क्या रामदेव योग गुरु के रूप में पहले देश और दुनिया भर में नामचीन हो चुके रामदेव झूठ बोलते हैं?
क्या एक संत... ऋषि का चोला पहने हुए बाबा रामदेव ने "झूठ" के सहारे हजारों करोड़ रुपए का आर्थिक साम्राज्य पतंजलि खड़ा किया है... क्या रामदेव ने दुनिया भर में भय और संत्रास के प्रतीक बन चुके कोरोना कोविड-19 के भय का लाभ उठाने का प्रयास और कोरोनिल दवा को बना और बेचकर नहीं किया है?

सभी प्रश्नों का एक ही जवाब है बीते दिनों जब बाबा रामदेव ने भारत सरकार के दो महत्वपूर्ण मंत्री नितिन गडकरी व डाक्टर हर्षवर्धन के साथ मंच से यह घोषणा की उन्होंने कोरोना की बनाई गई दवाई कोरोनिल डब्ल्यूएचओ यानी विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा फार्मास्यूटिकल प्रोडक्ट ( सी ओ पी पी)का प्रमाण पत्र मिल गया है और अब कोरोनिल दुनिया के 158 देशों में पतंजलि द्वारा निर्यात की जा सकेगी.

सवाल सिर्फ इतना है कि क्या देश की संविधानिक सरकार के दो मंत्रियों की मौजूदगी में उनकी जानकारी के बगैर, सहमति के बिना रामदेव ने कोरोनिल दवाई के संदर्भ में झूठ बोला है तो ऐसे में रामदेव पर भारत सरकार क्या कठोर एक्शन लेने जा रही है.

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कोरोना जैसा कि सर्वज्ञात है दुनिया भर में एक तबाही का प्रतीक महामारी मान ली गई है. और उसके संबंध में किसी भी प्रकार की दवा बिना प्रमाणन, अनुज्ञा के वितरित वार्षिक बिक्री नहीं की जा सकती. तब रामदेव ऐसी क्या हस्ती हैं जो अपनी हांक कर देश और दुनिया को सीधे-सीधे खतरे में डाल कर लोगों को काल कवलित करने का काम कर रहे हैं. कथित रूप से उनके द्वारा घोषणा की जा रही है कि उनके द्वारा निर्मित कोरोनिल कोरोनावायरस के लिए एक प्रभावी दवा है. मगर आई एम ए और डब्ल्यूएचओ ने जब सवाल उठा दिया है तो रामदेव पर सरकार को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए और मंत्रियों से भी देश और कानून को पूछना चाहिए कि उन्होंने ऐसा किस प्रभाव में किया है जिसके कारण लोगों के स्वास्थ्य और पैसों की क्षति की संभावना है

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