धंधा करने में झिझक क्यों?

आज ज्यादातर नौजवानों से बात कर के देखिए तो वे किसी न किसी तरह से अपनी बेरोजगारी का रोना रोते नजर आएंगे. जब पढ़लिख कर उन्हें कोई नौकरी नहीं मिल पाती है, तो वे निराश होने लगते हैं. फिर वे अपने भाग्य को दोष देने लगते हैं या सरकार को कोसने लगते हैं, जबकि भाग्य तो हमारे काम और मेहनत से बनते हैं. दूसरी ओर सरकार के पास कोई ऐसा इंतजाम नहीं है कि सभी बेरोजगारों को एकसाथ नौकरी या रोजगार मुहैया करा दे.

अगर नौजवान तबका कभी अपने धंधे की बात सोचता है, तो उसे अपने घर की माली हालत के बारे में ध्यान जाता है. उसे एहसास होता है कि उस के पास तो उतनी पूंजी नहीं है, जितना कारोबार करने के लिए चाहिए, और फिर वह निराशा के अंधेरे में डूबने लगता है या फिर वह कारोबार करने के बारे में कभी सोच भी नहीं पाता है.

बिहार के औरंगाबाद जिले का एक नौजवान विनय कुमार दिल्ली में प्राइवेट नौकरी करता था. किसी वजह से उस की नौकरी चली गई थी और वह बेरोजगार हो गया था. उसे किसी परिचित ने सलाह दी कि थोड़ीबहुत पूंजी लगा कर पहले बाजार में बैठना सीख और जब अनुभव हो जाएगा तो ज्यादा पूंजी लगा कर कारोबार करना.

वह नौजवान शुरू में फुटपाथ पर बैठने में झिझक महसूस कर रहा था. उस ने फुटपाथ पर ही रोजमर्रा के इस्तेमाल के रेडीमेड कपड़े बेचने शुरू कर दिए. धीरेधीरे उसे अच्छी आमदनी होने लगी. बहुत सारे अनुभव भी हुए. अब उस ने पूंजी इकट्ठा कर उसी बाजार में रेडीमेड कपड़े की दुकान खोल ली.

उस ने बताया कि दुकान खोलने का फायदा मुझ यह हुआ कि जो ग्राहक सड़क किनारे पहचान गए थे या ग्राहक बन गए थे, वे मेरी नई दुकान में आने लगे. मुझे ग्राहकों के लिए ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी, जबकि नए दुकानदारों के पास ग्राहकों की सब से बड़ी कमी होती है.

मुंबई से वापस लौटे 2 दोस्तों अजय और विजय ने अपने छोटे शहर सासाराम में सड़क किनारे मोमो बना कर बेचना शुरू किया. वहां अच्छी बिक्री होने लगी. कुछ ही दिन में पूंजी इकट्ठा कर उन्होंने किराए पर स्थायी दुकान ले कर मोमो, ब्रैड पकौड़े, समोसे वगैरह बेचना शुरू कर दिया. अब उन्हें शादीब्याह, जलसे, पार्टी से भी और्डर मिलने शुरू हो गए हैं. देखते ही देखते उस का कारोबार चल पड़ा.

अगर नौजवान अपने रोजीरोजगार की ओर मुड़ना चाहते हैं तो उन के सामने बड़ेबड़े मौल, दुकान, रैस्टोरैंट वगैरह ही दिखाई पड़ते हैं. वे छोटेमोटे धंधे की ओर ध्यान नहीं देते हैं.

छोटेमोटे धंधे के बारे में तो उन को बात करना भी शर्म महसूस कराता है. जब भी वे बात करेंगे तो बड़ी पूंजी वाले कारोबार के बारे में ही. वे छोटेमोटे धंधे करने वालों को हिकारत से देखते हैं और इसीलिए वे अपने लिए सिर्फ बड़ीबड़ी योजनाएं बनाते रह जाते हैं.

बहुत से नौजवान रोजीरोजगार करना चाहते हैं तो उन के पास मोटी पूंजी की कमी होती है. इस वजह से वे अपना धंधा शुरू नहीं कर पाते हैं. उन के मन में यह धारणा बैठ चुकी होती है कि अच्छी पूंजी से ही रोजगार किया जा सकता है.

दूसरी ओर आज के नौजवान छोटामोटा धंधा करने में झिझक महसूस करते हैं. किंतु यह कभी नहीं भूलना चाहिए जो भी बड़ेबड़े व्यापारी आज कामयाब हुए हैं, उन्होंने भी बिलकुल शुरुआत में छोटामोटा धंधे से ही अपना रोजगार शुरू किया था और आज वे बड़े कारोबारी बने हुए हैं.

अगर कोई थोड़ी सी पूंजी लगा कर अपना कामधंधा शुरू करता है और उस का यह धंधा किसी वजह से नहीं चल पाता है तो इस से ज्यादा नुकसान नहीं उठाना पड़ता है. वह चाहे तो फिर अपना दूसरा धंधा खड़ा कर सकता है. वह रोजीरोजगार की बारीकियों को समझने में भी कुछ न कुछ समय लगाता है, इसलिए अगली बार वह फूंकफूंक कर कदम बढ़ाता है.

नौजवानों को चाहिए कि थोड़ीबहुत पूंजी लगा कर छोटामोटा धंधा शुरू कर देना चाहिए. इस से उन की माली हालत में सुधार होगा और उन के मन में जो निराशा है, उस में धीरेधीरे बदलाव होने लगता है. घरपरिवार को संबल भी मिलने लगता है. उन में कारोबार की समझ भी विकसित होने लगती है.

वो वाली दोस्त: क्या मुकेश मीनू को अपना बना पाया?

कोरोना की महामारी ने बड़ेबड़े परदेशी को गांव में आने को मजबूर किया है. आज पूरे 4 साल बाद मुकेश अपने गांव आया है या कहें मजबूरी में आया है. मुकेश बहुत ही गरीबी की जिंदगी बचपन से जिया है और अपने सपनों और घर की हालत सुधारने के लिए 10 वीं पढ़ कर मुंबई भाग गया. वहां उस ने मोटर बनाने का काम सीखा और आज अच्छा पैसा कमा रहा है.

मुकेश की उम्र अभी 24 साल है. उस पर मुंबई का सुरूर देखा जा सकता है. रंगे हुए बाल, गोरा शरीर, अच्छे कपड़े उस की शोभा बढ़ा रहे थे.

मुकेश अपने घर के बाहर बरामदे में बैठा था, तभी उस की नजर सामने लगे नल पर पड़ी, जहां एक 17 साल की नई यौवन को पाई हुई खूबसूरत गोरी सी लड़की बालटी में पानी भर रही थी.

मुकेश की नजरों को मानो कोई जादू सा लग गया हो. वह एकटक उसी को देखे जा रहा था. वह सोच रहा था कि आखिर ये लड़की, जो बिलकुल साधारण कपड़ों और बिना फैशन के ही सुंदर लग रही है. हमारे शहर में लड़कियां तो मेकअप का सहारा लेती हैं, लेकिन इतनी सुंदर और मनमोहक नहीं लगतीं. मुकेश की नजर उस का तब तक पीछा करती रही, जब तक वह पानी ले कर ओझल नहीं हुई.

मुकेश ने अपनी भाभी से पूछा, ‘‘भाभी, यह लड़की कौन है? मैं तो इसे पहचान नहीं पाया.‘‘

भाभी ने मुसकराते हुए कहा, ‘‘अरे मुकेश, यह तो अपनी बगल के तिवारीजी की बिटिया मीनू है. तुम इसे भूल गए. शायद वह बड़ी हो गई है, इसीलिए इसे पहचान नहीं पाए.‘‘

मुकेश को उस का नाम जान कर न जाने क्या खुशी मिल रही थी, वह मन ही मन उस को अपना बनाने की सोचने लगा. मीनू की जवानी और खूबसूरती ने उस का दिल भेद दिया था.

अगले दिन फिर मुकेश बरामदे में बैठा उस का इंतजार करने लगा कि कब वह पानी भरने आएगी और कब वह उस का दीदार कर सकेगा.

तभी उस की नजर पीले सूट में चमकती हुई मीनू पर पड़ी और मुकेश की आंखें देखती रह गईं. पीले सूट में मीनू की खूबसूरती अलग ही इमेज बना रही थी, मानो कनेर का खूबसूरत फूल उतर आया हो.

