आंदोलन कारोबारी की रीढ़ है किसान

लेखक- रोहित और शाहनवाज

पंजाब राज्य के होशियारपुर नगरनिगम क्षेत्र में घोषित हुए रिजल्ट कई सवालों के साथ उभरे हैं. इस शहर में नगरनिगम की कुल 50 सीटें हैं और उन में से 41 सीटें कांग्रेस के हिस्से जाना इसीलिए भी हैरान करता है, क्योंकि इस इलाके में मिडिल क्लास कारोबारी तबका, जो पहले भारतीय जनता पार्टी के साथ था, ने पाला बदला है.

कांग्रेस की टिकट से जीते वार्ड नंबर 40 के पार्षद अनमोल जैन का औफिस सराजा चौक पर बना था. इस के आसपास कोतवाली बाजार, सर्राफा बाजार, कपड़ा बाजार, शीशमहल बाजार थे. इन बाजारों की दुकानों के बाहर कांग्रेस और भाजपा के  झंडे साफ देखे जा सकते थे यानी होशियारपुर में जिस इलाके को दोनों पार्टियां अपने कंट्रोल में रखना चाह रही थीं, वह यही कारोबारी का इलाका था.

दिलचस्प यह था कि इन बाजारों के ज्यादातर दुकानदार जैन समुदाय से थे और यह समुदाय नगरनिगम के पिछले चुनावों में लगातार भाजपा को अपना मत देता आ रहा था.

ऐसे ही एक कपड़ा कारोबारी मानिक जैन ने वहां के कारोबारियों के कांग्रेस की तरफ शिफ्ट होने की वजह बताई. उन का मानना था कि पंजाब के लोकल कारोबारियों की रीढ़ किसान समाज ही है, जो उन्हें मजबूत करता है.

मानिक जैन कहते हैं, ‘इस बार यहां के कारोबारी साइलैंट वोटर थे, जो भाजपा के समर्थक भी थे. उन्होंने सामने से उम्मीदवार को ‘हां’ तो कह दिया, लेकिन बैकडोर से कांग्रेस को ही वोट दिया.’

मानिक जैन ने आगे बताया, ‘हमारी यह मार्केट 2 वजह से चलती है, एक एनआरआई और दूसरा किसान. एनआरआई अब यहां आ नहीं रहे हैं और किसान फिलहाल यहां हैं नहीं. हम कारोबारियों का मूल जुड़ाव किसानों के साथ है.

‘होशियारपुर शहर के बाहरी इलाके खेती कर रहे किसानों के ही हैं और यहां का कारोबारी यह बात नहीं भूल सकता कि यही किसान हमारे मूल ग्राहक भी हैं. इस समय कृषि कानूनों की वजह से किसान शहरों की तरफ खरीदारी करने कम आ रहे हैं, जिस के चलते होशियारपुर का बाजार मंदा पड़ा हुआ है.

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‘किसान निराशा में डूबे हैं. उन के शादीब्याह और किसी दूसरी तरह के फंक्शन में होने वाले खर्चे बंद हो गए हैं. इस से जो दुकान पहले 60 फीसदी चलती थी, वह अब 30-35 फीसदी पर आ गई है.

‘हमारे लिए ग्राहक ही सबकुछ हैं. अगर वे इस समय तकलीफ में हैं, तो  उन का समर्थन करना हमारा भी फर्ज बनता है.’

मानिक जैन दबी जबान से कहते हैं कि वे खुद भाजपा के कट्टर समर्थक हैं. उन्होंने अपनी दुकान के बाहर भाजपा का  झंडा दिखाते हुए हमें इस का इशारा किया. लेकिन जिस तरह की आर्थिक नीतियां भाजपा बना रही है, उस से उन का नुकसान हो रहा है.

जब एक और कारोबारी अमित जैन से पूछा गया कि क्या सिर्फ कृषि कानून के चलते ही उन्होंने भाजपा से दूरी बनाई है, तो वे जवाब देते हुए बोले, ‘बात सिर्फ कृषि की नहीं है. भाजपा मुद्दों को ले कर बात नहीं कर रही है. भाजपा ने वोट सिर्फ अपने नाम पर मांगे, काम पर नहीं. वे लोग ‘मोदीजीमोदीजी’ करते रहे. मोदीजी क्या यहां नगरनिगम के पार्षद बनेंगे? अभी इस समय महंगाई का हाल देख लो. पैट्रोलडीजल के दाम ऐसे बढ़ रहे हैं कि हमारा गाड़ी से चलना मुश्किल हो रहा है.

‘भाजपा तो बस अब ‘पिछली सरकार, पिछली सरकार’ की रट लगा कर घूमती है. अरे भई, जब शासन तुम्हारे हाथ में है तो तुम अपना बताओ न. महंगाई के लिहाज से देखा जाए तो पिछली सरकार तो इस से बेहतर थी. कम से कम इतनी महंगाई तो नहीं थी.’

कुछ कारोबारियों का कहना था कि सरकार के खिलाफ जो भी बोल रहा है, सरकार उसे देश के खिलाफ बता रही है. यही हाल आजकल किसानों के साथ हो रहा है.

कपड़े की दुकान चला रहे अंकित जैन ने बताया, ‘पहले से बढ़ती महंगाई में अब कपड़े पर भी 10 फीसदी रेट बढ़ा दिया गया है. ऐसे में ग्राहक कम आते हैं और महंगा सामान खरीदने से बचते हैं, जिस से दुकानदारी पर भारी असर पड़ रहा है. यहां भाजपा का गढ़ था, लेकिन लौकडाउन के समय जब लोगों को राशन पहुंचाने की बात थी तो भाजपा के लोग अपने लोगों को ही राशन बांटने में बिजी थे और आम लोगों को राशन नहीं मिल पा रहा था.’

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अंकित जैन ने अकाली दल के हारने की वजह बताते हुए कहा, ‘यहां अकाली दल वैसे भी खास मजबूत नहीं था. वह ज्यादातर गांवदेहात के इलाकों में मजबूत था, लेकिन रही बात अकाली दल की एक भी सीट न आने की तो गेहूं के साथ घुन पिसता ही है और अकाली दल  सिर्फ भाजपा के साथ होने का किया भोग रहा है.’

पार्षद अनमोल जैन ने मीडिया वालों के सवालों का कोई खास जवाब नहीं दिया और कहा, ‘अभी मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से यह हिदायत मिली है कि जब तक शपथ नहीं ले लेते, तब  तक मीडिया में किसी तरह की कोई बात  न रखें.’

अनमोल जैन फिलहाल वहीं सर्राफा बाजार में एक गहनों की दुकान के मालिक हैं और इस बदले समीकरण के लिए किसान आंदोलन के असर को खास वजह मानते हैं. उन की सोच है कि कृषि कानूनों के चलते किसान अब शादी जैसे फंक्शन में दुकानों से खुल कर सामान लेने से कतरा रहे हैं, जिस का असर कारोबारियों पर बहुत बुरा पड़ रहा है.

महंगाई मार गई

गरीब को तो लगातार बढ़ती महंगाई मार रही है. जालंधर शहर में चाय की टपरी चलाने वाले 52 साल के मोहन बिहार से हैं. वे पिछले 22 सालों से अपने परिवार के साथ जालंधर शहर की मिट्ठू बस्ती में रहते हैं, जो एक स्लम एरिया है. इस आंदोलन से उन के चाय वगैरह के धंधे पर  बुरा असर पड़ा है.

मोहन ने दुखी मन से कहा, ‘किसान आंदोलन के चलते हमारा धंधा बुरी तरह से पिट रहा है. आजकल शहरों में भीड़ ज्यादा नहीं हो रही है. गांवदेहात के लोग शहरों में बहुत कम आ रहे हैं. मैं रोडवेज बसों में चने बेचने का काम भी करता हूं, लेकिन आजकल कमाई बिलकुल भी नहीं हो रही है.

‘मैं रोज चना, प्याज, टमाटर, मसाला, नीबू चाट बनाने का सामान खरीदता हूं. लेकिन, इस हिसाब से कमाई बिलकुल भी नहीं हो रही है. मेरा तकरीबन 700-800 रुपए का सामान ही बिक पाता है, जिस में से 150 रुपए तो ठेकेदार को देने ही पड़ते हैं, चाहे सामान बेचो या न बेचो, सिर्फ 250-300 रुपए की कमाई हो पाती है.

‘इस बार की केंद्र सरकार सब से खराब है. हर समय महंगाई रहती है.  अब देखो प्याज की कीमत आजकल  50 रुपए प्रति किलो चल रही है.

‘मैं अपने परिवार के साथ किराए पर रहता हूं. मिट्ठू बस्ती  झुग्गी इलाका है. वहां भी किराया 3-4 हजार रुपए हर महीने है. हम गरीब लोग तो बढ़ती महंगाई में मारे जाते हैं.’

‘जिस ठेकेदार के नीचे मैं काम करता हूं, वह अब 11-12 साल के बच्चों को नेपाल से काम करने के लिए यहां उठा लाया है. वह बच्चे भी हमारी तरह चलती बस में सामान बेचने के लिए चढ़तेउतरते हैं. कोई मास्क बेचता है, कोई पानी की बोतल, तो कोई मूंगफली और समोसा. वे बच्चे चरसगांजा पीते हैं. यह उन के लिए बहुत खतरनाक बात है.’

