अपना अपना नजरिया : शुभी का क्यों था ऐसा बरताव – भाग 3

‘‘तुम्हारे पापा हर सुखदुख में तुम्हारी बूआ के काम आते हैं न. मां की एक आवाज पर भागे चले जाते हैं लेकिन जब उन की पत्नी अस्पताल में पड़ी थी तब कौन आया था उन के काम? क्या दादी या बूआ आई थीं यहां. मुझे किस ने संभाला था? कौन था मेरे पास?”

‘‘रिश्तों के होते हुए भी क्या कभी तुम ने हमारे परिवार को सुखदुख बांटते देखा है? उम्मीद करना मनुष्य की सब से बड़ी कमजोरी है, अजय. वही सुखी है जिस ने कभी किसी से कोई उम्मीद नहीं की. जीवन की लड़ाई हमेशा अकेले ही लड़नी पड़ती है और सुखदुख में काम आता है हमारा चरित्र, हमारा व्यवहार. किसी के बन जाओ या किसी को अपना बना लो.

‘‘मैं 15 दिन अस्पताल में रही… कौन हमारा खानापीना देखता रहा, क्या तुम नहीं जानते? हमारा आसपड़ोस, तुम्हारे पापा के मित्र, मेरी सहेलियां. तुम्हारे दोस्त ने तो मुझे खून भी दिया था. जो लोग हमारे काम आए क्या वे हमारे सगेसंबंधी थे? बोलो?

‘‘भाईबहन के न होने से तुम्हारा दिल छोटा कैसे रह जाएगा? रिश्तों के होते हुए हमारा कौन सा काम हो गया जो तुम्हारा नहीं होगा. किसी की तरफ प्यार भरा ईमानदार हाथ बढ़ा कर देखना अजय, वही तुम्हारा हो जाएगा. प्यार बांटोगे तो प्यार मिलेगा.’’

‘‘मुझे एक भाई चाहिए, मां,’’ रोने लगा अजय.

‘‘जिन के भाई हैं क्या उन का झगड़ा नहीं देखा तुम ने? क्या वे सुखी हैं? हर घर का आज यही झगड़ा है… भाई ही भाई को सहना नहीं चाहता. किस मृगतृष्णा में हो… कल अगर तुम्हारा भाई तुम्हारा साथ छोड़ कर चला जाएगा तो तुम्हें अकेले ही तो जीना होगा…अगर हमारी संपत्ति को ले कर ही तुम्हारा भाई तुम से झगड़ा करेगा तब कहां जाएगी रिश्तेदारी, अपनापन जिस के लिए आज तुम रो रहे हो?

‘‘अजय, तुम्हारी अपनी संतान होगी, अपनी पत्नी, अपना घर. तब तुम अपने बच्चों के लिए करोगे या भाई के लिए? तुम से 20 साल छोटा भाई तुम्हारे लिए संतान के बराबर होगा. दोनों के बीच पिस जाओगे, जिस तरह तुम्हारे पापा पिसते हैं, मां की बिना वजह की दुत्कार भी सहते हैं और बहन के ताने भी सहते हैं…अच्छा पुत्र, अच्छा भाई बनने का पूरा प्रयास करते हैं तुम्हारे पापा फिर भी उन्हें खुश नहीं कर सके. उन का दोष सिर्फ इतना है कि उन्हें अपनी पत्नी, अपने बच्चे से भी प्यार है, जो उन की मांबहन के गले नहीं उतरता.

‘‘कल यही सब तुम्हारे साथ भी होगा. जरूरत से ज्यादा प्यार भी इनसान को संकुचित और स्वार्थी बना देता है. तुम्हारी दादी और बूआ का तुम्हारे पापा के साथ हद से ज्यादा प्यार ही सारी पीड़ा की जड़ है और यह सब आज हर तीसरे घर में होता है, सदा से होता आया है. जिस दिन पराया खून प्यारा लगने लगेगा उसी दिन सारे संताप समाप्त हो पाएंगे.

‘‘शायद तुम्हारी पत्नी का खून मुझे पानी जैसा न लगे…शायद मेरी बहू की पीड़ा पर मेरी भी नसें टूटने लगें… शायद वह मुझे तुम से भी ज्यादा प्यारी लगने लगे. इसी शायद के सहारे तो मैं ने अपनी एक ही संतान रखने का निर्णय लिया था ताकि मेरी ममता इतनी स्वार्थी न हो जाए कि बहू को ही नकार दे. मैं अपनी बेटी के सामने अपनी बहू का अपमान कभी न कर पाऊं इसीलिए तो बेटी को जन्म नहीं दिया…क्या तुम मेरे इस प्रयास को नकार दोगे, अजय?’’

आंखें फाड़ कर अजय मेरा मुंह देखने लगा था. उस के पापा भी पता नहीं कब चले आए थे और चुपचाप मेरी बातें सुन कर मेरा चेहरा देख रहे थे.

‘‘जीवन इसी का नाम है, अजय. वे घर भी हैं जहां बहुएं दिनरात बुजुर्गों का अपमान करती हैं और एक हमारा घर है जहां पहले दिन से मेरी सास मेरा अपमान कर रही हैं, जहां बेटी के तो सभी शगुन मनाए जाते हैं और बहू का मानसम्मान घर की नौकरानी से भी कम. बेटी का साम्राज्य घर के चप्पेचप्पे पर है और बहू 22 साल बाद भी अपनी नहीं हो सकी.’’

आवेश में पता नहीं क्याक्या निकल गया मेरे मुंह से. अजय के पापा चुप थे. अजय भी चुप था. मैं नहीं जानती वह क्या सोच रहा है. उस की सोच कुछ ही शब्दों से बदल गई होगी ऐसी उम्मीद भी नहीं की जा सकती लेकिन यह सत्य मेरी समझ में अवश्य आ गया है कि जीवन को नापने का सब का अपनाअपना फीता होता है. जरूरी नहीं किसी के पैमाने में मेरा सच या मेरा झूठ पूरी तरह फिट बैठ जाए.

मैं ने अपने जीवन को उसी फीते से नापा है जो फीता मेरे अपनों ने मुझे दिया है. मैं यह भी नहीं कह सकती कि अगर मेरी कोई बेटी होती तो मैं बहू को उस के सामने सदा अपमानित ही करती. हो सकता है मैं दोनों रिश्तों में एक उचित तालमेल बिठा लेती. हो सकता है मैं यह सत्य पहले से ही समझ जाती कि मेरा बुढ़ापा इसी पराए खून के साथ कटने वाला है, इसलिए प्यार पाने के लिए मुझे प्यार और सम्मान देना भी पड़ेगा.

हो सकता है मैं एक अच्छी सास बन कर बहू को अपने घर और अपने मन में एक प्यारा सा मीठा सा कोना दे देती. हो सकता है मैं बेटी का स्थान बेटी को देती और बहू का लाड़प्यार बहू को. होने को तो ऐसा बहुत कुछ हो सकता था लेकिन जो वास्तव में हुआ वह यह कि मैं ने अपनी दूसरी संतान कभी नहीं चाही, क्योंकि रिश्तों की भीड़ में रह कर भी अकेला रहना कितना तकलीफदेह है यह मुझ से बेहतर कौन समझ सकता है जिस ने ताउम्र रिश्तों को जिया नहीं सिर्फ ढोया है. खून के रिश्ते सिर्फ दाहसंस्कार करने के काम ही नहीं आते जीतेजी भी जलाते हैं.

तो बुरा क्या है अगर मनुष्य खून के रिश्तों से आजाद अकेला रहे, प्यार करे, प्यार बांटे. किसी को अपना बनाए, किसी का बने. बिना किसी पर कोई अधिकार जमाए सिर्फ दोस्त ही बनाए, ऐसे दोस्त जिन से कभी कोई बंटवारा नहीं होता. जिन से कभी अधिकार का रोना नहीं रोया जाता, जो कभी दिल नहीं जलाते, जिन के प्यार और अपनत्व की चाह में जीवन एक मृगतृष्णा नहीं बन जाता.

