बेटी की माहवारी, पिता दिखाए समझदारी

एक सुबह प्रिया अपने स्कूल की एक पिकनिक ट्रिप के लिए तैयार हो रही थी. 9वीं जमात के दोनों सैक्शन को सूरजकुंड घुमाने का प्रोग्राम था. प्रिया अपने बैग में खानेपीने का सामान रख रही थी. तभी उस ने एक पैकेट उठाया और रसोईघर में जा कर उसे कैंची से काटने लगी. राकेश भी लाड़लाड़ में प्रिया के पीछे जा कर देखने लगा और पूछा, ‘‘क्या काट रही हो?’’ प्रिया ने प्लास्टिक का एक पैकेट दिखाते हुए कहा, ‘‘यह है. और क्या काटूंगी…’’ राकेश ने देखा कि प्रिया उस पैकेट से 2 सैनेटरी पैड निकाल कर अपने बैग में रख रही थी. राकेश ने बड़े प्यार से उस के सिर पर हाथ रखा और ‘ध्यान से रहना’ बोल कर रसोईघर से बाहर चला आया.

एक पिता का अपनी बेटी के लिए ऐसा लगाव यह दिखाता है कि बदलते जमाने में बेटी की माहवारी को ले कर पिता में यह जागरूकता होनी ही चाहिए. न तो प्रिया की तरह कोई बेटी सैनेटरी पैड को ले कर झिझक महसूस करे और न ही राकेश की तरह कोई पिता अपनी बेटी के ‘उन दिनों’ के बारे में जान कर शर्मिंदा हो. यह उदाहरण इस बात को भी सिरे से नकारता है कि सिर्फ मांबेटी में ही गुपचुप तरीके से माहवारी पर बात की जाए, क्योंकि आज भी समाज में यही सोच गहरे तक पैठी है कि औरत ही औरत की इस समस्या को अच्छी तरह से समझ सकती है और मर्दों को परदा रखना चाहिए, जबकि विज्ञान के नजरिए से सोचें तो माहवारी के बारे में जितनी जानकारी औरतों या लड़कियों को होनी चाहिए, उतनी ही मर्दों और लड़कों को भी होनी चाहिए, गरीब और निचली जाति में तो खासकर. माहवारी में सैनेटरी पैड कितना अहम होता है, स्कौटलैंड से इस बात को समझते हैं. माहवारी से जुड़ी गरीबी को मिटाने के लिए यह देश पीरियड प्रोडक्ट्स को बिलकुल मुफ्त बनाने वाला पहला देश बन गया है.

इस सिलसिले में स्कौटलैंड सरकार ने बताया कि वह ‘पीरियड प्रोडक्ट ऐक्ट’ लागू होते ही दुनिया की पहली ऐसी सरकार बन गई है, जो माहवारी संबंधी बने सामान तक मुफ्त पहुंच के हक की कानूनी तौर पर हिफाजत करती है. इस नए कानून के तहत स्कूलों, कालेजों, यूनिवर्सिटी और स्थानीय सरकारी संस्थाओं के लिए यह जरूरी हो गया है कि वे अपने शौचालयों में सैनेटरी पैड समेत माहवारी संबंधी प्रोडक्ट मुहैया कराएं. पर, भारत जैसे देश में सरकारी योजनाओं का ढिंढोरा पीटने के बावजूद हालात उतने अच्छे नहीं हैं. यूनिसेफ के मुताबिक, दक्षिण एशिया की एकतिहाई से ज्यादा लड़कियां अपनी माहवारी के दौरान खासतौर पर स्कूलों में शौचालयों और पैड्स की कमी के चलते स्कूल से छुट्टी कर लेती हैं. माहवारी के चलते होने वाली बीमारियों के बारे में बहुत सी औरतें अनजान ही रहती हैं. अकेले भारत की बात करें, तो यहां 71 फीसदी लड़कियां अपना पहला पीरियड होने से पहले तक माहवारी से अनजान होती हैं. सरकारी एजेंसियों के मुताबिक, भारत में 60 फीसदी किशोरियां माहवारी के चलते स्कूल नहीं जा पाती हैं. तकरीबन 80 फीसदी औरतें अभी भी घर पर बने पैड (कपड़ा) का इस्तेमाल करती हैं.

हालात तब और बुरे हो जाते हैं, जब बेटियां अपने पिता या भाई से अपनी इस कुदरत की देन से होने वाली समस्याओं के बारे में खुल कर नहीं बता पाती हैं, जबकि ज्यादातर बेटियां अपने पिता को ही अपना हीरो मानती हैं. नाजनखरे दिखा कर उन से अपने सारे काम करा लेती हैं, पर जब माहवारी की बात आती है, तो चुप्पी साध लेती हैं. पिता भी तो अपनी लाड़ली पर जान छिड़कते हैं, फिर ऐसी कौन सी खाई है, जो इस मसले पर उन दोनों के बीच आ जाती है?

दरअसल, हमारे समाज में धार्मिक जंजाल के चलते मर्दों का इतना ज्यादा दबदबा है कि वे ऐसी समस्याओं पर बात करना बड़ा ओछा काम समझते हैं. उन के मन में यही खयाल रहता है कि ‘क्या अब ये दिन आ गए, जो मैं अपनी बेटी के ‘उन दिनों’ का भी हिसाबकिताब रखूं? दुकानदार से किस मुंह से सैनेटरी पैड मांगूंगा? पासपड़ोस में पता चल गया तो मेरी नाक कट जाएगी…’

यहीं भारत जैसे देश मार खा जाते हैं. इश्तिहारों में कितना ही ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का राग अलाप लो, पर जब तक इस देश के मर्द समाज की औरतों के प्रति दकियानूसी सोच में बदलाव नहीं आता है, तब तक कोई ठोस नतीजा नहीं सामने आएगा, फिर वह लड़कियों की माहवारी की समस्या हो या उन की पढ़ाईलिखाई.

इस बदलाव की शुरुआत पिता को अपनी बेटी की माहवारी से ही करनी चाहिए. उन्हें अपनी बच्ची के बदलते शरीर के बारे में पूछताछ के लिए झिझकना नहीं चाहिए. बेटी के जवानी की दहलीज पर जाते ही उस में आ रहे शारीरिक बदलावों के बारे में बात करें. माहवारी शुरू होने से पहले ही बेटी द्वारा अच्छी साफसफाई बनाए रखने की अहमियत के बारे में बताएं. जिस तरह दूसरे कामों में बेटी का हौसला बढ़ाते हैं, वैसे ही माहवारी पर भी उन्हें हिम्मत दें कि यह तो हर बेटी को कुदरत से मिला एक नायाब तोहफा है, जिस से उसे मां बनने का सुख मिलता है और परिवार आगे बढ़ता है. यह छोटी सी पहल समाज में एक बड़ा बदलाव ला सकती है.

क्या शादी से पहले सेक्स करना गलत है ?

सवाल

मेरी सगाई हो चुकी है. पहले मेरा एक प्रेमी था, जिस ने मेरे साथ हमबिस्तरी की थी, पर बाद में उस ने मुझे धोखा दे दिया. जिस से मेरी सगाई हुई, उस के साथ भी शादी से पहले मेरा जिस्मानी संबंध हुआ, पर जब खून नहीं आया तो उसे शक हुआ. पूछने पर मैं ने मना कर दिया कि मैंने पहले ऐसा नहीं किया था, मगर ज्यादा जोर देने पर मैं ने कह दिया कि मेरे साथ रेप हुआ था और वह लड़का कई साल तक मुझ से जबरदस्ती करता रहा, अब नहीं करता. बाद में मैंने कहा कि मैं तो मजाक कर रही थी. अब मंगेतर मेरा यकीन नहीं करता और पूछता है कि उस का नाम तो बता दो और यह भी कि कितने सालों तक किया. मैं अपने मंगेतर से बहुत प्यार करती हूं, पर समझ नहीं पा रही हूं कि उसे कैसे समझाऊं?

जवाब

आप ने गलत काम भी किया और खुद अपनी इमेज बिगाड़ ली. बारबार झूठ बोल कर आप ने अपने मंगेतर का भरोसा भी खो दिया. न तो आप को उस धोखेबाज पे्रमी से संबंध बनाना चाहिए था, न ही मंगेतर से. शायद आप की जिस्मानी भूख ही ज्यादा थी, फिर भी मंगेतर से रेप की बात कर के आप ने खुद ही बात बिगाड़ ली. अगर मंगेतर शक्की है, तो अपनी मंगनी तोड़ दें.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
सब्जेक्ट में लिखे…  सरस सलिल- व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

फौजी का प्यार: क्या हो पाया सफल

हमारी यह कहानी एक फौजी के प्यार पर बुनी गई है, जिस का नाम रमन था. वह बिलासपुर गांव का रहने वाला था. उस के सपने बहुत बड़े थे. वह अपनी जिंदगी में बहुतकुछ करना चाहता था. एक दिन रमन सो रहा था. उस ने एक सपना देखा कि वह अपने देश के लिए शहीद हो गया. तभी से उस ने फौजी बनने की ठान ली. जब उस ने यह बात अपने मांबाप को बताई, तो वे चिंतित हो गए. उन्हें लगा कि अगर उन का बेटा फौजी बन कर उन से दूर चला गया, तो वे अकेले कैसे रहेंगे?लेकिन रमन का यही कहना था कि उसे अपने देश के लिए फौजी बनना ही है, क्योंकि वह अपने देश से बहुत प्यार करता है.

