कोरोनिल: बाबा रामदेव के सफेद झूठ

क्या रामदेव योग गुरु के रूप में पहले देश और दुनिया भर में नामचीन हो चुके रामदेव झूठ बोलते हैं?
क्या एक संत… ऋषि का चोला पहने हुए बाबा रामदेव ने “झूठ” के सहारे हजारों करोड़ रुपए का आर्थिक साम्राज्य पतंजलि खड़ा किया है… क्या रामदेव ने दुनिया भर में भय और संत्रास के प्रतीक बन चुके कोरोना कोविड-19 के भय का लाभ उठाने का प्रयास और कोरोनिल दवा को बना और बेचकर नहीं किया है?

सभी प्रश्नों का एक ही जवाब है बीते दिनों जब बाबा रामदेव ने भारत सरकार के दो महत्वपूर्ण मंत्री नितिन गडकरी व डाक्टर हर्षवर्धन के साथ मंच से यह घोषणा की उन्होंने कोरोना की बनाई गई दवाई कोरोनिल डब्ल्यूएचओ यानी विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा फार्मास्यूटिकल प्रोडक्ट ( सी ओ पी पी)का प्रमाण पत्र मिल गया है और अब कोरोनिल दुनिया के 158 देशों में पतंजलि द्वारा निर्यात की जा सकेगी.

सवाल सिर्फ इतना है कि क्या देश की संविधानिक सरकार के दो मंत्रियों की मौजूदगी में उनकी जानकारी के बगैर, सहमति के बिना रामदेव ने कोरोनिल दवाई के संदर्भ में झूठ बोला है तो ऐसे में रामदेव पर भारत सरकार क्या कठोर एक्शन लेने जा रही है.

ये भी पढ़ें- ‘सड़क से संसद तक लड़ाई लड़ेंगे’: तुलेश्वर सिंह मरकाम

कोरोना जैसा कि सर्वज्ञात है दुनिया भर में एक तबाही का प्रतीक महामारी मान ली गई है. और उसके संबंध में किसी भी प्रकार की दवा बिना प्रमाणन, अनुज्ञा के वितरित वार्षिक बिक्री नहीं की जा सकती. तब रामदेव ऐसी क्या हस्ती हैं जो अपनी हांक कर देश और दुनिया को सीधे-सीधे खतरे में डाल कर लोगों को काल कवलित करने का काम कर रहे हैं. कथित रूप से उनके द्वारा घोषणा की जा रही है कि उनके द्वारा निर्मित कोरोनिल कोरोनावायरस के लिए एक प्रभावी दवा है. मगर आई एम ए और डब्ल्यूएचओ ने जब सवाल उठा दिया है तो रामदेव पर सरकार को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए और मंत्रियों से भी देश और कानून को पूछना चाहिए कि उन्होंने ऐसा किस प्रभाव में किया है जिसके कारण लोगों के स्वास्थ्य और पैसों की क्षति की संभावना है

कोरोना बना कमाई का जरिया

एक तरफ  कोविड-19 से देश दुनिया हलकान परेशान है दूसरी तरफ बाबा रामदेव सत्ता के संरक्षण में कोरोनिल बना कर जमकर रुपए कमा रहे हैं ऐसा काम कोई और करता तो क्या हुआ जेल की चीजों के पीछे नहीं होता?

रामदेव योग गुरु के रूप में एक सम्मानित नाम बन चुके हैं.एक समय था जब सत्ता हो या विपक्ष सारी नामधारी हस्तियां रामदेव के “योग की पाठशाला” में हाजिरी लगाती थी. रामदेव कभी हरिद्वार में साइकिल चलाते थे. मगर योग ने उन्हें सम्मान और पैसा सब कुछ दिया था मगर ऐसा क्या हो गया कि उन्हें और पैसों की चाहत में एक उद्योगपति के रूप में सामने आना पड़ा और आज कोरोना की दवा बनाकर रातों-रात स्वयंभू लोगों के रक्षक बनकर कोरोनिल दवाई का इजाद करके स्वयं घोषणा करनी पड़ रही है कि यह कोरोनावायरस से बचाव में परम सहायक है और विश्व स्वास्थ संगठन डब्ल्यूएचओ ने इसे स्वीकृति प्रमाणन दिया है.

कहते हैं समझदार आदमी झूठ ऐसा बोलता है कि पकड़ा ना जाए.और बेशर्म आदमी झूठ बोलकर पकड़े जाने पर हो… हो.. कर हंसता है और कहता है वह तो मजाक कर रहा था. रामदेव बाबा क्या दूसरी श्रेणी में रखे जा सकते हैं. मंत्रियों के समक्ष देश की मीडिया को संबोधित करके सफेद झूठ का वितंडा खड़ा करने का प्रयास पर से पर्दा उठ गया है. ऐसे में यह योगी का बाना पहनने वाले रामदेव को देश और मानवता से माफी मांगनी चाहिए और तत्काल कोरोनिल को बेचना बंद करना चाहिए.
भारत सरकार को भी चाहिए कि ऐसे झूठ समाज में और ना फैले दूसरे लोग भी रामदेव के रास्ते पर चल पड़े इसलिए कानून का डंडा चलाएं.

ये भी पढ़ें- उत्तर प्रदेश: जातीयता के जाल में उलझे राजा सुहेलदेव

मानवता के प्रति गंभीर अपराध

कहते हैं सारे अपराधों में स्वास्थ्य के साथ किए जाने वाला अपराध सबसे गंभीर घातक और अक्षम्य होता है. जब सारी दुनिया की सरकारें मिलकर कोरोना वैक्सीन ढूंढ रही थी और माना जा रहा था कि कोरोना वायरस की वैक्सीन को एक 2 साल का लंबा वक्त लगेगा.

ऐसे में बाबा रामदेव ने आनन-फानन में कोरोनिल को भारत में लांच कर दिया. कथित रूप से भारत सरकार के स्वास्थ्य विभाग से भी कोई अनुमति नहीं ली गई. बात जब बढ़ी तब ना-नुकुर के बाद सरकार की अनुमति मिल गई और राम बाबा की बल्ले-बल्ले हो गई. पतंजलि के सारे स्टोर्स में दवा धड़ल्ले से बिकने लगी. हमारे देश में भेड़ चाल ऐसे ही नहीं चल पड़ती रामदेव की कोरोनिल की दवा भी धड़ल्ले से विकी और स्वयं बाबा के प्रवक्ता के अनुसार 500 करोड़ रुपए की कोरोनिल उन्होंने बेची है. और अब उनकी निगाह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा कर उनका कृपा पात्र बन के दुनियाभर में दवाई बेचने की थी. दो मंत्रियों के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस करके अश्वमेघ का घोड़ा छोड़ने ही वाले थे कि डब्लू एच ओ और आइएमए ने उनके घोड़े की रास पकड़ ली है.

इधर महाराष्ट्र की उद्धव सरकार उनके स्वास्थ्य मंत्री देशमुख ने बाबा रामदेव की कोरोनिल को महाराष्ट्र में बिकने से प्रतिबंधित कर दिया है.और सार्वजनिक रूप से कहा है कि केंद्र के दो मंत्रियों को बाबा रामदेव के साथ मंच साझा नहीं करना चाहिए था. आईएमए ने भी उंगली उठाई इसके बाद यह स्पष्ट है कि बाबा रामदेव ने कोरोना संबंधी दवाई के बारे में देश की आवाम के समक्ष झूठ बोला है.

आने वाले समय में देश के अन्य राज्य भी बाबा रामदेव की कोरोना वायरस दवाई पर प्रतिबंध लगाएंगे. और हो सकता है मामले मुकदमे में उलझ कर रामदेव का पतंजलि का यह किला ढहने भी लगे.

