Best of Crime Story: मोहब्बत के लिए- इश्क के चक्कर में हत्या

10 मई, 2017 की सुबह कानपुर के थाना काकादेव के थानाप्रभारी मनोज कुमार सिंह रात में पकड़े गए 2 अपराधियों से पूछताछ कर रहे थे, तभी उन के मोबाइल फोन की घंटी बजी. फोन रिसीव कर के उन्होंने कहा, ‘‘थाना काकादेव से मैं इंसपेक्टर मनोज कुमार सिंह बोल रहा हूं, आप कौन?’’

‘‘सर, मैं लोहारन भट्ठा से बोल रहा हूं. जीटी रोड पर स्थित रामरती के होटल पर एक युवक की हत्या हो गई है.’’ इतना कह कर फोन करने वाले ने फोन तो काट ही दिया, उस का स्विच भी औफ कर दिया.

सूचना हत्या की थी, इसलिए मनोज कुमार सिंह ने पहले तो इस घटना की सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को दी, उस के बाद खुद पुलिस बल के साथ घटनास्थल की ओर रवाना हो गए. रामरती का होटल जीटी रोड पर जहां था, सिपाहियों को उस की जानकारी थी.

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इसलिए पुलिस वालों को वहां पहुंचने में ज्यादा समय नहीं लगा. पुलिस के पहुंचने तक वहां काफी लोग इकट्ठा हो गए थे. मनोज कुमार सिंह भीड़ को हटा कर वहां पहुंचे, जहां लाश पड़ी थी. एक अधेड़ उम्र महिला लाश के पास बैठी रो रही थी.

मनोज कुमार सिंह ने महिला को सांत्वना देते हुए लाश से अलग किया. उन्होंने उस से पूछताछ की तो उस ने कहा, ‘‘मेरा नाम रामरती है. मैं ही यह होटल चलाती हूं. जिसे मारा गया है, उस का नाम छोटू है. यह मेरा मुंहबोला भाई है. रात में किसी ने इस का कत्ल कर दिया है.’’

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लाश की शिनाख्त हो ही गई थी. मनोज कुमार सिंह ने बारीकी से घटनास्थल का निरीक्षण किया. मृतक छोटू की लाश तख्त पर पड़ी थी. किसी भारी चीज से उस के सिर पर कई वार किए गए थे, जिस से उस का सिर फट गया था.

शायद ज्यादा खून बह जाने से उस की मौत हो गई थी. खून से तख्त पर बिछा गद्दा, चादर, कंबल और तकिया भीगा हुआ था. तख्त के पास एक बाल्टी रखी थी, जिस का पानी लाल था. इस से अंदाजा लगाया गया कि हत्या करने के बाद हत्यारे ने बाल्टी के पानी में खून सने हाथ धोए थे.

मनोज कुमार सिंह घटनास्थल का निरीक्षण कर रहे थे कि एसएसपी सोनिया सिंह और सीओ गौरव कुमार वंशवाल भी आ गए. अधिकारियों ने फोरैंसिक टीम भी बुला ली थी. उन्होंने भी घटनास्थल का निरीक्षण किया और रामरती से पूछताछ की.

फोरैंसिक टीम ने कई जगहों से फिंगरप्रिंट लिए. उस के बाद खून से सनी चादर, तकिया, कंबल, एक जोड़ी चप्पल और मृतक के बाल जांच के लिए कब्जे में ले लिए. पुलिस ने अन्य औपचारिक काररवाई निपटा कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए लालालाजपत राय अस्पताल भिजवा दिया.

मनोज कुमार सिंह ने हत्या का खुलासा करने के लिए रामरती और आसपास वालों से पूछताछ की. इस पूछताछ में पता चला कि होटल में रात को 2 लड़के और सोए थे. मनोज कुमार सिंह ने तुरंत उन दोनों लड़कों बुधराम और सलाउद्दीन को हिरासत में ले लिया.

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थाने ला कर दोनों लड़कों से सख्ती से पूछताछ की गई. तमाम सख्ती के बावजूद दोनों लड़कों ने छोटू की हत्या करने से साफ मना कर दिया. उन का कहना था कि वे रात में होटल पर सोए जरूर थे, लेकिन उन्हें हत्या के बारे में पता ही नहीं चला. काफी सख्ती के बावजूद जब दोनों ने हामी नहीं भरी तो मनोज कुमार सिंह को लगा कि ये दोनों निर्दोष हैं. उन्होंने उन्हें छोड़ दिया. इस के बाद उन्होंने हत्यारे का पता लगाने के लिए अपने मुखबिरों को लगा दिया.

12 मई, 2017 को मुखबिर से पता चला कि छोटू की हत्या नाजायज रिश्तों में रुकावट बनने की वजह से हुई है. लोहारन भट्ठा का ही रहने वाला संजय रामरती की बेटी सुनयना से प्यार करता था. दोनों के प्यार में छोटू बाधक बन रहा था, इसलिए अंदाजा है कि संजय ने ही छोटू की हत्या की है.

मुखबिर की बात पर विश्वास कर के मनोज कुमार सिंह ने रामरती की बेटी सुनयना से पूछताछ की तो उस ने स्वीकार कर लिया कि वह संजय से प्यार करती थी. उस के प्यार में छोटू मामा बाधक बन रहे थे. उन के मिलने को ले कर अकसर संजय और मामा में कहासुनी होती रहती थी. मामा की शिकायत पर उसे मां की डांट सुननी पड़ती थी.

सुनयना के इस बयान पर मनोज कुमार सिंह को पक्का यकीन हो गया कि छोटू की हत्या संजय ने ही की थी. संजय को गिरफ्तार करने के लिए उन्होंने संजय के घर छापा मारा तो वह घर पर नहीं मिला. उन्होंने उस के बारे में पता करने के लिए मुखबिरों को लगा दिया. इस के बाद मुखबिरों की सूचना पर उन्होंने उसे गोल चौराहे से गिरफ्तार कर लिया और पूछताछ के लिए स्वरूपनगर स्थित सीओ औफिस ले आए.

सीओ गौरव कुमार वंशवाल की उपस्थिति में संजय से छोटू की हत्या के बारे में पूछताछ शुरू हुई तो उस ने हत्या करने से साफ मना कर दिया. लेकिन जब उस से थोड़ी सख्ती की गई तो उस ने छोटू की हत्या का अपना अपराध स्वीकार कर लिया. उस ने बताया कि वह सुनयना से बहुत प्यार करता था. लेकिन सुनयना का मामा छोटू दोनों को मिलने नहीं देता था. इसीलिए उस ने उसे मौत की नींद सुला दिया था. अपराध स्वीकार करने के बाद संजय ने वह हथौड़ा, जिस से उस ने छोटू की हत्या की थी और खून से सने अपने कपड़े घर से बरामद करा दिए थे.

चूंकि संजय ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया था और हथियार भी बरामद करा दिया था, इसलिए थाना काकादेव पुलिस ने रामरती को वादी बना कर अपराध संख्या 337/2017 पर आईपीसी की धारा 302 के तहत संजय के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया था. संजय से की गई पूछताछ में प्यार के जुनून में की गई छोटू की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार थी—

कानपुर महानगर के थाना काकादेव का एक मोहल्ला लोहारन भट्ठा है. इस के एक ओर जीटी रोड है तो दूसरी ओर चर्चित जेके मंदिर है. वैसे यह मोहल्ला गंगनहर की जमीन पर अवैध रूप से बसा है. यहां ज्यादातर गरीब और निम्मध्यवर्ग के लोग रहते हैं. इसी मोहल्ले में धर्मेंद्र अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में पत्नी रामरती के अलावा बेटी सुनयना थी.

धर्मेंद्र का जीटी रोड पर चायपान का होटल था, जिसे उस की पत्नी रामरती चलाती थी. वह काफी व्यवहारकुशल थी, इसलिए उस का यह होटल खूब चलता था. इसी होटल की कमाई से वह अपने पूरे परिवार का खर्चा चलाती थी.

रामरती के इसी होटल पर छोटू काम करता था. वह मूलरूप से आजमगढ़ का रहने वाला था. मांबाप की मौत के बाद रोजीरोटी की तलाश में वह कानपुर आ गया था. कई दिनों तक भटकने के बाद उसे रामरती के होटल पर ठिकाना मिला था. उस ने अपने काम और व्यवहार से रामरती का दिल जीत लिया, जिस से रामरती ने उसे अपना मुंहबोला भाई बना लिया.

इस के बाद तो छोटू का घर में अच्छाखासा दखल हो गया. रामरती कोई भी काम उस से पूछे बिना नहीं करती थी. रामरती ने छोटू को भाई बना लिया तो उस की बेटी सुनयना उसे मामा कहने लगी थी.

सुनयना, रामरती की एकलौती बेटी थी. 16 साल की होतेहोते वह युवकों की नजरों का केंद्र बन गई. मोहल्ले के जिस गली से वह निकलती, लड़के उसे देखते रह जाते. विधाता ने उसे अद्भुत रूप दिया था. मोहल्ले के लोग कहते थे कि यह कीचड़ में कमल की तरह है.

सुनयना भी जवानी का नशा महसूस करने लगी थी. हिरनी की तरह कुलांचे भरती जब वह घर से निकलती तो मोहल्ले वाले उसे ताकते ही रह जाते. उसे लगता कि लोगों की नजरें उस की देह को भेद कर उसे सुख दे रही हैं. उस समय वह अपने अंदर सिहरन सी महसूस करती. उस की इच्छा होती कि कोई उस का हाथ थाम कर उसे कहीं एकांत में ले जाए और उस से ढेर सारी प्यार की बातें करे.

सुनयना के ही मोहल्ले के दूसरे छोर पर संजय रहता था. उस के पिता बाबूराम नगर निगम में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी थे. वह 3 भाईबहनों में सब से छोटा था. वह प्राइवेट नौकरी करता था. उस पर कोई जिम्मेदारी नहीं थी, इसलिए खूब बनसंवर कर रहता था. उसे भजन और कीर्तन सुनने का बहुत शौक था, इसलिए अकसर वह राधाकृष्ण (जेके) मंदिर जाता रहता था.

किसी दिन मंदिर में संजय की नजर सुनयना पर पड़ी तो वह उसे देखता ही रह गया. सुनयना भी खूब सजधज कर मंदिर आई थी. पहली ही नजर में संजय का दिल सुनयना पर आ गया. वह उसे तब तक ताकता रहा, जब तक वह उस की आंखों से ओझल नहीं हो गई.

सुनयना संजय के मन को भाई तो वह उस का दीवाना हो गया. अब वह उस के इंतजार में मंदिर के गेट पर खड़ा रहने लगा. सुनयना उसे दिखाई पड़ती तो वह उसे चाहतभरी नजरों से ताकता रहता. उस की इन्हीं हरकतों से सुनयना समझ गई कि यह कोई प्रेम दीवाना है, जो उसे चाहतभरी नजरों से ताकता है. लेकिन उस ने उस की ओर ज्यादा ध्यान नहीं दिया.

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जबकि संजय सुनयना के लिए तड़प रहा था. हर पल उस के मन में सुनयना ही छाई रहती थी. उस का काम में भी मन नहीं लग रहा था. एक तरह सुनयना के बगैर उसे चैन नहीं मिल रहा था. उसे पाने की तड़प जब संजय के लिए बरदाश्त से बाहर हो गई तो उस ने सुनयना के बारे में पता किया. पता चला कि वह उस रामरती की बेटी है, जिस का जीटी रोड पर चायपान का होटल है.

संजय रामरती के होटल पर चाय पीने जाने लगा. अपनी लच्छेदार बातों से जल्दी ही उस ने रामरती से नजदीकी बना ली. यही नहीं, उस ने उस के मुंहबोले भाई छोटू से भी दोस्ती गांठ ली. दोनों में खूब पटने लगी.

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रामरती और छोटू से मधुर संबंध बना कर संजय रामरती के घर भी जाने लगा. वहां वह बातें भले ही किसी से करता था, लेकिन उस की नजरें सुनयना पर ही टिकी रहती थीं. सुनयना ने जल्दी ही इस बात को ताड़ लिया. संजय की नजरों में अपने लिए चाहत देख कर सुनयना भी उस के प्रति आकर्षित होने लगी. अब वह भी संजय के आने का इंतजार करने लगी.

दोनों ही एकदूसरे की नजदीकी पाने के लिए बेचैन रहने लगे. लेकिन यह सब अभी नजरों ही नजरों में था. संजय को भी सुनयना के इरादे का पता चल गया था. जब भी उस की चाहत भरी नजरें सुनयना के मुखड़े पर पड़तीं, सुनयना मुसकराए बिना नहीं रह पाती. वह भी उसे तिरछी नजरों से ताकते हुए उस के आगेपीछे घूमती रहती.

सुनयना की कातिल नजरों और मुसकान का मतलब संजय अच्छी तरह समझ रहा था. लेकिन उसे अपनी बात कहने का मौका नहीं मिल रहा था. जबकि सुनयना अपनी तरफ से पहल नहीं करना चाहती थी.

संजय अब ऐसे मौके की तलाश में रहने लगा, जब वह अपने दिल की बात सुनयना से कह सके. चाह को राह मिल ही जाती है. एक दिन संजय को मौका मिल गया. उस ने अपने दिल की बात सुनयना से कह दी. सुनयना तो कब से उस के मुंह से यही सुनने का इंतजार कर रही थी.

उस दिन के बाद संजय और सुनयना का प्यार दिन दूना रात चौगुना बढ़ने लगा. सुनयना कोई न कोई बहाना बना कर घर से निकलती और संजय से जा कर मिलती. संजय उसे साथ ले कर सैरसपाटे के लिए निकल जाता. वह अकसर सुनयना को मोतीरेव ले जाता और वहां दोनों साथसाथ सिनेमा देखते. कभी मोतीझील के रमणीक उद्यान में बैठ कर प्यार भरी बातें करते और साथ जीनेमरने की कसमें खाते.

कहते हैं, बैर, प्रीति, खांसी और खुशी कभी छिपाए नहीं छिपती. यही हाल संजय और सुनयना के प्यार का भी यही हुआ. एक दिन कारगिल पार्क में मोहल्ले के एक युवक ने संजय और सुनयना को आपस में हंसतेबतियाते देख लिया. उस ने यह बात होटल पर जा कर सुनयना के मामा छोटू को बता दी. छोटू तुरंत घर गया. घर से सुनयना गायब थी, जिस से छोटू को विश्वास को गया कि सुनयना संजय के साथ है. उस ने सारी बात रामरती को बताई, जिसे सुन कर रामरती सन्न रह गई.

शाम को सुनयना घर लौटी तो मां का तमतमाया चेहरा देख कर वह समझ गई कि कुछ गड़बड़ जरूर है. वह रसोई की तरफ बढ़ी तो रामरती ने उसे टोका, ‘‘पहले मेरे पास आ कर बैठ और सचसच बता कि तू कहां गई थी?’’

मां की बात सुन कर सुनयना का हलक सूख गया. उस ने धीरे से कहा, ‘‘मां, मैं साईं मंदिर गई थी.’’

‘‘झूठ, तू साईं मंदिर नहीं, बल्कि संजय के साथ पार्क में बैठ कर प्यार की बातें कर रही थी.’’

‘‘नहीं मां, यह सच नहीं है. किसी ने तुम्हारे कान भरे हैं.’’

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‘‘फिर झूठ.’’ गुस्से में रामरती ने सुनयना के गाल पर 2 तमाचे जड़ दिए. वह गाल सहलाती हुई कमरे में चली गई.

दूसरी ओर छोटू ने संजय को आड़े हाथों लिया, ‘‘देख संजय, सुनयना मेरी भांजी है. उस की तरफ आंख उठा कर भी तूने देखा तो तेरी आंखें निकाल लूंगा. आज के बाद मेरीतेरी दोस्ती खत्म. तू मेरे घर के आसपास भी दिखा तो तेरे हाथपैर तोड़ डालूंगा.’’