इस के बाद वह फौज में भरती होने के लिए कड़ी मेहनत करने लगा और एक दिन उस ने फौज में भरती होने का फार्म भी भर दिया. कुछ समय बाद रमन की फौज में भरती की लिखित परीक्षा हुई, जिस में उस ने पहला स्थान हासिल किया. परीक्षा पास करने के बाद उस ने फौज की ट्रेनिंग की. आखिरकार वह दिन आ ही गया, जिस का रमन को बेसब्री से इंतजार था और वह फौजी बन गया.इस बात से रमन के परिवार वाले ज्यादा खुश नहीं थे. पर जब उन की एक न चली, तो उन्होंने रमन की शादी करनी चाही. उन्होंने गांव की ही स्नेहा नाम की एक लड़की उस के लिए पसंद कर ली, जो रमन के बचपन की दोस्त थी.जब रमन को इस बात का पता चला, तो वह बहुत नाराज हुआ.

उस ने अपने फौजी दोस्तों को इस बारे में बताया, तो वे बोले कि अगर वह लड़की अच्छी है और तुम्हारी दोस्त भी है, तो तुम्हें उस के साथ शादी कर लेनी चाहिए.रमन को यह बात समझ में आ गई और उस ने इस रिश्ते के लिए हां कर दी.एक दिन रमन को जहां तैनात किया गया था, वहां बौर्डर पर उस ने 2 ऐसी लड़कियों को देखा, जो बकरियां चरा रही थीं. उस ने उन पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया और अपने क्वार्टर में चला गया, पर थोड़ी ही देर में उसे किसी के तेज बोलने की आवाज सुनाई दी.रमन अपने क्वार्टर से बाहर आया, तो देखा कि बकरी चराने वाली एक लड़की के साथ एक फौजी बदतमीजी कर रहा था, जबकि दूसरी लड़की वहां से शायद भाग गई थी.

रमन ने उस फौजी को लताड़ा और उस से भिड़ गया. इस बात से वह लड़की डर गई. रमन ने उस लड़की से पूछा, ‘‘तुम कौन हो और यहां क्या कर रही हो?’’उस लड़की ने अपनी लड़खड़ाती आवाज में बताया, ‘‘मैं तो अपनी सहेली की मदद करने के लिए यहां आई थी. उस की तबीयत ठीक नहीं थी.’’रमन ने उस लड़की को बड़े ध्यान से देखा, तो उस की मासूम आंखों में खो गया. उस के दिल की धड़कनें तेज हो गईं. उसे लगा कि वह पहली ही नजर में उस लड़की से प्यार कर बैठा है.तभी उस लड़की के होंठों से धीमी आवाज में ‘शुक्रिया’ निकला और वह वहां से चली गई.

रमन उस लड़की को ले कर परेशान हो गया, जबकि उसे मालूम था कि उस के घर में उस की शादी की तैयारियां चल रही थीं. इस सब के बावजूद वह हर रोज उस लड़की का इंतजार करता था.एक दिन रमन को वही लड़की अपनी सहेली के साथ दिखाई दी. वह हिम्मत जुटा कर उस के पास चला गया और उस से पूछा, ‘‘तुम्हारा नाम क्या है?’’उस लड़की ने पलट कर सवाल किया,

‘‘आप को मेरा नाम क्यों जानना है?रमन के ज्यादा गुजारिश करने पर उस लड़की ने अपना नाम जन्नत बताया.रमन बोला, ‘‘तुम्हारा नाम तो बहुत अच्छा है. ऐसा लग रहा है, जैसे मुझे जन्नत नसीब हो गई.’’जन्नत ने रमन को टोकते हुए कहा, ‘‘आप ऐसी बात मत कीजिए. मुझे अच्छा नहीं लगता.’’रमन ने कहा, ‘‘मैं तो सिर्फ तुम्हारी और तुम्हारे नाम की तारीफ कर रहा हूं.

’’जन्नत चुप रही, तो रमन ने पूछा, ‘‘तुम कहां रहती हो?’’‘‘लाहौर में…’’ जन्नत बोली.‘‘तो यहां बौर्डर पर क्या करने आती हो?’’जन्नत ने बताया, ‘‘यहां मेरी सहेली बकरियां चराने आती है. बहुत दिनों से उस के अब्बू बीमार हैं. मैं सहेली की मदद कर रही हूं.

’’रमन जन्नत को अपने दिल की बात कहना चाहता था, पर डरता था कि कहीं इस के बाद वह यहां आना ही न बंद कर दे. लिहाजा, उस ने खुद को रोक लिया.उधर जन्नत भी रमन को मन ही मन पसंद करने लगी थी, मगर वह भी कुछ नहीं बोली और चुपचाप वहां से चली गई.एक दिन रमन ने अपना दिल मजबूत कर के जन्नत को बोल दिया,

‘‘जन्नत, जिस दिन से मैं ने तुम्हें पहली बार देखा है, तब से मैं तुम्हारा दीवाना हो गया हूं. मैं तुम्हें पसंद करने लगा हूं. तुम हर समय मेरे दिलोदिमाग पर छाई रहती हो…’’यह सुन कर जन्नत बोली, ‘‘आप भी मुझे पसंद हैं. आप ने पहली मुलाकात में मुझे उस फौजी से बचाया था,

तभी से आप मुझे बहुत अच्छे लगने लगे थे.’’‘‘जन्नत, क्या तुम मुझ से प्यार करती हो?’’ रमन ने पूछा.‘‘हां,’’ जन्नत ने जवाब दिया.इस के बाद वे दोनों रोजाना मिलने लगे. रमन जानता था कि उस की शादी कहीं और पक्की हो गई है और वह जन्नत से प्यार करने लगा है, तो उस ने काफी सोचविचार कर के एक दिन जन्नत से पूछा, ‘‘क्या तुम मेरे साथ शादी करोगी?’’जन्नत ने कहा, ‘‘इस बात के लिए मेरे अब्बू कभी नहीं मानेंगे, क्योंकि तुम एक हिंदुस्तानी फौजी हो और मैं लाहौर के मेयर की बेटी.’’यह सुन कर रमन बोला, ‘‘अगर तुम्हारे अब्बू नहीं मानेंगे, तो हम यहां से दूर जा कर शादी कर लेंगे.’’जन्नत बोली, ‘‘अच्छा, मैं अपने अब्बू से एक बार बात कर के देख लेती हूं…’’ इतना कह कर वह चली गई.कुछ दिन के बाद रमन को जन्नत का लिखा एक खत मिला कि ‘मेरे अब्बू को मुझ पर शक हो गया है कि बकरी चराने के बहाने मैं किसी से मिलने जाती हूं, इसलिए आप को जो करना है जल्दी कीजिए’.खत पढ़ कर रमन परेशान हो गया. उस ने अपने एक साथी को बताया कि वह एक लड़की से प्यार करने लगा है और उसी से शादी करना चाहता है.लेकिन जब उस साथी को यह पता चला कि वह लड़की पाकिस्तानी है, तो वह दंग रह गया. उस ने रमन को यह सब भूलने के लिए कहा और इस का बुरा अंजाम भुगतने की भी बात की. पर रमन पर तो इश्क का भूत सवार था. वह कहां मानने वाला था.

उस दोस्त ने फिर समझाया, ‘‘चलो यह माना कि तुम दोनों का प्यार सच्चा है, लेकिन न तो तेरे घर वाले इस रिश्ते के लिए राजी होंगे और न ही जन्नत के घर वाले मानेंगे. दोनों देशों की सरकारें भी इस रिश्ते को स्वीकार नहीं करेंगी. ‘‘सब से बड़ी बात तो यह है कि तुम हिंदुस्तानी फौजी हो और वह लड़की हमारे दुश्मन देश में रहती है. तुम दोनों का कभी मेल नहीं हो सकता.’’यह सुन कर रमन कशमकश में पड़ गया. एक तरफ उस का प्यार था, तो दूसरी तरफ परिवार और देश. फिर उस ने फैसला लेते हुए अपने प्यार के बारे में परिवार को बताने की ठानी.पर जब मांबाप को इस बारे में पता चला, तो उन्होंने कहा कि तुम ऐसा कुछ नहीं करोगे, जिस से उन के खानदान की नाक कट जाए.

वह एक पाकिस्तानी लड़की है और इस घर में कभी बहू बन कर नहीं आएगी.इस सब के बावजूद रमन ने जन्नत का साथ चुनना पसंद किया. उधर जन्नत के अब्बू को रमन के बारे में किसी रिश्तेदार ने सबकुछ बता दिया. वे गुस्से में आगबबूला हो गए और उन्होंने जन्नत को कमरे में बंद कर दिया.जन्नत ने किसी तरह रमन के लिए एक खत लिख कर उसे अपनी सहेली से रमन तक पहुंचाने को कहा. रमन ने वह खत पढ़ा, ‘मेरे अब्बू ने किसी और के साथ मेरी शादी पक्की कर दी है. जल्द ही मेरा निकाह भी हो जाएगा…’यह पढ़ कर रमन का खून खौल गया. अब उसे न देश की परवाह रही और न ही परिवार की. वह हर नियम ताक पर रख कर चोरीछिपे पाकिस्तान चला गया. वहां वह जन्नत से मिलने में भी कामयाब रहा और उसे बौर्डर पार करा कर भारत ले आया.

