घड़ी की टिकटिक करती सुइयां 11 मार्च, 2020 को अलविदा कह कर अगली तारीख पर दस्तक दे चुकी थीं. प्रणव जैन और उस की नानी मनोरमा जैन रात का पहला पहर बीत जाने पर भी बेचैनी से घर में टहल रहे थे.
प्रणव रात 10 बजे से ही अपनी मां रिनी जैन को फोन पर फोन कर रहा था, लेकिन उन का फोन लगातार बंद जा रहा था. इस उम्मीद में कि शायद अब फोन औन हो गया होगा, वह दोबारा फोन करता. लेकिन दूसरी तरफ से वही स्विच्ड औफ की आवाज सुन कर दिल निराशा से भर उठता.
प्रणव और उस की नानी के मन में बुरेबुरे ख्याल आ रहे थे. मां के साथ किसी अनिष्ट की आशंका से ही प्रणव का पूरा शरीर सिहर जाता था.
रिनी जैन (42) अपनी मां मनोरमा जैन और बेटे प्रणव जैन के साथ दिल्ली से सटे गाजियाबाद में मोहननगर के पास स्थित गुलमोहर ग्रीन सोसायटी में जी-5 एए फ्लैट में रहती हैं.
उन का बेटा प्रणव डीएलएफ स्कूल में 12वीं का छात्र है. तलाकशुदा रिनी जैन के साथ उन की मां मनोरमा भी रहती हैं. रिनी जैन गाजियाबाद में इग्नू से संबद्ध एक इंस्टीट्यूट में इग्नू की तरफ से बतौर काउंसलर नियुक्त थीं. साधनसंपन्न परिवार था.
रिनी जैन जिदंगी को खुल कर जीने वाली महिला थीं, इसीलिए अपने परिचितों में वह एक बिंदास और शौकीन मिजाज महिला के रूप में जानी जाती थीं.
11 मार्च, 2020 की शाम साढ़े 7 बजे रिनी अपनी मां और बेटे से यह कह कर घर से निकली थीं कि उन की किसी के साथ मीटिंग है और वह साढे़ 9 या 10 बजे तक लौट आएंगी. रिनी जैन अपनी स्विफ्ट कार यूपी14सी बी3394 ले कर अपनी सोसाइटी से निकलीं और देर रात तक घर नहीं लौटीं तो उन के बेटे व मां को चिंता सताने लगी.
परेशानहाल उन के बेटे व मां ने ऐसे तमाम लोगों को फोन करना शुरू कर दिया, जो रिनी जैन के परिचित थे और वह अकसर उन से मिलतीजुलती रहती थीं.
लेकिन किसी के पास रिनी के बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं थी. उन्होंने अपनी ही सोसाइटी गुलमोहर ग्रीन के 812 एए में रहने वाले अपने परिचित संदीप कौशिक को भी फोन कर के रिनी के बारे में जानना चाहा. उन्होंने बताया कि दिन में एक बार उन की रिनी से बात तो हुई थी, लेकिन बीते दिन मुलाकात नहीं हुई थी.
प्रणव जैन और उन की नानी मनोरमा जैन की रात आंखोंआंखों में ही कटी. जैसेतैसे सुबह हुई तो प्रणव सोचने लगा कि अब क्या किया जाए. लेकिन 12 मार्च को सुबह 8 बजे कालोनी में रहने वाले उस के अंकल संदीप उन के घर पहुंच गए.
परिवार का हमदर्द बना संदीप
संदीप ने आते ही प्रणव से रिनी जैन के बारे में सारी बात पूछी. प्रणव ने उन्हें बताया कि वह घर में 9 या 10 बजे तक लौटने की बात कह कर गई थीं. यह जान संदीप भी चिंतित हो उठे. आखिरकार तय हुआ कि रिनी के लापता होने की गुमशुदगी दर्ज करा दी जाए.
इस दौरान 1-2 रिश्तेदार भी रिनी के लापता होने की खबर पा कर उन के घर पहुंच गए थे.
गुलमोहर ग्रीन सोसाइटी थाना साहिबाबाद के अंतर्गत आती है. प्रणव जैन रिश्तेदारों और संदीप कौशिक को ले कर सुबह करीब 10 बजे साहिबाबाद थाने पहुंच गए.
साहिबाबाद थाने के एसएचओ अनिल कुमार शाही, एडीशनल एसएचओ मुकेश कुमार तथा एसएसआई प्रमोद कुमार उस वक्त किसी मसले पर मंत्रणा कर रहे थे.
