Manohar Kahaniya : पावर बैंक ऐप के जरिए धोखाधड़ी- भाग 3

सौजन्य- मनोहर कहानियां

चीनी नागरिक उन्हें बैंकों में खाते खुलवाने, भुगतान गेटवे तैयार कराने, अन्य डमी निदेशकों आदि की व्यवस्था करने के निर्देश देते थे. इस काम के लिए वे 3 लाख रुपए की मोटी रकम लेते थे. सीए अविक केडिया ने बताया कि चीनी धोखेबाजों के लिए उस ने 110 से अधिक शेल कंपनियां बनाई थीं.

चीनी धोखेबाजों और उन के ये सभी गुर्गे बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी फंड ट्रांसफर के लिए उच्च गुणवत्ता  वाले सौफ्टवेयर और वित्तीय टूलों का इस्तेमाल करते थे.

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रोचक खुलासों से चौंकी पुलिस

पुलिस को अब तक की जांच में पता चला है कि पावर बैंक, ईजी मनी के जरिए अब तक पूरे भारत में करीब 5 लाख लोगों को ठगा जा चुका था और इन से करीब 2 महीनों में ही 150 करोड़ रुपए से अधिक की ठगी की गई. पुलिस ने सीए अविक केडिया के गुड़गांव स्थित घर से 97 लाख रुपए नकद भी बरामद किए.

पुलिस को जांच और पूछताछ में पता चला था कि पावर बैंक क्विक अर्निंग ऐप गूगल प्लेस्टोर पर था और इसे चीन के एक सर्वर से कमांड दी जाती थी.

जबकि पावर बैंक व ईजीमनी का ऐप 222.द्ग5श्चद्यड्डठ्ठ.द्बठ्ठ वेबसाइट पर उपलब्ध था. इस ऐप के संदेश लोगों को स्पैम के रूप में आते थे. प्राप्तकर्ता को एक संक्षिप्त (एनक्रिप्टेड) यूआरएल के माध्यम से ऐप डाउनलोड करने के लिए प्रेरित किया जाता था. इसलिए जब पुलिस ने इस की संदिग्ध गतिविधि को परखा तो एनसीएफएल की मैलवेयर फोरैंसिक लैब से इस ऐप की जांच करवाई. जांच में कुछ रोचक खुलासे से पुलिस चौंक गई.

पावर बैंक व ईजीमनी ऐप ने खुद को बेंगलुरु आधारित एक स्टार्टअप कंपनी का प्रोजैक्ट बताया था, जो क्विक चार्जिंग अर्न करने की चेन से जुडा था. लेकिन जिस सर्वर पर ऐप को होस्ट किया गया था, उस के  चीन में होने के कारण पुलिस को इस में छिपे ठगी के नेटवर्क का शक हो गया.

ऐप्स की जांच में यह बात भी साफ हुई कि ये ऐप्स कई खतरनाक अनुमतियों से जुड़े थे. जैसे कि इन की पहुंच उपयोगकर्ता के कैमरे, उस में संग्रहित फोटो, वीडियो और दस्तावेजों की सामग्री तथा उन के कौन्टैक्ट नंबर का डाटा हासिल करने तक थी.

शुरुआती जांच में ही पुलिस को शक हो गया था कि इन ऐप्स का इस्तेमाल लोगों से धोखाधड़ी करने के अलावा उन के डाटा को चोरी करने के लिए भी किया जा रहा था.

पुलिस ने अब तक इस सिंडीकेट से जुड़े जिन 11 लोगों को गिरफ्तार किया था. उन के अलावा भारत में ही इस नेटवर्क से जुड़े दूसरे भारतीय अपराधियों की भूमिका के नाम सामने आ चुके हैं. इन के अलावा कई चीनी नागरिकों के नामों का भी खुलासा हुआ है, जो चीन की सीमा में हैं. इन जालसाजों को कैसे कानून की पकड़ में लाना है, इस के लिए पुलिस बड़ी रणनीति पर काम कर रही है.

दरअसल, इन ऐप्स के जरिए लोग जिस रकम को इनवैस्ट करते थे, उस का करीब 80 फीसदी हिस्सा विभिन्न खातों से होते हुए इसी चाइनीज नेटवर्क के पास आता था.

जांच में पता चला है कि चीनी धोखेबाजों ने इस धोखाधड़ी के जरिए भोलेभाले और शौर्टकट से पैसा कमाने वाले लोगों को लूटने के लिए देश भर में अपने गुर्गों का एक बड़ा नेटवर्क बनाया था.

उन्होंने इस मेगा धोखाधड़ी के संचालन के लिए देश भर के विभिन्न शहरों में चार्टर्ड एकाउंटेंट्स, बैंक अकाउंट कस्टोडियन, डमी डायरेक्टर्स, मनी म्यूल्स आदि नियुक्त किए हुए हैं.

अभी तक पश्चिम बंगाल, दिल्ली व एनसीआर क्षेत्र, बेंगलुरु, ओडिशा, असम और सूरत में इस तरह की जालसाजी के सबूत पुलिस के सामने आ चुके हैं.

चीनी नागरिकों ने टोनी व फियोना जैसे अंगरेजी नाम रखे थे. इन चीनी नागरिकों ने ठगी के लिए कई ऐप्स को अप्रैल महीने की शुरुआत में भारतीय बाजार में सर्कुलेट करना शुरू किया था. इस के बाद 12 मई को ये ऐप बंद हो गए.

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चीनी नागरिकों के इस गिरोह में कई ऐसे भारतीय काम कर रहे थे, जो कभी चीनी आकाओं से मिले ही नहीं और न ही उन्हें जानते हैं. बस उन के लिए काम कर रहे थे. इन लोगों ने ही ठगी के लिए भारतीयों को गिरोह में भरती किया था.

फिलहाल दिल्ली पुलिस इस मामले की जांच में महत्त्वपूर्ण डिजिटल साक्ष्य हासिल करने के लिए विभिन्न प्रयोगशालाओं की मदद ले रही है और इस अपराध में शामिल अन्य अपराधियों को पकड़ने के लिए लगातार छापेमारी कर रही है.

