सौजन्य: मनोहर कहानियां
विकास और आरती एक ही कुनबे के भाईबहन थे, इस के बावजूद वे रिश्ते को दरकिनार करते हुए शादी करना चाहते थे. लेकिन दोनों के घर वालों ने उन की मांग सिरे से ठुकरा दी तो…
कानपुर शहर से करीब 40 किलोमीटर दूर पश्चिम में थाना बिल्हौर के तहत एक गांव है
अलौलापुर. ज्ञान सिंह कमल इसी गांव के रहने वाले थे. उन के परिवार में पत्नी गीता कमल के अलावा 2 बेटे विकास, आकाश तथा 2 बेटियां शोभा व विभा थीं. ज्ञान सिंह कमल किसान थे. उन के पास 10 बीघा उपजाऊ भूमि थी, जिस में अच्छी पैदावार होती थी. कृषि उपज से ही वह परिवार का भरणपोषण करते थे.
ज्ञान सिंह का बेटा विकास अपने भाईबहनों में सब से बड़ा था. इंटरमीडिएट पास करने के बाद उस ने नौकरी पाने के लिए दौड़धूप की. लेकिन जब नौकरी नहीं मिली तो वह पिता के कृषि कार्य में हाथ बंटाने लगा. उस ने ट्रैक्टर चलाना सीख लिया था. ट्रैक्टर से वह अपनी खेती तो करता ही था, दूसरे काम कर वह अतिरिक्त आमदनी भी करता था. विकास किसानी का काम जरूर करता था, लेकिन ठाटबाट से रहता था.
ज्ञान सिंह के घर से चंद कदम दूर सुरेश कमल का घर था. उस के परिवार में पत्नी ममता के अलावा 2 बेटियां आरती, प्रीति तथा एक बेटा नंदू था. सुरेश और ज्ञान सिंह एक ही कुनबे के थे और रिश्ते में भाईभाई थे. सुरेश भी किसान था. उस की आर्थिक स्थिति कमजोर थी. लेकिन दोनों में खूब पटती थी.
दोनों का एकदूसरे के घर आनाजाना लगा रहता था और सुखदुख में एकदूसरे का साथ देते थे. दोनों परिवारोें के बच्चों का बचपन भी साथसाथ खेलते बीता था.
विकास को बचपन से ही चाचा सुरेश कमल की बेटी आरती से बहुत लगाव था. आरती भी विकास के साथ ज्यादा खेलती थी. दोनों के इस लगाव पर घर वालों ने कभी ध्यान नहीं दिया, क्योंकि बच्चे अकसर इसी तरह खेलते हैं.
बचपन के दिन गुजर जाने के बाद विकास और आरती ने जवानी की दहलीज पर कदम रखा तो उन के बीच का लगाव पहले की ही तरह बना रहा. लेकिन उन के नजरिए में बदलाव जरूर आ गया था.
अब उन की चंचलता खामोशी के साथ दूसरा मुकाम अख्तियार कर चुकी थी. उन के दिल में प्यार के बीज अंकुरित हो चुके थे. इसलिए अब जब भी उन्हें मौका मिलता, वे प्यार भरी बातें करते.
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आरती की आंखों के सामने जब भी विकास होता, वह उसी को देखा करती. उस पल उस के चेहरे पर जो खुशी होती थी, कोई भी देख कर भांप सकता था कि दोनों के बीच जरूर कुछ चल रहा है.
विकास को भी उस का इस तरह से देखना भाता था, क्योंकि उस का दिल भी तो आरती के प्यार का मरीज था. दोनों की आंखों में एकदूसरे के लिए प्यार साफ झलकता था. वे इस बात को महसूस भी करते थे. लेकिन दिल की बात एकदूसरे से कह नहीं पा रहे थे.
प्यार का किया इजहार
एक दिन विकास आरती के घर पहुंचा, तो उस समय वह घर में अकेली थी. आरती को देखते ही उस का दिल तेजी से धड़क उठा. उसे लगा कि दिल की बात कहने का उस के लिए यह सब से अच्छा मौका है. आरती उसे कमरे में बिठा कर फटाफट 2 कप चाय बना लाई. चाय की चुस्कियों के बीच दोनों बातें करने लगे. अचानक विकास गंभीर हो कर बोला, ‘‘आरती मुझे तुम से एक बात कहनी है.’’
‘‘कहो, क्या कहना चाहते हो?’’ आरती भी गंभीर हो गई.
‘‘आरती, मैं तुम से प्यार करता हूं. यह प्यार आज का नहीं, बरसों का है, जो आज किसी तरह हिम्मत जुटा कर कह पाया हूं. ये आंखें सिर्फ तुम्हें देखना पसंद करती हैं. मैं तुम्हारे प्यार में इतना दीवाना हो चुका हूं कि अगर तुम ने मेरा प्यार स्वीकार नहीं किया, तो मैं पागल हो जाऊंगा.’’
आखिर विकास ने दिल की बात कह ही दी, जिसे सुन कर आरती का चेहरा शरम से लाल हो गया, पलकें झुक गईं. होंठों ने कुछ कहना चाहा, लेकिन जुबान ने साथ नहीं दिया. आरती की हालत देख कर विकास बोला, ‘‘कुछ तो कहो आरती, क्या मैं तुम से प्यार करने लायक नहीं हूं.’’