‘‘तुम्हारे पापा हर सुखदुख में तुम्हारी बूआ के काम आते हैं न. मां की एक आवाज पर भागे चले जाते हैं लेकिन जब उन की पत्नी अस्पताल में पड़ी थी तब कौन आया था उन के काम?

वो नीली आंखों वाला: वरुण को देखकर क्यों चौंक गई मालिनी

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Poonam Pandey Death: 32 साल की उम्र में पूनम पांडे का निधन, इस बीमारी से जूझ रही थी एक्ट्रेस

अपनी बोल्डनेस और हौटनेस को लेकर चर्चा में रहने वाली एक्ट्रेस पूनम पांडे को लेकर बुरी खबर सामने आई है. जी हां, सोशल मीडिया से ये खबर मिली है कि पूनम पांडे का निधन हो चुका है. महज 32 साल की उम्र में पूनम पांडे अब इस दुनिया को छोड़ कर चली गई है.

 

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पूनम की अचानक मौत की खबर ने हर किसी को हैरान कर दिया है. ये खबर पूनम पांडे के इंस्टाग्राम अकाउंट से शेयर की गई है. उनके इंस्टाग्राम अकाउंट में लिखा है, “यह सुबह हमारे लिए कठिन है. आपको यह बताते हुए बहुत दुख हो रहा है कि हमने सर्वाइकल कैंसर के कारण अपनी प्यारी पूनम को खो दिया है. उनके कॉन्टेक्ट में आने वाला हर इंसान उनसे प्यार से मिला. दुःख की इस घड़ी में, हम प्राइवेसी की रिक्वेस्ट करेंगे. हम उन्हें हमारे द्वारा शेयर की गई हर बात के लिए प्रेमपूर्वक याद करेंगे.” हालांकि ये इंस्टा पोस्ट चार दिन पुरानी है. फैंस एक्ट्रेस की मौत की खबर के बाद से गहरे सदमे में है और सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दुख जाहिर कर रहे हैं.

बता दें, पूनम पांडे सर्वाइकल कैंसर की पेशेंट थीं और अक्सर विवादों से घिरी रहती थी. उनकी मौत की खबर पीआर टीम ने मीडिया से कंफर्म किया है. वही पूनम एक फेमस मॉडल थीं. उनके चर्चे तब आसमान छू गए जब उन्होंने 2011 क्रिकेट विश्व कप फाइनल से पहले एक वीडियो मैसेज में वादा किया था कि अगर भारत फाइनल मैच जीतता है तो वह कपड़े उतार देंगी. अपने इस दावे के साथ, वह पहली बार विवादों में आई थीं. वर्क फ्रंट की बात करें तो पूनम पांडे को आखिरी बार कंगना रनौत के रियलिटी शो में देखा गया था.

 

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बताते चले कि पूनम ने सैम बॉम्बे से शादी भी की थी. हालांकि उनकी ये शादी ज्यादा दिन टिक नहीं पाई. उन्होंने 2020 में अपनी शादी के तुरंत बाद अपने पति सैम बॉम्बे पर घरेलू हिंसा का आरोप लगाया था.

गोविंदा की भांजी आरती सिंह लेंगी सात फेरे, जानें कौन होगा दुल्हा

जानेमाने कौमेडियन कृष्णा अभिषेक की बहन और एक्टर गोविंदा की भांजी आरती सिंह इन दिनों सुर्खियों में है. जी हां, आरती सिंह अपनी शादियों की खबर को लेकर सुर्खियां बंटोर रही है. बिग बौस में नजर आ चुकी आरती कई बार अपनी शादी की बात कर चुकी थी और अब वो दिन आ गया है. आरती अपने बौयफ्रेंड दीपक चौहान से शादी करेंगी.

 

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आपको बता दें कि आरती सिंह बिग बौस 13 में नजर आई थीं. वही, उनकी शादी की बातें शुरु हो गई थी. अब आरती इसी साल अपने बौयफ्रेंड दीपक चौहान से शादी करेंगी. आरती और दीपक इसी साल शादी की प्लानिंग कर रहे हैं. मजेदार बात ये है कि आरती सिंह ने अपनी शादी के लिए जगह भी देखनी शुरू कर दी है, जिसका खुलासा सामने आई एक रिपोर्ट में हुआ है. इस रिपोर्ट में आरती सिंह की शादी से जुड़ी सारी डीटेल दी गई है.

खबरों के मुताबिक आरती सिंह  की शादी करेंगी. इस रिपोर्ट में बताया गया कि एक्ट्रेस जल्द से जल्द अपना घर बसाना चाहती हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, एक्ट्रेस मुंबई में शादी करेंगी, जिसके लिए आरती ने वेन्यू की तलाश शुरू कर दी है. वह डेस्टिनेशन वेडिंग में बिल्कुल भी इंट्रेस्टेड नहीं हैं.

 

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आरती सिंह की वेडिंग काफी ग्रैंड लेवल पर होंगी, जिसमें वह अपने इंडस्ट्री के कई दोस्तों को बुलाना चहती हैं. ये एक ट्रेडिशन पंजाबी शादी होगी, जिसमें हर रस्म को किया जाएगा. शादी से पहले बैचलरेट पार्टी के बाद हल्दी मेहंदी और फेरे सब होंगे. आरती की शादी एक दम पंजाबी शादी होगी. एक्ट्रेस को शादी में मेहमानों की लिस्ट में लंबी चौड़ी होगी. शादी में मामा गोविंदा से लेकर सलमान खान को न्योता दिया जाएगा. इतना ही नहीं, बिग बॉस 13 में नजर आए कोई सेलेब्स भी शादी में इनवाइटेड होंगे, जिसमें सिद्धार्थ शुक्ला और शहनाज गिल का परिवार शामिल हैं.

बता दें कि आरती सिंह और दीपक चौहान एक साल से भी ज्यादा समय से डेटिंग लाइफ को एंजॉय कर रहे थे. और अब एक साल के अंदर ही दोनों एक दूसरे से बेइंतहा प्यार करने लगे हैं और शादी के लिए तैयार हो गए है.

भोजपुरी एक्ट्रेस नम्रता मल्ला का डांस, कम कपड़ों में सर्दी में लगाई आग

भोजपुरी एक्ट्रेस नम्रता मल्ला अपने बोल्ड अंदाज से फैंस के दिलों पर कहर बरपाती हैं. नम्रता मल्ला का अंदाज इतना कातिलाना है कि हर कोई घायल हो जाता है. नम्रता मल्ला खास अपनी डांसिंग के लिए जानी जाती हैं. नम्रता मल्ला अक्सर फैंस के साथ किलर डांस वीडियोज शेयर करती रहती हैं जिसे देख फैंस घायल हो जाते हैं. इसी बीच एक्ट्रेस का सोशल मीडिया पर एक ओर डांस वीडियो वायरल हो रहा है. जिसमें एक्ट्रेस बोल्ड़ डांस करती हुई नजर आ रही है.

 

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नम्रता मल्ला का एक रील वीडियो इंटरनेट की दुनिया में खूब वायरल हो रहा है. नम्रता के इस क्लिप पर फैंस जमकर रिएक्ट कर रहे हैं. इस वीडियो में नम्रता मल्ला ‘म्यूजिक-म्यूजिक शुरु करो लेके प्रभु का नाम’ पर डांस करती हुई नजर आ रही है. सर्दी में सबके दिलों में आग लगा रही है. नम्रता इस वीडियो में जबरदस्त डांस करती दिख रही है. नम्रता मल्ला के इस वीडियो पर फैंस लगातार कमेंट करते हुए एक्ट्रेस की तारीफ कर रहे हैं.