सरकार भी कोरोना की गिरफ्त में

मध्यप्रदेश में भाजपा के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने धार्मिक आडंबरों के बहाने कभी नर्मदा यात्रा, तो कभी आदि शंकराचार्य की पादुका पूजन करके भगवा ब्रिगेड की कमान संभालते रहे हैं. यही बजह है कि अब उनके कोविड 19 से प्रभावित होने पर उनके भक्तों द्वारा भी हवन ,पूजन,पाठ का सिलसिला शुरू कर दिया गया है.

देश की भोली भाली जनता को भावनाओं में बहलाकर कभी हिन्दू मुस्लिम रंग देकर, तो कभी कश्मीर में धारा 370 और अयोध्या में राम मंदिर बनाने की दुहाई देने वाले भगवा ब्रिगेड के लोग असली मुद्दों से लोगों का ध्यान हटाना बखूबी जानते हैं.

ये भी पढ़ें- कोरोना: उलझती भूपेश बघेल सरकार!

जब कोरोना ने भारत में कदम रखा ,तो मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार को गिराने के चक्कर में इसकी परवाह किसी ने नहीं की.22 मार्च को कोरोना वायरस की चैन तोड़ने के लिए प्रधानमंत्री ने जनता कर्फू का ऐलान कर जनता को यह दकियानूसी संदेश दिया  कि अपने घरों की बालकनी में खड़े होकर ताली और थाली पीटने से कोरोना भाग जायेगा. इतने ढोंग करने के बाद भी जब कोरोना का संक्रमण नहीं थमा ,तो  घरो की लाईट बुझा कर दिया जलाने का टोटका भी कर डाला.  भगवा ब्रिगेड ने तर्क दिया कि दिये की लौ से कोविड19 समाप्त हो जाएगा. मुख्यमंत्री के कोरोना से प्रभावित होने के बाद भोपाल की सांसद साध्वी  प्रज्ञा ठाकुर  हनुमान चालीसा के पाठ से वायरस भगाने की सलाह भक्तो को देती नजर आईं. कोरोना वायरस   यदि किसी धर्म,जाति, संप्रदाय में आस्था रखने वाला होता,तो इन टोने टोटकों से कभी का भाग गया होता.

कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से बचने के लिए दी गई डब्लूएचओ की गाइडलाइंस और डाक्टरी सलाह मानने की बजाय सरकार में बैठे जनता के चुने हुए प्रतिनिधि रोज नये नये जुमले उछालते रहे हैं , जबकि यह एक यैसी संक्रामक बीमारी है जो नेताओं के जुमलों से दूर होने वाली नहीं है.

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी रोज टीवी चैनलों पर किसी पंडे पुजारी की तरह कोरोना से सावधान रहने के प्रवचन तो देते रहे , लेकिन खुद उन पर अमल करना भूल गए.इसी बजह से वे 25 जुलाई को आई रिपोर्ट में  कोविड 19 पाज़ीटिव पाये गए हैं. हालांकि यह अप्रत्याशित खबर  नहीं है. मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री जिस तरह कोरोना के बचाव की गाइडलाइंस को दरकिनार कर रोज ‌क‌ई विधायकों और मंत्रियों से मिलते रहे हैं.

मंत्री अरविंद भदौरिया , भाजपा अध्यक्ष बीडी शर्मा के साथ मुख्यमंत्री 21 जुलाई को प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन को श्रृद्धांजलि देने लखनऊ गये थे. 21 से 24 जुलाई तक मुख्यमंत्री प्रदेश के 33 मंत्रियों से वन टू वन चर्चा में शामिल रहे .जिस तरह से मुख्यमंत्री और उनके करीबियों द्वारा गाइड लाइन का खुला उल्लंघन किया जा रहा था,उससे यह पहले ही तय हो गया था कि कोरोना के संक्रमण को सीएम हाउस तक पहुंचने में देर नहीं लगेगी.  अब हालात ये हैं कि दर्जनों विधायक और मंत्री भी कोरोना की चपेट में आ चुके हैं.

ये भी पढ़ें- कोरोना महामारी: मोदी सरकार के लिए आपदा में अवसर का मौका

25 जुलाई को  शिवराज सिंह चौहान भोपाल के प्राइवेट हास्पिटल चिरायु में एडमिट हुए तो सोशल मीडिया पर खूब ट्रोल भी हुए. वजह साफ थी कि प्रदेश में कोरोना से निपटने के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं का गुणगान तो करते रहे,मगर खुद के कोरोना पाज़ीटिव होने पर कोई सरकारी अस्पताल उन्हें इलाज के लिए उपयुक्त नहीं लगा.

जमीनी हकीकत यही है कि चार महिने से भी अधिक समय बीतने के बाद पूरे प्रदेश में कोरोना की जंग सुबिधाओं की बजाय भाषणों से लड़ी जा रही है. आज भी कोविड टेस्ट के लिए पर्याप्त संख्या में किट या मशीन और‌ वेंटिलेटर की कमी से अस्पताल जूझ रहे हैं.

डब्लूएचओ की नई एडवायजरी में कोरोना के लक्षण पाये गए व्यक्ति को कम से कम 10 दिन की गहन चिकित्सकीय देखभाल में रखा जाता है. इस पीरियड में कोविड पाज़ीटिव को किसी से मिलने और छूने की इजाजत नहीं होती है. यैसे में सियासी हलकों में यह चर्चा भी  जोरों पर थी कि आगामी दिनों तक मध्यप्रदेश के शासन प्रशासन की जिम्मेदारी  कौन संभालेगा?वह भी जब प्रदेश में पूर्णकालिक राज्यपाल भी नहीं है.मुख्यमंत्री को कई अहम् दस्तावेजी फैसलों पर दस्तखत करने होते हैं.कई गोपनीय प्रतिवेदनों पर  टीप लिखनी होती है,साथ ही कानून व्यवस्था के मामले पर हस्तक्षेप करना होता है.

कार्यवाहक मुख्यमंत्री बनने के सपने टूटे

कोरोना बीमारी से संक्रमित हुए शिवराज सिंह चौहान देश के पहले मुख्यमंत्री हैं,लिहाजा प्रदेश में भाजपा के कुछ नेता कार्यवाहक मुख्यमंत्री बनने के सपने भी देखने लगे थे.  सत्ता के खेल के चतुर खिलाड़ी और अपने आपको जनता का मामा कहने वाले शिवराज सिंह चौहान ने पिछले 13 वर्षों के दौरान भी देश से बाहर रहने पर भी किसी भी अपने सहयोगियों को कार्यवाहक मुख्यमंत्री बनाने की मुसीबत मोल नही ली थी. कांग्रेस के हाथों से सत्ता छीनने वाले शिवराज को इस वार मुख्यमंत्री बनने से लेकर , मंत्री मंडल के गठन और विभागों के बंटवारे में  भारी अंतर्विरोध और सिंधिया खेमे का दबाव झेलना पड़ा  है.

ये भी पढ़ें- भाभी जी पापड़ का सच

प्रदेश के एक कद्दावर नेता नरोत्तम मिश्रा, नरेंद्र सिंह तोमर ने भी मुख्यमंत्री बनने लाबिंग की थी. यही कारण है कि शिवराज अपने इसी डर की वजह से ही किसी को कार्यवाहक मुख्यमंत्री नहीं बनाना चाहते.वैसे भी उमा  भारती की गद्दी को बाबूलाल गौर  को सौंपने के बाद हुए राजनैतिक बदलाव के घटनाक्रम से शिवराज भी वाकिफ हैं,शायद इसी नियति को टालने वे चूकने के मूड में दिखाई नहीं दिखाई दे रहे. तभी तो चिरायु हास्पिटल से भी अपना कामकाज संभाल रहे हैं. उन्होंने  अस्पताल से ही आला अधिकारियों के साथ न‌ई शिक्षा नीति की समीक्षा भी  कर ली .मौजूदा दौर में मध्यप्रदेश में जिस तरह की राजनीतिक उठा-पटक और विधायकों की अदला-बदली हो रही है,यैसे में  सत्ता के लोभी नेताओं से घिरे शिवराज को कोविड 19 से बड़ा खतरा अपनों से ही लग रहा है.इसलिए कोरोना को भूलकर वे मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नजर गड़ाए अपने को फिटफाट साबित करने में लगे हुए हैं.

