Crime Story: प्यार बना जहर

उत्तराखंड के जिला ऊधमसिंह नगर का एक उपनगर है जसपुर. 12 फरवरी, 2020 की शाम साढ़े 6 बजे किसी व्यक्ति ने जसपुर कोतवाली में फोन कर के बताया कि महुआ डाबरा, हरिपुर स्थित कालेज की ओर जाने वाली कच्ची सड़क किनारे गन्ने के खेत में एक महिला की लाश पड़ी है. यह जगह पौपुलर के जंगल के पास है.  फोन करने वाले ने सूचना दे कर फोन काट दिया. फोन लैंडलाइन पर आया था, इसलिए फोन करने वाले को कालबैक कर के कोई जानकारी नहीं ली जा सकती थी.

खबर मिलते ही कोतवाली प्रभारी उमेद सिंह दानू पुलिस टीम के साथ घटनास्थल के लिए रवाना हो गए. जब तक पुलिस टीम मौके पर पहुंची, तब तक अंधेरा हो चुका था. इस के बावजूद पुलिस ने जीप की रोशनी और टौर्च के सहारे लाश को खोज लिया. मृतका की लाश अर्द्धनग्न स्थिति में थी.

घटनास्थल का निरीक्षण करने पर पहली बार में ही यह बात समझ में आ गई कि मृतक की हत्या कहीं और कर के लाश को उस जगह ला कर फेंका गया है. लाश के पास ही एक लेडीज हैंड पर्स भी पड़ा था, जिस में कुछ दवाइयों के अलावा मेकअप का सामान, मोबाइल फोन, कुछ कंडोम्स वगैरह थे. लाश से कुछ दूरी पर लेडीज सैंडलनुमा जूती भी पड़ी मिली.

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घटनास्थल से सब चीजें और जानकारी जुटाने के बाद कोतवाल उमेद सिंह दानू ने महिला की लाश मिलने की सूचना काशीपुर के सीओ मनोज कुमार ठाकुर, एडीशनल एसपी राजेश भट्ट, एसएसपी बरिंदरजीत सिंह को दे दी. खबर पा कर उच्चाधिकारी घटनास्थल पर आ गए. घटनास्थल पर पुलिस का जमावड़ा लगते देख आसपास के गांवों के कुछ लोग भी एकत्र हो गए थे. पुलिस ने उन से मृतका की शिनाख्त कराई तो उस की पहचान हो गई. पता चला मृतका गांव सुआवाला, जिला बिजनौर की रहने वाली जसवीर कौर उर्फ सिमरनजीत थी. उस के पति का नाम हरविंदर सिंह है.

मृतका की शिनाख्त हो जाने के बाद पुलिस अफसरों ने उस के घर वालों तक घटना की जानकारी पहुंचाने के लिए 2 सिपाहियों को भेज दिया. हरविंदर की हत्या की बात सुन कर उस के घर वाले तुरंत घटनास्थल पर पहुंच गए.

मौकाएवारदात पर पहुंचते ही मृतका के भाई राजेंद्र सिंह ने आरोप लगाया कि जसवीर कौर की हत्या उस के ससुराल वालों ने की है. उन्होंने ही लाश यहां ला कर डाली होगी. राजेंद्र ने पुलिस को बताया कि उस की बहन मामा के लड़के की शादी में आई थी, लेकिन 5 फरवरी को उस का ममेरा भाई सोनी उसे उस की ससुराल सुआवाला छोड़ आया था. उस के बाद उस की जसवीर से कोई बात नहीं हो पाई थी.

राजेंद्र ने पुलिस को बताया कि उस का बहनोई हैप्पी ड्रग्स का सेवन करता है, जिस की वजह से वह घर का कामकाज भी नहीं करता था. नशे की लत के चलते वह जसवीर को बिना किसी बात के मारतापीटता था. साथ ही वह दोनों बच्चों को भी उस से दूर रखता था. इसी कलह की वजह से जसवीर कौर ममेरे भाई की शादी में भी अकेली ही आई थी.

पुलिस पूछताछ में राजेंद्र ने पुलिस को जानकारी देते हुए बताया कि जसवीर और हरविंदर ने प्रेम विवाह किया था. लेकिन शादी के कुछ दिन बाद दोनों के बीच खटास पैदा हो गई थी. जिस की वजह से हरविंदर उसे बिना बात के प्रताडि़त करने लगा था.

25 सितंबर, 2019 को हरविंदर सिंह ने उस के साथ मारपीट की थी, जिस के बाद मामला थाने तक जा पहुंचा था. इस बारे में जसवीर ने थाना अफजलगढ़, जिला बिजनौर में मारपीट की एफआईआर दर्ज कराई थी. बाद में पुलिस ने हरविंदर सिंह को थाने बुलाया और समझाबुझा कर आपस में समझौता करा दिया था. इस के बाद वह जसवीर कौर को उस की ससुराल छोड़ आया था.

लेकिन पुलिस पूछताछ में जसविंदर कौर के ससुराल वालों का कहना था कि जब से वह अपने भाई की शादी में गई थी, घर वापस नहीं लौटी थी. उस की हत्या की सच्चाई जानने के लिए पुलिस को उस की पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार था.

मृतका के भाई राजेंद्र ने थाना कोतवाली में जसवीर के पति हरमिंदर सिंह उर्फ हैप्पी, ससुर चरणजीत सिंह, सास रानू व देवर हरजीत सिंह उर्फ भारू निवासी ग्राम बहादरपुर सुआवाला, थाना अफजलगढ़, जिला बिजनौर के विरुद्ध हत्या का मामला दर्ज करा दिया. लेकिन उन के विरुद्ध कोई सबूत न मिलने के कारण पुलिस कोई काररवाई नहीं कर सकी.

इस केस के खुलासे के लिए पुलिस ने मृतका के मोबाइल की काल डिटेल्स भी चैक कीं, जिस में 4 ऐसे लोगों के नंबर मिले, जिन पर मृतका ने काफी देर तक बात की थी. लेकिन उन नंबर धारकों से पूछताछ करने पर भी पुलिस इस केस से संबंधित कोई खास जानकारी नहीं जुटा पाई.

सीसीटीवी फुटेज से मिला सुराग

छानबीन में पुलिस ने उस क्षेत्र के अलगअलग स्थानों पर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज देखीं. साथ ही मृतका के मोबाइल को भी सर्विलांस पर लगा दिया. लेकिन इस सब से पुलिस को कोई सफलता नहीं मिली. उसी दौरान पुलिस को ठाकुरद्वारा-भूतपुरी बस अड्डे पर लगे सीसीटीवी कैमरे से एक फुटेज मिली, जिस में 8 फरवरी, 2020 को सुबह के 11 बजे मृतका बस स्टौप पर खड़ी नजर आई.

इस से यह बात साफ हो गई कि ससुराल जाने के लिए मृतका वहां से बस में सवार हुई थी. कहा जा सकता था कि वह 8 फरवरी को अपनी ससुराल जरूर गई थी, जबकि उस के ससुराल वालों का कहना था कि अपने भाई की शादी में जाने के बाद वह घर वापस नहीं आई. ससुराल पक्ष के लोगों के बयान पुलिस के लिए छानबीन का अहम हिस्सा बनते जा रहे थे.

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इस केस की जांच में जुटी पुलिस टीमें मृतका के पति हरविंदर, उस के पिता चरनजीत सिंह और एक रिश्तेदार तरनवीर सिंह निवासी सुआवाला, जिला बिजनौर को पूछताछ के लिए जसपुर कोतवाली ले आई. कोतवाली में पुलिस ने तीनों से अलगअलग पूछताछ की.

उन तीनों के बयानों में काफी विरोधाभास था. इस से ससुराल पक्ष शक के दायरे में आ गया. पुलिस ने मृतका के पति हरविंदर को एकांत में ले जा कर सख्ती से पूछताछ की तो वह पुलिस के सामने टूट गया.

उस ने अपना जुर्म कबूलते हुए बताया कि 8 फरवरी को जसवीर कौर घर आई तो किसी बात को ले कर उस से नोंकझोंक हो गई. दोनों के बीच विवाद इतना बढ़ा कि गुस्से के आवेग में उस ने चादर से उस का मुंह बंद कर उस की हत्या कर दी.

पुलिस ने मृतका के पर्स से मेकअप का कुछ सामान व कंडोम बरामद किए थे, जिन को ले कर पुलिस संशय में थी. घटनास्थल पर मृतका का शव अर्द्धनग्न हालत में मिला था, जिसे देख कर लग रहा था कि उस के साथ पहले रेप हुआ होगा, बाद में दरिंदों ने उस की हत्या कर दी होगी.

इसी वजह से पुलिस प्रथमदृष्टया इस केस को रेप से जोड़ कर देख रही थी, लेकिन जब केस का खुलासा हुआ तो पुलिस भी हैरत में रह गई. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में ऐसी कोई बात सामने नहीं आई. दरअसल, यह करतूत जसवीर कौर के ससुराल वालों की थी. उस से छुटकारा पाने के लिए उन लोगों ने इस हत्याकांड को बड़े ही शातिराना ढंग से अंजाम दिया था.

गांव मलपुरी जसपुर से कोई 6 किलोमीटर दूर उत्तर दिशा में स्थित है. 32 वर्षीया जसवीर कौर इसी गांव के स्व. अमरजीत सिंह की बेटी थी. 15 साल पहले जसवीर कौर की शादी हरविंदर सिंह से हुई थी. हरविंदर सिंह जसपुर से लभग 7 किलोमीटर दूर भूतपुरी रोड पर गांव सुआवाला में रहता था.

शादी के समय हरविंदर प्राइवेट बस का ड्राइवर था. उस के पास जुतासे की भी कुछ जमीन थी. तहकीकात के दौरान पुलिस के सामने यह बात भी खुल कर सामने आई कि 15 साल पहले जसवीर कौर का हरविंदर से प्रेम प्रसंग चल रहा था, जिस के चलते दोनों ने स्वेच्छा से विवाह कर लिया था.

शादी के कुछ दिनों तक तो सब कुछ ठीकठाक चलता रहा, लेकिन फिर दोनों के बीच दूरियां बढ़ीं और गृहस्थी में खटास आनी शुरू हो गई. दोनों के बीच मनमुटाव का कारण बनी हरविंदर सिंह की मां राणो कौर. हालांकि हरविंदर सिंह ने जसविंदर के साथ अपनी मरजी से कोर्टमैरिज की थी, लेकिन उस की मां राणो कौर को जसविंदर मन नहीं भाई थी.

इसी के चलते उस ने दोनों के संबंधों में विष घोलना शुरू कर दिया था. हालांकि हरविंदर जसवीर कौर से उम्र में काफी बड़ा था, लेकिन फिर भी जसवीर कौर उसे बहुत प्यार करती थी.

