शीतल देवी : बिना हाथों की तीरंदाज

एशियाई पैरा गेम्स 2023 में एक ऐसा इतिहास रच गया, जिस की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी. एक तो दिव्यांगता उस के बाद ऐसा हौसला और जज्बा कि आप शीतल देवी की पीठ थपथपा दें, वाहवाह कर उठें.

शीतल देवी दोनों हाथों से खेल नहीं सकती हैं, मगर जब वे अपने पैरों और मुंह का हुनर दिखाती हैं, तो लोग हैरान हो जाते हैं. दरअसल, इस प्रतिभा का उदय पहली दफा किश्तवाड़ में भारतीय सेना की एक प्रतियोगिता में हुआ था.

गोल्ड मैडल जीतने वाली शीतल देवी ने सचमुच एक ऐसा इतिहास रच दिया है, जो अब सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा. 16 साल की शीतल देवी ने चीन के हांगझाऊ में हुए एशियाई पैरा खेलों में 2 गोल्ड समेत 3 मैडल जीत कर इतिहास रच दिया. वे एक ही संस्करण में 2 गोल्ड मैडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला भी हैं.

शीतल देवी के पिता एक किसान हैं और मां सामान्य गृहिणी, जो घर में भेड़बकरियों की देखभाल करती हैं. एक साधारण परिवार की इस बेटी का जीवन जन्म से ही संघर्षपूर्ण रहा है.

शीतल देवी के जन्म से ही दोनों हाथ नहीं थे. वे ‘फोकोमेलिया’ नामक  बीमारी से पीडि़त हैं. इस बीमारी में अंग पूरी तरह से विकसित नहीं होते हैं. पर अहम बात यह है कि बाजू न होना शीतल देवी के लिए दिव्यांगता का अभिशाप बन नहीं सका. वे बिना दोनों बाजू के सिर्फ छाती के सहारे दांतों और पैरों से तीरंदाजी का अभ्यास करती थीं.

ट्रेनिंग के शुरुआती दिनों में शीतल देवी धनुष तक को नहीं खींच पाती थीं, मगर कोच ने ऐसा धनुष तैयार कराया, ताकि वे पैर से आसानी से धनुष उठा सकें और कंधे से तीर चलाने लगें.

महज 16 साल की उम्र में शीतल देवी ने अपने नाम कई उपलब्धियां दर्ज की हैं. ट्रेनिंग के 6 महीने बाद शीतल देवी ने वह कर दिखाया, जिस का इंतजार सब को था. उन्होंने हरियाणा के सोनीपत में पैरा ओपन नैशनल्स में सिल्वर मैडल हासिल किया.

यही नहीं, साल 2023 की शुरुआत में उन्होंने चैक गणराज्य के पिलसेन में वर्ल्ड कप तीरंदाजी चैंपियन में भी सिल्वर मैडल जीता. वे फाइनल में तुर्की की ओजनूर क्योर से हार गई थीं, लेकिन वर्ल्ड चैंपियनशिप में मैडल जीतने वाली बिना हाथों वाली पहली महिला तीरंदाज बन गई थीं.

एशियाई पैरा गेम्स में शीतल देवी ने 2 गोल्ड और एक सिल्वर मैडल हासिल किया. उन के शानदार प्रदर्शन को देख कर उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने उन्हें अपनी कंपनी की कोई भी मनचाही कार लेने की पेशकश की.

शीतल देवी के लिए एक पोस्ट साझा करते हुए आनंद महिंद्रा ने लिखा, ‘मैं अपने जीवन की छोटीमोटी समस्याओं पर शिकायत नहीं करूंगा. शीतल, आप सभी के लिए एक शिक्षक हैं. कृपया हमारी रेंज में से कोई भी कार अपने लिए चुनें और हम इसे आप की सुविधा के अनुसार कस्टमाइज कर आप को तोहफे में देंगे.’

कुलमिला कर शीतल देवी की कहानी किसी फिल्मी पटकथा से कम नहीं लगती है. जो शीतल देवी धनुष नहीं उठा पाती थीं, उन्होंने दाएं पैर से धनुष उठाने का अभ्यास किया और 2 साल की कड़ी मेहनत की बदौलत जीत का परचम लहरा दिया.

साल 2021 में 14 साल की उम्र में बतौर तीरंदाज कैरियर की शुरुआत करने वाली शीतल देवी ने पहली बार किश्तवाड़ में भारतीय सेना की एक युवा प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था. ट्रेनिंग के दौरान उन के लिए एक खास तरह का धनुष तैयार कराया गया, ताकि वे पैर से आसानी से धनुष उठा सकें और कंधे से तीर को खींच सकें.

शीतल देवी के कोच अभिलाषा चौधरी और कुलदीप वेदवान हैं. महज 2 साल की होतेहोते 16 साल की उम्र में शीतल देवी ने अपने नाम कई उपलब्धियां दर्ज की हैं. ट्रेनिंग के 6 महीने बाद उन्होंने वह कर दिखाया, जिस का इंतजार सब को था.

इस से पहले उन्होंने सोनीपत में पैरा ओपन नैशनल्स में सिल्वर मैडल हासिल कर के दिखा दिया था कि वे देश के लिए आगे इतिहास रचने वाली हैं और एक रोल मौडल बनने वाली हैं.

क्रिकेट : बिना मैच खेले कैसे गंवाया भारत ने नंबर-1 का ताज

कोरोना वायरस महामारी की मार खेलों पर भी पड़ा है और चाहे क्रिकेट हो या फुटबौल, हौकी हो या बेसबौल या फिर कोई अन्य खेल, पूरी तरह बंद हैं. इस बीच खबर है कि आईसीसी क्रिकेट रैंकिंग के एक ताजा सर्वे में भारत बिना मैच खेले ही शीर्ष स्थान गंवा चुका है. यह ताज आस्ट्रेलिया ने भारत से छिन लिया है और वह शीर्ष स्थान पर पहुंच चुका है. भारत तीसरे स्थान पर खिसक गया है जबकि न्यूजीलैंड को दूसरा स्थान मिला है.

