किसान मजदूरों की दुर्दशा : महानगरों की ओर लौटने लगे प्रवासी मजदूर

किसान मजदूरों के जवान बेटे पुनः बिहार और उत्तरप्रदेश के गांवो से महानगरों की ओर लौटने लगे. ठीकेदारों कम्पनी के मैनेजरों का फोन आने लगा. इधर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का रोज अखबारों और टी वी पर यह ब्यान सुनने को मिल रहा है कि प्रवासी मजदूरों को हर हाल में रोजगार दिया जाएगा.लेकिन जमीनी सच्चाई अलग है. मुख्यमंत्रीजी आप कहाँ देंगे रोजगार.आपके पास भाषण के सिवा रोजगार देने के लिए कोई साधन उपलब्ध नहीं है.

किसान मजदूर के बेटे समझ गये हैं कि फजीहत जितनी भी झेलनी पड़े परिवार और अपना पेट भरने के लिए काम तो कहीं न कहीं करना ही पड़ेगा.यहाँ काम मिलना संभव नहीं है ?खेती का हाल और ही बुरा है. खेती में मजदूरी करने के लिए बड़े किसानों के यहाँ सालों भर काम नहीं है. साधरण किसान के बेटे अगर खेती भी करेंगे तो उससे कोई लाभ नहीं है.

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हिमाचल प्रदेश के धागा उद्योग फैक्ट्री में काम करनेवाले अजय कुमार और उनकी पत्नी शुष्मा देवी जो लॉक डाउन में कम्पनी बन्द होने की वजह से अपने गृह जिला औरंगाबाद आ गए हैं.शुष्मा देवी ने बतायीं की हम

दोनों वहाँ काम करते थे.हम वहाँ दवा बनाने वाले कम्पनी में डब्बा में दवा भरने का काम करते थे.हमारे पति धागा कम्पनी में काम करते थे.उन्हें 15000 हजार और मुझे 1000 रुपये वेतन मिलता था.दोनों मिलाकर 25000 हजार रुपये मिल जाता था.दो बच्चों को आराम से पढ़ा लिखा रहे थे.प्रतिमहिना उसी में से बचाकर सास ससुर के लिए भी सात आठ हजार महीना भेजते रहते थे.लेकिन इस कोरोना की बीमारी ने तो हमलोगों को बड़ा मुश्किल में डाल दिया.पति के कम्पनी से फोन आ रहा है.पुनः काम पर लौटने के लिए हमलोग मन बना रहे हैं जाने के लिए.यहाँ हमलोग क्या करेंगे ? हमलोग मनरेगा में डेली ढोने और कुदाल चलाने वाला काम नहीं कर सकते.यहाँ और दूसरे चीज में किसी प्रकार का कोई स्कोप नहीं है.

राकेश कुमार गुजरात के राजकोट में टेम्पू फैक्ट्री में वेल्डर का काम करता था.साथ में पत्नी शांति देवी भी रहती हैं.शांति देवी ब्यूटीपार्लर का काम सीखतीं थी.राकेश पाँच वर्ष से इसी फैक्ट्री में काम करता है.दो वर्ष पहले शादी हुवी है.इसी वर्ष होली के बाद पत्नी भी साथ में गयी थी.पति पत्नी आपस में विचार किये की अगर ब्यूटी पार्लर का काम सिख जाती है तो भविष्य में पैसा जमा कर ब्यूटीपार्लर का दुकान खोल सकती है.लेकिन मार्च महीने में ही लॉक डाउन हो गया.जिसकी वजह से जो सपना देखे थे.उसपर पानी फिर गया.जब पति पत्नी से पूछे कि अब आपलोग क्या आगे सोंचें हैं तो दोनों ने बताया कि इस बार जब गाँव आ गए हैं तो धान का रोपण का काम करके फिर वहीं जायेंगे.कम्पनी से आने के लिए फोन आने लगा है.आपलोग यहाँ क्यों नहीं कुछ काम करते तो राकेश ने कहा कि 15000 हजार रुपये महीने का आप ही मुझे कोई काम दिलवा दीजिये.हम यहीं काम करेंगे.यहाँ तो मुझे कोई काम ही नहीं दिखाई पड़ रहा है.

सूरत कपड़ा मिल में काम करने वाला बिजय कुमार बताता है कि हम साड़ी फैक्ट्री में कलर मास्टर का काम करते थे.लॉक डाउन की वजह से कम्पनी बन्द हो गया तो घर आ गये थे.पुनः वहाँ से ठीकेदार फोन कर रहा है. वह भी बिहार का ही है. वह साथ में मेरा रिजर्वेशन कराने के लिए तैयार है. मेरे पास कोई उपाय नहीं है. इसलिए मैं जाने के लिए पुनः तैयार हो गया हूँ.बिहार से मुंबई,हैदराबाद,दिल्ली,लुधियाना की गाड़ियों में मजदूर झुंड के झुंड बाहर जाने के लिए निकल पड़े हैं.

इन मजदूरों में अधिकांशतः दलित और ओ बी सी के युवा हैं. ये युवा मजदूर या मध्यमवर्गीय किसान के बेटे हैं.

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आखिर महानगरों की ओर क्यों पलायन करते हैं. बिहार और यू पी के युवा .बिहार और यू पी के गाँवों में किसानों मजदूरों के बेटों को सालों भर काम नहीं मिल पाता.मध्यमवर्गीय किसानों के बेटे को खेती से कोई लाभ नहीं दिखता इसकी वजह से वे महानगरों की ओर रुख करते हैं.किसानों की वास्तविक स्थिति क्या है ? इसे भी समझने की जरूरत है.

अगर किसानों के फसलों का उचित मूल्य मिलने लगे तो बिहार और यू पी के गाँवों से पलायन सदा के लिए रुक जाय. कोई बड़ी योजना परियोजना की जरूरत नहीं है.

तमाम सरकारी दावों के बीच किसानों की स्थिति बद से बदतर होते जा रही है. किसान खेती किसानी छोड़कर अन्य रास्ते की तलाश में हैं.किसान के बच्चे किसी भी हाल में खेती करने के लिए तैयार नहीं हैं. एक समय में कहा जाता था कि उत्तम खेती मध्यम बान, नीच चाकरी भीख निदान यानी खेती  को ऊँच दर्जा प्राप्त था.चाकरी यानी नॉकरी करना भीख माँगने के समान समझा जाता था.लेकिन आज उल्टा हो गया है. नॉकरी करना सर्वश्रेष्ठ हो गया है .खेती करना नीच काम समझा जाने लगा है. आखिर हो भी क्यों नहीं ? क्योंकि खेती किसानी करनेवाले लोगों का परिवार फटेहाली का जिंदगी जीने को मजबूर है. हाड़ तोड़ पूरा परिवार मिहनत करने के बाद भी बच्चों को बेहतर शिक्षा ,स्वास्थ्य ,बेटी को अच्छे घरों में शादी करने से महरूम है.परिवार का अगर कोई सदस्य किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित हो जाता है तो जमीन बेचने और गिरवी रखने के सिवा कोई उपाय नहीं बचता और सूद के चंगुल से निकलना मुश्किल हो जाता है.

किसान भूषण मेहता ने बताया कि मेरा बीस बिगहा जमीन है. खेती अपने से करते हैं. सालों भर पाँच परिवार के साथ साथ मजदूर भी लगा रहता है.अगर सच मायने में देखा जाय तो खेती में इतना लागत लग जाता है कि कुछ भी विशेष नहीं बच पाता. अगर बाढ़ सुखाड़ का मार नहीं झेलना पड़ा और मौसम साथ दिया तो साल में एक लाख रुपये मुश्किल से बच पाता है.साल में इतना पैसा तो पाँच परिवार मजदूरी करके कमा सकता है.बीज,खाद,डीजल का दाम रोजबरोज बढ़ते जा रहा है. गेंहूँ और धान की कीमत उस हिसाब से नहीं बढ़ पा रहा है. सरकारी खरीद का सिर्फ दावा किया जाता है. हम कभी भी कॉपरेटिव के माध्यम से धान नहीं बेंचते. इसलिए कि समय पर पैसे नहीं मिलते.अपना काम धाम छोड़कर ब्लॉक और बैंक का चक्कर लगाना हमारे बस की बात नहीं है. हम सस्ते दाम पर ही सही धान खरीदने वाले को खलिहान से ही धान गेंहूँ बेंच देते हैं. जब मेरे जैसे बीस बीघा की खेती करने वाले कि स्थिति बहुत अच्छी नहीं है तो एक और दो बीघा की खेती करने वाले किसानों की क्या स्थिति होगी.बीमारी और बेटी की शादी में किसानों को या तो खेत बीके या जमीन गिरवी रखे.यह तय है.किसान अपने मेधावी बच्चों को भी ऊँच और तकनीकी शिक्षा महँगी होने के कारण दिलवाने में असमर्थ है.

