Coronavirus: लोगों को इंस्पायर करने के लिए अक्षय कुमार ने बनाया ये VIDEO, मिला बॉलीवुड का साथ

कोरोना की महामारी के चलते दुनियां के लगभग हर देश के लोग सोशल डिस्टेसिन्ग के लिए मजबूर हो गये हैं. भारत में कोरोना के चलते पूरा देश सन्नाटे में है. देश का हर तबका आशंकाओं और निराशा से जूझ रहा है. देश के दिहाड़ी मजदूरों के सामनें खाने का संकट मुहं बाए खडा है. देश को इस स्थिति से ऊबारने के लिए लगाए गए लॉक डाउन से कई लोग घरों से बाहर न निकलने के चलते मानसिक रूप से परेशानियों से जूझ रहें हैं.

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कोरोना संकट से जूझ रहे देशवासियों में आशा की किरण जगाने के लिए बॉलीवुड अभिनेता अक्षय कुमार नें बॉलीवुड एक्टर्स के साथ ‘मुस्कुराएगा इंडिया’ नाम से एक वीडियो सांग रिलीज किया है. उनके इस वीडियो सांग के जरिये इस महामारी के बीच एकता और एकजुटता को दिखाने की कोशिश की गई है. इस वीडियो सांग (VIDEO SONG) को ‘मुस्कुराएगा इंडिया’ (Muskurayega India ) नाम से जैकी भगनानी की जस्ट म्यूजिक ( JJUST MUSIC) के यूट्यूब चैनल पर रिलीज किया गया है. इस वीडयो के कैप्सन में लिखा है “यह वीडियो सभी के चेहरों पर मुस्कान लाने और एकजुटता की भावना को बनाए रखनें के लिए किया गया”.

इस वीडियो सांग में मौजदा दौर के सभी स्टार्स पड़ रहे दिखाई

‘मुस्कुराएगा इंडिया’ वीडियो सांग ( (VIDEO SONG) को बहुत ही भावुक तरीके से फिल्माया गया है. जिसमें मौजूदा दौर के सभी एक्टर्स दिखाई पड़ रहें हैं. इसमें अक्षय कुमार, जैकी भगनानी, कार्तिक आर्यन, टाइगर श्रॉफ, आयुष्मान खुराना, कृति सनोन, भूमि पेडनेकर, राज कुमार राव, विक्की कौशल, कियारा आडवाणी, तापसी पन्नू, सिद्धार्थ मल्होत्रा, रकुल प्रीत सिंह, अनन्या पांडे, आरजे मलिष्का और शिखर धवन का खुबसूरत समन्वय दिखाई पड़ रहा है.

सभी स्टार्स नें अपनें घरों से किया है शूट

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‘मुस्कुराएगा इंडिया’ नाम के वीडियो सांग ( (VIDEO SONG) में जितने भी स्टार्स दिख रहें हैं उन सभी नें लॉक डाउन के नियमों का पालन करते हुए अपने-अपने हिस्से के वीडियो की शूटिंग खुद अपने घरों में की बालकनी, छत, आंगन में आकर की है. आयुष्मान खुराना नें अपने फोन को सेल्फीस्टिक पर लगाकर अपने हिस्से का वीडियो शूट किया है.

गाने में इनकी रही है भूमिका

कोरोना के चलते निराशा में आशा की किरण जगाते इस गानें को अपने स्वर से सजाया है विशाल मिश्रा नें और संगीत भी  विशाल मिश्रा का ही है. इस गीत को लिखा है कौशल किशोर नें गिटार और बास पर भी विशाल मिश्रा विशाल ने धुन सजाई है. इसके निर्माण और व्यवस्था की जिम्मेदारी विशाल मिश्रा मिक्स द्वारा निभाई गई है. संगीत सहायक की भूमिका शुभम श्रीवास्तव, कुमार गौरव सिंह द्वारा निभाई गई है.

गाने के रिलीजिंग के मौके पर अक्षय कुमार नें कही यह बड़ी बात

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इस गाने को लॉन्च करते हुए अक्षय कुमार ने ट्विट कर कहा “यह एक ऐसा समय है जब हमारे दिन अनिश्चिताओं से भरे हुए हैं, हमारी जिंदगी थम सी गई है. ऐसे में उम्मीदों का ये गाना रिलीज किया जा रहा है.” (At a time like this when our days are clouded with uncertainty and life has come to a standstill, bringing you a song of hope. #MuskurayegaIndia song out at 6 PM today.). उन्होंने यह भी कहा की “हम सभी को एकजुट होने की जरूरत है. और फ़िर #MuskurayegaIndia! भारत” All we need is a united stand. Aur phir #MuskurayegaIndia! Flag of India Do share with your family and friendsHeart suit.

भावुक करने वाले सीन्स को किया गया है शामिल

3 मिनट 25 सेकेण्ड के वीडियो सांग ( (VIDEO SONG) की शुरुआत पीएम मोदी के कोरोना से लड़ाई जीतने वाले वीडियो मैसेज के साथ की गई. इस गाने में कोरोना से जंग लड़ रहे देश के डाक्टर्स, पुलिस और स्वास्थ्य कर्मियों को भी दिखाया गया है, जो अपने जिन्दगी परवाह न करते हुए लोगों के लिए दिन रात सेवा में लगे हैं. इनमें कोरोना से जूझ रहे मरीजों, गरीब बच्चों मुस्कराते हुए ग्रामीणों, के साथ ही गाँव के सीन्स भी शामिल किये गए हैं. इस वीडियो सॉंग में लोगों को जीत की ख़ुशी के साथ हँसते गाते भी दिखाया गया है गाने का अंत जनगण मन के धुन से किया गया है जो भावुक कर देता हैं.
इस गाने की सफलता के लिए जो बड़ी बात है वह यह है की इसे प्रधानमन्त्री नें भी ट्विट किया है और लिखा है “फिर मुस्कुराएगा इंडिया… फिर जीत जाएगा इंडिया…” India will fight. India will win! Good initiative by our film fraternity. इसके अलावा कई बड़े चेहरों नें इस गाने को ट्विट किया है और शेयर भी किया है.

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डोनाल्ड ट्रंप की नरेन्द्र मोदी को धमक! : पंचतंत्र की कथा

डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति का इसी वर्ष फरवरी में जब भारत में नमस्ते ट्रंप कार्यक्रम के दरमियान ऐतिहासिक स्वागत हुआ था तब ऐसा प्रतीत हुआ था मानो भारत और अमेरिका जनम जनम के दोस्त हैं अभिन्न मित्र हैं मगर किसे पता था कि प्रख्यात विष्णु शर्मा  के “पंचतंत्र” के पात्रों की भांति अमेरिका और भारत को भी परीक्षा की घड़ी से गुजरना होगा. अभी ज्यादा दिन नहीं हुए हैं नमस्ते ट्रंप कार्यक्रम का आगाज हुआ था और चंद दिनों बाद ही जब  कोरोना का हमला हुआ है ऐसे में  इस मित्रता और दोस्ती की हकीकत दुनिया भी सच्चाई के सामने जगजाहिर हो गई. अमेरिका कोरोना कोविड 19 महामारी कि भयावह  स्थितियों से गुजर रहा है ऐसे में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी से बात की और मदद मांगी.

है ना पंचतंत्र की कहानी जैसा कुछ…. जब जंगल का राजा शेर अपने  जंगल के किसी खरगोश, सियार से मदद मांगे और पंचतंत्र में क्या होता है आप याद करें. शायद आप  तो पंचतंत्र की वह एक कहानी भूल गए हैं .खैर….वह फिर  आगे! अभी तथ्यों से दो चार  हों.

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दोस्त दोस्त ना रहा!

और देखिए विधि का प्रारब्ध! एक बार फिर दोस्त दोस्त ना रहा की सच्चाई सामने आती चली गई.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दोस्त और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नरेंद्र मोदी से  फोन पर निवेदन किया  और कोरोना  को काबू लाने वाली  हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन  की मांग कर डाली.  अब जैसा कि होना था नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति की इस गंभीर बात को कान नहीं दिया. अंततः डोनाल्ड ट्रंप को, जैसा कि अक्सर गुस्सा आता है, गुस्सा आ ही गया,  और अपने दोस्त मोदी को धमकी दी दी. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को धमक भरे भाव में कहा – अगर भारत कोरोना वायरस से लड़ने के लिए हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन दवा का निर्यात नहीं करता है तो उसे अमेरिका का रोष झेलना पड़ेगा. अमेरिकी राष्ट्रपति का यह बयान उस वक्त सामने आया  जब इस घातक वायरस से यूएस में त्राहिमाम मचा हुआ है. कई लाख  लोग कोरोना से  संक्रमित हैं, वहीं नित्य  हजारों लोगों की मौत हो रही  है.  कोरोना  वैक्सीन बनाने  दुनियाभर के वैज्ञानिक रात दिन  एक किये  हुए हैं लेकिन आज तलक किंचित  सफलतानहीं मिल सकी  पाई है.

भाई चारा भूलना !

निसंदेह भारत विश्व का  गुरु रहा है, हमारे वेद,पुराण धार्मिक ग्रंथ सदैव लोगों की मदद की प्रेरणा देते रहें हैं . अगर कोई दुश्मन भी मदद मांगता है तो आड़े वक्त में मदद की जाती है. ऐसे में अमेरिका तो अब भारत का परम मित्र ही बन चुका है. घटनाक्रम कुछ यूं था कि

ट्रम्प ने  विगत शनिवार 4 अप्रेल को कहा था- मैंने मोदी से फोन पर बात की, उनसे हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन दवा की खेप देने को कहा है.