भारत 1 मई को आईसीसी टेस्ट क्रिकेट रैंकिंग में आस्ट्रेलिया से शीर्ष स्थान गंवा चुका है और अब तीसरे स्थान पर आ गया है. रैंकिंग में गिरावट इसलिए आई है क्योंकि 12 टेस्ट मैचों में भारत की जीत और 2016-2017 में सिर्फ 1 हार वार्षिक अद्यतन से समाप्त हो गई थी.

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नवीनतम अपडेट ने मई 2019 के बाद से खेले गए मैचों को 100% और पिछले 2 वर्षों के मैचों को 50% पर रेट किया है.

आईसीसी ने एक बयान जारी कर कहा,”भारत मोटे तौर पर सीढ़ी में गिरा क्योंकि 12 टेस्ट जीत और 2016-17 में सिर्फ 1 टेस्ट हार का रिकौर्ड हटा दिया गया था.”

कहां है विराट की टीम

कप्तान विराट कोहली की टीम उस अवधि के दौरान आस्ट्रेलिया और इंगलैंड के खिलाफ सभी 5 श्रृंखलाएं जीती थीं. दूसरी ओर आस्ट्रेलिया उसी अवधि में भारत के साथसाथ दक्षिण अफ्रीका से हार गया था.

नवीनतम अपडेट मई 2019 के बाद से खेले गए सभी मैचों को 100% और पिछले 2 सालों के 50% पर रेट करते हैं.

ऑस्ट्रेलिया न केवल टेस्ट रैंकिंग में शीर्ष पर पहुंच गया, बल्कि पहली बार टी- 20 आईसीसी सूची में नंबर- 1 पर कब्जा कर लिया, जबकि इंगलैंड ने वार्षिक अद्यतन के बाद पुरुषों की वनडे रैंकिंग का नेतृत्व करना जारी रखा, जो 2016-17 के परिणामों को समाप्त करता है.

आस्ट्रेलिया के अब 116 अंक हैं और उस के बाद न्यूजीलैंड (115) और भारत (114) हैं.

केवल 2 अंकों के साथ उन्हें अलग करने के बाद यह शीर्ष 3 टीमों में से दूसरा निकटतम है, क्योंकि 2003 में टेस्ट रैंकिंग शुरू की गई थी.

दक्षिण अफ्रीका को 8 अंकों की सब से बड़ी रेटिंग में गिरावट का सामना करना पड़ा है, जो उन्हें श्रीलंका से छठे स्थान पर गिराता है.

उन्होंने इस अवधि में 3 सीरीज़ जीतीं, जबकि फरवरी 2019 के बाद श्रीलंका, भारत और इंगलैंड के खिलाफ खेलते हुए 9 में से 8 टेस्ट हारे.

वनडे टीम रैंकिंग में विश्व चैंपियन इंगलैंड (127) ने भारत पर अपनी बढ़त 6 से 8 अंक तक बढ़ा दी है.

भारत से 3 अंक पीछे न्यूजीलैंड तीसरे स्थान पर है. शीर्ष 10 रैंकिंग अपरिवर्तित बनी हुई हैं.

इस के विपरीत अद्यतन T20 टीम रैंकिंग में बहुत सारे बदलाव देखने को मिलते हैं. रैंकिंग पेश किए जाने के बाद पहली बार ऑस्ट्रेलिया (278) अंक के साथ शीर्ष पर है.

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पाकिस्तान जोकि जनवरी 2018 में शीर्ष स्थान पर पहुंचने के लिए न्यूजीलैंड से आगे निकल गया था और फिर वहां 27 महीने बिताए थे, अब 260 अंकों के साथ चौथे स्थान पर है.

इंगलैंड 268 अंकों के साथ दूसरे स्थान पर आ गया है, जबकि भारत 1 तीसरे स्थान पर है यानी सिर्फ 2 अंक पीछे.

अफगानिस्तान 7वें से 10वें स्थान पर है.

यह भी जानिए

  • आस्ट्रेलिया ने टेस्ट रैंकिंग में एक शीर्ष स्थान हासिल किया और साथ ही पहली बार टी 20 सूची में नंबर 1 स्थान हासिल किया.
  • इंगलैंड ने वार्षिक अद्यतन के बाद पुरुषों की एकदिवसीय रैंकिंग में अपनी बढ़त जारी रखी जो 2016-2017 के परिणामों को समाप्त कर दिया.
  • टेस्ट रैंकिंग में आस्ट्रेलिया 116 अंकों के साथ न्यूजीलैंड 115 अंकों के साथ भारत और 114 अंकों के साथ शीर्ष पर है.
  • केवल 2 अंकों के अंतर के साथ यह दूसरा निकटतम है कि शीर्ष टीमों को 2003 में टेस्ट रैंकिंग जारी की गई थी.
  • शीर्ष 3 टीमें जनवरी 2016 में निकटतम थीं जब भारत आस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका से 1 अंक से आगे चल रहा था
  • टेस्ट रैंकिंग में दक्षिण अफ्रीका को 8 अंकों की सब से बड़ी गिरावट का सामना करना पड़ा है और श्रीलंका के नीचे 6ठे स्थान पर छोड़ने का नेतृत्व किया.
  • दक्षिण अफ्रीका ने चयनित अवधि में 3 सीरीज़ जीती हैं और फरवरी 2019 के बाद से भारत, श्रीलंका और इंगलैंड के खिलाफ खेलते हुए 9 में से 8 टेस्ट हारे हैं.

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वनडे टीम रैंकिंग

  • वनडे टीम रैंकिंग में शीर्ष 10 रैंकिंग अपरिवर्तित रहे.
  • इंगलैंड ने वनडे टीम रैंकिंग में भारत पर अपनी बढ़त 6 से 8 अंक तक बढ़ा दी है.
  • न्यूजीलैंड अभी भी तीसरे स्थान पर है और भारत से 3 अंक पीछे है.

