crime story in hindi

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संजय ने भट्ठे पर काम करने की योजना महेश के सामने रखी तो वह तुरंत ही तैयार हो गया. संजय महेश को ले कर सीधा पाकबड़ा के भट्ठे पर पहुंचा. वह उसी भट्ठे पर काम करता था. महेश ने वहां पर काम करना शुरू किया तो वहां पर उसे अच्छी आमदनी होने लगी. भट्ठे का काम भी पंसद आ गया था.
संजय भट्ठे पर बने एक कच्चे कमरे में ही रहता था. भट्ठा मालिक ने पहले ही मजदूरों के लिए कई कमरे बना रखे थे. महेश को काम पसंद आते ही संजय ने उसे अपने बगल वाला कमरा दिला दिया था.
भट्ठे पर काम करने में महेश का मन लग गया था. आमदनी भी अच्छी थी. लेकिन सारा दिन काम करने के बाद जब उसे शाम को खाना बनाना पड़ता था, उस से वह तंग आ गया था. इसी परेशानी को देखते हुए महेश ने सरस्वती को लाने का प्लान बनाया और एक दिन जा कर उसे साथ बुला लाया.
सरस्वती के वहां आते ही संजय की बांछें खिल गईं. उस की मन की सारी मुरादें पूरी हो गई थीं. महेश को भट्ठे पर लाने का उस का जो प्लान था, वह पूरा हो गया था.
सरस्वती भट्ठे पर आ कर अपने परिवार के साथसाथ संजय के लिए भी खाना बनाने लगी थी. खाना बनाने के साथसाथ वह महेश के काम में भी हाथ बंटा देती थी, जिस के कारण संजय का सारा दिन हंसीखुशी से गुजरता था. भले ही महेश को सारा दिन काम करने के बाद थकान हो जाती थी, लेकिन सरस्वती के सामने होते संजय की एनर्जी भी बढ़ जाती थी.
एक दिन महेश को किसी काम से अपने गांव जोगीपुर जाना पड़ा. वह सरस्वती और बच्चों को भट्ठे पर ही छोड़ गया था. उस दिन संजय को बहुत ही खुशी हुई थी. सारा दिन उस ने काम किया, लेकिन दिन कब निकला और कब छिप गया, उसे पता ही नहीं चला.
शाम हुई तो सरस्वती के अकेला होने की खुशी में उस के दिल में हलचल बढ़ती ही जा रही थी. शाम होने से पहले ही सरस्वती ने खाना भी बना लिया था. उस के बाद उस ने जल्दी ही बच्चों को खाना खिला कर सुला दिया था. बच्चों के सोते ही सरस्वती और संजय ने एक साथ खाना खाया.
सामने सरस्वती को अकेला देख कर संजय के सब्र का बांध टूटने को आतुर था. उस के चेहरे की आभा उस के दिलोदिमाग पर इस कदर हावी थी कि उस का मन बारबार कह रहा कि वह खानापीना छोड़ कर पहले उस के अधरों का रसपान करे.
सरस्वती को अकेला देखते ही उस की भूख उड़ गई थी. फिर उस ने जल्दीजल्दी थोड़ा खाना खाया. फिर बोला, ‘‘भाभी, आज मुझे भूख नहीं लग रही. मैं सोने जा रहा हूं. आज महेश तो है नहीं, इसलिए बच्चों को सावधानी के साथ ही सुलाना. अगर फिर भी कोई परेशानी हो तो मुझे उठा लेना.’’
‘‘ठीक है देवरजी, वैसे जब आप पास में हो तो मुझे क्या परेशानी होने वाली है.’’ सरस्वती ने जबाव दिया.
इस के बाद संजय अपने कमरे में
चला गया.
संजय के जाते ही सरस्वती ने फटाफट अपना काम निपटाया. उस के बाद वह बच्चों के पास गई. दोनों बच्चे गहरी नींद में सोए पड़े थे. बच्चों को सोता देख उस ने गहरी सांस ली. फिर उस के मन में भी उथलपुथल मचने लगी थी.
उस दिन जितनी कामुकता की आग संजय के शरीर में लगी थी, उस से कई गुना तपिश सरस्वती के शरीर में पैदा हो गई थी. बच्चों को सोता छोड़ कर वह दबे पांव महेश के कमरे में पहुंची.
महेश के कमरे पर लगा टेंपरेरी दरवाजा खुला हुआ था. सरस्वती को संजय से यही उम्मीद थी. किवाड़ की आहट सुन कर संजय सोने का नाटक करते हुए खर्राटे भरने लगा. उस के बाद सरस्वती उस की पीठ के पीछे ही लेट गई. जैसे ही सरस्वती ने संजय के शरीर का स्पर्श किया, उस के शरीर के तार झनझना उठे. उस ने पल भर में ही पलटी मारी और सरस्वती को बांहों में भर लिया.
संजय अभी कुंवारा ही था. पहली बार सरस्वती को आलिंगन किया तो उस की काम वासना उस पर बुरी तरह से हावी हो गई. उसी दिन पहली बार संजय किसी औरत के संपर्क में आया था. वहीं सरस्वती भी काफी समय से इसी दिन का इंतजार कर रही थी.
उस रात संजय ने खुल कर सरस्वती के साथ मौजमस्ती की. साथ ही उस के शरीर के अंगअंग को अपने मोबाइल में कैद कर लिया था. उस वक्त सरस्वती ने भी अपने शरीर का वीडियो बनाने का विरोध नहीं किया था. संजय के साथ अपनी रात गुजारने के बाद उसे पहली बार अहसास हुआ कि वाकई महेश उस के लायक नहीं रहा.
सरस्वती ने एक बार संजय के सामने समर्पण किया तो वह हर रोज उस की आदी हो गई थी. उस के 2 दिन बाद महेश गांव से वापस आया तो सरस्वती को ज्यादा खुशी नहीं हुई.
उस दिन दोनों के बीच अवैध संबंध बनते ही प्यार भी बढ़ गया था. संजय के सामने महेश का प्यार उसे फीका महसूस होने लगा था. उस वक्त सरस्वती भले ही 2 बच्चों की मां बन चुकी थी, लेकिन उस की देह पहले के मुकाबले और भी ज्यादा खिल उठी थी. यही कारण था कि संजय उसे अपनी बीवी के रूप में देखने लगा था.
उस के बाद वह जो भी कमाई करता अधिकांश सरस्वती पर ही लुटाने लगा था. दोनों के बीच अवैध संबंधों का सिलसिला काफी समय तक चलता रहा.
संजय ने कई बार सरस्वती के सामने बात रखते हुए कहा, ‘‘हम दोनों इस तरह से कब तक छिपछिप कर मिलते रहेंगे. क्यों न हम यहां से भाग कर शादी
कर लें.’’
पहली बार तो सरस्वती ने उस से साफ कह दिया,‘‘महेश को छोड़ कर मैं तुम से शादी नहीं कर सकती. अगर तुम्हें मेरे साथ यूं ही दोस्ती निभानी है तो ठीक है, वरना तुम अपना दूसरा रास्ता देख लो.’’
2 बच्चों की मां होने के बाद भी सरस्वती पति महेश के दोस्त संजय से अवैध संबंध बना कर जिंदगी के मजे ले रही थी. इसी दौरान संजय ने मोबाइल फोन से अंतरंग क्षणों की वीडियो भी बना ली. यही वीडियो बाद में ऐसा जलजला बनी कि…
2अगस्त, 2022 की रात के कोई डेढ़ बजे का वक्त रहा होगा. गांव के सभी लोग गहरी नींद में सोए हुए थे.
सरस्वती अपने घर के आंगन में अकेली ही सो रही थी. उसे अकेला सोता देख एक व्यक्ति घर में घुस आया और उस पर चाकू से हमला बोल दिया.
सरस्वती की चीखपुकार सुन कर घर के अंदर सो रहे उस के भाईबहन जाग गए. उन्होंने बाहर आ कर देखा तो वहां पर एक व्यक्ति सरस्वती पर चाकू से वार कर रहा था.
यह सब देखते ही घर में चीखपुकार मच गई. फिर भी उस के भाईबहनों ने हिम्मत जुटा कर चारों ओर से घेराबंदी करते हुए युवक को दबोच लिया. तब तक गांव के लोग भी वहां पर इकट्ठा हो गए थे. उस युवक का नाम संजय था, जो पास के गांव शादीनगर हजीरा का रहने वाला था और सरस्वती के पति महेश के साथ ही काम करता था.
