Dr Pk Jain: कही आप भी तो नहीं हैं इरेक्टाइल डिसफंक्शन के शिकार?

सर्वे रिपोर्टस की मानें तो लगभग 40 वर्ष की आयु तक आते-आते ज्यादातर पुरूष इरेक्टाइल डिसफंक्शन का शिकार हो जाते हैं. आसान शब्दों में कहें तो इरेक्टाइल डिसफंक्शन का मतलब है सेक्स करते टाइम अपने गुप्तांग में प्रोपर इरेक्शन न ला पाना या यूं कहें कि अपने साथी को संतुष्ट ना कर पाना. अगर आप भी इस समस्या से जूझ रहे हैं तो संपर्क करिए लखनऊ के डॉक्टर पी. के. जैन से जो पिछले 40 सालों से इसका इलाज कर रहे हैं.

अक्सर देखने को मिलता है कि ज्यादातर पुरूष तनाव के कारण भी इस बिमारी का शिकार हो जाते हैं और फिर वे इसका या तो घरेलु इलाज करते हैं या फिर किसी गुप्त रोग वाले डौक्टर्स से सलाह या दवा लेते हैं. पर इन सब कोशिशों के बाद भी कई पुरूष ठीक नहीं हो पाते और ज्यादा मात्रा में दवाइयां लेने लग जाते हैं जो कि उनकी सेहत को और ज्यादा नुकसान पहुंचाती हैं.

आइए जानते हैं कुछ खास टिप्स, जिससे इस बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकता है.

  1. स्मोकिंग को कहें अल्विदा…

अगर आप बीड़ी या सिगरेट पीने के आदी हैं तो आपको सेक्स करते वक्त स्टेमिना की कमी महसूस होने लगेगी और साथ ही इरेक्टाइल डिसफंक्शन भी हो सकता है. बीड़ी या सिगरेट का सीधा असर हमारे कई अंगों पर पड़ता है जिससे कई सारी बिमारियां हो सकती हैं. तो अगर आप अपनी सेक्स लाइफ बहतर करना चाहते हैं तो आपको बीड़ी और सिगरेट जैसे पदार्थों से दूर रहना होगा.

  1. डेली वर्क-आउट है जरूरी…

हम अपने पूरे दिन के कामों में अपने शरीर को थोड़ा भी समय नहीं दे पाते जिससे कि हमारा शरीर समय से पहले ही जवाब देने लगता है. अगर हम पूरे दिन में 1 घंटा भी अपने शरीर को देते हैं तो इससे हमारी सेक्स लाइफ पर काफी असर पड़ सकता है क्यूंकि डेली वर्क-आउट से हमारा शरीर बिल्कुल फिट रहता है और बेहतरीन सेक्स लाइफ में फिट एंड हैल्दी शरीर काफी मायने रखता है.

  1. ज़रूरत है कोलेस्ट्रोल कम करने की…

कोलेस्ट्रोल हमारे शरीर में खून का बहाव कम कर देता है जिससे की प्रोपर इरेक्शन होने के चांसेस बहुत कम हो जाते हैं. बौडी को फिट रखने के लिए हेल्दी खाना जैसे हरी सब्जियां, कम फाइड खाना, फूट्स आदि बेहद जरूरी है. हाई कोलेस्ट्रोल के कारण इरेक्शन होना मुश्किल हो जाता है जिस वजह से सेक्स के समय अपने पार्टनर को संतुष्ट करना मुश्किल हो सकता है.

  1. ब्लड प्रेशर पर दें ध्यान…

ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रखना बेहद जरूरी है क्यूंकि प्रोपर इरेक्शन ना होने का एक मुख्य कारण यह है कि, जब खून का बहाव आपके लिंग तक नहीं पहुंच पाता तो इससे आपकी सेक्स करने की अवधि कम हो जाती है और सेक्स लाइफ में काफी बुरा असर पड़ता है. ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रखने के लिए सबसे जरूरी है टाइम-टू-टाइम अपना ब्लड प्रेशर चैक करवाना और इसके लिए डौक्टर से सलाह लेना.

लखनऊ के डॉक्टर पी. के. जैन, जो पिछले 40 सालों से इन सभी समस्याओं का इलाज कर रहे हैं. तो आप भी पाइए अपनी सभी  सेक्स समस्या का बेहतर इलाज अंतर्राष्ट्रीय ख्याति एवं मान्यता प्राप्त डॉ. पी. के. जैन द्वाराृ.

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Dr Pk Jain: मेरी शादीशुदा जिंदगी में ऐसे लौटा प्यार

जतिन और सुधा की कुछ महीने पहले ही लव मैरिज हुई थी. दोनों के परिवार वाले भी इस रिश्ते से काफी खुश थे. शुरू शुरू में तो सब ठीक रहा. दोनों साथ घूमते, बाहर जाते और घर में भी काफी क्वालिटी टाइम स्पेंड करते. लेकिन जैसे जैसे नई शादी का खुमार उतरने लगा जतिन अपने ऑफिस में और दोस्तों के साथ बिजी रहना लगा. अब सुधा के लिए उसके पास न के बराबर ही समय था.

सुधा खुद भी घर के कामों में काफी व्यस्त रहती लेकिन जब शाम को जतिन वापस आता तो सुधा उससे प्यार के कुछ पलों की उम्मीद करती. मगर घर पर भी जतिन टीवी में या मोबाइल में लगा रहता और बेडरूम में भी सिर्फ खानापूर्ति के लिए ही सुधा के साथ होता. नतीजा दोनों के बीच दूरिया बढ़ने लगी और आए दिन झगड़े होने लगे.

जब बात ज्यादा बढ़ गई तो सुधा नाराज होकर मायके चली गई. जतिन ने भी ज्यादा ध्यान नहीं दिया उसे लगा कुछ ही दिनों में सुधा वापस लौट आएगी. लेकिन जब एक महीने तक सुधा नहीं लौटी और उसका कोई फोन भी नहीं आता तो जतिन को चिंता हुई. उसने फोन पर सुधा से बात करने की कोशिश की लेकिन सुधा ने कोई जवाब नहीं दिया और न ही उससे मिलने के लिए तैयार हुई. जतिन अब काफी टूट चुका था और उसे समझ नहीं आ रहा था सुधा को कैसे मनाएं.

इसी दौरान जतिन का कजिन सुमित उससे मिलने आया. दोनों काफी अच्छे दोस्त भी हैं तो जतिन ने जब सुमित को अपनी परेशानी बताई तो पहले तो सुमित ने उसे खूब डांटा फिर उसकी समस्या का हल निकालने की कोशिश करने लगा. सुधा की भाभी भी यहीं चाहती थी इसलिए सुमित ने उनसे संपर्क किया. तब जाकर ये बात सामने आई कि जतिन सुधा को न सिर्फ मानसिक रूप से बल्कि शारीरिक रूप से भी परेशान कर रहा था.

सुधा के मुताबिक जतिन सिर्फ अपनी जरूरतों के लिए उसके पास आता और अपना काम हो जानें के बाद वो सुधा को देखता भी नहीं. जिससे सुधा दिन पर दिन ड्रिपेशन में जाने लगी. सुमित ने जतिन से इस बारे में बात की और उसे खूब लताड़ा. जतिन को अपनी गलती का एहसास था और वो सुधा से मांफी मांगना चाहता था. लेकिन सुधा दोबारा उस पर भरोसा करने को तैयार नहीं थी.

ऐसे में सुमित, जतिन और सुधा को डॉक्टर पीके जैन के पास लेकर गया जो 40 सालों से इन्हीं समस्याओं का इलाज कर रहे हैं. सुमित ने जतिन को डॉक्टर पी के जैन के कई सफल केसेस के बारे में बताया, जिसके बाद ही वो डॉक्टर पी के जैन से मिलने पहुंचा.

डॉक्टर पी के जैन ने की मदद

डॉक्टर पी के जैन ने यहां सुधा और जतिन की काउंसलिंग की और दोनों से काफी बाते की. डॉक्टर पी के जैन के लिए दोनों की प्रॉब्मल कोई बड़ी बात नहीं थी. पहले भी उनके पास ऐसे कई पेशेंट आ चुके हैं. डॉक्टर पी के जैन की सलाह मानकर दोनों ने फिर से एक-दूसरे को मौका दिया और कुछ ही वक्त में अपनी शादीशुदा जिंदगी में वापस लौट गए. जतिन तो सबसे यही कहता है- आपकी सेक्स लाइफ में भी अगर कोई समस्या है तो बिना यहां वहां भटकने के बजाय सीधे डॉक्टर पी के जैन से मिले और अपना इलाज करवाएं.

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यदि आप भी सेक्स को एन्जॉय करना चाहती हैं तो इन टिप्‍स को आजमाएं…

किस करें: आपको यदि अपने पुरुष पार्टनर को किस करने का मन है तो आप उसे खुलकर किस करें. पुरुषों को उत्तेजित करने की बेहतरीन चाबी है किस. इससे आपका पार्टनर आपकी भावनाओं को बेहतर तरीके से समझ पाएगा.

बातें करें: पुरुष आमतौर पर स्त्रियों की निजी भावनाओं के प्रति कन्फ्यूज रहते हैं. इसलिए बातें करना जरूरी है. यदि आप अपने पार्टनर से सामने खुलकर बात नहीं कर पाती हैं तो आपको चाहिए कि आप अपने पार्टनर से फोन पर बात करें. फोन पर एरोटिक बातचीत से आपकी झिझक काफी कम होगी.

सेक्स बुरा नहीं: कई बार महिलाओं के मन में सेक्स के प्रति गलत धारणाएं बैठ जाती हैं और वे इस प्रक्रिया को खुलकर एंज्वाय नहीं कर पातीं. इसलिए जरूरी है कि आप कभी सेक्स को गंदा या बुरा ना समझें बल्कि इसे भी लाइफ का महत्वपूर्ण हिस्सा मानें और खुलकर एन्जॉय करें.

सकारात्मक सोचः सेक्स के प्रति सकारात्मक सोच जरूरी है. यदि आपको पार्टनर सेक्स को अधिक प्राथमिकता देता है तो इसे गलत समझने की बजाय पॉजिटिव रूप में लीजिए. पार्टनर की सेक्स में दिलचस्पी अंत में आपके प्रति प्यार में ही बदलने वाली है. यदि आप सेक्स में पार्टनर का साथ देंगी तभी उससे अधिक खुल पाएंगी.

प्रयोग करें: आपको चाहिए कि आप सेक्‍स के लिए नए-नए प्रयोगों को आजमाएं. इससे आपमें आत्मविश्वास बढ़ेगा. ओरल सेक्स या साथ बैठकर कोई इरोटिक फिल्म देखने से परहेज न करें. यह आपकी सेक्स लाइफ में न सिर्फ नयापन लाता है बल्कि आपके बीच सेक्स संबंधी झिझक को खत्म करते हुए नजदीकियों को बढ़ाता है.