आज किसानों की स्थिति बदतर क्यों होते जा रही है. इसका मूल कारण है खेती में लागत मूल्य दिनों दिन तेज गति से बढ़ते जा रहा है.किसानों द्वारा उत्पादित फसलों और शब्जियों का उचित मूल्य नहीं मिल पाना है. विगत दस वर्षों में कृषि में लागत तीन गुना तक बढ़ गया है. लेकिन उपज की कीमतों में दोगुना भी बढ़ोतरी नहीं हुवी है.

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सिर्फ किसानों के उपज का वास्तविक दाम मिल जाय तो किसानों को अलग से किसी प्रकार की कोई राहत की जरूरत नहीं है.

किसानों के नेता नागेश्वर यादव ने बताया कि 1971 में 10 ग्राम सोना का मूल्य 193 रुपये था.उस समय एक क्विटल गेहूं का दाम 105 रुपये था.10 ग्राम सोना खरीदने के लिए एक क्विंटल 83 किलो गेहूँ बेंचने की जरूरत थी.आज सोना का मूल्य 10 ग्राम का 50 हजार रुपये है. गेहूँ 2000 रुपये प्रति क्विंटल है.10 ग्राम सोना खरीदने के लिए आज 25 क्विंटल गेहूँ बेंचने पड़ेगा.इससे बाजार आधारित वस्तु का मूल्य और किसानों द्वारा उपजाए गए .अनाजों का मूल्य का सहज आकलन कर सकते हैं.

पहले खेती किसानी हल बैल,रेहट,लाठा कुंडी के माध्यम से होता था.डीजल की कोई जरूरत नहीं होती थी.आज के तारीख में खेत की जुताई कटाई करने के लिए ट्रैक्टर की जरूरत पड़ती है.सिंचाई करने के लिए डीजल इंजन की जरूरत है. डीजल का दाम लगातार बढ़ने से किसानों की स्थिति अत्यंत दैनीय हो गयी है.बीज,उर्वरक,कीटनाशक सभी की कीमत लगातार बढ़ते जा रही है.

किसानों का बैंक से लिये गए लोन को माफ करने की बात बार बार होती है. किसानों का सिर्फ लोन माफ करना इसका निदान नहीं है. सरकार माफ भी नहीं करना चाहती.क्योंकि देश पर अतिरिक्त भार पड़ने का राग अलापा जाता है. देश के उद्योगपतियों का लोन आराम से माफ कर दिया जाता है.बैंकों की खराब स्थिति किसानों के चलते नहीं बल्कि सरकार और पूंजीपतियों के गठजोड़ की वजह से हुवी है. बिजय माल्या 18000 करोड़,नीरव मोदी 11400 करोड़,भाई चौकसी 2000 करोड़,ललित मोदी कितना का चूना लगाया आमलोगों को पता तक नहीं.ये पूंजीपति सरकार की मिलीभगत से देश का बंटाढार कर दिया.

जो किसान पूरे देश का पेट भरता है. वह खुद पूरे परिवार अभावों में रहते हुवे आत्महत्या तक करने के लिए विवश है.

एक समय था जब 45 करोड़ जनता का पेट भरने के लिए भी किसान अन्न नहीं उपजा पाता था.हमें अमेरिका से गेहूँ का आयात करने पड़ता है. आज हरित क्रांति और वैज्ञानिकों की देन की वजह से 130 करोड़ लोगों को किसान अन्न उपलब्ध करा रहा है. फिर भी किसान कर्ज में दबा है और आत्महत्या तक करने के लिए विवश है.

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देश भर से इस तरह की खबरें आते रहती है. टमाटर,कद्दू,प्याज ,लहसुन ,आलू का उचित मूल्य नहीं मिलने की वजह से किसान सड़कों पर फेंकने के लिए विवश हो जाते हैं.देश का अर्थब्यवस्था तभी कायम रह पाएगा जब  किसानों के द्वारा उपजाये गये फसलों का उचित मूल्य मिलेगा.किसान सम्मान योजना जैसे लॉली पॉप से देश के किसानों का निदान नहीं होने वाला है.

जनता तो अब चंदन ही घिसेगी

वर्तमान सरकार की नीतियों से सब गङबङ हो गया, अब तो ऐसा ही लगता है. पहले नोटबंदी ने आम लोगों से ले कर गृहिणियों तक को परेशान किया और फिर जीएसटी के मकङजाल में व्यापारी ऐसे उलझे कि उन्हें इस कानून को समझने में वैसा ही लगा जैसे किसी क्रिकेट प्रेमियों को डकवर्डलुइस के नियम को समझने में लगता है.

नोटबंदी ने मारा कोरोना ने रूलाया

एक के बाद एक लागू कानूनों से पहले सरकार ने मौकड्रिल करना जरूरी नहीं समझा. परिणाम यह हुआ कि देश में असमंजस की स्थिति बन गई. नोटबंदी के समय तो आलम यह था कि लोग अपने ही कमाए पैसे मनमुताबिक निकाल नहीं सकते थे.

तब आर्थिक विशेषज्ञों ने भी माना था कि आगे चल कर देश को इस से नुकसान होगा. निवेश कम होंगे तो छोटे और मंझोले व्यापार पर इस का तगङा असर पङेगा. और हुआ भी यही. छोटेछोटे उद्योगधंधे बंद हो गए या बंदी के कगार पर पहुंच गए. बेरोजगारी चरम पर पहुंच गई.

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मगर उधर सरकार कोई ठोस नतीजों पर पहुंचने की बजाय धार्मिक स्थलों, मूर्तियों और स्टैचू बनाने में व्यस्त रही.

परिणाम यह हुआ कि निवेश कम होते गए, किसानों को प्रोत्साहन न मिलने से वे खेती के प्रति भी उदासीन होते गए और रहीसही कसर अब कोरोना ने पूरी कर दी.

कोरोना वायरस के बीच देश में लागू लौकडाउन भी सरकारी उदासीनता की भेंट चढ़ गया और इस से सब से अधिक वही प्रभावित हुए जो देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ कहे जाते हैं.

विश्व बैंक की रिपोर्ट और भारतीय अर्थव्यवस्था

सरकारी उदासीनता और लापरवाही का नतीजा भारत की अर्थव्यवस्था पर तेजी से पङा. हाल के दिनों में छोटेबङे उद्योगधंधे या तो बंद हो गए या बंदी के कगार पर जा पहुंचे. लाखों नौकरियां खत्म हो गईं. और अब तो भारतीय अर्थव्यवस्था को ले कर विश्व बैंक ने जो कहा है वह चिंता बढ़ाने वाली बात है.

विश्व बैंक ने हाल ही में यह कहा है कि कोरोना संकट से दक्षिण एशिया के 8 देशों की वृद्धि दर सब से ज्यादा प्रभावित हो सकती है, जिस में भारत भी एक है.

40 सालों में सब से खराब स्थिति

विश्व बैंक का यह कहना कि भारत और अन्य दक्षिण एशियाई देश 40 सालों में सब से खराब आर्थिक दौर में हैं, तो जाहिर है आगे हालात और भी बदतर दौर में बीतेंगे.

‘दक्षिण एशिया की अर्थव्यवस्था पर ताजा अनुमान : कोविड-19 का प्रभाव’ रिपोर्ट पेश करते हुए विश्व बैंक ने कहा है कि भारत समेत दक्षिण एशियाई देशों में 40 सालों में सब से खराब आर्थिक विकास दर दर्ज की जा सकती है. दक्षिण एशिया के क्षेत्र, जिन में 8 देश शामिल हैं, विश्व बैंक का अनुमान है कि उन की अर्थव्यवस्था 1.8% से लेकर 2.8% की दर से बढ़ेगी जबकि मात्र 6 महीने पहले विश्व बैंक ने 6.3% वृद्धि दर का अनुमान लगाया था.

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भारत के बारे में विश्व बैंक का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में यहां वृद्धि दर 1.5% से लेकर 2.8% तक रहेगी.

विश्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया कि 2019 के आखिर में जो हरे निशान के संकेत दिख रहे थे उसे वैश्विक संकट के नकारात्मक प्रभावों ने निगल लिया है.

जाहिर है, इस से आने वाले दिनों में हालात बिगङेंगे ही. उधर सरकार के पास इस से निबटने और आर्थिक प्रगति के अवसर को आगे बढ़ाने में भयंकर दिक्कतों का सामने करना पङ सकता है.

मुश्किल में कारोबारी और मजदूर

कोरोना वायरस के फैलाव को रोकने के उपायों के कारण पूरे दक्षिण एशिया में सप्लाई चैन प्रभावित हुई, तो कामगाज ठप्प पङ गए.