घर वालों ने सरस्वती की हालत देखी तो उन का गुस्सा फूट पड़ा. उन्होंने आरोपी संजय की खूब पिटाई की, जिस के कारण वह भी गंभीर रूप से घायल हो गया.
उसी समय मिलक थाने में फोन कर के घटना की जानकारी दे दी गई. वारदात की सूचना पा कर तुरंत ही थानाप्रभारी सत्येंद्र कुमार सिंह पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए.
पुलिस ने सरस्वती और हमलावर दोनों की हालत बिगड़ती देख उन्हें मिलक के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र इलाज के लिए भेज दिया, जहां पर डाक्टरों ने चैकअप करने के बाद दोनों की नाजुक हालत देख जिला अस्पताल, रामपुर के लिए रेफर कर दिया था.
रास्ते में ही सरस्वती की हालत बिगड़ती जा रही थी और अस्पताल पहुंचने से पहले ही उस की मौत हो गई. जिला अस्पताल में सरस्वती को देखते ही डाक्टरों ने मृत घोषित कर दिया था. जबकि आरोपी व्यक्ति को इलाज के लिए भरती कर लिया था. इस घटना की सूचना मिलते ही रामपुर के एडिशनल एसपी डा. संसार सिंह व सीओ धर्म सिंह मर्छाल भी घटनास्थल पर पहुंच गए.
मौकामुआयना करने के बाद वह जिला अस्पताल पहुंच गए. उन्होंने मृतका के घर वालों से इस बारे में जानकारी ली.
संजय ने सरस्वती की हत्या क्यों की? यह तो केवल संजय जानता था या फिर मृतका सरस्वती. जबकि आरोपी संजय की उस समय नाजुक हालत बनी हुई थी. पुलिस इस केस की हकीकत जानने के लिए संजय के सही होने का इंतजार करने लगी थी.
5 अगस्त, 2022 को संजय की हालत में कुछ सुधार हुआ तो पुलिस उसे पूछताछ के लिए मिलक थाने ले आई थी. थाने लाने के बाद पुलिस ने उस से पूछताछ की तो उस ने जो जानकारी पुलिस को दी. उस से एक जुनूनी प्रेम कहानी उभर कर सामने आई.
उत्तर प्रदेश के जिला रामपुर के थाना मिलक अंतर्गत एक गांव है खाता चिंतामन. इसी गांव में रहता था नत्थूलाल का परिवार. नत्थूलाल के परिवार की आजीविका का साधन मात्र मेहनतमजदूरी करना था. उस के परिवार में उस की बीवी और बच्चों को मिला कर कुल 8 सदस्य थे, जिन में 3 बेटे और 3 ही बेटियां थीं.
नत्थूलाल ने अपने बच्चों के जवान होते ही 2 बेटों सोनू और शीशपाल की पहले ही शादी कर दी थी. शीशपाल की शादी के बाद सरस्वती का ही नंबर था. सरस्वती ने जैसे ही जवानी की दहलीज पर कदम रखा, नत्थूलाल को उस की शादी की चिंता भी सताने लगी थी.
सरस्वती देखनेभालने में सुंदर थी. जैसेजैसे जवानी उस पर हावी होती गई, उस के रंगरूप में निखार बढ़ता ही जा रहा था. जिस के कारण उस के गांव के कई लड़कों की उस पर ललचाई नजर जमी रहती थी. नत्थूलाल अपने गांव का माहौल ठीक से जानता था, इसलिए गांव के हालात देखते हुए ही उस ने समय से पहले अपनी बेटी की शादी करने की ठानी और उस के योग्य वर की तलाश भी शुरू कर दी.
उसी दौरान एक दिन उस की मुलाकात बाजपुर थाने के जोगीपुर निवासी कपिल से हुई. बातों ही बातों में शादी की बात चली तो कपिल ने उस की बेटी सरस्वती के लिए एक लड़का बताया. वह लड़का उस के गांव के ही रहने वाले रमेशलाल का बेटा महेश था.
कपिल ने उस के परिवार की तारीफ करते हुए बताया कि उन की बेटी उस परिवार में जा कर खुश रहेगी. रमेशलाल कपिल के पड़ोसी थे और वह उस के परिवार के बारे में ठीक से जानते थे. हालांकि रमेशलाल के पास अपनी जुतासे की जमीन नहीं थी. लेकिन उन का
परिवार मेहनतमजदूरी करने के बाद भी खुशहाल था.
शादी की बात चलते ही नत्थूलाल ने कपिल के गांव जा कर महेश पर नजर डाली. नजर डालते ही उन्होंने महेश को सरस्वती के लिए चुन लिया. फिर शादी की बात पक्की होते ही दोनों परिवार वालों ने शादी की तैयारियां भी शुरू कर दी थीं.
शादी का दिन रखा गया 9 मार्च, 2015. दोनों तरफ से शादी की तैयारियां पूरी होते ही विधिविधान से उन की शादी भी हो गई. महेश के साथ सात फेरे ले कर सरस्वती दुलहन बन कर उस के घर चली आई थी.
सरस्वती के साथ शादी करने के बाद महेश तो खुश था ही, साथ ही उस के घर वाले भी उस की तारीफ करते नहीं थकते थे. सरस्वती जितना ध्यान महेश का रखती थी, उस से कहीं ज्यादा उस के परिवार का भी रखती थी. इसी वजह से वह जल्दी ही अपने ससुराल वालों की चहेती बन गई थी.
महेश भले ही मजदूरी करता था, लेकिन कभी भी सरस्वती के खर्च में उस ने कमी नहीं आने दी थी. वह उस के हर शौक पूरे करता था. सरस्वती को अच्छा पहननेओढ़ने का बड़ा शौक था, जिस का महेश हमेशा ध्यान रखता था.
समय के साथ सरस्वती 2 बेटों की मां बन गई थी. जिस से उस के परिवार में और भी खुशहाली आ गई थी. उसी समय महेश में एक बुरी लत लग गई. उसे शराब पीने का चस्का लग गया.
इस के बाद वह अपनी कमाई का आधे से ज्यादा हिस्सा शराब पीने में खर्च करने लगा था, जिस के कारण उस
के घर की आर्थिक स्थिति गड़बड़ाने
लगी थी.
उस की बुरी लत को देखते हुए उस के मातापिता ने उसे समझाने की कोशिश की. लेकिन महेश को उन की नसीहत काट खाने को दौड़ने लगी थी. उस की हरकतों से आजिज आ कर आखिर उस के परिवार वालों ने उसे अलग कर दिया. परिवार वालों से अलग हो कर वह एक कमरे में ही रहने लगा. उस का खानापीना भी अलग ही बनने लगा था.
महेश के घर में सब कुछ सामान्य चल रहा था. लेकिन उस की थोड़ी सी गलती के कारण सरस्वती को परिवार वालों ने अलग कर दिया था. उस की उसी कमी के कारण पतिपत्नी में अनबन रहने लगी थी.
कपिल ने ही सरस्वती की शादी कराई थी. इसलिए उस ने कई बार कपिल से महेश की शिकायत की. लेकिन वह उस की बात भी मानने को तैयार न था.
उसी दौरान एक दिन थाना मिलकखानम क्षेत्र के शादीपुर हजीरा निवासी कपिल का साला संजय आया हुआ था. उस समय सरस्वती भी कपिल के घर गई हुई थी. उसी दौरान संजय को पता चला कि वह उसी के थाना क्षेत्र की रहने वाली है. यह बात संजय ने सरस्वती को बताई तो बह बहुत ही खुश हुई.
संजय अभी कुंवारा था. सरस्वती जब तक उस के पास रही, उसी के साथ बतियाती रही. उस के बाद जब वह जाने लगी तो संजय को बुला कर अपने घर ले गई. उस वक्त महेश घर से बाहर था. सरस्वती को अकेला पा कर संजय ने उस दिन महेश और सरस्वती के बीच चल रही सारी बातें खंगाल ली थीं. उस के बाद महेश ने उस का मोबाइल नंबर भी ले लिया था.
संजय जब तक कपिल के घर रहा, वह उस से मिलता रहा. लेकिन वहां से चले जाने के बाद भी वह अकसर उस से मोबाइल पर बात करता रहता था. सरस्वती देखने में सुंदर और बोलनेचालने में तेजतर्रार थी. संजय ने पहली मुलाकात में ही उसे अपने दिल में जगह दे दी थी.
संजय भी महेश की तरह ही मजदूर था. लेकिन अंतर इतना था कि महेश अनपढ़ सीधासादा और दारूबाज था. उस की बीवी हर वक्त बनठन कर रहती थी. लेकिन कभी भी उस ने उस के हुस्न की तारीफ नहीं की थी.
