सबक: गीता ने सिखाया अपने परिवार को सबक

‘‘देख लेना, मैं एक दिन घर छोड़ कर चली जाऊंगी, तब तुम लोगों को मेरी कीमत पता लगेगी,’’ बड़बड़ाते हुए गीता अपने घर से काम करने के लिए बाहर निकल गई.

गीता की इस चेतावनी का उस के मातापिता और भाईबहन पर कोई असर नहीं पड़ता था, क्योंकि वे जानते थे कि वह अगर घर छोड़ कर जाएगी, तो जाएगी कहां…? आना तो वापस ही पड़ेगा.

आजकल गीता यह ताना अकसर अपने मातापिता को देने लगी थी. वह ऊब गई थी उन का पेट पालतेपालते. आखिर कब तक वह ऐसी बेरस जिंदगी ढोती रहेगी. उस की अपनी भी तो जिंदगी है, जिस की किसी को चिंता ही नहीं है.

गीता के अलावा उस की 2 बहनें और एक भाई भी था. बाप किसी फैक्टरी में मजदूरी करता था, लेकिन अपनी कमाई का सारा पैसा शराब और जुए में उड़ा देता था.

महज 10 साल की उम्र में ही गीता ने अपनी मां लक्ष्मी के साथ घरों में झाड़ूपोंछा और बरतन साफ करने के काम में हाथ बंटाना शुरू कर दियाथा. वह बहुत जल्दी खाना बनाना भी सीख गई थी, क्योंकि उस ने देखा थाकि इस पेशे में अच्छे पैसे मिलते हैं और उस ने घरों में खाना बनाने का काम शुरू कर दिया.

धीरेधीरे गीता ब्यूटीशियन का कोर्स किए बिना ही फेसियल, मेकअप वगैरह सीख कर थोड़ी और आमदनी भी करने लगी.

बचपन से ही गीता बहुत जुझारू थी. लक्ष्मी पढ़ीलिखी नहीं थी, लेकिन वह अपने बच्चों को पढ़ाना चाहती थी, इसलिए वह भी जीतोड़ मेहनत कर के पैसा कमाती थी, जिस से कि उस के बच्चे पढ़ सकें.

लक्ष्मी स्वभाव से बहुत सरल और अपने काम के प्रति समर्पित थी, इसलिए कालोनी में जिस के घर भी वह काम करती थी, वे उसे बहुत पसंद करते थे और जब भी उसे जरूरत पड़ती, उस की पैसे और सामान दे कर मदद करते थे.

समय बीतता गया. गीता ने प्राइवेट से इम्तिहान दे कर बीए की डिगरी हासिल कर ली. हैदराबाद में रहने से वहां के माहौल के चलते उस की अंगरेजी भी बहुत अच्छी हो गई थी.

लोग गीता की तारीफ करते नहीं थकते थे कि पढ़ाई के साथ वह घर का खर्चा भी चलाने में अपनी मां के काम को कमतर समझ कर उस की मदद करने में कभी कोताही नहीं बरतती थी.

इस के उलट गीता की दोनों बहनों ने रैगुलर रह कर पढ़ाई की, लेकिन कभी अपनी मां के काम में हाथ नहीं बंटाया, क्योंकि पढ़ाई के चलते अहंकारवश उन को उस का काम छोटा लगता था, बल्कि वे तो अपने घर का काम भी नहीं करना चाहती थीं. दिनभर पढ़ना या टैलीविजन देखना ही उन की दिनचर्या थी.

गीता उन को कुछ कहती, तो वे उसे उलटा जवाब दे कर उस का मुंह बंद कर देतीं, लक्ष्मी भी उन का पक्ष लेते हुई कहती कि अभी वे छोटी हैं, उन के खेलनेकूदने के दिन हैं.

गीता के भाई राजू ने इंटर के बाद पढ़ाई छोड़ दी. उस का कभी पढ़ाई में मन लगा ही नहीं, लेकिन सपने उस के काफी बड़े थे. दोस्तों के साथ मोटरसाइकिल पर घूमना और देर रात घर लौट कर अपनी बहनों पर रोब गांठना उस की दिनचर्या में शामिल हो गया था.

लक्ष्मी अपने लाड़ले एकलौते बेटे की हर जिद के सामने हार जाती थी, क्योंकि वह घर छोड़ कर चला जाऊंगा की धमकी दे कर अपनी हर बात मनवाना चाहता था.

एक बार राजू मोटरसाइकिल खरीदने की जिद पर अड़ गया, तो लक्ष्मी ने लोगों से उधार ले कर उस की इच्छा पूरी की. किसी ऊंची पोस्ट पर काम करने वाले आदमी, जिन के यहां दोनों मांबेटी काम करती थीं, से कह कर दूसरे शहर में राजू की नौकरी लगवाई कि अपने दोस्तों से दूर रहेगा, तो उस का काम में मन लगेगा. उस के लिए पैसों की जरूरत पड़ी, तो लक्ष्मी ने अपने कान के सोने के बूंदे गिरवी रख कर उस की भरपाई की.

एक दिन अचानक राजू अच्छीखासी नौकरी छोड़ कर गायब हो गया. पूरा परिवार उस की इस हरकत से बहुत परेशान हुआ.

कुछ महीने बाद पता चला कि राजू तो एक लड़की से शादी कर के उस के साथ इसी शहर में रह रहा है. वह लड़की किसी ब्यूटीपार्लर में काम करती थी.

लक्ष्मी और गीता को यह जान कर बड़ी हैरानी हुई कि उन लोगों ने उस का भविष्य बनाने के लिए क्याकुछ नहीं किया और उस ने लड़की के चक्कर में अपने कैरियर की भी परवाह नहीं की.

राजू के इसी शहर में रहने के चलते आएदिन उस की खबर इन लोगों को मिलती रहती थी. लक्ष्मी किसी तरह कोशिश कर के उस की नौकरी लगवाती, वह फिर नौकरी छोड़ कर घर बैठ जाता, जरूरत पड़ने पर वह जबतब लक्ष्मी से पैसे की मांग करता, तो अपने बेटे के प्यार में सबकुछ भूल कर वह उस की मांग पूरी करती.

अब गीता को अपनी मां लक्ष्मी की राजू के प्रति हमदर्दी अखरने लगी. उस का मन बगावत करने लगा कि बचपन से उस ने दोनों बहनों और भाई की जिंदगी बनाने के लिए क्याकुछ नहीं किया, लेकिन लक्ष्मी को उसे छोड़ कर सभी की बहुत चिंता रहती थी. यहां तक कि जब गीता अपने पिता को कुछ कहती, तो लक्ष्मी उसे डांटती कि वे उस के पिता हैं, उस को उन के बारे में ऐसा नहीं बोलना चाहिए.

गीता गुस्से से बोलती, ‘‘कैसे पिता…? क्या बच्चे पैदा करने से ही कोई पिता बन जाता है? जब वे हमें पाल नहीं सकते, तो उन्हें बच्चे पैदा करने का हक ही क्या था…?’’

गीता को अपनी मां लक्ष्मी से बहुत हमदर्दी रहती थी, लेकिन जवान होतेहोते उसे समझ आने लगा था कि वह अपनी हालत के लिए खुद भी जिम्मेदार है.

सुबह की निकली जब गीता रात को 8 बजे घर पहुंचती, तो देखती कि दोनों बहनें टैलीविजन देख रही हैं, मां खाना बना रही हैं, मांजने के लिए बरतनों का ढेर लगा हुआ है, तो उस का मन गुस्से से भर उठता. लेकिन किसी को भी कुछ कहने से फायदा नहीं था और वह मन मसोस कर रह जाती थी.

गीता ने अब बीऐड भी कर लिया था और वह एक स्कूल में काम करने लगी थी, लेकिन उस ने खाली समय में घरों के काम में मां का हाथ बंटाना नहीं छोड़ा था. स्कूल से जो तनख्वाह मिलती थी, वह तो पूरी अपनी मां को दे देती थी, लेकिन घरों से उसे जो आमदनी होती थी, वह अपने पास रख लेती थी.

देखते ही देखते गीता 26 साल की हो गई थी, लेकिन उस की शादी की किसी को चिंता ही नहीं थी. पर उस ने अपने भविष्य के लिए सोचना शुरू कर दिया था और मन ही मन घर छोड़ने का विचार करने लगी. ऐसा कर के वह उन सब को सबक सिखाना चाहती थी.

गीता ने अब बातबात पर कहना शुरू कर दिया था कि वह घर छोड़ कर चली जाएगी, लेकिन वे लोग उस की इस बात को कभी गंभीरता से नहीं लेते थे, क्योंकि उन्हें उम्मीद ही नहीं थी कि वह कभी ऐसा कदम भी उठा सकती है. पर बात यह नहीं थी.

गीता ने मन ही मन स्कूल में बने स्टाफ क्वार्टर में रहने की योजना बनाई और एक दिन वाकई अपने घर छोड़ने की खबर कागज पर लिख कर चुपचाप चली गई.

जैसे ही घर वालों को उस के जाने की खबर मिली, सभी सकते में आ गए. सब से ज्यादा मां लक्ष्मी को झटका लगा, क्योंकि गीता की कमाई के बिना घर चलाना मुश्किल था. मां के हाथपैर फूल गए थे.

एक हफ्ता बीत गया, लेकिन गीता घर नहीं आई. उस को कई बार फोन भी किया, लेकिन गीता ने फोन नहीं उठाया. हार कर लक्ष्मी अपनी बीच वाली बेटी के साथ उस के स्कूल पहुंच गई.

लक्ष्मी के कहने पर गार्ड गीता को बुलाने गया. थोड़ी देर में गीता आ गई. उस को देख कर वे दोनों रोते हुए उस से लिपटने के लिए दौड़ीं, लेकिन गीता ने हाथ से उन्हें रोक लिया.

इस से पहले कि लक्ष्मी कुछ कहती, गीता बोली, ‘‘मुझे पता है, तुम्हें मेरी नहीं, बल्कि मेरे पैसों की जरूरत है. मैं उस घर में तभी कदम रखूंगी, जब वहां मेरे पैसे की नहीं, मेरी कद्र होगी. तुम सभी के मेरे जैसे दो हाथ हैं, इसलिए मेरी तरह तुम सभी मेहनत कर के अपने खर्चे चला सकते हो. तभी तुम्हें पता चलेगा कि पैसा कितनी मेहनत से कमाया जाता है.

‘‘अब मुझ से किसी तरह की उम्मीद मत रखना. अब मैं सिर्फ अपने लिए जीऊंगी. मुझ से कभी दोबारा मिलने की कोशिश भी नहीं करना…’’ और इतना कह कर वह वहां से तुरंत लौट गई.

अपनी बेटी की दोटूक बात सुन कर मां लक्ष्मी हैरान रह गई. वह उस के इस रूप की कल्पना भी नहीं कर सकती थी. उसे याद आया, जब डाक्टर ने लक्ष्मी के लिए ब्रैस्ट कैंसर का शक जाहिर किया था, तब गीता छिपछिप कर कितना रोती थी. उस के साथ डाक्टरों के चक्कर भी लगाने जाती थी और जब शक बेवजह का निकला, तो खुशी के आंसू उस की आंखों से बह निकले थे और आज वह इतनी कठोर कैसे हो गई? लक्ष्मी वहीं थोड़ी देर के लिए सिर पकड़ कर बैठ गई.

लक्ष्मी ने अपने सभी बच्चों को बचपन से ही मेहनत करना सिखाया होता और पैसे की अहमियत बताई होती, तो गीता को न अपना घर छोड़ना पड़ता और न लक्ष्मी के ऊपर मुसीबतों का पहाड़ टूटता.

अपने पति और बेटे के प्रति अंधे प्यार ने उन्हें निकम्मा और नकारा बना दिया था, जिस के चलते उन्होंने कभी जिम्मेदारी निभाने की कोशिश ही नहीं की. उन को मुफ्त के पैसे लेने की आदत पड़ गई थी. वे दोनों इस परिवार पर बोझ बन गए थे.

मां लक्ष्मी को गीता के जाने से अपनी गलती का एहसास हुआ, लेकिन अब पछताए होत क्या जब चिडि़या चुग गई खेत. लक्ष्मी को अब नए सिरे से घर का खर्च चलाना था, उस ने कुछ घरों से उधार लिया, यह कह कर कि हर महीने उस की पगार से काट लें. पहले ही खर्चा चलाना मुश्किल था, उस पर उधार चुकाना उस के लिए किसी बोझ से कम नहीं था.

पति और बेटे से तो उम्मीद लगाना ही बेकार था, लेकिन बीच वाली बेटी ने किसी दुकान में नौकरी कर ली और छोटी बेटी ने अपनी पढ़ाई के साथसाथ मां के साथ घरों के काम में हाथ बंटाना शुरू कर दिया, लेकिन उन को अपने खर्चों में भारी कटौती करनी पड़ी. इस वजह से वे दोनों बहनें चिड़चिड़ी सी रहने लगी थीं.

गीता के स्वभाव और उस को अपने काम के प्रति निष्ठावान देख कर उस के एक सहयोगी ने उस के सामने शादी का प्रस्ताव रखा, तो उस ने हामी भरने में बिलकुल भी देरी नहीं लगाई. शादी के बाद गीता ने घर और स्कूल की जिम्मेदारी बखूबी निभा कर सब का मन मोह लिया और सुखी जिंदगी जीने लगी.

