पैसो का चक्कर, किन्नर की हत्या, किन्नर के हाथ!

पैसों का लेनदेन हत्या का सबब प्रारंभ से रहा है कहावत भी है कि जर जोरू और जमीन के कारण ही सारे अपराध घटित होते हैं. छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिला में दो किन्नरों में पैसे की लेनदेन को लेकर मामला इतना आगे बढ़ गया एक ने अपने दूसरे साथी किन्नर को चाकू से गोद गोद कर मार डाला.

बच्चा तस्करी के आरोप में पूर्व मे गिरफ्तार किन्नर (थर्ड जेंडर) छाया उर्फ सोनू की हत्या  की गुत्थी  छत्तीसगढ़ की दुर्ग  पुलिस ने 24 घंटे में ही सुलझा ली. आरोपी कागज किन्नर, उर्फ शंकर बुद्धे, पिता गंगा राम बुद्धे, उम्र 30 ने अपना जुर्म कबूल करते हुए स्वीकार किया कि  उसने पैसों के लेन देन के कारण अपनी साथी किन्नर छाया को मौत के घाट उतार दिया था.

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छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिला के पुलिस कप्तान विवेक शुक्ला (आई पी एस) ने  हमारे संवाददाता को बताया कि आरोपी और मृतक छाया एक ही मोहल्ले में रहते थे. घटना वाले दिन आरोपी ने छाया को घर पर रात का खाना खाने के लिए बुलाया. पहले तो दोनों ने खूब  शराब पी, इसके बाद ब्लेड और चाकू से वार कर उसने छाया की हत्या कर दी.

किन्नर काजल के अनुसार  छाया ने दो साल पहले करीब 70 हजार रुपए उससे उधार लिए थे. वह मांगने पर भी बहुत  दिनों से वह पैसे नहीं दे रही थी. इसी बात को लेकर विवाद हुआ और उसने तैश में आकर  छाया  की हत्या कर दी.रविवार 29 सितम्बर की सुबह किन्नर छाया की लाश राजीव नगर के तालाब के निकट  झाडिय़ों के पास बारदाने  मे लिपटी मिली थी.

शराब पिलाया और मार डाला

इस जघन्य हत्याकांड पर पुलिस की तत्परता से हालांकि पर्दा जल्दी उठ गया. मगर जो घटनाक्रम घटित हुआ है वह कई मायने में चौंकाने वाला है. घटना के दिन छाया को काजल ने अपने आवास पर बुलाया और खूब खाने पीने आवा भगत की व्यवस्था की, उसका आशय यह था कि या तो छाया उसके उधार लिए सतर  हजार रुपये बोलो लौटा दें,  खा पीकर प्रसन्न हो जाए या फिर वह इतना शराब पिला देगी की छाया होश में ना रहे और वह अपना बदला ले ले.

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खूब आवभगत के बाद भी जब छाया ने काजल को रुपए देने से मना कर दिया तो काजल ने छाया की हत्या को दे अंजाम दिया.

जांच अधिकारी सुरेश ध्रुव ने बताया के हत्या गला रेत कर की गई थी. पेट में आधा दर्जन वार करने के निशान भी पुलिस को मिले थे. सबसे  बड़ी  बात मृतक किन्नर के हाथ भी बंधे हुए थे.पुलिस को शक था कि आरोपी ने पहले किन्नर के हाथ बांधे उसके बाद हत्या को अंजाम दिया .हत्या के बाद लाश पहले कपड़े में लपेटा गया और बारदाने  में डालकर फेंक दिया गया.

मृतक पर था बच्चा चोरी का गंभीर आरोप

नगर निरीक्षक एवं इस प्रकरण के जांच अधिकारी सुरेश ध्रुव ने बताया पहले पुलिस इस हत्या को किन्नरों के दो गुटों के बीच रंजिश मान कर जांच करती रही . पुलिस ने 2 किन्नर समेत 4 संदेहियों को हिरासत में लेकर उनसे पूछताछ भी की थी . यहां महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि गया नगर निवासी किन्नर छाया बच्चा तस्करी के आरोप में पखवाड़े भर जेल में रहने के बाद 12 दिन पहले जमानत पर रिहा हुई थी.

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मृतक किन्नर छाया उर्फ सोनू पर डेढ़ साल के बच्चे की तस्करी का आरोप है. कोतवाली पुलिस ने उसके खिलाफ बच्चा तस्करी का प्रकरण दर्ज किया था. फर्जी गोद नामा की आड़ में बच्चा तस्करी के खुलासे के बाद छाया को पुलिस ने 1 सितंबर को गया नगर के झंडा चौक से उसके किराए के घर से गिरफ्तार किया था। उसके पास से डेढ़ साल का बच्चा मिला था. किन्नर ने बच्चे को उसकी मां मोना सागर के हमेशा नशे की हालत मे रहने के कारण, रायगढ़, छत्तीसगढ़ से उठा लाने की पुलिस में स्वीकारोक्ति की थी.

कहानी सौजन्य – मनोहर कहानियां

हर्ष ना था हर्षिता के ससुराल में: भाग 3

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हर्षिता की जिंदगी में आया उत्कर्ष

इस शादी में कानपुर शहर के उद्योगपतियों के अलावा अनेक जानीमानी हस्तियां शामिल हुई थीं. पदम अग्रवाल ने इस शादी में लगभग 40 लाख रुपया खर्च किए. उन्होंने बेटी को ज्वैलरी के अलावा उस की ससुराल वालों को वह सब दिया था, जिस की उन्होंने डिमांड की थी.

शादी के बाद 6 माह तक हर्षिता के जीवन में बहार रही. सासससुर व पति का उसे भरपूर प्यार मिला. लेकिन उस के बाद सास व ननद के ताने शुरू हो गए. उस पर घरगृहस्थी का बोझ भी लाद दिया गया. घर की साफसफाई कपडे़ व रसोई का काम भी उसे ही करना पड़ता.

नौकरानी कभी रख ली जाती तो कभी उस की छुट्टी कर दी जाती. काम करने के बावजूद हर्षिता के हर काम में टोकाटाकी की जाती. सास ताने देती कि तुम्हारी मां ने यह नहीं सिखाया, वह नहीं सिखाया.

धीरेधीरे हर्षिता की सास रानू अग्रवाल के जुल्म बढ़ने लगे. रानू हर्षिता के उठनेबैठने, सोने पर आपत्ति जताने लगी थी. खानेपीने व घर के बाहर जाने पर भी आपत्ति जताती और प्रताडि़त करती थी. हर्षिता जब कभी घर से ब्यूटीपार्लर जाती तो सजासंवरा देख कर ऐसे ताने मारती कि हर्षिता का दिल छलनी हो जाता.

वह उत्कर्ष से शिकायत करती तो उत्कर्ष मां का ही पक्ष लेता और उसे प्रताडि़त करता. ससुर सुशील अग्रवाल भी अपनी पत्नी रानू के उकसाने पर हर्षिता को दोषी ठहराते और प्रताडि़त करते.

हर्षिता मायके जाती, लेकिन ससुराल वालों की प्रताड़ना की बात नहीं बताती थी. वह सोचती थी कि आज नहीं तो कल सब ठीक हो जाएगा. पर एक रोज मां ने प्यार से बेटी के सिर पर हाथ फेर कर पूछा तो हर्षिता के मन का गुबार फट पडा.

वह बोली, ‘‘मां, आप लोगों से दामाद चुनने में भूल हो गई. उस के मातापिता का व्यवहार ठीक नहीं है. सभी मुझे प्रताडि़त करते हैं.’’

बेटी की व्यथा से व्यथित मां संतोष ने हर्षिता को ससुराल नहीं भेजा. इस पर उत्कर्ष ससुराल आया और हर्षिता तथा संतोष से माफी मांग कर हर्षिता को साथ ले गया.

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हर्षिता के ससुराल आते ही उसे फिर प्रताडि़त किया जाने लगा. उस पर अब 25 लाख रुपए दहेज के रूप में लाने का दबाव बनाया जाने लगा.

दरअसल हर्षिता की ननद परिधि की शादी तय हो गई थी. शादी के लिए ही पति, सासससुर हर्षिता पर रुपए लाने का दबाव बना रहे थे. रुपए न लाने पर उन का जुल्म बढ़ने लगा था.

23 नवंबर, 2018 को हर्षिता के चचेरे भाई की शादी थी. हर्षिता शादी में शामिल होने आई तो उस ने मां को 25 लाख रुपया मांगने तथा प्रताडि़त करने की बात बताई. इस पर पदम अग्रवाल ने हर्षिता को ससुराल नहीं भेजा. 2 हफ्ते बाद उत्कर्ष अपने पिता सुशील के साथ आया और दोनों ने हाथ जोड़ कर माफी मांगी. सुशील ने अपनी पत्नी रानू के गलत व्यवहार के लिए भी माफी मांगी, साथ ही हर्षिता को प्रताडि़त न करने का वचन दिया, तभी हर्षिता को ससुराल भेजा गया.

सुशील कुमार अग्रवाल ने फैक्ट्री में नई मशीनें लगाने के लिए लगभग 2.5 करोड़ रुपए बैंक से लोन लिया था. इस लोन की भरपाई हेतु सुशील ने कभी 30 लाख, तो कभी 40 लाख की डिमांड की. लेकिन पदम अग्रवाल ने रुपया देने से मना कर दिया था.

