जानिये इस Lockdown में क्या कर रहीं है लोक गायिका मैथिली ठाकुर

सोशल मीडिया को जरिया बना कर बेहद ही कम उम्र में लोक गायन में छा जानें वाली मैथिली ठाकुर (Maithili Thakur) को आज देश का बच्चा –बच्चा जानता हैं. मैथिली नें देश के लगभग सभी बड़े मंचों और कार्यक्रमों में अपनी प्रस्तुति दी है. मैथिली जब मंच पर लोक गायन कर रहीं होती हैं तो लोग मंत्रमुग्ध से हो उनके गानों में खो जाते हैं, या यह कह लिया जाए की उनके गाने की शैली के लोग मुरीद हैं.

मैथिली ठाकुर की आज जो भी पहचान है वह उन्हें केवल सोशल मीडिया (Social Media) के जरिये मिली है. शुरूआती दौर में मैथिली ठाकुर और उनके भाई मैथिली के गाये गानों को अपने मोबाइल से रिकार्ड कर फेसबुक पर अपलोड करते थे. जिस पर उनके वीडियोज को पसंद करनें वालों की तादाद इस कदर बढ़ी की आज मैथिली ठाकुर (Maithili Thakur), और उनके दोनों भाइयों  ऋषभ ठाकुर (Rishabh Thakur) व  अयाची ठाकुर (Ayachi Thakur) के लाखों फालोवर  है. मैथिली के साथ उनके दोनों भाई ऋषभ ठाकुर (Rishabh Thakur) तबले पर और ठाकुर (Ayachi Thakur) ताली व कोरस के जरिये सपोर्ट करते हैं. इन तीनों की जोड़ी ही मैथिली के सफलता का कारण हैं.

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लौक डाउन (Lockdown) के पहले मैथिली ठाकुर का सेड्यूल इतना व्यस्त रहता था की वह अपने कार्यक्रमों के सिलसिले में अक्सर बाहर ही रहा करतीं थी. लेकिन इन दिनों जब लौक डाउन है तो निश्चित ही मैथिली के शो पर लगाम लग गया है. ऐसे में मैथिली ठाकुर फिर से घर बैठ सोसल मीडिया के जरिये लोगों का अपने लोक गायन के जरिये मनोरंजन करती नजर आ रहीं हैं. इस दौरान उनकी इंटरनेट लोकप्रियता और भी रहीं हैं. लौक डाउन (Lockdown) के दौरान मैथिली द्वारा अपलोड किये जा रहें वीडियोज उनके यूट्यूब (YouTube), फेसबुक (Facebook) और इन्स्टाग्राम (Instagram)पर लाखों बार देखें जा रहें हैं. वह हर रोज एक से दो वीडियोज अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर अपलोड कर रहीं हैं.

इस लौक डाउन में मैथिली लोक गायन के साथ ही भजन, गजल, कव्वाली, सहित तमाम विधाओं से जुड़े गीत अपलोड कर रहीं हैं जिस पर उन्हें काफी तारीफ भी मिल रही हैं. उनके द्वारा सोशल मीडिया और यूट्यूब पर अपलोड किये जा रहे इन वीडियोज पर लाखों लाइक्स और ब्युअर्स मिल रहें हैं.

कोरोना पर गीत के जरिये जागरूक कर बटोर चुकीं हैं सुर्खियां

दूसरे चर्चित गायकों की तरह मैथिली ठाकुर नें भी जानलेवा कोरोना वायरस पर बना पैरोडी सॉंग गाकर लोगों को कोरोना से बचाव के लिए जागरूक किया. यह गाना उन्होंने फिल्म ‘कुर्बानी’ के ‘लैला ओ लैला’ की तर्ज पर गाया. 46 सेकंड के इस विडियो में अंत में मैथिली ने लोगों से सुरक्षित रहने और घर पर रहने की सलाह भी दी.

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कोरोना पर मैथली का गाया –

इन्स्टाग्राम पर अपलोड किये गए वीडियोज के लिंक-

 

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New Video on Rishav’s YouTube Channel. Link in my Story.

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Is Shaan-E-Karam ka Kya kehna. Full Video on YouTube.🙏 @rishavthakur.official @ayachithakur

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Ekla cholo re ❤️ . #maithilians

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बताब पहुना, फेर कहिया ले अइब 🙏 . . #maithilians #maithilithakur

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जनता तो अब चंदन ही घिसेगी

वर्तमान सरकार की नीतियों से सब गङबङ हो गया, अब तो ऐसा ही लगता है. पहले नोटबंदी ने आम लोगों से ले कर गृहिणियों तक को परेशान किया और फिर जीएसटी के मकङजाल में व्यापारी ऐसे उलझे कि उन्हें इस कानून को समझने में वैसा ही लगा जैसे किसी क्रिकेट प्रेमियों को डकवर्डलुइस के नियम को समझने में लगता है.

नोटबंदी ने मारा कोरोना ने रूलाया

एक के बाद एक लागू कानूनों से पहले सरकार ने मौकड्रिल करना जरूरी नहीं समझा. परिणाम यह हुआ कि देश में असमंजस की स्थिति बन गई. नोटबंदी के समय तो आलम यह था कि लोग अपने ही कमाए पैसे मनमुताबिक निकाल नहीं सकते थे.

तब आर्थिक विशेषज्ञों ने भी माना था कि आगे चल कर देश को इस से नुकसान होगा. निवेश कम होंगे तो छोटे और मंझोले व्यापार पर इस का तगङा असर पङेगा. और हुआ भी यही. छोटेछोटे उद्योगधंधे बंद हो गए या बंदी के कगार पर पहुंच गए. बेरोजगारी चरम पर पहुंच गई.

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मगर उधर सरकार कोई ठोस नतीजों पर पहुंचने की बजाय धार्मिक स्थलों, मूर्तियों और स्टैचू बनाने में व्यस्त रही.

परिणाम यह हुआ कि निवेश कम होते गए, किसानों को प्रोत्साहन न मिलने से वे खेती के प्रति भी उदासीन होते गए और रहीसही कसर अब कोरोना ने पूरी कर दी.

कोरोना वायरस के बीच देश में लागू लौकडाउन भी सरकारी उदासीनता की भेंट चढ़ गया और इस से सब से अधिक वही प्रभावित हुए जो देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ कहे जाते हैं.

विश्व बैंक की रिपोर्ट और भारतीय अर्थव्यवस्था

सरकारी उदासीनता और लापरवाही का नतीजा भारत की अर्थव्यवस्था पर तेजी से पङा. हाल के दिनों में छोटेबङे उद्योगधंधे या तो बंद हो गए या बंदी के कगार पर जा पहुंचे. लाखों नौकरियां खत्म हो गईं. और अब तो भारतीय अर्थव्यवस्था को ले कर विश्व बैंक ने जो कहा है वह चिंता बढ़ाने वाली बात है.

विश्व बैंक ने हाल ही में यह कहा है कि कोरोना संकट से दक्षिण एशिया के 8 देशों की वृद्धि दर सब से ज्यादा प्रभावित हो सकती है, जिस में भारत भी एक है.

40 सालों में सब से खराब स्थिति

विश्व बैंक का यह कहना कि भारत और अन्य दक्षिण एशियाई देश 40 सालों में सब से खराब आर्थिक दौर में हैं, तो जाहिर है आगे हालात और भी बदतर दौर में बीतेंगे.

‘दक्षिण एशिया की अर्थव्यवस्था पर ताजा अनुमान : कोविड-19 का प्रभाव’ रिपोर्ट पेश करते हुए विश्व बैंक ने कहा है कि भारत समेत दक्षिण एशियाई देशों में 40 सालों में सब से खराब आर्थिक विकास दर दर्ज की जा सकती है. दक्षिण एशिया के क्षेत्र, जिन में 8 देश शामिल हैं, विश्व बैंक का अनुमान है कि उन की अर्थव्यवस्था 1.8% से लेकर 2.8% की दर से बढ़ेगी जबकि मात्र 6 महीने पहले विश्व बैंक ने 6.3% वृद्धि दर का अनुमान लगाया था.

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भारत के बारे में विश्व बैंक का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में यहां वृद्धि दर 1.5% से लेकर 2.8% तक रहेगी.

विश्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया कि 2019 के आखिर में जो हरे निशान के संकेत दिख रहे थे उसे वैश्विक संकट के नकारात्मक प्रभावों ने निगल लिया है.

जाहिर है, इस से आने वाले दिनों में हालात बिगङेंगे ही. उधर सरकार के पास इस से निबटने और आर्थिक प्रगति के अवसर को आगे बढ़ाने में भयंकर दिक्कतों का सामने करना पङ सकता है.