हालांकि शादी से 2 बच्चे होने तक वह उस के साथ खुश थी. लेकिन जब से उस की मुलाकात संजय से हुई थी, तब से महेश के प्रति उस के दिल में कुछ तीखापन आ गया था. उसे बाहर की हवा लगी तो उस का मन संजय के साथ हवाई उड़ान भरने लगा था.
संजय मुरादाबाद के पास कस्बा पाकबड़ा में ईंटभट्ठे पर काम करता था. वहां पर उसे अच्छी मजदूरी मिल जाती थी. लेकिन सरस्वती से मिलने के बाद उस का मन भी वहां से उचट गया था. फिर वह कुछ दिन काम करने के बाद सीधा अमरोहा जिले में स्थित जोगीपुरा गांव में अपनी बहन संतोष देवी के पास चला जाता था.
जोगीपुरा जाने के बाद वह अपनी बहन के घर कम सरस्वती के पास ज्यादा रहता था. उस का मन करता कि सरस्वती हर वक्त उस की आंखों के सामने ही रहे. संजय महेश की हर समय नशे में रहने वाली कमजोरी जान चुका था.
संजय ने उस की उसी कमी का लाभ उठाते हुए उस पर भी अपना विश्वास जमा लिया था. वह हर वक्त उस के साथ ही रहने लगा. धीरेधीरे दोनों के बीच पक्की दोस्ती हो गई. संजय अपनी मंजिल की ओर आसानी से जाने के लिए उसे शराब भी पिलाने लगा था.
महेश के साथ दोस्ती करने के बाद संजय ने एक योजना बनाई. उस ने सोचा कि किसी तरह से महेश उस के साथ ईंट भट्ठे पर काम करने के लिए तैयार हो जाए तो उसे सरस्वती को ले जाने में कोई परेशानी नहीं होगी.
crime story in hindi
‘‘उस का नाम बलवंत राय?है और वह भी अपने बाप की तरह राजनीति में कदम रखना चाहता है. उस ने अपनी छवि एक हिंदूवादी नेता के रूप में बनानी शुरू कर दी है, क्योंकि हमारे देश में लोग जातिवाद पर ही सब से ज्यादा आंदोलित होते हैं, इसलिए धर्म की राजनीति कर के वह अपने पिता की राह पर चलना चाहता है और फिलहाल उस ने कुछ गायों को खरीद कर अपने फार्महाउस पर रखवा दिया है, जिन का इस्तेमाल वह आने वाले समय में दंगे फैलाने में कर सकता है… मेरा मतलब समझ रही हैं न आप?’’
‘‘क्या तुम इसी समय मुझे बलवंत राय के बंगले पर ले जा सकते हो? हमें सुबूत इकट्ठे करने होंगे,’’ आफरीन ने कहा.
‘‘ले जा तो सकता हूं, पर जाने से पहले मैं अपने दिल की बात आप से कहना चाहता हूं,’’ अनुभव ने कहा.
‘‘कहिए,’’ आफरीन ने कहा.
‘‘दरअसल, आप जैसी इनसानियत से प्यार करने वाली लड़की मैं ने आज तक नहीं देखी. आप एक अनजान लड़की को इंसाफ दिलाने के लिए अपनी जान खतरे में डाल रही हो और आप का यह जज्बा देख कर मुझे बहुत अच्छा लगा है.
‘‘मैं ने हमेशा से अपने लिए आप जैसी लड़की ही चाही है और मैं आप से यह कहना चाहता हूं कि मुझे आप से प्यार है और मैं आप से शादी करना चाहता हूं,’’ एक ही सांस में कह गया था अनुभव.
अनुभव की बात सुन कर एक पल के लिए रुखसार के गाल लाल हो उठे, पर उस की जबान खामोश हो गई थी. उस के होंठों पर मुसकराहट दौड़ गई थी. आफरीन के होंठ खामोश थे, पर अनुभव को उस का जवाब मिल गया था.
वे दोनों बलवंत राय के फार्महाउस के बाहर थे. अंदर एक ओर घास का छोटा सा मैदान था, जहां पर कई गाय और बछड़े बंधे हुए थे.
आफरीन ने अपने मोबाइल से वीडियो बनाना शुरू किया और धीरेधीरे खिड़की के पास जा पहुंची. बलवंत राय अंदर दोस्तों के साथ बैठा हुआ शराब पी रहा था और उस के दोस्त उस की मक्खनबाजी करने में लगे थे.
‘‘देखना अगला इलैक्शन तो हमारे भैया ही जीतेंगे,’’ एक दोस्त बोला.
‘‘हां, तो राजनीति में है ही क्या… लोगों को धर्म के नाम पर, जाति के नाम पर एकदूसरे से लड़वाओ और राज करो… एक जाति की लड़की का रेप करो तो दूसरी जाति वाले को फंसाओ और दूसरे धर्म की लड़की का रेप करो तो किसी और धर्म के लोगों को फंसाओ.
‘‘अभी देखो न, जब मैं ने चलती कार में उस लड़की का रेप किया तो वह लगी चिल्लाने… मैं ने भी बस चाकू से उस की जीभ काट दी… न रहेगा बांस और न बजेगी बांसुरी…’’ बलवंत राय हंसते हुए बोला.
खिड़की के बाहर वीडियो शूट करते हुए आफरीन की आंखें हैरत से फैल गई थीं कि तभी किसी ने पीछे से आ कर उस को पकड़ लिया और उस का मोबाइल छीन लिया.
‘‘क्या रे चिकनी. क्या जासूसी कर रही थी? और तू हमारे टुकड़ों पर पालने वाला कुत्ता… तू अब हमें ही काटने की तैयारी कर रहा था,’’ बलवंत राय के सामने दोनों को ले जाने के बाद वह आगबबूला हो रहा था.
उस के एक आदमी ने उसे बताया कि आफरीन के मोबाइल में गाय और बछड़ों के वीडियो हैं और दोस्तों के साथ हो रही बातें भी रिकौर्ड हैं.
‘‘देखो छमिया. शक्ल से तो कश्मीरी लगती हो. अगर ये सब ले कर तुम पुलिस के पास चली भी जाओगी तो भी पुलिस हमारा कुछ नहीं बिगाड़ पाएगी. पर, आज हम तेरे इन गालों को काट कर देखेंगे कि इन में कितना रस है और फिर कल तुम पुलिस में चली जाना अपने साथ हुए रेप की खबर देने,’’ बलवंत राय ने आफरीन के गालों को सहलाते हुए कहा.
‘‘नहीं बलवंत राय, आफरीन मेरी होने वाली बीवी है. उसे कुछ मत करना, नहीं तो ठीक नहीं होगा,’’ अनुभव चीख पड़ा था.
‘‘ओह, तो लव का लफड़ा है,’’ इतना कह कर बलवंत राय ने अपनी शर्ट उतार फेंकी और आफरीन की ओर बढ़ा. उस की आंखों में हवस के कीड़े नाच रहे थे कि तभी उस के मोबाइल पर उस के विधायक पिताजी का फोन आ गया.
‘‘अरे, कुछ दिनों के लिए अपनी नीच हरकतों को बंद करो. वह जो लड़की की जबान काटने वाला केस है, वह मीडिया में पहुंच गया है और तुम्हारा नाम भी उछल रहा है. इस तरह तो मेरी कुरसी भी खतरे में पड़ जाएगी, इसलिए कुछ दिन के लिए शुद्ध भगवाधारी ब्रह्मचारी जैसी जिंदगी बिताओ, नहीं तो मैं बचा नहीं पाऊंगा तुम्हें,’’ और इतना कह कर फोन काट दिया.
बलवंत राय काफी कुछ समझ चुका था. वह बोला, ‘‘इन दोनों को बांध कर रखो. इन का इस्तेमाल हम कल होने वाली रैली में करेंगे.’’
अगले दिन ‘बिटिया बचाएंगे… देश जगाएंगे’ नाम की रैली थी. तमाम पुलिस बल इकट्ठा था. तमाम लोगों के ‘हिंदू हृदय सम्राट’ बलवंत राय जनता को संबोधित करने जा ही रहा था कि माइक पर एक महिला की तेज आवाज गूंज पड़ी, ‘‘पाकिस्तान जिंदाबाद, हिंदुस्तान मुर्दाबाद…’’
सब इधरउधर देखने लगे. भला इस रैली में ऐसा नारा कौन लगा सकता है?