 

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बताते चलें कि नम्रता मल्ला सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं. नम्रता अक्सर अपने फैंस के साथ तस्वीरें और वीडियोज शेयर करती रहती हैं जिसे देख फैंस मदहोश हो जाते हैं. नम्रता मल्ला ने कई म्यूजिक वीडियोज में काम किया हैं. नम्रता ने भोजपुरी सिंगर पवन सिंह के साथ भी म्यूजिक वीडियो में काम किया है.

जिंदगी की उजली भोर- भाग 2

सीमा ने जो कल बताया कि समीर किसी खूबसूरत औरत के साथ खुशीखुशी शौपिंग कर रहा था, मुंबई के बजाय बड़ौदा में था, उस का सारा सुखचैन एक डर में बदल गया कि कहीं समीर उस खूबसूरत औरत के चक्कर में तो नहीं पड़ गया है. उसे यकीन न था कि समीर जैसा चाहने वाला शौहर ऐसा कर सकता है. सीमा ने उसे समझाया था, अभी कुछ न कहे जब तक परदा रहता है, मर्द घबराता है. बात खुलते ही वह शेर बन जाता है.

समीर दूसरे दिन लौट आया. वही प्यार, वही अपनापन. रूना का उतरा हुआ चेहरा देख कर वह परेशान हो गया. रूना ने सिरदर्द का बहाना बना कर टाला. रूना बारीकी से समीर की हरकतें देखती पर कहीं कोई बदलाव नहीं. उसे लगता कि समीर की चाहत उजली चांदनी की तरह पाक है, पर ये अंदेशे? बहरहाल, यों ही 1 माह गुजर गया.

एक दिन रात में पता नहीं किस वजह से रूना की आंख खुल गई. समीर बिस्तर पर न था. बालकनी में आहट महसूस हुई. वह चुपचाप परदे के पीछे खड़ी हो गई. वह मोबाइल पर बातें कर रहा था, इधर रूना के कानों में जैसे पिघला सीसा उतर रहा था, ‘आप परेशान न हों, मैं हर हाल में आप के साथ हूं. आप कतई परेशान न हों, यह मेरी जिम्मेदारी है. आप बेहिचक आगे बढ़ें, एक खूबसूरत भविष्य आप की राह देख रहा है. मैं हर अड़चन दूर करूंगा.’

इस से आगे रूना से सुना नहीं गया. वह लौटी और बिस्तर पर औंधेमुंह जा पड़ी. तकिए में मुंह छिपा कर वह बेआवाज घंटों रोती रही. आखिरी वाक्य ने तो उस का विश्वास ही हिला दिया. समीर ने कहा था, ‘परसों मैं होटल पैरामाउंट में आप से मिलता हूं. वहीं हम आगे की सारी बातें तय कर लेंगे.’

यह जिंदगी का कैसा मोड़ था? हर तरफ अंधेरा और बरबादी. अब क्या होगा? वह लौट कर चाचा के पास भी नहीं जा सकती. न ही इतनी पढ़ीलिखी थी कि वह नौकरी कर लेती और न ही इतनी बहादुर कि अकेले जिंदगी गुजार लेती. उस का हर रास्ता एक अंधी गली की तरह बंद था.

सुबह वह तेज बुखार से तय रही थी. समीर ने परेशान हो कर छुट्टी के लिए औफिस फोन किया.  उसे डाक्टर के पास ले गया. दिनभर उस की खिदमत करता रहा. बुखार कम होने पर समीर ने खिचड़ी बना कर उसे खिलाई. उस की चाहत व फिक्र देख कर रूना खुश हो गई पर रात की बात याद आते ही उस का दिल डूबने लगता.

दूसरे दिन तबीयत ठीक थी. समीर औफिस चला गया. शाम होने से पहले उस ने एक फैसला कर लिया, घुटघुट कर मरने से बेहतर है सच सामने आ जाए, इस पार या उस पार. अगर दुख  को उस की आखिरी हद तक जा कर झेला जाए तो तकलीफ का एहसास कम हो जाता है. डर के साए में जीने से मौत बेहतर है.

उस दिन समीर औफिस से जल्दी आ गया. चाय वगैरह पी कर, फ्रैश हुआ. वह बाहर जाने को निकलने लगा तो रूना तन कर उस के सामने खड़ी हो गई. उस की आंखों में निश्चय की ऐसी चमक थी कि समीर की निगाहें झुक गईं, ‘‘समीर, मैं आप के साथ चलूंगी उन से मिलने,’’ उस के शब्द चट्टान की मजबूती लिए हुए थे, ‘‘मैं कोई बहाना नहीं सुनूंगी,’’ उस ने आगे कहा.

समीर को अंदाजा हो गया, आंधी अब नहीं रोकी जा सकती. शायद, उस के बाद सुकून हो जाए. समीर ने निर्णयात्मक लहजे में कहा, ‘‘चलो.’’

रास्ता खामोशी से कटा. दोनों अपनीअपनी सोचों में गुम थे. होटल पहुंच कर कैबिन में दाखिल हुए. सामने एक खूबसूरत औरत, एक बच्ची को गोद में लिए बैठी थी. रूना के दिल की धड़कनें इतनी बढ़ गईं कि  उसे लगा, दिल सीना फाड़ कर बाहर आ जाएगा, गला बुरी तरह सूख रहा था. रूना को साथ देख कर उस के चेहरे पर घबराहट झलक उठी. समीर ने स्थिर स्वर में कहा, ‘‘रोशनी, इन से मिलो. ये हैं रूना, मेरी बीवी. और रूना, ये हैं रोशनी, मेरी मां.’’

रूना को सारी दुनिया घूमती हुई लगी. रोशनी ने आगे बढ़ कर उस के सिर पर हाथ रखा. रूना शर्म और पछतावे से गली जा रही थी. कौफी आतेआते उस ने अपनेआप को संभाल लिया. बच्ची बड़े मजे से समीर की गोद में बैठी थी. समीर ने अदब से पूछा, ‘‘आप कब जाना

चाहती हैं?’’

‘‘परसों सुबह.’’

‘‘कल शाम मैं और रूना आ कर बच्ची को अपने साथ ले जाएंगे,’’ समीर ने कहा.

वापसी का सफर दोनों ने खामोशी से तय किया. रूना संतुष्ट थी कि उस ने समीर पर कोई गलत इल्जाम नहीं लगाया था. अगर उस ने इस बात का बतंगड़ बनाया होता तो वह अपनी ही नजरों में गिर जाती.

घर पहुंच कर समीर ने उस का हाथ थामा और धीरेधीरे कहना शुरू किया, ‘‘रूना, मैं

बेहद खुश हूं कि तुम ने मुझे गलत नहीं समझा. मैं खुद बड़ी उलझन में था. अपने बड़ों के ऐब खोलना बड़ी हिम्मत का काम है. मैं चाह कर भी तुम्हें बता नहीं सका. करीब 4 साल पहले, पापा ने रोशनी को किसी प्रोग्राम में गाते सुना था. धीरेधीरे उन के रिश्ते गहराने लगे. उस वक्त मैं अहमदाबाद में एमबीए कर रहा था.

‘‘मेरी अम्मी हार्टपेशैंट थीं. अकसर ही बीमार रहतीं. पापा खुद को अकेला महसूस करते. घर का सारा काम हमारा पुराना नौकर बाबू ही करता. ऐसे में पापा की रोशनी से मुलाकात, फिर गहरे रिश्ते बने. रोशनी अकेली थी. रिश्तों और प्यार को तरसी हुई लड़की थी. बात शादी पर जा कर खत्म हुई. अम्मी एकदम से टूट गईं. वैसे पापा ने रोशनी को अलग घर में रखा था. लेकिन दुख को दूरी और दरवाजे कहां रोक पाते हैं.