उस ने सेना से इस्तीफा दे दिया.रमन अपनी जन्नत को घर ले आया, पर वहां उस का विरोध हुआ. उस के मांबाप ने जन्नत को अपनाने से साफ मना कर दिया.इस बात से गुस्साया रमन जन्नत को ले कर वहां से चला गया. उधर पाकिस्तान में जन्नत के अब्बू को रमन और जन्नत की पूरी खबर लग गई. वे अपने रुतबे का फायदा उठा कर भारत आए और रमन के घर जा कर उन दोनों की छानबीन की.रमन के मांबाप ने उन्हें बताया कि वे दोनों यहां आए जरूर थे, पर हम ने उन्हें घर से निकाल दिया.जन्नत के अब्बू गुस्से में इतना पागल हो चुके थे कि उन्होंने रमन के मांबाप का कत्ल कर दिया.

तभी उन्हें अपने किसी खुफिया एजेंट से पता चला कि वे दोनों अपने गांव से दूर किसी कौटेज में छिपे हुए हैं. जन्नत के अब्बू ने उन दोनों को ढूंढ़ लिया और एक चाल चलते हुए कहा, ‘‘मुझे अपनी गलती का एहसास हो गया है. मैं तुम दोनों के रिश्ते को मंजूरी देता हूं.’’यह सुन कर जन्नत बड़ी खुश हुई. उस का डर दूर हो गया और उस ने रमन को खानेपीने का सामान लाने को कहा.जैसे ही रमन खाने का सामान लाने के लिए जाने लगा कि तभी जन्नत के अब्बू ने उसे गोली मार दी.

रमन बुरी तरह से जख्मी हो गया.गोली की आवाज सुन कर जन्नत भागीभागी वहां आई. उस ने देखा कि रमन खून में लथपथ जमीन पर पड़ा हुआ है. उस की सांसें रुक चुकी थीं.रमन को मरा हुआ देख कर जन्नत बोली, ‘‘अब्बू, आप ने यह क्या कर दिया… मेरी पूरी दुनिया ही खत्म कर दी. अब मैं जी कर क्या करूंगी…’’ इतना कह कर उस ने खुद को छुरा मार लिया और रमन के पास ही बेजान हो कर गिर पड़ी.

 

रंगीनियत: प्यार और रंजिश की दास्तान

और खींच इसे बे, अभी मरा नहीं है… इस की स्कूटी फंस गई है. खींच इसे जब तक मर न जाए,’’ अमजद के यह कहते ही सुहैल ने ट्रक को और तेज रफ्तार से आगे बढ़ाया. वह तकरीबन 200 मीटर तक स्कूटी को खींचता हुआ आगे ले गया, फिर उस ने ट्रक को तेज रफ्तार से रुड़की रोड पर आगे बढ़ा दिया. उन्होंने समझ लिया था कि स्कूटी वाला आदमी अब बच नहीं पाएगा.यह कांड रात के 10 बजे के आसपास हरिद्वार में हुआ था. जिस आदमी को सड़क पर ट्रक से घसीटा गया था, वह लहूलुहान हो गया था.

उस की खाल उधड़ सी गई थी. हड्डीपसली टूटफूट गई थीं, पर उस की सांसें अभी भी बाकी थीं.अगर उस आदमी को समय से अस्पताल न ले जाया जाता तो उस की मौत तय थी. भला हो उस आदमी का, जिस ने पुलिस और कानून के डर से ऊपर उस घायल आदमी की जिंदगी की कीमत को ज्यादा समझा. उस ने 2-3 लोगों की मदद से उस घायल आदमी को अपनी कार में डाला और जल्दी से पास के अस्पताल में ले गया.डाक्टर सुमनदीप घायल आदमी की हालत देख कर समझ गए कि अगर लिखतपढ़त में समय गंवाया तो उस आदमी का बचना मुश्किल है.

वे तुरंत उसे आईसीयू में ले गए और दूसरे डाक्टरों और नर्सों की मदद से उस का आपरेशन किया. बड़ी मुश्किल से वे उस की जान बचा पाए.उधर पुलिस ने ट्रक ड्राइवर सुहैल और उस के क्लीनर अमजद को लक्सर कसबे से पकड़ लिया था. वे दोनों पुलिस को चकमा देने के लिए रुड़की के बजाय लक्सर की तरफ चले गए थे, लेकिन पुलिस के आगे उन की एक न चली.

कुछ देर नानुकर करने के बाद सुहैल और अमजद ने अपना अपराध कबूल कर लिया. ‘थर्ड डिगरी’ का इस्तेमाल करने पर शकील का नाम भी उगल दिया, जिस ने उन्हें उस आदमी को कुचलने के लिए डेढ़ लाख रुपए दिए थे.‘थर्ड डिगरी’ के नाम से अच्छेअच्छे शातिर अपराधी कांप जाते हैं, क्योंकि इस में कैदी या मुलजिम को जुर्म कबूल करवाने के लिए कई तरह के कठोर तरीके अपनाए जाते हैं, जैसे बेंत से लगातार जोर से मारना, भूखाप्यासा रखना, सोने न देना या मलमूत्र त्याग करने से रोक देना वगैरह.

जब पुलिस ने शकील के हाथ मरोड़े, तो एक नई कहानी उभर कर सामने आई. उसे अमनदीप नाम के एक आदमी ने अस्पताल में भरती घायल अभिनव के कत्ल के लिए 3 लाख रुपए दिए थे.एक कड़ी से दूसरी कड़ी जुड़ती जा रही थी और कहानी में नएनए मोड़ आते जा रहे थे, लेकिन पुलिस को तो कहानी की तह तक जाना था. उसे असली अपराधी चाहिए था.

अमनदीप भी बहुत होशियारी दिखा रहा था, लेकिन पुलिस की मार के आगे उस ने सब सच उगल दिया. जो कहानी उस ने सुनाई, वह आपसी रिश्तों को शर्मसार करने वाली थी.अमनदीप और अभिनव लंगोटिया यार थे. अमनदीप दोनेपत्तल का कारोबारी था.

हरिद्वार में दोनेपत्तल की डिमांड काफी है, इसलिए उस का कारोबार अच्छाखासा फलफूल रहा था. अभिनव भी कई बार उस से दोनेपत्तल खरीदा करता था. धीरेधीरे दोनों अच्छे दोस्त बन गए थे.अमनदीप अभी कुंआरा था, हृष्टपुष्ट था, नौजवान और खूबसूरत था.

अभिनव के यहां उस का खूब आनाजाना था, लेकिन अमनदीप में एक अच्छे आदमी के सभी गुण मौजूद थे. वह भला मानस था, चरित्रवान था, भरोसेमंद था. दोनों दोस्त एकदूसरे पर पूरा भरोसा करते थे, इसलिए दोनों की दोस्ती खूब फब रही थी.अभिनव की शादी हुए 12 साल गुजर चुके थे. उस का 10 साल का बेटा मोहन और 7 साल की बेटी मोहिनी थी. उस का परिवार सुखी परिवार था.

पत्नी रीना खूबसूरत भी थी और अपने पति के साथ कंधे से कंधा मिला कर चलने वाली थी.लेकिन रीना को न जाने कहां से सोशल मीडिया पर सैक्सी और ब्लू फिल्मों के वीडियो देखने का चसका लग गया. यहीं से उस का मन बदलने लगा. चैन की जिंदगी जीने वाली बेचैन रहने लगी.

सैक्स की डिमांड कुछ ज्यादा ही करने लगी. अभिनव अपनी पत्नी के इस बदलाव को देख कर हैरान था, लेकिन खुश भी था. अब वह उस को ज्यादा शारीरिक सुख दे रही थी, वह भी अलगअलग पोज दे कर.लेकिन रीना यहीं नहीं रुकी. रंगीनियत का शैतान उस पर हावी हो गया. वह हरदम उस को और ज्यादा रंगीनियत के लिए उकसा रहा था.

वह उस से बारबार कहता, ‘जिंदगी में गैरमर्द से प्यार नहीं किया तो कुछ नहीं किया.’रीना का मन भी कहता कि इस में गलत ही क्या है. जिंदगी के सूखे को खत्म किया जाए, उस में रंगीनियत और रोमांस का रंग उड़ेला जाए, पर रोमांस किस से किया जाए? आसान शिकार कौन? पास का शिकार कौन?

रीना की निगाहें अमनदीप पर टिक गईं.रीना एक दिन जानबूझ कर घर आए अमनदीप से टकराई और शरमाने का ढोंग करने लगी. अमनदीप ने इसे बड़े ही आम तरीके से लिया, लेकिन अपने घर जा कर रीना भाभी से टकराने का सीन बारबार उस की आंखों के सामने आने लगा.

किसी भी बीज को खाद, पानी और धूप ठीक से मिल जाए तो उसे पनपने में देर नहीं लगती. जमीन उपजाऊ थी. प्यार का बीज फूटा तो तेजी से बढ़ा. कुछ ही दिनों में इश्क का यह पौधा फलफूल से लदने लगा.अभिनव शुरुआत में हर चीज से अनजान था. उसे जरा सा भी अंदाजा नहीं था कि उस के घर में उस के अपने ही आग लगाने में लगे हैं, लेकिन कहावत है इश्क और मुश्क छिपाए नहीं छिपते. एक दिन रीना और अमनदीप रंगे हाथ पकड़े गए. अमनदीप भाग निकला.

अभिनव ने रीना को खूब खरीखोटी सुनाई.इस के बाद तो आएदिन पतिपत्नी और वो का झगड़ा घर में होने लगा. रीना तो अमनदीप की हवस में इस कदर पागल हुई कि वह चाह कर भी उसे छोड़ नहीं पा रही थी. अमनदीप उम्र में कम था, वह तो रीना के प्यार और हवस में उस का गुलाम बन गया.अभिनव तो रीना को अब कांटे की तरह चुभने लगा था. अभिनव मानसिक रूप से बुरी तरह से परेशान था. उस के सोचनेसमझने की ताकत जवाब देने लगी थी.