मुकेश ने बड़ी हिम्मत की और नल तक पहुंच गया. वह मासूम बनते हुए बोला, ‘‘तुम मीनू हो न…‘‘

मीनू ने पलटते हुए जवाब दिया, ‘‘तुम्हें मेरा नाम मालूम है… हां, मैं ही मीनू हूं, और तुम मुकेश हो न. तुम तो मुंबई क्या गए, हम सब को भूल ही गए. अपने सभी दोस्तों और घर वालों को लगता है कि शहर की लड़कियां ज्यादा खूबसूरत लगती हैं.‘‘

अचानक मुकेश के मुंह से निकल गया, ‘‘नहीं मीनू, तुम से खूबसूरत कोई नहीं.’’

मीनू शरमा कर बालटी ले कर भागी और मुकेश को होश आया कि उस ने क्या कह दिया?

अगले दिन फिर वह बात करने पहुंच गया और बोला, ‘‘मीनू, मुझे माफ कर दो. मैं ने न जाने क्या बोल दिया, जो तुम भाग गई.‘‘

मीनू ने शरमाते हुए कहा, ‘‘अरे पागल, ऐसी कोई बात नहीं है.”

मुकेश ने कहा, ‘‘मुझ से दोस्ती करोगी?‘‘

मीनू ने कहा, ‘‘लेकिन, मैं और तुम तो पहले के ही दोस्त हैं बचपन से. बस, तुम्हीं भूल गए हो.‘‘

मुकेश को लगा कि आग दोनों तरफ है. उस ने बड़े प्यार से इशारों वाली बात में कहा, ‘‘वो वाली दोस्त बनोगी, गर्लफ्रैंड वाली.‘‘

मीनू ने कहा, ‘‘तुम परेशान करोगे लेकिन मैं ने देखा है फिल्मों में.‘‘

मुकेश ने मुसकराते हुए कहा, ‘‘नहीं, प्यार करूंगा बस, परेशान कभी नहीं. तुम इतनी खूबसूरत हो, भला कौन तुम्हें परेशान करेगा.‘‘

इसी तरह दोनों की मेलमुलाकात और बातें बढ़ती गईं. कभीकभी प्यार से मीनू का हाथ मुकेश छू लेता, तब उस के शरीर मे अजब सी सिहरन दौड़ पड़ती.

मीनू मन ही मन उसे अपना दिल दे चुकी थी, बस होंठों पर इजहार लाने की देरी थी. लेकिन हर लड़की की तरह वह भी चाहती थी कि मुकेश ही इजहार करे.

एक दिन मुकेश ने बड़ी हिम्मत से अपने दिल की बात बताई

यह सुन कर मीनू खुशी से उछल पड़ी और उसे गले से लगा लिया.

गले लगते ही मुकेश को मानो क्या मिल गया, वह उस के प्यार में अधीर हो गया और पाने की ललक में व्याकुल भी.

उस के शरीर की बनावट, उस की सादगी उसे अपनी पसंद पर गुरूर दे रही थी, मानो उसे दुनिया का सब से अनमोल उपहार मिला हो.

अगले दिन मीनू उस के घर आई, तब उस की भाभी नहाने और मां बगल वाले ताऊ के यहां गई थीं. मुकेश बिस्तर पर सो रहा था. मीनू उस के समीप पहुंची और अपने होंठों से उस के गालों पर एक चुम्मा दे दी.

अचानक स्पर्श से मुकेश पलटा और दोनों के होंठ छू गए.

मुकेश उसे चूमने लगा, तभी मीनू की भी सासें गरम चलने लगीं, लेकिन खुद को संभालते हुए वह उस से झिटक कर दूर हुई और बोली, ‘‘धत्त, तुम बड़े बदमाश हो. अब कभी तुम्हें चुम्मा नहीं करूंगी.’’ लेकिन तभी मुकेश ने उठ कर उसे अपनी बांहों में भर लिया, फिर मीनू ने भी खुद को समर्पित कर दिया और अपने कोमल होंठों से उस का साथ देने लगी.

मुकेश की गरम सांसें मीनू के बदन में आग डाल रही थीं और उस का यौवन पूरे उफान पर आ चुका था. मुकेश भी अपने सीने पर उसे महसूस कर रहा था.

दोनों ही बिना कुछ बोले प्यार की आग में आहुति बन रहे थे और एकदूसरे को पूरा किए दे रहे थे.

मुकेश और मीनू का प्यार था या सिर्फ खिंचाव या फिर बचपन में हुई गलती, ये समय सिद्ध करेगा. लौकबंदी के 4 महीनों में मुकेश और मीनू ने न जाने कितनी दफा आगोश में लिपटे अपने जिस्म की गरमियों से एकदूसरे को पिघलाया.

मीनू का भरता यौवन अपनी चरमसीमा पर पहुंचने पर पूर्ण तृप्ति को पाया और मुकेश ने भी अपनी बांहों में न जाने कितनी दफा मीनू को जगह दी.

अचानक कुछ ही दिनों के बाद मुकेश को शहर से फोन आ गया. वह अपने व्यवसाय के प्रति ईमानदार था. घर की गृहस्थी चलाना और अब प्यार दोनों में कोई एक चुनना था. अभी उम्र कम थी और काम ज्यादा करना था. अभी तो उसे कामयाबी मिलनी शुरू हुई थी.

एक रात उस ने बाग में मीनू को बुलाया और मिलते ही मीनू ने उसे गले से लगा लिया और उस के गालों पर अपने होंठों से चूमते हुए कहा, ‘‘ मुकेश तुम से बिलकुल दूर नहीं रहा जाता. मुझे हर जगह बस तुम्हीं दिखते हो. मन करता है कि तुम्हारी बांहों में रहूं और उम्र गुजर जाए.‘‘

मीनू की प्यार भरी बातें मुकेश सुनता रहा, परंतु वो तो मीनू से आज विदा लेने आया था कि उसे फिर शहर वापस जाना है.

मुकेश ने कहा, ‘‘मीनू, मैं भी तुम से प्यार करता हूं और तुम जानती हो कि आज के जमाने में प्रेम के साथ पैसों की भी जरूरत पड़ती है. बिना पैसों के घर नहीं चलता, इसीलिए आज तुम्हें यहां बुलाया है. मुझे कल शहर जाना है, क्योंकि आज वापसी के लिए फोन आया था.”

इतना सुनते ही मीनू के सिर पर मानो गमों का पहाड़ टूट पड़ा. यह सुन कर वह रोने लगी और फिर मुकेश की बांहों में खुद को समर्पित कर दिया.

मुकेश ने उसे प्यार से चूमा और दोनों के होंठ और हाथ एकदूसरे के बदन से खेलने लगे. मुकेश ने उस को वहीं जमीन पर लिटा दिया और चूमने लगा. मीनू भी उस का बराबर साथ दे रही थी. रात के ढलते हुए पहर में वे दोनों एकदूसरे में खोते गए. न जाने कब दोनों एकदूसरे के जिस्म में समा गए और अपनी चरमसीमा के उपरांत दोनों अलग हुए.

मुकेश ने मीनू से वादा किया, ‘‘तुम जरा भी चिंता न करो. मैं जल्दी ही वापस आऊंगा और तुम्हें अपने साथ शहर ले जाऊंगा.‘‘

सुबह हुई, मुकेश तैयार हुआ और शहर जाने के लिए निकल पड़ा. मीनू छत से उसे जाते देख रही थी, जब तक कि वह आंखों से ओझल नहीं हो गया.

मीनू बहुत रोई और फिर खुद को ही समझाया, परंतु रोकने की हिम्मत न हुई क्योंकि प्रेम में आप साथी को खुद से नहीं बांध सकते उस की खुशी जब तक न हो.

आज इस घटना को पूरे 3 साल हो गए. मुकेश एक बार भी शहर से न आया. पहले एक या डेढ़ साल तक उस का फोन आता था, लेकिन तब से वह भी बंद है.

मीनू अब और बड़ी हो गई और सुंदर भी. उस का यौवन अब पूरी तरह से विकसित और ज्यादा खूबसूरत हो गया, उभार और कमर की खूबसूरती लड़कों को आकर्षित करती. उस के कालेज के न जाने कितने लड़कों ने उसे प्यार के लिए मनाया, परंतु उस के मन में मुकेश के सिवा कोई नहीं. वह बस उसी का इंतजार करती रही.

एक दिन उसे खबर मिली कि मुकेश इस हफ्ते गांव आ रहा है. उस की खुशी का ठिकाना न था. उस को लग रहा था कि वह सातवें आसमान पर है.

आज वह दिन भी आ गया और मुकेश वापस आया. मीनू कालेज से वापस आते ही भागती हुई मुकेश के घर उस से मिलने पहुंची और वहां पहुंचते ही वह हैरान हो गई.