गरीबों को ही खत्म करेंगे

पंजाब में हाल ही में हुए निकाय चुनावों में भारतीय जनता पार्टी के लिए गुस्सा साफतौर पर देखा जा सकता है.

मोगा में 63 साल के ओम प्रकाश और उन के 30 साल के बेटे धनपत राय की मिट्टी के बरतनों  की दुकान है. यह दुकान मोगा के मेन मार्केट रोड पर आते हुए वार्ड नंबर 20-21 में पड़ती है, जो मेन रोड से काफी अंदर की तरफ है.

ओम प्रकाश ने इस गली की खासीयत के तौर पर बताया कि इस गली की शुरुआत में फिल्म कलाकार सोनू सूद का घर है.

वैसे तो ओम प्रकाश और उन का परिवार उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं, लेकिन लंबे समय से वे मोगा में ही रहते हैं और अब पंजाब के स्थानीय निवासी हो चुके हैं. उन की दुकान पर मिट्टी से बने बरतन, चूल्हा, घड़े और सजावट का दूसरा सामान बिकता है.

जब ओम प्रकाश के बेटे धनपत राय से पूछा गया कि यहां पर भाजपा का इतना बुरा हाल क्यों हुआ है, तो उन्होंने बताया, ‘यह तो नगरनिगम के चुनाव थे. यहां जो उम्मीदवार खड़े होते हैं, वे इन्हीं गलीमहल्लों के होते हैं. निगम के चुनाव में लोग पार्टी चाहे कैसी भी हो, कई बार उम्मीदवार के चालचलन, बातबरताव और उठनेबैठने के चलते ही जिता देते हैं. लेकिन भाजपा का अगर यह हाल हुआ है तो कुछ तो बात रही ही होगी.

‘मसला यह है कि जनता अभी भाजपा के फैसलों से परेशान है. नरेंद्र मोदी जो भी फैसले कर रहे हैं, वे बिना सोचेसम झे कर रहे हैं.

‘जिस इनसान के पास खाने के लिए पैसा नहीं है, वह क्या करेगा? एक दिहाड़ी मजदूर, जो यहां 200-300 रुपए रोजाना कमा रहा था, उस के लिए अब इतना कमाना भी बहुत मुश्किल हो गया है. ऊपर से जो पिछले साल लौकडाउन लगा, उस ने देश की कमर तोड़ दी. मेरे सामने तो एक भी ऐसा मामला नहीं है, जहां केंद्र सरकार ने गरीब को कोई फायदा पहुंचाया हो. यही वजह भी है कि भाजपा से लोग नाराज हैं.’

ओम प्रकाश के 2 बेटे हैं, जिन में से छोटे बेटे धनपत ने ग्रेजुएशन की पढ़ाई और कंप्यूटर में डिप्लोमा किया हुआ है, इस के बावजूद वह बेरोजगार है.

इस बारे में धनपत ने बताया, ‘सरकार ने रोजगार के कोई मौके नहीं पैदा किए हैं. यह बात नहीं है कि योजनाएं नहीं हैं, लेकिन उन योजनाओं का असर जमीन पर होता हुआ दिखाई नहीं देता. बाजार में कुछ कामधंधा ही नहीं होगा, तो मेरे जैसे नौजवान आखिर करेंगे ही क्या?

‘मैं ने डिगरी ले ली, डिप्लोमा भी लिया हुआ है, फिर भी पापा के साथ दुकान पर बैठने को मजबूर हूं. मेरी उम्र 30 साल है और ऐसा नहीं है कि मैं नौकरी नहीं करना चाहता, लेकिन नौकरी मिल ही नहीं रही. जहां बात बनती है, वहां तनख्वाह 5-6 हजार रुपए महीना है. क्या उस से गुजारा हो सकता है?’

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यह बोल कर धनपत कुछ देर लिए शांत हो गए, फिर एकाएक जोश में बोले, ‘चुनाव के समय नरेंद्र मोदी ने कहा था कि हर साल 2 करोड़ नौकरियां देंगे, लेकिन कहां है काम? हम तो अच्छे दिनों का सपना देख रहे थे, लेकिन हमें क्या पता था कि घर बैठने की नौबत आ जाएगी.’

इस बीच धनपत एनएसएसओ की राष्ट्रीय बेरोजगारी की उस रिपोर्ट को याद करने की कोशिश करने लगे, जो साल 2019 में ‘बिजनैस स्टैंडर्ड’ अखबार में छपी थी.

वे कहते हैं, ‘अच्छे दिनों की सरकार से हम ने क्या पाया है, कोई नहीं जानता. सब हवाहवाई चल रहा है. अभी पीछे एक आंकड़ा आया था, जिस में भारत 45 साल की सब से ज्यादा बेरोजगारी  झेल रहा है. इस में कोई दोराय नहीं कि लौकडाउन के बाद यह आंकड़ा और भी बढ़ गया होगा.’

इतने में धनपत के पिता ओम प्रकाश ने अंदर दुकान की ओर जा कर वहां रखे मटकों की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘मार्केट ठप है. हम ने यह दुकान खोली, ताकि जिंदगी पटरी पर आ सके, लेकिन हाल यह है कि सुबह  7 बजे से रात के 10 बजे तक दुकान में बैठने के बावजूद हमारी कमाई 500 रुपए तक की भी नहीं है. कभीकभी तो गल्ला खाली भी देखना पड़ जाता है.’

धनपत ने बताया कि उन की यह दुकान साल 2016 तक परचून की दुकान हुआ करती थी, लेकिन उन्होंने इसे बाद में मिट्टी के बरतन व सामान बेचने वाली दुकान में बदल लिया और अपना जातिगत पेशा करना ही ज्यादा बेहतर सम झा.

ओम प्रकाश ने बताया, ‘महंगाई बहुत है. घर के खर्चे पूरे नहीं हो रहे हैं. पहले यह था कि घर का एक आदमी कमाता था और जैसेतैसे काम चल जाता था. लेकिन अब तो सारे भी कमा लें, फिर भी भुखमरी बनी रहती है.

‘हर चीज महंगी हो रही है. पैट्रोल 100 रुपए पार कर गया है, सिलैंडर का रेट बढ़ गया है, सब्सिडी खत्म हो गई है. आम लोगों के लिए अब कुछ भी सस्ता नहीं रहा है.

‘नरेंद्र मोदी अच्छे दिनों की बात कर रहे थे… देखो, अच्छे दिन आ गए हैं. देश ‘खुशहाल’ बन गया है. मोदी गरीबी खत्म करने के लिए आए थे और अब लग रहा है कि वे चुनचुन कर गरीबों को खत्म कर के ही गरीबी दूर करेंगे.’

Crime Story- रवि पुजारी: भाग 1

सौजन्य- मनोहर कहानियां

करीब 20 सालों से फरार रंगदारी, हत्या समेत लगभग 200 मामलों में वांटेड फिल्मी हस्तियों, बिल्डरों, नेताओं और बिजनैसमैनों को धमकी दे कर पैसे की उगाही करने वाला कुख्यात गैंगस्टर रवि पुजारी आखिर पकड़ा ही गया. कर्नाटक पुलिस उसे पश्चिमी अफ्रीकी देश सेनेगल से भारत ले तो आई, पर क्या उस का अंजाम भी छोटा राजन जैसा ही…

अंडरवर्ल्ड डौन रवि पुजारी करीब 2 साल के अथक प्रयास के बाद आखिर पश्चिमी अफ्रीकी देश

सेनेगल की राजधानी डकार से नाटकीय ढंग से एक नाई की दुकान से पुलिस के हाथ लग ही गया. डौन रवि पुजारी 90 के दशक का मुंबई का सक्रिय अपराधी रह चुका था.

उस के खिलाफ ही नहीं, उस की पत्नी के खिलाफ भी इंटरपोल का रेड कार्नर नोटिस जारी था. लेकिन वह लंबे समय से फरार चल रहा था. वह बहुत ही चालाक अपराधी था, इसलिए उसे पकड़ने के लिए काफी सतर्कता बरती गई थी.

रवि पुजारी कई बार पुलिस के हाथों से निकल चुका था. उसे पकड़ने के लिए सेनेगल पुलिस 3 बसों में भर कर पहुंची थी और उसे चारों तरफ से घेर लिया था.

रवि पुजारी की कहानी भी वैसी ही है, जैसी आम बदमाशोें या अंडरवर्ल्ड डौन की होती है. मूलरूप से वह मंगलुरु का रहने वाला था. मंगलुरु में एक जगह है माल्पे, जहां वह 1968 में पैदा हुआ था.

उस के पिता शिपिंग फर्म में काम करते थे. रवि पढ़ाई में काफी कमजोर था. लगातार फेल होने की वजह से उसे स्कूल से निकाल दिया गया. बचपन से ही उसे फिल्मों का बहुत शौक था. स्कूल से निकाले जाने के बाद अपने इसी शौक की वजह से रवि मुंबई आ गया था. मुंबई में रोजीरोटी के लिए यह अंधेरी में एक चाय की दुकान पर काम करने लगा, जहां वह लोगों को चाय सर्व करता था.