रामरती ने भी संजय को खूब खरीखोटी सुनाई. इस के बाद संजय और सुनयना का मिलना बंद हो गया. रामरती और छोटू सुनयना पर कड़ी नजर रखने लगे. सुनयना जब कभी घर से बाहर जाती, उस के साथ रामरती या छोटू होता. छोटू ने अपने कुछ खास लोगों को भी संजय और सुनयना की निगरानी में लगा दिया था. छोटू किसी भी तरह संजय को सुनयना से मिलने नहीं दे रहा था.

4 मई, 2017 को किसी तरह सुनयना को मौका मिल गया तो वह शास्त्रीनगर के सिंधी कालोनी पार्क पहुंच गई. फोन कर के उस ने संजय को वहीं बुला लिया. संजय और सुनयना पार्क में बैठ कर बातें कर रहे थे, तभी पीछा करता हुआ छोटू वहां पहुंच गया. उस ने पार्क में ही संजय को पीटना शुरू कर दिया. संजय किसी तरह खुद को छुड़ा कर भागा. सुनयना को पकड़ कर छोटू घर ले आया और रामरती से शिकायत कर के उसे भी पिटवाया. यही नहीं, उस ने आननफानन में दूसरे दिन ही सुनयना का रिश्ता तय कर दिया.

संजय और सुनयना की पिटाई ने आग में घी का काम किया. संजय समझ गया कि जब तक सुनयना का मामा छोटू जिंदा है, तब तक वह अपना प्यार नहीं पा सकता. वह यह भी जान गया था कि छोटू ने सुनयना का रिश्ता इसलिए तय कर दिया है, ताकि वह उस से दूर चली जाए. छोटू उस के प्यार में दीवार बन कर खड़ा था, इसलिए छोटू को ठिकाने लगाने का निश्चय कर वह उचित मौके की तलाश में लग गया.

10 मई, 2017 की रात 10 बजे छोटू होटल बंद कर के सोने की तैयारी कर रहा था, तभी उधर से संजय निकला. छोटू को देख कर उस का खून खौल उठा. रात 12 बजे तक वह शराब के नशे में धुत हो कर जेके मंदिर के बाहर टहलता रहा. उस के बाद घर गया और लोहे का हथौड़ा ले कर छोटू के होटल पर जा पहुंचा.

छोटू गहरी नींद में सो रहा था. संजय ने उसे दबोच लिया और छाती पर सवार हो कर हथौड़े से उस के सिर पर वार पर वार करने लगा. हथौड़े के वार से छोटू का सिर फट गया और खून का फव्वारा फूट पड़ा. कुछ देर तड़प कर छोटू ने दम तोड़ दिया. हत्या करने के बाद संजय ने बाल्टी में रखे पानी में हाथ धोए और घर जा कर कपडे़ बदल लिए. खून से सना हथौड़ा और कपड़े उस ने बड़े बक्से के पीछे छिपा दिए.

रामरती सुबह होटल पर पहुंची तो छोटू तख्त पर मृत मिला. वह चीखने लगी. थोड़ी ही देर में तमाम लोग वहां जमा हो गए. उसी भीड़ में से किसी ने पुलिस को घटना की सूचना दे दी. सूचना पाते ही थानाप्रभारी मनोज कुमार सिंह घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने जांच शुरू की तो मोहब्बत के जुनून में की गई हत्या का खुलासा हो गया.

13 मई, 2017 को थाना काकादेव पुलिस ने अभियुक्त संजय को कानपुर की अदालत में रिमांड मजिस्ट्रैट के समक्ष पेश किया, जहां से उसे जिला कारागार जेल भेज दिया गया. कथा लिखने तक उस की जमानत नहीं हुई थी

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Satyakatha- ऊधमसिंह नगर में: धंधा पुराना लेकिन तरीके नए- भाग 2

सौजन्य- सत्यकथा

सेंटर में आने वाले ग्राहकों का कोई आंकड़ा मौजूद नहीं था. जबकि उन की बिलिंग होती थी. उसे किसी रजिस्टर में दर्ज नहीं किया जाता था. फिर भी पुलिस ने जांच में पता लगाया कि सेंटर को प्रतिदिन 50 हजार की कमाई होती थी.

स्पा सेंटर से बरामद सभी युवतियों ने स्वीकार किया कि वे किसी न किसी मजबूरी की वजह से मसाज की आड़ में देह बेचने का काम करती हैं.

इसी के साथ उन्होंने सेंटर के मालिक पर आरोप भी लगाया कि उन्हें बहुत कम पैसा मिलने के कारण मजबूरी के चलते बेसमेंट में रहना होता है, जहां काफी मुश्किल होती है.

पुलिस पूछताछ के बाद सीओ के निर्देश पर सभी युवतियों को मुखानी स्थित वन स्टौप सेंटर में भेज दिया गया. उसी दौरान 7 अगस्त, 2021 को पुलिस को पता चला कि स्पा सेंटर की आड़ में कई जगहों पर देह व्यापार चल रहा है.

इस सूचना के आधार पर एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट प्रभारी ने सीओ अमित कुमार के साथ मीटिंग कर इस अपराध को जड़ से मिटाने का निर्णय लिया. इस की जानकारी एसएसपी दलीप

सिंह को दे कर अनुमति मांगी गई. अनुमति मिलते ही अमित कुमार ने ठोस कदम उठाए.

उस योजना को अंजाम देने के लिए पुलिस ने नगर में चल रहे स्पा सेंटरों पर मुखबिरों का जाल बिछा दिया. पुलिस को जहां से भी जानकारी मिलती, वहां तुरंत छापेमारी की जाने लगी.

इस सिलसिले में मैट्रोपोलिस सिटी बिग बाजार स्थित सेवेन स्काई स्पा सेंटर में कुछ संदिग्ध युवकयुवतियां दबोचे गए. एक कमरे के केबिन से 2 युवकों को 3 युवतियों के साथ, जबकि दूसरे कमरे में बने केबिनों में 2-2 युवकयुवतियां मसाज में तल्लीन पकड़े जाने पर दबोचा गया. सभी अर्धनग्नावस्था में थे.

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सेंटर की गहन छानबीन में प्रयोग किए गए और नए महंगे कंडोम बरामद हुए. रिसैप्शन काउंटर से भी कंडोम बरामद किए गए.

कस्टमर एंट्री रजिस्टर से पुलिस को ग्राहकों के एंट्री की तारीख और समय का पता चला. सेंटर की संचालिका सोनू थी. उस ने पुलिस को पूछताछ में बताया कि स्पा सेंटर का मालिक हरमिंदर सिंह हैं, उन के निर्देश पर ही सेंटर में सब कुछ होता रहा है. सेंटर से बरामद 5 युवतियों ने स्वीकार किया कि उन्हें एक ग्राहक के साथ हमबिस्तर होने पर 500 रुपए मिलते थे.

इस मामले को पंतनगर थाने में दर्ज किया गया. गिरफ्तार युवकयुवतियों और सेंटर के मालिक हरमिंदर सिंह के खिलाफ रिपोर्ट लिख ली गई. बिलासपुर जिला रामपुर निवासी हरमिंदर सिंह फरार था. पुलिस उस की तलाश में लगा दी गई थी. इसी तरह ऊधमसिंह नगर में चल रहे स्पा सेंटर पर भी 13 अगस्त को छापेमारी की गई.

उस के बाद वहां बसंती आर्या ने सभी स्पा सेंटरों व होटल मालिकों को आवश्यक दिशानिर्देश जारी किए.

उन से कहा गया कि सभी ठहरने वाले ग्राहकों के आईडी की फोटो कौपी रखें और उन के नाम व पते रिसैप्शन सेंटर पर जरूर दर्ज करें. साथ ही होटल में सभी जगह पर सीसीटीवी कैमरे चालू हालत में रखने अनिवार्य कर दिए गए.

कहते हैं, जहां चाह वहां राह, तो इस धंधे को स्मार्टफोन से नई राह मिल गई है. देह व्यापार में लिप्त काशीपुर की सैक्स वर्करों ने स्मार्टफोन को ग्राहक तलाशने का जरिया बना लिया है. पुरुष भी धंधेबाज औरतों की तलाश आसानी से करने लगे हैं.

देह व्यापार में लिप्त महिलाएं मोबाइल पर चंद अश्लील बातें कर अपने ग्राहकों को फंसा लेती हैं. पैसे का लेनदेन भी उसी के जरिए हो जाता है.

वाट्सऐप और वीडियो कालिंग तो इस धंधे के लिए वरदान साबित हो रहा है. इस पर वे अपनी अश्लील फोटो या वीडियो भेज कर उन को लुभा लेती हैं.

फिर वह ग्राहक की सुविधानुसार कुछ समय के लिए किराए पर ले रखे कमरे पर ही उसे बुला लेती हैं या उस के बताए ठिकाने पर पहुंच जाती हैं.

जो महिलाएं कल तक मंडी से जुड़ी हुई थीं, वे अब इसी तरीके से अपना धंधा चला रही हैं, यही उन की रोजीरोटी का साधन बन चुका है.

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जांच में यह भी पता चला कि काशीपुर में कुछ ऐसी बस्तियां हैं, जहां पर कई औरतें अपना धंधा चला कर मोटी कमाई कर रही हैं. उन में कुछ औरतें अधेड़ उम्र की हैं, वे  नई लड़कियों के लिए ग्राहक ढूंढने के साथसाथ उन की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी निभाती हैं. ऐसी औरतें ही किराए का मकान या कमरा ले कर रखती हैं. उन में वह खुद रहती हैं.

किसी ग्राहक की मांग आते ही वह उन से सौदा तय कर आगे के काम में लग जाती हैं. उन्हें थोड़े समय के लिए अपना घर उपलब्ध करवा देती हैं.

ग्राहक को 15 मिनट से ले कर आधे घंटे तक का समय मिलता है. इसी समय के लिए 300 से 500 रुपए वसूले जाते हैं.  इस आय में आधा हिस्सा लड़की को मिलता है. कभीकभी लड़की को ज्यादा भी मिलता है.

यह ग्राहक की संतुष्टि और उस से मिलने वाले अतिरिक्त बख्शीश पर निर्भर करता है. इस गिरोह में घरेलू किस्म की औरतें, स्टूडेंट या पति से प्रताडि़त या उपेक्षित सफेदपोश संभ्रांत किस्म की महिलाएं शामिल होती हैं, जिन के बारे में कोई सोच भी नहीं सकता कि उस पर भी गंदे धंधे के दाग लगे हुए हैं. उन की पब्लिसिटी पोर्न वेबसाइटों के जरिए भी होती रहती है.

इस तरह के देह व्यापार का धंधा काशीपुर ही नहीं, बल्कि पूरे उत्तराखंड में अपने पैर पसारता जा रहा है. बताते हैं कि यहां लड़कियां तस्करी के माध्यम से उपलब्ध करवाई जाती हैं, जिन में अधिकतर मजबूर महिलाएं और युवतियां ही होती हैं.

इसी साल जुलाई माह की भी ऐसी एक घटना 21 तारीख को रुद्रपुर में सामने आई. एंटी ह्यूमन टै्रफिकिंग यूनिट के प्रभारी को ट्रांजिट कैंप गंगापुर रोड के पास मोदी मैदान में खड़ी एक संदिग्ध कार के बारे में सूचना मिली. मुखबिर ने एक कार यूके06एए3844 में कुछ पुरुष और महिलाओं के द्वारा अश्लील हरकतें करने की जानकारी दी.

अगले भाग में पढ़ें- किसान आंदोलन का भी पड़ा धंधे पर असर

Crime Story: मसाज पार्लर की आड़ में देह धंधा

यह इतने पेशेवर तरीके से किया जाता है कि इस की भनक सिर्फ उन्हें ही लग पाती है जो इन पार्लरों के नियमित ग्राहक होते हैं. सख्त कानून और चुस्त प्रशासन की नाक के नीचे किए जा रहे इस धंधे में पार्लर के अंदर का नजारा बड़ा ही रंगीन होता है. किसी ग्राहक को पटाने का सिलसिला पार्लर में जाने के बाद ही शुरू हो जाता है. स्पा या मसाज पार्लर में पहले तो ग्राहक को एक चार्ट दिखाया जाता है जिस में अलगअलग मसाज और उस के दाम लिखे होते हैं जिसे ग्राहक अपने मनमुताबिक चुनता है.

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उस के बाद ग्राहक के सामने स्टाफ को बुलाया जाता है यानी वहां मसाज करने वाली लड़कियां जिन की मुसकराहट और ड्रैस को देख कर ग्राहक पहली ही नजर में उन की ओर खिंच जाता है.  फिर ग्राहक अपनी पसंद की लडक़ी को चुनता है और उस के बाद शुरू होता है मसाज के नाम पर ग्राहक को पटाने का सिलसिला.  मसाज रूम के अंदर जाने से पहले आमतौर पर ग्राहक से मसाज का पैसा पहले ही जमा करा लिया जाता है. मसाज का समय तकरीबन आधा घंटे से ले कर 1 घंटे का होता है. इसी मसाज के दौरान ही ‘ऐक्स्ट्रा सर्विस’ दी जाती है. क्या है ‘एक्स्ट्रा सर्विस’ मसाज रूम के अंदर  30 मिनट के मसाज के बाद मसाज गर्ल ग्राहक से पूछती है, ‘‘सर, ‘ऐक्स्ट्रा सर्विस’ लेंगे?’’ ‘ऐक्स्ट्रा सर्विस’ एक ऐसा शब्द है जिस से मसाज पार्लर व स्पा सैंटरों का गुलाबी धंधा शुरू होता है. एक घंटे के मसाज में बंद कमरे में बहुतकुछ हो जाता है. दरअसल, इन लड़कियों को पहले से ही सिखाया जाता है कि ग्राहक को हर तरह से संतुष्ट करना है. इस के लिए चाहे कुछ भी करना हो.  बौडी मसाज के दौरान ये ग्राहक के कुछ ऐसे बौडी पौइंट को दबाती हैं कि ग्राहक खुद ‘ऐक्स्ट्रा सर्विस’ के लिए मना नहीं कर पाता है. ‘ऐक्स्ट्रा सर्विस’ का  रेट एक मसाज गर्ल ने बताया, ‘‘ज्यादातर मामलों में हमारा रेट इस बात पर निर्भर करता है कि ग्राहक कौन सा मसाज करवाना चाहता है.’’

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अगर आप किसी छोटे मसाज पार्लर में जाते हैं तो वहां नौर्मल मसाज का रेट 1,000 से 2,000 रुपए होता है. अगर आप किसी बड़े?स्पा में जाते हैं तो वहां शुरुआती रेट 3,000 रुपए से शुरू होता है. ज्यादातर ग्राहक ‘ऐक्स्ट्रा सर्विस’ के लिए ही आते हैं. ऐसे में वे दिखावे के लिए सब से सस्ता वाला ही मसाज चुनते हैं.  वह मसाज गर्ल आगे बताती है कि रूम के अंदर जब ‘ऐक्स्ट्रा सर्विस’ की बात होती है तो आमतौर पर ग्राहक को 2,000 से 5,000 रुपए तक के रेट बताए जाते हैं. कभीकभार हम उन से कम पैसे भी ले लेते हैं. इस में सौदेबाजी भी जम कर होती?है.  सौदेबाजी के बाद ‘ऐक्स्ट्रा सर्विस’ का एक रेट अलग से तय किया जाता है. ‘ऐक्स्ट्रा सर्विस’ का पैसा सर्विस से पहले ही ले लिया जाता है क्योंकि कई बार सर्विस होने के बाद ग्राहक तय रकम देने से मना कर देते हैं. फंसते हैं जाल में आजजगहजगह मसाज पार्लर खोले जा रहे हैं जहां बौडी मसाज के नाम पर जिस्मफरोशी का धंधा किया जा रहा है. यहां ‘ऐक्स्ट्रा सर्विस’ लेने वाले लोगों में सब से ज्यादा तादाद नौजवानों की होती है.  ज्यादातर नौजवान अखबारों, पत्रिकाओं या सोशल मीडिया पर इश्तिहार देख कर इन के झांसे में आते हैं. ऐसे ज्यादातर इश्तिहार तो नकली होते हैं. इन का मकसद लोगों को अपने जाल में फंसाना होता है. ये लोग ग्राहक को लूटते हैं, उन की निजी तसवीरें ले कर उन्हें ब्लैकमेल भी करते हैं. दिल्ली और उस से सटी नोएडा, गुरुग्राम वगैरह जगहों में तो इस का नैटवर्क और तेजी से फैलता जा रहा?है. एक खबर देखिए. नोएडा सैक्टर 18 में स्थित स्पा सैंटर में चल रहे देह  धंधे के रैकेट का पुलिस ने खुलासा किया है.  पुलिस के मुताबिक, यहां काम करने वाली लड़कियों को 25,000 से 30,000 रुपए के मासिक वेतन पर रखा गया था. ‘ऐक्स्ट्रा सर्विस’ करने पर ये लड़कियां महीने में 35,000 से 40,000 रुपए आसानी से कमा लेती हैं. गुरुग्राम में भी जगहजगह मसाज पार्लर खुले हुए हैं.