हर्षिता की सास रानू अग्रवाल व पति उत्कर्ष ने भी हर्षिता के मार्फत लाखों रुपए मायके से लाने की बात कही. रुपए लाने से मना करने पर हर्षिता को परिणाम भुगतने की चेतावनी भी दी.

मई, 2019 में पदम अग्रवाल ने अमेरिका घूमने का प्लान बनाया. उन के साथ बड़ी बेटी गीतिका व उस का पति भी जा रहा था. पदम अग्रवाल ने हर्षिता व उस के पति उत्कर्ष को भी साथ ले जाने का निश्चय किया.

हर्षिता की सास रानू नहीं चाहती थी कि हर्षिता घूमने जाए. अत: उस ने हर्षिता का टिकट बुक कराने से मना कर दिया. तब पदम अग्रवाल ने ही बेटीदामाद का टिकट बुक कराया. 25 मई को पदम अग्रवाल अपनी पत्नी तथा दोनों दामाद व बेटियों के साथ टूर पर चले गए.

सास ने की बहू हर्षिता की पिटाई 16 जून को वे सब अमेरिका से लौट आए. टूर से लौटने के बाद हर्षिता मायके में ही रुक गई. वह ससुराल नहीं जाना चाहती थी. लेकिन उत्कर्ष माफी मांग कर तथा समझा कर हर्षिता को ले गया. ससुराल पहुंचते ही सास रानू अग्रवाल हर्षिता को बातबेबात मानसिक रूप से प्रताडि़त करने लगी. उस ने हर्षिता के ब्यूटीपार्लर जाने पर भी रोक लगा दी. हर्षिता घर से निकलती तो वह कार की चाबी छीन लेती और मारपीट पर उतारू हो जाती.

6 जुलाई, 2019 को जब उत्कर्ष तथा सुशील फैक्ट्री चले गए तो घरेलू काम करने को ले कर सासबहू में झगड़ा होने लगा. कुछ देर बाद नौकरानी शकुंतला आ गई. तब भी दोनों में झगड़ा हो रहा था. तकरार ज्यादा बढ़ी तो किसी बात का जवाब देने पर सास रानू ने हर्षिता के गाल पर 2-3 थप्पड़ जड़ दिए तथा झाड़ू से पीटने लगी.

गुस्से में हर्षिता ने पर्स और कार की चाबी ली और घर के बाहर जाने लगी. यह देख कर रानू दरवाजे पर जा खड़ी हुई और उस ने मुख्य दरवाजा लौक कर दिया. इस पर गुस्से में हर्षिता किचन की बराबर वाली खिड़की पर पहुंची और वहां से कूदने लगी. लेकिन शकुंतला ने उसे खींच लिया और कमरे में ले आई.

इस के बाद शकुंतला बरतन साफ करने लगी. लगभग साढ़े 12 बजे रानू चिल्लाई तो शकुंतला वहां पहुंची. लेकिन हर्षिता खिड़की से कूद चुकी थी. हर्षिता स्वयं कूदी या सास रानू ने उसे धक्का दिया, शकुंतला नहीं देख पाई. हर्षिता जीवित है या मर गई, यह देखने के लिए रानू अपार्टमेंट के नीचे आई. उस ने हर्षिता का पर्स व चाबी उठाई, फिर हर्षिता की कलाई पकड़ कर नब्ज टटोली. इस के बाद उस ने पति सुशील को फोन किया, ‘‘जल्दी घर आओ. हर्षिता खिड़की से कूद गई है.’’

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जानकारी पाते ही सुशील ने समधी पदम अग्रवाल को घर आने को कहा और उत्कर्ष के साथ घर आ गए. कुछ देर बाद पदम अग्रवाल भी अपनी पत्नी संतोष व बेटी गीतिका के साथ आ गए और बेटी का शव देखकर रो पड़े. उन्होंने थाना कोहना में ससुराली जनों के विरूद्ध रिपोर्ट दर्ज कराई.

रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने रानू, उत्कर्ष, तथा सुशील कुमार अग्रवाल को गिरफ्तार कर लिया. बाद में उन्हें कोर्ट में पेश किया गया, जहां से तीनों को जेल भेज दिया गया.

दहेज हत्या के आरोपी सुशील कुमार अग्रवाल की जमानत हेतु जिला न्यायाधीश अशोक कुमार सिंह की अदालत में बचाव पक्ष के वकील ने अरजी दाखिल की. जिस पर 9 अगस्त को सुनवाई हुई. बचावपक्ष के वकील ने हृदय की बीमारी को आधार बना कर तथा दहेज न मांगने की बात कह कर अरजी दाखिल की थी.

बचावपक्ष के वकील ने हृदय की बीमारी के तर्क के जरिए कोर्ट में जमानत की गुहार लगाई. वहीं पीडि़त पक्ष के वकील ने न्यायालय में जमानत का विरोध करते हुए दलील दी कि हर्षिता की मृत्यु विवाह के ढाई वर्ष के अंदर ससुराल में असामान्य परिस्थितियों में हुई है. विवेचना में भी विवेचक को पर्याप्त साक्ष्य मिले हैं. दहेज हत्या का अपराध गैरजमानती होने के साथसाथ गंभीर भी है.

दोनों वकीलों की दलील सुनने के बाद जज ने कहा कि दहेज हत्या जैसे मामले में उदारता नहीं बरती जा सकती. इस से पीडि़तों का न्याय व्यवस्था पर विश्वास कम होगा. जहां तक आवेदक के बीमार होने की बात है, उसे जेल में इलाज मुहैया कराया जा सकता है. इस पर जज ने सुशील की जमानत खारिज कर दी. कथा संकलन तक सभी आरोपी जेल में बंद थे.

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हर्ष ना था हर्षिता के ससुराल में: भाग 2

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मैं ने उन के पैर का पंजा व कुरता पकड़ कर ऊपर खींचने की कोशिश की, लेकिन बचा नहीं पाई. इस दौरान मालकिन पीछे खड़ी रहीं. उन्होंने मदद नहीं की.

नौकरानी शकुंतला के बयानों के बाद थानाप्रभारी प्रभुकांत ने पुलिस अधिकारियों के आदेश पर रानू अग्रवाल को महिला पुलिस के सहयोग से हिरासत में ले लिया. उसे हिरासत में लेते ही मृतका के मायके वालों का गुस्सा फूट पड़ा. महिलाएं हत्यारिन सास कह कर रानू पर टूट पड़ीं.

पुलिस ने बड़ी मशक्कत से रानू अग्रवाल को हमलावर महिलाओं से बचाया और उसे पुलिस सुरक्षा में जीप में बिठा कर थाना कोहना भेज दिया. पुलिस को शक था कि कहीं मायके वाले उत्कर्ष व उस के पिता सुशील कुमार पर भी हमला न कर दें. इसलिए सुरक्षा की दृष्टि से उन्हें भी थाने भेज दिया गया.

पुलिस अधिकारियों ने मृतका हर्षिता के पिता पदम अग्रवाल से घटना के संबंध में जानकारी ली तो वह फफक पडे़ और बोले, ‘‘मैं ने हर्षिता को बडे़ लाडप्यार से पालपोस कर बड़ा किया, पढ़ायालिखाया था. शादी भी बडे़ अरमानों के साथ की थी. उस की शादी में करीब 40 लाख रुपए खर्च किया था. इस के बावजूद ससुराल वालों का पेट नहीं भरा. शादी के कुछ दिन बाद ही वह रुपयों के लालच में बेटी को शारीरिक व मानसिक रूप से प्रताडि़त करने लगे थे.

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‘‘मार्च 2019 में समधी सुशील कुमार की बेटी परिधि की शादी थी. शादी के लिए उन्होंने हर्षिता के मार्फत 25 लाख रुपए मांगे थे. लेकिन उस ने मना कर दिया था. तब पूरा परिवार बेटी को प्रताडि़त करने लगा. फैक्ट्री शिफ्ट करने के लिए भी कभी 30 लाख तो कभी 40 लाख की मांग की थी.

‘‘आज 11.20 बजे हर्षिता ने फोन कर के सास द्वारा प्रताडि़त करने की जानकारी दी थी. उस ने जानमाल का खतरा भी बताया था. आखिर दहेज लोभियों ने मेरी बेटी को मार ही डाला. आप से मेरा अनुरोध है कि इन दहेज लोभियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर के इन्हें सख्त से सख्त सजा दिलाने में मदद करें.’’

ससुराल वालों के खिलाफ हुआ केस दर्ज

पदम अग्रवाल की तहरीर पर कोहना थानाप्रभारी प्रभुकांत ने भादंवि की धारा 498ए, 304बी, 506 तथा दहेज अधिनियम की  धारा 3/4 के अंतर्गत हर्षिता की सास रानू अग्रवाल, पति उत्कर्ष अग्रवाल, ससुर सुशील कुमार  अग्रवाल, ननद परिधि और ननदोई आशीष जालौन के विरूद्ध रिपोर्ट दर्ज कर ली. मामले की जांच का कार्य सीओ (कर्नलगंज) जनार्दन दुबे को सौंपा गया.

7 जुलाई, 2019 को हर्षिता का जन्म दिन था. बर्थ  डे पर ही उस की अरथी उठी. पदम अग्रवाल की लाडली बेटी का जन्म 7 जुलाई, 1991 को रविवार के दिन हुआ था. 28 साल बाद उसी तारीख और रविवार के दिन घर से बेटी की अरथी उठी.