T20 टीम रैंकिंग

  • 278 अंक के साथ आस्ट्रेलिया पहली बार सूची में शीर्ष पर है.
  • पाकिस्तान जो जनवरी 2018 में शीर्ष स्थान पर पहुंच गया था और न्यूजीलैंड से आगे निकल गया था, अब 260 अंकों के साथ चौथे स्थान पर आ गया है.
  • 268 अंकों के साथ इंगलैंड दूसरे स्थान पर आ गया है जबकि भारत 1 स्थान ऊपर तीसरे स्थान पर है, जो सिर्फ 2 अंक पीछे है.
  • अफगानिस्तान 7 वीं से 10वीं रैंकिंग में गिर गया है.

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अलविदा 2019: इस साल क्रिकेट की दुनिया में रहा इन महिला खिलाड़ियों का बोलबाला

भारतीय महिला क्रिकेट टीम के चर्तित युवा महिला क्रिकेटर जो किसी स्तर पर पुरुष क्रिकेटर से कम नहीं है, तो आइये 2019 के कुछ प्रसिद्ध क्रिकेटरों के बारे में जानते है .

* मिताली राज :- भारतीय कप्तान मिताली राज 200 वनडे इंटरनेशनल क्रिकेट मैच खेलने वाली पहली महिला क्रिकेटर बन गई, लेकिन इस धुरंधर खिलाड़ी के लिए 200 वनडे महज एक आंकड़ा है. मिताली ने जनवरी 1999 में इंग्लैंड के खिलाफ वनडे क्रिकेट में डेब्यू किया था. कप्तानी करने उतरी मिताली ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपना 20वां साल पूरा किया.

* स्मृति मंधाना :- स्मृति मंधाना को मिली आईसीसी महिला वनडे और टी20 टीम ऑफ द ईयर में बनाया है. वनडे क्रिकेट में स्मृति मंधाना का रिकॉर्ड काफी जबरदस्त है. उन्होंने 51 वनडे मुकाबलों में 43.08 की प्रभावी औसत से 2,025 रन बनाए हैं. इसमें उनके नाम चार शतक और 17 अर्धशतक उनके नाम है.

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All set for the home series against South Africa 😇 See you soon Surat!! 🤩

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*झूलन गोस्वामी :- यह वुमन टीम इंडिया की कपिल देव हैं . पिछले कई सालों से लगातार बेहतरीन गेंदबाजी करके कई रिकौर्ड अपने नाम किया है. 225 वनडे विकेट, 321 इंटरनेशनल विकेट का महान रिकौर्ड भी उन्हें नाम है. इस साल आईसीसी ने महिला वनडे और टी20 टीम ऑफ द ईयर में उन्हें भी स्थान दिया है.

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* पूनम यादव- भारतीय महिला क्रिकेट टीम की लेग स्पिनर पूनम यादव को इस वर्ष का अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया गया. वह इस वर्ष आईसीसी महिला वनडे और टी20 टीम ऑफ द ईयर स्थान बनाने में कमयाब हुई है.

* शिखा पांडे :- शिखा पांडे भारतीय महिला सीनियर क्रिकेटर में मशहूर नाम में एक है. . उन्होंने 9 मार्च 2014 को बांग्लादेश के खिलाफ खेलते हुए अपने अंतरराष्ट्रीय ट्वेंटी 20 की शुरुआत किया था . कई रिकॉर्ड इनके नाम है. शिखा पांडे ने इस महिला विश्व कप में अपनी गेंदबाजी से सभी का दिल जीत लिया था. इस वर्ष आईसीसी महिला वनडे और टी20 टीम औफ द ईयर की सूची में इनका भी नाम है.

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* दीप्ति शर्मा: भारतीय महिला क्रिकेट टीम की स्पिनर दीप्ति शर्मा ने इस एक अद्भुत रिकॉर्ड अपने अपने नाम किया है. चार ओवर के स्पैल में 8 रन देकर तीन विकेट चटकाए. इसके साथ ही वह एक टी-20 मैच में इतने मेडन डालने वाली पहली भारतीय हैं. इस साल आईसीसी महिला टी20 टीम की सूची में दीप्ति शर्मा इकलौती भारतीय महिला क्रिकेटर हैं.

 

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Feeling energetic after today’s training at NCA

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पहली बार पुरूष वनडे क्रिकेट में जीएस लक्ष्मी बनेंगी अंपायर, शारजाह का मैदान बनेगा गवाह

लक्ष्मी आठ दिसंबर से शुरू हो रहे तीसरे आईसीसी पुरुष क्रिकेट वर्ल्ड कप लीग दो के दौरान यूएई और अमरीका के बीच शारजाह में खेले जाने वाले वनडे मैच में बतौर मैच रेफ़री उतर कर इतिहास रचेंगी. आईसीसी पुरुष क्रिकेट वर्ल्ड कप लीग दो इस साल अगस्त में शुरू हुआ था और जनवरी 2022 तक चलेगा. इस दौरान इसमें कुल 126 मैच खेले जाएंगे.

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इसकी शीर्ष तीन टीमें आईसीसी पुरुष क्रिकेट वर्ल्ड कप क्वालिफायर 2022 में खेलेंगी. इसी के आधार पर भारत में 2023 में खेले जाने वाले वाले विश्व कप के लिए आईसीसी क्वालीफायर टीम का चयन होना है. आईसीसी इंटरनेशनल पैनल ऑफ मैच रेफरी में नियुक्ति के बाद यह लक्ष्मी की इस साल दूसरी महत्वपूर्ण उपलब्धि है. 51 वर्षीय लक्ष्मी 2008-09 के घरेलू महिला क्रिकेट में पहली बार मैच रेफरी बनी थीं.

अब तक लक्ष्मी महिलाओं के तीन अंतरराष्ट्रीय वनडे मैचों, महिलाओं के सात टी-20 इंटरनेशनल और पुरुषों के सोलह टी-20 इंटरनेशनल में बतौर मैच रेफरी उतर चुकी हैं.

