लेखक- डा. श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट

रूपा यादव की तीसरी जमात में पढ़ते हुए ही 8 साल की अबोध उम्र में शादी हो गई थी. रूपा ने ब्याहता बन कर भी घर का कामकाज करने के साथसाथ अपनी पढ़ाई जारी रखी.

शादी के बाद गौना नहीं होने तक रूपा मायके में पढ़ी और फिर ससुराल वालों ने उसे पढ़ाया. ससुराल में पति और उन के बड़े भाई यानी रूपा के जेठ ने सामाजिक रूढि़यों को दरकिनार करते हुए रूपा की पढ़ाई जारी रखी. पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए दोनों भाइयों ने खेती करने के साथसाथ टैंपो भी चलाया.

रूपा ने ससुराल का साथ मिलने पर डाक्टर बनने का सपना संजोया और 2 साल कोटा में रह कर एक इंस्टीट्यूट से कोचिंग कर के दिनरात पढ़ाई की.

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जयपुर के चैमू क्षेत्र के गांव करेरी की रूपा यादव, जिस ने नीट 2017 में 603 अंक हासिल किए थे, को प्रदेश के सरकारी सरदार पटेल मैडिकल कालेज में दाखिला मिल गया.

ऐसी है कहानी

रूपा यादव गांव के ही सरकारी स्कूल में पढ़ती थी. जब वह तीसरी क्लास में थी, तब उस की शादी कर दी गई. गुडि़यों से खेलने की उम्र में ही वह शादी के बंधन में बंध गई थी. दोनों बहनों की 2 सगे भाइयों से शादी हुई थी. उस के पति शंकरलाल की भी उम्र तब 12 साल की थी. रूपा का गौना 10वीं जमात में हुआ था.

गांव में 8वीं जमात तक का सरकारी स्कूल था, तो वह उस में ही पढ़ी. इस के बाद पास के गांव के एक प्राइवेट स्कूल में दाखिला लिया और वहीं से 10वीं जमात तक की पढ़ाई की.

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