उसी दिन उस के शव का पोस्टमार्टम हुआ. दोपहर बाद शव घर पहुंचा तो वहां कोहराम मच गया. लाल जोडे़ में सजी अरथी को देख कर मां संतोष बेहोश हो गई. महिलाओं ने उन्हें संभाला. हर्षिता को अंतिम विदाई देने के लिए जनसैलाब उमड़ पड़ा.

हर्षिता की मौत का समाचार 7 जुलाई को कानपुर से प्रकाशित प्रमुख समाचार पत्रों में प्रमुखता से छपा तो शहर वासियों में गुस्सा छा गया. लोग एक सुर से हर्षिता को न्याय दिलाने की मांग करने लगे. सामाजिक संगठन, महिला मंच, मुसलिम महिला संगठन, जौहर एसोसिएशन आदि ने घटना की घोर निंदा की और एकजुट हो कर हर्षिता को न्याय दिलाने का आह्वान किया.

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इधर विवेचक जनार्दन दुबे ने जांच प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए एक बार फिर घटनास्थल का निरीक्षण किया. फ्लैट को ख्ांगाला और घटना की अहम गवाह नौकरानी शकुंतला का बयान दर्ज किया. साथ ही फ्लैट के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज भी देखीं. आरोपियों के बयान भी दर्ज किए गए. साथ ही मृतका के मातापिता का बयान भी लिया गया.

जांच के बाद ससुरालियों द्वार हर्षिता को प्रताडि़त करने का आरोप सही पाया गया. इस में सब से बड़ी भूमिका हर्षिता की सास रानू की थी. यह बात भी सामने आई कि उत्कर्ष और सुशील कुमार अग्रवाल भी हर्षिता को प्रताडि़त करते थे. रानू अग्रवाल हर्षिता को सब से ज्यादा प्रताडि़त करती थी.

जांच के बाद 7 जुलाई, 2019 को थाना कोहना पुलिस ने अभियुक्त रानू अग्रवाल, उत्कर्ष अग्रवाल तथा सुशील अग्रवाल को विधि सम्मत गिरफ्तार कर लिया. रानू अग्रवाल को कानपुर कोर्ट में रिमांड मजिस्ट्रैट के समक्ष पेश किया. जहां से उसे जेल भेज दिया गया. दूसरे रोज 8 जुलाई को उत्कर्ष तथा सुशील को कोर्ट में पेश किया गया. जहां से उन दोनों को भी जेल भेज दिया गया.

हर्षिता की मौत के मामले में नामजद 5 आरोपियों में से 3 जेल चले गए थे, जबकि 2 आरोपी हर्षिता की ननद परिधि जालान तथा ननदोई आशीष जालान बाहर थे. सीओ जनार्दन दुबे की विवेचना में ये दोनों निर्दोष पाए गए. रिपोर्टकर्ता पदम अग्रवाल ने भी इन दोनों को क्लीन चिट दे दी थी. इसलिए विवेचक ने दोनों का नाम मुकदमे से हटा दिया.

हर्षिता की मौत के गुनहगारों को पुलिस ने हालांकि जेल भेज दिया था, लेकिन कानपुर वासियों का गुस्सा अब भी ठंडा नहीं पड़ा था. सामाजिक संगठन, महिला मंच आल इंडिया डेमोक्रेटिक वूमेंस एसोसिएशन, मौलाना मोहम्मद अली जौहर एसोसिएशन महिला संगठन तथा स्कूली छात्राएं सड़कों पर प्रदर्शन कर रही थीं.

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10 जुलाई को भारी संख्या में महिलाएं छात्राएं तथा सामाजिक संगठनों के लोग मोतीझील स्थित राजीव वाटिका पर जुटे और हर्षिता की मौत के गुनहगारों को फांसी की सजा दिलाने के लिए शांति मार्च निकाला. इस दौरान हर किसी की आंखों में गम और चेहरे पर गुस्सा था.

हर्षिता की मौत को ले कर मुसलिम महिलाओं में भी आक्रोश था. इसी कड़ी में हर्षिता को न्याय दिलाने के लिए मौलाना मोहम्मद अली जौहर एसोसिएशन की महिला पदाधिकारियों ने हलीम मुसलिम कालेज चौराहे पर श्रद्धांजलि सभा की, फिर कैंडिल मार्च निकाला. कैंडिल मार्च का नेतृत्व जैनब कर रही थीं. मुसलिम महिलाएं हाथ में ‘जस्टिस फार हर्षिता’, ‘हत्यारों को फांसी दो’ लिखी तख्तियां लिए थीं.

पदम अग्रवाल ने विवेचक पर आरोप लगाया कि वह जांच को प्रभावित कर के आरोपियों को फायदा पहुंचा रहे हैं. इस की शिकायत उन्होंने डीएम विजय विश्वास पंत से की. साथ ही आईजी मोहित अग्रवाल व एसएसपी अनंतदेव को भी इस बात से अवगत कराया.

पदम अग्रवाल की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए आईजी मोहित अग्रवाल ने सीओ (कर्नलगंज) जनार्दन दुबे से जांच हटा कर सीओ (स्वरूपनगर) अजीत सिंह चौहान को सौंप दी. जांच की जिम्मेदारी मिलते ही अजीत सिंह चौहान ने घटनास्थल का निरीक्षण किया तथा फ्लैट में जा कर बारीकी से जांच की. साथ ही पदम अग्रवाल, उन की पत्नी संतोष, बेटी गीतिका तथा हर्षिता के पड़ोसियों का बयान दर्ज किया. फोरैंसिक टीम को साथ ले कर उन्होंने क्राइम सीन को भी दोहराया.

कानपुर महानगर के काकादेव थाना क्षेत्र में पौश इलाका है सर्वोदय नगर. इसी सर्वोदय नगर क्षेत्र के मोती विहार में पदम अग्रवाल अपने परिवार के साथ रहते हैं. उन के परिवार में पत्नी संतोष के अलावा 2 बेटियां गीतिका व हर्षिता थीं. पदम अग्रवाल कागज व्यापारी हैं. कागज का उन का बड़ा कारोबार है. 80 फुटा रोड पर उन का गोदाम तथा दुकान है. अग्रवाल समाज में उन की अच्छी प्रतिष्ठा है.

पदम अग्रवाल अपनी बड़ी बेटी गीतिका की शादी कर चुके थे. वह अपनी ससुराल में खुशहाल थी. गीतिका से छोटी हर्षिता थी, वह भी बड़ी बहन गीतिका की तरह खूबसूरत, हंसमुख तथा मृदुभाषी थी. उस ने छत्रपति शाहूजी महाराज (कानपुर) यूनिवर्सिटी से ग्रैजुएशन कर लिया था.

हर्षिता को फोटोग्राफी का शौक था. वह फोटोग्राफी से अपना कैरियर बनाना चाहती थी. इस के लिए उस ने न्यूयार्क इंस्टीट्यूट औफ फोटोग्राफी से प्रोफेशनल फोटोग्राफी का कोर्स पूरा कर लिया था.

हर्षिता जहां फोटोग्राफी के व्यवसाय की ओर अग्रसर थी, वहीं पदम अग्रवाल अपनी इस बेटी के हाथ पीले कर उसे ससुराल भेज देना चाहते थे. वह ऐसे घरवर की तलाश में थे, जहां उसे मायके की तरह सभी सुखसुविधाएं मुहैया हों. काफी प्रयास के बाद एक विचौलिए के मार्फत उन्हें उत्कर्ष पसंद आ गया.

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उत्कर्ष के पिता सुशील कुमार अग्रवाल अपने परिवार के साथ कानपुर के कोहना थाना क्षेत्र स्थित एल्डोराडो अपार्टमेंट की 7वीं मंजिल पर फ्लैट नंबर 706 में रहते थे. उन के परिवार में पत्नी रानू अग्रवाल के अलावा बेटा उत्कर्ष तथा बेटी परिधि थीं. दोनों ही बच्चे अविवाहित थे.

सुशील कुमार धागा व्यापारी थे. मंधना में उन की अनुशील फिलामेंट प्राइवेट लिमिटेड नाम से पौलिस्टर धागा बनाने की फैक्ट्री थी. उत्कर्ष अपने पिता सुशील के साथ धागे की फैक्ट्री को चलाता था. वह पढ़ालिखा और स्मार्ट था. पदम अग्रवाल ने उसे अपनी बेटी हर्षिता के लिए पसंद कर लिया. हर्षिता और उत्कर्ष ने एकदूसरे को देखा, तो वे दोनों भी शादी के लिए राजी हो गए. इस के बाद रिश्ता तय हो गया.

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जानें आगे क्या हुआ कहानी के अगले भाग में…

कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां

सावधान! रेलवे में होती है, ऐसी ऐसी चोरियां

पहला प्रसंग-

लोकल ट्रेन का सफर करते हुए रजनी अपने पति के साथ बिलासपुर जा रही थी की अचानक एक शख्स ने झपट्टा मार उसका पर्स लेकर देखते ही देखते गायब हो गया. रजनी देखती रह गई, रिपोर्ट करने के बाद भी पर्स  कभी नहीं मिला.