मुश्किल में कारोबारी और मजदूर

कोरोना वायरस के फैलाव को रोकने के उपायों के कारण पूरे दक्षिण एशिया में सप्लाई चैन प्रभावित हुई, तो कामगाज ठप्प पङ गए.

सरकार की खामियों की वजहों से लौकडाउन भी पूरी तरह असफल हो गया. देश में फिलहाल 2 लाख से अधिक कोरोना पीङितों की संख्या है और इस का फैलाव भी अब तेजी से होने लगा है.

उधर भारत में तालाबंदी के कारण सवा सौ करोङ लोग घरों में बंद हैं, करोङों लोग बिना काम के हैं और हालात इतने बदतर होते जा रहे कि कुछ बाजारों के खुलने के बावजूद कारोबार चौपट है. इस से बड़े और छोटे कारोबार बेहद प्रभावित हैं.

शहरों में रोजीरोटी मिलनी मुश्किल हो गई तो लाखों प्रवासी मजदूर शहरों से अपने गांवों को लौट चुके हैं और यह पलायन बदस्तूर जारी है.

विश्व बैंक ने किया आगाह

रिपोर्ट में यह आगाह किया गया है कि यह राष्ट्रीय तालाबंदी आगे बढ़ती है तो पूरा क्षेत्र आर्थिक दबाव महसूस करेगा. अल्पकालिक आर्थिक मुश्किलों को कम करने के लिए विश्व बैंक ने क्षेत्र के देशों से बेरोजगार प्रवासी श्रमिकों का समर्थन करने के लिए वित्तीय सहायता देने और व्यापारियों और व्यक्तियों को ऋण राहत देने को कहा है.

मगर भारत में जहां की राजनीति हर कामों पर भारी पङती है, वहां लोगों व व्यापारियों को आसानी से ॠण मिल जाएगा, इस में संदेह ही है. भारतीय बैंक की हालत पहले ही बङेबङे घोटालों की वजह से पतली है. भ्रस्टाचार ऊपर से नीचे तक है और यह भी सरकार की नीतियों को आगे ले जाने में बाधक है.

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उधर, सरकार के पास कोई माकूल रोडमैप भी नहीं है जिन से बहुत जल्दी देश में आर्थिक असमानता को दूर किया जा सके. सरकार के अधिकतर सांसद व मंत्री एसी कमरों में बैठ कर सरकार चलाना चाहते हैं.

जनता सरकार के कामकाज से संतुष्ट नहीं दिखती. पर जैसाकि हमेशा से होता आया है, वही आगे भी होगा. देश को धर्म और जाति पर बांटा जाएगा फिर वोट काटे जाएंगे.

जनता जनार्दन क्या करे, सरकार के पास कहने के लिए तो है ही- प्रभु के श्रीचरणों में रहो, वही बेङापार करेंगे. यानी अब तो सिर्फ चंदन ही घिसते रहो…

Lockdown में Bhojpuri एक्ट्रेस अक्षरा सिंह का नया Sad Song हुआ रिलीज, देखें Video

03भोजपुरी सनसनी अक्षरा सिंह (Akshara Singh) दिन अपनें फैन्स के बीच अपने खूबसूरती और एक्टिंग के चलते छाई रहतीं हैं. वह कुछ समय से एक्टिंग के साथ-साथ गायन में भी काफी सक्रिय रहनें लगी हैं. बीते साल अक्षरा सिंह के कई भोजपुरी वीडियो सौंग रिलीज हुए थे जिसे यूट्यूब पर कई मिलियन व्यूज मिल चुकें हैं.

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इस Lockdown में जब उनके सभी फैन्स बोर हो रहें हैं तो ऐसे में अक्षरा सिंह नें अपनें फैन्स की बोरियत दूर करने के लिए अपने औफिसियल यूट्यूब चैनल पर एक नया भोजपुरी वीडियो सैड सांग (New Bhojpuri Sad Song) ऐ चंदा (Ae Chanda) रिलीज किया है. अक्षरा सिंह नें इस गानें को लौकडाउन (Lockdown) के चलते अपनें घरों से दूर फंसे लोगों को समर्पित किया है जिसे दर्शकों का बहुत अच्छा रेस्पौन्स मिल रहा है. अक्षरा सिंह का यह नया गाना यू-ट्यूब पर जबरदस्त ट्रेंड में हैं.

 

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Video is coming soon💜 On “Akshara singh official” https://youtu.be/6_6x63ugMh8

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अक्षरा के इस नए भोजपुरी वीडियो में अक्षरा सिंह एक नवविवाहिता के रूप में नजर आ रही हैं. इस गाने में उनका पति उनसे दूर दिखाया गया है. जिसकी याद में वह आंसू बहाती नजर आ रहीं हैं.

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ऐ चंदा (Ae Chanda) नाम से रिलीज किये गए इस एल्बम को अक्षरा सिंह नें खुद अपनी आवाज में गाया है जिसके गीत लिखें हैं राज कुमार सहानी (Raj Kumar Sahani) नें और संगीत दिया है अजय सिंह (Ajay Singh) और बच्चा जी (Bachcha ji ) नें. इस वीडियो अल्बम के म्यूजिक अरेंजर बच्चा जी (Bachcha ji) हैं और डिजिटल हेड की जिम्मेदारी विक्की यादव (Vicky Yadav) नें निभाई है. इसे लेबल दिया है अक्षरा सिंह के औफिसियल यूट्यूब चैनल नें.

 

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बचपन से ये सुनते आरही हूँ (तू हिंदू बनेगा ना मुसलमान बनेगा, इंसान की औलाद है इंसान बनेगा) ऐसे हालात में ना की धर्म, ना कोई मज़हब, बस है तो सिर्फ़ और सिर्फ़ इंसानियत क्यूँकि धर्म जाती और मज़हब से बड़ी है इंसानियत इसलिए इस वक्त पर इंसानियत को ज़िंदा रखिए और सबलोग अपने परिवार के साथ सुरक्षित रहिए और Lockdown का पालन करिये 🙏 विशेष आग्रह के साथ आपलोगो को शब्बे बारात की मुबारक बाद जय हिंद🙏🇮🇳

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अक्षरा को भोजपुरी सिनेमा की बड़ी अभिनेत्रियों में शुमार किया जाता हैं. भोजपुरी बेल्ट में उनके फैन्स की तादाद लाखों की सख्या में है. वह भोजपुरी फिल्मों के साथ ही छोटे पर्दे पर भी सक्रिय रहतीं हैं. उन्होंने छोटे पर्दे पर अपना पहला सीरियल “काला टीका” किया था.

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महज 25 वर्ष की उम्र में अक्षरा सिंह ने भोजपुरी की कई सुपरहिट फिल्में दे चुकीं हैं. आज अक्षरा सिंह के पास फिल्मों की लाईन लगी रहती है. लेकिन वह फिल्मों के चयन के मामले में बडी ही संजीदा है. वह अभिनय के साथ गायन और में भी रूचि रखती है. उन्हें अभिनय विरासत में मिली, उनके पिता बिपिन सिंह भोजपुरी फिल्मों के स्थापित अभिनेता हैं, तो उनकी माता नीलिमा सिंह भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में सहायक अभिनेत्री के साथ साथ थिएटर आर्टिस्ट भी है. आज के दौर में अक्षरा सिंह भोजपुरी की सबसे महंगी हिरोईनों में गिनी जाती है.

Lockdown के दौरान यह भोजपुरी फिल्में आप बार-बार जरूर देखना चाहेंगे

35 करोड़ की आबादी वाले भोजपुरी बेल्ट में हिंदी फिल्मों की तरह भोजपुरी फ़िल्में (Bhojpuri Movie) भी दर्शकों को खासा पसंद है. भोजपुरी सिनेमा देखने वाले यूपी, बिहार के साथ ही दिल्ली, मुम्बई सहित देश के सभी राज्यों में फैलें हुयें हैं. क्यों की भोजपुरी बेल्ट के लोग काम के तलाश में पलायन कर जाते हैं. अब जब नौकरीपेशा से लेकर कामगार वर्ग लौक डाउन (LOCKDOWN) के चलते अपने घरों में बैठा हुआ है. तो इस खाली समय में मनोरंजन के साधनों की आवश्यकता बढ़ गई है. लोग अपने बोरियत को दूर करने के लिए अलग-अलग तरीके अपना रहें हैं.