मर्द के बरदाश्त की एक सीमा होती है. एक दिन वह सीमा टूट गई. रोजरोज के झगड़े से तंग आ कर अभिनव ने रीना को बुरी तरह से पीट डाला.रीना ने सोचा कि अभिनव नाम का यह कांटा अब बड़ा और तीखा हो गया है. चुभने भी कुछ तेज लगा है.

अब इसे निकाल फेंकना चाहिए. एक दिन रीना अमनदीप से मिली और उस से कहा, ‘‘अमनदीप, अब और नहीं सहा जाता. बताओ, तुम मुझ से शादी करने के लिए तैयार हो कि नहीं?’’‘‘लेकिन, यह कैसे मुमकिन है भाभी?’’ अमनदीप कुछ हिचकिचाया.‘‘मुमकिन है. अगर तुम मुझे अपनाना चाहते हो तो रास्ते के रोड़े को तुम्हें हटाना होगा. फिर, मैं भी तुम्हारी और मेरी सारी प्रोपर्टी भी तुम्हारी.’’अमनदीप बिजनैस को भी अच्छे से समझता था. उसे लगा कि सौदा फायदे ही फायदे का है.

खूबसूरत औरत और इतनी प्रोपर्टी… जिंदगी आराम से गुजरेगी.इश्क, हवस और पैसा तीनों ने मिल कर रीना और अमनदीप की अक्ल को मार दिया था. अमनदीप का संबंध अपराधी सोच के शकील से था. अनाड़ी इनसान कहीं भी सिर मुंड़ा बैठता है. शकील ने अभिनव की जान लेने के लिए 5 लाख रुपए मांगे और 3 लाख में सौदा पट गया.

शकील जानता  था, यह अभी भी फायदे का सौदा है.शकील शातिर था. वह किसी की जान लेने में कभी सीधे शामिल नहीं होता था. उसे कानून के फंदे में सीधे फंसने का डर बना रहता था. वह जानता था कि कत्ल किसी और से कराया जाए तो ज्यादा से ज्यादा हत्या की साजिश में शामिल होने का केस बनता है. वह यह भी बखूबी जानता था कि अगर वह पकड़ा भी गया तो आसानी से जमानत पर बाहर आ जाएगा और फिर लंबा मुकदमा और तारीख पर तारीख.

ऐसे न जाने कितने मुकदमे शकील पर चल रहे थे. वह कानून की कमजोरी जानता था कि इन मुकदमों का फैसला उस की इस जिंदगी में नहीं होना है. पेशकार से ले कर वकील और जज सब उस की नजर में बिकाऊ थे, इसलिए बेखौफ अपराध करते जाओ, मुकदमे चलते रहेंगे, मुकदमों का क्या?शायद इसीलिए शकील ने अपने 2 पिट्ठुओं को अभिनव की जान लेने के लिए तैयार किया. उन दोनों को डेढ़ लाख रुपए देने का वादा किया. आधा पैसा उस ने पहले ही दे दिया.

वे इसे ऐक्सीडैंट केस बनाना चाहते थे, लेकिन कहानी की परत दर परत खुलने से वे फंसते चले गए.अभिनव कई हफ्ते अस्पताल में रहा, लेकिन रीना गिरफ्तार होने से पहले एक बार भी उसे अस्पताल में देखने के लिए नहीं गई. अभिनव की बहन और बहनोई ही नगीना से आ कर उस की देखभाल करते रहे. ठीक होने के बाद भी वह कभी अपने घर नहीं गया. उस ने अपनी दुकान संभाली और पास में ही किराए के मकान में रहने लगा. उस के बच्चे भी उस से मिलना नहीं चाहते थे.

अभिनव ने पहले ही अपनी प्रोपर्टी रीना के नाम कर दी थी. उसे कभी इस बात का अंदाजा भी नहीं था कि उस की पत्नी कभी ऐसा कदम भी उठा सकती है.अमनदीप और रीना की गिरफ्तारी हुई. दोनों जल्दी ही जमानत पर बाहर आ गए. मुकदमा चला, सजा हुई, लेकिन 2 साल जेल में रह कर दोनों बाहर आ गए. अभिनव से तलाक लेने में रीना को कोई दिक्कत ही नहीं हुई. अभिनव रीना और उस के बच्चों के साथ उसी मकान में सुकून भरी जिंदगी बिताने लगा. उसे गंगा के शांत घाट ज्यादा अच्छे लगने लगे थे. वह घाटों पर घूमता हुआ सोचता कि गंगा का बहता पानी कभी वापस नहीं आता.

सोनचिरैया : जब अधेड़ से ब्याही गई एक कमसिन

ठाकुर भवानी प्रसाद अपने रुतबे के लिए आसपास के कई गांवों में जाने जाते थे. 6 फुट लंबा कद और चौड़े कंधे वाले ठाकुर भवानी प्रसाद के बदन पर सफेद रंग का कुरताधोती खूब फबता था. उन के शरीर का साथ देती हुई उन की रोबदार आवाज और मजबूत भुजाएं उन्हें पहलवान जैसा बलशाली दिखाती थीं.

गांव वाले ठाकुर भवानी प्रसाद को आदर भाव से ‘बाऊजी’ कह कर बुलाते और बहुत इज्जत देते थे, क्योंकि उन्हें मेहमाननवाजी का बहुत शौक था. उन के घर पर चायनाश्ते के दौर चलते ही रहते थे.

बाऊजी आत्मा और परमात्मा पर खूब प्रवचन देते थे. यह अलग बात है कि जब आज से 20 साल पहले उन की पहली पत्नी सुधा की मौत हुई थी, तब वे दहाड़ मार कर रोए थे.

वैसे, वे औरत की खूबसूरती के बहुत गहरे पारखी थे. अभी पहली पत्नी की मौत का ठीक से एक साल भी पूरा नहीं हुआ था कि बाऊजी दूसरी पत्नी सोमवती ब्याह लाए थे और सोमवती के आते ही मानो उन पर जवानी फिर से लौट आई थी. उन का चेहरा पत्नी द्वारा की गई सेवा से गुलाबी हो चला था.

पहली पत्नी सुधा अपने पीछे

2 लड़कियां छोड़ कर मरी थी. बड़ी लड़की गीता जवान हुई, तो बाऊजी ने उस की शादी खूब धूमधाम से कर दी थी. हालांकि उस समय उन के दामादजी नवीन बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में पढ़ाई ही कर रहे थे, पर पंडितजी ने लड़के का ऊंचा कुल और परिवार की हैसियत देख कर शादी करा दी थी.

पहली लड़की तो किनारे लग गई थी. ठाकुर भवानी प्रसाद अब जल्दी से जल्दी अपनी दूसरी लड़की रीता की शादी निबटाना चाहते थे, पर रीता के लिए भी लड़का कुलीन होना चाहिए था, भले ही उस का रंगरूप कैसा भी हो.

बताने वालों ने एक से एक रिश्ते बताए, पर वे सब बाऊजी को बराबरी के नहीं लगे. कहीं पैसे की कमी थी, तो कहीं कुल की.

‘‘भाई, रंगरूप का क्या है, आज है तो कल ढल गया… पर कुल की इज्जत तो हमेशा के लिए रहती है और हमें दूसरों से बेहतर बनाती है,’’ कुछ ऐसा मानना था बाऊजी का.

रीता की शादी कुलीन लड़के से हो, इस के लिए बाऊजी ने एड़ीचोटी का जोर लगा दिया और उन की मेहनत भी रंग ले आई. आखिरकार एक मनचाहा लड़का मिल ही गया.

22 साल की रीता के लिए 45 साल का अधेड़ मिल गया था. चेहरे पर थोड़े से चेचक के हलके दाग और पेट निकला हुआ, पर बहुत ऊंचे कुल का. बाऊजी तो बस इसी बात से फूले नहीं समाते थे.

उस अधेड़ का नाम संतोष था, जो एक ट्रस्ट के पुस्तकालय में काम करता था. हालांकि उस के घर में पुरखों का बनाया हुआ बहुतकुछ था और खानेपहनने की कोई कमी न थी, फिर भी संतोष ने हाथ में एक नौकरी पकड़ना उचित समझा था.

रीता की शादी तो एक कुलीन घर में हो गई थी, पर वहां का माहौल उसे बहुत अजीब सा लग रहा था. दोगुनी उम्र का पति, घर में पूजापाठ और साफसफाई का सनक की हद तक माहौल था.

ससुर मर चुके थे, केवल सास ही थी. संतोष और उस की मां में खूब बनती थी और उन दोनों मांबेटे ने कई नियम बनाए हुए थे, कई व्रत ले रखे थे.

सुबह 4 बजे से ही उन के घर के मंदिर की साफसफाई का कार्यक्रम शुरू हो जाता था. रीता के लिए इतनी जल्दी जागना कभी आसान काम नहीं रहा था. उसे अपनेआप को ससुराल में ढालने में बहुत मुश्किल हो रही थी. इस माहौल में बहुत जल्दी ही उस का दम घुटने लगा था.

रीता की ससुराल में सफाई, नियम और व्रत का इतना ध्यान रखा जाता था कि जब भी रीता को माहवारी होती तो संतोष उसे अपने बिस्तर को भी नहीं छूने देता था और महज एक चादर लपेट कर उसे जमीन पर सोना पड़ता था.

संतोष अपनेआप में ही मगन रहता था और रात में प्यार की बात करने के बजाय जल्द ही खर्राटे भरने लगता था. रीता का समय बस घर का काम करने में ही बीतता रहता था.