एक आदमी आफरीन और अनुभव के मुंह पर टेप लगा कर स्टेज पर खींचता हुआ लाया, जिसे जनता की ओर दिखाते हुए वह आदमी बोला, ‘‘देखो साथियो, हम एकता की बात करते हैं और ये कश्मीरी लोग ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ करते हैं. इतना ही नहीं, ‘‘यह देखिए, इन के पास से गौमांस भी बरामद हुआ है,’’ यह कह कर उस आदमी ने एक बैग में गौमांस लोगों को दिखाया.
‘‘ओह तो ये लोग गाय काट कर पार्टी करते हैं. अब चलेगा इन पर प्रतिबंधित पशु काटने का केस और देशद्रोह का मुकदमा, तब अक्ल ठिकाने आ जाएगी,’’ बलवंत राय ने आफरीन को पुलिस की तरफ धकेल दिया.
अनुभव और आफरीन चिल्लाते रहे कि ये उन के खिलाफ एक साजिश है, पर भला सत्ता में बैठे विधायक के बेटे के खिलाफ उठती आवाजें कौन सुनता?
बेकुसूर को सजा दी गई. आफरीन को देशद्रोही मान कर जेल में डाल दिया गया.
और उस दिन के बाद से आफरीन और अनुभव कभी मिल नहीं सके… न जाने कितने अनुभव और आफरीन जेल में बंद होंगे…
आज आफरीन यह भी नहीं जानती कि अस्पताल में जंग लड़ती लड़की जिंदा भी है या नहीं. अलबत्ता, उसे हर पल यह जरूर जताया जाता है कि उस ने देश विरोधी नारे लगाए हैं और वह एक देशद्रोही है.
डाक्टरों ने उस लड़की की पूरी जांच करने के बाद जो बताया, उस ने आफरीन और उस नौजवान को अंदर तक हिला दिया था.
‘‘इस लड़की के साथ रेप किया गया और जब वह शोर मचाने लगी होगी तो उन दरिंदों ने न केवल उस की जीभ काट दी, बल्कि उस को इतना मारा कि उस की रीढ़ की हड्डी और पैर टूट गए. हमारे लिए इस लड़की को जिंदा रख पाना किसी चुनौती से कम नहीं है,’’ डाक्टर ने कहा.
रात के 3 बजे चुके थे. आफरीन अब भी अस्पताल में ही थी.
‘‘जी देखिए, अब मुझे जाना होगा और मैं आप की हिम्मत की तारीफ करता हूं, जो आप ने इस लड़की की मदद के लिए जुटाई… वैसे, मेरा यह कार्ड रख लीजिए. आप को किसी भी तरह की मदद की जरूरत पड़े, तो मुझ से बात कीजिएगा,’’ वह नौजवान बोला.
एक फीकी सी मुसकराहट से आफरीन ने उस नौजवान को शुक्रिया कहा.
आफरीन भी अस्पताल में ज्यादा देर न रुकी. लड़की के घर वाले कहां हैं? कौन हैं? यह जानने के लिए पीडि़ता का होश में आना जरूरी था, पर डाक्टरों के मुताबिक अभी उस के होश में आने में समय था.
आफरीन अगले दिन काम पर नहीं गई, मन जो उचाट था. दूसरे दिन ही अस्पताल जा पहुंची और पीडि़ता का हाल जाना. पीडि़ता की आंखों में आंसू थे, जो सिर्फ दर्द बयां कर रहे थे. वह बोल तो नहीं सकती थी, पर लिख तो सकती?है, यह खयाल आते ही आफरीन ने उसे अपना पैन और कौपी दी, जिस पर पीडि़ता ने बड़ी मुश्किल से एक मोबाइल नंबर लिखा और एक कार का नंबर.
मोबाइल नंबर उस लड़की के पिताजी का था, जिन्हें आफरीन ने सीधे अस्पताल आने को कहा और कार का नंबर उस गाड़ी का रहा होगा, जिन लोगों ने उस का रेप कर के उसे बीच रास्ते में फेंक दिया होगा.
इंटरनैट और तकनीक के दौर में कार के असली मालिक का पता लगाना कोई मुश्किल काम नहीं था. आफरीन ने गाड़ी के मालिक का पता लगाया तो उसे पता चला कि गाड़ी का मालिक और कोई नहीं, बल्कि सत्तारूढ़ पार्टी के विधायक का बेटा है.
‘‘नाम इतना बड़ा और काम इतना नीच…’’ तिलमिला उठी थी आफरीन, ‘‘पर, ऐसे भेडि़यों को सजा दिला कर रहूंगी मैं.’’
‘‘पर, तू क्या सजा दिलाएगी उन लोगों को जिन्होंने एक लड़की पर बिलकुल भी दया नहीं दिखाई और उलटा उस की जीभ ही काट ली और फिर मत भूल कि तू इस बड़े और अजनबी शहर में अकेली रह रही है और यहां कोई भी नहीं है जो तेरा साथ दे, तेरे पास सुबूत भी क्या?है उस विधायक के बेटे के खिलाफ?’’ अपनेआप से ही सवाल किया था आफरीन ने.
आफरीन ने अपने हैंडबैग में हाथ डाला तो उस नौजवान का कार्ड हाथ में आ गया, जिस ने आफरीन की मदद की थी. उस का नाम अनुभव शर्मा था और वह उसी विधायक का सचिव था, जिस के बेटे ने रेप किया था.
‘‘तो मुझे सुबूत के लिए अनुभव से मिलना होगा,’’ ऐसा सोच कर आफरीन दिए गए पते पर चली गई और अनुभव से मुलाकात कर उस से मदद मांगी.
‘‘जी बिलकुल. मैं आप की पूरी तरह से मदद करूंगा, पर भला क्या मदद चाहिए आप को?’’
‘‘दरअसल, उस दिन आप ने इस लड़की को अस्पताल पहुंचाने में मेरी मदद की थी. मैं ने उस लड़की से जबरदस्ती करने वाले का पता लगा लिया है और मैं उन लोगों को सजा दिलाना चाहती हूं,’’ आफरीन ने कहा.
‘‘जी, ऐसे लोगों को सजा जरूर मिलनी चाहिए, पर वह कमीना है कौन और कहां रहता है?’’ अनुभव ने पूछा, तो बदले में आफरीन ने उस गाड़ी का नंबर आगे कर दिया, जिसे देख कर अनुभव को समझते देर नहीं लगी कि आफरीन क्या कहना चाह रही है.
‘‘पर आफरीनजी, मैं इन लोगों के लिए काम करता हूं और बदले में ये लोग मुझे पैसे देते हैं. भला मैं इन से गद्दारी कैसे कर सकता हूं?’’
अनुभव की बातें सुन कर आफरीन को धक्का सा लगा था. वह कुछ बोल तो न सकी, पर उस की कश्मीरी आंखों में झील सी लहरा आई थी.
‘‘आप मेरी मजबूरी को समझिए आफरीनजी,’’ अनुभव ने कहा.
‘‘जी हां, आप मर्दों की मजबूरी मैं खूब समझती हूं और आप भला क्यों मजबूर होंगे. वह लड़की आप की रिश्ते में कुछ भी तो नहीं लगती थी, पर भला तब भी आप अपनी मजबूरी इसी तरह तब जाहिर करते जब वह पीडि़ता आप की बहन या बेटी होती?’’ आफरीन गुस्से से बोली और वहां से उठ कर चली गई और अनुभव उसे देखता रह गया.
रेप की उस पीडि़ता के परिवार वालों का बुरा हाल था. खुद पीडि़ता जिंदगी और मौत की जंग लड़ रही थी. पुलिस सुबूतों की कमी में खामोश थी और आफरीन के अंदर अब भी बेचैनी थी.
रात के 9 बजे अनुभव ने आफरीन को फोन कर के उस से मिलने की इच्छा जाहिर की, तो आफरीन ने बेहिचक हो कर उसे अपने फ्लैट पर बुला लिया.
‘‘आफरीन जी देखिए, उस दिन आप की बातों ने मेरे जमीर पर गहरी चोट पहुंचाई थी, पर उस दिन मैं अपनी ड्यूटी पर था और चाह कर भी आप की मदद नहीं कर सकता था. पर आज मैं उस विधायक की नौकरी को लात मार आया हूं और आप के मिशन में आप के साथ हूं. बताइए, मुझे क्या करना होगा?’’
‘‘मुझे आप सिर्फ उस विधायक के बेटे के बारे में कुछ जानकारी दीजिए, मसलन, वे लोग क्या करते हैं? कैसे आदमी हैं? वगैरह…’’
‘‘वे लोग अपनी राजनीति के लिए कुछ भी कर सकते हैं. रेप और खून करना उन के लिए आम बात है और मैं तो आप से यही कहूंगा कि उन लोगों से अपना ध्यान हटा कर आप अपना काम करें तो बेहतर होगा,’’ अनुभव ने आगे बोलना शुरू किया.