कोरोना: उलझती भूपेश बघेल सरकार!

छत्तीसगढ़ में कोरोना वायरस धीरे धीरे बढ़ता चला जा रहा है. और जब स्थिति काबू में थी उसे छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने किस तरह अपनी अविवेक पूर्ण सोच के कारण बद से बदतर बना दिया है उसका देश भर में शायद इससे हटकर दूसरा कोई उदाहरण आपको नहीं मिलेगा. कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार कोरोना संक्रमण के मामले में फिसड्डी और बेहद गैर जिम्मेदार सरकार सिद्ध हुई है. जिसने अपने ही हाथों अपना ही मानो सब कुछ लुटाने, बर्बाद करने का निश्चय कर लिया हो.

प्रारंभ में 2 माह जब सारा देश कोरोना संक्रमण से त्राहि-त्राहि कर रहा था. छत्तीसगढ़ इससे आश्चर्यजनक ढंग से अछूता था. कोरबा और राजनांदगांव जिला को छोड़कर संपूर्ण छत्तीसगढ़ इससे पूरी तरह बचा हुआ था. मगर भूपेश बघेल की अकर्मण्यता और अविवेकपूर्ण फैसलों के कारण छत्तीसगढ़ धीरे-धीरे अगस्त महीना आते आते बेहद खतरनाक स्थिति की मोड़ पर पहुंच चुका है.

ये भी पढ़ें- कोरोना महामारी: मोदी सरकार के लिए आपदा में अवसर का मौका

अब इस स्थिति में बघेल सरकार के हाथ पांव फूले हुए दिखाई देते हैं. उसे कुछ समझ नहीं आता कि वह क्या करें, अब बस एक ही काम बचा है, वह है लॉकडाउन.

छत्तीसगढ़ की स्थिति धीरे-धीरे हाथ से निकलती चली जा रही है. आज राजधानी रायपुर में सबसे बुरा हाल है. यहां के लोगों का जीना मुहाल हो चुका है. लोग घरों में कैद हैं. लोगों को न तो चिकित्सा की सुविधा मिल रही है ना दैनिक जीवन में काम आने वाले सामानों की आपूर्ति हो पा रही है.हालात यहां तक पहुंच चुके हैं कि सरकारी दफ्तर में ताले लगे हुए हैं और शासन-प्रशासन घर से चल रहा है. सरकार सिर्फ डंडा चला रही है मानो लॉकडाउन से सब कुछ ठीक हो जाएगा.

कोरोना विस्फोटक हालात

छत्तीसगढ़ प्रदेश में कोरोना का कहर लगातार जारी है. सोमवार को 178 नए मरीजों की पहचान की गई  वहीं इलाज के दरम्यान 3 लोगों ने दम तोड़ दिया. और हां सरकार यह भी बता रही है कि 265 मरीजों के स्वस्थ होने के बाद उन्हें डिस्चार्ज किया गया है.

साथ ही प्रदेश में कोरोना संक्रमण का आंकड़ा बढ़कर 9800 हो गया है.जिनमें अब तक कुल 7256 मरीज स्वस्थ्य होने के उपरांत डिस्चार्ज किए गए तथा 2483 मरीज सक्रिय हैं.  प्रदेश में मौत का आंकड़ा बढ़कर अब 61 हो चुका है.

यह रपट लिखे जाने के दिन नए 178 कोरोना पॉजीटिव मरीजों की पहचान की गई . उनमें जिला रायपुर से 66, दुर्ग से 32, जांजगीर-चांपा से 27, जशपुर से 25, रायगढ़ से 15, कोरबा से 04, महासमुंद से 03, सूरजपुर व धमतरी से 02-02, राजनांदगांव व कांकेर से 01-01 शामिल हैं. यानी कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि छत्तीसगढ़ के लगभग आधे जिलों की स्थिति दयनीय हो चुकी है जहां लॉकडाउन का डंडा चल रहा है वही संपूर्ण छत्तीसगढ़ में कोरोना का भूत लोगों को भयभीत कर रहा है. क्योंकि साफ दिखाई देता है भूपेश बघेल सरकार इस भयावह संक्रमणकारी आपदा से बचाओ करने में नाकाम है वहीं अपनी प्रशासनिक दक्षता के मामले में भी शुन्य सिद्ध हो रही है.

ये भी पढ़ें- भाभी जी पापड़ का सच

राजभवन तक पहुंचा कोरोना

छत्तीसगढ़ में राज्यपाल हैं सुश्री अनुसुइया उईके. कोरोना वायरस का संक्रमण छत्तीसगढ़ के राजधानी स्थित राजभवन तक पहुंच चुका है. हालात यह है कि राजभवन को कुछ समय के लिए बंद कर दिया गया है .अगर बात नेताओं की करें तो कांग्रेस के सदर मोहन मरकाम के परिजन इसके शिकार हो चुके हैं. डोंगरगढ़ के विधायक कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए. छत्तीसगढ़ के कई थाने कोरोना वायरस के कारण बंद हो गए. यहां तक की न्यायधानी कहे जाने वाले बिलासपुर के सेंट्रल जेल में कोरोनावायरस पहुंच गया और त्राहि-त्राहि मच गई. धीरे-धीरे हालात सरकार के हाथ से निकलते चले जा रहे हैं. बाबा साहब अंबेडकर हॉस्पिटल के वीडियो वायरल हो रहे हैं जहां के हालात पूरी जनता देख रही है. जिसमें कोरोना मरीज आरोप लगा रहे हैं कि ना कोई डॉक्टर आ रहा है और ना ही सफाई कर्मचारी. इन हालातों को देखकर कि कहा जा सकता है कि सचमुच भूपेश बघेल सरकार कोरोना संक्रमणकालीन बीमारी के सामने लाचार सिद्ध हो रही है. फिसड्डी सिद्ध हो चुकी है.

शूटिंग शुरू होने से पहले ही रुक गई जॉन अब्राहम और इमरान हाशमी की ये फिल्म, जानें क्या रही वजह

निर्माता व निर्देशक संजय गुप्ता (Sanjay Gupta) ने ऐलान किया था कि वह 15 जुलाई से हैदराबाद स्थित रामोजी राव स्टूडियो में अपनी फिल्म “मुंबई सागा” (Mumbai Saga) की शूटिंग शुरू कर देंगे. इस शूटिंग में इमरान हाशमी (Emraan Hashmi) और जॉन अब्राहम (John Abraham) जैसे कलाकारों के साथ 30 क्रू मेंबर्स जाने वाले थे. लेकिन अचानक राष्ट्रीय स्तर पर और आंध्र प्रदेश में कोरोनावायरस (Corona Virus) की बढ़ती संख्या को देखते हुए ऐसा नहीं हो पाया.

ये भी पढ़ें- हार्दिक पांड्या की मंगेतर नताशा ने सोशल मीडिया पर किया बेबी बंप शेयर, Photo हुई वायरल

सूत्र बताते हैं कि बिगड़ते हालात को देखते हुए स्वयं जॉन अब्राहम ने ऐसा करने से मना कर दिया जो कि इस फिल्म के सह निर्माता भी हैं. इसी बात को कबूल करते हुए संजय गुप्ता ने कहा है कि उन्होंने शूटिंग शुरू करने के लिए सारी तैयारियां कर ली थी. लेकिन अचानक एक दिन में तीस हजार के करीब कोरोना संक्रमित की संख्या जाहिर होते ही हमने पुनः विचार किया और हैदराबाद जाकर शूटिंग करने के इरादे बदल दिए.