सरकार की खामियों की वजहों से लौकडाउन भी पूरी तरह असफल हो गया. देश में फिलहाल 2 लाख से अधिक कोरोना पीङितों की संख्या है और इस का फैलाव भी अब तेजी से होने लगा है.

उधर भारत में तालाबंदी के कारण सवा सौ करोङ लोग घरों में बंद हैं, करोङों लोग बिना काम के हैं और हालात इतने बदतर होते जा रहे कि कुछ बाजारों के खुलने के बावजूद कारोबार चौपट है. इस से बड़े और छोटे कारोबार बेहद प्रभावित हैं.

शहरों में रोजीरोटी मिलनी मुश्किल हो गई तो लाखों प्रवासी मजदूर शहरों से अपने गांवों को लौट चुके हैं और यह पलायन बदस्तूर जारी है.

विश्व बैंक ने किया आगाह

रिपोर्ट में यह आगाह किया गया है कि यह राष्ट्रीय तालाबंदी आगे बढ़ती है तो पूरा क्षेत्र आर्थिक दबाव महसूस करेगा. अल्पकालिक आर्थिक मुश्किलों को कम करने के लिए विश्व बैंक ने क्षेत्र के देशों से बेरोजगार प्रवासी श्रमिकों का समर्थन करने के लिए वित्तीय सहायता देने और व्यापारियों और व्यक्तियों को ऋण राहत देने को कहा है.

मगर भारत में जहां की राजनीति हर कामों पर भारी पङती है, वहां लोगों व व्यापारियों को आसानी से ॠण मिल जाएगा, इस में संदेह ही है. भारतीय बैंक की हालत पहले ही बङेबङे घोटालों की वजह से पतली है. भ्रस्टाचार ऊपर से नीचे तक है और यह भी सरकार की नीतियों को आगे ले जाने में बाधक है.

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उधर, सरकार के पास कोई माकूल रोडमैप भी नहीं है जिन से बहुत जल्दी देश में आर्थिक असमानता को दूर किया जा सके. सरकार के अधिकतर सांसद व मंत्री एसी कमरों में बैठ कर सरकार चलाना चाहते हैं.

जनता सरकार के कामकाज से संतुष्ट नहीं दिखती. पर जैसाकि हमेशा से होता आया है, वही आगे भी होगा. देश को धर्म और जाति पर बांटा जाएगा फिर वोट काटे जाएंगे.

जनता जनार्दन क्या करे, सरकार के पास कहने के लिए तो है ही- प्रभु के श्रीचरणों में रहो, वही बेङापार करेंगे. यानी अब तो सिर्फ चंदन ही घिसते रहो…

Lockdown के दौरान यह भोजपुरी फिल्में आप बार-बार जरूर देखना चाहेंगे

35 करोड़ की आबादी वाले भोजपुरी बेल्ट में हिंदी फिल्मों की तरह भोजपुरी फ़िल्में (Bhojpuri Movie) भी दर्शकों को खासा पसंद है. भोजपुरी सिनेमा देखने वाले यूपी, बिहार के साथ ही दिल्ली, मुम्बई सहित देश के सभी राज्यों में फैलें हुयें हैं. क्यों की भोजपुरी बेल्ट के लोग काम के तलाश में पलायन कर जाते हैं. अब जब नौकरीपेशा से लेकर कामगार वर्ग लौक डाउन (LOCKDOWN) के चलते अपने घरों में बैठा हुआ है. तो इस खाली समय में मनोरंजन के साधनों की आवश्यकता बढ़ गई है. लोग अपने बोरियत को दूर करने के लिए अलग-अलग तरीके अपना रहें हैं.

लोगों के लिए इस बोरियत भरे समय में डिजिटल माध्यम और यूट्यूब सबसे बड़ा सहारा बन कर उभरा है. इस दौर में भोजपुरी सिनेमा को चाहने वाले सिनेमाहाल में तो जा नहीं सकतें हैं क्यों लॉक डाउन ने मनोरंजन के सभी साधनों पर तालाबंदी कर रखा है. इस स्थिति में भोजपुरी सिनेमा को चाहने वाले निराश न हों क्यों यहाँ हम आप को बता रहें हैं भोजपुरी की 10 बेहतरीन फिल्मों के बारें में. जिसे आप घर बैठे ही यूट्यूब पर हाई डेफिनेशन (HD) क्वालिटी में फ्री में देख सकतें हैं.

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दबंग सरकार…

इस फिल्म की कहानी दर्शकों को अंत तक बांधे रखती है. फिल्म की कहानी से दर्शक खुद को जोड़ कर देखनें को मजबूर हो जातें हैं. फिल्म में खेसारी लाल यादव और आकांक्षा अवस्थी  के साथ ही सीपी भट्ट, दीपिका त्रिपाठी , कृष्ण कुमार , संजय पांडेय, समर्थ चतुर्वेदी , अनूप अरोरा , विनीत विशाल , अजय सिंह , जयशंकर पांडेय , सुभाष यादव , आयुषी तिवारी आदि हैं का जोरदार अभिनय देखने को मिलता है. फिल्म का निर्देशन निर्देशक योगेश राज मिश्रा ने किया है और लिखा है मनोज पांडेय नें.छायांकन अमिताभ चंद्रा का है तो संगीत धनञ्जय मिश्रा नें दिया है.

गदर…

इस फिल्म में पवन सिंह और निधि झा का रोमांश देखने लायक है. फिल्म में नेहा सिंह, सुशील सिंह, मोनालिसा, राजेश सिंह, प्रिया शर्मा, उमेश सिंह, राजू सिंह माही, लोटा तिवारी, हीरा यादव, रोहन सिंह राजपूत तथा सीमा सिंह का जबरदस्त अभिनय भी देखनें को मिलेगा. निर्देशन रमाकांत प्रसाद नें किया हैं और निर्माता भूपेंद्र विजय सिंह, बबलू एम गुप्ता और रवि सिन्घ राजपूत हैं.

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पटना से पाकिस्तान…

साल 2015 में रिलीज़ हुई इस फिल्म नें भोजपुरी बेल्ट के दर्शकों का खूब मनोरंजन किया था. यह फिल्म अपनी कहानी और कलाकारों के अभिनय की बदौलत भोजपुरी की हिट फिल्मों में शुमार है. इस फिल्म को यूट्यूब पर साल 2016 में रीलीज किया गया. फिल्म ‘पटना से पाकिस्तान’ (Patna Se Pakistan) में दिनेश लाल यादव “निरहुआ” के अलावा काजल राघवानी, आम्रपाली दुबे, मनोज सिंह टाइगर “बतासा चाचा” सुशील सिंह और अशोक समर्थ ने मुख्य भूमिका निभाई है.

बहूरानी…

यह भोजपुरी की उन फिल्मों में शुमार है जो पारिवारिक होने के साथ ही महिला प्रधान फिल्म हैं. इस फिल्म के पटकथा व निर्देशक पराग पाटिल हैं व लेखक शिव प्रकाश सरोज. संगीतकार राम परवेश व दामोदर राव, गीतकार राजेश मिश्रा, एस. के. चैहान, शिव प्रकाश सरोज का है. फिल्म के छायांकन की जिम्मेदारी जगमिंदर सिंह नें निभाई है. फिल्म में शुभम तिवारी, अंजना सिंह, रविराज दीपू, पूनम दूबे, बालेश्वर सिंह, राम मिश्रा, मनोज टाईगर, सी पी भट्ट, बबलू यादव, जय प्रकाश सिंह, सुनीता सिंह, संजना सिंह, अमरेश त्रिपाठी, सीमा सिंह, दिव्या द्विवेदी, परी पाण्डेय, रोहित राज का जोरदार अभिनय देखने को मिलता है.

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प्रशासन…

इस फिल्म नें अत्याचार और भ्रष्टाचार पर कठोर प्रहार किया है. फिल्म में सुपरस्टार शुभम तिवारी एक जांबाज और ईमानदार पुलिस अफसर के रूप में लुट, खसोट, अत्याचार में लगे भ्रष्टाचारियों से लड़ते हुए दिखतें हैं. इस फिल्म में शुभम तिवारी के अपोजिट रानी चटर्जी की जोड़ी ने खूब धमाल मचाया था. फिल्म में शुभम तिवारी, रानी चटर्जी के अलावा अवधेश मिश्रा, बालेश्वर सिंह, मनोज सिंह टाईगर, राम मिश्रा, सोनू झा, देव सिंह, बिपिन सिंह, सपना, राकेश त्रिपाठी, बबलू यादव नें प्रमुख भूमिकाएं निभाई हैं.