मुकेश अकेले नहीं आया था, बल्कि एक लड़की के साथ आया था, जो उस की पत्नी थी. मुकेश ने शहर में ही शादी कर ली थी.

मीनू को देखते ही मुकेश ने उसे बुलाया और अपनी पत्नी से मिलाते हुए कहा, ‘‘सुनो, ये मेरी वो वाली दोस्त है, जिस के बारे में मैं ने तुम्हें बताया था.‘‘

मीनू ने भी उस की पत्नी को गले लगाया और कहा, ‘‘तुम बहुत तकदीर वाली हो, तुम्हें सब से अच्छा लड़का मिला, जो मेरा दोस्त था.‘‘

मीनू वहां से भागती हुई आई और फूटफूट कर रोई. वह खुद को समझाने की कोशिश कर रही थी कि वह सिर्फ वो वाली दोस्त थी.

जानिए पुरुष नसबंदी क्यों है जरूरी

अपनी पत्नी का सहयोग करने से उन की इस तथाकथित मर्दानगी को बट्टा लग जाता है तथा पत्नी पर रोब गांठने से उन की मर्दानगी में चारचांद लगते हैं.

वे प्यार में अपनी जान देने तक की बात तो कर सकते हैं, परंतु पत्नी के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए स्वयं नसबंदी करवाने के बारे में सोच भी नहीं सकते जबकि चिकित्सा विज्ञान आज इतनी तरक्की कर चुका है कि दर्दरहित यह प्रक्रिया कुछ ही मिनटों में समाप्त हो जाती है.

इस के बावजूद हजार में से कोई 1 पुरुष ही है जो नसबंदी के लिए सहमत होता है और वह भी चोरीछिपे, रिश्तेदारों एवं समाज को बताए बिना. जबकि महिला नसबंदी खुले में शिविर लगा कर की जाती है. सरकार भी महिला नसबंदी का ही ज्यादा प्रचार करवाती है. नसबंदी करवाने के लिए महिलाओं को रुपए भी मिलते हैं.

ग्रामीण संस्था ‘आशा’ भी महिलाओं को ही नसबंदी के फायदे एवं नुकसान की जानकारी देती है. कुछ गांवों में तो टारगेट पूरा करने के लिए ट्रकों में भरभर कर महिलाओं को शिविरों में लाया जाता है. ये पैसों के लालच में यहां आ तो जाती हैं परंतु उचित देखभाल न होने के कारण कई बार हादसे का भी शिकार हो जाती हैं.

हमारे देश की यह विडंबना है कि परिवार नियोजन का सारा दारोमदार महिलाओं पर ही छोड़ दिया गया है. महिलाएं भी पुरुषों को कंडोम इस्तेमाल करने के लिए नहीं कह सकती हैं परंतु स्वयं बिना सोचेसमझे इस्तेमाल करने से नहीं हिचकतीं. बचपन से त्याग और कर्तव्य पालन की घुट्टी जो कूटकूट कर पिलाई जाती है उन्हें.

सरल है पुरुष नसबंदी

डेनमार्क में हुए एक शोध से पता चलता है कि गर्भनिरोधक गोलियों का इस्तेमाल करने वाली महिलाएं अकसर अवसाद में चली जाती हैं. आधुनिक चिकित्सा विज्ञान की मानें तो सभी चिकित्सक यही कहते हैं कि महिला नसबंदी की तुलना में पुरुष नसबंदी अधिक सरल, सुरक्षित, आसान एवं कम खर्चीली है.

पुरुष नसबंदी में स्पर्म्स को ले जाने वाली नलिका ‘वासडिफरैंस’ को कट कर दिया जाता है. इस के लिए शल्यचिकित्सक सब से पहले अंडकोषों के ऊपर वाली चमड़ी पर सूई लगा कर उसे सुन्न करते हैं और फिर एक खास तरह की चिमटी से बारीक सूराख कर के उस नली को बाहर निकाल कर अंडकोषों से वीर्य को पेशाब की नली तक पहुंचाया जाता है. पुन: इस थैली को बीच से काट कर दोनों कटे हुए सिरों को बांध कर उन के मुंह बंद कर दिए जाते हैं और वापस अंडकोष थैली के अंदर डाल देते हैं. इस प्रक्रिया में 20 से 25 मिनट लगते हैं. व्यक्ति को न तो एनेस्थीसिया की आवश्यकता होती है और न ही अस्पताल में भरती होना पड़ता है.

यह प्रक्रिया बिना किसी चीरे या टांके के संपूर्ण हो जाती है. इस प्रक्रिया के कुछ ही घंटों बाद व्यक्ति अपने पैरों से चल कर घर जा सकता है. यह गर्भनिरोध के लिए महिला नसबंदी जितना ही प्रभावशाली होता है.

सेक्स क्षमता पर प्रभाव

इस के विपरीत महिला नसबंदी में उक्त महिला को लोकल एनेस्थीसिया दिया जाता है तथा एक चीरा एवं टांका भी लगता है. महिला को पूरी तरह सामान्य होने में 1 हफ्ता लग जाता है. इस प्रक्रिया में महिला को संक्रमण और अंदरूनी भागों में चोट लगने का भी खतरा होता है. दूरबीन प्रक्रिया में तो औजार अंदाज से अंदर डाला जाता है.

अत: इस में गुरदा खराब होने एवं अंदरूनी रक्तस्राव होने की भी संभावना रहती है, जबकि पुरुषों में इस प्रकार की कोई समस्या नहीं होती और न ही उन के सेक्स ड्राइव में कोई कमी आती है.

जागरूकता जरूरी

हाल में ही प्रदर्शित एक फिल्म ‘पोस्टर बौयज’ में भी निर्देशक श्रेयस तलपड़े ने इसी समस्या को उठाया है. फिल्म के नायकों पर नसबंदी का शक मात्र हो जाने से उन के सामाजिक और पारिवारिक जीवन में भूचाल सा आ जाता है. एक गुनहगार की भांति उन्हें अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए कोर्ट तक का सहारा लेना पड़ता है. अंतत: मुख्यमंत्री के मुंह से पुरुष नसबंदी का संदेश दिलाया जाता है.

यह फिल्म एक तरह से पुरुष नसबंदी को ही प्रमोट करती है और यह संदेश देती है कि इस प्रक्रिया से पुरुषों में किसी भी तरह की कमजोरी नहीं होती है और न ही यह शर्मनाक कृत्य है, बल्कि परिवार नियोजन के अन्य साधनों की तरह यह भी एक साधन मात्र है.

10 टिप्स: जानें सैक्स पावर बढ़ाने के घरेलू उपाय

मानवीय शारीरिक ऊर्जा के जिस भाग को आप सैक्स यानि संभोग में लगाते है, उसको सैक्स पावर कहा जाता है. सेक्स सभी की जिंदगी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है. इसको आनंदपूर्ण बनाने के लिए आपको अपनी सेक्स पावर को सही रखना होता है. सेक्स में शामिल होने वाले दोनों ही साथियों की सेक्स पावर स्वस्थ होने से शारीरिक व मानसिक स्तर पर कई तरह के लाभ मिलते हैं.

आज के दौर में अस्वस्थ दिनचर्या व दूषित वातावरण के कारण लोगों को कई तरह की बीमारियां हो जाती है. इसके चलते सेक्स पावर में भी कमी आ जाती है. आपकी इन सभी परेशानियों को देखते हुए आज आपको सेक्स पावर को बढ़ाने के उपाय और तरीके के साथ ही इसको बढ़ाने के घरेलू नुस्खों के बारे में बताया जा रहा है.

सैक्स पावर कम होने के लक्षण

सैक्स पावर होने पर पर आपको निम्न तरह के लक्षण महसूस होते हैं.

– यौन उत्तेजना न होना.

– शीघ्रपतन होना.

– चरम सुख (ओर्गेज्म) की अवधि कम होना.

– सैक्स के दौरान संतुष्टि प्राप्त न होना.

– यौन प्रदर्शन में कमी आना.

सैक्स पावर कम होने के कारण

सैक्स पावर कम होने के कई कारण हो सकते हैं. जिनमें से कुछ मुख्य कारणों के बारे में आगे बताया जा रहा है.

  • टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम होना.
  • सेक्सुअल स्टेमिना में कमी आना.
  • नपुंसकता.
  • अधिक आयु होना.
  • तनाव व चिंता से ग्रसित होना.
  • दीर्घकालिक रोग, जैसे – डायबिटीज व हृदय रोग होना.