निडर बनें: सेक्स लाइफ को एन्जॉय करने के लिए महिलाओं के लिए जरूरी है कि वे मन में शंका ना पालें. ना ही ये सोचें कि उनका पार्टनर उनके बारे में क्या सोचेगा. बल्कि आपको अधिक उत्साह से पार्टनर को खुश करने के प्रयास करने चाहिए. आप अपने पार्टनर को खुलकर प्यार करें. यदि आपका पार्टनर करीब नहीं आता तो आप लगातार एफर्ट करें. निश्चय ही आपको सफलता मिलेगी.

लखनऊ के डॉक्टर पी. के. जैन, जो पिछले 40 सालों से इन सभी समस्याओं का इलाज कर रहे हैं. तो आप भी पाइए अपनी सभी  सेक्स समस्या का बेहतर इलाज अंतर्राष्ट्रीय ख्याति एवं मान्यता प्राप्त डॉ. पी. के. जैन द्वारा.

Dr Pk Jain: ऐसे लौटी सेक्सुअल लाइफ में खुशहाली

आनंद और माला एक खुशहाल दपंति हैं. आनंद की उम्र 30 और और माला की उम्र 25 साल है. दोनों का 5 साल का एक बेटा है. आनंद का घर कानपुर में है और वो दिल्ली में नौकरी करता है. जिसकी वजह से उसे अपनी पत्नी से दूर रहना पड़ता है. लेकिन पिछले काफी वक्त से आनंद घर नहीं जाना चाहता. उसका परिवार और करीबी लोग इस बात से बेहद परेशान थे. आनंद के भाई ने जब इस बारे में उससे बात करनी चाही तो ये बात सामने आई-

“मेरी समस्या यह है कि पिछले दिनों जब मैं घर गया तो पत्नी के साथ सैक्स संबंध बनाते समय खुद में पहले जैसा जोश नहीं पाया. मुझे लगा मेरे साथ कोई शारीरिक परेशानी हो गई है. मैं डरने लगा हूं कि क्या मैं पहले की तरह सैक्सुअली ऐक्टिव हो पाऊंगा. मेरे स्पर्म काउंट को ले कर तो कोई समस्या नहीं है? क्या मुझे किसी डाक्टर से संपर्क करना चाहिए?”

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आनंद के भाई को जब इस बारे में पता चला तो उन्होंने आनंद को लखनऊ के डॉ पी के जैन के बारे में बताया जो पिछले 40 सालों से ऐसी ही समस्या का इलाज कर रहे हैं. आनंद बिना देर किए डॉ पी के जैन से मिलने पहुंचा. जहां उसे अपनी समस्या का हल मिला. आनंद के शब्दों में जानते हैं उसका अनुभव-

जब मिले डॉक्टर पी के जैन…

मैं डॉक्टर पी के जैन से मिलने पहुंचा. जहां मैं डॉक्टर पी के जैन और उनकी टीम डॉक्टर पीयूष जैन, डॉक्टर संचय जैन से मिला. डॉक्टर पी के जैन ने मुझे बताया कि मेरी प्रॉब्मल कोई बड़ी बात नहीं है. पहले भी उनके पास ऐसे कई पेशेंट आ चुके हैं. डॉक्टर पी के जैन ने मेरा पूरा डायगनोसिस किया और मेरी बीमारी को अच्छे से समझने के बाद मुझे उसके हिसाब से दवा दी. अपनी कामयाब आयुर्वेदिक दवाओं के जरिए उन्होंने मेरा सफल इलाज किया. डॉक्टर पी के जैन की वजह से ही आज मैं और मेरी पत्नी अपना वैवाहिक जीवन खुशी खुशी बिता रहे हैं.

मैं तो यही कहूंगा कि आपकी सेक्स लाइफ में भी अगर कोई समस्या है तो बिना यहां वहां भटकने के बजाय सीधे डॉक्टर पी के जैन से मिले और अपना इलाज करवाएं.

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लखनऊ के डॉक्टर पी. के. जैन, जो पिछले 40 सालों से इन सभी समस्याओं का इलाज कर रहे हैं. तो आप भी पाइए अपनी सभी  सेक्स समस्या का बेहतर इलाज अंतर्राष्ट्रीय ख्याति एवं मान्यता प्राप्त डॉ. पी. के. जैन द्वाराृ.

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Dr Pk Jain: यहां मिलेगा सेक्सुअल लाइफ से जुड़ी हर प्रॉब्लम का सोल्यूशन

आलोक के सासससुर व मातापिता परेशान हो गए. आलोक की बीवी उसके घर आने को तैयार नहीं थी. उसे बहुत समझाया, मगर वह मानी नहीं. इसकी पूरी पड़ताल की गई. तब सचाई का पता चला कि आलोक को शीघ्रपतन की समस्या है, जिसकी वजह से वो अपनी बीवी को सतुंष्ट नहीं कर पा रहा है, इस कारण उस की बीवी उस के पास रहना नहीं चाहती थी.

आलोक के शब्दों में- मुझे काफी सालों ये समस्या थी. जिसकी वजह से मैं काफी परेशान हुआ. मैंने कई लोगों से संपर्क किया और कई जगह इलाज कराया, लेकिन कोई भी मेरा सही तरीके से इलाज नहीं कर पाया.

 ऐसे मिले डॉक्टर पी के जैन…

मेरे एक दोस्त को मेरी इस समस्या के बारे में पता चला तो उसने मुझे डॉक्टर पीके जैन के बारे में बताया. जो 40 सालों से इन्हीं समस्याओं का इलाज कर रहे हैं. मेरे दोस्त ने मुझे डॉक्टर पी के जैन के कई सफल केसेस के बारे में बताया, जिसके बाद में बिना देर किए डॉक्टर पी के जैन से मिलने पहुंचा.

डॉक्टर पी के जैन ने की मदद…

डॉक्टर पी के जैन ने मुझे बताया कि मेरी प्रॉब्मल कोई बड़ी बात नहीं है. पहले भी उनके पास ऐसे कई पेशेंट आ चुके हैं. डॉक्टर पी के जैन की देखरेख में कुछ ही वक्त में मेरी बीमारी ठीक हो गई और मुझे अपनी शादीशुदा जिंदगी वापस मिल गई. मैं तो यही कहूंगा कि आपकी सेक्स लाइफ में भी अगर कोई समस्या है तो बिना यहां वहां भटकने के बजाय सीधे डॉक्टर पी के जैन से मिले और अपना इलाज करवाएं.

लखनऊ के डॉक्टर पी. के. जैन, जो पिछले 40 सालों से इन सभी समस्याओं का इलाज कर रहे हैं. तो आप भी पाइए अपनी सभी  सेक्स समस्या का बेहतर इलाज अंतर्राष्ट्रीय ख्याति एवं मान्यता प्राप्त डॉ. पी. के. जैन द्वाराृ.

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Lockdown में उजड़ने लगीं देह व्यापार की मंडियां

49 साला सोनिया बीते 25 सालों से मुंबई के कमाठीपुरा में रहते देह व्यापार कर रही है यानि सेक्स वर्कर है. सालों पहले पह नेपाल से इस बदनाम इलाके में आई थी, तब कमसिन थी सो अच्छा खासा पैसा मिल जाता था क्योंकि जवान लड़कियां हमेशा ही ग्राहकों की पहली पसंद रहीं हैं. हालांकि इस उम्र में भी वह 2-3 हजार रु रोज कमा लेती है लेकिन लॉक डाउन के बाद यानि  24 मार्च से सोनिया ने एक धेला भी नहीं कमाया है क्योंकि कोरोना की दहशत और लॉक डाउन के चलते ग्राहक कमाठीपुरा की तरफ झांक भी नहीं रहे हैं.

हैरान परेशान सोनिया पहली सेक्स वर्कर है जिसने मीडिया के सामने अपना दुख दर्द बयां किया वह कहती है, पूरी ज़िंदगी इधर निकल गई, लेकिन इतने बुरे हालात कभी नहीं देखे. इतने बम फटे, अटैक हुये, बीमारिया आईं पर ऐसी वीरानी कभी नहीं देखी.

सोनिया जिस कमरे में रहती है उसमें तीन और सेक्स वर्कर रहतीं हैं. उन्हें भी हालात सुधरते नहीं दिख रहे. बक़ौल सोनिया, अगर हालात ऐसे ही रहे तो हमें खाने पीने के लाले पड़ जाएंगे.  अभी तो मकान मालिक को किराया देने भी पैसे नहीं हैं. सोनिया के साथ रहने वाली जया भी उसी की तरह चिंतित है कि अब क्या होगा, कमाठीपुरा में इतना सन्नाटा उसने भी पहले कभी नहीं देखा.

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जया ने अपने 6 साल के बेटे को पुणे में एक रिश्तेदार के यहां रख छोड़ा है जिससे वह पढ़ लिखकर कुछ बन सके. बेटे की पढ़ाई के लिए उसे हर महीने 1500 रु भेजने पड़ते हैं जो अब शायद ही वह भेज पाये. अभी तो चिंता पेट पालने की है क्योंकि धंधा एकदम से बंद हुआ है जिसकी उम्मीद उसने या देह व्यापार के लिए बदनाम कमाठीपुरा की हजारों काल गर्ल्स ने नहीं की थी.

कमाठीपुरा में हजारों सेक्स वर्कर हैं जिनमें से कई यहीं की चालों में किराए से रहती हैं तो कई मुंबई की उपनगरियों से देहव्यापार के लिए आती हैं. इस इलाके में सुबह ही देर रात 8 बजे के बाद होती है. देश का ऐसा कोई इलाका नहीं जहां की काल गर्ल्स यहां न मिलती हों. ग्राहकों की फरमाइश पर दलाल हर तरह का माल उन्हें मुहैया कराते हैं मसलन साउथ इंडियन, नेपाली बंगाली, हिन्दी राज्यों की और पूर्वोत्तर राज्यों की लड़कियां भी इस बाजार में मिलती हैं. लेकिन लॉकडाउन के बाद न केवल कमाठीपुरा बल्कि देश भर की देह मंडियों की सेक्स वर्कर भुखमरी के कगार पर आ खड़ी हुई हैं और चूंकि वे समाज के माथे पर बदनुमा दाग हैं इसलिए कोई उनकी सुध नहीं ले रहा जबकि इनकी हालत भी रोज कमाने खाने वाले दिहाड़ी मजदूरो सरीखी ही है.

एक और सेक्स वर्कर किरण का कहना है कि आप मीडिया बाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हमें माली इमदाद भेजने क्यों नहीं कहते क्योंकि हमारे ऊपर भी बूढ़े माँ बाप और बच्चों की देखभाल की ज़िम्मेदारी है. अब जब धंधा चौपट है तो हम क्या करें. कमाठीपुरा में तकरीबन 2 लाख सेक्स वर्कर हैं जो लॉकडाउन  के चलते बदबूदार और संकरी कोठियों में कैद होकर रह गईं हैं. इनके अधिकतर ग्राहक भी रोज कमाने खाने बाले ही होते हैं जिनके अब कहीं अते पते नहीं.