लव और राजनीति…

इस फिल्म में रवि किशन के साथ अंजना सिंह ने की जोड़ी को खूब पसंद किया गया था. इन दोनों कलाकारों की रोमांटिक जोड़ी ने दर्शकों का दिल जीत लिया था. फिल्म के निर्देशक हर्ष आनंद हैं और निर्माता आशा देवी, सुचेता टैगोर हैं संगीत का एसआरके संगीत का है.

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बलम जी लव यू…

फिल्म मुख्य रूप से कुश्ती पर आधारित है, जो कि लव एंगल से जोड़ी गई है. इसमें खेसारी नें एक सीधे साधे लड़के का रोल निभाया है. तो काजल राघवानी नें एक तेजतर्रार पढ़ी लिखी लड़की का किरदार निभाया हैं. इस फिल्म में देव सिंह, अशोक समर्थ, काजल राघवानी, अक्षरा सिंह, शुभी शर्मा, स्मृति सिन्हा, संजय महानंद नें भी प्रमुख भूमिकाएं निभाई हैं.

मोकामा 0 किमी…

यह फिल्म बिहार के अंडरवर्ल्ड व गैंगवार पर आधारित है. इसमें भोजपुरी के सुपर स्टार दिनेश लाल और अभिनेत्री आम्रपाली दूबे व अंजना सिंह की जोड़ी ने जोरदार अभिनय किया है. फिल्म के निर्माता सुजीत तिवारी हैं साथ ही इस फिल्म में दिनेश लाल यादव (निरहुआ), आम्रपाली दुबे, सुशील सिंह, अंजना सिंह, के साथ संजय पांडे, मनोज टाइगर, प्रकाश जैस नें मुख्य भूमिकाएं निभाई हैं.

संघर्ष…

सबरंग भोजपुरी फिल्म अवार्ड में एक दर्जन से अधिक अवार्ड जीतनें वाली इस फिल्म में खेसारी लाल यादव, काजल राघवानी, रितु सिंह , अवधेश मिश्रा, महेश आचार्य, संजय महानंद, निशा झा, रीना रानी, सुबोध सेठ, प्रेरणा सुषमा, दीपक सिन्हा, देव सिंह, सुमन झा, यदुवेंद्र यादव ने अपनें अभिनय से जान फूंक दी है.  फिल्म में खेसारीलाल यादव और काजल राघवानी का मर्मस्पर्शी किरदार जहां मन को भावुक कर देता है, वहीं अवधेश मिश्रा का चरित्र समाज को सीख देता है.

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निरहुआ चलल ससुराल -2…

जबरदस्त एक्शन, रोमांच, और पारिवारिक पृष्ठभूमि पर बनी इस फिल्म में दिनेश लाल यादव निरहुआ के साथ आम्रपाली दुबे, देव सिंह, अवधेश मिश्रा, सुशील सिंह, मनोज सिंह टाइगर, अनूप अरोरा, प्रकाश जैस, माया यादव, किरण यादव, शकीला मजीद, सुबोध सेठ, गोपाल राय नें कमाल की एक्टिंग की है.

चीनी सामान का बौयकाट : भक्तो को उकसाने का जरीया

चीनी सामान के बौयकाट के लिये आवाज देना एक साजिश का हिस्सा है. इसके जरीये समय समय पर भक्तों को दुश्मन से लडने के लिये उकसाया जाता है. जिससे भारत की परेशानियों पर बातचीत ना हो सके. कुछ दिन पहले तक चीनी कंपनियों को दावतें दी जा रही थी. एक साल भी नहीं बीता कि अब चीनी कंपनियों के बौयकाट की बात की जा रही है. ऐसा केवल चीन को लेकर ही हो यह सही बात नहीं है. नेपाल के साथ भी यही व्यवहार होता रहता है. दो बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चीन के राष्ट्रपति को भारत बुलाया. उनको भारत यहां घुमाया और यह दिखाने का प्रयास किया कि चीन और भारत के संबंध मजबूत होने से देश को लाभ होगा. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के घर खाना खाने भी प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी गये. उसके बाद पाकिस्तान के साथ भारत के संबंध खराब हो गये.

केवल देश के बाहर ही नहीं देश के अंदर भी प्रधानमंत्री मोदी की सोच का यही हाल है. कश्मीर में महबूबा मुफ्रती के साथ मिलकर भारतीय जनता पार्टी ने सरकार बनाई बाद में कश्मीर में धारा 370 खत्म करने से लेकर उसके विभाजन तक का फैसला ले लिया. व्यवहारिक तौर पर देखा जाये तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के फैसले ऐसे ही होते है. देश की आर्थिक नीतियों को लेकर जीएसटी और नोटबंदी जैसी कामों में भी यही देखा गया कि उनका काम बेहद हडबडी वाला होता है. एक बार जो फैसला हो जाता है उसको ही आगे बढाया जा सकता है. नोटबंदी के समय यह कहा गया कि इससे भ्रष्टाचार और आतंकवाद पर रोक लगेगी. नोटबंदी की तमाम मुसीबत के बाद भी भ्रष्टाचार और आतंकवाद पर रोक नहीं लग सकी.

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चीन के राष्ट्रपति का अदभुत स्वागत

चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग अक्टूबर 2019 मे दो दिन के दौरे पर भारत आये थे. उस समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मादी ने उनका भव्य स्वागत किया था. दोनो नेताओ की मुलाकात के लिये महाबलीपुरम को चुना गया. तमिलनाडु का महाबलिपुरम समुद्र के किनारे बसा एक खूबसूरत शहर है. महाबलिपुरम का महत्व पल्लव और चोलों के काल में भी बहुत था. यह शहर चीन और दक्षिण एशिया से व्यापार के लिए बड़ा केंद्र था. महाबलीपुरम समुद्र के रास्ते चीन से जुड़ा था. महाबलिपुरम के बंदरगाह से चीनी बंदरगाहों के लिए सामान जाता था. दक्षिण भारतीय समुद्रतटीय महाबलीपुरम शहर में चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग और भारत के प्रधानमंत्री की बैठक को इस तरह से दिखाया गया कि इस मुलाकात के बाद दक्षिण पूर्व एशिया और चीन से भारत के व्यापार संबंधों को और मजबूती मिलेगी.

महाबलीपुरम का अपना ऐतिहासिक महत्व भी है. इस शहर को दिखाने के बहाने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी महाभारत काल का वर्णन भी पूरी दुनिया को दिखाना चाहते थे. मीडिया के जरीये दोनो नेताओं की मुलाकात पूरी दुनिया के लोग देख सके इसका पूरा उपाय भी किया गया था. महाबलिपुरम में मुलाकात कम समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग का स्वागत तमिल लिबास में किया. इस दौरान वह वेष्टि यानि सफेद धोती और आधे बाजू वाले सफेद शर्ट पहनी थी और कंधे पर अंगवस्त्रम लिया हुआ था. चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग कैजुएल पोशाक सफेद शर्ट और काले रंग का ट्राउजर पहने थे. दोनों नेताओं ने महाबलीपुरम के मनोरम दृश्यों को देखा इसके अलावा इन दोनो ने महाबलीपुरम में महाभारत कालीन अर्जुन की तपस्या स्थली देखा.

अर्जुन महाभारत काल के एक ऐसे पात्र हैं जिनको सत्ता के अन्याय के खिलाफ भारतीय आध्यात्मिक दर्शन का सबसे दृढ़ लेकिन मानवीय चेहरा माना जाता है. इसी जगह पर अर्जुन ने तपस्या की थी. इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी एक टूरिस्ट गाइड की तरह चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग को सभी चीजों के बार में विस्तार से बता रहे थे. कौन सी आकृति अर्जुन की है कौन सी कृष्ण की और कौन सी युधिष्ठिर और भीम की. ऐसा लग रहा था मानो एक-एक पत्थर की आकृति से प्रधानमंत्री मोदी खुद परिचित हो. महाबलीपुरम में मोदी ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को अर्जुन तपस्या स्थल के अलावा पंच रथ और शोर मंदिर घुमाया. पंच रथ को ठोस चट्टानों को काटकर बनाया गया है. ये सभी अंखड मंदिर के रूप में मुक्त तौर पर खड़े किए गए हैं. पंच रथ के बीच में एक विशाल हाथी और शेर की प्रतिमाएं भी स्थापित हैं.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को ‘कृष्ण का माखन लड्डू’ दिखाया. ‘कृष्ण का माखन लड्डू’ एक विशाल पत्थर है, जिसकी ऊंचाई 6 मीटर और चैड़ाई करीब 5 मीटर है. इसका वजन 250 टन है. इसी अनोखे गोल पत्थर को कृष्ण के माखन के गोले के नाम से भी जाना जाता है. यहां पर दोनो नेताओं ने तस्वीर भी खिंचाई. मोदी चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को लेकर शोर मंदिर भी गये. यह मंदिर यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल की सूची में शामिल है. माना जाता है कि शोर मंदिर सात मंदिरों या सात पैगोडा का हिस्सा है और उनमें से छह समुद्र के नीचे डूबे हुए थे.

