दिल को दहला देने वाली यह वारदात राजस्थान के बाड़मेर जिले के गांव पोशाल नवपुरा की है. अधेड़ हो चले यहां के एक बाशिंदे पुरखाराम की बीवी, जिस का नाम पप्पू था, की मौत कोरोना से जून महीने में हो गई थी. तब से वह परेशान और चिंतित रहता था कि अब 4-4 बेटियों की परवरिश अकेले वह कैसे करेगा? उस की सब से बड़ी बेटी की उम्र 7 साल और सब से छोटी बेटी की उम्र महज डेढ़ साल है.

बिलाशक कोरोना के कहर ने दूसरे कई लोगों की तरह पुरखाराम की जिंदगी में भी तूफान मचा दिया था, लेकिन एक मिसाल इस गांव के लोगों ने कायम की थी, जिस का जिक्र कहीं नहीं हुआ था कि उन्होंने 2 लाख रुपए का चंदा कर के उसे दिए थे, जिस से वह अपनी बेटियों की परवरिश करते हुए उन्हें पढ़ा सके और इस सदमे से उबरते ही दोबारा काम पर जा सके.

बीवी की मौत के बाद बेटियों को ननिहाल जाना पड़ गया था और तब से वे वहीं रह रही थीं. वहां मौसी नेहा (बदला हुआ नाम) के साथ रहते हुए वे अपनी मां की मौत का दुख भूलने लगी थीं, जिन्हें लोगों ने इतना बताया था कि तुम्हारी मम्मी हमेशा के लिए दूर कहीं चली गई हैं, वरना तो ये नादान बच्चियां मौत का मतलब भी नहीं सम?ाती थीं. इन्हें फौरीतौर पर जिस प्यार, ममता और हमदर्दी की जरूरत थी, वह मौसी नेहा और मामा देवा राम से भी मिल रही थी.

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