—कथा पुलिस की जांच व आरोपियों से पूछताछ पर आधारित

क्या सेक्स करने से भी हो सकता है कोरोना!

एक तरफ जहां कोरोना वायरस से बचाव के लिए सोशल डिस्टैंसिंग को जरूरी बताया जा रहा है, वहीं लोगों के मन में यह सवाल भी उठ रहे हैं कि क्या सेक्स करने से भी कोरोना वायरस फैल सकता है? जानिए, सेक्स को ले कर जुङे तमाम सवालों के जवाब :

पार्टनर के साथ सेक्स करने से कोरोना वायरस फैलने का डर है क्या?

कोरोना वायरस संक्रमण से ही फैलता है मगर यह सेक्स से फैलता है, इस को ले कर अभी कोई ठोस वजह सामने नहीं आया है. मगर जब कोई सेक्स पार्टनर से इंटिमेट होता है तो इस वायरस के फैलने का खतरा हो सकता है. मगर यह तब होगा जब सेक्स पार्टनर में से कोई एक कोरोना वायरस से संक्रमित होगा.

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क्या सोशल डिस्टैंसिंग सेक्स पार्टनर पर भी लागू होता है?

बिलकुल. अगर सेक्स पार्टनर को सूखी खांसी, छींक अथवा नाक बहने के लक्षण हैं तो उस के साथ सेक्स करने से बचना चाहिए और अलग क्वारेंटीन करना चाहिए.

क्या फेस मास्क लगा कर सेक्स किया जा सकता है? यह कितना सेफ है?

सेक्स पार्टनर अगर कोरोना वायरस से संक्रमित है तो उस के साथ सेक्स संबंध बनाने से परहेज करें. इस दौरान दूसरे पार्टनर को भी इफैक्ट होने का चांस हो सकता है. इस का फेस मास्क से कोई लेनादेना नहीं है.

क्या ओरल सेक्स से भी कोरोना वायरस के फैलने का खतरा है?

कोरोना वायरस से संक्रमित सेक्स पार्टनर से ओरल सेक्स सेफ नहीं माना जा सकता क्योंकि इस प्रकिया में भी डीप टच होता है और पूरी संभावना है कि इस से दूसरा भी संक्रमित हो जाए. इसलिए यह कह सकते हैं कि ओरल सेक्स भी पूरी तरह सेफ नहीं है.

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इस समय सेक्स संबंध बनाने से पहले क्या करना चाहिए?

पार्टनर के साथ सेक्स करने से पहले हाइजीन का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. बैडरूम में जाने से पहले कपड़े बदल लें. बेहतर होगा कि बाहर से आने के बाद चप्पलें आदि भी बदल लें. खुद को सैनिटाइज कर नहा लेना चाहिए. सब से जरूरी है कि अगर पार्टनर में कोरोना वायरस के कोई भी लक्षण दिखें तो बेहतर है कि अलगअलग रहें और चिकित्सक से संपर्क करें.

-डा. एल बी प्रसाद एमबीबीएस, एमडी, सीनियर कंसल्टैंट, फिजीशियन ऐंड डाइबेटोलोजिस्ट से बातचीत पर आधारित

मेरा कुसूर क्या है: भाग 3

लेखक- एस भाग्यम शर्मा

जब तक मैं ने बीएड किया. मम्मी पूरे साल इन्हीं चक्करों में पड़ी रहीं और रुपयों को बरबाद करती रहीं. पापा बहुत नाराज होते. मम्मी कभीकभी उन से छिप कर ऐसे काम करने लगीं कि मेरे मम्मीपापा में भी तकरार होने लगी.

पंडितों और ज्योतिषियों ने मम्मी से कह दिया कि इन का डाइवोर्स कभी नहीं होगा. ये दोनों हमेशा साथ रहेंगे, तो मम्मी को विश्वास हो गया कि सब ठीक हो जाएगा.

मु झे लगता कि इन सब का कारण मैं ही हूं. मु झे खुद पर शर्म महसूस होती.

फिर भी मैं राजीव के साथ जाने को तैयार नहीं थी. पर ‘मान न मान मैं तेरा मेहमान…’ कुछ लोग भी बीच में पड़ कर मु झे सम झौता करने के लिए मजबूर करने लगे.

मेरे पापा की हालत भी ठीक नहीं थी. उस का दोष भी मेरा भाई मु झ पर ही मढ़ना चाहता था.

मेरा बीएड पूरा हो चुका था और राजीव ने अपना ट्रांसफर दूसरे प्रदेश में करा लिया था ताकि दोनों फैमिली का हस्तक्षेप न रहे.

मु झे नौकरी करने की परमिशन मिल गई थी. शहर भी बड़ा था तो मैं ज्यादा कुछ बोल नहीं पाई.

वहां पर मु झे तुरंत नौकरी मिल गई. अच्छी नौकरी थी. मेरा बेटा भी मेरे साथ ही जाने लगा. पर राजीव अपनी हरकतों से बाज नहीं आए. हरेक बात पर लड़ाई झगड़ा करना, बातबात पर हाथ उठाना उन के लिए बड़ी बात नहीं थी.

अब मैं मां को पत्र लिख सकती थी. स्कूल जाने से मेरा मन भी बदल गया था. इन बातों को मैं ने बड़ा नहीं लिया. मैं ने भी सोचा कि समय के साथ सब ठीक हो जाएगा.

इस बीच, मैं फिर प्रैग्नैंट हो गई. एक बार तो गर्भपात करा दिया. जब दूसरी बार प्रैग्नैंट हुई तो गर्भपात कराने के लिए मैं ने ही मना कर दिया.

पापा को लगता कि मम्मी मु झे ससुराल में रहने नहीं देतीं. पर ऐसी बात नहीं थी. पापा और मम्मी के बीच में तकरारें होने लगीं. मम्मी मेरी बहुत चिंता करतीं.