गीता ने जो कदम उठाया, उस से उस की जिंदगी में तो खुशी आई ही, बाकी सब को भी कम से कम सबक तो मिला कि मुफ्त की कमाई ज्यादा दिनों तक हजम नहीं होती. हो सकता है कि भविष्य में लक्ष्मी का परिवार एकजुट हो जाए, जिस से उन्हें गरीबी के दलदल से बाहर निकलने का रास्ता मिल जाए.

ये है नपुंसकता का कारण, ऐसे बढ़ाएं सेक्स क्षमता

आजकल सारी दुनिया में नपुंसकता एक ऐसी समस्या बन गई है जिसके शिकार लोगों की संख्या तेज़ी से बढ़ती जा रही है. झिझक व हिचकिचाहट की वजह से महिलाएं ही नहीं पुरुष भी न तो अपनी यह समस्या किसी से कहते हैं, न ही सही चिकित्सक के पास जाकर इसका इलाज कराते हैं.

”नपुंसकता’ का मुख्य कारण है ‘एजुस्पर्मिया’. ये एक ऐसी स्थिति है जिसमें पुरुष के शरीर में उचित मात्रा में वीर्य नहीं बन पाता है. लेकिन विज्ञान ने इलाज खोज लिया है.

कैसे होता है एजुस्पर्मिया

शोध में ये साबित हुआ है कि पुरुषों में यह समस्या 12 से 20 प्रतिशत तक बढ़ी है. वीर्य कम होने की समस्या के पीछे कई कारण हो सकते हैं-

– फोलीक्यूलर स्टूमुलेटिंग हार्मोन का कम होना

– अनुवांशिक कारण

– कई बार कीमोथेरेपी या रेडियोथेरेपी भी एक कारण है

– गलत जीवनशैली, खानपान में गड़बड़ी, तनाव

इस समस्या की पहचान के लिए सीमन का टेस्ट, ब्लड टेस्ट, ट्रांसरीटल अल्ट्रासाउंड, टीएसएच व एलएच टेस्ट करवाये जाते हैं. इन टेस्टों के नतीजों के मुताबिक़ ही इलाज किया जाता है.

होम्योपैथिक चिकित्सक की मानें तो जिस तरह पोषक तत्वों की कमी को सप्लीमेंट से दूर ‌की जा सकती है वैसे ही होम्योपैथिक में भी इसका इलाज मौजूद है. हालांकि एलोपैथी में भी इसका प्रभावी उपचार मौजूद है लेकिन कई मामले ऐसे भी होते हैं जिसमें इलाज के दौरान साइड इफेक्ट भी बहुत होते हैं.

कैसे बढ़ाए सेक्स क्षमता

यह साबित किया जा चुका है कि प्यार करना उन कुछ चीज़ों में से एक है जिनके बारे में इन्सान सबसे ज्यादा सोचता है. लेकिन व्यस्त दिनचर्या और तगड़े रूटीन के चलते शायद ही आपको अपनी बीवी का हाथ तक पकड़ने का मौका मिलता हो. जिन्हें मिलता भी है, वह दिन भर की थकान और मानसिक तनाव के चलते इस बारे में दिलचस्पी नहीं दिखा पाते.

तो अगर आप भी उन नौजवानों में से हैं जो कुछ ऐसी चीज़ों की तलाश में हैं जो उनके इन मुश्किल से मिलने वाले खूबसूरत लम्हों में रंग भर दे तो परेशान न हों. क्योंकि यह चीजें आपकी किचन में ही हैं.

वैनीला – वैनीला उन कुछ चीज़ों में से एक है जिसकी बस खुशबू ही आपकी प्रेमिका के मूड को खुशगवार बनाने के लिए काफी है. इसकी प्यारी खुशबू आपकी थकान को कम करके आपको रोमेंटिक मूड में लाने में मदद करती है.

सीपी – समुद्र में पाया जाने वाला यह जीव यूं तो एक खूबसूरत मोती को बनाने में मददगार होता है. लेकिन साथ ही काम संबन्धी समस्याओं के बारे में भी यह बहुत उपयोगी है. समुद्री भोजन सीप स्त्री और पुरुष दोनों के लिए ही गज़ब का काम करता है. यह शरीर में जिंक की मात्रा बढ़ाकर शरीर उत्तेजना पैदा करता है.

चॉकलेट – चॉकलेट किसे नहीं पसन्द. तो ऐसे में अगर हम यह कहें कि चॉकलेट आपके लिए वह काम कर सकती है जो आप अक्सर सोचते हैं तो बेशक यह एक अच्छी ख़बर होगी. डार्क चॉकलेट में कुछ ऐसे कैमिकल होते हैं जो न सिर्फ आपके तनाव को कम करते हैं बल्कि आपके एक्साइटमेंट को बढ़ाने का भी काम करते हैं.

अनार – एक अनार सौ बीमार यह कहावत तो आपने सुनी ही होगी. ऑक्सीकारकों से युक्त यह फल शरीर में रक्त संचार को बढ़ा कर आपके जननांगों में संवेदनाओं की तरंगों को बढ़ा देता है. इससे आपके शरीर में प्रेम की उमंग कई गुना बढ़ जाती है.

सुन्नी तुन्निसा: क्या थी चबूतरे की कहानी

घूमतेघूमते मैं लालकिले में शाहजहां के संगमरमर वाले बरामदे के नीचे पहुंचा. उस बरामदे के नीचे एक टूटाफूटा चबूतरा था, जिस की इंटें बिखरी हुई थीं. उस चबूतरे को देख कर मैं ने गाइड से उस के बारे में कुछ जानना चाहा.

पर गाइड के यह कहने पर कि चबूतरे की ऐतिहासिक अहमियत नहीं है, मैं चुपचाप आगे बढ़ गया. मुझे लगा कि शायद गाइड को ही इस की जानकारी न हो.

जब मैं लालकिले से निकलने लगा तो एक बूढे ने तपाक से सलाम किया.

मैं ने पूछा, ‘‘तुम कौन हो? क्या चाहिए?’’

वह बोला, ‘‘आप उस चबूतरे के बारे में पूछ रहे थे न? मैं आप को उस के बारे में बताऊंगा. चाहो तो रात को सामने पीपल के पेड़ के नीचे आ जाना,’’ यह कह कर वह चला गया.

खापी कर जब मैं होटल पहुंचा, तो रात के 10 बज चुके थे. सर्दी की रात थी. सोने की कोशिश की तो सो न पाया. रहरह कर उस बूढ़े की बात याद आ रही थी. आखिरकार मैं ने ओवरकोट पहना और उसी पीपल के नीचे जा पहुंचा.

लंबेलंबे उलझे सूखे केश, महीनों बढ़ी हुई लंबी दाढ़ी, मैलाकुचैला बदबूदार लबादा पहने वह बूढ़ा वहां खड़ा था मानो वह मेरा इंतजार कर रहा हो.

‘‘हां, भटकती आत्मा…’’ उस ने कहा, ‘‘पर, तुम डरो नहीं.’’

‘‘चलो, मैं तुम्हारे दिल की ख्वाहिश शांत कर दूं,’’ बूढ़ा बोला. उस ने मुझे पूरी कहानी सुनाई, जो न जाने सच थी या झूठ, पर रोचक जरूर थी:

लालकिले में शाहजहां के संगमरमर वाले झरोखे के सामने वाले फाटक के बाहर टूटाफूटा चबूतरा राजा ने एक खोजा के लिए ही बनवाया था. 1-2 या 4 साल नहीं, इसी चबूतरे पर सिर पटकपटक कर आंसुओं का दरिया बहाते हुए खोजे ने उस पर पूरे 12 साल बिताए थे.

ताजमहल की बगल की कोठी में संगमरमर के कमरे में एक लंबी कब्र है. उस में दफन औरत की आंसुओं में लिपटी दयाभरी कहानी पर कोई गौर नहीं करता.

वह कब्र शाहजहां की बड़ी मलिका सुन्नी तुन्निसा की है. वह शाहजहां की पहली बीवी थी. ताजमहल शाहजहां और मुमताज की मुहब्बत की जीतीजागती यादगार है. पर दरअसल मुगल बादशाहों को मुहब्बत से कुछ लेनादेना नहीं था. मुहब्बत का एहसास कराने वाला उन के पास दिल ही नहीं था.

दरअसल, ये मुगल बादशाह बहुत ही विलासी, ऐयाश और रसिया होते थे. चित्तौड़गढ़, उदयपुर, ग्वालियर में हिंदू महलों में तो जनानी ड्योढ़ी हुआ करती थी, पर मुगल महलों में बेगमों के लिए महल तो क्या, सुंदर कमरे भी नहीं होते थे.

बात यह थी कि मुगल सम्राट औरत जात को इज्जत की नजर से नहीं देखते थे. जिस छत के नीचे राजा सोता था, उस छत के नीचे कोई औरत नहीं सो सकती थी. उन के लिए औरत सिर्फ जिस्मानी रिश्ता कायम करने की चीज थी.

बहुत से लोग अपना दिल बहलाने के लिए पिंजरे में रंगबिरंगी चिडि़या पालते हैं, ठीक उसी तरह ये मुगल राजा अपने जिस्म की आग बुझाने के लिए 50-50 के झुंड में आरामदेह खेमे लगाते थे. सभी हसीन बेगमें इन्हीं खेमों में रहती थीं. इन खेमों की हिजड़े यानी खोजे पहरेदारी करते थे.

शाहजहां जिस बेगम के साथ रात गुजारना चाहते, उस खेमे की बेगम के पास एक पान का बीड़ा पहुंचा देते. बीड़ा पहुंचने के बाद लौंडियां बेगम के सिंगार में जुट जातीं. हर खेमे पर इस के लिए अलग लौंडिया हुआ करती थीं. गुसल कराने वाली लौंडी बेगम को हमाम में ले जाती. लालकिले में ऊंचीऊंची दीवारों से घिरा जनाना गुसलखाना था, जिस में एक बहुत बड़ा हौज था. हमाम हमेशा पानी से लबालब भरा रहता.

नहलाने वाली लौंडी बेगम के बदन से एकएक कर पूरे कपड़े उतार देती. फिर केसर, इत्र और बादाम की पीठी के उबटन से संगमरमर से तराशे बेगम के जिस्म को कुंदन सा दमका देती. दूसरी लौंडी उन के बदन को पोंछती. फिर लौंडियां काजल वगैरह लगातीं. बेगम का सिंगार करतीं और गहने पहना कर कीमती कपड़े पहनातीं.

पूर्णिमा की एक रात थी. आकाश में चांद अपने पूरे शबाब पर था. उस की दुधिया चांदनी जमीन पर दूरदूर तक छिटक रही थी. रात के 9 बज चुके थे. बेगमें भोजन कर चुकी थीं.

ऐसे सुहाने मौसम में मलिका सुन्नी तुन्निसा की आंखों में नींद नहीं थी. उस का मन किसी से गपशप करने को चाह रहा था, इसलिए वे पड़ोस की बेगम के खेमे में चली गईं.

10 बजे रखवाले खोजों की बदली होती थी. उस दिन मलिका सुन्नी तुन्निसा के खेमे पर रातभर पहरा देने की जुन्ना की बारी थी. पहले वाले खोजे से जुन्ना का सलाम हुआ, पर वह जल्दीजल्दी में यह बताना भूल गया कि बेगम पड़ोस के खेमे में गई हुई हैं.

जुन्ना गश्त लगाने के दौरान यह देख कर हैरान था कि बेगम खेमे में नहीं हैं.

बेगम के सोने के कमरे का क्या कहना, ठोस सोने के पायों वाला शीशे का पलंग था. पलंग पर मुलायम बिस्तर. बिस्तर पर बगुले के पंख की तरह

सफेद चादर बिछी हुई थी, जिस के सिरहाने कश्मीरी कसीदे वाले तकिए लगे हुए थे और पैरों की तरफ कश्मीरी लिहाफ रखा था.

ऐसा बिस्तर देख कर जुन्ना का मन उस का जायजा लेने के लिए मचल उठा. वह अपने मन को किसी तरह नहीं रोक पाया. दीवार की ओर पीठ कर उस ने गुदगुदे बिस्तर पर लेट कर गले तक लिहाफ खींच लिया.

अभी वह लिहाफ की गरमाहट का मजा ले ही रहा था कि पलकें भारी हो गईं और जब नींद खुली तो सवेरा हो चुका था. सुबह जब उस ने अपने को बेगम के बिस्तर पर पाया, तो हाथपैर ठंडे हो गए. बदन का जैसे पूरा खून ही जम गया. बदहवास सा वह खेमे से बाहर आया तो देख कर हैरान रह गया कि वहां तो माजरा ही बिलकुल दूसरा था. चारों ओर मौत का मातम छाया हुआ था. सभी चुप और गमगीन थे.

जुन्ना की समझ में कुछ भी नहीं आ रहा था. आखिरकार एक पहरेदार से पूछा और उस ने जो बताया, उस से सिर पर जैसे बिजली गिर पड़ी. वह पहरेदार कह रहा था कि रात को मलिका सुन्नी तुन्निसा को फांसी पर चढ़ा दिया गया.