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समयसमय पर पुलिस ऐसे सैंटरों की तलाशी लेती रहती है, लेकिन वहां के पौश इलाकों में स्पा की आड़ में देह धंधा थमने का नाम ही नहीं ले रहा है. गुरुग्राम के एमजी रोड, सोहना रोड पर स्थित स्पा सैंटरों में पुलिस ने छापा मार कर तकरीबन दर्जनभर लोगों को गिरफ्तार किया था, जिन में लड़कियां भी शामिल थीं. पुलिस का नहीं डर  साल 2018 में लाजपत नगर, अमर कालोनी में तकरीबन 10 से 12 स्पा सैंटर यानी मसाज पार्लर देह धंधे के सिलसिले में पकड़े गए थे जिन्हें पुलिस कार्यवाही के बाद सील कर दिया गया था, लेकिन अभी भी यह धंधा पूरी तरह से बंद नहीं हुआ है. दिल्ली में ही नहीं, बल्कि बाकी बड़े शहरों में भी यह धंधा काफी फलफूल  रहा है. हाल में ही मेरठ में एंटी करप्शन के एक इंस्पैक्टर की मिलीभगत से मसाज पार्लर की आड़ में देह धंधा चल रहा था. यह मसाज पार्लर हाईप्रोफाइल लोगों को औनलाइन सर्विस देता था जिस में औन डिमांड लड़कियां सप्लाई की जाती थीं.  ग्राहकों के लिए इस में सब से बड़ा जोखिम लुट जाने का होता है. कई बार ग्राहक से अलगअलग तरीके से जबरन पैसे वसूल लिए जाते हैं या पुलिस को बुलाने की धमकी दी जाती है. बीमारियों से चाहे ग्राहक कंडोम की वजह से बच जाएं, लुटने से नहीं बच पाते हैं.

Satyakatha: स्पा सेंटर की ‘एक्स्ट्रा सर्विस’- भाग 2

सौजन्य- सत्यकथा

राजेश अभी भी घबराया हुआ था. उस के जीवन में ऐसा कुछ पहली बार हो रहा था. हालांकि घबराहट की उस घड़ी में भी राजेश मन ही मन बेहद खुश था. उस ने सभी युवतियों पर फिर से नजर दौड़ाई और उन सब में से जो सब से खूबसूरत महिला थी, उसे पसंद कर लिया. उस का नाम रीटा था. राजेश ने रीटा की तरफ इशारा करते हुए पूनम से पूछा, ‘‘पूनमजी, क्या ये स्पैशल मसाज कर सकती हैं?’’

इस से पहले कि पूनम राजेश के सवाल का जवाब देती, रीटा बोल पड़ी, ‘‘जी सर, आप मेरे साथ आइए.’’

यह सुन कर पूनम ने रीटा को राजेश के सामने कहा, ‘‘ठीक है, सर को तुम रूम में ले जाओ और हां, सर का खास ध्यान रखना. क्योंकि यह यहां पहली बार मसाज कराने आए हैं.’’

रीटा ने पूनम की बातों पर हामी भरी और वह राजेश को अपने साथ सेंटर की पहली मंजिल पर बने एक केबिन में ले गई. रीटा ने राजेश को जूते उतार कर अंदर आने को कहा.

राजेश कमरे में अंदर आते ही चुपचाप दरवाजे के पास खड़ा हो कर कमरे में मौजूद चीजों को एक नजर देखने लगा. कमरे में दुकान के रिसैप्शन से भी कम रौशनी थी, लेकिन चीजें दिखाई दे रही थीं.

उस ने देखा कि वह कमरा ज्यादा बड़ा नहीं था. कमरे के बीचोंबीच एक सिंगल बैड था, जहां वह लेटने वाला था. इस के अलावा कमरे के एक कोने में एक लंबा सा टेबल था, जहां पर मसाज के लिए सभी तरह का सामान रखा हुआ था.

रीटा ने दरवाजे के बगल में खड़े राजेश को आवाज लगाते हुए कहा, ‘‘सर, यह आप का टावल है. आप बाथरूम में जा कर नहा लीजिए और इस टावल में खुद को लपेट कर इस बिस्तर पर लेट जाइए. मैं 15 मिनट के बाद आऊंगी. तब तक आप रेडी हो जाइए.’’

राजेश ने रीटा की बातों को चुपचाप सुना और उस की बातों पर हामी भरी. राजेश बिना किसी देरी के कमरे के अंदर मौजूद बाथरूम में गया, अपने कपड़े एक तरफ टांगे, बाथरूम का झरना खोला और नहाया. 5 मिनट में नहा कर और तैयार हो कर वह रूम में वापस गया.

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उस ने देखा कि रीटा अभी वापस नहीं लौटी थी. मन में उत्सुकता का समंदर ले कर राजेश कमरे में उस बिस्तर पर सीने के बल लेट गया और रीटा का इंतजार करने लगा.

करीब 10 मिनट के बाद रीटा कमरे में आई और बोली, ‘‘सर, अगर आप तैयार हैं तो क्या मैं मसाज शुरू कर सकती हूं?’’

राजेश ने रीटा के सवाल का जवाब दिया और कहा, ‘‘जी रीटाजी, मैं तैयार हूं. आप शुरू कर सकती हैं.’’

रीटा राजेश की ओर आई और टेबल के ऊपर पड़े तेल की बोतल उठा कर राजेश के पीठ पर उड़ेलने लगी. हलके गरम तेल की छुअन राजेश अपने पीठ पर महसूस कर रहा था.

तेल उड़ेलने के बाद रीटा ने जब अपने नाजुक हाथ राजेश की पीठ पर मलने शुरू किए तो राजेश के पूरे बदन में झुरझुरी सी फैल गई.

राजेश के जीवन में यह पहली बार था, जब कोई महिला उस के शरीर को छू रही थी. राजेश अपनी आंखें बंद कर के रीटा की स्पैशल मसाज का पूरा मजा लेने लगा.

उस के शरीर के कुछ हिस्सों में तनाव पैदा हो गया था, जिसे जबजब रीटा जानेअनजाने अपने हाथों से छू लेती तो राजेश के पूरे बदन में मानो करंट सा दौड़ जाता.

रीता ने अपने हाथों से राजेश के बदन के हर हिस्से पर तेल लगा दिया था. अब बारी मालिश की थी. जब रीटा ने राजेश के गरदन और कंधे पर अपने हाथ मालिश के लिए फेरने शुरू किए तो राजेश को हल्काहल्का दर्द महसूस होने लगा.

लेकिन इस दर्द का एहसास तीखा नहीं था, बल्कि मीठा था. रीटा के हाथों को महसूस करते हुए राजेश कब गहरी नींद में चला गया, उसे होश ही नहीं था.

राजेश के सो जाने के बाद रीटा ने उस के शरीर के हर हिस्से की अपने हाथों से मालिश की. मालिश के बाद रीटा ने हल्के गरम पत्थर राजेश की पीठ और गरदन पर रख दिए, जोकि इसी स्पैशल मसाज का हिस्सा थे.

जब राजेश की आंखें खुलीं और वह नींद से जागा तो उसे अपनी पीठ और गरदन पर गरमाहट महसूस हुई और रीटा उस के सामने चुपचाप बैठी थी. राजेश ने गरदन उठाई और रीटा से कहा, ‘‘अरे रीटाजी, मसाज हो गई है क्या?’’

रीटा ने राजेश के सवाल का जवाब देती हुए कहा, ‘‘नहीं सर, अभी एक और सेशन बाकी है. आप काफी देर से सो रहे थे तो मैं ने आप को डिस्टर्ब नहीं किया.’’

यह सुन कर राजेश ने कहा, ‘‘जी मैडम. मैं काफी गहरी नींद में सो गया था. कसम से मजा आ गया. पहली बार बौडी मसाज करवा रहा हूं. मुझे अंदाजा ही नहीं था कि इस में इतना मजा आता है.’’ कह कर राजेश चुप हो गया.

जब गरम पत्थर को हटाने का समय हो गया तो रीटा कुरसी से उठी और एकएक कर राजेश के शरीर से पत्थर हटाते हुए बोली, ‘‘सर, क्या आप एक्स्ट्रा सर्विस लेना चाहते हैं?’’

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राजेश ने रीटा का सवाल सुन तो लिया था लेकिन उसे समझ नहीं आया कि ये एक्स्ट्रा सर्विस भला कौन सी बला है. तब राजेश ने रीटा से सवाल किया, ‘‘एक्स्ट्रा सर्विस मतलब? मैं ने तो स्पैशल मसाज के पैसे काउंटर पर दे दिए थे.’’

रीटा ने राजेश के सवाल पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘‘नहीं सर, स्पैशल मसाज तो एक अलग चीज है, एक्स्ट्रा सर्विस में हम आप के शरीर के कुछ खास हिस्सों की खास मसाज करते हैं. जिस के पैसे आप को काउंटर पर नहीं, बल्कि हमें देने होते हैं.’’

राजेश रीटा की बातों का इशारा समझने लगा था. वह रीटा से बोला, ‘‘मुझे आप की एक्स्ट्रा सर्विस के कितने पैसे और देने होंगे?’’

रीटा ने राजेश के सवाल का जवाब देते हुए कहा, ‘‘सर ये डिपेंड करता है कि आप कैसी सर्विसेज लेना चाहते हैं.’’

राजेश की उत्सुकता अब सातवें आसमान पर पहुंच चुकी थी. उस के शरीर का रोमरोम मानो खड़ा हो गया था. उस ने रीटा को धीमी आवाज में कहा, ‘‘ठीक है, आप अपनी सारी एक्स्ट्रा सर्विस मुझे दे दीजिए.’’

रीटा ने बिना वक्त बरबाद किए, राजेश को पीठ के बल लेटने को कहा. अब रीटा की हल्के गुलाबी रंग की यूनिफार्म भी ढीली हो गई थी. राजेश अपने सामने रीटा की ढीली पड़ती यूनिफार्म से उस के अंगों को साफ देख पा रहा था.

देखते ही देखते एक्स्ट्रा सर्विस के नाम पर राजेश ने वो सब हासिल कर लिया था, जिस से वह अब तक अछूता था. राजेश और रीटा दोनों के शरीर आपस में जुड़ गए थे. ऐसा लग रहा था जैसे वे दोनों एकदूसरे के लिए ही बने हों.

कुछ समय बाद जब रीटा की नसें ढीली पड़तीं तो वो राजेश की पीठ में अपने नाखून गड़ा देती. उन के बीच का यह शारीरिक मेल काफी लंबा चला. अंत में जब उन दोनों के बीच सब कुछ खत्म हो गया तो राजेश फिर एक बार बाथरूम में जा कर नहाया. उस ने अपने कपड़े पहने.

अगले भाग में पढ़ें- दिल्ली सरकार के सख्त कदम

Crime Story- गुड़िया रेप-मर्डर केस: भाग 2

अदालत के दाईं ओर बने कटघरे में मुलजिम नीलू उर्फ अनिल उर्फ चरानी मुंह लटकाए खड़ा था और उस के चेहरे का रंग पीला पड़ा था. जज राजीव भारद्वाज अपनी न्याय की कुरसी पर विराजमान थे. अदालत कक्ष में दोनों पक्षों यानी बचाव पक्ष के अधिवक्ता महेंद्र एस ठाकुर और सरकार की ओर से अधिवक्ता अमित जिंदल मौजूद थे.

न्यायाधीश ने सुनाई सजा

मुकदमे की काररवाई शुरू की गई. जिला एवं सत्र न्यायाधीश राजीव भारद्वाज ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा, ‘‘दोनों पक्षों के विद्वान अधिवक्ताओं की दलीलें सुनी गईं. इस मामले में सीबीआई ने 55 गवाहों के बयान दर्ज किए. मामले के 14 में से 12 बिंदू नीलू के खिलाफ गए थे और 2 बिंदू आरोपी के पक्ष में. गौरतलब बात यह है कि आरोपी की हत्या वाली जगह पर मौजूदगी, पोस्टमार्टम रिपोर्ट, डीएनए रिपोर्ट आरोपी के खिलाफ रहीं.

‘‘मिट्टी के सैंपल, शरीर पर निशान भी नीलू के दोषी होने को साबित करते हैं. नीलू के पक्ष में यह रहा कि पुलिस या सीबीआई उस की आपराधिक पृष्ठभूमि साबित नहीं कर सकी.

‘‘इस जघन्य अपराध के आरोपी अनिल कुमार उर्फ नीलू को भादंवि की धारा 372 (2) (आई) और 376 (ए) के तहत बलात्कार का दोषी माना जाता है. साथ ही भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत उसे हत्या और धारा 4 के तहत दमनकारी यौन हमला करने की सजा का दोषी माना जाता है. चूंकि पीडि़ता नाबालिग थी इसलिए

अदालत उसे पोक्सो एक्ट का दोषी भी करार देती है.’’

न्यायाधीश राजीव भारद्वाज ने आगे कहा, ‘‘सीबीआई की ओर से दायर चार्जशीट के तथ्यों को आधार मानते हुए यह अदालत इस नतीजे पर पहुंची है कि दोषी अनिल कुमार उर्फ नीलू उर्फ चरानी को नाबालिग से दुष्कर्म के जुर्म में मरते दम तक आजीवन कारावास और हत्या के मामले में आजीवन कारावास सहित 10 हजार रुपए जुरमाना लगाती है.

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‘‘जुरमाना न भरने की सूरत में दोषी को एक साल का अतिरिक्त कारावास काटना होगा. आरोपी की सजा फैसले के दिन से मानी जाएगी. आरोपी अनिल कुमार उर्फ नीलू उर्फ चरानी को न्यायिक हिरासत में लेते हुए यह अदालत उसे जेल भेजने की आदेश देती है अत: आरोपी को तत्काल पुलिस कस्टडी में लिया जाए. आज के मुकदमे की काररवाई यहीं खत्म की जाती है.’’

न्यायाधीश राजीव भारद्वाज ने 10 मिनट में फैसला सुना कर उस दिन की अदालत की काररवाई को विराम दिया और न्याय की कुरसी से उठ कर अपने कक्ष में चले गए. इस के बाद शिमला पुलिस ने अभियुक्त अनिल कुमार को हिरासत में लिया और उसे जेलले गई.

आइए पढ़ते हैं कि गुडि़या रेप और मर्डर केस की दिल दहला देने वाली सनसनीखेज कहानी. इस दर्दनाक और शर्मनाक घटना ने देश तक को हिला कर रख दिया था, जिस में पुलिस महानिरीक्षक से ले कर कांस्टेबल सहित 9 पुलिसकर्मियों तक को जेल की हवा खानी पड़ी थी. आखिर क्या हुआ था इस कहानी में, आइए पढ़तें हैं.

16 वर्षीय गुडि़या मूलरूप से शिमला के विधानसभा चौपाल के छोग की रहने वाली थी. पिता शिवेंद्र कुमार और मां अर्पिता की 5 संतानों में वह चौथे नंबर पर बेटियों में सब से छोटी थी लेकिन बेटा अमन से बड़ी थी. बड़ी होने के नाते गुडि़या अपने मांबाप और बहनों की लाडली और भाई की दुलारी थी.