एक इंटरव्यू में जीएस लक्ष्मी ने कहा कि उन्होंने कभी क्रिकेटर बनने के बारे में नहीं सोचा था. उन्होंने कहा, “अपनी पढ़ाई के जरिए मैं कॉलेज में एडमिशन पाने में असफल रही थी. तब प्रिंसिपल ने मुझसे पूछा कि क्या तुम्हारे पास कोई अन्य प्रतिभा है. मैं अपने भाइयों के साथ क्रिकेट खेल रखी थी. मेरे इस कौशल को देखा गया. मुझमें गेंदबाजी की प्रतिभा थी. इसकी बदौलत मुझे कॉलेज में एडमिशन मिल गया.” 18 सालों तक घरेलू क्रिकेट खेली लक्ष्मी ने बताया कि इसके बाद वो क्रिकेट की कोचिंग देने लगीं. फिर राज्य स्तरीय टीम की सेलेक्टर बनीं.

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इस दौरान बीसीसीआई महिलाओं को मैच अधिकारी के रूप में क्रिकेट से जोड़ने का नया प्रावधान लेकर आई. लक्ष्मी उन पांच सदस्यों में से थी जिन्हें बीसीसीआई की तरफ से चयन किया गया.

लक्ष्मी ने कहा, “बतौर मैच रेफ़री चुना जाना मेरे लिए बहुत बड़ा सम्मान है. भारत में एक क्रिकेटर और मैच रेफ़री के रूप में मेरा लंबा करियर रहा है. उम्मीद है कि मैं एक खिलाड़ी और मैच अधिकारी के रूप में अपने अनुभव का यहां अच्छा उपयोग करूंगी.”

आंध्र प्रदेश में जन्मीं लक्ष्मी बिहार के जमशेदपुर में बड़ी हुईं. वहां उनके पिता कार्यरत थे. बतौर तेज गेंदबाज वे रेलवे के लिए खेलीं. गेंदबाज़ी में आउट स्विंग पर उनकी अच्छी पकड़ थी. 1999 में इंग्लैंड के दौरे पर भारतीय टीम की सदस्य भी रह चुकी हैं लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के लिए उन्हें खेलने का मौका कभी नहीं मिला.

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धोनी मामले में बड़ा खुलासा, पीठ दर्द की समस्या के कारण नहीं हैं टीम का हिस्सा

धोनी इस वक्त टीम का हिस्सा नहीं हैं लेकिन उनकी खबरें हमेशा से ही सुर्खियों में बनी रहती हैं. हाल ही में हुए हुई दो महत्वपूर्ण सीरीज पहली वेस्टइंडीज और दूसरी साउथ अफ्रीका के साथ खेली गई लेकिन इसमें धोनी टीम का हिस्सा नहीं थे. विश्व कप के बाद से ही टीम का हिस्सा नहीं है. हर बार चयनकर्ताओं ने बताया कि उन्होंने अपने आपको अनुपलब्ध बताया है. विश्व कप के बाद धोनी ने परिवार संग कुछ वक्त बिताया और फिर वो सेना के साथ पैरा कमांडोंज की ट्रेनिंग करने लगे थे. इस दौरान भारत ने वेस्टइंडीज और साउथ अफ्रीका के साथ सीरीज खेली थी लेकिन इस वक्त धोनी टीम का हिस्सा नहीं थे. अब खबर आ रही है कि धोनी के पीठ में दर्द की शिकायत है जिसकी वजह से वो टीम से बाहर चल रहे हैं.

धोनी के टीम से बाहर होने पर तरह-तरह की बातें की जा रहीं थी. कोई कह रहा था कि धोनी की खराब प्रदर्शन के कारण उनको टीम में जगह नहीं मिली कोई कह रहा था कि वो सीधे अगले साल ऑस्ट्रेलिया में होने वाले टी-20 विश्व कप में दिखेंगे लेकिन अब जो खुलासा हो हुआ है वो वाकई चौंकाने वाला है. रिपोर्ट्स की मानें, तो बीसीसीआई सूत्रों ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से कहा है कि धोनी के नवंबर तक फिट हो जाने की उम्मीद है. धोनी की उम्र 38 साल की है और वो हमेशा से ही उनकी गिनती फिट खिलाड़ियों में की जाती है लेकिन इस वक्त धोनी पीठ दर्द की समस्या से गुजर रहे हैं इस वजह से धोनी टीम का हिस्सा नहीं है.

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रिपोर्ट्स के मुताबिक धोनी पीठ में दर्द की शिकायत के साथ वर्ल्ड कप खेलने गए थे. और उनके पीठ का दर्द वर्ल्ड कप के दौरान और बढ़ गया. इसके अलावा विश्व कप के दौरान उन्हें कलाई में भी चोट लगी थी. टीम इंडिया के वर्ल्ड कप से बाहर हो जाने के बाद धोनी ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से ब्रेक ले लिया. धोनी वेस्टइंडीज दौरे के लिए भारत के सीमित ओवरों के स्क्वॉड से बाहर रहे. उन्होंने इस दौरान टेरिटोरियल आर्मी यूनिट के साथ कश्मीर में 15 दिन बिताए. वह दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ हाल ही में संपन्न तीन मैचों की घरेलू टी-20 इंटरनेशनल सीरीज में भी नहीं खेले.

धोनी पीठ की चोट से पिछले सीजन में भी परेशान रहे थे. पिछले साल मोहाली में किंग्स इलेवन पंजाब के खिलाफ आईपीएल मैच में उन्होंने नाबाद 79 रन बनाए थे. मैच के बाद चेन्नई सुपर किंग्स के कप्तान धोनी ने अपनी चोट के बारे में बात की थी. उन्होंने कहा था, ‘यह बुरा है. यह कितना बुरा है, मैं नहीं जानता.’ इस साल (2019) आईपीएल के दौरान भी धोनी ने अपनी चोट का जिक्र किया था और माना था कि वर्ल्ड कप आ रहा है और यह उनके लिए बेहद अहम है.