पर्यटन स्थलों को घुमाने के बाद मोदी और शी जिनपिंग लोकनृत्य और डिनर का आनंद लिया और एक अच्छे मेजबान की तरह से मेहमान को उपहार भी दिया. चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को उपहार में तंजावुर की पेंटिंग और नचियारकोइल-ब्रांच अन्नम लैंप दिया. तंजावुर की पेंटिंग में सरस्वती की तस्वीर खींची गई है. इस पेंटिंग को बी लोगनाथन ने तैयार किया है. इसको तैयार करने में 45 दिन का समय लगा. वहीं, नचियारकोइल-ब्रांच अन्नम लैंप को 8 मशहूर कलाकारों ने मिलकर बनाया है. इसको बनाने में 12 दिन का समय लगा. यह विशेष रूप से चीनी राष्ट्रपति के लिये तैयार किये गये थे.

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प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने शी जिनपिंग के सम्मान में तो डिनर रखा था. उसमें साउथ इंडियन थाली परोसी गई. मोदी ने इस नॉनवेज थाली के लिए विशेष निर्देश दिए थे. डिनर मीनू में राजमा, मालाबार लॉबस्टर, कोरी केम्पू, मटन युलरथियाडु, कुरुवेपिल्लई मीन वरुवल, तंजावुर कोझी करी, बीटरूट जिंजर चॉप, पच सुंडकाई, अरिका कोक्सहंबू, अर्चाविता सांभर, बिरयानी, इंडियन ब्रेड, अड प्रधामन, हलवा, आइसक्रीम, चाय और मसाला चाट जैसे लजीज व्यंजन शामिल रहे.

दोस्ती के बहाने कारोबार की बात

प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी और शी जिनपिंग की मुलकात को एक बडा अवसर बताया गया. इस मुलाकात के बहाने अमेरिका को दायरे में रखने का बात कही गई. यह भी बताया गया कि चीन की दोस्ती से पडोसी पाकिस्तान को कमजोर किया जा सकता है. चीन के साथ सीमा विवाद हो हल करने का प्रयास भी बताया गया. यह कहा गया कि चीन भारतीय बाजार को खोना नहीं चाहता है. महाबलिपुरम में दोनों नेताओं के बीच व्यापार असंतुलन और सीमा विवाद पर बातचीत के साथ क्षेत्र मुक्त व्यापार समझौता है, जिसे जल्द से जल्द चीन लागू करवाना चाह रहा है.

इसमें भारत की सहमति होगी तो मंदी के मार झेल रहे चीनी उत्पाद भारतीय बाजार में डंप हो जाएंगे. मोदी सरकार ने देश की जनता को यह बताया था कि भारत का प्रभाव ज्यादा है. इस दोस्ती में भारत का पलडा भारी है. इस दोस्ती के बाद चीन अंतराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान की बात नहीं करेगा. एक तरफ मोदी और उनकी टीम चीन के साथ नेहरू की दोस्ती पर सवाल उठाती है तो दूसरी तरफ खुद चीन के साथ दोस्ती की जरूरत के मायने बताती है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ‘हमने मतभेदों को विवेकपूर्ण ढंग से सुलझाने, एक दूसरे की चिंताओं के प्रति संवेदनशीन रहने और उन्हें विवाद का रूप नहीं लेने देने का निर्णय किया है. भारत और चीन पिछले 2,000 साल में ज्यादातर समय वैश्विक आर्थिक शक्तियां रहें हैं और धीरे-धीरे उस चरण की तरफ लौट रहे हैं. हमने मतभेदों को विवेकपूर्ण ढंग से सुलझाने और उन्हें विवाद का रूप नहीं लेने देने का निर्णय किया है. हमने तय किया है कि हम एक-दूसरे की चिंताओं के प्रति संवेदनशील रहेंगे. मोदी ने पिछले साल चीनी शहर वुहान में शी के साथ अपनी पहली अनौपचारिक शिखर वार्ता के परिणामों का जिक्र करते हुए कहा, ‘वुहान की भावना ने हमारे संबंधों को नयी गति एवं विश्वास प्रदान किया. ‘चेन्नई संपर्क’ के जरिए आज से सहयोग का नया युग शुरू होगा. वुहान में पहली अनौपचारिक वार्ता के बाद से दोनों देश के बीच रणनीतिक संचार बढ़ा है.

नवाज शरीफ और मोदी की मुलाकात

2014 से पहले विपक्ष के नेता के रूप में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भारत पाकिस्तान संबंधों को लेकर कांग्रेस सरकार पर तमाम तरह के आरोप लगाते थे. 2014 का लोकसभा चुनाव जीत कर जब नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बने तो पाकिस्तान की सरकार के प्रति उनके रूख मंे नरमी आ गई. नवाज शरीफ के साथ उनकी दोस्ती के चर्चे तो पूरी दुनिया में होने लगे थे. ऐसा होता भी क्यों नहीं आखिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काम ही ऐसा किया था. नवाज शरीफ के जन्मदिन पर 25 दिसंबर 2015 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रूस और अफगानिस्तान की यात्रा से वापस आ रहे थे. अचानक भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का विमान लाहौर के आलमा इकबाल इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उतरा. वहां से वह हेलीकाप्टर के जरीये नवाज शरीफ के रावलपिंडी स्थित घर गए थे. जहां पर नवाज शरीफ के जन्मदिन का सैलीब्रेशन हुआ. मादी ने नवाज शरीफ की मां के पैर छुये और उनसे आर्शिवाद भी लिया. उनको उपहार में कश्मीर की मशहूर पाशमीना शौल तक देकर आये थे. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस तरह अचानक नवाज शरीफ के घर जाने की घटना को विश्व भर में अलग अलग भाव से देखा गया था.

उस समय भारतीय जनता पार्टी की नेता सुषमा स्वराज ने कहा था कि इस मुलाकात के पीछे कहानी बडी लंबी है. नवाज शरीफ की मां चाहती थी कि भारत का कोई मजबूत नेता बने जो दोनो देशो क परेशानियांे को दूर कर सके. इस संबध में नवाज शरीफ की मां और सुषमा स्वराज इस घटना के पहले एक पार्टी में मिले थे. नवाज शरीफ की मंा और सुषमा स्वराज के बीच लबी बातचीत हुई थी. मोदी और नवाज शरीफ जिस मुलाकात को इतना अहम बताया जा गया था वह जल्द ही हवा हांे गई. कुछ दिनों में नवाज शरीफ और मोदी के संबंध खराब हो गये. नवाज शरीफ की बेटी मरियम ने मोदी की आलोचना करते कहा कि वह अपने समकक्ष लोगो का सम्मान नही ंदेते है.

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प्रधानमंत्री इमरान खान का फोन नहीं उठातें. एक तरफ आप बिना किसी तय कार्यक्रम के जन्मदिन की बधाई देने उनके घर पहुच जाये अगले ही दिन दूसरे प्रधानमंत्री का फोन नहीं उठाये.

मोदी शरीफ मुलाकात को बडी रणनीति के रूप में देखा गया था. मोदी ने नवाज शरीफ को अपने शपथ ग्रहण समारोह में भी बुलाया था. नवाज शरीफ के साथ भी मोदी के संबंध अधिक दिनों तक अच्छे नहीं रहे. सार्क देशो की मीटिंग में जब नरेन्द्र मोदी और नवाज शरीफ की मुलकात हुई तो मोदी ने उनको नजर अंदाज किया. नवाज शरीफ जब सामने से गुजरे तो मोदी जी किताबे पढने लगे. प्रधानमंत्री मोदी के साथ सबसे बडी बात यह होती है कि उनके संबंध कब बनते और कब बिगडते है का आकलन कोई नहीं कर सकता है.

महबूबा से रिश्ता पहले बना फिर टूटा

पीडीपी यानि पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट की नेता महबूबा मुफ्रती और भारतीय जनता पार्टी के बीच कभी मधुर संबंध नहीं रहे. वैचारिक स्तर पर कश्मीर की राजनीति को लेकर दोनो दलों में बहुत मतभेद रहे है. 2016 में जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनावों में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला. जिसकी वजह से कोई भी पार्टी सरकार नहीं बना सकी. विधानसभा चुनाव में पीडीपी को सबसे अधिक 28 सीटें मिली. दूसरे दलो में भाजपा को 25 सीटे, नेशनल कांफ्रंेस 15 और कांग्रेस को 12 सीटें मिली. सरकार बनाने के लिये कई दलो का आपस में मिलना जरूरी था. किसी को भी इस बात का पता नहीं था कि भाजपा-पीडीपी आपस में मिलकर सरकार बना सकते है. दूसरे दल यही सोचते रहे और तमाम राजनीतिक आकलन को छोडते हुये भाजपा-पीडीपी आपस में मिलकर सरकार बना ली. भाजपा के समर्थन से महबूबा मुफ्रती मुख्यमंत्री बन गई. 2016 में जब यह सरकार बनी और 2018 में जब दोनो दलो का गठबंधन टूटा दोनो हालातों में बहुत फर्क था. सरकार बनाने के समय की मिठास और सरकार टूटने के समय की खटास देखने वाली थी.