स्कूल से घर नहीं लौटी गुडि़या

नाम के अनुरूप गुडि़या थी ही गुडि़या जैसी एकदम मासूम, चपल, चंचल और बेहद खूबसूरत, शिमला की खूबसूरत वादियों की तरह जिसे हर कोई प्यार किए बिना थकता नहीं था. मांबाप की लाडली गुडि़या उतनी ही अव्वल थी पढ़ने में.

पढ़लिख कर वह जीवन में बड़ा अफसर बनने की जिजीविषा रखती थी. तो मांबाप भी बेटी के सपने को पूरा करने के लिए हमेशा तत्पर रहते थे. बच्चों की बेहतर परवरिश और शिक्षा पर वह पानी की तरह पैसे बहाते थे.

शिवेंद्र कुमार एक बड़े किसान थे. उन का अपने क्षेत्र में बड़ा नाम था. नाम के साथसाथ बड़ी पहचान भी थी. उन के पास पैसों की कोई कमी नहीं थी, इसीलिए बच्चों की शिक्षा पर वह खूब पैसे खर्च करते थे.

लेकिन होनी को कौन टाल सकता है, जो होना है वह तो हो कर ही रहता है. ऐसा ही कुछ शिवेंद्र के साथ भी हुआ.

उन्हें क्या मालूम था कि उन के साथ बड़ा भयानक और कड़वा मजाक होने वाला है जिस का जख्म समय के मरहम के साथ तो भर जाएगा, लेकिन उस के निशान ताउम्र नासूर की तरह सालता रहेगा.

वह तारीख थी 4 जुलाई, 2017. गुडि़या, महासू के सीनियर सैकेंडरी हायर स्कूल में 10वीं कक्षा में पढ़ती थी. उन दिनों शाम साढ़े 4 बजे उस के स्कूल की छुट्टी हुआ करती थी. उस दिन भी उस के स्कूल की नियत समय पर छुट्टी हुई थी.

छुट्टी होते ही गुडि़या स्कूल से घर के लिए निकल गई थी लेकिन देर शाम तक वह घर नहीं पहुंची थी. बेटी के घर न पहुंचने पर मां अर्पिता को चिंता हुई.

उन्होंने फोन कर के पति को बताया, ‘‘शाम होने वाली है, बेटी अभी तक घर नहीं लौटी. मुझे चिंता हो रही है, जरा स्कूल फोन कर के पता करिए, आखिर बेटी कहां रह गई.’’

पत्नी की बात सुन कर औफिस गए शिवेंद्र भी परेशान हो गए. शिवेंद्र ने पत्नी से कहा अभी स्कूल के प्रधानाचार्य को फोन कर के पता करता हूं. तुम चिंता मत करो.

फिर उन्होंने फोन काट दिया और स्कूल के प्रधानाचार्य को फोन मिला कर बेटी के बारे में पूछा.

शिवेंद्र की बात सुन कर प्रधानाचार्य भी हैरान रह गए थे. उन्होंने गुडि़या के पिता को बताया कि बेटी गुडि़या स्कूल आई थी और समय से घर के लिए निकल गई थी.

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प्रधानाचार्य से बात करने के बाद शिवेंद्र की चिंता और बढ़ गई. उन्होंने नातेरिश्तेदारों के यहां फोन कर के बेटी के बारे में पूछा लेकिन वह वहां भी नहीं पहुंची थी. अब घर वाले यह सोच कर परेशान होने लगे कि गुडि़या गई तो गई कहां? मन में यह सवाल उठते ही शिवेंद्र की धड़कनें तेज हो गईं.

उन्हें ये समझते देर न लगी कि कहीं बेटी के साथ कोई अनहोनी तो न हो गई. औफिस से देर रात घर लौटे शिवेंद्र पत्नी के साथ सोफे पर बैठेबैठे बेटी के घर लौटने के इंतजार में मुख्यद्वार को टकटकी लगाए ताकते रहे और बेटी की चिंता में पूरी रात दोनों पतिपत्नी ने आंखों में काट दी थी.

जंगल में नग्नावस्था मिली थी लाश

इस बीच शिवेंद्र ने कोटखाई थाने में तहरीर दे कर बेटी की गुमशुदगी की सूचना दर्ज करा दी थी. इंसपेक्टर राजिंदर सिंह मुकदमा अपराध संख्या 97/2017 पर गुमशुदगी दर्ज कर के जरूरी काररवाई में जुट गए थे.

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Best of Manohar Kahaniya: प्यार पर प्रहार

सौजन्य- मनोहर कहानियां

प्रियंका और कृष्णा प्यार की पींगें भर रहे थे. दोनों का प्यार दोस्तों के बीच चर्चा का विषय बन गया था. कृष्णा तिवारी की उम्र जहां 25 वर्ष थी, वहीं प्रियंका श्रीवास 21 साल की थी. दोनों अकसर छत्तीसगढ़ के बिलासपुर शहर की सड़कों पर एकदूसरे का हाथ थामे घूमते हुए दिख जाते.  कृष्णा उसे अपनी बुलेट मोटरसाइकिल पर भी घुमाता था. दोनों का प्रेम परवान चढ़ रहा था.

कृष्णा तिवारी उर्फ डब्बू मूलत: कोनी, बिलासपुर का रहने वाला था और प्रियंका पास के ही बिल्हा शहर के मुढ़ीपार गांव की थी. वह बिलासपुर में अपने मौसा जोगीराम के यहां रह कर बीए फाइनल की पढ़ाई कर रही थी.

एक दिन कृष्णा ने शहर के विवेकानंद गार्डन में घूमतेघूमते प्रियंका से कहा, ‘‘प्रियंका, आज मैं तुम से एक बहुत खास बात कहने जा रहा हूं,जिस का शायद तुम्हें बहुत समय से इंतजार होगा.’’

‘‘क्या?’’ प्रियंका ने स्वाभाविक रूप से कहा.

‘‘मैं तुम से शादी करना चाहता हूं,’’ कृष्णा बोला, ‘‘मैं चाहता हूं कि हम दोनों शादी कर लें या फिर घरपरिवार से कहीं दूर भाग चलें.’’

‘‘नहींनहीं, मैं भाग कर शादी नहीं कर सकती, वैसे भी अभी मैं पढ़ रही हूं. शादी होगी तो मेरे मातापिता की सहमति से ही होगी.’’

‘‘तब तो प्यार भी तुम्हें मम्मीपापा की आज्ञा ले कर करना चाहिए था.’’ कृष्णा ने उस की खिल्ली उड़ाते हुए मीठे स्वर में कहा.

‘‘देखो, प्यार और शादी में बहुत बड़ा फर्क है. तुम मुझे अच्छे लगे तो तुम से दोस्ती हो गई और फिर प्यार हो गया.’’ प्रियंका ने सफाई दी.

‘‘अच्छा, यह तो बड़ी कृपा की आप ने हुजूर.’’ कृष्णा ने विनम्र भाव से कहा, ‘‘अब कुछ और कृपा बरसाओ, मेरी यह इच्छा भी पूरी करो.’’

‘‘देखो डब्बू, तुम मेरे पापा को नहीं जानते. वह बड़े ही गुस्से वाले हैं. मैं मां को तो मना लूंगी मगर पापा के सामने तो बोल तक नहीं सकती. वो तो अरे बाप रे…’’ कहतेकहते प्रियंका की आंखें फैल गईं और चेहरा सुर्ख हो उठा.

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‘‘प्रियंका, तुम कहो तो मैं पापा से बात करूं या फिर उन के पास अपने पापा को भेज दूं. मुझे यकीन है कि हमारे खानदान, रुतबे को देख कर तुम्हारे पापा जरूर हां कह देंगे. बस, तुम अड़ जाना.’’ कृष्णा ने समझाया.

‘‘देखो कृष्णा, हमारे घर के हालात, माहौल बिलकुल अलग हैं. मैं किसी भी हाल में पापा से बहस या सामना नहीं कर सकती. तुम अपने पापा को भेज दो, हो सकता है बात बन जाए.’’ प्रियंका बोली.

‘‘और अगर नहीं बनी तो?’’ कृष्णा ने गंभीर होते हुए कहा.

‘‘नहीं बनी तो हमारे रास्ते अलग हो जाएंगे. इस में मैं क्या कर सकती हूं.’’ प्रियंका ने जवाब दिया.

एक दिन कृष्णा तिवारी के पिता लक्ष्मी प्रसाद तिवारी प्रियंका श्रीवास के पिता नारद श्रीवास से मिलने उन के घर पहुंच गए. नारद श्रीवास का एक बेटा और 2 बेटियां थीं. वह किराने की एक दुकान चलाते थे.

लक्ष्मी प्रसाद ने विनम्रतापूर्वक अपना परिचय देते हुए कहा, ‘‘भाईसाहब, मैं आप से मिलने बिलासपुर से आया हूं. आप से कुछ महत्त्वपूर्ण बातचीत करना चाहता हूं.’’

कृष्णा के पिता ने की कोशिश

नारद श्रीवास ने उन्हें ससम्मान घर में बिठाया और खुद सामने बैठ गए. लक्ष्मी प्रसाद तिवारी हाथ जोड़ कर बोले, ‘‘मैं आप के यहां आप की बड़ी बेटी प्रियंका का अपने बेटे कृष्णा के लिए हाथ मांगने आया हूं.’’

यह सुन कर नारद श्रीवास आश्चर्यचकित हो कर लक्ष्मी प्रसाद की ओर ताकते रह गए. उन के मुंह से बोल नहीं फूट रहे थे. तब लक्ष्मी प्रसाद बोले, ‘‘भाईसाहब, मेरे बेटे कृष्णा को आप की बिटिया पसंद है. हालांकि हम लोग जाति से ब्राह्मण हैं, मगर बेटे की इच्छा को ध्यान में रखते हुए आप के पास चले आए. आशा है आप इनकार नहीं करेंगे.’’

यह सुन कर नारद श्रीवास के चेहरे का रंग बदलने लगा. उन्होंने लक्ष्मी प्रसाद से कहा, ‘‘देखो तिवारीजी, आप मेरे घर आए हैं, ठीक है. मगर मैं अपनी बिटिया का हाथ किसी गैरजातीय लड़के को नहीं दे सकता.’’

‘‘मगर भाईसाहब, अब समय बदल गया है. मेरा आग्रह है कि आप घर में चर्चा कर लें. बच्चों की खुशी को देखते हुए अगर आप हां कर देंगे तो यह बड़ी अच्छी बात होगी.’’ लक्ष्मी प्रसाद ने सलाह दी.

‘‘देखिए पंडितजी, मैं समाज के बाहर बिलकुल नहीं जा सकता. फिर प्रियंका के लिए मेरे पास एक रिश्ता आ चुका है. वे लोग प्रियंका को पसंद कर चुके हैं. मैं हाथ जोड़ता हूं, आप जा सकते हैं.’’ नारद श्रीवास ने विनम्रता से कहा तो लक्ष्मी प्रसाद तिवारी अपने घर लौट गए.

घर लौट कर उन्होंने जब बात न बनने की जानकारी दी तो कृष्णा को गहरा धक्का लगा. अगले दिन कृष्णा ने अपनी बुलेट निकाली और नारद श्रीवास की दुकान पर पहुंच गया. उस समय नारद ग्राहकों को सामान दे रहे थे. दुकान के बाहर खड़ा कृष्णा नारद श्रीवास को घूरघूर कर देख रहा था. जब वह ग्राहकों से फारिग हुए तो उन्होंने कृष्णा की ओर मुखातिब होते हुए कहा, ‘‘हां, क्या चाहिए?’’

कृष्णा ने उन से बिना किसी डर के अपना परिचय देते हुए कहा, ‘‘कल मेरे पापा आप के पास आए थे.’’

यह सुनते ही नारद श्रीवास के दिलोदिमाग में बीते कल का सारा वाकया साकार हो उठा, जिसे लगभग वह भुला चुके थे. उन्होंने कहा, ‘‘हां, तो?’’

कृष्णा तिवारी ने कहा, ‘‘आप ने मना कर दिया. मैं इसलिए आया हूं कि एक बार आप से मिल कर अपनी बात कहूं.’’

‘‘देखो, तुम चले जाओ. मैं ने तुम्हारे पिताजी को सब कुछ बता दिया है और इस बारे में अब मैं कोई बात नहीं करूंगा.’’

कृष्णा ने अपनी आंखें घुमाते हुए अधिकारपूर्वक कहा, ‘‘आप से कह रहा हूं, आप मान जाइए नहीं तो एक दिन आप खून के आंसू रोएंगे.’’

‘‘तो क्या तुम मुझे धमकाने आए हो?’’ नारद श्रीवास का पारा चढ़ गया.

‘‘धमकाने भी और चेतावनी देने भी. आप नहीं मानोगे तो अंजाम बुरा होगा.’’ कहने के बाद कृष्णा तिवारी बुलेट से घर वापस लौट गया.

नारद श्रीवास कृष्णा के तेवर देख कर अवाक रह गए. उन्होंने सोचा कि यह लड़का एक नंबर का बदमाश जान पड़ता है. मैं ने अच्छा किया कि इस के पिता की बात नहीं मानी.

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उन्होंने उसी दिन अपने साढ़ू भाई जोगीराम श्रीवास को फोन कर के सारी बात बता दी. उन्होंने उन से प्रियंका पर विशेष नजर रखने की बात कही, क्योंकि प्रियंका उन्हीं के घर रह कर पढ़ रही थी.

नारद की बातें सुन कर जोगीराम ने उन से कहा, ‘‘आप बिलकुल चिंता मत करो. मैं खुद प्रियंका से बात कर के देखता हूं और आप लोग भी बात करो. इस के अलावा आप धमकी देने वाले कृष्णा के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करा दो.’’

‘‘नहींनहीं, पुलिस में जाने से हमारी ही बदनामी होगी. मैं अब जल्द ही प्रियंका की सगाई, शादी की बात फाइनल करता हूं.’’ नारद बोले.

21 अगस्त, 2019 डब्बू उर्फ कृष्णा ने प्रियंका को सुबहसुबह लवली मौर्निंग का वाट्सऐप मैसेज भेजा और लिखा, ‘‘प्रियंका हो सके तो मुझ से मिलो, कुछ जरूरी बातें करनी हैं. जाने क्यों रात भर तुम्हारी याद आती रही, इस वजह से मुझे नींद भी नहीं आ सकी.’’

प्रियंका ने मैसेज का प्रत्युत्तर हमेशा की तरह दिया, ‘‘ठीक है, ओके.’’

मौसी ने समझाया था प्रियंका को

प्रियंका रोजाना की तरह उस दिन भी तैयार हो कर कालेज के लिए निकलने लगी तो मौसा और मौसी ने उसे बताया कि वह घरपरिवार की मर्यादा को ध्यान में रखे. कृष्णा से मेलमुलाकात उस के पापा को पसंद नहीं है. तुम्हें शायद यह पता नहीं कि कृष्णा ने मुढ़ीपार पहुंच कर धमकी तक दे डाली है. यह अच्छी बात नहीं है. अगर इस में तुम्हारी शह न होती तो क्या उस की इतनी हिम्मत हो पाती?

मौसी की बातें सुन कर प्रियंका मुसकराई. वह जल्दजल्द चाय पीते हुए बोली, ‘‘मौसी, आप जरा भी चिंता मत करना. मैं घरपरिवार की नाक नहीं कटने दूंगी. जब पापा मुझ पर भरोसा करते हैं, उन्होंने मुझे पढ़ने भेजा है, मेरी हर बात मानते हैं तो मैं भला उन की इच्छा के बगैर कोई कदम कैसे उठाऊंगी. आप एकदम निश्चिंत रहिए.’’

मौसी सीमा ने उसे बताया कि जल्द ही उस की सगाई एक इंजीनियर लड़के से होने वाली है, इसलिए वह कृष्णा से दूर ही रहे.

हंसतीबतियाती प्रियंका रोज की तरह सीपत रोड स्थित शबरी माता नवीन महाविद्यालय की ओर चली गई. वह बीए अंतिम वर्ष की पढ़ाई कर रही थी.