लोगों के लिए इस बोरियत भरे समय में डिजिटल माध्यम और यूट्यूब सबसे बड़ा सहारा बन कर उभरा है. इस दौर में भोजपुरी सिनेमा को चाहने वाले सिनेमाहाल में तो जा नहीं सकतें हैं क्यों लॉक डाउन ने मनोरंजन के सभी साधनों पर तालाबंदी कर रखा है. इस स्थिति में भोजपुरी सिनेमा को चाहने वाले निराश न हों क्यों यहाँ हम आप को बता रहें हैं भोजपुरी की 10 बेहतरीन फिल्मों के बारें में. जिसे आप घर बैठे ही यूट्यूब पर हाई डेफिनेशन (HD) क्वालिटी में फ्री में देख सकतें हैं.

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दबंग सरकार…

इस फिल्म की कहानी दर्शकों को अंत तक बांधे रखती है. फिल्म की कहानी से दर्शक खुद को जोड़ कर देखनें को मजबूर हो जातें हैं. फिल्म में खेसारी लाल यादव और आकांक्षा अवस्थी  के साथ ही सीपी भट्ट, दीपिका त्रिपाठी , कृष्ण कुमार , संजय पांडेय, समर्थ चतुर्वेदी , अनूप अरोरा , विनीत विशाल , अजय सिंह , जयशंकर पांडेय , सुभाष यादव , आयुषी तिवारी आदि हैं का जोरदार अभिनय देखने को मिलता है. फिल्म का निर्देशन निर्देशक योगेश राज मिश्रा ने किया है और लिखा है मनोज पांडेय नें.छायांकन अमिताभ चंद्रा का है तो संगीत धनञ्जय मिश्रा नें दिया है.

गदर…

इस फिल्म में पवन सिंह और निधि झा का रोमांश देखने लायक है. फिल्म में नेहा सिंह, सुशील सिंह, मोनालिसा, राजेश सिंह, प्रिया शर्मा, उमेश सिंह, राजू सिंह माही, लोटा तिवारी, हीरा यादव, रोहन सिंह राजपूत तथा सीमा सिंह का जबरदस्त अभिनय भी देखनें को मिलेगा. निर्देशन रमाकांत प्रसाद नें किया हैं और निर्माता भूपेंद्र विजय सिंह, बबलू एम गुप्ता और रवि सिन्घ राजपूत हैं.

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पटना से पाकिस्तान…

साल 2015 में रिलीज़ हुई इस फिल्म नें भोजपुरी बेल्ट के दर्शकों का खूब मनोरंजन किया था. यह फिल्म अपनी कहानी और कलाकारों के अभिनय की बदौलत भोजपुरी की हिट फिल्मों में शुमार है. इस फिल्म को यूट्यूब पर साल 2016 में रीलीज किया गया. फिल्म ‘पटना से पाकिस्तान’ (Patna Se Pakistan) में दिनेश लाल यादव “निरहुआ” के अलावा काजल राघवानी, आम्रपाली दुबे, मनोज सिंह टाइगर “बतासा चाचा” सुशील सिंह और अशोक समर्थ ने मुख्य भूमिका निभाई है.

बहूरानी…

यह भोजपुरी की उन फिल्मों में शुमार है जो पारिवारिक होने के साथ ही महिला प्रधान फिल्म हैं. इस फिल्म के पटकथा व निर्देशक पराग पाटिल हैं व लेखक शिव प्रकाश सरोज. संगीतकार राम परवेश व दामोदर राव, गीतकार राजेश मिश्रा, एस. के. चैहान, शिव प्रकाश सरोज का है. फिल्म के छायांकन की जिम्मेदारी जगमिंदर सिंह नें निभाई है. फिल्म में शुभम तिवारी, अंजना सिंह, रविराज दीपू, पूनम दूबे, बालेश्वर सिंह, राम मिश्रा, मनोज टाईगर, सी पी भट्ट, बबलू यादव, जय प्रकाश सिंह, सुनीता सिंह, संजना सिंह, अमरेश त्रिपाठी, सीमा सिंह, दिव्या द्विवेदी, परी पाण्डेय, रोहित राज का जोरदार अभिनय देखने को मिलता है.

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प्रशासन…

इस फिल्म नें अत्याचार और भ्रष्टाचार पर कठोर प्रहार किया है. फिल्म में सुपरस्टार शुभम तिवारी एक जांबाज और ईमानदार पुलिस अफसर के रूप में लुट, खसोट, अत्याचार में लगे भ्रष्टाचारियों से लड़ते हुए दिखतें हैं. इस फिल्म में शुभम तिवारी के अपोजिट रानी चटर्जी की जोड़ी ने खूब धमाल मचाया था. फिल्म में शुभम तिवारी, रानी चटर्जी के अलावा अवधेश मिश्रा, बालेश्वर सिंह, मनोज सिंह टाईगर, राम मिश्रा, सोनू झा, देव सिंह, बिपिन सिंह, सपना, राकेश त्रिपाठी, बबलू यादव नें प्रमुख भूमिकाएं निभाई हैं.

लव और राजनीति…

इस फिल्म में रवि किशन के साथ अंजना सिंह ने की जोड़ी को खूब पसंद किया गया था. इन दोनों कलाकारों की रोमांटिक जोड़ी ने दर्शकों का दिल जीत लिया था. फिल्म के निर्देशक हर्ष आनंद हैं और निर्माता आशा देवी, सुचेता टैगोर हैं संगीत का एसआरके संगीत का है.

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बलम जी लव यू…

फिल्म मुख्य रूप से कुश्ती पर आधारित है, जो कि लव एंगल से जोड़ी गई है. इसमें खेसारी नें एक सीधे साधे लड़के का रोल निभाया है. तो काजल राघवानी नें एक तेजतर्रार पढ़ी लिखी लड़की का किरदार निभाया हैं. इस फिल्म में देव सिंह, अशोक समर्थ, काजल राघवानी, अक्षरा सिंह, शुभी शर्मा, स्मृति सिन्हा, संजय महानंद नें भी प्रमुख भूमिकाएं निभाई हैं.

मोकामा 0 किमी…

यह फिल्म बिहार के अंडरवर्ल्ड व गैंगवार पर आधारित है. इसमें भोजपुरी के सुपर स्टार दिनेश लाल और अभिनेत्री आम्रपाली दूबे व अंजना सिंह की जोड़ी ने जोरदार अभिनय किया है. फिल्म के निर्माता सुजीत तिवारी हैं साथ ही इस फिल्म में दिनेश लाल यादव (निरहुआ), आम्रपाली दुबे, सुशील सिंह, अंजना सिंह, के साथ संजय पांडे, मनोज टाइगर, प्रकाश जैस नें मुख्य भूमिकाएं निभाई हैं.

संघर्ष…

सबरंग भोजपुरी फिल्म अवार्ड में एक दर्जन से अधिक अवार्ड जीतनें वाली इस फिल्म में खेसारी लाल यादव, काजल राघवानी, रितु सिंह , अवधेश मिश्रा, महेश आचार्य, संजय महानंद, निशा झा, रीना रानी, सुबोध सेठ, प्रेरणा सुषमा, दीपक सिन्हा, देव सिंह, सुमन झा, यदुवेंद्र यादव ने अपनें अभिनय से जान फूंक दी है.  फिल्म में खेसारीलाल यादव और काजल राघवानी का मर्मस्पर्शी किरदार जहां मन को भावुक कर देता है, वहीं अवधेश मिश्रा का चरित्र समाज को सीख देता है.

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निरहुआ चलल ससुराल -2…

जबरदस्त एक्शन, रोमांच, और पारिवारिक पृष्ठभूमि पर बनी इस फिल्म में दिनेश लाल यादव निरहुआ के साथ आम्रपाली दुबे, देव सिंह, अवधेश मिश्रा, सुशील सिंह, मनोज सिंह टाइगर, अनूप अरोरा, प्रकाश जैस, माया यादव, किरण यादव, शकीला मजीद, सुबोध सेठ, गोपाल राय नें कमाल की एक्टिंग की है.

गांव में फंसी एक्ट्रेस रतन राजपूत को खाने में मिली बासी रोटी, शेयर किया ऐसा वीडियो

कोरोना वायरस (Coroanvirus) के चलते इस समय देश में लॉकडाउन (Lockdown) का 3.0 बीत चुका है और लॉकडाउन (Lockdown)  4.0 को 31 मई तक बढ़ाया जा चुका है. इस चरण में लोगों को कई तरह की छूट भी दी गई है. लेकिन सिनेमा और टीवी इंडस्ट्री को आज भी शूटिंग के लिए छूट नहीं मिल पाई है. जिसके चलते जो एक्टर जहां है वहीं फंस कर रह गया है.