थकाहारा सा संतोष बातबात में संस्कृत के शब्द तो बोलता था, पर जिंदगी के मजे से दूर भागता था. इसी वजह से वह रीता से दूरी बना कर रखता था. संतोष को न तो अपनी पत्नी से कोई लगाव था और न ही उस के मन में बच्चे पैदा करने की इच्छा नजर आती थी.

धीरेधीरे रीता भी अपने पति का रूखा और ठंडापन समझ गई थी और इसी तरह 5 साल गुजर गए. संतोष पूरे 50 साल का हो गया था और रीता 27 साल की.

एक दिन रीता बाथरूम से बाहर निकली, तो दरवाजे पर किसी अनजान ने आवाज दी. वह गीले बालों के साथ ही दरवाजा खोलने चली गई. सामने एक लड़का खड़ा था, जिस ने अपनी साइकिल पर एक बड़ी सी पोटली बांध रखी थी.

रीता की बड़ीबड़ी आंखों में सवाल तैर रहे थे और उस नौजवान ने उन सवालों को अच्छी तरह से पढ़ लिया था. बिना कुछ कहे उस ने हरे केले के पत्तों को लपेट कर बनाई गई एक पुडि़या रीता की तरफ बढ़ा दी.

‘‘पर, हमारे यहां तो फूल देने के लिए चंद्रिका काका आते हैं…’’ रीता बोली.

‘‘जी, मैं उन का बेटा तिलक हूं. वे बीमार हैं, इसलिए नहीं आ पाए हैं,’’ उस नौजवान ने कहा.

रीता ने अपना हाथ आगे बढ़ाया, तो तिलक की उंगलियां उस के हाथों को छू गईं. रीता को पराए मर्द का अहसास किसी ताजा बयार की तरह महसूस हुआ था, पर अगले ही पल उस ने अपने बालों को झटक कर मन से इस भाव को तुरंत निकाल दिया था.

अगले दिन जैसे ही दरवाजे पर तिलक की आहट हुई, रीता दरवाजा खोलते हुए बोल पड़ी, ‘‘क्या बात है, कल सारे फूल मुरझाए हुए थे?’’

तिलक अचानक रीता के इस शिकायती लहजे से चौंक गया था.

‘‘जी, वैसे फूल तो ताजा थे, पर गरमी के चलते थोड़ा सा असर आ गया होगा. कल मैं ताजा फूल ले आऊंगा. फिलहाल तो यह कमल का फूल है. एक ही था, आप के लिए ले आया,’’ तिलक ने कहा.

रीता ने कमल का फूल ले लिया. अंदर आ कर उस की खुशबू को महसूस करने की कोशिश की, पर नाकाम ही रही. खुशबू न थी, पर कमल कितना सुंदर था और उस पर पड़ी हुई पानी की बूंदें मोतियों के समान लग रही

थीं. रीता ने उस कमल को अपने कमरे में ला कर बिस्तर के सिरहाने रख दिया.

इतने साल तक गोद हरी न होने पर सास ने रीता को ले जा कर माहिर डाक्टर से जांच कराई. डाक्टर ने बताया कि रीता की तो सब रिपोर्ट ठीक हैं, हो सकता है कि इन के पति में कुछ कमी हो, इसलिए बेहतर होगा कि वह भी अपनी जांच करवा ले.

रात को जब संतोष बिस्तर पर आया, तो रीता उस से अपने मन की बात कह बैठी, ‘‘मैं तो कहती हूं कि आप को भी किसी डाक्टर से जांच करा लेनी चाहिए.’’

‘‘बच्चे नहीं हुए, तो इस का मतलब यह नहीं है कि मुझ में कोई कमी है… और फिर इस शहर में बहुत सारे लोगों से मेरी जानपहचान है. अगर मैं किसी डाक्टर से मिलूंगा तो मेरी बदनामी नहीं होगी क्या?’’ संतोष की धीरेधीरे आवाज तेज हो उठी थी, ‘‘तुम ने यह कैसे सोच लिया कि मुझ में कुछ कमी है… आज मैं तुम्हें अपनी मर्दानगी दिखाता हूं,’’ चीख रहा था संतोष और चीखते हुए उस ने रीता को लातघूंसों से बहुत मारा.

रीता सिसकती रही और सोचती रही कि अगर औरत को पीटना ही मर्दानगी है, तब तो नामर्द होना कई गुना बेहतर है.

3 लोगों के इस घर में रीता को अकेलापन खाने लगा था. संतोष काम पर चला जाता, सास अपने मंदिर और पूजापाठ में मगन रहती, बेचारी रीता से बात करने वाला कोई न बचता. ऐसे में तिलक बाहर से आने वाला एकमात्र ऐसा इनसान था, जिस से रीता बातें कर सकती थी और इसीलिए रीता को तिलक के आने का इंतजार रहता था.

अगले दिन तिलक आया, तो सीधा घर के आंगन में संगमरमर के पत्थर पर बैठ गया. रीता रसोईघर में थी. वह तिलक को आया देख कर चौंक गई और अपनी साड़ी को सही करते हुए बाहर आई और बोली, ‘‘अरे तिलक, तुम आ गए…’’ रीता की आवाज में खुशी की चहक थी.

तिलक ने फूलों की पुडि़या आगे बढ़ाई, तो उस की नजर रीता के हाथ पर बने नीले निशान पर पड़ी. उस ने इस की वजह पूछी.

‘‘सोनचिरैया… पिंजरा…’’ रीता हंस कर बात को टाल गई, ‘‘यह तुम्हारे हाथ में क्या है, जो तुम छिपा रहे हो?’’

‘‘यह वेणी है. बालों में लगाने के लिए,’’ तिलक बोला.

‘‘लाओ, इसे मुझे दे दो. मैं सजाऊंगी इसे अपने बालों में,’’ कह कर रीता ने वेणी ले ली और बालों में लगाने के लिए अपने कमरे में चली गई.

वेणी के सिंगार से रीता की खूबसूरती कई गुना बढ़ गई थी. तिलक की निगाहें यह बात महसूस कर रही थीं और उस की जबान ने भी यह बात रीता को महसूस करा दी थी.

‘‘इस वेणी को लगा कर आप बहुत सुंदर लग रही हैं,’’ तिलक ने शरमाते

हुए कहा.

शादी के इतने साल बाद भी कभी संतोष ने रीता को प्यारभरी नजरों से नहीं देखा था. उस के रूप की कभी तारीफ तक नहीं की थी, पर आज इस लड़के से अपनी सुंदरता की तारीफ सुन कर रीता का मन खुश हो उठा. उस की नसनस में रोमांच भर उठा.

रीता कुछ भी कह न सकी. वह भाग कर अपने कमरे मे लगे आईने के सामने खड़ी हो कर खुद को निहारने लगी.

‘क्या है यह? क्या मुझे तिलक से प्यार हो गया है? और फिर वह वेणी क्यों लाया? मेरे लिए ही तो न… नहीं, मैं तो ब्याहता हूं… किसी दूसरे से प्यार नहीं कर सकती… पर ऐसी शादी का भी क्या फायदा, जो सिर्फ पैसे और खानदान की झूठी शान को बनाए रखने के लिए कर दी गई हो और वह भी दोगुनी उम्र के एक अधेड़ के साथ?’ रीता ने अपने विचारों को झटक दिया था और जा कर काम में लग गई.

तिलक जा चुका था. रीता ने अपने कमरे में जा कर देखा, तो वह कमल का फूल मुरझाया हुआ पड़ा था.

‘‘कोई बात नहीं, कल तिलक आएगा तो और कमल मंगवा लूंगी,’’ रीता उस मुरझाए कमल को देखते हुए बुदबुदा रही थी.

अगले दिन सास पूजा में लीन थी कि तिलक आया और सीधा आंगन में आ कर उसी संगमरमर के पत्थर पर बैठ गया और फूल की पुडि़या निकालने के लिए झोली जमीन पर रख दी.

तिलक को देख कर रीता के चेहरे पर  मुसकराहट दौड़ गई और वह आगे बढ़ चली. इतने में रीता की सास की नजर भी आंगन में बैठे तिलक पर पड़ी और वह गुस्से से भर गई.

जब तिलक चला गया, तो सास रीता पर बिफर पड़ी, ‘‘इस माली के लड़के को घर के अंदर आने की क्या जरूरत पड़ गई… इसे बाहर खड़े हो कर ही फूल दे देने चाहिए. अब यह आंगन और चबूतरा सब अछूत हो गया. अब तुम

ही यहां की सफाई करो,’’ सास चिल्ला रही थी.

सास की बात सुन कर रीता ने सिर झुका कर आंगन की धुलाई शुरू कर दी.

‘‘माली फूल चुन कर ला दे तो इन्हें कोई परेशानी नहीं, कुछ भी अछूत नहीं… और वही माली आंगन में आ कर बैठ गया, तो आंगन ही अछूत हो गया… कितनी अजीब बात है,’’ रीता को इस रूढि़वाद पर कुढ़न हो रही थी.

अगले 2 दिनों तक तिलक नहीं आया. रीता परेशान होने लगी, ‘लगता है, उस ने मेरी सास की कड़वी बातें सुन ली होंगी. क्या सोचेगा तिलक? कहीं वह बीमार तो नहीं हो गया? क्या मैं तिलक को फिर कभी देख नहीं पाऊंगी?’ अपनेआप से ही कई सवाल और कई जवाब… रीता का सिर भारी होने लगा.