‘‘फांसी पर चढ़ा दिया?’’ जुन्ना बदहवास सा बोला, ‘‘मलिका का कुसूर?’’

‘‘कुसूर. कुसूर था यार से प्यार,’’ वह पहरेदार बोला, ‘‘रात को बादशाह सलामत ने अपनी आंखों से जो मंजर देखा, वैसा नजारा तो कोई दुश्मन भी न देखे, तोबा… तोबा…’’

‘‘पर, आखिर बादशाह सलामत ने ऐसा क्या देखा?’’ जुन्ना पागलों की तरह बोला.

‘‘अपनी बीवी को अपने यार की बगल में देखा… कुछ समझा?’’ पहरेदार बोला.

‘‘रात को घूमतेघूमते हजूरेआला अचानक मलिका के खेमे में पहुंचे. खेमे के अंदर पैर बढ़ाया तो बस सिर पर बिजली गिर पड़ी. काटो तो बदन में खून ही नहीं. गले तक लिहाफ ओढ़े एक मर्द मलिका के बिस्तर पर उन के साथ सो रहा था.

‘‘बड़ी होने के नाते जिस मलिका की वे इतनी इज्जत करते थे, वह इतनी बदचलन, आवारा और बेहया भी हो सकती है… उफ, औरत जात तेरा कोई भरोसा नहीं. गुस्से के मारे बादशाह का चेहरा अंगारे की तरह लाल हो गया. खेमे से दौड़ पड़े और बाहर जाते ही हुक्म दिया कि मलिका को फौरन फांसी पर चढ़ा दिया जाए.

‘‘कहने भर की देर थी कि जल्लाद दौड़ पड़े और उस के पहले कि

मलिका उफ भी करती उसे फांसी पर चढ़ा दिया गया.’’

पलक मारते ही जुन्ना सबकुछ समझ गया. उसे ऐसा लगा, जैसे किसी ने एक झटके से उस की गरदन उड़ा दी हो और उस की लाश फर्श पर छटपटा रही हो. हवा के हर झोंके में मलिका की सिसकती आह उस के कानों से बारबार टकरा रही थी.

जुन्ना पागलों की तरह चीख उठा, ‘‘नहींनहीं, मलिका तो बेगुनाह थीं, गुनाह तो मैं ने किया है. मैं ही असली गुनाहगार हूं. मेरी गरदन उड़ा दो. मुझे इसी वक्त सूली पर चढ़ा दो. मुझे इसी वक्त सूली पर चढ़ा दो… हाय… हाय…’’ और वह दहाड़े मारमार कर रोने लगा.

पहरेदारों ने यह नया हादसा देखा तो फौरन उसे घसीट कर बादशाह के सामने पेश किया.

बादशाह बेगम के गम में उदास और गमगीन थे. उन्होंने कड़क कर पूछा, ‘‘यह कौन बदजात है, जो इस तरह चीख रहा है?’’

पहरेदारों में से एक ने अर्ज किया, ‘‘जहांपनाह, यह खेमे पर गश्त लगाने वाला खोजा है. रात मलिका के खेमे पर यही पहरा लगा रहा था. आलमपनाह, यह पागल हो गया है और कहता है कि मलिका बेगुनाह थीं और अपनेआप को गुनाहगार बता रहा है.’’

बादशाह जैसे आसमान से धरती पर गिर पड़े. डपट कर पूछा, ‘‘क्या बक रहा है?’’

‘‘आलमपनाह, मलिका तो बेगुनाह थीं…’’ वह रोतेरोते बोला, ‘‘कुसूर तो इस गुलाम का है, मलिका तो रात को खेमे में थीं ही नहीं. उन का गुदगुदा बिस्तर देख कर गुलाम का जी मचल उठा और दीवार की ओर मुंह कर के लेट गया. अभी लेटा ही था कि आंख लग गई. असली गुनाहगार तो यह गुलाम है,’’ वह चीखने लगा, ‘‘मेरी खाल खिंचवाओ, सूली पर चढ़ाओ, कुत्तों से मेरी बोटियां नुचवाओ या शेर के पिंजरे में ही छुड़वा दो.’’

बादशाह के आदेश से फौरन जल्लाद बुलाए गए. उन्होंने तसदीक की कि बेगम को पड़ोस के खेमे से लाया जाए, जहां वे बातें करने में मशगूल थीं.

अब बादशाह ने जाना कि कितना बड़ा जुर्म हो गया है. वह निढाल हो कर मसनद पर लुढ़क गए.

सब ने समझा कि अब जुन्ना की गरदन उड़ा दी जाएगी, पर संभलने पर बादशाह ने कहा, ‘‘मलिका की लाश को जमुना से निकाल कर शाही रीतिरिवाजों के साथ दफनाया जाए. इस बदजात को इसी समय हमारी नजरों से दूर करो.’’

पहरेदारों ने घसीट कर जुन्ना को फाटक के बाहर धकेल दिया. वह उस जगह पर बैठ गया जहां लाश फांसीघर से निकाल कर नदी में जाती थी. वहीं पड़ापड़ा बेगम के नाम रोताचीखता रहा.

सामने ही बादशाह संगमरमर के झरोखे से जुन्ना को देखते तो उन के जख्म हरे हो जाते और आंखों से पछतावे के आंसू बहने लगते. कई बार घसीट कर वहां से हटाया गया, पर वह फिर उसी जगह पर बैठ जाता. सिर पटकपटक बेगम का नाम लेते हुए मातम मनाता.

आखिर में बादशाह ने उस के लिए वहीं एक पक्का चबूतरा बनवा दिया. बादशाह के हुक्म से शाही बावर्ची उस के लिए वहीं खाना रख जाता, जिसे वह कभी खाता और कभी इधरउधर फेंक देता.

जुन्ना पूरे 12 साल तक इस चबूतरे पर सिर पटकपटक कर खुद रोता रहा, और बादशाह को भी रुलाता रहा. फिर एक दिन उसी चबूतरे पर ही उस ने दम तोड़ दिया.

कहानी सुनाने के बाद वह बूढ़ा बोला, ‘‘यह वही चबूतरा है, जिस के बारे में तुम पूछ रहे थे.’’

सचमुच मेरी आंखों से आंसू टपक रहे थे. अचानक ही मुंह से निकला, ‘‘बेचारी सुन्नी तुन्निसा.’’

तेरी देहरी : जब अनुभा ने पार की हद

क्लासरूम से बाहर निकलते ही अनुभा ने अनुभव से कहा, ‘‘अरे अनुभव, कैमिस्ट्री मेरी समझ में नहीं आ रही है. क्या तुम मेरे कमरे पर आ कर मुझे समझा सकते हो?’’

‘‘हां, लेकिन छुट्टी के दिन ही आ पाऊंगा.’’

‘‘ठीक है. तुम मेरा मोबाइल नंबर ले लो और अपना नंबर दे दो. मैं इस रविवार को तुम्हारा इंतजार करूंगी. मेरा कमरा नीलम टौकीज के पास ही है. वहां पहुंच कर मुझे फोन कर देना. मैं तुम्हें ले लूंगी.’’

रविवार को अनुभव अनुभा के घर में पहुंचा. अनुभा ने बताया कि उस के साथ एक लड़की और रहती है. वह कंप्यूटर का कोर्स कर रही है. अभी वह अपने गांव गई है.

अनुभव ने अनुभा से कहा कि वह कैमिस्ट्री की किताब निकाले और जो समझ में न आया है वह पूछ ले. अनुभा ने किताब निकाली और बहुत देर तक दोनों सूत्र हल करते रहे.

अचानक अनुभा उठी औैर बोली, ‘‘मैं चाय बना कर लाती हूं.’’

अनुभव मना करना चाह रहा था लेकिन तब तक वह किचन में पहुंच गई थी. थोड़ी देर में वह एक बडे़ से मग में चाय ले कर आ गई. अनुभव ने मग लेने के लिए हाथ बढ़ाया, तभी मग की चाय उस की शर्टपैंट पर गिर गई.

‘‘सौरी अनुभव, गलती मेरी थी. मैं दूसरी चाय बना कर लाती हूं. तुम्हारी शर्टपैंट दोनों खराब हो गई हैं. ऐसा करो, कुछ देर के लिए तौलिया लपेट लो. मैं इन्हें धो कर लाती हूं. पंखे की हवा में जल्दी सूख जाएंगे. तब मैं प्रैस कर दूंगी.’’

अनुभव न… न… करता रहा, लेकिन अनुभा उस की ओर तौलिया उछाल कर भीतर चली गई.

अनुभव ने शर्टपैंट उतार कर तौलिया लपेट लिया. तब तक अनुभा दूसरे मग में चाय ले कर आ गई थी. वह शर्टपैंट ले कर धोने चली गई. अनुभव ने चाय खत्म की ही थी कि अनुभा कपड़े फैला कर वापस आ गई. उस ने ढीलाढाला गाउन पहन रखा था. अनुभव ने सोचा शायद कपड़े धोने के लिए उस ने ड्रैस बदली हो.

अचानक अनुभा असहज महसूस करने लगी मानो गाउन के भीतर कोई कीड़ा घुस गया हो. अनुभा ने तुरंत अपना गाउन उतार फेंका और उसे उलटपलट कर देखने लगी.

अनुभव ने देखा कि अनुभा गाउन के भीतर ब्रा और पैंटी में थी. वह जोश और संकोच से भर उठा. एकाएक हाथ बढ़ा कर अनुभा ने उस का तौलिया खींच लिया.

अनुभव अंडरवियर में सामने खड़ा था. अनुभा उस से लिपट गई. अनुभव भी अपनेआप को संभाल नहीं सका. दोनों वासना के दलदल में रपट गए.

अगले रविवार को अनुभा ने फोन कर अनुभव को आने का न्योता दिया. अनुभव ने आने में आनाकानी की, पर अनुभा के यह कहने पर कि पिछले रविवार की कहानी वह सब को बता देगी, वह आने को तैयार हो गया. अनुभव के आते ही अनुभा उसे पकड़ कर चूमने लगी और गाउन की चेन खींच कर तकरीबन बिना कपड़ों के बाहर आ गई. अनुभव भी जोश में था. पिछली बार की कहानी एक बार फिर दोहराई गई. जब ज्वार शांत हो गया, अनुभा उसे ले कर गोद में बैठ गई और उस के नाजुक अंगों से खेलने लगी.

अनुभा ने पहले से रखा हुआ दूध का गिलास उसे पीने को दिया. अनुभव ने एक ही घूंट में गिलास खाली कर दिया.अभी वे बातें कर ही रहे थे कि भीतर के कमरे से उस की सहेली रमा निकल कर बाहर आ गई.

रमा को देख कर अनुभव चौंक उठा. अनुभा ने कहा कि घबराने की कोई बात नहीं है. वह उस की सहेली है और उसी के साथ रहती है. रमा दोनों के बीच आ कर बैठ गई. अचानक अनुभा उठ कर भीतर चली गई. रमा ने अनुभव को बांहों में भींच लिया. न चाहते हुए भी अनुभव को रमा के साथ वही सब करना पड़ा. जब अनुभव घर जाने के लिए उठा तो बहुत कमजोरी महसूस कर रहा था. दोनों ने चुंबन ले कर उसे विदा किया.

इस के बाद से अनुभव उन से मिलने में कतराने लगा. उन के फोन आते ही वह काट देता. एक दिन अनुभा ने स्कूल में उसे मोबाइल फोन पर उतारी वीडियो क्लिपिंग दिखाई और कहा कि अगर वह आने से इनकार करेगा तो वह इसे सब को दिखा देगी.

अनुभव डर गया और गाहेबगाहे उन के कमरे पर जाने लगा. एक दिन अनुभव के दोस्त सुरेश ने उस से कहा कि वह थकाथका सा क्यों लगता है? इम्तिहान में भी उसे कम नंबर मिले थे. अनुभव रोने लगा. उस ने सुरेश को सारी बात बता दी.

सुरेश के पिता पुलिस इंस्पैक्टर थे. सुरेश ने अनुभव को अपने पिता से मिलवाया. सारी बात सुनने के बाद वे बोले, ‘‘तुम्हारी उम्र कितनी है?’’

‘‘18 साल.’’

‘‘और उन की?’’

‘‘इसी के लगभग.’’

‘‘क्या तुम उन का मोबाइल फोन उठा कर ला सकते हो?’’

‘‘मुझे फिर वहां जाना होगा?’’

‘‘हां, एक बार.’’

अब की बार जब अनुभा का फोन आया तो अनुभव काफी नानुकर के बाद हूबहू उसी के जैसा मोबाइल ले कर उन के कमरे में पहुंचा. 2 घंटे समय बिताने के बाद जब वह लौटा तो उस के पास अनुभा का मोबाइल फोन था.

मोबाइल क्लिपिंग देख कर इंस्पैक्टर चकित रह गए. यह उन की जिंदगी में अजीब तरह का केस था. उन्होंने अनुभव से एक शिकायत लिखवा कर दोनों लड़कियों को थाने बुला लिया.