‘‘राजनीति का एक रूप यह भी हो सकता है… और वे लोग इस हद तक भी जा सकते हैं… मैं ने कभी नहीं सोचा था,’’ जेल की एक सीलन भरी कोठरी में पड़ी हुई एक लड़की बुदबुदा उठी थी.
वह लड़की, जिस का नाम आफरीन था, को देख कर कोई भी कह सकता था कि उस के चेहरे का उजलापन चांद को भी मात करता होगा, पर अब इस उजलेपन पर अमावस की छाया पड़ गई थी और उस का चेहरा बुझ सा गया था, उस की आंखों को काले गड्ढों ने आ कर दबोच लिया था.
आफरीन के शरीर में जवानी के जितने भी प्रतीक थे, वे सारे अब उस की बदहाली बतलाते थे और भला ऐसा होता भी क्यों न. बेचारी आफरीन पर देशद्रोह का आरोप जो लगा था. जी हां, देशद्रोह का.
अपने देश भारत के दुश्मन पाकिस्तान को ‘जिंदाबाद’ कहने का आरोप लगा था आफरीन पर.
पर आफरीन ही क्यों? भला कोई भी सच्चा भारतीय ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे क्यों लगाएगा?
आफरीन का जन्म कश्मीर में हुआ था. उस के अब्बू का सूखे मेवों का कारोबार था. आफरीन की नानी पाकिस्तान के लाहौर से थीं, जो बंटवारे के बाद भारत में आ गई थीं और तब से यहीं रह रही थीं.
आफरीन का बचपन लाहौर और पाकिस्तान की बातें और कहानियां सुन कर बीता था. नानी को जब भी समय मिलता, वे अपने लाहौर की मीठी यादों में खो जातीं. आफरीन को लाहौर की हर एक छोटीछोटी बातें बतातीं और अपनी यादें बांटतीं. बचपन में आफरीन को नानी की बातों से कभी यह अहसास नहीं हुआ कि पाकिस्तान एक दुश्मन देश है.
‘अगर नानी का पाकिस्तान इतना ही अच्छा है तो इन दोनों देशों में हमेशा ही जंग क्यों जारी रहती है? क्यों दोनों ही तरफ के लोग मारे जाते हैं? कितना अच्छा हुआ होता कि पाकिस्तान का जन्म ही नहीं हुआ होता, फिर तो दोनों तरफ इतनी नफरत ही न होती,’ आफरीन ऐसी बातें अकसर सोचती थी, पर भला सियासत करने वालों को इन सब जोड़ने वाली बातों से क्या सरोकार, उन्हें तो लोगों को तोड़ कर ही अपनी सियासत चमकाने में मजा आता है.
नानी की बड़ी इच्छा थी कि वे मरने से पहले एक बार लाहौर हो आएं, पर उन की यह इच्छा तब उन के साथ ही सुपुर्देखाक हो गई, जब वे एक लंबी बीमारी के बाद इस दुनिया को छोड़ कर चली गईं.
आफरीन ने दिल्ली आ कर पढ़ाई की और वकालत करने के बाद इसे ही अपना पेशा बना लिया.
एक दिन काम में काफी बिजी रहने के बाद जब रात के 10 बज गए, तो आफरीन ने एक कैब ली और रोहतास एन्क्लेव में अपने फ्लैट की ओर जाने लगी. अभी वह अपने औफिस से कुछ ही दूरी पर पहुंची थी कि उस ने देखा कि सड़क के बीचोंबीच कोई पड़ा हुआ है.
‘‘लगता है, किसी का एक्सीडैंट हुआ है… पर कमाल है कि इतनी गाडि़यां आजा रही हैं, पर इस को मदद देने का समय किसी के पास नहीं?है,’’ आफरीन बुदबुदा उठी थी.
‘‘भैया, जरा गाड़ी रोकना,’’ गाड़ी रुकवा कर आफरीन उस आदमी के पास गई.
और उस के बाद जो आफरीन ने देखा, वह देख कर उस की चीख निकल गई. वह एक लड़की थी, जो बिलकुल नंगी हालत में सड़क पर फेंक दी गई थी. देखने से ही लगता था कि उस के साथ रेप हुआ है. लड़की के मुंह से लगातार ढेर सारा खून निकल रहा था.
आफरीन को कुछ समझ नहीं आया. वह थोड़ा घबराई थी. उस ने देखा कि अभी उस लड़की की सांसें चल रही थीं यानी अगर अभी उसे समय रहते अस्पताल पहुंचा दिया जाए तो उस की जान बच सकती है. आफरीन ने कैब वाले को मदद के लिए बुलाया.
‘‘अरे क्या मैडम, इस को अस्पताल ले जा कर क्यों लफड़े में पड़ती हो? और वैसे भी यह रेप का केस लगता है… मैं किसी तरह के पचड़े में नहीं पड़ना चाहता… जो आप की मरजी हो करो. मैं यहां से जा रहा हूं,’’ इतना कह कर कैब ड्राइवर तेजी से चला गया.
हैरान हो गई थी आफरीन, ‘‘क्या वाकई इनसानियत मर गई थी… एक कैब ड्राइवर एक पीडि़ता को अस्पताल तक नहीं पहुंचा रहा है…’’
आफरीन के अगलबगल से गाडि़यां निकल रही थीं, पर कोई भी रुक कर इस लड़की का हाल तक नहीं पूछना चाह रहा है, पर कुछ भी हो जाए, मैं इस लड़की को अस्पताल तो पहुंचा कर ही रहूंगी,’’ सब से पहले तो आफरीन ने मोबाइल फोन से पुलिस को फोन लगाया, तो पुलिस ने जल्द से जल्द वहां पहुंचने का यकीन दिलाया.
‘‘अगर पुलिस को आने में देर हुई तो ज्यादा खून बहने के चलते यह लड़की मर भी सकती है,’’ यह सोच कर आफरीन ने लोगों को हाथ हिला कर मदद की गुहार लगानी शुरू की, आटोरिकशा और कैब वालों को भी रोका, पर सब बेकार रहा. तकरीबन एक घंटा हो चुका था, पुलिस का कहीं अतापता नहीं था.
इस बीच आफरीन ने लड़की के मुंह से बहता हुआ खून रोकने के लिए रूमाल लड़की के मुंह पर लगाया, तो उसे एहसास हुआ कि खून की एक धार लगातार उस के मुंह से बाहर आ रही थी. वह लड़की चाह कर भी कुछ बोल नहीं पा रही थी. दरिंदों ने रेप करने के बाद उस लड़की की जीभ ही काट दी थी.
‘‘शायद मैं इस लड़की को बचा नहीं पाऊंगी… कोई भी मदद को नहीं रुक रहा है… पर क्या करूं… मैं इसे छोड़ कर जा भी तो नहीं सकती… मेरा जमीर मुझे इस की इजाजत नहीं दे रहा है,’’ अपनेआप से ही बातें कर रही थी आफरीन.
तभी किसी ने रोड के किनारे अपनी लंबी सी कार रोकी. उस में से एक नौजवान निकला और फौरन आफरीन के पास पहुंचा.
‘‘जी कहिए… क्या कोई हादसा हुआ?है… उफ,’’ लड़की के नंगे शरीर और बहते खून को देख कर वह नौजवान भी परेशान हो उठा था. वह जल्दी से अपनी गाड़ी में रखा हुआ एक कपड़ा निकाल कर लाया और लड़की के शरीर को ढक दिया.
‘‘लगता है, किसी ने रेप के बाद इसे फेंक दिया है. क्या आप इसे उठाने में मेरी मदद करेंगी…?’’ उस नौजवान ने आफरीन को देखते हुए कहा.
‘‘जी जरूर,’’ इतना कह कर उन दोनों ने उस लड़की को गाड़ी में लिटा दिया और अस्पताल पहुंचा दिया.
सिमरन ने अपना हेयर बैंड उतारते हुए संजय से कहा कि उस ने न्यूड औरत की तसवीर में औरत के उभारों को ठीक नहीं बनाया. लगता है कि उस ने अब तक किसी न्यूड औरत को देखा ही नहीं है.
संजय ने औरत के प्यार पर एक हरे रंग की नस दिखाई थी. सिमरन का मानना था कि इस तरह की नस न तो अच्छी लग रही है, न ही असलियत है. फिर उस ने अपनी टीशर्ट उतार दी और अगले ही पल अपनी ब्रा उतार कर वह पूरी तरह से टौपलैस हो गई.