सैक्स पावर बढ़ाने के उपाय और तरीके

सैक्स पावर कैसे बढ़ाएं : सैक्स पावर बढ़ाने के लिए वैसे तो आपको कई उपाय बताएं गए हैं, परंतु इनके अलावा भी कुछ ऐसे उपाय है जिनके द्वारा आप अपनी सेक्स पावर को आसानी से बेहतर कर सकते हैं.

  1. सैक्स पावर बढाने के उपाय रखें तनाव से दूरी : सेक्स पावर को प्राकृतिक रूप से बढ़ाने के लिए आपको तनाव से दूर रहना चाहिए. तनाव से आपके स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है. एक अध्ययन में इस बात का पता चला है कि तनाव व्यक्ति की सेक्सुअल गतिविधियों को प्रभावित करता है. तनाव के कारण हृदय गति असामान्य हो जाती है. इसके साथ ही साथ तनाव के कारण हाई बीपी की समस्या भी उत्पन्न हो जाती है. यह दोनों ही रोग आपकी यौन गतिविधि पर बुरा असर डालते हैं.

इसके अलावा तनाव से उत्तेजना में कमी और चरम सुख पर पहुंचना भी कठिन हो जाता है. अगर आपका साथी तनाव में है, तो आपको उनके तनाव को दूर करने के लिए उनकी पूरी सहायता करनी चाहिए. कई बार तनाव के कारण ही व्यक्ति शराब व नशे का आदि हो जाता है. नशे की आदत के कारण भी सेक्स पावर कम हो जाती है.

2. सैक्स पावर बढाये सही पोजीशन से : बताए गए उपायों से सेक्स पावर की समस्या सही होने पर आप विभिन्न सेक्स पोजीशन की मदद से अपनी पार्टनर को पूर्ण संतुष्टि प्रदान कर सकते हैं. कई बार आप एक ही तरह की सेक्स पोजीशन को करते-करते ऊब जाते हैं. ऐसे में आपको लगता है कि आपकी सेक्स पावर कम हो गई है, जबकि ऐसा होता नहीं है. सेक्स पोजीशन को बदलकर आप अपनी सेक्स लाइफ को पहले की तरह की रोमांचकारी और बेहतर बना पाएंगे. सेक्स पोजीशन को अपनाते समय आपको अपनी सहुलियत से ज्यादा साथी की सहुलियत पर ध्यान देना होगा. एक बार आप और साथी किसी सेक्स पोजीशन में सहज हो जाएं तो बाद में आप अपनी सेक्स पावर को भी प्रदर्शित कर सकते हैं. वहीं कई ऐसी सेक्स पोजीशन भी होती हैं जिनके द्वारा आप कम जोश दिखाए हुए भी साथी को पूरी संतुष्टि प्रदान कर सकते हैं.

3. हस्तमैथुन करना हस्तमैथुन से आप अपनी सेक्स पावर को बढ़ा सकते हैं. अगर आप अपनी सेक्स पावर को बढ़ाना चाहते हैं तो आपको हस्तमैथुन से सहायता लेनी होगी, दरअसल इससे सेक्स करने की अवधि में वृद्धि होती है. इसको आप सेक्स करने से पहले की प्रैक्टिस की तरह भी देख सकते हैं. इसको करते समय आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि इसको ज्यादा करने से नुकसान भी हो सकता है.

4. रोजाना सैक्स न करें जिस तरह से किसी कार्य को रोजाना करने से आप उसमें बोरियत महसूस करने लगते हैं, ठीक ऐसे ही रोजाना सेक्स करने से आपको इससे बोरियत हो जाती है. सेक्स में बोरियत होने से आपके अंदर की यौनेच्छा में कमी आ जाती है. यौनेच्छा या कामेच्छा को बनाएं रखने के लिए आपको नियमित सेक्स करने की आदत को बदलना होगा. इसकी जगह पर आप एक या दो दिन के अंतराल में सेक्स करें. जिससे आपको सेक्स के दौरान बोरियत भी महसूस नहीं होगी और आप अपनी सेक्स पावर को महसूस भी कर पाएंगे.

5. सैक्स पावर इनक्रीस करें सूर्य की किरणों से : सूर्य की किरणों से कई तरह की बीमारियों को इलाज किया जा सकता है. मेलाटोनिन (Melatonin; नींद की प्रक्रिया को नियमित करने वाला हार्मोन) के कम व ज्यादा होने का प्रभाव आपकी यौन इच्छा पर पड़ता है. कहा जाता है कि सर्दियों में यह हार्मोन अधिक स्त्रावित होता है. इससे बचने के लिए आपको सूर्य की किरणों में कुछ देर बैठना चाहिए. सेक्स पावर को बढ़ाने के लिए यह एक कारगर उपाय है. इतना ही नहीं सूर्य की किरणों में बैठने से आपका रक्त संचार सही होता है और आप पहले के मुकाबले अधिक सक्रिय हो जाते हैं.

6. प्याज है सैक्स पावर बढ़ाने का तरीका : अगर आप अपनी सेक्स पावर को बढ़ाने के बारे में सोच रहें हैं तो आपको अपने आहार में प्याज को शामिल करना होगा. प्याज और यौन स्वास्थ्य पर हुई रिसर्च में पाया गया कि प्याज के सेवन से सेक्स पावर को प्राकृतिक तरीके से बढ़ाया जा सकता है. इसके लिए आपको सफेद प्याज को काटकर और उसको मक्खन में भूनना होगा. आप हर दिन एक चम्मच इस प्याज का सेवन करें. अपने स्वाद के लिए आप इसमें शहद भी मिला सकते हैं. हर सुबह खाली पेट इस प्याज का सेवन करें. यह उपाय सेक्स पावर और शीघ्रपतन की समस्या को दूर करता है.

7. सैक्स पावर बढ़ाएं लहसुन से : आप लहसुन के कई फायदों के बारे में पहले से ही जानते होंगे, मगर आज आपको लहसुन से सेक्स पावर को बढ़ाने के उपाय बताए जा रहें हैं. सेक्स पावर को इनक्रीज करने के लिए आप रोजाना लहसुन की कलियों का सेवन करें. इससे आपकी यौन इच्छा में प्राकृतिक रूप से बढ़ोतरी होती है. लहसुन से सेक्स पावर बढ़ने का राज यह है कि इससे यौन अंगों के रक्त संचार में तीव्रता आती है. जिससे सेक्स के समय यौन अंगों में उत्तेजना लंबे समय तक बनी रहती है और आप अधिक समय तक सेक्स कर पाते हैं.

8. सैक्सुअल पावर बढ़ाता है बादाम : सेक्स पावर को बढ़ाने वाले प्राकृतिक तरीकों में आप बादाम का भी प्रयोग कर सकते हैं. बादाम पर हुए एक अध्ययन में पाया गया कि यह आपके शरीर की सेक्सुअल पावर को बढ़ाते हैं. इसके साथ ही साथ बादाम खाने से प्रजन्न क्षमता में भी वृद्धि होती है. बादाम में उच्च मात्रा में पोषक तत्व व खनिज पाएं जाते हैं. इसमें जिंक, सेलेनियम और विटामिन ई होता है, जिससे यौन स्वास्थ व प्रजन्न शक्ति में बढ़ोतरी होती है. अध्ययन यह भी बताते हैं कि जिंक यौन इच्छा को बढ़ाने के लिए भी काफी उपयोगी माना जाता है. इस वजह से साथी को संतुष्ट करने के लिए आप बादाम का नियमित रूप से सेवन कर सकते हैं.

9. सैक्स पावर मेडिसिन है डार्क चॉकलेट : वैसे तो आपने कई बार चॉकलेट खाई होगी, लेकिन आप डार्क चॉकलेट के इस फायदे से अब तक अंजान होंगे. सेक्स पावर को बढ़ाने के लिए डार्क चॉकलेट किसी दवा की तरह ही काम करती है. डार्क चॉकलेट के सेवन से एंड्रोफिन (Endropihn; आपको आनंदित महसूस कराने वाला हार्मोन) स्त्रावित होता है. इसके अलावा डार्क चॉकलेट का स्वाद सभी को पसंद आता है. इसको खाने से भी आपकी सेक्स पावर में बढ़ोतरी होती है. अगर आप अधिक समय तक सेक्स नहीं कर पाते हैं तो आपको डॉर्क चॉकलेट का सेवन अवश्य करना चाहिए, लेकिन आपको पहले से ही कोई समस्या हो तो आप डॉक्टर की सलाह के बाद ही इसका सेवन करें.

