जिस्मफरोशी के नए अड्डे

इटावा के सिविल लाइंस क्षेत्र में रहने वाले उमेश शर्मा बैंक औफ बड़ौदा में सीनियर मैनेजर थे. वह 2 साल पहले रिटायर हो गए थे. रिटायर होने के बाद उन्होंने खुद को समाजसेवा में लगा दिया था. अपनी सेहत के प्रति वह सजग रहते थे, इसीलिए वाकिंग करने नियमित विक्टोरिया पार्क में जाते थे.

इटावा का विक्टोरिया पार्क वैसे भी पर्यटक स्थल के रूप में जाना जाता है. पहले यहां एक बहुत बड़ा पक्का तालाब था. ब्रिटिश शासनकाल में महारानी विक्टोरिया यहां आई थीं तो उन्होंने इस पक्के तालाब में नौका विहार किया था. इस के बाद यहां विक्टोरिया मैमोरियल की स्थापना हुई. अब यह पार्क एक रमणीक स्थल बन गया है.

एक दिन उमेश शर्मा विक्टोरिया पार्क गए तो वहां उन की मुलाकात देवेश कुमार से हुई जो उन का दोस्त था. उसे देख कर वह चौंक गए. क्योंकि 50-55 की उम्र में भी वह एकदम फिट था. उमेश शर्मा उस से 8-10 साल पहले तब मिले थे, जब देवेश कुमार की पत्नी का देहांत हुआ था.

वर्षों बाद दोनों मिले तो वे पार्क में एक बेंच पर बैठ कर बतियाने लगे. उमेश ने महसूस किया कि पत्नी के गुजर जाने के बाद देवेश पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा था, वह पहले से ज्यादा खुश दिखाई दे रहा था.

काफी देर तक दोनों इधरउधर की बातें करते रहे. उसी दौरान उमेश शर्मा ने पूछा, ‘‘देवेश यार, यह बताओ तुम्हारी सेहत का राज क्या है. लगता है भाभीजी के गुजर जाने के बाद

तुम्हारे ऊपर फिर से जवानी आई है. क्या खाते हो तुम, जो तुम्हारी उम्र ठहर गई है.’’

‘‘उमेश भाई, खानापीना तो कोई खास नहीं है. मैं भी वही 2 टाइम रोटी खाता हूं जो आप खाते हो. लेकिन मैं अपनी मसाज पर ज्यादा ध्यान देता हूं.’’ देवेश बोला.

‘‘मसाजऽऽ’’ उमेश शर्मा चौंके.

‘‘हां भई, मैं सप्ताह में 1-2 बार मसाज जरूर कराता हूं.’’

‘‘लगता है, मसाज किसी अच्छे मसाजिए से कराते हो?’’ उमेश शर्मा ने ठिठोली की.

‘‘सही कह रहे हैं आप, मैं जिन से मसाज कराता हूं वे सारे मसाजिए बहुत अनुभवी हैं. वे शरीर की नसनस खोल देते हैं. आप भी एक बार करा कर देखो, फिर आप को भी ऐसी आदत पड़ जाएगी कि शौकीन बन जाओगे.’’ देवेश ने कहा.

‘‘अरे भाई, आप ठहरे बड़े बिजनैसमैन और हम रिटायर्ड कर्मचारी, इसलिए हम भला आप की होड़ कैसे कर सकते हैं. सरकार से जो पेंशन मिलती है, उस से गुजारा हो जाए वही बहुत है. वैसे जानकारी के लिए यह तो बता दो कि मसाज कराते कहां हो?’’ उमेश शर्मा ने पूछा.

‘‘उमेश भाई, आप अभी तक सीधे ही रहे. मैं आप के सिविल लाइंस एरिया के ही ग्लैमर मसाज सेंटर पर जाता हूं. वहां पर लड़कियां जिस अंदाज में मसाज के साथ दूसरे तरह का जो मजा देती हैं, वह काबिलेतारीफ है. आप को तो पता ही है कि मैं शौकीनमिजाज हूं, लड़कियों का कद्रदान.’’ देवेश ने बताया.

‘‘देवेश, तुम इस उम्र में भी नहीं सुधरे.’’ उमेश शर्मा बोले.

‘‘देखो भाई, मेरा जिंदगी जीने का तरीका अलग है. मैं लाइफ में फुल एंजौय करता हूं. कमाई के साथ लाइफ में एंजौय भी जरूरी है. भाई उमेश, मैं अपने तजुर्बे की बात आप को बता रहा हूं. देखो, मैं ने कृष्णानगर के वेलकम स्पा सेंटर के अलावा अन्य कई होटलों में चल रहे मसाज सेंटरों की सेवाएं ली हैं, लेकिन जितना मजा मुझे ग्लैमर मसाज सेंटर में आता है, उतना कहीं और नहीं आया.

ग्लैमर मसाज सेंटर की संचालिका कविता स्कूल, कालेज गर्ल से ले कर हाउसवाइफ तक उपलब्ध कराने में माहिर है. मेरी बात मानो तो एक बार आप भी मेरे साथ चल कर जलवे देख लो.’’ देवेश ने उमेश शर्मा को उकसाया.

‘‘नहीं देवेश, आप को तो पता है कि मैं इस तरह के कामों से बहुत दूर रहता हूं.’’ उमेश शर्मा ने कहा. कुछ देर बात करने के बाद दोनों अपनेअपने रास्ते चले गए.

देवेश से बातचीत में उमेश शर्मा को चौंकाने वाली जानकारी मिली थी. वह यह जान कर आश्चर्यचकित थे कि उन की कालोनी में मसाज सेंटर के नाम पर जिस्मफरोशी का धंधा चल रहा था और उन्हें जानकारी तक नहीं थी. इस धंधे में स्कूल कालेज की लड़कियों को फांस कर ये लोग उन की जिंदगी तबाह कर रहे थे. चूंकि उमेश शर्मा खुद समाजसेवी थे, इसलिए वह इस बात पर विचार करने लगे कि जिस्मफरोशी के अड्डों को कैसे बंद कराया जाए.

उमेश शर्मा का इटावा के एसएसपी संतोष कुमार मिश्रा से परिचय था. वह सामाजिक क्रियाकलापों को ले कर एसएसपी साहब से कई बार मुलाकात कर चुके थे. लिहाजा उन्होंने सोच लिया कि इस बारे में एसएसपी से मुलाकात करेंगे. और फिर एक दिन एसएसपी संतोष कुमार मिश्रा से मिल कर उमेश शर्मा ने उन्हें स्पा और मसाज सेंटरों की आड़ में चल रहे जिस्मफरोशी के धंधे की जानकारी दे दी.

एसएसपी ने इस सूचना को गंभीरता से लिया. जैसी उन्हें सूचना मिली, उस के अनुसार यह धंधा शहर की पौश कालोनियों के अलावा कुछ होटलों में भी चल रहा था. इसलिए उन्होंने  सूचना की पुष्टि के लिए अपने खास सिपहसालारों तथा मुखबिरों को लगा दिया और उन से एक सप्ताह के अंदर रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा.

एक सप्ताह बाद मुखबिरों व सिपहसालारों ने जो रिपोर्ट एसएसपी संतोष कुमार मिश्र के समक्ष पेश की, वह चौंकाने वाली थी. उन्होंने बताया कि स्पा और मसाज सेंटरों में ही नहीं, बल्कि शहर के कई मोहल्लों में देहव्यापार जोरों से चल रहा है. उन्होंने कुछ ऐसे मकानों की भी जानकारी दी, जहां किराएदार बन कर रहने वाली महिलाएं देह व्यापार में संलग्न थीं.

रिपोर्ट मिलने के बाद एसएसपी ने एएसपी (सिटी) डा. रामयश सिंह, एएसपी (ग्रामीण) रामबदन सिंह, महिला थानाप्रभारी सुभद्रा कुमारी, क्राइम ब्रांच तथा 1090 वूमन हेल्पलाइन की प्रमुख मालती सिंह को बुला कर एक महत्त्वपूर्ण बैठक बुलाई.

बैठक में एसएसपी ने शहर में पनप रहे देह व्यापार के संबंध में चर्चा की तथा उन अड्डों पर छापा मारने की अतिगुप्त रूपरेखा तैयार की. इस का नाम उन्होंने ‘औपरेशन क्लीन’ रखा.

इस के लिए उन्होंने 4 टीमों का गठन किया. टीमों के निर्देशन की कमान एएसपी (सिटी) डा. रामयश तथा एएसपी (ग्रामीण) रामबदन सिंह को सौंपी गई.

योजना के अनुसार 22 सितंबर, 2019 की रात 8 बजे चारों टीमों ने सब से पहले सिविल लाइंस स्थित ग्लैमर मसाज सेंटर पर छापा मारा. छापा पड़ते ही मसाज सेंटर में अफरातफारी मच गई. यहां से पुलिस ने संचालिका सहित 4 महिलाओं तथा 3 पुरुषों को गिरफ्तार किया.

काउंटर पर बैठी महिला को छोड़ कर सभी महिलापुरुष अर्धनग्न अवस्था में पकड़े गए थे. इन में एक छात्रा भी थी. उस का स्कूल बैग भी बरामद हुआ.

मसाज सेंटर पर छापा मारने के बाद संयुक्त टीमों ने कृष्णानगर स्थित वेलकम स्पा सेंटर पर छापा मारा. यहां से पुलिस टीम ने नग्नावस्था में 2 पुरुष तथा 2 महिलाओं को पकड़ा. पकड़े जाने के बाद वे सभी छोड़ देने को गिड़गिड़ाते रहे, लेकिन पुलिस ने उन की एक नहीं सुनी.

इस के बाद पुलिस ने स्टेशन रोड स्थित एक मकान पर छापा मारा. पूछने पर पता चला कि पकड़ी गई महिला तथा पुरुष पतिपत्नी हैं. पति ही पत्नी की दलाली करता था. पत्नी के साथ एक ग्राहक भी पकड़ा गया. इस मकान से पुलिस ने 2 संदिग्ध महिलाओं को भी गिरफ्तार किया. लेकिन जब उन दोनों से पूछताछ की गई तो वे निर्दोष साबित हुईं. अत: उन दोनों को पुलिस ने छोड़ दिया.

पुलिस टीमों को सफलता पर सफलता मिलती जा रही थी. अत: टीमों का हौसला भी बढ़ता जा रहा था. इस के बाद पुलिस ने चंद्रनगर, शांतिनगर तथा सैफई रोड स्थित कुछ मकानों पर छापा मारा और वहां से 7 महिलाओं तथा 8 पुरुषों को रंगेहाथ गिरफ्तार किया. पकड़ी गई युवतियों में 2 छात्राएं थीं जो कालेज जाने के बहाने घर से निकली थीं और देह व्यापार के अड्डे पर पहुंच गई थीं.

पुलिस टीम ने शहर के 2 होटलों तथा एक रेस्तरां पर भी छापा मारा लेकिन यहां से कोई नहीं पकड़ा गया. हालांकि होटल से 2 प्रेमी जोड़ों से पूछताछ की गई, पूछताछ में पता चला कि उन की शादी तय हो चुकी थी, इसलिए पुलिस ने उन्हें जाने दिया. रेस्तरां से पुलिस ने एक शादीशुदा जोड़े से भी पूछताछ की, जो रिलेशनशिप में रह रहे थे. वेरीफिकेशन के बाद पुलिस ने उन्हें भी जाने दिया.

छापे में पुलिस टीमों ने 14 कालगर्ल्स तथा 15 ग्राहकों को पकड़ा था. कालगर्ल्स को महिला थाना तथा पुरुषों को सिविल लाइंस थाने में बंद किया गया. महिला थानाप्रभारी सुभद्रा कुमारी वर्मा ने कालगर्ल्स से पूछताछ की.

पकड़ी कालगर्ल्स नेहा, माया, कविता, पूनम, गौरी, रिया, शमा, रीतू, साधना, शालू, अर्चना, दीपा, अमिता तथा मानसी थीं, वहीं जो ग्राहक गिरफ्तार हुए थे, उन के नाम पंकज, मनोज, अशोक, सुनील, अमन, आलोक, रमेश, पवन, रोहित, विक्की, उमेश, राजू, महेश, मनीष तथा प्रमोद थे. ये सभी इटावा, भरथना, इकदिल तथा बकेवर के रहने वाले थे.

अभियुक्तों की गिरफ्तारी की सूचना पर एसएसपी संतोष कुमार मिश्रा भी महिला थाने पहुंच गए. वहीं पर उन्होंने प्रैस कौन्फ्रैंस आयोजित कर पत्रकारों को विभिन्न जगहों से गिरफ्तार की गई कालगर्ल्स और ग्राहकों की जानकारी दी.

कहीं खुद पति पत्नी का दलाल तो कहीं मजबूर लड़कियां  पकड़ी गई कालगर्ल्स से विस्तृत पूछताछ की गई तो सभी ने इस धंधे में आने की अलगअलग कहानी बताई. नेहा मूलरूप से इटावा जिले के लखुना कस्बे की रहने वाली थी. 3 भाईबहनों में वह सब से बड़ी थी. उस के पिता एक ज्वैलर्स के यहां काम करते थे.

पिता को मामूली वेतन मिलता था, जिस से परिवार का भरणपोषण भी मुश्किल से होता था. भरणपोषण के लिए कभीकभी उन्हें कर्ज भी लेना पड़ जाता था. जब वह इस कर्ज को समय पर चुकता नहीं कर पाते थे, तो उन्हें बेइज्जत भी होना पड़ता था.

नेहा बेहद खूबसूरत थी. वह कस्बे के बाल भारती स्कूल में 10वीं की छात्रा थी. 16-17 साल की उम्र ही ऐसी होती है कि लड़कियां खुली आंखों से सपने देखने लगती हैं. नेहा भी इस का अपवाद नहीं थी. उम्र के तकाजे ने उस पर भी असर किया और वह इंटरमीडिएट में पढ़ने वाले अर्जुन से दिल लगा बैठी. दोनों का प्यार परवान चढ़ा तो उन के प्यार के चर्चे होने लगे.

पिता को जब नेहा के बहकते कदमों की जानकारी हुई तो वह चिंता में पड़ गए. नेहा उन की पीठ में इज्जत का छुरा घोंप कर कोई दूसरा कदम उठाए, उस के पहले ही उन्होंने उस की शादी करने का फैसला किया. दौड़धूप के बाद उन्होंने नेहा का विवाह इकदिल कस्बा निवासी गोपीनाथ के बेटे मनोज से कर दिया.

खूबसूरत नेहा से शादी कर के मनोज बहुत खुश हुआ. शादी के एक साल बाद नेहा एक बेटे की मां बन गई, जिस का नाम हर्ष रखा गया. बस इस के कुछ दिनों बाद से ही नेहा मनोज की नजरों से उतरनी शुरू हो गई.

इस की वजह यह थी कि शादी के बाद भी नेहा मायके के प्रेमी अर्जुन को भुला नहीं पाई थी. वह नेहा से मिलने आताजाता रहता था. यह बात मनोज को भी पता चल गई थी.

वक्त गुजरता गया. वक्त के साथ मनोज के मन में यह शक भी बढ़ता गया कि हर्ष उस की नहीं बल्कि अर्जुन की औलाद है. हर्ष की पैदाइश को ले कर मनोज नेहा से कुछ कहता तो वह चिढ़ कर झगड़ा करने लगती. रोजरोज के झगड़े से तंग आ कर एक रोज उस ने पति को सलाह दी कि अगर तुम्हें लगता है कि अर्जुन से अब भी मेरे संबंध हैं तो यह घर छोड़ कर इटावा शहर में बस जाओ.

नेहा की यह बात मनोज को अच्छी लगी. मनोज का दोस्त अनुज इटावा शहर में ठेकेदारी करता था. उस ने इटावा जा कर अनुज से बात की. अनुज ने अपने स्तर से उसे अपने यहां काम पर लगा लिया और स्टेशन रोड स्थित एक मकान में किराए पर कमरा दिलवा दिया. मनोज अपने बीवीबच्चे को वहीं ले आया.

शहर आ कर मनोज ने चैन की सांस ली. उस के मन से अर्जुन को ले कर जो शक बैठ गया था, वह धीरेधीरे उतरने लगा. नेहा ने भी सुकून की सांस ली कि अब उस के घर में कलह बंद हो गई. दोनों के दिन हंसीखुशी से बीतने लगे.

पर खुशियों के दिन अधिक समय तक टिक न सके. दरअसल, इटावा शहर आ कर मनोज को भी शराब की लत लग गई थी. पहले वह बाहर से पी कर आता था, बाद में दोस्तों के साथ घर में ही शराब की महफिल जमाने लगा. रोज शराब पीने से एक ओर मनोज जहां कर्ज में डूबता जा रहा था, वहीं कुछ दिनों से नेहा ने महसूस किया कि पति के दोस्त शराब पीने के बहाने उस की सुंदरता की आंच में आंखें सेंकने आते हैं. ऐसे दोस्तों में एक अनुज भी था.

नेहा ने कई बार मनोज से कहा भी कि वह छिछोरे दोस्तों को घर न लाया करे, लेकिन वह नहीं माना. मनोज क्या करना चाहता है, नेहा समझ नहीं पा रही थी. जब तक वह समझी, तब तक बहुत देर हो चुकी थी.

एक शाम मनोज काम से कुछ जल्दी घर  आ गया. आते ही बोला, ‘‘नेहा, तुम सजसंवर लो. तुम्हें मेरे साथ चलना है. हम वहां नहीं गए तो वह बुरा मान जाएगा.’’

नेहा खुश हो गई. मुसकरा कर बोली, ‘‘आज बड़े मूड में लग रहे हो. वैसे यह तो बता दो कि जाना कहां है?’’