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इस बीच भारतीय टीम प्रबंधन ने संकेत दिया कि पूर्व कप्तान को ‘बाहर’ मानकर नहीं चला जा सकता. धर्मशाला में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टी-20 मैच से पहले विराट कोहली ने कहा था, ‘उनके (धोनी) बारे में एक बड़ी बात यह है कि वह भारतीय क्रिकेट के लिए सोचते हैं. और जो भी हम (टीम प्रबंधन) सोचते हैं, वह भी वही सोचते हैं. ‘ कोहली ने कहा था कि युवा खिलाड़ियों को तैयार करने और उन्हें अवसर देने के बारे में उनकी जिस तरह की मानसिकता थी, वह आज भी है.

इंग्लैंड के इस गेंदबाज ने 5253 गेंदों के बाद फेंकी पहली नो बौल, उसमें भी मिला विकेट

क्रिकेट में हर दिन कोई न कोई रिकौर्ड दर्ज होता है लेकिन ऐसा बहुत कम होता है कि किसी गेंदबाज का पूरा करियर बिना नो बौल फेंके ही बीत जाए. हालांकि ये रिकौर्ड दर्ज होते-होते रह गया लेकिन ये भी कम नहीं था कि किसी गेंदबाज ने पांच हजार से ज्यादा गेंदे फेंकी हों और उनमें से एक भी नो बौल न गई हो. इंग्लैंड के क्रिस वोक्स (Chris Woakes) ने करियर की 5253 गेंदें फेंक दी लेकिन एक भी नो बौल नहीं डाली.

औस्ट्रेलिया के खिलाफ खेली गई एशेज सीरीज में वोक्स का नो बौल ना फेंकने का सिलसिला टूट गया. उन्होंने सीरीज के पांचवें मैच में टेस्ट करियर की पहली नो बौल फेंकी. उस पर विकेट भी लगभग मिल ही गया था लेकिन कुछ ऐसा हुआ, कि बल्लेबाज आउट नहीं हुआ. इसकी वजह भी ऐसी थी, जिसे वोक्स शायद ही भूल पाएं.

इंग्लैंड और औस्ट्रेलिया के बीच खेली गई एशेज सीरीज से ड्रौ रही. दोनों टीमों ने 2-2 मैच जीते. सीरीज का एक मैच बेनतीजा रहा. सीरीज के पांचवें मैच के चौथे दिन इंग्लैंड (England) के मीडियम पेस गेंदबाज क्रिस वोक्स ने अपने टेस्ट करियर की पहली नो बौल फेंकी. वैसे यह उनके टेस्ट करियर की 5254वीं गेंद थी. उन्होंने अपने करियर की शुरुआती 5253 गेंदों में एक बार भी नो बौल नहीं की थी.

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यह औस्ट्रेलिया की पारी के 31वें ओवर की दूसरी गेंद थी. क्रिस वोक्स के सामने मिचेल मार्श (Mitchell Marsh) थे. वे अच्छी बैटिंग कर रहे थे. मिचेल मार्श ने इस ओवर की दूसरी गेंद को खेलना चाहा, लेकिन वे थर्ड स्लिप में कैच दे बैठे. क्रिस वोक्स विकेट मिलने की खुशी में उछल पड़े. मार्श भी पैवेलियन की ओर बढ़ गए. तभी फील्ड अंपायर ने मार्श को रोक लिया.

फील्ड अंपायर को शक था कि क्रिस वोक्स का पैर क्रीज से आगे निकला है. ओवर स्टेपिंग के कारण यह नो बौल हो सकती है. फील्ड अंपायर ने इस बारे में थर्ड अंपायर से पूछा. थर्ड अंपायर ने इसे नो बौल करार दिया. वोक्स का पैर वाकई में क्रीज से आगे निकल गया था. इस तरह मिचेल मार्श को नौट आउट करार दिया गया.

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क्रिस वोक्स का यह 31वां टेस्ट मैच था. उन्होंने इस मैच से पहले 87 विकेट लिए थे. वोक्स ने औस्ट्रेलिया के खिलाफ दोनों पारियों में कुल मिलाकर 17 ओवर की गेंदबाजी की और एक विकेट लिया. उन्हें दूसरा विकेट मिलते-मिलते रह गया. इस तरह 30 साल के क्रिस वोक्स ने अपने 31वें टेस्ट मैच में पहली नो बौल फेंकी. उन्होंने 31 टेस्ट मैच में 88 विकेट लिए हैं और 27.92 की औसत से 1145 रन भी बनाए हैं. इसमें एक शतक और चार अर्धशतक शामिल हैं. औलराउंडर वोक्स ने 99 वनडे और आठ टी20 मैच भी खेले हैं.

टेस्ट सीरीज के लिए टीम इंडिया का हुआ ऐलान, रोहित शर्मा IN, केएल राहुल OUT

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) मुख्य चयनकर्ताओं ने दक्षिण अफ्रीका के साथ होने वाली तीन मैचों की टेस्ट सीरीज के लिए टीम की घोषणा कर दी है. टीम में दो मुख्य बदलाव किए गए हैं. ओपनर लोकेश राहुल को बाहर कर दिया गया है जबकि रोहित शर्मा की वापसी हुई है. युवा खिलाड़ी शुभमन गिल को टीम में शामिल किया है.

चयनकर्ताओं ने विकेटकीपर के तौर पर ऋषभ पंत और ऋद्धिमान साहा दोनों के नाम हैं. स्पिन डिपार्टमेंट में आर. अश्विन, रवींद्र जडेजा और कुलदीप यादव हैं. जसप्रीत बुमराह, ईशांत शर्मा के अलावा मोहम्मद शमी के जिम्मे तेज आक्रमण रहेगा. वेस्टइंडीज दौरे से बाहर रहे अश्विन को टीम में बुला लिया गया है. अश्विन को टीम में शामिल न किए जाने के बाद चयनकर्ताओं के ऊपर सवाल उठाए गए थे. इस मामले पर टीम के मुख्य कोच रवि शास्त्री को बयान देना पड़ा था. हालांकि अश्विन की जगह पर हनुमा विहारी को टीम में शामिल किया गया था जिस खिलाड़ी ने अपनी प्रतिभा से सबका मुंह बंद कर दिया था.