दूसरा प्रसंग-

राजू नवरात्रि के समय अपने मित्रों के साथ मां बमलेश्वरी डोंगरगढ़ की ओर सफर कर रहा था कि अचानक ट्रेन में बैठे बैठे उसकी मोबाइल चोरी हो गई. रेल्वे  पुलिस में रिपोर्ट करने के बाद भी मोबाइल नहीं मिली.

तीसरा प्रसंग-

जानकी मसंद इलाहाबाद  से रायपुर की ओर रेलवे में सफर कर रही थी की आधी रात को एक शख्स ने उनके गले में रखे सोने के जेवर पर हाथ साफ करने की कोशिश की. महिला जाग गई चिल्लाने पर, लूटेरा भाग खड़ा हुआ.

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रेलवे के यह कुछ प्रसंग हैं, प्रतिदिन रेलवे में करोड़ों  लोग सफर करते हैं और बहुतेरे लोग दुर्भाग्य के मारे अपने सफ़र में लूट जाते हैं. आइए, देखें इस रिपोर्ट में, हम कैसे रेलवे में सफर करते हुए अपने आप को सेफ रखें.

रेलवे का सफर आपके लिए अनिवार्य है. और जब सफर करना है तो साथ में सामान भी होगा रूपए,पैसे भी होंगे, जेवर जेवरात भी होंगे और जब यह सब होगा तो चोरी भी होगी चोर भी होंगे. ऐसे में आवश्यकता है आंख खुली रखने की, रेलवे के सफर में जैसे ही आपकी आंख चुकी कि आपका बेशकीमती माल चोरी चोरा जाता है . ऐसी हजारों घटनाएं आम है, यह भी सच है कि रेलवे की अपनी एक पुलिस होती है अपना कानून होता है नियम कानून बेहद सख्त होते हैं. मगर इसके बावजूद चोर तो चोर है वह कब आपका सामान चोरी करके ले जाएगा और कैसे ले जाएगा यह अंदाज लगा पाना बेहद मुश्किल होता है.  रेलवे में सफर करने से पूर्व सावधानी की समझ भी, अख्तियार कर लेनी चाहिए.

चोरों के गिरोह मुसतैद रहते हैं

छत्तीसगढ़ के  बिलासपुर मे पुलिस ने “ट्रेन” में चोरी और लूट की वारदात को अंजाम देने वाले पश्चिम बंगाल के एक गिरोह का भंडाफोड़ किया है. जीआरपी और आरपीएफ पुलिस ने कार्रवाई करते हुए गिरोह के एक दो नहीं,  पूरे  8 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. इनके पास से जेवर सहित 18 हजार नगद बरामद किया है. ये शातिर चोर गिरोह त्योहार में चोरी करने निकला था और  शातिराना  ढंग  से कोलगेट पेस्ट के अंदर छुपा कर 3 तोला वजनी चोरी की सोने की चैन रखे हुए थे. जिसकी कीमत 95 हजार रुपए आंकी गई है.पुलिस के अनुसार इस गिरोह का पर्दाफाश रविवार की घटना की जांच के दौरान हुआ.

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भिलाई निवासी सुरेश कुमार शर्मा पत्नी के साथ विशाखापत्तनम-कोरबा लिंक एक्सप्रेस में चढ़ रहे थे. भीड़ का फायदा उठाकर किसी ने महिला के गले से सोने की चेन निकाल ली. यात्री ने जीआरपी थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई. तब इस गिरोह का खुलासा हुआ.इस गिरोह का मुख्य सरगना तालदी नरसिंग दक्षिण परगना पश्चिम बंगाल निवासी रिजाउल उर्फ बिशु (36) पुत्र युसुफ सरदार है.

गिरोह के अन्य सदस्यों में शहजादा मुल्ला निवासी तालदी हल्दीग्राम, तुतुर मैत्री निवासी कैनी हेलीकाप्टर मोड़, राहुल कोयल निवासी कैनी दूरबीन, प्रलय हलधर निवासी उतरतली काली नाला, रविउल सरदार निवासी बारुईपुर, मनोतोष मंडल निवासी मडा हल्दी व नाजीम खान निवासी वायरसील कैनी (सभी पश्चिम बंगाल निवासी) शामिल हैं.

रेल के सफर मे जोखिम भी!

जैसे की सर्वज्ञात है रेल्वे के सफर में  जितना आकर्षण,आनन्द है वैसे ही  इसमें  जोखिम भी है .भारतीय रेलवे की यात्रा भगवान भरोसे की होती हैं आप  यात्रा  पर निकल पड़े हैं तो आगे  सबकुछ आपके मत्थे है. अपना सामान असबाब, आपको खुद  संभालना है.जरा सी नज़र चुकी की आपका क़ीमती  सामान  कब चोरी  चला  जाएगा. ट्रेन की यात्रा के समय आपका पर्स आपकी अटैची आपका मोबाइल कभी भी किसी भी समय गायब हो सकता है और उसके बाद, आपकी परेशानी का अंत नहीं होगा क्योंकि रेलवे पुलिस के चक्कर लगाना, रिपोर्ट लिखवाना एक बहुत बड़ी पेचीदगियों  का  सबब है.  हमारी सलाह तो यही है कि आप स्वयं जागरूक बने बुद्धिमता का परिचय देते हुए ट्रेन के सफर में अपने सामान की सुरक्षा स्वयं करें और आने वाले बेवजह के टेंशन से बचे.

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हर्ष ना था हर्षिता के ससुराल में: भाग 1

उस दिन जुलाई 2019 की 6 तारीख थी. सुबह के 10 बज चुके थे. कानपुर शहर के जानेमाने कागज व्यापारी पदम अग्रवाल अपनी 80 फुटा रोड स्थित दुकान पर कारोबार में व्यस्त थे. कागज खरीदने वालों और कर्मचारियों की चहलपहल शुरू हो गई थी. तभी 11 बज कर 21 मिनट पर पदम अग्रवाल के मोबाइल पर काल आई. उन्होंने मोबाइल स्क्रीन पर नजर डाली तो काल उन की बेटी हर्षिता की थी. काल रिसीव कर पदम अग्रवाल ने पूछा, ‘‘कैसी हो बेटी? ससुराल में सब ठीक तो है?’’

हर्षिता रुंधे गले से बोली, ‘‘पापाजी, यहां कुछ भी ठीक नहीं है. सासू मां झगड़ा कर रही हैं और मुझे प्रताडि़त कर रही हैं. उन्होंने मेरे गाल पर कई थप्पड़ मारे और झाडू से भी पीटा. पापा, मुझे ऐसा लग रहा है कि ये लोग मुझे जान से मारना चाहते हैं. इस षड्यंत्र में मेरी ननद परिधि और उस का पति आशीष भी शामिल हैं. सासू मां ने मुझ से कार की चाबी छीन ली है और दरवाजा लाक कर दिया है. पापा, आप जल्दी से मेरी ससुराल आ जाइए.’’

बेटी हर्षिता की व्यथा सुन कर पदम अग्रवाल का मन व्यथित हो उठा, गुस्सा भी आया. उन्होंने तुरंत अपने दामाद उत्कर्ष को फोन मिलाया, लेकिन उस का फोन व्यस्त था, बात नहीं हो सकी. तब उन्होंने अपने समधी सुशील अग्रवाल को फोन कर के हर्षिता के साथ उस की सास रानू अग्रवाल द्वारा मारपीट की जानकारी दी और मध्यस्तता की बात कही.

दुकान पर चूंकि भीड़ थी. इसलिए पदम अग्रवाल को कुछ देर रुकना पड़ा. अभी वह हर्षिता की ससुराल एलेनगंज स्थित एल्डोराडो अपार्टमेंट जाने की तैयारी कर ही रहे थे कि 12 बज कर 42 मिनट पर उन के मोबाइल पर पुन: काल आई. इस बार काल उन के समधी सुशील अग्रवाल की थी.

उन्होंने काल रिसीव की तो सुशील कांपती आवाज में बोले, ‘‘पदम जी, आप जल्दी घर आ जाइए.’’ पदम उन से कुछ पूछते, उस के पहले ही उन्होंने फोन का स्विच औफ कर दिया.

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समधी की बात सुन कर पदम अग्रवाल बेचैन हो गए. उन के मन में विभिन्न आशंकाएं उमड़नेघुमड़ने लगीं. वह कार से पहले घर  पहुंचे फिर वहां से पत्नी संतोष व बेटी गीतिका को साथ ले कर हर्षिता की ससुराल के लिए निकल पड़े. हर्षिता की ससुराल कानपुर शहर के कोहना थाने के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र एलेनगंज में थी. सुशील अग्रवाल का परिवार एलेनगंज के एल्डोराडो अपार्टमेंट की सातवीं मंजिल के फ्लैट नं. 706 में रहता था.

क्षतविक्षत मिला हर्षिता का शव

पदम अग्रवाल सर्वोदय नगर में रहते थे. सर्वोदय नगर से हर्षिता की ससुराल की दूरी 5 कि.मी. से भी कम थी. उन्हें कार से वहां पहुंचने में ज्यादा समय नहीं लगा. वह कार से उतर कर आगे बढे़ तो वहां का दृश्य देख कर वह अवाक रह गए.

अपार्टमेंट के बाहर फर्श पर उन की बेटी हर्षिता का क्षतविक्षत शव पड़ा था और सामने गैलरी में हर्षिता का पति उत्कर्ष, सास रानू, ससुर सुशील तथा ननद परिधि मुंह झुकाए खडे़ थे. पदम के पूछने पर उन लोगों ने बताया कि हर्षिता ने सातवीं मंजिल की खिड़की से कूद कर जान दे दी.