संतोष के बाहर जाने के बाद रीता बिस्तर पर लेट गई और उस की आंख लग गई. वह सपने में खो गई… यह तिलक ही तो है, जो उसे अपनी बांहों में उठाए हुए है… उस के होंठों पर अपने होंठ रखे हुए है, उस के साथ सैक्स कर रहा है और रीता भी तो तिलक का पूरा साथ दे रही है…

जब रीता अपने चरमसुख पर पहुंची, तो एक झटके के साथ उस की नींद टूट गई. उस का रोमरोम रोमांचित हो रहा था

‘यह कैसा सपना… और यह कैसा प्यार, जिसे मैं बारबार जीना चाहूंगी… पर तिलक का इस तरह मेरे सपने में आना?’ और फिर खुद ही सारे सवालों का जवाब उस ने दे दिया, ‘तो इस में गलत क्या है? अगर मुझे तिलक से प्यार है… इस कुलीन खानदान और मेरे पति ने मुझे दिया ही क्या है… शरीर का सुख तो दूर की बात, वह तो मन का सुख भी न दे सका, उलटा मारनापीटना…

‘मायके वाले भी समर्पण कर के गुजारा करने की बात ही कहते हैं. ऐसे में मुझे किसी और से प्यार हो गया तो क्या? पर उस प्यार का नतीजा क्या होगा?’

‘‘प्यार खुद अपना रास्ता खोज लेगा,’’ रीता ने अपनेआप से कहा और रसोईघर में चली गई.

तिलक के आने की आहट हुई. रीता आज पहले से ही तैयार थी. दरवाजे

पर जा कर फूलों की पुडि़या ली और बोली, ‘‘क्या इस सोनचिरैया को आजाद करा सकोगे?’’

तिलक ऐसा सवाल सुन कर चौंक जरूर गया, पर रीता की हालत उस से छिपी न थी.

‘‘सोनचिरैया इस गरीब और अछूत के साथ कैसे जिएगी?’’ तिलक ने पूछा.

‘‘प्यार की चाह सोनेचांदी और खानदान को चाट लेने से नहीं मिट जाती,’’ रीता ने कहा.

इस के बाद उन दोनों ने एकदूसरे की आंखों में ही बहुतकुछ पढ़ लिया और तिलक ने कांपते हाथ से अपना मोबाइल नंबर रीता की तरफ बढ़ा दिया.

अगले दिन से चंद्रिका फूल लाने लगा था. दिनों के बीतने के साथसाथ तिलक और रीता के बीच मोबाइल फोन पर बातें लंबी होती जा रही थीं.

रीता ने अपनी हालत और पति के बारे में तिलक को सबकुछ बता दिया और एक ऐसा समय भी आया, जब

27 साल की ठकुराइन एक 25 साल के माली के लड़के के साथ सबकुछ छोड़ कर भाग जाने को मजबूर हो गई.

रीता रात में दबे पैर उठी, एक नजर अपने पति पर डाली और बुदबुदाई, ‘‘हो सकता है कि सभ्य समाज मेरे इस कदम को कलंकिनी का नाम दे, पर कोई बात नहीं. जाति और कुल की बातें करने वालों ने ही मुझे यह कदम उठाने पर मजबूर किया है,’’ और बिना कोई पैसे या गहने लिए ही वह घर से बाहर निकल आई और उस दिशा में चल दी, जहां तिलक उस का इंतजार कर रहा था.

सुबह 4 बजे से सास पूजापाठ में बिजी हो गई. संतोष अब भी खर्राटे भर कर बेसुध सो रहा था, जबकि सोनचिरैया खुले आसमान में उड़ान भर रही थी.

अनजाना डर: आजादी के पहले

रामलाल की झोपड़ी जला दी गई. किन लोगों ने जलाई, यह सभी को मालूम था, मगर पूरे गांव में एक डर था.

पिछले साल गांव में सरपंच पद का चुनाव हुआ था. वहां राजपूतों का दबदबा था. राजपूतों के बाद ब्राह्मण और दलित तबके की तादाद ज्यादा थी.

8 हजार की आबादी वाले इस गांव को टैलीविजन और अखबार ने जागरूक बना दिया था.

आजादी के पहले इस गांव में ठाकुरों का रजवाड़ा था. ठाकुर रामशेर सिंह की बड़ी हवेली थी. उन का दबदबा था. एक तरह से उन का राज पूरे गांव में था.

ठाकुर रामशेर सिंह की मौत के बाद उन के बड़े बेटे आजाद सिंह ठाकुर बने. उन की मौत के बाद उन के बड़े बेटे रतन सिंह की ताजपोशी हुई.

आजादी के बाद राजनीति बहुत बदल चुकी थी. आजाद सिंह शहर में रहते थे, जब कि उन के छोटे भाई मदन सिंह गांव में.

हवेली में जो रौनक पहले रहा करती थी, अब वह खत्म हो गई थी. लोग मदन सिंह का मजाक उड़ाया करते थे, मगर गांव के लोग आज भी आजाद सिंह का सम्मान किया करते थे.

ऐसे में वे मदन सिंह के लिए सरपंच पद के चुनाव का टिकट ले आए. मदन सिंह की इच्छा थी कि आजाद सिंह ही चुनाव लड़ें, इसलिए पूरा गांव अखाड़ा बन गया. हर कोई उन्हें हराने के मूड था.

मगर आजाद सिंह की इज्जत का सवाल था. वे खुद जानते थे कि मदन सिंह की गांव में कोई पूछपरख नहीं है, इसलिए हार तय है. लिहाजा, चुनाव की बागडोर आजाद सिंह को संभालनी पड़ी.

उस दिन ठाकुर आजाद सिंह पहली बार प्रचारकों के साथ रामलाल की ?ोंपड़ी के बाहर पड़ी खाट पर थकान उतारने बैठ गए. तब रामलाल हाथ जोड़ कर बोला, ‘‘नंगी खाट पर मत बैठिए. इस पर कुछ बिछवा दूं.’’

‘‘रामलाल, शहर की कोठी में गद्दों पर बैठतेबैठते यह शरीर आलसी हो गया. नंगी खाट का मजा भी लेने दो भाई,’’ आजाद सिंह बोले.

‘‘मेरी खुशकिस्मती है कि आप हमारी ?ोंपड़ी में आए…’’ हाथ जोड़ते हुए रामलाल बोला, ‘‘और कोई सेवा?’’

‘‘मु?ो कोई सेवा नहीं चाहिए…’’ आजाद सिंह बोले, ‘‘तुम्हें पता है कि मेरा छोटा भाई मदन सिंह सरपंच का चुनाव लड़ रहा है. तुम लोग वोट दे कर उसे ही जिताना.’’

‘‘मगर…’’

‘‘मगरवगर कुछ नहीं…’’ आजाद सिंह बोले, ‘‘मु?ो पता है कि मेरा भाई शराब पीता है. गांव में बदनाम भी है, मगर आप सब देख लेना…’’

‘‘आप तो राजा हैं…’’ रामलाल बोला, ‘‘हम तो आप को ही वोट देंगे हुजूर.’’

‘‘तुम तो दोगे ही, मु?ो सारी बस्ती के वोट मिलने चाहिए.’’

‘‘ठीक है हुजूर.’’

‘‘मेरे भाई को पंचायत में बैठाओ, फिर मैं दिल्ली से पैसा दिलाऊंगा.’’

‘‘हुजूर, आप पर तो बस्ती के लोगों को पूरा भरोसा है,’’ रामलाल बोला.

‘‘बस, रामलाल तू ने यह कह दिया, तो मु?ो भाई की जीत का पूरा भरोसा है. रामलाल, हमें प्यास लगी है, पानी दोे.’’

जब आजाद सिंह ने यह बात कही, तब रामलाल संकोच में पड़ गया. उसे चुप देख कर आजाद सिंह बोले, ‘‘अरे रामलाल, क्या सोच रहे हो? हमें पानी नहीं दोगे?’’

‘‘हुजूर, आप हमारे घर का पानी पी लेंगे?’’

‘‘क्यों, क्या हम इनसान नहीं हैं?’’

‘‘यह बात नहीं है हुजूर. ऊंची जाति वाले हमें छूना तक नहीं चाहते हैं.’’

‘‘अरे भई, अब तो छुआछूत खत्म हो गई. आज हम तेरे हाथ का पानी पीएंगे… लाओ पानी, गला सूखा जा रहा है.’’

‘‘यों तो हम आप को पानी पिला देंगे हुजूर, मगर गांव वाले अभी भी छुआछूत मानते हैं. हमें इसी बात का डर है.’’

‘‘मैं इसी गांव से छुआछूत मिटाने का संकल्प लेता हूं…’’ ठाकुर आजाद सिंह ने सारी बस्ती, जो खाट के आसपास इकट्ठा थी, को यह बात सुना कर कही.

तब रामलाल ?ोंपड़ी के भीतर गया और एक लोटा पानी ले आया.

ठाकुर आजाद सिंह पानी पी कर बोले, ‘‘रामलाल, आज मटके का पानी पी कर काफी सुकून मिला.’’

ठाकुर आजाद सिंह का पैतरा काम कर गया. ठाकुर मदन सिंह चुनाव जीत गए. धीरेधीरे समय बीतने लगा. चुनाव का जोश ठंडा पड़ गया.

ठाकुर मदन सिंह पहले से ज्यादा शराब पीने लगे थे. वे दलितों की बस्ती की मांबेटियों को गलत नजर से देखने लगे थे.

इस का नतीजा यह हुआ कि गांव में फिर से छुआछूत पनपने लगी.