सिमरन के गोल, कसे हुए, चिकने और गोरे उभारों को संजय 5 मिनट तक तो देखता ही रहा, फिर तुरंत ही अपनेआप को संभाल लिया. संजय को अभी भी कोई फर्क नहीं पड़ा था.
सिमरन ने अब जबरदस्ती संजय को थिएटर में पड़ी हुई बैंच पर लिटाने की कोशिश की, तो संजय ने साफ मना कर दिया. संजय ने सिमरन के दोनों उभारों को हथेलियों से दबाते हुए परे धकेल दिया और बोला, ‘‘मैडम, मैं किसी और को पसंद करता हूं.
सिमरन अब तक अच्छीखासी गरम हो चुकी थी. उस ने गुस्से में कहा, ‘‘भाड़ में गया तुम्हारा कमिटमैंट… मैं कौन सा तुम्हें अपना बौयफ्रैंड बनाना चाहती हूं. चुपचाप लेटे रहो, वरना मैं चिल्लाने लगूंगी कि तुम जबरदस्ती कर रहे थे मेरे साथ.
‘‘मैं तुम्हारी किस्मत बना सकती हूं, तो बिगाड़ भी सकती हूं. गुरुग्राम में रहना मुश्किल हो जाएगा तुम्हें,’’ यह कहते हुए सिमरन जबरदस्ती उस की पैंट उतारते हुए उस से चिपकने की कोशिश करने लगी.
संजय ने पूरी ताकत से एक बार फिर सिमरन को परे धकेल दिया.
सिमरन को यह संजय के कमिटमैंट की नहीं, बल्कि अपने पैसे और रुतबे की हार लगने लगी थी. दो कौड़ी का सड़कछाप पेंटर उस के खुले औफर को ठुकरा देगा, उसे अभी भी यकीन नहीं हो रहा था.
सिमरन ने गुस्से में कहा, ‘‘तुम जैसे लोग देश पर बोझ हैं और कभी जिंदगी में तरक्की नहीं कर सकते हैं. जिंदगी बदलने का मौका सिर्फ एक बार मिलता है.
‘‘फिर से सोच लो एक बार,’’ कहते हुए सिमरन वापस कपड़े पहन कर जाने लगी. उसे पूरा यकीन था कि संजय उसे वापस बुलाएगा, लेकिन उस ने गाड़ी स्टार्ट कर ली, तब भी अंदर से वापस आने के लिए कोई आवाज नहीं आई.
तीसरे दिन सिमरन ने विशाल को बताया कि आज रात का डिनर हम डैडी औफ टेस्ट रैस्टोरैंट में मेरी यूनिवर्सिटी के समय की दोस्त और उस के पति के साथ करेंगे.
होटल के परिसर में विशाल ने रंजना से मिलते समय ठीक वैसे ही चौंकने की ऐक्टिंग की जैसा कि संजय ने सिमरन के साथ मिल कर किया. चारों ने खाने की टेबल पर एकसाथ हनीमून पर जाने का प्लान बनाया.
रंजना ने अपने जीजाजी को किस करते हुए स्टार्टर पास किया, तो सिमरन ने अपने जीजाजी को फिर से एक किलर मुसकान देते हुए अभी भी सोच लेने का इशारा किया.
पोस्ट क्रेडिट सीन में हम देखते हैं कि अगले दिन सिमरन और रंजना के होने वाले संजय और विशाल गुरुग्राम के सैक्टर 53 के उसी बार में बैठे हुए चियर्स कर रहे थे, जिस में रंजना और सिमरन ने कहानी के पहले सीन में अपनेअपने मंगेतरों के करैक्टर को चैक करने की योजना बनाई थी.
विशाल को पहले दिन ही सिमरन की योजना के बारे में पता चल गया था. उस ने संजय को भी उस की गर्लफ्रैंड के द्वारा उस का इम्तिहान लिए जाने की जानकारी दे दी थी.
पहले दिन रंजना बार से सिमरन को घर छोड़ने आई थी, विशाल ने पोर्च से उन्हें एकसाथ देख लिया था.
विशाल की वैशाली के नाम से फेसबुक पर एक फेक आईडी थी, जिस में सिमरन, रंजना और उन की ढेर सारी फ्रैंड विशाल उर्फ वैशाली की दोस्त थीं. संजय भी उस वैशाली नाम की फेक आईडी से जुड़ा हुआ था.
संजय पहले एक बार वैशाली नाम की फेक आईडी को प्रपोज करते हुए अपना फोन नंबर, विशाल उर्फ वैशाली से शेयर कर चुका था.
इस तरह विशाल को पहले से सिमरन और रंजना के कनैक्शन के बारे में जानकारी थी.
पहली मुलाकात में सिमरन ने रंजना को कस्टमर की तरह मिलाया और दोस्ती के बारे में नहीं बताया. सिमरन ने घर जा कर टैक्नौलाजी सपोर्ट के लिए कहा, जबकि रंजना अपने लैपटौप को औफिस में भी ला सकती थी.
सारी कडि़यों को जोड़ कर विशाल तुरंत ही उन की योजना को भांप गया और समय रहते उस ने संजय को भी सचेत कर दिया.
संजय ने कहा, ‘‘थैंक्स यार, अगर तुम ने समय रहते न बताया होता तो हम इम्तिहान में फैल हो गए होते.’’
विशाल बोला, ‘‘भाई है तू मेरा. यह तो मेरी फेक आईडी की मेहरबानी थी, जिस ने हम दोनों को बचा लिया.’’
संजय बोला, ‘‘हमारी गर्लफ्रैंड सोने के अंडे देने वाली मुरगियां हैं. बहुत ही कम लोगों को ऐसी जुगाड़ मिलती हैं, जो बाकी सब भी दें और खर्च भी उठा सकें.’’
विशाल ने कहा, ‘‘अपनी तो लाइफ सैटल है भाई. कमाऊ गर्लफ्रैंड जो मिल गई है.’’
संजय बोला, ‘‘हां यार. अगर आज हमारी गर्लफ्रैंड हमें छोड़ कर चली जाएं, तो दानेदाने को मोहताज हो जाएं.’’
इस के बाद वे दोनों अपनीअपनी ऐंगेजमैंट रिंग को एकदूसरे को दिखाते हैं.
विशाल बोला, ‘‘यार मानना पड़ेगा, भाभीजी स्मार्ट हैं.’’
संजय ने कहा, ‘‘हां, मगर तुम्हारी वाली खूबसूरत है और कमाती ज्यादा है.’’
विशाल बोला, ‘‘ओके भाई. रात गई बात गई, अब से हम अपनीअपनी भाभियों को मां की तरह ही देखेंगे और समझेंगे.’’
संजय ने कहा, ‘‘पक्का.’’
यहां हमें यह पता चलता है कि संजय और विशाल दोनों जानते हैं कि उन की गर्लफ्रैंड उन के दोस्त के साथ इंटीमेट होने के लिए किस हद तक गिर चुकी थीं, लेकिन इस से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ा. वे खुश थे कि उन की कमाऊ गर्लफ्रैंड हाथ से फिसलतेफिसलते बची थीं.
सिमरन के क्रेडिट कार्ड से पेमेंट कर के वे दोनों घर निकल जाते हैं.
इसी उधेड़बुन में अंकिता खोई रहती थी कि वह कैसे शाहरुख से पीछा छुड़ाए जिस से वह उसे बाजार या ट्यूशन जाने के दौरान कभी नहीं मिल पाए? लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा था. हमेशा वह उस से टकरा ही जाता था. हर बार उस के तेवर बदले हुए तल्ख होते थे. कई बार तो वह उसे दूर से देख कर ही भयभीत हो जाती थी. डर जाती थी, पता नहीं क्या बोल दे.
घर में पढ़ाई करने के वक्त एक बार उस के भाई ने आ कर कहा कि दीदी ‘पठान’ फिल्म का बायकाट हो रहा है. उस ने पूछा, ‘‘क्यों?’’
‘‘अरे उस में शाहरुख खान है न! वह भी तो मुसलमान है.’’ यह कहता हुआ भाई वहां से चला गया.
लेकिन शाहरुख का नाम सुनते ही मोहल्ले वाले शाहरुख का चेहरा अचानक उस के दिमाग में घूम गया. वह एकदम से सहम गई. कुछ समय के लिए निस्तब्ध बनी रही. क्योंकि वह तो उस के नाम से ही खौफ खाने लगी थी.