अब संजय गुप्ता अपनी फिल्म “मुंबई सागा ” की शूटिंग मुंबई में ही 15 अगस्त से करने की योजना बना रहे हैं. इस संबंध में फिल्म के निर्माता व निर्देशक संजय गुप्ता ने खंडाला में अपने फार्म हाउस से इंटरव्यू देते हुए कहा- “हमारे लिए कलाकारों और क्रू मेंबर्स की सुरक्षा पहली प्राथमिकता है. हम किसी भी इंसान की जिंदगी के साथ रिस्क नहीं ले सकते. इसलिए अब हमने तय किया है कि हैदराबाद की बजाए मुंबई में ही 15 अगस्त से “मुंबई सागा” की शूटिंग शुरू की जाए, जिसमें जॉन अब्राहम और इमरान हाशमी भी हिस्सा लेंगे. लेकिन यह तारीख भी बदल सकती है. हम मुंबई के एस्सेल स्टूडियो, फिल्म सिटी स्टूडियो अथवा महबूब स्टूडियो में शूटिंग की इजाजत के लिए कोशिश करने वाले हैं.

ये भी पढ़ें- जल्द ऑन एयर होने जा रहा है इंडियन आइडल 12, क्या नेहा और आदित्य की फिर से होगी लव स्टोरी शुरू?

हमें 14 दिन स्टूडियो के अंदर यानी कि इन डोर शूटिंग करनी है और 10 दिन स्टूडियो के बाहर शूटिंग करनी है. अब हम महाराष्ट्र सरकार की गाइडलाइंस के अनुरूप फिल्म सिटी स्टूडियो के संचालक के पास  शूटिंग की इजाजत के लिए आवेदन करने वाले हैं. वहां से हमें जैसे ही इजाज़त मिलेगी वैसे ही तारीख तय कर हम शूटिंग शुरू कर देंगे. हमने हमने अपनी तरफ से अपने प्रोडक्शन की सारी तैयारियां और योजना बना रखी है. लेकिन शूटिंग शुरू होने की असली तारीख इजाज़त मिलने के बाद ही तय होगी.”

ये भी पढ़ें- आलिया भट्ट की बहन शाहीन को मिली रेप और जान से मारने की धमकी तो लिया ये बड़ा फैसला

 

View this post on Instagram

 

Flight for #Chehrein last schedule : Delhi , Poland . I need a gas mask for one and a thick north face jacket for the other .

A post shared by Emraan Hashmi (@therealemraan) on

कोरोना का कहर और बिहार में चुनाव

ज्यों ज्यों कोरोना का कहर बिहार में बढ़ते जा रहा है उसी रफ्तार से चुनावी सरगर्मी भी बढ़ रही है. सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन एन डी ए और महागठबंधन दोनों में आपसी खींचतान शुरू है. अधिक से अधिक सीट लेने के लिए दोनों गठबंधन में सुप्रीमो पर दबाव बनाना जारी है.

एन डी ए में जद यू ,भाजपा और लोजपा के बीच गठबंधन है. वहीं  महागठबंधन में राजद, कांग्रेस, रालोसपा, हम और वी आई पी के बीच गठबंधन है. दोनों गठबंधन में सबकुछ ठीक ठाक नहीं चल रहा है.

एन डी ए गठबंधन में लोजपा अध्यक्ष रामविलास पासवान के सुपुत्र चिराग पासवान लगातार नीतीश कुमार पर आरोप लगा रहे हैं.अपने दल के कार्यकर्ताओं से सभी सीट पर चुनाव लड़ने के लिए तैयारी करने की बात भी बोल रहे हैं.

ये भी पढ़ें- भूपेश बघेल की “गोबर गणेश” सरकार!

गठबंधन में कई पार्टी भले ही एक दूसरे से टैग हैं. मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा भाजपा के सुशील कुमार मोदी, रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा,राजद के तेजस्वी यादव,रालोसपा के चिराग पासवान,हम के जीतन राम माँझी के अंदर भी हिलोरें मार रही हैं.

हम पार्टी के संस्थापक जीतन राम माँझी जो यू पी ए गठबंधन में है. वे इस समय नीतीश कुमार की तारीफ करने लगे हैं. इससे इनके ऊपर भी ऊँगली उठने लगी है. ये किसके तरफ कब हो जायेंगे. कहना मुश्किल है.

महागठबंधन में मुख्यमंत्री पद के लिए चुनाव के पूर्व घोषणा का मामला भी आपस में विवाद का कारण बना हुआ है. सभी दल वाले अधिक से अधिक सीट लेने के लिए दबाव बनाने में लगे हुवे हैं.

गरीबो दलितों और प्रबुद्ध वर्ग के लोग जिस वामपंथी दलों से जुड़े हुवे हैं. जैसे कम्युनिस्ट पार्टी,मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और भाकपा माले ये दल भी एन डी ए गठबंधन को हर हाल में हराने के लिए  महागठबंधन के साथ चुनाव लड़ना चाहते हैं. लेकिन इनलोगों को महागठबंधन में उतना तवज्जो नहीं दिया जाता.अगर वामपंथी दल आपस में गठबंधन बनाकर चुनाव लड़ते हैं तो उससे  महागठबंधन को ही घाटा होगा क्योंकि इनका जनाधार महागठबंधन के जो वोटर हैं.उन्हीं के बीच में है.पप्पू यादव का जाप पार्टी भी चुनाव मैदान में आने के लिए कमर कसकर तैयार है.जनता की हर तरह की समस्याओं के निदान के लिए जाप पार्टी के प्रमुख पप्पू यादव के साथ उनके कार्यकर्ता सक्रिय दिख रहे हैं. महागठबंधन के साथ ये चुनाव लड़ेंगे या अलग अभी तक मामला स्पष्ट नहीं हो सका है. महागठबंधन के वोटर के बीच वोटों का आपस में बिखराव की संभावना अधिक दिख रही है. अगर एन डी ए गठबंधन से अलग सारे दल आपसी ताल मेल से चुनाव लड़ते हैं. तभी वर्तमान सरकार को चुनौती मिल सकती है.

एन डी ए गठबंधन में भाजपा भले ही जद यू के नीतीश कुमार के साथ है. लेकिन भाजपा के समर्थक की हार्दिक इक्षा यही होती है कि मुख्यमंत्री मेरा अपना हो.

ये भी पढ़ें- छत्तीसगढ़ में “भूपेश प्रशासन” ने हाथी को मारा!

इस चुनाव को लेकर सभी दल डिजीटल माध्यम से प्रचार प्रसार में लगे हुवे हैं. इस खेल में एन डी ए गठबंधन माहिर है.इनके पास संसाधन भी अधिक उपलब्ध है. राज्य चुनाव आयोग से संकेत मिलते ही बिहार की सभी पार्टियाँ चुनाव को लेकर सक्रिय होने लगी है.कोरोना की वजह से राजनीतिक गतिविधि पर रोक है. इस परिस्थिति में सभी दल डिजिटल प्रचार की तैयारी में जुट गए है. बिहार के सभी राजनीतिक दल के लिए चुनौती सिर्फ एक ही है भारतीय जनता पार्टी .सभी दलों को पता है कि डिजिटल प्रचार के मामले में भाजपा को महारत हासिल है. सभी दल वाले इसका काट ढूंढने में लगे हैं.

