संपादकीय-1
शादियां अब हर तरह के लोगों के लिए एक जुआ बन गर्ई हैं जिस में सब कुछ लुट जाए तो भी बड़ी बात नहीं. राजस्थान की एक औरत ने 2015 में कोर्ट मैरिज की पर शादी के बाद बीवी मर्द से मांग करने लगी कि वह अपनी जमीन उस के नाम कर दे वरना उसे अंजाम भुगतने पड़ेंगे. शादी के 8 दिन बाद ही वह लापता हो गई पर उस से मिलतीजुलती एक लाश दूर किसी शहर में मिली जिसे लावारिस समझ कर जला दिया.
औरत के लापता होने के 6 माह बाद औरत के पिता ने पुलिस में शिकायत कि उस के मर्द ने उन की बेटी एक और जने के साथ मिल कर हत्या कर दी है. दूर थाने की पुलिस ने पिता को जलाई गई लाभ के कपड़े दिखाए तो पिता ने कहा कि ये उस के बेटी के हैं. मर्द और उस के एक साथी को जेल में ठूंस दिया गया. 7 साल तक मर्द जेलों में आताजाता रहा. कभी पैरोल मिलती, कभी जमानत होती.
अब 7 साल बाद वह औरत किसी दूसरे शहर में मिली और पक्की शिनाख्त हुई तो औरत को पूरी साजिश रचने के जुर्म में पकड़ लिया गया है आज जब सरकार हल्ला मचा रही है कि यूनिफौर्म सिविल कोर्ट लाओ, क्योंकि आज इस्लाम धर्म के कानून औरतों के खिलाफ हैं. असलियत यह है कि ङ्क्षहदू मर्दों और औरतों दोनों के लिए ङ्क्षहदू कानून ही अब आफत बने हुए हैं. अब गांवगांव में पुलिस को मियांबीवी झगड़े में बीवी पुलिस को बुला लेती है और बीवी के रिश्तेदार आएंगे निकलते छातियां पीटते नजर खाते हैं तो मर्दों को गिरफ्तार करना ही पड़ता है.
शादी ङ्क्षहदू औरतों के लिए ही नहीं मर्दों के लिए आफत है, जो सीधी औरतें और गुनाह करना नहीं जानती वे मर्द के जुल्म सहने को मजबूर हैं पर मर्द को छोड़ नहीं सकती. क्योंकि ङ्क्षहदुओं का तलाक कानून ऐसा है कि अगर दोनों में से एक भी चाहे तो बरसों तलाक न होगा. ङ्क्षहदू कानूनों में छोड़ी गई औरतों को कुछ पैसा तो मिल सकता है पर उन को न समाज में इज्जत मिलती न दूसरी शादी आसानी से होती है.
चूंकि तलाक मुश्किल से मिलता है और चूंकि औरतें तलाक के समय मोटी रकम वसूल कर सकती हैं. कोई भी नया जना किसी भी कीमत पर तलाकशुदा से शादी करने को तैयार नहीं होता. सरकार को ङ्क्षहदूमुसलिम करने के लिए यूनिफौर्म सिविल कोर्ट की पड़ी है जबकि जरूरत है ऐसे कानून क जिस में शादी एक सिविल समझौता हो, उस में क्रिमीनल पुलिस वाले न आए.
जब औरतें शातिर हो सकती हैं, अपने प्रेमियों के साथ मिल कर पति की हत्या कर सकती हैं, नकली शादी कर के रूपयापैसा ले कर भाग सकती है. न निभाने पर पति की जान को आफत बन सकती है तो समझा जा सकता है कि देश का कानून खराब है और यूनिफौर्म सिविल कोर्ट बने या मन वालूे ङ्क्षहदू विवाह कानून तो बदला जाना चाहिए जिस में किसी जोर जबरदस्ती की गुंजाइश न हो. यदि लोग अपनी बीवियों के फैलाए जालों में फंसते रहेंगे और औरतें मर्दों से मार खाती रहेंगी तो पक्का है समाज खुश नहीं रहेगा और यह लावा कहीं और फूटेगा.