मगर 48 घंटे बीतने के बाद भी भारत मौन था. निसंदेह ऐसे संकट के समय में भारत की सरकार को यह निर्णय लेने में दिक्कत आ रही थी कि आखिर अमेरिका को मदद की जाए या नहीं. इधर यह भी सच्चाई है कि अमेरिका में कोरोना विषाणु को लेकर खतरा बढ़ता जा रहा है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मलेरिया निरोधक  हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन की खेप भेजने की गुहार लगाई थी, लेकिन अब कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिलने पर उन्होंने धमकी  दे दी.

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राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि अगर भारत हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन के निर्यात पर लगा बैन नहीं हटाता अमेरिका को  उसका निर्यात नहीं करता है तो उस पर कार्रवाई की जा सकती है. अमेरिकी राष्ट्रपति ने तल्खी भरे स्वर में कहा कि  कोई कारण नहीं दिखता कि भारत ने अमेरिका के दवा के ऑर्डर को रोककर पर क्यों रखा है?

संबंधों की तल्खी का नुकसान

यह सच है कि कोरोना महामारी आज अपने उफान पर है मगर  यह समय भी निकल जाएगा. भारत को यह नहीं भूलना चाहिए कि इस महामारी के समय में हमें दुनिया से मदद लेनी भी है और मदद देनी भी है. और जब यह सच सामने आ चुका है

की हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन  कोरोना से लड़ने में कारगर है और वह हमारे पास उपलब्ध है तो उसे उपलब्ध नहीं कराना कितनी अनुचित बात हो सकती है. व्हाइट हाउस में प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रम्प ने कहा था -‘‘मैंने अभी मोदी के फैसले के बारे में नहीं सुना, मैं जानता हूं कि उन्होंने दूसरे देशों में दवा के निर्यात को रोक रखा है. मेरी हाल ही में उनसे अच्छी बात हुई थी.भारत  अमेरिका के रिश्ते काफी बेहतर हैं. अब यह देखना होगा कि वे हमें दवा भेजने की अनुमति देते हैं या नहीं।’’

इधर ट्रम्प से बातचीत के बाद नरेन्द्र  मोदी ने कहा था कि अमेरिका के दवा भेजने के ऑर्डर पर विचार करेंगे.यह दुनिया जानती है कि कोरोना कोविड 19 महामारी कहर बनकर अमेरिका पर टूट पड़ी है दुनिया का सबसे शक्तिशाली राष्ट्र अमेरिका जिसके पास जाने कितना पैसा और सामरिक अस्त्र शस्त्र हैं आज लाचार हो चुका है.

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इटली और स्पेन के बाद अमेरिका में मौतों का आंकड़ा सबसे अधिक है . ऐसे में अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप  का नाराज होना दुनिया ने देखा और अंततः पंचतंत्र की प्राचीन कहानी की भांति वही हुआ जो होना था.डोनाल्ड ट्रंप की नाराजगी के बाद भारत सरकार ने अमेरिका को मानवता के नाते उक्त दवाहाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन को निर्यात करने का आंशिक रूप से फैसला किया है, जो निसंदेह मानवीय दृष्टिकोण से जायज है.

#coronavirus: मां बेटियां कर रहीं मुफ्त मास्क निर्माण

लेखक- राजेश चौरसिया

      • बुंदेलखंड में मातृशक्ति का राष्ट्र को समर्पित कार्य..
      • छतरपुर घर बैठकर मुफ्त में बना रहीं बेटियां मास्क..
      • राष्ट्रहित में धन की जगह श्रमदान कर रहीं महिलायें..
      • माँ बेटियां मिलकर बनातीं हैं रोजाना 1000+ मास्क..

विश्व आपदा, कोरोना महामारी, और लॉग डाउन के चलते देशभर में सम्पन्न लोग जरूरतमंदों को उनकी जरूरतों और अपनी हैसियत के मुताबिक मदद कर रहे हैं जो कि ज़मीनी स्तर पर कारगर साबित हो रही है. जिसके अलग-अलग जगहों से पृथक पृथक परिणाम निकलकर सामने आये हैं. ऐसे ही कई मामले बुंदेलखंड से भी निकलकर आये और देखने को मिले हैं.

मामला मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले का है जहां अर्थ/पैसे से सक्षम न हो पाने के बाबजूद भी लोग राष्ट्रहित में अपना हुनर और श्रम समर्पित कर सहयोग कर रहे हैं. जहां रुपयों पैसों से सहयोग न कर पाने के बदले राष्ट्र और जन हित में अपना हुनर रूपी श्रम की पूंजी न्योछावर कर रहे हैं.

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डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के मुताबिक इस कोरोना वायरस से बचाव ही इसका सबसे बड़ा उपाय और है. जिसके चलते अचानक सैनिटाइज, ग्लब्स, और मास्क की मांग में हजारों गुना उछाल आया है. जिसके चलते इनका सहजता से मिला पाना संभव नहीं हो पा रहा. मास्कों की अचानक बेतहाशा मांग के चलते हा-हा-कार सा मचा हुआ है जिससे इनका मिलना मुश्किल से हो पा रहा है. दूसरी ओर गरीब मजबूर जरूरतमंद लोग इन्हें ख़रीदपाने में भी सक्षम नहीं हैं. जिसके चलते सक्षम और जनसेवी लोगों ने इन्हें लोगों को मुफ्त बांटने का बीड़ा उठाया है.

छतरपुर शहर निवासी मातृशक्ति (रचना नामदेव) और बहनें मानसी, साक्षी, दिव्या मिलकर इस विश्व आपदा और राष्ट्रहित/जनहित के कार्य को अंजाम दे रहीं हैं. छतरपुर शहर के हटवारा मोहल्ला स्थित नामदेव परिवार अपने घर पर माँ अपनी तीन बेटियों के साथ मिलकर मास्क निर्माण के काम में जुटीं हुईं हैं. इनकी मानें तो यह रोजाना 1000 से ऊपर तक मास्क बनाकर तैयार करतीं हैं. और माश्क बनाने का यह काम वे बिल्कुल मुफ्त कर रहीं हैं. यह परिवार अब तक 10,000 (दस हज़ार) से ज़्यादा तक मास्क बना चुका है.

रचना नामदेव की मानें तो वह एक स्व सहायता समूह से जुड़ी हुई है जिसके तहत वह सिलाई, कढ़ाई, बुनाई, कर अपना और आने परिवार का जीविकोपार्जन करती हैं. उनके साथ उनकी बेटियाँ (मानशी, अंचल, रानू) भी स्कूल और पढ़ाई से फ्री होकर पार्ट टाइम (फ्री-टाईम) में उनका हाथ बाँटवातीं हैं. इस वक्त वैसे भी स्कूल कॉलेज सब बंद हैं तो वह 100 % फ्री ही हैं जो इस समय उनके काम में हाथ बंटा रहीं हैं.

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रचना की मानें तो उनके पास नगर की प्रथम महिला अर्चना गुड्डू सिंह का मास्क बनाने के काम को लेकर ऑफर आया (कि उन्हें मास्क निर्माण कर लोगों में मुफ्त बांटने हैं) जिसको उन्होंने सहर्ष स्वीकार कर लिया. परंतु साथ ही एक शर्त भी रक्खी कि उनके जनहित के इस कार्य में वह उनके साथ हैं वह रूपये पैसों से तो सक्षम नहीं हैं पर वह अपना हुनर और श्रम देकर राष्ट्र और जनहित के कार्य में शामिल हैं. अर्थात वह उनसे माश्क बनाने के एवज में एक पैसा भी नहीं लेंगीं. मास्क बनाने की सामग्री, कपड़ा, धागा, डोरी, ईलास्टिक के अलावा वह कुछ भी न लेंगीं.

रचना बतातीं हैं कि विश्व आपदा और इस महामारी पर लोग अपनी सक्षमता के हिसाब से सहयोग कर रहे हैं. हम धनबल से तो लोगों की मदद तो नहीं कर सकते क्यों कि वह हमारे पास है ही नहीं तो हम अपने हुनर और मेहनत के जरिए अप्रत्यक्ष रूप से देश और जनसेवा में मदद कर रहे हैं.

बोलीं अर्चना गुड्डू सिंह..

वहीं जब हमने अर्चना गुड्डू सिंह से बात की तो उन्होंने हमें बताया कि हम इस आपदा में जरूरतमंद लोगों को राजनीति से इतर राशन, पानी से लेकर उनकी हर जरूरत का सामान मुहैया करा रहे हैं इसके साथ हम संक्रमण रोकने में बेहद जरूरी मास्क सेनिटाईज, ग्लब्ज़ बांट रहे हैं. जिसके लिए हम कई स्व सहायता समूह के जरिये इनका निर्माण करवा रहे हैं. इनसे रोजाना निर्मित होने वाले मास्कों को हम वार्ड-वार्ड भ्रमण कर बांटने का काम कर रहे हैं जो पिछले कई दिनों से अनवरत जारी है जो कोरोना और लॉग डाउन समाप्ति तक जारी रहेगा.

मामला चाहे जो भी हो पर विश्व आपदा पर राष्ट्रप्रेम देशभक्ति जनसेवा की इस तरह की मिशाल अब तक कहीं से सामने नहीं आई कि जहां एक ओर खुद जरूरतमंद परिवार मदद के लिये आगे आ रहा है. भले ही वह पैसों से सक्षम अमीर न हों पर दिल से अमीर हैं तभी तो अपना हुनर और श्रम राष्ट्रहित में जनसेवा कर समर्पित कर रहे हैं.

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अर्थात हम ऐसीं मातृ शक्ति माँ-बेटियों को तहेदिल से सलाम करते हैं.. जय हिंद.. जय भारत..”

लौकडाउन जिंदगी

लेखक- पुखराज सोलंकी

गांव से मीलों दूर दिल्ली शहर के इंडस्ट्रीज एरिया की एक फैक्ट्री मे काम कर रहा लीलाधर इस बार शहर आते वक्त अपनी गर्भवती पत्नी रुक्मणी और चार साल की मुनिया से वादा कर के आया था, कि इस बार हमेशा की तुलना में वापस जल्दी ही गांव लौटेगा.