‘‘कहना जरूरी है क्या? तुम खुद को दीवाना कहते हो और मेरी आंखों में बसी चाहत को नहीं देख सकते. जो हाल तुम्हारा है, वही मेरा भी है. मैं ने भी तुम्हें बहुत पहले से दिल में बसा लिया है. डरती थी कि कहीं यह मेरा एकतरफा प्यार न हो.’’ आरती ने भी चाहत का इजहार कर दिया.
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आरती की बात सुन कर विकास खुशी से झूम उठा. उसे लगा कि सारी दुनिया की दौलत, आरती के रूप में उस की झोली में आ कर समा गई है.
दोनों के बीच प्यार का इजहार हो गया तो फिर एकांत में भी मिलनेजुलने का सिलसिला शुरू हो गया. दोनों गांव के बाहर सुनसान जगह पर मिलने लगे. वे एकदूसरे पर जम कर प्यार बरसाते और हमेशा एकदूसरे का साथ निभाने की कसमें खाते. जैसेजैसे समय बीतता गया, दोनों की चाहत बढ़ती और प्रगाढ़ होती गई.
अगले भाग में पढ़ें- ममता ने आरती को थप्पड़ मारा
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घर वालों को उन पर किसी तरह का शक इसलिए नहीं हुआ, क्योंकि दोनों पारिवारिक रिश्ते में भाईबहन थे. इसी रिश्ते की आड़ में वे घर वालों को बेवकूफ बनाते रहे. उन के बीच जो प्यार उपजा था, वह भाईबहन के रिश्ते को भूल गया था. मर्यादाओं में रहते हुए वे जीवन के हसीन ख्वाब देखने लगे थे. लेकिन उन के संबंध ज्यादा दिनों तक छिपे न रह सके. एक दिन आरती की मां ममता ने उस की और विकास की बातें सुन लीं. इस के बाद वह आरती और विकास के ज्यादा मिलने का मतलब समझ गई. शाम को उस ने इस बारे में बेटी से पूछा तो उस ने मुसकराते हुए कह दिया कि उस का विकास से इस तरह का कोई संबंध नहीं है.
ममता ने भी जमाना देखा था. वह समझ गई कि बेटी झूठ बोल रही है. इसलिए उस ने उस से सख्ती से पूछताछ की तो आरती को सच उगलना ही पड़ा. उस ने डरतेडरते कह दिया कि वह विकास से प्यार करती है.
इस के बाद ममता का गुस्सा फट पड़ा. वह आरती की पिटाई करते हुए बोली, ‘‘कुलच्छिनी, तुझे शर्म नहीं आई. जानती है, वह तेरा क्या लगता है? कम से कम अपने रिश्ते का तो लिहाज किया होता.’’
‘‘मम्मी, वह कोई सगा भाई थोड़े ही है और जब प्यार होता है, तो वह रिश्ता नहीं देखता. हम दोनों ही एकदूसरे को चाहते हैं.’’ आरती ने रोते हुए कहा.
‘‘अच्छा, बहुत जुबान चल रही है, अभी खींचती हूं तेरी जुबान,’’ कहते हुए ममता ने उस पर लात और थप्पड़ों की बरसात कर दी. लेकिन आरती यही कहती रही कि चाहे वह उसे कितना भी मार ले, वह विकास को नहीं छोड़ेगी.
आरती की पिटाई करतेकरते जब ममता हांफने लगी तो एक ओर बैठ कर उसे भलाबुरा कहने लगी. साथ ही उस ने धमकी दी, ‘‘आने दे तेरे बाप को, वही तेरी ठीक से खबर लेंगे. बहुत उड़ने लगी है न तू. अब तेरे पर कतरने ही पड़ेंगे.’’
आरती सुबकती रही. शाम को जब सुरेश आया तो ममता ने सारी बात उसे बता दी. सुरेश को गुस्सा तो बहुत आया, लेकिन उस ने समझदारी से काम लिया. उस ने उसे दूसरे कमरे में ले जा कर समझाया, उसे भाईबहन के रिश्ते की गहराई बताते हुए कहा कि उस के इस कदम से गांव में रहना दूभर हो जाएगा. किसी के सामने वह सिर तक नहीं उठा सकेगा.
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पिता के समझाने का हुआ असर
पिता की बातें आरती को अच्छी तो लगीं, लेकिन उस के सामने समस्या यह थी कि वह विकास से उस के साथ जीनेमरने का वादा कर चुकी थी. अब उस के सामने एक ओर पिता की इज्जत थी तो दूसरी ओर वह प्यार था, जिस के लिए वह कुछ भी करने का वादा कर चुकी थी.
अंत में वह इस नतीजे पर पहुंची कि वह घर वालों की इज्जत के लिए अपने प्यार को एक सपने की तरह भुलाने की कोशिश करेगी. इसलिए उस ने पिता से वादा कर लिया कि अब वह विकास से नहीं मिलेगी. यह बात करीब एक साल पहले की है.