रवि पुजारी की मुंबई में यह शुरुआत थी. यह उस समय की बात है, जब मुंबई के पुराने डौन खत्म हो रहे थे और नएनए डौन उभर रहे थे. उन में दाऊद इब्राहीम और छोटा राजन मुख्य थे. रवि पुजारी जिस चाय की दुकान पर काम करता था, उस दुकान पर इलाके के तमाम मवाली और गुंडे चाय पीने आते थे. उन का रौबदाब और शाही रहनसहन देख कर रवि पुजारी उन मवालीगुंडों से काफी प्रभावित था.

फलस्वरूप रवि पुजारी भी जुर्म की दुनिया में अपना नाम कमाने के बारे में सोचने लगा. संबंध बनाने के लिए वह ऐसे लोगों की खूब आवभगत करता था. उन्हें बढि़या से बढि़या चाय बना कर पिलाता था. उन से दोस्ती करने की कोशिश करता था.

उस दुकान पर आनेजाने वाले मवालीगुंडों में रोहित वर्मा और विनोद मटकर नाम के 2 गुंडे भी थे. ये दोनों छोटा राजन के लिए काम करते थे. एक तरह से ये छोटा राजन के शूटर थे. उस समय छोटा राजन दाऊद इब्राहीम के लिए काम करता था. यह 80 के दशक यानी सन 90 के पहले की बात है.

उसी इलाके में एक गैंगस्टर और था, जिस का नाम था बाला जाल्टे. बाला जाल्टे और रोहित वर्मा के बीच किसी बात को ले कर ठनी हुई थी. एक दिन रोहित वर्मा अपने साथियों के साथ वहां पहुंचा और बाला जाल्टे की गोली मार कर हत्या कर दी. कहा जाता है कि बाला जाल्टे की हत्या करने के लिए हथियार रवि पुजारी ने ही ला कर दिया था.

इस के बाद रोहित वर्मा की रवि पुजारी से दोस्ती हो गई. रवि पुजारी शूटर बनना चाहता ही था, इसलिए जल्दी ही वह रोहित वर्मा के करीब आ गया. रोहित वर्मा ने उस से वादा किया कि वह उसे छोटा राजन से मिलवा देगा.

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करीब आने के बाद रोहित वर्मा उस से छोटेमोटे काम कराने के साथसाथ उसे टे्रनिंग दे कर शूटर बनाने लगा, जो वह जल्दी ही बन भी गया. उस का नाम भी छोटा राजन के शूटरों में जुड़ गया और धमकी दे कर उस के पास पैसा आने लगा. उस का निशाना होते थे फिल्म वाले, बिल्डर, नेता, होटल मालिक और बिजनैसमैन. जरूरत होती तो वह बात न मानने पर किसी की हत्या भी करा देता था.

हथियार हाथ में आया तो रवि का ठिकाना मुंबई ही नहीं, कर्नाटक भी बन गया. जान से मारने की धमकी दे कर वह बिल्डरों, बिजनैसमैनों और नेताओं से लाखोंकरोड़ों वसूलता था.

जल्दी ही कर्नाटक में उस के खिलाफ 90 केस दर्ज हो गए. इन में से 37 केस बेंगलुरु में और 36 मेंगलुरु में दर्ज हुए. सरकार तक बात पहुंची तो उसे पकड़ने के लिए स्पैशल टीम बनाई गई. जो कर्नाटक, मुंबई में उसे सब जगह ढूंढ रही थी.

पैसा आया तो रवि पुजारी दुबई चला गया और वहीं से अपने टारगेट को धमकी दे कर वसूली करने लगा. रवि पुजारी से लोग काफी परेशान हो चुके थे. वह देश में भले नहीं था, लेकिन उस की दहशत काफी थी. इसी वजह से उसे ले कर कर्नाटक पुलिस काफी परेशान थी. अंतत: कर्नाटक सरकार ने पुलिस टीम से कहा कि रवि पुजारी नाम की इस आफत का किसी भी तरह पता लगाओे और उसे गिरफ्तार कर के भारत ले आओ.

2 मार्च, 2018 को कर्नाटक के एडीजीपी अमर कुमार पांडेय की अगुवाई में पुलिस की एक टीम बना कर रवि पुजारी को गिरफ्तार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई. पुलिस को रवि पुजारी की गिरफ्तारी की जिम्मेदारी तो सौंप दी गई, लेकिन उस के बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं थी.

सिर्फ इतना पता था कि 20 साल पहले 1990 में वह मुंबई से दुबई गया था और वहां से वह लोगों को धमका कर पैसे मांगता था. कर्नाटक और मुंबई में उस के कई शूटर थे. पुलिस टीम ने पता लगाना शुरू किया तो जानकारी मिली कि रवि दुबई से युगांडा गया और वहां से केन्या. कुछ समय वह आस्ट्रेलिया में भी रहा. आस्ट्रेलिया छोड़ कर अब वह साउथ अफ्रीका में कहीं रह रहा है. रवि का टैरर गुजरात में भी था. वहां उस के कई साथी भी थे. गुजरात की एसटीएफ को भी उस की तलाश थी.

रवि पुजारी के बारे में पुलिस के पास कोई निश्चित जानकारी नहीं थी. काफी कोशिश के बाद भी उस का पता नहीं चल पा रहा था. इस की एक वजह यह भी थी कि रवि पुजारी थोड़ा अलग किस्म का डौन था. वह टेक्नोलौजी का उपयोग बहुत कम करता था, जिस से किसी को उस का सुराग नहीं मिल पा रहा था.

इस के बावजूद उस का वसूली का धंधा धड़ल्ले से चल रहा था. वह मुंबई में ही नहीं, कर्नाटक, केरल, उत्तर प्रदेश और गुजरात तक लोगों को धमकी दे कर वसूली कर रहा था.

रवि पुजारी को गिरफ्तार करने के लिए एडीजीपी अमर कुमार पांडेय की अगुवाई में टीम बन गई थी. उसे गिरफ्तार करने के लिए टीम ने अपने मुखबिर लगा दिए. क्योंकि उस के आदमी तो भारत में थे ही, जिन के माध्यम से वह वसूली कर रहा था.

उन्हीं मुखबिरों से पुलिस टीम को पता चला कि मंगलुरु में एक ऐसा आदमी है, जिसे रवि पुजारी के बारे में हर छोटी से छोटी जानकारी है. दबिश दे कर पुलिस ने उस आदमी को उठा लिया.

दबाव में आ कर वह आदमी वादामाफ गवाह बन कर रवि पुजारी की हर छोटी से छोटी जानकारी देने लगा. लेकिन उस आदमी द्वारा दी गई जानकारी से भी पुलिस को कोई खास सफलता नहीं मिली.

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उसी दौरान पुलिस को कर्नाटक के एक और डौन बन्नाजी राजा के बारे में पता चला. वह मोरक्को में रह रहा था. सन 2015 में उसे मोरक्को से पकड़ कर भारत लाया गया.

पुलिस को लगा था कि बन्नाजी राजा और मंगलुरु से पकड़े गए आदमी से रवि पुजारी के बारे में कुछ इस तरह की जानकारी मिल जाएगी कि उस तक पहुंचा जा सके. पर दोनों से ही इस तरह की कोई जानकारी नहीं मिली.

फिर भी पुलिस दोनों से लगातार बातचीत करती रही. इस बातचीत में रवि पुजारी के साथी ने पुलिस टीम को बताया कि वह रेस्टोरेंट की चेन खोलना चाहता था. चूंकि वह इंडिया में मोस्टवाटेंड था, इसलिए उस ने अपना नाम भी बदल लिया था. उसे एक नाम बहुत पसंद था और वह था एंथोनी फर्नांडीज.

रवि का परिवार भी नहीं लगा हाथ

पुलिस को रवि पुजारी का नाम तो पता चल गया था, पर इतनी बड़ी दुनिया में किसी को सिर्फ नाम के सहारे तो नहीं ढूंढा जा सकता था. फिर भी पुलिस उस के पीछे लगी रही. रवि पुजारी की पत्नी पद्मा दिल्ली में अपनी सास, 2 बेटियों और बेटे के साथ रह रही थी.

सन 2005 में वह फरजी पासपोर्ट बनवाने के आरोप में गिरफ्तार हुई थी. लेकिन जमानत होते ही अपनी बेटियों और बेटे के साथ अचानक फरजी पासपोर्ट के सहारे गायब हो गई थी. पुलिस ने जब उस के बारे में पता लगाया तो पता चला कि वह भाग कर अपने पति रवि पुजारी के पास पहुंच गई है.

इस के बाद पुलिस रवि की खोज में और जोरशोर से लग गई. आखिर पुलिस की कोशिश रंग लाई और इस बार एक अहम जानकारी यह मिली कि रवि को अफ्रीका के एक पश्चिमी अफ्रीकी देश सेनेगल की राजधानी डकार में देखा गया है.