10. सैक्स पावर बढ़ाने के लिए नशे से रहें दूर : सेक्स पावर को बढ़ाने के घरेलू नुस्खों में आपको अपनी बुरी आदतों को छोड़ना होगा. शराब पीना व धूम्रपान करने से कई तरह की हानि होती है. इससे आपकी सेक्स पावर में भी कमी आती है. एक अध्ययन के मुताबिक ऐसा इसलिए होता है क्योंकि धूम्रपान और शराब का सेवन करने से रक्त वाहिकाएं सिकुड़ जाती है. इस वजह से पुरुषों में नंपुसकता की समस्या भी हो जाती है. इस समस्या से बचने के लिए आपको धूम्रपान और शराब की लत को छोड़ना होगा. इसकी जगह पर आप ताजे फल व सब्जियों का अधिक सेवन करें.

सोशल मीडिया इंफ्यूएंसर सोफिया अंसारी का MMS लीक, नेटवर्थ जान उड़ जाएंगे होश

बौलीवुड हसीनाओं को अगर कोई ऐक्ट्रैस टक्कर देने के लिए तैयार रहती हैं, वे हैं सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर्स. जी हां, सोशल मीडिया यूजर्स सोफिया बेहद ही पौपुलर ऐक्ट्रैस हैं. सोफिया के हाल में एक प्राइवेट वीडियो लीक होने की खबर वायरल हो रही है. सोफिया अंसारी बेहद ही बोल्ड कंटैंट क्रिएटर हैं. उन की फोटोज देख कर तहलका मच जाता है.

 

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हुस्न के मामले में बौलीवुड हसीनाओं को टक्कर देने वाली सोफिया अंसारी अपने एमएमएस को ले कर छाई हुई हैं. उन के वीडियो को ले कर तलहका मच गया है. हर जगह उन की बातें हो रही हैं. खबरों की हैडलाइन में आ गई है कि सोफिया का एमएमएस किस ने और कैसे लीक किया. लेकिन क्या आप ऐक्ट्रैस की नैटवर्थ से वाकिफ हैं? उन की नैटवर्थ काफी ज्यादा है.

आप को बता दें कि सोफिया अंसारी अकसर किसी ने किसी वजह से सुर्खियों में बनी रहती हैं. इन दिनों फिर से सोफिया अपने प्राइवेट वीडियो को ले कर सुर्खियों में हैं. सोफिया हमेशा ही अपनी वीडियो और फोटोज शेयर करती रहती हैं. उन के इंस्टाग्राम पर 13.2 मिलियन फोलोअर्स हैं. इतनी ही नहीं, सोफिया टिकटौक पर भी फेमस हैं. लेकिन अब सोफिया का एमएमएस लीक हुआ है, जिस की चर्चाएं तेज हो रही हैं.

सोफिया अंसारी की नैटवर्थ

सोफिया अंसारी की नैटवर्थ की बात करें तो वे एक महीने में 5 लाख रुपए से ज्यादा कमाई कर लेती हैं. उन की कुल संपत्ति 2 करोड़ रुपए है. गौर करने वाली बात यह है कि सोफिया एक मौडल और सोशल मीडिया सैलिब्रिटी हैं. उन की कोई फिक्स्ड सैलरी नहीं है. सोफिया के कमाई के कई अलगअलग सोर्स हैं, जिन में जौब्स, स्पौन्सरशिप और ब्रांड पार्टनरशिप शामिल हैं.

गुजरात की हैं सोफिया अंसारी

सोफिया अंसारी का जन्म 20 अप्रैल, 1996 को सूरत, गुजरात में हुआ था. सोफिया सोशल पर बेहद पौपुलर हैं. जब सोफिया टिकटौक पर थीं, तब उन के 5 मिलियन फौलोअर्स थे, जो अब इंस्टाग्राम पर बढ़ कर दोगुने हो चुके हैं. इंटरनै की दुनिया का सोफिया एक जानामाना नाम बन चुकी हैं, जो किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं. भोजपुरी सिनेमा में भी सोफिया अंसारी की पौपुलैरिटी कम नहीं है. फिलहाल उन का एमएमएस कैसे और किस ने लीक किया, इस पर अभी चर्चाएं हो रही हैं.

अश्लील वीडियोज करती हैं शेयर

सोफिया अंसारी एक टिकटौकर, सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर, यूट्यूबर और मौडल हैं. सोफिया अंसारी का पूरा नाम सोफिया सलेहा अंसारी है. सोफिया सोशल मीडिया पर काफी ऐक्टिव हैं और अपनी बोल्ड फोटोज और अश्लील तसवीरों के लिए लोकप्रिय हैं. सोफिया को बोल्डनैस ज्यादा पसंद है. सोफिया अपने साथ की ऐक्ट्रैस को जम कर टक्कर देती हैं. बता करें सोफिया के अफेयर्स की तो उन का कोई भी बौयफ्रैंड सुर्खियों में नहीं रहा है. उन के किसी भी बौयफ्रैंड का जिक्र नहीं हुआ है.

हत्या या आत्महत्या : क्या थी पुलिस की कहानी

उस दिन दोपहर से ही अमनप्रीत कौर काफी परेशान थी. उस के साथी सिपाहियों ने पूछा भी कि क्या बात है, पर उस ने किसी को कुछ नहीं बताया. पूरा दिन इसी तरह बीत गया. रात को वह ड्यूटी खत्म कर के घर जाने लगी तो हैड मुंशी निर्भय सिंह ने उसे रोक कर कहा, ‘‘अभी तुम रुको, तुम से कुछ काम है.’’

यह समय थाने में ड्यूटी बदलने का था. कुछ लोगों की ड्यूटी लग रही थी तो कुछ लोग घर जाने की तैयारी कर रहे थे. थाने का पूरा स्टाफ वहां मौजूद था. अमनप्रीत कौर जब एक जगह खड़ीखड़ी बोर होने लगी तो वह आराम करने की गरज से रेस्टरूम में चली गई. रात करीब पौने 9 बजे एक सिपाही किसी काम से रेस्टरूम में गया तो अंदर का दृश्य देख कर उस के होश उड़ गए. महिला सिपाही अमनप्रीत कौर की लाश पंखे से लटक रही थी.

सिपाही शोर मचाते हुए बाहर निकला और यह बात मुंशी निर्भय सिंह सहित वहां मौजूद सभी लोगों को बताई. अमनप्रीत कौर पंखे से लटक रही है, यह सुन कर सभी के होश उड़ गए. मुंशी निर्भय सिंह का तो बुरा हाल था.

आननफानन में यह सूचना पुलिस अधिकारियों को देने के साथ अमनप्रीत के घर वालों को भी दी गई. अमनप्रीत पंखे से झूल रही है, यह सुन कर अमनप्रीत का भाई गुरिंदर सिंह थोड़ी ही देर में थाने पहुंच गया. बहन की लाश देख कर उस ने तुरंत कहा, ‘‘अमनप्रीत आत्महत्या नहीं कर सकती. उस की हत्या कर के लाश पंखे से लटकाई गई है और यह काम मुंशी निर्भय सिंह का है.’’

कुछ ही देर में गुरिंदर सिंह के घर वालों के साथ जानपहचान वाले तथा रिश्तेदार भी थाना जोधां पहुंच गए थे. गुरिंदर ने उन लोगों से कहा कि थाने के मुंशी निर्भय सिंह ने अमनप्रीत कौर को मार कर पंखे से लटका दिया है. उस का इतना कहना था कि वहां आए लोगों ने नाराज हो कर थाने को घेर लिया.

उसी बीच मौका देख कर मुंशी निर्भय सिंह फरार हो गया. सूचना पा कर थाने पहुंचे डीआईजी यूरेंदर सिंह हायर और एसएसपी सुरजीत सिंह ने थानाप्रभारी मोहनदास को लाइन हाजिर कर दिया और इस मामले को अपराध संख्या 80 पर हवलदार निर्भय सिंह के खिलाफ अमनप्रीत कौर को प्रताडि़त करने और आत्महत्या के लिए मजबूर करने का मुकदमा दर्ज करा दिया, साथ ही उस की गिरफ्तारी के आदेश दे दिए.

मुकदमा दर्ज होते ही एक पुलिस टीम निर्भय सिंह के घर भेज दी गई. लेकिन पुलिस टीम के पहुंचने से पहले ही वह परिवार सहित घर से फरार हो चुका था. पुलिस टीम पूरी रात निर्भय सिंह की तलाश में उस के रिश्तेदारों के यहां छापे मारती रही, पर वह नहीं मिला.