जो महबूबा भाजपा को सबसे प्रिय हो गई थी वह अचानक खराब लगने लगी. धारा 370 के मसले पर किसी दल से कोई राय नहीं ली गई. जिस महबूबा के साथ भाजपा सरकार चला रही थी उनको ही कैद करना पड गया. ऐसे में यह बात बारबार साफ होती है कि भाजपा हर फैसला अपने हित में करती है. सहयोगी दलों के हित और संबंधो से उसका कोई मतलब नहीं होता है. भाजपा केवल अपने कार्यकर्ताओं को उकसाने के लिये ऐसे कदम उठाती रहती है. जिससे वह देश के आंतरिक हालातों के बारें में सोंच ना सके. धर्म, पाकिस्तान और चीन जैसे मुददों पर सोचते रहे.

आसान नहीं है चीनी सामानों का बहिष्कार

सोशल मीडिया के प्रचार के जरीये चीनी सामान का बहिष्कार नहीं किया जा सकता है.भारत और चीनी के बीच के कारोबारी रिश्ते विश्व व्यापार संगठन के प्रावधानों के अनुसार है. ऐसे में बिना किसी कारण के भारत चीन से आयात करना मना नहीं कर सकता है. भारत से चीन का सालाना व्यापार करीब 55 अरब डॉलर का है. हर भारतीय औसतन बहुत सारी चीजों को अपने इस्तेमाल में लाता है. जो चीन से आयात होती हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि भारत में अभी भी कई सामान ऐसे हैं. जिनका भारत में उत्पादन और बिक्री चीनी कंपनियों द्वारा की जाती है.

अगर भारत में चीनी उत्पादों को बेचने पर रोक लगा दी जाए तो एक आम भारतीय के जीवन में काफी मुश्किलें आ सकती हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि दिन भर में एक आम भारतीय जो भी सामान अपने लिए प्रयोग में लाता है. उसमें से 80 फीसदी सामान चीन से आयात होता है या फिर भारतीय कंपनियां इनको बेचती हैं. यही नहीं भारत पाकिस्तान की तरह चीन से आयात होने वाले सामान पर 200 फीसदी की ड्यूटी भी नहीं लगा सकता है.

विश्व व्यापार संगठन के प्रावधानों के अनुसार कोई भी देश बिना किसी कारण के दूसरे देश से अपने यहां आयात या फिर निर्यात होने वाले उत्पादों पर पूरी तरह से रोक नहीं लगा सकते हैं. इसके साथ ही भारत से चीन को निर्यात होने वाले सामान की मात्रा काफी कम है. अगर सरकार चीनी उत्पादों पर ड्यूटी को बढ़ाने का फैसला भी लेती है. तो इसका असर सबसे ज्यादा आम भारतीयों पर ही पड़ेगा.

व्यापक असर है चीन के कारोबार

2011 में भारत में विदेशी निवेश करने वाले देशों में चीन का स्थान 35 वां था. 2014 में 28 वां हो गया. 2016 मे चीन भारत में निवेश करने वाला 17 वां बड़ा देश बन गया. भारत में विदेश निवेश करने वाले बडे देशों में चीन 10 देशों में शामिल हो गया. भारत के लिए राशि बड़ी है मगर चीन अपने विदेश निवेश का मात्र 0.5 प्रतिशत ही भारत में निवेश करता है. 2011 में चीन ने कुल निवेश 102 मिलियन डॉलर का किया था. 2016 में एक बिलियन का निवेश किया. कई चीनी कंपिनयों के रीजनल अॉफिस अहमदाबाद में है. 2017 में के अनुसार चीन की सात बड़ी फोन निर्माता कंपनियां भारत में फैक्ट्री लगाई. चीन की एक कंपनी है चाइना रेलवे रोलिंग स्टॉक उसको नागपुर मेट्रो के लिए 851 करोड़ का ठेका मिला है. चाइना रोलिंग स्टॉक कंपनी को गांधीनगर-अहमदाबाद लिंक मेट्रो में 10,733 करोड़ का ठेका मिला.

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2016 में गुजरात सरकार ने चीनी कंपनियों से निवेश के लिए 5 बिलियन डॉलर का करार किया. 2015 में कर्नाटक सरकार चीनी कंपनियों के लिए 100 एकड़ जमीन देने के लिए सहमत हो गई. महाराष्ट्र इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन ने चीन की दो मैन्यूफैक्चरिंग कंपनी को 75 एकड़ जमीन देने का फैसला किया है. ये कंपनियां 450 करोड़ का निवेश लेकर आएंगी. हरियाणा सरकार ने चीनी कंपनियों के साथ 8 सहमति पत्र पर समझौता किया. यह कंपनियां 10 बिलियन का इंडस्ट्रियल पार्क बनाएंगी स्मार्ट सिटी बनाएंगी. ऐसे हाल में चीन के बहिष्कार की बात पूरी तरह बेमानी है. इससे केवल लोगों को ध्यान ही भटकाया जा सकता है.

Lockdown में भोजपुरी एक्ट्रेसेस का Tik Tok जलवा , देखें Videos

देश में कोरोना के संक्रमण में कोई कमी नहीं आ रही है और Lockdown के पहले चरण के बाद दूसरे फेज को 3 मई तक बढ़ा दिया गया है. ऐसे में सभी की तरह भोजपुरी इंडस्ट्री के लोग भी Lockdown का पालन करते हुए फिल्मों की शूटिंग बंद कर अपनें घरों में समय काट रहें हैं.

 

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#comedy #instadaily #instagood #insta #instagram #instacool #instamood #instacool

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इस Lockdown के बीच भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री से जुड़ी हीरोइनों के टिक टॉक वीडियोज उनके इन्स्टाग्राम एकाउंट पर खूब वायरल हो रहें हैं. भोजपुरी से जुड़ी सभी टौप की एक्ट्रेसेस अपने-अपने घरों से फनी (Funny) वीडियोज बना कर अपने फैन्स का मनोरंजन करती नजर आ रहीं हैं. टिक टॉक (Tik Tok) पर जलवा बिखेरनें वाली इन हीरोइनों में पाखी हेगड़े (Pakkhi Hegde), प्रियंका पंडित (Priyanka Pandit), रानी चटर्जी (Rani Chatarji), मोनालिसा (Monalisa), और मनी भट्टाचार्य (Mani Bahttacharya) का नाम शामिल है.

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भोजपुरी हीरोइनों में टिक टॉक पर वीडियो बनाने के मामले में पाखी हेगड़े (Pakkhi Hegde) का नाम सबसे ऊपर है. वह हर रोज टिक टॉक वीडियो बना कर अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर शेयर करती रहतीं हैं. टिक टॉक पर बनाये जाने वाले उनके वीडियोज बेहद फनी होते हैं जिसे देख कर आप अपनीं हंसी नहीं रोक पायेंगे. इन वीडियोज पर लोग ढेर सारे कमेन्ट कर उनकी तारीफ भी करते हैं. पाखी अपने इन वीडियोज पर आने वाले सभी कमेन्ट पर रिप्लाई भी देती हैं.

 

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Kiska bacha Aisa hoga 😂😂😂 #mahadev #mahadevkideewani #jaiparshuramji

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टिक टॉक पर फनी वीडियोज बनाने के मामले में अभिनेत्री प्रियंका पंडित (Priyanka Pandit) भी पीछे नहीं हैं. वह आये दिन अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर कौमेडी से भरपूर टिक टॉक (Tik Tok) वीडियो अपलोड करती रहतीं हैं. उन्होंने हाल ही में एक बच्चे की की नकल उतारनें वाला वीडियो डाला है. जिसपर यूजर्स ने ढेर सारे फनी कमेन्ट भी किये हैं.

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Kbhi na khatam hone wala lockdown 😂😂😂 40 April tk 🤦🏻‍♀️🤦🏻‍♀️🤦🏻‍♀️

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भोजपुरी की सर्वाधिक व्यस्त अभिनेत्रियों में शामिल रानी चटर्जी (Rani Chatarji) दूसरे अभिनेत्रियों से हट कर डांस के टिक टॉक (Tik Tok) वीडियोज बनाती हैं.