ये मंडियां हुईं सूनी…   

कमाठीपुरा से भी बड़ा बाजार कोलकाता का सोनगाछी है जो एशिया का सबसे बड़ा रेड लाइट इलाका है. एक अंदाजे के मुताबिक सोनगाछी में कोई 3 लाख सेक्स वर्कर हैं कुछ पार्ट टाइम धंधा करती हैं तो कुछ फुल टाइम. इनका एक बड़ा संगठन भी है जिसका नाम दरबार महिला समन्वय समिति है. इस संगठन में लगभग 1 लाख 30 हजार सेक्स वर्कर्स ने रजिस्ट्रेशन कराया हुआ है और इससे ज्यादा वे हैं जिनहोने रजिस्ट्रेशन की जरूरत नहीं समझी.

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सोनगाछी में हैरानी की बात है लॉकडाउन से पहले ही ग्राहकों की आवाजाही कम हो चली थी. दरबार की एक पदाधिकारी महाश्वेता मुखर्जी के पास पश्चिम बंगाल के अलग अलग इलाकों से फोन सेक्स वर्कर्स के आने लगे थे कि उन्हें भुखमरी से बचाने कोई पहल की जाये. 30 मार्च आते आते तो हालात काफी भयावह हो चले थे. अधिकांश सेक्स वर्कर्स के पास जमापूंजी और राशन खत्म हो चला था.

ऐसे में महाश्वेता ने एक एनजीओ सोनगाछी रिसर्च एंड ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट की मदद से एक योजना बनाई. इस एनजीओ के प्रबंध निदेशक समरजीत साना ने ममता बनर्जी सरकार की सामाजिक कल्याण मंत्री शशि पांजा से गुजारिश की कि कोरोना वायरस के मद्देनजर सरकार की तरफ से दिये जाने बाले फायदे सेक्स वर्कर्स को भी दिये जाएँ. किराए से रह रही तकरीबन 30 हजार सेक्स वर्कर्स के मकान मालिकों को भी उन्होने कहा कि उनका किराया माफ किया जाये. अलावा इसके समरजीत ने कई जानी मानी हस्तियों और दूसरी एनजीओ से भी सेक्स वर्कर्स की मदद के लिए गुहार लगाई है.

यह कोशिश थोड़ी ही सही रंग लाई. शशि पांजा की पहल पर सेक्स वर्कर्स को दाल चावल और आलू के अलावा पका हुआ खाना भी दिया जा रहा है लेकिन लॉकडाउन के बाद क्या होगा इसे लेकर काल गर्ल्स की चिंता कुदरती बात है. सोनगाछी एक महीने पहले तक चौबीसों घंटे गुलजार रहने बाला बाजार हुआ करता था जिसमें देहव्यापार पर बनी कई फिल्मों की शूटिंग भी हुई है. लेकिन अब यहाँ मनहूसियत पसरी पड़ी हुई है.

देह व्यापार पर दर्जनो फिल्मे बन चुकी हैं और मीना कुमारी से लेकर करीना कपूर और विद्धया बालान तक तकरीबन सभी नामी एक्ट्रेसों ने तवायफ का किरदार जिया है. इनकी मुसीबतों पर बनी सबसे सटीक फिल्म 1983 में आई श्याम बेनेगल निर्देशित मंडी थी जिसमें लीड रोल शबाना आजमी ने निभाया था. मंडी में सधे ढंग से दिखाया गया था कि नेता कारोबारी, समाजसेवी और दलाल कैसे कैसे वेश्याओं को मोहरा बनाकर अपना उल्लू सीधा करते हैं.

कमाठीपुरा और सोनगाछी के मुक़ाबले दिल्ली के रेड लाइट इलाके जीबी रोड की सेक्स वर्कर थोड़ी बेहतर हालात में हैं. इस इलाके में 98 के लगभग ऐसे मकान हैं जिन्हें कोठा कहा जा सकता है इनमें 1500 के लगभग सेक्स वर्कर रहती हैं. लॉकडाउन  के बाद यहाँ की सेक्स वर्कर भी भुखमरी के कगार पर आ गईं थीं लेकिन उन्हें खाना दिल्ली पुलिस दे रही है और नजदीक के गुरुद्वारे से भी मदद और राशन मिल जाता है.

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सेक्स वर्कर भूखी न रहें इसके लिए पहले दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग यानि डीसीपीसीआर ने जीबी रोड के कोठों पर रहने बालियों के लिए एक हंगर सेंटर बनाया था लेकिन ये सेक्स वर्कर लोगों के तानों के चलते वहाँ जाने से कतराईं तो उन्हें घर पर ही दवाइयों और राशन पहुंचाया जा रहा है. यह एक काबिले तारीफ पहल है जिसका श्रेय डीसीपीसीआर के मेम्बर सुदेश विमल को जाता है जो दूसरे जरूरी सामान के साथ साथ सेनेटरी नेपकिन तक सेक्स वर्कर्स को पहुंचाने का इंतजाम कर रहे हैं.

यहां तो कुछ भी नही –

ये तो वे शहर और इलाके थे जहां सेक्स वर्कर बड़ी तादाद में हैं और एक ही जगह से धंधा करती हैं इसलिए राज्य सरकारें इनकी अनदेखी नहीं कर पाईं लेकिन कोरोना और लॉकडाउन  का सबसे बुरा और ज्यादा असर उन शहरों और इलाकों पर पड़ रहा है जहां यह धंधा छिटपुट और छोटे पैमाने पर होता है लेकिन अक्सर चर्चाओं और सुर्खियों में रहता है.

ऐसे खास इलाके हैं ग्वालियर का रेशमपुरा, आगरा का कश्मीरी मार्केट, पुणे का बुधबर पैठ, सहारनपुर का नक्काफसा बाजार, इलाहाबाद का मीरागंज और एक और नामी धार्मिक शहर वाराणसी का मड़ुआडिया, मेरठ का कबाड़ी बाजार और नागपुर का गंगा जमुना.

इन इलाकों और अड्डों की रौनक गायब है और अधिकांश सेक्स वर्कर या तो घरों में कैद हैं या फिर अपने घरो को लौट गईं हैं. मुमकिन है लॉकडाउन के बाद ये भी दूसरे दिहाड़ी मजदूरों की तरह अपने धंधे पर वापस लौट आयें लेकिन धंधा पहले सा चलेगा इसमें शक है क्योंकि हर कोई कोरोना से लंबे वक्त तक डरा रहेगा और सोशल डिस्टेन्सिंग पर अमल करने की हर मुमकिन कोशिश करेगा लेकिन यह देखना भी दिलचस्पी की बात होगी की शरीर की भूख और जरूरत पर कोरोना कितना और कब तक भारी पड़ेगा .

भोपाल के एमपी नगर इलाके की एक काल गर्ल लक्ष्मी शर्मा (बदला नाम) से इस बारे में बात की गई तो उसने बताया नौबत तो भूखों मरने की आ गई है सामाजिक संगठन जो खाना बाँट रहे हैं उससे पेट भर रही हूँ लेकिन अब न तो खाने में मजा आ रहा है और न ही जीने में. पास के शहर विदिशा से भोपाल आकर धंधा करने बाली 28 साला लक्ष्मी कहती है पैसों के लिए कई ग्राहकों को फोन किया लेकिन कोई साला नहीं दे रहा कई ग्राहक जो आम दिनों में कुत्ते की तरह दुम हिलाते आगे पीछे घूमते थे परेशानी के इन दिनों में फोन ही नहीं उठा रहे.

वे क्यों मुझे भाव दें, वह जैसे खुद को तसल्ली देते हुये बताती है यह तो इस हाथ दे उस हाथ ले वाला सौदा है पर लोक डाउन की बेगारी ने साबित कर दिया कि एक रंडी आखिर रंडी ही होती है जिसका कोई सगा नहीं होता.

फर्क धंधे के तरीकों का

लक्ष्मी की खीझ अपनी जगह सही है लेकिन उसकी बातों से एक बात तो समझ आती है कि कालगर्ल दो तरह की होती हैं एक वे जो मर्जी से धंधा करतीं हैं और दूसरी वे जो मजबूरी के चलते इस दलदल में आती हैं. हाई टेक कालगर्ल्स उतनी परेशानी में नहीं हैं जितनी में कि  लक्ष्मी जैसी हैं जिनकी गुजर का जरिया ही रोज रोज जिस्म बेचना है. इन्हें ज्यादा पैसा नहीं मिलता है कई बार तो दिन में 200– 300 रु ही मिल जाएं तो ही इनके घर का चूल्हा जल पाता है.

कमाठीपुरा और सोनागाछी जैसे इलाकों में लक्ष्मी जैसी ही सेक्स वर्कर हैं जबकि फाइव स्टार होटलों, स्पा, मसाज सेंटर्स, फार्म हाउसों और खुद के आलीशान फ्लेट्स से धंधा करने बालियों पर लॉकडाउन का कोई खास असर नहीं पड़ा है. यह ठीक वैसी ही स्थिति है कि अमीर और आम मध्यांवर्गीयो पर लॉकडाउन बेअसर है लेकिन मारा गरीब मजदूर जा रहा है.

हाइटैक कालगर्ल्स की तादाद 10 फीसदी ही है जबकि रोजाना कमाने खाने वालियों की 90 फीसदी है जो बद से बदतर हालत में लॉकडाउन के बाद आ गई हैं और ऐसा लगता नहीं कि अभी एकाध साल और ये उजड़ती मंडिया आबाद हो पाएंगी.

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दूसरों की जिस्मानी भूख मिटाने बाली इन सेक्स वर्कर्स के पेट की भूख खैरात के खाने से अगर जैसे तैसे मिट पा रही है तो इसकी वजह इस धंधे का गैर कानूनी होना भी है और इन्हें पापिन करार देना भी है.

योजनाओं का भी फायदा नहीं

इन सेक्स वर्कर्स की गिनती दिहाड़ी मजदूरों में नहीं होती इसलिए इन्हें सरकारी योजनाओं का फायदा भी न के बराबर ही मिलता है. सेक्स वर्कर्स के भले के लिए काम करने बाली सबसे बड़ी एजेंसी भारतीय पतिता उद्धार सभा की दिल्ली इकाई के सचिव इकबाल अहमद की मानें तो सरकार की जनधन और सेहत समेत किसी योजना का लाभ सेक्स वर्कर्स को नहीं मिल पा रहा है क्योंकि अधिकांश के पास न तो आधार कार्ड हैं और न ही राशन कार्ड हैं और न ही इनके बेंक खाते हैं.

बक़ौल इकबाल अहमद लॉकडाउन के मुश्किल वक्त में कई संगठन बाले आते हैं और थोड़ा बहुत सामान देकर चले जाते हैं पर उनकी असल मंशा फोटो खिंचाने की होती है. राशन मिल भी जाये तो सेक्स वर्कर्स के पास उसे पकाने न तो गेस सिलेन्डर हैं और न ही केरोसिन के लिए पैसे हैं. इस पर भी दिक्कत यह कि अधिकांश सामान देने बाले नीचे से ही सामान देकर चले जाते हैं जिससे तीसरे चौथे माले पर रहने बालियों को सामान मिल ही नहीं पाता.