पुलिस ने अपने मुखबिरों से उस के बारे में पता किया, पर कोई पुख्ता जानकारी नहीं मिली. इसी बीच पुलिस को अपने सूत्रों से पता चला कि रवि पुजारी पश्चिमी अफ्रीकी देश बुर्कीना फासो में देखा गया है. लेकिन वह वहां से निकल गया.

उसी दौरान पुलिस को कुछ फोटो मिले, जिन्हें रवि पुजारी के 20 साल पुराने फोटो से मिलाया गया. वे फोटो पूरी तरह तो नहीं मिल रहे थे, फिर भी ऐसा लग रहा था कि फोटो उसी के हैं.

इस के बाद कर्नाटक पुलिस ने अपने मुखबिरों को सतर्क कर दिया. स्थानीय पुलिस की भी मदद ली गई. तब पुलिस को पता चला कि बुर्कीना फासो में एंथोनी फर्नांडीज नाम का एक आदमी रह रहा है. वहां पर एक रेस्टोरेंट की चेन चल रही है, जिस का नाम है नमस्ते इंडिया.

अगले भाग  में पढ़ें- बहुत चालाक निकला रवि पुजारी

Crime Story- रवि पुजारी: भाग 2

सौजन्य- मनोहर कहानियां

रवि पुजारी भी इंडिया का था और रेस्टोरेंट की चेन का भी नाम नमस्ते इंडिया था. उस के इंडिया वाले साथी ने पुलिस को बताया भी था कि वह रेस्टोरेंट की चेन खोलना चाहता था. इस से लगा कि हो न हो ये नमस्ते इंडिया नाम के जो रेस्टोरेंट हैं, वे रवि पुजारी के ही हों. इस का मतलब था कि इन का मालिक एंथोनी फर्नांडीज ही रवि पुजारी है.

मुखबिरों और स्थानीय पुलिस से कर्नाटक पुलिस को पता चला कि नमस्ते इंडिया रेस्टोरेंट की चेन का मालिक एंथोनी फर्नांडीज बुर्कीना फासो के कंबोडिया इंटरनैशनल स्कूल के पास रहता है. इस के बाद पुलिस ने उस घर के जरिए काफी जानकारियां जुटाईं.

पुलिस अब उस घर की निगरानी करने लगी थी कि शायद रवि पुजारी के बारे में और कोई पुख्ता जानकारी मिल जाए.

उसी दौरान अक्तूबर, 2018 में पुलिस को पता चला कि सेनेगल में नमस्ते इंडिया रेस्टोरेंट की जो चेन चल रही है, उस का मालिक डांडिया नाइट करा रहा है. उस डांडिया नाइट में वही सब होगा, जो इंडिया में डांडिया नाइट में होता है. इस के बाद पुलिस ने मुखबिर के जरिए उस डांडिया नाइट की वीडियो और तस्वीरें हासिल कीं. उस वीडियो में पुलिस ने देखा कि एंथोनी फर्नांडीज वहां के लड़कों से हाथ मिला रहा है और डांस कर रहा है. पुलिस ने उन तसवीरों को गौर से देखा तो 20 साल पहले के रवि पुजारी से एंथोनी फर्नांडीज की शक्ल काफी मिलतीजुलती लगी.

लेकिन पुलिस के लिए इतना काफी नहीं था. पुलिस और सबूत जुटाती, उस के पहले ही एंथोनी फर्नांडीज बुर्कीना फासो से गायब हो गया. लेकिन वहां स्थित पुलिस के मुखबिर उस के बारे में पता करने में लगे थे. पुलिस को उन मुखबिरों से पता चला कि डकार में भी नमस्ते इंडिया रेस्टोरेंट की चेन है.

पुलिस मुखबिरों की मदद से डकार में नमस्ते इंडिया नाम के रेस्टोरेंट्स पर नजर रखने लगी.

पुलिस इस चक्कर में थी कि शायद यहां से भी उस की कुछ तसवीरें मिल जाएं. तभी पता चला कि डकार में नमस्ते इंडिया रेस्टोरेंट की ओर से वहां एक क्रिकेट मैच कराया जा रहा है, जिस का नाम है इंडियन क्रिकेट क्लब सेनेगल.

इस क्रिकेट मैच के आर्गनाइजरों में जो नाम थे, उन में एक नाम एंथोनी फर्नांडीज का भी था. इनविटेशन कार्ड में जो फोन नंबर थे, उन में एक नंबर बुर्कीना फासो स्थित एंथोनी फर्नांडीज के घर का था, इस से पुलिस को लगा कि यह वही आदमी है.

जहां मैच हो रहा था, पुलिस ने मुखबिर के जरिए उस पर नजर रखी. जिस समय क्रिकेट खेला जा रहा था, उसे इंडियन जर्सी में मैच देखते पाया गया. मुखबिर द्वारा पुलिस को उस की फोटो भी मिल गई. इस बार टेक्नोलौजी के जरिए रवि पुजारी की 20 साल पहले की फोटो से मिलाई गई तो साफ हो गया कि एंथोनी फर्नांडीज ही रवि पुजारी है.

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बहुत चालाक निकला रवि पुजारी

नाम, रेस्टोरेंट की चेन और फोटो से यह बात जाहिर हो गई कि एंथोनी फर्नांडीज ही रवि पुजारी है तो कर्नाटक पुलिस ने कर्नाटक सरकार की मदद से सेनेगल सरकार से संपर्क किया. कहा जाता है कि सेनेगल के राष्ट्रपति मैकी शाल अपराध और अपराधी से बहुत नफरत करते हैं.

उन्होंने कई देशों के गैंगस्टरों को पकड़वा कर उन के देश भेजा भी था. इस से उम्मीद जागी कि वह रवि पुजारी को भी गिरफ्तार कराने में जरूर मदद करेंगे.

भारत सरकार ने इंटरपोल के जरिए इस बात के सारे दस्तावेज सेनेगल की सरकार को सौंपे कि भारत को रवि पुजारी की 100 से ज्यादा मामलों में तलाश है तो वहां के राष्ट्रपति ने मदद करने का वादा ही नहीं किया, बल्कि अपनी पुलिस और इंटेलिजेंस को

नमस्ते इंडिया रेस्टोरेंट पर नजर रखने के लिए लगा दिया.

महीनों की कोशिश के बाद जब निश्चित हो गया कि एंथोनी फर्नांडीज नाम का आदमी ही रवि पुजारी है तो रविवार के दिन जब वह सैलून गया तो सेनेगल की पुलिस ने उसे दबोच लिया.

इस के बाद कर्नाटक पुलिस को सूचना दी गई. पुलिस को पूरा विश्वास था कि अब रवि पुजारी को उन्हें सौंप दिया जाएगा. लेकिन रवि पुजारी कर्नाटक पुलिस से भी ज्यादा होशियार निकला.

उस ने पुलिस वालों, कुछ माफियाओं और अपने लोगों के जरिए बुर्कीना फासो में अपने खिलाफ धोखाधड़ी का एक पुराना मामला दर्ज करा दिया. सेनेगल का यह कानून है कि किसी भी आदमी के खिलाफ अगर वहां कोई मामला दर्ज है, तो जब तक उस का निपटारा नहीं हो जाता, उसे किसी भी देश को नहीं सौंपा जा सकता.

रवि पुजारी के मामले में भी यही हुआ. उस के खिलाफ मामला दर्ज होते ही वहां की सरकार ने फैसला आने तक उसे सौंपने से मना कर दिया. इस तरह रवि पुजारी पुलिस के हाथ आतेआते रह गया.

धोखाधड़ी का मामला बहुत गंभीर नहीं था, इसलिए पुलिस को लगा कि यह जल्दी ही निपट जाएगा. परंतु मामला गंभीर न होने की वजह से रवि पुजारी को जमानत मिल गई. जमानत इस शर्त पर मिली थी कि वह सेनेगल छोड़ कर कहीं नहीं जाएगा. जबकि रवि पुजारी को इसी का इंतजार था.

वह जनवरी, 2019 में पकड़ा गया था, फरवरी में जमानत मिली. जमानत इस शर्त पर मिली थी कि वह सेनेगल से बाहर नहीं जाएगा, परंतु जमानत मिलते ही वह गायब हो गया. इस के बाद एक बार फिर उस की तलाश शुरू हुई.

8-9 महीने बाद फिर उस का पता चला. इस बार वह साउथ अफ्रीका में मिला. वहां से भारत लाने में काफी दिक्कतें पेश आतीं, इसलिए भारत के अनुरोध पर साउथ अफ्रीका से गिरफ्तार कर के उसे सेनेगल ले जाया गया.

सेनेगल में धोखाधड़ी का एक मुकदमा उस पर पहले से ही था, दूसरा जमानत तोड़ने का हो गया था. लेकिन दोनों ही मामले ज्यादा गंभीर नहीं थे, इसलिए दोनों मामलों में उसे जल्दी ही सजा सुना दी गई. जिसे पूरा करतेकरते सन 2019 बीत गया.

