जारी किया है, जिसमें प्रियंका चौधरी को बिग बॉस ने दो ऑपश्न दिए हैं या तो एक्ट्रेस प्राइज मनी में से 25 लाख रुपये वापस ला सकती हैं या अंकित गुप्ता को घर से बेघर होने से बचा सकती हैं. अब दर्शकों के मन में यह सवाल गूंज रहा है कि प्रियंका चौधरी किसे चुनने वाली हैं. आइए जानते हैं क्या एक्ट्रेस अपनी परीक्षा में पास हो सकेंगी?
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अंकित गुप्ता को चुनेंगी प्रियंका
बिग बॉस के इस नए प्रोमों में यह बात जाहिर नहीं की गई है कि प्रियंका, अंकित और 25 लाख में से किसे चुनने वाली हैं. हालांकि कई रिपोर्ट्स में यह दावा किया जा रहा है कि प्रियंका 25 लाख को ठुकरा देती हैं और अंकित गुप्ता को घर से बेघर होने से बचा लेंगी. बिग बॉस ने प्रियंका को कंफेशन रूम में बुलाकर कहा, ‘प्रियंका आप प्राइज मनी के 25 लाख वापस ला सकती हैं, अगर आप यहां मौजूद बजर दबाती हैं तो अंकित अभी के अभी शो से बाहर हो जाएंगे।’ जिसके बाद बिग बॉस 3 तक गिनती गाते हुए भी नजर आ रहे हैं.
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प्रियंका-अंकित को तोड़ना चाहती हैं अर्चना
इससे पहले अर्चना गौतम से अपनी प्लानिंग भी साफ कर दी है. अर्चना किसी भी तरह अंकित गुप्ता को बिग बॉस के घर से बाहर करना चाहती हैं. इसी वजह से उन्होंने घर के बाकी सदस्यों से हाथ मिला लिया है. नॉमिनेशन टास्क में भी घर के बाकी सदस्यों ने अर्चना का साथ देते हुए प्रियंका और अंकित को ही टारगेट किया, जिसके बाद घर से बेघर होने के लिए अंकित गुप्ता नॉमिनेट हो गए. अब देखना होगा कि क्या अर्चना अपने इस प्लान में सफल हो पाएंगी.
सस्ती या मुफ्त बिजली, पानी, पढ़ाई, खाने को ले कर प्रधानमंत्री ने रेवड़ी बांटो कल्चर कह कर बदनाम करना शुरू किया है. ये सस्ती चीजें देश के उन गरीबों को मिलती हैं जिन को समाज आज भी इतना कमाने का मौका नहीं दे रहा है कि वे अपने लिए जिंदगी जीने के लिए इन पहली चीजों का इंतजाम कर सकें. भारतीय जनता पार्टी ने चूंकि सरकारों का खजाना खाली कर दिया है और वह बेतहाशा पैसा अमीरों के लिए खर्च कर रही है, चुनावों में ये सस्ती चीजें देने की बात से उसे चिढ़ होने लगी है. भारतीय जनता पार्टी की कल्चर तो यह है कि सस्ता सिर्फ मंदिरों को मिले जो न बिजली का बिल देते हैं चाहे जितनी बिजली खर्च करें, न पानी का बिल देते हैं चाहे कितना बहाएं, न नगरनिगम को टैक्स देते हैं चाहे जितना बनाएं. भारतीय जनता पार्टी के लिए सस्ती चीजें पाने वाले असल में पापी हैं जिन्होंने पिछले जन्मों में पुण्य नहीं किए, दान नहीं दिया और अब उस की सजा भुगत रहे हैं. हमारे धर्मग्रंथ इन किस्सों से भरे हैं और प्रधानमंत्री व अन्य भाजपा नेताओं के मुंह से ये बातें निकलतीफिसलती रहती हैं.
गरीब जनता को सस्ती बिजली, पानी व खाना असल में अमीरों के फायदे के लिए होता है. जैसे ही एक गरीब घर को सस्ती बिजली व घर में मुफ्त पानी मिलने लगता है, उस की सेहत सुधर जाती है, उस के काम के घंटे बढ़ जाते हैं और वह कम तनख्वाह पर काम करने को तैयार होने लगता है.
दुनिया के कई देशों ने सस्ते घर भी अपने गरीब और मध्यम वर्गों को दिए और वहां वेतन काफी कम हो गए और लोग ज्यादा मेहनत करने लगे क्योंकि उन्हें छत के लिए दरदर नहीं भटकना पड़ता. दिल्ली, मुंबई, लखनऊ या किसी भी बड़े शहर की गरीब बस्ती को देख लें. वहां लोग घंटों पीने के पानी, राशन की दुकानों और यहां तक कि शौच की जगह के लिए बरबाद करते हैं. उन घरों में एक आफत नौकरी होती है तो दूसरी यह कि चूल्हा कैसे जलेगा, पकेगा कैसे, लोग नहाएंगे कैसे, पीएंगे क्या? देश के व्यापार, कारखाने, खेत इतना पैसा नहीं दे पाते कि लोग पूरे दामों में कोई चीज खरीद सकें.
और फिर यह पूरा दाम क्या है? ज्यादातर रोजमर्रा की चीजों में दाम असल में टैक्स से भरे होते हैं. हर चीज को बनाने, पैदा करने में जितना पैसा लगता है उस का तीनचौथाई तक टैक्स होता है. तरहतरह के टैक्स जीएसटी के बावजूद मौजूद हैं. अगर ईमानदारी से टैक्स दिया जाए तो जीएसटी छोटे से दुकानदार के बड़े होलसेल दुकानदार से सिर पर सामान लाद कर अपनी 10×10 फुट की दुकान पर बेचता है तो उस की मेहनत पर भी टैक्स लग जाता है. वह अगर कोई चीज 100 रुपए में लाता है, 120 में बेचता है तो 20 रुपए पर टैक्स देना पड़ता है वह भी 12 से 18 फीसदी. गरीब को टैक्स से चूसने वाली सरकार को यह बुरा लग रहा है कि कोई इस गरीब को मुफ्त सामान दे कर उस को टैक्स की मार से फ्री कर रहा है. भारतीय जनता पार्टी के लिए जीएसटी तो जनता से जबरन वसूला गया दानपुण्य है और जो कहे कि यह सामान ही मुफ्त है वह इस दानपुण्य की महान हिंदू संस्कृति पर हमला कर रहा है. उसे रेवड़ी बांटना नहीं कहा जाए तो क्या कहा जाए. हमारे धर्मग्रंथ तो कहते हैं कि रेवड़ी बांटो नहीं, शूद्र के पास जो भी संपत्ति हो वह राजा जब्त कर ले.