आरती की पिटाई वाली बात विकास को पता चल चुकी थी. उस के मन में इस बात का डर था कि कहीं चाचा सुरेश यह शिकायत उस की मां से न कर दें. इसी डर की वजह से उस ने आरती के घर जाना बंद कर दिया. दूसरी ओर आरती उसे भुलाने की कोशिश करने लगी थी. इसलिए उस ने भी विकास की देहरी नहीं लांघी.
लेकिन यह सिलसिला ज्यादा दिनों तक कायम नहीं रह सका. चूंकि दोनों लंबे समय से एकदूसरे को प्यार करते आ रहे थे, इसलिए उन की यादें जेहन में घूम रही थीं, जो उन्हें विचलित कर रही थीं. विकास का मन आरती से मिलने को विचलित था. लेकिन समस्या यह थी कि वह उस से कैसे मिले?
आरती का व्यवहार देख कर उस के घर वालों ने यही समझा कि वह विकास को भूल चुकी है. इसलिए उन्होंने उस पर निगरानी बंद कर दी. एक दिन आरती घर में अकेली थी तो विकास उस से मिलने पहुंच गया. अचानक घर में विकास को देख कर आरती बोली, ‘‘तुम यहां क्यों आ गए? कोई आ गया तो मुसीबत खड़ी हो जाएगी.’’
‘‘मैं तुम से सिर्फ यह पूछने आया हूं कि तुम मुझे इतनी जल्दी भूल कैसे गई?’’ विकास ने पूछा.
‘‘भूली नही हूं, मजबूरी है. मेरी जगह तुम होते तो तुम भी यही करते.’’ आरती ने कहा.
आरती की इस बात से विकास खुश हो गया और उस ने आरती को झट से अपने गले लगा कर कहा, ‘‘तुम चिंता मत करो, मैं मुलाकात का कोई न कोई रास्ता निकाल लूंगा.’’
प्रेमी से मिलने के बाद आरती अपने पिता से किए गए वादे को भूल गई. वह भी विकास से खूब बातें करना चाहती थी. लेकिन उसे इस बात का डर था कि कहीं उस की मां या पिता न आ जाएं. इसलिए उस ने विकास से कहा, ‘‘विकास, इस से पहले कि यहां कोई आ जाए, तुम चले जाओ.’’
विकास वहां से चला गया. प्रेमिका से मिल कर उसे बड़ा सुकून मिला था. 2-3 दिन बाद उस ने एक मोबाइल फोन खरीद कर आरती को दे दिया. इस के बाद आरती चोरीछिपे विकास से बातें करने लगी. इस से उन के मिलने में आसानी हो गई.
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इस तरह उन का प्यार पहले की तरह ही चलने लगा. लेकिन उन का चोरीछिपे मिलनेमिलाने का यह खेल ज्यादा दिनों तक नहीं चल सका.
एक रात अचानक आरती की मां ममता की आंखें खुलीं तो उस ने आरती को चारपाई से गायब पाया. बेटी की तलाश में वह छत पर पहुंची तो वह वहां उसे कुरसी पर बैठी देख कर चौंकी.
मां की आहट पाते ही आरती ने प्रेमी से चल रही बातचीत बंद कर दी और मोबाइल फोन छिपाने लगी. ममता ने उसे कुछ छिपाते देख तो लिया था, लेकिन उसे यह पता नहीं था कि उस ने क्या छिपाया है. उस ने आरती से इतनी रात को छत पर अकेली बैठने की वजह पूछी, तो वह सकपका गई. तब उस ने पूछा, ‘‘तूने अभी क्या छिपाया है, दिखा?’’
‘‘कुछ नहीं छिपाया है मम्मी.’’ आरती घबरा कर बोली.
ममता ने कोई चीज रखते हुए देखा था. बेटी की बात सुन कर ममता को लगा कि वह झूठ बोल रही है. उस ने आरती के सीने पर हाथ डाला, तो वहां मोबाइल देख कर पूछा, ‘‘यह किस का मोबाइल है और किस से बातें कर रही थी?’’
‘‘किसी से नहीं मम्मी.’’ आरती सकपका कर बोली.
बेटी के झूठ बोलने पर ममता समझ गई कि वह विकास से ही बातें कर रही थी. इस का मतलब वह जरूर हमारी आंखों में धूल झोंक कर उस से लगातार मिल रही है.
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ममता ने रात में हंगामा करना उचित नहीं समझा. सुबह उस ने सारी सच्चाई पति को बता दी. सुरेश कमल समझ गया कि बेटी को कितना भी समझा ले, वह विकास से मिलना नहीं छोड़ेगी. इस से पहले कि समाज में उन की बदनामी हो, उस ने उस के हाथ पीले करने का फैसला कर लिया.
आरती की मां ममता ने भी अपनी जेठानी गीता से उस के बेटे विकास की शिकायत कर दी. ममता की शिकायत पर गीता को बेटे पर बहुत गुस्सा आया. उस ने ममता को भरोसा दिया कि वह विकास को समझाएगी.
अगले भाग में पढ़ें- आरती की शादी की बात सुन कर विकास घबरा गया
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गीता ने विकास से इस बाबत बात की तो डरने के बजाय उस ने बेबाक कह दिया कि वह आरती से प्यार करता है और शादी भी उसी से करेगा. विकास की दोटूक बात सुन कर गीता को आश्चर्य हुआ. तब गुस्से में उस ने उसे 2-3 थप्पड़ जड़ दिए और बोली, ‘‘तुझे अपनी बहन के साथ शादी करने की बात कहते हुए शर्म नहीं आई?’’