मु झे सर्विस करने की परमिशन तो दे दी पर जौइंट अकाउंट में पैसा जमा होता था, जिस में से मैं निकाल नहीं सकती. राजीव सब ले कर खर्च कर देते. मैं कुछ नहीं कर पाती.

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मु झे अपने खर्चे के लिए उन के आगे हाथ फैलाना पड़ता. घर की सारी जरूरतें मेरी सैलरी से ही पूरी करते. कह दूं तो लड़ाई झगड़ा होता.

जब डिलीवरी कराने की बात आई, फिर पीहर ही गई. मांबाप तो मजबूर थे. एक बच्चा और पैदा हो गया. अब हम 4 लोग हो गए.

इस बीच, पापा का देहांत हो गया. मम्मी पढ़ीलिखी, सक्षम थीं. पर भैया ने घर की बागडोर अपने हाथों में ले ली. मम्मी ऐसी परिस्थिति में डिप्रैशन में रहने लगीं.

मु झे लगा ऐसी परिस्थिति में मैं यहां से चली जाऊं तो ज्यादा ठीक है. राजीव तो बुला ही रहे थे.

मैं ने मम्मी से कहा, ‘मम्मी, आप मेरी प्रेरणास्रोत हो. आप सम झदार हो. मैं भी पढ़ीलिखी हूं. मैं अपनेआप को संभाल लूंगी. आप मेरी चिंता मत करो. मैं जा रही हूं. आप अपनेआप को संभालो.’

मम्मी धीरेधीरे अपनेआप को संभालने लगीं. पर मैं ने कोई भी शिकायत राजीव की मम्मी से नहीं की.

मेरी तकलीफें दिनप्रतिदिन बढ़ती रहीं. राजीव का ट्रांसफर अलगअलग जगहों पर होता रहा. मु झे कई बोल्ड स्टैप उठाने पड़े. मैं जहां जाती थी, मु झे नौकरी आराम से मिल जाती थी. सो, नौकरी को ही अपना मनोरंजन सम झ कर मैं बराबर काम करती रही.

राजीव तो वैसे ही रहे, ‘अभी तक  झाड़ ू नहीं लगी. आज सिर क्यों नहीं धोया? आज तो चौथ का व्रत है. तुम्हारे संस्कार ठीक नहीं. तुम्हारी मां ने तुम्हें कुछ नहीं सिखाया, सुबह उठते ही पहले नहाना चाहिए, फिर रसोई में जाना चाहिए…’

अब मैं स्वयं 40 साल की हो गई थी. वे मेरी मम्मी के बारे में ही बोलते रहते हैं कि उन्होंने मु झे कुछ नहीं सिखाया. अब  तो मेरी बहू आने के दिन आ रहे हैं. पर क्या करूं…

मु झे 6:30 बजे सुबह स्कूल के लिए रवाना होना होता है. मैं नहाधो कर खाना बनाती तो पसीने से तरबतर हो जाती. ऐसी स्थिति में स्कूल जाना मुश्किल हो जाता. मगर यह बात उन के दिमाग में नहीं आती. घर में चाय के लिए दूध भले ही न हो, बच्चे के लिए दूध न हो पर एक लिटर दूध सोमवार को शिवमंदिर में चढ़ाने का ढकोसला जरूर करना है.

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पहले तो राजीव मु झे और बच्चों को भी साथ ले कर मंदिर जाते थे. वहां करीब एक घंटा लगता. हम बुरी तरह थक जाते. फिर बहुत कह कर मना किया.

मैं ने कहा, ‘आप को जो करना है करो, मैं मंदिर नहीं जाऊंगी.’

फिर ससुरजी ने कहा कि उस को नहीं जाना तो छोड़ दे. फिर इस से तो मु झे मुक्ति ही मिली.

राजीव तो अब भी, जब मेरे बच्चे बड़ेबड़े हो गए, यही कहते हैं, ‘‘मेरा दिया खाती हो, शर्म नहीं आती? निकल जा मेरे घर से.’’

अब निकल कर कहां जाऊंगी. मेरे बच्चे पढ़ रहे हैं. उन को बीच म झधार में छोड़ कर मैं कैसे जा सकती हूं.  बच्चों को तो मम्मी की आवश्यकता है न, मेरे भी अपने कर्तव्य हैं न.

मैं एक बच्चे का खर्चा स्वयं वहन करती हूं. इस के बाद भी मेरी इंसल्ट करता रहता है.

मैं समाज से नहीं डरती. उसे जो कहना है कहे. मु झे अपने बच्चों की चिंता है. कोर्टकेस, तलाक… इन सब के बीच में जो होशियार और होनहार बच्चे हैं उन का भविष्य मैं खराब नहीं करना चाहती. यही सोच कर मैं साथ रह रही हूं. जैसे ही मेरे बच्चे अपने पैरों पर खड़े हो जाएंगे, तो सोचती हूं मैं अलग हो जाऊंगी. उस समय भी मेरे लिए संभव होगा, यह मैं वक्त पर छोड़ती हूं…

बहुत से लोग कहते हैं कि आजकल ऐसा नहीं होता. पढ़ीलिखी, आत्मनिर्भर लड़कियों के साथ ऐसा नहीं होता. अब मैं उन्हें क्या कहूं?

आज भी समाज में ऐसी बहुत लड़कियां हैं जो खून के आंसू रोती हैं पर दुनिया में अपने को प्रसन्न दिखाती हैं. उसी में से मैं भी एक हूं. जब तक पितृसत्तात्मक समाज रहेगा, लड़कियों के साथ ऐसा होता रहेगा.