‘‘मेरे दोस्त अनुज को तुम जानती हो. आज उस ने हमें खाने पर बुलाया है.’’ मनोज ने कहा.

मनोज ने बीवी को ही झोंका धंधे में  अनुज का नाम सुनते ही नेहा के माथे पर शिकन पड़ गई, क्योंकि उस की नजर में अनुज अच्छा आदमी नहीं था. मनोज के साथ घर में बैठ कर वह कई बार शराब पी चुका था और नशे में उसे घूरघूर कर देखता रहता था. नेहा की इच्छा तो हुई कि वह साफ मना कर दे, लेकिन उस ने मना इसलिए नहीं किया कि मनोज का मूड खराब हो जाएगा. वह गालियां बकनी शुरू कर देगा और घर में कलह होगी.

नेहा नहाधो कर जाने को तैयार हो गई तो मनोज आटो ले आया. दोनों आटो से अनुज के घर की ओर चल पड़े. थोड़ी देर में आटो रुका तो नेहा समझ गई कि अनुज का घर आ गया है. मनोज ने दरवाजा थपथपाया तो दरवाजा अनुज ने ही खोला. मनोज के साथ नेहा को देख कर अनुज का चेहरा चमक उठा. उस ने हंस कर दोनों का स्वागत किया और उन्हें भीतर ले गया.

घर के भीतर सन्नाटा भांयभांय कर रहा था. सन्नाटा देख कर नेहा अनुज से पूछ बैठी, ‘‘आप की पत्नी नजर नहीं आ रहीं, कहां हैं?’’

‘‘वह बच्चों को ले कर मायके गई है.’’ अनुज ने हंस कर बताया.  नेहा ने पति को घूर कर देखा तो वह बोला, ‘‘थोड़ी देर की तो बात है, खापी कर हम घर लौट चलेंगे.’’

अनुज किचन से गिलास और नमकीन ले कर आ गया. पैग बने, चीयर्स के साथ जाम टकराए और दोनों दोस्त अपना हलक तर करने लगे. फिर तो ज्योंज्यों नशा चढ़ता गया, त्योंत्यों दोनों अश्लील हरकतें व भद्दा मजाक करने लगे. पीने के बाद तीनों ने एक साथ बैठ कर खाना खाया. खाना खाने के बाद मनोज पास पड़ी चारपाई पर जा कर लुढ़क गया.

इसी बीच अनुज ने नेहा को अपनी बांहों में जकड़ लिया और अश्लील हरकतें करने लगा. नेहा ने विरोध किया और इज्जत बचाने के लिए पति से गुहार लगाई. लेकिन मनोज उसे बचाने नहीं आया. अनुज ने उसे तभी छोड़ा जब अपनी हसरतें पूरी कर लीं.

उस के बाद दोनों घर आ गए. जैसेतैसे रात बीती. सुबह मनोज जब काम पर जाने लगा तो उस से बोला, ‘‘नेहा, तुम सजसंवर कर शाम को तैयार रहना. आज रात को भी हमें एक पार्टी में चलना है.’’

नेहा ने उसे सुलगती निगाहों से देखा, ‘‘आज फिर किसी दोस्त के घर पार्टी है…’’

मनोज मुसकराया, ‘‘बहुत समझदार हो.  मेरे बिना बताए ही समझ गई. जल्दी से अमीर बनने का यही रास्ता है.’’ मनोज ने जेब से 2 हजार रुपए निकाल कर नेहा को दिए, ‘‘यह देखो, अनुज ने दिए हैं. इस के अलावा एक हजार रुपए का कर्ज भी उस ने माफ कर दिया.’’

नेहा की आंखें आश्चर्य से फट रह गईं. मनोज ने उस से देह व्यापार कराना शुरू कर दिया था. कल कराया. आज के लिए उस ने ग्राहक तय कर के रखा हुआ था. शाम को मनोज ने नेहा को साथ चलने को कहा तो उस ने मना कर दिया. इस पर मनोज ने उसे लातघूंसों से पीटा और जबरदस्ती अपने साथ ले गया.

इस के बाद तो यह एक नियम सा बन गया. मनोज रात को रोजाना नेहा को आटो से कहीं ले जाता. वहां से दोनों कभी देर रात घर लौटते, तो कभी सुबह आते. कभी मनोज अकेला ही रात को घर आता, जबकि नेहा की वापसी सुबह होती. नेहा भी इस काम में पूरी तरह रम गई.

धीरेधीरे जब ग्राहकों की संख्या बढ़ी तो नेहा ग्राहकों को अपने घर पर ही बुलाने लगी. छापे वाले दिन मनोज ने जिस्मफरोशी के लिए 2 ग्राहक तैयार किए थे. पहला ग्राहक मौजमस्ती कर के चला गया था, दूसरा ग्राहक सुनील जब नेहा के साथ था, तभी पुलिस टीम ने छापा मारा और वे तीनों पकड़े गए.

पुलिस द्वारा पकड़ी गई पूनम इकदिल कस्बे में रहती थी. उस के मांबाप की मृत्यु हो चुकी थी. एक आवारा भाई था, जो शराब के नशे में डूबा रहता था. कम उम्र में ही पूनम को देह सुख का चस्का लग गया था. पहले वह देह सुख एवं आनंद के लिए युवकों से दोस्ती गांठती थी, फिर वह उन से अपनी फरमाइशें पूरी कराने लगी. यह सब करतेकरते वह कब देहजीवा बन गई, स्वयं उसे भी पता नहीं चला.

पूनम को भिन्नभिन्न यौन रुचि वाले पुरुष मिले तो वह सैक्स की हर विधा में निपुण हो गई. अमन नाम का युवक तो पूनम का मुरीद बन गया था. अमन शादीशुदा और 2 बच्चों का पिता था.

पूनम और अमन की जोड़ी उस की पत्नी साधारण रंगरूप की थी. वह कपड़े का व्यापार करता था और इटावा के सिविल लाइंस मोहल्ले में रहता था. अमन को जब भी जरूरत होती, वह पनूम को फोन कर होटल में बुला लेता.

एक रात अमन से पूनम बोली, ‘‘अमन क्यों न हम दोनों मिल कर स्पा खोल लें. मसाज की आड़ में वहां देहव्यापार कराएंगे. शौकीन अमीरों को नया अनुभव और उन्माद मिलेगा तो हमारे स्पा में ग्राहकों की भीड़ लगी रहेगी. थोड़े समय में हम दोनों लाखों में खेलने लगेंगे.’’

पूनम का यह आइडिया अमन को पसंद आया. चूंकि वह स्वयं बाजारू औरतों का रसिया था, इसलिए जानता था कि देह व्यापार से अधिक मजेदार और कमाऊ धंधा कोई दूसरा नहीं. हालांकि इस धंधे में पुलिस द्वारा पकड़े जाने का अंदेशा बना रहता है, पर जोखिम लिए बिना पैसा भी तो छप्पर फाड़ कर नहीं बरसता.

आधा पैसा अमन ने लगाया, आधा पूनम ने. फिफ्टीफिफ्टी के पार्टनर बन कर दोनों ने कृष्णानगर स्थित किराए के मकान में वेलकम स्पा खोल लिया. यह लगभग एक साल पहले की बात है.

चूंकि पूनम खुद कालगर्ल थी, इसलिए अनेक देहजीवाओं से उस की दोस्ती थी. उन में से ही कुछ देहजीवाओं को उस ने मसाजर के तौर पर स्पा में रख लिया. वे केवल नाम की मसाजर थीं, वे तो केवल अंगुलियों के कमाल से कस्टमर की भावनाएं जगाने और बेकाबू होने की सीमा तक भड़काने में माहिर थीं. कस्टमर भी ऐसे आते थे, जिन्हें मसाज से कोई वास्ता नहीं था. कामपिपासा शांत करने के लिए उन्हें हसीन बदन चाहिए होता था.

चंद दिनों में ही स्पा की आड़ में देह व्यापार कराने का अमन और पूनम का यह धंधा चल निकला. स्पा के दरवाजे हर आदमी के लिए खुले रहते थे. शर्त केवल यह थी कि जेब में माल होना चाहिए.

बीच शहर में खुल्लमखुल्ला देह व्यापार होता रहे और पुलिस को खबर न हो, यह संभव नहीं होता.

वेलकम स्पा में होने वाले देह व्यापार की जानकारी स्थानीय थाना पुलिस को थी, पर किसी वजह से वह आंखें बंद किए थी. एसएसपी संतोष कुमार मिश्रा ने जब औपरेशन क्लीन चलाया, तब छापा पड़ा और स्पा से 2 पुरुष अमन, आलोक तथा 2 महिलाएं पूनम व माया देह व्यापार करते पकड़ी गईं.

पुलिस टीम द्वारा छापे में पकड़ी गई कविता बकेवर कस्बे की रहने वाली थी. उस के पिता कानपुर में पनकी स्थित एक प्लास्टिक फैक्ट्री में काम करते थे. लेकिन कुछ वर्ष पूर्व संदिग्ध परिस्थितियों में उन की मौत हो गई थी.

पति की मौत के बाद कविता की मां ने स्वयं को टूट कर बिखरने नहीं दिया. कभी स्वरोजगार तो कभी मेहनत मजदूरी कर के अपना और बेटी कविता की परवरिश करती रही. वक्त थोड़ा आगे बढ़ा.

कविता ने किशोरावस्था में प्रवेश किया. चेहरे पर लुनाई झलक मारने लगी. कच्ची कली मसलने के शौकीनों को यही तो चाहिए था. कविता को बड़ा लालच दे कर वे एकांत में उस के संग बड़ेबड़े काम करने लगे. कुछ ही समय बाद कविता कली से फूल बन गई. कविता को जो बुलाता, उस के साथ चली जाती.

जिस्मानी खेल में कविता को आनंद तो बहुत मिला पर बदनामी भी कम नहीं हुई. कस्बे में वह बदनाम लड़की के रूप में जानी जाने लगी. बेटी की करतूतें मां के कानों तक पहुंचीं तो उस ने सिर पीट लिया, ‘‘मुझ विधवा के पास एक इज्जत थी, वह भी इस लड़की ने लुटा दी. मैं तो हर तरह से कंगाल हो गई.’’

बेटी गलत राह पर चलने लगे तो हर मांबाप को उसे सुधारने की एक ही राह सूझती है शादी. कविता की मां ने भी उस का विवाह रोहित के साथ कर दिया. रोहित इटावा के सिविल लाइंस में रहता था और गल्लामंडी में काम करता था.

रोहित टूट कर चाहने वाला पति था. वह अपनी हैसियत के दायरे में कविता की फरमाइश भी पूरी करता था. इसलिए कविता रम गई. 3-4 साल मजे से गुजरे, उस के बाद कविता को रोहित बासी लगने लगा. पति से अरुचि हुई तो कविता का मन अतीत में खोने लगा.

इन्हीं दिनों कविता की मुलाकात स्पा संचालिका पूनम से हुई. उस ने कविता को मसाज पार्लर खोलने की सलाह दी. यही नहीं, पूनम ने कविता को मसाज पार्लर चलाने के गुर भी सिखाए. पूनम की सलाह पर पति के सहयोग से कविता ने सिविल लाइंस में ग्लैमर मसाज सेंटर खोला. कविता ने मसाज के लिए कुछ देहजीवाओं को भी रख लिया.

शुरूशुरू में उसे मसाज पार्लर में कमाई नहीं हुई. लेकिन जब उस ने मसाज की आड़ में देह व्यापार शुरू किया तो नोटों की बरसात होने लगी. औपरेशन क्लीन के तहत जब कविता के मसाज सेंटर पर छापा पड़ा तो यहां से 4 युवतियां कविता, गौरी, रिया तथा शमा और 3 पुरुष रोहित, उमेश व पवन पकड़े गए.

पुलिस छापे में पकड़ी गई अर्चना कच्ची बस्ती इटावा की रहने वाली थी. अर्चना को उस के पिता रामप्रसाद ने ही बरबाद कर दिया था. 30 वर्षीय अर्चना शादीशुदा थी. उस का विवाह जय सिंह के साथ हुआ था. जय सिंह में मर्दों वाली बात नहीं थी. सो अर्चना ससुराल छोड़ कर मायके में आ कर रहने लगी थी. उस ने पिता को साफ बता दिया था कि अब वह ससुराल नहीं जाएगी.

रामप्रसाद तनहा जिंदगी गुजार रहा था. उस की पत्नी की मौत हो चुकी थी और बड़ा बेटा अलग रहता था. जब अर्चना ससुराल छोड़ कर आ गई तो रामप्रसाद की रोटीपानी की दिक्कत खत्म हो गई. अर्चना ने पिता की देखभाल की जिम्मेदारी संभाल ली. अर्चना ने अपना बिस्तर पिता के कमरे में ही बिछा लिया.

रामप्रसाद हर रात अर्चना के खुले अंग देखता था. उन्हीं को देखतेदेखते उस के मन में पाप समाने लगा. वह भूल गया कि अर्चना उस की बेटी है. मन में नकारात्मक एवं गंदे विचार आने लगे. वह हवस पूरी करने का मौका देखने लगा.

एक रात अर्चना गहरी नींद सो रही थी, तभी रामप्रसाद उठा और अर्चना की गोरी, सुडौल और चिकनी पिंडलियों को सहलाने लगा. रामप्रसाद की अंगुलियों की हरकत से अर्चना हड़बड़ा कर उठ बैठी, ‘‘पिताजी यह क्या कर रहे हो?’’

रामप्रसाद ने घबराने के बजाए अर्चना को दबोच लिया और उस के कान में फुसफुसाया, ‘‘चुप रह, शोर मचाने की कोशिश की तो मुझ से बुरा कोई नहीं होगा.’’

अर्चना ने हवस में अंधे हो चुके पिता को दूर धकेलने की कोशिश की. उसे पवित्र रिश्ता याद दिलाया. मगर रामप्रसाद ने उसे अपनी हसरत पूरी करने के बाद ही छोड़ा. इस के बाद यह खेल हर रात शुरू हो गया. अर्चना को भी आनंद आने लगा. जब दोनों का स्वार्थ एक हो गया तो पवित्र रिश्ते की पुस्तक में पाप का एक अलिखित समझौता हो गया.

लगभग एक साल तक बापबेटी रिश्ते को कलंकित करते रहे. उस के बाद अर्चना का मन बूढ़े बाप से भर गया. अब वह मजबूत बांहों की तलाश में घर के बाहर ताकझांक करने लगी. एक रोज उस की मुलाकात एक कालगर्ल संचालिका से हो गई. उस ने उसे पैसों और देहसुख का लालच दे कर देह व्यापार के धंधे में उतार दिया.

छापे में पकड़ी गई रीतू, शालू और साधना (काल्पनिक नाम) हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की छात्राएं थीं. तीनों गरीब परिवार की थीं. उन्हें ऊंचे ख्वाब और महंगे शौक ने यह धंधा करने को मजबूर किया. देह व्यापार में लिप्त संचालिकाओं ने इन छात्राओं को सब्जबाग दिखाए. हाथ में महंगा मोबाइल तथा रुपए थमाए, फिर देहधंधे में उतार दिया.

ये छात्राएं स्कूलकालेज जाने की बात कह कर घर से निकलती थीं और देह व्यापार के अड्डे पर पहुंच जाती थीं. घर आने में कभी देर हो जाती तो वे एक्स्ट्रा क्लास का बहाना बना देतीं. पकड़े जाने पर जब पुलिस ने उन के घर वालों को जानकारी दी तो वह अवाक रह गए. उन का सिर शर्म से झुक गया.

कुछ कहानियां मजबूरी की  छापा पड़ने के दौरान पकड़ी गई अमिता, मानसी व काजल घरेलू महिलाएं थीं. आर्थिक तंगी के कारण इन्हें देह व्यापार का धंधा अपनाना पड़ा. अमिता नौकरी के बहाने घर से निकलती थी और देह व्यापार के अड्डे पर पहुंच जाती थी. मानसी का पति टीबी का मरीज था. दवा और घर खर्च के लिए उस ने यह धंधा अपनाया.

2 बच्चों की मां काजल की उस के पति से नहीं बनती थी, इसलिए वह पति से अलग रहती थी. घर खर्च, बच्चों की पढ़ाई तथा मकान के किराए के लिए उसे यह धंधा अपनाना पड़ा.

पुलिस द्वारा पकड़े गए अय्याशों में 3 महेश, मनीष और राजू दोस्त थे. तीनों चंद्रनगर में रहते थे और एक ही फैक्ट्री में काम करते थे. विक्की, रमेश और पंकज ठेकेदारों के साथ काम करते थे और कृष्णानगर में रहते थे. उमेश और अशोक प्राइवेट नौकरी करते थे. ये भरथना के रहने वाले थे.

पुलिस ने थाना सिविललाइंस में आरोपियों के खिलाफ अनैतिक देह व्यापार अधिनियम 1956 की धारा 3, 4, 5, 6, 7, 8 और 9 के तहत केस दर्ज कर उन्हें अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित, कथा में कुछ पात्रों के नाम काल्पनिक हैं.

ड्राइवर बना जान का दुश्मन

कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु के दक्षिण में स्थित केंपेगौड़ा इंटरनैशनल एयरपोर्ट के पास एक गांव है कडयारप्पनहल्ली. 31 जुलाई, 2019 की बात है. इस गांव के कुछ लोग सुबहसुबह जब जंगल की ओर जा रहे थे, तो रास्ते में उन्होंने एक युवती की लाश पड़ी देखी. उन लोगों ने इस बात की जानकारी कडयारप्पनहल्लीके सरपंच को दी. सरपंच ने बिना विलंब किए इस मामले की सूचना बेंगलुरु पुलिस कंट्रोल रूम को दे दी.

