साक्षात्कार/ तुलेश्वर सिंह मरकाम, अध्यक्ष, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी
लगभग बीस वर्षों के राजनीतिक समय काल को देखें तो कहा जा सकता है कि गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की चुनाव में उपस्थिति सिर्फ नाम मात्र की रहती है. हालात इतने गंभीर की पार्टी के सुप्रीमो हीरा सिंह मरकाम स्वयं अपनी परंपरागत सीट तानाखार से चुनाव में पराजित होते रहे हैं. ऐसे में दीगर “चेहरों” की स्थिति कितनी दयनीय होगी यह सहज कल्पना की जा सकती है.
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में गोंडवाना पार्टी सिर्फ एक “वोट” काटने वाली पार्टी के रूप में उभर कर खत्म हो जाती है. इसके बावजूद कहा जा सकता है कि छत्तीसगढ़ मध्यप्रदेश में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का आदिवासी हल्के में प्रभाव, राजनीतिक ताकत है. दोनों ही प्रदेश के चुनाव को प्रभावित करने की क्षमता गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने बारंबार दिखाई है यही वजह थी कि विगत विधानसभा चुनाव के दरमियान कांग्रेस प्रमुख रहे राहुल गांधी ने गोंडवाना पार्टी की और साझेदारी का हाथ बढ़ाया था. गोंगपा सुप्रीमो हीरा सिंह मरकाम के निधन के पश्चात पार्टी की कमान तुलेश्वर सिंह मरकाम संभाल रहे हैं.
प्रश्न- हीरा सिंह मरकाम के हाल ही में निधन के बाद पार्टी की कमान आपके हाथों में है, हीरा सिंह का क्या लक्ष्य था और उसे आप आगे कैसे बढ़ा रहे हैं?
उत्तर-हीरा सिंह मरकाम तीन दफा विधायक रहे, उन्होंने आदिवासियों के दुख दर्द को देखकर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की स्थापना की थी. आदिवासियों का जल, जंगल, जमीन लूटा जा रहा था, और लूटा जा रहा है. हमारी पार्टी राजनीतिक सामाजिक चेतना… अपने वोट की कीमत जानने , समझाने का काम कर रही है.
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प्रश्न- छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश के राजनीतिक हालात को आप कैसे देख रहे हैं.
उत्तर- कांग्रेस हो या भाजपा दोनों ही पार्टियां जनहित का काम नहीं कर पा रही है. आदिवासी समाज का शोषण, दमन, उत्पीड़न जारी है. अधिकार नहीं मिल रहा है. हमारी लड़ाई इसी दिशा में है कि आदिवासी समाज को जागृत करके ऐसी स्थितियां निर्माण करें सत्ता की धमक हमारे हिसाब से, समाज के हित में काम करें.
प्रश्न- आदिवासी समाज में खुशहाली कब और कैसे आ सकती है..?
उत्तर- छत्तीसगढ़- मध्य प्रदेश में तमाम खनिज संपदा है. जिसका दोहन सरकारें जनहित के नाम पर करती हैं मगर इसका लाभ हिस्सेदारी आदिवासी समाज को नहीं मिल पा रहा. परिणाम स्वरूप आज भी गरीबी,फटेहाली है, हाल ही में जशपुर में एक गरीब परिवार को भोजन नहीं मिलने पर बच्चे बेहोश हो गए जो सारी दुनिया ने देखा है. यही सच्चाई है छत्तीसगढ़ की… विकास यहां दिखाई नहीं देता हम सड़क से संसद तक लड़ाई लड़ेंगे, अधिकार अपना लेकर रहेंगे.
प्रश्न- छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार पर आप क्या कहेंगे?
उत्तर- यह तो उधार की सरकार है, निरंतर कर्ज ले रही है और कर्ज ले रही है. खनिज न्यास की जो निधि है उसका इस्तेमाल राजधानी में किया जा रहा है. यह न्याय नहीं है. और हमें इन सरकारों से न्याय की उम्मीद भी दिखाई नहीं देती क्योंकि इनकी प्राथमिकता में आदिवासी समाज नहीं है.
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प्रश्न – तो कुल मिलाकर सरकार कैसे चल रही है और सरकारी अमला क्या सही रास्ते पर चल रहा है.
उत्तर- स्थिति बेहद कष्टप्रद है, दुख होता है भूपेश बघेल प्रशासन को दिशा नहीं दे पा रहे हैं. भ्रष्टाचार अपनी सीमाएं तोड़ रहा है.कटघोरा वन मंडल को का ही उदाहरण लीजिए ग्राम बतरा में 94 लाख का काम हुआ और मनरेगा में मजदूरों को जांजगीर जिला का दिखाया जा रहा है एक पैसे का भी काम नहीं हुआ. यह सरकार के संरक्षण में ही तो हो रहा है।हमें लगता है, जनता देख रही है, जाग रही है और जवाब भी देगी.
प्रश्न- आदिवासी समाज का हित किसमें है आपकी लंबी लड़ाई का उद्देश्य क्या है?
उत्तर -पांचवी अनुसूची… छठी अनुसूची…. छत्तीसगढ़ को ही लीजिए यहां पांचवी अनुसूची कुछ जिलों में लागू है मगर इमानदारी से इसका पालन नहीं करवाया जा रहा है.जिसके कारण आदिवासी उत्पीड़न का शिकार हो रहे हैं और हमारी यही लड़ाई है.
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प्रश्न -प्रदेश सरकार की कार्यशैली पर आप क्या कहेंगे?
उत्तर- प्रदेश सरकार की हालत अच्छी नहीं है धान खरीदी का प्रश्न हो या किसानों के दूसरे हित सरकार लगातार विफल दिखाई दे रही है भूपेश सरकार के खिलाफ तो जन आंदोलन होकर रहेगा. किसानों को वाजिब समर्थन मूल्य नहीं मिल रहा है, रोजगार भत्ता का अता-पता नहीं है कांग्रेस ने जो वादे किए थे सरकार को 2 वर्ष हो गए वह वादे पूरे नहीं कर पाई है.
प्रश्न- मगर ऐसा तो पूर्व में भी था?
उत्तर- कांग्रेस सरकार 15 वर्ष बाद बनवास के लंबी अवधि के पश्चात सत्ता में आई है जनता को काफी उम्मीदें थी मगर अब सब धरी की धरी रह गई कोई वादा पूरा नहीं कर पा रहे हैं.