समय के साथ जसवीर कौर 2 बच्चों की मां बन गई. लेकिन इस के बाद भी न तो उसे पति हरविंदर सिंह ने मानसम्मान दिया और न ही उस के परिवार के अन्य लोगों ने. 2 बच्चों की मां बन जाने के बाद भी जसवीर कौर को उस के बच्चों से अलग रखा जाता था.

हरविंदर सिंह खुद भी दोनों बच्चों के साथ अपनी मां राणो के कमरे में सोता था. इसी मनमुटाव के चलते जब दोनों के बीच विवाद ज्यादा बढ़ा तो रिश्तेदारों के सहयोग से हरविंदर सिंह को परिवार से अलग कर दिया गया.

उस के बाद उस का छोटा भाई हरजीत सिंह अपनी मां के साथ खानेपीने लगा. जबकि हरविंदर अपनी पत्नी जसवीर कौर के साथ गुजरबसर कर रहा था. लेकिन यह सब भी ज्यादा दिन तक नहीं चल सका. कुछ ही दिनों बाद हरविंदर अपनी मां के गुणगान करने लगा और जसवीर कौर की ओर से लापरवाह हो गया.

नशे का गुलाम था हरविंदर

हरविंदर राशन वगैरह जरूरी सामान भी नहीं ला कर देता था. वह खुद तो अपनी मां के साथ खाना खा लेता था, लेकिन जसवीर कौर को खाने के लाले पड़ने लगे थे. उस के पास 2 बच्चे थे, जिन की गुजरबसर करना उस के लिए मुश्किल हो गया था. ऊपर से पति आए दिन उस के साथ मारपीट करता था.

हरविंदर पहले तो केवल शराब का ही नशा करता था, लेकिन बाद में अपना कामधंधा सब छोड़ कर भांग, अफीम आदि का भी सेवन करने लगा था. जसवीर कौर जब कभी उसे समझाने वाली बात करती तो वह उसे बुरी तरह मारतापीटता था. वह उसे घर पर चैन से नहीं रहने देता था.

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अगर वह किसी काम से बाहर जाती तो हरविंदर उस पर चरित्रहीनता का लांछन लगाता था. इस सब से जसवीर कौर की जिंदगी नरक बन गई थी. जसवीर कौर के पास अपना मोबाइल था. जब कभी उस के फोन पर किसी की काल आती तो वह उसे शक की निगाहों से देखता. हरविंदर सिंह उसे किसी से भी फोन पर बात नहीं करने देता था. इस सब के चलते दोनों के संबंधों में कड़वाहट भरती गई.

25 सितंबर, 2019 को हरविंदर सिंह ने जसवीर कौर के साथ मारपीट की, जिस के बाद मामला थाने तक पहुंच गया. नतीजतन जसवीर कौर ने थाना अफजलगढ़, जिला बिजनौर में मारपीट की एफआईआर दर्ज कराई. लेकिन पुलिस ने दोनों को समझाबुझा कर घर भेज दिया था.

थाने में हुए समझौते के बाद भी हरविंदर अपनी हरकतों से बाज नहीं आया. वह फिर से उसे प्रताडि़त करने लगा. 3 फरवरी, 2020 को जसवीर कौर अपने मामा के लड़के की शादी में गई थी. वहां से वह 6 फरवरी को वापस लौट आई. फिर 7 फरवरी को वह दिन में 12 बजे घर से निकल गई. उस दिन वह घर न आ कर अगले दिन लौटी. उसी रात झगड़े के बाद हरविंदर ने उस का मोबाइल छीन कर रख लिया.

इसी को ले कर दोनों के बीच विवाद इतना बढ़ा कि हरविंदर सिंह ने गुस्से के आवेग में चादर से जसवीर का मुंह दबा दिया. जिस से उस की सांस अवरुद्ध हो गई और वह बेहोश हो कर गिर गई. फिर कुछ ही पलों में उस की सांस रुक गई.

जसवीर कौर को मरा देख हरविंदर सिंह बुरी तरह घबरा गया. उस ने यह जानकारी अपने पिता चरनजीत सिंह, मां राणो कौर को दी. इस से परिवार में दहशत फैल गई.

किसी की समझ में नहीं आ रहा था कि उस की लाश का क्या किया जाए. हरविंदर ने अपने दोस्त तरनवीर सिंह को फोन कर अपने घर बुला लिया. चारों ने मिल कर रायमशविरा कर के उस की लाश को कहीं दूर फेंकने की योजना बनाई.

हत्या के बाद घिनौना षडयंत्र

तरनवीर अपनी बाइक बजाज पल्सर यूपी20पी 7585 ले कर आया था. चारों ने योजना बनाई कि जसवीर की लाश को ऐसी हालत में फेंका जाए ताकि लोग उसे देख कर रेप केस समझें और उस की हत्या का शक घर वालों पर न आने पाए.

इस योजना को अमलीजामा पहनाने हेतु चारों आरोपी जसवीर की लाश को पल्सर बाइक पर रख कर महुआडाबरा की ओर चल दिए. बाइक को तरनवीर चला रहा था. पीछे हरविंदर का छोटा भाई हरजीत सिंह जसवीर कौर की लाश को पकड़ कर बैठा था, जबकि दूसरी बाइक टीवीएस स्टार सिटी यूपी20क्यू 6491 को हरविंदर चला रहा था और उस के पीछे उस के पिता चरनजीत सिंह बैठे थे.

महुआडाबरा आते ही दोनों बाइक एक कच्चे रास्ते की तरफ बढ़ गईं. वहीं एक सुनसान जगह देख कर उन्होंने लाश गन्ने के खेत में फेंक दी. इस मामले को एक नया रूप देने के लिए पूर्व नियोजित योजनानुसार जसवीर के पर्स में मेकअप के सामान के साथ कंडोम के पैकेट भी रख दिए गए.

जसवीर कौर की लाश को गन्ने के खेत में डालने के बाद इन लोगों ने उस की सलवार को घुटनों तक खिसका दिया, ताकि देखने वाले यही समझें कि किसी ने उस के साथ रेप कर उस की हत्या की है.

अपनी योजना को अमलीजामा पहनाने के बाद चारों अपने गांव सुआवाला लौट आए. लाश की स्थिति देख कर पुलिस भी यही अंदाजा लगा रही थी कि किसी ने बलात्कार कर उस की हत्या कर डाली. लेकिन जब पुलिस ने इस केस की गहराई से छानबीन की तो जांच के दौरान मिले साक्ष्यों के आधार पर केस की कड़ी से कड़ी जुड़ती गई.

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पुलिस ने इस मामले में मृतका जसवीर कौर के पति हरविंदर सिंह, उस के पिता चरनजीत सिंह, दोस्त तरनवीर सिंह व हरविंदर के छोटे भाई हरजीत सिंह को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया. मृतका जसवीर कौर के बच्चों 10 वर्षीय किरन व 13 वर्षीय प्रीत को उस का मामा राजू अपने साथ ले गया था.

धुंधली सी इक याद- भाग 2: राज अपनी पत्नी से क्यों दूर रहना चाहता था?

Writer- Rochika Sharma

आज ईशा बहुत खुश थी. शादी के 2 साल बाद उस ने राज से अपने मन की बात कही और राज ने उसे स्वीकार भी किया. वह रात को गुलाबी रंग की नाइटी पहन और पूरे कमरे को खुशबू से तैयार कर स्वयं भी तैयार हो गई. राज भी उसे देख कर बहुत खुश हुआ और बोला, ‘‘तुम इस गुलाबी नाइटी में खिले कमल सी लग रही हो,’’ और फिर वह उस के गालों, माथे, होंठों को चूमने लगा. फिर न जाने उसे क्या हुआ वह ईशा से दूर होते हुए बोला, ‘‘ईशा, चलो सो जाते हैं, फिर कभी.’’  राज के इस व्यवहार से ईशा तो उस मोर समान हो गई जो बादल देख कर अपने  पंखों को पूरा गोल फैला कर खुश हो कर नाच रहा हो और तभी आंधी बादलों को उड़ा ले जाए. बादल बिन बरसे ही चले गए और मोर ने दुखी हो कर अपने पंख समेट लिए हों.  ईशा रोज किसी न किसी तरह कोशिश करती कि राज उस से शारीरिक संबंध स्थापित करे, लेकिन हर बार असफल हो जाती.

आज जब राज दफ्तर से आया तो ईशा ने जल्दी से रात का खाना निबटाया और सोने के पहले राज से बोली, ‘‘चलो न राज कहीं हिल स्टेशन घूम आते हैं… काफी समय हुआ हम कहीं नहीं गए हैं.’’  राज उस की कोई बात नहीं टालता था. अत: उस ने झट से हवाईजहाज के टिकट बुक किए और दोनों काठमांडु के लिए रवाना हो गए. ईशा काठमांडु में नेपाली ड्रैस पहन कर फोटो खिंचवा रही थी. उस की खूबसूरती देखने लायक थी. शादी के 4 साल बाद भी वह नवविवाहिता जैसी लगती थी. 7 दिन राज और ईशा नेपाल की सारी प्रसिद्ध जगहों पर घूमेफिरे.  राज ने उसे आसमान पर बैठा रखा था. जीजान से चाहता था वह ईशा को. ईशा भी उस के प्यार को दिल की गहराई से महसूस करती थी. राज उस की कोई ख्वाहिश अधूरी नहीं छोड़ता था. लेकिन रात के समय न जाने क्यों वह ईशा को वह नहीं दे पाता जिस का उसे पहली रात से इंतजार था और इस के लिए कई बार तो वह ईशा से माफी भी मांगता. कहता, ‘‘ईशा, तुम मुझ से तलाक ले लो और दूसरी शादी कर लो. न जाने क्यों मैं चाह कर भी…’’ इतना कह एक रात राज की आंखों में आंसू आ गए.

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ईशा कहने लगी, ‘‘ऐसा न कहो राज. हम दोनों ने 7 फेरे लिए हैं… एकदूसरे का हर हाल में साथ निभाने का वादा किया है. मैं हर हाल में तुम्हारा साथ निभाऊंगी. मैं तुम से प्यार करती हूं राज. फिर भी हमें 1 बच्चा तो चाहिए. उस के लिए हमें प्रयास तो करना होगा न?’’  शादी के 5 साल बीत चुके थे. अब तो ईशा से उस के मातापिता, सहेलियां, रिश्तेदार सभी पूछने लगे थे, ‘‘ईशा, तुम 1 बच्चा क्यों पैदा नहीं कर लेतीं? कब तक ऐसे ही रहोगी? परिवार में बच्चा आने से खुशियां दोगुनी हो जाती हैं.’’