एक दिन रामलाल की घरवाली चंपा को गुस्सा आ गया. कोई ऊंची जाति की औरत मटका रखे, उस के पहले ही चंपा ने अपना मटका रख दिया.

ऊंची जाति की वह औरत गुस्से से बोली, ‘‘चल उठा अपना मटका, पहले मैं पानी भरूंगी?’’

‘‘पहले मैं पानी भरूंगी,’’ चंपा भी गुस्से से बोली.

‘‘ज्यादा आंखें मत दिखा. हटा अपना मटका,’’ उस औरत ने कहा.

‘‘क्यों हटाऊं… मेरा नंबर है?’’ चंपा ने भी जिद की.

‘‘नंबर गया भाड़ में…’’ वह औरत रोब से बोली, ‘‘जब तक हम पानी न भर लें, तब तक तुम्हें हैंडपंप छूना भी नहीं चाहिए. सम?ा?’’

‘‘क्यों छूना नहीं चाहिए?’’ चंपा उसी अंदाज में बोली, ‘‘ठाकुर साहब ने हमारे घर का पानी पीया है.’’

‘‘ठाकुर साहब को तुम लोगों से वोट लेने थे, इसलिए उन्होंने तुम्हारे घर का पानी पी लिया और अपना धर्म खराब कर लिया. क्या हम भी अपना धर्म खराब कर लें,’’ उस औरत ने कहा.

‘‘धरमकरम की बातें तो तुम लोगों ने बनाई हैं. जब तक चुनाव नहीं हुए, तब तक तो तुम बिना छुआछूत पानी भरवा दिया करती थीं. अब तुम्हारे मन में खोट आ गया. हमें तुम अब अछूत सम?ाने लगे,’’ चंपा ने जब यह बात कही, तब वहां खड़ी सभी ऊंची जाति की औरतें आगबबूला हो उठीं.

उस औरत का नाम रूपकुंवर था. वह ठाकुर मदन सिंह की करीबी थी.

रूपकुंवर बोली, ‘‘तू तमीज से बात कर. हम ने कह दिया न कि पहले हम सभी पानी भरेंगी.’’

‘‘मैं भी देखती हूं कि तुम सब पहले पानी कैसे भरती हो? पहले मैं पानी भरूंगी…’’ चंपा बोली.

‘‘अपनी जबान बंद रख…’’ तीसरी औरत बोली, ‘‘तु?ो हुकुम चलाना है, तो जा कर ठाकुर साहब की कोठी पर चला.

‘‘अरे, तेरे खानदान ने कभी सिर उठाने की हिम्मत नहीं की और तू हमारे सिर पर चढ़ी जा रही है. उठा मटका, नहीं तो फेंक दूंगी.’’

‘‘किसी में हिम्मत है, तो फेंक कर दिखाए,’’ चंपा बोली.

रूपकुंवर को ताव आ गया. उस ने चंपा का मटका उठा कर फेंक दिया. चूंकि मटका मिट्टी का था, इसलिए टूट गया.

मौका देख कर चंपा बस्ती में भाग गई, मगर वह रूपकुंवर का सिर जरूर फोड़ गई.

उस दिन हैंडपंप की इस घटना ने कुहराम मचा दिया.

रूपकुंवर का पति शमशेर सिंह रामलाल की ?ोंपड़ी के बाहर चिल्लाते हुए बोला, ‘‘रामलाल बाहर निकल… अभी बताता हूं.’’

तब भीतर से रामलाल आया और बोला, ‘‘क्या हुआ हुजूर?’’

‘‘हुआ मेरा सिर… कहां गई तेरी जोरू? निकाल उसे बाहर.’’

‘‘आखिर चंपा ने क्या किया है?’’

‘‘अरे, जैसे तु?ो पता ही नहीं… निकाल बाहर, उसे बताता हूं.’’

‘‘चल, मैं आ गई बाहर…’’ चंपा  बोली, ‘‘क्या करेगा तू?’’

‘‘ऐ चंपा, तू भीतर जा,’’ उसे ?ोंपड़ी के अंदर धकेलते हुए रामलाल बोला.

‘‘क्यों जाऊं भीतर…’’ रामलाल की ?िड़की के बावजूद भी चंपा का गुस्सा कम न हुआ.

‘‘तू सुनती है कि नहीं,’’ रामलाल बोला.

‘‘वह शराबी मदन सिंह सरपंच बन गया, तो इन सब को ऊंची जाति का घमंड चढ़ गया. अरे, वह जीता तो हमारे ही वोटों से है,’’ चंपा का गुस्सा बढ़ गया, ‘‘अब बोल, चुप क्यों हो गया. बड़ी दादागीरी दिखा रहा था एक मर्द हो कर औरत पर.

‘‘अपनी जोरू को सम?ा ले रामलाल,’’ शायद चंपा की बात सुन कर शमशेर सिंह का नशा उतर गया था.

‘‘अरे जाजा, ऐसी धमकी देने वाले बहुत देखे हैं,’’ जब चंपा ने कहा, तब गुस्से से शमशेर सिंह वहां से चला गया.

‘‘ऐ चंपा, तू ने जो किया, अच्छा नहीं किया,’’ रामलाल ने गुस्से से कहा.

‘‘अरे, क्या अच्छा नहीं किया. अगर डर कर बैठ गए न, तब ये लोग हमें दबोच लेंगे,’’ कह कर चंपा ?ोंपड़ी के भीतर चली गई.

इस घटना के ठीक तीसरे दिन रामलाल की ?ोंपड़ी में आग लगा दी गई. किस ने आग लगाई, सभी जानते थे, मगर किसी अनजाने डर से अपना मुंह नहीं खोल रहे थे.

 

Anant की पगड़ी और शूज ने चुराई लाइमलाइट, हटकर था दुल्हेराजा का वेडिंग स्टाइल

Anant-Radhika Ambani wedding: आखिरकार अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट 12 जुलाई को शादी के बंधन में बंध गए. शादी में दोनों का लुक देखने लायक था. जिसपर सभी की आंखें टिकी हुई थी. शादी में दोनों ने एक दूसरे का हाथ पकड़कर डांस भी किया. दोनों का लुक बाकि सिलेब्रिटी की शादियों से अलग कलर और डिजाइन का था.

 

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वेडिंग का वेन्यू जियो वर्ल्ड सेटर में रखा गया था. जहां बरात में अनंत डांस करते हुए वहा पहुंचे. वेडिंग वेन्यू में पहुंचते ही अनंत ने सबके साथ फोटोज क्लिक कराई, अनंत की शेरवानी बहुत ही हटकर थी. उनकी शेरवानी का रंग औरेंज और लाल था. इसके साथ ही अनंत ने लाल पगडी पहनी थी जिसपर गोल्डन रंग की कढ़ाई हुई थी. इसकी खास बात थी कि इस पर ब्रौच लगाया गया था. जो कि भाभी श्र्लोका ने हंसते-हंसते पहनाया.

शेरवानी के साथ अनंत ने स्नीकर्स कैरी किए हुए थे. स्नीकर्स आजकल ट्रेंड में थे. अनंत के स्नीकर्स फेमस पेरिसियन शू ब्रांड बर्लुटी के थे. इन स्नीकर्स में गोल्ड की एसेसरी भी लगी हुई थी.

जिस तरह के स्नीकर्स अनंत ने कैरी किए वो पहनना तो सबके बसकी बात नहीं है, लेकिन पगडी पर लगा ब्रौच आज सबकी पसंद जरूर बन सकती है. जी हां, अनंत की लाल पगड़ी पर लगी कलगी बेहद सुरंद थी और आज कल ट्रेंड में है. इस तरह की कलगी (Brooch) आपको औनलाइन भी मिल जाएंगी.

हालांकि अनंत से पहले बौलीवुड एक्टर की कलगी इस तरह की नहीं दिखीं. सिद्धार्थ मल्होत्रा की पगड़ी की कलगी काफी शानदार थी उसमें फर का भी काम था. जबकि अनंत की कलगी काफी रौयल लुक में थी. इस तरह की कलगी आपको अमेजन और फिल्पकार्ट पर मिल जाएंगी. जहां आपको सस्ते से लेकर मंहगे रेट पर कलगी मिलेगी. इसकी शुरुआत 300 रुपए से है.

बता दें कि अनंत-राधिका की शादी के कुल 3 रिसेप्शन होंगे. फिल्म इंडस्ट्री से जुड़ी कई बड़ी हस्तियां अनंत-राधिका की शादी के फंक्शन का हिस्सा बनेंगी.

  • 14 जुलाई वाले रिसेप्शन में भी फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े लोग पहुंचेंगे. इसके अलावा रिलायंस और जियो के बड़े अधिकारी और कर्मचारी शामिल होंगे.
  • 15 जुलाई के रिसेप्शन में आम लोगों को बुलाया जाएगा. यह समारोह आम जनता के लिए होगा.

पत्नी करती है लेट नाइट जौब, सैक्स के लिए नहीं होता समय, मैं क्या करूं?

सवाल

मैं एक शादीशुदा आदमी हूं मेरी पत्नी वर्किंग है हम दोनों काम पर जाते है. मेरी पत्नी IT सैक्टर में नौकरी करती है. जिस वजह से वे नाइट शिफ्ट भी करती है कभी कभी देर रात औफिस में होती है. जबकि मैं दिन में औफिस में होता हूं. जिस वजह हम एक दूसरे को समय नहीं दे पाते है न फिजिकल रिलेशन के लिए टाइम निकाल पाते है. मैं इस बात से परेशान रहता हूं मैं क्या करूं? 