‘नमस्ते बिहार’ फेम राजन कुमार ने भोजपुरी फिल्मों में बढ़ती अश्लीलता के खिलाफ उठाया बड़ा कदम, पढ़ें खबर

भोजपुरी फिल्मों के साथ ही भोजपुरी गीत संगीत में बढ़ती अश्लीलता व फूहड़ता ने अब कई बिहार पुत्रों के इसके खिलाफ जंग छेड़ने के लिए उद्वेलित कर दिया है.इसी के चलते बिहार की पृष्ठभूमि पर बनी सफलतम फिल्म ‘‘नमस्ते बिहार‘‘फेम और चार्ली चैप्लिन द्वितीय के रूप में मशहूर अभिनेता तथा  बिहार पुत्र हीरो राजन कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सूचना व प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर,बिहार प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिख कर भोजपुरी सिनेमा व भोजपुरी गीत संगीत में जिस तरह से लोकगीतों के नाम पर अश्लीलता परोसी जा रही है,उसे रोकने के लिए दिल्ली,मुंबई,कलकत्ता ,चेनई, हैदराबाद की तरह बिहार राज्य के पटना शहर में ‘‘केंद्रीय फिल्म प्रसारण बोर्ड’ का दफ्तर खोलने की मांग की  है. जिससे भोजपुरी व मैथिली भाषा के जानकार लोग अश्लीलता रोकने में मददगार साबित हो सकें.

पिछले कुछ वर्षों में बिहार में लोक गीत संगीत और भोजपुरी गाने के नाम पर धड़ल्ले से अश्लीलता परोसी जा रही है. आज अश्लीलता, द्विअर्थी गीतों और भड़काऊ अलबम का बहुत बड़ा भयावह बाजार बन गया है. भोजपुरी गीत के नाम पर बहन, चाची, लईकी, भउजी, साली जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते हुए रिश्तों को भी बदनाम किया जा रहा है.पिछले दिनों कई  भोजपुरी कलाकारों द्वारा परोसी गई अश्लीलता पर सोशल मीडिया पर काफी हंगामा भी हुआ, बात मीडिया में भी आई मगर इस समस्या पर कोई सख्त कदम नहीं उठाया गया,जिससे लोग ऐसे भद्दे गाने बनाने या इसे रिलीज करने से पहले सोचें.

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यूं तो हाल ही में सांसद रवि किशन शुक्ला ने भी भोजपुरी फिल्मों और गानों के जरिए समाज में फैलाई जा रही अश्लीलता पर रोक लगाए जाने के लिए सख्त कानून बनाने की मांग की थी. लेकिन उनकी इस मांग पर कुछ लोगों ने तंज कसते हुए कहा कि,‘क्या रवि किशन ने जिन भोजपुरी फिल्मों में अभिनय किया, वह साफ सुथरी फिल्मों की श्रेणी में आती हैं?’’ खैर, अब बिहार पुत्र, ‘बिहार फिल्म एंड टीवी आर्टिस्ट एयसोसएिशन’ के संस्थापक अध्यक्ष और फिल्म ‘‘नमस्ते बिहार‘‘ के  हीरो राजन कुमार ने बिहार में सेंसर बोर्ड स्थापित करने की मांग की है.

हीरो राजन कुमार ने बिहार फिल्म एंड टीवी आर्टिस्ट्स एसोसिएशन के संस्थापक अध्यक्ष की हैसियत से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, सूचना व प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर,बिहार राज्य के मुख्यमंत्री  नीतीश कुमार को पत्र लिखकर  उनका ध्यान समाज की इस गंदगी की तरफ देने की गुहार लगाई है. उन्होंने इस पत्र में लिखा है कि बिहार में भोजपूरी गानों और फुहड़ फिल्मो के द्वारा अश्लीलता का बाजार गरम है,जो समाज और हमारी सांस्कृतिक विरासत को एक बड़ा खतरा है. उन्होने अपने इस पत्र में अश्लील गीत संगीत और फूहड़ता फैलाने वाली फिल्मों पर अंकुश लगाने के लिए बिहार के पटना शहर में सेंसर बोर्ड की स्थापना की अपील की है.

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राजन कुमार ने अपने पत्र में लिखा है कि बिहार अपनी कला संस्कृति, गीत संगीत और लोकगीत की महत्ता और खूबसूरती की वजह से सारी दुनिया मे मशहूर है. बिहार के पारम्परिक लोकगीतों को सुनते ही दिल दिमाग को बहुत सुखद अनुभव होता है परन्तु, दुःख की बात यह है कि आज लोकगीत के नाम पर अश्लील गीत संगीत तैयार किए जा है जिन पर लड़कियों से उत्तेजक डांस करवाए जा रहे हैं. जिसका दुष्परिणाम ये हो रहा है कि आपराधिक घटनाओं में बढ़ोतरी हो रही है और हमारा युवा भटकता जा रहा है. अब तो, शादी-व्याह, तिलक, जन्मदिन और छोटे-छोटे उत्सवों पर भी अश्लील गीत संगीत बजाकर और इस तरह के कार्यक्रम कर इनको फलीभूत किया जा रहा है.निजी सवारी, सामान ढोने वाले वाहन, चैक-चैराहा, ऑटो-टेम्पो, बस और ट्रैक्टर में धड़ल्ले से ऐसे द्विअर्थी गाने बज रहे है.जिन्हें सुनकर कुछ मनचले युवक रास्ते पर, सफर में अकेले चल रही बहु-बेटियो पर छींटाकशी करते हैं. इसलिए बिहार कला संस्कृति के सम्मान हेतु इस पर जल्द से जल्द अंकुश लगाने की जरुरत है.

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राजन कुमार ने सूचना व प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर व  बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को निवेदन के साथ कुछ बेहद महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए हैं.उनकी अपील है कि बिहार में केद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड की स्थापना हो, जो म्यूजिक वीडियो और फिल्म को सेंसर करके पारित करे. कला संस्कृति विभाग के अधिकारिक वेबसाइट पर सभी कलाकारों,फिल्मकारों,गीतकारों,  संगीतकारों और फिल्म निर्देशकों का  सरकारी पहचान पत्र के साथ ऑनलाइन पंजीकरण हो. बिहार में एक राज्य और प्रमंडलवार गीत,संगीत और फिल्म परामर्शी समिति का गठन हो, जो भोजपुरी व मैथिली सहित कई क्षेत्रीय भाषाओं पर आधारित गीत संगीत को देखकर कर अनुमति दे. सभी रिकॉर्डिंग स्टूडियोको गीत-संगीत रिकॉर्डिंग मार्गदर्शिका प्रदान किया जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि इसका अनुपालन कड़ाई से हो. जिससे कोई भी कलाकार अश्लील गीत@संगीत और फूहड़ फिल्म बनाने की कल्पना भी न करे.