यह तो स्पष्ट हो गया है कि अगर समय पर चुनाव हुआ तो कोरोना के साये में ही होगा.महामारी के बीच सभी पार्टियाँ डिजिटल माध्यम से प्रचार करने के लिए कमर कसने लगा है. भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता और गृह मंत्री से इस डिजिटल प्रचार का आगाज वर्चुअल रैली के माध्यम से कर चुके हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी कार्यकर्ताओं से डिजिटल माध्यम से  संवाद कर चुके हैं. जद यू के महासचिव एवं राज्य सभा सांसद आर सी पी सिंह लगातार सभी संघटनों के साथ फेसबुक लाइव और जूम ऐप के माध्यम से सम्पर्क बनाये हुवे है. जद यू ने अपने तीन मंत्री अशोक चौधरी ,संजय झा और नीरज कुमार को डिजटली मजबूत करने की जिम्मेवारी सौंपी है. इन तीन मंत्रियों को प्रमंडल स्तर की जिम्मेदारी दी गयी है.

सत्तापक्ष के साथ साथ विरोधी दल के नेता तेजस्वी यादव भी सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं. इनकी टीम भी लगी हुवी है. अपने विधयकों को डिजीटल माध्यम से सक्रिय करने का कार्य तेज गति से चल रहा है. कांग्रेस के बिहार प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल और प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा भी कई बार वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये अपने कार्यकर्ताओं के साथ मीटिंग कर चुके हैं.

बी जे पी कोरोना संकट के बीच पी एम के आर्थिक पैकेज की घोषणा को मुद्दा बनाने की तैयारी में है. इसके लिए पार्टी ने पाँच सदस्यीय टीम की घोषणा कर दी है. इसमें उपाध्यक्ष राजेश वर्मा,राजेन्द्र गुप्ता,महामंत्री देवेश कुमार ,मंत्री अमृता भूषण और राकेश सिंह शामिल हैं. ये सभी प्रधानमंत्री के विशेष पैकेज का प्रचार प्रसार हाईटेक तरीके से करेंगे.

प्रवासी मजदूरों के साथ किये गए पुलिसिया जुल्म अत्याचार और अन्याय के खिलाफ विरोधी दल भी आवाज उठायेंगे.

बिहार सरकार द्वारा प्रवासी मजदूरों के साथ की गयी उपेक्षा को नीतीश कुमार किसी रूप से उसपर मरहम लगाना चाहते हैं. जिसका लाभ चुनाव में वोट के रूप में भंजा सकें.देश भर में जब लॉकडाउन की वजह से मजदूर महानगरों में फँस गए तो मुख्यमंत्री ने साफ तौर पर इंकार कर दिया कि मजदूरों को बाहर से नहीं लाया जाएगा.निराश उदास और मजबूर होकर महानगरों से अपने गाँव के लिए ये मजदूर पैदल सायकिल और ट्रकों में जानवर की तरह अपने गांव लौटे.

ये भी पढ़ें- एससीबीसी के निकम्मे नेता

इन मजदूरों के साथ हर जगह पर पुलिस,पदाधिकारी और आमजनों ने भी इनके साथ अमानवीय ब्यवहार किया.यहाँ तक कि इन मजदूरों को एक ब्यक्ति के रूप में नहीं देखकर इन्हें हर जगह कोरोना वायरस के रूप में देखा गया.लोग अपने दरवाजे पर बैठने और चापाकल तक का पानी तक नहीं पीने दिया.नीतीश कुमार अखबारों और टी वी पर ब्यान देते रहे.सभी मजदूरों को रोजगार दिया जाएगा.लेकिन जमीनी सच्चाई यह है कि यहाँ पर रोजगार के कोई अवसर और विकल्प नहीं दिख रहा है.

कोरोना काल मे चुनाव नहीं कराने के लिए विरोधी दल के नेता तेजस्वी यादव और लोजपा के युवा नेता चिराग पासवान ने आवाज उठाया है.पक्ष विपक्ष के बीच आरोप प्रत्यारोप जारी है.अपने अपने दल के नेता टिकट लेने के लिए जुगत भिड़ाने में जोर शोर से जुट गए हैं.

कोरोना के साथ साथ चुनाव की चर्चा पटना से लेकर चौक चौराहों और गांव की गलियों में होने लगा है.

Covid-19 के साइड इफेक्ट : लोगों में बढ़ी डिजिटल कामुकता

लेखक- लोकमित्र गौतम

कोविड-19 के चलते भारत ही नहीं पूरी दुनिया में अब अगर लाॅकडाउन नहीं भी लागू तो भी कामकाजी गतिविधियां लगभग ठप सी पड़ गई हैं. लोग घरों में बैठे हुए हैं. दफ्तर बंद है, फैक्टरियां बंद हैं और शायद दिमाग में भी कुछ नया सोचना बंद है. इसलिए इस गतिहीनता के दौर में लोगों में डिजिटल कामुकता बढ़ गई है.

हालांकि विशेषज्ञों ने कोविड-19 की वजह से साल 2021 में जो बेबी बूम की घोषणा की थी, उसे अब वापस ले लिया है. बावजूद इसके तमाम विशेषज्ञ इस बात पर सहमत है कि लाॅकडाउन के दौरान और उसके बाद अनलाॅक के दौरान तमाम तरह की गतिविधियों में अघोषित कटौती के कारण बड़े पैमाने में पूरी दुनियाभर के कपल्स को साथ रहने का लंबा मौका मिला है. इस वजह से इस पूरे समय में यौन गतिविधियां किसी भी सामान्य समय के मुकाबले कहीं ज्यादा रही हैं. विश्व की सबसे बड़ी कंडोम निर्माता कंपनी कोरेक्स ने अप्रैल के अंत में सार्वजनिक तौरपर स्वीकार किया था कि उसके पास कंडोम का पूरे 2020 के लिए जो स्टाक था, वो खत्म हो गया है.

ये भी पढ़ें- बेफिक्र होकर उठाएं Masturbation का लुत्फ

इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कोरोना के चलते यौन गतिविधियों में काफी ज्यादा बढ़ोत्तरी हुई है. सवाल है क्या इससे किसी तरह का नुकसान है? पहले तो लगता था कि बिल्कुल किसी तरह का नुकसान नहीं है, लेकिन लाॅकडाउन के दौरान और उसके बाद आयी तमाम रिपोर्टों से पता चला है कि इस दौरान कितने बड़े पैमाने पर पोर्न मैटर तलाशा और देखा गया है. हालांकि पिछले कुछ महीनों से पूरी दुनिया में अधिकतम लोग अपने घरों में रहे हैं और अब के पहले यह माना जाता रहा है कि घरों में परिवार के बीच पोर्न फिल्मों के देखने का चलन नहीं है, सिर्फ एकांत में ये देखी जाती हैं. लेकिन लाॅकडाउन ने इस राय को बदल दिया है.

लाॅकडाउन के दौरान न सिर्फ पोर्न फिल्में बहुत ज्यादा देखी गई हैं बल्कि बाल यौन शोषण मटेरियल (सीएसएएम-चाइल्ड सेक्सुअल एब्यूज मटेरियल) भी ऑनलाइन बहुत ज्यादा सर्कुलेट हुआ है. इसके कारण पिछले दिनों जब कई तरह की आपराधिक घटनाओं में कमी देखी गई, वहीं बाल यौन अपराधों में काफी इजाफा हुआ है. मध्य प्रदेश में तो एक नौ साल की बच्ची के हाथ पैर बांधकर उससे बलात्कार किया गया और फिर उसकी आंखें फोड़ दी गईं. लॉकडाउन के दौरान सीएसएएम कंटेंट का यूजर एक्सेस बढ़ा है,उसका गंभीर संज्ञान लेते हुए राष्ट्रीय बाल अधिकार सुरक्षा आयोग ने गूगल, ट्विटर, व्हाट्सएप्प और एप्पल इंडिया को नोटिस जारी किये हैं.

