और खींच इसे बे, अभी मरा नहीं है... इस की स्कूटी फंस गई है. खींच इसे जब तक मर न जाए,’’ अमजद के यह कहते ही सुहैल ने ट्रक को और तेज रफ्तार से आगे बढ़ाया. वह तकरीबन 200 मीटर तक स्कूटी को खींचता हुआ आगे ले गया, फिर उस ने ट्रक को तेज रफ्तार से रुड़की रोड पर आगे बढ़ा दिया. उन्होंने समझ लिया था कि स्कूटी वाला आदमी अब बच नहीं पाएगा.यह कांड रात के 10 बजे के आसपास हरिद्वार में हुआ था. जिस आदमी को सड़क पर ट्रक से घसीटा गया था, वह लहूलुहान हो गया था.

उस की खाल उधड़ सी गई थी. हड्डीपसली टूटफूट गई थीं, पर उस की सांसें अभी भी बाकी थीं.अगर उस आदमी को समय से अस्पताल न ले जाया जाता तो उस की मौत तय थी. भला हो उस आदमी का, जिस ने पुलिस और कानून के डर से ऊपर उस घायल आदमी की जिंदगी की कीमत को ज्यादा समझा. उस ने 2-3 लोगों की मदद से उस घायल आदमी को अपनी कार में डाला और जल्दी से पास के अस्पताल में ले गया.डाक्टर सुमनदीप घायल आदमी की हालत देख कर समझ गए कि अगर लिखतपढ़त में समय गंवाया तो उस आदमी का बचना मुश्किल है.

वे तुरंत उसे आईसीयू में ले गए और दूसरे डाक्टरों और नर्सों की मदद से उस का आपरेशन किया. बड़ी मुश्किल से वे उस की जान बचा पाए.उधर पुलिस ने ट्रक ड्राइवर सुहैल और उस के क्लीनर अमजद को लक्सर कसबे से पकड़ लिया था. वे दोनों पुलिस को चकमा देने के लिए रुड़की के बजाय लक्सर की तरफ चले गए थे, लेकिन पुलिस के आगे उन की एक न चली.

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