इसी संस्था के अध्यक्ष खैराती लाल भोला की मानें तो लॉकडाउन के बाद उन्हें देश भर से सेक्स वर्कर्स के फोन आए और उन्होने अपनी समस्याएँ बताईं जिनसे मैंने पत्र द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और स्वास्थ मंत्री हर्षवर्धन को अवगत कराया लेकिन अभी तक कोई जबाब मुझे इनसे नहीं मिला है. गौरतलब है कि देश में कोई 1100 रेड लाइट इलाके हैं. खैराती लाल पहले भी सेक्स वर्कर्स की परेशानियों को लेकर सभी सांसदों को चिट्ठी लिख चुके हैं जिससे सेक्स वर्कर्स का हेल्थ कार्ड बन सके क्योंकि अस्पताल में जब ये खुद को रेड लाइट इलाके का बताती हैं तो हर कोई इनसे कन्नी काटने लगता है.

अब लॉकडाउन के वक्त में सेक्स वर्कर्स की बदहाली भुखमरी के जरिये भी उजागर हो रही है तो बारी सरकार की है कि वह इनके बाबत संजीदगी से सोचे और इनके भले के लिए कदम उठाए क्योंकि ये भी समाज का अहम हिस्सा हैं.

घट रही है या बढ़ रही है, Lockdown में कंडोम की बिक्री

फरवरी के दूसरे हफ्ते यह खबर तेजी से वायरल हुई थी कि चीन और सिंगापुर में कंडोम की बिक्री बहुत तेजी से बढ़ रही है लेकिन सेक्स के लिए नहीं बल्कि लोग कंडोम का इस्तेमाल बतौर हेंड ग्लब्स ज्यादा कर रहे थे. यह वह वक्त था जब लोग कंडोम को कोरोना वायरस से लड़ने का कारगर तरीका बता रहे थे .  इस आशय की खबरें और फोटो भी तेजी से वायरल हुये  थे कि लिफ्ट के बटन और कार के हेंडल तक को पकड़ने हर कोई कंडोम का दास्ताना पहने था .

19 मार्च के बाद हमारे देश में कंडोम की बिक्री घटी है या बढ़ी है इस पर जबरजस्त विरोधाभास देखने में आ रहा है . कुछ मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो कंडोम की बिक्री बढ़ी है लेकिन हमारे यहाँ इसे हाथ के दास्तानों की तरह कहीं इस्तेमाल नहीं किया जा रहा बल्कि जिस काम के लिए यह बना है उस के लिए ही इस्तेमाल किया जा रहा है . कहा तो यह तक गया कि मास्क और सेनेटाइजर के साथ साथ दवा की दुकानों से सबसे ज्यादा बिकने बाला आइटम कंडोम है और लोग इसके छोटे नहीं बल्कि बड़े पेक खरीद रहे हैं.

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यह एक रोमांटिक अंदाजा भर हो सकता है कि लाक डाउन के चलते पति पत्नी खाली वक्त में इफ़रात से सेक्स करेंगे और किसी भी खतरे से बचने कंडोम स्वाभाविक रूप से इस्तेमाल करेंगे इसलिए वे थोक में कंडोम खरीद रहे हैं . हालांकि इस बात से पूरी तरह इंकार नहीं किया जा सकता लेकिन अगर वाकई कंडोम के लिए मारामारी मची होती और यह भी ब्लेक में या ऊंचे दाम पर बिक रहा होता तो लाक डाउन की दिलचस्प खबरों में इसे निश्चित रूप से शुमार होना चाहिए था .

सच क्या है इसकी पड़ताल के लिए जब भोपाल के कुछ केमिस्टों से बात की गई तो उन्होने निराशा प्रदर्शित करते हुये बताया कि कंडोम की बिक्री में कोई खास इजाफा नहीं हुआ है उल्टे गिरावट आई है . भोपाल के पाश इलाके शाहपुरा के मनीषा मार्केट के एक केमिस्ट अनिल ललवानी का कहना है कि उनकी दुकान से औसतन 8 पेकेट कंडोम के रोज बिकते हैं लेकिन लाक डाउन के बाद बिक्री न के बराबर हो रही है .

ऐसा क्यों इस पर अनिल बताते हैं कि दरअसल में कंडोम के बड़े खरीददार कालेज स्टूडेंट और होस्टलर्स होते हैं जो अपने अपने घरों को चले गए हैं .  ये लोग अक्सर दोपहर में या फिर देर रात कंडोम खरीदते थे अब मौज मस्ती करने बाले इन लोगों के अते पते नहीं है लिहाजा मुश्किल से एक पेकेट रोज बिक पा रहा है और खरीददार लाइसेन्सशुदा यानि शादी शुदा हैं.

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कारोबारी इलाके एमपी नगर के एक केमिस्ट इस बात की पुष्टि करते हुये बताते हैं कि होस्टल्स खाली हो जाने से कंडोम की बिक्री घटी है . गौरतलब है कि भोपाल में लगभग 1 लाख बाहरी स्टूडेंट हैं ये लोग किराए के मकानों में भी रहते हैं . सेक्स संबंध इनके लिए गोल गप्पे खाने जैसी आम और रोजमरराई बात है , अब जब शहर वीरान सा है तो कंडोम शो केस की ही शोभा बढ़ा रहे हैं .

पुराने भोपाल के गांधी मेडिकल कालेज के नजदीक के एक केमिस्ट की माने तो दरअसल में लाक डाउन के चलते देह व्यापार भी लाक हो गया है स्टूडेंट्स के साथ काल गर्ल्स और उनके ग्राहक भी कंडोम के नियमित और अनिवार्य ग्राहक होते हैं जो अब नदारद हैं .  इस केमिस्ट ने दूसरी दिलचस्प बात यह बताई कि आम शादीशुदा भी कंडोम नवरात्रि के चलते नहीं खरीद रहे क्योंकि व्रत उपवास के दिनों में पति पत्नी सहवास नहीं करते हैं . मुमकिन है नवरात्रि के बाद थोड़ी बहुत मांग बढ़े लेकिन वह रूटीनी होगी उल्लेखनीय नहीं .

दरअसल में कंडोम की बिक्री का भी अपना सीजन होता है. दुनिया भर में दिसंबर के आखिर के दिनों और नए साल पर इफ़रात से कंडोम बिकते हैं लिहाजा थोक और फुटकर व्यापारी भारी  भरकम स्टाक इन दिनों रखते हैं लेकिन अब जब देश भर में सन्नाटा है तब कंडोम बिक्री में बढ़ोत्री अति उत्साह में की गई कल्पना ज्यादा लगती है.

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यह ठीक है कि यंग कपल्स फुर्सत में हैं और कंडोम भी खरीद रहे हैं लेकिन ये कंडोम का उतना बड़ा ग्राहक वर्ग नहीं है जो बाजार में हलचल मचा दे. एक अंदाजे के मुताबिक कंडोम के 70 फीसदी ग्राहक प्रेमी प्रेमिकाए और देह व्यापार से जुड़े लोग होते हैं जो लाक डाउन के चलते तितर बितर हो गए हैं हाँ इतना तय है कि लाक डाउन के खत्म होते ही जरूर कंडोम की मांग में जबरजस्त इजाफा होगा.

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कोरोना की दहशत और लौक डाउन , शट डाउन के चलते यह वह दौर है जब अधिकतर लोग घरों में कैद हैं. हमारे देश में एक दिन के जनता कर्फ़्यू के बाद से ही लोगों को वक्त काटना मुहाल हो रहा है ऐसे में जाहिर है आनंद लेने का एक बड़ा जरिया सेक्स भी है जिस पर यह शेर एकदम फिट बैठता है कि मौसम भी है… मौका भी है… और दस्तूर भी है…

जानकर हैरानी होती है कि आपदा के इस वक्त में भी दुनिया भर के लोग तबीयत से पौर्न साइट सर्च कर रहे हैं जो उन्हें निराश नहीं कर रहीं है बल्कि यह तक सिखा रहीं हैं कि मास्क पहनकर और कुछ एहतियात बरतकर वे कैसे कैसे सेक्स का लुत्फ उठा सकते हैं . इनमें से एक वीडियो चीन के वुहान , जहां से कोरोना की उत्पत्ति हुई बताई जा रही है का भी है कि वहां के लोग अब कैसे सेक्स कर रहे हैं .

बात कम दिलचस्प नहीं कि आहार , भय और निद्रा की तरह मैथुन भी लोगों की प्राथमिकता में शिद्दत से है जिसकी तादाद इन दिनों बढ़ रही है लेकिन लोग कोरोना को लेकर सहमे हुये भी हैं कि कहीं सेक्स करने से तो इस जानलेवा वायरस का प्रकोप उन पर नहीं होगा . भोपाल जैसे बी श्रेणी के शहर में जहां लौक डाउन है वहां भी लोग स्पेशलिस्ट डाक्टरों से भी सलाह ले रहे हैं कि सेक्स करें या न करें और करें तो कैसे करें जिससे महफूज रहें .

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इस बारे में इस प्रतिनिधि ने भोपाल के सबसे बड़े और नामी बंसल अस्पताल के जाने माने कंसल्टेंट साइकेट्रिस्ट और सेक्सपर्ट डा. सत्यकान्त त्रिवेदी से बात की तो उन्होने बताया कि कोरोना के चलते सेक्स बेहिचक किया जा सकता है क्योंकि यह सेक्सुअली ट्रांसमिटेड बीमारी नहीं है लेकिन जरूरी यह है कि आप या आपका पार्टनर संक्रमित न हो इसलिए सेक्स के पहले खुद का और पार्टनर का संक्रमित न होना सुनिश्चित किया जाना जरूरी है .

डा. सत्यकान्त के पास रोज कई लोग ऐसे आ रहे हैं या फिर फोन पर सलाह ले रहे हैं जिन्हें वे ये टिप्स दे रहे हैं –

  • इस वक्त में कोई नया सेक्स पार्टनर न बनाएं यानी नए व्यक्ति से सेक्स करने से बचें.
  • अगर विदेश से आए हैं या विदेश से आए किसी व्यक्ति के संपर्क में आए हैं तो सेक्स से यथासंभव परहेज करें.
  • सर्दी जुकाम खांसी हो तो भी सेक्स से बचें लेकिन यह डरने की बात नहीं बल्कि एक तरह की सावधानी है , सर्दी जुकाम भी नजदीक आने से फैलते हैं.
  • संक्रमण की स्थिति में नो टच पालिसी पर चलें.
  • सेक्स के दूसरे माध्यमों का प्रयोग कर सकते हैं जैसे आडियो वीडियो चेट वगैरह.

यानि बात डरने की नहीं बल्कि सावधानिया बरतने की है क्योंकि कोरोना वायरस सहवास से नहीं फैलता और न ही इसका प्राइवेट पार्ट्स से कुछ लेना देना है .  यह श्वसन तंत्र से फैलने बाली बीमारी है इसलिए चुंबन और मुंह से की जाने बाली दूसरी सेक्स क्रियाएँ नहीं की जानी चाहिए .