अगले दिन यानी 9 जून, 2017 को सवेरा होते ही अमनप्रीत की आत्महत्या के विरोध में लोग लुधियाना के सिविल अस्पताल के बाहर इकट्ठा होने लगे. धीरेधीरे यह भीड़ बढ़ती ही जा रही थी. वहां इकट्ठा लोग काफी उत्तेजित थे. भीड़ और उन का गुस्सा देख कर अस्पताल के कर्मचारी सहमे हुए थे, लेकिन वे अपना काम कर रहे थे. कुछ ही देर में भीड़ इतनी ज्यादा बढ़ गई कि अस्पताल के बाहर की सड़क जाम हो गई.

इस बात की जानकारी मिलते ही वहां पुलिस की 2 गाडि़यां आ पहुंचीं. इन में एक में डीएसपी (दाखां) जसमीत सिंह थे तो दूसरी में एसएसपी सुरजीत सिंह. दोनों ही अधिकारी अपनीअपनी गाडि़यों से उतर कर अस्पताल की ओर बढ़े तो अब तक शांत खड़ी भीड़ ‘पुलिस हायहाय’, ‘आ गई कातिल पुलिस’, ‘आ गई हत्यारी पुलिस’ और ‘पुलिस मुर्दाबाद’ के नारे लगाने लगी.

पुलिस अधिकारियों ने आगे बढ़ कर कुछ कहना चाहा तो उन लोगों ने उन की बात सुनने के बजाय और जोरजोर से नारे लगाना शुरू कर दिया. मजबूरन पुलिस अधिकारियों को पीछे हटना पड़ा, क्योंकि वे बीती रात लोगों के आक्रोश का सामना कर चुके थे.

पिछली रात नाराज लोगों ने सरकार एवं पुलिस के खिलाफ नारेबाजी करते हुए थाना जोधां के घेराव के साथसाथ लुधियाना-राजकोट रोड पर 6 घंटे तक जाम लगाए रखा था. जाम की सूचना मिलने पर एसएसपी सुरजीत सिंह घटनास्थल पर पहुंचे तो उन के आक्रोश को देखते हुए ही उन्होंने थाना जोधां के थानाप्रभारी मोहनदास को लाइन हाजिर कर दिया था.

इसी के साथ हवलदार मुंशी निर्भय सिंह के खिलाफ भादंवि की धारा 306 के तहत मामला दर्ज करा दिया था. लेकिन वह गिरफ्तार होने से पहले ही फरार हो गया था. उस की तलाश में पुलिस टीमें रवाना कर दी गई थीं. इस के बावजूद अमनप्रीत के घर वालों ने शहर वालों के साथ मिल कर सुबह 10 बजे ही बठिंडालुधियाना हाईवे जाम कर दिया था. ऐसे मौकों पर लोग अकसर सरकारी वाहनों को अपना निशाना बनाते हैं. इसलिए पुलिस ने अपने वाहन काफी दूर खड़े कर दिए थे.

रोड जाम किए लोग मुंशी निर्भय सिंह की गिरफ्तारी की मांग कर रहे थे. वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने उन्हें समझाया कि पुलिस उसे जल्द ही गिरफ्तार कर लेगी. महिला सिपाही अमनप्रीत की लाश उसी दिन सवेरे करतार सिंह सराभा मैमोरियल अस्पताल से एंबुलेंस के जरिए सिविल अस्पताल ले जाई गई थी.

पर वहां पहले से ही मौजूद लोगों ने एंबुलेंस को घेर लिया. वह शव को अंदर नहीं ले जाने दे रहे थे. उन्होंने एंबुलेंस में तोड़फोड़ करने की कोशिश की. पुलिस ने एंबुलेंस को भगा कर किसी तरह मोर्चरी तक पहुंचाया. लोग उस के पीछे वहां जा कर भी प्रदर्शन करने लगे. वे शव का पोस्टमार्टम न करने की मांग कर रहे थे.

इस के बाद पूर्व विधायक तरसेम जोधां की अगुवाई में 11 सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया. यह कमेटी सुधार सिविल अस्पताल की एसएमओ डा. नीना नाकरा पिलानी से बात करने पहुंची. एसएमओ ने कमेटी को बताया कि डा. प्रियंका, डा. नीलम भाटिया और डा. वरिंदर जोशी का पैनल मृतका का पोस्टमार्टम करेगा.

एक सरकारी और एक प्राइवेट कैमरामैन द्वारा पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी करवाई जाएगी. एसएमओ ने कमेटी के सदस्यों से यह भी कहा कि वीडियोग्राफी की एक कौपी अस्पताल प्रशासन अपने पास रखेगी और दूसरी कौपी पुलिस को दी जाएगी.

कमेटी के सदस्यों ने वीडियो की एक कौपी की मांग की तो एसएमओ ने कहा कि वह वीडियोग्राफी की कौपी कोर्ट के जरिए अस्पताल प्रशासन से ले सकते हैं. उन का इतना कहना था कि प्रदर्शनकारी भड़क उठे और उन्होंने वहां हुड़दंग मचाना शुरू कर दिया.

प्रदर्शनकारियों ने एसएमओ पर भी हमला करने की कोशिश की. किसी तरह वह अपनी जान बचा कर भाग गईं. इस के बाद भीड़ ने उन के औफिस का दरवाजा उखाड़ दिया और अस्पताल में भी तोड़फोड़ की. भीड़ को वहां से हटाने में पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी.

थाना जोधां में 8 जून, 2017 दिन गुरुवार की रात रहस्यमय हालत में कांस्टेबल अमनप्रीत कौर की मौत के मामले में उस के घर वालों ने 10 जून को भी प्रदर्शन जारी रखा. मृतका के घर वाले अस्पताल के अंदर और बाहर प्रदर्शन कर मुंशी निर्भय सिंह की गिरफ्तारी की मांग कर रहे थे. उसी बीच डीआईजी यूरेंदर सिंह हायर, एसएसपी सुरजीत सिंह, एसडीएम लुधियाना दमनजीत सिंह भी आ पहुंचे, पर इन की बात कोई सुनने को  तैयार नहीं था.

आखिरकार, इन अधिकारियों के आश्वासन के बाद शव का पोस्टमार्टम हो सका. पोस्टमार्टम के बाद भी महिला सिपाही अमनप्रीत कौर की लाश मोर्चरी में ही रख कर घर वाले कहने लगे कि अगर सोमवार तक आरोपी निर्भय सिंह की गिरफ्तारी नहीं हुई तो वे लाश को थाना जोधां के बाहर रख कर धरना देंगे.

विधायक सिमरजीत बैंस ने कहा कि जब तक पीडि़त परिवार को इंसाफ नहीं मिलेगा, तब तक वह विधानसभा की काररवाई नहीं चलने देंगे.

दरअसल, यह मामला कुछ इस तरह था. महिला सिपाही अमनप्रीत कौर थाना जोधां में तैनात थीं. वहां का हैड मुंशी निर्भय सिंह पिछले काफी समय से उसे बेवजह परेशान कर रहा था. उस की ड्यूटी इधरउधर लगाना, छोटीछोटी बात पर बेइज्जती करना और बातबात पर डांटना आम बात थी.

मुंशी निर्भय सिंह की इन हरकतों से अमनप्रीत कौर काफी परेशान रहती थी. वह अपनी ड्यूटी पर कभी कोई कोताही नहीं करती थी, फिर भी निर्भय सिंह उसे परेशान करता था. जब बात बरदाश्त से बाहर हो गई तो उस ने अपने छोटे भाई गुरिंदर को सारी बात बता कर पुलिस की नौकरी छोड़ने के लिए कहा.

बहन की बात सुन कर गुरिंदर परेशान हो उठा. उसे समझाते हुए उस ने कहा, ‘‘नौकरी में इस तरह की छोटीमोटी टेंशन तो होती ही रहती है. इतनी सी बात में कोई नौकरी थोड़े ही छोड़ देता है. फिर नौकरी छोड़ना समस्या का समाधान नहीं है. मान लो तुम यह नौकरी छोड़ कर कहीं और नौकरी करोगी तो क्या गारंटी कि वहां भी इस तरह की परेशानी नहीं होगी? कहांकहां नौकरी छोड़ती फिरोगी. ऐसे में लोग तुम्हें ही गलत कहेंगे. फिर तुम्हें कोई नौकरी भी नहीं देगा.’’

‘‘तब मैं क्या करूं?’’ अमनप्रीत ने दुखी हो कर पूछा.

‘‘अपने अफसरों से निर्भय सिंह की शिकायत कर दो. सब ठीक हो जाएगा.’’ गुरिंदर ने कहा.