पूछताछ के दौरान लड़कियां बिफर गईं और उलटे पुलिस पर चरित्र हनन का इलजाम लगाने लगीं. उन्होंने कहा कि अनुभव सहपाठी के नाते आया जरूर था, पर उस के साथ ऐसीवैसी कोई गंदी हरकत नहीं की गई. अब इंस्पैक्टर ने मोबाइल क्लिपिंग दिखाई. दोनों के सिर शर्म से झुक गए. इंस्पैक्टर ने कहा कि वे उन के मातापिता और प्रिंसिपल को उन की इस हरकत के बारे में बताएंगे.

लड़कियां इंस्पैक्टर के पैर पकड़ कर रोने लगीं. इंस्पैक्टर ने कहा कि इस जुर्म में उन्हें सजा हो सकती है. समाज में बदनामी होगी और स्कूल से निकाली जाएंगी सो अलग. उन के द्वारा बारबार माफी मांगने के बाद इंस्पैक्टर ने अनुभव की शिकायत पर लिखवा लिया कि वे आगे से ऐसी कोई हरकत नहीं करेंगी.

अनुभव ने वह स्कूल छोड़ कर दूसरे स्कूल में दाखिला ले लिया. साथ ही उस ने अपने मोबाइल की सिम बदल दी. इस घटना को 7 साल गुजर गए.

अनुभव पढ़लिख कर कंप्यूटर इंजीनियर बन गया. इसी बीच उस के पिता नहीं रहे. मां की जिद थी कि वह शादी कर ले.अनुभव ने मां से कहा कि वे अपनी पसंद की जिस लड़की को चुनेंगी, वह उसी से शादी कर लेगा.

अनुभव को अपनी कंपनी से बहुत कम छुट्टी मिलती थी. ऐन फेरों के दिन वह घर आ पाया. शादी खूब धूमधाम से हो गई.

सुहागरात के दिन अनुभव ने जैसे ही दुलहन का घूंघट उठाया, वह चौंक पड़ा. पलंग पर लाजवंती सी घुटनों में सिर दबाए अनुभा बैठी थी.

‘‘तुम…?’’ अनुभव ने चौंकते हुए कहा.

‘‘हां, मैं. अपनी गलती का प्रायश्चित्त करने के लिए अब जिंदगीभर के लिए फिर तुम्हारी देहरी पर मैं आ गई हूं. हो सके तो मुझे माफ कर देना,’’ इतना कह कर अनुभा ने अनुभव को गले लगा लिया.

अंधविश्वास से आत्मविश्वास तक: क्या भरम से निकल पाया नरेन

“देवी, स्वामीजी को गरमागरम फुल्का चाहिए,” स्वामीजी के साथ आए चेले ने कहा.

रोटी सेंकती रवीना का दिल किया, चिमटा उठा कर स्वामीजी के चेले के सिर पर दे मारे. जिस की निगाहें वह कई बार अपने बदन पर फिसलते महसूस कर जाती थी.

“ला रही हूं….” न चाहते हुए भी उस की आवाज में तल्खी घुल गई.

तवे की रोटी पलट, गरम रोटी की प्लेट ले कर वह सीढ़ी चढ़ कर ऊपर चली गई.

आखिरी सीढ़ी पर खड़ी हो उस ने एकाएक पीछे मुड़ कर देखा तो स्वामीजी का चेला मुग्ध भाव से उसे ही देख रहा था. लेकिन जब अपना ही सिक्का खोटा हो, तो कोई क्या करे.

वह अंदर स्वामीजी के कमरे में चली गई.

स्वामीजी ने खाना खत्म कर दिया था और तृप्त भाव से बैठे थे. उसे देख कर वे भी लगभग उसी मुग्ध भाव से मुसकराए, “मेरा भोजन तो खत्म हो गया देवी… फुल्का लाने में तनिक देर हो गई… अब नहीं खाया जाएगा…”

‘उफ्फ… सत्तर नौकर लगे हैं न यहां… स्वामीजी के तेवर तो देखो,‘ फिर भी वह उन के सामने बोली, “एक फुल्का और ले लीजिए, स्वामीजी…”

“नहीं देवी, बस… तनिक हाथ धुलवा दें…” रवीना ने वाशरूम की तरफ नजर दौड़ाई.

वाशबेसिन के इस जमाने में भी जब हाथ धुलाने के लिए कोई कोमलांगी उपलब्ध हो तो ‘कोई वो क्यों चाहे… ये न चाहे‘ रवीना ने बिना कुछ कहे पानी का लोटा उठा लिया, “कहां हाथ धोएंगे स्वामीजी…”

“यहीं, थाली में ही धुलवा दें…” स्वामीजी ने वहीं थाली में हाथ धोया और कुल्ला भी कर दिया.

यह देख रवीना का दिल अंदर तक कसमसा गया. पर किसी तरह छलकती
थाली उठा कर वह नीचे ले आई.

स्वामीजी के चेले को वहीं डाइनिंग टेबल पर खाना दे कर उस ने बेडरूम में घुस कर दरवाजा बंद कर दिया. अब कोई बुलाएगा भी तो वह जाएगी नहीं, जब तक बच्चे स्कूल से आ नहीं जाते.

40 वर्षीया रवीना खूबसूरत, शिक्षित, स्मार्ट, उच्च पदस्थ अधिकारी की पत्नी,
अंधविश्वास से कोसों दूर, आधुनिक विचारों से लवरेज महिला थी, पर पति नरेन का क्या करे, जो उच्च शिक्षित व उच्च पद पर तो था, पर घर से मिले संस्कारों की वजह से घोर अंधविश्वासी था. इस वजह से रवीना व नरेन में जबतब ठन जाती थी.

इस बार नरेन जब कल टूर से लौटा तो स्वामीजी और उन का चेला भी साथ थे. उन्हें देख कर वह मन ही मन तनावग्रस्त गई. समझ गई, अब यह 1-2 दिन का किस्सा नहीं है.

कुछ दिन तक तो उसे इन तथाकथित स्वामीजी की बेतुकी बातें, बेहूदी निगाहें व उपस्थिति झेलनी ही पड़ेगी.

स्वामीजी को सोफे पर बैठा कर नरेन जब कमरे में कपड़े बदलने गया तो वह पीछेपीछे चली आई.

“नरेन, कौन हैं ये दोनों… कहां से पकड़ लाए हो इन को?”

“तमीज से बात करो रवीना… ऐसे महान लोगों का अपमान करना तुम्हें शोभा नहीं देता…

“लौटते हुए स्वामीजी के आश्रम में चला गया था… स्वामीजी की सेहत कुछ ठीक नहीं चल रही है… इसलिए पहाड़ी स्थान पर हवा बदलने के लिए आ गए… उन की सेवा में कोई
कोताही नहीं होनी चाहिए…”

यह सुन कर रवीना पसीनापसीना हो गई, “कुछ दिन का क्या मतलब है… तुम औफिस चले जाओगे और बच्चे स्कूल… और मैं इन दो मुस्टंडों के साथ घर पर अकेली रहूंगी… मुझे
डर लगता है ऐसे बाबाओं से… इन के रहने का बंदोबस्त कहीं घर से बाहर करो…” रवीना गुस्से में बोली.

“वे यहीं रहेंगे घर पर…” नरेन रवीना के गुस्से को दरकिनार कर तैश में बोला, “औरतों की तो आदत ही होती है हर बात पर शिकायत करने की… मुझ में दूसरा कोई व्यसन नहीं… लेकिन, तुम्हें मेरी ये सात्विक आदतें भी बरदाश्त नहीं होतीं… आखिर यह मेरा भी घर है…”

“घर तो मेरा भी है…” रवीना तल्खी से बोली, “जब मैं तुम से बिना पूछे कुछ नहीं करती… तो तुम क्यों करते हो…?”

“ऐसा क्या कर दिया मैं ने…” नरेन का क्रोधित स्वर ऊंचा होने लगा, “हर बात पर तुम्हारी टोकाटाकी मुझे पसंद नहीं… जा कर स्वामीजी के लिए खानपान व स्वागतसत्कार का इंतजाम करो,” कह कर नरेन बातचीत पर पूर्णविराम लगा बाहर निकल गया. रवीना के सामने कोई चारा नहीं था, वह भी किचन में चली गई.

नरेन का दिमाग अनेकों अंधविश्वासों व विषमताओं से भरा था. वह अकसर ही ऐसे लोगों के संपर्क में रहता और उन के बताए टोटके घर में आजमाता रहता, साथ ही घर में सब को ऐसा करने के लिए मजबूर करता.

यह देख रवीना परेशान हो जाती. उसे अपने बच्चे इन सब बातों से दूर रखने मुश्किल हो रहे थे.

घर का नजारा तब और भी दर्शनीय हो जाता, जब उस की सास उन के साथ रहने
आती. सासू मां सुबह पूजा करते समय टीवी पर आरती लगवा देतीं और अपनी पूजा खत्म कर, टीवी पर रोज टीका लगा कर अक्षत चिपका कर, टीवी के सामने जमीन पर लंबा लेट कर शीश नवातीं.

कई बार तो रोकतेरोकते भी रवीना की हंसी छूट जाती. ऐसे वक्तबेवक्त के आडंबर उसे उकता देते थे और जब माताजी मीलों दूर अमेरिका में बैठी अपनी बेटी की मुश्किल से पैदा हुई संतान की नजर यहां भारत में वीडियो काल करते समय उतारती तो उस के लिए पचाना मुश्किल हो जाता.

नरेन को शहर से कहीं बाहर जाना होता तो मंगलवार व शनिवार के दिन बिलकुल नहीं जाना चाहता. उस का कहना था कि ये दोनों दिन शुभ नहीं होते. बिल्ली का
रास्ता काटना, चलते समय किसी का छींकना तो नरेन का मूड ही खराब देता.

घर गंदा देख कर शाम को यदि वह गलती से झाड़ू हाथ में उठा लेती तो नरेन
जमीनआसमान एक कर देता है, ‘कब अक्ल आएगी तुम्हें… शाम को व रात को घर में झाड़ू नहीं लगाया जाता… अशुभ होता है..‘ वह सिर पीट लेती, “ऐसा करो नरेन…एक दिन
बैठ कर शुभअशुभ की लिस्ट बना दो..”

शादी के बाद जब उस ने नरेन को सुबहशाम एक एक घंटे की लंबी पूजा करते देखा तो वह हैरान रह गई. इतनी कम उम्र से ही नरेन इतना अधिक धर्मभीरू कैसे और क्यों हो गया.

पर, जब नरेन ने स्वामी व बाबाओं के चक्कर में आना शुरू कर दिया, तो वह
सतर्क हो गई. उस ने सारे साम, दाम, दंड, भेद अपनाए, नरेन को बाबाओं के चंगुल से बाहर निकालने के लिए, पर सफल न हो पाई और इन स्वामी सदानंद के चक्कर में तो वह नरेन को पिछले कुछ सालों से पूरी तरह से उलझते देख रही थी.

अभी तक तो नरेन स्वयं जा कर स्वामीजी के निवास पर ही मिल आता था, पर उसे नहीं मालूम था कि इस बार नरेन इन को सीधे घर ही ले आएगा.

वह लेटी हुई मन ही मन स्वामीजी को जल्दी से जल्दी घर से भगाने की योजना बना रही थी कि तभी डोरबेल बज उठी. ‘लगता है बच्चे आ गए‘ उस ने चैन की सांस ली. उस से घर में सहज नहीं रहा
जा रहा था. उस ने उठ कर दरवाजा खोला. दोनों बच्चे शोर मचाते घर में घुस गए. थोड़ी देर के लिए वह सबकुछ भूल गई.

शाम को नरेन औफिस से लगभग 7 बजे घर आया. वह चाय बनाने किचन में चली गई, तभी नरेन भी किचन में आ गया और पूछने लगा, “स्वामीजी को चाय दे दी थी…?”

“किसी ने कहा ही नहीं चाय बनाने के लिए… फिर स्वामी लोग चाय भी पीते हैं क्या..?” वह व्यंग्य से बोली.

“पूछ तो लेती… ना कहते तो कुछ अनार, मौसमी वगैरह का जूस निकाल कर दे
देती…”

रवीना का दिल किया फट जाए, पर खुद पर काबू रख वह बोली, “मैं ऊपर जा कर कुछ नहीं पूछूंगी नरेन… नीचे आ कर कोई बता देगा तो ठीक है.”

नरेन बिना जवाब दिए भन्नाता हुआ ऊपर चला गया और 5 मिनट में नीचे आ गया, “कुछ फलाहार का प्रबंध कर दो.”

“फलाहार…? घर में तो सिर्फ एक सेब है और 2 ही संतरे हैं… वही ले जाओ…”

“तुम भी न रवीना… पता है, स्वामीजी घर में हैं… सुबह से ला नहीं सकती थी..?”

“तो क्या… तुम्हारे स्वामीजी को ताले में बंद कर के चली जाती… तुम्हारे स्वामीजी हैं,
तुम्हीं जानो… फल लाओ, जल लाओ… चाहते हो उन को खाना मिल जाए तो मुझे मत भड़काओ…”

नरेन प्लेट में छुरी व सेब, संतरा रख उसे घूरता हुआ चला गया.

“अपनी चाय तो लेते जाओ…” रवीना पीछे से आवाज देती रह गई. उस ने बेटे के हाथ चाय ऊपर भेज दी और रात के खाने की तैयारी में जुट गई. थोड़ी देर में नरेन नीचे उतरा.