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इसी में एक नाम मशहूर टीवी एक्ट्रेस रतन राजपूत (Ratan Rajput) का भी है जो बिहार के किसी गांव में लॉक डाउन के पहले चरण से ही फंसी हुई है लेकिन उन्होंने अपनी प्राइवेसी को बनाए रखनें के लिए अभी उस गांव के नाम का खुलासा नहीं किया है जहां वह रुकी हुई हैं.

चूंकि वह गाँव में रुकी हैं ऐसे में उन्हें शहरों की तरह चमक दमक वाली सुविधाएं तो मिल नहीं रहीं हैं ऐसे में उन्हें काफी तरह की परेशानियों का समाना भी करना पड़ रहा है. लेकिन वह इन सब परेशानियों से परेशान न होकर उसे खूब इन्जाय करती नजर आती हैं जिससे जुड़े फोटोज और वीडियोज वह अक्सर अपने इन्स्टाग्राम और फेसबुक एकाउंट पर शेयर करती रहतीं हैं.

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इसी कड़ी में गांव में रहते हुए भी रतन राजपूत (Ratan Rajput) ने नाश्ते में बासी रोटी खाते हुए का एक मजेदार वीडियो शेयर किया है जिसमें उन्होंने सुबह उठनें से लेकर, बर्तन माजनें, कपड़ें धुलनें, ब्रश करने, बाथरूम में फ्रेस होने, झाड़ू पोंछा लगाने, का वीडियो भी शेयर किया.

उन्होंने वीडियों में नाश्ता करते हुए का वीडियो भी शेयर किया जिसमें वह बासी रोटी और अचार के साथ नजर आ रहीं हैं. उन्होंने इसे आचार के साथ लोकल रोल बना कर खाया. इस रोल को रतन राजपूत ने Local Roll नाम दिया. इस रोल में उन्होंने चना, मूंग और नमकीन भी मिला कर रोल किया. नाश्ता करने के बाद वह खुले में वह लकडियां भी बीननें गईं और गांव के खूबसूरती का जमकर बखान किया.

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गोबर के कंडे पर बनाया लिट्टी चोखा

रतन राजपूत (Ratan Rajput) नें इन सबके अलावा एक और वीडियो भी शेयर किया है जिसमें वह गोबर कंडे के आग पर लिट्टी और चोखा बनाती हुई नजर आ रहीं हैं. उन्होंने इसके कैप्शन में लिखा “LOCKDOWN  STORY” “The Last Dinner”  “लिट्टी-चोखा…बिहार की शान” “ Amazing experience” “लिट्टी चोखा” “बिहार की रसोई से” “रतन की रसोई”. इस पोस्ट में उन्होंने लास्ट डिनर लिख कर यह स्पष्ठ कर दिया की उनकी इस गांव से मुंबई वापसी हो रही हैं.

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उन्होंने अपने गाँव से शहर वापसी को लेकर पोस्ट किये गए अपने लेटेस्ट वीडियो में यह भी कहा की वह यहां से वापस जा रहीं है लेकिन मुझे यह नहीं पता की मै यहां से वापस जाने पर खुश हूं या दुखी. रतन नें शेयर किये अपने इस वीडियो में यह भी कहा की इस जगह का कोना कोना उनके दिलो दिमाग में बस चुका है. फिलहाल रतन राजपूत नें गांव से शहर जाने की जानकारी तो दे दी है लेकिन अभी भी उस गांव के नाम का खुलासा नहीं किया है जिसमें वह रुकी हुई थीं.

चीनी सामान का बौयकाट : भक्तो को उकसाने का जरीया

चीनी सामान के बौयकाट के लिये आवाज देना एक साजिश का हिस्सा है. इसके जरीये समय समय पर भक्तों को दुश्मन से लडने के लिये उकसाया जाता है. जिससे भारत की परेशानियों पर बातचीत ना हो सके. कुछ दिन पहले तक चीनी कंपनियों को दावतें दी जा रही थी. एक साल भी नहीं बीता कि अब चीनी कंपनियों के बौयकाट की बात की जा रही है. ऐसा केवल चीन को लेकर ही हो यह सही बात नहीं है. नेपाल के साथ भी यही व्यवहार होता रहता है. दो बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चीन के राष्ट्रपति को भारत बुलाया. उनको भारत यहां घुमाया और यह दिखाने का प्रयास किया कि चीन और भारत के संबंध मजबूत होने से देश को लाभ होगा. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के घर खाना खाने भी प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी गये. उसके बाद पाकिस्तान के साथ भारत के संबंध खराब हो गये.

केवल देश के बाहर ही नहीं देश के अंदर भी प्रधानमंत्री मोदी की सोच का यही हाल है. कश्मीर में महबूबा मुफ्रती के साथ मिलकर भारतीय जनता पार्टी ने सरकार बनाई बाद में कश्मीर में धारा 370 खत्म करने से लेकर उसके विभाजन तक का फैसला ले लिया. व्यवहारिक तौर पर देखा जाये तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के फैसले ऐसे ही होते है. देश की आर्थिक नीतियों को लेकर जीएसटी और नोटबंदी जैसी कामों में भी यही देखा गया कि उनका काम बेहद हडबडी वाला होता है. एक बार जो फैसला हो जाता है उसको ही आगे बढाया जा सकता है. नोटबंदी के समय यह कहा गया कि इससे भ्रष्टाचार और आतंकवाद पर रोक लगेगी. नोटबंदी की तमाम मुसीबत के बाद भी भ्रष्टाचार और आतंकवाद पर रोक नहीं लग सकी.

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चीन के राष्ट्रपति का अदभुत स्वागत

चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग अक्टूबर 2019 मे दो दिन के दौरे पर भारत आये थे. उस समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मादी ने उनका भव्य स्वागत किया था. दोनो नेताओ की मुलाकात के लिये महाबलीपुरम को चुना गया. तमिलनाडु का महाबलिपुरम समुद्र के किनारे बसा एक खूबसूरत शहर है. महाबलिपुरम का महत्व पल्लव और चोलों के काल में भी बहुत था. यह शहर चीन और दक्षिण एशिया से व्यापार के लिए बड़ा केंद्र था. महाबलीपुरम समुद्र के रास्ते चीन से जुड़ा था. महाबलिपुरम के बंदरगाह से चीनी बंदरगाहों के लिए सामान जाता था. दक्षिण भारतीय समुद्रतटीय महाबलीपुरम शहर में चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग और भारत के प्रधानमंत्री की बैठक को इस तरह से दिखाया गया कि इस मुलाकात के बाद दक्षिण पूर्व एशिया और चीन से भारत के व्यापार संबंधों को और मजबूती मिलेगी.

महाबलीपुरम का अपना ऐतिहासिक महत्व भी है. इस शहर को दिखाने के बहाने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी महाभारत काल का वर्णन भी पूरी दुनिया को दिखाना चाहते थे. मीडिया के जरीये दोनो नेताओं की मुलाकात पूरी दुनिया के लोग देख सके इसका पूरा उपाय भी किया गया था. महाबलिपुरम में मुलाकात कम समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग का स्वागत तमिल लिबास में किया. इस दौरान वह वेष्टि यानि सफेद धोती और आधे बाजू वाले सफेद शर्ट पहनी थी और कंधे पर अंगवस्त्रम लिया हुआ था. चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग कैजुएल पोशाक सफेद शर्ट और काले रंग का ट्राउजर पहने थे. दोनों नेताओं ने महाबलीपुरम के मनोरम दृश्यों को देखा इसके अलावा इन दोनो ने महाबलीपुरम में महाभारत कालीन अर्जुन की तपस्या स्थली देखा.

अर्जुन महाभारत काल के एक ऐसे पात्र हैं जिनको सत्ता के अन्याय के खिलाफ भारतीय आध्यात्मिक दर्शन का सबसे दृढ़ लेकिन मानवीय चेहरा माना जाता है. इसी जगह पर अर्जुन ने तपस्या की थी. इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी एक टूरिस्ट गाइड की तरह चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग को सभी चीजों के बार में विस्तार से बता रहे थे. कौन सी आकृति अर्जुन की है कौन सी कृष्ण की और कौन सी युधिष्ठिर और भीम की. ऐसा लग रहा था मानो एक-एक पत्थर की आकृति से प्रधानमंत्री मोदी खुद परिचित हो. महाबलीपुरम में मोदी ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को अर्जुन तपस्या स्थल के अलावा पंच रथ और शोर मंदिर घुमाया. पंच रथ को ठोस चट्टानों को काटकर बनाया गया है. ये सभी अंखड मंदिर के रूप में मुक्त तौर पर खड़े किए गए हैं. पंच रथ के बीच में एक विशाल हाथी और शेर की प्रतिमाएं भी स्थापित हैं.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को ‘कृष्ण का माखन लड्डू’ दिखाया. ‘कृष्ण का माखन लड्डू’ एक विशाल पत्थर है, जिसकी ऊंचाई 6 मीटर और चैड़ाई करीब 5 मीटर है. इसका वजन 250 टन है. इसी अनोखे गोल पत्थर को कृष्ण के माखन के गोले के नाम से भी जाना जाता है. यहां पर दोनो नेताओं ने तस्वीर भी खिंचाई. मोदी चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को लेकर शोर मंदिर भी गये. यह मंदिर यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल की सूची में शामिल है. माना जाता है कि शोर मंदिर सात मंदिरों या सात पैगोडा का हिस्सा है और उनमें से छह समुद्र के नीचे डूबे हुए थे.