हर बार ईशा मुसकरा कर जवाब देती, ‘‘आप ने कहा न… अब मैं इस बारे में सोचती हूं.’’  मगर यह सिर्फ सोचने मात्र से तो नहीं हो जाता न. बच्चे के लिए पतिपत्नी में  शारीरिक संबंध भी तो जरूरी हैं. शादी को 6 वर्ष बीत गए थे. कई बार ईशा सोचती कि एक बच्चा गोद ले ले ताकि कोई उसे बारबार टोके नहीं. लेकिन फिर सोच में पड़ जाती कि राज को ऐसा क्या हो जाता है कि वह संबंध बनाने से कतराता है? सब कुछ ठीक ही तो चल रहा है. वह उस के साथ खुश भी रहता है, उसे सहलाता है, चूमता है, लेकिन सिर्फ उस वक्त वह क्यों उस से दूर हो जाता है. वह इंटरनैट पर ढूंढ़ने लगी और डाक्टर से भी मिली.

डाक्टर ने कहा, ‘‘ईशा मैं तुम्हारे पति से मिलना चाहूंगी. पुरुषों के शारीरिक संबंध स्थापित करने में असफल होने के कई कारण होते हैं.’’

जब राज घर आया तो ईशा ने उसे बताया, ‘‘मैं डाक्टर से मिल कर आई हूं. डाक्टर आप से मिलना चाहती हैं. कल 11 बजे का समय लिया है. आप को मेरे साथ चलना है.’’

राज ने कहा, ‘‘ठीक है चलेंगे.’’  अगले दिन दोनों तैयार हो कर डाक्टर से मिलने पहुंच गए.  डाक्टर ने राज व ईशा से उन की शादी की पहली रात से ले कर अब तक की  सारी बातें पूछीं. एक बार को तो डाक्टर को भी कुछ समझ न आया. डाक्टर ने बताया, ‘‘पुरुषों में शारीरिक संबंध स्थापित न कर पाने के कई कारण होते हैं जैसे धूम्रपान, जिस के कारण पुरुषों के जननांग तक रक्तसंचार नहीं हो पाता है और उन में नपुंसकता आ जाती है. जिस से इरैक्टाइल डिस्फंक्शन की समस्या आ जाती है और शुक्राणुओं में कमी आ जाती है. इस से सैक्स करने की कामना में कमी आ जाती है.  ‘‘इस का दूसरा कारण होता है डिप्रैशन. जिस तरह यह आम जीवन को प्रभावित करता है उसी तरह यह सैक्स लाइफ को भी प्रभावित करता है. इनसान का दिमाग उस के सैक्स जीवन की इच्छाओं को संचित करने में मदद करता है. इसलिए सैक्स के समय किसी भी तरह का टैंशन या स्ट्रैस संबंध में बाधा पैदा करता है. डिप्रैशन एक ऐसी स्थिति है, जिस के कारण दिमाग का कैमिकल कंपोजिशन बिगड़ जाता है और उस का सीधा प्रभाव वैवाहिक जीवन पर पड़ता है. कामवासना में कमी आ जाती है.

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‘‘इस के कुछ उपाय होते हैं जैसे धूम्रपान कम करें, संतुलित आहार लें, व्यायाम करें. कई बार मोटापे के कारण भी शरीर में रक्तसंचार नहीं होता और काम उत्तेजना कम हो जाती है. कई बार मधुमेह रोग होने से भी समस्या होती है, क्योंकि मधुमेह इनसान के नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है, जिस के कारण इरैक्टाइल डिस्फंक्शन की शिकायत हो जाती है.  ‘‘कई बार पुरुषों में टेस्टोस्टेरौन हारमोन की कमी से भी सैक्स लाइफ प्रभावित होती है. इस के लिए सुबह के समय टेस्टोस्टेरौन लैवल का टैस्ट करवाना होता है, क्योंकि सुबह के समय इस का लैवल सब से ज्यादा होता है. शीघ्र पतन भी एक समस्या होती है, जिस में पुरुष महिला के सामने आते ही घबरा जाता है और स्खलित हो जाता है. इस कारण भी पुरुष महिला से दूर भागने लगता है.

ममता- भाग 1: क्या माधुरी को सासुमां का प्यार मिला

मा धुरी को आज बिस्तर पकड़े  8 दिन हो गए थे. पल्लव के मित्र अखिल के विवाह से लौट कर कार में बैठते समय अचानक पैर मुड़ जाने के कारण वह गिर गई थी. पैर में तो मामूली मोच आई थी किंतु अचानक पेट में दर्द शुरू होने के कारण उस की कोख में पल रहे बच्चे की सुरक्षा के लिए उस के पारिवारिक डाक्टर ने उसे 15 दिन बैड रैस्ट की सलाह दी थी. अपनी सास को इन 8 दिनों में हर पल अपनी सेवा करते देख उस के मन में उन के प्रति जो गलत धारणा बनी थी एकएक कर टूटती जा रही थी. उसे समझ में नहीं आ रहा था कि मनोविज्ञान की छात्रा होने के बाद भी वह अपनी सास को समझने में चूक कैसे गई?

उसे 2 वर्ष पहले का वह दिन याद आया जब मम्मीजी अपने पति पंकज और पुत्र पल्लव के साथ उसे देखने आई थीं. सुगठित शरीर के साथ सलीके से बांधी गई कीमती साड़ी, बौबकट घुंघराले बाल, हीरों का नैकलेस, लिपस्टिक तथा तराशे नाखूनों में लगी मैचिंग नेलपौलिश में वे बेहद सुंदर लग रही थीं. सच कहें तो वे पल्लव की मां कम बड़ी बहन ज्यादा नजर आ रही थीं तथा मन में बैठी सास की छवि में वह कहीं फिट नहीं हो पा रही थीं. उस समय उस ने तो क्या उस के मातापिता ने भी सोचा था कि इस दबंग व्यक्तित्व में कहीं उन की मासूम बेटी का व्यक्तित्व खो न जाए. वह उन के घर में खुद को समाहित भी कर पाएगी या नहीं. मन में संशय छा गया था लेकिन पल्लव की नशीली आंखों में छाए प्यार एवं अपनत्व को देख कर उस का मन सबकुछ सहने को तैयार हो गया था.

यद्यपि उस के मातापिता उच्चाधिकारी थे, किंतु मां को सादगी पसंद थी, उस ने उन्हें कभी भी गहनों से लदाफदा नहीं देखा था. वे साड़ी पहनती तो क्या, सिर्फ लपेट लेती थीं. लिपस्टिक और नेलपौलिश तो उन्होंने कभी लगाई ही नहीं थी. उन के अनुसार उन में पड़े रसायन त्चचा को नुकसान पहुंचाते हैं. वैसे भी उन्हें अपने काम से फुरसत नहीं मिलती थी.

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पापा को अच्छी तरह से रहने, खानेपीने और घूमने का शौक था. उन की  पैंटशर्ट में तो दूर रूमाल में भी कोई दागधब्बा रहने पर वे आसमान सिर पर उठा लेते थे. खानेपीने तथा घूमने का शौक भी मां के नौकरी करने के कारण पूरा नहीं हो पाया था, क्योंकि जब मां को छुट्टी मिलती थी तब पापा को नहीं मिल पाती थी और जब पापा को छुट्टी मिलती तब मां का कोई अतिआवश्यक काम आ जाता था.

उन के घर रिश्तेदारों का आना भी बंद हो गया था, क्योंकि उन्हें लगता था कि यहां आने पर मेजबान की परेशानियां बढ़ जाती हैं तथा उन्हें व्यर्थ की छुट्टी लेनी पड़ती है. अत: वे भी कह देते थे, जब आप लोगों का मिलने का मन हो तब आ कर मिल जाइए.

मां का अपने प्रति ढीलापन देख कर पापा टोकते तो वे बड़ी सरलता से उत्तर देतीं, ‘व्यक्ति कपड़ों से नहीं, अपने गुणों से पहचाना जाता है और यह भी एक सत्य है कि आज मैं जो कुछ हूं अपने गुणों के कारण हूं.’

वेएक प्राइवेट संस्थान में पर्सनल मैनेजर थीं. कभीकभी औफिस के काम से उन्हें टूर पर भी जाना पड़ता था. घर का काम नौकर के जिम्मे था, वह जो भी बना देता सब वही खा लेते थे. मातापिता का प्यार क्या होता है उसे पता ही नहीं था. जब वे छोटी थीं तब बीमार होने पर उस ने दोनों में इस बात पर झगड़ा होते भी देखा था कि उस की देखभाल के लिए कौन छुट्टी लेगा? तब वह खुद को अत्यंत ही उपेक्षित महसूस करती थी. उसे लगता था कि उस की किसी को जरूरत ही नहीं है.

मां अत्यंत ही महत्त्वाकांक्षी थीं. यही कारण था कि दादी के बारबार यह कहने पर कि वंश चलाने के लिए बेटा होना ही चाहिए, उन्होंने ध्यान नहीं दिया था. उन का कहना था कि आज के युग में लड़का और लड़की में कोई अंतर नहीं रह गया है. बस, परवरिश अच्छी तरह से होनी चाहिए लेकिन वे अच्छी तरह परवरिश भी कहां कर पाई थीं? जब तक दादी थीं तब तक तो सब ठीक चलता रहा, लेकिन उन के बाद वह नितांत अकेली हो गई थी. स्कूल से लौटने के बाद घर उसे काटने को दौड़ता था, तब उसे एक नहीं अनेक बार खयाल आया था कि काश, उस के साथ खेलने के लिए कोई भाई या बहन होती.

माधुरी को आज भी याद है कि हायर सेकेंडरी की परीक्षा से पहले मैडम सभी विद्यार्थियों से पूछ रही थीं कि वे जीवन में क्या बनना चाहते हैं? कोई डाक्टर बनना चाहता था तो कोई इंजीनियर, किसी की रुचि वैज्ञानिक बनने में थी तो कोई टीचर बनना चाहता था. जब उस की बारी आई तो उस ने कहा कि वह हाउस वाइफ बनना चाहती है. सभी विद्यार्थी उस के उत्तर पर खूब हंसे थे. तब मैडम ने मुसकराते हुए कहा था, ‘हाउस वाइफ के अलावा तुम और क्या बनना चाहोगी?’ उस ने चारों ओर देखते हुए आत्मविश्वास से कहा था, ‘घर की देखभाल करना एक कला है और मैं वही अपनाना चाहूंगी.’

उस की इस इच्छा के पीछे शायद मातापिता का अतिव्यस्त रहना रहा था और इसी अतिव्यस्तता के कारण वे उस की ओर समुचित ध्यान नहीं दे पाए थे और शायद यही कारण था कि वह अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए पल्लव की तरफ आकर्षित हुई थी, जो उस की तरह कालेज में बैडमिंटन टीम का चैंपियन था. वे दोनों एक ही क्लब में अभ्यास के लिए जाया करते थे.