यह दबाब मुक्त एकांत सेक्स के लिए तो वरदान सा ही है क्योंकि अधिकांश कपल्स आजकल कामकाजी हैं और क्षमता से ज्यादा काम उन्हें करना पड़ता है जिसका दुष्प्रभाव उनकी सेक्स लाइफ पर भी पड़ता है इसलिए खुलकर सेक्स का लुत्फ उठाएँ लेकिन ऊपर बताई गई सावधानियों के साथ .

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बेल्जियम में प्रतिबंध –    कोरोना का सेक्स कनेकशन बड़े दिलचस्प तरीके से बेल्जियम में देखने में आया है जहां की स्वास्थ मंत्री ने ग्रुप सेक्स पर प्रतिबंध लगा दिया है क्योंकि सेक्स पार्टियों के लिए बदनाम बेल्जियम के लोग बियर भी इफ़रात से पीने के लिए जाने जाते हैं हमारे देश के चुनिन्दा बड़े शहरों में इस तरह की पार्टियां होती हैं जहां समूहिक सेक्स का चलन बड़े पैमाने पर पसर चुका है . कोरोना इन लोगों के लिए चेतावनी है नहीं तो इस मजे की कीमत बहुत महंगी भी पड़ सकती है .

फैल रहा है सेक्सी कहानियों का करंट

‘‘हैलो दोस्तो, मेरा नाम सोनिया है. मैं राजस्थान के जोधपुर में रहती हूं. मेरी उम्र 24 साल है. मैं बहुत सेक्सी हूं और हमबिस्तरी के लिए नए नए मर्दों की तलाश में रहती हूं, जिस से ज्यादा से ज्यादा मजा ले सकूं.  मेरे उभार बहुत मोटे हैं और…

‘‘आज मैं आप को अपनी पहली हमबिस्तरी की कहानी बताने जा रही हूं. मैं तब 16 साल की थी और बहुत चंचल थी. मेरी एक सहेली थी रितु. वह भी मेरी तरह हमबिस्तरी की शौकीन थी.

‘‘एक दिन उस का फोन आया कि वह घर में अकेली है, रात को उस का बौयफ्रैंड आएगा. अगर तू चाहे तो आ जा, बड़ा मजा आएगा.

‘‘मैं झट से तैयार हो गई और मम्मीपापा से पूछ कर रितु के घर जा पहुंची और बैडरूम में जा कर जो नजारा देखा, तो मदहोश हो उठी.

‘‘रितु बगैर कपड़ों के अपने बौयफ्रैंड की गोद में बैठी थी, जो उस का अंगअंग मसल रहा था और चूम भी रहा था. यह देख कर मुझ से रहा न गया और मैं भी कपडे़ उतार कर उन की ओर लपकी…

‘‘यह कहानी आप सुन रहे हैं ‘कामुकता डौट कौम’ पर…’’

कचरा सेक्सी कहानी

इस तरह की और इस से भी ज्यादा सेक्सी कहानियां इन दिनों यू ट्यूब और गूगल पर धड़ल्ले से सुनी जा रही हैं, जिन में आवाज किसी लड़की की होती है, जो बेहद बिंदास और खुलेपन से इन्हें इस तरह सुना रही होती है कि सुनने वाले के बदन में बिजली का करंट दौड़ जाता है, क्योंकि कहानी सुना रही लड़की इसे अपनी आपबीती बताती है और अंगों के नाम भी ठीक वैसे ही लेती है, जैसे गालियों में इस्तेमाल किए जाते हैं.

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वह लड़की हमबिस्तरी को इस तरह बयां करती है कि सुनने वाले को लगता है कि सबकुछ सच है और उस की आंखों के सामने ही हो रहा है.

‘कामुकता डौट कौम’, ‘बैड टाइम हौट स्टोरी’ और ‘अंतर्वासना डौट कौम’ जैसी दर्जनभर पौर्न साइटों ने अपना बाजार बढ़ाने के लिए ग्राहकों की कमजोर नब्ज पकड़ते हुए उन्हें कहानियों के जरीए एक नई दुनिया में सैर कराने का मानो बीड़ा सा उठा लिया है.

सेक्सी कहानियां सुनने वालों को यह अहसास कराया जाता है कि कहानी सुनाने वाली लड़की सच बोल रही है, इसलिए बीचबीच में तरहतरह की आवाजें भी भर दी जाती हैं.

आहें और सिसकियां भरती लड़की कमरे का हुलिया बताती है और सोफे, परदे का रंग भी बताती है और कहानी के मुताबिक चिल्लाने का दिखावा भी करती है.

एक कहानी की मीआद तकरीबन 12 मिनट की होती है, जिस के खत्म होतेहोते सुनने वाला उस में इस तरह डूब जाता है कि उसे अपनेआप का होश नहीं रहता.

सुनने वालों को लत लगाने के लिए ये साइट वाले रोज एक नई कहानी देते हैं, जिन में लड़की का नाम और उम्र बदल जाते हैं, शहर भी बदल जाते हैं,  कभी वह खुद को निपट कुंआरी बताती है, तो कभी शादीशुदा.

ऐसी कहानियों में कोशिश यह भी की जाती है कि वे आम लोगों के तजरबे से मेल खाती लगे, इसलिए नजदीकी रिश्तेदारों से सेक्स की कहानियां भी इफरात से सुनवाई जाती हैं.

जीजासाली, देवरभाभी, भाभी या बहनोई का भाई, भाई का दोस्त जैसे दूर के रिश्तेदार तो अहम हैं, पर नजदीकी रिश्तेदारों मसलन मांबेटे, बापबेटी, भाईबहन वगैरह से हमबिस्तरी की भी कहानियों का ढेर है.

ऐसी सेक्सी कहानियों को चटकारे ले कर सुनाने वाली सोनिया, रितु या सपना को तो कोई शर्म नहीं आती, उलटे वे इन्हें इस तरह सुनाती हैं कि जिस से लगता है कि उन्हें कतई शर्म, डर या पछतावा नहीं होता, बल्कि उन का मकसद मजे लूटना भर होता है.

इन कहानियों में दौड़ती ट्रेन या कार में हमबिस्तरी होती है, तो रेगिस्तान और समुद्री किनारे की सेक्सी कहानियां भी सुनवाई जाती हैं. इन कचरा कहानियों की मांग तेजी से बढ़ रही है.

ब्लू फिल्मों से उचटा जी

अब ब्लू कहानियां आसानी से स्मार्टफोन पर मिल जाती हैं. भोपाल के एक इंजीनियरिंग कालेज में पढ़ रहे 20 साला छात्र सुयश का कहना है कि वह पहले ब्लू फिल्में देखता था, लेकिन उन में एक ही तरह के सीन बारबार दोहराए जाते हैं, इसलिए उन में उसे मजा नहीं आता था. दूसरे, ब्लू फिल्में चूंकि स्क्रीन पर चलती हैं, इसलिए किसी के आ जाने पर पकड़े जाने का डर भी बना रहता था. अब इन कहानियों को वह हैडफोन के जरीए बगैर किसी डर या हिचक के सुनता है और घर वालों को लगता है कि वह गाने सुन रहा है.

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सुयश बताता है कि एक दोस्त के बताने पर उस ने पहली बार जब कहानी सुनी थी, तब शरीर में बिजली सी दौड़ गई थी, क्योंकि किसी लड़की के मुंह से अंगों के खुले शब्द सुनने का उस का यह पहला तजरबा था और हमबिस्तरी का आंखोंदेखा हाल. जिस तरह वह सुना रही थी, उस का भी अलग ही लुत्फ था.

जब कंप्यूटर, टैलीविजन और स्मार्टफोन चलन में नहीं थे, तब लोग मस्तरामछाप नीलीपीली किताबें इफरात से पढ़ते थे, पर उन में दिक्कत यह थी कि साइज में छोटी और घटिया क्वालिटी के पन्नों पर छपी इन किताबों को छिपा कर रखना पड़ता था. इन्हें पढ़ कर फेंक देना या जला देना मजबूरी हो जाती थी.

आज से तकरीबन 25-30 साल पहले ये किताबें तकरीबन 30 रुपए में मिलती थीं, जो महंगी होती थीं, पर इन की मांग इतनी होती थी कि इन की कमी हमेशा बनी रहती थी.

इस तरह की किताबें अभी भी मिलती हैं, पर इन्हें पढ़ने वाले न के बराबर बचे हैं, क्योंकि इलैक्ट्रौनिक आइटमों ने ब्लू फिल्मों को देखना आसान बना दिया है. लोग अब इन से भी ऊबने लगे, तो नया फंडा सेक्सी कहानियों का आ गया है.

कई कहानियों में साहित्यिक शब्दों का भी इस्तेमाल किया जाता है, जिन्हें सुन कर लगता है कि इन्हें लिखने वाला माहिर कहानीकार है.

क्यों सुन रहे हैं लोग

विदिशा से भोपाल आनेजाने वाले बृजेश, जो 50 साल के हो चले हैं और 3 बच्चों के पिता भी हैं, का कहना है कि उन्होंने अभी 2 साल पहले ही स्मार्टफोन खरीदा है और वे उस का इस्तेमाल करना सीख गए हैं.

पहले विदिशा से भोपाल के एक घंटे के रास्ते में उन्हें काफी बोरियत होती थी. वे पहले सेक्सी मैगजीन पढ़ते थे, लेकिन ट्रेन में खुलेआम पढ़ने में दिक्कत होती थी, इसलिए ऊपर की बर्थ पर जा कर कोने में मुंह छिपा कर पढ़ते थे.

बाद में स्मार्टफोन में ब्लू फिल्में देखना शुरू किया, तो भी दिक्कत पेश आई, इसलिए टायलेट में चले जाते थे, पर वहां भी चैन नहीं था. देर हो जाती थी, तो बाहर से ही मुसाफिर दरवाजा खड़खड़ाना शुरू कर देते थे कि जल्दी निकलो. इसी हड़बड़ाहट में एक बार फोन कमोड से पटरियों पर जा गिरा, तो 6 हजार रुपए का चूना लग गया.

अब बृजेश सुकून से ये ब्लू कहानियां सुनते हुए वक्त काटते हैं. वे हैड फोन लगा कर यू ट्यूब चालू करते हैं और कहानी शुरू हो जाती है जो भोपाल जा कर ही खत्म होती है.

बकौल बृजेश, ‘‘यह एक अलग किस्म का तजरबा है, जिसे लफ्जों में बयां नहीं किया जा सकता. घर पर उन्होंने बीवी को भी ये कहानियां सुनवाने की कोशिश की, पर वे इन्हें सुन कर भड़क गईं.’’

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हर्ज भी क्या है

क्या ब्लू कहानियां सुनना हर्ज की बात है या इन से कोई नुकसान है? इस सवाल का जवाब ढूंढ़ पाना उतना ही मुश्किल काम है, जितना नीलीपीली किताबों के दौर में उन के नुकसान ढूंढ़ना हुआ करता था.