गौरतलब है कि भारत में अन्य देशों की तरह ही बाल पोर्न के निर्माण व प्रसार पर पूर्ण प्रतिबंध है. इसका व्हाट्सएप्प या अन्य सोशल मीडिया के जरिये एक-दूसरे को भेजना भी दंडनीय अपराध है. इंग्लैंड व कुछ अन्य देशों में तो बाल पोर्न को रोकने के लिए विशेष विभाग हैं,जिनका काम ऐसी साइट्स को तलाशना, बंद करना व उनके विरुद्ध कानूनी कार्यवाही करना है. भारत में इस स्तर की चैकसी कम है, फिर भी बाल पोर्न पर काफी हद तक नियंत्रण था, लेकिन लगता है कि कोविड-19 के दौरान ठहर गये कामकाजी जीवन में खुराफाती दिमागों ने इसका चलन बढ़ा दिया है. यह समस्या इस हद तक बढ़ गई है कि कुछ दिन पहले बैडमिंटन कोचिंग का ऑनलाइन लाइव सत्र चल रहा था कि बीच में अचानक पोर्न कंटेंट प्रसारित होने लगा. ऐसा कई बार हुआ. यह कंटेंट जब पहली बार आया तो भारत के राष्ट्रीय बैडमिंटन कोच पी गोपीचंद ने कड़ी आपत्ति दर्ज करते हुए तुरंत अपने को लाइव प्रोग्राम से अलग कर लिया.

ये भी पढ़ें- अंग का आकार : क्या बड़ा है तो बेहतर है?

फिलहाल की स्थिति यह है कि आयोग ने ऑनलाइन सीएसएएम की उपलब्धता पर स्वतंत्र जांच आरंभ कर दी थी और जो साक्ष्य मिले थे, उनके आधार पर आयोग ने उक्त ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स को नोटिस जारी किये थे तथा 30 अप्रैल तक जवाब मांगा था. लेकिन बाद में क्या हुआ इसकी कोई खबर नहीं आयी. आयोग इन प्लेटफॉर्म्स से जानना चाहता है कि वह अपने प्लेटफॉर्म्स पर सीएसएएम को रोकने के लिए क्या नीति अपनाये हुए हैं, उन्हें पोर्नोग्राफी व सीएसएएम से संबंधित कितनी शिकायतें मिली हैं और ऐसे मामलों से डील करने की उनकी पालिसी क्या है? आयोग के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने जिन लिंक्स,हैंडल पर इस प्रकार का आपत्तिजनक मटेरियल पाया है,उनकी रिपोर्ट व अन्य जानकारियां केन्द्रीय गृह मंत्रालय के साइबरक्राइम पोर्टल को कानूनी कार्यवाही के लिए फॉरवर्ड कर दिया है.

आयोग ने जो ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स को नोटिस भेजा है उसमें इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन फण्ड की ताजा रिपोर्ट का हवाला दिया है,जिसमें सावधान किया गया है कि लॉकडाउन के दौरान बाल पोर्न सर्च में जबरदस्त वृद्धि हुई है, इसलिए आयोग अब इसकी स्वतंत्र जांच कर रहा है. गूगल इंडिया को दिए गये नोटिस में कहा गया है, “जांच के दौरान यह संज्ञान में आया है कि पोर्नोग्राफिक मटेरियल को गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध एप्पस के जरिये एक्सेस किया जा सकता है. इससे बच्चे भी इस प्रकार के मटेरियल को एक्सेस करने लगे हैं. यह भी आशंका है कि इन एप्पस पर सीएसएएमभी उपलब्ध है.” जबकि एप्पल इंडिया को दिए गये नोटिस में आयोग ने कहा कि उसके एप्प स्टोर में उपलब्ध एप्पस के जरिये बहुत आसानी से सीएसएएम व पोर्नोग्राफिक मटेरियल एक्सेस किया जा सकता है जो वहां बहुतायत में मौजूद है.

जांच के दौरान यह भी पाया गया कि बहुत से एन्क्रिप्टेड व्हाट्सएप्प ग्रुप्स में सीएसएएम बहुतायत के साथ उपलब्ध है. व्हाट्सएप्प इंडिया को दिए गये नोटिस में आयोग ने कहा है, “इन ग्रुप्स के लिंक्स को ट्विटर पर विभिन्न हैंडल्स के जरिये प्रचारित किया जाता है. आयोग का यह मानना है कि ट्विटर हैंडल्स पर इन व्हाट्सएप्प ग्रुप्स के लिंक्स का प्रचारित किया जाना गंभीर मामला है.” जबकि ट्विटर इंडिया को दिए गये नोटिस में आयोग ने कहा है, “देखा गया है कि आपकी जो नियम व शर्तें हैं, उनके अनुसार 13 वर्ष व उससे अधिक का व्यक्ति ट्विटर पर अकाउंट खोलने के लिए योग्य है. अगर आप 13 वर्ष की आयु में बच्चों को अकाउंट खोलने की अनुमति दे रहे हैं तो आयोग का मानना है कि आप अन्य यूजर्स को ट्विटर पर पोर्नोग्राफिक मटेरियल, लिंक आदि को प्रकाशित, प्रचारित नहीं करने दे सकते.”

ये भी पढ़ें- पोर्न और सेक्स का खुला बाजार

सीएसएएम व पोर्नोग्राफिक मटेरियल गंभीर आपराधिक मामला है. इस प्रकार के मटेरियल पर रोक लगाना अति आवश्यक है और सुप्रीम कोर्ट अपने कई निर्णयों में इस बात की जरुरत पर बल दे चुका है. इस प्रकार के मटेरियल से समाज में यौन अराजकता का खतरा बना रहता है, मानव तस्करी जैसे अमानवीय अपराध भी अक्सर इसी के कारण होते हैं. किशोरों द्वारा किये गये जो यौन अपराध प्रकाश में आये हैं, उनके पीछे भी अक्सर कारण सीएसएएम ही निकला है. इसलिए इस संदर्भ में खालिस नोटिस से काम नहीं चलेगा बल्कि जिन माध्यमों से सीएसएएम व पोर्नोग्राफिक मटेरियल वितरित व प्रचारित हो रहा है उन पर कड़ी कानूनी कार्यवाही की जाये और किसी भी सूरत में उल्लंघन को बर्दाश्त न किया जाये. इंटरनेट के युग में बच्चों के भविष्य को सुरक्षित रखने का यही एकमात्र तरीका है.

अमिताभ बच्चन को सता रहा है अंधेपन का डर, ब्लौग लिख कर जताई चिंता

सदी के महानायक के रूप में पहचान बनाने वाले अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) अपने उम्र के 78 वें पड़ाव पर हैं. उसके बाद भी उनकी लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई है. वह हर साल फिल्मों में दमदार अभिनय के जरिये दर्शकों का मनोरंजन करते रहतें हैं. इन दिनों लॉक डाउन के चलते उनकी फिल्मों की शूटिंग रुकी हुई है इस लिए वह अपना पूरा समय अपने घर में बिता रहें हैं. इसी बीच उन्होंने अपना ब्लौग लिख कर अपनी आंखों को लेकर चिंता जाहिर की है.

ये भी पढ़ें- एक्ट्रेस सनी लियोन नें Hot Photos शेयर कर बढ़ा दी फैन्स की धड़कने

उन्होंने 9 अप्रैल की रात 10 बजकर 48 मिनट पर एक इस ब्लौग को शेयर किया है जिसमें लिखा है “ये आंखें धुंधली तस्वीरें देख रही है. आंखों से दो चीजें नजर आ रही हैं और कुछ दिनों से मुझे महसूस हो रहा है कि अंधापन आने वाला है. पहले से शरीर में इतनी मेडिकल दिक्कतों के साथ एक समस्या शुरू होने वाली है. “The eyes they see blurred images .. the vision reads double and for some days now I reconciled myself to the fact that blindness is on its way , to add to the million other medical problems that invest in me .. उनकी इस चिंता नें परिवार और फैंस की भी चिंताएं बढ़ा दी है.