संदीप कौशिक के साथ साहिबाबाद थाने पहुंचे प्रणव जैन ने इंसपेक्टहर शाही को बताया कि उन की मां रिनी जैन बीती शाम से अपनी कार समेत लापता हैं और उन का मोबाइल फोन भी बंद है.
प्रणव जैन ने अपनी मां के साथ किसी अनहोनी की आशंका जताई, तो इंसपेक्टर शाही ने रिनी जैन का एक फोटो ले कर उन की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवा दी. साथ ही उन्होंने रिनी के हुलिए की जानकारी देते हुए जिले के सभी थानों और पूरे एनसीआर में वायरलैस पर उन की गुमशुदगी की सूचना प्रसारित करवा दी.
उसी दिन सिहानी गेट कोतवाली क्षेत्र में भट्ठा नंबर 5 के पास झाडि़यों में एक महिला का खून से लथपथ शव मिला था. उस के सिर में शायद गोली लगी थी. सिहानी गेट थाने की पुलिस ने उस अज्ञात महिला के शव के मिलने की जानकारी वायरलैस पर प्रसारित कराई थी.
वायरलैस पर मिली इस जानकारी से साहिबाबाद थाने की पुलिस को वह शव रिनी जैन का होने की आशंका हुई. इसलिए उसी दिन दोपहर में साहिबाबाद थाने के एसएसआई प्रमोद कुमार प्रणव जैन को साथ ले कर पहले सिहानी गेट थाने गए और फिर गाजियाबाद मोर्चरी पहुंचे.
सोसाइटी में रहने वाले फैमिली फ्रैंड संदीप कौशिक प्रणव के साथ थे. मोर्चरी में रखा महिला का शव बुरी तरह खून से लथपथ था. इस के बावजूद प्रणव शव को देखते ही फफकफफक कर रोने लगा. वह शव उस की मां का ही था.
प्रणव जैन ने पुलिस को बता दिया कि शव उस की मां का ही है. शव की शिनाख्त हो गई थी. लिहाजा एसपी (सिटी) मनीष कुमार मिश्रा के आदेश पर सिहानी गेट पुलिस ने अज्ञात महिला की हत्या के दर्ज मामले को उसी दिन साहिबाबाद पुलिस के सुपुर्द कर दिया.
साहिबाबाद पुलिस ने निरीक्षण में पाया कि सिर पर वार कर हत्या करने के बाद शव को झाड़ी में फेंका गया था. महिला का मोबाइल व स्विफ्ट डिजायर कार गायब थी. रिनी अपने बेटे से पार्टी में जाने की बात कह कर घर से निकली थी. साहिबाबाद पुलिस ने 12 मार्च को ही रिनी जैन की गुमशुदगी के मामले को भादंसं की धारा 302 यानी हत्या के रूप में दर्ज कर लिया.
चूंकि मामला हत्या जैसे गंभीर अपराध का था, इसलिए इस मामले की जांच का दायित्व इंसपेक्टर इन्वैस्टीगेशन मुकेश कुमार के सुपुर्द कर दिया गया.
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मामला एक सभ्रांत परिवार की हाईप्रोफाइल महिला की हत्या का था, इसलिए गाजियाबाद के एसएसपी कलानिधि नैथानी ने भी इस पर तत्काल संज्ञान लिया और एसपी (सिटी) को निर्देश दिया कि घटना का जल्द से जल्द खुलासा करें.
एसपी (सिटी) ने उसी दिन बौर्डर इलाके के सीओ डा. राकेश कुमार मिश्रा की निगरानी में थानाप्रभारी अनिल कुमार शाही, जांच अधिकारी इंसपेक्टर मुकेश कुमार, एसएसआई प्रमोद कुमार, सबइंसपेक्टर राजीव बालियान, नरेंद्र सिंह, हैडकांस्टेबल नाहर सिंह, कांस्टेबल सुजय कुमार, संजीव कुमार, ललित कुमार, सुनील कुमार और अनुज कुमार की टीम का गठन कर दिया और खुद जांच की मौनिटरिंग करने लगे.
जीवित गई रिनी लाश बन कर लौटी
थानाप्रभारी अनिल कुमार शाही ने उसी शाम को मृतका रिनी जैन के शव का पोस्टमार्टम करवा कर शव को उस के घर वालों के सुपुर्द करवा दिया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट से खुलासा हुआ कि रिनी जैन की मौत उन के सिर में 2 गोली लगने से हुई थी.
साथ ही उन के शव पर कई जगह चोट के निशान भी मिले थे. चूंकि रिनी जैन का मोबाइल व स्विफ्ट डिजायर कार गायब थी, इसलिए पुलिस को पहली नजर में लगा कि ये मामला लूटपाट के विरोध में हुई हत्या का हो सकता है.
हालांकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिलने तक पुलिस को शक था कि कहीं रिनी जैन की हत्या दुष्कर्म करने के बाद न की गई हो. लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह शक गलत निकला.
पुलिस को एक शक यह भी था कि इस वारदात के पीछे उन के किसी परिचित का हाथ न रहा हो. क्योंकि मोहननगर में रहने वाली रिनी जैन का शव राजनगर एक्सटेंशन से लगे भट्ठा नंबर 5 के इलाके में मिलना यह दर्शाता था कि वहां तक वह किसी परिचित के साथ ही आई होंगी. क्योंकि उस इलाके में आमतौर पर कोई अपनी मरजी से घूमने नहीं आता.
पुलिस को यकीन था कि रिनी जैन के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाने से कातिल तक पहुंचने में मदद मिल सकती है. इसलिए थानाप्रभारी अनिल कुमार शाही ने रिनी जैन के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवा कर उस की पड़ताल शुरू करा दी, जिस से यह साफ हो गया कि रात के 10 बजे जब रिनी जैन का मोबाइल बंद हुआ था, तो उस की आखिरी लोकेशन राजनगर एक्सटेंशन की थी.
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पुलिस ने जब उस के मोबाइल की काल डिटेल्स तथा शाम 6 बजे से उस के मोबाइल की लोकेशन को चैक करने का काम शुरू किया तो रिनी जैन के कातिल का चेहरा बेनकाब होता चला गया.
पुलिस ने मोबाइल की टैक्निकल सर्विलांस और कुछ सीसीटीवी फुटेज का सहारा लेने के बाद आखिरकार 14 मार्च की सुबह कातिल को पकड़ने के लिए जाल बिछा दिया.
थाना साहिबाबाद के प्रभारी अनिल कुमार शाही ने गठित की गई पुलिस टीम के साथ 14 मार्च को राजनगर एक्सटेंशन में घेराबंदी कर दी और किसी का इंतजार करने लगे. आखिरकार थोडे़ इंतजार के बाद 2 लोग रिनी जैन की कार में बैठे हुए राजनगर एक्सटेंशन से गाजियाबाद की तरफ जाते दिखे.
जब उस गाड़ी को रोका गया, तो उस में सवार व्यक्ति को देख कर पुलिस टीम की बांछें खिल गईं. क्योंकि उस व्यक्ति को पकड़ने के लिए ही टीम ने जाल बिछाया था. वह शख्स कोई और नहीं, रिनी जैन की सोसाइटी में रहने वाला उन का फैमिली फ्रैंड संदीप कौशिक और उस की पत्नी प्रीति त्यागी थे.
संदीप की पत्नी प्रीति त्यागी न्यू देहली इंस्टीट्यूट औफ मैनेजमेंट, ओखला में विजिटिंग प्रोफेसर थी. वे दोनों जिस स्विफ्ट कार में सवार हो कर राजनगर एक्सटेंशन से गाजियाबाद की तरफ जा रहे थे, वह रिनी जैन की थी, जो लापता थी. पुलिस ने जब उस कार की तलाशी ली तो उस में रिनी जैन की हत्या में प्रयुक्त 6.35 बोर का रशियन पिस्टल बरामद हुआ.
इस मामले में अब तक पीडि़त परिवार के साथ उन का हमदर्द बन कर पुलिस को चकरघिन्नी की तरह घुमा रहे संदीप और उस की पत्नी के चोरी पकड़े जाते ही होश उड़ गए.
दोनों को रिनी जैन की कार समेत थाने लाया गया. एसपी (सिटी) मनीष कुमार और सीओ डा. राकेश कुमार मिश्रा भी साहिबाबाद पहुंच गए.
जब पुलिस ने सख्ती के साथ रिनी जैन की हत्या के बारे में संदीप और प्रीति से पूछताछ की, तो हत्याकांड के सारे राज बेपरदा होते चले गए.
अपने खुले विचारों के कारण रिनी जैन का अपने पति से 2004 में तलाक हो चुका था. पति से तलाक के बदले उसे अच्छीखासी रकम मिली थी.जिस के सहारे रिनी जैन कुछ साल तक गाजियाबाद के कविनगर में रहते हुए अपने बेटे को पालने लगी. साथ में उन की मां रहने लगी थी.
2014 में रिनी जैन की जिंदगी में तब अचानक बदलाव आया जब संदीप कौशिक से उस की जानपहचान हुई.