फरवरी, 2020 में सजा पूरी होते ही सेनेगल सरकार ने उसे भारत की कर्नाटक पुलिस के हवाले कर दिया. उस के बाद कर्नाटक पुलिस उसे 22 फरवरी, 2020 को भारत ले आई.

कैसे बना छोटा राजन का खास

1993 में जब मुंबई में बम धमाके हुए तो दाऊद इब्राहीम और छोटा राजन के बीच दुश्मनी हो गई. दोनोें ने अपनेअपने अलग गैंग बना लिए. दाऊद से अलग होने के बाद छोटा राजन बैंकाक चला गया और वहीं से अपना गैंग चलाने लगा.

रवि पुजारी भी बैंकाक में छोटा राजन से मिलने गया. पहली बार बैंकाक में उस की मुलाकात छोटा राजन से हुई. इस के बाद छोटा राजन से उस की बातचीत होने लगी. जबकि अभी तक वह छोटा राजन के लिए रोहित वर्मा के माध्यम से काम करता था. अब वह उस के लिए सीधे काम करने लगा था.

रवि पुजारी अब छोटा राजन के कहने पर मुंबई में बिल्डरों, नंबर दो का बिजनैस करने वालों और फिल्मी दुनिया से जुड़े लोगों से उगाही करने लगा. इस के बाद रवि पुजारी की छोटा राजन से अच्छी दोस्ती हो गई. वह उसे काफी इज्जत देने लगा. लेकिन अभी भी वह रोहित वर्मा को ज्यादा महत्त्व देता था.

रवि पुजारी के साथ ही एक और शूटर था गुरु साटम. दोनों में अच्छी बनती थी. इन्हें एक बात खटकती थी कि मोटी रकम वसूल कर के तो वे दोनों छोटा राजन को देते हैं, जबकि छोटा राजन उन दोनों के बजाय रोहित वर्मा पर ज्यादा विश्वास ही नहीं करता, बल्कि ज्यादा महत्त्व भी देता है.

इसी बात को ले कर दोनों के मन में छोटा राजन के प्रति खटास पैदा होने लगी. वे दोनों उस से अलग हो कर अपना गैंग बनाना चाहते थे. तभी दाऊद के खास छोटा शकील ने बैंकाक में छोटा राजन पर हमला करा दिया, जिस में वह बालबाल बच गया, लेकिन रोहित वर्मा उस हमले में मारा गया.

इस के बाद हालात काफी बदल गए. छोटा राजन को अपनी जान बचाने के लिए ठिकाना ढूंढना पड़ा, तो रवि पुजारी ने अपना खुद का गैंग बना लिया. गुरु साटम उस के साथ था ही. बैंकाक में ही रह कर उस ने उगाही का काम शुरू भी कर दिया. उस का एक ही लक्ष्य था बहुत बड़ा डौन बनना और खूब पैसा कमाना.

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उस समय मुंबई में अंडरवर्ल्ड के 2 ही बड़े गैंग थे. एक दाऊद इब्राहीम का और दूसरा छोटा राजन का. छोटा राजन पर हमले के बाद उस का गैंग थोड़ा कमजोर पड़ गया था. इसी का फायदा उठा कर रवि पुजारी ने अपना गैंग बनाया और लोगों को धमका कर वसूली शुरू कर दी.

इस के लिए उस ने उगाही का अपना अलग ही रास्ता अपनाया. वह उन लोगों की लिस्ट पहले ही बना लेता था, जिन से वसूली करनी होती थी, साथ ही यह भी तय कर लेता था कि किस से किस तरह और कितना पैसा लेना है.

उस ने अपनी उस लिस्ट में कुछ नेताओं, बिल्डरों, फिल्मी दुनिया से जुड़े लोगों, होटल मालिकों के अलावा 2 नंबर का काम करने वाले इस तरह के लोगों को शामिल किया, जिन से उगाही की जा सकती थी.

अपनी इस लिस्ट में उस ने नेताओं और फिल्मी हस्तियों का नाम इसलिए शामिल किया, क्योंकि उन से पैसे भले न मिलें, पर पब्लिसिटी जरूर मिले. वह किसी को भी फोन कर के पैसे देने के लिए कह कर वादा करता था कि अगर वे उसे पैसे देंगे तो वह सुरक्षित तो रहेंगे ही, साथ ही वह उन्हें दूसरे अंडरवर्ल्ड के लोगों से भी बचाएगा.

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Crime Story- रवि पुजारी: भाग 3

सौजन्य- मनोहर कहानियां

जान सब को प्यारी होती है, लोग डर के मारे रवि पुजारी को पैसे देने लगे. जिस ने उसे पैसे नहीं दिए, उन पर उस ने हमला भी करवाया. अपनी दहशत फैलाने के लिए उस ने 1990 में चेंबूर में कुकरेजा बिल्डर के मालिक ओमप्रकाश कुकरेजा की हत्या करवा दी थी.

इस के बाद उस ने नवी मुंबई के बिल्डर सुरेंद्र बाधवा पर भी हमला कर के उन की हत्या करानी चाही, पर उन्होंने भाग कर किसी तरह अपनी जान बचा ली थी.

रवि पुजारी ने भारत में रहना ठीक नहीं समझा. क्योंकि वह जानता था कि भारत में रहने पर वह कभी भी पकड़ा जा सकता था. इसलिए वह पहले आस्टे्रलिया गया और फिर वहां से अफ्रीकी देश सेनेगल पहुंच गया और वहीं पर अपना स्थाई ठिकाना बना लिया.

क्योंकि अभी तक वहां भारत के किसी अन्य डौन की पहुंच नहीं थी. वह वहां से मुंबई पुलिस को फोन कर के कहता था कि पुलिस के वे लोग भी उस के निशाने पर हैं, जो दाऊद की मदद करते हैं.

धीरेधीरे उस ने अपना वसूली का काम बढ़ा दिया. इसी के साथ उस ने रेस्टोरेंट की चेन नमस्ते इंडिया नाम से सेनेगल के शहरों में रेस्टोरेंट खोलने शुरू कर दिए. उसी बीच उस ने अपना नाम ही नहीं बदला, बल्कि एंथोनी फर्नांडीज नाम से अपना पासपोर्ट भी बनवा लिया. अब वह बुर्कीना फासो का निवासी बन गया.

रवि पुजारी लोगों को इंटरनेट के जरिए फोन करता था, जिस की वजह से पता नहीं चल पाता था कि फोन कहां से किया गया है. वह फोन कर के लोगों से पैसे मांगता और कहता कि अगर पैसे नहीं दिए तो जान से जाओगे. वह उन्हें ज्यादा से ज्यादा तीन दिनों का समय देता था.

रवि पुजारी ने कुछ ऐसे लोगों को भी फोन कर के धमकियां दीं, जिन से उसे कुछ मिला तो नहीं, पर उस की पब्लिसिटी जरूर हुई. ऐसे लोगों में गुजरात के विधायक जिग्नेश मेमानी और केरल के विधायक पी. जार्ज भी शामिल थे. पुलिस का कहना है कि वह ऐसा जानबूझ कर करता था.

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पब्लिसिटी का भूखा था रवि

उस ने उत्तर प्रदेश के एक ब्लौक प्रमुख अरुण सिंह को भी फोन कर के 5 करोड़ रुपए मांगे थे. उस ने कहा था कि अगर उन्होंने उसे पैसे नहीं दिए तो वह उन्हें ठोक देगा. अरुण सिंह अपनी सुरक्षा के लिए एसएसपी के पास पहुंच गए. यहां स्पष्ट कर दें कि नाम के आगे पुजारी लगा होने से लोग उसे उत्तर प्रदेश का रहने वाला समझते थे.

रवि पुजारी को अरुण सिंह से मिला तो कुछ नहीं, पर यह धमकी खबर बन गई. उत्तर प्रदेश के अखबारों में भी उस के बारे में खूब छपा. इस के बाद उत्तर प्रदेश के लोग भी उस के बारे में जान गए.

दरअसल उसे मीडिया में अपनी पब्लिसिटी का बहुत शौक था. इसीलिए वह इस तरह के नेताओं, बड़ीबड़ी फिल्मी हस्तियों को फोन कर के धमकाता था.

वह जानता था कि इस तरह के लोगों को फोन करने से उस की बात मीडिया वालों तक पहुंचेगी और मीडिया वाले उस की खबर छापेंगे या टीवी पर दिखाएंगे तो आम लोगों में उस की दहशत फैलेगी और उसे उगाही करने में आसानी रहेगी.

उस ने फिल्मी हस्तियों सलमान खान, शाहरुख खान, अक्षय कुमार, महेश भट्ट, प्रीति जिंटा, नेस वाडिया, करन जौहर, फरहान अख्तर आदि को फोन कर के मोटी रकम मांगी थी. करिश्मा कपूर के पूर्व पति को भी उस ने पैसों के लिए ईमेल भेजा था. उन से उस ने 50 करोड़ रुपए मांगे थे. उस ने महेश भट्ट को धमकी देने के बाद अपने लड़कों को भेज कर उन के घर के बाहर गोलियां भी चलवाई थीं.