वक्त-वक्त पर पत्नी की खैर खबर के लिए आने वाली आशा दीदी ने भी अप्रैल महिने की ही तारीख़ बताते हुए कहा था कि- ‘ऐसे वक्त में तुम्हारा यहां होना बेहद जरूरी है.

‘जबाब में लीलाधर बोला- ‘मैं तो उससे पहले ही पहुंच जाऊंगा, बस ये मार्च के महीने में काम का कुछ ज्यादा ही दबाव रहता है, जिसके चलते साहब लोग छुट्टी नही देते लेकिन उसके बाद लम्बी छुट्टी पर ही आऊंगा और आते वक्त मुनिया, उसकी मम्मी और नए वाले बाबू के लिए कुछ कपड़े लत्ते भी तो लाने हैं न.’

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लौकडाउन के दौरान उस काट खाने वाले कमरे में छत को घूरते हुए लीलाधर अपने अतीत में खोया यह सब सोच ही रहा था कि कुंडी के खडकने से उसकी तंद्रा टूटी. लुंगी लपेटते हुए दरवाजा खोला तो सामने फैक्ट्री का सुपरवाइजर खड़ा था, वो बाहर खड़े-खड़े ही बोला-

‘कुछ जुगाड़ बिठाया कि नहीं गांव जाने का, फैक्ट्री अभी बंद है और मालिक भी किसकिस को खिलाएगा घर से, ये पकड़ पांच सौ रूपये, मालिक ने भेजें है, और आज शाम तक कमरा खाली कर देना, बाकी का हिसाब वापसी पर ही होगा.’

यह सुनकर लीलाधर को एक बार तो ऐसा लगा जैसे इस वायरस ने उसके भविष्य के सपनों को अभी से ही संक्रमित करना शुरू कर दिया हो. अब कोई और चारा नही था, लिहाजा कमरा खाली करना पड़ा. अब जाए तो जाए कहां ना बस ना ट्रेन जेब में पांच का नोट और कुछ पांच-दस के सिक्के, अब अगर यहां रूका तो जो हैं वो भी खर्च हो जाएंगें.

यही सब कुछ सोचते विचारते आखिर फैसला कर ही लिया और घर रुकमणी को फोन किया- ‘एक दो दिन में कुछ जुगाड़ बिठाकर गांव के निकल जाऊंगा, तुम अपना और मुनियां का ख्याल रखना, हाथ धोते रहना और उसे बाहर मत निकलने देना.’

अपने घर आने की खबर पत्नी को देकर लीलाधर निकल पड़ा नेशनल हाइवे पर, मन ही मन उसने हिसाब भी लगा लिया कि 24 घंटों में अगर 16 घंटे भी लगातार चला सात-आठ दिनों में तो गांव पहुंच ही जाएंगा । उसने ठान लिया था कि अब वो पैदल ही इस सफर को पूरा करेगा, वो खुश था. घर की और बढ़ते कदमों में एक अलग ही उत्साह था. उसे मलाल बस इसी बात का था कि वो मुनिया और नए बाबू के लिए कुछ कपड़े लत्ते और खिलोने नही खरीद नही सका.

सफर तय करते-करते लीलाधर रुकमणी से फोन पर बात करते हुए बोला, ‘मेरे फ़ोन की बैटरी डाउन होने लगी है. बाद में अगर फोन न कर पाऊं तो परेशान मत होना, बस कुछ ही दिनों की बात है, जल्दी ही सफर तय करूंगा.’ बैटरी डाउन की वजह से न चाहते हुए भी उसे फोन काटना पड़ा.

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सफर के दौरान लीलाधर ने रुकमणी को लाॅकडाउन की वजह से शहर में हो रही परेशानियों और पाबंदियों से अवगत तो कराया. लेकिन यह नही बताया कि वह पैदल ही गांव पहुंच रहा है, बताता भी कैसे, उसे डर था कि पत्नी कही मना न कर दें. वह अनवरत चलता रहा, उसके आगे पीछे जो लोग चल रहें थें धीरेधीरे उनकी संख्या कम होती गयी, दिल्ली के आसपास इलाकों वाले लोग अपने गंतव्य तक पहुंच चुके थें. लेकिन उसका चलना जारी था.

उधर चार-पाँच दिन बीतने पर पत्नी को घर से बाहर होने वाली हर आहट पर यही लगता कि शायद अब वो आएं हो. फोन लगना तो कब का बंद हो चूका था. एक तो लाॅकडाउन और ऊपर से ये इन्तजार, वो दोहरी मार झेल रही थी. दिन में तो चलो जैसेतैसे मुनिया और मां बाबा के साथ समय निकल जाता, लेकिन रात होतेहोते उसे बेचैनी सी होने लगती है, बात करने के लिए फोन उठाती लेकिन फोन स्विच ऑफ मिलता.

अगले दिन सुबहसुबह जब घर की कुंडी खड़की तो मुनिया खुशी से चहकी पापा आ गये.. पापा आ गये, घर में मां बाबा सहित सब के चेहरे पर खुशी के भाव साफ दिखने लगे थें. हाथों का काम छोड़कर वो दरवाजे की और दोड़ी, चुन्नी का पल्लू अपने सर पर रख के उसने दरवाजा खोला तो सामने गांव के ही दरोगा साहब थे,

‘लीलाधर का घर यही है ?’
‘जी, यही है.
‘क्या लगते है आप उनके ?’
रुकमणी पास खड़ी मुनिया की और इशारा करते हुए बोली,
‘जी, इसके पापा है.’
‘घर में कोई और है बड़ा.’

बातचीत सुनकर बाबा बाहर की और आएं और बोलें
‘क्या बात है, दरोगा साहब ?, बेटी तुम अंदर जाओ.’
वो मुनिया को लेकर अंदर तो चली गयी लेकिन उसके कानों ने अभी भी दरवाजे पर हो रही गुफ्तगू का पीछा नही छोड़ा.

‘जी, आप कौन ?’
‘मैं उसका बाबा हूं.’
दारोगा ने हाथ में थाम रखा डंडा बगल में दबाकर अपनी टोपी उतारते हुए कहा- ‘बहुत अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है लीलाधर अब इस दुनिया में नही रहा, नेशनल हाइवे पर रात के समय गश्त पर गए पुलिस दस्ते को सड़क पर एक लहू-लुहान हालत में लाश पड़ी मिली, शायद किसी अज्ञात वाहन ने टक्कर मार दी, शिनाख्त के दौरान जेब व बैग में मिलें कुछ कागजों की वजह हम यहां तक पहुंच पाएं. शव फिलहाल मोर्चेरी में है.

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यह सुनते बूढ़े बाबा की टांगों ने जवाब दे दिया था, दरवाजा पकड़कर खड़े रहने की हिम्मत जुटाई क्यूकिं बहु के आगे वे ऐसा करेंगे तो फिर उसको कोन संभालेगा. उधर दारोगा के आते ही रुकमणी को भी कुछ अनहोनी का अंदेशा होने लगा था, वो अंदर थी लेकिन उसके कान आसानी से बातचीत सुन पा रहें थें.

‘हिम्मत रखिये, और बताएं की इतनी रात को आपका बेटा कैसे इतनी दूर निकल गया था, क्या घर में कोई बात हुई थी ?.’ दारोगा ने प्रश्न किया.

‘हमारी किस्मत फूटी थी जो उसे रोजगार के लिए दिल्ली भेजा, वो तो नहीं आया. लेकिन आप…

तभी लीलाधर की माँ चिल्लाई, ‘अरे.. कोई बचाओ, मुनिया की माँ उसे लेकर पानी के कुएं में कूद गयी.

दारोगा साहब अंदर की और दोड़े, पीछे-पीछे बाबा आएं, दारोगा ने बाहर जीप के पास खड़े अपने सहकर्मी को आवाज दी. हड़बड़ाहट में किसी को कुछ नही सुझ रहा था, जब तक रस्सी का इंतेज़ाम हुआ तब तक दोनों लाशें पानी में तैरने लगी थी. लीलाधर और उसके परिवार की जिंदगियां बिना किसी संक्रमण के हमेशा के लिए लाॅकडाउन की भेंट चढ़ चुकी थी.

Corona पर युवा कर रहे 1 लाख रुपये रोज खर्च

लेखक- राजेश चौरसिया

  • युवाओं की नई सोच बचायेगी लोगो को कोरोनो वायरस से..
  • बुंदेलखंड के युवा खुद खर्चे पर कर रहे पूरे शहर को सेनिटराइज..
  • लॉग डाउन के पहले दिन से बांट रहे राशन और खाना..
  • एक लाख रुपये प्रतिदिन का आ रहा सारा खर्च..
  • सभी युवाओं की टीम मिलकर उठा रही सारा खर्चा..
  • बड़े नेताओं, विधायक, मंत्रियों को पछाड़ बने सच्चे जनसेवक..
  • टीम में कोई भी राजनैतिक व्यक्ति का प्रवेश वर्जित है वरना राजनीति होने लगती..

कहते हैं नेता, विधायक, जनप्रतिनिधि जनता के सेवक होता है वह इसलिये क्यों कि वे इसी जनता के वोटों की दम पर चुनाव जीतकर फर्श से अर्श (विधानसभा/लोकसभा) तक पहुंचते हैं और जननायक कहलाते हैं. लेकिन बुंदेलखंड में कुछ ऐसा देखने को मिला कि यह जननायक इन युवाओं के सामने नतमस्तक और बौने साबित होते दिख रहे हैं.