अपने भाई गुरिंदर की बात मान कर अमनप्रीत कौर ने 1 जून, 2017 को इलाके के डीएसपी जसमीत सिंह के सामने पेश हो कर निर्भय सिंह की मौखिक ही नहीं, लिखित शिकायत कर दी. डीएसपी  साहब ने इस मामले में निर्भय सिंह को कुछ कहने के बजाय अमनप्रीत की ड्यूटी थाना जोधां से हटा कर अपने औफिस में लगा दी. यह अमनप्रीत के लिए अच्छी बात थी.

अमनप्रीत की निर्भय सिंह से कोई व्यक्तिगत दुश्मनी तो थी नहीं, जिस से वह उसे सजा देने की मांग करती. इस तरह वह निर्भय सिंह से दूर हो गई. अमनप्रीत के लिए यह अच्छी बात थी. वहां पर गए हुए उसे 4 दिन भी नहीं बीते थे कि उसे पुन: थाना जोधां बुलवा लिया गया. एक बार अमनप्रीत का सामना फिर मुंशी निर्भय सिंह से हुआ. अमनप्रीत ड्यूटी करने थाना जोधां पहुंची तो मुंशी निर्भय सिंह ने कहा, ‘‘डीएसपी साहब से शिकायत कर के तुम ने मेरा क्या बिगाड़ लिया, आखिर तुम्हें मेरे पास ही आना पड़ा ना?’’

उस ने यह बात कुछ इस ढंग से कही कि अमनप्रीत को बहुत बुरी लगी. पर वह कर भी क्या सकती थी. चुपचाप अपना सिर झुका कर ड्यूटी करने लगी. इस के बाद निर्भय सिंह मनमाने ढंग से उस से काम कराने लगा. शायद इसी का नतीजा था कि अमनप्रीत को आत्महत्या के लिए मजबूर होना पड़ा.

मजबूरी में आत्मसमर्पण करना पड़ा है मुंशी निर्भय सिंह को  पुलिस जब ताबड़तोड़ छापे मारने लगी तो मजबूर हो कर मुंशी निर्भय सिंह ने थाने आ कर आत्मसमर्पण कर दिया. उस का कहना था कि इस मामले में वह निर्दोष है. अमनप्रीत को वह अपनी छोटी बहन जैसी मानता था. बहरहाल, पुलिस ने निर्भय सिंह को गिरफ्तार कर अदालत में पेश कर जिला जेल भेज दिया है.

पुलिस ने मृतका अमनप्रीत कौर के दोनों मोबाइल फोन कब्जे में ले लिए थे. उस ने एक फोन से मरने से पहले अपनी एक सहेली को मैसेज किए थे, जो पुलिस जांच के लिए अहम सबूत हैं. दूसरे फोन के लौक को खोलने की कोशिश की जा रही थी. इस के अलावा मृतका का विसरा भी जांच के लिए लैब भेज दिया गया था. इस सारे प्रकरण की जांच का जिम्मा एसआईटी को सौंपा गया था.

अमनप्रीत कौर खुदकुशी मामले में कुछ ऐसे सवाल हैं, जो लोगों के गले नहीं उतर रहे हैं. उस के भाई गुरिंदर का कहना है कि अमनप्रीत कौर ने खुदकुशी नहीं की, बल्कि उस की हत्या कर के लाश पंखे से लटकाई गई है. क्योंकि कमरे में जहां लाश लटक रही थी, उस के पैरों के पास चारपाई पड़ी थी और उस के पैर जमीन पर रखे थे.

ऐसे में पंखे से लटक कर उस की मौत कैसे हो गई? उस कमरे में पुरुष पुलिसकर्मियों की 2 पगडि़यां पड़ी थीं. इस के अलावा कुछ और बातें हैं, जो जांच में सामने आएंगी. जांच के बाद ही पता चल सकेगा कि यह आत्महत्या का मामला है या हत्या का  ?

सौजन्य- सत्यकथा, नवंबर 2017

हार्मोन रिप्लेसमैंट थैरेपी : ध्यान से कराएं अपना सैक्स चेंज

हाल के दिनों में जैंडर चेंज का एक हाई प्रोफाइल मामला सामने आया है. दरअसल, कभी भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाड़ी रह चुके और अब कमैंटेटर संजय बांगड़ के बेटे आर्यन ने अपना जैंडर चेंज करवा लिया है. वे लड़के से लड़की बन गए हैं. अब उन का नाम अनाया है.

बता दें कि आर्यन अब अनाया भी क्रिकेटर हैं. वे बतौर लैफ्ट हैंड बैट्समैन एक लोकल क्रिकेट क्लब ‘इसलाम जिमखाना’ की तरफ से क्रिकेट खेलते हैं.

जैंडर बदलवाने के बाद अनाया ने लिखा, ‘ताकत खो रहा, लेकिन खुशी मिल रही है. शरीर बदला, डिस्फोरिया कम हो रहा है. अभी भी काफी लंबा रास्ता तय करना है, लेकिन हर कदम मुझे अपना लगता है.’

दरअसल, हार्मोन रिप्लेसमैंट थैरेपी एक ऐसा तरीका है, जिस में शरीर में हार्मोन को बदल दिया जाता है. इस तरीके में औरत या मर्द के जैंडर में बदलाव किया जाता है. इस में प्लास्टिक सर्जरी की मदद भी ली जाती है. भारत में साल 2014 में इस की मंजूरी मिली थी. तब से अब तक बहुत से लोगों ने अपना जैंडर बदलवाया है.

साल 2014 में भारत के सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसजैंडर को थर्ड जैंडर का दर्जा देने की मान्यता पर मंजूरी दी थी. यह फैसला कोर्ट ने राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण बनाम भारत संघ मामले में सुनवाई के दौरान लिया था. इस फैसले के तहत ट्रांसजैंडर को कानून की तरफ से सुरक्षा सुविधा देने की भी बात की गई थी.

इस के बाद इस फैसले पर साल 2019 में संशोधन किया गया था. ट्रांसजैंडर्स की सुरक्षा और उन के कल्याण के लिए ट्रांसजैंडर पर्सन्स (राइट औफ प्रोटैक्शन) ऐक्ट लागू हुआ था. इस ऐक्ट के मुताबिक, औफिशियल दस्तावेजों में मर्द या औरत के रूप में कानूनी रूप से पहचाने जाने के लिए ट्रांसजैंडर का जैंडर चेंज सर्जरी से गुजरना जरूरी है.

जैंडर चेंज की वजह

सवाल उठता है कि कोई अपना जैंडर चेंज कराता है? जैंडर डिस्फोरिया होने पर एक लड़का लड़की की तरह और एक लड़की लड़के की तरह जीना चाहती है यानी वे अपोजिट सैक्स में खुद को ज्यादा सहज पाते हैं. कई मर्दों में बचपन से ही औरतों जैसी और कई औरतों में मर्दों जैसी आदतें होती हैं.

इस के लक्षण 10-12 साल की उम्र से दिखना शुरू हो जाते हैं. जैसे कोई मर्द है तो वह औरतों जैसे कपड़े पहनना पसंद करने लगेगा, उन की तरह चलने की कोशिश करेगा, उन्हीं की तरह इशारे करेगा. ऐसा ही औरतों के साथ होता है, जिस में वे मर्दों की तरह जीना चाहती हैं. ऐसे हालात में इन लोगों को सैक्स चेंज करना होता है.

जैंडर बदलने के नियम

कानून के तहत जो भी मर्द या औरत अपना जैंडर बदलना चाहता है, इस के लिए नए नियम लागू किए गए थे. इस के मुताबिक, एक शख्स ट्रांसजैंडर प्रमाणपत्र के लिए जिला मजिस्ट्रेट या जिला अधिकारी के पास आवेदन कर सकता है. जिला अधिकारी किसी शख्स को उस के जन्म प्रमाणपत्र पर नाम बदलने और सभी दस्तावेजों को उसी मुताबिक अपडेट करने का अधिकार देते हैं.

इस के अलावा नियम यह भी है कि जैंडर चेंज सर्जरी के बाद ट्रांसजैंर को जिला मजिस्ट्रेट से संशोधित प्रमाणपत्र के लिए भी आवेदन करना पड़ता है. जिला मजिस्ट्रेट की मंजूरी मिलने के बाद ही वह मर्द या औरत के रूप में पहचाना जा सकता है.

मुश्किलें भी आती हैं

सैक्स चेंज कराने का यह तरीका जितना आसान लगता है उतना है नहीं. इस के फायदे और नुकसान दोनों हैं, जैसे :

जैंडर चेंज होने से इनसान को अपना जैंडर मनमुताबिक करने का मौका मिलता है. यह सर्जरी अपने शरीर के साथ आत्मसम्मान महसूस कराती है. इस से आप का आत्मविश्वास बढ़ता है.