सरपंच और कंट्रोल रूम से खबर पाते ही बेंगलुरु सिटी पुलिस हरकत में आ गई.  थानाप्रभारी ने ड्यूटी पर तैनात अफसर को इस मामले की डायरी बनाने को कहा और पुलिस टीम के साथ घटनास्थल की ओर रवाना हो गए.

20 मिनट में पुलिस टीम घटनास्थल पर पहुंच गई. उस समय तक इस घटना की खबर आसपास के गांवों में फैल गई थी. देखतेदेखते घटनास्थल पर काफी भीड़ एकत्र हो गई थी.

घटनास्थल पर पहुंच कर पुलिस टीम ने गांव के सरपंच से मामले की जानकारी ली और उसी के आधार पर जांच शुरू कर दी. सूचना मिलने पर बेंगलुरु (साउथ) के डीसीपी भीमाशंकर एस. गुलेड़ भी मौकाएवारदात पर आ गए. उन के साथ फोरैंसिक टीम भी थी.

फोरैंसिक टीम का काम खत्म होने के बाद डीसीपी भीमाशंकर एस. गुलेड़ ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया. मामले की गंभीरता को देखते हुए उन्होंने जांच टीम को आवश्यक दिशानिर्देश दिए.

डीसीपी साहब के चले जाने के बाद पुलिस टीम ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया. मृतका की लाश के पास से पुलिस को आईडी कार्ड या मोबाइल फोन वगैरह कुछ नहीं मिला था, जिस से उस की शिनाख्त हो पाती. लेकिन स्वस्थ, सुंदर युवती के कपड़ों से लग रहा था कि वह किसी संपन्न और संभ्रांत परिवार से थी.

मृतका की कलाई में टाइटन की घड़ी थी. साथ ही वह ब्रांडेड कपड़े पहने हुए थी. उस की गरदन पर बना टैटू भी इस बात का संकेत था कि उस का संबंध किसी बड़े शहर से था. हत्यारे ने उस की बड़ी बेरहमी से हत्या की थी.

युवती के सीने और पेट पर चाकू के गहरे घाव थे. सिर पर किसी भारी चीज से प्रहार किया गया था. उस का चेहरा इतना विकृत कर दिया गया था ताकि उसे पहचाना न जा सके.

घटनास्थल का निरीक्षण कर के पुलिस ने युवती की लाश को पोस्टमार्टम के लिए बेंगलुरु सिटी अस्पताल भेज दिया.

घटनास्थल की सारी काररवाई पूरी कर के पुलिस टीम थाने लौट आई और हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया. इस के साथ ही पुलिस युवती की पहचान और हत्यारे की खोज में लग गई.

पुलिस की प्राथमिकता थी युवती की पहचान करना क्योंकि बिना शिनाख्त के जांच आगे बढ़ाना मुश्किल था. युवती की शिनाख्त के लिए पुलिस के पास युवती के ब्रांडेड कपड़ों और चप्पलों के अलावा कुछ नहीं था. पुलिस ने उस के ब्रांडेड कपड़ों और चप्पलों के बार कोड का सहारा लिया. बार कोड से पुलिस ने यह जानने की कोशिश की कि ऐसी मार्केट कहांकहां और किनकिन शहरों में हैं, जहां मृतका जैसे कपड़े और चप्पल मिलते हों.

पुलिस की मेहनत रंग लाई  गूगल पर सर्च करने के बाद पुलिस को जानकारी मिली कि ऐसी मार्केट दिल्ली और पश्चिम बंगाल के कोलकाता में अधिक हैं. यह पता चलते ही पुलिस ने दिल्ली और पश्चिम बंगाल की फेमस दुकानों की लिस्ट तैयार कर के उन से संपर्क साधा. पुलिस ने उन दुकानों से उन ग्राहकों की पिछले 2 सालों की लिस्ट मांगी, जिन्होंने औनलाइन या सीधे तौर पर खरीदारी की थी.

इस के साथ ही बेंगलुरु सिटी पुलिस ने उस युवती की लाश के फोटो और हुलिया दिल्ली और कोलकाता के सभी पुलिस थानों को भेज कर यह जानने की कोशिश की कि कहीं किसी पुलिस थाने में किसी युवती की गुमशुदगी तो दर्ज नहीं है. लेकिन इस का कोई नतीजा नहीं निकला. इस के बावजूद पुलिस निराश नहीं हुई.

पुलिस उच्चाधिकारियों के आदेश पर जांच के लिए पुलिस की 2 टीमें बनाई गईं. इन में से एक टीम को दिल्ली भेजा गया और दूसरी को कोलकाता. इस कोशिश में पुलिस को कामयाबी मिली.

पुलिस को जो जानकारी चाहिए थी, वह कोलकाता के थाना न्यू टाउन से मिली. मृत युवती की गुमशुदगी थाना न्यू टाउन में दर्ज थी. पुलिस को पता चला कि जिस युवती की लाश मिली थी, वह कोई आम युवती नहीं बल्कि सेलिब्रिटी थी, नाम था पूजा सिंह.

वह इंटरटेनमेंट चैनल स्टारप्लस के सीरियल ‘दीया और बाती हम’ का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा थी. उस ने और भी कई धारावाहिकों में महत्त्वूपर्ण भूमिकाएं निभाई थीं. साथ ही वह एक इवेंट मैनेजमेंट कंपनी की फ्रीलांस मौडल भी थी. पूजा सिंह अपने पति सुदीप डे के साथ कोलकाता के न्यू टाउन में रहती थी.

पता मिल गया तो बेंगलुरु पुलिस न्यू टाउन स्थित सुदीप डे के घर पहुंच गई. पता चला कि सुदीप डे और पूजा सिंह ने लव मैरिज की थी. सुदीप डे ने बताया कि पूजा 29 जुलाई, 2019 को इवेंट मैनेजमेंट कंपनी के बुलावे पर उन के एक प्रोग्राम में हिस्सा लेने बेंगलुरु गई थी. उसे 31 जुलाई की सुबह फ्लाइट ले कर कोलकाता आना था.

जब वह नहीं आई तो सुदीप ने उस के मोबाइल पर काल की, लेकिन पूजा का फोन बंद था. जहांजहां पूछताछ करना संभव था, उन्होंने फोन किया. लेकिन कहीं से भी संतोषजनक जवाब नहीं मिला. आखिर सारा दिन इंतजार करने के बाद उन्होंने थाना न्यू टाउन में पूजा की गुमशुदगी की शिकायत दर्ज करा दी.

पुलिस ने अपना काम किया भी, पर पूजा का कोई पता नहीं लग सका. वह खुद भी नातेरिश्तेदारों और दोस्तों से बात कर के पूजा का पता लगाते रहे.

हत्यारे ने खुद सुझाया रास्ता  इसी बीच सुदीप के मोबाइल पर एक चौंका देने वाला मैसेज आया. मैसेज पूजा सिंह के फोन से ही किया गया था. मैसेज में लिखा था कि वह हैदराबाद में है और पैसे के लिए परेशान है. इस मैसेज में एक बैंक एकाउंट नंबर दे कर उस में 5 लाख रुपए डालने को कहा गया था.

यह बात सुदीप डे को हजम नहीं हुई, क्योंकि यह संभव ही नहीं था कि पूजा सिंह पैसे के लिए परेशान हो और अगर ऐसा होता भी तो वह पति से सीधे बात कर सकती थी. जिस तरह टूटीफूटी अंगरेजी में मैसेज था, वह भी गले उतरने वाला नहीं था क्योंकि पूजा की इंग्लिश पर अच्छी पकड़ थी.

मतलब साफ था कि पूजा का मोबाइल किसी गलत व्यक्ति के हाथों में पड़ गया था. इस से भी महत्त्वपूर्ण बात यह थी कि हैदराबाद में पूजा का कोई प्रोग्राम था ही नहीं.

सुदीप ने पुलिस हेल्पलाइन से बैंक एकाउंट नंबर का पता लगाने की रिक्वेस्ट की तो पता चला कि वह एकाउंट नंबर बेंगलुरु के किसी नागेश नाम के व्यक्ति का था और पूरी तरह फ्रौड था.

सुदीप से मिली जानकारी से पुलिस जांच को दिशा मिल गई. सुदीप डे को साथ ले कर पुलिस टीम बेंगलुरु लौट आई. मृतका की शिनाख्त के बाद पूजा सिंह की लाश सुदीप को सौंप दी गई.

दूसरी ओर पुलिस ने नागेश का बायोडाटा एकत्र करना शुरू किया. पूजा सिंह के फोन की काल डिटेल्स से नागेश का फोन नंबर पता चल गया. कुछ जानकारियां उस के बैंक एकाउंट से भी मिलीं.

नागेश के मोबाइल की लोकेशन के सहारे 10 अगस्त, 2019 को उसे टैक्सी स्टैंड से गिरफ्तार कर लिया गया, वह टैक्सी ड्राइवर था. इस मामले में उस से पूछताछ डीसीपी भीमाशंकर एस. गुलेड़ ने खुद की.

शुरू में तो नागेश ने इमोशनल ड्रामा कर के डीसीपी साहब को घुमाने की कोशिश की लेकिन जब पुलिस ने अपने हथकंडे अपनाए तो वह मुंह खोलने को मजबूर हो गया. अंतत: उस ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया. उस ने टीवी एक्टर पूजा सिंह की हत्या की जो कहानी बताई, वह कुछ इस तरह थी—

साधारण परिवार का 22 वर्षीय एच.एम. नागेश बेंगलुरु के संजीवनी नगर, हेग्गनहल्ली का रहने वाला था. मातापिता की गरीबी की वजह से उस ने बचपन से ही काफी कष्ट उठाए थे. महत्त्वाकांक्षी स्वभाव के नागेश ने बड़ी मुश्किल से 10वीं पास की थी.

जवान होते ही उस ने टैक्सी चलाने का काम शुरू कर दिया था. नागेश की शादी हो चुकी थी और उस के 2 बच्चे भी थे. घरपरिवार को चलाने की पूरी जिम्मेदारी उसी के कंधों पर थी.

शुरू में काफी दिनों तक नागेश ने किराए की टैक्सी चलाई. बाद में उस ने यारदोस्तों की मदद और बैंक से लोन ले कर खुद की टैक्सी खरीद ली, जिसे उस ने ओला कैब में लगा दिया था. लेकिन इस से भी नागेश को ज्यादा कमाई नहीं होती थी, बस जैसेतैसे काम चल जाता था.

पूजा सिंह मौत का साया नहीं देख पाईं  जिन दिनों उस की मुलाकात टीवी स्टार पूजा सिंह से हुई, उन दिनों वह आर्थिक रूप से काफी परेशान था. दरअसल, उसे हर हफ्ते बैंक को किस्त देनी होती थी. लेकिन उस की टैक्सी के 2 हफ्ते बिना पेमेंट के छूट गए थे. 2 किस्तें भरने के लिए बैंक ने लेटर भेजा था.

29 जुलाई, 2019 को पूजा सिंह जब इवेंट मैनेजमेंट के प्रोग्राम के लिए बेंगलुरु आईं तो उस ने एयरपोर्ट से नागेश की ओला कैब हायर की. पूजा उस की कैब से वरपन्ना की अग्रहारा लौज गई थीं. उस के बातव्यवहार से पूजा सिंह कुछ इस तरह प्रभावित हुईं कि उन्होंने नागेश को अपने पूरे प्रोग्राम में साथ रखने का फैसला कर लिया. होटल में फ्रैश होने के बाद पूजा अपने कार्यक्रम के लिए निकलीं तो रात लगभग 12 बजे के आसपास वापस लौटीं.

नागेश को किराया देने के लिए पूजा सिंह ने अपना पर्स खोला और किराए के अलावा उसे अच्छी टिप दी. 31 जुलाई, 2019 की सुबह साढ़े 4 बजे पूजा को कोलकाता वापस लौटना था. इस के लिए उन्हें फ्लाइट पकड़नी थी, इसलिए उन्होंने नागेश को साढे़ 3 बजे एयरपोर्ट छोड़ने के लिए कहा. इस के लिए नागेश ने पूजा सिंह से 1200 रुपए मांगे, जिसे उन्होंने खुशीखुशी मान लिया. नागेश पूजा सिंह के व्यवहार से खुश था. लेकिन होनी को कौन रोक सकता है.

चूंकि सुबह 3 बजे नागेश को जल्दी आ कर पूजा सिंह को ले कर एयरपोर्ट छोड़ना था, इसलिए घर न जा कर उस ने टैक्सी होटल परिसर में ही पार्क कर दी और टैक्सी की सीट लंबी कर के सोने की कोशिश करने लगा.

लेकिन दिमागी परेशानी ने उसे आराम नहीं करने दिया. उसे बैंक की 3 हफ्ते की किस्तें देनी थीं. उसे घर के खर्च और बैंक की किस्तों की चिंता खाए जा रही थी.

पूजा सिंह ने नागेश को जब किराया और टिप दी थी तो उस की नजर नोटों से भरे पूजा के पर्स पर चली गई थी. जब उस के दिमाग में कई तरह के सवाल आ रहे थे, तब बारबार उस की आंखों के सामने पूजा सिंह का पर्स भी लहरा रहा था.

नागेश ने बनाई हत्या की योजना सोचतेसोचते नागेश के मन में एक खतरनाक योजना बन गई और उस ने उस पर अमल करने का फैसला कर लिया. पूजा सिंह को लूट कर वह अपनी परेशानियों से पीछा छुड़ाना चाहता था. उस ने सोचा कि पूजा सिंह दूसरे शहर की रहने वाली है, किसी को पता भी नहीं चलेगा.

मन ही मन योजना बनातेबनाते उसे नींद आ गई. उस की नींद तक टूटी जब होटल के स्टाफ का एक व्यक्ति पूजा सिंह का सामान ले कर उस के पास आया. टैक्सी में सामान रखवाने के बाद नागेश ने तरोताजा होने के लिए अपनी पानी की बोतल ले कर मुंह पर छींटे मारे. पूजा सिंह आ गईं तो उन्हें ले कर वह एयरपोर्ट की तरफ चल दिया.

जितनी तेजी से उस की टैक्सी भाग रही थी, उतनी ही तेजी से उस का दिमाग चल रहा था. काम में व्यस्त रहने के कारण पूजा ठीक से सो नहीं पाई थीं, जिस की वजह से कैब में बैठेबैठे उन्हें नींद आ गई. पूजा को नींद में देख नागेश के मन का शैतान रौद्र रूप लेने लगा. उस ने टैक्सी का रुख सुनसान निर्जन स्थान की तरफ कर दिया.

पूजा सिंह की नींद खुली तो कैब के आसपास सन्नाटा देख घबरा गईं. टैक्सी रुकवा कर वह नागेश से कुछ बात कर पातीं, इस से पहले ही नागेश ने जैक रौड से पूजा सिंह के सिर पर वार कर दिया, जिस से वह बेहोश हो कर गिर गईं.

नागेश पूजा सिंह का सारा सामान ले कर फरार हो पाता, इस के पहले ही पूजा सिंह को होश आ गया. वह अपने बचाव के लिए चीखतेचिल्लाते हुए कैब से उतर कर रोड की तरफ भागने लगीं. लेकिन वह अपनी मौत से भाग नहीं पाईं.

नागेश ने उन्हें पकड़ लिया और अपनी सुरक्षा के लिए रखे चाकू से पूजा सिंह को गोद कर मौत की नींद सुला दिया. बाद में वह पूजा सिंह के शव को वहीं छोड़ कर फरार हो गया.

पूजा सिंह को लूट कर वह निश्चिंत हो गया था, लेकिन उसे तब झटका लगा जब आशा के अनुरूप पूजा सिंह के पर्स से उस के हाथ कुछ नहीं लगा. जिस समस्या के लिए उस ने इतना बड़ा अपराध किया था, वह पूरी नहीं हो सकी. वह कैसे या क्या करे, यह बात उस की समझ में नहीं आ रही थी.

तभी पूजा सिंह का मोबाइल उस के लिए रोशनी की किरण बना. उस ने पूजा सिंह के मोबाइल से उन के पति सुदीप डे को अपना एकाउंट नंबर दे कर 5 लाख रुपए डालने का मैसेज भेज दिया. बस यही उस के गले की फांस बन गया.

एच.एम. नागेश से विस्तृत पूछताछ के बाद उसे महानगर मैट्रोपौलिटन मजिस्ट्रैट के सामने पेश किया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया. पुलिस ने उस की निशानदेही पर हत्या में इस्तेमाल चाकू, जैक रौड और टैक्सी पहले ही बरामद कर ली थी.

बिग बौस 18 में रजत दलाल हुए बागी, अविनाश मिश्रा से की लड़ाई

बिग बौस 18(Bigg Boss 18) इस साल धमाकेदार चल रहा है. शो में एक से बढ़कर एक कंटेस्टेंट लगातार सुर्खियों में बना हुआ है. शो में अबतक रजत दलाल, अविनाश मिश्रा, ईशा सिंह जैसे कंटेस्टेंट टौप पर दिखाई दे रहे है. शो में अबतक वाईल्ड कार्ड एंट्री ईशा सिंह (Isha Singh) और दिग्विजय सिंह राठी ले चुके है. इनके आने से घर में घमासान मच चुका है.

 

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शो में हर दिन किसी न किसी कंटेस्टेंट की एक दूसरे से भिंड़त हो रही है. शो में कंटेंस्टेंट बहस करते भी दिख रहे है. हाल ही में रजत दलाल शो में बागी हो गए. उन्होंने अविनाश मिश्रा (Avinash Mishra) पर अपना आपा खो दिया है. शो के लेटेस्ट प्रोमो में रजत और अविनाश एक दूसरे से भयंकर लड़ाई करते दिखे है.