प्रीति जिंटा और नेस वाडिया को फोन करने के बाद उस ने प्रैस वालों को फोन कर के सफाई दी थी कि वह प्रीति जिंटा की बड़ी इज्जत करता है, वह बड़ी एक्ट्रैस हैं. उन का तो वह फैन है. उन के साथ भला वह ऐसा कैसे कर सकता है. वह गलत कह रही हैं. इसी तरह नेस वाडिया के बारे में भी उस ने कहा था कि उसे किसी वाडिया का नंबर चाहिए था, इसलिए फोन किया था.

अलग तरह का डौन

रवि पुजारी के बारे में यह भी कहा जाता है कि रंगदारी वसूली की जो प्रोफेशनल रूपरेखा है, वह इसी की देन है. ऐसे तमाम लोग हैं, जिन्होंने उसे मोटी रकम दी है. क्योंकि उसने जिस तरह सेनेगल में रेस्टोरेंट बनवाए हैं, उस से साफ लगता है कि वह इसी तरह की गई उगाही के पैसों से बने हैं.

कहा जाता है कि उस ने गुजरात के एक बिल्डर से करोड़ों रुपए वसूले थे. लेकिन इस तरह पैसे देने वाले जल्दी सामने नहीं आते. इसलिए इस मामले में कोई शिकायत नहीं दर्ज कराई गई थी.

रवि पुजारी के बारे में एक बात यह भी कही जाती है कि अगर कोई दूसरा अंडरवर्ल्ड डौन भी इस तरह पैसों के लिए धमकी देता था तो अपनी पब्लिसिटी के लिए रवि मीडिया वालों को फोन कर के कहता था कि वह धमकी उसी ने दी थी. मुंबई के जानेमाने दीपा बार के मालिक को भी उस ने पैसों के लिए धमकी दी थी. यही नहीं, उस ने दीपा बार के बाहर अपने गुर्गों को भेज कर गोली भी चलवाई थी.

मुंबई के एक जानेमाने वकील हैं माजिद मेमन. सन 2004-5 में उन्हें भी उस ने धमका कर पैसे ही नहीं मांगे, बल्कि उन की हत्या कराने की कोशिश भी की थी. उस का कहना था कि मेमन के संबंध अंडरवर्ल्ड डौन दाऊद इब्राहीम से हैं, इसलिए वह उन्हें जिंदा नहीं छोड़ेगा. वह खुद को हिंदू डौन कहता था. इसीलिए दाऊद इब्राहीम और छोटा शकील भी उस के निशाने पर थे.

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13 फरवरी, 2016 को उस ने कट्टरपंथी हुर्रियत नेता सैय्यद अली शाह गिलानी को भी खत्म करने की धमकी दी थी. रवि पुजारी का कहना था कि वह उन सभी लोगों को खत्म कर देना चाहता है, जिन का दाऊद या छोटा शकील से किसी भी तरह का संबंध है. दाऊद इब्राहीम भारत विरोधी है और उस का संबंध आईएसआई से है.

मुबई, कर्नाटक ही नहीं, पूरे देश में दहशत फैलाने वाले रवि पुजारी को आखिर सेनेगल से गिरफ्तार कर लिया गया और 22 फरवरी, 2020 को भारत लाया गया, जहां उसे अदालत में पेश किया गया. उसे रिमांड पर ले कर उस से विस्तारपूर्वक पूछताछ की गई. फिलहाल वह बेंगलुरु की जेल में बंद है. अलगअलग राज्यों की पुलिस उस से पूछताछ करने का प्रयास कर रही है.

आकांक्षा दुबे और Dinesh Lal Yadav की अपकमिंग होली सॉन्ग हुई वायरल, देखें Photo

भोजपुरी  एक्ट्रेस आकांक्षा दुबे सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं. वह अपनी बोल्डनेस के कारण सुर्खियों में छायी रहती हैं. हाल ही में एक्ट्रेस ने अपने इंस्टाग्राम पर अपकमिंग होली सॉन्ग की फोटो शेयर की हैं.

इस फोटो में आकांक्षा के साथ भोजपुरी सुपरस्टार दिनेश लाल यादव भी नजर आ रहे हैं. दोनों की केमिस्ट्री फैंस को खूब पसंद आ रहा है. फोटो में आकांक्षा रेड टॉप के साथ ब्लैक शॉर्ट्स में नजर आ रही रही हैं तो वहीं दिनेश लाल यादव लाल रंग की शर्ट और ब्लू जीन्स में दिखाई दे रहे हैं.

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खबर ये भी आ रही है कि दिनेश लाल यादव के बाद आकांक्षा दुबे जल्द ही प्रवेश लाल यादव के साथ भी होली के स्पेशल सॉन्ग में दिखाई देंगी.

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वर्कफ्रंट की बात करें तो आकांक्षा दुबे जल्द ही ‘आई मिलन की रात’, ‘ठीक है’, ‘रोमियो राजा’, दूल्हा हिन्दुस्तानी दुल्हन इंग्लिस्तानी’, ‘निरहुआ द लीडर’ और ‘मुकद्दर का सिकंदर’ जैसी कई फिल्मों में दिखाई देंगी.

Guddan Tumse Na Ho Paayega फेम एक्ट्रेस Maera Mishra का हुआ ब्रेकअप, एक्ट्रेस ने कही ये बात

जीटीवी का मशहूर सीरियल ‘गुड्डन तुमसे ना हो पाएगा’ फेम एक्ट्रेस मायरा मिश्रा अपने ब्रेकअप की खबरों के कारण सुर्खियों में छायी हुई है. मायरा मिश्रा को बीते साल सीरियल ‘गुड्डन तुमसे ना हो पाएगा’ (Guddan Tumse Na Ho Paega) में देखा गया था.

उस दौरान ये खबर आई थी कि मायरा ने कन्फर्म किया है कि वह अध्ययन सुमन को डेट कर रही थी. लेकिन अब ये खबर आ रही है कि एक्ट्रेस का ब्रेकअप हो चुका है.

 

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रिपोर्ट्स के अनुसार एक्ट्रेस ने खुलासा किया है कि वह अध्ययन से अलग हो चुकी है और वो अपनी जिंदगी में आगे बढ़ चुकी हैं.

खबरों के अनुसार, मायरा ने बताया है कि नवम्बर में उन दोनों का ब्रेकअप हुआ. उन्होंने आगे ये भी कहा कि अध्ययन अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर ब्रेकअप की स्टोरीज लगाता रहता है लेकिन मैं बता दूं कि वो सब मेरे लिए नहीं होती है बल्कि वो उसके नए गाने के लिए होती हैं.

 

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बता दें कि अध्ययन सुमन डिप्रेशन के भी शिकार हुए हैं. वह फिल्मों में मिल रहे रिजेक्शनंस और पर्सनल जिंदगी में से काफी परेशान हो गए थे और डिप्रेशन में चले गए थे. तो वहीं अध्ययन सुमन के पिता शेखर सुमन, दिवंगत सुशांत सिंह राजपूत और उनके परिवार को न्याय दिलाने की मांग करते रहे हैं.

 

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Dance Deewane 3: इस कंटेस्टेंट से इम्प्रेस हुईं Janhvi Kapoor, नेशनल टीवी पर किया फ्लर्ट

कलर्स टीवी का  रियलिटी शो  ‘डांस दीवाने 3’ (Dance Deewane 3)  कुछ दिन पहले ही ऑनएयर हुआ है. यह शो दर्शकों के बीच काफी पॉपुलर है. तभी तो दर्शकों को इस शो का बेसब्री से इंतजार रहता है. तो चलिए जानते हैं इस शो के लेटेस्ट एपिसोड के बारे में.

इस डांसिंग रिएलिटी शो के लेटेस्ट एपिसोड में खूब धमाल होने वाला है क्योंकि सेट पर बॉलीवुड एक्ट्रेस जाह्नवी कपूर आने वाली है. जी हां, सही सुना आपने.

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दरअसल लेटेस्ट एपिसोड में जाह्नवी कपूर अपनी नई फिल्म ‘रूही’ (Roohi) का प्रमोशन करने पहुंची. और इसी दौरान एक कंटेस्टेंट की परफॉर्मेंस देखकर एक्ट्रेस काफी इम्प्रेस हुईं. और उन्होंने नेशनल टीवी पर ही उस कंटेस्टेंट के साथ डेट करने ऑफर दे दिया.

 

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तो ऐसे में शो की होस्ट भारती सिंह (Bharti Singh) और राघव ने सेट पर ही कैंडल लाइट डिनर का सेटअप तैयार कर दिया. इसके बाद जाह्नवी कपूर ने उस कंटेस्टेंट के साथ खूब मस्ती की.

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बता दें कि जान्हवी कपूर अपनी स्टाइल के साथ ही फिटनेस के लिए भी जानी जाती हैं. उनके फैशन सेंस को भी फैंस काफी पसंद करते हैं. सोशल साइट्स पर भी एक्ट्रेस काफी एक्टिव रहती हैं. हाल ही में जाह्नवी अपने ब्राइडल लुक को काफी सुर्खियों में रहीं.