पर्यटन स्थलों को घुमाने के बाद मोदी और शी जिनपिंग लोकनृत्य और डिनर का आनंद लिया और एक अच्छे मेजबान की तरह से मेहमान को उपहार भी दिया. चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को उपहार में तंजावुर की पेंटिंग और नचियारकोइल-ब्रांच अन्नम लैंप दिया. तंजावुर की पेंटिंग में सरस्वती की तस्वीर खींची गई है. इस पेंटिंग को बी लोगनाथन ने तैयार किया है. इसको तैयार करने में 45 दिन का समय लगा. वहीं, नचियारकोइल-ब्रांच अन्नम लैंप को 8 मशहूर कलाकारों ने मिलकर बनाया है. इसको बनाने में 12 दिन का समय लगा. यह विशेष रूप से चीनी राष्ट्रपति के लिये तैयार किये गये थे.

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प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने शी जिनपिंग के सम्मान में तो डिनर रखा था. उसमें साउथ इंडियन थाली परोसी गई. मोदी ने इस नॉनवेज थाली के लिए विशेष निर्देश दिए थे. डिनर मीनू में राजमा, मालाबार लॉबस्टर, कोरी केम्पू, मटन युलरथियाडु, कुरुवेपिल्लई मीन वरुवल, तंजावुर कोझी करी, बीटरूट जिंजर चॉप, पच सुंडकाई, अरिका कोक्सहंबू, अर्चाविता सांभर, बिरयानी, इंडियन ब्रेड, अड प्रधामन, हलवा, आइसक्रीम, चाय और मसाला चाट जैसे लजीज व्यंजन शामिल रहे.

दोस्ती के बहाने कारोबार की बात

प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी और शी जिनपिंग की मुलकात को एक बडा अवसर बताया गया. इस मुलाकात के बहाने अमेरिका को दायरे में रखने का बात कही गई. यह भी बताया गया कि चीन की दोस्ती से पडोसी पाकिस्तान को कमजोर किया जा सकता है. चीन के साथ सीमा विवाद हो हल करने का प्रयास भी बताया गया. यह कहा गया कि चीन भारतीय बाजार को खोना नहीं चाहता है. महाबलिपुरम में दोनों नेताओं के बीच व्यापार असंतुलन और सीमा विवाद पर बातचीत के साथ क्षेत्र मुक्त व्यापार समझौता है, जिसे जल्द से जल्द चीन लागू करवाना चाह रहा है.

इसमें भारत की सहमति होगी तो मंदी के मार झेल रहे चीनी उत्पाद भारतीय बाजार में डंप हो जाएंगे. मोदी सरकार ने देश की जनता को यह बताया था कि भारत का प्रभाव ज्यादा है. इस दोस्ती में भारत का पलडा भारी है. इस दोस्ती के बाद चीन अंतराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान की बात नहीं करेगा. एक तरफ मोदी और उनकी टीम चीन के साथ नेहरू की दोस्ती पर सवाल उठाती है तो दूसरी तरफ खुद चीन के साथ दोस्ती की जरूरत के मायने बताती है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ‘हमने मतभेदों को विवेकपूर्ण ढंग से सुलझाने, एक दूसरे की चिंताओं के प्रति संवेदनशीन रहने और उन्हें विवाद का रूप नहीं लेने देने का निर्णय किया है. भारत और चीन पिछले 2,000 साल में ज्यादातर समय वैश्विक आर्थिक शक्तियां रहें हैं और धीरे-धीरे उस चरण की तरफ लौट रहे हैं. हमने मतभेदों को विवेकपूर्ण ढंग से सुलझाने और उन्हें विवाद का रूप नहीं लेने देने का निर्णय किया है. हमने तय किया है कि हम एक-दूसरे की चिंताओं के प्रति संवेदनशील रहेंगे. मोदी ने पिछले साल चीनी शहर वुहान में शी के साथ अपनी पहली अनौपचारिक शिखर वार्ता के परिणामों का जिक्र करते हुए कहा, ‘वुहान की भावना ने हमारे संबंधों को नयी गति एवं विश्वास प्रदान किया. ‘चेन्नई संपर्क’ के जरिए आज से सहयोग का नया युग शुरू होगा. वुहान में पहली अनौपचारिक वार्ता के बाद से दोनों देश के बीच रणनीतिक संचार बढ़ा है.

नवाज शरीफ और मोदी की मुलाकात

2014 से पहले विपक्ष के नेता के रूप में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भारत पाकिस्तान संबंधों को लेकर कांग्रेस सरकार पर तमाम तरह के आरोप लगाते थे. 2014 का लोकसभा चुनाव जीत कर जब नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बने तो पाकिस्तान की सरकार के प्रति उनके रूख मंे नरमी आ गई. नवाज शरीफ के साथ उनकी दोस्ती के चर्चे तो पूरी दुनिया में होने लगे थे. ऐसा होता भी क्यों नहीं आखिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काम ही ऐसा किया था. नवाज शरीफ के जन्मदिन पर 25 दिसंबर 2015 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रूस और अफगानिस्तान की यात्रा से वापस आ रहे थे. अचानक भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का विमान लाहौर के आलमा इकबाल इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उतरा. वहां से वह हेलीकाप्टर के जरीये नवाज शरीफ के रावलपिंडी स्थित घर गए थे. जहां पर नवाज शरीफ के जन्मदिन का सैलीब्रेशन हुआ. मादी ने नवाज शरीफ की मां के पैर छुये और उनसे आर्शिवाद भी लिया. उनको उपहार में कश्मीर की मशहूर पाशमीना शौल तक देकर आये थे. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस तरह अचानक नवाज शरीफ के घर जाने की घटना को विश्व भर में अलग अलग भाव से देखा गया था.

उस समय भारतीय जनता पार्टी की नेता सुषमा स्वराज ने कहा था कि इस मुलाकात के पीछे कहानी बडी लंबी है. नवाज शरीफ की मां चाहती थी कि भारत का कोई मजबूत नेता बने जो दोनो देशो क परेशानियांे को दूर कर सके. इस संबध में नवाज शरीफ की मां और सुषमा स्वराज इस घटना के पहले एक पार्टी में मिले थे. नवाज शरीफ की मंा और सुषमा स्वराज के बीच लबी बातचीत हुई थी. मोदी और नवाज शरीफ जिस मुलाकात को इतना अहम बताया जा गया था वह जल्द ही हवा हांे गई. कुछ दिनों में नवाज शरीफ और मोदी के संबंध खराब हो गये. नवाज शरीफ की बेटी मरियम ने मोदी की आलोचना करते कहा कि वह अपने समकक्ष लोगो का सम्मान नही ंदेते है.

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प्रधानमंत्री इमरान खान का फोन नहीं उठातें. एक तरफ आप बिना किसी तय कार्यक्रम के जन्मदिन की बधाई देने उनके घर पहुच जाये अगले ही दिन दूसरे प्रधानमंत्री का फोन नहीं उठाये.

मोदी शरीफ मुलाकात को बडी रणनीति के रूप में देखा गया था. मोदी ने नवाज शरीफ को अपने शपथ ग्रहण समारोह में भी बुलाया था. नवाज शरीफ के साथ भी मोदी के संबंध अधिक दिनों तक अच्छे नहीं रहे. सार्क देशो की मीटिंग में जब नरेन्द्र मोदी और नवाज शरीफ की मुलकात हुई तो मोदी ने उनको नजर अंदाज किया. नवाज शरीफ जब सामने से गुजरे तो मोदी जी किताबे पढने लगे. प्रधानमंत्री मोदी के साथ सबसे बडी बात यह होती है कि उनके संबंध कब बनते और कब बिगडते है का आकलन कोई नहीं कर सकता है.