उन लोगों की बात सुन कर पदम अग्रवाल गुस्से से बोले, ‘‘मेरी बेटी हर्षिता ने स्वयं कूद कर जान नहीं दी. तुम लोगों ने दहेज के लिए उसे सुनियोजित ढंग से मार डाला है. मैं तुम लोगों को किसी भी हालत में नहीं छोड़ूंगा.

इसी के साथ उन्होंने मोबाइल फोन द्वारा थाना कोहना पुलिस को घटना की सूचना दे दी. उन्होंने अपने परिवार तथा सगे संबंधियों को भी घटना के बारे में बता दिया. खबर मिलते ही पदम के भाई मदन लाल, मनीष अग्रवाल, भतीजा गोपाल और साला मनोज घटनास्थल पर आ गए.

हर्षिता का क्षतविक्षत शव देख कर मां संतोष दहाड़ मार कर रोने लगी थीं. रोतेरोते वह अर्धमूर्छित हो गईं. परिवार की महिलाओं ने उन्हें संभाला और मुंह पर पानी के छींटे मार कर होश में लाईं. गीतिका भी छोटी बहन की लाश देख कर फफक रही थी. रोतेरोते वह मां को भी संभाल रही थी. मां बेटी का करूण रुदन देख कर परिवार की अन्य महिलाओं की आंखों में भी अश्रुधारा बहने लगी.

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इधर जैसे ही कोहना थानाप्रभारी प्रभुकांत को हर्षिता की मौत की सूचना मिली, वह पुलिस टीम के साथ एल्डोराडो अपार्टमेंट आ गए. आते ही उन्होंने घटनास्थल को कवर कर दिया, ताकि कोई सबूतों से छेड़छाड़ न कर सके. मामला चूूंकि 2 धनाढ्य परिवारों का था. इसलिए उन्होंने तत्काल घटना की खबर वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को दे दी.

खबर पाते ही एडीजी प्रेम प्रकाश, आईजी मोहित अग्रवाल, एसएसपी अनंत देव तिवारी, सीओ (कर्नलगंज) जनार्दन दुबे और सीओ (स्वरूप नगर) अजीत सिंह चौहान घटनास्थल पर आ गए. पुलिस अधिकारियों ने फोरैंसिक टीम को भी बुलवा लिया. साथ ही उपद्रव की आशंका से थाना काकादेव, स्वरूप नगर तथा कर्नलगंज से पुलिस फोर्स मंगवा ली.

पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया तो वह भी दहल उठे. हर्षिता  अपार्टमेंट की सातवीं मंजिल की खिड़की से गिरी थी. अधिक ऊंचाई से गिरने के कारण उस के सिर की हड्डियां चकनाचूर हो गई थीं और चेहरा विकृत हो गया था. शरीर के अन्य हिस्सों की भी हड्डियां टूट गई थीं.

हर्षिता का रंग गोरा था और उस की उम्र 27 वर्ष के आसपास थी. पुलिस अधिकारियों ने फ्लैट नं. 706 की किचन के बराबर वाली उस खिड़की का भी मुआयना किया जहां से हर्षिता कूदी थी या फिर उसे फेंका गया था.

फ्लैट से पुलिस को कोई ऐसी संदिग्ध वस्तु नहीं मिली जिस से साबित होता कि हर्षिता की हत्या की गई थी. फोरैंसिक टीम ने भी एक घंटे तक जांच कर के साक्ष्य जुटाए. निरीक्षण के बाद पुलिस अधिकारियों ने हर्षिता के शव को पोस्टमार्टम के लिए लाला लाजपत राय चिकित्सालय भिजवा दिया.

घटनास्थल पर अन्य लोगों के अलावा हर्षिता का पति उत्कर्ष तथा उस के माता पिता मौजूद थे. पुलिस अधिकारियों ने सब से पहले मृतका के पति उत्कर्ष से पूछताछ की. उसने बताया कि वह हर्षिता से बहुत प्यार करता था, लेकिन उस के जाने से सब कुछ खत्म हो गया है. शादी के बाद वह दोनों बेहद खुश थे. मम्मीपापा भी उसे काफी प्यार करते थे. उसे अपना फोटोग्राफी का व्यवसाय शुरू कराने वाले थे, आनेजाने के लिए उसे कार भी दे रखी थी. कहीं आनेजाने पर कोई रोकटोक नहीं थी.

28 मई से 16 जून 2019 तक वे दोनों अमेरिका में रहे, तब भी भविष्य को ले कर सपने बुने लेकिन क्या पता था कि सारे सपने टूट जाएंगे. आज मैं और पापा फैक्ट्री में थे तभी मम्मी का फोन आया. हम लोग तुरंत घर आए. हर्षिता खिड़की से नीचे कैसे गिरी उसे पता नहीं है.

हर्षिता के ससुर सुशील कुमार अग्रवाल ने पुलिस अधिकारियों को बताया कि उन्हें अपनी फैक्ट्री मंधना से तांतियागंज में शिफ्ट करनी थी. माल ढुलाई के लिए वह आज सुबह 9 बजे ही फैक्ट्री पहुंच गए थे. उस समय घर में सबकुछ ठीकठाक था.

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दोपहर 12.35 बजे पत्नी रानू ने फोन कर बताया कि बहू हर्षिता अपार्टमेंट की खिड़की से गिर गई है. यह पता चलते ही उन्होंने हर्षिता के पिता को फोन किया और फौरन घर आने को कहा. फिर बेटे उत्कर्ष को साथ ले कर घर के लिए चल दिए. घर पहुंचे तो वहां बहू हर्षिता की लाश नीचे पड़ी मिली.

मृतका हर्षिता की सास रानू अग्रवाल ने बताया कि सुबह 9 बजे के लगभग उत्कर्ष अपने पापा के साथ मंधना स्थित फैक्ट्री चला गया था. बरसात थमने के बाद नौकरानी आ गई. उस के आने के बाद वह एक जरूरी कुरियर करने जाने लगी. उस वक्त बहू हर्षिता सफाई कर रही थी. शायद वह खिड़की के पास कबूतरों द्वारा फैलाई गई गंदगी को साफ कर रही थी.

नौकरानी ने खोला भेद

वह कुरियर का पैकेट ले कर फ्लैट के दरवाजे के पास ही पहुंची थी कि नौकरानी के चिल्लाने की आवाज आई. वह वहां पहुंची तो देखा कि हर्षिता खिड़की से नीचे गिर गई है. नौकरानी ने उसे खींचने की कोशिश की लेकिन वह उसे बचा नहीं पाई. इस पर उस ने शेर मचाया और नीचे जा कर देखा. बहू की मौत हो चुकी थी. फिर उस ने जानकारी फोन पर पति को दी.

फ्लैट पर नौकरानी शकुंतला मौजूद थी. पुलिस अधिकारियों ने उस से पूछताछ की. उस ने मालकिन रानू अग्रवाल के झूठ का परदाफाश कर दिया और सारी सच्चाई बता दी. शकुंतला ने बताया कि वह सुबह साढे़ 9 बजे फ्लैट पर पहुंची थी.

उस समय भैया (उत्कर्ष) और उन के पापा (सुशील) फैक्ट्री जा चुके  थे. भाभी (हर्षिता) और मालकिन रानू ही फ्लैट में मौजूद थी. किसी बात पर उन में विवाद हो रहा था.

मालकिन भाभी से कह रही थीं कि नौकरानी को 8 हजार रुपए दिए जाते हैं और तुम कमरे में पड़ी रहती हो. घर का काम नहीं कर सकतीं. इस के बाद दोनों में नौकझोंक होने लगी. इसी नौकझोंक में मालकिन ने भाभी को 2-3 थप्पड़ जड ़दिए और फिर झाडू उठा कर मारने लगीं. तब भाभी कार की चाबी ले कर बाहर जाने लगीं. पर मालकिन गेट पर खड़ी हो गईं.

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मेनगेट बंद कर ताला लगा लिया और चाबी अपने पास रख ली. गुस्से में भाभी ने सिर दीवार से टकराने की कोशिश की तो मैं ने मना किया. फिर वह खिड़की से नीचे कूदने लगीं तो मैं ने उन का हाथ पकड़ कर खींच लिया और कमरे में ले आई.

जानें आगे क्या हुआ कहानी के अगले भाग में…

कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां

पत्नी की डिलीवरी के पैसे नहीं चुकाए तो ससुराल वालों ने बच्चे को रख लिया गिरवी

जी हां हाल ही में ये अजीबो-गरीब खबर सामने आई की पत्नी की डिलीवरी के डेढ़ लाख रुपये पति नहीं चुका पाया तो उसके ससुराल वालों ने उसके डेढ़ साल के बच्चे को उसे देने से इंकार कर दिया कहा कि पहले पैसे चुकाओ फिर बच्चा ले जाओ. अब आप ही सोचिए ये कैसा जमाना है या ये कहें की यही कलयुग है.

दरअसल ये मामला हरियाणा के फतेहाबाद जिले का है. जिस व्यक्ति ने शिकायत की है उसका नाम सूरज है. उसकी पत्नी की डिलीवरी उसके ससुराल राजस्थान, गंगानगर में हुई थी और सूरज की पत्नी की डिलीवरी पर करीब डेढ़ लाख रुपये खर्च हुए थे. जो सूरज नहीं चुका पाया था और इसी कारण ससुराल वालों ने उसके बेटे को अपने यहां गिरवी रख लिया और डेढ़ लाख रुपये की मांग करने लगे.