पहले रजत (Rajat) और विवियन डीसेना(vivian Desan) के बीच बहस शुरु होती है इसी बहस में अविनाश मिश्रा कूद पड़ते हैं, जिसके बाद रजत दलाल, अविनाश मिश्रा अपना आपा खो बैठते है. रजत और अविनाश के बीच भयंकर लड़ाई हो जाती है. उन्हे देखते हुए ईशा सिंह और दिग्विजय सिंह राठी और अरफीन खान रोकने लगते है.

दोनों की लड़ाई खाने की बातचीत से शुरु होती है. पहले विवियन, रजत से पूछते है कि जेल में रहने के दौरान उन्हे सभी घरवालो के बीच बराबर खाना क्यों नहीं बांटा है. रजत को विवियन से खुद के लिए बोलने के लिए कहते हुए सुना जाता है. जिसके बाद एक्टर यह कहते हुए पलटवार करते है कि उन्हे लोगों को सिर्फ बोलने से ज्यादा सिखाना पसंद है.

जिसके बाद रजत, विवियन के कंधे को छूते हैं और कहते हैं कि वह जो चाहें कर सकते हैं क्योंकि विवियन जैसे कई लोग आते हैं. इससे एक्टर नाराज हो जाते हैं और कहते हैं कि वह उन्हें बाहर निकलने के दरवाजे तक छोड़ देंगे. अविनाश के इंटरफेयर के बाद लड़ाई और भी बढ़ जाती है और रजत उन्हें ‘चेला’ कहकर बुलाते हैं.

आपको बता दें कि बिग बौस 18 के अपकमिंग एपिसोड में एक नौमिनेशनन टास्ट होगा. जहां विवियन के पास उन नामों के लिए करने का अधिकार होगा. जिन्हे वह बाहर करना चाहते है. प्रोमो के अनुसार, रजत, श्रुतिका, चाहत पांडे और सारा अरफीन खान उन आठ नामों में शामिल हैं जिन्हे वह नोमिनेट करेंगे.

कौन है रजत दलाल

रजत दलाल एक फिटनेस इंफ्लुएंसर है. जो अपनी फिटनेस वीडियो के लिए सोशल मीडिया पर काफी पौपुलर है. वे कई बार मीडिया की सुर्खियों में आ चुके है. एक बार उनका एक वीडियो जमकर चर्चा में रहा था. इस वीडियो में वे सड़क पर तेज रफ्तार में कार चलाता हुआ दिखा. वीडियो में ये भी साफ दिखाया गया था कि वे तेज रफ्तार से आ रहा था और एक बाइक सवार को ठोकर लग जाती है और वे गिर जाता है. रजत के बाजू में बैठी लड़की रजत को इस बारे में बताती भी है लेकिन रजत उसकी बात को अनसुना कर देता है और कहता है कि ये उसका रोज का काम है. इस वीडियो के सामने आने के बाद सोशल मीडिया यूजर्स कार्रवाई की मांग करने लगे थे. हालांकि यह पहली बार नहीं था कि रजत दलाल इस तरह की क्रूरता के लिए वायरल हुआ है. इससे पहले भी रजत और उसके दोस्तों पर कई गंभीर आरोप लग चुके हैं. अब बिग बौस में रजत दलाल ने एक बार रूल को तोड़ा है और अविनाश मिश्रा पर हाथ उठाया है.

पलंगतोड़ सैक्स की चाहत को कैसे करें पूरा

यौन उत्तेजना या कहें सैक्स पावर. देसी भाषा में मर्दाना कमजोरी. उसे बढ़ाने की ललक को भुनाने वाला कारोबार सदियों से चला आ रहा है. इन दिनों नएनए तरीके और दवाओं का बाजार गर्म है. उस संबंध में कुछ सही तो कुछ गलत धारणाओं से भी लोग भ्रमित हो जाते हैं. और वे न केवल ठगे जाते हैं, बल्कि अपने शरीर का भी नुकसान कर बैठते हैं. इस के बावजूद भी सैक्स पावर के पीछे न केवल उम्रदराज मर्द बल्कि युवा भी इस तरह भाग रहे हैं कि…   कानपुर का रहने वाला  बिजनैसमैन सुंदर लखोटिया मर्दाना कमजोरी को ले कर चिंता में डूबा रहता था. हाल में ही उस की शादी हुई थी. उम्र 32 साल और पत्नी की उम्र 26-27 साल. वह अपनी पत्नी से यौन संबंध बनाने में खुद को कमजोर समझता था. इस की शिकायत पत्नी की तरफ से थी या नहीं, यह तो पता नहीं लेकिन फिर भी उसे लगता था कि उस की सैक्स लाइफ मजेदार नहीं है. जिस आनंद के बारे में उस ने दोस्तों से सुन रखा था, वैसा उसे कुछ भी अनुभव नहीं हो पा रहा था. पत्नी के साथ देर तक नहीं टिक पाता था. सैक्स की कुछ पोजीशनों के बाद ही स्खलित हो जाता था. एक रोज उस की नजर फेसबुक के जरिए एक विज्ञापन पर गई. वह एक कालसेंटर का विज्ञापन था, जिस में सैक्स समस्याओं के संबंध में सलाह देने की बात कही गई थी. उस ने तुरंत दिए गए नंबर पर काल कर दी.

कुछ समय में ही एक मैसेज आ गया. उस के साथ एक लिंक भी था. सुंदर ने झट लिंक को क्लिक कर दिया. उस पर सैक्स पावर बढ़ाने वाली कई जानकारियां थीं. उन में सैक्स पोजीशन, आहारविचार और लाइफस्टाइल से ले कर सैक्स की क्षमता बढ़ाने वाली गोलियां, स्प्रे और आयल की जानकारी भी थी. नीचे दिए रोहिणी, दिल्ली के पते से उसे कुरियर के जरिए मंगवाया जा सकता था. सुंदर ने बिना समय गंवाए और किसी से सलाहमशविरा किए बिना तुरंत 1800 रुपए का और्डर बुक कर दिया. महीनों बीतने के बावजूद और्डर का कोई कुरियर नहीं आया, उल्टे उसे पैसा कमाने के साथसाथ सैक्स के अनुभवों के बारे में प्रैक्टिकल जानकारियां लेने का एक औफर मिला.

वह औफर जिगोलो यानी ठेठ में कहें कि पुरुष वेश्या बन 30 की उम्र पार कर चुकी महिलाओं के साथ सैक्स करने का था. इस के बदले में रजिस्ट्रैशन फीस मांगी गई थी.  सुंदर के सामने एक ओर दूसरी औरतों के सैक्स की ललक थी और पैसा बनाने का मौका भी था. उस ने दिए गए नंबर पर काल की, वह कालसेंटर का नंबर था. टेलीकालर महिला ने उसे मीठीमीठी लुभावनी आवाज में समझा दिया कि इस से उस की सैक्स पावर बढ़ाने में मदद मिलेगी. इस के लिए निश्चित रजिस्ट्रैशन फीस चुकानी होगी. आश्वासन भी मिला कि उस के यहां से दवा और्डर बुक किया जा चुका है.

कुछ दिन बाद ही एक खबर पढ़ कर वह चौंक गया. खबर के अनुसार, राजधानी दिल्ली में रोहिणी इलाके की साइबर सेल ने एक ऐसे रैकेट का भंडाफोड़ किया था, जिस में 8 युवतियां भी शामिल थीं. सभी फरजी कालसेंटर में काम करने वाली टेलीकालर थीं.  उस का मुख्य आरोपी टेलीकालर लड़कियों के माध्यम से जिगोलो का काम दिलाने का झांसा दे कर ठगी करता था. पुलिस ने फरजीवाड़े के गैंग सरगना अमन विहार निवासी मेहताब को गिरफ्तार कर लिया.

खबर पढ़ कर सुंदर को समझते देर नहीं लगी कि वह एक फरजी कंपनी की ठगी का शिकार हो चुका है. असल में वह कंपनी सैक्स पावर बढ़ाने वाली ‘शक्तिवर्द्धक गोली’ और ‘पावर स्प्रे’ बेचने का काम करती थी. पुलिस द्वारा की गई शुरुआती जांच में देश भर के 50 से अधिक लोगों से ठगी की बात सामने आई. उस का सरगना मेहताब दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक था, उस ने दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर के दौरान अपनी पढ़ाई छोड़ दी थी और यूपीएससी की तैयारी करने लगा था. उसी दौरान उस ने कुछ कालसेंटरों में काम भी किया था. साइबर सेल को समयपुर बादली निवासी सुमित ने 2 जून को घोखाधड़ी की शिकायत की थी. उस ने बताया था कि उसे कालसेंटर से एक लड़की का फोन आया था. उस ने जिगोलो का काम दिलवाने और सैक्स पावर की गोलियां देने का झांसा दिया था. उस से 70 हजार रुपए ठग लिए. आरोपी ने रजिस्ट्रैशन, बुकिंग और एडवांस के नाम पर उस से ठगी की थी.

उस शिकायत पर ही जिला पुलिस उपायुक्त बृजेंद्र सिंह ने छापेमारी के आदेश दिए थे. कालसेंटर से 12 मोबाइल फोन, पेटीएम एप्लिकेशन चलाने के लिए इस्तेमाल एक एंड्राइड फोन, लेनदेन का विवरण रखने वाले 16 नोटबुक, कर्मचारियों का हाजिरी रजिस्टर और ‘कार्य सुख पावर’ नाम की गोलियों की 5 बोतलें समेत स्प्रे की 5 बोतलें बरामद की गई थीं. कालसेंटर में काम करने वाली टेली कालर किसी भी नंबर पर फोन करती थीं. फोन पर बात करने वाले लोगों को यौनशक्ति बढ़ाने की दवा लेने के लिए प्रेरित करती थीं.

यदि कोई दावा करता था कि उस की यौनशक्ति ठीक है और उसे किसी भी दवा की जरूरत नहीं है, तब लड़कियां उन्हें जिगोलो सेवा में शामिल होने के लिए अच्छा पारिश्रमिक देने की बात कहती थीं. यौनशक्ति में कमी की शिकायत वालों को भी सैक्स करने के तरीके सिखाने की बातें करती थीं. उल्लेखनीय है कि सैक्स से जुड़ी परेशानियों के शिकार अमूमन नवविवाहित युवा हैं. वैसे हर मर्द सैक्स का आनंद नए अंदाज में लेना चाहता है. इसी का फायदा सैक्स पावर बढ़ाने वाला बाजार उठाता है.

सैक्स पावर को बढ़ाने के लिए मार्केट  में कई तरह की दवाइयां उपलब्ध हैं, जिन में आयुर्वेदिक से ले कर एलोपैथिक दवा वियाग्रा तक है. लोगों का मानना है कि नपुंसकता दूर करने वाली वियाग्रा एक महंगी और पूरी दुनिया में सैक्स पावर को तेजी से बढ़ाने वाली गोली मानी जाती है. इस तरह की दवाइयों से मर्दाना कमजोरी को दूर करने के दावे किए जाते हैं. लेकिन इस के खतरे भी कम नहीं हैं. अगर शादी से पहले इन की आदत लग जाए या फिर छिपे हुए रोग ग्रसित होने की स्थिति में इस का सेवन खतरनाक हो सकता है. कई बार ऐसी दवाओं की लत लग जाती है. इस का एहसास 28 साल के अमित को शादी के बाद हुआ.

प्रयागराज, उत्तर प्रदेश के रहने वाले अमित ने शादी से पहले सैक्स के अनेक अनुभवों के ख्वाब देखे थे. पोर्न फिल्मों से ले कर सैक्स पावर बढ़ाने वाली दवाइयों के बारे में जानकारी जुटा ली थी.  उस के साथ जो हुआ, वह सुख में सेंध जैसी बात ही कही जाएगी. शादी की पहली रात तो जैसेतैसे निकल गई. असल में वह नई पत्नी संग रोमांस सुख से अधिक पलंगतोड़ सैक्स सुख की उम्मीद लगाए हुए था. लेकिन उस की समस्या उस का बारबार स्खलित होना था. तब उस ने अगले रोज वियाग्रा की डबल खुराक ले ली.  पलंगतोड़ यौनाचार की ख्वाहिश प्रबल थी. दिमाग की नसों में सैक्स का रक्त तेजी से बहने लगा था. उस ने लिंग की उत्तेजना तो हासिल कर ली, लेकिन पत्नी की मनोदशा को नहीं समझ पाया. यह कहें कि दिमाग में सैक्स की सुखानुभूति असंतुलित हो गई. शरीर के दूसरे अंगों के साथ तालमेल नहीं बन पाया.

नतीजा वह वियाग्रा के साइड इफेक्ट का शिकार हो गया. डाक्टरी सलाह के बिना उस ने वियाग्रा की लगातार 4 गुना गोलियां खा लीं. सैक्स सुख में उस का आनंद कितना बढ़ा इस का तो पता नहीं, लेकिन वह अलग तरह के मनोवैज्ञनिक दबाव में जरूर आ गया था. उस असर को छिपा लिया. सोचा कुछ दिनों में अपने आप सही हो जाएगा. हालांकि जिसे वह सामान्य शारीरिक थकान और सिरदर्द समझ रहा था. दरअसल, वह उस के शरीर के लिए एक खतरे की घंटी थी. अचानक उस की तबीयत बिगड़ गई. काफी कमजोरी महसूस करने लगा. 5 जून, 2022 को उसे अस्पताल में भरती होने की नौबत आ गई. प्रयागराज के सब से बड़े सरकारी अस्पताल मोतीलाल नेहरू मैडिकल कालेज में उस का इलाज करने वाले डाक्टर भी उस की हालत देख कर हैरान थे.

डाक्टर के लिए यह अलग तरह का मामला था. डाक्टरी जांच में पाया गया कि उस  के लिंग में तनाव कम नहीं हो रहा है. साथ ही उस के शरीर के दूसरे हिस्से की नसें भी उभर गई थीं. डाक्टर इतना तो समझ गए थे कि मामला सैक्स से जुड़ा है. अमित से हमदर्दी जताते हुए पूछताछ की गई. उस ने बगैर कुछ छिपाए हुए वियाग्रा की डोज के बारे में बताया. डाक्टर के लिए चुनौती यह थी कि किस तरह से उस दवा के असर को खत्म किया जाए.

यूरोलौजी विभाग के हेड डा. दिलीप चौरसिया ने केस अपने हाथ में लिया. इलाज शुरू किया गया. प्राइवेट पार्ट की नसों के तनाव को कम करने के लिए दूसरी दवाओं का सहारा लिया गया, लेकिन इस का भी ध्यान रखा गया कि उन दवाओं के असर से दिल की धड़कनें प्रभावित न हों और दिमाग की नसों पर भी कोई असर न पड़े. डाक्टरों की टीम ने मुंबई के एक डा. रुपिन शाह के फार्मूले को अपनाया और पेनाइथल प्रोस्थेसिस के एक महीने के अंतर से 2 औपरेशन कर अमित को ठीक तो कर दिया लेकिन उस के लिंग का तनाव फिर भी कम नहीं हुआ. इस हालत में अमित को परिवार और समाज के सामने रहना असहज महसूस होने लगा. इस का डाक्टरों ने एक ही उपाय बताया कि वह मोटा कपड़ा पहने या लंगोट बांधे.

लिंग में हर समय उत्तेजना बने रहने का अमित को खामियाजा भी भुगतना पड़ा. पति की सैक्स पावर से परेशान हो कर उस की नवविवाहिता मायके चली गई. अमित के साथ घटित इस घटना से वैसे युवाओं को सैक्स पावर की दवाओं के सेवन के प्रति सतर्क कर दिया है. अधिकतर युवक लुभावने विज्ञापनों को देख कर यह कदम उठा लेते हैं. इस की खुराक का पता नहीं करते. नीमहकीमों के चक्कर में पड़ कर अपनी जिंदगी तबाह कर लेते हैं.

सैक्स पावर बढ़ाने की ललक में वह अपनी सैक्स पावर को और कम कर लेते हैं या फिर नपुंसकता के शिकार हो जाते हैं. कुछ नहीं तो प्रजनन क्षमता में कमी आ ही जाती है.  सैक्स रोग विशेषज्ञों ने सैक्स पावर बढ़ाने वाली गोलियों के सेवन और उस के दुष्प्रभाव के बारे में कई सुझाव दिए हैं. उस का सब से बुरा दुष्प्रभाव स्खलन दोष से संबंधित होता है. लंबे समय तक सैक्स के लिए उत्तेजना तो आ जाती है, लेकिन उस का टिकाऊपन उस का स्वस्थ शरीर और दूसरे मनोविज्ञान पर भी निर्भर करता है.

मैडिकल साइंस में इरेक्टाइल डिसफंक्शन एक सैक्स संबंधी समस्या है, जिसे नपुंसकता के रूप में भी जाना जाता है. इरेक्शन अर्थात सैक्स के लिए उत्तेजना प्राप्त करने या बनाए रखने में असमर्थ होने पर यह समस्या पैदा होती है. मर्दों में यौन उत्तेजना एक जटिल समस्या है, जिस में हार्मोंस, मस्तिष्क, भावनाएं, मांसपेशियां, तंत्रिकाएं और रक्त वाहिकाएं शामिल हैं. इन में से किसी भी हिस्से की समस्या होने की स्थिति में इरेक्टाइल डिसफंक्शन आ सकती है.  हालांकि पुरुषों के एक बड़े वर्ग में यह खराब हृदय स्वास्थ्य के कारण होता है. यही कारण है कि दिल के मरीजों को इस समस्या के निपटारे के लिए सैक्स पावर की गोलियां खाने से बचने की सलाह दी जाती है. वियाग्रा के अधिक सेवन से होने वाली मौतों का कारण हार्ट अटैक ही पाया गया है.