लेकिन विकास अपनी जिद पर अड़ा रहा. मां के गुस्से का उस पर कोई असर न पड़ा.
इधर सुरेश कमल अपनी इज्जत बचाने के लिए बेटी के लिए लड़का खोजने लगा तो आरती घबरा उठी. उस ने एक रोज किसी तरह विकास से मुलाकात की और बताया कि उस के घर वाले जल्द ही उस का रिश्ता तय करने वाले हैं. लेकिन वह किसी और की दुलहन बनने के बजाय मौत को गले लगाना पसंद करेगी. उस ने जो वादा किया है, वह जरूर निभाएगी.
आरती की शादी की बात सुन कर विकास भी घबरा गया. उस ने कहा, ‘‘आरती, तुम्हारी जुदाई मैं बरदाश्त नहीं कर पाऊंगा. फिर तो एक ही रास्ता बचा है.’’
‘‘वह क्या?’’ आरती ने पूछा.
‘‘यही कि हम साथ जीनेमरने का वादा पूरा करे.’’
‘‘शायद, तुम ठीक कहते हो विकास.’’ इस के बाद दोनों ने एक साथ आत्महत्या करने का निश्चय किया.
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प्यार की विदाई
3 जनवरी, 2021 की रात 10 बजे जब घर के लोग सो गए, तब आरती ने विकास को फोन कर के बात की. विकास ने उसे बताया कि वह घर से निकल रहा है. वह गांव के बाहर अनिल के बाग में उस का इंतजार करेगा. जितनी जल्दी हो सके आ जाए.
आरती ने कमरे में सो रहे अपने मांबाप पर एक नजर डाली. फिर चुपके से दरवाजे की कुंडी खोल कर घर के बाहर आ गई और तेज कदमों से अनिल के बाग की ओर चल पड़ी.
कुछ देर बाद वह बगीचे में पहुंची तो आम के पेड़ के नीचे विकास उस का इंतजार कर रहा था. पेड़ के नीचे कुछ देर तक दोनों बातें करते रहे. उस के बाद विकास ने पेड़ की डाल में रस्सी बांध कर 2 फंदे बनाए. फिर एकएक फंदा गले में डाल कर दोनों फांसी के फंदे पर झूल गए.
इधर सुबह ममता की आंखें खुलीं तो आरती को चारपाई पर न पा कर उस का माथा ठनका. उस ने घरबाहर आरती की खोज की लेकिन कुछ पता न चला.
उस ने सोचा कहीं विकास आरती को बहलाफुसला कर भगा तो नहीं ले गया. वह विकास के घर जा पहुंची. विकास भी घर से गायब था. अब दोनों के घर वाले विकास और आरती की खोज करने लगे.
ज्ञान सिंह व सुरेश अपने साथियों के साथ दोनों की तलाश में गांव के बाहर अनिल के बाग में पहुंचे तो उन के मुंह से चीख निकल गई. विकास और आरती पेड़ की डाल से बंधी रस्सी के सहारे फांसी के फंदे पर झूल रहे थे. इस के बाद तो पूरे गांव में सनसनी फैल गई. देखते ही देखते सैकड़ों लोग घटनास्थल पर आ गए. ममता और गीता अपने बच्चों को फांसी के फंदे पर झूलता देख कर फफक कर रो पड़ीं.
इसी बीच गांव के किसी युवक ने थाना बिल्हौर पुलिस को सूचना दे दी. सूचना पाते ही थानाप्रभारी प्रेम नारायण बाजपेई घटनास्थल आ गए. उन की सूचना पर एसपी (पश्चिम) अनिल कुमार तथा सीओ अशोक कुमार सिंह भी आ गए.
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पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया तथा दोनों के घर वालों से पूछताछ की.
मृतक विकास की उम्र 22 वर्ष के आसपास थी तथा मृतका आरती की उम्र 20 साल थी. निरीक्षण के बाद दोनों शवों को फांसी के फंदे से उतार कर पोस्टमार्टम के लिए हैलट अस्पताल भिजवा दिया गया.
थानाप्रभारी प्रेम नारायण बाजपेई को पूछताछ से पता चला कि विकास और आरती प्रेमीप्रेमिका थे. घर वालों को उन का रिश्ता मंजूर न था. अत: दोनों ने आत्महत्या कर ली.
थानाप्रभारी बाजपेई ने आत्महत्या प्रकरण को थाने में दर्ज तो किया, लेकिन दोनों की मौत हो जाने से प्रकरण को बंद कर दिया गया.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित
टीवी का पॉपुलर कॉमेडी शो तारक मेहता का उल्टा चश्मा का फेमस कैरेक्टर ‘रीटा रिपोर्टर’ यानी प्रिया आहूजा इन दिनों सोशल मीडिया पर कॉफी एक्टिव रहती हैं. वह इन दिनों अपने ग्लैमरस अंदाज के लिए सुर्खियों में छायी हुई हैं.