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खेलतेखेलते उन में न जाने कब जानपहचान हो गई, पता ही न चला. उस से बात करना, उस के साथ घूमना उसे अच्छा लगने लगा था. दोनों साथसाथ पढ़ते, घूमते तथा खातेपीते थे, यहां तक कि कभीकभी फिल्म भी देख आते थे, पर विवाह का खयाल कभी उन के मन में नहीं आया था. शायद मातापिता के प्यार से वंचित उस का मन पल्लव के साथ बात करने से हलका हो जाता था.

‘यार, कब तक प्यार की पींगें बढ़ाता रहेगा? अब तो विवाह के बंधन में बंध जा,’ एक दिन बातोंबातों में पल्लव के दोस्त शांतनु ने कहा था.

‘क्या एक लड़की और लड़के में सिर्फ मित्रता नहीं हो सकती. यह शादीविवाह की बात बीच में कहां से आ गई?’ पल्लव ने तीखे स्वर में कहा था.

‘मैं मान ही नहीं सकता. नर और मादा में बिना आकर्षण के मित्रता संभव ही नहीं है. भला प्रकृति के नियमों को तुम दोनों कैसे झुठला सकते हो? वह भी इस उम्र में,’ शांतनु ने पूरे आत्मविश्वास के साथ कहा.

शांतनु तो कह कर चला गया, किंतु नदी की शांत लहरों में पत्थर फेंक गया था. पिछली बातों पर ध्यान गया तो लगा कि शांतनु की बातों में दम है, जिस बात को वे दोनों नहीं समझ सके या समझ कर भी अनजान बने रहे, उस आकर्षण को उस की पारखी निगाहों ने भांप लिया था.

गंभीरतापूर्वक सोचविचार कर आखिरकार माधुरी ने ही उचित अवसर पर एक दिन पल्लव से कहा, ‘यदि हम अपनी इस मित्रता को रिश्ते में नहीं बदल सकते तो इसे तोड़ देना ही उचित होगा, क्योंकि आज शांतनु ने संदेह किया है, कल दूसरा करेगा तथा परसों तीसरा. हम किसकिस का मुंह बंद कर पाएंगे. आज हम खुद को कितना ही आधुनिक क्यों न कह लें किंतु कहीं न कहीं हम अपनी परंपराओं से बंधे हैं और ये परंपराएं एक सीमा तक ही उन्मुक्त आचरण की इजाजत देती हैं.’

पल्लव को भी लगा कि जिस को वह अभी तक मात्र मित्रता समझता रहा वह वास्तव में प्यार का ही एक रूप है, अत: उस ने अपने मातापिता को इस विवाह के लिए तैयार कर लिया.

पल्लव के पिताजी बहुत बड़े व्यवसायी थे. वे खुले विचारों के थे इसलिए अपने इकलौते पुत्र का विवाह एक उच्च मध्यवर्गीय परिवार में करने को तैयार हो गए. मम्मीजी ने स्पष्ट रूप से कह दिया कि जातिपांति पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन यदि उन्हें लड़की पसंद आई तभी वे इस विवाह की इजाजत देंगी.

Crime: दोस्ती, अश्लील फोटो वाला ब्लैक मेलिंग!

आज समय है सावधान रहने का! सावधानी चाहे वह युवती हों, पुरुष हों या उम्रदराज महिलाएं अगर आपकी मित्रता… फ्रेंडशिप जिसका आज कल बड़ा चलन में है, थोड़ी भी चुक नहीं हुई कि सामने वाला भयादोहन या फिर ब्लेक मेलिंग पर उतर आता है.

इसलिए आपको सावधान करते हुए एक ऐसी रिपोर्ट हम यहां प्रकाशित कर रहे हैं जो आपको सचेत करती है और बताती है कि कैसे आजकल समाज में ब्लैक मेलिंग का खेल धड़ल्ले से चल रहा है. अक्सर लोग इतने सफल हो जाते हैं. कुछ ही मामले ऐसे होते हैं जिनमें ब्लैकमेल करने वाले पुलिस गिरफ्त में आ पाते हैं.

पहला घटनाक्रम-

एक ब्लैकमेलर ने पहले महिला पर चिकनी चुपड़ी बातों से प्रेम जाल फेंका. जब महिला प्रेम जाल में फंसी गई, तो दोनों अक्सर बातचीत करने लगे. आरोपी ने मौका देखकर महिला को ब्लैकमेल किया. महिला से तकरीबन साढ़े 5 लाख रुपये ठग लिया. महिला ने तंग आकर राजहरा थाने में शिकायत दर्ज कराई.

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दूसरा घटनाक्रम-

छत्तीसगढ़ के न्यायधानी कहे जाने वाले बिलासपुर में एक महिला ने पुरुष से संबंध बनाएं और वीडियो बनाकर अपने साथियों के साथ भयादोहन पर उतर आई.शिकायत के पश्चात पुलिस ने जांच की और दोषी पाया.

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तीसरा घटनाक्रम-

छत्तीसगढ़ के जिला अंबिकापुर में एक युवक ने कई लड़कियों से दोस्ती गांठी और लड़कियों के अश्लील वीडियो, फोटो बनाएं लाखों रुपए की ब्लेक मेलिंग की अंततः जेल की सलाखों में पहुंच गया.
इस तरह अनेक घटनाएं हमारे आसपास घटित हो रही हैं. दरकार है समझदारी और विवेक की . अगर हम और हमारे आस-पास कोई मित्र, संबंधी जरा भी भटका नहीं की, ब्लैक मेलिंग का शिकार हुआ समझिए.

वीडियो कॉल बना, ब्लैक मेलिंग का जरिया…

छत्तीसगढ़ के राजहरा में घटित एक सनसनीखेज घटना इन दिनों चर्चा में है. यहां एक युवक ने एक युवती से मित्रता की फिर उसका एक वीडियो कॉल के दरमियान अश्लील फोटो बना लिया और शुरू हो गया ब्लैकमेल करने.

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आरोपी आकाश जायसवाल उर्फ गोल्डी ने पहले बीमार होने का बहाना किया. फिर महिला से 3 लाख 60 हजार रुपये ले लिया. कुछ दिनों के बाद महिला ने रकम वापस मांगी. तो आरोपी ने महिला की अश्लील तस्वीर उसके सामने रखकर “सोशल मीडिया” पर वायरल करने की धमकी देने लगा. यही नहीं कथित आरोपी ने फिर 1 लाख 90 हजार रुपये महिला से वसूल लिया. कुल मिलाकर आरोपी ने साढ़े 5 लाख रुपये और जेवरात ठग लिया.

आरोपी ने महिला से लिए सोने के जेवरात को 50 हजार रुपये में एक बैंक में गिरवी रख दिया था, जिसे पुलिस ने बैंक के लॉकर से बरामद किया है. वही आरोपी ने महिला से मिली रकम से एक अदद कार भी खरीदी थी, जिसकी कीमत 4 लाख 50 हजार रुपये बताई जा रही है.

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यहां सबसे सनसनीखेज तथ्य यह सामने आया है

महिला की आरोपी ने वीडियो कॉल के दौरान अश्लील फोटो ले ली थी. यानी महिला को पता ही नहीं चला और वह शिकार बन गई.आगे आरोपी फोटो वायरल करने की बार-बार धमकी दे कर जान से मारने की धमकी भी देता था.

तांक झांक- भाग 3: क्यों शालू को रणवीर की सूरत से नफरत होने लगी?

Writer- Neerja Srivastava

शालू ने तरुण को इशारा किया. शालू ने तरुण को इशारे से ही तसल्ली दी और सैंडल उतार कर स्टेज पर आ गई.

फरमाइश का गाना बज उठा. फिर तो शालू ऐसी नाची कि सभी उस के साथ तालियां बजाते हुए मस्त हो थिरकने लगे. तरुण ने देखा वैस्टर्न डांस पर थिरकने वाले लोग भी ठुमकने लगे थे… वह नाहक ही घबरा रहा था… शालू तो छा गई…

गाना खत्म हुआ तो प्रिया के साथ रणवीर स्टेज पर आ गया. उस ने अपनी ठहरी हुई आवाज और धाराप्रवाह में चंद शेरों से सजे संक्षिप्त वक्तव्य के द्वारा सब को ऐसा मंत्रमुगध किया कि सभी वंसमोर वंसमोर कह उठे. प्रिया भी उसे गर्व से देखने लगी कि कितने शालीन ढंग से कितने खूबसूरती से शब्दों को पिरो कर बोलता है रणवीर. उस के इसी अंदाज पर तो वह मर मिटी थी. उस ने कुहनी के पास से रणवीर का बाजू प्यार से पकड़ लिया था. दोनों ने फिर किसी इंगलिश धुन पर डांस किया.

अब डांस फ्लोर पर सभी एकसाथ डांस का मजा लेने लगे. डांस का म्यूजिक चल पड़ा था. स्टेज पर वरवधू भी थिरकने लगे. सभी पेयर में नृत्य कर रहे थे. कभी पेयर बदल भी लिए जा रहे थे. शालू ने धीरेधीरे तरुण के साथ 1-2 स्टेप लिए पर पेयर बदलते ही वह घबरा उठी और किनारे लगी सीट में एक पर जा बैठी. तरुण थोड़ी देर नई रस्म में शामिल हो नाचता रहा.

एक बार प्रिया भी उस के पास आ गई पर दूसरे ही पल वह दूसरे की बांहों में थिरकती तीसरी के पास पहुंच गई. तरुण को झटका सा लगा. कुछ अजीब सा फील होने लगा, ‘कैसे हैं ये लोग… रणवीर अपने में मस्त किसी और की पत्नी के साथ और उस की पत्नी प्रिया किसी और के पति के साथ… अजब कल्चर है इन का. इस से अच्छी तो मेरी शालू है.’ उस ने दूर अकेली बैठी शालू की ओर देखा और फिर उस के पास चला गया.

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रणवीर ने देख लिया था, ‘उफ, शालू ने न तो खुद ऐंजौय किया और न पति को ही मजे लेने दिए. अपने पास बुला लिया… ऐसी पार्टियों के लायक ही नहीं वे… उधर प्रिया को देखो. कैसे एक हीरोइन सी सब की नजरों का केंद्र बनी हुई है. आई जस्ट लव हर…’ उसे नशा चढ़ने लगा था. कदमों के साथ उस की आवाज भी लड़खड़ाने लगी थी. रणवीर ने प्रिया को पकड़ने के लिए हाथ बढ़ाया तो उस के कदम भी लड़खड़ाए और फिर फर्श पर जा गिरी. हड़कंप मच गया. क्या हुआ? क्या हुआ?

प्रिया दर्द से कराह उठी थी. पैर में फ्रैक्चर हो गया था. रणवीर तो खुद उसे उठाने की हालत में न था. तरुण और शालू ने जैसेतैसे अस्पताल पहुंचाया.