महबूबा से रिश्ता पहले बना फिर टूटा

पीडीपी यानि पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट की नेता महबूबा मुफ्रती और भारतीय जनता पार्टी के बीच कभी मधुर संबंध नहीं रहे. वैचारिक स्तर पर कश्मीर की राजनीति को लेकर दोनो दलों में बहुत मतभेद रहे है. 2016 में जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनावों में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला. जिसकी वजह से कोई भी पार्टी सरकार नहीं बना सकी. विधानसभा चुनाव में पीडीपी को सबसे अधिक 28 सीटें मिली. दूसरे दलो में भाजपा को 25 सीटे, नेशनल कांफ्रंेस 15 और कांग्रेस को 12 सीटें मिली. सरकार बनाने के लिये कई दलो का आपस में मिलना जरूरी था. किसी को भी इस बात का पता नहीं था कि भाजपा-पीडीपी आपस में मिलकर सरकार बना सकते है. दूसरे दल यही सोचते रहे और तमाम राजनीतिक आकलन को छोडते हुये भाजपा-पीडीपी आपस में मिलकर सरकार बना ली. भाजपा के समर्थन से महबूबा मुफ्रती मुख्यमंत्री बन गई. 2016 में जब यह सरकार बनी और 2018 में जब दोनो दलो का गठबंधन टूटा दोनो हालातों में बहुत फर्क था. सरकार बनाने के समय की मिठास और सरकार टूटने के समय की खटास देखने वाली थी.

जो महबूबा भाजपा को सबसे प्रिय हो गई थी वह अचानक खराब लगने लगी. धारा 370 के मसले पर किसी दल से कोई राय नहीं ली गई. जिस महबूबा के साथ भाजपा सरकार चला रही थी उनको ही कैद करना पड गया. ऐसे में यह बात बारबार साफ होती है कि भाजपा हर फैसला अपने हित में करती है. सहयोगी दलों के हित और संबंधो से उसका कोई मतलब नहीं होता है. भाजपा केवल अपने कार्यकर्ताओं को उकसाने के लिये ऐसे कदम उठाती रहती है. जिससे वह देश के आंतरिक हालातों के बारें में सोंच ना सके. धर्म, पाकिस्तान और चीन जैसे मुददों पर सोचते रहे.

आसान नहीं है चीनी सामानों का बहिष्कार

सोशल मीडिया के प्रचार के जरीये चीनी सामान का बहिष्कार नहीं किया जा सकता है.भारत और चीनी के बीच के कारोबारी रिश्ते विश्व व्यापार संगठन के प्रावधानों के अनुसार है. ऐसे में बिना किसी कारण के भारत चीन से आयात करना मना नहीं कर सकता है. भारत से चीन का सालाना व्यापार करीब 55 अरब डॉलर का है. हर भारतीय औसतन बहुत सारी चीजों को अपने इस्तेमाल में लाता है. जो चीन से आयात होती हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि भारत में अभी भी कई सामान ऐसे हैं. जिनका भारत में उत्पादन और बिक्री चीनी कंपनियों द्वारा की जाती है.

अगर भारत में चीनी उत्पादों को बेचने पर रोक लगा दी जाए तो एक आम भारतीय के जीवन में काफी मुश्किलें आ सकती हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि दिन भर में एक आम भारतीय जो भी सामान अपने लिए प्रयोग में लाता है. उसमें से 80 फीसदी सामान चीन से आयात होता है या फिर भारतीय कंपनियां इनको बेचती हैं. यही नहीं भारत पाकिस्तान की तरह चीन से आयात होने वाले सामान पर 200 फीसदी की ड्यूटी भी नहीं लगा सकता है.

विश्व व्यापार संगठन के प्रावधानों के अनुसार कोई भी देश बिना किसी कारण के दूसरे देश से अपने यहां आयात या फिर निर्यात होने वाले उत्पादों पर पूरी तरह से रोक नहीं लगा सकते हैं. इसके साथ ही भारत से चीन को निर्यात होने वाले सामान की मात्रा काफी कम है. अगर सरकार चीनी उत्पादों पर ड्यूटी को बढ़ाने का फैसला भी लेती है. तो इसका असर सबसे ज्यादा आम भारतीयों पर ही पड़ेगा.

व्यापक असर है चीन के कारोबार

2011 में भारत में विदेशी निवेश करने वाले देशों में चीन का स्थान 35 वां था. 2014 में 28 वां हो गया. 2016 मे चीन भारत में निवेश करने वाला 17 वां बड़ा देश बन गया. भारत में विदेश निवेश करने वाले बडे देशों में चीन 10 देशों में शामिल हो गया. भारत के लिए राशि बड़ी है मगर चीन अपने विदेश निवेश का मात्र 0.5 प्रतिशत ही भारत में निवेश करता है. 2011 में चीन ने कुल निवेश 102 मिलियन डॉलर का किया था. 2016 में एक बिलियन का निवेश किया. कई चीनी कंपिनयों के रीजनल अॉफिस अहमदाबाद में है. 2017 में के अनुसार चीन की सात बड़ी फोन निर्माता कंपनियां भारत में फैक्ट्री लगाई. चीन की एक कंपनी है चाइना रेलवे रोलिंग स्टॉक उसको नागपुर मेट्रो के लिए 851 करोड़ का ठेका मिला है. चाइना रोलिंग स्टॉक कंपनी को गांधीनगर-अहमदाबाद लिंक मेट्रो में 10,733 करोड़ का ठेका मिला.

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2016 में गुजरात सरकार ने चीनी कंपनियों से निवेश के लिए 5 बिलियन डॉलर का करार किया. 2015 में कर्नाटक सरकार चीनी कंपनियों के लिए 100 एकड़ जमीन देने के लिए सहमत हो गई. महाराष्ट्र इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन ने चीन की दो मैन्यूफैक्चरिंग कंपनी को 75 एकड़ जमीन देने का फैसला किया है. ये कंपनियां 450 करोड़ का निवेश लेकर आएंगी. हरियाणा सरकार ने चीनी कंपनियों के साथ 8 सहमति पत्र पर समझौता किया. यह कंपनियां 10 बिलियन का इंडस्ट्रियल पार्क बनाएंगी स्मार्ट सिटी बनाएंगी. ऐसे हाल में चीन के बहिष्कार की बात पूरी तरह बेमानी है. इससे केवल लोगों को ध्यान ही भटकाया जा सकता है.

Lockdown में भोजपुरी एक्ट्रेसेस का Tik Tok जलवा , देखें Videos

देश में कोरोना के संक्रमण में कोई कमी नहीं आ रही है और Lockdown के पहले चरण के बाद दूसरे फेज को 3 मई तक बढ़ा दिया गया है. ऐसे में सभी की तरह भोजपुरी इंडस्ट्री के लोग भी Lockdown का पालन करते हुए फिल्मों की शूटिंग बंद कर अपनें घरों में समय काट रहें हैं.

 

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#comedy #instadaily #instagood #insta #instagram #instacool #instamood #instacool

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इस Lockdown के बीच भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री से जुड़ी हीरोइनों के टिक टॉक वीडियोज उनके इन्स्टाग्राम एकाउंट पर खूब वायरल हो रहें हैं. भोजपुरी से जुड़ी सभी टौप की एक्ट्रेसेस अपने-अपने घरों से फनी (Funny) वीडियोज बना कर अपने फैन्स का मनोरंजन करती नजर आ रहीं हैं. टिक टॉक (Tik Tok) पर जलवा बिखेरनें वाली इन हीरोइनों में पाखी हेगड़े (Pakkhi Hegde), प्रियंका पंडित (Priyanka Pandit), रानी चटर्जी (Rani Chatarji), मोनालिसा (Monalisa), और मनी भट्टाचार्य (Mani Bahttacharya) का नाम शामिल है.

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भोजपुरी हीरोइनों में टिक टॉक पर वीडियो बनाने के मामले में पाखी हेगड़े (Pakkhi Hegde) का नाम सबसे ऊपर है. वह हर रोज टिक टॉक वीडियो बना कर अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर शेयर करती रहतीं हैं. टिक टॉक पर बनाये जाने वाले उनके वीडियोज बेहद फनी होते हैं जिसे देख कर आप अपनीं हंसी नहीं रोक पायेंगे. इन वीडियोज पर लोग ढेर सारे कमेन्ट कर उनकी तारीफ भी करते हैं. पाखी अपने इन वीडियोज पर आने वाले सभी कमेन्ट पर रिप्लाई भी देती हैं.