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टीम इंडिया की ओर से बल्लेबाज का आगाज रोहित शर्मा करेंगे. दूसरे सलामी बल्लेबाज मयंक अग्रवाल होंगे. उधर, हनुमा विहारी मध्यक्रम में (छठे नंबर पर) में बने रहेंगे. रोहित शर्मा ने आखिरी बार मेलबर्न टेस्ट (26-30 दिसंबर 2018) में नंबर-6 पर बल्लेबाजी करते हुए 63 और पांच रनों की नाबाद पारी खेली थी, लेकिन इसके बाद वह ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज के चौथे और आखिरी टेस्ट के अलावा बाद में वेस्टइंडीज सीरीज के लिए भी नहीं चुने गए.

रोहित शर्मा ने अब तक 27 टेस्ट मैचों के करियर में कभी टेस्ट में ओपनिंग नहीं की है. उन्होंने नंबर-3 पर चार मैच खेले हैं और 21.40 की औसत से 107 रन बनाए. उनके तीनों टेस्ट शतक नंबर-6 पर आए हैं. दूसरी तरफ कैरेबियाई सीरीज में सबसे अधिक रन (289) बनाने वाले हनुमा विहारी पर टीम की निगाहें होगीं.

टीम के मुख्य चयनकर्ता एमएसके प्रसाद का कहना है कि हम रोहित शर्मा को टेस्ट में ओपनिंग का मौका देना चाहते हैं. ऐसा पहली बार होगा जब रोहित शर्मा टीम की ओपनिंग करेंगे. रोहित शर्मा का वनडे का रिकॉर्ड शानदार है. वो इस मौके को भुनाना चाहेंगे. रोहित शर्मा की भी दिली ख्वाइश रही है कि वो सफेद जर्सी में देश के लिए खेल पाएं. अब उनकी मुराद पूरी होती दिख रही है. हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हो रहा. रोहित शर्मा ने 27 टेस्ट मैच खेले हैं जिसमें उन्होंने 1585 रन भी बनाए हैं. रोहित शर्मा ने वेस्टइंडीज के खिलाफ कोलकाता के ईडन गार्डेंस मैदान पर 6 नवंबर 2013 को टेस्ट मैच में डेब्यू किया था.

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विराट कोहली (कप्तान), मयंक अग्रवाल, रोहित शर्मा, चेतेश्वर पुजारा, अजिंक्य रहाणे (उपकप्तान), हनुमा विहारी, ऋषभ पंत (विकेटकीपर), ऋद्धिमान साहा (विकेटकीपर), आर. अश्विन, रवींद्र जडेजा, कुलदीप यादव, मोहम्मद शमी, जसप्रीत बुमराह , ईशांत शर्मा, शुभमन गिल.

टी-20 सीरीज के बाद भारत और साउथ अफ्रीका की टीमें विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप के तहत तीन मैचों की टेस्ट सीरीज खेलेंगी. टेस्ट सीरीज का पहला मैच दो अक्टूबर से विशाखापत्तनम में, दूसरा 10 अक्टूबर से पुणे में और तीसरा 19 अक्टूबर से रांची में खेला जाएगा.

टीम की चिंता या फिर तेंदुलकर जैसी विदाई की चाहत रखते हैं धोनी

लंबे बालों के साथ जब वो पहली बार क्रीज पर आया तो सभी ने उस खिलाड़ी की हेयर स्टाइल की तारीफ की लेकिन उसके बाद केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया ही उनकी मुरीद हो गई. शायद आप समझ गए होंगे हम किसकी बात कर रहे हैं. हम बात कर रहे हैं महेंद्र सिंह धोनी की. वो धोनी जितने भारत को क्रिकेट विश्व कप भी जिताया, टी-20 विश्व कप भी जिताया, एशिया कप भी जिताया और चैंपियन ट्रॉफी भी हम जीतकर आए. लेकिन समय के साथ सबके खेल में बदलाव आता है. ये हमने पहले भी कई खिलाड़ियों के साथ देखा है. क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर भी आखिरी समय स्ट्रगल कर रहे थे. उनके भी संन्यास की बातें उठने लगीं थीं. लेकिन उस खिलाड़ी के जैसे हर किसी के नसीब पर वैसी विदाई नसीब नहीं होती.

विश्व कप 2019 में लोगों ने अनुमान लगाया था कि लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान पर टीम इंडिया विश्व कप उठाएगी और एम एस धोनी की विदाई भी उसी तरह होगी जैसे 2011 में मुंबई के वानखेड़े मैदान पर सचिन तेंदुलकर की हुई थी. लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. भारत की आकांक्षाओं को न्यूजीलैंड से मुकम्मल नहीं होने दिया और भारत को सेमीफाइनल में ही हार कर टूर्नामेंट से बाहर का रास्ता देखना पड़ा. विश्व कप के दौरान पूरी टीम अस्त-व्यस्त दिखी. धोनी को लेकर सवाल उठते रहे. कहा जाने लगा कि धोनी को अब मैनेजमेंट ढो रहा है, सच यो ये था कि धोनी को टीम में जगह उनके खेल को लेकर नहीं था बल्कि मैदान में उनके अनुभवों को लेकर था. इंग्लैंड के साथ मैच हारने के बाद भी धोनी के ऊपर सवाल उठे. सवाल तभी भी उठे जब न्यूजीलैंड के खिलाफ धोनी का रन बनाने के औसत 50 से भी कम का होने लगा. ऐसा लगने लगा था कि हेलीकॉप्टर शॉट्स खेलने वाला ये बल्लेबाज आज एक-एक रन में स्ट्रगल कर रहा है. धोनी क्रीज पर जम तो जाते थे लेकिन वो बड़े शॉट्स नहीं खेल पा रहे थे. सेमीफाइऩल में न्यूजीलैंड के खिलाफ मुकाबले में रवींद्र जडेजा की पारी जब तक चल रही थी जब तक धोनी की बल्लेबाजी पर कोई ज्यादा गौर नहीं कर रहा था लेकिन उसके बाद धोनी का खेल वाकई जीत वाला नहीं था.