बादशाह के नए गाने पर अक्षरा सिंह हुईं ‘पानी-पानी’, देखें Viral Video

भोजपुरी इंडस्ट्री की मशहूर एक्ट्रेस अक्षरा सिंह सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं. वह आए दिन फैंस के साथ फोटोज और वीडियो शेयर करती रहती हैं. फैंस को भी उनके पोस्ट का बेसब्री से इंतजार रहता है.

अब हाल ही में अक्षरा सिंह के लेटेस्ट वीडियो ने फैंस का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लिया है. जी हां, अक्षरा सिंह बॉलीवुड के मशहूर रैपर बादशाह के लेटेस्ट गाने ‘पानी-पानी’  पर डांस करती हुई नजर आ रही है.

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यह वीडियो फैंस के बीच जमकर वायरल हो रहा है. इस वीडियो में अक्षरा लाल साड़ी में ठुमका लगा रही हैं. अक्षरा सिंह के इस गाने को देखने के बाद फैंस जमकर तारीफ कर रहे हैं.

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आपको बता दें कि बादशाह के इस गाने में बॉलीवुड एक्ट्रेस जैकलीन फर्नांडिस नजर आई थीं.

 

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Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin: पाखी की मां सई की करेगी बेइज्जती, अब क्या करेगा विराट

स्टार प्लस का  सीरियल ‘गुम है किसी के प्यार में’ (Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin) में इन दिनों हाईवोल्टेज ड्रामा चल रहा है. शो के बिते एपिसोड में दिखाया गया कि पाखी अपने मां-पाप की वेडिंग एनिवर्सरी पार्टी में सई को छोड़कर घर के पूरे परिवार को इनवाइट करती है. शो के अपकमिंग एपिसोड में खूब धमाल होने वाला है. आइए जानते हैं शो के लेटेस्ट ट्रैक के बारे में.

शो में दिखाया जा रहा है कि विराट, पाखी कहता है कि अगर सई नहीं गई तो वो भी उस पार्टी में नहीं जा पाएगा. जिसके बाद पाखी सई को पार्टी में आने के लिए कहती है. सई पार्टी में जाने के लिए तैयार होती है. इस दौरान विराट सई की जमकर तारीफ करता है.

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शो में यह भी दिखाया जा रहा है कि  विराट सई को बताएगा कि वह पार्टी के बाद अपने मिशन पर निकल जाएगा. ये बात सुनकर सई परेशान हो जाती है. सई और विराट पाखी के घर जाते हैं.

 

शो के अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे पाखी की मां कहेगी कि सई एक मिडिल क्लास फैमिली से है. सई ने एक अमीर आदमी से शादी करके अपने सपने पूरे किए हैं.

तो दूसरी तरफ सई पाखी की मां को साड़ी तोहफे में देगी. पाखी की मां ये तोहफा लेने से मना कर देगी. पाखी की मां कहेगी कि वो सस्ती साड़ियां नहीं पहनती. ये बात सुनकर विराट और सई को बहुत बुरा लगेगा.

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तो  वहीं  विराट सई की बेइज्जती बर्दाश्त नहीं करेगा. वह पाखी को सबके सामने खरीखोटी सुनाएगा. शो के अपकमिंग एपिसोड में ये देखना दिलचस्प होगा कि पाखी का अगला प्लान क्या होगा?

‘अनुपमा’ असल जिंदगी में है Sarabhai Vs Sarabhai की नटखट मोनिशा, देखें Video

छोटे पर्दे का फेमस सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupamaa) फेम रुपाली गांगुली इन दिनों अक्सर सुर्खियों में छायी रहती है. शो में वह अपने किरदार से दर्शकों का दिल जीत रही हैं. रुपाली गांगुली को अनुपमा के किरदार में दर्शक खूब पसंद कर रहे हैं. इस किरदार के कारण वह घर-घर में मशहूर हैं.

कुछ फैंस का मनना है कि रुपाली गांगुली अपने किरदार ‘अनुपमा’  की तरह ही रियल में भी होंगी लेकिन एक्ट्रेस ने वीडियो शेयर कर बताया कि रियल लाइफ में वह कैसी हैं.

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जी हां, हाल ही में ‘अनुपमा’ यानी रुपाली गांगुली ने एक वीडियो शेयर किया है जिसे देखकर आप हैरान हो जाएंगे. रुपाली ने बताया है कि वो रियल लाइफ में बिलकुल अलग हैं. रुपाली गांगुली ने अपने पुराने शो ‘साराभाई वर्सेस साराभाई’ (Sarabhai Vs Sarabhai) का एक वीडियो पोस्ट किया है, जिसमें उन्हें कई अवतार में देखा जा सकता है.

 

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इस वीडियो को शेयर करते हुए बताया है कि वह रियल लाइफ में ‘साराभाई वर्सेस साराभाई’ की मोनिशा की तरह हैं. आपको बता दें कि इस शो में रुपाली ने मोनिशा का किरदार निभाया था. इस शो में रुपाली यानी मोनिशा एक चुलबुली और बेबाक लड़की नजर आती थी. रुपाली गांगुली ने आगे बताया कि मोनिशा करैक्टर को देखने के बाद उनके पापा पूछते थे, घर में कैमरा तो नहीं लगा है!