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छतरपुर में लॉग डाउन के पहले दिन से ही युवाओं की सोच बदल डाली है और यह युवा अब कोरोना से लड़ने के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार हैं. इन युवाओं की सोच इतनी आगे है कि बड़े-बड़े मंत्री, नेता, विधायक, जनप्रतिनिधि सब इनकी बड़ी सोच और जनसेवा के आगे बौने साबित हो रहे हैं.

हम बात कर रहे हैं मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले की जहां छतरपुर के इन युवाओं ने लोगों के मुश्किल समय में वो कर डाला है कि जो उनके चुने हुए नेता, मंत्री, विधायक, भी नहीं कर पाये और अब बन बैठे हैं वे लोगों के सच्चे जननायक.

शहर में युवाओं की यह टीम देश में कोरोना वायरस की दस्तक के बाद और लॉग डाउन के पहले दिन से ही ख़ाशी शक्रिय है जो लोगों की मदद के लिये हर संभव तत्पर है. जानकारी के मुताबिक इस टीम ने पहले हज़ारों गरीब, कामगार, मजदूर, असहाय, लाचार, लोगों को एक-एक माह का राशन सहित जरूरत का सामान (आटा, दाल, चावल, शक्कर, चाय, नमक, मसाले, बिस्किट, साबुन, मास्क) सहित अन्य जरूरी सामग्री वितरित की उसके बाद से बाहर से आने-जाने वाले लोगों, मजदूरों, राहगीरों, कर्मचारियों, पुलिस, अस्पताल में मरीजों इन सभी को खाना बनवाकर लंच पैकेट वितरित किये जो कि अब भी अनवरत जारी हैं.

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अब इन्होंने एक नई जरूरत और सोच को मुमकिन कर दिखाया है जो कि शासन प्रशासन, जनप्रतिनिधि मिलकर भी पूरा नहीं कर पा रहे थे. इन्होंने अब पूरे शहर को सेनिट्राइज़ करने का बीड़ा उठाया है जिसके लिये इनकी टीम के द्वारा दो दर्जन से अधिक इलेक्ट्रॉनिक सेनेटराइज मशीनों को खरीदा गया है इस मशीन की क़ीमत तकरीबन 4 हजार रुपये है और इन सभी की कीमत लगभग 1 लाख बीस हज़ार आंकी गई है से सेनेटराइज सामग्री का घोल बनाकर पूरे शहर के 40 वार्डों में जाकर हर गली, मोहल्ले, घर-घर जाकर सेनेटराइज कर रहे हैं साथ ही आस पास के गांवों में भी जाकर अपनी सेवाएं दे रहे हैं.

टीम के सदस्यों ने बताया..

टीम के सदस्य जवेद अख़्तर, प्रकाश (कल्लू) रावत, सरदार हरविंदर सिंह की मानें तो इनमें से कोई नेता, राजनेता, या उनका पुत्र सगा संबंधी कार्यकर्ता भी नहीं है जिसका कि किसी को राजनैतिक लाभ मिल सके सभी युवा और स्वतंत्र विचार के लोग हैं. हमने अपने इस कार्य में किसी नेता, राजनेता, जनप्रतिनिधि अथवा किसी भी दल को शामिल नहीं किया और न ही उन्हें शामिल होने दिया. और न ही उनका किसी भी प्रकार का सहयोग लिया है. यह सब हम सभी मिलकर निःस्वार्थ और सेवाभाव से कर रहे हैं.

मामला चाहे जो भी हो पर इतना तो तय है कि बुंदेलखंड के इन युवाओं की सोच ने दुनिया, देश, प्रदेश, के मुश्किल वक्क्त में वो सब कर दिखाया है जिसकी कि किसी ने कल्पना भी नहीं की थी. यह वो सब कर रहे हैं जो चुने हुए जनप्रतिनिधि सरकार और उसका पैसा होने के बादभी नहीं कर पा रहे.

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इससे सिद्ध होता है कि इस सब के लिये सिर्फ नेता बनने और चुनाव जीतकर राज करने की आवश्यकता नहीं होती है होती है यो सिर्फ एक सोच और जज्बे की जो हमें यहां तक ले जाती है जो यहां सबको बौना साबित करती है.

Lockdown के चलते गांव में फंस कर रह गई ये पौपुलर एक्ट्रेस

बिग बौस (Bigg Boss) के सीजन 7 का हिस्सा रह चुकी रतन राजपूत (Ratan Rajput) लौक डाउन (Lockdown) के चलते एक गांव में फंस कर रह गई हैं. जहां उन्हें जुगाड़ के सहारे अपनी दिनचर्या पूरी करनीं पड़ रही है. इस दौरान गांव से वह अपने संघर्ष से लबरेज वीडियो और फोटोज शेयर कर रहीं हैं. लोग उनको मैसेज भेज कर पूछ रहें हैं की वह कहां रुकी हैं क्या कर रहीं.

इसको लेकर उन्होंने एक वीडियो पोस्ट कर कहा की मैंनें खुद को क्वारेंटीन कर रखा है. मै खुद को आइसोलेट करके रख रहीं हूं. लेकिन जगह का नाम इस लिए नहीं बताना चाहती हूं की इससे प्राईवेसी का खतरा है. सोशल डिस्टेंसिंग का खतरा हो सकता है लोग मिलना चाहें, बात करना चाहें तो इससे खतरा बढ़ सकता है. मै जहां हूं वह छोटा सा गांव है जहां लोग इतना ज्यादा आइसोलेशन को तवज्जो नहीं दे रहें हैं. 6 मिनट 3 सेकंड के वीडियो में उन्होंने बचाव के तमाम तरीके बताये. उन्होंने वीडियो के अंत में कहा की मै बिहार के एक गाँव में हूँ जहाँ मै अकेली नहीं हूँ बल्कि हम तीन लोग हैं और एक प्रोजेक्ट के सिलसिले में यहाँ आये थे लेकिन लॉक डाउन के चलते यहाँ रुक जाना पड़ा है.

उन्हें उस गांव में कई तरह की परेशानियों का सामान करना पड़ रहा हैं. इसको लेकर वह अपने इन्स्टाग्राम और यूट्यूब से लेकर फेसबुक पर तमाम वीडियोज अपलोड कर स्थिति से रूबरू करा रहीं हैं. रतन नें अपने क्वारेंटाइन का वीडियो शेयर कर कहा हैं की गांव में कई सुविधाएं नहीं है. लेकिन जान है तो जहान है इस लिए सुरक्षित रहने के लिए यह सब चलता है.

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एक वीडियो में वह खुद ही कपड़ें साफ़ करती नजर आ रहीं हैं इस वीडियो में उन्होंने कहा है “पार्टी-पार्टी बाद में खेल लेना अभी सब मिलकर देश की सोचो”. वहीँ बर्तन साफ़ करते हुए के वीडियो में उन्होंने कहा की “मै दवाई के खाली पत्ते से बर्तन साफ़ कर रहीं हूँ तो मौजियो मौज बाद में कर लेना, तुम्हारा मौजीपना दुनिया पर भारी पड़ रहा है,जान है तो जहान है.” इसके अलावा वह झाड़ू लगाने, लिखने-पढ़ने, और खाना खाने से जुड़े तमाम वीडियोज भी शेयर कर अपनी स्थिति से रूबरू करा रहीं है.

जुगाड़ के जरिये कर रहीं है वाशरूम और बाथरूम का प्रयोग

रतन राजपूत जिस गांव में रुकी हुई हैं वहां न ही लग्जीरियस वाशरूम है और न ही बाथरूम. इस स्थिति में उन्होंने बाथरूम को जुगाड़ के जरिये अपने उपयोग लायक बनाया है. उन्होंने इस वीडियो के साथ अपने कैप्सन में लिखा है “My luxurious bathroom /washroom Adjustment करें compromise नहीं.”

उन्होंने बाथरूम दिखाते हुए कहा की यह है मेरा बाथरूम जो की लॉक डाउन हैं. और मै जिस चैलेन्ज की बात कर रही थी वह यही जगह है क्यों की यह एक ही जगह है की जहाँ वाटर सप्लाई है. जहाँ पर मुझे कपडे भी धोना होता है और नहाना भी होता है और ब्रस भी यहीं होता है. उन्होंने उस वीडियो में दिखाया की एक ग्रिल वाले कमरे में वाटर सप्लाई लगा है जिस कमरे में ग्रिल की वजह से आर- पार दिख रहा है. इस लिए कमरे में आड़ करने के लिए एक पुराने से कपड़े का पर्दा लगाया गया है.

इस सीरियल से आई थी चर्चा में

रतन राजपूत ने कई चर्चित रोल किये जिसमें उन्हें अपने सीरियल ‘अगले जनम मोहे बिटिया ही कीजो’ में लाली के किरदार से पहचान मिली. इस रोल के वजह से वह वह घर घर मे जानी -पहचानी जाने लगीं थी. वह महाभारत मे वह राजकुमारी अम्बा के रूप में भी चर्चा में रहीं थी.

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वह रियल्टी शो ‘रतन का रिश्ता’ में भी नजर आई थी. इस रियल स्वयंवर में कई लोगों नें रतन का दिल जीतने की कोशिश की थी लेकिन उन्होंने अभिनव शर्मा को चुना था.  रतन राजपूत का यह रिश्ता आगे नहीं बढ़ पाया था. वह बिग बॉस सीजन 7 का भी हिस्सा रह चुकी हैं. वह लम्बे समय तक एंड टीवी के सीरियल ‘जय संतोषी मां’ में भी लीड रोल में नजर आ चुकी हैं जिसमें उनके रोल को काफी सराहा गया था.

फिलहाल रतन राजपूत जिस भी गाँव में रुकी हैं वहां उन्होंने खुद को परिस्थितियों में ढाल रखा है. उन्होंने अपने एक वीडियो में कहा की अभी तक तो वह ऐसे यह सोचकर रह रही थीं कि कुछ ही दिनों की बात है, लेकिन लौकडाउन के कारण लंबा ठहरना पड़ रहा है. इसलिए वह अब इस जगह को अपने रहने लायक बना लिया है.