 

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Kiska bacha Aisa hoga 😂😂😂 #mahadev #mahadevkideewani #jaiparshuramji

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टिक टॉक पर फनी वीडियोज बनाने के मामले में अभिनेत्री प्रियंका पंडित (Priyanka Pandit) भी पीछे नहीं हैं. वह आये दिन अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर कौमेडी से भरपूर टिक टॉक (Tik Tok) वीडियो अपलोड करती रहतीं हैं. उन्होंने हाल ही में एक बच्चे की की नकल उतारनें वाला वीडियो डाला है. जिसपर यूजर्स ने ढेर सारे फनी कमेन्ट भी किये हैं.

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Kbhi na khatam hone wala lockdown 😂😂😂 40 April tk 🤦🏻‍♀️🤦🏻‍♀️🤦🏻‍♀️

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भोजपुरी की सर्वाधिक व्यस्त अभिनेत्रियों में शामिल रानी चटर्जी (Rani Chatarji) दूसरे अभिनेत्रियों से हट कर डांस के टिक टॉक (Tik Tok) वीडियोज बनाती हैं.

 

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#quratinelife #belikethis #stayhome #staysafeeveryone ,❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️

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भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में हौट और सेक्सी मानी जाने वाली मोनालिसा (Monalisa) अपने होम क्वारंटाइन को बहुत ही मजेदार तरीके से बिता रहीं हैं. वह अपनें फैन्स के लिए आये दिन टिक टॉक (Tik Tok) वीडियो बना कर अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर अपलोड करती रहतीं हैं.

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मनी भट्टाचार्य (Mani Bahttacharya भोजपुरी और बांग्ला की जानी मानी ऐक्ट्रेस है. वह इस समय Lockdown के चलते अपने घर में ही समय बिता रहीं हैं. ऐसे में वह अपनें बोरियत को कम करनें के लिए टिक टॉक (Tik Tok) वीडियो का सहारा लें रहीं हैं. वह आये दिन अपने टिक टॉक वीडियोज शेयर करती रहतीं हैं.

 

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Main To Nahi Piti …. 🚬… 🤦‍♀️🤦‍♀️🤦‍♀️ #lol #laugh #smile #enjoy #fun #quarantine #stayhome

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“Dil Mein Hai Chor Tere “…. Sab pata hai mujhe 🥰🙃🤷‍♀️😂…. #tiktok #videos #romantic #quarantine #life #have #fun

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#Happy Pet Day #mammasboy #bruno❤

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Lockdown में बढ़े घरेलू हिंसा पर रोक लगाने के लिए सामने आए ये बड़े कलाकार, देखें Video

कोरोना (Corona Virus) कहर के बीच लगाए गए लौक डाउन (Lockdown) के बीच महिलाओं के ऊपर घरेलू हिंसा के मामलों में अप्रत्याशित बढ़ोतरी देखनें को मिल रही है. घर के भीतर रह रहीं महिलाओं के ऊपर शारीरिक हिंसा के साथ ही आर्थिक, मानसिक और यौनिक हिंसा के मामले भी बढे हैं. हाल ही में राष्ट्रीय महिला आयोग नें भी लॉक डाउन में बढ़ रहे घरेलू हिंसा के मामलों को लेकर चिंता व्यक्त की है. क्यों की राष्ट्रीय महिला आयोग में लौक डाउन के बीच घरेलू हिंसा को लेकर शिकायतों की संख्या में बड़ा इजाफा देखनें को मिल रहा है.

23 मार्च से 16 अप्रैल के बीच राष्ट्रीय महिला आयोग को घरेलू हिंसा की 587 शिकायतें मिली हैं, जबकि 27 फरवरी से 22 मार्च के बीच केवल 396 मामले ही उसके सामने आए थे.

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लौकडाउन के बीच बढ़े घरेलू हिंसा के मामलों में बढ़ोतरी के कारण को लेकर विशेषज्ञों का कहना है की पुरुषों में लौक डाउन के चलते नौकरियों को खोने की चिंता बढ़ी है. इससे लोगों में तनाव बढ़ रहा है जो घरेलू हिंसा के रूप में सामने आ रहा है.

 

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Lets put a #LockDownOnDomesticViolence !! #Dial100 @CMOMaharashtra @DGPMaharashtra @AUThackeray @aksharacentre

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लौक डाउन में बढे घरेलू हिंसा को लेकर खेल जगत के साथ ही फिल्म जगत काफी गंभीर है और घरेलू हिंसा पर रोक लगाने के लिए फिल्म और खेल से जुडी कई हस्तियां आगे आईं हैं. इसको लेकर इन हस्तियों नें एक वीडियो जारी कर घरेलू हिंसा पर भी लौकाउन लगाने की मांग की है.

वीडियो को अक्षरा सेंटर द्वारा महराष्ट्र सरकार महिला एवं बाल विकास विभाग के स्पेशल सेल के साथ मिल कर बनाया गया है इसमें साथ दिया है टाटा इंस्टीट्यूट औफ सोशल साइंस (Tata Institue of Social Science) नें. साथ ही महराष्ट्र सरकार और महराष्ट्र पुलिस नें भी इसमें सहयोग किया है. इस वीडियों में फिल्म जगत से अनुष्का शर्मा (Anushka Sharma), दीया मिर्जा (Dia Mirza), माधुरी दीक्षित (Madhuri Dixit), विद्या बालन (Vidya Balan), फरहान अख्तर (Farhan Akhtar), करण जौहर (Karan Johar), और राहुल बोस (Rahul Bose) जैसे बड़े सितारे दिखाई दे रहे हैं. वहीं खिलाड़ियों में मिताली राज (Mithali Raj), विराट कोहली (Virat Kohli) और रोहित शर्मा (Rohit Sharma) ने भी इस मुहिम को अपना समर्थन दिया है.

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इस वीडियो से जुड़े सभी सेलेब्रेटीज ने इसे अपने सोशल मीडिया पर शेयर भी किया है और इस पर अपने तरफ से भी कैप्शन में घरेलू हिंसा को लेकर ढेर सारी बातें लिखीं है. इस वीडियों में उन्होंने सभी से अपील करते हुए कहा है की “सभी पुरषों को हम कहते हैं यही समय है हिंसा के खिलाफ बोलने का, महिलाओं से हम कहना चाहते हैं यही समय है अपनी चुप्पी तोड़ने का. अगर आप घेरलू हिंसा का शिकार हैं, फिर चाहे वो घर पर हों, आपको रिपोर्ट करना चाहिए. घरेलू हिंसा पर भी लौकडाउन लगाया जाए.”

गहरी पैठ

देश में कोरोना की वजह से जहां 10 से 15 करोड़ लोग बेकार हो जाएंगे वहीं हजारों कारखाने और धंधे बरबादी के कगार पर पहुंच जाएंगे, क्योंकि मजदूर नहीं मिलेंगे. कोरोना से पहले शहरियों ने अपने ही देश के मजदूरों को बुरी तरह दुहा था और इसीलिए पहला ही बड़ा झटका लगते, ये मजदूर अपनी लगीबंधी नौकरी या छोटामोटा धंधा बंद कर के गांवों की ओर भाग लिए.

अगर 24 मार्च को अचानक 4 घंटे का नोटिस दे कर देश को बंद नहीं किया जाता और

10 दिन लोगों को घरों को लौटने की इजाजत दी जाती तो लौकडाउन में वे लोग शहरों में बने रहते, जिन के पास किराए की छत तो थी. इस अचानक लौकडाउन ने मजदूरों को यह भरोसा दिला दिया कि यह सरकार भरोसे के लायक है ही नहीं.

सरकार ने अगर थोड़ी सी अक्ल लगाई होती और इन मजदूरों को भरोसा दिलाया होता कि वे जातिप्रथा के गुलाम नहीं हैं, बराबर के नागरिक हैं तो बात दूसरी होती. ये मजदूर गांवों से भाग कर इसलिए नहीं आए थे कि वहां भूख सता रही थी. भूख से ज्यादा ये जाति के कहर से परेशान थे. इन का मालमत्ता तो छीन ही लिया जाता था और इन से बेगार तो कराई ही जाती थी, इन की लड़कियों और औरतों को भी जब मरजी उठा लिया जाता था. ये लोग शहरों में हिंदू धर्म की जाति की मार से बचने के लिए आए थे.

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शहरों में इन्हें सीधेसीधे चाहे अछूत न समझा गया हो, पर ऊंचे से ले कर नीचे तक सभी इन से रोजाना वही बरताव करते थे जो गांवों में होता था. इन्हें गांवों की तरह शहरों की गंद में रहने को मजबूर किया गया. ये लोग गंदे पानी के नाले के किनारे झुग्गियां बना कर रहे, खुले में खायाबनाया, सैक्स भी सब के सामने किया. हां, शहरों में इन की औरतेंलड़कियां बच जाती रहीं जो अपनेआप में कम नियामत नहीं थी.