उमेशजी अपने ड्राइवर को गाड़ी ड्राइव करने के लिए बोल रहे थे पर रणवीर माना नहीं. रास्ते भर तरुण, उस की इधरउधर भागती गाड़ी के स्टेयरिंग को मुश्किल से संभालता रहा. पर इस सब से बेखबर शालू महंगी गाड़ी में बैठी एक बार फिर अपने रईस पति की कल्पना में खो गई थी.

प्रिया घर आ गई थी. उस के पैर में प्लास्टर चढ़ गया था. लाते समय भी शालू और तरुण अस्पताल पहुंचे थे. तभी एक गरीब महिला रोती हुई आई और सब से अपने बच्चे के लिए खून देने के लिए गुहार करने लगी.

‘‘तुम प्रिया मैडम के पास चलो शालू. मैं अभी आता हूं,’’ कह तरुण ने शालू से कहा तो वह उस का आशय समझ गई.‘‘अभी 10 दिन भी नहीं हुए तुम्हें खून दिए तरुण,’’ शालू बोली.

तरुण नहीं माना. उस गरीब को खून दे आया. फिर प्रिया को उस के फ्लोर पर सहीसलामत पहुंचाया. अगले दिन बौस से डांट भी खानी पड़ी. औफिस पहुंचने में लेट जो हो गया था.

‘तरुण भी न दूसरों की खातिर अपनी परवाह नहीं करता,’ शालू औटो में बैठी सोच रही थी.

अपने ब्लौक के गेट के पास आने पर उसे एक संतरे की रेहड़ी वाला दिखा. उस ने औटो रुकवाया और उतर कर औटो वाले को पैसे देने लगी.

तभी वहां से हवा में बातें करती एक लंबी सी गाड़ी गुजरी. वह रोमांचित हो उठी. उस ने सिर उठा कर देखा, ‘अरे ये तो हमारे पड़ोसी रणवीर हैं. काश, उस का पति भी कोई बीएमडब्ल्यू जैसी गाड़ी वाला होता.’ शालू अभी यह सोच ही रही थी कि वही गाड़ी उलटी साइड से आ कर रेहड़ी वाले से जा टकराई. रेहड़ी उलट गई और रेहड़ी वाला छिटक कर दूर जा गिरा. उस के संतरे सड़क पर चारों ओर बिखर गए. शालू ने साफ देखा था. गाड़ी गलत साइड से आ कर रेहड़ी वाले से टकराई थी. फिर भी रणवीर ने तमाचे उस गरीब को जड़ दिए. फिर चीख कर बोला, ‘‘देख कर नहीं चल सकता?’’

‘‘साहबजी…’’ आंसू बन रेहड़ी वाले का दर्द आंखों में उतर आया. वह हाथ जोड़े इतना ही बोल सका.

‘‘ये पकड़ अपने नुकसान के रुपए… ज्यादा नाटक मत कर… कुछ नहीं हुआ… अब जल्दी सड़क साफ कर,’’ कह रणीवर ने उसे 2 हजार का 1 नोट दिया. शालू रणवीर का क्रूर व्यवहार देखती रह गई कि इतना अमानवीय बरताव…

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उस की महंगी गाड़ी फिर तेजी से उस की आंखों से ओझल हो गई. शालू को इस समय कोई रोमांच न हुआ, बल्कि उसे अपनी आंखों में नमी सी महसूस होने लगी. उस ने पर्स से रुमाल निकाल कर रेहड़ी वाले के माथे से रिसता खून पोंछ कर बैंडएड चोट पर चिका दी. फिर संतरे उठवाने में उस की मदद करने लगी.

‘‘रहने दीजिए मैडमजी मैं उठा लूंगा,’’ रेहड़ी वाले के पैरों और हाथों में भी चोटें थीं.

शालू ने नजरों से ओझल हुई उस गाड़ी की ओर देखा. वहां सिर्फ धूल का गुबार था, जिस ने उस की सपनीली कल्पना को उड़ा कर रख दिया कि शुक्र है उस का तरुण महंगी बड़ी गाड़ी में घूमने वाले ऐसे छोटे दिल के घटिया इंसान की तरह नहीं है. न जाने उस ने कितनी बार तरुण को ऐसे जरूरतमंदों की मदद करते देखा है. रईस ही तो है वह. वास्तव में बड़े दिल वाला रईस. शालू को तरुण पर प्यार आने लगा और फिर वह तेज कदमों से घर की ओर बढ़ चली.

Manohar Kahaniya- राम रहीम: डेरा सच्चा सौदा के पाखंडी को फिर मिली सजा- भाग 3

सौजन्य- मनोहर कहानियां

हनीप्रीत के पूर्व पति विश्वास गुप्ता ने बाबा की गिरफ्तारी के बाद मीडिया को बताया था कि शादी के 2 या 3 दिन बाद बाबा राम रहीम ने उसे हनीप्रीत के साथ डेरे में मुलाकात के लिए बुलाया था. तब बाबा ने कहा था कि तुम हमारे साथ बाहर यात्राओं पर जाती हो, अगर बच्चा हुआ तो उस के स्कूल जाने और लालनपालन के चलते हमारी सेवा नहीं कर पाओगी, इसलिए बच्चा पैदा न करो.

बाबा ने कहा था कि हम तुम्हें बेटा मानते हैं, उसी तरह हनीप्रीत भी हमारी बेटी है. हम उसे भी उतना ही प्यार देंगे.

विश्वास गुप्ता ने आरोप लगाया था कि बाबा हर सप्ताह हनीप्रीत और उसे डेरे में बुलाने लगा. वह गुफा के अंदर बने बैडरूम में हनीप्रीत को बुलाता था और उसे लिविंग रूम में ही बैठने को कहता था.

पूछने पर बाबा कहता था कि बेटी अकेले में ससुराल के हर सुखदुख बता सके, इसलिए उस से अकेले में हालचाल पूछता हूं. विश्वास गुप्ता ने आरोप लगाए थे कि राम रहीम और हनीप्रीत की सभी मुलाकातें हर बार एक से डेढ़ घंटे तक होती थीं. इस दौरान बाबा के चेले और दूसरे सेवादार विश्वास गुप्ता को बातों और कुछ कामों में उलझाए रखते थे. बाद में बाबा ने विश्वास गुप्ता को सप्ताह में 2 दिन पत्नी के साथ गुफा में रहने का आदेश दिया.

बताते हैं कि उसी दौरान एक रात जब  विश्वास गुप्ता डेरे में बाबा की गुफा के लिविंग रूम में सो रहा था तो उस ने रात के वक्त बाबा के बैडरूम में अपनी पत्नी हनीप्रीत व बाबा को कामक्रीड़ा करते देखा. बस इसी के बाद से बाबा और हनीप्रीत से उस का मोहभंग हो गया.

बाद में हनीप्रीत और विश्वास गुप्ता के संबध बिगड़ने लगे तथा दोनों में अकसर तकरार होने लगी.

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विश्वास गुप्ता और हनीप्रीत का रिश्ता केवल 11 साल चला. बाबा राम रहीम ने साल 2009 में हनीप्रीत को बेटी के रूप में गोद ले लिया. जिस के बाद हनीप्रीत बाबा के साथ डेरे की गुफा में ही रहने लगी. हनीप्रीत को गोद लेने के बाद गुप्ता से हनी के मतभेद और गहरे हो गए.

गुप्ता ने जब हनीप्रीत पर घर वापस चलने का दबाव डाला तो उस के खिलाफ दहेज उत्पीड़न का मामला दर्ज करवा दिया गया, जिस में उसे जेल की हवा खानी पड़ी. बाद में जेल से रिहा होने पर  साल 2011 में विश्वास गुप्ता ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में मुकदमा दायर कर राम रहीम के कब्जे से अपनी पत्नी यानी हनीप्रीत को मुक्त कराने की मांग की थी. अदालत में दी गई याचिका में विश्वास गुप्ता ने राम रहीम पर हनीप्रीत के साथ अवैध संबंध होने का भी आरोप लगाया था.

डेरे के सारे फैसले लेने लगी हनीप्रीत

बताते हैं कि बाद में डेरे के कुछ प्रभावशाली लोगों के दबाव के कारण विश्वास गुप्ता के परिवार वालों ने हनीप्रीत से उस का तलाक करवा दिया. लेकिन इस दौरान गुप्ता परिवार को बाबा के ऊंचे रसूख के कारण कई तरह की प्रताड़नाओं का शिकार होना पड़ा.

विश्वास गुप्ता से तलाक के बाद हनीप्रीत पूरी तरह बाबा के लिए समर्पित हो गई.

हनीप्रीत डेरा के हर महत्त्वपूर्ण फैसले लेने लगी. बाबा राम रहीम के साथ वह साए की तरह चौबीसों घंटे रहने लगी. बाबा हर फैसला हनीप्रीत से सलाह ले कर ही करता था.

इतना ही नहीं, बाबा ने हनीप्रीत की फिल्मों में काम करने की ख्वाहिश को देखते हुए ‘एमएसजी’ नाम से एक फिल्म कंपनी बनाई जिस के तहत बनी फिल्म ‘एमएसजी’, ‘जट्टू इंजीनियर’, ‘द वारियर लायन हार्ट’ समेत दूसरी और भी फिल्मों का निर्देशन हनीप्रीत ने ही किया. एमएसजी नाम की फिल्म में तो बाबा ने खुद हीरो के रूप में काम भी किया.

बाबा की बेबी हनीप्रीत इतनी ताकतवर हो चुकी थी कि उसी के हाथ में डेरे की सभी चाबियां रहती थीं. पैसे से ले कर हर वो फैसला जो डेरे से संबंधित होता था, वह हनीप्रीत ही करती थी.

हनीप्रीत भले ही दिखावे के लिए बाबा की बेबी रही हो, लेकिन लोग अब खुली जुबान से कहते हैं कि वह बाबा की हनी थी. शायद यही वजह थी कि गुरमीत राम रहीम की अपनी बीवी और बेटेबहू से दूरियां रहती थीं.

राम रहीम को अपने तौरतरीकों से चलाने वाली हनीप्रीत जेल जाने तक उस के साथ नजर आई थी और बाद में उसी ने डेरे का प्रबंध अपने हाथों में लिया.

गुरमीत राम रहीम की गिरफ्तारी के बाद 600 करोड़ रुपए के टर्नओवर वाले उस के एमएसजी प्रोडक्ट्स की कमान भी बाद में हनीप्रीत के हाथों में आ गई. एमएसजी के सिरसा में 5 बड़े शोरूम थे, जिन में करीब 150 से ज्यादा प्रोडक्ट्स बेचे जाते थे.

हालांकि बाबा की गिरफ्तारी के बाद एमएसजी का यह कारोबार आर्थिक संकट का शिकार हो कर बंद हो गया, जिस से इस में निवेश करने वाले लगभग 10 हजार लोगों की रकम भी डूब गई.