इस मौके पर उन्होने अपनी मां को भी याद किया है और लिखा है “आज मैं पहले के वर्षों के बारे में सोचता हूं जब मां साड़ी के पल्लू का नरम और गोल गेंद बना कर उसे गर्म कर आंखों पर रखती थी और फिर समस्या खत्म हो जाती थी. But then .. today .. thought of those early years when Ma used to take the edge of the sari, the ‘pallu’ , make a soft round ball with it , blow into it to make it warm and place it on the eye .. and BAM ! problem solved ..

ये भी पढ़ें- अक्षय कुमार ने Corona के खिलाफ काम कर रहे लोगों को बोला थैंक्यू, बताया रियल आर्मी

 

View this post on Instagram

 

When you see that the cause is greater than the idea you dreamt of .. there is just immense joy and gratitude for all my colleagues and friends in the making of this historic effort ! WE ARE ONE and WE SHALL OVERCOME ! Jai Hind ! जब विषय देश हित का हो, और आपका संकल्प आपके सपने से भी ज़्यादा विशाल हो ; तब फिर इस ऐतिहासिक प्रयत्न का उल्लहास और कृतज्ञ भाव, अपने फ़िल्म उद्योग के सह कलाकारों और मित्रों के लिए ! हम एक हैं … टल जाएगा, ये संकट का समाँ ! नमस्कार ! जय हिंद !

A post shared by Amitabh Bachchan (@amitabhbachchan) on

लेकिन उन्होंने आगे “डौक्टर से बात की है, उनकी परामर्श का पालन कर रहा हूं, उनका बताया आईड्रॉप हर घंटे आंखों में डाल रहा हूं. उन्होंने मुझे सांत्वना दी है कि मैं अंधा नहीं होउंगा, यानी अभी कंप्यूटर के पास बिताने के लिए मेरे पास और अधिक वक्त हैं. आंखे थक गई हैं, बस और कुछ नहीं. ” So followed that .. hot watered a hand towel and placed it on the eyes .. spoke to the doc and followed his instruction of putting in prescribed eye drops every hour .. reassured me that I was not going blind – that there was far too much time being spent in front of the computer .. the eyes were tired .. thats all ..

लेकिन ब्लौग के अंत में इस बात पर खुशी जताई कि मां का घरेलू नुस्खा काम कर गया और वो देख सकते हैं. And YES .. that old Mother’s technology worked .. YEEAAHHH ..  I can see now  !!

ये भी पढ़ें- Lockdown के बीच लोगों की सेवा में लगे सप्लाई वौरियर्स को बिग बी ने ऐसे किया सलाम

अमिताभ बच्चन उम्र के इस पड़ाव पर भी सक्रिय रहतें हैं उन्होंने कोरोना पीड़ितों के लिए हाल ही में राशन उपलब्ध कराने का बीड़ा उठाया है. वह कोरोना से बचाव के लिए लोगों को जागरुक भी कर रहे हैं. उन्होंने भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के साथ फैमली नाम से एक शार्ट मूवी बना कर जागरूक करने का काम भी किया है.

अमिताभ बच्चन का ब्लौग लिंक-

https://srbachchan.tumblr.com/

भोजपुरी अभिनेता आनंद ओझा रियल हीरो के रूप में लोगों के लिए बनें मसीहा

Lockdown के चलते देश भर में डौक्टर्स और पुलिस की जिम्मेदारी बढ़ गई है. यह लोग कोरोना प्रकोप के चलते न ही पूरी नींद ले पा रहें हैं और न ही इन्हें भरपेट पेट भोजन मिल रहा है. फिर भी देश के असली हीरो के रूप में यह लोग डटे हुए है.

ये भी पढ़ें- जानें इस Lockdown में क्या कर रहें हैं भोजपुरी फिल्मों के स्टार विलेन देव सिंह

इसी में एक नाम आनंद ओझा (Anand Ojha) का भी है. वह भोजपुरी के सफलतम अभिनेताओं में गिने जाते हैं. उन्होंने कई हिट फ़िल्में भी दी हैं. आनंद ओझा सिर्फ फिल्मों के हीरो ही नहीं हैं बल्कि वह रियल हीरो है. इन दिनों वह आगरा जोन में उत्तर प्रदेश सरकार में ट्रैफिक इन्सपेक्टर के रूप में सेवा दे रहें हैं. आनंद ओझा एक पुलिस अधिकारी के रूप में दिन रात लॉक डाउन में सेवा देकर यह साबित कर दिया है की वह रियल लाइफ के भी हीरो हैं.

एक ट्रैफिक इंस्पेक्टर के रूप में वह लोगों की मदद मे दिन-रात लगे हैं. वह आगरा में फंसे लोगों के लिए दिन रात एक कर ना केवल कानून व्यवस्था बनाए रखने में अपनी भूमिका  निभा रहें है. बल्कि वह चप्पे- चप्पे पर अपनी नजर बनाये हुए हैं, ताकी कोई बेसहारा खाली पेट न सो पाये. इसके पहले भी आनंद ओझा नें कोरोना के चलते पलायन करने वालों के लिए आगरा के अलग-अलग हिस्सों में में खुद जाकर राहत सामग्री उपलब्ध कराया. इसके साथ ही उन्होंने उन पलायन करने वालों को सही सलामत उनके घरो तक भेजने मे में मदद भी की.

ये भी पढ़ें- ‘मैंने कभी हार नहीं मानी’ – भोजपुरी एक्ट्रेस अक्षरा सिंह

अभिनेता और इन्सपेक्टर आनंद ओझा नें बताया की जो भी व्यक्ति आगरा के अंदर फंसा है उसके तत्काल रहने और खाने पीने की व्यवस्था की गई. और जो भी लोग दूसरे राज्यो से पलायन कर आगरा या आगरा के सीमा क्षेत्र मे फंसे है उन्हे घबराने की जरूरत नहीं है. आगरा पुलिस उनकी सेवा के लिए हर वक्त मदद के लिए तत्पर हैं, बस वह अपना धैर्य बनाये रखें.

आनंद ओझा जल्द ही काजल रघवानी के साथ फिल्म  “रण” में नजर आयेंगे. यह फिल्म से जुड़े लोगों का कहना है की यह फिल्म भोजपुरी सिनेमा की बड़ी बजट वाली फिल्मों में शुमार है. इसके अलावा इस साल उनकी दर्जन भरके करीब फ़िल्में रिलीज होने वाली है. आनंद ओझा नें अपनी फिल्म “पुलिसगीरी” में अपने रोल की बदौलत दर्शकों पर अलग ही छाप छोड़ी थी. इस फिल्म में आनंद ओझा के साथ ही काजल राघवानी, मनोज सिंह टाइगर, संजय पाण्डेय, सीपी भट्ट ,रितु पाण्डेय, ने भी अपनी एक्टिंग का जलवा बिखेरा था.

ये भी पढ़ें- Lockdown के दौरान यह भोजपुरी फिल्में आप बार-बार जरूर देखना चाहेंगे

जानें इस Lockdown में क्या कर रहें हैं भोजपुरी फिल्मों के स्टार विलेन देव सिंह

भोजपुरी फिल्मों में अपनें दमदार अभिनय की बदौलत निगेटिव किरदार निभा कर चर्चित स्टार अभिनेता देव सिंह (Dev Singh) ने अलग ही छवि बनाई है. इस साल उनकी कई फ़िल्में प्रदर्शित होनें वाली हैं और कई फिल्मों का शेड्यूल भी लगा हुआ था. लेकिन कोरोना के चलते लगाये गये Lockdown के चलते चल रही शूटिंग बीच में ही कैंसिल करनी पड़ी तो फिल्मों के शूटिंग के लिए पहले से तय तारीखें भी आगे बढ़ानी पड़ी. इस दशा में अभिनेता देव सिंह भी दूसरे एक्टर्स की तरह घर में अपने पत्नी और बच्चे के बीच इज्वाय कर रहें हैं.