कालेज में पढ़ाई के बाद प्रियंका क्लास से बाहर आई तो कृष्णा का फोन आ गया. दोनों में बातचीत हुई तो प्रियंका ने कहा, ‘‘मैं कालेज से निकल रही हूं और थोड़ी देर में तुम्हारे पास पहुंच जाऊंगी.’’

प्रियंका राजस्व कालोनी स्थित कृष्णा के किराए के मकान में जाती रहती थी. वह मकान बौयज हौस्टल जैसा था. कृष्णा और प्रियंका वहां बैठ कर अपने दुखदर्द बांटा करते थे. प्रियंका ने उस से वहां पहुंचने की बात कही तो कृष्णा खुश हो गया.

कृष्णा घर का बिगड़ैल लड़का था. आवारागर्दी और घरपरिवार से बेहतर संबंध नहीं होने के कारण पिता ने एक तरह से उसे घर से निकाल दिया था. कृष्णा किराए का मकान ले कर रहता था. उस मकान में पढ़ाई करने वाले और भी लड़के रहते थे. उस के पास एक बुलेट थी. अपने खर्चे पूरे करने के लिए वह पार्टटाइम कार वाशिंग का काम करता था.

काफी समय बाद भी प्रियंका कृष्णा के कमरे पर नहीं पहुंची तो वह परेशान हो गया. वह झल्ला कर कमरे से निकला और प्रियंका को फोन किया. प्रियंका ने उसे बताया कि वह अपनी फ्रैंड के साथ है और उस के पास पहुंचने में कुछ समय लगेगा.

कृष्णा उस से मिलने के लिए उतावला था. काफी देर बाद भी जब वह नहीं पहुंची तो उस ने प्रियंका को फिर फोन किया. प्रियंका बोली, ‘‘आ रही हूं यार. मैं अशोक नगर पहुंच चुकी हूं.’’

इस पर कृष्णा ने झल्ला कर कहा, ‘‘मैं वहीं आ रहा हूं. तुम रुको, मैं पास में ही हूं’’

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कृष्णा थोड़ी ही देर में अशोक नगर जा पहुंचा. प्रियंका वहां 2 सहेलियों के साथ खड़ी थी.

प्रियंका की बातों से कृष्णा को लगा कि आज उस का रंग कुछ बदलाबदला सा है. मगर उस ने धैर्य से काम लिया. प्रियंका को देख वह स्वाभाविक रूप से मुसकराते हुए बोला, ‘‘प्रियंका, तुम मुझे मार डालोगी क्या? तुम से मिलने के लिए सुबह से बेताब हूं और तुम कह रही हो कि आ रही हूं…आ रही हूं.’’

‘‘तो क्या कालेज भी न जाऊं? पढ़ाई छोड़ दूं, जिस के लिए मैं गांव से यहां आई हूं?’’ प्रियंका ने तल्ख स्वर में कहा.

‘‘मैं ऐसा कहां कह रहा हूं, मगर कालेज से सीधे आना था. 2 घंटे हो गए तुम्हारा इंतजार करते हुए. कम से कम मेरी हालत पर तो तरस खाना चाहिए तुम्हें.’’

‘‘और तुम्हें मेरे घर जा कर हंगामा करना चाहिए. पापा से क्या कहा है तुम ने, तुम ऐसा कैसे कह सकते हो?’’ प्रियंका ने रोष भरे स्वर में कहा.

प्रियंका को गुस्से में देख कर कृष्णा को भी गुस्सा आ गया. दोनों की अशोक नगर चौक पर ही नोकझोंक होने लगी, जिस से वहां लोगों का हुजूम जमा हो गया. तभी एक स्थानीय नेता प्रशांत तिवारी जो कृष्णा और प्रियंका से वाकिफ थे, वहां पहुंचे और उन्होंने दोनों को समझाबुझा कर शांत कराया.

कृष्णा प्रियंका को ले आया अपने कमरे पर

दोनों शांत हो गए. कृष्णा ने प्रियंका को बुलेट पर बिठाया और अपने कमरे की ओर चल दिया. रास्ते में दोनों ही सामान्य रहे. अपने कमरे पर पहुंच कर कृष्णा ने कहा, ‘‘प्रियंका, अब दिमाग शांत करो. मैं तुम्हारे लिए बढि़या चाय बनाता हूं.’’

यह सुन कर प्रियंका मुसकराई, ‘‘यार, मुझे भूख लग रही है और तुम बस चाय बना रहे हो.’’

इस के बाद कृष्णा पास के एक होटल से नाश्ता ले आया. दोनों प्रेम भाव से बातचीत करतेकरते कब फिर से तनाव में आ गए, पता ही नहीं चला. कृष्णा ने कहा, ‘‘तुम मुझ से शादी करोगी कि नहीं, आज मुझे साफसाफ बता दो.’’

प्रियंका ने स्पष्ट शब्दों में कहा, ‘‘नहीं, मैं शादी घर वालों की मरजी से ही करूंगी.’’

हत्या कर कृष्णा हो गया फरार

दोनों में बहस होने लगी. उसी दौरान बात बढ़ने पर कृष्णा ने चाकू निकाला और प्रियंका पर कई वार कर उसे गंभीर रूप से घायल कर दिया. खून से लथपथ प्रियंका को मरणासन्न छोड़ कर वह वहां से भाग खड़ा हुआ. घायल प्रियंका कराहती रही और वहीं बेहोश हो गई.

हौस्टल के राकेश वर्मा नाम के एक लड़के ने प्रियंका के कराहने की आवाज सुनी तो वह कमरे में आ गया. उस ने गंभीर रूप से घायल प्रियंका को बिस्तर पर पड़े देखा तो तुरंत स्थानीय सरकंडा थाने में फोन कर के यह जानकारी थानाप्रभारी जयप्रकाश गुप्ता को दे दी.

जानकारी मिलते ही थानाप्रभारी जयप्रकाश गुप्ता कुछ पुलिसकर्मियों को साथ ले कर राजस्व कालोनी के हौस्टल पहुंच गए. उन्होंने कमरे के बिस्तर पर खून से लथपथ एक युवती देखी, जिस की मौत हो चुकी थी.

थानाप्रभारी ने यह जानकारी अपने उच्चाधिकारियों को भी दे दी. एडीशनल एसपी ओ.पी. शर्मा एवं एसपी (सिटी) विश्वदीपक त्रिपाठी भी मौके पर पहुंच गए. दोनों पुलिस अधिकारियों ने मौकामुआयना करने के बाद उस की लाश पोस्टमार्टम के लिए भेजने के आदेश दिए.

अधिकारियों के जाने के बाद थानाप्रभारी ने प्रियंका की लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी. हौस्टल के लड़कों से पता चला कि जिस कमरे में प्रियंका की हत्या हुई थी, वह कृष्णा का है. प्रियंका के फोन से पुलिस को उस की मौसी व पिता के फोन नंबर मिल गए थे, लिहाजा पुलिस ने फोन कर के उन्हें अस्पताल में बुला लिया.

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प्रियंका के मौसामौसी और मातापिता ने अस्पताल पहुंच कर लाश की शिनाख्त प्रियंका के रूप में कर दी. उन्होंने हत्या का आरोप बिलासपुर निवासी कृष्णा उर्फ डब्बू पर लगाया. पुलिस ने कृष्णा के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट दर्ज कर उस की खोजबीन शुरू कर दी. उस का मोबाइल फोन स्विच्ड औफ था. पुलिस को पता चला कि वह रायपुर से नागपुर भाग गया है.

पकड़ा गया कृष्णा

थानाप्रभारी जयप्रकाश गुप्ता व महिला एसआई गायत्री सिंह की टीम आरोपी को संभावित स्थानों पर तलाशने लगी. पुलिस ने कृष्णा के फोटो नजदीकी जिलों के सभी थानों में भी भेज दिए थे.

सरकंडा से करीब 25 किलोमीटर दूर स्थित मुंगेली जिले के थाना सरगांव के एक सिपाही को 23 अगस्त, 2019 को कृष्णा तिवारी सरगांव चौक पर दिख गया. उस सिपाही का गांव आरोपी कृष्णा तिवारी के गांव के नजदीक ही था. इसलिए सिपाही को यह जानकारी थी कि कृष्णा मर्डर का आरोपी है और पुलिस से छिपा घूम रहा है.

लिहाजा वह सिपाही कृष्णा तिवारी को हिरासत में ले कर थाना सरगांव ले आया. सरगांव पुलिस ने कृष्णा तिवारी को गिरफ्तार करने की जानकारी सरकंडा के थानाप्रभारी जयप्रकाश गुप्ता को दे दी.

उसी शाम सरकंडा थानाप्रभारी कृष्णा तिवारी को सरगांव से सरकंडा ले आए. उस से पूछताछ की गई तो उस ने प्रियंका की हत्या करने का अपराध स्वीकार कर लिया. उस की निशानदेही पर पुलिस ने घटनास्थल से एक चाकू भी बरामद किया, जो 3 टुकड़ों में था.

कृष्णा ने बताया कि हत्या करने के बाद वह बुलेट से सीधा रेलवे स्टेशन की तरफ गया. उस समय उस के कपड़ों पर खून के धब्बे लगे थे. उस के पास पैसे भी नहीं थे. स्टेशन के पास अनुराग मानिकपुरी नाम के दोस्त से उस ने 500 रुपए उधार लिए और रायपुर की तरफ निकल गया.

कृष्णा तिवारी उर्फ दब्बू से पूछताछ कर पुलिस ने उसे 24 अगस्त, 2019 को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी, बिलासपुर के समक्ष पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

-कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Crime Story: एकतरफा चाहत में प्यार की दीवानगी

रोहिणी के सैक्टर-5 में रहने वाले पीयूष मलिक रोजाना की तरह 4 फरवरी, 2017 को भी शाम का खाना खा कर सड़क पर टहल रहे थे. उस दिन उन के साथ उन का एक दोस्त भी था. दोनों लोग बातें करते हुए मेनरोड पर टहल रहे थे. उसी समय किसी ने उन पर गोली चलाई, जो उन के पैरों के पास से निकल कर सड़क पर जा लगी.

पीयूष और उन के दोस्त ने तुरंत पीछे पलट कर देखा तो एक युवक काले रंग की मोटरसाइकिल से तेजी से उन के बगल से निकल गया. वह इतनी तेजी से निकला कि वह उसे पहचान नहीं सके. इस के बाद वह तुरंत घर आए और यह बात अपने घर वालों को बताई.

पीयूष के पिता गुलशन मलिक परेशान हो गए कि रात को उन के बेटे पर हमला किस ने किया? उन की तो किसी से कोई दुश्मनी भी नहीं थी. पीयूष प्रौपर्टी डीलिंग का काम करते थे. उन्होंने सोचा कि कहीं उस की किसी से कोई कहासुनी तो नहीं हो गई.

इस बारे में उन्होंने पीयूष से पूछा तो उन्होंने ऐसी किसी बात से मना कर दिया. गुलशन मलिक मूलरूप से हरियाणा के रहने वाले थे. वहां उन की अच्छीखासी जमीनजायदाद है. नारनौल में एक पैट्रोल पंप भी है. कहीं हरियाणा के ही किसी व्यक्ति ने तो यह हमला नहीं किया. इस बारे में वह गंभीरता से सोचने लगे.

पीयूष की पत्नी इरा मलिक और मां तो बहुत ज्यादा घबरा गईं. इरा की 2 महीने पहले ही पीयूष से शादी हुई थी. गुलशन मलिक बेटे को ले कर थाना विजय विहार पहुंचे, थानाप्रभारी अभिनेंद्र जैन को पीयूष ने अपने साथ घटी घटना के बारे में बताया. अभिनेंद्र जैन ने भी उन से यही पूछा कि उन की किसी से दुश्मनी तो नहीं है.

मलिक परिवार शरीफ और शांतिप्रिय था, इसलिए उन की किसी से कोई दुश्मनी का सवाल ही नहीं था. पुलिस ने एक बार यह भी सोचा कि कहीं हमलावर का निशाना पीयूष का वह दोस्त तो नहीं था, जो साथ में टहल रहा था. हमलावर से हड़बड़ाहट में गोली पीयूष की तरफ चल गई हो. इसलिए पुलिस ने पीयूष के दोस्त से भी पूछताछ की. उस ने भी किसी से दुश्मनी होने की बात से इनकार कर दिया.

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पुलिस से शिकायत कर के गुलशन मलिक घर लौट आए. घर आ कर सभी हमलावर के बारे में कयास लगाने लगे. उधर पुलिस ने मामला दर्ज तो नहीं किया था, पर थानाप्रभारी के निर्देश पर एसआई पवन कुमार मलिक मामले की जांच में जुट गए थे. इस घटना के बाद पीयूष सतर्क हो गए थे. अब रात को उन्होंने मेनरोड पर घूमना बंद कर दिया था. कुछ दिनों की सतर्कता के बाद वह सामान्य तरीके से रहने लगे.

पीयूष की पत्नी इरा मलिक नोएडा की एक निजी कंपनी में नौकरी करती थीं. वह मैट्रो से नोएडा आतीजाती थीं. सुबह पीयूष अपनी कार या स्कूटी से उन्हें रोहिणी वेस्ट मैट्रो स्टेशन पर छोड़ आते थे और जब वह ड्यूटी पूरी कर के लौटती थीं तो पति को फोन कर देती थीं. तब पीयूष उन्हें लेने मैट्रो स्टेशन पहुंच जाते थे.

20 अप्रैल, 2017 को भी पत्नी के फोन करने पर पीयूष रात 8 बजे के करीब उन्हें लेने स्कूटी से रोहिणी वेस्ट मैट्रो स्टेशन पर गए. उन के घर से मैट्रो स्टेशन यही कोई एक, डेढ़ किलोमीटर दूर था, इसलिए वहां आनेजाने में ज्यादा वक्त नहीं लगता था. पीयूष को इरा मैट्रो स्टेशन के गेट के बाहर तय जगह पर खड़ी मिल गईं.

सैक्टर-5, 6 के डिवाइडर के पास स्थित जूस की दुकान के पास उन्होंने स्कूटी रोक दी. वह वहां रोजाना जूस पीते थे. जूस पी कर दोनों स्कूटी से घर के लिए चल पड़े. स्कूटी इरा चला रही थी और पीयूष पीछे बैठे थे. जैसे ही पीयूष अपने घर के पास वाली गली के चौराहे के नजदीक पहुंचे, पीयूष को अपने दाहिने कंधे पर पीछे की ओर कोई चीज चुभती महसूस हुई. इस के तुरंत बाद बम फटने जैसी आवाज हुई. इस के बाद उन के पास से एक मोटरसाइकिल सवार तेजी से गुजरा. उस की मोटरसाइकिल काले रंग की थी.

पीयूष को जिस जगह चुभन महसूस हुई थी, वहां अब दर्द होने लगा था. उन्होंने उस जगह हाथ रखा तो वहां से खून बह रहा था. खून देख कर वह घबरा गए. इरा ने उन का कंधा देखा तो रो पड़ीं, क्योंकि वहां गोली लगी थी. इरा के रोने की आवाज सुन कर उधर से गुजरने वाले लोग रुक गए. उन में से कुछ पीयूष को जानते थे. उसी बीच किसी ने पीयूष के घर जा कर इस बात की सूचना दे दी. पिता गुलशन मलिक जल्दी से मौके पर पहुंचे और बेटे को नजदीक के डा. अंबेडकर अस्पताल ले गए.

मौके पर मौजूद किसी व्यक्ति ने पुलिस कंट्रोल रूम को फोन कर के पीयूष को गोली मारने की सूचना दे दी थी. सूचना मिलते ही पुलिस कंट्रोल रूम की गाड़ी मौके पर पहुंच गई. चूंकि वह इलाका रोहिणी के थाना विजय विहार के अंतर्गत आता था, इसलिए थानाप्रभारी अभिनेंद्र जैन एसआई पवन कुमार मलिक के साथ मौके पर पहुंच गए.

