भूपेश सरकार का एक निर्णय आज छत्तीसगढ़ के गांव-गांव में चर्चा का सबब बना हुआ है. यही नहीं छत्तीसगढ़ से बाहर देश भर में लोग इसका मजाक और मीम बना रहे हैं. यह निर्णय है गोधन के "गोबर" खरीदी का. भूपेश बघेल स्वयं को एक गांव किसान का लड़का कहने में फक्र महसूस करते हैं और मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद उन्होंने निरंतर स्वयं को एक आम छत्तीसगढ़िया मानुष सिद्ध करने का प्रयास किया है. कई योजनाएं छत्तीसगढ़ की अस्मिता से जुड़ी हुई हैं.

अब जब उन्होंने गोबर को 1रूपये 50 पैसे किलो खरीदने का ऐलान किया है विपक्ष भाजपा सहित एक बड़े वर्ग ने उनके इस निर्णय पर व्यंग बाण छोड़ने शुरू कर दिए हैं. जिसमें सरकार के गोबर खरीदी के निर्णय का माखौल उड़ाया गया है .भूपेश सरकार की इस बहुचर्चित पहल का क्या परिणाम सामने आएगा यह आने वाला वक्त बताएगा मगर राजनीति की बिसात पर चौपड़ बिछ चुकी है. यह अहम कदम भूपेश बघेल के लिए मील का पत्थर सिद्ध होने जा रहा है. अगर सफल हुआ तो वाह वाह! और असफल हुआ तो एक ऐसा तमगा जो वर्षों वर्ष लोग याद करेंगे और भूपेश बघेल की हंसी तो  उड़ेगी ही.

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मजाक- दर मजाक

मुख्यमंत्री के रूप में भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ को छत्तीसगढ़ की अपनी पहचान विकसित करने की कोशिश की है. पहले पहल उन्होंने नारा दिया,- 'नरवा गरवा घुरवा बाड़ी' का  यह नारा एक मुख्यमंत्री के रूप में आम जनता के लिए संदेश बन जाता लोग अपनाते तो प्रदेश का भला होता. मगर भूपेश बघेल ने आगे आकर इसे सरकारी अधोवस्त्र पहना कर खड़ा कर दिया. गांव गांव में नरवा गरवा घुरवा बाड़ी के नारे चस्पां  हो गए मगर जमीन पर हकीकत में कुछ नहीं दिखता. गौठान बना दिए गए भूपेश बघेल बड़े उत्साहित स्वयं गांव गांव पहुंचते और उद्घाटन करते मगर गोठान बनने के बाद करोड़ों रुपए खर्च के बाद किसी भी गोठान का कोई लाभ लोगों को नहीं मिल रहा है.

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