साध्वियों के साथ रामचंद्र छत्रपति के परिवार को इंसाफ मिल चुका था, लेकिन राम रहीम के दामन पर लगे डेरा प्रेमी रणजीत सिंह की हत्या के दागों का इंसाफ होना अभी बाकी था.

18 अक्तूबर, 2021 को रणजीत सिंह हत्याकांड में पंचकूला की विशेष सीबीआई अदालत के जज सुशील कुमार ने राम रहीम समेत 5 लोगों को दोषी ठहरा कर उम्रकैद की सजा सुनाई. 19 साल तक अदालत में चले इस मामले की 250 पेशी हुई और 61 गवाही के बाद अदालत ने 5 आरोपियों को दोषी माना.

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रणजीत सिंह एक समय राम रहीम के डेरे का मैनेजर और उस का भक्त हुआ करता था, लेकिन 10 जुलाई, 2002 को अचानक रणजीत सिंह की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी. हत्या का रहस्य बहुत गहरा था. हत्या के आरोप में राम रहीम के साथ उस का सहयोगी कृष्ण लाल भी फंसा था.

रणजीत सिंह हत्याकांड में 3 गवाह महत्त्वपूर्ण थे. इन में 2 चश्मदीद गवाह सुखदेव सिंह और जोगिंद्र सिंह थे. इन का कहना था कि उन्होंने आरोपियों को रंजीत सिंह पर गोली चलाते हुए देखा था.

अगले भाग में पढ़ें- 400 साधुओं को बनाया नपुंसक

Satyakatha: फौजी की सनक का कहर- भाग 3

सौजन्य- सत्यकथा

लेखक- शाहनवाज

राय सिंह को उस के अनैतिक रिश्ते की गंध समझते देर नहीं लगी. उस का शक विश्वास में बदल गया कि सुनीता के कृष्णकांत के साथ मधुर संबंध हैं. उस समय उसे गुस्सा तो बहुत आया लेकिन शांत बने रहा.

यह घटना तो घट गई थी, लेकिन राव राय सिंह के मन में उठने वाले सवाल उसे रात को सोने नहीं दे रहे थे. वह लगातार चिंतित रहने लगा. उसे यह भी चिंता सताने लगी कि कहीं सुनीता उस के बेटे को धोखा न दे दे.

सुनीता और कृष्णकांत के बीच कोई अनैतिक रिश्ता तो नहीं? इस घटना के बाद वह अपनी बहू और कृष्णकांत को शक की नजरों से देखने लगा.

हालांकि उस ने इस का जिक्र किसी से नहीं किया था. अपनी पत्नी तक को नहीं बताया था. जबकि राय सिंह मन ही मन यह सब सोच कर कुढ़ता रहता था. वह सुनीता के मिजाज को अच्छी तरह जानता था, इसलिए उस पर दबाव नहीं बना पा रहा था. उसे पता था कि उस के खिलाफ कुछ भी बोलने का मतलब बेइज्जत होना है.

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उसी बीच फरवरी, 2021 में सुनीता फिर अपने मायके चली गई. एक महीने बाद कोरोना की दूसरी लहर ऐसी आई कि लौकडाउन और कर्फ्यू के चलते लोगों का कहीं आनाजाना मुहाल हो गया.

मई, 2021 में कृष्णकांत के गांव से उन के पिता के बीमार होने का फोन आया. उन्हें सपरिवार आननफानन अपने गांव जाना पड़ा. गांव से वह वापस गुरुग्राम आ तो गए लेकिन उन की आर्थिक स्थिति काफी खराब हो चुकी थी.

एक तरफ उन की नौकरी छूट गई थी, दूसरी तरफ मकान का किराया 7 महीने का बाकी हो गया था. किराए को ले कर राय सिंह से कृष्णकांत की कई बार बहस भी हो चुकी थी.

गांव में अपने पिता की देखभाल करने के 3 महीने बाद अगस्त में रक्षाबंधन के ठीक 5 दिन पहले लौटे थे. राय सिंह ने तब किराया न देने पर उन्हें खूब खरीखोटी सुनाई थी.

वह पहले से ही अपनी बहू को ले कर परेशान था. उस ने सोचा कि किराए के बहाने कमरा खाली करवा लेने पर कृष्णकांत से उस की बहू का संबंध खत्म हो जाएगा. कृष्णकांत ने कुछ समय की मोहलत मांगी.

उसी बीच 19 अगस्त को सुनीता भी मायके से गुड़गांव लौट आई. राय सिंह के किराया मांगने पर उस ने कृष्णकांत और परिवार की तरफदारी की. उस ने कहा वह खराब हालत में कहां जाएंगे.

सुनीता की बातों से राय सिंह के दिल को ठेस लगी. उस ने कृष्णकांत के सामने ही यह बात कही थी, जिस से उस ने बेइज्जती महसूस की थी. उस वक्त तो राय सिंह खून का घूंट पी कर रह गया, लेकिन मन ही मन में एक संकल्प भी ले लिया.

सुनीता द्वारा कृष्णकांत का पक्ष लिए जाने का कारण वह समझ रहा था. उन के रिश्तों को ले कर पहले से ही शक का कीड़ा मन में कुलबुला रहा था. सुनीता की तरफदारी से कीड़ा रेंगने लगा था.

एक दिन रात को अचानक उन की नींद खुल गई और पेड़पौधों की कटाईछंटाई करने वाले गंडासे की धार तेज करने लगा. पत्नी ने रात को ऐसा करते देख कर पूछा तब उस ने बहाना बनाते हुए कहा कि उसे कई पेड़ों की छंटाई करनी है. गंडासा की धार तेज करने का सिलसिला 19 अगस्त से 23 अगस्त तक चला.

23 तारीख की शाम को 7 बजे राव सिंह का बेटा आनंद यादव अपने कुछ दोस्तों के साथ खाटू श्याम मंदिर में दर्शन करने के लिए चला गया था. राय सिंह ने उसी रात अपनी योजना को अंजाम देने का मन बना लिया.

रात के 12 बजे के बाद राय सिंह पहले की तरह उठा और गंडासा निकाल कर छत की सीढि़यां चढ़ने लगे. उस की पत्नी विमलेश की नींद खुल गई, लेकिन उस ने समझा वे गंडासे की धार तेज करने गए होंगे. किंतु मोबाइल की रोशनी से घड़ी देखी तो ढाई बजे का समय देख कर चौंक गई.

उस के मन में कुछ आशंका हुई और दबेपांव छत पर जाने लगी. सीढि़यों पर अंधेरा था, जिस से वापस लौट कर अपने कमरे में आ कर लेट गई. उधर राय सिंह ने पहली मंजिल पर पहुंच कर अपनी बहू का कमरा खटखटाया.

2-3 बार दरवाजा खटखटाने के बाद अंदर से सुनीता ने गहरी नींद में दरवाजा खोला. इस से पहले कि सुनीता को कुछ पता चलता, राय सिंह ने उस के सिर पर गंडासे से जोरदार वार कर दिया.

सुनीता वहीं चीख कर गिर पड़ी. उस के गिरते ही राय सिंह ने दनादन शरीर पर कई वार कर दिए. उस के सिर से ले कर शरीर के कई हिस्से से खून बहने लगा.

नीचे राय सिंह की पत्नी विमलेश सुनीता की चीख सुन कर भागीभागी पहली मंजिल पर जा पहुंची. वहां पति के हाथ में खून से सने गंडासे को देख कर डर गई और उल्टे पांव अपने कमरे में आ कर लेट गई.

सुनीता को मौत के घाट उतारने के बाद वह सीधे दूसरी मंजिल पर जा पहुंचा. संयोग से कृष्णकांत ने अंदर से कुंडी बंद नहीं की थी. अंधेरे में हलकी फैली हुई रोशनी में राव सिंह ने कृष्णकांत और उस के पूरे परिवार को नीचे जमीन पर ही लेटे पाया.

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समय बरबाद नहीं करते हुए सब से पहले कृष्णकांत के सिर पर गंडासे से वार किया. पहला हमला ही इतना जोरदार था कि कृष्णकांत पहले ही वार से अपनी गहरी नींद से जाग ही नहीं पाए. वह बेसुध हो गए.

राव सिंह ने कृष्णकांत पर अपना आपा खोते हुए करीब 7 वार लगातार किए. कृष्णकांत की मौके पर ही मौत हो गई. तब तक थोड़ी दूरी पर सोई अनामिका नींद से जाग गई थी. जख्मी पति को देख कर उस ओर जैसे ही आने की कोशिश की, राय सिंह ने उस के सिर पर भी गंडासे का एक जोरदार वार कर दिया.

तब तक बच्चे जाग गए थे. वे अपने मांबाप को बेसुध हालत में देख कर कहने लगे, ‘‘अंकल माफ कर दीजिए. इन्हें मत मारिए. इन्हें छोड़ दीजिए.’’

तब तक राय सिंह अपना आपा खो चुका था. अनामिका पर एक के बाद एक कई वार करने के बाद बच्चों पर भी गंडासे से हमला बोल दिया और फिर अपने कमरे में आ कर बाथरूम में घुस गया.

इस जघन्य हत्याकांड के बाद राव सिंह बाथरूम में घुस कर नहाया. अपने कमरे में वह पंखे के नीचे बैठा. नए कपड़े पहने और करीब साढ़े 4 बजे उठ कर डेली रूटीन में व्यस्त हो गया. मूकदर्शक बनी जड़वत पत्नी विमलेश को ठहर कर देखा और पार्क की ओर सैर पर निकल पड़ा.

उसी दिन सुबह करीब साढ़े 6 बजे जब वह पार्क से अपने घर लौटा और दोबारा लाशों को जा कर देख आया. फिर हाथ में गंडासा लहराते हुए थाने चला गया. इस बात की पुष्टि बाद में इलाके के 3 सीसीटीवी कैमरों में कैद हो चुकी फुटेज से हुई.

उस के कपड़े और उस औजार पर खून के छींटों की जांच के बाद उस के द्वारा हत्या किए जाने की भी पुष्टि हो गई.

इस हत्याकांड की सुनीता के भाई अशोक यादव ने भी राजेंद्र पार्क पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई. उन्होंने रिपोर्ट में राव राय सिंह के परिवार पर सुनीता से पैसों की मांग का आरोप लगाया. इस कारण वह अकसर सासससुर से झगड़ कर मायके आ जाती थी.

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कथा लिखे जाने तक केस को सुलझाने के लिए गुरुग्राम की राजेंद्र पार्क पुलिस ने हर पहलू को ध्यान में रखते हुए परिवार के सभी सदस्यों के बयान ले लिए थे.

आरोपी राव राय सिंह को न्यायिक हिरासत में ले लिया गया था. इस पूरे हत्याकांड में एकमात्र बची हुई पीडि़त 6 साल की विधि तिवारी की हालत में लिखे जाने तक सुधार हो रहा था. उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भरती करवाया गया था.