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यूट्यूब का लिंक जिस पर वह अपने सारे वीडियोज शेयर कर रहीं है –

https://www.youtube.com/channel/UCU0SV3NNGOEWlUi3aJGiYGQ

फेसबुक एकाउंट का लिंक जिस पर वह अपने वीडियोज शेयर कर रहीं है-

https://www.facebook.com/ratan.rajpoot.988

पापियों ने बढ़ाया कोरोना को

लेखक- सुरेश सौरभ

होली में मुझे ससुराल जाना था, इसलिए पत्नी का सख्त आदेश था कि अपनी डेंटिंग-पेंटिंग करा डालूं. लिहाजा होली के एक रोज पहले, उनके हुक्म की तामील करते हुए मैं अपने मोहल्ले की एक नाई की दुकान पर अपनी हजामत कराने के लिए जा पहुंचा. वहां पहले से बैठे अपने मोहल्ले के ग्राहकों की भीड़ से मुझे यह अहसास हुआ कि मेरा सिर नाई के हाथों में बहुत देर से पहुंचेगा.

वहां की भीड़ से मुझे यह भी लग रहा था कि मेरे जैसे ही कई पति अपनी पत्नियों के आदेश का पालन करने के लिए बेहद लाचारी में बैठे हैं और बेचारगी से नाई को बड़ी हसरत से देखते हुए अपने नंबर के आने का इंतजार कर रहें हैं. टाइम काटने की गरज से मैंने वहां आड़ा-तिरछा मुंह बिसूरता पड़ा अखबार का एक पन्ना उठा लिया. तभी कोरोना  पर एक महाज्ञानी ने बात खोद दी-अगर कोरोना से बचना है, तो हल्दी वाला शाम को एक गिलास दूध पीना चाहिए. दूसरे ने ताल ठोंक कर कहा-यहां इतनी जलवायु गरम है कि कोरोना तो क्या उसके बाप का भी कोई असर न होगा.

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नाई के चेहरे की चमक बढ़ रही थी वह यह सोच कर खुश था, चलो मेरे ग्राहक कोरोना की बहस में उलझ कर बैठे रहेंगे, ऊबेंगे नहीं, कहीं जायेंगे नहीं. इसलिए उसने भी एक मुक्तक उछाल कर कहा-ये बात मैंने भी कहीं से सुनी है कि खूब हल्दी खाने वालों के ऊपर कोरोना का असर बिलकुल नहीं होता है. भैया मेरे ऊपर तो कोरोना का बिलकुल असर नहीं होगा. मेरी तो घरवाली सब्जी-दाल में खूब रेलम-पेलम हल्दी मिर्च झोंकती है. भैया हम लोग तो पीने-खाने वाले आदमी हैं. हमें खूब तीखा खाने में मजा भी आता है.’ मेरे सामने ,एक महोदय अखबार का एक पन्ना बांच रहे थे, उसे परे हटा कर अपना सिर खुजाते हुए बोले-साला डेढ़ रुपया वाला फेस मास्क मारकेट में पच्चीस रुपये का.

नामुराद दुकानदार उल्लू बना कर ग्राहकों की गर्दनें काट रहें हैं. ऐसा ही रहा, तो फेस मास्क को नागमणि की तरह खोजना पड़ेगा. एक सज्जन ने उबांसी लेते हुए कहा-पाकिस्तान भारत का जानी दुश्मन है. जब वह भारत से, आतंकवाद से, न जीत सका तो, भारत की अर्थव्यवस्था को खराब करने के लिए साजिशन कोरोना को भारत भेजवा रहा है. तभी उस नाई का  चलता हाथ ग्राहक के सिर पर ठहर गया. वह बीड़ी का लम्बा सुट्टा खींच, पाक को भद्दी गाली देते हुए बोला-साला है, पाकिस्तान बड़ा हरामखोर है. अपनी पर आ जाए तो गिरी से गिरी हद तक जा सकता है.

तभी एक अधेड़ अपनी बड़ी-बड़ी दाढ़ी खुजाते हुए बोला-मेरा तो मानना है कि इस बार होली में होलिका को जलाने के बजाय कोरोना वायरस का पुतला बनाया जाए और किसी बड़े पंडित से मंत्र-वंत्र पढ़ा कर, उसे होलिका दहन की तरह फूंका दिया जाए, इससे राक्षस कोरोना दुम दबाकर भाग जायेगा. एक बैरागी टाइप के आदमी ने कहा-ये सब  बढ़ रहे पापों का नतीजा है. चीन बहुत पापी है. जब कुत्ता, घोड़ा, गदहा सांप चमगादड़ सब खायेंगे तो कोरोना उन्हें नहीं, क्या हमें खायेगा.

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भारत में भी जानवर खाने वाले पापी बढ़ रहे है. अगर ऐसे ही निरन्तर बढ़ते रहे, तो कोरोना हमारे देश में भी आ जायेगा, पर हमें ये सब चिन्ता नहीं करनी चाहिए जब तक मोदी जी इस देश में है तब तक हमारे देश में न तो जानवर खाने वाले पापी बढ़ पायेंगे और न कोरोना राक्षस भारत का कुछ बिगाड़ पायेगा.

कोरोना का साइड इफेक्ट

लेखक- नीरज कुमार मिश्रा

देश में लौकडाऊन अब भी जारी था, और  लोगों के अंदर एक क्षोभ  सा भरा हुआ था. यह कहना कठिन था कि ये गुस्सा किसके प्रति था.

उस देश के खिलाफ जहाँ से ये वायरस आया है या सरकार द्वारा अचानक से लॉकडाऊन ठोंक दिए जाने की नीति पर ,पर सच तो ये था कि एक वायरस ने अचानक कहीं से प्रकट होकर उनकी सामान्य तौर से चलती हुई ज़िंदगी में एक उथलपुथल ज़रूर मचा दी थी .

ऐसी ही कुछ उथलपुथल मोबीना की ज़िंदगी में मच गयी थी. सलीम और सलीम  के दो बेटियां थी ,वैसे तो वह प्रकट रूप से कुछ नहीं कहता था पर एक बेटे की चाह तो उसके मन में बनी ही हुई थी.

सलीम की बेगम मोबीना एक सीधी सादी महिला थी जो मोहल्ले में अपने सद्व्यवहार के लिए जानी जाती थी.

मोबीना मोहल्ले में रमिया चाची को देखने गयी थी क्योंकि जीने पर से फिसलने से उनके घुटनो में थोड़ी चोट आ गयी थी और फिलहाल वो बिस्तर पर ही थी.

रमिया चाची के सिरहाने बैठी मोबीना पंखा झल रही थी कि तभी उसे पता चला कि रमिया चाची का लड़का जो  दुबई में काम करता है ,वो वापिस आ गया है .

उसे ये जानकर अच्छा भी लगा कि चलो अब कोई तो रमिया चाची को सहारा देने वाला आ गया है.

मोबीना ने भी सुना है कि कोई कीड़ा वाली बीमारी, मने जिसे वायरस वाली बीमारी कहते हैं वो फैल रही है और लोगों की जान ही ले लेती है वो बीमारी ,और इसीलिये देश की सरकार ने सबसे दूर दूर बैठने को कहा है .

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अरे पर आदमी आस पड़ोस में न जायेगा तो फिर ऐसे व्यवहार का क्या अचार डालना है और फिर अगर अच्छे में नहीं गये तो क्या ,कम से कम बीमारी अज़ारी में मिजाजपुर्सी के लिए तो जा ही सकते हैं ना. और फिर हम मेलजोल नहीं रखेंगे तो हमसे मिलने कौन आएगा?

“ये लो भाभी ,कोल्डड्रिंक पी लो ,बहुत गर्मी हो रही है न ,लो अम्मा तुम भी ले लो थोड़ा सा ” चाची के लड़के सुरेश ने कोल्ड ड्रिंक का गिलास पकड़ाते हुए कहा “अरे नहीं भैया ,आप ही पियो  ,हमे नुकसान न कर जाये कहीं ” मोबीना ने कहा

“अरे भाभी ,कुछ नहीं नुकसान करेगा ,हमें देखो अब हमें तो जुकाम है फिर भी हम पी रहे हैं कोल्ड ड्रिंक”कहते हुए कोल्ड ड्रिंक का पूरा गिलास खाली कर दिया सुरेश ने “तो भैया ,कैसे आ पाये दुबई  से तुम ,सुना है कि विदेश में बहुत मारा मारी चल रही है और पुलिस हवाई अड्डे पर ही बहुत जांच करती है तब ही आने देती है “मोबीना ने पुछा

“हाँ …मुश्किल तो बहुत था ..बस किसी तरह आ गए समझ लीजिए” सुरेश अचानक से खों खों करके खासने लगा

“क्या हुआ तबीयत नहीं सही है क्या ?” मोबीना ने पूछा

“पता नहीं जबसे आया है तबसे ही कुछ परेशान सा लग रहा है सुरेश” रमिया चाची ने बताया

मोबीना कुछ देर रमिया चाची के पास बैठने के बाद घर वापिस चली आयी .