 

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जवाब

यह एक रिलेशन के लिए गंभीर प्रौब्लम है. इस टौपिक पर आपको अपने पत्नी से बैठकर बात करनी चाहिए. आपको उनसे अपने रिश्ते के लिए समय मागंना चाहिए. हालांकि जब वे नाइट ड्यूटी करती है तो आप वीकेंड का इंतजार करें. वीकेंड पर ज्यादा से ज्यादा एक-दूसरे को समय दें. क्योंकि पति-पत्नी को सैक्स के लिए समय निकालना जरूरी है.

अगर ये करने पर भी परेशान है तो आपको अपनी पत्नी से कहना चहिए कि वे डे शिफ्ट ढूंढे. क्योंकि दोनों अगर नौकरी वाले है तो दोनों का एक ही समय हो तो अच्छा होता है. एक ही समय पर औफिस से छुट्टी लें. readers

हर रिलेशन में ये जरूरी है कि आप एक दूसरे के साथ फिजिकल होने का समय दें. इससे रिश्ते में मजबूती आती है और आप एक-दूसरे के ओर नजदीक आते है.

NO Pain, NO Gain Myth कहते है ट्रेनर, एक्सरसाइज से जुड़े जाने मिथ    

किसी भी काम को शुरु करने से पहले उसके बारे में जान लेना बेहद जरूरी होता है चाहे बात एक्सरसाइज करने की हो या फिर एक नई डाइट शुरु करने की. क्योंकि हर चीज से जुड़े मिथ जरूर सुनने को मिलते है ऐसा ही एक्सरसाइज से भी जुडे मिथ होते है. जिन्हे जानकर आप शायद हैरान हो जाएं.

 

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No Pain, No gain एक तरह का मिथ है

वर्कआउट के दौरान आपका जिम ट्रेनर ये जरूर कहता होगा कि NO PAIN, NO GAIN.  हालांकि ये तरह का मिथ है क्योकि अगर एक्सरसाइज से आपको दर्द होता है तो आप तुरंत उसे बंद कर दे. जिससे आपकी बौड़ी को रिलेक्स मिलेगा. क्योकि दर्द वे तरीका है जो आपको बतात है कि शरीर के साथ कुछ गलत है.  लेकिन आप एक्सरसाइज के जारी रखेंगे तो आप एक गंभीर चोट के शिकार हो सकते है.

एक्सरसाइज लंबी उम्र को बरकरार रखती है

एक्सरसाइज आपके स्वास्थ्य में सुधार करती है और आपके डेली रूटीन को बेहतर बनाती है. लेकिन ये एक मिथ है कि एक्सरसाइज आपकी ऐज को बरकारर रखेंगी. लेकिन इसका आपकी लंबी उम्र से कोई संबंध नहीं है. lifestyle

दौड़ना आपके घुटनों के लिए लाभदायक नहीं है

रिसर्च में ये बात सामने आई है कि दौड़ना से घुटने के जोड़ों में सूजन कम होती है. लेकिन ये एक मिथ है कि दौड़ने से आपके घुटने को फायदा नहीं पहुंचता है. यह एक विचार की लंबी दूरी की दौड़ आपके घुटनों के लिए बुरा है,  लेकिन यह एक मिथक है.

जितना भारी वजन उठाएंगे, वे बौडी के मसल्स को मजबूत कर देगा

ये भी एक तरह का मिथ है, जिसमे कहा जाता है कि भारी वजन उठाने से आपके बौडी के मसल्स मजबूत होते है. ज्यादातर महिलाओं को इस बात की चिंता रहती है कि उनमे भारी वजन से मसल्स का निर्माण होगा. जिससे वे बौडी बिल्डर की तरह दिखेंगी. लेकिन ऐसा नहीं है. अगर आप बिना वजन की भी एक्सरसाइज करेंगे तो शरीर तंदूरस्त रहेगा.

सेक्स में तन के साथ जरूरी है मन की तंदुरुस्ती

सेक्स पतिपत्नी के रिश्ते को मजबूत बनाता है, यह हम सभी जानते हैं. मगर सफल सेक्स के लिए स्वस्थ शरीर के साथसाथ मन का स्वस्थ होना भी बहुत जरूरी है. आज हम आपको बताऐंगे सेक्स में कब कब नाकामी मिलती है, और सेक्स में नाकामी मिलना एक पुरुष के लिए काफी गंभीर बात हो सकती है.

  • शिथिलता : सेक्स की इच्छा होने पर पुरुष इंद्रिय की ओर रक्तसंचार का प्रभाव बढ़ता है, जिस से इंद्रिय में उत्थान और कठोरता आती है. यदि आप का पार्टनर भय, चिंता, तनाव से परेशान हो तो इंद्रिय की कठोरता समाप्त या फिर कम हो जाती है. ऐसे पतियों को मानसिक रूप से नपुंसक कहा जाता है.
  • मानसिक तनाव : सेक्स में नाकामी का एक कारण मानसिक भी है. इंद्रिय उत्थान नर्वस स्टिम्युलेशन पर आधारित होता है. जब संवेदना नहीं मिलती है तब उत्थान का अभाव होता है. सेक्स की प्रबल इच्छा होते हुए भी पति इंद्रिय शिथिलता के कारण सेक्स करने में असमर्थ होता है.
  • तीखे, गरम, खट्टे का अधिक सेवन : तीखी, खट्टीमीठी, गरम चीजों का अधिक सेवन करने से वीर्य विकृत हो जाता है. परिणामस्वरूप पतिपत्नी सेक्स का पूरी तरह से आनंद नहीं उठा पाते हैं.
  • प्रजनन अंग में रोग : प्रजनन अंग का रोग भी इंद्रिय उत्थान क्रिया में बाधा डालता है, जिस से पतिपत्नी दोनों ही सेक्स को ऐंजौय नहीं कर पाते हैं. कई बार पति के अंग में चोट लगने से भी उत्थान नहीं हो पाता है. इस के अलावा कई बार मन और शरीर दोनों का कामावेग से उत्तेजित होने पर सहवास क्रिया में प्रवृत्त होने पर पति अतिशीघ्र स्खलित हो जाता है.
  • पत्नी के सहयोग का अभाव : यदि पत्नी सहवास के दौरान पति को पूर्णरूप से सहयोग नहीं करती है या फिर अपने सजनेसंवरने अथवा शरीर की साफसफाई का ध्यान नहीं रखती है तो इस से भी पति के मन में सेक्स के प्रति अरुचि पैदा हो जाती है.
  • गैरजरूरी नियम बनाना : कई बार संबंध बनाने के दौरान पत्नी कुछ गैरजरूरी नियम बना लेती है जैसे लाइट औफ न करना, नए तरीके आजमाने के लिए मना करना, जल्दी करो की रट लगाना आदि से भी संबंध बनाने में नाकामी का सामना करना पड़ता है.
  • कभी पहल न करना : परिणय संबंध के लिए पत्नी द्वारा हमेशा पति की ही बाट जोहना, खुद कभी पहल न करना भी पति को अच्छा नहीं लगता है. पति भी चाहता है कि पत्नी भी पहल करे.
  • उत्साह की कमी : सहवास के दौरान पतिपत्नी दोनों को उत्साह के साथ हंसतेबोलते, चुहलबाजी करते हुए सहयोग करना चाहिए. यदि पत्नी ऐसा नहीं करती, तो पति को लगता है कि पत्नी केवल औपचारिकता निभा रही है.
  • और्गेज्म की परवाह न करना : जिस तरह पत्नी चाहती है कि वह सेक्स में पति को पूरी तरह संतुष्ट कर सके, ठीक उसी तरह पति भी चाहता है कि वह पत्नी को पूर्णरूप से संतुष्ट कर सके, मगर यह तभी संभव हो सकता है जब दोनों ही मानसिक व शारीरिक रूप से एकदूसरे से जुड़ कर सेक्स का आनंद लें.
  • इम्युनिटी बढ़ाता है : सेक्स पूरे शरीर को प्रभावित करता है. यह दिलदिमाग के साथसाथ रोगप्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाता है.
  • जकड़न से छुटकारा : यदि पति या पत्नी स्टिफनेस की समस्या से परेशान रहते हों तो सहवास क्रिया उन की मदद करेगी. दरअसल, यह एक ऐसी क्रिया है, जिस से शरीर की सभी मसल्स की एक्सरसाइज हो जाती है, स्टिफनेस जैसी तकलीफ से भी छुटकारा मिलता है. कोलेस्टेराल नियंत्रित रहता है, रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, सर्दीजुकाम की समस्या कम होती है.
  • पेनकिलर है : शरीर के किसी भी हिस्से में दर्द हो तो सेक्स से परहेज न करें, क्योंकि सेक्स करने से दर्द से राहत मिलेगी. यह तनाव भी दूर करता है.
  • खूबसूरती : यदि पतिपत्नी दोनों ही खुल कर सेक्स सुख को अपनाते हैं, तो इस से उन की खूबसूरती ही नहीं बढ़ती, अपितु उम्र भी बढ़ती है.

सेक्स की कमजोरी में टेस्टोस्टेरान का प्रयोग किया जाता है. यानी पुरुष हारमोन से इलाज किया जाता है. यह उन रोगियों के लिए ही उपयोगी सिद्ध होता है, जिन के शरीर में सचमुच कामोत्तेजना की कमी होती है. इस तरह सेक्स की नाकामी को दूर कर के सुखद सेक्स जिंदगी जीना आज की भागमभाग वाली जिंदगी के लिए बेहद महत्त्वपूर्ण है.

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