भले ही हम आधुनिक होने के कितने ही दाबे कर लें,मगर दकियानूसी ख्याल और परम्पराओं से हम बाहर नहीं निकल पा रहे हैं. आज भी समाज के एक बड़े तबके में फैली छुआछूत की समस्या कोरोना रोग से कम नहीं है. छुआछूत केवल गांव देहात के कम पढ़े लिखे लोगों के बीच की ही समस्या नहीं है,बल्कि इसे शहरों के सभ्य और पढ़ें लिखे माने जाने वाले लोग भी पाल पोस रहे हैं.सामाजिक समानता का दावा करने वाले नेता भी इन दकियानूसी ख्यालों से उबर नहीं पाए हैं.

जून माह के अंतिम हफ्ते में मध्यप्रदेश में सोशल मीडिया चल रही एक खबर ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी.   रायसेन जिले के एक कद्दावर‌ भाजपा नेता रामपाल सिंह  के घर पर आयोजित किसी कार्यक्रम का फोटो वायरल हो रहा है, जिसमें भाजपा के नेता स्टील की थाली मेंं और डॉ प्रभुराम चौधरी डिस्पोजल थाली में एक साथ खाना खाते दिखाई दे रहे हैं.ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस का दामन छोड़कर भाजपा में शामिल हुए और हाल ही मंत्री बने डॉ प्रभु राम चौधरी अनुसूचित जाति वर्ग से आते हैं हैं. यैसे में सवाल उठ रहे हैं कि प्रभुराम चौधरी को डिस्पोजल थाली में क्यों खाना खिलाया गया. इस घटनाक्रम को मप्र कांग्रेस ने  दलितों का अपमान बताया है.

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सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस फोटो में कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए  डॉ प्रभु राम चौधरी, सिलवानी के भाजपा विधायक रामपाल सिंह, सांची के भाजपा विधायक सुरेंद्र पटवा और भाजपा के संगठन मंत्री आशुतोष तिवारी के साथ भोजन करते हुए दिखाई दे रहे हैं. इसमें बीजेपी के संगठन मंत्री आशुतोष तिवारी स्टील की थाली में भोजन खाते हुए दिखाई दे रहे हैं, लेकिन उनके सामने बैठे डॉ प्रभु राम चौधरी डिस्पोजेबल थाली में खाना खा रहे हैं.  कांग्रेस के पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा का कहना है कि प्रभु राम चौधरी को डिस्पोजेबल थाली में भोजन परोसा जाना अनुसूचित जाति वर्ग का अपमान है. यह  दलितों को लेकर भाजपा की सोच को जाहिर करता है.

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