“रवीना खाना लगा दो… स्वामीजी का भी… और तुम व बच्चे भी खा लो…” वह
प्रसन्नचित्त मुद्रा में बोला, “खाने के बाद स्वामीजी के मधुर वचन सुनने को मिलेंगे… तुम ने कभी उन के प्रवचन नहीं सुने हैं न… इसलिए तुम्हें श्रद्धा नहीं है… आज सुनो और देखो… तुम खुद समझ जाओगी कि स्वामीजी कितने ज्ञानी, ध्यानी व पहुंचे हुए हैं…”

“हां, पहुंचे हुए तो लगते हैं…” रवीना होंठों ही होंठों में बुदबुदाई. उस ने थालियों में खाना लगाया. नरेन दोनों का खाना ऊपर ले गया. इतनी देर में रवीना ने बच्चों को फटाफट खाना खिला कर सुला दिया और उन के कमरे की लाइट भी बंद कर दी.

स्वामीजी का खाना खत्म हुआ, तो नरेन उन की छलकती थाली नीचे ले आया. रवीना ने अपना व
नरेन का खाना भी लगा दिया. खाना खा कर नरेन स्वामीजी को देखने ऊपर चला गया. इतनी देर में रवीना किचन को जल्दीजल्दी समेट कर चादर मुंह तक तान कर सो गई. थोड़ी देर में नरेन उसे बुलाने आ गया.

“रवीना, चलो तुम्हें व बच्चों को स्वामीजी बुला रहे हैं…” पहले तो रवीना ने सुनाअनसुना कर दिया. लेकिन जब नरेन ने झिंझोड़ कर जगाया तो वह उठ बैठी.

“नरेन, बच्चों को तो छेड़ना भी मत… बच्चों ने सुबह स्कूल जाना है… और मेरे सिर में दर्द हो रहा है… स्वामीजी के प्रवचन सुनने में मेरी वैसे भी कोई रुचि नहीं है… तुम्हें है, तुम्हीं सुन लो..” वह पलट कर चादर तान कर फिर सो गई.

नरेन गुस्से में दांत पीसता हुआ चला गया. स्वामीजी को रहते हुए एक हफ्ता हो
गया था. रवीना को एकएक दिन बिताना भारी पड़ रहा था. वह समझ नहीं पा रही थी, कैसे मोह भंग करे नरेन का.

रवीना का दिल करता,
कहे कि स्वामीजी अगर इतने महान हैं तो जाएं किसी गरीब के घर… जमीन पर सोएं, साधारण खाना खाएं, गरीबों की मदद करें, यहां क्या कर रहे हैं… उन्हें गाड़ियां, आलिशान घर, सुखसाधन संपन्न भक्त की भक्ति ही क्यों प्रभावित करती है… स्वामीजी हैं तो
सांसारिक मोहमाया का त्याग क्यों नहीं कर देते. लेकिन मन मसोस कर रह जाती.

दूसरे दिन वह घर के काम से निबट, नहाधो कर निकली ही थी कि उस की 18 साला भतीजी पावनी का फोन आया कि उस की 2-3 दिन की छुट्टी है और वह उस के पास रहने
आ रही है. एक घंटे बाद पावनी पहुंच गई. वह तो दोनों बच्चों के साथ मिल कर घर का कोनाकोना हिला देती थी.

चचंल हिरनी जैसी बेहद खूबसूरत पावनी बरसाती नदी जैसी हर वक्त उफनतीबहती रहती थी. आज भी उस के आने से घर में एकदम शोरशराबे का
बवंडर उठ गया, “अरे, जरा धीरे पावनी,” रवीना उस के होंठों पर हाथ रखती हुई बोली.

“पर, क्यों बुआ… कर्फ्यू लगा है क्या…?”

“हां दी… स्वामीजी आए हैं…” रवीना के बेटे शमिक ने अपनी तरफ से बहुत धीरे से जानकारी दी, पर शायद पड़ोसियों ने भी सुन ली हो.
“अरे वाह, स्वामीजी…” पावनी खुशी से चीखी, “कहां है…बुआ, मैं ने कभी सचमुच के स्वामीजी नहीं देखे… टीवी पर ही देखे हैं,” सुन कर रवीना की हंसी छूट गई.

“मैं देख कर आती हूं… ऊपर हैं न? ” रवीना जब तक कुछ कहती, तब तक चीखतेचिल्लाते तीनों बच्चे ऊपर भाग गए.

रवीना सिर पकड़ कर बैठ गई. ‘अब हो गई स्वामीजी के स्वामित्व की छुट्टी…‘ पर
तीनों बच्चे जिस तेजी से गए, उसी तेजी से दनदनाते हुए वापस आ गए.

“बुआ, वहां तो आम से 2 नंगधड़ंग आदमी, भगवा तहमद लपेटे बिस्तर पर लेटे
हैं… उन में स्वामीजी जैसा तो कुछ भी नहीं लग रहा…”

“आम आदमी के दाढ़ी नहीं होती दी… उन की दाढ़ी है..” शमिक ने अपना ज्ञान बघारा.

“हां, दाढ़ी तो थी…” पावनी कुछ सोचती हुई बोली, “स्वामीजी क्या ऐसे ही होते हैं…”

पावनी ने बात अधूरी छोड़ दी. रवीना समझ गई, “तुझे कहा किस ने था इस तरह ऊपर जाने को… आखिर पुरुष तो पुरुष ही होता है न… और स्वामी लोग भी पुरुष ही होते हैं..”

“तो फिर वे स्वामी क्यों कहलाते हैं?”

इस बात पर रवीना चुप हो गई. तभी उस की नजर ऊपर उठी. स्वामीजी का चेला ऊपर खड़ा नीचे उन्हीं लोगों को घूर रहा था, कपड़े पहन कर..

“चल पावनी, अंदर चल कर बात करते हैं…” रवीना को समझ नहीं आ रहा था क्या
करे. घर में बच्चे, जवान लड़की, तथाकथित स्वामी लोग… उन की नजरें, भाव भंगिमाएं, जो एक स्त्री की तीसरी आंख ही समझ सकती है. पर नरेन को नहीं समझा सकती.

ऐसा कुछ कहते ही नरेन तो घर की छत उखाड़ कर रख देगा. स्वामीजी का चेला अब हर बात के लिए नीचे मंडराने लगा था.

रवीना को अब बहुत उकताहट हो रही थी. उस से अब यहां स्वामीजी का रहना किसी भी तरह से बरदाश्त नहीं हो पा रहा था.

दूसरे दिन वह रात को किचन में खाना बना रही थी. नरेन औफिस से आ कर वाशरूम में फ्रेश होने चला गया था. इसी बीच रवीना बाहर लौबी में आई, तो उस की नजर डाइनिंग टेबल पर रखे चेक पर पड़ी.
उस ने चेक उठा कर देखा. स्वामीजी के आश्रम के नाम 10,000 रुपए का चेक था.

यह देख रवीना के तनबदन में आग लग गई. घर के खर्चों व बच्चों के लिए नरेन हमेशा कजूंसी करता रहता है. लेकिन स्वामीजी को देने के लिए 10,000 रुपए निकल गए… ऊपर से इतने दिन से जो खर्चा हो रहा है वो अलग. तभी नरेन बाहर आ गया.

“यह क्या है नरेन…?”

“क्या है मतलब…?”

“यह चेक…?”

“कौन सा चेक..?”

नरेन उस के पास आ गया. लेकिन चेक देख कर चौंक गया, “यह चेक… तुम्हारे पास कहां से आ गया…? ये तो मैं ने स्वामीजी को दिया था.”

“नरेन, बहुत रुपए हैं न तुम्हारे पास… अपने खर्चों में हम कितनी कटौती करते हैं और तुम…” वह गुस्से में बोली. लेकिन नरेन तो किसी और ही उधेड़बुन में था, “यह चेक तो मैं ने सुबह स्वामीजी को ऊपर जा कर दिया था… यहां कैसे आ गया…?”

“ऊपर जा कर दिया था..?” रवीना कुछ सोचते हुए बोली, “शायद, स्वामीजी का चेला रख गया होगा…”

“लेकिन क्यों..?”

”क्योंकि, लगता है स्वामीजी को तुम्हारा चढ़ाया हुआ प्रसाद कुछ कम लग रहा है…” वह व्यंग्य से बोली.

“बेकार की बातें मत करो रवीना… स्वामीजी को रुपएपैसे का लोभ नहीं है… वे तो सारा धन परमार्थ में लगाते हैं… यह उन की कोई युक्ति होगी, जो तुम जैसे मूढ़ मनुष्य की समझ में नहीं आ सकती…”

“मैं मूढ़ हूं, तो तुम तो स्वामीजी के सानिध्य में रह कर बहुत ज्ञानवान हो गए हो न…” रवीना तैश में बोली, “तो जाओ… हाथ जोड़ कर पूछ लो कि स्वामीजी मुझ से कोई
अपराध हुआ है क्या… सच पता चल जाएगा.”

कुछ सोच कर नरेन ऊपर चला गया और रवीना अपने कमरे में चली गई. थोड़ी देर बाद नरेन नीचे आ गया.

“क्या कहा स्वामीजी ने..” रवीना ने पूछा.

नरेन ने कोई जवाब नहीं दिया. उस का चेहरा उतरा हुआ था.

“बोलो नरेन, क्या जवाब दिया स्वामीजी ने…”

“स्वामीजी ने कहा है कि मेरा देय मेरे स्तर के अनुरूप नहीं है…” रवीना का दिल
किया कि ठहाका मार कर हंसे, पर नरेन की मायूसी व मोहभंग जैसी स्थिति देख कर वह चुप रह गई.

“हां, इस बार घर आ कर तुम्हारे स्तर का अनुमान लगा लिया होगा… यह तो नहीं पता होगा कि इस घर को बनाने में हम कितने खाली हो गए हैं…” रवीना चिढ़े स्वर में बोली.

“अब क्या करूं…” नरेन के स्वर में मायूसी थी.

“क्या करोगे…? चुप बैठ जाओ… हमारे पास नहीं है फालतू पैसा… हम अपनी गाढ़ी कमाई लुटाएं और स्वामीजी परमार्थ में लगाएं… तो जब हमारे पास होगा तो हम ही लगा
लेंगे परमार्थ में… स्वामीजी को माघ्यम क्यों बनाएं,” रवीना झल्ला कर बोली.

“दूसरा चेक न काटूं…?” नरेन दुविधा में बोला.

“चाहते क्या हो नरेन…? बीवी घर में रहे या स्वामीजी… क्योंकि अब मैं चुप रहने वाली नहीं हूं…”
नरेन ने कोई जवाब नहीं दिया. वह बहुत ही मायूसी से घिर गया था.

“अच्छा… अभी भूल जाओ सबकुछ…” रवीना कुछ सोचती हुई बोली, “स्वामीजी रात में ही तो कहीं नहीं जा रहे हैं न… अभी मैं खाना लगा रही हूं… खाना ले जाओ.”

वह कमरे से बाहर निकल गई, “और हां…” एकाएक वह वापस पलटी, “आज
खाना जल्दी निबटा कर हम सपरिवार स्वामीजी के प्रवचन सुनेंगे… पावनी व बच्चे भी… कल छुट्टी है, थोड़ी देर भी हो जाएगी तो कोई बात नहीं…”

लेकिन नरेन के चेहरे पर कुछ खास उत्साह न था. वह नरेन की उदासीनता का कारण समझ रही थी. खाना निबटा कर वह तीनों बच्चों सहित ऊपर जाने के लिए तैयार हो गई.

“चलो नरेन…” लेकिन नरेन बिलकुल भी उत्साहित नहीं था, पर रवीना उसे जबरदस्ती ठेल ठाल कर ऊपर ले गई. उन सब को देख कर, खासकर पावनी को देख कर तो उन दोनों के चेहरे गुलाब की तरह खिल गए.

“आज आप से कुछ ज्ञान प्राप्त करने आए हैं स्वामीजी… इसलिए इन तीनों को भी आज सोने नहीं दिया,” रवीना मीठे स्वर में बोली.

“अति उत्तम देवी… ज्ञान मनुष्य को विवेक देता है… विवेक मोक्ष तक पहुंचाता
है… विराजिए आप लोग,” स्वामीजी बात रवीना से कर रहे थे, लेकिन नजरें पावनी के चेहरे पर जमी थीं. सब बैठ गए. स्वामीजी अपना अमूल्य ज्ञान उन मूढ़ जनों पर उड़ेलने लगे. उन की
बातें तीनों बच्चों के सिर के ऊपर से गुजर रही थी. इसलिए वे आंखों की इशारेबाजी से एकदूसरे के साथ चुहलबाजी करने में व्यस्त थे.

“क्या बात है बालिके, ज्ञान की बातों में चित्त नहीं लग रहा तुम्हारा…” स्वामीजी
अतिरिक्त चाशनी उड़ेल कर पावनी से बोले, तो वह हड़बड़ा गई.