Crime Story: प्यार का कांटा- भाग 1

सौजन्य- सत्यकथा

कन्नौज जिले का एक बड़ा कस्बा है सौरिख. इसी कस्बे के नगरिया तालपार में शिक्षक इंद्रपाल रहते
थे. उन के पिता श्रीकृष्ण मुर्रा गांव के निवासी थे. वहां उन का पुश्तैनी मकान तथा खेती की जमीन है. उन के बेटे इंद्रपाल ने सौरिख कस्बे में दोमंजिला मकान बनवा लिया था. इंद्रपाल की आर्थिक स्थिति मजबूत थी. वह शिक्षक संघ का अध्यक्ष भी था.

वर्ष 2001 में इंद्रपाल का विवाह फर्रुखाबाद (गदराना) निवासी सरयू प्रसाद की बेटी सुधा के साथ हुआ था. सुधा साधारण रंगरूप वाली युवती थी. लगभग 2 साल तक दोनों का दांपत्य जीवन हंसीखुशी से बीता, उस के बाद कड़वाहट घुलने लगी. कड़वाहट का पहला कारण था, इंद्रपाल का शराब पी कर घर आना तथा दूसरा कारण था झगड़ा और मारपीट करना. सुधा शराब पीने को मना करती तो वह उसे ही दोषी ठहराता और उस के चरित्र पर अंगुली उठाता, सुधा तब परेशान हो कर मायके चली जाती.

सुधा जब पहले मायके आती थी तो उल्लास से भरे उस के पैर एक स्थान पर नहीं टिकते थे. लेकिन अब जब भी आती थी तो वह गुमसुम और उदास रहती थी. उस की मां तारावती ने कई बार उस से पूछा भी कि बेटी, क्या ससुराल में तुम्हें किसी तरह का दुख या परेशानी है?

‘‘नहीं मां सब ठीक है. ऐसा कुछ भी गलत नहीं है कि उसे सही करने के लिए तुम्हें दखल देने की जरूरत हो.’’ कह कर सुधा हर बार टाल देती.

तारावती के सीने में मां का दिल था. वह खूब समझ रही थी कि सुधा असल बात बता नहीं रही, कुछ छिपाए हुए है. इस बारे में उस ने पति से राय ली तो सरयू प्रसाद ने कहा कि उन लोगों का कोई घरेलू और आपसी मामला होगा. उन्हें ही सुलझाने दो. हमें दखल देने की जरूरत नहीं है. हम दखल देंगे, तो बात बनने के बजाय बिगड़ने का अंदेशा है.

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लेकिन तारावती का मन बेटी की उदासी को स्वाभाविक मतभेद मानने को तैयार नहीं था. उसे लग रहा था कि कोई तो बात है, जो सुधा को घुन की तरह खाए जा रही है. उस ने तय कर लिया कि अब की बार सुधा आई, तो वह उस से जान कर रहेगी कि उस की उदासी का कारण क्या है?

कुछ दिनों बाद सुधा मायके आई तो उस के चेहरे पर पहले की तरह उदासी की परछाइयां कायम थीं. उचित समय पर तारावती ने सुधा को पास बिठा कर स्नेह से उस के सिर पर हाथ फेरा, ‘‘बेटी मां से बड़ी शुभचिंतक और हितैषी कोई दूसरी नहीं होती. न ही मां से बेहतर कोई सहेली होती है.’’

सुधा ने सिर उठा कर मां को सूनीसूनी आंखों से देखा, लेकिन कुछ बोली नहीं. तारावती ने अपनी रौ में बोलना जारी रखा, ‘‘सुधा, मैं तुम्हें दुखी और उदास नहीं देख सकती. मां न सही सहेली ही समझ कर आज तुम अपना दुख कह दो.’’

संभवत: उस दिन सुधा का अंतस कुछ अधिक भरा हुआ था. ममता की आंच से वह पिघल गई. उस की आंखों से आंसुओं की धारा बह निकली. कुछ देर बाद सुधा के आंसू थमे तो वह बोली, ‘‘मां मेरा दुख यह है कि कुछ महीनों से इंद्रपाल पहले जैसे नहीं रहे, वह बहुत बदल गए हैं.’’

सुधा ने रुंधे कंठ से बताया, ‘‘न वह सीधे मुंह बात करते है. न प्यार से पेश आते हैं. शराब पी कर झगड़ा भी करते हैं. मैं थाली परोसती हूं तो, वह उस पर नजर तक नहीं डालते. मेरे साथ सोते जरूर हैं, पर पीठ कर के.’’

सुधा की बात सुन कर तारावती की आंखें हैरत से फैल गईं. वह जान गई कि बेटी का जीवन अंधकारमय है. तारावती ने इस बाबत इंद्रपाल से बात की तो वह झगड़े पर उतारू हो गया. उस ने साफ कह दिया कि वह सुधा को पसंद नहीं करता. वह उस से तलाक चाहता है. दामाद की बात सुन कर तारावती सन्न रह गई. उस ने दोनों के बीच तनाव खत्म करने के लिए अनेक उपाय किए. रिश्तेदारों के बीच समझौते का प्रयास किया. लेकिन जब बात नहीं बनी तो मामला कोर्टकचहरी तक जा पहुंचा. आखिर में दोनों की रजामंदी से इंद्रपाल और सुधा का तलाक हो गया. फिर सुधा मायके में रहने लगी.

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सुधा से तलाक होने के बाद इंद्रपाल दूसरी शादी के लिए प्रयास करने लगा. परिवार के लोग भी चाहते थे कि इंद्रपाल का दूसरा विवाह हो जाए, तो वह भी प्रयास करने लगे. घर वालों को कई रिश्ते पसंद भी आए, लेकिन इंद्रपाल ने रिश्ता नकार दिया. परिवार के लोग भी समझ गए कि इंद्रपाल अपनी मनपसंद युवती से ही शादी करेगा.

इंद्रपाल फर्रूखाबाद शहर के आरबीआरडी इंटर कालेज में पढ़ाता था. वह प्राइवेट शिक्षक था. इसी कालेज में सीमा पाल नाम की लड़की पढ़ती थी. इंटरमीडिएट में पढ़ाई के दौरान सीमा और इंद्रपाल एकदूसरे की ओर आकर्षित हुए. कुछ दिनों बाद दोनों की मुलाकातें कालेज के बाहर भी होने लगीं.

सीमा पाल के पिता अवध पाल, हुसैनपुर के रहने वाले थे. परिवार में पत्नी के अलावा बेटा मनोज तथा बेटी सीमा थी. अवध पाल किसान थे. सीमा उन की होनहार बेटी थी. पढ़ने में भी तेज थी, सो वह उसे पढ़ालिखा कर अपने पैरों पर खड़ा करना चाहते थे.

सीमा, छरहरी काया और तीखे नाकनक्श वाली लड़की थी. उस की मुसकान सामने वाले पर गहरा असर करती थी. सीमा की खूबसूरती और मुसकान इंद्रपाल के दिल पर भी असर कर गई थी. एक दिन इंद्रपाल ने उस से अपने मन की बात भी कह दी, ‘‘सीमा हंसते हुए तुम बहुत अच्छी लगती हो. इसी तरह हंसती रहा करो. यदि तुम मेरा प्यार कबूल कर लोगी तो मैं खुद को दुनिया का सब से खुशनसीब आदमी समझूंगा.’’

सीमा उम्र के जिस पायदान पर थी, उस में लड़कियों को ऐसी बातें गुदगुदा देती हैं. सीमा का भी दिलोदिमाग सुखद सनसनी से भर गया. उस ने इंद्रपाल की आंखों में देखा. उन आंखों में प्यार का सागर ठाठे मार रहा था. उस की आंखों में देखते हुए कुछ देर तक वह सोच में डूबी रही, उस के बाद बोली, ‘‘अगर मैं तुम्हारा प्यार कबूल कर लूं तो तुम्हारा अगला कदम क्या होगा?’’

‘‘शादी.’’ इंद्रपाल ने तपाक से जवाब दिया.

‘‘लेकिन मेरे घर वाले राजी नहीं हुए तो..?’’ सीमा ने पूछा.
‘‘…तो हम दोनों प्रेम विवाह कर लेंगे.’’

सीमा मुसकराई और फिर नजरें झुका कर स्वीकृति में सिर हिला दिया.

इंद्रपाल का दिल बल्लियां उछल पड़ा. उस ने तो एक मुट्ठी आसमान की तमन्ना की थी, लेकिन यहां तो पूरा का पूरा आसमान उस का हो गया था.

कुछ दिनों बाद इंद्रपाल के कहने पर सीमा ने घर वालों को अपने प्रेम से अवगत कराया और विवाह की इच्छा प्रकट की तो उन्होंने सीमा को समझाया, ‘‘बेटी, इंद्रपाल पहली पत्नी को धोखा दे चुका है. तुम्हें भी धोखा दे सकता है. बेहतर यही होगा कि उस का खयाल अपने मन से निकाल दो.’’

सीमा ने मुलाकात कर ये सारी बातें इंद्रपाल को बताईं, तो उस ने पूछा, ‘‘तुम क्या चाहती हो? तुम्हारे जवाब पर ही सब कुछ निर्भर है.’’

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‘‘मैं तुम्हें पाना चाहती हूं.’’ सीमा ने जवाब दिया.