इस Lockdown के बीच उपजी बोरियत को भगाने के लिए देव सिंह बहुत ही फनी तरीकें अपना रहें हैं जिससे जुडी तस्वीरें और वीडियोज वह अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर शेयर करते रहतें हैं.

ये भी पढ़ें- ‘मैंने कभी हार नहीं मानी’ – भोजपुरी एक्ट्रेस अक्षरा सिंह

Lockdown के बीच हाल ही में उन्होंने अपने इन्स्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर किया है जिसमें वह अपने एक साल के बच्चे की तेल मालिश कर रहें हैं. इन्स्टाग्राम पर शेयर इस वीडियो के कैप्सन में उन्होंने लिखा है “अपना लॉक डाउन चालू है,,आंनद है इसमें. सोनम जी ने चोरी से वीडीयो बना दिया”. सोनम उनके पत्नीं का नाम हैं.

 

View this post on Instagram

 

तंदूरी चाय ☕ गुड़ वाली, ख़ुद के द्वारा निर्मित

A post shared by Dev Singh Rajpoot (@devsingh6780) on

वहीं इन्स्टाग्राम पर ही शेयर किये गए एक दूसरे वीडियो में वह किचन में कुछ बनाते हुए नजर आ रहें अब क्या बना रहें हैं इसके बारे में उन्होंने खुद ही वीडियो के कैप्सन लिखा है “तंदूरी चाय गुड़ वाली, ख़ुद के द्वारा निर्मित” वैसे इस वीडियो को देख कर भी आप जान जायेंगे की देव क्या कर रहें है क्यों की इस वीडियो मेंवह छलनी से कप में चाय छानते हुए नजर आ रहें हैं.

 

View this post on Instagram

 

देवांश बाबू अपना सहयोग करते हुए।।

A post shared by Dev Singh Rajpoot (@devsingh6780) on

शेयर किये गए एक वीडियो में अपने बेटे देवांश को पीठ पर बैठा कर वर्कआउट करते नजर आ रहें है तो एक दूसरे वीडियो में वह बेटे को पैरों पर बैठा कर वर्कआउट कर रहें हैं. इस वर्कआउट वीडियो के कैप्शन में उन्होंने लिखा है “लॉकडाउन का मज़ा लेते हुए,परिवार के साथ टाइम स्पेंड कर रहा हूं. फोन खराब होने की वजह से दूर था, अब फोन आ गया, लेकिन बिना फोन के ज्यादा सुकून था. वक़्त है एन्जॉय करिए परिवार के साथ, सतर्क रहिये सुरक्षित रहिये.”एक वीडियो में उन्होंने नें किसी का चैलेन्ज भी एक्सेप्ट किया है जिसे भी उन्होंने शेयर किया है.

ये भी पढ़ें- Lockdown के दौरान यह भोजपुरी फिल्में आप बार-बार जरूर देखना चाहेंगे

वह अपने पोस्ट में लोगों को कोरोना से बचाव को लेकर जागरूक करनें वाले पोस्ट भी कर रहें हैं. जिसके जरिये वह लोगों से वह सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखनें की अपील करते नजर आ रहें हैं.

 

View this post on Instagram

 

Stay home ,stay safe🙏

A post shared by Dev Singh Rajpoot (@devsingh6780) on

देव सिंह नें भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री मे कई यादगार रोल किये हैं जिसमें मैं सेहरा बांध के आऊंगा, भाई जी, बजरंग, इंडियन मदर, मोकामा जीरो किलोमीटर, जिगर, लागी नहीं छूटे रामा, रब्बा इश्क न होवे, डमरू, पवन राजा , राजा जानी, संघर्ष,  निरहुआ चलल ससुराल 2, पत्थर के सनम, राज तिलक, लल्लू की लैला, स्पेशल इनकाउंटर, कुली नंबर, जिद्दी, के रोल को दर्शकों ने खूब पसंद किया था. इन दिनों वह भोजपुरी इंडस्ट्री के सबसे व्यस्त अभिनेता हैं वह हर साल दर्जन भर से अधिक फ़िल्में करते हैं. यही कारण विलेन के रूप में भोजपुरी बेल्ट में दर्शकों के बीच वह काफी पॉपुलर हैं.

ये भी पढ़ें- Lockdown के चलते भोजपुरी एक्ट्रेस अक्षरा सिंह ने शेयर की ऐसी फोटोज और वीडियो

Dr P K Jain: कोरोना से लड़ाई में डॉक्टर पी के जैन की नई पहल

देश में कोरोना तेजी से फैल रहा है, इसी बीच यूपी के आयुष विभाग ने लोगों की इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए एक खास काढ़ा तैयार किया है, जिससे लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ सके और वो कोरोना से लड़ सके.

डॉ पी के जैन भी दे रहे हैं उपयोग की सलाह…

लखनऊ के डॉ पी के जैन और उनकी टीम भी लोगों को इस खास औषधीय आर्युवेदिक गुणों वाले काढ़े को पीने की सलाह दे रहे हैं. क्योंकि ये केमिकल फ्री हैं और अपने आस-पास और घर में मौजूद चीजों से बनाया गया है. मतलब आपकी सेहत पर इसका कोई बुरा असर नहीं होगा.

Kadha-3

जानें डॉक्टर पी के जैन के बारे…

अंतर्राष्ट्रीय ख्याति एवं मान्यता प्राप्त लखनऊ के डॉक्टर पी. के. जैन पिछले 40 सालों से सेक्स समस्याओं का बेहतर इलाज कर रहे हैं. लेकिन मौजूदा कोरोना संकट में वो अपनी टीम के साथ मिलकर ऐसी चीजें पर काम कर रहे हैं जो लोगों की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा सके. ताकी वो कोरोना वायरस के सामने कमजोर न पड़ें.

ज्यादा जानकारी के लिए यहां क्लिक करें…

काढ़े की खासियत…

कोरोना के संक्रमण से लोगों में प्रतिरोधकता बढ़ाने के लिए काढ़े के सेवन को बढ़ावा देने की योजना है. डॉक्टरों ने काफी शोध के बाद आसपास मौजूद आयुर्वेदिक गुणों वाली तुलसी, दालचीनी, काली मिर्च, सोंठ, गिलोए एवं मुनक्का के चूर्ण को मिलाकर काढ़ा का पाउडर तैयार किया है.

kADHA

इस काढ़ा का प्रयोग आम लोगों के बीच बढ़ाने के लिए भी सरकार योजना बना रही है जिसमें आयुष के अस्पतालों से भी इसे वितरित करने पर विचार किया जा रहा है.

आयुष विभाग द्वारा वितरित इस काढ़े के द्वारा कई कोरोना मरीजों का सफलता पूर्वक इलाज भी किया गया है वो भी मरीज को कोई हानि हुए बगैर. कई गंभीर मरीज मात्र इस काढ़े को पीकर ही ठीक हुए हैं. इस काढ़े का कोई साइड इफेक्ट नहीं है. ये काढ़ा आपको कोरोना से तो बचाता ही है लेकिन अगर आपको कोरोना हो जाए ये कोरोना वायरस को जल्द से जल्द खत्म भी करता है और आपकी इम्युनिटी को बढ़ाता है.

ये भी पढ़ें- Dr Pk Jain: यहां मिलेगा सेक्सुअल लाइफ से जुड़ी हर प्रॉब्लम का सोल्यूशन

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें