हाल के दिनों में जैंडर चेंज का एक हाई प्रोफाइल मामला सामने आया है. दरअसल, कभी भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाड़ी रह चुके और अब कमैंटेटर संजय बांगड़ के बेटे आर्यन ने अपना जैंडर चेंज करवा लिया है. वे लड़के से लड़की बन गए हैं. अब उन का नाम अनाया है.

बता दें कि आर्यन अब अनाया भी क्रिकेटर हैं. वे बतौर लैफ्ट हैंड बैट्समैन एक लोकल क्रिकेट क्लब ‘इसलाम जिमखाना’ की तरफ से क्रिकेट खेलते हैं.

जैंडर बदलवाने के बाद अनाया ने लिखा, ‘ताकत खो रहा, लेकिन खुशी मिल रही है. शरीर बदला, डिस्फोरिया कम हो रहा है. अभी भी काफी लंबा रास्ता तय करना है, लेकिन हर कदम मुझे अपना लगता है.’

दरअसल, हार्मोन रिप्लेसमैंट थैरेपी एक ऐसा तरीका है, जिस में शरीर में हार्मोन को बदल दिया जाता है. इस तरीके में औरत या मर्द के जैंडर में बदलाव किया जाता है. इस में प्लास्टिक सर्जरी की मदद भी ली जाती है. भारत में साल 2014 में इस की मंजूरी मिली थी. तब से अब तक बहुत से लोगों ने अपना जैंडर बदलवाया है.

साल 2014 में भारत के सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसजैंडर को थर्ड जैंडर का दर्जा देने की मान्यता पर मंजूरी दी थी. यह फैसला कोर्ट ने राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण बनाम भारत संघ मामले में सुनवाई के दौरान लिया था. इस फैसले के तहत ट्रांसजैंडर को कानून की तरफ से सुरक्षा सुविधा देने की भी बात की गई थी.

इस के बाद इस फैसले पर साल 2019 में संशोधन किया गया था. ट्रांसजैंडर्स की सुरक्षा और उन के कल्याण के लिए ट्रांसजैंडर पर्सन्स (राइट औफ प्रोटैक्शन) ऐक्ट लागू हुआ था. इस ऐक्ट के मुताबिक, औफिशियल दस्तावेजों में मर्द या औरत के रूप में कानूनी रूप से पहचाने जाने के लिए ट्रांसजैंडर का जैंडर चेंज सर्जरी से गुजरना जरूरी है.

जैंडर चेंज की वजह

सवाल उठता है कि कोई अपना जैंडर चेंज कराता है? जैंडर डिस्फोरिया होने पर एक लड़का लड़की की तरह और एक लड़की लड़के की तरह जीना चाहती है यानी वे अपोजिट सैक्स में खुद को ज्यादा सहज पाते हैं. कई मर्दों में बचपन से ही औरतों जैसी और कई औरतों में मर्दों जैसी आदतें होती हैं.

इस के लक्षण 10-12 साल की उम्र से दिखना शुरू हो जाते हैं. जैसे कोई मर्द है तो वह औरतों जैसे कपड़े पहनना पसंद करने लगेगा, उन की तरह चलने की कोशिश करेगा, उन्हीं की तरह इशारे करेगा. ऐसा ही औरतों के साथ होता है, जिस में वे मर्दों की तरह जीना चाहती हैं. ऐसे हालात में इन लोगों को सैक्स चेंज करना होता है.

जैंडर बदलने के नियम

कानून के तहत जो भी मर्द या औरत अपना जैंडर बदलना चाहता है, इस के लिए नए नियम लागू किए गए थे. इस के मुताबिक, एक शख्स ट्रांसजैंडर प्रमाणपत्र के लिए जिला मजिस्ट्रेट या जिला अधिकारी के पास आवेदन कर सकता है. जिला अधिकारी किसी शख्स को उस के जन्म प्रमाणपत्र पर नाम बदलने और सभी दस्तावेजों को उसी मुताबिक अपडेट करने का अधिकार देते हैं.

इस के अलावा नियम यह भी है कि जैंडर चेंज सर्जरी के बाद ट्रांसजैंर को जिला मजिस्ट्रेट से संशोधित प्रमाणपत्र के लिए भी आवेदन करना पड़ता है. जिला मजिस्ट्रेट की मंजूरी मिलने के बाद ही वह मर्द या औरत के रूप में पहचाना जा सकता है.

मुश्किलें भी आती हैं

सैक्स चेंज कराने का यह तरीका जितना आसान लगता है उतना है नहीं. इस के फायदे और नुकसान दोनों हैं, जैसे :

जैंडर चेंज होने से इनसान को अपना जैंडर मनमुताबिक करने का मौका मिलता है. यह सर्जरी अपने शरीर के साथ आत्मसम्मान महसूस कराती है. इस से आप का आत्मविश्वास बढ़ता है.

पर इस सर्जरी में रिस्क भी बहुत होता है. जरा सी चूक भी इंफैक्शन की वजह बन सकती है. सर्जरी के दौरान या बाद में ब्लीडिंग की समस्या हो सकती है. जैंडर चेंज सर्जरी में हार्मोन का बैलेंस बिगड़ने की समस्या भी हो सकती है. इस की वजह से मानसिक तनाव का सामना भी करना पड़ सकता है.

इस सर्जरी के बाद सामाजिक लैवल पर भी कई मुसीबतें झेलनी पड़ सकती हैं. साथ ही, इस सर्जरी को कराने में पैसा भी काफी खर्च होता है.

डाक्टरों के मुताबिक, इस सर्जरी को कराने वाले लोग कभी मांबाप नहीं बन सकते हैं, पर वे सैक्स जरूर कर सकते हैं.

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