घर में मोबीना के ससुर अपने लड़के सलीम के साथ बैठे कुछ चर्चा कर रहे थे

“अरे भाई बीमारी अगर फैली है तो उसका कोई इलाज़ भी तो होगा , अब ये तो कोई बात नहीं न हुई कि भाई बीमारी से डरकर घर से ही निकलना छोड़ दिया जाये ,हाँ ..ये मुमकिन हो सकता है अमीर लोगों के लिए ,पर हमारे जैसे रोज़ कमाने खाने वाले लोगों के लिए  तो ये बड़ी मुश्किल पैदा करने वाली बात है भाई ”

सलीम  खबरें टीवी आदि पर सुनता रहता था इसलिए उसने भी अपना ज्ञान बघारा

“नहीं अब्बू ,इस कम्बखत वायरस का यही इलाज़ है कि लोगों को एक दुसरे से मिलने से रोक दिया जाए तभी इसको रोक जा सकता है वरना ये सबकी जान इसी तरह ले लेगा”

बापबेटे की ये बातें सुनती हुयी मोबीना सीधे किचन में चली आईऔर रोटियां बनाने के लिए आटा लगाने लगी.

एक दो दिन बीतें होंगे ,अचानक से मोहल्ले में कानाफूसी तेज़ हो गयी थी ,मोबीना ने भी जानकारी ली कि माज़रा क्या है तो उसे पता चला कि रमिया चाची का लड़का सुरेश अस्पताल गया था दवाई लेने के लिए ,वहां डॉक्टरों ने कुछ सवाल जवाब किये तो उसमें सुरेश के दुबई से वापिस आने और हवाई अड्डे से बाथरूम जाने का बहाना करके और बिना जांच कर घर आने की बात सामने आयी थी डॉक्टरों ने कुछ जाँचे करी तो सुरेश को कोरोना वायरस से ग्रसित पाया गया और अब उसको क्वारंटीन में रखा गया है.

मोबीना ये सब सुनकर परेशान हो उठी क्योंकि टी वी पर देखकर वह इतना तो जान ही गयी थी कि जो व्यक्ति कोरोना वायरस से ग्रसित हो जाता है उसके संपर्क में आने वाले व्यक्ति को भी संक्रमण का खतरा भी रहता है और वह भी तो सुरेश के संपर्क में आयी थी और तो और कोल्ड ड्रिंक भी पिया था .

तो क्या उसे भी संक्रमण हो गया होगा ?

और उसे भी संक्रमण हो गया ,तो क्या वह मर जायेगी ?

कुछ दिन ही बीतें थे कि सलीम के मोहल्ले मे डॉक्टरों की एक टीम आयी ,डॉक्टरों की टीम यह सुनिश्चित कर रही थी कि दुबई से लौटे हुए सुरेश के संपर्क में जो लोग आये थे उन्हें कोई संक्रमण तो नहीं है .

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उन डॉक्टरों की टीम ने अपने आपको पूरी तरह से एक विशेष प्रकार के आवरण से कवर कर रखा था  और अपने मुंह पर मास्क लगाया हुआ था और वे डॉक्टरी उपकरणो से लोगों को चेक कर रहे थे .

डॉक्टरों की टीम ने अभी तक कुल आठ दस लोगों को चिन्हित कर लिया था ,जिन्हें कोरोना पॉजिटिव होने का खतरा लग रहा था .

मोबीना घर में ही दुबक गयी थी उसे डर लग रहा था  ,वह मन ही मन ये सोच रही थी कि कहीं वो भी कोरोना वायरस से संक्रमित न हो पर जब कोई आपदा इतने बड़े स्तर पर फ़ैल कर पूरी मानवता को तबाह करने पर लगी हो तो भला घर में छुपने से काम कहाँ चलता है  .

डॉक्टरों ने मोबीना को भी घर से बुलवाया और उसके भी प्रारंभिक टेस्ट किये ,और टेस्ट के बाद  कुछ लोगों को क्वारंटीन में रहने के लिए साथ में ले गए जिसमे से रमिया चाची के साथ मोबीना भी थी .

मोबीना ने जब क्वारंटीन में जाने का विरोध किये तो उसके शौहर सलीम ने ही उसको समझाया

“अरे तुम घबराओ मत मोबीना ,ये डॉक्टर ,ये जाँचे ये सब हमारे अच्छे के लिए ही है ,तू बेफिक्र होकर जनके साथ जाओ और यहाँ की चिंता छोड़ दे ,हम सब तुम्हारे लौटने की दुआ कर रहें हैं ,उम्म्मीद है तुम जल्दी ही सेहतमंद हो जाओगी ”

“हाँ ..पर मेरी बेटियों का धयान कौन रखेगा ,आपको तो घर का काम काज भी नहीं आता है फिर उनका ध्यान कौन रखेगा ” मोबीना ने रोते हुए चिंता व्यक्त करी

“अरे …हाँ तुम मत घबराओ ,घर के काम काज के लिए मैं यास्मीन को बुला लूंगा

वैसे तो मोबीना बहुत फिक्रमंद हो रही थी पर जब उसने यास्मीन का नाम सुना तो उसके बेचैन मन को थोड़ी राहत मिली ,फिर भी घर से दूर जाने का गम तो उसे सता ही रहा था .

यास्मीन जो मोबीना की छोटी  बहन थी ,वह मोबीना से छह साल छोटी थी .

आम तौर पर गाँव कस्बों मे आसपास के रिश्तेदार आज भी विपत्ति के समय एकदूसरे के काम आते हैं और इसी कारण ऐसे समय सलीम को अपनी साली की याद आयी थी

लौकडाउन में वैसे तो किसी भी काम के घर से निकलना मना था पर एक गाँव से पास के गाँव में खेती किसानी के काम के बहाने चोरी छुपे जाया जा सकता था .

इसी बहाने का सहारा लेकर यास्मीन को उसके घर से लिवा लाया था सलीम .

अपनी बहन के घर आकर यास्मीन ने सारा काम काज संभाल लिया था ,बच्चे भी मौसी के साथ घुल मिल गए थे और यास्मीन भी अच्छे तरह से उन लोगों को संभाल ले रही थी .

उधर मोबीना को क्वारंटीन में रखा गया था ताकि बीमारी की अच्छी  तरह से जांच हो सके ,इसी जगह पर कहीं सुरेश और रमिया चाची भी होंगी ,पर क्या फायदा ?

जब एक दूसरे से मिल ही नहीं सकते मिलना तो दूर वो सब अपने लोग तो मोबीना को दिखाई ही नहीं देतें है

बस डौक्टर और नर्स  का ही आना जाना रहता है ,वो भी अपने आपको पूरी तरह से ढके हुए

किसी की भी शक्लें सही से देखे हुए कितना टाइम हो गया है यही सब की उधेड़बुन में रहती थी मोबीना .

मोहल्ले के लोग हैरान और परेशान थे कि कैसे इस कोरोना वायरस की जद में उनके मोहल्ले के लोग भी आ गए ,

क्या सच में वह वायरस सुरेश के साथ आया था ?

या फिर और कोई संक्रमित होकर आया और उसने मोहल्ले में संक्रमण फैलाया ?

हाँ इतना ज़रूर था कि इन बातों को कोई एक दूसरे से कहता नहीं था पर परेशान तो मोहल्ले के सभी लोग थे .

पर ऐसी दशा में कोई था जो मोबीना के जाने और यास्मीन के आने से खुश था पर कौन था वो?

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वो कोई और नहीं बल्कि सलीम था क्योंकि उसकी नज़र हमेशा से ही यास्मीन  पर थी और इसी के चलते उसे अपनी पत्नी के क्वारंटीन में जाने का कोई दुःख नहीं हुआ बल्कि वो यास्मीन को लॉक डाऊन के खतरे के बाद भी लिवा लाया था .

“यास्मीन …देखो आज तक मैंने मन की बात तुमसे सामने से कभी नहीं कही ..हाँ पर ये अलग बात है कि तुम शायद उस बात को मन ही मन समझती रही …

दरअसल जब मैंने तुम्हे  मामा के यहाँ एक शादी में देखा था तभी तुम मुझे पसंद आ गयी थी और मैंने तुम्हरे लिए पैगाम भी भिजवाया था पर

मोबीना तुमसे उम्र में बड़ी थी और उसके रहते तुम्हारी शादी करने में तुम्हारे घर वालों ने आना कानी करी और  उल्टा मेरे घर वालों से मोबीना की शादी मेरे साथ करने पर ज़ोर दिया …तुम्हारे घर की माली हालत देखकर मेरे घर वालों ने मेरे साथ मोबीना की शादी करा दी  और …और इस ज़माने के कारण मैं कुछ कह भी न सका ,पर आज मैंने अपने दिल की बात तुमसे कह दी है और हैं मैं तुमसे बेपनाह मोहब्बत करता हूँ”  रसोईघर में खाना बनाती यास्मीन से सलीम ने मन की बात कह डाली

बच्चे घर में टीवी देखने में व्यस्त थे इसीलिये यास्मीन ने भी अपनी बात कह देने ठीक समझी

“देखिये  जो बीत गया है  उसे भूल जाइए ,मैं आपको अच्छी लगी या आप मुझे अच्छे लगे पर अब काफी समय बीत चुका है आप अब  दो लड़कियों के बाप है और आपको ये सब करना अच्छा नहीं लगता …इसलिए किसी नए रिश्ते को जन्म मत दीजिये ”

यास्मीन का दो  टूक का उत्तर सुनकर सलीम जड़वत हो गया था ,उसे इस तरह के सूखे उत्तर की आशा नहीं थी उसे ,बेचारा मन मसोस कर रह गया था .

कोरोना से संक्रमित होने वाले लोगों की संख्या में इज़ाफ़ा हो रहा था ,कस्बे और गाँव में भी पुलिस की गश्त बढ़ती जा रही थी जोये सुनिश्चित करती थी कि लोग सामाजिक दूरी बनाकर रहें.

रात गहरी हो रही थी ,यास्मीन भी नींद में थी ,अचानक एक हाथ  उसकी जांघो को सहलाने  लगा ,कुछ देर बाद यास्मीन ने अपने सीने पर किसी के हाथों का दबाव महसूस किया ,यास्मीन समझ गयी थी कि वह सलीम ही होगा जो दिन के उजाले में अपनी बात नहीं मनवा पाया तो रात में जबरदस्ती अपनई मर्दानिगी दिखाने आया है उसने धक्का देकर हटाने की कोशिश करी पर औरत तो औरत है ,मर्द ही हमेशा औरत पर भारी पड़ता आया है और आज भी वही हुआ .