Holi 2024 सतरंगी रंग: कैसा था पायल का जीवन- भाग 2

वहां मौजूद औरतें उस की चाची के भाग्य को कोसे जा रही थीं कि ये बेचारी कितनी अभागिन है. भरी जवानी में ही विधवा हो गई.

एक औरत चाची को उलाहना देते हुए बोली, ‘‘खा गई अपने पति को… यह चुड़ैल.’’

ये सब बातें सुन कर पायल बौखला गई. उसे इन औरतों पर बहुत गुस्सा आया था. उस ने आगे देखा न पीछे और इन औरतों पर  झुं झलाते हुए बरस पड़ी, ‘‘आप सब को इस तरह की बातें करते शर्म नहीं आती. एक तो मेरी चाची ने अपना पति खो दिया है, ऊपर से आप उन का दर्द बांटने के बजाय उन्हें पता नहीं क्याक्या बोले जा रही हैं.’’

‘‘हां… ठीक ही तो कह रही हैं वे,’’ उन में से एक औरत बोली.

पायल दोबारा उन पर बरसते हुए बोली, ‘‘हांहां, तो बताओ कि क्या मतलब है अपने पति को खा गई? मेरी चाची ने क्या मेरे चाचा का खून किया है, जो आप सब इस तरह की बातें कर रही हो? प्लीज, आप सब यहां से चली जाओ, वरना ठीक नहीं होगा.’’

पायल की इस बात पर एक औरत बोली, ‘‘चलो… चलो… यहां से सब… यह लड़की चार अक्षर क्या पढ़ गई, शहर की मैम बन गई है… अरे भाषण देना भी सीख गई है यह तो.’’

उस औरत की इस बात पर तो पायल का गुस्सा सातवें आसमान पर ही पहुंच गया. वह उन औरतों से बोली, ‘‘जब मेरी मां मरी थीं, तब आप सब ने ही तो कहा था न कि मेरी मां बड़ी सौभाग्यशाली हैं, फिर इस हिसाब से तो आज मेरे चाचा को भी सौभाग्यशाली होना चाहिए न?’’

पायल की इस बात पर उन में से एक औरत बोली, ‘‘अरे, जब औरत की अर्थी पति के कंधों पर जाती है, तो उसे बहुत सौभाग्यशाली माना जाता है, जबकि किसी औरत का पति मर जाता है, तो वह औरत विधवा हो जाती है. यह सब तो सदियों से होता रहा है. हम सब कोई नई बात तो नहीं कह रही हैं.’’

इस पर पायल  झल्लाते हुए बोली, ‘‘पर काकी, जरूरी तो नहीं जो अब तक होता रहा है, वही सही हो और वही आगे भी होता रहे. आज जो मेरी चाची के साथ हुआ है, वह किसी के साथ भी हो सकता है…’’ और फिर वह सभी औरतों की ओर उंगली दिखाते हुए बोल पड़ी, ‘‘…आप के साथ… आप के साथ… और आप के साथ भी…’’ वह बोलती चली गई.

पायल का इतना कहना था कि उन औरतों के मुंह सिल गए और सब की गरदनें नीचे लटक गईं.

बहुत देर से उन सब की बातें सुन रही दादी अचानक चिल्लाते हुए वहां आईं और बोलीं, ‘‘पायल, तू ने यह क्या लगा रखा है. तेरे चाचा को ले जा रहे हैं. आखिरी बार उन के दर्शन कर ले.’’

दादी की बातें सुन कर पायल  झट से अपने चाचा की लाश के पास जा कर बैठ गई और वहां मौजूद अपनी चाची को चुप कराने लगी.

13 दिनों तक रस्मोरिवाज चलते रहे. उन्हीं में से एक रस्म ने पायल को अंदर तक  झक झोर दिया था. उस रस्म के दौरान एक दिन नाइन को बुलाया गया और फिर उस ने चाची का पूरा सोलह शृंगार किया. उस के बाद उन्हें नहलाधुला कर सफेद साड़ी में लपेट दिया गया और इस के बाद ही चाची की जिंदगी बेरंग कर दी गई.

पायल वापस होस्टल चली गई. कुछ महीने बाद जब पायल किसी काम से गांव आई तो उस के कानों में एक अजीब सी बात सुनाई दी. उस की दादी उस की चाची की तरफ इशारा करते हुए उन के बारे में बताते हुए बोलीं, ‘‘इस कलमुंही ने तो हमारी नाक ही कटा दी है.’’इस बात पर पायल कुछ मजाकिया अंदाज में बोली, ‘‘दादी, आप की नाक तो जैसी की तैसी लगी हुई है, पर आखिर हुआ क्या है? चाची से आप की इतनी नाराजगी क्यों है?’’

इस पर दादी गुस्सा होते हुए बोलीं, ‘‘इसी कलमुंही से पूछ ले… पूरा गांव हम पर थूथू कर रहा है.’’

दादी की बातें सुन कर चाची फूटफूट कर रो पड़ीं और अपने कमरे में चली गईं.

चाची के जाते ही पायल खीजते हुए बोली, ‘‘देखा दादी, आप ने चाची को रुला दिया न. आखिर हुआ क्या है… कुछ बताओगी भी या यों ही पहेलियां बु झाती रहोगी.’’

इस पर दादी ने पायल के कान में फुसफुसाते हुए कहा, ‘‘अरे, बगल वाले ठाकुर साहब हैं न. उन के यहां कोई किराएदार आया है. उसी से नैनमटक्का करती रहती है यह कलमुंही आजकल.’’

दादी की बातों पर पायल कुछ  झुं झलाते हुए बोली, ‘‘यह तुम क्या कह रही हो दादी. तुम तो जो भी मन में आया, बोलती रहती हो चाची के बारे में.’’

जवाब में दादी ने बात आगे बढ़ाते हुए कहा, ‘‘तेरी चाची रोज शाम को बाहर जा कर खड़ी हो जाती है. अरे विधवा है… विधवा की तरह रहे. इधरउधर देखने की क्या जरूरत है… किसी से बात करने की भी क्या जरूरत है. घर में दो रोटी चैन से खाए और पड़ी रहे एक कोने में.’’

दादी की बातें सुन कर पायल उन के मुंह की ओर ताकते हुए बोली, ‘‘दादी, यह आप क्या कह रही हो? यह बात आप अपनी बहू के लिए कह रही हो…’’

पायल के मन में अपनी मां के जाने बाद अपने पापा की जिंदगी की यादें घूमने लगीं. मां के जाने के बाद तो पापा की जिंदगी पर कोई फर्क नहीं पड़ा. उन का तो गांव में घूमनाफिरना, किसी से भी बातचीत करना, पहननाओढ़ना सबकुछ पहले जैसा ही रहा. उन की तो तुरंत ही दूसरी शादी भी हो गई. फिर वह मन ही मन बुदबुदाई, ‘अच्छा, वे मर्द जो ठहरे.’

उन यादों से बाहर आतेआते पायल का मन बहुत कसैला हो गया. उस की आंखों के कोरों से ढेर सारा पानी बह निकला. उस ने दादी से कहा, ‘‘दादी, आप को अपनी सोच बदलनी चाहिए. अब बहुत हो गया औरतमर्द में फर्क. चाची भी पापा की ही तरह इनसान हैं. उन्हें भी उतना ही जीने का हक है, जितना पापा को है. आप नहीं सम झती हो कि इस तरह की बातें कर के आप चाची के साथ नाइंसाफी कर रही हैं.’’

इस पर दादी  झुं झलाते हुए बोलीं, ‘‘ओए छोरी, तू पागल हो गई है क्या. औरत मर्द की बराबरी कभी नहीं कर सकती है. ये बड़ीबड़ी बातें किताबों में ही अच्छी लगती हैं.’’