जी हां, रीता रिपोर्टर ने सोशल मीडिया पर अपनी हॉट फोटोज शेयर किया है. प्रिया आहूजा इन दिनों अपनी बोल्ड फोटो को लेकर चर्चा में है. हालांकि इस शो में उनका सिंपल किरदार है लेकिन प्रिया रियल लाइफ में काफी बोल्ड हैं.
प्रिया ने अपने इंस्टाग्राम पर अपनी बिकिनी फोटो शेयर की है, जो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है. उन्होंने फोटोज को शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा, हां मैं हंस रही हूं क्योंकि अब मेरे पास पहले जैसी परफेक्ट बॉडी नहीं है. मेरे शरीर पर ढ़ेर सारा स्ट्रेच मार्क्स है, मेरी स्किन भी लूज हो गई है और मैं थोड़ी मोटी भी हो गई हूं. लेकिन इससे मैं खूश हूं.
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प्रिया ने आगे ये भी लिखा है कि मुझे अपनी बॉडी पर फिर भी गर्व है क्योंकि मैंने एक नई जिंदगी को जन्म दिया. मेरा पेट उस नई जिंदगी का 9 महीनों तक घर था. मेरे शरीर ने उसका ख्याल रखा. प्रेग्नेंसी की वजह से मेरा शरीर एकदम से बदल गया. डिलीवरी के बाद मेरी बॉडी पूरी तरह से रिकवर नहीं हो सकी. लेकिन मुझे लगता है कि यह अभी भी मैं सुंदर हूं.
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प्यार की चाहत स्वाभाविक है. स्त्री हो या पुरुष सबको एक साथी की जरूरत होती है. मगर जब यह प्यार दीवानगी और पागलपन की हद को छूने लगे तो यहां से मर्यादा और कानून की सीमाओं का उल्लंघन शुरू हो जाता है, बात जब बढ़ती है तो बात “अपराध” तक जा पहुंचती है. और अपने जीवन के साथ साथ दूसरों का जीवन भी बर्बाद हो जाता है.
सवाल है संबंधों के और सामाजिक दायरे के भीतर रहने का. इसके उल्लंघन के साथ ही कानून का भी उल्लंघन शुरू हो जाता है और अपराध की श्रेणी में आ जाता है. आज इस रिपोर्ट में इस महत्वपूर्ण सामाजिक और अपराधिक मसले में होते तब्दीली पर हम कुछ ऐसे तथ्य आपके सामने रखने जा रहे हैं जो बेहद जरूरी हैं. और जनहित के महत्वपूर्ण सवाल भी.
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देखिए कुछ ऐसे अपराधिक घटनाक्रम जो हमारी इस रिपोर्ट की पुष्टि करते हैं.
पहला घटनाक्रम– छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिला में एक शख्स सुरजीत सिंह ने अपने पड़ोसन के खातिर अपने पत्नी परिवार को छोड़कर दूसरी महिला का दामन थामा और दो परिवार एक साथ तबाही के दहलीज पर पहुंच गए .
दूसरा घटनाक्रम– जिला राजनांदगांव में एक महिला ने पड़ोस के एक शादीशुदा व्यक्ति रमेश शर्मा से प्यार की पेंगे बढ़ाई और अपने घर परिवार को छोड़कर भाग गई.इस तरह दो परिवार तबाह हो गए.
तीसरा घटनाक्रम– छत्तीसगढ़ के न्यायधानी बिलासपुर के जबरा पारा के सुदामा वर्मा नामक शख्स ने एक महिला के फेर में पड़कर अपने तीन बच्चों और पत्नी को छोड़ दूसरा विवाह रचा लिया. पहली पत्नी ने बच्चों से आखिरकार आत्महत्या कर ली.
और जलाकर मारने की कोशिश
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के निकट सेरीखेड़ी गांव आदिवासी बाहुल्य है. 9 मार्च 2021 को रात एक शादीशुदा शख्स ने पड़ोस में जाने वाली एक नाबालिग आदिवासी लड़की को जलाकर मारने की कोशिश की. प्यार के पागलपन में उसने मिट्टी तेल (किरोसीन आइल) डालकर उसके शरीर में आग लगाने की हिमाकत कर दी.
इस दौरान झूमाझटकी में आरोपी भी झुलस गया. लेकिन जब उसे अपराध का संज्ञान हुआ तो वहां से भाग निकला. नाबालिग चीख पुकार करते हुए बाहर आई. परिजनों ने आग बुझायी. उसके बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया.
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डाक्टरों के मुताबिक नाबालिग 50 फीसदी झुलस गई है. हादसे के बाद से सेरीखेड़ी में सनसनी फैल गई. सवाल यह है कि आरोपी नाबालिग युवती के घर के भीतर कैसे पहुंच गया.इतनी बड़ी घटना के बाद कैसे भाग गया.
पुलिस बताती है कि यह सारा मामला एक तरफा प्यार का है.
सेरीखेड़ी में 16 साल की रानू (काल्पनिक नाम) परिवार के साथ रहती है . वहीं पास में आरोपी करन पोर्ते (22) का घर है. वह पिछले कुछ महीने से रानू काे परेशान कर रहा था वह जहां भी जाती वह उसका पीछा करते हुए पहुंच जाता. करन नाबालिग से शादी करना चाहता था, जबकि नाबालिग उसे पसंद नहीं करती. वह करन को बातचीत करने से भी इंकार करती रही.