मूलरूप से दुमका के रानीश्वर ब्लौक के गांव आसनबनी के रहने वाले शाहरुख के पिता की मौत हो चुकी थी. पिता की मौत के बाद जरुआडीह में स्थित अपनी ननिहाल में वह रहने लगा. उस का बड़ा भाई सलमान मोटर मैकेनिक है और मामा राजमिस्त्री का काम करते हैं.
कई तरह के विचारों में खोई अंकिता के कानों में अचानक दादी की आवाज आई, ‘‘अंकिता, सावन चला गया तो तुम मंदिर जाना भी भूल गई. आज सोमवार है. तुम को उठने में भी देर हो गई. जाओ, जल्दी से नहा लो. मंदिर हो आओ.’’
अंकिता दादी की आवाज सुन कर तुरंत बोली, ‘‘जी दादी, अभी आई. पहले कमरे का बिस्तर ठीक तो कर दूं. झाड़ू भी लगानी है.’’
तब तक कमरे में दादी ही आ गईं. उन की नजर खिड़की की टूटी किवाड़ पर गई. दादी बोल पड़ीं, ‘‘अरे यह कैसे टूटी, इसे जल्द बनवानी होगी, बाहर की है.’’
दादी की आवाज सुन कर अंकिता के पापा संजीव सिंह भी कमरे में आ गए थे. उन के आते ही दादी बोलीं, ‘‘बेटा, देख तो खिड़की की किवाड़ टूट गई है. पूरा पल्ला ही निकल गया है. आज ही बनवा दो.’’
संजीव सिंह अंकिता की ओर देखते हुए पूछने वाले थे कि वह अचानक से रो पड़ी. दादी और पापा की समझ नहीं आया कि अचानक अंकिता को क्या हो गया जो रोने लगी. दादी उसे चुप करवा कर पूछने लगीं, ‘‘क्या बात है? अचानक क्यों रोने लगी?’’ दादी पुचकारते हुई बोलीं, ‘‘जो बात दिल में है, हमें बताओ बेटा. हम लोग हैं न, किसी से झगड़ा हुआ है क्या?’’
अंकिता ने दादी का दुलार पा कर आंसू पोछते हुए शाहरुख द्वारा उसे बारबार तंग करने की बात बता दी. उस ने यह भी बताया कि उसी ने बीती रात खिड़की का पल्ला तोड़ डाला था. वह हम से जबरदस्ती शादी करने को कहता है. कहा नहीं मानने पर हमें जान से मारने की धमकी भी दी है.
यह सुन कर संजीव सिंह गुस्से में आ गए, लेकिन दादी ने उन्हें संभाला और बोलीं कि वह शाहरुख के भाई सलमान को जा कर समझा दे. उन्होंने कहा कि यही ठीक रहेगा. अभी ड्यूटी जाते वक्त उस से मिलता जाऊंगा.
पिता के आश्वासन और हमदर्दी से अंकिता का मन थोड़ा हलका हो गया था. उस ने महसूस किया कि शायद अब शाहरुख से पीछा छूट जाएगा. पूरे दिन घर पर रही.
संयोग से उस दिन बढ़ई के नहीं आने के कारण खिड़की की मरम्मत नहीं हो पाई थी. संजीव सिंह ने शाम को घर आ कर उसे बता दिया कि उन्होंने शाहरुख के भाई को हिदायत दे दी है कि वह अपने भाई को समझा दे.
उस रात अंकिता को अच्छी नींद आई थी, किंतु संजीव सिंह रात को करवटें बदल रहे थे. वह बेटी की शिकायत भले ही सुन कर शाहरुख के भाई को हिदायत दे आए थे, लेकिन मन अनहोनी से आशंकित था.
शाहरुख का खौफ उन के मन में भी समा गया था. वह भी उस की आवारगी और गलत संगत से परिचित थे. अंकिता को ले कर तरहतरह के विचार उन के मन में आ रहे थे. उन की कब आंख लग गई, पता ही नहीं चला.
थोड़ी देर में ही अंकिता के कमरे से आ रहे शोरगुल को सुन कर अचानक वह चौंक गए. हड़बड़ा कर उस के कमरे की तरफ दौड़े. वहां का दृश्य देख कर घबरा गए. कमरे में अंकिता जल रही थी. वह अपने कपड़ों में लगी आग को बुझाने के लिए कमरे में इधरउधर भाग रही थी.
संजीव ने जल रही अंकिता की आग को किसी तरह बुझाया. वह चीख रही थी. कुछ देर में ही उस का बदन बुरी तरह से जल चुका था. संजीव सिंह तुरंत उसे ले कर जिला अस्पताल भागे. वहां उसे इमरजेंसी में डाक्टर ने बताया कि वह 40 फीसदी से अधिक जल चुकी है. उस की जान को खतरा है.
यह घटना 23 अगस्त, 2022 के सुबह 5 बजे के करीब की थी. वहां के डाक्टर ने उसे तुरंत रांची ले जाने के लिए कहा. पिता जैसेतैसे कर के उसे रांची के अस्पताल रिम्स ले गए. वहां उसे भरती करवाया गया. मामला अपराध का था, इसलिए इस की कानूनी प्रक्रिया की भी शुरुआत हुई.
इस की सूचना 23 अगस्त की सुबह दुमका पुलिस को मिल गई थी. सूचना में कहा गया कि नगर थाना दुमका के जरुआडीह में पैट्रोल छिड़क कर एक छात्रा के शरीर में आग लगा दी गई है. वह गंभीर रूप से जख्मी है और उस का इलाज पीजेएमसीएच दुमका में चल रहा है.
उक्त घटना को गंभीरता से लेते हुए दुमका पुलिस ने त्वरित काररवाई करते हुए अस्पताल जा कर कार्यपालक दंडाधिकारी की उपस्थिति में पीडि़ता का बयान लिया और इस संबंध में दुमका नगर थाने में रिपोर्ट दर्ज कर जांच शुरू की.
इस सिलसिले में पहले पीडि़ता के बयान लिए गए. उस वक्त जख्मी अंकिता किसी तरह से बोल पा रही थी. उस ने बताया, ‘‘सोमवार 22 अगस्त को मैं ने पापा को शाहरुख के बारे में बताया था. पापा ने कहा कि उसे समझाते हैं. उन को मैं ने रात को भी विस्तार से पूरी बात बताई थी. उन्होंने कहा कि सुबह देखते हैं.
‘‘लेकिन सुबह शाहरुख खिड़की से मेरे ऊपर पैट्रोल डाल कर आग लगा कर भाग गया. उस के साथ उस का दोस्त छोटू खान उर्फ नईम खान भी था. मैं ने खिड़की से दोनों को भागते देखा था.
‘‘मैं सिर्फ यही देख पाई कि ब्लू टीशर्ट पहने, हाथ में पैट्रोल की कैन लिए शाहरुख भाग रहा था. ये वही शाहरुख था, जो पिछले 10-15 दिन से मुझे परेशान कर रहा था. मोहल्ले में उसे आवारा किस्म के लड़के के रूप में सब जानते थे. उस का काम सिर्फ लड़कियों को परेशान करना और उन्हें अपने झांसे में ले कर इधरउधर घुमाना होता था.
‘‘जब भी मैं स्कूल या ट्यूशन के लिए जाती, वह मेरा पीछा करता. हालांकि, मैं ने कभी उस की हरकतों को सीरियसली नहीं लिया, लेकिन उस ने कहीं से मेरा मोबाइल नंबर हासिल कर लिया था. उस के बाद वह अकसर मुझे फोन कर के दोस्ती करने का दबाव बनाने लगा.
‘‘शाहरुख ने धमकी भी दी थी कि अगर मैं उस की बात नहीं मानूंगी तो वह मुझे और मेरे परिवार वालों को मार देगा. मुझे उस की हरकतों का अंदेशा तो था, लेकिन यह नहीं समझ पाई कि मेरे साथ ऐसा होगा.
‘‘22 अगस्त की रात को भी उस ने मुझे धमकी दी थी कि अगर मैं उस की बात नहीं मानूंगी तो वह मुझे मारेगा. मैं ने पापा को यह बात बताई, तब उन्होंने कहा कि सुबह होने के बाद इस मामले का हल निकाला जाएगा.’’
अकिता के बयान दर्ज करने के बाद पुलिस ने उस के 13 वर्षीय भाई से पूछा तो उस ने बताया, ‘‘23 अगस्त की सुबह करीब 5 बजे मेरी दीदी आग की लपटों में घिरी घर में इधरउधर भाग रही थी और पापा उस के शरीर पर लगी आग को बुझाने के लिए पागलों की तरह चिल्ला रहे थे.