पायल अपनी दादी के गालों को प्यार से पकड़ते हुए बोली, ‘‘दादी, आप चाहो तो सबकुछ बदल सकती हो. चाची को भी अपनी जिंदगी जी लेने दो. मत दो, उन्हें बिना अपराध की कोई सजा.’’

अब तक दादी थोड़ा नरम पड़ गईं. उन्हें पायल की बात कुछकुछ ठीक भी लगने लगी थी.

थोड़ी देर बाद पायल चाची के कमरे में जा कर उन के पास बैठ गई. चाची जमीन पर घुटनों के बीच सिर रख कर उदास बैठी थीं. पायल ने जब उन के कंधे पर हाथ रखा, तो वे चौंक गईं.

पायल ने हमदर्दी का मरहम लगाते हुए चाची से कहा, ‘‘चाची, इस तरह कब तक बैठी रहोगी.’’

फिर चाची का दिल बहलाने के मकसद से उस ने इधरउधर की बातें करनी शुरू कर दीं. इस के बाद पायल बात को आगे बढ़ाते हुए चाची से पूछ बैठी, ‘‘चाची, आखिर कौन किराएदार आया है ठाकुर चाचा के यहां? और गांव के लोग इतनी बातें क्यों बना रहे हैं?’’

फिर कुछ सोचते हुए पायल आगे बोली, ‘‘चाची, आप मु झे गलत मत सम झना, पर आप से इस बारे में जानना मेरी मजबूरी है.’’

अपना अपना नजरिया : शुभी का क्यों था ऐसा बरताव – भाग 2

22 साल पुरानी वह घटना आज फिर आंखों के सामने साकार हो उठी. ‘‘भाभी, यह क्या पागलपन है? आते ही बहू को अपना यह क्या रूप दिखा रही हो. बेटे ने उस की जरा सी चिंता कर के ऐसा कौन सा पाप कर दिया जो बेटा छिन जाने का रोना ले कर बैठ गई हो… घर घर मांएं हैं, घरघर बहनें हैं… तुम क्या अनोखी मांबहन हो जो बहू का घर में पैर रखना ही तुम से सहा नहीं जा रहा. हमारी मां ने भी तो अपना सब से लाड़ला बेटा तुम्हें सौंपा था. क्या उस ने कभी ऐसा सलूक किया था तुम से, जैसा तुम कर रही हो?’ ’’ पति की बूआ ने किसी तरह सब ठीक करने का प्रयास किया था.

तब का उन का वह रूप और आज का उन का यह रूप. उन की जलन त्योंत्यों बढ़ती रही ज्योंज्यों मेरे पति अपने परिवार में रमते रहे.

हम साथ कभी नहीं रहे क्योंकि पति की नौकरी सदा बाहर की रही, लेकिन यह भी सच है, यदि साथ रहना पड़ता तो रह भी न पाते. मेरी सूरत देखते ही उन का चेहरा यों बिगड़ जाता है मानो कोई कड़वी दवा मुंह में घुल गई हो. अकसर मैं सोचती हूं कि क्या मैं इतनी बुरी हूं.

मैं ने ऐसा कभी नहीं चाहा कि मैं एक बुरी बहू बनूं मगर क्या करूं, मेरी बुराई इसी कड़वे सच में है कि मैं अपने पति की पत्नी बन कर ससुराल में चली आई थी. मेरा हर गुण, मेरी सारी अच्छाई उसी पल एक काले आवरण से ढक सी गई जिस पल मैं ने ससुराल की दहलीज पर पैर रखा था. मेरा दोष सिर्फ इतना सा रहा कि अजय के पिता को अजय की दादी मानसिक रूप से कभी अपने से अलग ही नहीं कर पाईं. लाख सफल मान लूं मैं स्वयं को मगर ससुराल में मैं सफल नहीं हो पाई. न अच्छी बहू बन सकी न ही अच्छी भाभी.

‘‘दादी अकेली संतान थीं न अपने घर में…बूआ भी अकेली बहन. यही वजह है कि दादी और बूआ ने अपने खून के अलावा किसी को अपना नहीं माना. जो बेटे में हिस्सा बांटने चली आई वही दुश्मन बन गई. मैं भले ही उन का पोता हूं लेकिन तुम से प्यार करता हूं इसलिए मुझे भी अपना दुश्मन समझ लिया.

‘‘मां, दादी की मानसिकता यह है कि वह अपने प्यार का दायरा बड़ा करना तो दूर उस दायरे में जरा सा रास्ता भी बनाना नहीं चाहतीं कि हम दोनों को उस में प्रवेश मिल सके. वह न हमारी बनती हैं न हमें अपना बनाती हैं. हमतुम भला कब तक बंद दरवाजे पर सिर फोड़ते रहेंगे.

‘‘जाने दो उन्हें, मां… मत सोचो उन के बारे में. अगर हमारे नसीब में उन का प्यार नहीं है तो वह भी कम बदनसीब नहीं हैं न, जिन के नसीब में हम दोनों ही नहीं. जिसे बदला न जा सके उसे स्वीकार लेना ही उचित है. वह वहां खुश हम यहां खुश…’’

सारी कहानी का सार मेरे सामने परोस दिया अजय ने. पहली बार लगा, ससुराल में कोई साथी मिल गया है जो मेरी पीड़ा को जीता भी है और महसूस भी करता है. सब ठीक चल रहा था फिर भी अजय उदास रहता था. मैं कुरेदती तो गरदन हिला देता.

मेरी एक सहेली के पति एक शाम हमारे घर आए तो सहसा मैं ने अपने मन की बात उन से कह दी. उन के बडे़ भाई एक अच्छे मनोवैज्ञानिक हैं.

‘‘भैया, आप अजय को किसी बहाने से उन्हें दिखा देंगे क्या? मैं कहूंगी तो शायद न उसे अच्छा लगेगा न उस के पापा को. हर पल चुपचुप रहता है और उदास भी.’’

उन्होंने आश्वासन दे दिया और जल्दी ही ऐसा संयोग भी बन गया. मेरी उसी सहेली के घर पर कोई पारिवारिक समारोह था. परिवार सहित हम भी आमंत्रित थे. सभी परिवार आपस में खेल खेल रहे थे. कोई ताश, कोई कैरम.  सहेली के जेठ भी वहीं थे, जो बड़ी देर तक अजय से बतियाते रहे थे और ताश भी खेलते रहे थे. उस दिन अजय खुश था. न कहीं उदासी थी न चुप्पी.

दूसरे दिन उन का फोन आया. मेरे पति से उन की खुल कर बात हुई. मेरे पति चुप रह गए.

‘‘क्या बात है, क्या कहा डाक्टर साहब ने?’’

कुछ देर तक मेरे पति मेरा चेहरा बड़े गौर से पढ़ते रहे फिर कुछ सोच कर बोले, ‘‘अजय अकेलेपन से पीडि़त है. उस के यारदोस्त 2-2, 3-3 भाईबहन हैं. उन के भरेपूरे परिवार को देख कर अजय को ऐसा लगता है कि एक वही है जो संसार में अकेला है.’’

क्या कहती मैं? एक ही संतान रखने की जिद भी मेरी ही थी. अब जो हो गया सो हो गया. बीता वक्त लौटाया तो नहीं जा सकता न. शाम को अजय कालिज से आया तो मन हुआ उस से कुछ बात करूं…फिर सोचा, भला क्या बात करूं… माना मांबेटे दोनों काफी हद तक दोस्त बन कर रहते हैं फिर भी भाईबहन की कमी तो है ही. पति अपने काम में व्यस्त रहते हैं और मेरी अपनी सीमाएं हैं, जो नहीं है उसे पूरा कैसे करूं?

अजय की हंसी धीरेधीरे और कम होने लगी थी. मैं ने जोर दे कर कुरेदा तो सहसा बोला, ‘‘मां, क्या मेरा कोई भाईबहन नहीं हो सकता?’’