सामान्य स्वास्थ्य बीमारियां, जैसे हृदय रोग, उच्च कोलेस्ट्राल, उच्च रक्तचाप और मधुमेह सभी एक पुरुष की यौन उत्तेजना हासिल करने या बनाए रखने की क्षमता को प्रभावित करते हैं. यौन उत्तेजना में कमी का उपचार शारीरिक रोगों को ध्यान में रख कर किया जाता है. वैसे इस के लिए कई दवाएं उपलब्ध हैं. उन में वियाग्रा (सिल्डेनाफिल), सियालिस (तडालाफिल), वर्डेनाफिल (लेवित्रा) और अवानाफिल (स्टेंद्र) प्रचलन में हैं. इन का सेवन डाक्टरी सलाह के बगैर करना काफी खतरनाक हो सकता है.

ये दवाएं रक्त में नाइट्रिक आक्साइड के स्तर को बढ़ा कर अपना काम करती हैं. नाइट्रिक आक्साइड रक्त वाहिकाओं को चौड़ा कर देता है. इस संबंध में किए गए अध्ययनों से पता चला है कि इस से लिंग में रक्त का प्रवाह बढ़ जाता है. ऐसा होने पर पुरुषों के लिए यौन उत्तेजना प्राप्त करने और बनाए रखने में सहूलियत होती है. यौन उत्तेजना वाली दवा के दुष्प्रभाव के बारे में पुरुषों को सचेत रहने की जरूरत है. दुष्प्रभावों में सिरदर्द, चक्कर आना, नाक और छाती में अधिक खून का जमाव, शरीर में ऐंठन, पाचन संबंधी समस्या, नजर दोष और त्वचा के रंग में बदलाव होते हैं.

कई पुरुषों में ऐसी दवा लेते समय छाती और नाक में रक्त जमाव का अनुभव होता है या फिर नाक बहने जैसी समस्या आ जाती है. ये दुष्प्रभाव भी नाइट्रिक आक्साइड के बढ़े हुए स्तर के कारण होते हैं. इस का स्तर बढ़ने पर नाक बंद हो जाती है और छाती में जमाव हो जाता है. सीने में दर्द होने लगता है. यही हृदय गति में तेजी आने का कारण बन जाता है.

सैक्सवर्धक दवा न केवल पाचन को प्रभावित कर देती है, बल्कि पूरे शरीर की मांसपेशियों में दर्द की समस्या को भी बढ़ा देती है. पीठ के निचले हिस्से में दर्द होने लगता है. इन दवाओं को लेने से दस्त और अपच का खतरा भी बढ़ जाता है. सैक्सवर्धक दवाओं का इंसान पर क्या दुष्प्रभाव पड़ता है, इस से दवा बनाने वाली कंपनियों को कोई खास मतलब नहीं. उन की नजर तो धंधे के मुनाफे पर है. वे करोड़ों की कमाई कर रही हैं.

नीमहकीमों की तो बात ही अलग है. वे तो अच्छेभले इंसान में भी कई तरह की कमियां निकाल कर उन का संबंध सैक्स से जोड़ देते हैं. इस के बाद वे जिस तरह जेब ढीली करते हैं, उस का अहसास बाद में होता है. कुल मिला कर स्वस्थ और सुखद यौन संबंध के लिए जीवनशैली को सहज सरल बना कर ही यौन आनंद की अनुभूति की जा सकती है, जो हमारे दैनिक संतुलित आहार से संभव है. सैक्स के लिए किए जाने वाले प्रयोग जोखिम से भरे होते हैं

क्या मास्टरबेट करने से मैं बच्चा पैदा नहीं कर पाउंगा ?

सवाल 

मैं 24 वर्षीय नौजवान हूं शादी को दो साल हो गए हैं . मैं घर से दूर रहकर नौकरी करता हूं और साल में 4-5 बार ही घर जा पाता हूं. कुछ घरेलू वजहों के चलते अभी पत्नी को साथ नहीं ला पा रहा हूं. मेरी समस्या यह है कि सेक्स की तलब लगने और पत्नी की याद आने पर मैं संतुष्टि के लिए मास्टरबेट करता हूं पर यह सोच कर चिंतित हूं कि कहीं मास्टरबेट करने से मैं बच्चा पैदा कर पाऊंगा या नहीं.

जवाब

आपकी चिंता फिजूल है मास्टरबेट करने से बच्चा पैदा करने की क्षमता पर कोई फर्क नहीं पड़ता है इसलिए आप सेक्स की जरूरत पूरी करने निसंकोच मास्टरबेट करते रहें. अच्छी बात यह है कि शरीर की भूख मिटाने आप काल गर्ल्स के पास नहीं जाते. वे महंगी भी पड़ती हैं और उनके पास जाने में खतरे भी बहुत रहते हैं इसलिए आप ने संतुष्टि के लिए बेहतर रास्ता चुना है.

हां इतना जरूर ध्यान रखें कि यह रोज रोज न करें . रही चिंता बच्चे पैदा करने की तो उसे दिल से निकाल दें क्योंकि शादी से पहले 99 फीसदी लोग मास्टरबेट करते हैं और शादी के बाद पिता भी बनते हैं. शादी के बाद पत्नी से दूर रहने पर भी सेहत या क्षमता पर कोई फर्क नहीं पड़ता इसलिए जरूरत पड़ने पर आप बेहिचक मास्टरबेट करते रहें और बीवी को जल्द अपने पास लाने की कोशिश करें क्योंकि जो हालत आप की है वही उसकी भी होगी.

आप डैमीसैक्सुअल तो नहीं

आप ने अब तक सैक्सुअलिटी को ले कर कई शब्द सुने होंगे जैसे बाईसैक्सुअल, पैनसैक्सुअल, पौलिसैक्सुअल, असैक्सुअल, सेपोसैक्सुअल और भी कई तरह के शब्द. पर अब एक और नया शब्द सैक्सुअलिटी को ले कर एक नए रूप में आ रहा है और वह है डैमीसैक्सुअल. ये वे लोग हैं जो असैक्सुअलिटी के कगार पर हो सकते हैं पर पूरी तरह से अलैंगिक नहीं हैं. यदि आप किसी से सैक्सुअली आकर्षित होने से पहले अच्छे दोस्त होना पसंद करते हैं तो आप निश्चित रूप से डैमीसैक्सुअल हैं.

1. सैक्सुअलिटी की पहचान

यह जानने के कई तरीके हैं कि आप डैमीसैक्सुअल हैं या नहीं. सब से मुख्य तरीका यह है कि जब तक आप किसी से भावनात्मक रूप से नहीं जुड़ते, आप सैक्सुअल फीलिंग्स महसूस नहीं करते. आप के लिए भावनाएं महत्त्वपूर्ण हैं. आप सारी उम्र एक ही व्यक्ति से संबंध बना कर रह सकते हैं. आप प्रयोग से डरते हैं.

आप सैक्सुअल इंसान नहीं हैं, इस में कोई बुराई नहीं है. सैक्स के पीछे भागने से ज्यादा आप को जीवंत, वास्तविक बातचीत करना ज्यादा अच्छा लगता है. यदि आप किसी से रिलेशनशिप में हैं और उस से इमोशनली जुड़ हुए हैं तभी आप अपने पार्टनर के प्रति सैक्सुअली आकर्षित होते हैं. यदि आप सिंगल हैं, तो आप निश्चित रूप से सैक्स से ज्यादा पार्क में एक अच्छी सैर या अपनी पसंद की कोई चीज खाना पसंद करेंगे.

जिसे आप पसंद करती हैं, उस से मिलने के बाद आप उस के व्यक्तित्व से प्रभावित होंगी, उस के लुक्स से नहीं, इसलिए किसी भी चीज से पहले आप की उस से दोस्ती होगी. आप किसी से मिलने पर सैक्सुअल होने या फ्लर्टिंग में विश्वास नहीं रखते. यदि एक व्यक्ति ने आप को अपने व्यक्तित्व से प्रभावित किया है तो आप पहले दोस्ती में अपना हाथ बढ़ाएंगे. घंटों, हफ्तों, महीनों में ही डेटिंग शुरू करने की आप सोच भी नहीं सकते, फ्लर्टिंग आप के दिमाग में आती ही नहीं है.

2. आकर्षण के प्रकार

आकर्षण 2 तरह का होता है-प्राइमरी और सैकेंडरी. प्राइमरी आकर्षण में आप किसी के लुक्स से आकर्षित होते हैं और सैकेंडरी आकर्षण में आप किसी के व्यक्तित्व से प्रभावित होते हैं. यदि आप डैमीसैक्सुअल हैं तो आप निश्चित रूप से सैकेंडरी पर्सनैलिटी टाइप में फिट बैठते हैं. अब इस का मतलब यह नहीं है कि आप को कोई आकर्षित नहीं करता. बहुत लोग आप को आकर्षक लगे होंगे पर आप लुक्स पर ही संबंध नहीं बना सकते. आप तभी आगे बढ़ते हैं जब किसी का व्यक्तित्व आप को प्रभावित करता है.

जब आप के दिल में किसी के लिए फीलिंग्स पैदा होने लगती हैं, विशेषरूप से सैक्सुअल फीलिंग, तो आप दुविधा में पड़ जाते हैं, क्योंकि आप उतने सैक्सुअल पर्सन नहीं हैं. आप नहीं जानते कि इन फीलिंग्स पर क्या प्रतिक्रिया दें या उस व्यक्ति से कैसे शारीरिक कनैक्शन बनाएं. एक बार आप घबराहट और दुविधा की स्थिति से बाहर निकल गए, तो आप अपने पार्टनर से ही सैक्स करना चाहेंगे और किसी से भी नहीं. किसी से सैक्सुअली खुलने के लिए उसे बताएं कि आप उसे कितना प्यार करते हैं, क्योंकि आप बहुत भावुक हैं और फिर सैक्स आप दोनों के लिए बहुत कंफर्टेबल हो जाएगा.

3. लोगों का आप के प्रति नजरिया

क्योंकि आप सैक्स को ले कर ज्यादा नहीं सोचते, लोग सोच सकते हैं कि आप विवाह होने का इंतजार कर रहे हैं. वे आप को घमंडी और पुराने विचारों का समझ सकते हैं पर इस से आप विचलित न हों. जैसे हैं वैसे ही रहें. आप किसी स्विच को औनऔफ करने की तरह किसी से भी सैक्स नहीं कर सकते. लोगों को अपने मनोभावों पर स्पष्टीकरण देने की चिंता में पड़ें ही नहीं. आप को अपने आसपास हाइली सैक्सुअल लोगों से कोई समस्या भी नहीं होती है. बस आप स्वयं इस स्थिति से खुद को दूर रखते हैं, क्योंकि आप वैसे नहीं हैं. आप सही इंसान का इंतजार कर रहे हैं और अपना जीवन उस के साथ ही सैक्स कर के बिताना चाहते हैं. इस में कुछ भी गलत नहीं है.

डैमीसैक्सुअल होने का मतलब यह नहीं है कि आप को सैक्स पसंद नहीं है. आप को सैक्स पसंद है, सब को सैक्स पसंद होता है पर आप उसी के साथ सैक्स करना चाहते हैं जिस से आप का भावनात्मक जुड़ाव हो. जब सही इंसान आप को मिलता है, आप सैक्सुअली उस से जुड़ जाते हैं. बातचीत और बौंडिंग दोनों आप के लिए ज्यादा महत्त्व रखते हैं.

आप डैमीसैक्सुअल हैं तो आप को यह नहीं सोचना है कि यह कुछ गलत है. आप भावुक हैं, मन के मिले बिना तन से न जुड़ पाएं, तो इस में बुरा क्या है और मन मिलने पर तो आप खुल कर जीते ही हैं. यह बहुत अच्छा है. तो अपनी पसंद का व्यक्ति मिलने पर जीवन का आनंद उठाएं, प्रसन्न रहें.

Family Beautiful Story : एक परिवार

आज दफ्तर में छुट्टी थी. मैं सुबह से ही कमरे में टैलीविजन पर फिल्में देख रहा था. मैं ने दोपहर का खाना नहीं खाया था, फिर भी मुझे अभी तक भूख नहीं लगी थी. सोचा कि थोड़ी देर अपने घर की छत पर टहलते हुए ढलती शाम का नजारा देखूं.

जैसे ही मैं छत पर पहुंचा, पड़ोसी की छत पर ‘धमाका’ हुआ. मैं ने चौंकते हुए देखा, तो पड़ोसी का 7-8 साला लड़के ने अनार रूपी पटाखे को आग लगाई थी.

उस की एक चिनगारी छत पर सूखते मेरे कुरते से टकराई, जिस से मेरा कुरता बुरी तरह झुलस गया था.

मैं ने जैसे ही गुस्से भरी निगाहों से डरेसहमे बच्चे को देखा, जो डर के मारे  बुरी तरह कांप रहा था.

वह दबी हुई आवाज में बोला, ‘‘अंकल, मु?ा से गलती हो गई. आप का कुरता जल गया. मैं अपनी गुल्लक से पैसे ला कर दे दूंगा. आप बाजार से नया कुरता ले आना. पापा को मत बताना, वे मुझे मारेंगे.’’

मुझे खयाल आया कि मेरा पड़ोसी उस बच्चे का सौतेला बाप है. वह अपनी दूसरी पत्नी के मर जाने के बाद इस बच्चे की मां, जिसे पति ने छोड़ दिया था और जो अपने 2 बच्चों के साथ अपने मांबाप के घर बोझ बनी हुई थी, उसे खरीद लाया था.

वह बेचारी पहाड़ी इलाके के एक गरीब परिवार से थी. मेरे पड़ोसी की उम्र तकरीबन 60 साल थी. उस बच्चे की मां 30-35 साल की होगी.

मुझे लगा कि अगर मेरा बेटा भी मेरे पास होता, तो आज दीवाली के दिन वह भी ऐसी ही शरारतें कर रहा होता.

अपने बेटे का खयाल आया, तो अपनी पत्नी की जिद पर बेहद गुस्सा आने लगा. मन में आया कि अभी जाऊं और कम से कम अपने बेटे को ले आऊं. वह अगर साथ नहीं आना चाहती, तो उसे हमेशा के लिए छोड़ दूं.

मैं ने आगे बढ़ कर उस डरेसहमे बच्चे के सिर पर हाथ रखा और अपनेपन से कहा, ‘‘बेटा डरो नहीं. मेरे कपड़े खराब हो गए तो कोई बात नहीं, तुम इतने बड़े पटाखे मत चलाया करो. हाथ जल जाएंगे. ये लो 50 रुपए और मिठाई खा लेना,’’ मैं ने उसे 50 रुपए का नोट पकड़ाना चाहा, मगर उस ने रुपए लेने से इनकार कर दिया और चला गया.

मैं नीचे कमरे में आ गया. बिस्तर पर लेटा, तो आंखों के सामने मेरे दोस्त महेंद्र की पत्नी कामिनी का चेहरा उभर आया.

वे दोनों एकसाथ कालेज पढ़ते थे. जिंदगी के इस हसीन सफर में दोनों को प्यार हो गया. एक दिन अचानक उन्होंने कोर्ट मैरिज कर ली और हमेशा के लिए एक हो गए.

महेंद्र के घर वालों ने कामिनी को बहू के रूप में स्वीकार नहीं किया. अब महेंद्र जाए तो जाए कहां? वह बेरोजगार था. वैसे, वह मेकैनिकल डिप्लोमा होल्डर था. वह सीधा मेरे पास आ गया और घर में रहने को पनाह मांगी.

हमारा एक मकान खाली पड़ा था. महेंद्र को वह मकान रहने को दे दिया.

महेंद्र मेहनती था. वह किसी फैक्टरी में काम करने लगा. अब वह मकान का किराया देने लगा था.

कामिनी जवान व खूबसूरत थी. मैं अकसर ‘भाभीभाभी’ कहते हुए उस से मजाक करता, तो वह गुस्सा करने के बजाय बराबर मुकाबला करती थी.

महेंद्र हमारे मकान में सालभर रहा, फिर उस की किसी दूसरे शहर में नौकरी लग गई. वह अपने परिवार के साथ वहां रहने चला गया.

मैं भी अपनी घरगृहस्थी में रम गया. धीरेधीरे समय गुजरता गया. तकरीबन 4 साल गुजर गए. मेरे एक बेटा भी हो गया. शहर में नौकरी भी लग गई.

एक दिन अचानक कामिनी भाभी का फोन आया. उस ने रोतेसिसकते हुए बताया कि मेरा दोस्त महेंद्र किसी दूसरी औरत के चक्कर में फंस गया है. वह रोकती है, तो उस से मारपीट करता है. अपनी गलती मानने के बजाय वह उसे तलाक देने की धमकी दे रहा है. उस ने मु?ो फौरन अपने घर बुलाया.

मैं ने कामिनी भाभी को सब्र रखने, सम?ादारी से काम लेने और जल्दी ही उस की मदद करने का भरोसा दिया. वैसे, मैं अपने घर की उल?ानों में फंसा था, इसलिए समय पर कामिनी के घर नहीं जा सका.

15 दिन बाद दोबारा फोन आ गया. इस बार कामिनी भाभी ने चेतावनी दी कि अगर मैं उस का बिगड़ता घर सुधारने में मदद नहीं करूंगा, तो उस की अर्थी को कंधा देने जरूर आ जाऊं.