“नहीं… नहीं, ऐसी कोई बात नहीं…” वह सीधी बैठती हुई बोली. रवीना का ध्यान स्वामीजी की बातों में बिलकुल भी नहीं था. वह तो बहुत ध्यान से स्वामीजी व उन के चेले की पावनी पर पड़ने वाली चोर गिद्ध दृष्टि पर अपनी समग्र चेतना गड़ाए हुए थी और चाह रही थी कि नरेन यह सब अपनी आंखों से महसूस करे. इसीलिए वह सब को ऊपर ले कर आई थी. उस ने निगाहें नरेन की तरफ घुमाई. नरेन के चेहरे पर उस की आशा के अनुरूप हैरानी, परेशानी, गुस्सा, क्षोभ साफ झलक रहा था. वह मतिभ्रम जैसी स्थिति में
बैठा था. जैसे बच्चे के हाथ से उस का सब से प्रिय व कीमती खिलौना छीन लिया गया हो.

एकाएक वह बोला, “बच्चो, जाओ तुम लोग सो जाओ अब… पावनी, तुम भी जाओ…”

बच्चे तो कब से भागने को बेचैन हो रहे थे. सुनते ही तीनों तीर की तरह नीचे भागे.

पावनी के चले जाने से स्वामीजी का चेहरा हताश हो गया.

“अब आप लोग भी सो जाइए… बाकी के प्रवचन कल होंगे…” वे दोनों भी उठ गए.

लेकिन नरेन के चेहरे को देख कर रवीना आने वाले तूफान का अंदाजा लगा चुकी थी और वह उस तूफान का इंतजार करने लगी.

रात में सब सो गए. अगले दिन शनिवार था. छुट्टी के दिन वह थोड़ी देर से उठती
थी. लेकिन नरेन की आवाज से नींद खुल गई. वह किसी टैक्सी एजेंसी को फोन कर टैक्सी बुक करवा रहा था.

“टैक्सी… किस के लिए नरेन…?”

“स्वामीजी के लिए… बहुत दिन हो गए हैं… अब उन्हें अपने आश्रम चले जाना
चाहिए…”

“लेकिन,आज शनिवार है… स्वामीजी को शनिवार के दिन कैसे भेज सकते हो तुम…” रवीना झूठमूठ की गभीरता ओढ़ कर बोली.

“कोई फर्क नहीं पड़ता शनिवाररविवार से…” बोलतेबोलते नरेन के स्वर में उस के दिल की कड़वाहट आखिर घुल ही गई थी.

“मैं माफी चाहता हूं तुम से रवीना… बिना सोचेसमझे, बिना किसी औचित्य के मैं
इन निरर्थक आडंबरों के अधीन हो गया था,” उस का स्वर पश्चताप से भरा था.

रवीना ने चैन की एक लंबी सांस ली, “यही मैं कहना चाहती हूं नरेन… संन्यासी बनने के लिए किसी आडंबर की जरूरत नहीं होती… संन्यासी, स्वामी तो मनुष्य अपने उच्च आचरण से बनता है… एक गृहस्थ भी संन्यासी हो सकता है… यदि आचरण, चरित्र
और विचारों से वह परिष्कृत व उच्च है, और एक स्वामी या संन्यासी भी निकृष्ट और नीच हो सकता है, अगर उस का आचरण उचित नहीं है… आएदिन तथाकथित बाबाओं,
स्वामियों की काली करतूतों का भंडाफोड़ होता रहता है… फिर भी तुम इतने शिक्षित हो कर इन के चंगुल में फंसे रहते हो… जिन की लार एक औरत, एक लड़की को देख कर, आम कुत्सित मानसिकता वाले इनसान की तरह टपक
पड़ती है… पावनी तो कल आई है, पर मैं कितने दिनों से इन की निगाहें और चिकनीचुपड़ी बातों को झेल रही हूं… पर, तुम्हें कहती तो तुम बवंडर खड़ा कर देते… इसलिए आज प्रवचन सुनने का नाटक करना पड़ा… और मुझे खुशी है कि कुछ अनहोनी घटित होने से पहले ही तुम्हें समझ आ गई.”

नरेन ने कोई जवाब नहीं दिया. वह उठा और ऊपर चला गया. रवीना भी उठ कर बाहर लौबी में आ गई. ऊपर से नरेन की आवाज आ रही थी, “स्वामीजी, आप के लिए टैक्सी मंगवा दी है… काफी दिन हो गए हैं आप को अपने आश्रम से निकले… इसलिए प्रस्थान की तैयारी कीजिए…10 मिनट में टैक्सी पहुंचने वाली है…” कह कर बिना उत्तर की प्रतीक्षा किए वह नीचे आ गया. तब तक बाहर टैक्सी का हौर्न बज गया. रवीना के सिर से आज मनों बोझ उतर गया था. आज नरेन ने पूर्णरूप से अपने अंधविश्वास पर विजय पा ली थी और उन बिला वजह के डर व भय से निकल कर आत्मविश्वास से भर गया था.

काफूर हुआ प्यार : औनलाइन चैटिंग बनी जंजाल

‘है लो… कैसी हो सरिताजी?’ दिल का इमोजी बना कर लोकेश ने मैसेंजर पर एक मैसेज भेजा.

सरिता ने भी ‘हैलो’ लिख कर दिल का इमोजी लोकेश को भेजा.

‘तुम्हारे सारे फोटो मैं ने लाइक किए हैं. सच में तुम बहुत ही खूबसूरत हो,’ लोकेश ने लिखा.

सरिता ने ‘थैंक्स’ मैसेज के साथ स्माइली इमोजी भेजा.

लोकेश हमेशा सरिता की खूबसूरती की तारीफ करता रहता था. सरिता को भी अपनी तारीफ सुनना बहुत अच्छा लगता था.

आज पति विमल के औफिस जाने के बाद सरिता बच्चों को स्कूल भेज तुरंत ही फेसबुक पर लोकेश का इंतजार करने लगी, पर आज वह औनलाइन नहीं आया.

शाम को पति और बच्चे भी घर आ गए. आज सरिता का काम में मन नही लग रहा था. शाम को वह चिड़चिड़ करने लगी.

विमल ने पूछा, ‘‘आज इतनी गुस्से में क्यों हो सरिता?’’

‘‘तुम को तो मेरी कोई चिंता ही नहीं है. कभी कोई गिफ्ट ही ला कर दे दिया करो या मेरे साथ कुछ समय ही बिता लिया करो. बस, घर की कामवाली हूं. घर पर दिनभर काम करतेकरते थक जाती हूं मैं भी.’’

‘‘अरे, अपने 2 ही बच्चे हैं. दिन में दोनों स्कूल चले जाते हैं, फिर दिन में आराम कर लिया करो. बेटी गुनगुन अब 15 साल की हो गई है. उस की थोड़ी मदद ले लिया करो.’’

‘‘हां, तुम तो बस मुझे ऐसे ही समझाया करो.’’

‘‘आओ, हमारे साथ तुम भी खाना खा लो, नाराजगी छोड़ो अब. खाने के बाद गुनगुन के साथसाथ मैं भी किचन समेटने में तुम्हारी मदद कर दूंगा.’’

सरिता भी सब के साथ खाना खाने बैठ गई. खाने के बाद विमल ने थोड़ा काम किया और बिस्तर पर जा कर सो गया. जब सरिता सोने गई, तो विमल के खर्राटे शुरू हो गए थे.

विमल एक प्राइवेट कंपनी में चपरासी था. दिनभर खड़ेखड़े काम कर के वह थकहार कर अकसर जल्दी सो जाया करता था.

विमल के सो जाने के बाद सरिता फिर फेसबुक खोल कर बैठ गई. रात में लोकेश भी औनलाइन था.

‘हैलो,’ सरिता ने मैसेज किया.

‘हेलो,’ लोकेश ने जवाब दिया.

‘क्या कर रहे हो?’

‘बस, तुम्हें ही याद कर रहा था. तुम्हारे फोटो देख रहा था. तुम क्या कर रही हो?’

‘बिस्तर पर हूं.’

‘पति क्या कर रहे हैं.’

‘वे सो गए घोड़े बेच कर,’ सरिता ने उदासी वाला इमोजी भेज कर कहा.

‘अरे यार, तुम जैसी हौट सैक्सी बीवी को बिना साथ लिए कोई कैसे सो सकता है…’

सरिता ने स्माइली का इमोजी भेजा और पूछा, ‘तुम्हें नींद नहीं आ रही है?’

‘नहीं, तुम से बात करने का मन कर रहा है.’

‘दिन में क्यों नहीं आए औनलाइन? तुम्हारा कितना इंतजार किया था मैं ने.’

‘सौरी यार, दिन में फुरसत ही नहीं मिली. अभी त्योहार का टाइम है, इसलिए कंपनी में काम ज्यादा हो रहा है.’

‘कौन सी कंपनी में काम करते हो?’

‘एक टैक्सटाइल कंपनी में काम करता हूं. ?

‘अच्छा, फिर तो तुम्हारी अच्छीखासी तनख्वाह होगी?’ सरिता ने साथ में आंखों की चमक वाला इमोजी भेजा.

‘हां, वह तो है.’

‘तुम ने अपना फोटो क्यों नहीं लगा रखा है प्रोफाइल पर?’

‘ज्यादा हैंडसम होना भी बड़ा गुनाह है यार.’

‘वह कैसे?’

‘हर लड़की लाइन मारती है. इतनी फुरसत किस के पास है.’

‘अच्छा, फिर आप को लगता होगा कि मैं भी लाइन मार रही हूं.’

‘अरे नही, बल्कि मैं तुम पर लाइन मार रहा हूं यार,’ कहते हुए लोकेश ने एक दिल का इमोजी भेजा.

उबासी लेते हुए सरिता ने लिखा, ‘बहुत रात हो गई है, गुडनाइट.’

सुबह विमल का टिफिन बनाने के बाद जल्दी ही बच्चों को भी टिफिन दे दिया, फिर सरिता ने जल्दीजल्दी घर का काम निबटाया और फिर फेसबुक पर एक अच्छी सी मेकअप वाली सैल्फी शेयर कर दी. कुछ ही देर में सरिता के फोटो पर ढेर सारे लाइक और कमैंट आने लगे.

थोड़ी देर में लोकेश भी औनलाइन आ गया. उस ने भी सरिता के फोटो पर एक अच्छा सा कमैंट किया. वह खुश हो गई.

सरिता ने मैसेंजर पर लिख कर लोकेश से पूछा, ‘तुम दिखते कैसे हो? मुझे अपना फोटो तो भेजो.’

मैसेंजर पर लोकेश ने अपने 2-3 अच्छेअच्छे फोटो भेज दिए.

सरिता फोटो देख कर बोली,

‘अरे वाह, तुम तो वाकई बहुत हैंडसम लगते हो.’

अब अकसर वे दोनों घंटों औनलाइन बात करते रहते थे. सरिता घर का काम भी समय पर नहीं करती थी. घर बिखरा पड़ा रहता था.

कुछ दिन बाद गुनगुन और रोहन का रिजल्ट आया. गुनगुन तो पास हो गई, पर रोहन एक सब्जैक्ट में फेल हो गया.

शाम को गुनगुन ने अपना रिजल्ट दिखाया. सरिता और विमल रिजल्ट देख कर बहुत खुश हुए.

विमल ने रोहन से रिजल्ट के बारे में पूछा, तो उस ने डरतेडरते अपना रिजल्ट दिखाया. विमल ने रोहन के साथसाथ सरिता को भी डांट लगाई, ‘‘क्या करती हो तुम दिनभर… एक बच्चे की पढ़ाई का ध्यान भी नहीं रख सकती हो क्या?

जब देखो, मोबाइल में लगी रहती हो. थोड़ा घर और बच्चों पर भी ध्यान दे दिया करो.’’

सरिता चुपचाप विमल की बातें सुनती रही, कुछ नहीं बोली. रात में विमल के सोने के बाद वह औनलाइन आई, तो उसी समय लोकेश भी औनलाइन आ गया. पर जब सरिता ने कोई मैसेज नहीं किया, तो उस ने पूछा, ‘क्या हुआ? इतनी उदास क्यों हो?’

‘कुछ नहीं… ऐसे ही…’

‘बताओ तो सही.’

‘कुछ नहीं.’

‘‘अरे, तुम जैसी खूबसूरत बला उदास अच्छी नहीं लगती है. तुम्हें मेरी कसम है, बताना ही होगा.’’

‘आज मेरे पति ने मुझे बहुत डांटा.’

‘क्यों?’

‘‘क्योंकि मेरे बेटे रोहन के स्कूल में अच्छे नंबर नहीं आए हैं.’’

‘अरे, इस में तुम्हारी क्या गलती है भला. उन का बेटा भी तो है, वे भी ध्यान रख सकते हैं. तुम ही क्यों…?’

‘हां, तुम सही कह रहे हो’

‘चलो, मूड सही करो यार. अच्छी नहीं लगती हो उदास… अच्छा यह बताओ कि तुम मेकअप करती हो क्या?’

‘हां, करती हूं, कभीकभी…’

‘अपने घर का पता भेजो मुझे.’

‘क्यों? क्या हुआ?’

‘कुछ नहीं.’

‘फिर भी?’

‘तुम्हें एक गिफ्ट भेजना है.’

‘रहने दो.’

‘अरे, मैं तुम्हारा दोस्त हूं न…’

थोड़ी नानुकर के बाद सरिता ने अपना पता लोकेश को भेज दिया.

सुबह उठ कर रोज की तरह ही सरिता अपने काम में लग गई. 3 दिन बाद दोपहर में किसी ने दरवाजा बजाया.