हैरान रह गई मैं. अपने कानों पर विश्वास ही नहीं हुआ मुझे. बड़े गौर से मैं ने अपने बेटे की आंखों में देखा और कहा, ‘‘तुम 20 साल के होने वाले हो, अजय. इस उम्र में अगर तुम्हारा कोई भाई आ गया तो लोग क्या कहेंगे, क्या शरम नहीं आएगी तुम्हें?’’

‘‘इस में शरम जैसा क्या है, अधूराअधूरा सा लगता है मुझे अपना जीना. कमी लगती है, घर में कोई बांटने वाला नहीं, कोई मुझ से लेने वाला नहीं… अकेले जी नहीं लगता मेरा.’’

‘‘मैं हूं न बेटा, मुझ से बात करो, मुझ से बांटो अपना सुख, अपना दुख… हम अच्छे दोस्त हैं.’’

‘‘आप तो मुझ से बड़ी हैं… आप तो सदा देती हैं मुझे, कोई ऐसा हो जो मुझ से मांगे, कोई ऐसा जिसे देख कर मुझे भी बड़े होने का एहसास हो… मैं स्वार्थी बन कर जीना नहीं चाहता… मैं अपनी दादी, अपनी बूआ की तरह इतने छोटे दिल का मालिक नहीं बनना चाहता कि रिश्तों को ले कर निपट कंगाल रह जाऊं, मेरा अपना कौन होगा मां. सुखदुख में मेरे काम कौन आएगा?’’

22 साल पुरानी वह घटना आज फिर आंखों के सामने साकार हो उठी. ‘‘ ‘भाभी, यह क्या पागलपन है? आते ही बहू को अपना यह क्या रूप दिखा रही हो.

डेली व्लौग देखने का नशा, है बड़ा खतरनाक

सौरभ जोशी भारत के टौप डेली व्लौगरों में से एक है लेकिन उस के बनाए कंटैंट में ढूंढ़ने से भी कुछ काम का मिलना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है. हजारों की संख्या में यूथ उसे देखते हैं, ये यूथ न सिर्फ अपना समय बरबाद कर रहे हैं बल्कि अपने कैरियर के साथ खिलवाड़ भी कर रहे हैं.

हल्द्वानी कहां है, यह किसी को पता हो या न हो पर यूथ को जरूर यह पता है कि सौरभ जोशी हल्द्वानी में रहता है. सौरभ जोशी खुद को इन्फ्लुएंसर कहता है पर उस की वीडियो में ऐसा कुछ नहीं होता जो किसी को इन्फ्लुएंस कर पाए. न तो सीखने के लिए कुछ है, न ही जानकारी लायक कुछ.

सौरभ जोशी कोई बौलीवुड स्टार, स्पोर्ट्स पर्सन या पौलिटीशियन नहीं है. वह है एक यूट्यूबर जो अपने घर की दीवारों, कंबल-रजाइयों, कपप्लेट, घर में क्या बन रहा है, क्या खा रहा है, कहां जा रहा है, उस की कार कौन सी है, कपड़े में सब्जी गिर गई, घर के सदस्य क्या कर रहे हैं जैसी फालतू बातें बताता है. बेसिकली वह अपनी दिनचर्या बताता है पर समझ से परे यह है कि इसे देखने वाले कैसे खलिहर हैं जो अपना कामधंधा छोड़ लगे रहते हैं इस की व्यूरशिप बढ़ाने में.

खुद को स्टार मानने वाला सौरभ कुछ सिखाता नहीं है बल्कि अपना डेली रूटीन दुनिया वालों को दिखाता है. वह क्या खाता है, क्या पीता है, कहां जाता है, बस यही सब कहता है उस का व्लौग.

सौरभ जोशी के व्लौग की बात करें तो उस ने 12 नवंबर, 2023 को एक व्लौग बनाया, जिस का टाइटल था ‘दीवाली गिफ्ट’.  नाम से ही पता चल रहा था कि ये पूरा व्लौग सिर्फ और सिर्फ इस विषय पर बना है कि दीवाली पर सब को क्याक्या गिफ्ट मिला. अब वह अपने रिश्तेदारों को क्या गिफ्ट दे रहा है, यह चिंता उसे करने दो, लेकिन नहीं, युवा अपने रिश्तेदारों की चिंता छोड़ लगे पड़े हैं वीडियो देखने.

व्लौग की शुरुआत में सौरभ मिठाई के डब्बे दिखाते हुए कहता है, ‘‘आज मुझे यह सब लोगों के घर देने जाना है. अभी सुबह के 9 बज रहे हैं और हम अपनी कार ले कर जा रहे हैं क्योंकि सुपरकार हर जगह नहीं जा पाएगी और रास्ते में गड्ढे भी हैं.’’ इस तरह के इन्फ्लुएंसर अपनी लग्जरी लाइफ का बखान करते नहीं थकते. वे युवाओं को अपनी महंगी कारों को दिखा कर रिझाने की कोशिश करते हैं.

इस के बाद व्लौग में उसे लोगों के घर जा कर उन्हें दीवाली की वेलविशेस और गिफ्ट देते हुए दिखाया जाता है. इस के बाद महल्ले के बच्चों को व्लौग में दिखाया जाता है. वह एक बौबी भइया नाम के एक शख्स को आईफोन गिफ्ट देता है. साथ में, स्टाफ मैंबर को दीवाली गिफ्ट देता है. उस की भी वीडियो क्लिप सौरभ अपने व्लौग में एड कर लेता है. इस के बाद घर वालों को गिफ्ट दिया जाता है. बस, यही कहता है सौरभ जोशी का व्लौग. अब इस वीडियो को कोई महाबेवकूफ ही हो जो देखे और लाइक करे. और यदि कोई फिर भी दिलचस्पी रख रहा है तो समझ जा सकता है कि कैसे अथाह बेरोजगारी में उस की मानसिक स्थिति हिली हुई है.

इसी तरह का उस का एक और व्लौग है, जिस का न सिर्फ टाइटल घटिया है बल्कि कंटैंट भी रद्दी है या कहें कंटैंट कहां है, पता नहीं. व्लौग के थंबनेल पर लिखा है, ‘यह क्या हो गया फौरचूनर को.’

इस व्लौग में वह फौरचूनर पर चढ़ी ब्लैक पीपीएफ को उतार कर उस के ओरिजिनल कलर में लाता है. पीपीएफ को पीयूष, जो कि सौरभ का छोटा भाई है और उस का चाचा का लड़का उतार रहा होता है और सौरभ व्लौग बना रहा होता है. फिर उस का चाचा भी आ जाता है. सौरभ अपने सब्सक्राइबर्स से पूछता है कि कौनकौन चाहता है कि चाचा सुपरकार चलाएं. कमैंट करो. फिर चाची और मम्मी व्लौग में आ जाती हैं. इस के बाद मम्मी से राय ली जाती है कि पीपीएफ को कितना उतारा जाए और कितना नहीं. इस के बाद कार के बारे में बताया जाता है.

अब यह कंटैंट ऐसा है कि सामान्य दिमाग वाला इंसान अपना सिर पीट ले. वीडियो के कंटैंट को समझाने के लिए या तो आप को आइंस्टीन होना पड़ेगा या बैलबुद्धि. आगे इस वीडियो में घर का सीन दिखाया जाता है, जिस में सब चाय ले कर बैठे हैं. लेकिन सौरभ के चाचा का बेटा दूध पी रहा है. सौरभ उस से पूछता है कि हम सभी शादी क्यों करते हैं? डैली व्लौगर ‘द ग्रेट सौरभ’ की बुद्धि का स्तर उस के इस सवाल से आंका जा सकता है. बच्चा जवाब देता है कि हमें किसी के साथ की जरूरत होती है, इसलिए हम शादी करते हैं. बच्चा आगे कहता है कि, ‘मैं ने यह सब यूट्यूब से सीखा है. मैं व्लौगर बनूंगा और सब का नाम रोशन करूंगा.’