ब्लू फिल्में धड़ल्ले से हर कोई देखता है. आलम यह है कि कई राज्यों के मंत्रीअफसर तक स्मार्टफोन पर इन्हें देखते पकड़े गए हैं.

जाहिर है, ऐसी कहानियों से लोग टाइमपास करते हैं, सेक्स की अपनी भूख शांत करते हैं और नई उम्र के लड़के इन्हीं के जरीए सेक्स की बातें और गुर सीखते हैं. इन्हें किसी भी दौर में रोका नहीं जा सका है, न ही रोक पाने के लिए कोई कानून सरकार लागू कर पा रही है. सुप्रीम कोर्ट तक इस मामले में अपनी बेबसी जाहिर कर चुका है.

क्या ऐसी कहानियां गुमराह करती हैं? इस पर बहस की तमाम गुंजाइशें मौजूद हैं, इसलिए सुनने वालों को यह बात समझ लेनी चाहिए कि इन कहानियों का हकीकत से कोई लेनादेना नहीं होता और न ही इन्हें सुन कर सभी औरतों की इमेज वैसी समझनी चाहिए, जैसी कि इन कहानियों में तफसील से बताई जाती है.

जरूरत से ज्यादा और लगातार ऐसी कहानियां सुनना जरूर नुकसानदेह है, इसलिए सेक्स की अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए ऐसी कहानियां पढ़नी चाहिए, जिन में सेक्स साफसुथरे ढंग से पेश किया जाता है और जिन में कोई सबक भी अच्छेबुरे का मिलता हो.

दरअसल, ये कहानियां जोश पैदा करती हैं, जो हर्ज की बात नहीं. भोपाल के सेक्स रोगों के माहिर एक बुजुर्ग डाक्टर का कहना है कि इन्हें सुन कर उन लोगों में भी जोश आता है, जो सेक्स में ढीलापन या कमजोरी महसूस करते हैं. इस की एक अहम वजह यह भी है कि कहानी लड़की सुनाती है, जिस के मुंह से प्राइवेट पार्ट्स के नाम और हमबिस्तरी का खुला ब्योरा सुनना नए दौर का एक अलग तजरबा है.

इन कहानियों के डायलौग भी वैसे ही होते हैं, जैसे आमतौर पर हमबिस्तरी के वक्त की जाने वाली बातचीत होती है. पर सुनने वालों को इन का आदी नहीं होना चाहिए.

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साफ दिख रहा है कि भविष्य में इन कहानियों की मांग और बाजार जोर पकड़ेगा. मुमकिन है कि कहानी गढ़ने वाले कामयाबी मिलती देख कुछ नए प्रयोग इन में करें, जिस से सुनने वालों की दिलचस्पी इन में न केवल बनी रहे, बल्कि बढ़े भी.

लड़की एक रात के लिए मिल रही है

‘हाय, मेरा नाम रानी है. मैं 19 साल की हूं और इंदौर में अकेली रहती हूं. क्या आप मेरे साथ सैक्स करना चाहेंगे? मेरा मोबाइल नंबर है 975519××××…’

हालांकि यह सब अंगरेजी में लिखा था, लेकिन मध्य प्रदेश के शाजापुर में रहने वाले 26 साला जितेंद्र रघुवंशी (बदला नाम) को पढ़ने में कोई दिक्कत नहीं हुई, क्योंकि वह 12वीं जमात पास था. नजदीक के एक गांव से शाजापुर आ कर बस गए इस नौजवान ने एक साल पहले स्मार्टफोन खरीदा था. मालदार किसान परिवार का होने की वजह से जितेंद्र को पैसों की कमी नहीं थी, इसलिए अपनी खादबीज की दुकान पर बैठाबैठा वह कालगर्ल ढूंढ़ने लगा और ढूंढ़ा तो हैरान रह गया. उसे ऐसा लगा, मानो इस दुनिया में ऐसी लड़कियों के अलावा कुछ है ही नहीं, जो कुछ हजार रुपयों के एवज में अपना जिस्म बेचती हैं और बाकायदा फोटो समेत इश्तिहार भी करती हैं. उन्हें अपना फोन नंबर देने में कोई हिचक नहीं होती और किसी का डर भी नहीं लगता.

आखिरकार हिम्मत कर के जितेंद्र ने दिए गए नंबर पर फोन किया, तो दूसरी तरफ से उम्मीद के मुताबिक एक लड़की की ही आवाज आई.

‘हैलो, कहिए?’ वह लड़की बोली, तो जितेंद्र सकपका गया और हड़बड़ाहट में बोला, ‘‘मैं ने इंटरनैट पर देखा, तो सोचा…’’

‘सोचा क्या, आ ही जाइए. रानी आप की खिदमत में हाजिर है. 2 घंटे के 2 हजार और पूरी रात के 20 हजार रुपए चार्ज है. बताइए, कब और कहां मिलूं? आप जैसे चाहें मेरे साथ सैक्स कर सकते हैं. मैं बहुत ऐक्सपर्ट हूं.’

जितेंद्र अचानक मिली इस दावत से घबरा सा उठा और बोला, ‘‘मैं कल फोन करूंगा…’’

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‘ओके स्वीटहार्ट, जब मरजी हो बता देना. रानी हमेशा तुम्हारी खिदमत में हाजिर मिलेगी. जैसे चाहोगे वैसे सैक्स करेगी और जन्नत का मजा देगी.’ फोन काट कर जितेंद्र गटागट 3 गिलास पानी पी गया और कुछ देर बाद रानी की मीठी बातों के जाल से निकला, तो उसे समझ आया कि कहीं कोई फर्जीवाड़ा या खतरा नहीं है, बस एक बार बात कर के इंदौर जाने की देर है, फिर तो मजे ही मजे हैं. जितेंद्र ने जैसेतैसे 3 दिन काटे, फिर उसी नंबर पर फोन किया, तो उसी लड़की की आवाज आई, ‘बड़ी देर कर दी जानेमन, बोलो…’

‘‘कहां मिलोगी?’’ जितेंद्र ने पूछा.

‘जहां तुम कहो…’ वहां से मधुर आवाज आई.

‘‘कल दोपहर 12 बजे मिलो, सरवटे बसस्टैंड पर.’’

‘ओके, मैं… कौफी हाउस में बैठी मिलूंगी, गुलाबी रंग के सूट में रहूंगी.’ अगले दिन जितेंद्र इंदौर जा पहुंचा और रानी के बताए कौफी हाउस में पहुंचा, तो देख कर हैरान रह गया कि सचमुच कोने वाली सीट पर गुलाबी सूट पहने एक खूबसूरत सी लड़की कोल्ड कौफी की चुसकियां ले रही थी. जितेंद्र उस से मुखातिब हो पाता, उस के पहले ही उस ने उंगलियों से इशारा कर उसे बुलाया. जाहिर है कि वह अपने ग्राहक को पहचान गई थी. जितेंद्र उस के सामने जा कर बैठ गया और बातचीत करने लगा.

रानी 2 घंटे के 2 हजार रुपए ही लेगी. जगह उस की रहेगी, पर कौफी हाउस में खिलानेपिलाने, आटोरिकशा वगैरह के सारे खर्च वह खुद उठाएगा.

‘‘ठीक है,’’ जितेंद्र उस के उभारों पर से नजर हटाते हुए थूक निगल कर बोला.

‘‘तभी इतने नर्वस हो रहे हो. चलो, रास्ते में बीयर या ह्विस्की कुछ ले लेते हैं. दोनों साथ बैठ कर पीएंगे, तो ज्यादा मजा आएगा और तुम्हारी यह ख्वाहिश भी पूरी हो जाएगी,’’ रानी बोली.

ऐसा हुआ भी. बसस्टैंड से आटोरिकशा कर के जितेंद्र रानी के साथ वहां से तकरीबन 16 किलोमीटर दूर एक बड़े अपार्टमैंट्स के उस के फ्लैट पर पहुंचा. वहां कोई नहीं था. अंदर दाखिल होते ही रानी ने दरवाजा बंद किया और बोली, ‘‘चलो, हो जाओ शुरू…’’

‘‘पर बीयर तो ले ही नहीं पाए,’’ जितेंद्र ने कहा.

‘‘सब है यहां, बस पैसे तुम देना…’’ फ्रिज से बीयर की बोतलें और गिलास निकालते हुए रानी ने शोख आवाज में जवाब दिया. 2 घंटे बाद जितेंद्र उसे पैसे दे कर उस फ्लैट से बाहर निकला, तो उस के पैर जमीन पर नहीं पड़ रहे थे. वाकई रानी ने उसे मजा दिया था. हालांकि शराब के एक हजार रुपए अलग से रखवा लिए थे. जितेंद्र को इस का कोई मलाल नहीं था. 2 घंटे के दौरान किसी ने कोई दखल नहीं दिया था. रानी ने अपना फोन बंद कर लिया था और जितेंद्र का भी बंद करा दिया था, लेकिन जाते समय उस ने जितेंद्र को अपना पर्सनल नंबर दे दिया था कि फिर कभी मूड हो तो इस नंबर पर ही फोन करना. जितेंद्र ने अलगअलग फोन नंबरों के घालमेल से ज्यादा सिर नहीं खपाया और इस के बाद 2 बार और इंदौर गया, तो रानी से उस के पर्सनल नंबर पर बात कर सीधे उस के फ्लैट पर जा पहुंचा और जम कर मौजमस्ती की.

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स्मार्टफोन ने बदला चलन

अब तकरीबन हर हाथ में स्मार्टफोन है, जिस में हर तरह की जानकारियां बहुत सस्ते में मिल जाती हैं. कालगर्ल की जानकारी भी इन में से एक है. स्मार्टफोन आने से पहले देह का कारोबार पुराने तरीके से चलता था. इंदौर की ही मिसाल लें, तो वहां का बंबई बाजार कभी देह धंधे के लिए जाना जाता था. वहां कोठे थे. जितेंद्र की तरह लोग आते थे, लेकिन मनपसंद कालगर्ल ढूंढ़ने में उन्हें परेशानी होती थी. 2-4 कोठों पर धक्के खाने के बाद या तो मनपसंद कालगर्ल ग्राहक को मिल जाती थी या थकहार कर ग्राहक ही किसी को अपनी पसंद बना लेता था. लेकिन बंबई बाजार जैसी बदनाम जगहों का माहौल लोगों को रास नहीं आता था. शराब की बदबू होती थी. खिड़की और दरवाजों से झांकती लड़कियां भद्दे इशारे कर के ग्राहकों को बुलाती थीं. कई दफा तो हाथ पकड़ कर अंदर खींच लेती थीं. उन की ज्यादतियों से बचने के लिए ग्राहक दलाल का सहारा लेते थे. स्मार्टफोन ने देह धंधे के इस चलन में भारी बदलाव कर दिए हैं. अब दलाल भी कालगर्लों की तरह हाईफाई हो गए हैं. बंबई बाजार टुकड़ेटुकड़े हो कर पूरे इंदौर में चारों तरफ फैल गया है. हर चौथे अपार्टमैंट्स में एक रानी है. जब किसी जितेंद्र का फोन आता है, तो वह मेकअप कर के तैयार हो जाती है. जानपहचान वाला न हो, तो जगह तय कर लेने भी पहुंच जाती है. लेकिन दलाल किसी को नजर नहीं आता.