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धोनी को संन्यास लेना चाहिए या नहीं ये उऩका निजी फैसला है लेकिन टीम मैनेंजमेंट को ये सोचना चाहिए कि धोनी से रिटायरमेंट की बात करें और उनसे पूछें कि उनका क्या प्लान है. भारत के विस्फोटक बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग ने भी खुलासा किया था कि चयनकर्ताओं ने उनसे कोई भी बात नहीं कि और सीधे टीम से निकाल दिया गया. ऐसा ही गौतम गंभीर के साथ भी हुआ.

भारतीय टीम वेस्टइंडीज के दौरे पर है जहां पर टीम दो टेस्ट, दो टी20 और तीन वनडे खेलने है. दौरा पूरा भी हो गया है. केवल एक टेस्ट मैच खेला जा रहा है. यहां पर भी धोनी का चयन नहीं किया गया. बाद में चयनकर्ताओं की तरफ से ये कहा गया कि धोनी ने इस दौरे के लिए अपने आपको अनुप्लब्ध बताया था. लेकिन सच्चाई यही है कि धोनी को टीम मे जगह ही नहीं दी गई थी. धोनी पैरा-कमांडो की ट्रेनिंग के लिए कश्मीर चले गए. वहां वो आर्मी के साथ ट्रेनिंग करते रहे और सोशल मीडिया में कई वीडियो उनके आते रहे जिसमें वो वॉलीबॉल खेलते दिखे कहीं पर वो एक्सरसाइज करते दिखे.

वेस्टइंडीज दौरे के बाद भारतीय क्रिकेट टीम का चयन दक्षित अफ्रीका के खिलाफ होने वाले टी-20 के लिए किया गया. उसमे भी धोनी का चयन नहीं किया गया. यहां भी चयनकर्ताओं का वहीं घिसा पिटा बयान आया कि धोनी उपलब्ध नहीं है. जबकि यहां भी सच्चाई छिपाई गई. अब धोनी को लेकर कहा जा रहा है कि उनको टीम की चिंता है इसलिए वो संन्यास नहीं ले रहे. मतलब कि धोनी को लगता है कि अभी तक उनके जगह पर कोई परफेक्ट खिलाड़ी नहीं आया इसलिए वो संन्यास नहीं आया. लेकिन धोनी को और टीम दोनों को एक दूसरे के बगैर रहने की आदत डालती होगी. इस बात में कोई शक नहीं है कि धोनी महान खिलाड़ी है लेकिन मुझे याद सुनील गावस्कर की एक बात याद आती है उन्होंने कहा था कि आपको तब संन्यास ले लेना चाहिए जब लोग ये कहने लगें कि ये संन्यास कब लेगा. मसलन की धोनी को अब खुद संन्यास की घोषणा कर देनी चाहिए.

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धोनी के मन में क्या है ये तो महज धोनी ही जानते हैं लेकिन मेरे अनुसार धोनी टी-20 विश्व कप के बाद संन्यास की घोषणा जरुर करेंगे. धोनी हमेशा से चौंकाने वाले फैसले लेते रहे हैं. जब उन्होंने कप्तानी छोड़ी थी तभी भी चौंका दिया था उसके बाद क्रिकेट के मैदान पर भी उनके कई निर्णय चौंकाने वाले होते हैं. फिलहाल वक्त यही कह रहा है कि धोनी को संन्यास ने लेना चाहिए.

रोजर फेडरर को पहले ही सेट में मात देने वाले सुमित नांगल के बारे में जानिए,

क्रिकेट भारत की आत्मा में बसता है. ये बात सच है लेकिन क्रिकेट के अलावा बाकी खेलों में भी अब भारतीय तिरंगा लहराने लगा है. क्रिकेट विश्व कप में भारतीय टीम की हार ने करोड़ों खेल प्रेमियों का दिल तोड़ दिया था. उस हार के सदमें में कई क्रिकेट प्रेमियों ने खाना भी नहीं खाया था. लेकिन बीते एक पखवाड़ा में भारतीय खिलाड़ियों ने पूरे विश्व में अपना दमखम दिखाया है. पहले भारत की स्टार शटलर पीवी सिंधु ने विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल लाकर हिंदुस्तान को गौरन्वांवित किया, उसके बाद युवा टेनिस खिलाड़ी सुमित नागल ने जो किया वो अपने आपने में एक चौंकाने वाला है.

अक्सर खिलाड़ी की वाह-वाही तब होती है जब वो मैच जीत जाता है लेकिन सुमित नांगल के साथ ऐसा नहीं हुआ. सुमित नांगल मैच हार भी गए फिर भी उनको पूरे देश की तमाम बड़ी हस्तियों से शाबासी मिली. हरियाणा के झज्जर जिले में जन्म लेने वाले 22 वर्षीय नांगल का डेब्यू मैच ही रोजर फेडरर के साथ पड़ गया. अब आप समझ ही गए होंगे कि किसी का डेब्यू मैच हो उसके सामने वो खिलाड़ी हो जिसको इस खेल का महान खिलाड़ी कहा जाता हो तो फिर उस खिलाड़ी की सांसे तेज होना तो लाजिमी है लेकिन नांगल की सांसे तेज नहीं हुईं बल्कि टेनिस बैट से निकलने वाले शॉट्स तेज हो गए.