सरिता ने दरवाजा खोला, तो सामने एक औनलाइन कंपनी वाला एक पैकेट लिए खड़ा था.

‘‘आप का आर्डर,’’ वह आदमी उसे देख कर बोला.

सरिता ने सामान ले लिया और दरवाजा बंद कर के अपने कमरे में जा कर गिफ्ट खोलने लगी.

गिफ्ट देख कर सरिता बहुत खुश हो गई. इतना बड़ा मेकअप बौक्स. उस की खुशी का ठिकाना न था. उस ने उसी समय फेसवाश से मुंह धोया और मेकअप करने लगी.

मेकअप कर के सरिता ने लोकेश को मैसेज किया, ‘तुम्हारा गिफ्ट बहुत ही खूबसूरत है,’ और एक दिल का इमोजी भी भेजा.

लोकेश ने लिखा, ‘तुम ने किया मेकअप कि नहीं?’

‘हां, अभी जस्ट कर के ही आप को मैसेज किया.’

‘फिर तो आज दीदार बनता है.’

‘मैं वीडियो काल करूं क्या? इजाजत हो तो…?’ लोकेश ने कहा.

यह शब्द सुन सरिता के मन में लोकेश के प्रति विश्वास और जाग गया.

‘हां, ठीक है.’

‘पर, नंबर तो दो अपना.’

सरिता ने तुरंत अपना मोबाइल नंबर दे दिया.

ह्वाट्सएप पर लोकेश ने पहली बार सरिता को देखा और सरिता ने लोकेश को. लोकेश ने जैसे ही सरिता को देखा, तो आंखों में चमक लिए बोला, ‘‘यार, तुम कितनी खूबसूरत हो… कौन कहेगा कि तुम 2 बच्चों की मां हो… किसी भी हीरोइन को फेल कर सकती हो तुम खूबसूरती में.’’

यह सुन कर सरिता शरमा गई.

‘‘जरा मोबाइल रख कर दूर खड़ी होना तो,’’ लोकेश बोला.

सरिता ने मोबाइल फोन टेबल पर खड़ा रखा और थोड़ी दूर जा कर खड़ी हो गई. सरिता का रंग गोरा और बौडी शेप एक जवान लड़की जैसा ही था.

‘‘सरिता मैडम, मैं तो तुम पर फिदा हो गया.’’

‘‘लोकेश, आप भी 26-27 साल के ही होंगे.’’

‘‘वाह यार, तुम तो काफी इंटैलिजैंट भी हो.’’

सरिता फिर शरमा गई.

सरिता ने मुसकराते हुए पूछा, ‘‘अभी कहां हो तुम?’’

‘‘अभी औफिस में हूं.’’

‘‘चलो, अभी फोन रखती हूं. रात में बात करते हैं.’’

लोकेश ने फ्लाइंग किस भेजी और फोन रख दिया.

शाम को जब बच्चे और पति घर आए, तो सरिता एक नए ही लुक में दिख रही थी.

विमल बोला, ‘‘आज कुछ ज्यादा ही चमक रही हो.’’

‘‘तुम्हें अच्छा नहीं लगा क्या मेरा चमकना?’’ सरिता ने सवाल किया.

विमल हंसते हुए बोला, ‘‘तुम मुझे हर रूप में अच्छी लगती हो.’’

आज सरिता ने सब की पसंद का खाना बनाया.

रोहन खाने की थाली देख कर बोला, ‘‘मम्मी, आज तो हमारी पसंद का खाना बनाया है.’’

विमल बोला, ‘‘आज कुछ खास है क्या? इतनी तैयार हो कर सब की पसंद का खाना बनाया है.’’

सरिता धीमे से मुसकराते हुए बोली, ‘‘नहींनहीं, कुछ नहीं है, बस ऐसे ही.’’

किचन का काम निबटाने के बाद सरिता जब कमरे में गई, तो विमल भी जागा हुआ था. आज विमल का जागा रहना सरिता को अच्छा नहीं लग रहा था. वह बोली, ‘‘आज सोए नहीं?’’

विमल मुसकराते हुए बोला, ‘‘बहुत दिन हो गए, हम ने एकदूसरे से ढंग से बात तक नहीं की… सोचा, कल रविवार है, तो क्यों न आज कुछ समय साथ बैठ कर बातें करें हम.’’

सरिता रूखेपन से बोली, ‘‘क्या बात करें… जो रोज है वही तो रोज चल रहा है. नया क्या है?’’ उसे बारबार यह लग रहा था कि कब विमल सोए, ताकि वह लोकेश से बात कर सके.

आज विमल ने सरिता को अपनी बांहों में प्यार से ले लिया और अपनी शादी की पुरानी बातें याद करने लगा, ‘‘तुम कितना शरमाती थी. मैं तुम्हें अपनी बांहों में लेता था, तो तुम आंखें बंद कर लेती थी.’’

सरिता चिढ़ते हुए बोली, ‘‘क्यों पुरानी बातों को घिस रहे हो? मुझे नींद आ रही है, सोने दो,’’ और फिर वह विमल की बांहों से निकल कर बिस्तर पर मुंह फेर कर सो गई. थोड़ी देर में विमल भी दूसरी तरफ पलट कर सो गया.

लोकेश अब रोज ह्वाट्सएप पर गुड मौर्निग और गुड नाइट के मैसेज और प्यारमुहब्बत की शायरियां भी दिन में कई बार भेजने लगा. दिल की बातें अब दिनभर होने लगीं.

एक दोपहर को किसी ने डोरबैल बजाई. सरिता ने दरवाजा खोला, तो सामने औनलाइन कंपनी वाला खड़ा था.

‘‘जी कहिए,’’ सरिता ने पूछा

‘‘आप का और्डर है,’’ उस आदमी ने कहा.

सरिता ने पैकेट लिया और अपने कमरे में जा कर खोलने लगी. पैकेट में एक प्यारा सा नैकलैस निकला. वह देख कर खुश हो गई, तुरंत उस ने पहना और 2-3 सैल्फी ले कर लोकेश को भेज दीं.

लोकेश देख कर बोला, ‘‘कितनी खूबसूरत लग रही हो… गिफ्ट पसंद आया?’’

‘‘हां, यह गिफ्ट तो बहुत खूबसूरत है.’’

अब सरिता भी लोकेश को फ्लाइंग किस भेजने लगी थी.

‘तुम मुझ गिफ्ट क्यों भेजते हो?’

‘क्योंकि तुम मुझे अच्छी लगती हो और दोस्तों को तो गिफ्ट दिया जाता है, इस में बुराई क्या है?’

‘नहीं, कोई बुराई नहीं है, पर मैं तुम को कोई गिफ्ट नहीं दे पाती, इसलिए…’ इतना कह कर सरिता ने एक सैड वाला इमोजी भेजा.

‘कोई बात नहीं, तुम्हारी हंसी ही मेरा गिफ्ट है. तुम से बात कर के जो मुझे सुकून मिलता है, वही मेरा गिफ्ट है.’

यह बात सुन कर सरिता को लोकेश पर और विश्वास हो गया था कि वह उस का पक्का दोस्त है. अब सरिता घर की एकएक बात लोकेश को सुनाने लगी. उसे अपना हर दुखदर्द बताने लगी.

एक बार लोकेश ने औनलाइन से सरिता को बाथरूम फ्रैशनर भेजा. जब सरिता ने पूछा तो वह बोला, ‘इसे तुम बाथरूम में रखो. इस की खुशबू से बाथरूम महक जाएगा. जैसे तुम हमेशा महकती रहती हो, ऐसे ही बाथरूम भी खुशबू से महके, इसलिए भेजा मेरी जान.’’

यह सुन कर सरिता शरमा गई.

‘जाओ, अभी रखो.’

फोन काट कर सरिता ने बाथरूम में फ्रैशनर रख दिया. उस ने लोकेश को वापस फोन लगाया और बोली, ‘‘यार, आप कितने अच्छे हो. कौन करता है किसी के लिए इतना, जितना तुम मेरे लिए करते हो. मेरे दिल की हर बात सुनते हो, मेरा दर्द भी बांट लेते हो. इतना दूर होते हुए भी मेरे दिल के करीब हो गए हो. मैं तुम्हारा बदला कैसे चुका पाऊंगी…’’

लोकेश बोला, ‘चिंता मत करो, जब भी तुम मिलोगी, तब मुझे ब्याज समेत लौटा देना.’

वे दोनों हंसने लगे. सबकुछ बहुत ही अच्छा चल रहा था. सरिता का बदलाव सभी को अच्छा लग रहा था. कुछ ही महीनों में सरिता के दिलोदिमाग पर अब लोकेश छा गया था.

आज सुबह लोकेश का गुड मौर्निंग के मैसेज के साथ एक वीडियो भी आया. सरिता ने गुड मौर्निंग का मैसेज दिल और पप्पी के साथ भेजा. फिर उस ने वीडियो देखा तो उस की आंखें फटी की फटी रह गईं. उस का प्यार काफूर हो गया. चेहरे का रंग पीला पड़ गया.

रोहन बोला, ‘‘मां, टिफिन दो न…’’ पर सरिता को कुछ सुनाई नहीं दे रहा था. विमल भी कुछ बोल रहा था, पर उसे कुछ नहीं सुनाई दे रहा था.

विमल सरिता को झकझोरते हुए बोला, ‘‘क्या हुआ? रंग पीला क्यों पड़ गया? अभी तो खुश थी, अब चेहरे का रंग क्यों उड़ गया है?’’

सरिता कुछ नहीं बोली, बस फोन पटक कर जल्दीजल्दी रोहन और विमल को टिफिन दिया.

बाद में जब सरिता ने पूरा वीडियो देखा, तो उस की आंखें फटी रह गईं… उस के और उस की बेटी के नहाते हुए वीडियो थे.

मैं कैसे पता करूं कि कोई लड़का मुझे पसंद करता है?

सवाल

मैं 24 वर्षीया युवती हूं. इस वर्ष मेरी स्टडी पूरी हो जाएगी. कालेजटाइम से हमारा 10 फ्रैंड्स का ग्रुप है. हम सब में बहुत मेलजोल है. उन में से एक को धीरेधीरे मैं बहुत पसंद करते हुए अब उसे चाहने की हद तक पहुंच गई हूं. मु झे पता है कि उस की कोई गर्लफ्रैंड नहीं है. मैं उसे लाइक करती हूं, यह बात मैं उस से कहना चाहती हूं लेकिन कहने से डर रही हूं कि यदि उस ने मना कर दिया तो मैं यह सहन नहीं कर पाऊंगी. यही नहीं, उस ने अगर सभी फ्रैंड्स को बता दिया तो फालतू में मैं चर्चा का विषय बन जाऊंगी और फिर सब को फेस करना मेरे लिए मुश्किल हो जाएगा. क्या कोई तरीका है कि मैं जान पाऊं कि उस के दिल में क्या है और मेरे लिए वह क्या विचार रखता है?

जवाब

आप सब फ्रैंड्स कालेजटाइम से एकदूसरे को जानते हैं तो फिर यह भी पता होगा कि सब का नेचर कैसा है, वे सब किसी भी बात को ले कर कैसा रिऐक्ट करते हैं या आप सब फ्रैंड्स के बीच की बौंडिंग कैसी है.

एक तरीका है कि आप अपनी गु्रप फ्रैंड्स में से किसी एक को अपने फेवर में ले कर अपने दिल की बात उसे बता दें और यह काम उसे सौंप दें कि वह पता लगाए कि जिस फ्रैंड को आप चाहने लगी हैं, वह आप के बारे में क्या सोचता है. अगर उस के दिल में आप के लिए फीलिंग्स हैं तो वह आप दोनों की मीटिंग करवा कर आप का काम आसान कर दे.

यदि आप किसी की मदद नहीं लेना चाहतीं और खुद पता लगाना चाहती हैं कि वह लड़का आप के बारे में क्या सोचता है, सोचता भी है या नहीं, तो कुछ बातों पर गौर करें कि क्या वह आप की बातों पर ध्यान देता है? आप पर ध्यान देता है? अगर हां, तो उस के मन में भी आप के लिए प्यार जरूर है. क्या भीड़ वाली जगह पर वह आप को घेर कर चलता है या फिर आप का हाथ पकड़ कर आगे बढ़ता है? यदि हां, तो आप की मुराद पूरी हो गई.

क्या कभी आप ने गौर किया है कि वह सब के साथ होने के बावजूद आप को चोरीचोरी देखता है, तो कोई शक नहीं, उस के मन में आप के लिए लव फीलिंग्स हैं.

