‘अगर आप को पता चल जाए कि आप जिस शख्स के विवाह समारोह में जा रहे हैं, वहां दहेज लिया गया है, तो वैसे विवाह में कतई न जाएं. अगर किसी मजबूरी की वजह से वहां जाना पड़े तो जाएं, लेकिन वहां खाना न खाएं.’ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आजकल अपनी हर सभा में यह बात जरूर कहते हैं. बिहार में शराबबंदी को अच्छीखासी कामयाबी मिलने के बाद उन्होंने अब दहेजबंदी की पहल शुरू की है.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कहते हैं कि दहेज को रोकने की बात को ज्यादातर लोग नामुमकिन करार दे रहे हैं, पर ऐसे लोगों को यह सोचना चाहिए कि शराब पर पाबंदी लगाने के बाद भी ऐसी ही दलीलें दी जा रही थीं. अब यह हालत है कि बिहार में शराबबंदी को कामयाबी मिलने के बाद दूसरे राज्यों में भी शराब पर रोक लगाने की आवाजें बुलंद होने लगी हैं.

बिहार कमजोर वर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2016-17 में तकरीबन 987 बेटियां दहेज के नाम पर मार दी गईं, वहीं साल 2015 में 1154 बेटियों की जानें दहेज की वजह से चली गईं. महिला हैल्पलाइन में हर साल दहेज के चलते सताई गई बेटियों के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं.

साल 2015 में जहां 93 मामले दर्ज हुए थे, वहीं साल 2016 में वे बढ़ कर 111 हो गए. इस के अलावा साल 2016 में राज्य के अलगअलग थानों में दहेज के नाम पर सताने के कुल 4852 मामले दर्ज किए गए थे.

राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो के आंकड़े बताते हैं कि हर घंटे दहेज के नाम पर एक लड़की को मार दिया जाता है. कमजोर वर्ग के एडीजी विनय कुमार ने बताया कि दहेज प्रताड़ना में कानून किसी को बख्श नहीं रहा है, इस के बाद भी ऐसे मामलों में कमी नहीं आ रही है.

दहेज किस कदर परिवार को बरबाद कर रहा है और बेटियों की जानें ले रहा है, इस का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि साल 2016 में जहां राज्य में छेड़खानी के 342 मामले थानों में दर्ज हुए, वहीं दहेज के लालच में 987 बेटियों की जानें ले ली गईं.

समाजसेवी आलोक कुमार दावा करते हैं कि सामाजिक जागरूकता के जरीए दहेज को काफी हद तक कम किया जा सकता है. अगर सरकार गंभीरता से साथ दे, तो शराबबंदी की तरह दहेजबंदी को भी कामयाबी मिलनी तय है.

बिहार महिला आयोग की अध्यक्ष अंजुम आरा बताती हैं कि शराबी पति की पिटाई और दूसरे तरीकों से तंग औरतों की रोज 3-4 शिकायतें आयोग को मिलती थीं, पर शराबबंदी के 8 महीने के गुजरने के बाद ऐसा एक भी मामला दर्ज नहीं हुआ है.

मर्द शराब पीते हैं और उस का खमियाजा औरतों और बच्चों समेत पूरे परिवार को उठाना पड़ता है. दहेज पर रोक लगाने के लिए बिहार सरकार ने बिहार राज्य दहेज निषेध नियमावली 1998 में दहेज निषेध अफसर की तैनाती की बात कही है.

इन अफसरों को दहेज लेनेदेने वालों के खिलाफ कानूनन कार्यवाही करने के साथसाथ सामाजिक जागरूकता फैलाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है.

आज तक दहेज निषेध अफसरों को फाइलों से बाहर ही नहीं निकाला गया था यानी उन की कहीं तैनाती नहीं की गई थी. अब सरकार ने दहेज पर रोक लगाने के लिए कमर कसी है, तो उम्मीद है कि दहेज के लिए बेटियों की जिंदगी दांव पर लगाने वालों को सबक सिखाया जा सकेगा.

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