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साल के चौथे ग्रैंड स्लैम यूएस ओपन के पहले ही राउंड में सुमित का सामना टेनिस जगत के दिग्गज रोजर फेडरर से हुआ. मंगलवार को न्यूयॉर्क के आर्थर ऐश स्टेडियम में 22 साल के जोशिले क्वालिफायर सुमित नागल ने 38 साल के तजुर्बेकार फेडरर को जोरदार टक्कर दी. 20 बार ग्रैंड स्लैम विजेता रोजर फेडरर ने नागल को हल्के में ले लिया. फेडरर को यही गलती भारी पड़ गई. नांगल ने फेडरर को पहले सेट में 6-4 से हराकर अपनी ग्रांड ओपनिंग दी. फेडरर को समझ आ गया था कि ये कोई साधारण खिलाड़ी नहीं है. अंत में स्विस स्टार फेडरर ने नागल को 4-6, 6-1, 6-2, 6-4 से मात दी.

हरियाणा को खिलाड़ियों की धरती भी कहा जाता है. ओलंपिक में पदक जीतने वाले ज्यादातर खिलाड़ी इसी प्रदेश से ताल्लुक रखते हैं. सुमित नागल भी हरियाणा के झज्जर जिले के जैतपुर गांव से हैं. परिवार में किसी की खेलों में जरा भी दिलचस्पी नहीं रही. उनके फौजी पिता सुरेश नागल को टेनिस में रुचि थी. सुमित को उनके पिता ने ही टेनिस खिलाड़ी बनाने के बारे में सोचा. सुरेश को एक रोज ख्याल आया कि उनका बेटा भी तो दूसरे खिलाड़ियों की तरह खेलता नजर आ सकता है. हरियाणा के सुमित नागल ने आठ साल की उम्र में टेनिस खेलना शुरू किया था.

सुमित के परिवार को उनकी ट्रेनिंग के लिए दिल्ली शिफ्ट होना पड़ा. 2010 में अपोलो टायर वालों की टैलेंट सर्च प्रतियोगिता में सुमित चुन लिए गए. दो साल तक उन्होंने स्पॉन्सर किया. सुमित ने महेश भूपति की एकेडमी में भी ट्रेनिंग ली थी. पिछले नौ साल से वो कनाडा, स्पेन, जर्मनी में ट्रेनिंग कर चुके हैं.

आंकड़ों के हिसाब से अगर भारत में टेनिस खिलाड़ियों की बात करें तो सानिया मिर्जा, लिएंडर पेस, महेश भूपति, रोहन बोपन्ना, सोमदेव देववर्मन, युकी भांबरी, अंकिता रैना इनका नाम ही सबसे ज्यादा लिया जाता है लेकिन अब इस लिस्ट में सुमित नांगल का नाम जुड़ गया. लिएंडर पेस भारत के शानदार टेनिस खिलाड़ी हैं. युगल और मिश्रित युगल में इनके नाम कुल चौदह ग्रैंड स्लैम खिताब है. डेविस कप में भारत के लिए उनका योगदान अकल्पनीय है. 1996 में अटलांटिक ओलंपिक खेलों में इन्होने कांस्य पदक जीता था. इसके बाद नंबर आता है महेश भूपति का. महेश भूपति के नाम चार ग्रैंड स्लैम युगल खिताब है. टेनिस खिलाडी लिएंडर के साथ उनकी जोड़ी शानदार रही है. महेश ने दोहा में 2006 में लिएंडर पेस के साथ एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता था. भूपति डेविस कप में भी भारत के लिए भाग ले चुके हैं. भूपति ने कुल 46 डेविस कप खेले हैं जिनमे से 28 में जीत और 18 हार हाथ लगी.

वह भारतीय टेनिस के इतिहास में सर्वोच्च महिला टेनिस खिलाड़ियों में से एक हैं सानिया मिर्जा. इन्होने तीन प्रमुख मिश्रित युगल जीते 2009 ऑस्ट्रेलियन ओपन, 2012 फ्रेंच ओपन और 2014 में अमेरिकी ओपन. 2014 के एशियाई खेलों में सानिया ने साकेत मिरेनी के साथ मिश्रित युगल स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता और महिलाओं की डबल स्पर्धा में कांस्य पदक जीता था. अक्टूबर 2014 में डब्ल्यूटीए फाइनल में जीत हासिल की थी.

सोमदेव देवबर्मन ने 2002 में टेनिस खेलना शुरू कर दिया था और 2004 में एफ 2 कोलकाता चैम्पियनशिप में जीत के साथ सुर्खियों में आये. सोमदेव ने राष्ट्रमंडल खेल 2010 में एकल स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता था साथ ही एशियाई खेल 2010 में एकल और डबल्स इवेंट में भी स्वर्ण पदक हासिल किया.

इन सबके अलावा हमको दो नाम कभी नहीं भूलना चाहिए. जिन्होंने भारत को टेनिस से अवगत कराया. या यूं कहें कि भारत में टेनिस के जन्मदाता ही यही खिलाड़ी रहे हैं. पहला नाम आता है रमेश कृष्णन भारत के प्रसिद्ध टेनिस प्रशिक्षक और पूर्व टेनिस खिलाड़ी हैं. 1970 के दशक के अंत में जूनियर विंबल्डन और फ्रेंच ओपन में पुरुष एकल का खिताब जीता था. वर्ष 1980 के दशक में तीन ग्रैंड स्लैम के क्वार्टर फ़ाइनल तक पहुंचे और डेविस कप टीम में भी फ़ाइनल तक पहुंचे थे. रमेश कृष्णन 2007 में भारत के डैविस कप कप्तान रहे थे. इनके पिता रामनाथन कृष्णन थे जोकि भारत के प्रसिद्ध टेनिस खिलाड़ी रहे हैं. इन्हें 1998 में भारत सरकार ने ‘पद्मश्री’ सम्मान से सम्मानित किया था.

दूसरा नाम आता है विजय अमृतराज. अमृतराज के छोटे भाई आनंद और अशोक देश का प्रतिनिधित्व करने वाले पहले खिलाड़ी थे. विजय ने अपना पहला ग्रांड प्रिक्स 1970 में खेला था। 1973 में वह विंबलडन और यू.एस. ओपन के क्वॉर्टर फाइनल तक पहुंचे, जहाँ उन्हें यान कोडेस और केन रोजवैल जैसे दिग्गज ही हरा सके.

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