क्या आप भी तो नहीं करते है सैक्स करते समय ये 3 गलतियां

सैक्स किसी भी मैरिड कपल लाइफ के लिए जरूरी रोल प्ले करता है, सैक्स करते समय कुछ गलतियां भी हो जाती है, कुछ गलतियां बेशक छोटी होती हैं, लेकिन कुछ ऐसी गलतियां हो जाती है जो आपकी सैक्स लाइफ खराब कर सकती है.

 

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कई लोग पहली बार सैक्स से जुड़ी जानकारी से अनजान रहते हैं. सैक्स की जानकारी के बारे में पता न होने की वजह से गलतियां कर बैठते हैं. सैक्स का अनुभव अच्छा और यादगार लेना हो तो, आपको इन गलतियों को करने बचना चाहिए.

ओवर एक्स्साइटमेंट दिखाने की गलती

पहली बार सेक्स करने के दौरान पुरुष ज्यादा ओवर एक्साइटेड हो जाते हैं, और खुद को हीरो समझने की गलती करने लगते हैं. ऐसा बिलकुल ना करें. पहली बार सेक्स करने के बेसिक पर ध्यान दें. जरूरत से ज्यादा कोशिश आपके पार्टनर को डरा भी सकती है.

पार्टनर के साथ कन्वर्सेशन

अगर आपके दिमाग में आने वाले हर थौट को अपने पार्टनर से डिसकस करेंगे तो सैक्स के उस पल को एन्जौय नहीं कर पाएंगे तो सलाह यही है कि आप उस समय कम से कम बातचीत करें. लेकिन किसी बात का रिस्पौंस जरूर करें.

फोरप्ले की कमी

बढ़ती उम्र के साथ-साथ महिलाओं में सेक्स के प्रति रुचि कम होने लगती है और वे सेक्स को स़िर्फ एक औपचारिकता के तौर पर लेती हैं. पत्नियों का ऐसा व्यवहार पति को आहत करता है, जिसके कारण वे फोरप्ले का आनंद नहीं उठा पाते.

फैशन में किसी हीरो से कम नहीं हैं Rahul Gandhi, जबरदस्त है उनकी जैकेट्स

नेता अपने राजनीतिक मुद्दों की वजह से हमेशा ही सुर्खियों में रहते हैं लेकिन नेतागण अपने फैशन सेंस को लेकर अक्सर पीछे रह जाते हैं, लेकिन ये बात राहुल गांधी पर कतई फिट नहीं होती हैं. क्योंकि राहुल जितना अपने भाषणों को लेकर वायरल है उससे कहीं ज्यादा वे अपने फैशन को लेकर सुर्खियां बटोरते हैं.

 

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काग्रेंस अध्यक्ष राहुल गांधी कपड़ों के स्टाइल में जरा हटकर हैं. उनके कपड़ों को फैशन लगभग एक जैसा जरूर रहता है लेकिन राजनीति दांव खेलने के लिए उनके कपड़े कमाल के होते हैं. राहुल अपनी ड्रेसिंग स्टाइल को लेकर जबरदस्त सुर्खियों में रहते हैं युवा नेताओं की लिस्ट में वे ऐसे नेता है जो अक्सर टी-शर्ट में नजर आते है. वो भी सफेद रंग की होती हैं. लेकिन इसके पीछे वजह है कि राहुल सफेद टी-शर्ट में ही क्यों नजर आते हैं.

दरअसल, सफेद पारदर्शिता’’ और ‘‘सादगी का संदेश देता है इसी कारण से राहुल सफेद टी-शर्ट पहनना पसंद करते है. इसके अलावा राहुल गांधी को कई बार लैदर जैकेट पहने हुए भी देखा गया है. जिसे वे अक्सर कुर्तें पर कैरी करते है. हालांकि वे नहेरू जैकेट से दूर नहीं है. वे अपने स्टाइ में नहेरू जैकेट जरूर कैरी करते है.

राहुल गांधी जब भी विदेश यात्रा पर जाते हैं तो वे सूटबूट कैरी करते हैं. अमूमन उनका रंग नीला या काला होता है. राहुल हमेशा अपने हाथ में घड़ी पहनना पसंद करते है. स्लिपर वे लैदर की या शूज पहनना कैरी करते हैं अक्सर आपने रैलियों में देखा होगा राहुल चमड़े की चप्पल पहनते हैं. भारत जोड़ों यात्रा में राहुल ने हमेशा शूज और टीशर्ट कैरी की. टीशर्ट भी सफेद रंग की पहनी. राहुल गांधी एक समय में कुर्ते के नीचे जीन्स पहना करते थे. उनका ये स्टाइल युवा लड़कियों को काफी एट्रेक्टिव लगता था. हालांकि अब राहुल इस लुक में काफी कम नजर आते हैं. उन्हे अब टीशर्ट पहनना ज्यादा पसंद आने लगा है.

Bigg Boss OTT में देहाती लड़कियां दिखा रही हैं दम, पहले मनीषा अब शिवानी के है चर्चे

बिग बौस ओटीटी 3 की शुरुआत हो चुकी है इस सीजन को सलमान खान नहीं अनिल कपूर होस्ट कर रहे है. इस सीजन में गांव शहर की लड़कियां कंटस्टेंट बनीं है हालांकि, ये पहली दफा नहीं है कि बिग बौस में देहात की लड़की आई हो. इससे पहले के सीजन में भी ऐसे कंटेस्टेंट आ चुके है.

 

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हम बात कर रहे है ओटीटी सीजन 3 की कंटेस्टेंट शिवानी कुमारी की जो इन दिनों बिग बौस में अपना कमाल दिखा रही है. शिवानी उत्तर प्रदेश के औरेया के छोटो से हैं. जो अपने गांव देहात की फोटोज और वीडियोज से सोशल मीडिया पर वायरल है. शिवानी काफी गरीब परिवार से ह. इसी के चलत वे टिकटौक पर वीडियोज बनाने लगी और वायरल हो गई. आज नेशनल टीवी शो बिग बौस में अपना जलवा दिखा रही है.

शिवानी कुमारी का यूट्यूब चैनल भी है. जिसका नाम शिवानी कुमारी औफिशियल है. उनके इंस्टाग्राम हैंडल की बात करें तो उनके फौलोअर्स चार मिलियन है. वही, यूट्यूब पर उनके 2.27 मिलियन सब्सक्राइबर है. उनके बनाएं व्लौग पर लाखों व्यूज आते है. शिवानी अपने यूट्यूब चैनल पर अबतक 445वीडियोज अपलोड कर चुकी है. इसके अलावा शिवानी बलमा और शोर नाम के दो गानों में नजर आ चुकी है. शिवानी ने बिग बौस में आने की खबर अपने इंस्टा पर शेयर कि जिस पर लोगों ने जमकर रिएक्ट किया.

शिवानी से पहले गांव की छोरी की लिस्ट में ज्योति कुमारी और मनीषा रानी जैसे नाम शामिल है. ये भी गांव के छोटे कस्बे से थी जिन्होंने बिग बौस में आकर नाम कमाया और सोशल मीडिया पर वायरल हुई. बता दें, ज्योति कुमारी को बिग बौस में आने के बाद लुक बिलकुल अलग हो गया उनके लुक्स में चारचांद लग गए. वही, उनको फोलो करने वाले 1 मिलियन है. बात करें मनीषा कुमारी की तो वे बेबाकी से बात करती है अपनी अदाओं से किसी भी दीवाना बना लेती है. मनीषा बिग बौस के बाद ‘खतरों के खिलाड़ी’ शो में भी नजर आई थी. देखना ये होगा मनीषा रानी और ज्योति कुमारी के बाद शिवानी बिग बौस से कितने दिलों पर राज कर बैठती है.

एकतरफा प्यार, मुश्किलें हजार

एकतरफा प्यार में सिरफिरे आशिकों की दास्तां आएदिन सुननेपढ़ने को मिलती रहती हैं. किसी ने प्रेमिका को गोली से उड़ा दिया, तो किसी ने जला दिया. कोई उस के घर वालों के साथ खून की होली खेल कर लौटा, तो किसी ने खुदकुशी कर ली.

नवंबर, 2023 में मुंबई में एकतरफा प्यार में पागल हो कर अलवीना ने फांसी लगा ली. उस ने अपने प्रेमी को दूसरी लड़की के साथ देख लिया था. इसी वजह से उस का दिल टूटा तो उस ने यह कदम उठा लिया.

दरअसल, अलवीना एक लड़के से प्यार करती थी, लेकिन कुछ दिनों पहले उस ने अपने प्रेमी को किसी दूसरी लड़की के साथ देखा था. इस के बाद अलवीना ने अपने प्रेमी से कई बार मिलने के लिए कहा था, लेकिन वह उस से नहीं मिला.

अलवीना अपने बौयफ्रैंड के इस रवैए से काफी परेशान थी. वह इंस्टाग्राम पर काफी मशहूर थी. उस ने खुदकुशी करने से पहले एक वीडियो भी बनाया था.

क्या है एकतरफा प्यार

एकतरफा प्यार एक तरह का प्यार ही होता है, लेकिन सिर्फ एक तरफ से. इस का मतलब यह है कि या तो आप किसी ऐसे शख्स से प्यार करते हैं, जो आप से प्यार नहीं करता या आप किसी शख्स से प्यार करते हैं, मगर कभी बताया नहीं या फिर ऐसा इनसान अब आप की पहुंच से बाहर है.

एकतरफा प्यार तब भी हो सकता है, जब आप किसी ऐसे इनसान के प्रति खिंचते जाते हैं, जो किसी और के साथ रिलेशनशिप में है. यह ब्रेकअप के बाद भी हो सकता है और यह तब भी हो सकता है, जब आप अपने रिलेशन में खुश हों, लेकिन आप का पार्टनर आप को छोड़ना चाहता हो.

एकतरफा प्यार की बुनियाद

जब हम किसी के साथ ज्यादा समय गुजारते हैं या किसी के बेहद करीब होते हैं तो धीरेधीरे एक बंधन में बंध जाते हैं. लेकिन यह आकर्षण अगर जनूनभरे प्यार का रूप ले ले तो समझ लीजिए कि संभल जाने का समय आ गया है.

इस एकतरफा प्यार की शुरुआत थोड़ी सी जानपहचान या दोस्ती से शुरू हो सकती है. हम किसी के साथ थोड़ा समय गुजारते हैं, तो सामने वाले की कुछ बातें हमारे विचारों से मिलतीजुलती लगती हैं और हम उस आकर्षण को प्यार समझ बैठते हैं.

लेकिन ऐसी हालत में यह समझना जरूरी है कि अगर ऐसा खिंचाव सामने वाला भी आप के प्रति महसूस कर रहा है तो ही इसे प्यार का नाम दें और उसे ले कर सपने देखें, वरना उसे एक खूबसूरत मोड़ दे कर भूल जाना ही अच्छा है.

अच्छा नहीं है एकतरफा प्यार

इस तरह का प्यार आप की मैंटल हैल्थ पर असर कर सकता है, क्योंकि यह आप को कोई खुशी नहीं देता, बल्कि आप केवल इस से दुखी ही होते हैं.

एकतरफा प्यार में केवल आप उसे पाने की चाहत करते रहते हैं और उस के बारे में सोचते रहते हैं, जिस से आप अंदर से डिस्टर्ब्ड हो जाते हैं यानी आप का दिल किसी ऐसे इनसान की वजह से टूटता है जिसे आप ने डेट नहीं किया है या जिस के साथ आप रिलेशनशिप में नहीं रहे हैं. उस से रिश्ते के टूटने का दर्द तकरीबन वैसा ही होता है जैसा 2 प्यार करने वालों के बीच ब्रेकअप के बाद होता है.

अगर आप भी एकतरफा प्यार के चंगुल में फंस चुके हैं और इस से बाहर आना चाहते हैं, तो कुछ बातों का खयाल रखें :

अपनी भावनाओं को स्वीकारें

एकतरफा प्यार से बाहर निकलने का पहला कदम अपनी भावनाओं को स्वीकार करना है. चाहे आप गुस्से, शर्मिंदगी या दिल टूटने से जूझ रहे हों, जो भी हालात हों, उन्हें नौर्मल मान कर स्वीकार करें.

रिश्ते गहरे न करें

जब आप किसी को पसंद करते हैं, तो आप उन से बात करना चाहते हैं और उन्हें अपनी भावनाओं के बारे में बताना चाहते हैं. अगर आप ऐसे इनसान को अपनी भावनाएं बताएंगे जो आप से प्यार नहीं करता तो वह आप को नहीं समझेगा और इस से आप और ज्यादा दुखी

हो सकते हैं, इसलिए जिस से आप एकतरफा प्यार करते हैं उस से दोस्ती रख सकते हैं, रिश्ता बनाने की कोशिश न करें.

खुद से प्यार करें

प्यार अपनी जगह है, लेकिन आप को अपने बारे में सोचना बहुत जरूरी है. आप सब से पहले खुद से प्यार करें. उस के बाद ही आप उस काबिल बन सकते हैं कि आप किसी और से प्यार करें.

एकतरफा रिश्ते से बाहर निकलने के लिए आप को खुद के लिए कुछ अच्छा करना चाहिए, जो आप के शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करे. खुद को बिजी रखने से आप को तेजी से आगे बढ़ने में मदद मिल सकती है.

आप जिस के साथ एकतरफा प्यार में हैं, शायद वह आप को डिजर्व न करता हो और उस से कोई बेहतर आप का इंतजार कर रहा हो, इसलिए आप को हमेशा खुद को अहमियत देनी चाहिए.

खुद को बिजी रखने और मनपसंद काम में मसरूफ रहने से आप को तेजी से आगे बढ़ने में मदद मिल सकती है. उन चीजों को करने के लिए समय निकालें, जो आप को पसंद हैं, जैसे ड्राइंग करना, गीत गाना या खाना बनाना.

पागलपन की हद तक न पहुंचें

हमारे आसपास के समाज का तानाबाना बहुत ज्यादा छोटी सोच वाला है. समाज में इस प्यार को कभी अहमियत नहीं दी गई. सामने वाला अगर किसी के साथ रिश्ते में है या शादीशुदा है, तब एकतरफा प्यार समाज की नजरों में कोई माने नहीं रखता और अगर कोई फिर भी रिश्ता बनाए रखना चाहे तो यह समाज की नजरों में गलत है. ऐसे में प्यार की एकतरफा कहानियों ने समाज में कई दर्दनाक घटनाओं को अंजाम दिया है.

आएदिन इसी एकतरफा प्यार की वजह से बलात्कार, हत्या, अपहरण जैसी घटनाएं देखने को मिलती हैं. ऐसे में इस सोच को भी समझना होगा कि अगर आप किसी के प्रति खिंचाव महसूस कर भी रहे हैं, तो पागलपन की हद को पार न करें.

घरवाले सोचते हैं शादी से एक का खर्च और बढ़ जाएगा, मैं उनकी सोच को कैसे बदलूं?

सवाल

मेरी उम्र 25 साल है. मैं ओडिशा के पुरी शहर में रहता हूं. मेरी अभी शादी नहीं हुई है. नौकरी भी ज्यादा अच्छी नहीं है. परिवार वालों को मुझ से बड़ी उम्मीद है, पर मुझे लगता है कि शादी के बाद मैं और मेहनत से काम करूंगा और परिवार को ज्यादा कमा कर दूंगा. पर मेरे मांबाप सोचते हैं कि अगर घर में एक और सदस्य आ गया तो खर्च बढ़ जाएगा और मैं भी अपनी नौकरी से ज्यादा बीवी पर ध्यान दूंगा. लेकिन मेरी नजर में शादी करना गलत नहीं है. मैं ऐसा क्या करूं कि अपने परिवार वालों की सोच बदल सकूं? 

जवाब

आप के परिवार वाले गलत नहीं सोच रहे हैं और न ही आप गलत हैं, फर्क सिर्फ इतना है कि उन लोगों के पास दुनियादारी और जिंदगी का तजरबा है और आप के पाकेट में सिर्फ हसरत और उम्मीद है, इसलिए थोड़ा सब्र रखें और यह जिद या इच्छा मन से निकाल दें कि शादी के बाद ज्यादा मेहनत करूंगा. यह एक भाग्यवादी दलील या सोच है. आप अभी से ज्यादा मेहनत शुरू कर कमाई बढ़ाएं तो सारी समस्या हल हो जाएगी. कोशिश करें कि पत्नी नौकरी वाली हो, जिस से घर की आमदनी और बढ़े.

अब पछताए होत क्या : कामिनी ने आप पर आरोप क्यों लगाया

आज मंत्री पद गंवा कर दामोदर दुखी भाव से घर लौटे थे. टैलीविजन चालू करते ही वे चौंक गए. हर जगह उन्हीं की महिमा का गुणगान हो रहा था.

दामोदर के ऊपर कामिनी समेत 20 औरतों ने छेड़छाड़ करने का केस दायर किया था. प्रधानमंत्री ने सख्ती दिखाते हुए उन्हें मंत्री पद से हटा दिया. चूंकि वे वरिष्ठ मंत्री रहे हैं इसलिए उन से इस्तीफा लिया गया और अदालत के फैसले के आधार पर उन के ऊपर कार्यवाही होगी.

इस सब में प्रधानमंत्री का बयान आग में घी का काम कर रहा था, ‘मैं ने प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारियों का पालन करते हुए दामोदर से इस्तीफा ले कर मंत्रिपरिषद से बाहर कर दिया है. अदालत बिना किसी दबाव के इस मसले पर फैसला लेगी.’

‘‘बड़ा ईमानदार बनता है. सौ चूहे खा कर बिल्ली हज को चली,’’ दामोदर गुस्से में बड़बड़ा रहे थे. वे राजनीति में 50 साल यों ही नहीं गुजार चुके थे. उस में भी वे 30 साल से ज्यादा पत्रकारिता जगत में गुजार चुके थे. कामिनी को वे ही पत्रकारिता में लाए थे.

शाम को अपनी सफाई में दी गई प्रैस कौंफ्रैंस में दामोदर वहां आए पत्रकारों पर फट पड़े, ‘‘मैं खुद पत्रकार के रूप में सालों से आप के साथ रहा हूं और काम कर रहा हूं. इन आरोपों में कोई दम नहीं है, पर पत्रकार के रूप में आप सब जांच में सहयोग दें और सच को छापें.

‘‘मैं ने भी मंत्री पद से इसलिए इस्तीफा दिया क्योंकि न्यायपालिका में मेरा पूरा विश्वास है कि वह सही जांच करेगी. दूसरी बात यह है कि जिस दिन की बात कामिनी बता रही हैं, उस दौरान मैं प्रधानमंत्री के श्रीलंका दौरे को कवर करने वहां गया था और एक वक्त में मैं 2 जगह नहीं रह सकता.’’

‘‘फिर कामिनी ने आप पर आरोप क्यों लगाया?’’ एक पत्रकार का यह सवाल था.

‘‘आरोप तो कोई भी किसी पर लगा सकता है, मेरे इतने साल के पत्रकारिता और राजनीति के कैरियर में जब कोई गलती नहीं दिखाई दी तो मेरा सीधा चरित्र हनन कर डाला,’’ दामोदर मानो सफाई देते हुए बोले.

मीटिंग खत्म कर के वे कमरे में लौटे तो उन का कामिनी की पुरानी बातों और यादों पर ध्यान चला गया.

‘कामिनी, आप क्या लिखती हैं?’ दामोदर उस की रचनाओं और बायोडाटा को देखते हुए बोले थे.

‘कुछ नहीं बस आज से जुड़े विषयों पर छिटपुट रचनाएं लिखी हैं.’

‘अभी तुरंत कुछ लिख कर दीजिए,’ दामोदर 4 पेज देते हुए बोले थे.

कामिनी ने थोड़ी ही देर में एक ज्वलंत विषय पर रचना लिख कर दे दी थी. इस के बाद इतिहास से एमए पास कामिनी अकसर लिखती और उस की रचना छपने लगी थी.

उस दिन भी कवरेज के लिए जब दामोदर कानपुर गए थे, तो कामिनी उन के साथ थी. बारिश हो रही थी. रात के 11 बजे जब वे कमरे में पहुंचे तो दोनों भीग चुके थे.

इस के बाद दामोदर ने कामिनी के साथ होटल में छक कर मजे लूटे थे. कामिनी ने भी भरपूर सहयोग दिया था. आग में घी तब पड़ा था, जब दामोदर कामिनी के बजाय राधा से शादी कर बैठे थे.

‘इतने दिनों तक मेरा इस्तेमाल किया, फिर…’ कामिनी बिफरते हुए बोली थी.

‘फिर क्या, हम दोनों ने एकदूसरे का इस्तेमाल किया है. तुम ने मेरे नाम का और मैं ने तुम्हारा. यह दुनिया ऐसे ही कारोबार पर चलती है,’ दामोदर सपाट लहजे में बोले थे.

‘मैं आप को बदनाम कर दूंगी. आखिर उस राधा ने क्या दिया है आप को?’ कामिनी गुस्सा में बड़बड़ा रही थी.

‘तुम खुद टूट जाओगी. दूसरी बात यह कि मैं ने मंत्री की बेटी से शादी की है, तो अब सब अपनेआप मिल जाएगा,’ दामोदर सफाई देते हुए बोले थे.

फिर धीरेधीरे दोनों दूर हो गए थे. दामोदर ने सालों से कामिनी का चेहरा नहीं देखा था. इतने सालों के बाद वह न जाने कहां से टपक पड़ी थी.

अगर कामिनी ने अदालत में सुबूत पेश कर दिया तो उन्हें जेल होगी और हर्जाना भी देना पड़ेगा. सांसद की कुरसी भी छिन जाएगी.

‘क्या करूं…’ दामोदर सोच रहे थे कि उन्हें जग्गा याद आ गया. वे जग्गा के पास खुद पहुंचे थे.

‘‘आप जाइए, मैं इस का इलाज कर देता हूं. आप बस 20 औरतों के लिए 25 लाख रुपए का इंतजाम कर दें,’’ वह शराब पीता हुआ बोला.

‘‘पैसा कल तक पहुंच जाएगा. तुम काम शुरू कर दो,’’ दामोदर हामी भरते हुए बोले.

अगले दिन दोपहर के 12 बजे प्रैस कौंफ्रैंस कर उन सभी 20 औरतों ने नाम समेत माफी मांगी और आरोप वापस ले लिया.

अब तो दामोदर मंत्री पद पर दोबारा आ गए. इस मसले पर जब उन से पूछा गया तो वे ?ाट बोल उठे, ‘‘वे सब मेरी बहन जैसी हैं. मैं तो उन से कभी मिला नहीं, उन्हें जानता तक नहीं. बस राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल की गई मुहरें थीं. मुझे साजिश करने वाला चाहिए मुहरें नहीं.’’

‘‘मगर, वे सब औरतें कहां गईं?’’ एक पत्रकार ने पूछा.

‘‘यह सवाल आप उन से पूछिए जिन्होंने मुझ पर ऐसा घिनौना आरोप लगवाया है.

वह तो भला हो उन बहनों का, जिन का जमीर जाग गया और आज मैं आप के सामने हूं. मेरे सामने खुदकुशी के सिवा कोई रास्ता नहीं था,’’ घडि़याली आंसू बहाते दामोदर के इस जवाब ने सब को चुप कर दिया था.

दामोदर दोबारा सही हो गए, तो झट रात में जग्गा को फोन लगाया.

‘आप चिंता मत करो, सारा काम ठीक से हो गया है,’ जग्गा ने कहा.

‘‘फिर भी कहीं कुछ…’’ दामोदर थोड़े शंकित थे.

‘कोई अगरमगर नहीं… जग्गा पूरे पैसे ले कर आधा काम नहीं करता है.’

अब दामोदर ने चैन की सांस ली. अब वे कभी ऐसा कुछ नहीं करेंगे, ऐसा सोच कर वे हलका महसूस करने लगे और धीरेधीरे नींद के आगोश में चले गए.

आलिया: एक होशियार लड़की

सब कहते हैं कि दुनिया बहुत ही खूबसूरत है. यहां देखने के लिए एक से एक शानदार जगहें हैं. पहाड़, नदियां, कई मौसम और हर रंगढंग के लोग. अगर कोई कुछ सीखना चाहता है तो वह इन्हीं अच्छेबुरे लोगों के बीच रह कर ही सीख सकता है. अगर कोई आगे बढ़ना चाहता है तो उसे इन्हीं लोगों के साथ ही आगे चलना होगा.

लेकिन उन लोगों का क्या, जिन्होंने यह दुनिया जी ही नहीं? ऐसे लोग जो अपने ख्वाबों में अपनी एक अलग दुनिया जीते हैं. वे किताबों, घर के बनाए उसूलों और टैलीविजन देख कर ही पूरी जिंदगी गुजार देते हैं.

ऐसे ही लोगों में से एक है आलिया. वह 12वीं क्लास में पढ़ती है. देखने में होशियार लगती है. और है भी, लेकिन उस ने अपना दिमाग सिर्फ किताब के कुछ पन्नों तक ही सिमटा रखा है. 12वीं क्लास में होने के बावजूद उस ने आज तक बाजार से अपनेआप एक पैन नहीं खरीदा है. वह छोटे बच्चों की तरह लंच बौक्स ले कर स्कूल जाती है और अपने पास 100 रुपए से ज्यादा जेबखर्च नहीं रखती है.

आलिया के पास आर्ट स्ट्रीम है और स्कूल में उस की एक ही दोस्त है हिना, जो साइंस स्ट्रीम में पढ़ती है. दोनों का एक सब्जैक्ट कौमन है, इसलिए वे दोनों उस एक सब्जैक्ट की क्लास में मिलती हैं और लंच बे्रक साथ ही गुजारती हैं.

आलिया को लगता है कि अगर कोई बच्चा 100 रुपए से ज्यादा स्कूल में लाता है तो वह बिगड़ा हुआ है. पार्टी करना, गपें मारना और किसी की खिंचाई करना गुनाह के बराबर है.

अगर कोई लड़की स्कूल में बाल खोल कर और मोटा काजल लगा कर आती है और लड़कों से बिंदास बात करती है तो वह उस के लिए बहुत मौडर्न है.

सच तो यह है कि आलिया बनना तो उन के जैसा ही चाहती है, पर चाह कर भी ऐसा बन ही नहीं पाती है. क्लास के आधे से ज्यादा बच्चों से उस ने आज तक बात नहीं की है.

एक बार रोहन ने आलिया से पूछा, ‘‘आलिया, क्या तुम हमारे साथ पार्टी में चलोगी? श्वेता अपने फार्महाउस पर पार्टी दे रही है.’’

आलिया का मन तो हुआ जाने का, पर उसे यह सब ठीक नहीं लगा. उस ने सोचा कि इतनी दूर फार्महाउस पर वह अकेली कैसे जाएगी.

‘‘नहीं, मैं नहीं आऊंगी. वह जगह बहुत दूर है,’’ आलिया बोली.

‘‘तो क्या हुआ. हम तुम्हें अपने साथ ले लेंगे. तुम कहां रहती हो, हमें जगह बता दो,’’ श्वेता ने भी साथ चलने के लिए कहा.

‘‘नहीं, मैं वहां नहीं जा पाऊंगी,’’ आलिया ने साफ लहजे में कहा.

‘‘बाय आलिया,’’ छुट्टी के वक्त रोहन ने आलिया से कहा.

आलिया सोचने लगी कि आज वह इतनी बातें क्यों कर रही है. वह रोहन की बात को अनसुना करते हुए आगे निकल गई.

रोहन को लगा कि वह बहुत घमंडी है. इस के बाद उस ने कभी आलिया से बात नहीं की.

अगले दिन आलिया को लंच ब्रेक में हिना मिली. अरे, हिना के बारे में तो बताया ही नहीं. वह आलिया की तरह भीगी बिल्ली नहीं है, बल्कि बहुत बिंदास और मस्त लड़की है. लेकिन अलग मिजाज होने के बावजूद दोस्ती हो ही जाती है. हिना की भी अपनी क्लास में ज्यादा किसी से बनती नहीं थी. इसी वजह से वे दोनों दोस्त बन गईं.

हिना को आलिया इसलिए पसंद थी, क्योंकि वह ज्यादा फालतू बात नहीं करती थी और कभी भी हिना की बात नहीं काटती थी. आलिया को कभी पता ही नहीं चलता था कि कौन किस तरह की बात कर रहा है.

बचपन से ले कर स्कूल के आखिरी साल तक आलिया सिर्फ स्कूल पढ़ने जाती है. बाकी बच्चे कैसे रहते हैं और कैसे पढ़ते हैं, इस पर उस ने कभी ध्यान ही नहीं दिया. अपनी 17 साल की जिंदगी में वह इतना कम बोली है कि शायद बात करना ही भूल गई है. उस की जिंदगी के बारे में जितना बताओ, उस से कहीं ज्यादा अजीब है.

हां, तो हम कहां थे. अगले दिन आलिया लंच ब्रेक में हिना से मिली और रोहन के बारे में बताया.

‘‘आलिया, सिर्फ ‘बाय’ कहने से कोई तुम्हें खा नहीं जाएगा. अगर बच्चे पार्टी नहीं करेंगे, तो क्या 80 साल के बूढ़े करेंगे. वैसे, कर तो वे भी सकते हैं, पर इस उम्र में पार्टी करने का ज्यादा मजा है. स्कूल में हम सब पढ़ने आते हैं, पर यों अकेले तो नहीं रह सकते हैं न. बेजान किताबों के साथ तो बिलकुल नहीं.

‘‘खुद को बदलो आलिया, इस से पहले कि वक्त हाथ से निकल जाए. क्या पता कल तुम्हें उस से काम पड़ जाए, पर अब तो वह तुम से बात भी नहीं करेगा. तू एवरेज स्टूडैंट है, पर दिनभर पढ़ती रहती है और तेरी क्लासमेट पूजा जो टौपर है, वह कितना ऐक्स्ट्रा करिकुलर ऐक्टिविटीज में हिस्सा लेती है. इतने सारे दोस्त हैं उस के.

‘‘टौपर वही होता है, जो दिमागी और जिस्मानी तौर पर मजबूत होता है. जो सिर्फ पढ़ाई ही नहीं करता, बल्कि जिंदगी को भी ऐंजौय करता है.’’

‘‘अच्छा ठीक है. अब लैक्चर देना बंद कर,’’ आलिया ने कहा.

‘‘तू फेसबुक पर कब आएगी? मु?ो अपनी कजिन की शादी की पिक्स दिखानी हैं तु?ो,’’ हिना ने कहा.

‘‘मेरे यहां इंटरनैट नहीं है. फोटो बन जाएं तब दिखा देना.’’

‘‘ठीक है देवीजी, आप के लिए यह भी कर देंगे,’’ हिना ने मजाक में कहा.

लंच ब्रेक खत्म हो गया और वे दोनों अपनीअपनी क्लास में चली गईं.

‘‘मम्मी, पापा या भाई से कह कर घर में इंटरनैट लगवा दो न.’’

‘‘भाई तो तेरा बाहर ही इंटरनैट इस्तेमाल कर लेता है और पापा से बात की थी. वे कह रहे थे कि कुछ काम नहीं होगा, सिर्फ बातें ही बनाएंगे बच्चे.’’

‘‘तो आप ने पापा को बताया नहीं कि भाई तो बाहर भी इंटरनैट चला लेते हैं और मु?ो उस का कखग तक नहीं आता है. मेरे स्कूल में सारे बच्चे इंटरनैट इस्तेमाल करते हैं,’’ आलिया ने थोड़ा गुस्सा हो कर कहा.

‘‘अच्छा, अब ज्यादा उलटीसीधी जिद न कर. पता नहीं, किन जाहिलों में रह रही है. बात करने की तमीज नहीं है तु?ो. इतना चिल्लाई क्यों तू?’’ मां ने डांटते हुए कहा.

आलिया अकेले में सोचने लगी कि भाई तो बाहर भी चला जाता है. उसे कभी किसी चीज की कमी नहीं होती और वह घर में ही रहती है, फिर भी भिखारियों की तरह हर चीज मांगनी पड़ती है.

कुछ पेड़ हर तरह का मौसम सह लेते हैं और कुछ बदलते मौसम का शिकार हो जाते हैं. आलिया ऐसे ही बदलते मौसम का शिकार थी.

आलिया का परिवार सहारनपुर से है. उस की चचेरी और ममेरी बहनें हिंदी मीडियम स्कूल में पढ़ती हैं. 12वीं क्लास के बाद ही ज्यादातर सब की शादी हो जाती है. दिल्ली में रहने के बाद भी आलिया नहीं बदली. जब वह छोटी थी तब उस के सारे काम भाई और मम्मी ही करते थे.

वे जितना प्यार करते थे, उतनी ही उस पर पाबंदी भी रखते थे. दिल्ली में एक अच्छे स्कूल में होने की वजह

से उसे पढ़ाई का बढि़या माहौल मिला, पर स्कूल के दूसरे बच्चों के घर के माहौल में और उस के घर के माहौल में जमीनआसमान का फर्क था.

आलिया स्कूल से घर दोपहर के

3 बजे आती है, फिर खाना खाती है, ट्यूशन पढ़ती है. रात में थोड़ा टीवी देखने के बाद 10 या 11 बजे तक पढ़ कर सो जाती है. उस के घर के आसपास कोई उस का दोस्त नहीं है और उस के स्कूल का भी कोई बच्चा वहां नहीं रहता है.

कुछ दिनों के बाद स्कूल के 12वीं क्लास के बच्चों की फेयरवैल पार्टी थी. आलिया भी जाना चाहती थी, पर भाई और पापा काम की वजह से उसे ले कर नहीं गए और अकेली वह जा नहीं सकती थी. न घर वाले इस के लिए तैयार थे, न उस में इतनी हिम्मत थी.

12वीं क्लास के एग्जाम हो गए. पास होने के बाद हिना और आलिया का अलगअलग कालेज में दाखिला हो गया. आलिया की आगे की कहानी क्या है. जो हाल स्कूल का था, वही हाल कालेज का भी था. घर से कालेज और कालेज से घर. पूरे 3 साल में बस 2-3 दोस्त ही बन पाए.

बाद में आलिया ने एमबीए का एंट्रैस एग्जाम दिया, पर पापा के कहने पर बीएड में एडमिशन ले लिया. उस के पापा को प्राइवेट कंपनी में जौब तो करानी नहीं थी, इसलिए यही ठीक लगा.

बीएड के बाद आलिया का रिश्ता पक्का हो गया. नवंबर में उस की

शादी है.

एक बात तो बतानी रह गई. 12वीं क्लास के बाद उस ने अपना फेसबुक अकाउंट बना लिया था. जैसेतैसे घर पर इंटरनैट लग गया था. एक दिन उस ने फेसबुक खोला तो हिना का स्टेटस मिला कि उसे एक अच्छी कंपनी में नौकरी मिल गई है.

आलिया ने फिर हिना के फोटो देखे और दूसरे क्लासमेट के भी. सभी अपने दोस्तों के साथ किसी कैफे में तो किसी फंक्शन के फोटो डालते रहते हैं. सभी इतने खुश नजर आते हैं.

अचानक आलिया को एहसास हुआ कि सभी अपनी जिंदगी की छोटीबड़ी यादें साथ रखते हैं. सभी जितना है, उसे और अच्छा बनाने की कोशिश करते हैं. स्कूल टाइम से अब तक सब कितने बदल गए हैं. कितने अच्छे लगने लगे हैं.

सभी काफी खुश लगते हैं और वह… आलिया को एहसास हुआ कि उस ने कभी जिंदगी जी ही नहीं. स्कूल या कालेज की एक भी तसवीर उस के पास नहीं है. शादी के बाद जिंदगी न जाने कौन सा रंग ले ले, पर जिसे वह अपने हिसाब से रंग सकती थी, वह सब उस ने मांबाप के डर और अकेलेपन से खो दिया.

वह दिन भी आ गया, जब आलिया की शादी हुई. हिना भी उस की शादी में आई थी. विदाई के वक्त आलिया की आंखों में शायद इस बात के आंसू थे कि वह जिस वक्त को बिना डरे खुशी से जी सकती थी, उसे किताबों के पन्नों में उल?ा कर खत्म कर दिया. जो वक्त बीत गया है, उस में कोई कमी नहीं थी, पर आने वाला वक्त उसे नापतोल कर बिताना होगा.

विजयी मुसकराहट : सूरज की सबसे बड़ी कमी क्या थी

21 साल का सूरज लखनऊ से तकरीबन डेढ़ सौ किलोमीटर दूर कुसुमापुर नामक गांव का रहने वाला था और लखनऊ के डीएवी कालेज से एम कौम की पढ़ाई कर चुका था. अब वह बैंक में नौकरी करना चाहता था, इसलिए तैयारी के लिए उस ने एक कोचिंग सैंटर में दाखिला ले रखा था.

सूरज की सब से बड़ी कमी यह थी कि वह लड़कियों का दीवाना था. सब की नजरें बचा कर वह अपने कोचिंग सैंटर की लड़कियों को आगेपीछे खूब ताड़ता था और मौका मिलने पर उन्हें कुहनी मारने से भी बाज नहीं आता था.

लखनऊ के चिडि़याघर के पास नरही नामक इलाके में सूरज कोचिंग क्लास करने जाता था. आज शाम को जब वह कोचिंग सैंटर से बाहर निकला, तो उस के मोबाइल पर घर से मां का फोन आ गया.

सूरज ने जल्दी से फोन रिसीव किया, तो मां ने खुशखबरी देते हुए बताया, ‘‘तेरे बड़े भाई विजय की शादी तय हो गई है और लड़की वाले जल्द से जल्द शादी करना चाहते हैं, इसलिए तू जल्दी से गांव वापस आ जा, ताकि शादी के कामों में हाथ बंटा सके.’’

अपने बड़े भाई की शादी की बात सुन कर सूरज बड़ा खुश हुआ और कोचिंग सैंटर के सर को अपने घर जाने के बारे में जानकारी दे कर अपने कमरे पर आया और गांव चलने की तैयारी करने लगा.

गांव पहुंच कर अपनी जमात के पुराने यारदोस्तों से मिलते हुए सूरज घर पहुंचा, तो अपने बड़े भाई विजय से गले मिल कर बधाई दी और मां से अपनी होने वाली भाभी के बारे में पूछताछ करने लगा.

मां ने सूरज को बताया, ‘‘हमारे गांव से

30 किलोमीटर की दूरी पर सुजानपुर गांव की लड़की से विजय का ब्याह तय हुआ है,’’ और यह कहते हुए मां ने होने वाली भाभी की तसवीर सूरज के सामने कर दी.

तसवीर देख कर सूरज चौंक सा गया था. उस ने तसवीर अपने हाथ में ले ली और फिर नजरें गड़ा कर देखने लगा.

‘‘अरे, लगता है कि तु   झे होने वाली भाभी बड़ी पसंद आ गई है, जो तेरी नजरें घूरे ही जा रही हैं फोटो को,’’ मां ने कहा.

सूरज की आंखें सोचने वाले अंदाज में सिकुड़ गई थीं और सांसें तेज चलने लगी थीं. उसे याद आ रहा था कि एक बार जब वह अपनी रिश्तेदारी में सुजानपुर गया था, तो वहां पर पड़ोस में शिल्पा नाम की एक लड़की थी, जिस की उम्र तब 13 साल के आसपास की रही होगी और जिसे देख कर सूरज की लार टपकने लगी थी. मौका पा कर सूरज ने उस लड़की का रेप कर दिया था, फिर लड़की के मुंह खोलने पर उसे मार डालने की धमकी भी दे डाली थी.

लड़की कम उम्र की थी. डर और लोकलाज के चलते उस ने कोई होहल्ला भी नहीं किया था और इस घटना के कई साल बीत जाने के बाद वही लड़की उस के अपने घर में ही उस के बड़े भाई की पत्नी बन कर आ रही थी.

यह सब सोच कर पहले तो सूरज थोड़ा घबराया, फिर वह मुसकरा उठा. उस के गंदे दिमाग ने यह सोच लिया था कि अगर रेप करने के बाद भी वह लड़की खामोश रही, तो अब

जब वह भाभी बन कर आएगी, तब तो उसे

कोई खतरा नहीं है, बल्कि मजे ही मजे हैं. जब चाहेगा, भाभी के साथ छेड़छाड़ कर सकेगा और मस्ती मारेगा.

तमाम धूमधाम और खुशियों के बीच विजय की शादी शिल्पा से हो गई और वह महज

19 साल की लड़की को अपनी दुलहन बना कर ले आया था.

इतनी खूबसूरत और कमसिन लड़की पा कर विजय बड़ा खुश था, तभी तो सुहागरात पर गिफ्ट करने के लिए उस ने एक मोबाइल फोन खरीद लिया था, जिसे वह आज रात में ही अपनी नईनवेली पत्नी शिल्पा को गिफ्ट करने वाला था.

सूरज मन ही मन मुसकरा रहा था कि उस का बड़ा भाई जिस के साथ सुहागरात मनाने के लिए इतना खुश है, असल में उस लड़की के रूप का स्वाद तो वह पहले ही चख चुका है.

अभी घर में मेहमान रुके हुए थे, इसलिए सूरज को अपनी भाभी से अकेले में बात करने का मौका नहीं मिल पा रहा था. हालांकि, उस की मंशा यही थी कि वह उस लड़की से एक बार फिर मजा ले सके, जिस का उस ने रेप किया था.

गाहेबगाहे शिल्पा के कमरे की तरफ भी सूरज चक्कर लगाता, पर उसे निराशा ही हाथ लगती, क्योंकि शिल्पा भाभी कभी अकेले नहीं होती.

‘‘अरे, आओ विजय. बाहर से ही क्यों लौटे जा रहे हो?’’ कमरे से अचानक विजय ने पुकारा, तो सूरज को लगा जैसे उस की चोरी पकड़ी गई हो. वह सहज होने का नाटक करते हुए कमरे में घुसा और सामने बैठी शिल्पा पर भरपूर नजर डाली.

‘13 साल की उम्र में कच्ची कली थी, पर अब तो यह खिल कर और भी खूबसूरत हो गई है,’ सूरज मन ही मन सोच रहा था.

शिल्पा उठ कर चाय बनाने चली गई, तो सूरज और विजय आपस में बातें करने लगे.

कुछ दिनों के बाद एक रात जब विजय अपनी पत्नी शिल्पा के साथ बिस्तर पर था, तब शिल्पा ने नाज दिखाते हुए विजय से कहा, ‘‘सुनो, अगर आप नाराज न हों, तो मैं आप से कुछ कहना चाहती हूं.’’

विजय, जो अभी तक शिल्पा की नंगी पीठ को सहला रहा था, रुक गया और उस के होंठों को चूम कर बोला, ‘‘तुम्हारी किसी बात से मैं नाराज क्यों होऊंगा भला? बताओ, क्या कहना चाहती हो?’’ विजय ने कहा.

शिल्पा ने बताया, ‘‘मु   झे सूरज की नजरें कुछ ठीक नहीं लगती हैं. वह मु   झे अकेले में छेड़ने की कोशिश करता है. अगर यकीन न हो, तो मैं सुबूत भी पेश कर सकती हूं.’’

शिल्पा की यह बात सुन कर विजय चौंका तो जरूर, पर कुछ नहीं बोला. उसे अपने भाई पर भरोसा तो था, पर शिल्पा की बात भी उसे सही लग रही थी. शिल्पा ने उसे सुबूत देने का वादा किया.

पिछले 1-2 दिन से शिल्पा जब भी सूरज के पास से गुजरती, तो जानबू   झ कर अपने शरीर को उस के शरीर से छुआ देती, जिस से वह सिहर उठता. कभीकभी तो वह हवस वाली नजरों से उसे घूरती, जिस से सूरज को लगने लगा था कि हो न हो, शिल्पा के मन में अब भी उस के लिए कुछ चाह बाकी है.

‘‘अब और मत तड़पाओ शिल्पा. हमतुम इस देवरभाभी के नाते में बंध गए हैं, तो कम से कम मु   झे वे सालों पहले वाली यादें ताजा तो कर लेने दो,’’ सूरज ने कहा, तो शिल्पा थोड़ी देर चुप रही, पर जब सूरज ने बारबार उस से एक बार अकेले में मिलने की जिद की, तो शिल्पा ने उसे अपने कमरे के बगल वाले कमरे में रात में मिलने के लिए बुला लिया.

रात के इंतजार में सूरज ने किसी तरह तो दिन काटा और जैसे ही रात के साढ़े 11 बजे और सूरज को लगने लगा कि घर के सभी लोग सो गए हैं, तो वह शिल्पा के कमरे के बगल वाले कमरे में पहुंच गया. कमरे की लाइट बिना जलाए उस ने मोबाइल की टौर्च जलाई, तो उस का मन तब रोमांचित हो उठा, जब उस ने देखा कि सामने शिल्पा बैठी हुई है.

जल्दी से सूरज ने शिल्पा को अपनी बांहों में भर लिया, पर अचानक ही शिल्पा के तेवर ही बदल

गए और उस ने एक जोरदार तमाचा सूरज के गाल पर दे मारा.

सूरज कुछ सम   झ पाता, इस से पहले ही शिल्पा ने विजय को फोन कर के वहां बुला लिया. वहां का नजारा देख विजय को माजरा सम   झते देर न लगी. विजय ने भी गुस्से में 2-4 तमाचे सूरज को रसीद कर दिए. शिल्पा ने शोर मचाना शुरू कर दिया. उस के सासससुर भी कमरे में पहुंच गए और पूरा मामला जानना चाहा.

शिल्पा ने रोरो कर और तेज आवाज में बताया कि सूरज उस पर बुरी नजर रखता है और आज जब वह बाथरूम जाने को उठी, तब सूरज उसे जबरदस्ती पकड़ कर इस कमरे में ले आया और उस का रेप करने की कोशिश की.

इतना ही नहीं, शिल्पा ने सूरज पर उस के गहने चोरी करने का इलजाम भी लगा दिया और सुबूत के तौर पर सूरज का बैग चैक करने को कहा.

शिल्पा ये सारी बातें चीखचीख कर कह रही थी, जिस से पड़ोसी भी वहां जमा हो गए थे.

सूरज के बैग से गहने भी बरामद कर लिए गए थे. गांव के किसी जिम्मेदार आदमी ने फोन कर के पुलिस को बुला लिया था. घर वाले तो मामला रफादफा करना चाहते थे, पर शिल्पा के आंसू और दुख देख कर पुलिस ने भी कार्यवाही करनी शुरू कर दी और सूरज को चोरी और रेप करने की कोशिश में गिरफ्तार कर लिया.

सूरज को जेल जाता देख उस के मांबाप तो परेशान थे, पर शिल्पा के चेहरे पर एक मुसकान गहराती जा रही थी.

विजय और शिल्पा अपनी शादीशुदा जिंदगी मजे से जीने लगे थे, पर शिल्पा के सासससुर अपने छोटे बेटे के जेल जाने से दुखी थे. इस दुख को कम करने के लिए वे किसी बाबा की शरण में चले गए थे, पर भला कोई बाबा किसी के दुख को कम कर सकते तो दुनिया में कोई गम ही नहीं बचता.

एक महीने के लिए शिल्पा के सासससुर अपने गुरु के आश्रम में गए हुए थे, जहां वह बाबा जम कर इन लोगों से पैसों की उगाही कर रहा था.

शिल्पा अब अपने घर में आजाद थी. वह खूब सिंगार करती और रात को विजय के साथ बिस्तर पर जम कर रोमांस करती.

शिल्पा ने अपने देवर के खिलाफ जो आवाज उठाई थी, उस से वह आसपड़ोस की लड़कियों की रोल मौडल बन गई थी.

इधर कुछ दिनों से विजय परेशान दिख रहा था. शिल्पा ने वजह पूछी, तो विजय ने बताया, ‘‘मैं अपने छोटे भाई के जेल जाने से दुखी हूं. गलती तो उस ने की है, पर सजा भी तो काफी मिल गई है. तुम कहो तो उसे जमानत दे कर रिहा करा लाऊं?’’

शिल्पा ने विजय का मन रखने के लिए उसे सूरज को छुड़ा लाने की इजाजत दे दी.

विजय खुश हो गया और आननफानन में जरूरी कागजात तैयार करा कर सूरज को रिहा करा लाया.

सूरज अब शिल्पा से न तो बात करता था और न ही आंख मिलाता था, बल्कि वह उस के प्रति बदले की भावना से भरा हुआ था, पर शिल्पा उस की इस मंशा से पूरी तरह सजग थी और वह भी उस से दूरी बना कर ही रखती थी.

सूरज अब लखनऊ वापस जाना चाहता था, पर इस बीच उस की नजरें शिल्पा से मिलने आने वाली 20 साल की लड़की किशोरी से टकरा गईं. किशोरी उसे देख कर मुसकराती और लटके   झटके दिखाती थी.

किशोरी से यों न्योता मिला, तो सूरज के मन को थोड़ा अच्छा लगने लगा और उस ने कुछ और दिन गांव में रहने का फैसला कर लिया.

किशोरी दलित लड़की थी. उस की एक बड़ी बहन ने खुदकुशी कर ली थी, क्योंकि गांव के एक दबंग ठाकुर के बेटे ने उस का रेप किया था.

अपने परिवार पर जुल्म देखने की आदी हो चुकी किशोरी अब गांव छोड़ कर जाना चाहती थी, इसलिए उस के मन में यह बात दबी हुई थी कि उस की शादी किसी शहर के लड़के से ही हो.

किशोरी और सूरज का मिलनाज़ुलना शुरू हो गया था. हालांकि, किशोरी सूरज के जेल जाने की बात अच्छी तरह जानती थी, पर फिर भी सूरज का शहरी स्टाइल उसे सुहाता था और वह सूरज से ब्याह भी करना चाहती थी.

आज सूरज और किशोरी गांव से बाहर एक खेत के एकांत में मिले. सूरज ने किशोरी को अपनी बांहों में भर लिया और उस के सीने के उभारों पर अपने हाथ से दबाव बढ़ाने लगा.

सूरज की इस हरकत पर किशोरी चौंकी और उस ने  सूरज को धक्का दे दिया. सूरज को उस की यह हरकत नागवार गुजरी, पर फिर भी उस ने अपनेआप को शांत रखते हुए इस बरताव की वजह पूछी, तो किशोरी ने अदा दिखाते हुए सूरज से मजाक में उस के और शिल्पा के नाजायज संबंध होने की बात कही.

यह बात सुनते ही सूरज का चेहरा तमतमा गया और वह शिल्पा के लिए गंदीगंदी गालियां निकालने लगा.

एक लड़की के लिए गालियां सुन कर किशोरी को भी बुरा लगा, तो उस ने सूरज से ऐसा करने को मना किया. इस बात पर सूरज और भी तमतमा गया और उस ने 4-5    झापड़ किशोरी के गाल पर रसीद कर दिए.

अभी सूरज किशोरी को और मारता, उस से पहले किशोरी किसी तरह जान बचा कर वहां से भाग खड़ी हुई. अभी वह भागते हुए ही जा रही थी कि उसे घर के बाहर शिल्पा मिल गई.

किशोरी ने शिल्पा से सारा हाल कह सुनाया. इस के बाद शिल्पा ने उसे हिम्मत बंधाते हुए कहा, ‘‘अब जैसा मैं कहती हूं, वैसा करो.’’

शिल्पा ने किशोरी से पुलिस के पास चल कर सूरज के खिलाफ गवाही देने को कहा, तो किशोरी पुलिस के नाम से डर गई, जिस पर शिल्पा ने उसे सम   झाते हुए कहा, ‘‘जब तक हम लड़कियां और औरतें अपने खिलाफ होने वाली नाइंसाफी को सहती रहेंगी, तब तक ये भेडि़ए हमें नोंचते रहेंगे.’’

इस के बाद शिल्पा ने किशोरी को उस की बहन पर हुए जोरजुल्म के बारे में बताते हुए कहा, ‘‘आज तुम्हारी बहन जिंदा होती, अगर उस का रेप नहीं हुआ होता. हम सब कब तक जुल्म सहेंगे… हो सकता है कि कल तुम्हारे साथ भी रेप हो और तुम भी खुदकुशी कर लो.’’

शिल्पा की ऐसी बातें और तेवर देख किशोरी के अंदर भी हिम्मत आ गई और उस ने शिल्पा को हर तरह से मदद देने का निश्चय कर लिया.

इस के बाद शिल्पा ने पुलिस को फोन किया और सूरज पर किशोरी का रेप करने की कोशिश में नाकाम रहने के बाद जान से मारने की कोशिश करने का आरोप लगाते हुए किशोरी को पुलिस के सामने खड़ा किया और उस के शरीर पर आई हुई चोटों के निशान भी दिखाए, जिस से सूरज की हरकत की तसदीक तो हुई ही, साथ ही सूरज का क्रिमिनल रिकौर्ड भी उसे कुसूरवार करार देने में मददगार साबित हुआ.

इतना ही नहीं, शिल्पा ने पुलिस में अपने परिवार के खिलाफ दहेज के नाम पर सताने का आरोप लगाते हुए एफआईआर लिखवाई, जिस में शिल्पा ने यह भी बताया कि उस के सासससुर उस पर जुल्म तो करते ही हैं, साथ ही किसी बाबा के फेर में पड़ कर उस का सारा दहेज का पैसा उन्होंने हड़प लिया है और वे लोग उस से अपने मायके से और भी पैसे लाने की मांग करते रहते हैं.

पुलिस ने तुरंत संज्ञान लेते हुए दहेज के नाम पर सताने के आरोप में शिल्पा के सासससुर और उस के पति को भी जेल में डाल दिया.

13 साल की उम्र में अपने गांव में आए हुए एक अपरिचित लड़के द्वारा रेप किए जाने की घिनौनी वारदात के बाद भी शिल्पा टूटी नहीं, बल्कि एक सोचीसम   झी साजिश के साथ उस ने विजय को अपने जाल में फंसाया, ताकि वह उस से ब्याह कर के अपना बदला पूरा कर सके.

शिल्पा ने सूरज को एक बार नहीं, बल्कि बारबार जेल भिजवा कर अपना बदला पूरा किया.

सभी कुसूरवार जेल में थे और अब शिल्पा इस पूरे मकान और जायदाद की अकेली मालकिन थी. अब वह गांवगांव जा कर लड़कियों को किसी से न डरने और नाइंसाफी न सहने के लिए सीख देती थी.

आज शिल्पा ने अपनेआप को आदमकद आईने में देखा. सामने एक रेप पीडि़त लड़की तो थी, जिस ने बचपन में ही जोरजुल्म सहा था, पर अब वह अबला नहीं थी और न ही उस के मन में कोई पछतावा था, क्योंकि पछतावा तो बुरे काम को अंजाम देने वाले को होना चाहिए… इसीलिए शिल्पा के चेहरे पर एक मुसकान थी, विजयी मुसकान.

New Kahani: अस्पताल अग्निकांड में सपने हुए खाक

दुलारी की आस बंध गई थी. क्लिनिक के बरामदे में बैठा राम मनोहर पुरानी यादों में खो गया. वह दलित समाज का लड़का था और दुलारी ऊंची जाति की, पर गरीब घर की. उन दोनों के गांव आसपास ही थे और वे स्कूल के समय से एकदूसरे को जानते थे.

दरअसल, उन का स्कूल गांव से थोड़ा दूर था और वे दोनों साइकिल से स्कूल जाते थे. इसी आनेजाने में उन की बातचीत शुरू हुई और वे एकदूसरे को पसंद करने लगे. तब राम मनोहर 12वीं जमात में था और दुलारी 10वीं जमात में पढ़ती थी.

एक दिन स्कूल से घर जाते समय राम मनोहर ने दुलारी को कुछ दूर जा कर रोक लिया. वह बोला, ‘‘दुलारी, मैं 12वीं के बाद शहर चला जाऊंगा. वहां दिल्ली में मेरे दूर के रिश्तेदार रहते हैं. उन्होंने वहां मुझे काम दिलाने का वादा किया है.’’

दुलारी ने कहा, ‘‘तो यह सब तुम मुझे क्यों बता रहे हो? दिल्ली तो दुनिया जाती है, इस में नया क्या है?’’

‘‘नया यह है कि मैं तुम्हें पसंद करता हूं और अपने साथ तुम्हें भी दिल्ली रखना चाहता हूं. क्या तुम मेरे साथ दिल्ली चलोगी?’’ राम मनोहर ने पूछा.

‘‘अरे, दिल्ली जाना कोई हंसीखेल है क्या? फिर मैं तुम पर यकीन क्यों करूं? क्या पता मुझे वहां बेचबाच दो…’’ दुलारी ने कहा.

‘‘मैं जानता हूं कि तुम भी मुझे पसंद करती हो, पर हमारी जाति इस प्यार के बीच में आ रही है,’’ राम मनोहर ने कहा.

‘‘बात वह नहीं है. मैं जाति के झमेले में नहीं पड़ती, पर अभी हम दोनों की उम्र ही क्या है. तुम 20 के हो और मैं 18 की. किस रिश्ते से वहां रहेंगे?’’