सूरज ने इसकी शिकायत एसडीएम को भी की थी और एसडीएम ने इस बात की पुलिस से रिर्पोट भी मांगी थी. एसडीएम ने बताया कि जब सूरज की शादी हुई थी तब दोनों नाबालिक थे और इसलिए इस पर कार्रवाई करने में दिक्कत आ रही है. अब सूरज एसडीएम के गेट पर धरने पर बैठा है. सूरज ने बताया की मैं अपनी पत्नी के कहने पर बेटे को लेने  तो गया था लेकिन वहां मेरे साथ मारपीट की गई और मेरा बेटा देने से इंकार कर दिया कहा कि पहले पैसे लाओ फिर बेटा ले जाओ.

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यहां तक की जब पुलिस से शिकायत की तब पुलिस वाले भी कार्रवाई के लिए दस हजार रुपये की मांग कर रहे हैं. इस बात की शिकायत एसडीएम से की फिर भी कहीं से मदद नहीं मिल रही है और इसी कारण से सूरज एसडीएम के गेट पर धरने पर बैठे हुए हैं. हालांकि एसडीएम ने कहा की शादी के वक्त दोनों के नाबालिक होने के कारण हमें बच्चा दिलाने में कानूनी दिक्कतें आ रही हैं लेकिन हम पूरा प्रयास करेंगे की सूरज और उनकी पत्नी को उनका बच्चा जल्दी वापस मिल जाए.

जरा सोचिए ऐसा भी कोई परिवार होगा जो पैसों के लिए अपनी ही बेटी के बच्चे को उससे और उसके पिता से दूर रखेंगा,लेकिन ये तो पूरा का पूरा कलयुगी परिवार निकला जिसने डेढ़ लाख में डिलीवरी क्या करवाई बच्चे को पैसों के लिए खुद के पास गिरवी रख लिया. जरा सोचिए की डेढ़ साल का बच्चा जिसे अपने मां की जरूरत होती है उसे उसकी मां से दूर कर लिया गया. बच्चे के पिता सूरज अपने बच्चे के लिए तरस रहें हैं लेकिन उसके ससुराल वालों को तनिक भी दया नहीं आई. इस तरह के मामले पर भला अब क्या राय दी जाए. आप स्वयं विचार कर लें.

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सावधान! कहीं आप भी न हो जाए औनलाइन ठगी का शिकार

आज के इस डिजिटल युग में आपको अतिरिक्त सतर्कता बरतने की आवश्यकता है क्योंकि एक बार ठगे जाने के बाद आप चहूं और मानसिक तनाव और परेशानियों से घिर जाते हैं. ऐसे मे आपका पैसा और समय दोनों ही नष्ट होता है.

आइए आज इस महत्वपूर्ण लेख में आपको कुछ महत्वपूर्ण घटनाक्रम से अवगत कराएं ताकि आप डिजिटल क्रांति के इस युग मेंअतिरिक्त रुप से सावधान हो जाएं. यह इसलिए और भी ज्यादा जरूरी हो जाता है क्योंकि शिक्षित वर्ग कहे जाने वाले डौक्टर भी औनलाइन ठगी के शिकार होकर सुर्खियां बन रहे हैं. ऐसे में कहा जा सकता है कि आम आदमी की क्या बिसात है अगर वह ठगा जाएगा तो उसकी क्या बुरी गत होगी, यह बात आसानी से समझी जा सकती है-

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डॉक्टर साहब बने ठगी के शिकार

छत्तीसगढ़ के सरगुजा एक असाधारण व्यक्ति से औनलाइन ठगी का मामला सामने आया है, जी हां यहां आरोपियों ने एक डौक्टर को ठगी का शिकार बानया है. मामला सरगुजा जिला मुख्यालय अम्बिकापुर में रहने वाले एक नामचीन डौक्टर का है.

डौक्टर अपने माता पिता के इलाज के लिए बैंगलोर गए थे. वहां से लौटने के बाद आरोपियों ने डॉक्टर से 5 लाख रुपये की औनलाइन ठगी की. डॉक्टर ने इसकी रिपोर्ट अम्बिकापुर के कोतवाली पुलिस में दे दी है. पुलिस आरोपियों की तलाश में जुट गई है.

दरअसल इसी महीने डा. फैजल फिरदोसी अपने माता-पिता के इलाज के लिए बैंगलोर गए हुए थे, जहां उन्होंने एटीएम (ATM) से ही सारे भुगतान किए थे. उसके बाद 13 सितंबर को डा. फैजल के पास एक मैसेज आया, जिसमें उन्हें अपने केवाईसी के लिए इस लिंक को क्लिक कर जन्म तारीख और एटीएम नंबर डालने को कहा गया था, जिसके बाद डा. फैजल फिरदोसी ने उस मैसेज को फुलफिल करने के लिए जानकारी भी भर दी.

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शिकायत के मुताबिक फिर 16 तारीख को ठगी करने वाले ने कौल कर पूछा कि डौक्टर साहब आपका केवाईसी हो गया है. एक रिफ्रेंस नंबर मोबाइल फोन पर आएगा उसे बता दीजिए. डौक्टर ने वो नंबर ठगों को बता दिया. फिर कुछ ही देर बाद दो बार करके पांच लाख रुपये निकाल लिए गए.

इसकी जानकारी लगते ही डौक्टर ने कोतवाली थाने पहुंच कर शिकायत की है. इधर पुलिस ने धारा 420 के तहत मामला दर्ज कर आरोपियों की तलाश करने के लिए साइबर सेल की मदद ली जा रही है. पुलिस बैंगलोर के अस्पताल से जुड़े लोगों से भी पूछताछ की तैयारी कर रही है.

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दोस्त दोस्त ना रहा!

यह मामला है छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिला के पिथौरा थाना अंतर्गत ग्राम किशनपुर का. कैसा आश्चर्य है कि जिस मित्र के साथ नित्य का उठना बैठना था, घर आना जाना था, इंसान उसी की हत्या कर देता है आखिर ऐसा क्या हुआ? क्यों एक शख्स ने अपने ही मित्र की शराब पिलाकर हत्या कर दी आइए, आज आपको इस दर्दनाक घटनाक्रम से अवगत कराते हैं कि आखिर इस अपराध कथा में ऐसा क्या हो गया मशहूर गीतकार शैलेंद्र के लिखा गीत दोस्त दोस्त ना रहा …(फिल्म संगम) जीव॔त हो उठा .

दोस्त की पत्नी को छेड़ना पड़ा महंगा…

घटना के सम्बंध में पिथोरा थाना प्रभारी दीपेश जायसवाल ने हमारे संवाददाता को बताया कि मृतक दुर्गेश पिता कन्हैया यादव एवम आरोपी मनहरण उर्फ मोनो अच्छे दोस्त थे.मृतक दुर्गेश का मोनो के घर अक्सर आना जाना रहता था. परंतु दुर्गेश दोस्त की पत्नी को ही बुरी नजर से देखता था. एक दिन आरोपी की पत्नी सरोजा (काल्पनिक नाम) ने मोनो को उसके दोस्त दुर्गेश द्वारा उससे छेड़छाड़ करने की बात बताई. इसके बाद मोनो ने अपने दोस्त को ऐसा नही करने की नसीहत देते हुए समझाया था.

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परंतु विगत सप्ताह दुर्गेश पुनः मोनो के घर पहुच कर उससे छेड़छाड़ कर ही रहा था कि मोनो ने देख लिया.आरोपी मनहरण उर्फ मोनो द्वारा पुलिस को दिए बयान में बताया कि उक्त घटना के बाद से ही उसने दुर्गेश को ठिकाने लगाने की ठान ली थी और योजना बना कर विगत शनिवार को मोनो ने पहले ग्राम के समीप कन्टरा नाले में महुआ शराब बनाई और मृतक दुर्गेश यादव को शराब पीने नाला बुला लिया .जानकारी के अनुसार दुर्गेश के साथ उसका एक नाबालिग साथी सूरज भी आ धमका .

सभी शराब पीने के पहले मवेशियों के लिए चारा लेने निकले थे.चारा लेकर दोनों दोस्त दुर्गेश मोनो और नाबालिग सूरज ने मिल कर महुआ शराब पी.

इसके बाद सब वापस ग्राम जाने के लिए निकले. नाबालिग सूरज साइकल में चारा पीछे लेकर जा रहा था परंतु वह रास्ते मे ही अत्यधिक नशा होने के कारण गिर पड़ा। पीछे चल रहा दुर्गेश भी नशे में धुत्त था।वह भी सूरज को उठाते उठाते स्वयं भी वही गिर पड़ा. थोड़ी देर बाद ही दुर्गेश उठा और नशे की हालत में जिधर से वे आये थे वापस उसी दिशा में चल पड़ा और रास्ते मे पड़ने वाले तिरिथ राम के खेत मे ही गिर पड़ा. इसी स्थान पर मोनो ने पहले दुर्गेश को उसकी हत्या क्यो कर रहा है इसके बारे में बताया और उसका गला दबाकर उसकी हत्या कर दी.