सलीम का पुरुषत्व यास्मीन के कोमल जिस्म को दबा चुका था और सलीम ने अपने को तृप्त करने के लिए शुरुवात  कर दी थी ,हालाँकि यास्मीन आज तक तो कुंवारी थी पर आज जब उसका कौमार्य भंग हुआ तो उसे भी कुछ अच्छा सा लगा उस ने कुछ देर तक तो विरोध किया पर कुछ देर बाद उसे भी आनंद आने लगा पर उसने प्रकट रूप में अपने गुस्से को बनाये ही रखा .

सुबह सलीम विजयी भाव से अपने घर में घूम रहा था ,कभी तो बेवजह यास्मीन के आगे पीछे घूमता तो कभी जबर्दस्ती उससे बोलने की कोशिश करता .

और बच्चे तो यही समझ कर खुश होते रहे कि मौसी उनको समय पर खाना और पानी देती है पर दूसरी तरफ तो और ही खेल चल रहा था

उधर मोबीना को क्वारंटीन में रखा गया था और  सही सामाजिक दूरी ,एहतियात के बाद जब मोबीना के सारे टेस्ट कोरोना नेगेटिव आये तो डौक्टरों ने मोबीना को घर जाकर रहने की सलाह दी और कुछ नियम भी बताये जो उसे अब भी बरतने थे .

आज मोबीना घर आकर बहुत खुश थी ,उसके बच्चे बार बार माँ  -माँ कह  कर आ लिपट जाते थे .

यास्मीन भी अपनी बहन के सकुशल घर आ जाने से खुश थी .

एक सलीम ही ऐसा व्यक्ति था ,जिसके सीने पर मोबीना को देख सांप लोटे जाते थे .

रात को खाना खाने के बाद जब मोबीना अपने होठो से सलीम के होठों को चूमने लगी तो सलीम ने उसे हाथ मारकर  अलग कर दिया .

“उफ़ मोबीना …तुम अपना इलाज़ करा कर आयी हो और तुम्हे तो अभी मुझसे दूर रहना चाहिए पर ऐसा लगता है कि तुम अपनी  सेक्स की प्यास बुझाने के लिए मुझे भी बीमार करने से बाज़ नहीं आओगी”

आँसुओं में टूट गयी थी मोबीना ,बीमारी के बाद अपने शौहर से ऐसी उम्मीद नहीं थी उसे ,पर अपने मन को उसने के कहकर समझा लिया कि कोई बात नहीं कुछ दिन में सब सही हो जायेगा.

पर सही तो जब होता जब सलीम की नीयत सही होती ,सलीम का व्यवहार दिनबदिन मोबीना के प्रति खराब होता गया .

मोबीना ने यही समझ कि लॉकडाऊन में ज़रा पैसे की किल्लत हो रही है इसीलिये सलीम ज़रा चिड़चिड़े हो गए हैं .

“अप्पी …अब आप आ गयी हो और आपकी तबीयत भी ठीक हो गयी है इसलिए …हो सके तो मुझे घर भिजवा दो”यास्मीन ने मोबीना से कहा

“अरे …ऐसी भी क्या बात है …चली जाना “मोबीना ने कहा

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“हाँ …पर घर पर भी कुछ काम है इसलिए ….मेरा घर जाना ही उचित होगा” यास्मीन ने सलीम और मोबीना की कलह की जड़ को भांपते हुए कहा

“ठीक है मैं  बात करती हूँ तेरे जीजा से”

रात को बिस्तर पर मोबीना ने यास्मीन को घर छोड़कर आने की बात कही तो अचानक चौक उठा था सलीम पर उसने अपने गुस्से का प्रदर्शन नहीं किया और चुपचाप सो गया.

रात में मोबीना की आंख खुली तो सलीम को उसने बिस्तर पर नहीं पाया  पर यास्मीन वाले कमरे से कुछ आवाज़ आती सुनाई दी तो उसने कान लगाकर सुनने की कोशिश की ओर की ओट से अंदर झाँका तो उसे वो दिखा जो नहीं दिखना चाहिए था .

अंदर कमरे में सलीम और यास्मीन  एक दुसरे से लिपटे हुए थे और सलीम कह रहा था .

“ओह…जानेमन …भला तुम जाने की बात क्यों करती हो ….अगर किसी को जाना होगा तो वो यास्मीन जाएगी …तुम नहीं”  यास्मीन के होठो को चूसते हुए सलीम ने कहा.

“पर वो अबकी बीवी है और मैं तो कुछ भी नहीं ..मेरा और आपका रिश्ता भी तो नाज़ायज़ है ….फिर मैं कैसे?”

“अरे नाज़ायज़ और जायज़ कुछ भी नहीं होता …और वैसे भी मैं उसे तलाक़ देने जा रहा हूँ और  जबसे  मोबीना को ये छूत की कोरोना वाली बीमारी लगी है न तबसे मुझे तो उसे छूने में भी घिन आती है ”

मोबीना पर तो जैसे आसमान ही टूट पड़ा था  अब क्या करेगी वो ?कहाँ जायेगी वो?

वो तो इतनी पढ़ी लिखी भी नहीं कि चार पैसे कमाकर  अपना और बच्चों का पेट ही भर ले ,फिर ,फिर क्या करेगी अब मोबीना …..

मोबीना वहीँ फर्श पर पछाड़ खा कर गिर गयी थी.

कोरोना और लौकडाउन ने मोबीना की पूरी ज़िंदगी ही तबाह कर दी थी .

ये था मोबीना की ज़िंदगी पर कोरोना का साइड इफेक्ट.

इस लौकडाउन देखिए साउथ की Hindi Dubbed ब्लौकबस्टर फिल्में

एक्शन के मामले में भारत में बनने वाली फिल्मों में साउथ की फिल्में सबसे आगे हैं. इसी लिए यहां की फिल्में हिन्दी में रिलीज की जाती हैं. जो हिंदी में रिलीज होने के बाद अच्छी कमाई करती हैं. साउथ की फिल्मों को भोजपुरी बेल्ट में भी खूब पसंद किया जाता है. इसका एक कारण यह है की भोजपुरी के कई कई एक्टर्स साउथ की फिल्मों में भी अपने अभिनय का डंका बजाये हुए हैं, इसमें रविकिशन का नाम सबसे ऊपर है. हम आप को बता रहें हैं हिंदी में डब की गई ऐसी ही 5 ब्लौकबस्टर फिल्मों के बारे में जो यूट्यूब पर फ्री में देखनें के लिए उपलब्ध हैं. इन फिल्मों को आप लौक डाउन (Lockdown) के दौरान देख कर अपनीं बोरियत दूर कर सकतें हैं.

रियल सिंघम 3 (Real Singham 3)

इस फिल्म में एक लड़का (महेश बाबू) जो बचपन में अपनी मां को खो देता है.वह बचपन से ही फिल्म में भ्रष्ट और खतरनाक लोगों से पंगा लेता रहता है. बड़ा होने पर पुलिस में भर्ती होने और खतरनाक लोगों से पंगा लेते हुए फिल्म की कहानी आगे बढ़ती है. और अंत में फिल्म का हीरो गैंगेस्टर्स से पंगा लेते हुए उनके पूरे साम्राज्य को ख़त्म कर देता हैं. इस फिल्म में महेश बाबू मुख्य भूमिका में हैं इसके अलावा तमन्नाह, सोनू सूद, श्रुति हासन, ब्रह्मानंदम, नासर, आशीष विद्यार्थी , राजेंद्र प्रसाद नें भी सशक्त रोल कियें हैं. फिल्म के निर्देशक श्रीनु वैतला व  निर्माता रिवाज दुग्गल हैं  फिल्म का छायांकन केवी गुहान नें किया हैं.

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समुराई एक योद्धा (SAMURAI EK YODHA)

भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई पर आधारित इस फिल्म का एक्शन एक अलग ही तरह का रोमांच पैदा करता है. फिल्म का हीरो विक्रम सिस्टम से लड़ते हुए उसे बदलने की जिस मुहिम पर चलाता है. अंत में वह ऐसे लोगों का पर्दाफ़ाश कर जीत जाता है. फिल्म में एक्शन के साथ ही रोमांश का भी जबरदस तड़का देखने को मिलता है. फिल्म में विक्रम नें थियागराजन के रूप में मुख्य भूमिका निभाई है. इसके साथ ही अनीता हसनंदानी नें  देवा के रूप में जया नें कविता के रूप में अपनी भूमिका निभाई है. साथ ही नासिर, अनुपम श्याम,कोल्लम थुलसी, चिन्नी जयंत, बिन्दू पणिक्कर, वैडिवुकरासी, दिल्ली कुमार, श्रिया रेड्डी, पीयूष मिश्रा नें भी यादगार भूमिका निभाई हैं.

फोर-जी (4G)

https://www.youtube.com/watch?v=zl-uQ-XNZwo&feature=emb_title

महेश बाबू और किआरा अडवाणी की लव स्टोरी और एक्शन से भरपूर इस फिल्म में वह सब कुछ है जिसे आप देखना चाहतें हैं. साउथ की फिल्मों की खासियत लिए हिंदी में डब की गई यह एक्शन मूवी Full HD में यूट्यूब पर देखी जा सकती हैं.