कामिनी भाभी की धमकी ने मु?ो डरा दिया था. मु?ो लगा कि मामला बेहद उल?ा गया है. अब मु?ो ही अपने बचपन के दोस्त महेंद्र को सुधारना पड़ेगा.

मैं अपनी पत्नी निशा से कोई सलाहमशवरा किए बगैर अचानक महेंद्र के घर पहुंच गया. वहां जा कर देखा कि महेंद्र और कामिनी के संबंध बेहद खराब थे, कभी भी टूट सकते थे.

मैं महेंद्र के घर 4 दिन रहा. मेरी कोशिश थी कि वह किसी तरह दूसरी औरत के चंगुल से निकल कर अपनी पत्नी की जुल्फों की छांव तले आ जाए. मगर महेंद्र ने तो मु?ो फौरन अपने घरेलू मामले से निकल जाने को कहा.

मैं दुखी हो कर वापस आने लगा, तो कामिनी भाभी मेरे कदमों से लिपट कर गिड़गिड़ा उठी.

‘क्या तुम ने मु?ो मुसीबत के भंवर में छोड़ देने के लिए भाभी का रिश्ता कायम किया था? क्या घरगृहस्थी के मं?ाधार में फंसी नाव को किनारे तक लाने में मेरी मदद नहीं करोगे?’

‘भाभीजी, हालात बेहद बिगड़ चुके हैं. ऐसे में मेरा दिमाग काम नहीं कर रहा,’ मैं ने अपनी मजबूरी जाहिर की.

तब भाभी ने मु?ो बेहद उल?ा हुई योजना में साथ देने को कहा. मैं ने उस की योजना को अंजाम तक पहुंचाने में हाथ खड़े किए, तो कामिनी भाभी रोतेसिसकते हुए मुझे पर दहाड़ उठी, ‘मुझे तुम से यही उम्मीद थी. मुसीबत में मेरा साथ छोड़ दोगे. मर्द बने फिरते हो, कायर कहीं के?’

अब मैं भी जोश में आ गया. कामिनी भाभी की योजना के मुताबिक मुझे उस के साथ इश्करोमांस का नाटक करना था. वह महेंद्र को दिखाना चाहती थी कि अगर वह अंधेरी रात में मुंह काला कर सकता है, तो कामिनी अपने देवर से इश्क क्यों नहीं लड़ा सकती?

उस रात महेंद्र अपनी प्रेमिका के घर पर गया हुआ था. उसे वापस अपने घर रात 2-3 बजे आना था. मैं कामिनी भाभी के कमरे में अलग चारपाई पर सोया हुआ था. देर रात महेंद्र घर लौटा, तो कामिनी ने उसे अपने कमरे में नहीं आने दिया.

दरवाजा खोल कर खूब खरीखोटी सुना कर मु?ा से लिपटते हुए कामिनी महेंद्र से बोली, ‘तुम अगर आवारा औरतों के साथ रातें गुजार सकते हो, तो मैं अपने देवर से प्यार नहीं कर सकती?’

महेंद्र ने उस समय शराब पी रखी थी. उस ने कामिनी को जी भर के गालियां दीं. मैं उसे सम?ाने को कुछ बोलता, इस से पहले उस ने कामिनी के साथ मुझे कमरे में बंद कर दिया.

हम ने सोचा कि महेंद्र ने शराब पी रखी है. जब उतरेगी तब दरवाजा खोल देगा, मगर ऐसा नहीं हुआ. वह जालिम सीधा मेरे घर पहुंच गया और अपने साथ मेरी पत्नी निशा को ले आया.

मुझे कामिनी के साथ बंद कमरे में देखा, तो निशा आगबबूला हो उठी. वह महेंद्र की हर बात पर यकीन कर रही थी. वह मेरी कोई बात सुनने को तैयार नहीं थी. गुस्से में पैर पटकते हुए वह बेटे के साथ मायके चली गई.

इसी तरह 4-5 महीने गुजर गए. निशा का फोन नहीं आया. आखिरकार हार कर 8 महीने बाद मैं ससुराल गया, तो निशा ने सीधे मुंह बात नहीं की.

मैं ने उसे मनाने की भरपूर कोशिश की, मगर निशा पर समझाने का जरा भी असर नहीं हुआ.

मैं निराश हो कर लौट आया. इसी तरह 2 साल गुजर गए, लेकिन निशा को मु?ा पर रहम नहीं आया.

अब कामिनी के प्रति मेरी नफरत बढ़ती जा रही थी. कमबख्त ने एक बार भी फोन कर के मेरी उजड़ी घरगृहस्थी के बारे में नहीं पूछा. जब अपने ऊपर मुसीबत आई थी, तब तो फोन पर रोज गिड़गिड़ाती थी. अब मु?ा पर मुसीबत आई, तो खामोशी ओढ़े बैठी है.

अभी 2 महीने पहले कामिनी का फोन आया, तो मैं ने खूब खरीखोटी सुनाई. जो जबान पर आया, बोल दिया. यहां तक कि उसे गालियां भी दे डालीं.

मेरी जलीकटी पर कामिनी भाभी ने इतना जरूर कहा कि अब जल्दी मेरी जुदाई का वक्त खत्म हो जाएगा. मैं ने उस की इस बात पर ध्यान नहीं दिया.

आज पड़ोसी के बेटे वाली घटना ने मेरे अपने बेटे की याद को ताजा कर दिया था.

तभी वह पड़ोसी का बच्चा भागता हुआ आया और मिठाई की प्लेट मेरे सामने रखते हुए बोला, ‘‘अंकल, देखो, मैं आप के लिए मिठाई लाया हूं.’’

उस का अपनापन देख कर मेरी आंखों में आंसू झिलमिला उठे.

तभी एक जानीपहचानी आवाज ने मुझे चौंका दिया, ‘‘अरे देवरजी, अकेलेअकेले मिठाई खा रहे हो? हम भी आ गए हैं,’’ अचानक गेट के अंदर आते हुए कामिनी चहकी.

उसे देखते ही मैं बुरी तरह दहाड़ उठा, ‘‘अब यहां क्या लेने आई हो? निकल जा मेरे घर से. मेरी जिंदगी में जहर घोलने वाली औरत, मैं तेरी वजह से अपना घर उजाड़ बैठा हूं. आज मैं कितना उदास और तनहा हूं. मेरे साथ न मेरी पत्नी है, न मेरा बेटा. यह सब तेरी वजह से हुआ है.’’

लेकिन वह मुझे प्यार भरी निगाहों से देखते हुए बोली, ‘‘देवरजी, माफ करना, मुझे पता चल गया था कि निशा तुम से नाराज हो कर मायके चली गई?है. मगर मुझे अपने बिगड़े घरवाले को भी रास्ते पर लाना था. अब मैं आ गई हूं. तुम्हारा अकेलापन खत्म हो गया है.’’

‘‘मेरा खयाल 4 साल बाद आया? इस से पहले मुझे सजा दिला रही थी क्या? चालबाज इनसान की शातिर औरत,’’ मैं बुरी तरह गुस्से में पागल था.

‘‘तुम्हारा खयाल तो मुझे पलपल आता था. जब मैं ने तुम्हारे प्यारे दोस्त को यकीन दिलाया कि मेरा तुम्हारे दोस्त से किसी तरह का ताल्लुक नहीं है. हम ने तो तुम्हें सुधारने के लिए नाटक खेला था. वह बेचारा तो तुम्हारा उजड़ता घर बसाने आया था. तुम ने बदले में उस की बसीबसाई घरगृहस्थी उजाड़ दी. तुम कैसे दोस्त हो?

‘‘मैं ने इतना बताया, तो तुम्हारा दोस्त सारी रात अपनी गलती पर पछतावा करते हुए रोता रहा. लाख समझाने पर वह माना नहीं.

‘‘अगले दिन सुबह का उजाला होते ही वह मोटरसाइकिल पर सवार हो कर तुम्हें मनाने के लिए आ रहा था. उस के दिलोदिमाग का संतुलन बिगड़ा हुआ था. रास्ते में किसी तेज रफ्तार ट्रक से टकराया और अपनी एक टांग गंवा बैठा.

‘‘हम सालभर अस्पताल में धक्के खाते रहे. अब वह बड़ी मुश्किल से चलने के काबिल हुआ है.’’

‘‘इतना सब हो गया और आप ने मुझे बताया तक नहीं,’’ मैं ने कहा.

‘‘बताते कैसे भैया? तेरी निशा को भी मना कर लाना था. मेरे मनाने से तो मानी नहीं, पर जब महेंद्र खुद गया, सारी सचाई बता कर अपनी गलती बताई, तो निशा उसी पल मान गई.

‘‘महेंद्र उसे अपने साथ लाया है, वह देख गेट के बाहर खड़े तेरी इजाजत मिलने का इंतजार कर रहे हैं.’’

कामिनी ने बताया, तो मैं ने देखा कि गेट पर महेंद्र बैसाखियों के सहारे मेरे बेटे का हाथ पकड़ कर खड़ा शर्म से पानीपानी हुआ जा रहा था. उस के पीछे निशा भी सिर झंकाए खड़ी थी.

‘‘मेरे यार, मैं तेरा गुनाहगार हूं,’’ कहते हुए महेंद्र लड़खड़ाते हुए मेरे कदमों में झांका, तो मैं ने उसे थाम कर गले से लगा लिया.

इतने में कामिनी भाभी ने निशा का हाथ मेरे हाथ में पकड़ाते हुए कहा, ‘‘अब इसे कमरे में ले जाओ न.’’

मैं जैसे ही निशा का हाथ थामे बैडरूम में घुसा, कामिनी भाभी झूट से दरवाजा बंद करते हुए चहकी, ‘‘देवरजी, दीवाली मना कर बाहर आना, तभी मिठाई और खाना मिलेगा.’’

यह सुन कर निशा किसी लता सी मुझ से लिपट गई थी. अब मुझे लगा कि आज वाकई दीवाली है.

‘कहे तोसे सजना’ गाने के लिए शारदा सिन्‍हा को मिले थे 76 रुपए, सास नहीं चाहती थीं बहू गाए

भोजपुरी गीतों की मशहूर गायिका शारदा सिन्‍हा नहीं रहीं, लेकिन 90 के आखिरी दशक में हिट फिल्म ‘मैं ने प्‍यार किया’ के एक गाने ने उनको हर घर तक पहुंचा दिया था. इसके बोल थे, ‘कहे तोसे सजना ये तोहरी सजनिया…’

 

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भोजपुरी को बौलीवुड में पौपुलर बनाने का श्रेय

‘मैं ने प्‍यार किया’ मूवी ने इंडियन सिनेमा को बहुत कुछ दिया. इस मूवी से सलमान खान की पहचान मजबूत हुई थी. इस के साथ ही राजश्री प्रोडक्‍शन की नई पीढ़ी के रूप में डायरैक्‍टर सूरज बड़जात्‍या एक बड़ा नाम बन कर उभरे थे. इतना ही नहीं, एक साधारण नाम भाग्‍यश्री रातोंरात मशहूर हीरोइन बन गई थीं. इस के अलावा इस सुपरहिट मूवी की जो बात दर्शकों को बहुत पसंद आई थी, वह था इस का मशहूर गाना ‘कहे तोसे सजना ये तोहरी सजनिया, पगपग लिए जाऊं तोहरी बलैया…’

उस दौर में कोई कल्‍पना भी नहीं कर सकता था कि हिंदी मूवी के रोमांटिक गाने में भोजपुरी भाषा का इतनी खूबसूरती से इस्‍तेमाल किया जा सकता है. यही वजह थी कि उस दौर की यंग जनरेशन की जबान पर यह गाना आसानी से चढ़ गया था, जो आज भी कानों में गूंज रहा है.

पहला गाना केवल 76 रुपए में गाया

कहा जाता है कि ‘मैं ने प्‍यार किया’ मूवी में गाने के लिए लोकगायिका शारदा सिन्‍हा को 76 रुपए मिले थे, जबकि इस मूवी से बतौर ऐक्‍टर डैब्‍यू कर रहे सलमान खान को 30,000 रुपए मिले थे. इस मूवी का बजट 1 करोड़ रुपए था, जबकि इस ने 45 करोड़ रुपए की कमाई की थी.

‘मैं ने प्‍यार किया’ में गाए अपने गाने के अलावा शारदा सिन्‍हा के 2 गाने और भी बहुत पौपुलर हुए थे. शारदा सिन्‍हा ने मूवी ‘हम आप के हैं कौन’ में ‘बाबुल जो तुम ने सिखाया, जो तुम से पाया, सजन घर ले चली…’ गाया था. यह गाना दुलहन की विदाई के सीन के साथ रखा गया था. यह गाना इतना पौपुलर हो चुका है कि आज साल 2024 में भी दुलहनों की विदाई के दौरान इसे बजाया जाता है.

डायरैक्‍टर अनुराग कश्‍यप की फेमस मूवी ‘गैंग्स औफ वासेपुर’ में भी शारदा सिन्‍हा ने एक गाना गाया है, जिस के बोल हैं, ‘तार बिजली के जैसे हमारे पिया…’ लेकिन धीरेधीरे कर के शारदा सिन्‍हा ने बौलीवुड से दूरी बना ली. काफी सालों बाद इन्‍होंने हुमा कुरैशी की एक्टिंग से सजी वैब सीरीज ‘महारानी’ में ‘निर्मोहिया’ गाना भी गाया.

संगीत के साथ स्‍टडी भी करती रहीं

शारदा सिन्‍हा का जन्‍म बिहार के सुपौल जिले में साल 1952 में हुआ था. इनके पिता सुखदेव ठाकुर शिक्षा विभाग से जुड़े थे. ऐसा कहा जाता है कि शारदा सिन्‍हा के परिवार में कई दशकों तक बेटी का जन्‍म नहीं हुआ था, इसलिए इन के जन्‍म के बाद इन्‍हें काफी लाड़दुलार मिला. शारदा सिन्‍हा 8 भाईबहनों में एकलौती लड़की थीं. गाने की शौकीन होने की वजह से ही शारदा का दाखिला उन के पिताजी ने भारतीय नृत्‍य कला केंद्र में कराया. संगीत की स्‍टडी करने के साथसाथ उन्‍होंने सामान्‍य शिक्षा भी जारी रखी. उन्‍होंने ग्रेजुएशन और पोस्‍ट ग्रैजुएशन किया.

सास को पसंद नहीं था बहू गाना गाए

मैथिली गीतों से अपनी पहचान बनाने वाली शारदा सिन्हा की शादी 1970 में ब्रज किशोर सिन्‍हा से हुई. इन के 2 बच्‍चे हैं बेटा अंशुमन सिन्‍हा और बेटी वंदना. एक इंटरव्‍यू के दौरान शारदा सिन्‍हा ने कहा था कि उन की सासु मां नहीं चाहती थीं कि वे गाना गाएं. यहां तक कि गांव की ठाकुरबाड़ी में भी उन्‍हें गाने की इजाजत नहीं थी.

बाद में शारदा सिन्‍हा ने पीएचडी किया और बिहार के समस्‍तीपुर कालेज में लेक्‍चरर के रूप में जौइन किया और बाद में वहीं प्रोफैसर भी बनीं.

कैसे हुआ लोकगीत से साक्षात्‍कार

एक इंटरव्‍यू के दौरान शारदा सिन्‍हा ने बताया था कि जब भी उन के पिता का ट्रांसफर होता, तो वे छुट्टियों में गांव चली जाती थीं. इसी दौरान उन्‍होंने गांव में लोकगीत सुने. धीरेधीरे यह रुचि में बदल गई. क्‍लास 6 से उन्‍होंने संगीत सीखना शुरू किया. इन के गुरु पंडित रघु झा पंचगछिया घराने के संगीतज्ञ थे.

लोक‍गायिका शारदा सिन्‍हा को ‘ब‍ि‍हार की स्‍वर कोकिला’ कहा जाता है. 1991 में ‘पद्मश्री’ और 2018 में ‘पद्मभूषण’ से सम्‍मानित लोकगायिका शारदा सिन्‍हा ने दिल्‍ली के आल इंडिया इंस्‍टीट्यूट औफ मैडिकल साइंसेज में आखिरी सांस ली. करीब डेढ़ महीना पहले ही शारदा सिन्‍हा के पति बृज किशोर सिन्‍हा का ब्रेन हैमरेज की वजह से देहांत हो गया था. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार साल 2017 से ही शारदा सिन्‍हा ब्लड कैंसर से जूझ रही थीं. शारदा सिन्‍हा को बिहार में राजकीय सम्‍मान के साथ अंतिम विदाई दी जाएगी.

लाफिंग बुद्धा : प्यार के जाल में फंसी सुधा

मेरा नाम सुधा है. मेरी उम्र 20 साल हो गई थी और आईना ही मेरा सब से अच्छा दोस्त था. मैं अपने चेहरे को दिनभर आईने में देखती रहती थी. कभी इस कोण से, तो कभी उस कोण से.

कहना गलत नहीं होगा कि मेरे रूप ने मुझे अहंकारी बना दिया था और मैं अपने अहंकार को जीभर कर जीती भी थी, क्योंकि मेरे लिए किसी भी इनसान की जिस्मानी खूबसूरती सब से ज्यादा प्यारी होती है.

अरे, यह चेहरा ही तो है, जिस को देख कर हम किसी के बारे में सही या गलत, अच्छी या बुरी सोच बनाते हैं. अब जो चेहरा हमारी आंखों को अच्छा न लगे, वह इनसान अंदर से भी कैसे अच्छा हो सकता है? मेरे मन में किसी के लुक्स के प्रति यही सोच रहती थी.

मेरे कसबे का नाम यमुनानगर था और यह उत्तराखंड का एक टूरिस्ट प्लेस था. लोग यहां सालभर घूमने आते थे. यमुनानगर में ढेर सारे पहाड़, नदियां और खूब सारी हरियाली थी.