पहली दफा जितेंद्र ने जिस नंबर पर फोन किया था, वह एजेंट का था. इस फोन नंबर पर शिफ्ट में लड़कियां बैठती हैं और ग्राहक से सैक्सी बातें करती हैं. ग्राहक का नंबर ले कर वे अपने पास रखी लिस्ट या फोन बुक में से किसी एक कालगर्ल का नंबर देख कर उसे बताती है. वह फ्री होती है, तो बातचीत का ब्योरा ग्राहक को दे दिया जाता है और तगड़ा कमीशन ले लिया जाता है. यह ऐस्कौर्ट सर्विस देश के हर बड़े शहर में मौजूद है. भोपाल में ऐस्कौर्ट सर्विस से जुड़े एक मुलाजिम ने बताया कि स्मार्टफोन वालों के लिए उन की एजेंसी इंटरनैट पर तमाम जानकारियां डालती है. वे कई नामों से वैबसाइट बनाते और चलाते हैं. उन्हें देख कर ग्राहक बातचीत करते हैं, तो अपने आसपास की किसी कालगर्ल को उस का नंबर दे देते हैं.

उस मुलाजिम के मुताबिक, अभी उन की लिस्ट में तकरीबन 2 हजार लड़कियों के नाम हैं, जिन में होस्टल में रह रही छात्राएं भी शामिल हैं. कुछ घरेलू औरतें भी हैं, लेकिन ज्यादातर पेशेवर कालगर्ल हैं. उस दलाल के मुताबिक, आजकल लड़कियों के पास खुद की जगह रहती है. इस में खतरा कम रहता है, क्योंकि वे रिहायशी इलाकों में रहती हैं. लेकिन पड़ोसी हल्ला मचाने लगें और पुलिस वालों की नजर उन पर पड़ जाए, तो वे अपना ठिकाना बदल लेती हैं. उस दलाल की मानें, तो ज्यादातर लड़कियां ग्राहक से सीधे बात करने लगती हैं, तो नुकसान दलाल का होता है, क्योंकि उन्हें जमाने में दलाल का बड़ा हाथ रहता है. शुरू में दलाल उन्हें प्यार से ऊंचनीच समझाते हैं. अगर वे नहीं मानतीं, तो एकाध दफा गुंडे या पुलिस वालों के हाथों फंसवा देते हैं. उस के बाद वे कभी झंझट नहीं करती हैं. इस से हर बार दलाल को कमीशन मिलता रहता है. हालफिलहाल तो भोपाल जैसे शहरों में भी ऐस्कौर्ट सर्विस वाले 5-6 लाख रुपए हर महीना कमा रहे हैं, जो 8-10 मुलाजिमों के बीच बंट जाता है. सभी को काम और ओहदे के मुताबिक तनख्वाह मिलती है.

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कंप्यूटर पर साइट्स बनाने और लोड करने वाले इंजीनियर को 15-20 हजार रुपए, स्मार्टफोन पर बात करने वाली कालगर्ल को 10-12 हजार और कारोबार को बढ़ाने वाली मुलाजिमों को 20-25 हजार रुपए महीना तनख्वाह मिलती है. सब से बड़ा हिस्सा बौस की जेब में तकरीबन 3 लाख रुपए जाता है.

घाटे में पुलिस वाले

स्मार्टफोन पर देह धंधे के चलन से बड़ा नुकसान पुलिस वालों का हुआ है. अब तो इन के मुखबिर भी नहीं बता पाते हैं कि कौन कहां धंधा कर रहा है. अब तो कालगर्लें भी कहने लगी हैं कि वे बालिग हैं, किसी के साथ हमबिस्तरी करें, यह मरजी की बात है. लिहाजा, पुलिस वाले कसमसा कर रह जाते हैं. जबरदस्ती करें, तो बेवजह हल्ला मचता है. गिरोह बना कर इंटरनैट पर इस कारोबार को बढ़ावा दे रही ऐस्कौर्ट एजेंसियां भी पुलिस की पकड़ और पहुंच से दूर हैं. वे भी अपना पताठिकाना और फोन नंबर बदलती रहती हैं. सीधेसीधे कहा जाए, तो अब हो यह रहा है कि जितेंद्र जैसे ग्राहक स्मार्टफोन पर ऐसी एजेंसी को ढूंढ़ते हैं और बगैर किसी सिरदर्द के अपनी ख्वाहिश और जरूरत पूरी कर लेते हैं. हालांकि इस से उन का खर्च बढ़ा है, लेकिन इज्जत बनी रहती है और हिफाजत की भी गारंटी रहती है. अब कालगर्लों के पास ग्राहक के नामपते और फोन नंबर वाली डायरी नहीं होती. स्मार्टफोन की फोन बुक होती है, जिस में पासवर्ड डाल दो, तो कोई दूसरा इस को नहीं खोल सकता.

ग्राहक भी फायदे में हैं. जितेंद्र जैसे ग्राहकों को ब्लू फिल्में, सीधे कालगर्ल से चैटिंग और अब वीडियो चैटिंग की सहूलियत, जब भी जोश दिलाती है, तो वे भागते हैं किसी रानी की तरफ, जो उन्हें संतुष्ट करने में माहिर होती है.

मर्द भी मिलते हैं

स्मार्टफोन अब औरतें भी खूब इस्तेमाल करती हैं. लिहाजा, ‘पुरुष वेश्याओं’ की भी मांग बढ़ रही है. ऐस्कौर्ट सर्विस के कर्ताधर्ता अपनी इंटरनैट साइट पर बिकाऊ मर्दों की जानकारी और फोन नंबर भी डालने लगे हैं, जिस से सैक्स की जरूरतमंद औरतें फोन कर के अपनी जिस्मानी भूख मिटा सकती हैं.

ऐस्कौर्ट सर्विस के एक दलाल के मुताबिक, मर्दों के दाम औरतों से ज्यादा होते हैं. वजह, उन की मांग ऊंचे तबकों की औरतों में ज्यादा है. उम्रदराज कुंआरियां, विधवाएं और पति द्वारा छोड़ दी गई औरतों के अलावा पति से नाखुश औरतें भी ऐसे मर्दों की सर्विस लेती हैं. उन्हें 5 हजार रुपए आसानी से मिल जाते हैं. अगर औरत को उन के मुताबिक खुश कर दें, तो 5 के 50 हजार रुपए भी झटक लेते हैं.

सोशल साइटों पर यह धंधा खूब फलफूल रहा है. विदिशा, मध्य प्रदेश के नजदीक गंजबासौदा कसबे का एक बेरोजगार नौजवान एस. कुमार बताता है कि उस ने फर्जी नाम से फेसबुक पर अकाउंट खोला और यह मैसेज डालना शुरू कर दिया कि जो भाभियां, आंटियां अपने पतियों से संतुष्ट नहीं होतीं, वे उस से बात कर सकती हैं. यह नौजवान फेसबुक में चुनचुन कर उम्रदराज औरतों को फ्रैंड रिक्वैस्ट मैसेज कर अपना फोन नंबर दे देता है.

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देखते ही देखते उस की कई फ्रैंड बन गईं और इनबौक्स में जा कर सैक्सी बातें करने लगीं. कुछ ने उसे बुलाया भी. इस नौजवान ने हालांकि अभी 50-60 हजार रुपए ही इस धंधे से कमाए हैं, लेकिन वह स्मार्टफोन का शुक्रगुजार रहता है कि इस की वजह से उसे पैसा मिल रहा है और मजा भी.

अपना एक किस्सा सुनाते हुए वह कहता है कि गुना की एक सरकारी स्कूल की टीचर ने उस से दोस्ती की और बताया कि उस का पति ढीला है. अगर तुम गुना आ कर सैक्स करो, तो मैं आनेजाने का खर्च और 2 हजार रुपए दूंगी. वह नौजवान वहां गया और उसे संतुष्ट कर आया.

ब्लू फिल्मों का खजाना

स्मार्टफोन का इस्तेमाल देह धंधे से ज्यादा ब्लू फिल्में और अश्लील साइटें देखने में हो रहा है. ‘अंतरवासना’ इस में सब से ज्यादा देखी और पढ़ी जाने वाली साइट है. इस साइट पर सैक्सी कहानियां होती हैं, जिन की मस्तराम छाप नीलीपीली किताबें 30 रुपए से सौ रुपए तक में बिका करती थीं, पर ‘अंतरवासना’ की एक और खूबी यह है कि रोज 2-3 कहानियां अपलोड होती हैं. यह साइट दावा करती है कि कहानियां पाठकों की खुद की लिखी होती हैं. इसी में हमबिस्तरी वाले वीडियो भी भरे पड़े हैं. आज से तकरीबन 15 साल पहले तक सिनेमाघर वाले पहले शो में दक्षिण भारत की फिल्में दिखाते थे, तो उन में 15-20 मिनट का एक टुकड़ा ब्लू फिल्म का भी जोड़ देते थे, जिस पर खूब हल्ला मचता था. अकसर आबकारी महकमा छापा मार कर दर्शकों की नाक में दम कर देता था और सिनेमा मालिक को ऐसी फिल्में चलाने पर भारीभरकम घूस देनी पड़ती थी.

अब तो ‘सविता भाभी डौट कौम’ जैसी दर्जनों साइटें ये नजारे आसानी से दिखा रही हैं, वह भी सिर्फ 250 रुपए महीने में. गांवदेहातों में इन साइटों की मांग तेजी से बढ़ रही है. यहां के लोग मनपसंद गोरी देशीविदेशी कालगर्ल को देख कर सैक्स की अपनी जिस्मानी भूख मिटा रहे हैं. मिल, तेलुगु, मराठी, गुजराती, कन्नड़ वगैरह भाषाओं में भी ऐसी फिल्मों की डबिंग की जाती है.

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कालगर्ल के चक्कर में गांव के नौजवान

एक किस्सा हमें यह सबक देने वाला है कि गांवदेहात के पिछड़े तबके के नौजवान कैसे अपने सीधेपन के चलते शहरी कालगर्ल के चक्कर में फंस कर लुटपिट कर खिसियाए से वापस गांव आ जाते हैं और फिर डर और शर्म के मारे किसी से कुछ कह भी नहीं पाते हैं.

इस मामले में भी यही होता, अगर घर वालों ने पैसों का हिसाब नहीं मांगा होता. जब कोई बहाना या जवाब नहीं सूझा तो इन तीनों ने सच उगल देने में ही भलाई समझी, जिस से न केवल इन्हें लूटने वाली कालगर्ल पकड़ी गई, बल्कि उस के साथी लुटेरे भी धर लिए गए.