‘‘हम अपनी शादी को एक साल तक छिपा कर रखेंगे और फिर कोर्ट से सर्टिफिकेट बनवा लेंगे,’’ राम मनोहर ने अपना प्लान बताया.

‘‘देखो, मुझे सोचने का समय दो. अभी तो कुछ समय गांव में ही रहते हैं, एकदूसरे को समझते हैं, फिर आगे की सोचेंगे,’’ दुलारी बोली और साइकिल चला कर आगे बढ़ गई.

उस दिन से राम मनोहर और दुलारी की प्रेम कहानी शुरू हुई थी. राम मनोहर ने दिल्ली जाने का जो प्लान बनाया था, वह समय के साथसाथ ठंडा पड़ता गया था, पर दुलारी ने अपने प्यार से इस रिश्ते में गरमी बनाए रखी.

एक शाम को वे दोनों खेतों में बैठे थे. दुलारी ने उस दिन टाइट सूट पहना हुआ था. उस का अंगअंग बाहर आने को मचल रहा था.

राम मनोहर ने कहा, ‘‘दुलारी, आज तो तुम कहर ढा रही हो. मेरा मन मचल रहा है…’’ इतना कह कर उस ने दुलारी को चूम लिया.

दुलारी ने कुछ नहीं कहा, बस आंखें मींचे जमीन पर लेट गई. राम मनोहर

उस के ऊपर झुक गया और उसे गले लगा लिया.

दुलारी की सांसें तेज चलने लगीं. उस ने भी राम मनोहर को भींच लिया. उस दिन उन दोनों के बीच की दूरियां मिट गई थीं. फिर वे दोनों अकसर खेतों में मिलने लगे.

पर यह छिप कर मिलना ज्यादा दिन तक नहीं चला. दुलारी के घर में किसी ने बता दिया कि उन की लड़की खेतों में किसी निचली जाति के लड़के के साथ मुंह काला कर रही है.

वह दिन है और आज का दिन, राम मनोहर और दुलारी ने कभी गांव का मुंह दोबारा नहीं देखा. पर दिल्ली में कौन सा सुख ही धरा था. दुलारी कम उम्र में मां बनने वाली थी और राम मनोहर किसी अच्छी नौकरी की तलाश में भटक रहा था.

फिलहाल घर का खर्चा चलाने के लिए राम मनोहर दिल्ली की साइकिल मार्केट में बने एक गोदाम से शोरूम तक माल कंधे पर ढोने का काम करता था. इस मजदूरी के उसे 11,000 रुपए महीना मिलते थे. वे दोनों शादीपुर गांव की दड़बेनुमा कालोनी में एक कमरे के मकान में रहते थे.

लोकल झोलाछाप डाक्टर ने कहा था कि दुलारी कमजोर है, इसलिए बच्चे पर भी इस का बुरा असर पड़ रहा है. केस थोड़ा पेचीदा है, इसलिए इसे किसी बड़े अस्पताल में दिखा आओ.

राम मनोहर दिल्ली के एम्स अस्पताल में दुलारी को दिखाने ले गया. वहां पता चला कि परची बनाने की ही लंबी लाइन लगी थी. उसे महसूस हुआ कि इस से अच्छा तो डाक्टर राम मनोहर लोहिया अस्पताल में दुलारी को ले जाता, पर उस ने तो एम्स का नाम सुन रखा था, तो मुंह उठाया और चल दिया एम्स.

राम मनोहर ने अपने आगे खड़े एक आदमी से इतनी भीड़ की वजह पूछी, तो वह आदमी बोला, ‘‘भाई, गरमी बहुत ज्यादा है, ऐसे में परची बनवाने के लिए लोग रात से ही नंबर लगाने के लिए लाइन में लग जाते हैं. एक घंटे के काम में पूरा दिन लग जाता है. यहां के एक चपरासी ने बताया कि एम्स के ज्यादातर सीनियर डाक्टर गरमियों की छुट्टी पर हैं. ऐसे में मरीजों को भी काफी ज्यादा दिक्कतें हो रही हैं.’’

राम मनोहर के पसीने छूटने लगे. ऐसे तो दुलारी की डिलीवरी के समय बाद ही उस का नंबर आएगा. छठा महीना जो चल रहा है. वह घर लौट आया. मैक्स जैसे बड़े अस्पताल में तो उस के बस का घुसना तक नहीं था. वहां तो बच्चा पैदा कराने का पूरा पैकेज था. इतने पैसे उस ने सपने में भी नहीं देखे थे.

तभी किसी ने बताया कि शादीपुर गांव के पास ही एक सस्ता सा क्लिनिक है, जहां किस्तों पर इलाज किया जाता है. मान लो, तकरीबन 10,000 रुपए का खर्चा है, तो पहले 5,000 रुपए जमा करा लिए जाते हैं, बाकी रकम की किस्तें बंध जाती हैं.

राम मनोहर अगले ही दिन दुलारी को उस क्लिनिक में ले गया. वह तिमंजिला क्लिनिक बड़ी सड़क से थोड़ा अंदर एक छोटी सी गली में था, जहां की लिफ्ट अकसर खराब रहती थी और सीढि़यां भी संकरी थीं. अगर लाइट न जलाओ तो दिन में भी वहां अंधेरा रहता था.

डाक्टर ने दुलारी का मुआयना किया. वह बोली, ‘‘लगता है, बच्चा 7वें महीने में ही पैदा कराना पड़ेगा. मां और बच्चा दोनों का खास खयाल रखना पड़ेगा.’’

डाक्टर ने सिजेरियन का खर्चा 25,000 रुपए बताया और 15,000 रुपए पहले जमा कराने को कहा. वैसे तो डाक्टर और ज्यादा पैसे मांग रही थी, पर राम मनोहर की माली हालत देख उस ने कुछ डिस्काउंट दे दिया.

फिर वह दिन भी आया, जब राम मनोहर बाप बना. बेटा पैदा हुआ था. पर चूंकि बच्चा कमजोर था, तो वह नर्सरी में रखा गया था. दुलारी ठीक थी. आज बच्चे के नर्सरी में होने का चौथा दिन था. डाक्टर बोल रहे थे कि कल बच्चे को उन्हें सौंप दिया जाएगा.

राम मनोहर मन ही मन अपने दिल्ली वाले रिश्तेदार का शुक्रिया अदा कर रहा था, जिस ने उस की 10,000 रुपए की मदद की थी.

राम मनोहर अपनी यादों से लौट आया. रात के 11 बज रहे थे. दुलारी अपने नवजात के कमरे के बाहर दरवाजे पर ही कुरसी लगाए बैठी थी. राम मनोहर ने बहुत बार कहा कि किसी तरह आज की रात कट जाए, फिर हमारा बच्चा तेरी गोद में ही होगा. वह कुछ दूरी पर एक बैंच पर बैठा ऊंघ रहा था.

पूरे क्लिनिक में एक मुर्दनी सी छाई थी. एक ही चपरासी था, जो दुलारी को अपनी कुरसी दे कर खुद राम मनोहर के पास जा बैठा. इस तीसरे फ्लोर पर नर्सरी में वे 4 नवजात, दुलारी, राम मनोहर और उस चपरासी के अलावा और कोई नहीं था.

इसी बीच राम मनोहर की नींद टूटी. उस ने एक नजर दुलारी पर और दूसरी नजर अपने आसपास डाली. फिर वह आंखें मींचताखोलता सा पानी पीने के लिए उठा. उस की आहट से चपरासी भी उठ गया. वह बोला, ‘‘भाई, एक गिलास मेरे लिए भी पानी ले आओ.’’

राम मनोहर ने उसे पानी ला कर दिया और बोला, ‘‘अब नहीं सहा जाता. बस, किसी तरह हमारा बेटा नर्सरी से बाहर आ जाए, तो मैं पहली फुरसत में अपने गांव चला जाऊंगा. बहुत झेल ली दिल्ली. कहने को यहां गरीबों के लिए मुफ्त इलाज का ढिंढोरा पीटा जाता है, पर असलियत बड़ी काली है दोस्त.’’

चपरासी ने राम मनोहर की बात को बड़े गौर से सुना. वह खुद हाल ही में दिल्ली बड़ेबड़े सपने ले कर आया था. पर मिला क्या… बीए करने के बावजूद इस अस्पताल में चपरासी की नौकरी.

चपरासी कुछ बोल पाता, उस से पहले ही राम मनोहर ने बैंच पर बैठते हुए कहा, ‘‘विवेक विहार में हुए हादसे ने तो मुझे डरा ही दिया है.’’

‘‘विवेक विहार में क्या हुआ था?’’ उस चपरासी ने पानी पीते हुए पूछा.

‘‘नाश हुआ था, नाश. कई घरों के चिराग अस्पताल में लगी आग से झुलस गए थे. हमतुम जैसों के लिए यह अखबार में छपी छोटी सी खबर है, पर जिन मांबाप पर यह विपदा आई है, उन से पूछो कि नन्ही सी जान, जिस ने अभी ढंग से अपनी मां का दूध भी नहीं पिया है, जिस के पिता ने उसे गोद में उठा कर एक बार भी चूमा तक नहीं है, का यों दर्दनाक मौत का भागीदार बनना क्या होता है.’’

उस चपरासी का मुंह खुला का खुला रह गया. उस ने कहा, ‘‘अरे भैया, पहेलियां मत बुझाइए. मेरे तो रोंगटे खड़े हो गए हैं. पूरी बात बताओ. मैं ने यह खबर नहीं पढ़ी है.’’