मैं बीए के तीसरे साल में थी. मेरे घर में एक छोटा भाई और मम्मीपापा थे. हमारे घर की आमदनी का जरीया पापा की वह दुकान थी, जिस में जरूरत का सामान, एंटीक मूर्तियां और पुरानी पेंटिंगें बिका करती थीं.

पापा को जब भी नहानाधोना या किसी काम के सिलसिले में बाहर जाना होता था, तो मैं ही दुकान संभालती थी. लिहाजा, मुझे दुकान पर रखी सारी चीजों की कीमत की अच्छी जानकारी हो गई थी.

उस दिन पापा को बाहर जाना था. दुकान पर मैं ही बैठी थी. तमाम सैलानी आतेजाते और खरीदारी कर रहे थे. इतने में एक सजीला नौजवान मेरी दुकान पर आ कर खड़ा हो गया और दुकान में सजे सामान को बड़े ध्यान से देखने लगा.

वह पतले चेहरे वाला नौजवान क्लीन शेव था. उस ने अपने गोरे चेहरे पर हलके लैंस का चश्मा लगा रखा था और अपने बालों को बेतरतीब ढंग से बढ़ा रखा था, जो उस के कंधे तक लहरा रहे थे.

‘‘जी बताइए, क्या चाहिए आप को?’’ मैं ने एक कुशल दुकानदार की तरह पूछा.

‘‘मुझे लाफिंग बुद्धा की एक ऐसी मूर्ति चाहिए, जिस में उन की गर्लफ्रैंड भी हो,’’ उस नौजवान ने मांग की, पर ऐसी मूरत तो आज तक मैं ने देखी ही नहीं थी, जिस में लाफिंग बुद्धा के साथ उन की गर्लफ्रैंड भी हो.

‘‘जी, और आप को ऐसी मूर्ति मिलेगी भी नहीं. यही तो प्रौब्लम है इस देश की कि मन में कुछ और होता है और सामने कुछ और,’’ उस नौजवान ने कहा, तो मैं हैरान हो कर उस के खूबसूरत से चेहरे की ओर देखने लगी.

शायद वह नौजवान प्यार के बारे में एक लंबी स्पीच देना चाह रहा था, पर उस ने क्या कहा था, मैं ठीक से सम?ा नहीं पाई, क्योंकि शायद मेरे कान बंद हो गए थे. मेरी आंखें तो उस के सजीले चेहरे में ही खो गई थीं.

इस के बाद उस नौजवान ने जबरदस्ती प्यार पर पूरा एक भाषण ही सुना डाला. मैं कुछकुछ समझ और बहुतकुछ नहीं समझ.

‘‘अब बताइए, मैं ही आप से अपनी गर्लफ्रैंड बनने को कह दूं, तो क्या आप बन जाएंगी?’’ उस नौजवान का यह सवाल सुन कर मैं अचकचा गई थी. शर्म का रंग मेरे गालों से होता हुआ मेरे कानों तक पहुंच गया था. मैं कुछ बोल नहीं सकी, सिर्फ मुसकरा कर रह गई.

‘‘जब लाफिंग बुद्धा की ऐसी कोई मूरत आ जाए, तो आप मुझे इस मोबाइल नंबर पर फोन कर देना. अभी तो मुझे यहां काफी दिनों तक रुकना है,’’ उस नौजवान ने मुझे अपना विजिटिंग कार्ड देते हुए कहा.

मैं ने उस विजिटिंग कार्ड को गौर से देखा तो पाया कि उस नौजवान का नाम आर्यमन था. कितना प्यारा था उस का नाम भी, ठीक उसी की तरह. वह एक इंजीनियर था, जो हमारे कसबे से तकरीबन 20 किलोमीटर दूर बहने वाली मीठी नदी पर पुल बनाने के काम के लिए आया था.

अभी मैं आर्यमन का विजिटिंग कार्ड देख ही रही थी कि गोपाल आ गया और मु?ा से उस नौजवान के बारे में पूछताछ करने लगा, ‘‘यह शहरी छोरा कौन था और तू उस से बड़ा हंसहंस कर बात किए जा रही थी,’’ गोपाल के सवाल पर मैं चिड़चिड़ा उठी.

‘‘अरे, तू तो यही चाहता है कि मेरी दुकानदारी चौपट हो जाए और तेरी दुकान चमक जाए,’’ मैं ने नकली गुस्सा दिखाते हुए कहा.

गोपाल मु?ा से 2 साल बड़ा था और मैं उस से बेवजह ही चिढ़ती थी, क्योंकि वह देखने में बिलकुल भी अच्छा नहीं था. मोटा सा शरीर और गोल भरा हुआ सा चेहरा, उस पर सूजी हुई सी नाक. इतनी सी उम्र में ही काफी बड़ा दिखता था वह.

मेरी दुकान के सामने वाली लाइन में ही गोपाल की भी दुकान थी, जिस में वह पुराना विदेशी सामान, छतरियां, हैट्स, रेनकोट और कुछ विदेशी एंटीक मूर्तियां व दूसरा सामान बेचा करता था.

ठीक अगले ही दिन वह सजीला नौजवान आर्यमन फिर से दुकान पर आया. दुकान पर मैं ही बैठी थी. आते ही उस ने वही सवाल किया, ‘‘क्या लाफिंग बुद्धा की वह मूरत आ गई?’’

हालांकि, आर्यमन अभी कल ही तो यह सवाल पूछ कर गया था और आज फिर आ गया.

‘‘अच्छा, कोई बात नहीं. अभी नहीं आई तो जब आ जाए, तो मेरे विजिटिंग कार्ड पर दिए गए मोबाइल नंबर पर आप मुझे बता देना. आप लोग तो दुकान में बस यही हिरण और शेर की मूर्ति ही सजा कर रखते हैं,’’ कह कर वह जाने लगा.

मुझे आर्यमन की यह बात बुरी लगी थी, क्योंकि अपनी दुकान पर बिकने वाली हर चीज और स्पैशली लाफिंग बुद्धा के प्रति मेरा बहुत ज्यादा लगाव रहा है, पर मैं उस की बात का विरोध न कर सकी और वह चला गया.

मैं जवान थी. इस तरह एक सजीले नौजवान के बारबार आने और मुझे से बात करने से मेरा मन भी खुश हो गया था. उस की बातें मुझे बारबार याद आ रही थीं और मैं अब यह भी समझ गई थी कि वह अपने मोबाइल नंबर पर मुझ से फोन करने को क्यों कह रहा है.

अगले 6-7 दिन तक आर्यमन नहीं आया, तो मुझे उस की कमी खटकने सी लगी. मैं ने कांपते हाथों से उस का फोन नंबर मिला दिया. उधर से वह ऐसे बातें करने लगा, जैसे मुझे न जाने कितने समय से जानता हो. अनजान वाली फीलिंग ही नहीं आ रही थी.

फिर क्या था, हम रोज बातें करते और कुछ ही दिनों में हमारे बीच एक दोस्ती या यों कहें कि एक अनजाना सा रिश्ता कायम हो गया था. हमारी बातें मुलाकातों में बदलने लगी थीं. मैं उस की बाइक पर बैठती और हवा के झांके से उस के लंबे बाल उड़ते, तो मुझे बहुत अच्छा लगता था.

आर्यमन मुझे बाइक पर बिठा कर नदी पर ले जाता, जहां बनने वाले पुल का काम दिखाता और वापस छोड़ जाता. घर वालों का भरोसा मुझ पर बना रहे, इसलिए उस ने मेरे पापा से भी मुलाकात कर ली और बातोंबातों में उन्हें भी बता दिया कि वह मुंबई का रहने वाला है और नदी पर बन रहे पुल के काम में इंजीनियर है.

आर्यमन को नदियां, पेड़, पहाड़, जंगल घूमनाफिरना अच्छा लगता है. इस के अलावा उसे बड़े कलाकारों द्वारा बनाई गई पेंटिंगें और पुरानी मूर्तियां जमा करना बहुत पसंद है.

हमारी जानपहचान पहले से ज्यादा गहरी हो गई थी और मैं पूरी तरह से उस के प्यार में पड़ गई थी. और पड़ती भी कैसे नहीं. उस ने मु?ो शादी करने का प्रस्ताव जो दे दिया था और जल्दी ही पापा से इस बारे में बात करने आने को भी कह रहा था.

मैं मारे खुशी के उस के गले लग गई थी. पता नहीं, कितनी देर तक हम ने एकदूसरे की धड़कनों को सुना था.

एक तो इतना खूबसूरत दिखने वाले नौजवान के साथ शादी करने का रोमांच और ऊपर से शादी के बाद मुंबई जैसी मायानगरी में जाने के विचार से ही मैं सिहर उठती थी.

यह सिहरन और भी गहरी उस दिन हो गई, जब मैं उस के साथ पुल की तरफ जा रही थी. अचानक ही बारिश शुरू हो गई और हम दोनों भीग गए.

हम ने भी भीगने से खुद को नहीं रोका. हालांकि, यह एक सुनसान जगह थी, पर हम खूब भीगे और भीगने के बाद जब एक खंडहरनुमा घर में छिपने के लिए गए, तो आर्यमन ने मेरे मन के साथसाथ मेरे तन को भी छुआ. शायद मैं उस अजनबी में भावी पति को देख रही थी या मैं उस के रंगरूप पर मोहित थी, तभी तो मैं ने उसे ऐसा करने से नहीं रोका.

आर्यमन मेरे शरीर में उतर चुका था. हमारे शरीर एक हो चुके थे.

उस दिन दो शरीर एक हुए, तो फिर कई बार यह सिलसिला चला. मैं मना भी करती रही, पर आर्यमन नहीं मानता था.

उस दिन गोपाल ने फिर चेताया, ‘‘तुम्हें पता भी है कि उस लंबे बालों वाले के साथ लोग तुम्हारा नाम जोड़ रहे हैं… अरे, बदनाम हो रही हो तुम.’’

पर, मैं ने गोपाल की बात मुसकरा कर जाने दी. अब वह भला क्या जाने कि मैं उस लंबे बालों वाले के साथ शादी कर के मुंबई जाने वाली हूं.

उस बारिश वाली घटना को 4 महीने हो गए थे. इधर कई दिनों से आर्यमन दुकान पर नहीं आ रहा था और यह बात मुझे न चाहते हुए भी शक में डाल रही थी और अब मुझे अपनी शादी की जल्दी थी, क्योंकि मैं पेट से हो चुकी थी और यह बात बताने के लिए मैं आर्यमन को फोन कर रही थी, पर उस का मोबाइल लगातार स्विच औफ आ रहा था.

मैं ने पेट से होने की बात अपनी मां को बताई. मुझे लगा कि वे मुझे एक झन्नाटेदार थप्पड़ रसीद करेंगी, पर ऐसा नही हुआ. उन्होंने तो मुझे अपने सीने से लगा लिया.

‘‘अरे, तू यह क्या कर बैठी मेरी बच्ची…’’ मां रोए जा रही थीं, पर मेरे मन के किसी कोने में अब भी उम्मीद थी कि आर्यमन वापस जरूर आएगा.

मां ने पापा को अकेले में यह सब बताया और पुल के पास जा कर आर्यमन के बारे में पता करने को कहा. पापा का शरीर ढीला पड़ रहा था. मारे गुस्से के उन की जबान ऐंठ रही थी, फिर भी वे अपने पर कंट्रोल किए हुए थे. मां ने उन्हें अपने सिर का वास्ता जो दिया हुआ था.

पापा गए और उलटे पैर वापस लौट आए. आर्यमन नाम का कोई इंजीनियर नहीं था वहां पर, मोबाइल की तसवीर दिखाई तो पता चला कि उस का नाम वीर बहादुर सिंह था और वह यहां पर एक प्राइवेट कंपनी की तरफ से सीमेंट और मौरंग वगैरह की डिलीवरी देने आया था. उस के बारे में और कोई भी जानकारी नहीं मिल सकी. मोबाइल अब भी बंद आ रहा था.

मेरा मन कर रहा था कि खुदकुशी कर लूं, पर मां जानती थीं कि इस समय एक लड़की का मन बहुत कमजोर हो जाता है, इसलिए वे मुझे दिलासा दिए जा रही थीं.

‘‘तू ने कुछ भी गलत नहीं किया, गलती तो उस आदमी की है, जिस ने तेरे भरोसे को धोखा दिया है, इसलिए तुझे कोई भी गलत कदम उठाने की जरूरत नहीं.’’

पर गलत कदम न उठाऊं तो क्या करूं? अनब्याही लड़की कैसे मां बन गई? इस सवाल का जवाब क्या होगा भला? मेरी वजह से मां और पापा तो बेइज्जत हो जाएंगे.

मां के आंसू सूख चुके थे. पापा निढाल पड़े थे कि तभी गोपाल हमारे घर के अंदर बेहिचक घुस आया और पापा के पास जा कर उस ने सपाट लहजे में कहा, ‘‘अंकल, मैं सुधा से शादी करना चाहता हूं.’’

पापा और मां एकसाथ उसे देखते रह गए. मेरे कानों में भी गोपाल की यह आवाज गूंजी.

‘‘पर गोपाल, हम तुम्हें कुछ बताना चाहते हैं,’’ पापा ने कहा, पर गोपाल को उस की जरूरत नहीं थी, क्योंकि ऐसे कसबों में तो इस तरह की बातें जंगल की आग की तरह फैलती हैं. सब को पता चल ही चुका था कि मेरे साथ छल हुआ है. हकीकत जानने के बाद भी गोपाल मेरे साथ शादी करने को तैयार था.

वह गोपाल, जिस से मैं चिढ़ती थी और जो मुझे अपने मोटापे के चलते उम्र से बड़ा लगता था, पर जो बाहर से बदसूरत है, वह अंदर से खूबसूरत कैसे होगा? पर आज वही मुझे इस मुसीबत से उबारने आया है.

आननफानन ही गोपाल के साथ मेरी शादी हो गई. कितनी गलत थी मैं. बाहरी रंगरूप को देख कर ही किसी के मन को पहचान लेना आज के समय में मुमकिन नहीं है. चेहरे पर चेहरे हैं और वे भी सब रंग बदलते चेहरे.

गोपाल ने आज तक मुझे किसी तरह का कोई उलाहना नहीं दिया, बस अपना प्यार ही बरसाया है. शादी के बाद हम दिल्ली में आ कर सैटल हो गए हैं.

अब मुझे लाफिंग बुद्धा और उन के साथ एक गर्लफ्रैंड वाली मूरत ढूंढ़ने की जरूरत नहीं है, क्योंकि मेरे लिए तो मेरे पति का प्यार ही काफी है. आज इन की पत्नी भी मैं हूं, इन की गर्लफ्रैंड भी मैं ही हूं और ये मेरे लाफिंग बुद्धा.

बदचलन औरत का जवाब : उजमा ने क्यों उजाड़ी अपनी ही गृहस्थी

उजमा के दोनों बेटे रो रहे थे. बड़ा बेटा रोते हुए कह रहा था, ‘‘पुलिस अंकल, अम्मी से बोलो कि हम उन्हें बिलकुल भी परेशान नहीं करेंगे. वे हमें छोड़ कर न जाएं. हम घर का सारा काम करेंगे. उन्हें बिलकुल भी काम नहीं करने देंगे. बस, वे हमारे साथ रहें. वे जो भी कहेंगी, हम वही करेंगे. अंकल प्लीज, हमारी अम्मी को समझाओ…’’

बच्चों को रोताबिलखता देख कर वहां बैठे सभी पुलिस वालों की आंखों में आंसू आ गए. साथ ही, बच्चों के अब्बा राशिद की आंखें भी नम हो गईं.

पर उजमा ने दोटूक जवाब दे दिया, ‘‘मैं साहिल से प्यार करती हूं और मुझे इस के साथ जाने से कोई नहीं रोक सकता. मैं अपनी मरजी से साहिल के साथ जा रही हूं, न कि साहिल मुझे जबरदस्ती ले कर जा रहा है.’’

‘‘अम्मी, रुक जाओ. हमें छोड़ कर मत जाओ. तुम हमारी अच्छी अम्मी हो,’’ उजमा के छोटे बेटे ने कहा.

उजमा बोली, ‘‘मेरी कोई औलाद नहीं है. तुम रहो अपने इस नकारा बाप के साथ. मैं इस के साथ रह कर अपनी जिंदगी बरबाद नहीं कर सकती. मेरी भी कुछ ख्वाहिशें हैं… मैं भी अच्छे से जीना चाहती हूं…’’

तभी वहां बैठे एक पत्रकार ने बच्चों के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा, ‘‘बेटा, रोओ मत. तुम्हारी अम्मी अब तुम्हारे लिए मर चुकी है. उसे भूल जाओ और अपने अब्बा के साथ घर जाओ.

‘‘खुश रहो और उस औरत को भूल जाओ, जो रिश्ते में तुम्हारी मां है. समझना कि तुम्हारी अम्मी अब इस दुनिया में नहीं है.’’

उजमा ने जब उस पत्रकार के मुंह से यह सब सुना, तो वह बुरा सा मुंह बनाते हुए साहिल से बोली, ‘‘चलो, यहां से… मेरे लिए भी मेरे दोनों बच्चे और उन का बाप मर चुका है.’’

यह घटना उत्तर प्रदेश के एक गांव की है, जहां राशिद अपनी बीवी उजमा के साथ खुशीखुशी रहता था.

राशिद एक दिहाड़ी मजदूर था, पर था बड़ा मेहनती. अपनी मेहनत से पूरे घर का खर्चा वह आसानी से उठा लेता था.