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अपने दोस्त की हत्या करने के बाद वह घर आ पहुंचा और पत्नी को सारी घटना क्रम बयान कर नित्य के कामों में लग गया.

अंततः हत्या करना स्वीकारा

और जब दूसरे दिन गांव के एक व्यक्ति तीरथराम को अपने खेत में दुर्गेश की लाश मिली तो उसने पुलिस को इत्तला दी. पुलिस ने पंचनामा करने के बाद जांच प्रारंभ की और जांच प्रक्रिया पूछताछ में आरोपी मोनो ज्यादा देर टिक नही पाया और अंततः उसने अपना अपराध कबूल कर लिया.

और पुलिस इकबालिया बयान में बताया कि उसने अपने मित्र की हत्या सिर्फ इसलिए कर दी, क्योंकि वह उसकी पत्नी सरोजा पर बुरी निगाह रखने लगा था,छेड़छाड़ करने लगा था. उसने उसे एक दफे समझाया भी था. बहरहाल स्थानीय पुलिस मनहरण उर्फ मोनो को रिमांड में जेल भेज दिया है.

सेक्स और नाते रिश्तों का टूटना

समाज में आज दिनोंदिन अपराधिक घटनाएं बढ़ती चली जा रही है. अक्सर हम देखते हैं की हत्या का कारण जर जोरू जमीन के इस ट्रायंगल में जोरू अधिकांश रहता है.पत्नी अथवा प्रेमिका के कारण अपराध निरंतर घटित हो रहे हैं. समाज का कोई ऐसा तंतु नहीं है जो इसे रोक सके थाम सके.

इस संदर्भ में सच्चाई यह है कि उपरोक्त हत्याकांड में अपराध घटित होने का सबसे अहम कारण है दुर्गेश का शराब पीकर अपने मित्र मनहरण की पत्नी को पाने का प्रयास करना और जब सरोजा ने सारा घटनाक्रम पति के समक्ष उजागर कर दिया और मनहरण ने दुर्गेश को समझाइश दी इसके बावजूद दुर्गेश अपनी हरकतों से बाज नहीं आया तो अंततः अपने सम्मान और पत्नी की इज्जत बचाने के लिए मनहरण ने अपने ही बचपन के मित्र दुर्गेश की गला घोटकर हत्या कर दी.

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ऐसी अनेक घटनाएं हमारे आसपास समाज में घटित हो रही हैं अगर कोई व्यक्ति बहक जाता है उसके पांव बहक जाते हैं उसका भी अंजाम अंततः ऐसे ही घटनाक्रम में जाकर समाप्त होता है. अच्छा होता मृतक अपनी मर्यादा में रहता, तो संभवतः यह घटनाक्रम घटित ही नहीं होता . जब जब कोई मित्र दुर्गेश की तरह आचरण करता है तो वह मौत का सामना करता है या फिर चौराहे पर पीटा जाता है.

शर्मनाक: रिमांड होम अय्याशी के अड्डे

समाजसेवा के नाम पर चलाए जा रहे आश्रयगृहों यानी रिमांड होम को सरकारी अफसरों और सफेदपोशों ने एक तरह का चकलाघर बना कर रख दिया है. इस के चलते अपनों से बिछड़ी और भटकी मासूम बच्चियां और आपराधिक मामलों में फंसी महिलाएं बंदी समाज के रसूखदारों की घिनौनी हरकतों की वजह से जिस्मफरोशी के दलदल में फंस कर रह जाती हैं.

कई लड़कियों ने बताया कि उन्हें नशे की हालत में ही जहांतहां भेजा जाता था. बेहोशी की हालत में उन के साथ क्याक्या किया जाता था, इस बारे में उन्हें कुछ पता नहीं चलता था. उन्हें बस इतना ही पता चलता था कि उन के पूरे बदन में भयानक दर्द और जलन होती थी.

पटना के गायघाट इलाके में बने महिला रिमांड होम (उत्तर रक्षा गृह) में कुल 136 बंदी हैं. उन के नहाने और कपड़े धोने की बात तो दूर, पीने के पानी का भी ठीक से इंतजाम नहीं है. कमरों में रोशनी और हवा का आना मुहाल है. तन ढकने के लिए ढंग के कपड़े तक मुहैया नहीं किए जाते हैं. इलाज का कोई इंतजाम नहीं होने की वजह से बीमार संवासिनें तड़पतड़प कर जान दे देती हैं.

पिछले साल टाटा इंस्टीट्यूट औफ सोशल साइंसेज, मुंबई की रीजनल यूनिट ने बिहार के 110 सुधारगृहों और सुधार केंद्रों का सर्वे किया था. उस सर्वे में इस बात का खुलासा हुआ था कि 3 केंद्र मानवाधिकार का उल्लंघन कर रहे थे, जिस में मुजफ्फरपुर का बालिका सुधारगृह भी शामिल था. इस के अलावा मोतिहारी और कैमूर सुधार केंद्रों में भी मानवाधिकार के उल्लंघन का मामला सामने आया था.

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ताजा मामला यह है कि पटना के उत्तर रक्षा महिला सुधारगृह, गायघाट में बंगलादेश की 2 लड़कियां पिछले 4 सालों से बंद हैं. ढाका की रहने वाली मरियम परवीन और मौसमी को रेलवे पुलिस ने पटना जंक्शन पर गिरफ्तार किया था. वे मानव तस्करों के चंगुल में फंस गई थीं और किसी तरह भाग निकली थीं. बिहार सरकार की ओर से अब तक उन्हें वापस उन के देश भेजने का कोई इंतजाम नहीं किया गया है.

मरियम परवीन ने बताया कि बंगलादेश की ही लैला नाम की एक औरत नौकरी दिलाने का झांसा दे कर उसे नेपाल ले गई थी. बाद में पता चला कि वह दलालों के चंगुल में फंस चुकी है. एक दिन मौका लगते ही वह भाग निकली. इन दोनों लड़कियों के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं है, इस के बाद भी ये पिछले 4 सालों से रिमांड होम में रहने के लिए मजबूर हैं.

समाज कल्याण विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, रिमांड होम के गेट के भीतर पुरानी और दबंग कैदियों का राज चलता है. उन की बात न मानने वाली कैदियों की थप्पड़ों, लातघूंसों और डंडों से पिटाई तक की जाती है, तो कभी खाना बंद करने का फरमान सुना दिया जाता है.

कुछ साल पहले एक ऐसी ही संवासिन पिंकी ने तो गले में फंदा लगा कर खुदकुशी कर ली थी. पिंकी की चीख रिमांड होम के अंधेरे कमरों की दीवारों में घुट कर रह गई थी. आज तक उस की मौत के गुनाहगारों का पता ही नहीं चल सका है.

गौरतलब है कि पटना के रिमांड होम में प्रेम प्रसंग के मामलों में 34 लड़कियां बंद हैं. बिहार के किशनगंज जिले की रहने वाली लड़की बेबी पिछले 22 महीने से रिमांड होम में कैद है. उस का गुनाह इतना ही है कि उस ने दूसरे धर्म के लड़के से प्यार किया. उस के घर वालों ने पहले तो उसे समझाया, पर वह अपने प्यार को पाने की जिद पर अड़ी रही तो आखिरकार गुस्से में आ कर बेबी के घर वालों ने उस के प्रेमी को मार डाला. उस के बाद लड़के के परिवार ने बेबी समेत उस के समूचे परिवार को हत्या का आरोपी बना दिया.

बेबी सिसकते हुए कहती है कि जिस से मुहब्बत की और साथ जीनेमरने की कसमें खाई थीं, उसे वह कैसे मार सकती है?

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पिछले साल बिहार के मुजफ्फरपुर शहर के बालिका बाल सुधारगृह में बच्चियों के जिस्मानी शोषण के मामले का भंडाफोड़ हुआ था. सेवा, संकल्प एवं विकास समिति नाम की संस्था की ओट में जिस्मफरोशी का धंधा चलता था.

इस संस्था के संचालक ब्रजेश ठाकुर ने अपने घर, प्रिंटिंग प्रैस और बालिकागृह के बीच राज भरी दुनिया बना रखी थी. सीबीआई की टीम जब मुजफ्फरपुर के साहू रोड पर बने उस के घर पर पहुंची तो सीढि़यों की बनावट देख कर हैरान रह गई.

बालिकागृह में 4 सीढि़यां मिलीं और सभी बालिकागृह के मेन भवन तक पहुंचती हैं. एक सीढ़ी प्रिंटिंग प्रैस वाले कमरे में निकलती थी, एक उस के घर की ओर निकलती थी. मकान की तीसरी मंजिल को बालिका सुधारगृह बनाया गया था.

सांसद रह चुके पप्पू यादव साफतौर पर कहते हैं कि मुजफ्फरपुर के बालिका सुधारगृह की मासूम बच्चियों को रसूखदार लोगों के पास ‘मनोरंजन’ के लिए भेजा जाता था. छापेमारी के बाद पता चला कि पीडि़त लड़कियों की उम्र 6 से 15 साल के बीच है, जिन में से 13 लड़कियों की दिमागी हालत ठीक नहीं है.

पुलिस सूत्रों की मानें तो जांच के दौरान यह खुलासा होने लगा है कि कई बच्चियों को नेताओं और अफसरों के पास भेजा जाता था. बालिकागृह में भी हर शुक्रवार को महफिल सजती थी, जिस में कई सफेदफोश और वरदीधारी शामिल होते थे.