इस के बाद सौरभ अपने पैट ओरियो को दिखाता है. फिर अपने डिनर की फोटो. इन सब के बाद वह कहता है, ‘मुझे बुखार है. अभी दवाई लूंगा. 2 दिनों बाद बाहर भी जाना है.’ यही था सौरभ का व्लौग. इस वीडियो पर 3 घंटे में 1,34,81,188 व्यूज थे.

आखिर, यह किस तरह का कंटैंट है जो सौरभ जोशी बना रहा है. अब इसे देख रहे युवाओं को इस पर विचार करना चाहिए कि यह कंटैंट है भी कि नहीं. क्या इस पर समय खर्च करना सही है.

सवाल यह भी कि क्या यूथ इतना फ्री बैठा है कि सौरभ या सौरभ जैसे दूसरे यूट्यूबरों के घर में उन की पर्सनल लाइफ में क्याक्या चल रहा है, लगे रहें घंटों देखने. यह भी कि सौरभ ब्रेकफास्ट, लंच और डिनर में क्या खा रहा है, टौयलेट कितने बजे जा रहा है, कौन सा टूथपेस्ट यूज कर रहा है, उस की गर्लफ्रैंड कौन है आदिआदि.

इस के आधे का आधा टाइम भी अगर युवा संसद में नेताओं की डिबेट में लगा लें तो देश के आधे मसले और झूठ बोल कर मलाई खा रहे नेताओं का सफाया यों ही हो जाए. उन्हें समझ आ जाएगा कि पकौड़े तलना रोजगार नहीं, बल्कि आजीविका है.

अगर यूथ इस तरह का फालतू कंटैंट देखेंगे वह भी पैसे दे कर तो अपना कैरियर क्या खाक बनाएंगे और जिन का थोड़ा बहुत कैरियर है वे भी अपने कैरियर की धज्जियां ही उड़ाएंगे.

सौमेंद्र जेना, जिन्हें यूट्यूब पर ‘सोमजैना’ के नाम से जाना जाता है, ने अपने हालिया वीडियो में से एक पर एक टिप्पणी के जवाब में अधिकांश भारतीय यूट्यूबर्स की सामग्री को ‘क्रिंज’ कहा है. उन्होंने कहा, ‘99 प्रतिशत भारतीय यूट्यूबर्स का कंटैंट घटिया है. लोगों की रुचि अच्छी नहीं है.’ सोम ने इस कमैंट का स्क्रीनशौट अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी पर भी शेयर किया. आगे उन्होंने कहा कि यह भारतीय यूट्यूब दृश्यों का दुखद सच है.

यह सच भी है. जैसे सौरभ अपने एक व्लौग में अपने नए घर का डिजाइन दिखाता है. इस व्लौग थंबनेल में उस ने ‘फाइनली न्यू घर का डिजाइन आया’ के नाम से बनाया. इस व्लौग में सौरभ हल्द्वानी में बनने वाले अपने नए घर का 3डी डिजाइन दिखाता है. वीडियो में दिख रहा है कि घर चारमंजिला है. इस में गेमिंगरूम है, जिस में स्लाइड कर के नीचे हौल तक जाया जा सकता है.

घर में डिजिटल लौक है. पूरे घर में लकड़ियों की सीढ़ियां हैं. घर में एक लिफ्ट भी है. इतना ही नहीं, घर में फायर बेस भी है. मतलब पूरा लग्जरी घर.

ग्राउंडफ्लोर की बात करें तों ग्राउंडफ्लोर में बैठने, पार्किंग और बच्चों के खेलने की जगह है. पहले फ्लोर पर दादादादी का रूम है. उस के बाद सब के रूम. सौरभ के रूम से पूरे घर का व्यू दिखेगा. उन के रुम में एक स्टडी टेबल भी है. यहां से वह अपने पूरे घर का व्लौग भी बना सकता है.

अब यह देखनेदिखाने में मन को सुकून दे सकता है पर इस का एक साइड इफैक्ट यह है कि सौरभ ने अपने पूरे घर की जानकारी पब्लिकली कर दी. सवाल है कि इस से क्या समाज के आपराधिक और असामाजिक तत्त्व के कान खड़े नहीं होंगे? सारी जानकारी तो उन्हें सोशल मीडिया से मिल ही गई है, अब बस उन्हें ऐक्शन लेना है.

ऐसी ही एक घटना उस के साथ पहले हो भी चुकी है, जिस में सौरभ ने व्लौग बनाया कि वह आज सपरिवार पहाड़ पर जाएगा. बस, इसी का फायदा उठा कर चोरों ने उस के घर सेंधमारी की और करीब डेढ़ लाख रुपए के गहनों की चोरी कर ली. यह घटना 22 अक्तूबर, 2022 की है.

आप का अपना डेली रूटीन पब्लिकली करना आप के लिए किस तरह आफत बन सकता है, यह आप सौरभ जोशी के साथ हुई घटना से समझ सकते हैं. अगर उस के घर में उस वक्त कोई होता तो यह घटना मर्डर में भी तबदील हो सकती थी.

हम अगर सौरभ जोशी के व्लौग को खंगाले तो हमें उस के व्लौग में ऐसेऐसे थंबनेल मिलेंगे जिन से लगेगा कि यह कोई व्लौग न हो कर किसी व्यक्ति की दिनचर्या हो.

जैसे कुछ थंबनेल हैं, ‘तबीयत खराब है, बट, मैगी खानी है’, ‘स्कूल से लेने गया पीयूष’, ‘कुणाली को सुपरकार में’, ‘कुणाली का टौय कलैक्शन’, ‘पीयूष वर्सेस कुणाली कार रेस’, ‘न्यू घर की पार्किंग’, ‘अम्मा को सुपरकार में बैठाया’, ‘हमारी दीवाली की लाइटिंग’, ‘फौरचूनर ठुक गई नई दिल्ली में’, ‘बहुत टाइम बाद गेम खेली’, ‘सुपरकार को पहाड़ पर ले गए’ वगैरहवगैरह. इन वीडियोज में कुछ भी इंटरैस्टिंग नहीं है जिस के चलते व्लौग देखा जाए. लेकिन अंधा यूथ दबा के सौरभ जोशी के व्लौग देख रहा है.

यूट्यूब अब एक ऐसा अड्डा बन गया है जहां लोग अपनी डेली लाइफ को कैमरे पर दिखाने लगे हैं, चाहे वह घर का काम करती हुई महिला हो, ट्यूशन जाता हुआ बच्चा हो, शौपिंग करती हुई लड़कियां हो, गायभैंस की खानापानी करती महिला हो या फिर घर में खाना बनाता हुआ यंग बौय. सभी को व्लौगर बनने का चस्का लगा हुआ है.

कोई भी व्यक्ति कैमरा उठाता है और बोलना चालू कर देता है- ‘‘हैलो गाईज, मैं आज अपनी बूआ के घर जा रही हूं, आप भी देखिए कि मुझे आज रास्ते में क्याक्या देखने को मिलेगा?’’ लोग भी उन के सफर में शामिल हो जाते हैं और अपना कीमती समय बेकार की चीजों में जाया कर देते हैं.

डेली व्लौग बनाने वाले लोग अपनी प्राइवेसी के साथ खेल रहे हैं. वे अपने पलपल की खबर दे रहे हैं. कहां रहते हैं, कहां जा रहे हैं, कब आएंगे, घर में कितने दरवाजे हैं, घर में कौनकौन है, कौन कब आता है, जाता है, औफिस कहां है, कौन बीमार है, कौन नहीं आदिआदि. वे अपनी पर्सनल लाइफ, फिर चाहे उन की मां, बहन और पत्नी हो, को सब के सामने ला रहे हैं और जब ट्रोल होने लगते हैं, गालियां खाने लगते हैं तो रोने भी लग जाते हैं.