वहां पहुंचने पर पता चला कि जिस युवक को गोली लगी थी, उसे डा. अंबेडकर अस्पताल ले जाया गया था. वह डा. अंबेडकर अस्पताल पहुंचे तो वहां के डाक्टरों ने बताया कि पीयूष मलिक नाम के जिस युवक के कंधे में गोली लगी थी, उस के घर वाले उसे सरोज अस्पताल ले गए हैं.

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थानाप्रभारी ने जब अस्पताल में भरती पीयूष को देखा तो वह चौंके, क्योंकि यह वही पीयूष था, जिस पर किसी ने 4 फरवरी, 2017 को गोली चलाई थी. इलाज कर रहे डाक्टरों से बात कर के एसआई पवन कुमार मलिक ने पीयूष का बयान लिया. पीयूष ने पुलिस को जो बताया, उस से यही लगा कि कोई व्यक्ति है, जो उन्हें जान से मारने पर तुला है.

पुलिस ने पीयूष की तहरीर पर अज्ञात हमलावर के खिलाफ हत्या के प्रयास का मामला दर्ज कर लिया. रोहिणी जिले के डीसीपी के निर्देश पर थानाप्रभारी अभिनेंद्र जैन के नेतृत्व में एक पुलिस टीम इस केस के खुलासे के लिए लग गई. टीम में एसआई पवन कुमार मलिक, विजय कुमार, ट्रेनी एसआई अनुज कुमार, हैडकांस्टेबल जितेंद्र, कांस्टेबल सूबाराम आदि शामिल थे.

पुलिस ने सरोज अस्पताल पहुंच कर पीयूष से बात की. पीयूष प्रौपर्टी डीलिंग का काम करते थे. कहीं ऐसा तो नहीं था कि पीयूष ने किसी विवादित प्रौपर्टी का सौदा किया हो? बातचीत में उन्होंने पुलिस को बताया कि वह विवादित प्रौपर्टी पर हाथ ही नहीं डालते. उन का किसी से कभी कोई झगड़ा भी नहीं हुआ.

पुलिस के लिए यह मामला एकदम ब्लाइंड था. कोई भी ऐसा क्लू नहीं मिल रहा था, जिस से केस की जांच शुरू की जा सके. पुलिस ने इस मामले पर गौर किया तो पता चला कि पीयूष पर की गई दोनों ही वारदातों में काले रंग की मोटरसाइकिल पर सवार युवक उन के सामने से निकला था. पर उस मोटरसाइकिल का नंबर पुलिस के पास नहीं था, जिस से उस की जांच की जा सकती.

अस्पताल से डिस्चार्ज हो कर पीयूष घर आ गए तो पुलिस ने उन्हें थोड़ा सतर्क रहने को कहा. वारदात के एक महीने बाद 4 मई की शाम को इरा की ससुराल के पास एक शख्स काले रंग की मोटरसाइकिल से आया और एक पत्र फेंक कर चला गया.

इरा ने जब वह पत्र पढ़ा तो पता चला वह किसी युवती की ओर से लिखा गया था. उस ने लिखा था कि पीयूष उस का प्रेमी है. उस ने किसी दूसरी लड़की से शादी कर के उस के साथ धोखा किया है. गुलशन मलिक ने उस पत्र की जानकारी पुलिस को दी. उस पत्र से यही लगा कि यह मामला प्रेमप्रसंग का है, पर जब इस बारे में पीयूष से बात की गई तो उन्होंने ऐसी किसी बात से इनकार कर दिया.

6 मई की शाम को काले रंग की मोटरसाइकिल से एक युवक पीयूष के घर के सामने वाली सड़क पर घूम रहा था. इत्तफाक से उस समय पीयूष के पिता गुलशन मलिक घर के सामने खड़े थे. चूंकि काले रंग की मोटरसाइकिल शक के दायरे में आ चुकी थी, इसलिए उन्होंने उस मोटरसाइकिल को रुकवा लिया.

उन्होंने उस का नंबर नोट कर के उस युवक से नातपता पूछा तो उस ने बताया कि उस का नाम विक्की है और वह बुद्धविहार में रहता है. उन्होंने उस का फोन नंबर पूछा तो उस ने अपना फोन नंबर भी बता दिया. उसी समय उन्होंने अपने फोन से उस का नंबर मिलाया तो उस के फोन की घंटी बज उठी. उन्हें लगा कि यह युवक गलत नहीं है. अगर यह गलत होता तो अपना फोन नंबर सही न बताता.

पीयूष के साथ घटी घटना को एक महीने से ज्यादा हो चुका था, पर काफी भागदौड़ के बावजूद पुलिस को हमलावर के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली थी. गुलशन मलिक बारबार थाने के चक्कर लगा रहे थे. एक दिन वह एसआई पवन कुमार मलिक से बात कर रहे थे, तभी उन्हें बुद्धविहार के रहने वाले विक्की के बारे में याद आ गई.

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काले रंग की मोटरसाइकिल के बारे में सुन कर एसआई पवन कुमार मलिक चौंके. क्योंकि घटना के समय काले रंग की ही मोटरसाइकिल नजर आई थी. विक्की नाम के उस युवक का फोन नंबर पवन कुमार मलिक ने अपने फोन के ट्रूकालर में डाल कर चैक किया तो उस में नाम विवेक अग्रवाल आया. उन्होंने उस का नंबर मिलाया तो वह बंद मिला. नंबर बंद मिलने पर उन्हें शक हुआ. विक्की को बुद्धविहार में बिना पते के ढूंढना आसान नहीं था.

इस के बाद पवन कुमार मलिक मोटरसाइकिल के नंबर डीएल4एस एनडी 1560 के आधार पर जांच में जुट गए. उन्होंने मोटरसाइकिल के उक्त नंबर की जांच कराई तो वह पश्चिमी दिल्ली के कीर्तिनगर के रहने वाले बबलू के नाम रजिस्टर्ड थी. पुलिस उस पते पर पहुंची तो वहां कोई और ही मिला. आसपास के लोगों ने बताया कि बबलू और उस का परिवार पहले यहीं रहता था. 2 साल पहले वह यहां से कहीं और चला गया है. पुलिस कीर्तिनगर से बैरंग लौट आई.

इस के बाद पुलिस की जांच एक बार फिर ठहर गई. ट्रूकालर में जो विवेक अग्रवाल का नाम आया था, उस के बारे में पीयूष से बात की गई तो उस ने साफ मना कर दिया कि वह किसी विवेक अग्रवाल को नहीं जानता.

एक दिन गुलशन मलिक के घर में विवेक अग्रवाल के बारे में बात चल रही थी, तभी पीयूष की पत्नी इरा कुछ सोचते हुए बोली, ‘‘कहीं यह विवेक अग्रवाल वही तो नहीं, जो मुझे फोन पर तंग करता था?’’

इरा के मुंह से यह सुन कर घर के सभी लोग उस की तरफ देखने लगे. पीयूष ने कहा, ‘‘तुम ने इस बारे में कभी बताया नहीं.’’

‘‘आप को बताने की जरूरत ही नहीं पड़ी, मैं ने फोन पर ही उसे ठीक कर दिया था. अब फोन में देखती हूं कि यह वही है या कोई और.’’ कह कर इरा अपने फोन के वाट्सऐप मैसेज देखने लगी. वाट्सऐप मैसेज भेजने वाले उस नंबर को इरा ने ब्लौक कर दिया था. जब उस ने उस नंबर को अनब्लौक कर पूर्व में भेजे गए मैसेज देखे तो एक मैसेज में उस युवक का नाम मिल गया. उस का नाम विवेक अग्रवाल ही था.

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पीयूष पत्नी के साथ पवन कुमार मलिक के पास पहुंचे. इरा ने पूरी बात पवन कुमार मलिक को बता दी. इस के बाद उस के नंबर पर भेजे गए वाट्सऐप मैसेज पढ़ कर पवन कुमार मलिक को पीयूष पर वारदात करने की वजह समझ में आने लगी.

उन्होंने विवेक अग्रवाल के फोन नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई. वह अकसर जिन नंबरों पर बात करता था, वे उस के परिजनों और दोस्तों के निकले. पहले दोस्तों को पूछताछ के लिए थाने बुलाया गया. दोस्तों से पुलिस को विवेक के घर का पता मिल गया. पुलिस जब उस के घर पहुंची तो वह घर पर नहीं मिला.

पुलिस विवेक के पिता जगदीश प्रसाद को थाने ले आई. विवेक घर से फरार जरूर था, पर उसे यह जानकारी मिल गई कि पुलिस उस के पिता को थाने ले गई है. यह खबर मिलते ही वह घर लौट आया और आत्महत्या करने के लिए ज्यादा मात्रा में नींद की गोलियां खा लीं. कुछ ही देर में जब विवेक की हालत बिगड़ने लगी तो उसे डा. अंबेडकर अस्पताल ले जाया गया. यह 8 मई, 2017 की बात है.

पुलिस को यह जानकारी मिली तो पवन कुमार मलिक हैडकांस्टेबल जितेंद्र के साथ डा. अंबेडकर अस्पताल पहुंचे. वहां डाक्टर विवेक का इलाज कर रहे थे. इलाज होने तक पुलिस विवेक की निगरानी करती रही. 11 मई को विवेक जैसे ही अस्पताल से डिस्चार्ज हुआ, थाना विजय विहार पुलिस उसे पूछताछ के लिए थाने ले आई.

थाने में विवेक से पीयूष पर की गई फायरिंग के बारे में सख्ती से पूछताछ की गई तो उस ने स्वीकार कर लिया कि उसी ने उस पर 2 बार जानलेवा हमला किया था. उस ने उस पर हमले की जो वजह बताई, वह एकतरफा प्यार की चाशनी में सराबोर थी—

वेक अग्रवाल पश्चिमी दिल्ली के मानसरोवर गार्डन में रहने वाले जगदीश प्रसाद का बेटा था. विवेक नजदीक ही रमेशनगर में ओम साईं प्रौपर्टी के नाम से अपना धंधा करता था. उस का काम ठीकठाक चल रहा था, इसलिए वह खूब बनठन कर रहता था. उस के प्रौपर्टी डीलिंग के औफिस से कुछ ही दूरी पर कीर्तिनगर में डब्ल्यूएचएस (वेयरहाउस स्कीम) का औफिस था. यह कंपनी विभिन्न हाउसिंग डेवलपमेंट द्वारा बनवाए गए फ्लैटों की मार्केटिंग करती थी.

चूंकि विवेक का काम प्रौपर्टी डीलिंग का था, इसलिए वह भी इस औफिस में आताजाता रहता था. उसी औफिस में एक लड़की को देख कर उस का दिल बेकाबू हो उठा. बेहद खूबसूरत उस लड़की को देख कर अविवाहित विवेक पर ऐसा असर हुआ कि वह किसी न किसी बहाने उस के औफिस के चक्कर लगाने लगा.

उस के लिए उस के दिल में चाहत पैदा हो गई. अपने स्तर से उस ने उस लड़की के बारे में जानकारी हासिल की तो पता चला कि उस का नाम इरा है और वह रोहिणी सेक्टर-1 में रहती है. इतना ही नहीं, उस ने किसी तरह उस का मोबाइल नंबर भी हासिल कर लिया.

इस के बाद विवेक ने इरा का पीछा करना शुरू किया. इरा को इस बात का अहसास भी नहीं हुआ कि कोई उसे चाहने लगा है. उसे देख लेने भर से विवेक को मानसिक संतुष्टि मिल जाती थी. यह बात सन 2014 की है.

कुछ दिनों बाद इरा का औफिस कीर्तिनगर से नोएडा शिफ्ट हो गया तो उसे भी नौकरी के लिए रोहिणी से नोएडा जाना पड़ा. विवेक को पता चला कि इरा मैट्रो द्वारा रोहिणी वेस्ट स्टेशन से नोएडा जाती है. तब वह सुबह उस के घर से रोहिणी मैट्रो तक उस का पीछा करता. उसी दौरान उस ने इरा को वाट्सऐप पर मैसेज भेजने शुरू कर दिए. इरा ने उस के मैसेज का कोई जवाब नहीं दिया, बल्कि उस का नंबर ब्लौक कर दिया.

विवेक तो इरा का जैसे दीवाना हो चुका था. उस ने किसी तरह उस के औफिस का फोन नंबर हासिल कर लिया. वह उस के औफिस फोन करने लगा. इरा ने उसे लताड़ा ही नहीं, बल्कि पुलिस में शिकायत करने की धमकी दी तो उस ने उस के औफिस के लैंडलाइन पर फोन करना बंद कर दिया.

विवेक को लगा कि उस की दाल गलने वाली नहीं है तो उस ने किसी तरह खुद को कंट्रोल किया और इरा की तरफ से अपना ध्यान हटाने की कोशिश की. उस के दिल में इरा बसी हुई थी, पर उस की धमकी की वजह से वह उसे फोन करने की हिम्मत नहीं कर पा रहा था.

सन 2015 की बात है. एक दिन विवेक मोतीनगर मैट्रो स्टेशन के बाहर खड़ा था, तभी उस की नजर कार से उतर रही इरा पर पड़ी. कार कोई अधेड़ उम्र का व्यक्ति चला रहा था. शायद वह उस का पिता था. चूंकि इरा उसे पहचानती नहीं थी, इसलिए वह इरा को तब तक देखता रहा, जब तक वह मैट्रो स्टेशन में नहीं चली गई.

इरा को देख कर विवेक का सोया प्यार फिर जाग उठा. उस ने अब तय कर लिया कि चाहे कुछ भी हो, वह उस के नजदीक पहुंचने की कोशिश करेगा. अब वह फिर से रोजाना उस का पीछा करने लगा. इतना ही नहीं, उस ने एक नया नंबर खरीदा और उसी नंबर से अपने प्यार का हवाला देते हुए उसे वाट्सऐप मैसेज भेजने लगा.

इरा ने उस के नंबर को ब्लौक कर दिया तो विवेक ने उसे फोन कर के अपने दिल के हालात से रूबरू कराने की कोशिश की. पर इरा ने उसे डपट दिया, साथ ही चेतावनी भी दी. पर विवेक तो जुनूनी प्रेमी बनता जा रहा था. एकतरफा प्यार में वह अपने बिजनैस तक पर ध्यान नहीं दे रहा था. इतना ही नहीं, वह नशा भी करने लगा था.

चूंकि इरा रोहिणी में रहती थी, इसलिए विवेक भी अपने परिवार के साथ रोहिणी के बुद्धविहार में आ कर रहने लगा. उस ने इरा का घर देख ही लिया था. उस के औफिस जाने के टाइम पर वह उस के घर के बाहर मेनरोड पर खड़ा हो जाता और रोहिणी वेस्ट मैट्रो स्टेशन तक उस का पीछा करता. यही काम वह उस के औफिस से घर लौटते वक्त करता. वह उसे परेशान नहीं करता था. केवल चुपचाप पीछा करता था.

नवंबर, 2016 के अंतिम सप्ताह में इरा ने अचानक औफिस जाना बंद कर दिया. विवेक परेशान हो गया. वह समझ नहीं पा रहा था कि इरा कहां चली गई? जब 2-3 दिन वह नहीं दिखी तो उसे लगा कि शायद उस की तबीयत खराब हो गई है. पर वह लंबे समय तक नहीं दिखी तो उसे यही लगा कि इरा ने शायद नौकरी छोड़ दी है.

विवेक की बेचैनी बढ़ती जा रही थी. लिहाजा उस ने इरा के औफिस में संपर्क किया तो पता चला कि 10 दिसंबर, 2016 को उस की शादी है.

इस खबर ने विवेक के दिल पर हथौड़े की तरह वार किया. उसे लगा कि उस की प्रेमिका उस के हाथ से निकलने वाली है. उस ने यहां तक पता लगा लिया कि इरा की शादी सेक्टर-15 रोहिणी के रहने वाले पीयूष मलिक के साथ तय हुई है. उस की शादी को वह रोक सके, ऐसी विवेक की क्षमता नहीं थी. क्योंकि पीयूष का परिवार हर तरह से उस के परिवार से ज्यादा सामर्थ्यवान था, लिहाजा विवेक मन मसोस कर रह गया.