कुछ ऐसा ही धंधा पटना की ‘पेज थ्री क्वीन’ कही जाने वाली मनीषा दयाल और उस का पार्टनर चितरंजन भी चला रहा था. मनीषा दयाल की एनजीओ अनुमाया ह्यूमन रिसर्च फाउंडेशन को आसरा होम के संचालन का जिम्मा कैसे मिला, इस के पीछे भी बड़ी कहानी है. आसरा होम का काम मिलने से पहले मनीषा ने बदनाम ब्रजेश ठाकुर द्वारा चलाए जा रहे शैल्टर होम का मुआयना किया था. ब्रजेश ठाकुर की पैरवी से ही मनीषा दयाल को आसरा होम चलाने की जिम्मेदारी समाज कल्याण विभाग ने दी थी.

पटना के राजीव नगर की चंद्रविहार कालोनी के नेपाली नगर में मनीषा दयाल का आसरा होम चलता था. आसरा होम को मिलने वाली सरकारी मदद की रकम में चितरंजन और मनीषा दयाल बड़े पैमाने पर हेराफेरी करते थे.

आसरा होम को चलाने के लिए सरकार की ओर से हर साल 76 लाख, 80 हजार, 400 रुपए देने का करार किया गया था. साल 2018-19 के लिए अब तक 67 लाख रुपए मिल चुके थे.

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आसरा होम के नाम पर करोड़ों रुपए जुटाने वाली मनीषा दयाल इतनी बेदर्द थी कि वह आसरा होम में रहने वाली औरतों और लड़कियों को ठीक से खाना तक नहीं देती थी. उस की गिरफ्तारी के बाद आसरा होम में रहने वाली संवासिनों की मैडिकल जांच की गई तो वे सभी कुपोषण की शिकार निकलीं.

डाक्टरों का कहना है कि इन संवासिनों की नाजुक हालत को देख कर यही लगता है कि इन्हें सही तरीके से खाना और पानी भी नहीं दिया जाता था.

महिला बंदियों को ले कर सोच बदलें :

सुषमा साहू राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य सुषमा साहू कहती हैं कि औरतों को सताने के मामलों में कहीं कोई कमी नहीं आई है. जेल और रिमांड होम की अंदर की बात तो दूर घरों में औरतों के साथ अच्छा रवैया नहीं अपनाया जाता है. वे मानती हैं कि जेलों और रिमांड होम में बंद कैदियों को दोबारा बसाने की सब से बड़ी समस्या है. ऐसी कैदियों को ले कर समाज की सोच बदलने की जरूरत है. उन्हें हुनरमंद बनाना होगा, तभी वे अपने पैरों पर खड़ी हो सकेंगी. इस के लिए कई योजनाएं बनाई गई हैं और जल्दी ही इस का असर भी दिखाई देने लगेगा.

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कहानी सौजन्य– मनोहर कहानियां

1 करोड़ की फिरौती ना देने पर ले ली प्रौपर्टी डीलर की जान

लेखक- कपूर चंद

पिछले एक दशक से देखने में आ रहा है कि कई जघन्य वारदातों में नाबालिगों के नाम शामिल होते हैं. इस की वजह मामूली पढ़ाई-लिखाई, बेरोजगारी तो है ही, लेकिन उस से भी बड़ी वजह ये है कि नाबालिगों के मुकदमे बाल न्यायालय में चलते हैं और उन्हें कम सजा दी जाती है, जो 2-3 साल से ज्यादा नहीं होती.

दिसंबर, 2012 में दिल्ली में हुए देश के सब से चर्चित सामूहिक बलात्कार और हत्या के दोषियों में एक नाबालिग भी था. उसी ने निर्भया के साथ सब से ज्यादा बर्बरता, सच कहें तो इंतहा की आखिरी हद तक दरिंदगी की थी. लेकिन नाबालिग होने की वजह से वह मामूली सजा भोग कर जेल से बाहर आ गया और हालफिलहाल नाम बदल कर दक्षिण भारत में कुक की नौकरी कर रहा है.

5 साल पहले मेरठ में भी एक नाबालिग ने पारिवारिक रंजिश के चलते एक व्यक्ति को दिनदहाड़े गोलियों से भून दिया था, जो अब छूट चुका है. ऐसे और भी तमाम मामले हैं. 13 जून, 2019 को दिल्ली के रोहिणी में हुई प्रौपर्टी डीलर अमित कोचर की हत्या में भी एक आरोपी नाबालिग है, जिसे शार्पशूटर बताया जा रहा है. पुलिस के अनुसार अमित कोचर से एक करोड़ रुपए की सुपारी मांगी गई थी, जो उन्होंने नहीं दी. इसी के फलस्वरूप उन की हत्या कर दी गई.

विकासपुरी में रहने वाले अमित कोचर ने कई साल तक बीपीओ (कालसेंटर) चलाया था. इस के बाद वह प्रौपर्टी डीलिंग का काम करने लगे थे. उन की पत्नी एनसीआर के एक कालसेंटर में कार्यरत थीं. 13 जून बृहस्पतिवार को अमित ने अपने दोस्तों को खाने पर बुलाया था. अमित ने औनलाइन खाना और्डर कर दिया था. 11 बजे डोरबैल बजी तो अमित ने सोचा, डिलिवरी बौय आया होगा. उन्होंने दरवाजा खोल दिया. दरवाजे पर खड़े बदमाशों ने अमित को बिना कोई मौका दिए बाहर खींच लिया.

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बदमाश उन्हें घसीट कर घर के बाहर ले गए और उन्हें उन की ही गाड़ी में बैठा कर उन की हत्या कर दी. उन्हें 9 गोलियां मारी गई थीं. जब अमित के दोस्तों ने गोली की आवाज सुनी तो वे बाहर आए. बदमाशों ने उन पर पिस्तौल तान दी और अपनी कार में बैठ कर भाग निकले. घटना के बाद लोग एकत्र हुए तो सब को लगा कि यह घटना संभवत: कार पार्किंग के विवाद को ले कर हुई है.

अमित कोचर के दोस्त उन्हें दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल ले गए. लेकिन डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. पुलिस ने जब इस मामले की जांच शुरू की तो सीसीटीवी फुटेज के आधार पर पता चला कि बदमाश क्रेटा कार से भागे थे.

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कार के नंबर के आधार पर पता लगाया गया तो जानकारी मिली कि क्रेटा कार भिवाड़ी, राजस्थान से लूटी गई थी. बदमाशों ने एक मौल के बाहर से क्रेटा कार के मालिक को कार सहित अपहृत कर लिया था. बाद में उसे रास्ते में उतार दिया गया. केवल इतना ही नहीं, बल्कि उन्होंने उसे किराए के लिए एक हजार रुपए भी दिए थे.

रोहिणी मामले में पुलिस ने अपने मुखबिरों की मदद ली तो पता चला कि अमित कोचर की हत्या गैंगस्टर मंजीत महाल के भांजे लोकेश उर्फ सूर्या के गैंग के लोगों ने की थी. 15 जून की सुबह 4 बजे मुखबिरों से ही पता चला कि जिस गैंग ने अमित कोचर की हत्या की है, उस गैंग के बदमाश सुबह 4 बजे रोहिणी के सेक्टर-25 में हेलीपैड के पास मौजूद हैं.

पुलिस टीम वहां पहुंची तो हत्या की वारदात में इस्तेमाल की गई क्रेटा कार खड़ी दिखाई दी. कार के बाहर नाबालिग शार्पशूटर खड़ा था, जो शायद किसी का इंतजार कर रहा था. पुलिस को देख वह कार की ओट में छिप गया. पुलिस ने उसे समर्पण करने को कहा तो वह भागने लगा. पुलिस टीम उसे पकड़ने के लिए दौड़ी तो उस ने गोली चला दी. गनीमत यह रही कि गोली किसी पुलिस वाले को नहीं लगी. पुलिस ने उसे पकड़ लिया. उस से कार और पिस्तौल बरामद कर ली गई.

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पूछताछ में नाबालिग ने बताया कि प्रौपर्टी डीलर अमित कोचर बुकी भी थे. यानी वह सट्टा खेलाते थे. गैंग ने उन से एक करोड़ की रंगदारी मांगी थी, पैसा न देने की वजह से ही उन की हत्या की गई थी. पिछले साल दिसंबर में इस गैंग के लोगों ने बिंदापुर के एक डाक्टर से एक करोड़ की रंगदारी मांगी थी. इस मामले में पुलिस ने इस गैंग के बदमाश जितेंद्र को नजफगढ़ से गिरफ्तार किया था. इस गिरोह ने अपने प्रतिद्वंदी गिरोह के बदमाश हरिओम को गोलियों से भून दिया था, लेकिन उस की जान बच गई थी.

इस मामले में नाबालिग के अलावा नजफगढ़ का रहने वाला लोकेश उर्फ सूर्या, प्रदीप, सोनीपत निवासी नीरज और रोहतक का रहने वाला रोहित भी शामिल था. इस गिरोह ने 29 अप्रैल, 2019 को जनकपुरी के एक डिपार्टमेंटल स्टोर से 15 लाख रुपए लूटे थे. इस मामले में थाना जनकपुरी में केस दर्ज हुआ था. बाद में बदमाशों ने डिपार्टमेंटल स्टोर के मालिक को केस वापस लेने के लिए धमकाया भी था.

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