इस के बाद वर्ष 2007 में सीमा पाल ने अपने घर वालों की मरजी के बिना इंद्रपाल के साथ प्रेम विवाह कर लिया और उस की दुलहन बन कर इंद्रपाल के साथ रहने लगी. इंद्रपाल के घर वालों ने भी सीमा को बहू के रूप में स्वीकार कर लिया.

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Crime Story: प्यार का कांटा- भाग 2

सौजन्य- सत्यकथा

चूंकि सीमा और इंद्रपाल ने प्रेम विवाह किया था. अत: दोनों खुश थे. वैसे भी संपन्न घर और शिक्षक पति पा कर सीमा फूली नहीं समा रही थी. सौरिख कस्बे के नगरिया तालपार स्थित 2 मंजिला मकान की ऊपरी मंजिल पर वह पति इंद्रपाल के साथ रहती थी, भूतल और प्रथम तल पर किराएदार रहते थे. हंसीखुशी से 3 साल कब बीत गए, दोनों को पता ही न चला. इन 3 सालों में सीमा ने एक बेटी रक्षा को जन्म दिया. रक्षा के जन्म के 3 साल बाद सीमा ने एक और बेटी दीक्षा को जन्म दिया. दोनों बेटियों को सीमा और इंद्रपाल बेहद प्यार करते थे.

सीमा पाल की इच्छा टीचर बनने की थी. अत: उस ने इंद्रपाल से प्रेम विवाह करने के बावजूद पढ़ाई जारी रखी. इस में इंद्रपाल ने भी उस का सहयोग किया. बीए पास करने के बाद उस ने बीएड किया. फिर जब शिक्षकों की भरती निकली तो उस ने भी आवेदन किया.

सीमा पाल के भाग्य ने साथ दिया और उस का चयन प्राथमिक पाठशाला की शिक्षिका के लिए हो गया. चयन होने के बाद सीमा पाल प्राथमिक पाठशाला, चिकनपुर में सहायक अध्यापिका के तौर पर पढ़ाने लगी.

सीमा पाल को सरकारी नौकरी मिली तो उस की खुशी का ठिकाना न रहा. अब वह मायके भी जाने लगी थी. उस का भाई मनोज पाल भी उस के घर आनेजाने लगा था. इंद्रपाल का भी ससुराल आनाजाना शुरू हो गया था. मनोज की शादी में सीमा और इंद्रपाल ने मनोज की हरसंभव मदद भी की थी. वैसे भी मनोज को जब भी आर्थिक परेशानी होती थी, इंद्रपाल उस की मदद कर देता था.

सीमा और इंद्रपाल की जिंदगी खुशियों से भरी थी. दोनों खूब कमाते थे. सीमा सरकारी टीचर थी, तो इंद्रपाल ने भाउलपुर में अपना निजी विद्यालय खोल लिया था. दोनों की खुशियों में ग्रहण तब लगा, जब एक रोज मनोज अपने जीजा इंद्रपाल की शिकायत करने बहन के घर आया. उस ने सीमा को बताया कि जीजाजी ने उस के घर आतेजाते उस की पत्नी शिखा को अपने प्रेम जाल में फंसा कर उस से नाजायज रिश्ता बना लिया है. बहन आप उन को समझाओ कि वह उस का घर बरबाद न करें.

भाई की बात सुन कर सीमा के तनबदन में आग लग गई. शाम को इंद्रपाल जब विद्यालय से घर आया तो सीमा ने शिखा को ले कर सवालजवाब किया. इस पर इंद्रपाल हंस कर बोला, ‘‘शिखा हमारी सलहज है. उस से मैं हंसबोल कर अपना मन बहला लेता हूं. उस से हमारा कोई नाजायज रिश्ता नहीं है. किसी ने जरूर तुम्हारे कान भरे हैं.’’

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लेकिन सीमा को पति की बात पर यकीन नहीं हुआ. उसे पता था कि उस का भाई झूठ नहीं बोल सकता. इस के बाद तो शिखा को ले कर अकसर सीमा और इंद्रपाल में झगड़ा होने लगा. कभीकभी झगड़ा इतना ज्यादा बढ़ जाता कि दोनों के बीच मारपीट हो जाती. इंद्रपाल शराब तो पहले से ही पीता था, लेकिन अब वह कुछ ज्यादा ही पीने लगा और सीमा से झगड़ा करने लगा. इसी लड़ाईझगड़े के बीच सीमा ने तीसरी बेटी दिशा को जन्म दिया.

सीमा और इंद्रपाल के बीच में अब गहरी दरार पड़ गई थी. वह दोनों रहते जरूर एक छत के नीचे थे, लेकिन दोनों के बिस्तर अलग हो गए थे.

सीमा अपने बच्चों के साथ अलग कमरें में रहने लगी थी. इंद्रपाल दूसरे कमरे में बिस्तर पर करवटें बदलता रहता था. कईकई दिनों तक दोनों में बातचीत भी नहीं होती थी.

पतिपत्नी के बीच तनाव चल ही रहा था कि इसी बीच अशोक ने सीमा के घर आनाजाना शुरू किया. अशोक, सौरिख में ही रहता था और रिश्ते में इंद्रपाल का भाई लगता था. वह कार चलाता था और खूब सजसंवर कर रहता था. अशोक को सीमा और इंद्रपाल के बीच तनाव की बात पता चली तो वह सीमा को रिझाने की कोशिश करने लगा.

वह जब भी आता, सीमा से मीठीमीठी बातें करता तथा उस के रूप की प्रशंसा भी करता. सीमा पति की उपेक्षा की शिकार थी. इस कारण धीरेधीरे सीमा, अशोक की ओर आकर्षित होने लगी. दोनों के बीच देवरभाभी का रिश्ता था, सो हंसीमजाक भी होने लगी.

सीमा और अशोक के बीच चाहत बढ़ी तो अवैध रिश्ता कायम होने में भी देर नहीं लगी. अशोक का सीमा से मिलनाजुलना बढ़ा तो इंद्रपाल के कान खड़े हो गए. उस ने दोनों पर नजर रखनी शुरू की तो एक रोज दोनों को रंगे हाथ पकड़ लिया.

फिर तो उस रोज इंद्रपाल ने सीमा की जम कर पिटाई की और सारा गुबार निकाला. इस के बाद तो यह रवैया ही चल पड़ा. जिस रोज इंद्रपाल को पता चल जाता कि अशोक आया था, वह सीमा की जम कर पिटाई करता. कई बार उस का अशोक से भी झगड़ा हुआ.

सीमा, अशोक की इतनी दीवानी बन गई थी कि वह पति की पिटाई के बावजूद उस का साथ छोड़ने को तैयार नहीं थी. एक दिन तो सीमा ने हद ही कर दी. उस ने अपनी तीनों बेटियों को बहाने से अपनी सास माया के पास छोड़ा और प्रेमी अशोक के साथ भाग गई.

इंद्रपाल और उस के घरवालों को जानकारी हुई तो वह सब दंग रह गए. उन्होंने थाना सौरिख में शिकायत दर्ज कराई. तब पुलिस ने कई रोज बाद सीमा को अशोक के एक रिश्तेदार के घर से बरामद किया. घरवालों के मनाने व समझाने के बाद सीमा, इंद्रपाल के साथ रहने को राजी हुई.

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सीमा और इंद्रपाल में समझौता तो हो गया था, लेकिन उन के दिलों में गांठ पड़ गई थी. दोनों एक दूसरे पर शक भी करते थे. उन के बीच तूतू मैंमैं अब भी होती रहती थी. कभीकभी मारपीट भी हो जाती थी. सीमा ने अशोक से संबंध अब भी खत्म नहीं किए थे. वह उस से चोरीछिपे मिलती रहती थी.

28 नवंबर, 2020 की सुबह 4 बजे सीमा चीखनेचिल्लाने लगी कि उस के पति इंद्रपाल की किसी ने हत्या कर दी. उस की चीख सुन कर उस के मकान में रहने वाले किराएदर आ गए. इन्हीं में से किसी ने इंद्रपाल के घर वालोें को सूचना दे दी. उस के बाद तो घर में सनसनी फैल गई.

इंद्रपाल के पिता श्रीकृष्ण, मां माया देवी, चाचा लंकुश तथा चचेरा भाई राजू आ गया. इंद्रपाल का शव देख कर वह सब हैरान रह गए. कुछ देर बाद श्रीकृष्ण ने बेटे की हत्या की सूचना थाना सौरिख पुलिस को दी.
सूचना पाते ही थानाप्रभारी विजय बहादुर वर्मा पुलिस दल के साथ रवाना हो लिए. रवाना होने से पहले उन्होंने शिक्षक इंद्रपाल की हत्या की सूचना पुलिस अधिकारियों को भी दे दी थी. थानाप्रभारी विजय बहादुर वर्मा जिस समय इंद्रपाल के नगरिया तालपार स्थित मकान पर पहुंचे. उस समय वहां भारी भीड़ जुटी थी.

अगले भाग में पढ़ें- सीमा को पुलिस टीम ने किया गिरफ्तार

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