तलाक के बाद शादी- भाग 3: देव और साधना आखिर क्यों अलग हुए

एक मवाली हंस कर बोला, ‘‘लो, हीरो भी आ गया.’’ उस ने चाकू निकाल लिया. साधना भी देव को पहचान कर उन बदमाशों से छूट कर दौड़ कर देव से लिपट गई. वह डर के मारे कांप रही थी. देव उसे तसल्ली दे रहा था, ‘‘कुछ नहीं होगा, मैं हूं न.’’

इस से पहले मवाली आगे बढ़ता, तभी पुलिस की एक जीप रुकी सायरन के साथ. पुलिस ने तीनों को घेर लिया. पुलिस अधिकारी ने पूछा, ‘‘आप लोग इतनी रात यहां कैसे?’’

‘‘जी, औफिस में लेट हो गई थी.’’

‘‘और आप?’’

‘‘मैं भी इसी औफिस में हूं. थोड़ा आगेपीछे हो गए थे.’’

साधना जिस तरह देव के साथ सिमटी थी, उसे देख कर पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘‘आप पतिपत्नी को साथसाथ चलना चाहिए.’’

तभी 3 में से 1 मवाली ने कहा, ‘‘वही तो साब, अकेली औरत, सुनसान सड़क. हम ने सोचा कि…’’

इस से पहले कि उस की बात पूरी हो पाती, थानेदार ने एक थप्पड़ जड़ते हुए कहा, ‘‘कहां लिखा है कानून में कि अकेली औरत, सुनसान सड़क और रात में नहीं घूम सकती है. और घूमती दिखाई दे तो क्या तुम्हें जोरजबरदस्ती का अधिकार मिल जाता है.’’

थानेदार ने कहा, ‘‘आप लोग जाइए. ये हवालात की हवा खाएंगे.’’‘‘तुम यहां कैसे?’’ साधना ने पूछा.

‘‘प्रमोशन पर,’’ देव ने कहा.

‘‘और परिवार,’’ साधना ने पूछा.

‘‘अकेला हूं. तुम्हारा परिवार?’’

‘‘अकेली हूं. भाईभाभी के साथ रहती हूं.’’

‘‘शादी नहीं की?’’

‘‘हुई नहीं.’’

‘‘और तुम ने?’’

‘‘ऐसा ही मेरे साथ समझ लो.’’

‘‘औफिस में तो दिखे नहीं?’’

‘‘कल से जौइन करना है.’’

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फिर थोड़ी चुप्पी छाई रही. देव ने बात आगे बढ़ाई, ‘‘खुश हो तलाक ले कर?’’ वह चुप रही और फिर उस ने पूछा, ‘‘और तुम?’’

‘‘दूर रहने पर ही अपनों की जरूरत का एहसास होता है. उन की कमी खलती है. याद आती है.’’

‘‘लेकिन तब तक देर हो चुकी होती है.’’

‘‘क्यों, क्या हम दोनों में से कोई मर गया है जो देर होचुकी है?’’

साधना ने देव के मुंह पर हाथ रखते हुए कहा, ‘‘मरें तुम्हारे दुश्मन.’’

न दोनों ने पास के एक शानदार  रैस्टोरैंट में खाना खाया. ‘‘घर चलोगी मेरे साथ? कंपनी का क्वार्टर है.’’

‘‘अब हम पतिपत्नी नहीं रहे कानून की दृष्टि में.’’

‘‘और दिल की नजर में? क्या कहता है तुम्हारा दिल.’’

‘‘शादी करोगे?’’

‘‘फिर से?’’

‘‘कानून, समाज के लिए.’’

‘‘शादी ही करनी थी तो छोड़ कर क्यों गई थी,’’ देव ने कहा.

‘‘औरत की यही कमजोरी है जहां स्नेह, प्यार मिलता है, खिंची चली जाती है. तुम्हारी बेरुखी और मां की प्रेमभरी बातों में चली गई थी.’’

‘‘कुछ मेरी भी गलती थी, मुझे तुम्हारा ध्यान रखना चाहिए था, लेकिन अब फिर कभी झगड़ा हुआ तो छोड़ कर तो नहीं चली जाओगी?’’ देव ने पूछा.

‘‘तोबातोबा, एक गलती एक बार. काफी सह लिया. बाहर वालों की सुनने से अच्छा है पतिपत्नी आपस में लड़ लें, सुन लें. एकदूसरे की.’’

अगले दिन औफिस के बाद वे दोनों एक वकील के पास बैठे थे. वकील दोस्त था देव का. वह अचरज में था,

‘‘यार, मैं ने कई शादियां करवाईं है और तलाक भी. लेकिन यह पहली शादी होगी जिस से तलाक हुआ उसी से फिर शादी. जल्दी हो तो आर्य समाज में शादी करवा देते हैं?’’

‘‘वैसे भी बहुत देर हो चुकी है, अब और देर क्या करनी. आर्य समाज से ही करवा दो.’’

‘‘कल ही करवा देता हूं,’’ वकील ने कहा.

शादी संपन्न हुई. इस बात की साधना ने अपनी मां को पहले खबर दी.

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मां ने कहा, ‘‘हम लोग ध्यान नहीं रख रहे थे क्या?’’

साधना ने कहा, ‘‘मां, लड़की प्रेमविवाह करे या परिवार की मरजी से, पति का घर ही असली घर है स्त्री के लिए.’’

देव ने अपने पिता को सूचना दी. उन्होंने कहा, ‘‘शादी दिल तय करता है अन्यथा तलाक के बाद उसी लड़की से शादी कहां हो पाती है. सदा खुश रहो.’’ और इस तरह शादी, फिर तलाक और फिर शादी.

अनकहा प्यार- भाग 2: क्या सबीना और अमित एक-दूसरे के हो पाए?

दुबई से नौकरी छोड़ कर आमिर ने अपना खुद का व्यापार शुरू कर दिया. बेटे सलीम को पढ़ाई के लिए उसे होस्टल में डाल दिया. सबीना का भी आमिर ने अच्छी तरह ध्यान रखा. उसे खूब प्रेम दिया. लेकिन जबजब आमिर सबीना से कहता कि नौकरी छोड़ दो. सबकुछ है हमारे पास. सबीना ने यह कह कर इनकार कर दिया कि कल तुम्हें कोई और भा गई. तुम ने फिर तलाक दे दिया तो मेरा क्या होगा? फिर मुझे यह नौकरी भी नहीं मिलेगी. मैं नौकरी नहीं छोड़ सकती. इस बात पर अकसर दोनों में बहस हो जाती. घर का माहौल बिगड़ जाता. मन अशांत हो जाता सबीना का.

‘तुम्हें मुझ पर यकीन नहीं है?’ आमिर ने पूछा.

‘नहीं है,’ सबीना ने सपाट स्वर में जवाब दिया.

‘मैं ने तो तुम पर विश्वास किया. तुम्हें क्यों नहीं है?’

‘कौन सा विश्वास?’

‘इस बात का कि हलाला में पराए मर्द को तुम ने हाथ भी नहीं लगाया होगा.’

‘जब निकाह हुआ तो पराया कैसे रहा?’

‘मैं ने इस बात के लिए 3 लाख रुपए खर्च किए थे. ताकि जिस से हलाला के तहत निकाह हो, वह  हाथ भी न लगाए तुम्हें.’

‘भरोसा मुझ पर नहीं किया आप ने. भरोसा किया मौलवी पर. अपने रुपयों पर, या जिस से आप ने गैरमर्द से मेरा निकाह करवाया.’’

‘लेकिन भरोसा तो तुम पर भी था न.’

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‘न करते भरोसा.’

‘कहीं ऐसा तो नहीं कि मेरे 3 लाख रुपए भी गए और तुम ने रंगरेलियां भी मनाई हों.’ आमिर की इस बात पर बिफर पड़ी सबीना. बस, इसी मुद्दे को ले कर दोनों में अकसर तकरार शुरू हो जाती और सबीना पार्क में आ कर बैठ जाती.

पार्क की बैंच पर बैठे हुए उस की दृष्टि सामने बैठे हुए एक अधेड़ व्यक्ति पर पड़ी. वह थोड़ा चौंकी. उसे विश्वास नहीं हुआ इस बात पर कि सामने बैठा हुआ व्यक्ति अमित हो सकता है. अमित उस के कालेज का साथी. 45 वर्ष के आसपास की उम्र, दुबलापतला शरीर, सफेद बाल, कुछ बढ़ी हुई दाढ़ी जिस में अधिकांश बाल चांदी की तरह चमक रहे थे. यहां क्या कर रहा है अमित? इस शहर के इस पार्क में, जबकि उसे तो दिल्ली में होना चाहिए था. अमित ही है या कोई और. नहीं, अमित ही है. शायद मुझ पर नजर नहीं पड़ी उस की.

अमित और सबीना एकसाथ कालेज में पूरे 5 वर्ष तक पढ़े. एक ही डैस्क पर बैठते. एकदूसरे से पढ़ाई के संबंध में बातें करते. एकदूसरे की समस्याओं को सुलझने में मदद करते. जिस दिन वह कालेज नहीं आती, अमित उसे अपने नोट्स दे देता. जब अमित कालेज नहीं आता, तो सबीना उसे अपने नोट्स दे देती. कालेज के सांस्कृतिक कार्यक्रमों में दोनों मिल कर भाग लेते और प्रथम पुरुस्कार प्राप्त करते हुए सब की वाहवाही बटोरते. जिस दिन अमित कालेज नहीं आता, सबीना को कालेज मरघट के समान लगता. यही हालत अमित की भी थी. तभी तो वह दूसरे दिन अपनत्वभरे क्रोध में डांट कर पूछता. ‘कल कालेज क्यों नहीं आईं तुम?’

सबीना समझ चुकी थी कि अमित के दिल में उस के प्रति वही भाव हैं जो उस के दिल में अमित के प्रति हैं. लेकिन दोनों ने कभी इस विषय पर बात नहीं की. सबीना घर से टिफिन ले कर आती जिस में अमित का मनपसंद भोजन होता. अमित भी सबीना के लिए कुछ न कुछ बनवा कर लाता जो सबीना को बेहद पसंद था. वे अपनेअपने सुखदुख एकदूसरे से कहते. अमित ने बताया कि उस के घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. घर में बीमार बूढ़ी मां है. जवान बहन है जिस की शादी की जिम्मेदारी उस पर है. अपने बारे में क्या सोचूं? मेरी सोच तो मां के इलाज और बहन की शादी के इर्दगिर्द घूमती रहती है. बस, अच्छे परसैंट बन जाएं ताकि पीएचडी कर सकूं. फिर कोई नौकरी भी कर लूंगा.’’

