डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति का इसी वर्ष फरवरी में जब भारत में नमस्ते ट्रंप कार्यक्रम के दरमियान ऐतिहासिक स्वागत हुआ था तब ऐसा प्रतीत हुआ था मानो भारत और अमेरिका जनम जनम के दोस्त हैं अभिन्न मित्र हैं मगर किसे पता था कि प्रख्यात विष्णु शर्मा  के "पंचतंत्र" के पात्रों की भांति अमेरिका और भारत को भी परीक्षा की घड़ी से गुजरना होगा. अभी ज्यादा दिन नहीं हुए हैं नमस्ते ट्रंप कार्यक्रम का आगाज हुआ था और चंद दिनों बाद ही जब  कोरोना का हमला हुआ है ऐसे में  इस मित्रता और दोस्ती की हकीकत दुनिया भी सच्चाई के सामने जगजाहिर हो गई. अमेरिका कोरोना कोविड 19 महामारी कि भयावह  स्थितियों से गुजर रहा है ऐसे में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी से बात की और मदद मांगी.

है ना पंचतंत्र की कहानी जैसा कुछ.... जब जंगल का राजा शेर अपने  जंगल के किसी खरगोश, सियार से मदद मांगे और पंचतंत्र में क्या होता है आप याद करें. शायद आप  तो पंचतंत्र की वह एक कहानी भूल गए हैं .खैर....वह फिर  आगे! अभी तथ्यों से दो चार  हों.

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दोस्त दोस्त ना रहा!

और देखिए विधि का प्रारब्ध! एक बार फिर दोस्त दोस्त ना रहा की सच्चाई सामने आती चली गई.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दोस्त और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नरेंद्र मोदी से  फोन पर निवेदन किया  और कोरोना  को काबू लाने वाली  हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन  की मांग कर डाली.  अब जैसा कि होना था नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति की इस गंभीर बात को कान नहीं दिया. अंततः डोनाल्ड ट्रंप को, जैसा कि अक्सर गुस्सा आता है, गुस्सा आ ही गया,  और अपने दोस्त मोदी को धमकी दी दी. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को धमक भरे भाव में कहा - अगर भारत कोरोना वायरस से लड़ने के लिए हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन दवा का निर्यात नहीं करता है तो उसे अमेरिका का रोष झेलना पड़ेगा. अमेरिकी राष्ट्रपति का यह बयान उस वक्त सामने आया  जब इस घातक वायरस से यूएस में त्राहिमाम मचा हुआ है. कई लाख  लोग कोरोना से  संक्रमित हैं, वहीं नित्य  हजारों लोगों की मौत हो रही  है.  कोरोना  वैक्सीन बनाने  दुनियाभर के वैज्ञानिक रात दिन  एक किये  हुए हैं लेकिन आज तलक किंचित  सफलतानहीं मिल सकी  पाई है.

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