पैसा तो शहरों में भी ज्यादा नहीं मिला. वे लोग कपड़ेलत्ते के अलावा गांव में बस अपने बूढ़े मांबाप के लायक कमा सके. फैक्टरियों ने लालच में मजदूरों के रहने की जगह बनानी बंद कर दीं. सरकारों ने मजदूरों की कालोनियों को जगह देना बंद कर दिया. सड़क पर दुकानें लगाने को भी मजबूर किया, रहने को भी. फिर भी जिस आजादी के सपने उन्होंने देखे थे, उन में से कुछ सही होते रहे और इसलिए लोग आते रहे. अब कोरोना और उस से पहले नोटबंदी ने साबित कर दिया कि यह सरकार तो सिर्फ तिलकधारियों का खयाल रखेगी, दबंगों का, पुलिस का.

मजदूरों की कोई जगह इन के पास नहीं है. वे गुलामों की तरह रहें. अब लौटने में भला है चाहे 1,000 किलोमीटर चलना क्यों न पड़े. ये गांवों में खुश रहेंगे इतना पक्का है. शहरों ने इन्हें हकों का इस्तेमाल करना सिखा दिया है, यही काफी है या कहिए कि बस यही कमाई ले कर ये गांव लौट रहे हैं.

यह माना जा सकता है कि सरकार का खजाना खाली है और उस के पास अपने वेतनभत्ते देने का पैसा भी टैक्सों से जमा नहीं हो पा रहा. हालात तो कोरोना से पहले ही खराब होने शुरू हो गए थे, क्योंकि एक साल से गाडि़यों की बिक्री कम हो रही थी, मकान बिक नहीं रहे थे. व्यापारी बैंकों और जमाकर्ताओं का पैसा ले कर भाग रहे थे. देश छातियां तो पीट रहा था और बड़ी 56 इंची बातें कर रहा था, पर सरकार की जेब में पैसा लगातार सिकुड़ रहा था.

अब जब 50 दिन पूरी तरह सब कामधंधे बंद हो जाने से जो झटका लगा है, वह तब तक ठीक न होगा जब तक सरकार कारखानों और मिलों को धंधा चलाने के लिए मोटा पैसा न देगी. यह पैसा सरकार को वेतन काट कर देना होगा. जैसे हर व्यापारी, कारखानेदार, हर मजदूर आधे पैसों में काम करेगा वैसे ही हर सरकारी अफसर, कर्मचारी, सिपाही, जज, ठेकेदार को आधे पैसों में काम करने को तैयार होना होगा.

देश की बचत का एक बड़ा हिस्सा सरकारी नौकरशाही बेकार में उड़ा देती है. बड़ेबड़े दफ्तर बचे हुए हैं जो करते कम हैं, करने से रोकते ज्यादा हैं. जनता को दुरुस्त करने के नाम पर वे अड़चनें डालते हैं. सारे किएधरे को रोकते रहते हैं. अगर कहीं भी कुछ भी अधूरा बना पड़ा दिखे तो समझ लें कि इस के पीछे सरकार है. कहीं भी कोई रुका हो, बंद हो तो समझ लें कि इस के पीछे सरकार है.

राजाओं ने हमेशा महल बनाए हैं, आम लोगों के घर नहीं. उन्होंने खेतों से लगान वसूला है, खेती नहीं की. कारखानों पर टैक्स लगाए हैं, कारखाने नहीं चलाए. अगर सरकारी नौकरशाही का वेतनभत्ता आधा हो जाए तो देश की जनता को पूरी बरकत होगी. अगर हमेशा के लिए नहीं तो 5-6 महीने की कुरबानी तो देनी ही चाहिए.

जब कोरोना के मरीजों को ठीक करने में डाक्टर अपनी जान पर खेल रहे हैं तो नौकरशाही का फर्ज है कि वह अपना हिस्सा वेतन कटौती से दे और 5-6 महीने केवल आधा वेतन ले. वैसे भी लौकडाउन और घरों में बंद रहने से बहुत से खर्च कट रहे हैं.

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यह तो पक्का है कि सरकार या उस की 30 लाख करोड़ की नौकरशाही अपने खर्च, वेतन, तामझाम कम नहीं करेगी, क्योंकि 1947 में भी आजादी का मकसद यही था कि राज मुट्ठीभर सरकारी लोगों का हो और उस के बाद की हर सरकार का चाहे वह गरीबी हटाओ की बात कर रही थी या हिंदू धर्म की दोबारा जड़ें जमाने की. यहां जनता से देने को कहा जाता है, लेने को नहीं. पुराणों को उठा कर देख लें, एक भी ऐसी कहानी नहीं मिलेगी जिस में किसी राजा ने आम लोगों के लिए कुछ किया हो. 2020 में कुछ अलग नहीं होने वाला.

कोरोना पॉजिटिव होने की खबरों पर भड़कीं ‘Bigg Boss’ की ये एक्स कंटेस्टेंट

टेलिवीजन इंडस्ट्री के सबसे बड़े रिएलीटी शो बिग बौस सीजन 9 (Bigg Boss 9) की 2nd रनर अप रह चुकी कंटेस्टेंट मंदना करीमी (Mandana Karimi) इन दिनों काफी सुर्खियों में हैं. जैसा कि हम सब जानते हैं कि पूरी दुनिया में कोरोना वायरस (Corona Virus) नामक बिमारी फैली हुई है जिसने लाखों लोगो को अपने वस में कर लिया है. ऐसे में कुछ समय पहले एक खबर फैली थी कि मंदना करीमी को कोरोना वायरस से संक्रमित हो गई हैं जिसके बाद से वे काफी सुर्खियों का कारण बन गई थीं.

 

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عید مبارک 🙌🏻❤️

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हाल ही में मंदना करीमी (Mandana Karimi) ने अपने कोरोना पॉजीटिव (Corona Virus) होने की खबरों का पर्दाफाश करते हुए एक इंटरव्यू में कहा है कि, ‘मैं पूरी तरह से ठीक हूं, घर की सफाई के दौरान मेरी आंखों में इंफेक्शन हो गया था, मेरे हाथ में कैमिकल लगा था और मैंने गलती से अपनी आंख को छू लिया जिसके बाद मुझे जलन होने लगी और मुझे काफी तकलीफ का सामना करना पड़ा’.

 

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The ugly Thruth ❤️ #quarantine #life

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इसी मुद्दे पर मंदना करीमी (Mandana Karimi) ने आगे अपने फैंस से बात करते हुए कहा है कि, ‘आपका बहुत बहुत धन्यवाद आपने मेरी चिंता की लेकिन मैं आपको बता दूं मैं ठीक हूं मुझे कोरोना नहीं हुआ है. मेरी आंख में सैनिटाइजर (Sanitizer) और कैमिकल्स (Chemicals) के कारण इंफेक्शन हुआ था और लोगों ने बिना सोचे समझे मुझे कोरोना संक्रमित बता दिया जोकि गलत है.’ अपना गुस्सा जाहिर करते हुए एक्ट्रेस ने आगे कहा, ‘दोस्तों मैं आपको कहना चाहती हूं कि अपने जीवन में आप पढ़ो-लिखो एक अच्छे इंसान बनो. न किसी के बारे में गलत सोचो और न अफवाह फैलाओ. मैं आपको पूछना चाहती हूं कि आपको कोरोना के लक्षण के बारे में कितनी जानकारी है? अगर आपको इसके लक्षण के बारे में कुछ पता नहीं है तो आप अफवाह क्यों उड़ा रहे हो? आप लोग डाक्टर नहीं है.’

 

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If we don’t tell our own stories,no one else will . Mira Nair 🤍 #quarantine #todaywasagoodday

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ना सिर्फ मंदना करीमी (Mandana Karimi) ने अपने फैंस को अपनी खैरियत बताई और अफवाह फैलाने वालों पर गुस्सा किया बल्कि मंदना ने अपने चाहने वालों को अपनी तरफ से कोरोना वायरस से बचने की सलाह भी दी और कहा कि, ‘मैं उम्मीद करती हूं आप सभी अपने घर पर सेफ हैं. इसके साथ ही मैं आपको बता दूं सैनिटाइजर्स का इस्तेमाल ध्यान से करें इससे आंखो में तकलीफ हो सकती है. सैनिटाइजर का इस्तेमाल करने के बाद अपनी आंखों को न छुएं. ये आपके लिए घातक हो सकता है. आप सभी को मेरा बहुत प्यार…’

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