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‘अनुपमा’ के बीते एपिसोड में दिखाया गया कि वनराज को ज्यादा उम्र होने की वजह से नौकरी नहीं मिलती है. तो वहीं वनराज निराश नहीं होता और वह कहता है कि वह एक 46 वर्षीय महिला को जानता है जो इस उम्र में एक नए करियर की प्लानिंग कर रही है, ऑनलाइन डांस क्लासेज चला रही है और एक नई डांस अकादमी शुरू करने जा रही है.

देश में पढ़े लिखे बेरोजगारों की है भरमार!

देशभर में मोदी सरकार की नीतियों की वजह से पढ़ेलिखे बेरोजगारों की गिनती हर साल बढ़ती जा रही है. कोराना के चक्कर में लाखों छोटे व्यापार व कारखाने बंद हुए हैं और उन की जगह विशाल कारखानों ने ले ली या बाहरी देशों के सामान ने ले ली है. इन में काम कर रहे औसत समझ के पढ़ेलिखे युवा अब बेकार हो गए हैं. ये ऐसे हैं जो अब खेतों में जा कर काम भी नहीं कर सकते.

खेतों में भी अब काम कम रह गया है. इन युवा बेरोजगारों को लूटने के लिए सैकड़ों वैबसाइटें बन गई हैं और धड़ाधड़ ह्वाट्सएप मैसेज भेजे जाते हैं कि साइट पर आओ, औनलाइन फार्म भरो. बहुत बार तो औनलाइन फार्म भरतेभरते बैंक अकाउंट का नंबर व पिन भी ले लिया जाता है, जो बचेखुचे पैसे होते हैं, वे हड़प लिए जाते हैं.

कुछ मामलों में युवाओं को सिक्योरिटी के नाम पर थोड़ा सा पैसा किसी अकाउंट में भेजने को कहा जाता है. इन को चलाने वाले शातिर कुछ दिन अपना सिम बंद रखते हैं और फिर दूसरे फोन में लगा कर इस्तेमाल करने लगते हैं. पुलिस के पास शिकायत करने वालों की सुनने की फुरसत नहीं होती.

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आज 20 से 25 साल का हर चौथा युवा यदि पढ़ नहीं रहा तो बेरोजगार है. जो काम कर भी रहे हैं वे आधाअधूराकाम कर रहे हैं. उन की योग्यता का लाभ उठाया नहीं जा रहा. मांबाप पर बोझ बने ये युवा आज की पढ़ाई का कमाल है कि अपने को फिर भी शहंशाह से कम नहीं समझते और स्मार्ट फोन लिए टिकटौक जैसे वीडियो बना कर सफल समझ रहे हैं.

यह समस्या बहुत खतरनाक हो सकती है. आज से पहले युवाओं को कहीं न कहीं कुछ काम मिल जाता था. किसी को सेना में, किसी को ट्रक में क्लीनर का, किसी को खेत पर. पढ़ने के बाद इन सब नौकरियों को अछूत माना जाने लगा है. यह और परेशानी की बात है. घर वालों से लड़झगड़ कर झटके पैसों को खर्च कर के आज काम चल रहा है पर कल जब मांबाप खुद रिटायर होने लगेंगे तब क्या होगा पता नहीं. आज जब बच्चे होते हैं तो पिता की आयु वैसे ही 25-30 की होती है और जब तक बच्चा बड़ा होता है, पिता 50 के आसपास हो जाता है और वह जो भी काम कर रहा होता है उस में आधाअधूरा रह जाता है. वह अपना और बच्चों का बोझ नहीं संभाल सकता.

बहुत मामलों में तो दकियानूसी मांबाप बेरोजगार बेटेबेटी की शादी भी कर देते हैं. कहीं से भी पैसों का जुगाड़ कर मोटा पैसा शादी में खर्च कर दिया जाता है और यदि कोई काम नहीं मिले तो रातदिन रोना ही रोना रहता है. मोदी सरकार ने 2-4 साल इस फौज को भगवा दुपट्टे पहना कर वसूली का अच्छा काम दिया था पर वह भी अब फीका पड़ने लगा है.

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मंदिरों के बंद होने से तो एक बड़े अधपढ़े युवाओं के हिस्से में बेकारी छा गई है. औनलाइन व्यापार ने थोड़ी सी नौकरियां दी हैं पर उस में इतना कंपीटिशन है कि हर रोज आमदनी कम हो रही है और जोखिम बढ़ रहा है. दिक्कत यह है कि देश में ऐसे कारखाने न के बराबर लग रहे हैं जिन में बेरोजगारों की खपत हो. जो भी काम हो रहा है वह विदेशी मशीनों से हो रहा है जहां बेरोजगारी की परेशानी कम है. भारत सरकार जल्दी ही कुंभ जैसे और प्रोग्राम करवाए जहां लोगों को नंगे रह कर जीना सिखाया जाए क्योंकि अब बड़ी गिनती में पढ़ेलिखे नौजवानों और लड़कियों के लिए जानवरों की तरह ही रहना सीखना होगा.

भूपेश बघेल के ढाई साल बनाम बीस साल!

बहुत समय से लोगों को इस पल का इंतजार था क्यों और कैसे हम आगे बताएंगे. मगर यहां यह बताना जरूरी है कि भूपेश बघेल के ढाई साल की सरकार ने जो जमीनी कार्य किए हैं वह अपने आप में मील के पत्थर सिद्ध हुए  हैं, सबसे महत्वपूर्ण कार्य है गरवा नरवा और बाड़ी का, जिसकी प्रशंसा सिर्फ कांग्रेस और हाईकमान ने ही नहीं बल्कि कांग्रेस के घोर विरोधी संघ अर्थात भारतीय जनता पार्टी की पितृ संस्था ने भूपेश बघेल से मुलाकात कर  की है.