बात नए साल की पहली तारीख की है, जब पूरी दुनिया ‘हैप्पी न्यू ईयर’ के जश्न और मस्ती में डूबी थी. दोपहर के वक्त कुछ बूढ़ों ने भोपाल के अयोध्या नगर थाने आ कर अपने बेटों के लुट जाने की रिपोर्ट लिखाई.

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दरअसल हुआ यों था कि 3 दिन पहले ही भोपाल के नजदीक सीहोर जिले के गांव श्यामपुर का विष्णु मीणा भोपाल में अपनी कार का टायर बदलवाने आया था. वक्त काटने और कुछ मौजमस्ती की गरज से वह अपने साथ 2 दोस्तों हेम सिंह और उमेश दांगी को भी ले आया था.

साल के आखिर के दिनों में उन तीनों नौजवानों पर भी मौजमस्ती करने का बुखार चढ़ा था. कार के टायर बदलवाने के लिए उन्होंने शोरूम पर कार खड़ी कर दी. उस वक्त विष्णु मीणा की जेब में तकरीबन 80 हजार रुपए नकद रखे थे.

टायर बदलवाने में 2-4 घंटे लगते, इसलिए उन्होंने तय किया कि तब तक आशमा नाम की कालगर्ल के साथ मौजमस्ती करते हैं, जिस में तकरीबन 3-4 हजार रुपए का खर्च आएगा, जो उन लोगों के लिए कोई बड़ी रकम नहीं थी.

विष्णु मीणा और उस के दोनों दोस्तों की गिनती भले ही पिछड़े तबके में होती हो, लेकिन इस तबके के ज्यादातर  लोग पैसे वाले हैं. इन लोगों के पास खेतीकिसानी की खूब जमीनें हैं और ये मेहनत भी खूब करते हैं.

उन्होंने आशमा को फोन किया, तो वह झट से राजी हो गई और अपनी फीस के बाबत भी उस ने ज्यादा नखरे नहीं दिखाए. दिक्कत जगह की थी तो वह भी आशमा ने ही दूर कर दी. मोबाइल फोन पर ही उस ने उन्हें बताया कि वे देवलोक अस्पताल के नजदीक के एक फ्लैट में आ जाएं.

आशमा की हां सुनते ही कड़कड़ाती ठंड में उन नौजवानों के जिस्म गरमा उठे. गदराए बदन की खूबसूरत 22 साला आशमा उन के लिए नई नहीं थी, इसलिए वे बेफिक्र थे कि जब तक शोरूम पर कार के टायर बदलते हैं, तब तक वे आशमा को ड्राइव कर आते हैं.

आशमा का बताया फ्लैट ज्यादा दूर नहीं था. वहां पहुंचते ही उन तीनों ने सुकून की सांस ली, क्योंकि फ्लैट में आशमा अकेली थी और आसपास के लोगों को उन के वहां जाने का कुछ नहीं पता चला था.

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उन तीनों का यह सोचना सही निकला कि शहरों में गांवों की तरह कोई अड़ोसपड़ोस में ताकझांक नहीं करता कि कौन किस के यहां क्यों आ रहा है. जैसे ही वे फ्लैट के अंदर पहुंचे, तो आशमा ने जानलेवा मुसकराहट के साथ सैक्सी अदा से दरवाजा अंदर से बंद कर लिया.

आशमा का बस इतना करना काफी था और वे तीनों अपनेअपने तीरके से आशमा को टटोलने लगे.

बात पूरी हो पाती, इस के पहले ही आशमा बोली, ‘‘पहले चाय पी कर तो गरम हो लो. शराब तो तुम लोग पीते नहीं, फिर इतमीनान से गरम और ठंडे होते रहना,’’ इतना कह कर वह चाय बनाने रसोईघर में चली गई. वे तीनों बेचैनी से उस के आने का इंतजार करने लगे.

आशमा रसोईघर से बाहर आती, उस के पहले ही फ्लैट में बिलकुल फिल्मी अंदाज में 3 लोग दाखिल हुए और खुद को सीआईडी पुलिस बताया तो उन तीनों के होश उड़ गए. पुलिस वाले काफी दबंग और रोबीले थे और उन के पास वायरलैस सैट भी था.

एक पुलिस वाले ने कट्टा निकाल कर उन तीनों को हैंड्सअप करवा दिया, तो वे थरथर कांपने लगे. आशमा भी बेबस खड़ी रही.

कुछ देर बाद बात या सौदेबाजी शुरू हुई कि साहब कुछ लेदे कर छोड़ दो तो पुलिस वालों के तेवर कुछ ढीले पड़े, लेकिन उन्होंने उन तीनों की जेबें ढीली करवा लीं. विष्णु मीणा की जेब में रखे नकद 80 हजार रुपए भी उन्हें कम लगे तो उन्होंने 3 हजार रुपए औनलाइन भी योगेंद्र विश्वकर्मा नाम के पुलिस वाले के खाते में ट्रांसफर कराए.

घर लौटे बुद्धू

एकाएक ही टपक पड़े पुलिस वालों के चले जाने के बाद उन तीनों ने राहत की सांस ली और जातेजाते आशमा के भरेपूरे बदन को आह भर कर देखा, जिसे वे सिर्फ टटोल पाए थे, पर लुत्फ नहीं उठा पाए थे.

रास्ते में उन तीनों ने तय किया कि अब गांव जा कर अगर वे सच बताएंगे, तो बदनामी तो होगी ही. साथ ही, ठुकाईपिटाई होगी सो अलग, इसलिए बेहतरी इसी में है कि बात दबा कर रखी जाए.

लेकिन ऐसा हो नहीं पाया, क्योंकि जैसे ही विष्णु मीणा के पिता ने पैसों का हिसाब मांगा तो वह हड़बड़ा गया और सच उगल दिया.

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पिता बखूबी समझ गए कि वे तीनों कार्लगर्ल आशमा की साजिश का शिकार हो गए हैं. लिहाजा, उन्होंने भोपाल आ कर थाना इंचार्ज महेंद्र सिंह को सारी बात बता कर इंसाफ की गुहार लगाई.

पुलिस वाले भी समझ गए कि एक बार फिर देहाती लड़के योगेंद्र विश्वकर्मा और आशमा के गिरोह का शिकार हो गए, जो पहले भी एक बार इसी तरह ठगी के मामले में पकड़ा जा चुका है.

उन तीनों के पास सिर्फ आशमा का मोबाइल नंबर था, जिसे ट्रेस कर पुलिस वालों ने पहले आशमा और फिर उस के तीनों साथियों को गिरफ्तार कर सच उगलवा लिया.

एहतियात जरूरी है

भोपाल के नजदीक बैरसिया के एक गांव के 70 साला लल्लन सिंह कुशवाहा (बदला हुआ नाम) कहते हैं कि अब से तकरीबन 30-40 साल पहले वे भी भोपाल के कोठों पर जाया करते थे, जो पुराने भोपाल और लक्ष्मी सिनेमाघर के आसपास हुआ करते थे. शाम ढलते ही इन कोठों पर मुजरा होता था, जिसे देखने के 20 रुपए लगते थे.

लेकिन जिन्हें रात काटनी होती थी उन्हें 300-400 रुपए देने पड़ते थे, वह भी इन के दलालों की मारफत तब ऐसी ठगी कभीकभार होती थी. दलाल पैसा ले कर छूमंतर हो जाते थे या फिर तवायफ ही जेब का सारा पैसा झटक लेती थी, क्योंकि इन बदनाम इलाकों की पुलिस वालों से मिलीभगत होती थी, इसलिए वह वहां दखल नहीं देती थी.

लल्लन सिंह एक दिलचस्प खुलासा यह भी करते हैं कि तब भी तवायफों के पास जाने वालों में हम पिछड़ों की तादाद ज्यादा हुआ करती थी. दबंग तो अपनी हवेलियों में ही मुजरा करवा लिया करते थे और रात भी रंगीन करते थे. मुसीबत हम पिछड़ों की थी, जिन्हें अपने घरों से महफिल सजाने की इजाजत नहीं थी. यह हक दबंगों को ही था. कोई और महफिल सजाता था, तो इन की शान और रसूख पर बट्टा लगता था, इसलिए ये लोग अकसर मारपीट और हिंसा पर उतर आते थे.

अब पिछड़े नौजवान नई गलती करते हैं, जो विष्णु मीणा, हेम सिंह और उमेश दांगी ने की कि कालगर्ल पर आंखें मूंद कर भरोसा किया. किसी भी अनहोनी से बचना जरूरी है. ऐसी अनहोनी से बचने के लिए जरूरी है कि इस तरह के एहतियात बरते जाएं:

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* कालगर्ल के पास जाते वक्त ज्यादा नकदी साथ न रखें.

* कालगर्ल पर आंख बंद कर के भरोसा न करें.

* अगर एक से ज्यादा लड़के हों, तो एक लड़का बाहर पहरा दे और कोई गड़बड़झाला दिखे, तो तुरंत साथी को मोबाइल पर खबर करे.

* कालगर्ल के साथ मौजमस्ती के दौरान पुलिस वाले या पुलिस वालों की वरदी में कोई धड़धड़ाता आ जाए तो डरें नहीं, बल्कि उस से सवालजवाब करें और गिरफ्तारी की धौंस से भी न डरें.

* जिस जगह जाना तय हुआ है, उस का एकाध चक्कर पहले से लगा कर मुआयना कर लें.

* मौजमस्ती के दौरान कालगर्ल का मोबाइल बंद करा लें, जिस से वह वीडियो रेकौर्डिंग कर बाद में ब्लैकमेल न कर पाए.

* कमरे की भी तलाशी लें कि कहीं छिपा हुआ कैमरा न लगा हो.

* कालगर्ल ज्यादा जोर दे कर खानेपीने को कहे तो मना कर दें.

* शराब का नशा कर कालगर्ल के पास न जाएं.

* कालगर्ल से मोलभाव करें और पैसा कम होने का रोना रोएं.

* कालगर्ल की बताई जगह के बजाय खुद की जगह पर उसे बुलाएं. जगह का इंतजाम पहले से करें.

* इस के बाद भी ऐसी कोई वारदात हो जाए, जो इन तीनों नौजवानों के साथ हुई तो थाने जाने से हिचकिचाएं नहीं. बदनामी तो हर हाल में होगी या फिर लंबा चूना लगेगा, इसलिए बदनामी से न डरें.

* अगर लुटपिट जाएं और थाने जाने की हिम्मत न पड़े तो दोस्तों और घर वालों की मदद लें. डांटफटकार तो पड़ेगी, लेकिन पैसे वापस मिलने की उम्मीद रहेगी.

वैसे, पहली कोशिश शहरी कालगर्ल से बचने की होनी चाहिए. शहरों में अब इन का कोई भरोसा नहीं रह गया है. ये गिरोह बना कर गांवदेहात के लड़कों का सीधापन देख कर तरहतरह से उन की जेबें ढीली कराने से गुरेज नहीं करतीं, इसलिए इन से परहेज ही करना चाहिए.

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