राशिद का काम इन दिनों पास के ही एक गांव में चल रहा था. वहां एक अस्पताल बन रहा था, जिस में राशिद दिहाड़ी मजदूर बन कर काम कर रहा था.

राशिद की मेहनत देख कर वहां का ठेकेदार उस से बहुत खुश था और साहिल नाम का वह ठेकेदार राशिद को काफी इज्जत भी देता था, उस का हालचाल पूछता था, वक्तबेवक्त उसे एडवांस में पैसे भी दे देता, क्योंकि राशिद अपना काम दूसरे लोगों की तुलना में मेहनत, ईमानदारी और सफाई के साथ करता था. यही वजह थी कि वहां के ठेकेदार को राशिद पर बहुत भरोसा था और वह उसे अपना दोस्त समझ कर काम की जिम्मेदारी सौंप देता था.

राशिद ने एक दिन अपने ठेकेदार से 5,000 रुपए बतौर एडवांस ले लिए थे.

लेकिन उस के अगले दिन राशिद काम पर नहीं आया, तो ठेकेदार साहिल को अजीब लगा. वह समझ नहीं पा रहा था कि क्या हुआ? राशिद की तबीयत खराब है या पैसा पा कर उस की नीयत बदल गई.

इसी उधेड़बुन में एक दिन साहिल ठेकेदार राशिद के घर जा पहुंचा. उस ने जैसे ही दरवाजा खटखटाया, अंदर से एक निहायत ही खूबसूरत हसीना फटेपुराने कपड़े पहने उस के सामने आ कर बोली, ‘‘जी कहिए, आप कौन हैं?’’

साहिल की नजर जैसे ही उस हसीना पर पड़ी, उस के होश उड़ गए. उस हसीना का गदराया बदन और उठी हुई छातियां देख कर वह हक्काबक्का रह गया.

उजमा ने फिर पूछा, ‘‘आप कौन हैं?  किस से मिलना है आप को?’’

ठेकेदार साहिल इस बार भी उजमा के अल्फाज न सुन सका. वह तो बस एकटक उजमा की खूबसूरती को निहार रहा था.

तभी उजमा ने अपनी गरदन को एक झटका देते हुए कहा, ‘‘आप कुछ बोलेंगे भी या यों ही मुझे निहारते रहेंगे,’’ कहते हुए उस ने अपने बालों को हवा में यों लहरा दिया कि साहिल के मुंह से खुद ब खुद निकल पड़ा, ‘‘आप वाकई बहुत ज्यादा खूबसूरत हो.’’

उजमा मुसकराते हुए बोली, ‘‘मेरी तारीफ करना बंद करो और यह बताओ कि आप को किस से मिलना है और यहां क्यों आए हो?’’

साहिल हड़बड़ाते हुए बोला, ‘‘मैं राशिद से मिलने आया हूं. दरअसल, राशिद मेरे पास काम करता है और

मैं उस का ठेकेदार हूं. वह काम पर नहीं आया, तो उस का हालचाल लेने आ गया.’’

यह सुनते ही उजमा सन्न रह गई और बोली, ‘‘आइए बाबूजी, अंदर आइए. राशिद अंदर हैं.’’

साहिल उजमा के पीछेपीछे घर के अंदर पहुंच गया. उजमा उसे राशिद के पास ले गई.

राशिद ने जैसे ही ठेकेदार साहिल को अपने घर में देखा, तो वह शर्मिंदा होते हुए बोला, ‘‘मुझे माफ कर देना बाबूजी. दरअसल, मेरी तबीयत ठीक नहीं थी, इसलिए मैं काम पर न आ सका.’’

साहिल बोला, ‘‘कोई बात नहीं. मैं तो यह पता करने आया था कि आखिर क्या बात हुई, जो तुम आज काम पर नहीं आए?’’

राशिद बोला, ‘‘बाबूजी, आप तो देख रहे हो कि मुझे कई दिनों से बुखार था. अब जा कर कुछ सुकून मिला है. आप मुझे माफ कर देना. मैं ने आप से एडवांस पैसा भी लिया और काम पर भी नहीं आ सका.’’

साहिल ने कहा, ‘‘कोई बात नहीं. जब तुम्हारी तबीयत ठीक हो जाए, तब आ जाना. फिलहाल, तुम आराम करो.’’

तभी उजमा चाय ले कर आ गई और एक कप साहिल की तरफ बढ़ाते हुए बोली, ‘‘लो बाबूजी, हम गरीब के घर की चाय पी लो.’’

साहिल ने कहा, ‘‘अरे, इस की क्या जरूरत थी…’’ और उस ने उजमा के हाथों से चाय लेते समय उस के हाथों को छू लिया.

साहिल की इस हरकत से उजमा ने एक कातिल मुसकान से उस की तरफ देखा और मुसकरा दी.

साहिल भी मुसकराते हुए चाय की चुसकी लेते हुए बोला, ‘‘वाह, क्या चाय बनाई है.’’

उजमा ने कहा, ‘‘सच बाबूजी, हमारी चाय क्या आप को पसंद आई?’’

तभी राशिद बीच में ही बोल पड़ा, ‘‘क्यों हम गरीब लोगों का मजाक उड़ा रहे हैं बाबूजी.’’

साहिल बोला, ‘‘नहीं राशिद, वाकई, आप की बीवी ने चाय बहुत अच्छी बनाई है.’’

चाय पीने के बाद साहिल उठा और राशिद को खर्चे के लिए 2,000 रुपए देते हुए बोला, ‘‘लो राशिद, ये कुछ पैसे रख लो और जब तक तबीयत सही न हो, काम पर आने की जरूरत नहीं है.

‘‘मैं रोजाना शाम को तुम से मिलने आता रहूंगा और किसी भी चीज की जरूरत हो, तो मुझे बेझिझिक बता देना.’’

राशिद ने कहा, ‘‘अरे बाबूजी, इस की क्या जरूरत थी. वैसे भी मैं कल से काम पर आ जाऊंगा.’’

साहिल बोला, ‘‘ये पैसे मैं तुम्हें एडवांस में नहीं दे रहा हूं, मेरी तरफ से तुम्हारे बीवीबच्चों के लिए हैं,’’ कहते हुए साहिल उठा और जैसे ही घर से बाहर निकलने के लिए चला, तो राशिद ने उजमा को आवाज देते हुए कहा, ‘‘बाबूजी को बाहर तक छोड़ आओ.’’

उजमा साहिल के साथ बाहर तक आई, तो दरवाजे के करीब एकांत में पहुंचते ही साहिल ने उजमा से कहा, ‘‘आप बहुत खूबसूरत हो. अगर आप के जैसी कोई आप की बहन हो, तो मेरी शादी उस से करा दो.’’

उजमा बोली, ‘‘मेरी तो कोई बहन नहीं है.’’

तभी ठेकेदार साहिल ने उजमा का हाथ पकड़ते हुए कहा, ‘‘आप बिलकुल जन्नत की हूर लगती हो.’’

उजमा मुसकरा दी और बोली, ‘‘अच्छा, आप को मैं ऐसी लगती हूं?’’

‘‘हां, आप वाकई बहुत खूबसूरत हैं,’’ कहते हुए साहिल वहां से बाहर आ गया और उजमा घर के भीतर चली गई.

राशिद ने उजमा से कहा, ‘‘बहुत नेक और मदद करने वाले हैं हमारे साहिल ठेकेदार. एक बात का ध्यान रखना कि वे जब भी कभी यहां आएं, तो उन के नाश्तेपानी में कोई कमी मत रखना.’’

उजमा बोली, ‘‘आप बेफिक्र रहें.

मैं किसी बात की कोई कमी नहीं होने दूंगी. वे जब भी आएंगे, उन की खूब मेहमाननवाजी करूंगी.’’

कुछ दिन बाद राशिद ठीक हो गया और वह काम पर जाने लगा.

एक दिन राशिद काम पर था. साहिल का दिल उजमा से मिलने के लिए बेचैन था. मौसम भी खराब था, तो साहिल ने राशिद से कहा, ‘‘मैं घर जा रहा हूं और जब तक वापस न आऊं, तुम यहीं रहना. अभी 11 बज रहे हैं, मैं दोपहर 2-3 बजे तक आ जाऊंगा.’’

राशिद ने कहा, ‘‘ठीक है बाबूजी, आप यहां की जरा भी फिक्र मत करो. मैं यहां सब संभाल लूंगा.’’

साहिल ने अपनी कार स्टार्ट की और राशिद के घर की तरफ चल दिया. राशिद के घर के पास पहुंच कर उस ने जैसे ही दरवाजा खटखटाया, उजमा बाहर निकल आई और बोली, ‘‘बाबूजी, आप यहां कैसे…? राशिद तो काम पर गए हैं.’’

साहिल बोला, ‘‘मालूम है मुझे. मैं तो बस बच्चों की खैरियत मालूम करने आया हूं…’’ साहिल ने अभी अपना जुमला पूरा भी नहीं किया था कि तभी जोरदार बारिश होने लगी.

साहिल ने कहा, ‘‘अंदर भी आने दोगी या सब यहीं दरवाजे पर मालूम करोगी…’’

उजमा बोली, ‘‘नहीं, ऐसी बात नहीं है. दरअसल, बच्चे भी स्कूल गए हैं. आप आओ न अंदर.’’

साहिल उजमा के साथ घर के अंदर आ गया. उजमा ने साहिल को बैठने के लिए कहा और बोली, ‘‘मैं आप के लिए चाय बना कर लाती हूं.’’

साहिल ने कहा, ‘‘नहीं, चाय नहीं. बस, तुम से एक बात पूछनी थी कि तुम इतनी खूबसूरत हो, फिर राशिद जैसे गरीब के साथ जिंदगी कैसे गुजार रही हो?’’

उजमा ने कहा, ‘‘बाबूजी, मेरे मांबाप बहुत गरीब थे. उन्होंने मेरा निकाह राशिद से कर दिया, तो अब अपनी किस्मत समझ कर इन के साथ रहने को मजबूर हूं.’’

साहिल ने आगे बढ़ कर उजमा का हाथ अपने हाथ में लेते हुए कहा, ‘‘मैं ने जब से तुम्हें देखा है, तुम्हारा दीवाना हो गया हूं. तुम बला की खूबसूरत हो. तुम्हें यहां देख कर ऐसा लगता है, जैसे कीचड़ में कोई कमल खिला हो.’’

उजमा ने पूछा, ‘‘सच बाबूजी, आप को मैं अच्छी लगती हूं?’’

साहिल ने कहा, ‘‘अगर तुम्हें एतराज न हो, तो तुम मुझ से शादी कर लो. मैं तुम्हें इस कीचड़ से निकाल कर महल में रखूंगा.’’

इतना कहते हुए साहिल ने उजमा को अपनी बांहों में भरते हुए उस के गुलाबी रस भरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए.

साहिल की इस हरकत से उजमा सिहर उठी. उस के बदन में हवस की आग भड़कने लगी.

साहिल ने उजमा की उठी हुई छातियों से उस के दुपट्टे को अलग करते हुए उन्हें अपने हाथों की गिरफ्त में ले लिया और सहलाने लगा.

उजमा कसमसा कर ठेकेदार साहिल की बांहों में सिमटने को बेताब होने लगी.

साहिल ने बिना समय गंवाए उजमा को चारपाई पर लिटा दिया और उस के अंगों को बेतहाशा चूमते हुए उस के बदन से कपड़े हटाने लगा. कुछ ही देर में पूरा कमरा कामुक आवाजों से गूंजने लगा.

एक बार साहिल और उजमा के बीच यह जिस्मानी रिश्ता बना, तो फिर रुकने का नाम ही नहीं लिया. अब उन दोनों को जब भी मौका मिलता, वे एकदूसरे से अपनेअपने जिस्म की ख्वाहिश पूरी करने लगे.

कई महीनों तक दोनों का यह रिश्ता चलता रहा, फिर साहिल ठेकेदार का वह ठेका भी पूरा हो गया और राशिद अब अपने घर पर रहने लगा.

राशिद के घर पर रहने से उजमा और साहिल को मिलने में दिक्कत आने लगी. दोनों तरफ आग भड़की हुई थी. उजमा को अब न बच्चों की परवाह थी और न राशिद की. उस का तो बस अब यही सपना था कि वह अपनी जिंदगी की नई शुरुआत साहिल के साथ करे.

एक रात उजमा साहिल के साथ घर छोड़ कर चली गई और एक परचा लिख कर रख गई, ‘मुझे ढूंढ़ने की कोशिश मत करना. मैं तुम्हारे साथ अब और नहीं रह सकती. मुझे भी अपनी जिंदगी जीने का हक है, जिसे मैं अपनी मरजी से जीना चाहती हूं.

‘मैं ने अपना जीवनसाथी ढूंढ़ लिया है, जो मुझे बहुत प्यार करता है और मेरा अच्छे से खयाल रखता है. उस के पास काफी पैसा भी है. मैं यह गरीबी वाली जिंदगी जी कर थक चुकी हूं, इसलिए मैं यह घर छोड़ कर अपनी मरजी से जा रही हूं.’

राशिद ने जब उजमा का यह परचा पढ़ा, तो उस के होश ही उड़ गए. वह समझ गया कि उजमा को उस के सपनों का राजकुमार मिल गया है, इसलिए वह घर छोड़ कर चली गई है.

राशिद ने थाने में जा कर उजमा को ढूंढ़ने की फरियाद की और साथ ही, उजमा का लिखा वह परचा भी पुलिस को दिखाया.

पुलिस वालों ने राशिद को दिलासा देते हुए इतना ही कहा कि जब उजमा अपनी मरजी से गई है, तो उसे ढूंढ़ना बेकार है.

राशिद के पास उस पुलिस वाले के सवाल का कोई जवाब न था. वह वापस घर लौट आया. पुलिस ने भी उजमा को ढूंढ़ने की कोशिश नहीं की.

बच्चों का अपनी मां के लिए रोरो कर बुरा हाल था. राशिद की सम?ा में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे और कैसे उन की मां बच्चों को ला कर दे.

एक दिन गांव में एक हादसा हो गया था. वहां पर कई पत्रकार आए हुए थे, तभी राशिद का बड़ा बेटा रोता हुआ पत्रकार तनवीर के पास आया और बोला, ‘‘अंकल, मेरी अम्मी को ढूंढ़ कर हमारे पास ले आओ.’’

पत्रकार तनवीर हैरानी से उस बच्चे की तरफ देखते हुए बोला, ‘‘बेटे, क्या हुआ है तुम्हारी अम्मी को और वे कहां हैं? तुम उन्हें क्यों ढूंढ़ रहे हो? तुम्हारे अब्बा कहां हैं?’’

बच्चे ने कहा, ‘‘वे सामने मेरे अब्बा खड़े हैं और हमारी अम्मी कई दिनों से घर से कहीं चली गई हैं. उन का कुछ अतापता नहीं है. अब्बा और मैं पुलिस अंकल के पास भी गए थे, पर वे अभी तक हमारी अम्मी को ढूंढ़ कर नहीं लाए हैं. आप हमारी मदद कर दो, प्लीज.’’

पत्रकार तनवीर बच्चे को ले कर राशिद के पास गया, तो उस ने देखा कि राशिद एक बच्चे का हाथ पकड़े एक तरफ खड़ा था और उस की आंखों में आंसू थे. उस का शरीर काफी कमजोर लग रहा था, बदन पर फटेपुराने कपड़े थे.

तनवीर पत्रकार राशिद से बोला, ‘‘यह बच्चा क्या कह रहा है? कहां है इस की अम्मी?’’

राशिद ने पूरा मामला पत्रकार तनवीर को बताया और कहा, ‘‘बच्चे अपनी मां को बहुत याद करते हैं. वह अपने किसी आशिक के साथ हम सब को छोड़ कर चली गई है. उस ने बच्चों तक की कोई परवाह नहीं की.

‘‘मैं ने पुलिस में भी जा कर शिकायत भी की, पर हवलदार बोले कि जब तुम्हारी बीवी अपनी मरजी से गई है, तो इस का मतलब यह है कि वह तुम्हारे साथ नहीं रहना चाहती है.’’

तनवीर पत्रकार ने कहा, ‘‘आप चिंता मत करो. मैं अभी इंस्पैक्टर से बात कर के उसे ढूंढ़ने पर जोर देता हूं. आप मुझे उस का कोई फोटो दे दो.’’

तनवीर ने इंस्पैक्टर से मिल कर उजमा को जल्दी ढूंढ़ने के लिए कहा, तो अगले ही दिन उजमा अपने आशिक साहिल के साथ थाने में आ गई.

राशिद और उस के बच्चों को भी थाने में बुला लिया गया, जहां काफी बहस और एकदूसरे की बात सुनने के बाद सब की आंखें नम हो गईं, क्योंकि उजमा ने राशिद के साथ न रहने का दोटूक जवाब दे दिया, ‘‘मुझे न बच्चों की परवाह है और न पति राशिद की. मैं साहिल से प्यार करती हूं और उसी के साथ रहना चाहती हूं. साहिल मुझे भगा कर नहीं ले गया, बल्कि मैं अपनी मरजी से इस के साथ गई हूं.’’

उजमा के इस जवाब को सुन कर राशिद ही नहीं, बल्कि बच्चों की आंखों में भी आंसू आ गए, पर उजमा पर इस का कोई असर न हुआ. उस ने साहिल के हाथ में हाथ डाला और पुलिस स्टेशन से बाहर निकल कर एक चमचमाती गाड़ी में बैठ कर वहां से चली गई.

राशिद अपने बच्चों को ले कर घर आ गया. उजमा के इस फैसले से वह पूरी तरह हिल चुका था. उस की हंसतीखेलती दुनिया उजड़ चुकी थी.

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