छत्तीसगढ़ में शराबबंदी को अपना हथियार बनाकर 2018 के विधानसभा चुनाव में सत्ता की वैतरणी पार करने वाले भूपेश बघेल मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद शराबबंदी के मामले पर कैसे करवट बदल रहे हैं, यह सारा देश देख चुका है. अब जब कोरोना का संकट सर पर है, शराबबंदी को लेकर भूपेश बघेल की कांग्रेस सरकार के उछल कूद के नजारे देखकर सत्ता की उथली नीतियों पर आप और हम हंस  भी नहीं सकते. जहां 15 वर्ष तक सत्ता के बाहर जाकर कांग्रेस  की हालत पतली हो गई थी और  आदर्श बघारने लगी थी वहीं सत्ता सिंहासन  में बैठने के बाद वही कांग्रेस और उसके चेहरे शराबबंदी को लेकर  नित्य नए-नए तर्क दे रहे हैं.

कथनी और करनी में जो अंतर आया है वह राजनीति की असलियत को नंगे पन के साथ  उघाड़ कर सामने रख देता है. यहां हम आपको बताना चाहते हैं कोरोना वायरस महामारी के पश्चात लाक डाउन की स्थिति में भी छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल की सरकार ने दोनों हाथों से शराब बेचा. शायद आपको विश्वास ना हो ... मगर यह 100 फीसदी सही बात है. आप शायद कल्पना भी नहीं कर सकते कि 22 मार्च 2020 को जब प्रधानमंत्री के आह्वान पर संपूर्ण देश में लॉक डाउन था छत्तीसगढ़ में देसी और विदेशी शराब की दुकाने खुली हुई थी जिसकी बड़ी निंदा हुई. मगर सरकार ने इस पर कोई नैतिक जिम्मेदारी स्वीकार करते हुए दो शब्द कहने से भी गुरेज किया.

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मर रहे है  आम लोग...

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में संदिग्ध परिस्थितियों में दो लोगों की मौत हो गई. मौत शराब नहीं मिलने और  स्पिरिट पीने की वजह से हुई बताई जा रही है.दरअसल, लाॅकडाउन होने की वजह से शराब दुकानें  बंद है, फलत: कुछ  दोस्तों ने स्पिरिट पीकर अपनी लत दूर करने की कोशिश की, मगर  उन्हे अपनी  जिंदगी से हाथ धोना पड़ गया.यह  घटना रायपुर के गोलाबाजार थाना क्षेत्र में बाँसटाल की है. यहां रहने वाले तीन लोगों ने शराब की जगह स्पिरिट का सेवन कर लिया . इससे उनकी तबियत बिगड़ गई. फिर इनमें से दो लोग असगर खान (43 वर्ष) और दिनेश समुंदर (45 वर्ष) की मौत हो गई है. रायपुर के महापौर  एजाज ढेबर बताते हैं - जिस तरह कोरोना वायरस के मद्देनजर शराब की दुकानें बंद की गई है. यह उसका ही असर है. महापौर ने बताया  उनके पास यह खबर भी आई है कि एक युवक ने शराब ना मिलने की वजह से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली .

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