लेखक- लोकमित्र गौतम

कोविड-19 के चलते भारत ही नहीं पूरी दुनिया में अब अगर लाॅकडाउन नहीं भी लागू तो भी कामकाजी गतिविधियां लगभग ठप सी पड़ गई हैं. लोग घरों में बैठे हुए हैं. दफ्तर बंद है, फैक्टरियां बंद हैं और शायद दिमाग में भी कुछ नया सोचना बंद है. इसलिए इस गतिहीनता के दौर में लोगों में डिजिटल कामुकता बढ़ गई है.

हालांकि विशेषज्ञों ने कोविड-19 की वजह से साल 2021 में जो बेबी बूम की घोषणा की थी, उसे अब वापस ले लिया है. बावजूद इसके तमाम विशेषज्ञ इस बात पर सहमत है कि लाॅकडाउन के दौरान और उसके बाद अनलाॅक के दौरान तमाम तरह की गतिविधियों में अघोषित कटौती के कारण बड़े पैमाने में पूरी दुनियाभर के कपल्स को साथ रहने का लंबा मौका मिला है. इस वजह से इस पूरे समय में यौन गतिविधियां किसी भी सामान्य समय के मुकाबले कहीं ज्यादा रही हैं. विश्व की सबसे बड़ी कंडोम निर्माता कंपनी कोरेक्स ने अप्रैल के अंत में सार्वजनिक तौरपर स्वीकार किया था कि उसके पास कंडोम का पूरे 2020 के लिए जो स्टाक था, वो खत्म हो गया है.

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इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कोरोना के चलते यौन गतिविधियों में काफी ज्यादा बढ़ोत्तरी हुई है. सवाल है क्या इससे किसी तरह का नुकसान है? पहले तो लगता था कि बिल्कुल किसी तरह का नुकसान नहीं है, लेकिन लाॅकडाउन के दौरान और उसके बाद आयी तमाम रिपोर्टों से पता चला है कि इस दौरान कितने बड़े पैमाने पर पोर्न मैटर तलाशा और देखा गया है. हालांकि पिछले कुछ महीनों से पूरी दुनिया में अधिकतम लोग अपने घरों में रहे हैं और अब के पहले यह माना जाता रहा है कि घरों में परिवार के बीच पोर्न फिल्मों के देखने का चलन नहीं है, सिर्फ एकांत में ये देखी जाती हैं. लेकिन लाॅकडाउन ने इस राय को बदल दिया है.

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