पर इस सर्जरी में रिस्क भी बहुत होता है. जरा सी चूक भी इंफैक्शन की वजह बन सकती है. सर्जरी के दौरान या बाद में ब्लीडिंग की समस्या हो सकती है. जैंडर चेंज सर्जरी में हार्मोन का बैलेंस बिगड़ने की समस्या भी हो सकती है. इस की वजह से मानसिक तनाव का सामना भी करना पड़ सकता है.

इस सर्जरी के बाद सामाजिक लैवल पर भी कई मुसीबतें झेलनी पड़ सकती हैं. साथ ही, इस सर्जरी को कराने में पैसा भी काफी खर्च होता है.

डाक्टरों के मुताबिक, इस सर्जरी को कराने वाले लोग कभी मांबाप नहीं बन सकते हैं, पर वे सैक्स जरूर कर सकते हैं.

अगर आप भी पीते हैं कम पानी तो जरूर पढ़ें ये खबर

वैज्ञानिक अनुसंधानों के अनुसार एक व्यक्ति बिना भोजन के 1 हफ्ते तक जीवित रह सकता है, लेकिन पानी की 1 बूंद के बिना 5 दिन से ज्यादा जीवित नहीं रह सकता. इंसान के शरीर में जैसे ही 1% भी पानी की कमी होती है उसे प्यास लगने लगती है. 5% तक की कमी आने पर शरीर की नसों और उस के स्टैमिना में कमी आने लगती है. ऐसा होने पर शरीर बहुत थका और बहुत ही ड्राईनैस महसूस करने लगता है. अगर शरीर में पानी के स्तर में 10% की कमी आती है तो इंसान को धुंधला दिखने लगता है. वह बेहोशी की हालत में आ जाता है. अगर शरीर में पानी की कमी 20% तक हो जाए तो यह इंसान की मौत का कारण भी बन सकती है. यही कारण है कि इंसान को हमेशा अपने शरीर की पानी की पूर्ति करते रहना चाहिए.

आइए, जानें कि पानी किस तरह शरीर के कई बेहद जरूरी कामों के लिए अहम है.

1. पानी एक वाहक

हमारे शरीर का दोतिहाई हिस्सा पानी या तरल पदार्थ का बना होता है. रक्त, जिसे हम मानवशरीर की जीवनरेखा कहते हैं, उस का भी 83% पानी ही होता है. रक्त शरीर के हर अंग तक विटामिन, मिनरल्स, अन्य जरूरी पोषक तत्त्व जैसे हीमोग्लोबिन, औक्सीजन आदि को पहुंचाने का काम करता है. पेशाब भी हमारे शरीर का एक अहम तरल पदार्थ है, जो शरीर से खराब टौक्सिक को बाहर निकालने का काम करता है. अगर हमारे शरीर में पानी की मात्रा कम है, तो शरीर में बनने वाले विषाक्त पदार्थ बाहर नहीं जाएंगे और इस से कई समस्याएं जैसे त्वचा का सूखापन, कब्ज, सिरदर्द आदि हो सकती हैं.

2. इलैक्ट्रोलाइट संतुलन

इलैक्ट्रोलाइट्स, सोडियम या पोटैशियम जैसे मिनरल होते हैं और डीहाइड्रेशन से बचने के लिए इन का शरीर में संतुलन बनाए रखना बेहद जरूरी है. ये मिनरल शरीर में कई कामों के लिए अहम होते हैं. जैसे रक्त का पीएच स्तर बनाए रखना, नसों का काम और मस्तिष्क व शरीर के अन्य अंगों के बीच संतुलन बनाए रखना. आमतौर पर बहुत ज्यादा पसीना निकलने से शरीर में इलैक्ट्रोलाइट के स्तर में गिरावट आती है, जिस की वजह से थकावट, चक्कर आना आदि समस्याएं होती हैं.

3. नाजुक अंगों की रक्षा

हमारे शरीर के बेहद नाजुक हिस्सों जैसे आंख, पाचनतंत्र, मुंह आदि को भी पर्याप्त पानी की जरूरत होती है. पानी की कमी से सब से ज्यादा प्रभाव हमारे पाचनतंत्र पर पड़ता है. खाना पचाने के लिए मुंह में बनने वाली राल बेहद जरूरी होती है, जबकि शुष्क मुंह में चबाने और भोजन को अंदर तक ले जाने में समस्या होती है, जिस से अपच की समस्या हो सकती है. हमारी आंखों को भी पानी की जरूरत होती है ताकि जमा गंदगी को साफ किया जा सके.

4. हड्डियों को रखता है मजबूत है

शरीर की हड्डियों को मजबूत बनाए रखने के लिए हमें विटामिन डी और कैल्सियम के साथसाथ पानी की भी बहुत जरूरत होती है. शरीर के सभी जौइंट्स जैसे एड़ी का जौइंट, घुटने का जौइंट आदि में नरमी बनाए रखने के लिए पानी की जरूरत होती है. कम पानी की वजह से प्रौढावस्था में ही हड्डियों से जुड़ी समस्याएं जैसे आर्थ्राइटिस, झुकाव, चोट आदि हो जाती हैं.

5. शरीर के तापमान को बनाए रखता

पानी हमारे शरीर में प्राकृतिक तौर पर तापमान को सामान्य बनाए रखने का काम करता है. एक सामान्य शरीर का तापमान 35 डिग्री सैल्सियस या 98.6 डिग्री फारेनहाइट होता है. इसलिए जब हम धूप में गरम तापमान में जाते हैं तो हमारे शरीर से बहुत पसीना निकलता है, जिस से शरीर का तापमान कम हो जाता है.

बच्चों से ले कर बड़ों तक सभी को अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए ताकि वे अच्छी जिंदगी जी सकें. प्रत्येक वयस्क व्यक्ति को दिन भर में 2 लिटर तरल पदार्थ पीना चाहिए. इस के साथ ही पानी की शुद्धता को ले कर भी सतर्क रहना चाहिए. नल के पानी को हमेशा उबाल कर ही पीना चाहिए. फिल्टर पानी का इस्तेमाल करें.

जब भी बाहर जाएं, पानी अवश्य साथ रखें. दूषित पानी से पेट से जुड़ी समस्याएं ज्यादा होती हैं. सफर के दौरान घर से थोड़ा ही पानी लिया जा सकता है. ऐसे में आप बोतलबंद पानी ले सकते हैं. बोतलबंद पानी चुनते वक्त हमेशा सीलबंद बोतल ही खरीदें. हमेशा ऐसी बोतल लें जिस पर आईएसआई मार्क लगा हो, जो शुद्धता की पहचान है.

हाल ही में कंज्यूमर फोरम ‘जागो ग्राहक जागो’ की तरफ से किए गए शोध में यह सामने आया है कि कई बोतलबंद पानी के ब्रैंड आईएसआई मार्क की कसौटी पर खरे नहीं उतरे. इन बोतलों के पानी में टीडीएस की मात्रा अधिक पाई गई. अत: बोतलबंद पानी लेते समय बोतल पर आईएसआई मार्क जरूर देखें.

मैं 24 साल का हूं मेरी शादी को 18 महीने हुए हैं, बीवी पेट से है कभी लगता है कि उसे छोड़ दूं, लेकिन मैं क्या करूं?

सवाल 

मैं 24 साल का हूं. मेरी शादी को 18 महीने हुए हैं. शुरू में तो सब ठीक थापर वह मेरे मातापिता की सेवा व इज्जत नहीं करती. इसी वजह से आत्महत्या की कोशिश भी कर चुका हूं. कभी लगता है कि उसे छोड़ दूंक्योंकि मैं मातापिता को दुखी नहीं देखना चाहता. बीवी पेट से है. वह कुछ समझना नहीं चाहती. मैं क्या करूं?

जवाब

जब वह शुरू में ठीक थीतो अब कैसे बिगड़ गईलगता है कि आप लोगों ने उस का ठीक से खयाल नहीं रखा और बस सेवा व इज्जत की उम्मीदें ही लगाए रहे. अब वह पेट से है. लिहाजाउस से सेवा कराने के बजाय उस की सेवा करनी चाहिए.

आप के प्यार में भी कहीं कमी रह गई है. उसे प्यार देंउस का खयाल रखेंतो वह सब सम?ा कर पहले जैसी हो जाएगी. इतना ध्यान रखें कि बच्चा होने के बाद वह मांबाप की ज्यादा सेवा नहीं कर पाएगी.  

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