नाबालिग के पिता ने कई बार करन काे समझाया और चेतावनी भी दी कि वह रानू को परेशान करना छोड़ दे. इसके बाद भी करन ने उसका पीछा करना नहीं छोड़ा.वह पिछले कुछ दिनों से उसे फोन कर परेशान करने लगा था खास बात यह कि करन एक मजदूर है और विवाहित भी उसके दो बच्चे हैं.
घटना रात्रि को 3 बजे करन मौका देख कर रानू के घर घुस गया. नाबालिग के माता-पिता और बहन सो रहे थे.वह नाबालिग के कमरे में घुस गया. वहां दोनों के बीच विवाद हुआ. करन ने अचानक ही रानू पर मिट्टी तेल डालकर आग लगा दी. इस दौरान उसके शरीर पर भी आग लग गई. उसने तुरंत अपने कपड़ों की आग बुझाई और वहां से भाग गया.
रानू चींखती बाहर आई. उसकी आवाज सुनकर परिजनों ने आग की लपटों में घिरा देख किसी तरह आग बुझाई और उसे अस्पताल ले गए.
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प्यार का अपराधीकरण
दरअसल, जब कोई विवाहित किसी नाबालिग अथवा अविवाहित लड़की से प्यार का इजहार करने लगे और शादी करने की जिद तो यहीं से अपराध के बीज पड़ने लगते हैं. समाज और कानून के नियमों परंपराओं का उल्लंघन करने के कारण जहां अपराध होने लगते हैं वही विकृति भी पैदा हो जाती है.
उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता बीके शुक्ला के मुताबिक उनके पेशेवर समय में ऐसे अनेक मामले उनके पास आए हैं जिनमें ऊपर घटित अपराध घटनाक्रम के पात्र रानू और करन जैसे हालात रहे हैं. ऐसे मामलों में कुल मिलाकर दोनों ही परिवारों का जीवन बर्बाद होते मैंने देखा है. कानून की अपनी मर्यादा होती है, सीमाएं हैं. अच्छा हो कि इस लेख को पढ़कर समझ कर अगर कुछ लोग भी अपनी मर्यादा लक्ष्मण रेखा खींच लें, तो उनका जीवन सुखमय हो जाएगा.
पुलिस अधिकारी इंद्र भूषण सिंह के मुताबिक अक्सर इस तरह के घटनाक्रम पुलिस के पास आते ही रहते हैं. मैंने विवेचना की है और पाया है कि पुरुष हो या स्त्री दोनों में से किसी के भी पैर भटक सकते हैं और जब जब ऐसा होता है तो सामाजिक परंपराओं का उल्लंघन होता है. और परिवार टूट जाते हैं.
सामाजिक कार्यकर्ता शिव दास महंत के मुताबिक उनके सामाजिक जीवन में भी ऐसे कुछ उदाहरण उन्होंने देखे समझे हैं. और जीवन की डगर में भटकती हुई महिला पुरुषों को समझाइश देकर उन्हें सही मार्ग पर लाने का छोटा सा सफल प्रयास किया है.
सीरियल ‘सावधान इंडिया‘ के सहायक कला निर्देशक प्रमोद कालेकर की दुर्घटना में हुई मौत के बाद फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लॉयज (एफडब्लूआइसीई) ने काफी कड़ा रूख अख्तियार किया है. अब एफडब्लूआइसीई ने तय किया है कि दूसरी बार इस तरह की घटना वर्करों के साथ हुई तो मुआवजा के अलावा निर्माता और चैनल के खिलाफ एफआईआर दर्ज करायी जाएगी.
और जब तक एफआईआर दर्ज नहीं होती,तब तक इस संगठन से जुड़े वर्कर उस निर्माता और चैनल के साथ असहयोग करेंगे.
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ज्ञातब्य है कि ‘फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लॉयज’ की पहल पर सीरियल ‘‘सावधान इंडिया ‘‘के मृत कला निर्देशक प्रमोद कालेकर के परिजन को निर्माता ने 20 लाख रुपये की आर्थिक मदद दी है और चैनल ने फेडरेशन के पत्र को गंभीरता से लेते हुए इस सीरियल की शूटिंग 15 दिन के लिए बंद कराते हुए साफ कह दिया था कि जब तक इस मुद्दे को क्लियर नहीं कराया जाता, इस सीरियल की शूटिंग नहीं होगी.निर्माता का पेमेंट रोक दिया था. फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लॉयज (एफडब्लूआइसीई) के अध्यक्ष बीएन तिवारी ने बुधवार दस मार्च को आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में यह जानकारी दी.