यदि आप किसी और लड़के की बात करती हैं तो उसे बुरा लगता है या मजाकमजाक में आप उस से फ्लर्ट करती हैं तो वह खुश हो जाता है तो सौ प्रतिशत वह आप को पसंद करता है और आप के एक इशारे का इंतजार कर रहा है. अगर वह आप की फीलिंग्स नहीं सम झ रहा है तो घबराइए नहीं. लड़के ऐसी बातें देर से सम झते हैं. अब सब बातें आप के सामने हैं. आप को खुद देखना व सम झना है. किसी से प्यार हो जाना गुनाह नहीं. यदि लड़का अच्छा है, सारी स्थितियां अनुकूल हैं तो उस से अपने दिल की बात कहने में कोई हर्ज नहीं. देखनेसम झने में कहीं वक्त हाथ से न निकल जाए.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz

 सब्जेक्ट में लिखे…  सरस सलिल- व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

 

सोशल मीडिया की भाभियां मचाती है तहलका, ये रही सबसे पौपुलर

अभी हाल ही में बिग बौस ओटीटी 3 में मारपिटाई की वीडियो खूब वायरल हुई. दो बीवियां रखने वाले अरमान मलिक ने अपनी दूसरी पत्नी कृतिका मलिक पर किए गए कमेंट के लिए विशाल पांडे को झनाटेदार थप्पड़ जड़ दिया. इस विवाद में विशाल का कहना है कि उस ने कृतिका पर जो कमेंट किया वह गलत सेंस में नहीं था. वह सिर्फ उन की तारीफ कर रहे थे.

 

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चाहे जो हो पर सोशल मीडिया पर भाभियां हमेशा ही हिट रही हैं चाहे वह एनिमल की भाभी 2 यानि तृप्ति डिमरी हो, या फिर हाल ही में मिर्जापुर सीजन 3 में भरत त्यागी (विजय वर्मा) की पत्नी सलोनी त्यागी यानि नेहा सरगम हो. जिन्हें सलोनी भाभी के नाम से पहचान मिली.

सोशल मीडिया हमेशा ही भाभियों के लिए दीवाना रहा है. कोई भाभी की अदा पर फिदा है तो कोई भाभी के एक्सप्रेशन पर. वहीं कोई भाभी की गजगामनी चाल पर. लेकिन फिदा जरूर होते हैं. दरअसल भाभियों का टौपिक चटपटा, होट और मसालेदार होता है.

सोशल मीडिया यूजर आमतौर पर भाभियों के लिए स्पेशल प्यार दिखाता है. फिल्मों में भी भाभियों को सैक्सुअलाइज कर के दिखाया जाता है और उन का संबंध देवर से किसी न किसी तरह जोड़ दिया जाता है. आज हम इन्हीं भाभियों और उन के लिए उमड़ने वाले क्रेज के बारे में जानेंगे.

मिर्जापुर 3 की सलोनी भाभी

मिर्जापुर सीजन 3 में त्यागी परिवार की बहू बनकर सलोनी भाभी ने खूब लाइमलाइट बटोरी. इस सीजन में उन्होंने कई सारे बोल्ड सीन्स दिए हैं. बड़े त्यागी की पत्नी सलोनी त्यागी ने अपने देवर छोटे के साथ जिस तरह से बोल्ड सीन दिए हैं उस की वजह से वह काफी चर्चा में हैं. वहीं सोशल मीडिया पर भी उन की तस्वीरें लगातार छाई हुई हैं. मिर्जापुर 3 के बाद इंस्टाग्राम में भी उन के फौलोअर्स बढ़ गए हैं. ये सब उन के बोल्ड सीन का कमाल है.

एनिमल की भाभी 2 – तृप्ति डिमरी

रणबीर कपूर स्टारर ‘एनिमल’ में भले ही रश्मिका मंदाना हीरोइन रही लेकिन उन से भी ज्यादा पौपुलरिटी ले गई एक्ट्रैस तृप्ति डिमरी. बौलीवुड हो या फिर सोशल मीडिया हर जगह भाभी 2 यानी की तृप्ति डिमरी के ही चर्चे हैं. वह इतनी ट्रेंड में रही कि उन्होंने अपने दूसरे प्रोजैक्ट्स के लिए अपनी फीस ही डबल कर दी. एनिमल फिल्म में कुछ देर नजर आने के बाद भी अपनी एक्टिंग, खूबसूरती, बौल्डनेस और ग्लैमरस अंदाज से तृप्ति ने दर्शकों को अपनी तरफ अट्रैक्ट किया.

भाभी जी घर पर हैं की शिल्पा शिंदे

इंटरनेट की आल टाइम भाभी का टैग शिल्पा शिंदे के नाम जाता है. सब टीवी के शो ‘भाभी जी घर पर हैं’ में शिल्पा सिंदे ने ‘अंगूरी भाभी’ का रोल निभाया था. इस रोल में शिल्पा ने अपनी जबरदस्त एक्टिंग से दर्शकों का दिल जीत लिया था.

शो की बात करें तो यह शो दो शादीशुदा जोड़ों के इर्दगिर्द घूमता है, जो पड़ोसी हैं और पति एकदूसरे की पत्नियों के प्रति आकर्षित होते हैं. इस शो के मज़ेदार संवाद और कहानी ने इस कोमेडी-ड्रामा को हिट कर दिया था. इस शो की अंगूरी भाभी इंटरनेट पर चर्चाओं में रहती हैं.

जेठालाल की बबिता भाभी

तारक मेहता का उलटा चश्मा में जेठा लाल जिस बबिता भाभी पर फ़िदा है. इन दोनों की जुगलबंदियां और जेठालाल की कोशिशें देख कर हर कोई पेट पकड़ कर हंसता है. लेकिन बबिता जो कि मुनमुन दत्ता है वह इंटरनेट पर भाभी के नाम से ही मशहूर हो गई है. उन के नाम पर तमाम मीम बनते रहते हैं.

 भागवत कथा की वायरल भाभी 

कुछ साल पहले सोशल मीडिया पर एक भाभी का वीडियो बड़ा वायरल हुआ था. वीडियो वायरल होने का कारण भाभी के एक्सप्रेशन थे. यह वीडियो नगला हीरालाल की भागवत कथा राहुल माधव शास्त्री की कथा का था. जहां वायरल भाभी अपने पति को इशारे कर रही थी. बस इसी इशारे को कैमरामैन ने कैद कर लिया और सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर पोस्ट कर दिया. यह वीडियो देखते ही सब इस बारे में बात करने लगे. हुआ तो यहां तक भी कि कुछ दिनों बाद ही  सोशल मीडिया पर एक और वीडियो ट्रेंड करने लगी. इस वीडियो में एक लड़की थी जिसे गंजा किया जा रहा था. कहा जा रहा था कि ये वही भागवत कथा वाली भाभी है लेकिन यह सच नहीं था. वह लड़की कोई और ही थी.

स्टाइलिश है नीरज चोपड़ा का हेयर स्टाइल, जानें कौन है गर्लफ्रेंड

भारत के जेवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा एक पौपुलर खिलाड़ी है. जिनकी प्रर्फोमेंस पर ठोक कर तालिया बजाई जाती है. हाल ही में नीरज ने पैरिस ओलपिंक 2024 में फाइनल में जगब बना ली है. उन्होंने मंगलवार को हुई भाला फेंक क्वालिफिकेशन में शानदार प्रदर्शन करते हुए 89.34 मीटर का थ्रो किया. साल 2020 में टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतकर भी एक इतिहास रचा था.

 

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नीरज इसके अलावा अपने स्टाइल और हेयर स्टाइल के लिए भी जाने जाते है. उनका हेयर स्टाइल लोगों को खूब पसंद आता है. उनसे कई बार इंटरव्यू में हेयर स्टाइल के बारें में पूछा गया है. वह बताते है कि उनका यह हेयर स्टाइल उनका खुद का उन्होंने ये किसी से कौपी नहीं किया है.

बता दें कि नीरज अपने हेयरस्टाइल को लेकर काफी चर्चा बटोरते है. सोशल मीडिया पर उनकी कई ऐसी फोटोज हैं जिसमें उनके बाल काफी आकर्षक लग रहे हैं. लोग उनकी फोटोज पर कमेंट कर हेयरस्टाइल की तारीफ भी करते हैं. नीरज हरियाणा के छोटे से गांव से आते हैं. इसके अलावा नीरज अपनी पर्सनल लाइफ को लेकर भी काफी सुर्खियों में रहते है. हर कोई गूगल पर ये जरूर सर्च करता है कि नीरज की गर्लफ्रेंड कौन है, उनको चहाने वाले ये जानना चाहते है कि उनकी कोई लव लाइफ है की नहीं.

क्योंकि जब कोई एथलीट शानदार प्रदर्शन करता है या किसी खिलाड़ी का नाम लाइमलाइट में आता है तो अक्सर उसके व्यक्तिगत जीवन के बारे में जानने के लिए काफी उत्सुकता बढ़ जाती हैं और ऐसा ही नीरज चोपड़ा के साथ है. नीरज चोपड़ा काफी हैंडसम हैं, नौजवान हैं, और एक बेहद सफल खिलाड़ी हैं. उनको शोहरत दौलत की भी कोई कमी नहीं है. ऐसे में लोगों को यह जानने में दिलचस्पी है कि आखिर वह कौन खुशनसीब लड़की है जिसको नीरज अपनी लव लेडी कहते है.

नीरत बताते है कि “फोकस अपने खेल की तरफ है. वे अपने करियर पर ही ध्यान देते है. नीरज को लगता है कि उनकी उम्र अभी इतनी ज्यादा नहीं है कि वह इन सब चीजों के बारे में सोचें और खेल में उनका गोल्डन करियर अभी आगे और भी लंबा है. जब उनसे पूछा गया कि आप पर शादी को लेकर दबाव है तो नीरज ने कहा कि उनका फोकस तो पूरी तरह पूरी तरह खेल की तरफ है, शादी वगैरह जैसी चीजें चलती रहेंगी. लेकिन, फिलहाल मैं सिंगल हूं और मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है.

मैं अपने गर्लफ्रेंड को कैसे खुश करूं?

सवाल

मेरी कोई गर्लफ्रैंड नहीं थी, इसलिए मैं ने डेटिंग ऐप का सहारा लिया. मैं डर रहा था कि पता नहीं कैसीकैसी लड़कियां इस डेटिंग ऐप पर मिलेंगी. यह मेरे लिए खुशी की बात है कि मु  झे ऐसी लड़की मिली है जो मेरी ही तरह एक बौयफ्रैंड की तलाश में थी. मैं ने छानबीन भी की और वाकई वह एक अच्छी लड़की निकली है. मेरी ही हमउम्र 28 साल की है और फैमिली बैकग्राउंड भी अच्छा है. मैं उसे ले कर सीरियस हूं. फोन पर बातें करते हैं. मिले अभी सिर्फ 2 बार हैं. मैं चाहता हूं कि फोन पर मैं ऐसी बातें करूं कि उसे रोज मेरे फोन का इंतजार रहे. मैं ऐसी क्या बातें करूं कि वह मु  झ से बहुत ज्यादा इम्प्रैस हो जाए?

ऐसा बहुत से लड़कों के साथ होता है कि उन्होंने नईनई गर्लफ्रैंड बनाई होती है लेकिन पता नहीं होता कि फोन पर उस से कैसी बातें करें कि वह इम्प्रैस हो जाए. कोई बात नहीं, हम बताते हैं कि आप क्याक्या बातें कर सकते हैं जिस से आप की गर्लफ्रैंड बेताबी से रोज आप की फोन कौल का इंतजार करे. सब से पहले उस से उस के हालचाल जरूर पूछें. ऐसा करने से उसे लगेगा कि आप उस की बहुत ज्यादा चिंता करते हैं. वैसे तो यह छोटी बात लगती है लेकिन लड़की ऐसा बौयफ्रैंड बहुत पसंद करती है जो उस की फिक्र करता है, उस का हालचाल लेता रहता है.

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जवाब

उस की थोड़ी भी तबीयत खराब हुई और बौयफ्रैंड का यह पूछना ‘तुम ने दवाई ली कि नहीं’ गर्लफ्रैंड को बहुत खुश कर जाता है कि उस का बौयफ्रैंड कितना ज्यादा प्यार करता है. रिलेशनशिप में रोमांस न हो तो बोरिंग लगने लगती है. आप को बता दें कि लड़कियों को रोमांटिक बातें करना बहुत ही अच्छा लगता है. बहुत ही कम होती हैं जो रोमांटिक बातें ज्यादा पसंद नहीं करतीं. यदि आप में दूसरों को हंसाने का टैलेंट है तो सोने पर सुहागा. लड़कियों को ऐसे बौयफ्रैंड भी काफी पसंद होते हैं जो उन्हें किसी भी अवस्था में हंसा सकें. गर्लफ्रैंड को फोन पर और ज्यादा इम्प्रैस करना चाहते हैं तो कहिए कि जब तुम फोन पर हंसती हो तो मन खुश हो जाता है. ऐसे ही हंसती रहा करो. ऐसा सुनते ही वह खुश हो जाएगी.

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गर्लफ्रैंड को और ज्यादा खुश करना चाहते हैं तो आप यह कहें- ‘मैं जब भी तुम से बात करता हूं तो मु  झे बहुत ही ज्यादा अच्छा महसूस होता है और मेरा मन करता है कि मैं दिनभर तुम से बातें ही करता रहूं,’ यह सुन कर उसे लगेगा कि आप को उस से बात करने में काफी मजा आता है. ऐसे में, वह भी आप से काफी लंबे समय तक बातचीत करने के लिए तैयार रहेगी. जो भी व्यक्तिकिसी से प्यार करता है, उसे गर्लफ्रैंड को ‘आईलवयू’ बोलते रहना चाहिए. ऐसा करने से उसे बहुत ही ज्यादा अच्छा लगेगा और वह आप से और भी ज्यादा इम्प्रैस हो जाएगी.

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