‘‘वह दर्द से चिल्ला रही थी और पापा से बचाने की बारबार गुहार लगा रही थी. मैं और मेरी दादी जो एक साथ बगल के कमरे में सोए हुए थे. हम लोग दीदी की ऐसी हालत देख कर जोरजोर से रोने लगे.’
रंजना आगे की तरफ झुक कर कंप्यूटर खोलने लगी तो विशाल की नजरें रंजना के उभारों को घूरने लगीं. उसे घूरता देख कर रंजना ने चीयरलीडर की तरह अपने दोनों कूल्हों को ऊपरनीचे डुलाते हुए उस का ध्यान खींचते हुए कहा, ‘‘मिस्टर, वहां नहीं यहां देखिए, स्क्रीन पर.’’
रंजना विशाल को काम समझाने लगी, ‘‘मुझे अपने आउटलेट की डिटेल को इस तरह इकट्ठा करना है, ताकि देख सकूं कि कौन से नंबर, रंग, साइज, कीमत और ब्रांड के प्रोडक्ट हमारे माल में ज्यादा बिक रहे हैं.’’
इसी बीच रंजना ने नोटिस किया कि विशाल बारबार उस की पैंटी को चोरीछिपे देख रहा है, जिस से उसे यकीन हो गया कि जल्द ही वह विशाल को पिघला देगी.
थोड़ी देर बाद रंजना ब्लैक कौफी बना लाई. ब्लैक कौफी तुरंत ही सैक्स का मूड बना देती है.
कौफी को देख कर विशाल ने बुरा मुंह बनाया और बोला, ‘‘कुछ दिन पहले गुरुग्राम में एक घटना हुई थी, जिस में एक औरत ने नशीली कौफी पिला कर एक प्लंबर का रेप कर लिया था.’’
रंजना ने गुस्से से कहा, ‘‘शटअप. मैं कोई मिडिल क्लास लेडी नहीं हूं, बल्कि एक कामयाब बिजनैस वुमन हूं.’’
जितनी देर विशाल रंजना के लैपटौप में मैट्रिक्स को अरेंज करते हुए फार्मूला देता रहा, उतनी देर रंजना बराबर विशाल को क्लू देती रही. गरमी का बहाना कर उस ने शर्ट के ऊपर के 2 बटन खोल लिए. पैरों को एक के ऊपर एक विशाल के सामने ही टेबल तक फैला दिया. उस ने अपने दोनों पैर को इस तरह खोल कर फैला दिया जैसे कह रही हो कि आ जाओ, मुझ में समा जाओ राजा.
रंजना अब एक कैंडी निकाल लाई और उसे विशाल को दिखादिखा कर चूसने लगी. इतनी मेहनत के बाद भी विशाल पर जरा भी असर नहीं हुआ था.
‘‘बड़ा सख्त है,’’ बड़बड़ाते हुए रंजना ने अब जबरदस्ती विशाल के गाल को चूमना और उस के होंठ को चूसना शुरू कर दिया.
यह अब उसे विशाल की जीत नहीं, बल्कि अपनी जवानी की हार लग रही थी.
रंजना ने जबरदस्ती विशाल के हाथों से अपने उभारों को दबवाना शुरू कर दिया, लेकिन विशाल ने एक झटके में रंजना को परे धकेल दिया.
‘‘मैडम सौरी. मैं किसी और को पसंद करता हूं.’’
इस पर रंजना ने बोला, ‘‘अरे, तो कौन सा मैं तुम से सात फेरे लेना चाहती हूं. सब करते हैं, यहांवहां. थोड़ाबहुत. टेक इट ईजी यार. चलता है इतना सब. सत्यवादी बन कर कोई अवार्ड नहीं मिलने वाला तुम्हें.’’
विशाल ने कहा, ‘‘वह मैं नहीं जानता, लेकिन मेरे उसूल अलग हैं, मैं यह सब नहीं कर सकता.’’
रंजना ने कहा, ‘‘ओके.’’
तुरंत ही रंजना लिविंग रूम से बाहर चली गई और कुछ ही देर में सलवारसूट पहन कर वापस आई. 2,000 रुपए के 5 नोट विशाल के मुंह पर मारते हुए उस से चले जाने को कहा. वह बोली, ‘‘मुझे तुम्हारा काम करने का तरीका पसंद नहीं आया. मैं तुम्हें खराब फीडबैक दे दूंगी. जस्ट गैटआउट.’’
विशाल चुपचाप कपड़े ठीक कर बाहर निकल गया. रंजना को अभी भी विशाल के लौट आने का भरोसा था, लेकिन आखिर में नीचे जाती हुई लिफ्ट की आवाज उसे सुनाई दी.
दूसरी तरफ विशाल के रंजना के साथ जाते ही सिमरन शंकर चौक रोड पर बने ओबराय होटल के लिए निकल गई थी, जहां रंजना के होने वाले पति संजय की पेंटिंग एक आर्ट गैलरी में लगी हुई थी.
होटल के मैनेजर ने चोरीचोरी सिमरन की खुली जांघों को देखते हुए अपने स्टाफ से मैडम का स्वागत करने के लिए कहा.
सिमरन ने जल्द ही कोने में खड़े हुए संजय को उस का नाम लगी हुई 2 पेंटिंग से पहचान लिया.
सिमरन ने संजय की पेंटिंग की भरपूर तारीफ की. वह जानती थी कि कलाकार का दिल जीतना है तो उस की कला की तारीफ करो.
सिमरन ने बताया कि वह अपने बंगले के लिए उस की बहुत सारी पेंटिंग खरीद सकती है.
संजय ने रविवार को उस से अपने स्टूडियो में आने को कहा, जिसे सिमरन ने तुरंत ही स्वीकार कर लिया.
अगले दिन सुबह की चाय पर सिमरन ने देखा कि अखबार में संजय की पेंटिंग के साथ उस का फोटो छपा था और संजय की पेंटिंग की तारीफ में ठीक वही बातें लिखी थीं, जो सिमरन ने कही थीं.
विशाल इस बीच किसी हर्बल क्रीम से सिमरन के खुले हिस्सों की मसाज करते हुए उस के नाजुक हिस्सों पर भी छूने लगा था, जिस पर सिमरन ने उसे एक किलर स्माइल दी.
रविवार को सुबह हुड्डा लौनटैनिस कोर्ट में 2 घंटे पसीना बहाने के बाद सिमरन ठीक 8 बजे महीरा बाजार के एक शौपिंग कौंप्लैक्स के बेसमैंट में संजय के बताए पते पर पहुंच गई.
बहुत ही सस्ती जगह थी, लेकिन अंदर से संजय ने अपने थिएटर को बहुत ही आकर्षक बना रखा था. ट्यूबलाइट की रोशनी में एक न्यूड औरत की पेंटिंग बनाते हुए उसे जरा भी होश नहीं था कि सिमरन कमरे में आ चुकी थी और उसे घूर रही थी.
यह वह पल था, जब सिमरन के दिल में संजय के प्रति एक रियल फीलिंग आ गई. उसे रंजना से जलन होने लगी. वह सोचने लगी, ‘रंजना की किस्मत यूनिवर्सिटी के समय से ही अच्छी है. गोयल सर की फेवरेट स्टूडैंट थी और यहां भी उसे उस से अच्छा बौयफ्रैंड मिल गया.’
सिमरन ने खांसी की आवाज की तो चौंक कर संजय ने सिमरन को देखा.
संजय बोला, ‘‘अरे, आप आ गईं. मैं सोच रहा था कि भूल गई होंगी आप.’’
सिमरन ने अपनी चिरपरिचित किलर मुसकराहट देते हुए कहा, ‘‘आप भूलने वाली चीज नहीं हो.’’
सिमरन की मांसल जांघों को ताड़ते हुए संजय ने शर्ट पहनने की कोशिश की, तो सिमरन ने उसे रोकते हुए अपनी पेंटिंग के साथ पोज देने के लिए कहा.
सिमरन अपने आई फोन से उस के फोटो लेने के लिए तरहतरह से खड़ा करने के बहाने उसे रोक रही थी.
सिमरन जानती थी कि अपने भारीभरकम उभारों के चलते वह टैनिस स्कर्ट और टीशर्ट में बहुत ही ग्लैमरस लगती है.
कमरे के बीच में मौडल्स को पोज देने के लिए रखी गई टेबल पर सिमरन इस तरह पैर फैला कर बैठ गई कि संजय चाहे तो तुरंत ही उस में समा जाए.
सिमरन की पैंटी साफ दिखाई दे रही थी. उस पर ‘किस’ के इमोजी बने हुए थे.