शादी के बाद इरा ने जनवरी, 2017 में फिर से औफिस जाना शुरू कर दिया तो विवेक ने फिर से उस का पीछा करना शुरू कर दिया. विवेक ने महसूस किया कि शादी के बाद इरा के रूपरंग में और ज्यादा निखार आ गया है. एकतरफा प्यार में सुलगते हुए विवेक को कई साल बीत गए थे.

इरा को उस का पति ही रोहिणी वेस्ट मैट्रो स्टेशन अपनी कार या स्कूटी से छोड़ने आता और शाम को लेने जाता. इरा को जब अपने पति के साथ वह देखता तो उस के सीने पर सांप लोटने लगता. उसे इरा का पति दुश्मन दिखने लगता.

विवेक ने कई साल पहले शाहरुख खान और जूही चावला की फिल्म ‘डर’ देखी थी. इस फिल्म में शाहरुख खान जूही चावला को प्यार करता था. उसी दौरान जूही की शादी सनी देओल से हो गई थी. तब शाहरुख को सनी देओल दुश्मन दिखता था. जूही को पाने के लिए उस ने सनी देओल पर कई बार जानलेवा हमला किया था. ठीक यही स्थिति विवेक अग्रवाल की भी थी.

विवेक ने अब तय कर लिया कि अपने प्यार को पाने के लिए वह इरा के पति पीयूष को रास्ते से हटा देगा. विवेक ने अपने एक दोस्त से पहले कभी एक देसी तमंचा और कुछ कारतूस लिए थे. वह अपनी मोटरसाइकिल नंबर डीएल 4एसएन डी 1560 से पीयूष की रेकी करने लगा. पीयूष को गोली मारने का वह ऐसा मौका ढूंढने लगा कि अपना काम कर के आसानी से फरार हो सके.

पीयूष शाम को खाना खा कर अपने परिजन या किसी दोस्त के साथ घर के सामने वाली सड़क पर घूमने के लिए निकल जाते थे. यही समय विवेक को उपयुक्त लगा. 4 फरवरी, 2017 की रात करीब 10 बजे पीयूष अपने एक दोस्त के साथ घूम रहे थे. विवेक तो घात लगाए ही था. मौका देख कर उस ने पीयूष को निशाना बनाते हुए गोली चला दी.

इत्तफाक से गोली पीयूष के बराबर से निकलती हुई सड़क से टकरा गई. गोली चला कर विवेक मोटरसाइकिल से भाग गया. गोली की आवाज सुन कर पीयूष घबरा गए. वह सीधे अपने घर गए और पिता को जानकारी दी. बाद में पीयूष ने पुलिस को भी यह जानकारी दे दी.

अगले दिन विवेक ने पीयूष की कालोनी में जा कर पता लगाया तो उसे पता चला कि पीयूष को गोली लगी ही नहीं थी. इस के बाद विवेक उस एरिया में कुछ दिनों तक नहीं गया. पर उस ने इरा का दीदार करने के लिए मैट्रो स्टेशन जाना बंद नहीं किया.

पीयूष को मारने की उस ने ठान ही रखी थी. लिहाजा 2 महीने बाद वह फिर से पीयूष की रेकी करने लगा. पूरी योजना के बाद विवेक 20 अप्रैल, 2017 को रोहिणी सेक्टर-5 में एक डिवाइडर के पास खड़ा हो गया. इरा को रोहिणी वेस्ट मैट्रो स्टेशन से ले कर लौटते समय पीयूष ने जूस की दुकान पर जूस पिया. जूस पीने के बाद वह जैसे ही स्कूटी से इरा के साथ घर की ओर चले, विवेक ने पीछे से पीयूष को निशाना बनाते हुए गोली चला दी.

गोली पीयूष के कंधे पर लगी. गोली चला कर विवेक अपनी मोटरसाइकिल से फरार हो गया. इस बार विवेक को उम्मीद थी कि पीयूष मर गया होगा. पर उस की सोच गलत साबित हुई. बाद में जब विवेक को पता चला कि पीयूष इस बार भी बच गया है तो उसे बड़ा दुख हुआ. पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराने वाली बात उसे पता चल गई थी. उस ने ऐसा कोई सबूत नहीं छोड़ा था, जिस से पुलिस उस तक पहुंच पाती.

पुलिस को गुमराह करने के लिए उस ने लड़की की ओर से एक चिट्ठी लिख कर इरा की ससुराल में डाल दी थी, जिस से पुलिस की जांच की दिशा बदल जाए. पर जब पीयूष ने कह दिया कि उस का किसी लड़की के साथ कोई चक्कर नहीं था तो पुलिस ने उस ओर ध्यान नहीं दिया.

काले रंग की मोटरसाइकिल ही शक के घेरे में थी और फिर एक दिन पीयूष के पिता ने उसे अपने घर के सामने काले रंग की मोटरसाइकिल पर घूमते देखा तो रोक लिया. उस समय विवेक ने जल्दबाजी में अपना फोन नंबर सही बता दिया था. उसी फोन नंबर की वजह से वह पुलिस के हत्थे चढ़ गया.

पूछताछ के बाद पुलिस ने विवेक अग्रवाल को भादंवि की धारा 307, 27/54/59 आर्म्स एक्ट के तहत गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. इस मामले की तफ्तीश एसआई पवन कुमार मलिक कर रहे थे.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Manohar Kahaniya: 10 साल में सुलझी सुहागरात की गुत्थी- भाग 2

सौजन्य- मनोहर कहानियां

अभी तक की पूछताछ में हर अधिकारी के सामने इस मामले के 3 मुख्य संदिग्ध कमल सिंगला, शकुंतला, उस का भाई राजू एक ही कहानी सुना रहे थे. अगर वे झूठ बोल रहे थे तो सच्चाई बाहर लाने का अब एक ही रास्ता बचा था कि उन का लाई डिटेक्टर टेस्ट करा लिया जाए.

वैसे भी रजनीकांत को लगा कि इस मामले में शकुंतला और कमल की मिलीभगत की आशंका ज्यादा हो सकती है. इसलिए तीनों संदिग्धों से लंबी पूछताछ के बाद रजनीकांत ने अदालत से आदेश ले कर 2 मार्च, 2012 को शकुंतला, उस के भाई राजू और कमल का पौलीग्राफ टेस्ट कराया.

लेकिन पौलीग्राफ परीक्षण की रिपोर्ट आने के बाद जांच अधिकारी रजनीकांत की उम्मीदों पर पानी फिर गया, क्योंकि तीनों ही संदिग्ध परीक्षण में खरे उतरे थे.

लेकिन न जाने क्यों रजनीकांत इन नतीजों से संतुष्ट नहीं थे. पर उन्होंने उम्मीद नहीं छोड़ी और दूसरे पहलुओं को टटोलते हुए जांच को आगे बढ़ाते रहे.

रवि के परिवार की तरफ से शकुंतला और उस के परिवार पर आरोप लगाए जाने के बाद उन्होंने जयभगवान के घर आना भी बंद कर दिया.

संयोग से जांच अधिकारी रजनीकांत का भी तबादला हो गया तो उस के बाद एसआई सूरजभान आए. कुछ महीनों के बाद उन का भी तबादला हो गया तो एसआई धीरज के हाथ में जांच आई,

कुछ महीनों तक जांच उन के हाथ में रही फिर उन के तबादले के बाद एसआई पलविंदर को जांच का काम सौंपा गया. फिर 2017 के शुरू होते ही उन का भी तबादला हो गया. इस के बाद जांच की जिम्मेदारी मिली एसआई जोगेंद्र सिंह को.

इस दौरान मार्च, 2017 में इस केस की स्टेटस रिपोर्ट देख कर हाईकोर्ट ने पुलिस को निर्देश दिया कि तीनों संदिग्धों की ब्रेनमैपिंग (नारको टेस्ट) कराया जाए.

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टीम ने अलवर में डाला डेरा

एसआई जोगेंद्र ऐसे ही किसी मौके का इंतजार कर रहे थे. उन्होंने तीनों के इस टेस्ट  की प्रक्रिया शुरू कर दी. अदालत में तीनों आरोपियों को पेश कर जोगेंद्र सिंह ने ब्रेनमैपिंग के लिए उन की हामी भी हासिल कर ली.

जिस के बाद तीनों का 2 नवंबर, 2017 से 6 नवंबर, 2017 के बीच गुजरात के गांधी नगर में ब्रेनमैपिंग टेस्ट कराया. वहां जा कर कमल और राजू ने तो टेस्ट करा लिया, मगर शकुंतला ने तबीयत बिगड़ने की बात कह कर ब्रेन मैपिंग कराने से इनकार कर दिया.

लेकिन बे्रनमैंपिग के जो परिणाम पुलिस के सामने आए, उस ने जोगेंद्र सिंह को सोचने पर मजबूर कर दिया. हालांकि राजू ब्रेनमैपिंग टेस्ट में सत्य पाया गया. लेकिन ऐसे कई सवाल थे, जिन के कारण कमल सिंगला पर अब इस मामले में शामिल होने का शक शुरू हो गया था.

एसआई जोगेंद्र सिंह समझ गए कि इस जांच को आगे ले जाने के लिए उन्हें अलवर में डेरा डालना पड़ेगा.

वे आगे की काररवाई कर ही रहे थे कि मार्च 2018 में अचानक उन का भी तबादला हो गया. जोगेंद्र सिंह की जांच से कम से कम अनुसंधान का काम एक कदम आगे तो बढ़ गया था और जांच के लिए एक टारगेट भी तय हो गया था.

इसी बीच जांच के नए अधिकारी के रूप में एसआई करमवीर मलिक को रवि के अपहरण केस की फाइल सौंपी गई. उन्होंने जांच का काम हाथ में लेते ही पहले पूरी फाइल का अध्ययन किया.

केस की बारीकियों को गौर से समझने के बाद उन्होंने अपने 2 सब से खास एएसआई जयवीर और नरेश के साथ कांस्टेबल हरेंद्र की टीम बनाई. इस के बाद टीम को उन तीनों संदिग्धों को लाने के लिए अलवर रवाना किया, जिन का नाम बारबार इस केस में सामने आ रहा था.

जयवीर और नरेश जब अलवर के टपूकड़ा गए तो वहां संयोग से उन्हें राजू मिल गया. राजू ने पूछताछ में जो कुछ बताया, उस के बाद एक अलग ही कहानी सामने आई.

पता चला कि ब्रेन मैपिंग टेस्ट होने के बाद जब शकुंतला और कमल गुजरात से वापस लौटे तो कुछ रोज बाद ही अचानक शकुंतला घर से भाग गई.

पिछले कुछ समय से कमल जिस तरह शकुंतला के करीब आ रहा था और शकुंतला भी ज्यादा वक्त उस के ही साथ बिताने लगी थी, उसे देख कर घर वालों को लगा कि शकुंतला के भागने में कमल का हाथ है.  इसीलिए उन्होंने कमल से शकुंतला के बारे में पूछा. लेकिन वह साफ मुकर गया कि उसे शकुंतला के बारे में कोई जानकारी नहीं है.

लिहाजा परिवार वालों ने कमल सिंगला के खिलाफ शकुंतला के अपहरण की रिपोर्ट दर्ज करवा दी. लेकिन कमल पुलिस के हाथ आने से पहले ही फरार हो गया.

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अलवर पुलिस कमल को तलाश कर ही रही थी कि इसी बीच कमल के एक ड्राइवर बबली ने राजस्थान हाईकोर्ट में एक शपथ पत्र दिया कि उस ने शकुंतला से शादी कर ली है और पुलिस बिना वजह उस के मालिक को परेशान कर रही है.

जांच में आया नया मोड़

बबली ने साथ में आर्यसमाज मंदिर में हुई शकुंतला से अपनी शादी का प्रमाण पत्र भी दिया था. उसी के साथ में शकुंतला की तरफ से भी एक शपथ पत्र संलग्न था, जिस में उस ने बबली से शादी करने की पुष्टि की थी.

हाईकोर्ट ने अलवर पुलिस को कमल के खिलाफ दर्ज अपहरण के मामले को खत्म करने का आदेश दे दिया. जिस के बाद उस के खिलाफ एफआईआर रद्द हो गई.

शकुंतला के भाई राजू ने जो कुछ बताया था, उसे जानने के बाद एएसआई जयवीर की मामले में दिलचस्पी कुछ ज्यादा ही बढ़ गई.

कमल से मिलने की उन की बेताबी बढ़ गई. लेकिन इस से पहले बबली से मिलना जरूरी था. क्योंकि उस ने शकुंतला से शादी की थी, जिस कारण अब संदेह के  दायरे में सब से पहले वही आ रहा था.

पुलिस टीम ने टपूकड़ा थाने जा कर जब कमल के खिलाफ दर्ज हुई एफआईआर के बारे में जानकारी हासिल की तो उस केस की फाइल में बबली नाम के उस के ड्राइवर के घर का पता मिल गया.

एएसआई जयवीर ने बबली के घर का पता हासिल किया और उस के गांव बाघोर पहुंच गए.

बबली के घर उस के मातापिता के अलावा पत्नी और 3 बच्चे भी मिले. बबली की पत्नी से मिलने के बाद तो एएसआई जयवीर का सिर ही चकरा गया. क्योंकि उस की पत्नी शकुंतला नहीं बल्कि कोई अन्य महिला थी और वह भी 3 बच्चों की मां.

कहानी में अब दिलचस्प मोड़ आ गया था. पुलिस टीम ने जब परिजनों से बबली के बारे में पूछा तो पता चला कि लूटपाट के एक मामले में बबली कोटा जेल में बंद है. अब तो बबली से मिलना क्राइम ब्रांच के लिए बेहद जरूरी हो गया था.

जयवीर और नरेश ने परिजनों से बबली के बारे में तमाम जानकारी ले कर कोटा की अदालत में उस से जेल में मुलाकात कर के पूछताछ करने की अनुमति मांगी.

पुलिस टीम को पूछताछ की इजाजत मिल गई और जयवीर सिंह अपनी टीम के साथ कोटा जेल में जब बबली से मिले तो रवि के अपहरण केस की तसवीर पूरी तरह साफ हो गई.

बबली ने बताया कि वह तो पहले से ही शादीशुदा है. उस के 3 बच्चे भी हैं. वह डेढ़ साल से कमल सिंगला के पास ड्राइवर की नौकरी कर रहा है.

कुछ महीने पहले अचानक जब शकुंतला के घर से भागने के बाद उस के घर वालों ने कमल के खिलाफ शकुंतला के अपहरण की रिपोर्ट दर्ज कराई तो कमल ने बबली को कुछ रुपए दे कर दबाव डाला कि वह हाईकोर्ट में एक शपथ पत्र दाखिल कर दे कि उस ने शकुंतला से शादी कर ली है.

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बबली ने खुलासा किया कि वकील कराने से ले कर शकुंतला का शपथ पत्र और शकुंतला से उस की शादी का आर्यसमाज मंदिर का प्रमाण पत्र कमल ने ही उसे उपलब्ध कराया था.

चूंकि वह नौकरी और पैसे के लालच में मजबूर था, इसलिए उस ने कमल के कहने पर ये काम कर दिया था. इसी के कारण कमल के खिलाफ दर्ज शकुंतला के अपहरण का मामला खत्म हो गया था.

पुलिस जिस कमल को मासूम मान रही थी, उस का शातिर चेहरा सामने आ चुका था. पुलिस को यकीन हो गया कि रवि के अपहरण और उस की हत्या में भी कमल का ही हाथ होगा.