 

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#quratinelife #belikethis #stayhome #staysafeeveryone ,❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️

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भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में हौट और सेक्सी मानी जाने वाली मोनालिसा (Monalisa) अपने होम क्वारंटाइन को बहुत ही मजेदार तरीके से बिता रहीं हैं. वह अपनें फैन्स के लिए आये दिन टिक टॉक (Tik Tok) वीडियो बना कर अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर अपलोड करती रहतीं हैं.

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मनी भट्टाचार्य (Mani Bahttacharya भोजपुरी और बांग्ला की जानी मानी ऐक्ट्रेस है. वह इस समय Lockdown के चलते अपने घर में ही समय बिता रहीं हैं. ऐसे में वह अपनें बोरियत को कम करनें के लिए टिक टॉक (Tik Tok) वीडियो का सहारा लें रहीं हैं. वह आये दिन अपने टिक टॉक वीडियोज शेयर करती रहतीं हैं.

 

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Main To Nahi Piti …. 🚬… 🤦‍♀️🤦‍♀️🤦‍♀️ #lol #laugh #smile #enjoy #fun #quarantine #stayhome

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“Dil Mein Hai Chor Tere “…. Sab pata hai mujhe 🥰🙃🤷‍♀️😂…. #tiktok #videos #romantic #quarantine #life #have #fun

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#Happy Pet Day #mammasboy #bruno❤

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मगरमच्छ के जबड़े से बची जान, भाई बना मददगार

मगरमच्छ को देख कर जहां अच्छेअच्छों की सिट्टीपिट्टी गुम हो जाती है, वहीं एक बकरीपालक को मगरमच्छ ने अपने जबडे़ में ऐसे जकड़ लिया मानो छोड़ने को तैयार न हो, पर वहां मौजूद लोगों की मदद से उस के भाई ने अपनी जान की बाजी लगा कर उस को नया जीवनदान दिया.

यह मामला राजस्थान के करौली में घूसई चंबल घाट पर देखने को मिला, जहां मगरमच्छ के हमले में एक बकरीपालक गंभीर रूप से घायल हो गया.

जानकारी के मुताबिक, करीलपुरा गांव का रहने वाला रामधन मीणा 3 मई की शाम प्यासी बकरियों को पानी पिलाने घूसई चंबल घाट पर गया था. वहां बकरियों को पानी पिलाने के दौरान पहले से ही घात लगा कर पानी में बैठे मगरमच्छ ने रामधन पर हमला कर दिया और अपने जबड़े में फंसा लिया.

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तभी मौके पर मौजूद रामधन के भाई और वहां मौजूद लोगों ने उसे छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन मगरमच्छ भी अपने शिकार को आसानी से छोड़ने वाला नहीं लग रहा था. किसी तरह मगरमच्छ के जबड़े से उस युवक को छुड़ाया गया.

इस हमले में रामधन मीणा के दोनों हाथों में गंभीर रूप से चोटें आईं. घायल को करणपुर अस्पताल पहुंचाया गया, जहां से गंभीर अवस्था में करौली रेफर कर दिया.

crocodile

वहीं इस से पहले दूसरी घटना पंजाब के मुक्तसर जिले के गिद्दड़बाहा के एक गांव गुरुसर के पास की है. वहां 21 अप्रैल को नहर के किनारे मगरमच्छ मिला. एक किसान ने इस की पूंछ पकड़ कर घुमाने की कोशिश की, पर वह जल्दी से नहर में घुस गया. नहर में मगरमच्छ के आने से गांव के लोगों में दहशत है. वैसे, गुरुसर गांव के लोग गरमी में इस नहर में नहाते हैं और दूसरी जरूरी चीजों के लिए पानी भी भरते हैं.

फिलहाल तो लॉकडाउन की वजह से लोग नहर की तरफ नहीं जा रहे हैं, फिर भी एहतियात के तौर पर नहर में मगरमच्छ की सूचना गांव वालों ने वन विभाग को दे दी है.

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भले ही चौकस रहते हुए बकरीपालक रामधन मीणा को उस के भाई ने मगरमच्छ के जबड़े से बचा लिया हो, पर ऐसे मौकों पर ज़्यादा जागरूक रहना चाहिए, तभी बच सकते हैं. वहीं खेतों में काम करने वाले किसानों के साथ ही साथ नदी, नाले व नहर के आसपास रहने वालों को घड़ियाल व मगरमच्छों से सावधान रहने की जरूरत है.

Lockdown में पत्नी अंकिता के साथ रोमांटिक पल बिता रहे हैं मिलिंद सोमन, देखें Photos

साल 1988 में मौडलिंग (Modelling) से अपने करियर की शुरूआत करने वाले एक्टर और प्रोड्यूसर मिलिंद सोमन (Milind Soman) अपने फैंस के बीच काफी पौपुलर हैं. मिलिंद एक मौडल और प्रोड्यूसर होने के साथ साथ एक बेहतरीन फिटनेस प्रोमोटर (Fitness Promoter) भी हैं. इस उम्र में भी मिलिंद इतने फिट हैं कि उन्हें देख कोई भी हैरान हो जाए और सबसे बड़ी बात उनकी इस फिटनेस का राज है उनकी पत्नी अंकिता कंवर.

मिलिंद की पर्सलन लाइफ की बात करें तो उन्होनें साल 2006 में एक फ्रेंच एक्ट्रेस (French Actress) से शादी की थी पर उनकी ये शादी ज्यादा सफल ना हो पाई और साल 2008 में उन दोनों ने अपने – अपने रास्ते एक दूसरे से अलग कर लिए. 22 अप्रैल 2018 में मिलिंद ने अंकिता कंवर (Ankita Konwar) नाम की लड़की से शादी की और इन दोनों की जोड़ी को लोगों ने काफी पसंद किया.

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ऐसे वक्त में जब हर कोई अपने अपने घरवालों के साथ समय बिता रहा है तो वहीं मिलिंद भी अपनी पत्नी अंकिता के साथ काफी रोमांटिक (Romantic) पल बिता रहे हैं. मिलिंद का इंस्टाग्राम (Instagram) अकाउंट देखा जाए तो उनकी फोटोज देख ऐसा लगता है कि अंकिता और मिलिंद के बीच काफी अच्छा और गहरा रिश्ता है. मिलिंद अक्सर अंकिता के साथ एड्वैंचरस ट्रिप्स (Adventurous Trips) पर जाते दिखाई देते हैं.

मिलिंद और अंकिता अपनी फिटनेस का काफी ध्यान रखते हैं और दोनों साथ ही रनिंग (Running) और जिमिंग (Gyming) करते नजर आते हैं. मिलिंद अक्सर अपनी और अपनी पत्नी अंकिता की रोमांटिक फोटोज अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स पर शेयर करते रहते हैं जिसे उनके फैंस काफी प्यार देते हैं और साथ ही उनकी तारीफ कर खूब सारे कमेंट्स करते हैं.

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Day 6. Plain, simple, slightly warmed up, coconut oil for my hair 🤓

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Lockdown के चलते Ileana D’cruz का हौट लुक हुआ वायरल, देखें Photos

तेलगू फिल्म इंडस्ट्री की सर्वाधिक सफल अभिनेत्रियों में शुमार और अपने पहले हिंदी फिल्म बर्फी (Barfi) के जरिये सफलता के अर्जित करने वाली इलियाना डिक्रूज (Ileana D’cruz) ने दर्शकों पर अपनी अलग ही छाप छोडनें में कामयाब रहीं थी. इलियाना डिक्रूज नें बर्फी में अपने नेचुरल अभिनय से दर्शकों का दिल जीत लिया था. इस फिल्म को बौक्स औफिस (Box Office) पर जबरदस्त सफलता मिली थी. इस फिल्म ने भारत सहित विदेशों में भी जबरदस्त कमाई  की थी. इस फिल्म को बौलीवुड की सफलतम फिल्मों की श्रेणीं में रखा गया है. फिल्म नें दुनिया भर से 175 करोड़ की कमाई की थी. इसके बाद इलियाना डिक्रूज (Ileana D’cruz) नें लगातार फटा पोस्टर निकला हीरो (Phata Poster Nikla Hero), मै तेरा हीरो (Main Tera Hero), और रुस्तम (Rustom) जैसी फिल्मों में काम किया. उनकी हालिया फिल्म पागलपंती थी.

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इलियाना डिक्रूज (Ileana D’cruz) जितना फिल्मों में सक्रिय हैं उससे कहीं ज्यादा वह सोशल मीडिया पर भी एक्टिव रहतीं हैं. वह आये दिन अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर हौट और सेक्सी फोटोज शेयर करती रहतीं हैं. इलियाना डिक्रूज नें इस Lockdown के दौरान कई ऐसी फोटोज शेयर की हैं जो उनके फैन्स की धडकनें बढानें वाली है. इलियाना नें हाल ही में अपनें इन्स्टाग्राम एकाउंट पर एक फोटो शेयर की हैं जिसमें वह व्हाइट बिकिनी पहनें नजर आ रही हैं. इस फोटो में वह शौर्ट बालों के साथ बड़े ही सेक्सी अंदाज में खड़ी हैं. इस फोटो को अब तक साढ़े आठ लाख से ज्यादा लाइक्स मिल चुके हैं.

