नोएडा के रहने वाले पीयूष तिवारी के खिलाफ न केवल दिल्ली के मंदिर मार्ग स्थित आर्थिक अपराध शाखा, तिलक मार्ग, मयूर विहार, फर्श बाजार, पांडव नगर, आनंद विहार और कृष्णा नगर के थानों में, बल्कि उत्तर प्रदेश, पंजाब आदि जगहों पर भी जालसाजी के 39 मामले दर्ज हैं.

उस पर आरोप है कि उस ने हजारों लोगों के घर पाने के सपने को चकनाचूर कर दिया था. उन्हें फ्लैट बेचने का झांसा दिया और उन की जमापूंजी हड़प ली. और तो और उस ने एक ही फ्लैट को कई लोगों को बेच डाला.ऐसा कर उस ने 1000 करोड़ की अकूत संपत्ति बनाई और साल 2016 में ही फरार हो गया था. उस पर 50 हजार का ईनाम भी रखा हुआ था.

उसे पकड़ने के लिए बाकायदा दिल्ली में आर्थिक अपराध शाखा ने एंटी आटो थेफ्ट स्क्वायड (एएटीएस) गठित की गई थी. दरअसल, लाजपत नगर, दिल्ली के रहने वाले 60 वर्षीय शरद सूरी ने 3 अप्रैल, 2020 को आर्थिक अपराध शाखा में पीयूष तिवारी समेत कुल 9 लोगों के खिलाफ जालसाजी की रिपोर्ट लिखवाई थी.
उन लोगों के खिलाफ वैसी ही एक अन्य रिपोर्ट गुरुग्राम के लवली जैन ने भी 20 अप्रैल, 2017 को लिखवाई थी. उन की शिकायत के आधार पर पुलिस ने भादंवि की धारा 420, 409 और 120बी के तहत रिपोर्ट लिखी थी.

सूरी ने नई दिल्ली में मयूर विहार स्थित शुभकामना बिल्डटेक प्राइवेट लिमिटेड और दिल्ली के ही जसोला में किंडले डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ जालसाजी की रिपोर्ट में कुल 9 लोगों पर आरोप लगाया था. उन में मुख्य पीयूष तिवारी और उस की पत्नी शिखा तिवारी थे. शरद सूरी की रिपोर्ट के अनुसार उन का लाजपत नगर में चुनमुन स्टोर प्रा.लि. नाम की एक कंपनी है, जिस में उन के अलावा पत्नी मेकनु सूरी भी डायरेक्टर हैं. बात साल 2011-2012 की है. सूरी दंपति ने प्रौपर्टी में इनवैस्टमेंट की योजना बनाई थी. उन दिनों दिल्ली एनसीआर में कई नए प्रोजेक्ट पर काम चल रहा था, जहां इनवैस्ट कर कुछ सालों में अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता था.

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