अगले भाग में पढ़ें- इश्क में अंधा हुआ कमल

Best of Manohar Kahaniya: प्रेम या अभिशाप

यह कहानी है एक मध्यम वर्गीय परिवार की लड़की सीमा की. सीमा एक साधारण परिवार में पली बढ़ी और आगे अपने जीवन संघर्ष को पुरजोर किया. जब सीमा 11वीं कक्षा में पढ़ रही थी तब उसके पिता की मृत्यु बीमारी के कारण हो जाती है . उसके पिता के अकस्मात् मृत्यु के कारण पारिवारिक और अर्थिक स्तिथि पूरी तरह डावाडोल हो जाती है . घर में कोई कमाने वाला नही. बड़ी मुश्किल से उसके पिता के पेंशन के पैसे से दो वक्त की रोटी का गुजारा हो रहा था . ऐसी स्थिति में सीमा अपने आगे की पढ़ाई जैसे-तैसे पूरी की और पारिवारिक स्तिथि को सुधारने के लिए स्वयं एक स्कूल में शिक्षिका की नौकरी करने लगी. सीमा बाहर काम करने जाती तो उसकी माँ घर संभालती. सीमा को अपने पिता की कमी बहुत खलती थी और अपने पिता को याद करके अकेले में रोती थी . छोटे भाई की पढ़ाई का खर्च भी और घर का खर्च स्वयं सीमा ही उठा रही थी . इन्हीं कारणों से उसकी शादी भी नहीं हो पाई थी . कहीं से अच्छे रिश्ते भी नहीं आ रहे थे उसके लिये. सीमा घर और काम में उलझ गई थी. सोचती की मै अगर शादी कर लूंगी तो घर में माँ और भाई का क्या होगा, कौन उनका ध्यान रखेगा, उनकी जरूरतों को पूरा करेगा. 30 वर्ष पार कर चुकी सीमा अब तो शादी के बारे में सोचना ही छोड़ दी.

सीमा और उसके परिवार का जीवन जैसे-तैसे चल रहा रहा था लेकिन सीमा हार नहीं मानी . उसने अच्छे स्कूल में शिक्षिका पद के लिए आवेदन किया और वहाँ उसको काम मिल गया . तन्ख्वाह भी अच्छी मिलने लगी. परिवार की स्तिथि देखते-देखते सुधरने लगी. नये-नये कपड़े बर्तन खरीदा जाने लगे
घर का मरम्मत करवाई. पूरे परिवार में खुशहाली छा गई.

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तभी इसी बीच उसकी मुलाकत रमेश नामक युवक से हुई. रमेश सीमा के स्कूल में कंप्यूटर पर कार्य करता था और शहर में नया आया था . रमेश सीमा के घर के पास ही किराए में रहने लगा. उसे कुछ सहयता और सहयोग की आवश्यकता होती तो वह सीमा के घर पहुँच जाता . सीमा को मदद के लिए बोलता और सीमा झट से उसकी मदद कर देती. अब दोनो का मेलजोल बढ़ गया. घर आने-जाने का सिलसिला हो गया. रमेश मनही मन सीमा को पसंद करने लगा और सीमा भी रमेश को चाहने लगी. दोनों एक दूसरे से मन की बात नहीं कह पा रहे थे और समय बीत रहा था . फिर सीमा लगभग 1 माह के लिए अपने रिश्तेदार के यहां छुट्टियां मनाने चली गई और रमेश भी अपने घर चला गया . रमेश सीमा को बहुत याद करता . वह रोजाना उसे फोन करता और उसका हाल चाल पूछता . उसे अहसास हो गया की वह उसके बगैर नहीं रह पायेगा . सीमा भी रमेश से अपने मन की बात नहीं कह पाई. अब दोनों की छुट्टियां समाप्त हो गई और दोनो फिर स्कूल जाने लगे. दोनो का मिलना-जुलना पहले की तरह ही चलता रहा . लोग भी उनके बारे में तरह तरह की बातें करने लगे . रमेश ने एक दिन हिम्मत जुटाई और मौका देखकर सीमा से अपने प्यार का इजहार कर दिया. रमेश उससे बोला कि वह उससे बहुत प्यार करता है और उसके बगैर नहीं रह सकता . रमेश ने सीमा से पूछा कि वह उससे शादी भी करना चाहता है . सीमा ने जवाब दिया कि वह भी रमेश को बहुत चाहती है लेकिन शादी नही कर सकती.

रमेश सीमा की जात-बिरादरी का नही था और सीमा ने समाज-परिवार को देखते हुये यह निर्णय लिया . लेकिन रमेश उसको हमेशा शादी के लिए मनुहार करते रहता लेकिन सीमा बात टाल जाती . देखते-देखते 5वर्ष बीत गया . अब रमेश की नौकरी बिलासपुर के वन विभाग मे कांस्टेबल पद पर हो गई. तब से वह बिलासपुर में रहने लगा . लेकिन छुट्टी में वह सीमा से मिलने आता और सब से मिलता, उनके लिए उपहार लाता और खुशी खुशी वापस चला जाता. सीमा की माँ भी रमेश के घर आने से बहुत खुश होती और सोचती कि काश मुझे भी ऐसा दामाद मिल जाए जो मेरी बेटी को बहुत खुश रखे.

सात साल हो गये दोनो के प्रेम प्रसंग को लेकिन विवाह की कोई राह नहीं दिखी . अब सीमा सोचने लगी कि आखिर एक दिन किसी न किसी से विवाह करनी ही है तो क्यों न रमेश को ही हां कर दूँ . फिर उसने रमेश को अपने घर बुलवाया और शादी के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया . उसने अपना निर्णय अपनी मां को बताया . पहले उसकी माँ जात बिरादरी और समाज के डर से नहीं मानी फिर बेटी का भला सोच कर हामी भर दी . माँ का आशीर्वाद लेकर दोनो ने मन्दिर में विवाह कर लिया . सीमा की सहेलियां, पड़ोसी और रिश्तेदार इस शादी से बहुत खुश हुए . सभी यही कहते हैं कि देर से ही सही बेचारी का घर तो बस गया. उसको जीवन साथी तो मिला.

शादी को 4 माह हो गये. सीमा अपने ससुराल भी जाकर आ गई . उसके ससुराल वाले उसे पूरी तरह से नहीं अपनाये थे. वह अभी भी अपनी मायके मे थी और स्कूल मे ही पढ़ा रही थी . रमेश भी बिलासपुर से सीमा के मायके आते-जाते रहता था.

फिर एक दिन रमेश ने सीमा से कहा कि वह उसे बिलासपुर घुमाने ले जाना चाहता है . सीमा ने कहा कि वह अभी नहीं जा सकती, स्कूल से छुट्टी नहीं मिलेगी . रमेश ने कहा कि शाम तक कैसे भी करके वह उसे वापस घर छोड़ देगा . सीमा मान गई . दोनो बिलासपुर जाने के लिए तैयार हुए और माँ की अनुमति लेकर हँसी खुशी घर से निकले. माँ ने सीमा से कहा कि ध्यान से जाना और अपना ख्याल रखना . सीमा बोली कि हम लोग शाम तक वापस लौट आयेंगे तुम खाना बनाकर रखना . अब दोनो चले गये .
शाम को सीमा की माँ खाना बनाकर सीमा और रमेश का रास्ता देख रही थी लेकिन दोनो की कोई खबर नही थी. मां ने फोन किया पर उनका फोन भी बन्द था. मां बहुत परेशान हो गई. सोची कि ऐसा तो कभी भी नहीं हुआ था कि उसकी बेटी का मोबाईल बन्द हो.

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अगले दिन सुबह ऐसी खबर आई कि सभी के पैरों तले जमीन खिसक गई . पता चला कि सड़क हादसे में सीमा की जान चली गई और रमेश बच गया था. फिर दुर्घटना स्थल से ही सीमा की लाश को पोस्टमार्टम के लिए ले जाया गया . कई पुलिस भी साथ में थे. इस दुखद घटना के बारे में सीमा की माँ को कुछ भी ज्ञात नहीं था . सीमा के छोटे भाई ने अपनी मां को बड़ी मुश्किल से बताया कि दीदी अब इस दुनिया में नहीं रही . मां ने जैसे ही सीमा की मौत की खबर सुनी तो होश खो बैठी और रो रो कर बुरा हाल हो गया. सीमा की मौत के दूसरे दिन लाश को घर लाया गया और उसके बाद मुक्तिधाम में उसका अन्तिम संस्कार कर दिया गया .

सीमा की मौत सच मे एक दुर्घटना थी या हत्या यह कह पाना मुश्किल है किन्तु लोगों की बातों को यदि गौर करें तो मामला हत्या का ही लग रहा था . क्योंकि उसकी माँ ने ही लोगों को बताया कि सीमा जब विवाह के लिए राजी हुई तब रमेश सीमा से विवाह नही करना चाहता था . रमेश के घरवाले उसे अपनी जाति की लड़की से विवाह करने के लिए दबाव डाल रहे थे और रमेश अपने परिवार की पसंद से शादी करना चाहता था . लेकिन सीमा ने रमेश को विवाह के लिए दबिश दी और रमेश ने हालात से घबराकर सीमा से विवाह किया था. शादी के कुछ दिनों बाद ही दोनो के बीच मनमुटाव और झगड़े होने लगे. दोनो का वैवाहिक जीवन खुशहाल नहीं था . रमेश ने सीमा को स्पष्ट बोल दिया कि वह उसे तलाक़ दे दे या दुसरी शादी करने की अनुमति दे. सीमा इस बात के लिए कतई राजी नहीं हुई . अब रमेश उससे पीछा छुड़ाने का उपाय सोचने लगा . और आखिरकार उसने इस शर्मनाक घटना को अंजाम दे दिया . उसने न केवल सीमा का बल्कि विश्वास और प्रेम का भी खून किया.

यह बात कितना सच है या मिथ्या यह तो सीमा को, रमेश को और इश्वर को ही पता होगा क्यौंकि आंखो देखा कोई साक्ष्य नहीं था . लेकिन सीमा की लाश उसके पति के झूठे प्रेम का हाल सुना रहे थे कि उसके ही पति ने किस तरह बेरहमी से उसे मौत के घाट उतारा था . सड़क दुर्घटना और लाश में एक भी चोट नहीं, रमेश भी बिल्कुल सही सलामत, उसके चेहरे पर न दुख न शिकन . तो कोई शक भी क्यो न करे . पुलिस और पोस्टमार्टम की रिपोर्ट के अनुसार सीमा की मृत्यु को दुर्घटना घोषित किया .

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सीमा का प्रेम उसके लिए अभिशाप बन गया . उसकी जान ले के ही छोड़ा. काश वह समय रहते ही सम्भल गई होती, उसने रमेश से विवाह ही न किया होता. काश वह उस दिन अपने पति की बातों में आकर उसके साथ बाहर ही नहीं गई होती तो शायद आज सीमा सबके बीच जीवित होती. स्कूल में काम कर रही होती और जैसे तैसे अपना जीवन यापन कर रही होती . लेकिन किस्मत के लिखे को कौन टाल सकता है . सीमा के जाने के बाद उसकी माँ बिल्कुल अकेले हो गई. कही आना जाना भी छोड़ दी, घर मे ही चुपचाप पड़ी रहती और सीमा की याद में खोई रहती . आज रमेश दूसरी शादी कर खुशी-खुशी जीवन व्यतीत कर रहा है . यह भी उसके अपराधी होने का सबसे बड़ा साक्ष्य जान पड़ता है . सीमा, उसका प्यार, और उसकी यादें अब रमेश के जीवन से काफी ओझल हो चुका है. काश हर युवती और महिलायें अपने प्रेम के साथ वक्त और हालात की नजाकत को समझते हुए कुछ निर्णय लें तो इस दुनिया में ऐसे दुखद हादसे होना कुछ कम हो जायें .

Crime Story: शादी के बीच पहुंची दूल्हे की प्रेमिका तो लौटानी पड़ी बरात

एक लड़की, जिसकी शादी हो रही हो, हाथों में मेहंदी लगी हो, फेरे चल रहे हों, उस वक्त होने वाले पति की प्रेमिका आ जाए, तो उसका क्या हाल होगा, कहना सहज ही समझा जा सकता है. अगर किसी शादी के खूबसूरत माहौल में ऐसा मोड़ आता है तो लड़की व उस के परिवार की खुशियों पर ग्रहण लग जाता है.

भले ही लड़की के परिवार वालों ने पुलिसिया कार्यवाही से मना कर दिया हो, पर उस घर में मातम पसरा रहता है. प्रेमिका को धोखा देकर शादी करना कितना भारी पड़ सकता है, यह इस वाकए से उजागर होता है.

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घटना 7 जुलाई की है. जालंधर जिले के गोराया में उस दिन शादी समारोह चल रहा था. माहौल खुशियों से भरा था. दूल्हा-दुलहन फेरे ले रहे थे. इसी बीच एक लड़की वहां पहुंचीं और जोर-जोर से अपनी बात कहनी शुरू कर दी. वह लड़की दूल्हे की बचकाना हरकत को ऐसे बखान कर रही थी जैसे उस ने शादी कर के आफत मोल ले ली हो. हालात ऐसे हो गए कि दूल्हे को भीगी बिल्ली बन वहां से रफूचक्कर हो जाना पड़ा.

दरअसल, वह लड़की दूल्हे की प्रेमिका थी. दूल्हा उसे धोखा दे कर शादी कर रहा था, वह भी चोरीछिपे. ऐसा कैसे हो सकता था. प्रेमिका की पैनी नजर से वह बच न सका. तभी तो ऐसे हालात हो गए कि दूल्हे को बरात के संग बिना शादी किए लौट जाना पड़ा.

शेरपुर गांव के जसकरन कुमार उर्फ जस्सी बरात ले कर गोराया गांव में एक लड़की से शादी करने पहुंचा था. गुरुद्वारा साहिब में फेरों की रस्म चल रही थी. तभी वहां एक लड़की अचानक ही पहुंच गई. उस लड़की ने ऐसा हंगामा खड़ा किया कि लोगों की नजरें उधर ही घूम गईं. उस लड़की ने खुद को जसकरन उर्फ जस्सी की प्रेमिका बताया. उस के ऐसा कहने पर समारोह में हड़कंप मच गया.

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इस सब के बीच लड़की ने दुल्हन के परिवार को दूल्हे जसकरन से अपने प्रेम संबंध की जानकारी दी. साथ ही, जसकरन के साथ की कुछ तस्वीरें दिखाईं. तस्वीरों की सचाई की बाबत जब पूछा गया तो जसकरन ने हामी भर दी. फिर क्या था, घड़ा तो फूटना ही था. गनीमत यह थी कि कोई अप्रिय घटना नहीं हुई.

उस लड़की ने यह भी बताया कि उस का जसकरन कुमार उर्फ जस्सी के साथ तकरीबन डेढ़ साल से प्रेम प्रसंग चल रहा है. वह उस के साथ रहती थी और घूमने के लिए वे दोनों दुबई भी गए थे. वह लड़की गांव में उस के परिवार के साथ भी रह चुकी है.

जस्सी ने उसे गुमराह किया था कि उस के बड़े भाई की शादी है. उसे बीती रात ही यह पता चला कि शादी जसकरन की हो रही है. तुरंत ही वह उस के गांव शेरपुर पहुंची तो सारा मामला साफ हो गया.

दुल्हन के घर वालों ने दूल्हा जसकरन से पूछा तो उस ने बताया कि उसे दुबई से लौटे 8 महीने हुए हैं. 4 महीने पहले ही उस की दोस्ती इस लड़की से हुई थी. जब उस से लड़की द्वारा दिखाई गई तस्वीरों के बारे में पूछा गया, तो उस ने प्रेम प्रसंग को स्वीकारा. इस के बाद दुल्हन के परिवार ने शादी से मना कर दिया.

थाना गोराया के प्रभारी ने इस संबंध में कहा कि जस्सी के परिवार वाले लड़की के परिवार (जिस से शादी हो रही थी) से राजीनामा कर बारात वापस ले गए. दुल्हन के परिवार ने भी मामले में किसी तरह की पुलिसिया कार्यवाही से मना कर दिया.

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शादी से बैरंग लौटना भले ही दूल्हे जस्सी के लिए इज्जत का सवाल हो गया, पर दुल्हन के परिवार वालों पर क्या बीती होगी. शादी में खर्च तो हुआ ही साथ ही सामाजिक अपमान भी झेलना पड़ा होगा. ऐसी शादियां कितने दिन तक टिक पातीं, यह तो पता नहीं, पर ऐसी शादियां न हों, तो ही बेहतर है. इसीलिए तो कहा जाता है कि शादी भले ही देर मेंं हो, पर तहकीकात बहुत जरूरी है.

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