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सबीना उसे सांत्वना देते हुए कहती, ‘चिंता मत करो. सब ठीक हो जाएगा.

सबीना के घर की उन दिनों आर्थिक स्थिति अच्छी थी. उस के अब्बू विधायक थे. उन के पास सत्ता भी थी और शक्ति भी. कभी कहने की हिम्मम नहीं पड़ी उस की अपने अब्बू से कि वह किसी हिंदू लड़के से प्यार करती है. कहती भी थी तो वह जानती थी कि उस का नतीजा क्या होगा? उस की पढ़ाईलिखाई तुरंत बंद कर के उस के निकाह की व्यवस्था की जाती. हो सकता है कि अमित को भी नुकसान पहुंचाया जाता. लेकिन घर वालों की बात क्या कहे वह? उस ने खुद कभी अमित से नहीं कहा कि वह उस से प्यार करती है. और न ही अमित ने उस से कहा.

अमित अपने परिवार, अपने कैरियर की बातें करता रहता और वह अमित की दोस्त बन कर उसे तसल्ली देती रहती. पैसों के अभाव में सबीना ने कई बार अमित के लाख मना करने पर उस की फीस यह कह कर भरी कि जब नौकरी लग जाए तो लौटा देना, उधार दे रही हूं.

और अमित को न चाहते हुए भी मदद लेनी पड़ती. यदि मदद नहीं लेता तो उस का कालेज कब का छूट चुका होता. कालेज की तरफ से कभी पिकनिक आदि का बाहर जाने का प्रोग्राम होता, तो अमित के न चाहते हुए भी उसे सबीना की जिद के आगे झकना पड़ता. कई बार सबीना ने सोचा कि अपने प्यार का इजहार करे लेकिन वह यह सोच कर चुप रह गई कि अमित क्या सोचेगा? कैसी बेशर्म लड़की है? अमित को पहल करनी चाहिए. अमित

कैसे पहल करता? वह तो अपनी गरीबी

से उबरने की कोशिश में लगा हुआ था. अमित सबीना को अपना सब से अच्छा दोस्त मानता था. अपना सब से बड़ा शुभचिंतक. अपने सुखदुख का साथी. लेकिन वह भी कर न सका अपने प्यार

का इजहार.

प्यार दोनों ही तरफ था. लेकिन कहने की पहल किसी ने नहीं की. कहना जरूरी भी नहीं था. प्यार है, तो है. बीए प्रथम वर्ष से एमए के अंतिम वर्ष तक, पूरे 5 वर्षों का साथ. यह साथ न छूटे, इसलिए सबीना ने भी अंगरेजी साहित्य लिया जोकि अमित ने लिया था. अमित ने पूछा भी, ‘तुम्हारी तो हिंदी साहित्य में रुचि थी?’

‘मुझे क्या पता था कि तुम अंगरेजी साहित्य चुनोगे,’ सबीना ने जवाब दिया.

‘तो क्या मेरी वजह से तुम ने,’ अमित ने पूछा.

‘नहीं, नहीं, ऐसी कोई बात नहीं. सोचा कि अंगरेजी साहित्य ही ठीक रहेगा.’

‘उस के बाद क्या करोगी?’

‘तुम क्या करोगे?’

‘मैं, पीएचडी.’

‘मैं भी, सबीना बोली.’

Manohar Kahaniya- किडनैपिंग: चंबल से ऐसे छूटा अपहृत डॉक्टर- भाग 3

सौजन्य- मनोहर कहानियां

कार रुकते ही युवती अंजलि कार से उतर गई. 4 युवक दनदनाते हुए कार में घुस आए. उन्होंने डाक्टर को 2 थप्पड़ मारे और उन को कार की पिछली सीट पर बैठा दिया. 2 बदमाश आगे बैठ गए, जबकि 2 बदमाशों ने डाक्टर को पीछे की सीट पर बीच में बैठा लिया.

उन का मोबाइल बदमाशों ने गाड़ी में ही छीन कर बंद कर दिया. उस समय रात के साढ़े 8 बज रहे थे. अंजलि के साथी डाक्टर को ले गए थे चंबल के बीहड़ में उस के साथ ही बदमाशों ने उन की आंखों पर पट्टी बांध दी. डाक्टर इस घटना से बेहद घबरा गए. वे समझ गए कि उन का अपहरण हो गया है. इस बीच अंजलि 2 साथियों के साथ बाइक पर बैठ कर चली गई. रास्ते में एक बदमाश उतर कर चला गया.

बदमाश सैयां से गांव के रास्ते होते हुए 2 घंटे तक गाड़ी चलाते रहे. वे सैयां टोल क्रौस को छोड़ कर इरादत नगर से होते हुए धौलपुर इलाके में चले ले गए. डाक्टर को कार से उतार लिया. बदमाशों के पास हथियार भी थे. डर के कारण डाक्टर जैसा बदमाश कहते रहे, वैसा वे करते रहे.

रात में उन्हें बाइक से एक जगह ले जा कर उन्हें खाना खिलाया. फिर 3-4 किलोमीटर पैदल चलने के बाद बीहड़ में ले आए. डाक्टर को धौलपुर के दिहोली क्षेत्र में चंबल नदी के पास रात भर एक खेत में हाथपैर बांध कर रखा.

डाक्टर को कार से उतारने के बाद बदमाश ने अपने साथी पवन को कार ठिकाने लगाने की जिम्मेदारी सौंप दी, लेकिन वह पुलिस चैकिंग में पकड़ा गया.

डाक्टर को दिन में बीहड़ में ले जा कर ऊंचे चबूतरे पर हाथ बांध कर बैठा दिया. बदमाशों ने डाक्टर से 5 करोड़ रुपए की फिरौती देने को कहा, वरना उस की मौत निश्चित है.

60 वर्षीय डाक्टर ने बदमाशों से कहा कि वह बीमार हैं, उन का हार्ट का औपरेशन हो चुका है. इतनी रकम उन के पास नहीं है. फिर भी बदमाश धमकाते रहे.

डाक्टर ने कहा कि वह बिना दवा खाए बीमार हो जाएंगे. बाजार से दवा लाने के लिए दवाओं के नाम भी बताए. लेकिन बदमाशों ने दवा ला कर नहीं दी. मांगने पर खाना और पानी दिया. बदमाशों के पास मोबाइल नहीं थे.

वहां की स्थिति देख कर डाक्टर को नहीं लग रहा था कि उन्हें बदमाशों से छुटकारा मिल पाएगा. बदमाश उन्हें लगातार धमका रहे थे. डाक्टर के बहुत कहने पर एक बदमाश दवाई लाने चला गया, जबकि 2 खाने के इंतजाम में पास के गांव में चले गए.

संयोग से एक डाक्टर को छोड़ कर शौच के लिए गया ही था कि तब तक पुलिस अकेले निढाल पड़े डाक्टर को अपने कब्जे में ले कर निकलने में सफल रही.

डाक्टर को अपने प्रेमजाल में फंसाने वाली युवती अंजलि का असली नाम मंगला पाटीदार है. वह महाराष्ट्र के गोंदिया जिले की रहने वाली है.

उस की 16 साल पहले शादी हुई थी. पति और 14 साल के बेटे के साथ भोपाल में रहती थी. वहीं धागा फैक्ट्री में काम करती थी. एक साल पहले हादसे में पति की मौत हो गई. इस के बाद वह महाराष्ट्र चली गई.

बदन सिंह गैंग ने कराया था अपहरण

भोपाल में जिस फैक्ट्री में वह काम करती थी, उसी में मथुरा की एक महिला भी काम करती थी. उस ने काम दिलाने के लिए 4 महीने पहले मथुरा बुलाया था. बेटे को वह मां के पास छोड़ आई थी. मथुरा आने पर सहेली ने बदन सिंह तोमर से उस का परिचय कराया.

बदन सिंह काम दिलाने के नाम पर आगरा लिवा लाया. लगभग एक महीना पहले उस ने आगरा के सदर में नैनाना जाट में किराए पर घर लिया. तब से वह बदन सिंह के साथ यहीं रह रही थी.

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बदन सिंह ने उसे लालच दिया कि वह काम क्या करेगी, एक बार में ही उसे इतने रुपए दिलवा देगा कि जिंदगी आराम से कट जाएगी. वह उस के लालच में फंस गई और डाक्टर के अपहरण की सूत्रधार बन गई. वह गैंग के सरगना बदन सिंह तोमर के लिए काम कर रही थी. उसे इस काम के लिए 25 हजार रुपए देने की बात कही गई थी.

अपहरण के बाद युवती को गैंग ने ठिकाने लगाने की साजिश रच रखी थी. संयोग से पुलिस ने उसे पकड़ लिया. इस से अंजान युवती बदमाश के साथ बाइक पर सवार हो चल दी थी. यह बात तब सामने आई, जब धौलपुर पुलिस के सिपाही दयालचंद ने युवती को पकड़ा. युवती का बाइक सवार साथी भाग गया, लेकिन उस का मोबाइल गिर गया. मोबाइल पर कुछ देर बाद फोन आया. सिपाही ने आवाज बदल कर बात की.

काल करने वाला बोला, ‘‘कहां रह गया, जल्दी आ जा. लड़की को बीहड़ में ले कर आना. उसे ठिकाने भी लगाना है. रात में ही ये काम करना है.’’

हनीट्रैप में डा. उमाकांत गुप्ता को फंसा कर उन का अपहरण करने वाले गैंग का सरगना बदन सिंह तोमर पुलिस के हाथ नहीं आ रहा था. उस की गिरफ्तारी के लिए पुलिस चंबल के किनारे स्थित गांवों में दबिश दे रही थी.

इसी दौरान पुलिस की मेहनत रंग लाई और 21 जुलाई की रात को एक लाख के ईनामी बदमाश बदन सिंह तोमर और उस के साथी अक्षय उर्फ चंकी पांडे को पुलिस ने गांव कछूपुरा में मुठभेड़ में मार गिराया.

पकड़े गए साथी पवन के अनुसार बदन सिंह तोमर उस का दोस्त था. बदन सिंह तोमर ने डा. गुप्ता का अपहरण पूरी तैयारी के साथ कराया था. वहीं डकैत केशव गुर्जर अपहरण करने के लिए कुख्यात है. कहने को धौलपुर पुलिस उसे 2 बार गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है. लेकिन पिछले 4 साल से वह धौलपुर व आगरा की पुलिस के लिए सिरदर्द बना हुआ है.

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2017 में डा. निखिल का अपहरण बदन सिंह तोमर ने ही किया था. यह पकड़ केशव गुर्जर को सौंप दी थी. उस ने ही फिरौती वसूली थी. डा. निखिल के अपहरण के मामले में बदन सिंह जेल गया था. पुलिस ने सभी आरोपियों से पूछताछ करने के बाद उन्हें कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया.

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