भूपेश बघेल का मुख्यमंत्रित्व  काल इसलिए भी  रेखांकित करने योग्य है क्योंकि अल्प समय में ही उन्होंने जो विकास के कार्य किए हैं वे महत्वपूर्ण हैं यही नहीं उन्होंने आम लोगों से भिन्न लगातार आम जन से मुलाकात का सिलसिला बनाए रखा. भूपेश बघेल कोरोना कोविड 19 के समय काल में भी छत्तीसगढ़ की जनता से वर्चुअल ही सही लेकिन लगातार मुलाकात करते रहे और लोगों के दुख दर्द को समझ कर के दूर करने का निरंतर प्रयास किया. आमतौर पर जब कोई सत्ता के सिंहासन पर बैठ जाता है तो उसमें एक मद दिखाई देता है मगर छत्तीसगढ़ इस संदर्भ में आज सौभाग्यशाली है कि भूपेश बघेल आज भी अपने आप को एक सामान्य साधारण सादगीपूर्ण गांधी वादी जीवन शैली अपनाते हुए लोगों के साथ सीधे जुड़े हुए दिखाई देते हैं.

रही बात ढाई साल के कार्यकाल पर उठे सवाल की तो यह अपने आप में आज एक जवाब है …. आगे इस पर हम विस्तार से चर्चा कर रहे हैं.

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किसानों, गरीब आदमी,जन हितैषी सरकार

भूपेश बघेल सरकार ने इन ढाई वर्ष  में लगातार केंद्र की उपेक्षा सही है अगर  यह कहा जाए तो गलत नहीं होगा. हर पल  हर रास्ते पर केंद्र ने रोड़ा अटकाने का ही प्रयास किया. यह भूपेश बघेल सरकार के लिए एक ऐसा अंधेरा पक्ष है जिसे छत्तीसगढ़ के लोग ने देखा है. किसानों के बोनस का  मामला हो या धान खरीदी का हो केंद्र सरकार को  जैसे जिम्मेदार तरीके से एक संघीय ढांचे के तहत राज्य सरकार को मुक्त हस्त मदद करनी चाहिए थी वह मदद भूपेश बघेल को नहीं मिली. इसके लिए बावजूद किसानों के लिए जो कल्याणकारी कार्य भूपेश बघेल सरकार ने किए हैं वह अपने आप में ऐतिहासिक कहे जा सकते हैं. 25 00 रूपए में प्रति कुंतल धान खरीदी ऐसा काम है जो देश में और कहीं नहीं हुआ, इस तरह भूपेश बघेल ने जहां किसानों को अपने पैरों पर खड़े करने के लिए काम किया है.

दरअसल, आज तक देश में कहीं भी ऐसा साहसिक कार्य नहीं हुआ है.इसके साथ ही सरकार में आते ही किसानों का सारा कर्ज माफ कर देना भी भूपेश बघेल सरकार का महत्वपूर्ण कार्य कहा जा सकता है. जबकि मध्य प्रदेश में ही कमलनाथ की कांग्रेस की सरकार ने बहुत कम राशि ही माफ की. जबकि भूपेश भगत सरकार ने सारी की सारी किसानों को दिये गए ऋण की राशि को माफ कर दिया. किसानों के लिए हृदय से जो काम छत्तीसगढ़ में हुआ है, वह देश के लिए एक नजीर है. यही नहीं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हों या फिर शिक्षक हों, इस  सरकार ने अल्प समय में ही ठोस काम करके दिखाया है कि सरकार को किस तरीके से जनहितकारी होना चाहिए इसका सबसे बड़ा उदाहरण है हाल ही में कोरोना वायरस के कारण ड्यूटी पर काल कवलित हुए शिक्षकों के एक परिजन को शासकीय नौकरी की पहल.

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भूपेश बघेल की कुर्सी पर संकट!

अगर यह कहा जाए भूपेश बघेल सरकार  के ढाई साल बनाम 20 वर्ष तो अतिशयोक्ति नहीं होगी. क्योंकि इतने अल्प समय में ही छत्तीसगढ़ के जमीन से जुड़े हुए जो काम भूपेश बघेल ने मुख्यमंत्री के रूप में किए हैं वह कभी भुलाया नहीं जा सकते और जिनकी जमीनी स्तर पर बहुत आवश्यकता थी.  डॉ रमन सिंह की 15 वर्ष की सरकार से तुलना करें तो साफ है पहले सिर्फ हवा हवाई बन कर रह गई  थी सरकारें.  जैसे  एक सरकार को आम गरीब लोगों का हितेषी होना चाहिए यह भावना भूपेश बघेल की सरकार में दिखाई दी है चाहे वह राजस्व के साधारण से मामले हों, डॉ रमन सरकार ने 5 डिसमिल तक की भूमि के रजिस्ट्री पर  प्रतिबंध लगा दिया था.मगर भूपेश बघेल सरकार ने शपथ के साथ ही यह प्रतिबंध उठा लिया. ग्राम पंचायतों पर टैक्स लादा जाने वाला था. इसी तरह छोटी-छोटी और महत्वपूर्ण चीजों को भूपेश बघेल सरकार ने लागू किया और लोगों को बड़ी राहत दी.

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सरकार की लोकप्रियता के साथ ही यह अफवाह भी बाजार गर्म कर रही थी कि भूपेश बघेल तो सिर्फ ढाई साल के मुख्यमंत्री हैं! क्योंकि इसके बाद ढाई साल का कार्यकाल की एस सिंह देव संभालेंगे, मगर ढाई साल होते होते इस अफवाह के गुब्बारे से भी हवा निकल गई और लोगों ने देखा कि ऐसी कोई बात सामने नहीं आई है.

MK- पूर्व सांसद पप्पू यादव: मददगार को गुनहगार बनाने पर तुली सरकार- भाग 2

सौजन्य- मनोहर कहानियां

इस बारे में मधेपुरा पुलिस ने कहा कि मुरलीगंज थाने में दर्ज केस संख्या 9/89 में इसी साल 22 मार्च को मधेपुरा कोर्ट ने पप्पू यादव के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी किया था. उन के खिलाफ इश्तहार और कुर्की का वारंट भी निकला था.