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Ok. Excuse me while I strut off to get a tan🚶🏾‍♀️ #tb

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इसके अलावा भी इलियाना डिक्रूज (Ileana D’cruz) ने कई फोटोज शेयर किये हैं. इन फोटोज में वह ब्लैक बिकनी पहनें अलग – अलग पोज में नजर आ रहीं हैं. इन फोटोज को देख कर इनके फैन्स का दिल बल्ले – बल्ले कर उठेगा. कई फैन्स ने उनके इस लुक को काफी सराहा था. इलियाना डिक्रूज (Ileana D’cruz) की सेक्सी बौडी को देख कई फैन्स नें तो खुल कर उनके बदन के खूबसूरती के कसीदे गढ़े हैं.

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But there’s a buffet behind you 🍹🍺🥘🍔🍰 #tb

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एक यूजर नें अपने कमेन्ट में लिखा है “एकदम क्यूट एंड हौट” तो दूसरे यूजर नें लिखा है “यू लुक सुपर ब्यूटीफुल” तीसरे नें लिखा है “ऐसी अदा न दिखाया करों जान चली जाती है”. इलियाना द्वारा शेयर किये गए इन फोटोज के लिए जो सबसे अच्छी बात रहीं है वह यह है की व्हाइट बिकिनी वाले फोटो पर किसी भी यूजर नें कोई अश्लील कमैंट नहीं किया है.

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When the sea is calling out to you 🌊 #tb

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रिलीज होते ही छा गया सपना चौधरी का ये नया गाना, देखें Video

सपना चौधरी (Sapna Choudhary) का हाल ही में एक धमाल मचाने वाला वीडियो सौंग ‘गजबन छोरी’ (Gajban Chhori) यूट्यूब पर रिलीज हुआ है. वह इस वीडियो सौंग में अपने हौट लुक्स से अपने फैन्स के ऊपर बिजलियां गिरा रहीं हैं. सपना चौधरी हरियाणा के सबसे पौपुलर सिंगर और डांसर में शुमार हैं और उनके चाहनें वालों की संख्या करोड़ों में है.

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सपना चौधरी के हरियाणवी गानों को सभी भाषाओं के लोग पंसद करते हैं. हिंदी और भोजपुरी बेल्ट में सपना चौधरी (Sapna Choudhary)  के वीडियो सौंग सबसे ज्यादा देखे और सुने जाते हैं. सपना चौधरी अपने इस नए वीडियो सौंग में वेस्टर्न लुक में नजर आ रहीं हैं जिसमें उन्होंने जबरदस्त डांस किया है. माना जा रहा है लौकडाउन पीरियड के लिहाज से सपना के इस नए गाने को सुन कर लोग अपनी बोरियत कुछ हद तक कम करनें में कामयाब होंगे.

https://www.youtube.com/watch?v=qsSQLbm9jns

सपना चौधरी के इस नए वीडियो सौंग गजबन छोरी को पी एंड एम मूवीज (P&M Movies) के म्यूजिक लेबल पर लांच किया गया है. जिसको गाया है एमडी देसी रौक (MD Desirock) और सपना चौधरी नें. इस वीडियो सौंग के निर्माता पवन चावला (Pawan Chawla) हैं और संगीत लक्ष्य (Lakshya) ने दिया है. मिक्स एंड मास्टर का काम डी चंदू (D Chandu) नें किया है. इस वीडियो सौंग के सहायक निर्देशक परविंदर सुरलिया (Parvinder Surliya) है. नए वीडियो सौंग के छायांकन की जिम्मेदारी अमित बिश्नोई (Amit Bishnoi) नें निभाई है.

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‘गज बड़ पानी नै चाली’ तोड़ चुका है रिकार्ड

इस गाने के पहले सपना चौधरी के वीडियों सौंग ‘गज बड़ पानी नै चाली’ (Gajban Pani Ne Chali) को खूब पंसद किया गया था. इस गाने को शादी – विवाह के मौके पर भी खूब बजाया गया. इस वीडियो सौंग को यूट्यूब पर 19 करोड़ से भी ज्यादा बार देखा जा चुका है. सपना चौधरी ने इस हरियाणवी वीडियो सौंग पर स्‍टेज पर जबरदस्‍त डांस किया है. इसमें उन्‍होंने बेहतरीन स्‍टेप करके खूब ठुमके लगाए हैं.

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सपना चौधरी बिग बौस (Bigg Boss) में भी अपना जलवा बिखेर चुकी हैं. बिग बौस के घर में रहनें के दौरान वह खूब पौपुलर हुई थीं. सपना चौधरी के गाने टिक टौक पर भी बहुत ट्रेंड करते हैं जिसपर काफी सारे वीडियो बन चुके हैं.

Lockdown में लगातार अपनी हौट फोटोज शेयर कर रही हैं Sunny Leone

इस लौकडाउन (Lockdown) के बीच बौलीवुड अभिनेत्रियों में हौट और सेक्सी तस्वीरों को शेयर करनें की होड़ सी लगी हुई है. इनमें तो कुछ इतनी आगे है की हर रोज कोई न कोई फोटो शेयर करती रहती हैं. इन एक्ट्रेसेस मे सनी लियोन (Sunny Leone) और उर्वशी रौतेला (Urvashi Rautela) का नाम सबसे ऊपर है. इन दोनों अभिनेत्रियों में तस्वीरों की शेयर करने की होड़ सी मची है.

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सोशल मीडिया पर कर रही हैं हौट फोटोज शेयर…

 

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My Saturday hang !!! 😍 12 days of #Summer 🍀 . . . Shot by @dabbooratnani | @manishadratnani @dabbooratnanistudio

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लौक डाउन के चलते सनी लियोन इन दिनों अपने पति और बच्चों के साथ अपने घर पर समय बिता रही हैं. लेकिन इन सबके बीच वह अपने हौट तस्वीरों के कलेक्शन में से चुनिन्दा तस्वीरों को अपने इन्स्टाग्राम और ट्विटर एकाउंट के जरिये अपने फैन्स के सामने ला रहीं हैं.

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मोनोकिनी पहनी आईं नजर…

उन्होंने जो लेटेस्ट तस्वीरें शेयर की हैं उनमें वह मोनोकिनी (Monokini) पहनी हुई नजर आ रही है. इसके साथ उन्होंने ईयररिंग्स, ब्रेसलेट और नुकीले हील्स भी पहन रखे हैं. इन तस्वीरों में वह पत्थरों पर लेट कर पोज देती नजर आ रहीं हैं. मोनोकिनी के साथ उन्होंने कई हौट और सेक्सी पोज दिए हैं.

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कैप्शन में लिखा ये…

शेयर किये गए इन तस्वीरों के साथ उन्होंने उसके कैप्सन में लिखा है “रविवार” “कुछ भी नहीं करने का दिन” “ओह रुको” वह “अब तो हर दिन कुछ नहीं हो रहा है” Sunday. The day to do nothing !!! Oh wait, that’s everyday now. एक्ट्रेस की ये तस्वीरें सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है.

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फैंस कर रहे हैं ऐसे कमेंट्स…

शेयर किये एक दूसरे तस्वीर में वह बिकनी में नजर आ रहीं हैं. इन तस्वीरों पर उनके फैंस दिल खोल कर कमेंट्स कर रहें हैं जैसे कि – “वास्तव में सेक्सी लग रहीं है, मैं अपना ध्यान एक पल के लिए भी नहीं हटा सकता (That’s really sexy look, I can’t divert my attention for a second even).” एक यूजर नें मजे लेने वाले अंदाज में कमेंट किया है,- “किसी संस्था से बोल के कपड़े डोनेट करो रे. 4 दिन से बेचारी को देख रहा हूं ऐसी हालत में बस रंग बदल जाता है बाकी सब ऐसा ही रहता है.” एक नें लिखा है की,- “आप बहुत खुबसूरत हो, ऐसा हूर जैसे, चांदनी रात में चांद की रौशनी जैसे फैली हुई है आप की स्माइल और आप की खूबसूरती ऐसी ही रहे यही दुआ है हमारी और आप और आगे जाये.”

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फिलहाल सनी लियोन (Sunny Leone) के फैन्स का लौकडाउन में सनी के चलते बड़े आराम से चल रहा है, क्यों की सनी हर दिन उनके लिए नायाब और चुनिन्दा तस्वीरें जो पोस्ट कर रहीं हैं.

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