राम मनोहर ने कुछ सोचते हुए बताना शुरू किया, ‘‘हम सब गरीबों का खयाल रखने का दावा करने वाली दिल्ली के विवेक विहार इलाके में बने बच्चों

के एक अस्पताल में शनिवार, 25 मई, 2024 की देर रात आग लग गई थी. यह आग इतनी ज्यादा भयंकर थी कि इस हादसे में 6 नवजात की मौत हो गई थी.

‘‘दोमंजिला इमारत की पहली मंजिल पर नवजात बच्चों की देखभाल के लिए एक सैंटर बना हुआ था, जिस में उस समय कुल 12 बच्चे भरती थे. ऐसी भी खबर थी कि निचली मंजिल पर गैरकानूनी तरीके से औक्सीजन सिलैंडर भरने का काम चल रहा था.’’

यह सुन कर चपरासी की नींद काफूर हो गई. वह राम मनोहर के कंधे पर हाथ रख कर बोला, ‘‘भैया, आगे क्या हुआ था?’’

राम मनोहर ने गहरी सांस लेते हुए कहा, ‘‘दमकल अधिकारी ने बताया कि उन्हें रात साढ़े 11 बजे आग लगने की सूचना मिली थी. मौके पर दमकल की कुल 16 गाडि़यां पहुंची थीं, तब तक आग की लपटें ऊपर की मंजिल और पास की 2 इमारतों में भी फैल चुकी थी. नवजात बच्चों की देखभाल वाले सैंटर में जाने के लिए बाहर की तरफ से लोहे की एकमात्र घुमावदार सीढ़ी थी, उस में भी आग लग गई थी.

‘‘खबर यह थी कि उस सैंटर में भरती 12 बच्चों में से एक बच्चे की मौत आग लगने से पहले ही हो चुकी थी. कमरे में धुआं भरने के चलते बाकी 11 बच्चों की हालत गंभीर हो गई थी.

‘‘दमकल की टीम और स्थानीय लोगों ने लकड़ी की सीढि़यों पर चढ़ कर खिड़की से उन 11 बच्चों को बाहर निकाला था, पर तब तक दम घुटने से 6 बच्चों की मौत हो गई थी. उन्हें पोस्टमार्टम के लिए जीटीबी अस्पताल भेजा गया था. फायर सर्विस ने तकरीबन डेढ़ घंटे की मशक्कत के बाद आग पर पूरी तरह काबू पाया.’’

‘‘पर भैया, किसी ने तो देखा होगा कि यह आग कैसे लगी थी?’’ चपरासी ने पूछा.

राम मनोहर ने कहा, ‘‘अगर खबर पर यकीन करें, तो वहां रहने वाले एक आदमी ने बताया था, ‘हमारा घर पास

ही है. हमें रात में फोन आया कि यहां धमाके हुए हैं. मौके पर आए तो पता चला कि बिल्डिंग के सामने वैन में औक्सीजन सिलैंडर में गैस भरने का काम चल रहा था कि तभी सिलैंडर में धमाका हो गया.’

‘‘उस आदमी ने आगे बताया, ‘पहला सिलैंडर फट कर बिल्डिंग के अंदर गया, जिस से आग लग गई. आग लगते ही अस्पताल के सभी स्टाफ बच्चों को छोड़ कर भाग गए. उस के बाद एक के बाद एक 3 और सिलैंडर में धमाके हुए. हम बिल्डिंग के पीछे गए और शीशे तोड़ कर बच्चों को बाहर निकाला.’

‘‘लोकल लोगों का आरोप है कि बेबी केयर सैंटर के नीचे काफी समय से औक्सीजन भरने का काम होता था. यहां रोज बड़ी तादाद में औक्सीजन सिलैंडर लाए जाते थे. इस को ले कर पहले ही कई बार शिकायत की गई थी, पर कोई सुनवाई नहीं हुई.’’

राम मनोहर के इतना कहने पर उस काली रात का सन्नाटा और ज्यादा गहरा हो गया. दुलारी अभी गहरी नींद में लग रही थी. रात के साढ़े 12 बज रहे थे.

चपरासी ने राम मनोहर से कहा, ‘‘भैया, मेरा घर पास में ही है. अगर आप कहें तो थोड़ी देर अपनी नींद निकाल आऊं, बस आप किसी को बताना मत. मैं 4 बजे तक लौट आऊंगा.’’

राम मनोहर ने कहा, ‘‘ठीक है, वैसे भी यहां कौन आने वाला है. दिन में तो डाक्टर दिखते नहीं, फिर इस काली रात में…’’

राम मनोहर को नहीं पता था कि वह रात सच में उस के लिए काली साबित हो जाएगी. रात के 3 बज रहे थे. राम मनोहर और दुलारी गहरी नींद में सो रहे थे.

इतने में सब से निचली मंजिल में बिजली की तारों में आग लग गई. ज्यादा गरमी की वजह से आग तेजी से फैलने लगी. देखते ही देखते आग इतनी ज्यादा बढ़ गई कि धुएं का गुबार सा उठने लगा.

राम मनोहर और दुलारी को नींद में पता ही नहीं चला और वे धुएं की चपेट में आ गए. देखते ही देखते बच्चों की नर्सरी वाली वह मंजिल गैस का चैंबर बन गई.

दमकल की 12 गाडि़यों ने बड़ी मशक्कत के बाद उस आग पर काबू पाया, पर तब तक राम मनोहर, दुलारी और वे 4 नवजात बच्चे मौत के आगोश में समा गए.

कल तक बच्चों की दर्दनाक मौत का गम मनाने वाला राम मनोहर आज खुद अखबार की सुर्खियां बन गया था..

‘वड़ा पाव’ गर्ल का बड़ा ‘भाव’, बिग बौस ओटीटी 3 में जाने के लिए हैं तैयार

सोशल मीडिया पर खूब वायरल होने वाली वडा पाव गर्ल के बारें में तो आपने जरूर सुन लिया होगा. कैसे एक ठेली लगाने वाली लड़की सोशल मीडिया से लेकर टीवी तक फेमस हो गई है. इस वड़ा पाव गर्ल का नाम है ‘चंद्रिका दीक्षित’. जो दिल्ली में अपना वडा पाव का ठेला लगाती है. रोड़ पर ठेला लगाने को लेकर चंद्रिका दीक्षित पर नगर निगम की कार्रवाई से तंग आकर उन्होंने सोशल मीडिया पर मुहिम छेड़ दी थी. कि उनके साथ बदसलूकी हो रही है उन्हे ठेला नहीं लगाने दिया जा रहा है. इसके बाद वह सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगी. अब इस कहानी के बाद चंद्रिका को सीधे नेशनल चैनल के रियलिटी शो बिग बौस ओटीटी 3 से औफर आया है.

 

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बिग बौस ओटीटी सीजन 3 के लिए पहला कंटेस्टेंटे चंद्रिका दीक्षित को चुना गया है. इसकी चर्चा जोरों पर है कि अब वड़ा पाव गर्ल बिग बौस में एंट्री लेगी. जानकारी के मुताबिक उनकी गैरहाजिरी में उनके पति ये वड़ा पाव का स्टौल संभालने वाले हैं.

चंद्रिका का पहला वीडियो

चंद्रिका का पहला वीडियो तब वायरल हुआ जब उन्होंने दिल्ली नगर निगम के अधिकारियों पर उनके ठेले के लिए अधिक भुगतान की मांग करने का आरोप लगाया था. उनका कहना था कि 35,000 रुपये देने के बावजूद वो उनसे ज्यादा पैसे मांग रहे थे. इस वीडियो के बाद फूड ब्लौगर्स ने उनसे बातचीत करना शुरू कर दिया. कभी किसी कस्टमर को चिल्लाते हुए, कभी साथी ‘वड़ा पाव’ वेंडर पर तंज कसते हुए, चंद्रिका के वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल होने लगे. इन वायरल वीडियोज के चलते चंद्रिका की मुलाकात ‘बिग बौस 17‘ के कंटेस्टेंट ‘तहलका’ के साथ हुई और उनका बिग बौस ओटीटी का सफर शुरू हो गया.

कैसे बनीं ‘वड़ा पाव गर्ल’

चंद्रिका दीक्षित पहले हल्दीराम कंपनी में काम करती थीं. उनके पति रैपिडो में काम करते थे. पति की अनियमितकाम के घंटों की नौकरी और बेटे के डेंगू बुखार से जूझने के कारण चंद्रिका ने अपनी नौकरी छोड़ने का फैसला किया. इस चुनौती भरे समय ने उन्हें खाना पकाने के अपने जुनून को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित किया और उन्होंने दिल्ली के सैनिक विहार इलाके में फूड कोर्ट का बिजनेस शुरू किया. जिसके बाद वे वड़ा पाव गर्ल बन गई.

चंद्रिका ने अपनी पौपुलरिटी को खूब भुनाया और अपनी किस्मत बदल डाली. अपने पब्लिक स्टंट से वे रातोंरात सेंसेशन बन गई. हालांकि वडा पाव गर्ल से पहले भी अपनी हरकतों की वजह से ऐसी और भी लड़कियां वायरल होकर बिग बौस में पहुंची हैं, इसमें एक नाम ढिंचैक पूजा का है जो बिना सुर वाली गायकी को लेकर मशहूर हो गयी थी.

बिग बौस ओटीटी सीजन 3 की शुरुआत 21 जून से OTT प्लेटफॉर्म पर शुरू हो रहा है. इस बार ये शो अनिल कपूर होस्ट करेंगे. इस सीजन में चंद्रिका दीक्षित के अलावा सोनम खान, सना मकबूल, सना सुल्तान, ‘टेम्प्टेशन आइलैंड’ वाले चेष्टा भगत और निखिल मेहता, इन्फ्लुएंसर विशाल पांडे, पौलमी दास, सिंगर मीका सिंह और सई केतन राव नजर आ सकते हैं.

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