वहां पप्पू यादव को गिरफ्तार करने के बाद उन्हें स्थानीय अदालत में 12 मई की शाम को पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

दरअसल, पूर्व सांसद पप्पू यादव बिहार की जन अधिकार पार्टी के संरक्षक हैं. बिहार में उन की छवि एक दबंग बाहुबली के तौर पर रही है. लेकिन बिहार से ले कर दिल्ली की तिहाड़ में काटी गई सजा के 17 सालों ने उन्हें बाहुबली से एक रौबिनहुड के रूप में बदल दिया है. पप्पू यादव की जिंदगी का सफरनामा किसी रोमांचक फिल्मी पटकथा से कम नहीं है. इस के लिए हमें उन के अतीत में जाना होगा.

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लालू यादव ने दी शह

नब्बे के दशक में जिन दिनों लालू यादव राजनीति की दुनिया में अपना पैर जमा रहे थे और बिहार विधानसभा में विरोधी दल का नेता बनना चाहते थे. उसी समय उत्तर बिहार में अपराध की दुनिया में राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव का बोलबाला था. उस दौरान लालू यादव की पप्पू यादव ने काफी मदद की थी.

लालू यादव से अपनी बढ़ती नजदीकी के कारण पप्पू खुद को उन का उत्तराधिकारी तक मानने लगे थे. उन का ऐसा सोचना भी गलत नहीं था, क्योंकि वह लालू यादव के हर काम को सफल बनाने के लिए बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते थे.

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लेकिन जब लालू यादव की तरफ से पप्पू यादव को मनमाफिक फायदा नहीं मिला तो उन्होंने लालू पर खुले मंच से यह आरोप लगाते हुए अपना रास्ता अलग कर लिया कि लालू यादव ने सिर्फ अपने फायदे के लिए उन का इस्तेमाल किया.

जून, 1991 में बाहुबली पप्पू की दबंगई परवान पर थी. उन के ऊपर हत्या के 3 मामले दर्ज हो चुके थे. कोसी इलाके में उन का आतंक फैला था. उन पर अपहरण और हत्या के आरोप लगे. कोसी इलाके में आतंक फैलाने को ले कर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून दर्ज हो गया और उन्हें जेल की सींखचों के पीछे भेज दिया गया.

जेल से बाहर आने के बाद वह पूर्णिया की सड़कों पर खुलेआम घूमते थे. लेकिन पुलिस वाले उन्हें हाथ लगाने से डरते थे. एक बार उन्होंने एक डीएसपी को चलती गाड़ी के आगे धकेल दिया था. इतना ही नहीं, उन्होंने बिहार पुलिस के चालक रामप्रवेश पासवान को जीप से नीचे उतार कर उसे बुरी तरह पीटा और उस की मूंछें तक उखाड़ लीं.

जेल में ही हो गया था इश्क

राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत जब पप्पू यादव बांकीपुर जेल में सजा काट रहे थे. तब जेल अधीक्षक के लौन में कुछ बच्चे टेनिस खेलते थे. उन में से विक्की नाम के एक बच्चे से पप्पू यादव की दोस्ती हो गई. जब पप्पू यादव की विक्की से नजदीकी ज्यादा बढ़ गई तो एक दिन विक्की ने उन्हें अपने घर का एलबम दिखाया, जिस में उस की बहन रंजीत की फोटो थी.

रंजीत को देखते ही पप्पू यादव के दिल में हलचल मच गई. उसी समय उन्होंने उसे अपने दिल में बसा लिया. इतना ही नहीं, वह उस पर मर मिटे और मन में रंजीत से शादी के मंसूबे पालने लगे. बांकीपुर जेल से रिहा होने के बाद भी पप्पू यादव ने वहां जाना नहीं छोड़ा. शुरुआत में रंजीत पप्पू यादव को जरा भी पसंद नहीं करती थी. लेकिन बाद में पप्पू रंजीत के दिल में जगह बनाने में कामयाब हो गए.

लेकिन दोनों की शादी आसान नहीं थी. रंजीत सिख धर्म से थी और पप्पू यादव परिवार से थे. काफी प्रयासों के बाद आखिर फरवरी, 1994 में पप्पू यादव की शादी रंजीत से हो गई.

लालू यादव की तरफ से मोह भंग होने के बाद पप्पू यादव ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत विधायक बनने से की. सन 1990 में उन्होंने स्वतंत्र तौर पर चुनाव लड़ा और पहली बार में ही चुन लिए गए. इस के अगले ही साल वह दसवीं लोकसभा चुनाव में पूर्णिया से खड़े हुए और सांसद बन गए. इस के बाद उन्होंने 1996 में लोकसभा का चुनाव जीता.

100 से ज्यादा गोलियां मारी थीं सीपीआई नेता अजीत सरकार को 14 जून, 1998 को सीपीआई नेता अजीत सरकार की दिनदहाड़े उस समय हत्या कर दी गई, जब वह एक पंचायत कर के वापस पूर्णिया लौट रहे थे. एके 47 से कुछ शातिर अपराधियों ने कम्युनिस्ट पार्टी के नेता अजीत सरकार, उन के कार चालक तथा कुछ लोगों को गोलियों से छलनी कर दिया था.

पोस्टमार्टम में अजीत सरकार के शरीर से 107 गोलियां निकली थीं. इस हत्याकांड का आरोप बाहुबली नेता राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव पर लगा था.

इस सनसनीखेज हत्याकांड में पप्पू यादव के साथ गोरखपुर के बदमाश राजन तिवारी और अनिल यादव भी शामिल थे. इस के बाद भी पप्पू यादव पर हत्या के कई अन्य आरोप लगे थे.

मई, 1999 में पप्पू यादव को अजीत सरकार की हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया. इस से पहले भी पप्पू यादव के ऊपर हत्या के 3 मामलों में वारंट जारी हो चुके थे, मगर वह अग्रिम जमानत ले कर कानून की जद में आने से बचते रहे.

अगले भाग में पढ़ें- पप्पू यादव को बेउर जेल से भेजा तिहाड़

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