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मरते हैं शान से (Marte Hai Shaan Se)

इस फिल्म के निर्देशक हरि और निर्माता बी भारती रेड्डी हैं. फिल्म में विशाल, प्रभू, मुख्ता, नाधिया, नासर, विजय कुमार नें मुख्य भूमिकाएं निभाई हैं. फिल्म की कहानी हरी नें लिखी है और छायांकन प्रियान नें किया हैं. फिल्म का हीरो विशाल शांतिपूर्ण ढंग से परिवारों के बीच होने वाले संघर्ष को सुलझाने की कोशिश करता है, इसमें उसे कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. फिल्म की कहानी शुरू से अंत तक दर्शकों को बांधे रखने वाली हैं.

प्लेयर एक खिलाड़ी (Player Ek Khiladi)

तमिल भाषा की फिल्म अरामबम को “प्लेयर एक खिलाड़ी” (Player Ek Khiladi) के नाम से हिंदी में डब  किया गया है यह एक एक्शन थ्रिलर फिल्म है जो विष्णुवर्धन के  निर्देशन में बनीं है. फिल्म के निर्माता रघुराम हैं और लिखा हैं सुभा नें इस फिल्म में अजिथ कुमार, आर्या, नयनतारा और तापसी पन्नू मुख्य भूमिकाओं में हैं. किशोर, राणा दग्गुबाती, अक्षरा गुड्डा नें भी यादगार भूमिकाएं की हैं। यह फिल्म 31 अक्टूबर 2013 को रिलीज़ हुई थी.

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जानें इस Lockdown में बच्चों संग कैसे समय बिता रहे हैं ये बौलीवुड एक्टर्स

बौलीवुड में तमाम ऐसे एक्टर्स, डायरेक्टर्स, और तकनीशियन्स हैं जिनके पूरे साल का शेड्यूल बहुत व्यस्त होता है. ऐसे यह अपने बच्चों को पर्याप्त समय नहीं दे पाते हैं जिसका मलाल इनको और इनके बच्चों को बना रहता है. लेकिन इस LOCKDOWN में बौलीवुड में सभी एक्टर्स, डायरेक्टर्स, और तकनीशियन्स पास न केवल पर्याप्त समय है रद्द किए गए शेड्यूल के कारण, व्यस्त बौलीवुड हस्तियों के पास मजेदार गतिविधियों के लिए पूरा समय भी है. ये लोग अपने बच्चों को पूरा समय देनें के साथ जम का मस्तियाँ भी कर रहें हैं. वालीवुड से जुडी ऐसी तमाम हस्तियाँ हैं जो अपने बच्चों के साथ बिताये जा रहे पलों की तस्वीरें और वीडियोज अपने सोसल मीडिया एकाउंट पर अपलोड करते रहतें हैं. इनमें से कुछ एक्टर्स और डायरेक्टर्स ऐसे हैं जो इस LOCKDOWN को बच्चों के साथ स्पेशल बना रहें हैं. हम ऐसे ही कुछ सेलिब्रिटीज से आप को रूबरू करा रहें हैं जो अपने बच्चों के साथ फुल मस्ती में नजर आ रहें हैं.

शिल्पा शेट्टी…

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एक्ट्रेस शिल्पा शेट्टी कुंद्रा (Shilpa Shetty Kundra) नें सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहतीं हैं और वह हर रोज अपने एक्टिविटी से जुड़े पोस्ट शेयर करती रहतीं हैं. इस LOCKDOWN के दौरान वह हर रोज अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर वीडियोज शेयर करती रहतीं है. जिसमें वह कोरोना से बचाव के सन्देश के साथ स्वस्थ्य रहने की टिप्स, और वर्क आउट के टिप्स भी देतीं नजर आती हैं. इसके अलावा वह अपने बेटे वियान के साथ किये जा रहे मस्ती भरे पलों की तस्वीरें और वीडियोज भी शेयर करती रहतीं हैं. इसी कड़ी में शिल्पा शेट्टी नें अपने बेटे वियान राज कुंद्रा (Viaan Raj Kundra) के साथ मस्ती भरे कई वीडियो शेयर कियें हैं. शिल्पा ने शेयर किया है जिसमें वियान अपनी मम्मी के पैर का मसाज कर रहा है और ढेर सारी बातें भी कर रहा है.

 

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It’s a dichotomy of emotions. I am concerned about what’s happening around us while we are hoping and praying for the situation to get better across the world, I’m also valuing and spending extra time with Viaan every day. We spent this morning creating these little love notes for each other. I genuinely value these moments. We are crafting memories, are you? These are challenging times. You too can take up this #CraftingMemories challenge and make this time memorable for your kids! ~ Today, I’m grateful for this time that I can spend with my child and I pray that may all the children in pain and suffering be blessed with love . . . . . . . @indiacraftingmemories @fevicreate @momspresso #CraftingMemories #Gratitude #MomSonTime #20DaysOfGratefulness #Day6

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इस वीडियो पर शिल्पा ने एक बड़ा सा कैप्सन भी लिखा है जिसकी कुछ लाइनें इस प्रकार हैं ” मुझे नहीं पता था कि मेरी माँ यह शूट कर रही थी… लेकिन वह इस तरह के एक अनमोल क्षण को कैप्चर करने में सफल रही. इस वीडियो को देखकर मुझे यह एहसास हुआ कि बच्चे पैदा करना एक आशीर्वाद है.
शिल्पा शेयर किये गए एक दूसरे वीडियो में वियान के साथ क्राफ्ट मेकिंग करती नजर आ रहीं हैं इसके कैप्सन  में उन्होंने लिखा है की ये चुनौतीपूर्ण समय हैं, आप भी इस #CraftingMemories चुनौती को उठा सकते हैं और अपने बच्चों के लिए इस समय को यादगार बना सकते हैं. आज, मैं इस समय के लिए आभारी हूं कि मैं अपने बच्चे के साथ बिता सकती हूं @indiacraftingmemories #CraftingMemories #MomSonTime. इसके अलावा शिल्पा ने बेटे वियान के साथ वर्कआउट का एक वीडियो कोलाज भी शेयर किया है.

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करण जौहर…

 

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Well #tiedye or #holi you decide? #lockdownwiththejohars #toodles

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High tea with @hiroojohar ! #lockdownwiththejohars

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There is someone who can take away the #coronavirus

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करण जौहर अपने दोनों जुड़वा बच्चों यश ( Yash) और रूही (Ruhi) जौहर बच्चों के साथ फुल मस्ती में नजर आ रहें हैं इस लॉक डाउन के दौरान उन्होंने बच्चों के साथ मस्ती भरे कई वीडियोज शेयर किये हैं एक वीडियोज में करन के बच्चे कपड़ों के साथ मस्ती कर रहें है तो इसके अलावा उन्होंने इस लॉक डाउन के दौरान अपने बच्चों के खाने-पीने से लेकर खेलने और नाराज होने के दर्जनों वीडियोज शेयर किये हैं.

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नेहा धूपिया…

 

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MOOD …. #day10 #lockdown #lockdownlove

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नेहा धूपिया इन दिनों अपनें ही घर में सेल्फ क्वारंटाइन में हैं उन्होंने अपने इंस्टाग्राम पर एक बहुत ही खुबसूरत इमेज शेयर की है. जिसमें वह और उनकी बेटी मेहर के साथ पति अंगद बेदी दिखाई दे रहे हैं. उनकी बेटी मेहर खिलौनों से खेल रही है और उनके पति बेटी के पास सोफे पर लेटे हैं. नेहा नें शेयर किये गए इस तस्वीर के साथ अपने कैप्सन में लिखा है #lockdown #lockdownlove  जिस उन्हें यूजर्स से ढेर सारी प्रतिक्रियाएं भी मिल रहीं हैं.

सोहा अली खान…

 

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Confined to our columns and rows #neveracrossword Day 4

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House party Day 6 #lockdown

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लौकडाउन के दौरान अपने घर से सोहा अली खान नें  बेटी इनाया संग बिताये जा रहें अनमोल क्षणों में से कुछ चुनिन्दा तस्वीरें शेयर की हैं. एक तस्वीर में उनकी बेटी इनाया टेडी वियर के साथ बैठी नजर आ रही हैं. तो दूसरे में बेटी के साथ शेयर तस्वीर के कैप्सन के साथ लिखा है columns and rows #neveracrossword Day 4.

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सनी लियोन…

सनी लियोन (Sunny Leone) भी अपने पति  डेनियल और अपनें तीनों बच्चों निशा, अशर और नोआह के साथ सेल्फ क्वारंटाइन में हैं. ऐसे में वह घर पर रहते हुए पति और बच्चों के साथ इंज्वाय कर रहीं हैं. सनी नें अपने बच्चों का दौड़ लगाते हुए एक वीडियों शेयर करते हुए कैप्सन में लिखा हैं “भगवान का शुक्र है कि मेरे बच्चे आसानी से मनोरंजन कर रहे हैं” (Thank the Lord my kids are easily entertained. Running up and down until they were tired! Tired toddlers = good nights rest! @dirrty99).

काजोल…

 

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About tomorrow..

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काजोल (Kajol) ने अपने बेटे युग देवगन के साथ एक वीडियो रिकार्ड कर शेयर किया और कहा की “हम अक्सर यह कहतें हैं की काश हमारे पास वक्त होता, हमारे बच्चों के साथ बैठने का , हमारे माँ बाप के साथ बैठने का, और हमेशा सोचते हैं काश ये होता काश हमारे पास कुछ नहीं होता करनें के लिए. अब हमारे पास ये वक्त है और वजह भी है तो गाइड प्लीज प्लीज सबके लिए घर के अन्दर रहें और सफाई रखें. वीडियो के का अंत युग नें धन्यवाद बोल कर किया है.

लिसा रे…

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कैंसर से जीतने वाली सुपर मौडल और अभिनेत्री 2018 में सैरोगेसी की मदद से जुड़वा बच्चों की मां बनी लिसा रे (Lisa Ray) ने भी भी अपने जुड़वा बेटियों की तस्वीर इंस्टाग्राम शेयर किया है. और उन्होंने सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने की अपील भी की है.

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