कई बार व्लौगर कंप्लेन करते हैं कि व्यूअर्स उन की पर्सनल लाइफ के बारे में बुराभला कह रहे हैं. उन की फैमिली को रोस्ट कर रहे हैं. पर्सनल लाइफ को पब्लिक भी इन्हीं क्रिएटर्स ने किया है तो प्रतिक्रियास्वरूप कुछ भी आ सकता है. सो, क्रिएटर्स को इस के लिए तैयार रहना चाहिए.

सौरभ जोशी के यूट्यूब पर 23.5 मिलियन सब्सक्राइबर्स हैं, यानी 2 करोड़ 35 लाख के आसपास. उस ने अपने चैनल पर डेढ़ हजार के करीब व्लौग बनाए हैं. उसे इंडिया का नंबर वन डेली व्लौगर कहा जाता है पर सिर्फ नंबर के आधार पर यह पदवी दे देना सवाल छोड़ता है.

बात करें अगर सौरभ की उम्र की तो सौरभ महज 23 साल का है और उस ने सिर्फ 12वीं तक ही पढ़ाई की है. सौरभ एक ड्राइंग आर्टिस्ट भी है.

लड़की के चक्कर में बरबादी, समय रहते संभलें

11 जुलाई, 2011 को पटना के गांधी मैदान में एक आशिक ने अपनी मुहब्बत का इजहार किया, जिसे माशूका ने बेरहमी से ठुकरा दिया. आशिक ने जान देने की धमकी दी, लेकिन माशूका पर इस का कोई असर नहीं हुआ.

आशिक ने कहा, ‘‘मैं तुम्हारे बगैर नहीं रह सकता… तुम्हें मुझ से शादी करनी ही पड़ेगी… मैं तुम्हारी शादी कहीं और नहीं होने दूंगा… अगर तुम मुझे नहीं मिली, तो मैं कुछ कर जाऊंगा…’’

माशूका ने मुंह बिचका कर गुस्से से कहा, ‘‘जाओ, जो करना है कर लो.’’

माशूका के इतना कहते ही आशिक ने अपने पेट में चाकू घुसेड़ लिया. आननफानन उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां उस ने दम तोड़ दिया.

भरी दोपहरी में 26 साल के आशिक विद्याशंकर ने गिलेशिकवे दूर करने के लिए अपनी प्रेमिका 22 साला अर्चना को गांधी मैदान में बुलाया था.

दोनों पटना के खगौल इलाके में रहते थे. बीबीए की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह बेंगलुरु से लौटा था और इग्नू में बीए की पढ़ाई कर रही अर्चना के साथ प्यार की पेंग बढ़ा रहा था.

23 अगस्त को रजत ने महात्मा गांधी पुल पर चढ़ कर गंगा नदी में छलांग लगा दी. पुल के नीचे मछली पकड़ने के लिए जाल बिछा कर बैठे मछुआरों ने उसे बचा लिया और पुलिस के हवाले कर दिया.

रजत ने पहले तो पुलिस को बताया कि पिता की डांट से नाराज हो कर उस ने खुदकुशी करने की कोशिश की थी. पुलिस ने उस के घर वालों को इस की जानकारी दी.

घर वाले जब थाने पहुंचे, तो पता चला कि रजत का किसी लड़की से इश्क चल रहा था. उस के मां और पिता ने उसे कई बार समझाया कि वह लड़की का चक्कर छोड़ कर पढ़ाईलिखाई में मन लगाए, लेकिन उस पर इश्क का भूत इस कदर सवार था कि उसे किसी की बात समझ में नहीं आ रही थी.

इस का नतीजा यह हुआ कि वह 12वीं के इम्तिहान में फेल हो गया. जब घर वालों ने डांटफटकार लगाई, तो वह खुदकुशी करने की नीयत से पुल से नीचे कूद गया.

प्यार जिंदगी के लिए जरूरी है, पर बेवक्त इस के फेर में फंस कर कई जिंदगियां बरबाद भी होती रही हैं. पढ़ाईलिखाई की उम्र में लड़की और प्यार के चक्कर में फंसना कई घनचक्करों को न्योता देना ही है.

आज के तेजी से बदलते लाइफ स्टाइल और फास्ट फूड कल्चर के बीच पनपे बच्चे हर कुछ फटाफट हासिल करने के चक्कर में लगे रहते हैं. चाहे पढ़ाई का मामला हो या कैरियर का या फिर प्यारमुहब्बत का, हर चीज फटाफट चाहिए. अगर सबकुछ उन के मन के मुताबिक नहीं हो पाता है, तो वे जान देनेलेने पर उतारू हो उठते हैं.

लड़की के चक्कर में फंसने पर समय, पढ़ाई, पैसा, कैरियर बरबाद होने के साथसाथ मां और पिता से रिश्ते भी खराब होते हैं. माली, दिमागी और जिस्मानी हर तरह का नुकसान होता है सो अलग.

समाजशास्त्री हेमंत राव कहते हैं कि कच्ची उम्र होने की वजह से नौजवानों में अच्छेबुरे की जानकारी नहीं होती है, जिस से वे लड़की के फेर में फंस कर अपना सबकुछ बरबाद कर डालते हैं. साथ ही, वे अपने मांबाप के सपनों को भी तोड़ देते हैं. सबकुछ लुटने के बाद जब सच का पता चलता है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है.

चाहे पढ़नेलिखने वाले नौजवान हों या नौकरी करने वाले, वे लड़की के चक्कर में फंस कर अपने कीमती समय को बरबाद करते रहते हैं. लड़की पर प्यार का चक्कर चलाने वाले भले ही यह सोचें कि ऐसा कर के वे मर्दानगी दिखा रहे हैं, पर असल में वे लुटनेपिटने के रास्ते पर चल रहे होते हैं.

एक प्राइवेट बैंक में मैनेजर की नौकरी करने वाला विनीत बताता है कि किस तरह लड़की के चक्कर में फंस कर उसे नौकरी से हाथ धोना पड़ा और किस तरह से उस की पारिवारिक जिंदगी चौपट हो गई.

बैंक में ही क्लर्क की नौकरी करने वाली एक लड़की के इश्क में फंसने के बाद विनीत खुद को बड़ा किस्मत वाला समझ रहा था. घर पर बीवी और दफ्तर में प्रेमिका पा कर वह फूला नहीं समाता था.

एक दिन उसे पता चला कि वह लड़की के प्यार में नहीं, चंगुल में बुरी तरह से फंस चुका है. लड़की ने उस के साथ बनाए जिस्मानी रिश्ते की वीडियो रिकौर्डिंग कर ली थी. वीडियो दिखा कर वह विनीत को ब्लैकमेल करने लगी. जबतब उस से पैसे ऐंठने लगी और नौकरी में तरक्की दिलाने के लिए दबाव बनाने लगी.

जब उस लड़की की मांगों को पूरा करना विनीत के बूते के बाहर की बात हो गई, तो वह दफ्तर से लंबी छुट्टी ले कर गायब हो गया. लड़की बारबार फोन पर उसे धमकी देने लगी.

जब विनीत उस के पास नहीं पहुंचा, तो उस लड़की ने उस की बीवी के मोबाइल फोन पर वीडियो को भेज दिया. उस के बाद विनीत दोबारा दफ्तर नहीं गया और अब उस की बीवी से तलाक का मुकदमा चल रहा है.

मगध यूनिवर्सिटी के प्रोफैसर अरुण कुमार कहते हैं कि हर चीज हद में ही अच्छी मानी जाती है. पढ़ाईलिखाई, नौकरी, घरपरिवार, इज्जत वगैरह को ताक पर रख कर जो नौजवान लड़कियों के चक्कर में जरा सा मजा पाने के लालच में फंसते हैं, तो बाकी जिंदगी उन के लिए सजा बन जाती है.

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