बुधवार को फेडरेशन के कार्यालय में आयोजित इस प्रेस कांफ्रेंस में फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लॉयज (एफडब्लूआइसीई) के जनरल सेक्रेटरी अशोक दुबे, ट्रेजरार गंगेश्वरलाल श्रीवास्तव, मुख्य सलाहकार शरद शेलार, अशोक पंडित और गजेंद्र चैहान तथा अन्य पदाधिकारी भी मौजूद थे. इस अवसर पर बी एन तिवारी ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा,‘‘ फिल्म टीवी सीरियलों की शूटिंग से जुड़े मासिक कामगारों के लिए एक माह में चार अवकाश होना जरूरी है. अगर किसी चैनल या निर्माता ने ऐसा नहीं किया, तो उनके खिलाफ शख्त काररवाही की जाएगी. इसके अलावा कोरोना को ध्यान में रखते हुए कामगारों का कोविड इंश्योरेंस और जनरल इंश्योरेंश होना जरूरी है.
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निर्माता और चैनल को इस बात पर खास ध्यान देना होगा. साथ ही देखा जाता है कि कई प्रोडक्शन हाउस वर्करों को शूटिंग के दौरान पौष्टिक आहार और शुद्ध पानी तक नहीं देते. सेनिटाइजर और सोशल डिस्टेंस भी कई सेटों पर नहीं रखा जाता. यह गलत है.’’
वहीं ‘‘फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लॉयज (एफडब्लूआइसीई)’’के महासचिव अशोक दुबे ने कहा,‘‘हमारे पांच लाख वर्कर हैं,जिनका परिवार मिलाकर 20 से 25 लाख लोग हैं. इनको कोरोना काल में केंद्र या राज्य सरकार ने कोई मदद नहीं की.बल्कि राज्य सरकार के कुछ माननीय मंत्रियों और नेताओं ने हमारी जॉच शुरू कर दी. हमारी संस्था गैर राजनीतिक संस्था है, इसलिए हमने रजिस्ट्रार के पास संस्था का पूरा हिसाब- किताब देकर उन्हें संतुष्ट किया.’’
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‘‘फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लॉयज (एफडब्लूआइसीई)’’ के कोषाध्यक्ष गंगेश्वरलाल श्रीवास्तव ‘संजू भाई ‘ ने कहा,‘‘आए दिन देखा जाता है कि निर्माता या चैनल निश्चित समय पर वर्करों को पारिश्रमिक राशि नही चुकाते हैं,पर अब सब नही होगा. ’’
इसी अवसर पर मीडिया की मौजूदगी में ‘‘एफडब्लूआइसीई’’के अध्यक्षा बी एन तिवारी ने घोषणा की कि फिल्म और टेलीविजन से जुड़े वर्करों के लिए केंद्र और राज्य सरकार की अनुमति के बाद प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत महाराष्ट्र के कर्जत के समीप शेलू में दादा साहेब फाल्के गृह निर्माण योजना की शुरुआत हो रही है, जिसमे फस्ट फेज में दस हजार अस्सी घरों का निर्माण होने जा रहा है. इसका भूमि पूजन शिवरात्रि पर होगा. इस टाउनशिप में अस्पताल,स्कूल तथा अन्य सुविधा भी होगी.इस टाउनशिप में फिल्म और टीवी वर्करों के लिए काफी सस्ते दर पर 465 स्क्वायर फिट के फ्लैट बनाए जाएंगें.
टीवी का फेमस सीरियल अनुपमा (Anupamaa) एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर पर आधारित है. यह शो फैंस के बीच काफी पौपुलर है. इन दिनों इस शो में हाईवोल्टेज ड्रामा चल रहा है, जिससे दर्शकों को जबरदस्त एंटरटेनमेंट का तड़का मिल रहा है. तो आईए जानते हैं इस सीरियल के अपकमिंग एपिसोड के बारे में.
इस सीरियल के अपकमिंग एपिसोड में आपको धमाकेदार ट्विस्ट देखने को मिलने वाला है. शो में फेस्टिवल के खास मौके पर अनुपमा पूरे घर को सजाती है. तो उधर वनराज उससे अपनी मदद के लिए कहता है, जैसे ही अनुपमा उसकी मदद करने जाती है, तो वहां काव्या आ जाती है और वह उन दोनों को एक साथ देख लेती है.
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तो उधर वनराज अपनी परेशानी अनुपमा से शेयर करता है और कहता है कि उसे कोई नौकरी नहीं मिल रही है और अनुपमा उसे दिलासा दते हुए कहती है कि उसे नौकरी मिल जाएगी, बस भारोस रखें. तो इधर राखी सबको बताती है कि वनराज और काव्या अपने लिए नया घर खोज रहे है.
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शो के बीते एपिसोड में आपने देखा कि वनराज, समर और नंदिनी के रिश्ते से काफी गुस्से में हैं, तो वहीं उसकी गर्लफ्रेंड काव्या को इस रिश्ते से कोई आपत्ति नहीं है. वह चाहती है कि समर और नंदिनी की शादी हो जाए पर वनराज उसे भी खरी-खोटी सुना देता है.
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सीरियल के पिछले एपिसोड में यह भी दिखाया गया कि जब बा, वनराज और काव्या को रोमांस करते हुए देखती हैं, तो वह भड़क जाती हैं और दोनों को जमकर लताड़ लगाती हैं तो ऐसे में वनराज के फैसला लेता है कि वह इस घर में काव्या के साथ नहीं रहेगा. यह सुनकर काव्या परेशान हो जाती है क्योंकि वो ऐसा नहीं चाहती है. वह घर में रहकर बा और अनुपमा से बदला लेना चाहती है.
भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री की दिग्गज अभिनेत्री आम्रपाली दुबे उस वक्त मुश्किल में पड़ गईं थीं, जब उन्हें गुंडों ने चारों ओर से घेर लिया था. आम्रपाली को प्रयागराज के माघ मेला परिसर में उसी वक्त कुछ गुंडों ने उन्हें घेर लिया, इसेमें भोजपुरी सुपर स्टार खेसारीलाल यादव की वहां इंट्री होती है. खेसारी, आम्रपाली को बचाने के लिए उन गुंडों से भीड़ जाते हैं और उनकी जमकर पिटाई भी कर देते हैं. इसी बीच मौके पर पुलिस आ जाती है और गुंडे भाग जाते हैं. पुलिस खेसारी लाल यादव को गिरफ्तार कर ले जाती है.
दरअसल ये पूरा वाकया निर्माता प्रदीप के शर्मा की नई फिल्म ‘आशिकी’ के सेट की है, जिसकी शूटिंग इन दिनों प्रयागराज के माघ मेला परिसर जोर शोर से चल रही है. फिल्म में पहली बार खेसारीलाल यादव और आम्रपाली दुबे साथ नजर आ रहे हैं. फिल्म के निर्देशक कई सफल फिल्मे दे चुके पराग पाटिल हैं. सह निर्माता अनीता शर्मा व पदम सिंह हैं. पीआरओ रंजन सिन्हा व रामचंद्र यादव हैं. फिल्म का निर्माण बाबा मोशन पिक्चर प्रा.लि. के बैनर तले हो रहा है.
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फिल्म ‘आशिकी’ को लेकर खेसारीलाल यादव ने कहा कि यह फिल्म कमाल की है. यह ऐसी फिल्म है कि जिसके बारे में आप सोच भी नहीं सकती हैं. इसमें सार्थक सन्देश भी दर्शकों को मिलने वाला है. ‘लिट्टी चोखा’ के बाद प्रदीप के शर्मा की दूसरी फिल्म ‘आशिकी’ बेहद खास है. प्रदीप के शर्मा की बात ही अलग है. क्यूंकि वे एक ऐसे निर्माता हैं, कि अगर उन्हें फिल्म की बेहतरी के लिए कुछ भी कहा जाये, तो वो तुरंत मुहैया करवा देते हैं.
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वहीं, खेसारी ने आम्रपाली दुबे को लेकर कहा कि वे इंडस्ट्री की बहुत अच्छी अभिनेत्री हैं. उनके साथ मेरी यह पहली फिल्म है. हालांकि हम पहले साथ में गाने और अलबम कर चुके हैं. लेकिन पहली बार फुल फ्लेज फिल्म करके मजा आ रहा है. उम्मीद करते हैं कि दर्शकों को हमारी केमेस्ट्री पसंद आये.
सवाल
मैं 30 वर्षीया महिला हूं. शादी के 5 वर्षों बाद काफी इलाज के बाद बच्चा हुआ है. शुरू के कुछ दिन तो मैं स्तनपान कराती रही लेकिन अब ज्यादा दूध नहीं आता है. बच्चे का पेट नहीं भरता, इसलिए रोता है. आखिर में उसे ऊपरी दूध देना पड़ रहा है. बच्चे को मिल्क पाउडर वाला दूध पिलाते वक्त बहुत दुखी होती हूं. हर वक्त उस की सेहत की चिंता सताती रहती है. क्या करूं?
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जवाब
देखिए, सब से पहले तो आप डाक्टर से मिल कर परामर्श लीजिए कि स्तनों में दूध न आने की वजह क्या है. दूध का न आना मां के स्वास्थ्य से जुड़ा होता है, जैसे मोटापा भी शरीर में दूध उत्पादन की प्रक्रिया के धीमा होने का कारण हो सकता है. शिशु के जन्म के समय तनाव, रक्त में लौह तत्त्व के स्तर को भी सीधे दूध के उत्पादन दर से संबंधित माना जाता है. कुछ दवाओं का उपयोग करने से भी यह समस्या हो सकती है.
लेकिन, तब तक आप की समस्या है नवजात शिशु को ऊपरी दूध पिलाने की. देखिए, कई बार मजबूरी हो जाती है कि बच्चे को मां के दूध के बजाय मिल्क पाउडर से बना दूध दिया जाता है. बेबी मिल्क पाउडर तरल दूध को वाष्पीकृत कर के कृत्रिम रूप से बनाया जाता है. यह पूरी तरह से एक नवजात की पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करने में मददगार होता है. मां के दूध का यह सुरक्षित विकल्प है. इस में वे सभी पोषक तत्त्व होते हैं जो एक नवजात शिशु के विकास के लिए जरूरी हैं. यह बच्चे को एनीमिया से बचाने और संक्रमण के खिलाफ लड़ने के लिए मजबूत बनाता है. सो, ज्यादा चिंता न करें. तनावमुक्त रह कर खुशी के साथ अपने बच्चे को बेबी मिल्क पाउडर से बना दूध पिलाएं और उस की देखभाल करने में ध्यान लगाएं.
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