30 जनवरी, 2019 की शाम की बात है. मध्य दिल्ली के पहाड़गंज में चूनामंडी इलाके की गली नंबर 5 के प्रथम तल स्थित मकान नंबर 2860 के बाहर भारी मात्रा में पुलिस तैनात थी. पुलिस ने यहां रहने वाले संजय सचदेव नाम के शख्स को हिरासत में लिया था. संजय सचदेव इस मकान में एक शेल्टर होम चलाता था. यहीं पर उस ने अपनी संस्था का अस्थाई औफिस भी बनाया हुआ था. पुलिस की इस काररवाई की भनक जल्द ही पूरे इलाके में सनसनी बन कर फैल गई. आननफानन में उस मकान के आगे लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा.
हर कोई जानना चाहता था कि इलाके में जिस इंसान को एक बड़े समाजसेवी की नजर से देखा जाता था, उसे पुलिस ने आखिर किस जुर्म में गिरफ्तार किया है. संजय सचदेव के छापे और उसे गिरफ्तार करने की सूचना मीडिया में भी जंगल की आग की तरह फैली, जिस के बाद पहाड़गंज के उस ठिकाने पर मीडिया के लोगों का भी हुजूम उमड़ आया.
दरअसल, संजय सचदेव ‘लव कमांडो’नाम से एक ऐसी संस्था चलाता था, जो उन प्रेमी जोड़ों को तथाकथित रूप से पनाह देती थी, जिन्हें समाज या अपने घरपरिवार वालों से जान का खतरा हो. ऐसे जोड़ों की एनजीओ में रहने की भी व्यवस्था थी. लेकिन यह केवल दिखावा भर था, सच्चाई कुछ और ही थी.
आइए पहले इस संस्था के बारे में जान लें. साल 2001 में संजय सचदेव ने फरवरी महीने में अपने कुछ साथियों के साथ वैलेंटाइंस पीस कमांडो नाम का संगठन बनाया. दरअसल, वैलेंटाइंस डे करीब आते ही कुछ कट्टरपंथी संगठन दिल्ली व दूसरे महानगरों में प्रेमियों को यह त्यौहार मनाने पर बंदिशें लगा देते थे.
वैलेंटाइंस पीस कमांडो ने प्रेमियों के इस अवसर पर अपने कमांडो तैनात कर के प्रेमियों को सुरक्षा देने का काम शुरू किया. शुरुआती दौर में इस संगठन को ज्यादा रेस्पौंस नहीं मिला. 2006-07 तक ये संस्था ऐसे ही चलती रही.
लेकिन साल 2010 में हुई एक घटना ने संजय सचेदव की इस संस्था को विस्तार दे दिया. हुआ यूं कि संजय के एक रिश्तेदार के लड़के को एक लड़की से प्रेम विवाह करने की वजह से लड़की के परिजनों ने उस युवक को झूठे रेप केस में फंसा दिया.
संजय सचदेव को जब उस बात का पता चला तो उन्होंने खुद लड़की से बात की. लड़की ने उन्हें बताया कि मेरे पापा मुझ पर दबाव बना कर ऐसा करवा रहे हैं. जबकि हम दोनों रिलेशनशिप में हैं. इस के बाद संजय ने अदालत का सहारा लिया. कोर्ट ने प्रेमी को जमानत दे दी.
ऐसे आया लव कमांडो का आइडिया…
कोर्ट से बाहर निकलने पर एक दोस्त ने संजय सचदेव से कहा कि ऐसे लोगों को बचाने, पनाह देने और कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए कुछ और बेहतर किया जाना चाहिए. बस इसी के बाद सचदेव ने इस संस्था का स्वरूप बदल दिया. उन्होंने 2 हेल्पलाइन नंबर भी जारी कर दिए.
संस्था के शुरुआती दौर से जुड़े सदस्य और संस्था के कोऔर्डिनेटर हर्ष मल्होत्रा ने सुझाव दिया कि संस्था का नाम अब पीस कमांडो से बदल कर ‘लव कमांडो’ रख दिया जाए. संजय सचदेव को नाम अच्छा लगा, लिहाजा 2010 में संस्था का नाम ‘लव कमांडो’कर दिया गया.
‘लव कमांडो’ संस्था की शुरुआत के समय इस में सिर्फ 200 लोग थे,लेकिन वक्त गुजरता रहा, लोग जुड़ते गए. नतीजतन अकेली दिल्ली में लव कमांडो ग्रुप के 7 शेल्टर होम हैं,जहां प्रेमियों को तथाकथित सुरक्षा के साथ नि:शुल्क रहनेखाने की सुविधा दी जाती है.
लव कमांडो के कर्ताधर्ता संजय सचदेव आए दिन मीडिया की सुर्खियां बनने लगे,उनके इसी अद्भुत काम से प्रभावित हो कर आमिर खान ने अपने लोकप्रिय कार्यक्रम सत्यमेव जयते में लव कमांडो के चेयरमैन संजय सचदेव को बुलाया था, जिस के बाद संजय सचदेव की लोकप्रियता शिखर पर पहुंच गई थी.
लेकिन अचानक दिल्ली महिला आयोग और पुलिस के संयुक्त अभियान में लव कमांडो के बेस शेल्टर होम और अस्थाई मुख्यालय पर छापा मारने के बाद जो जानकारी सामने आई, उसे जान कर सभी हैरान रह गए.
दरअसल, हुआ यह कि दिल्ली के पहाड़गंज एरिया में लव कमांडोज का जो शेल्टर होम चल रहा था, वहां से 28 जनवरी 2019 को एक प्रेमी जोड़ा निकला और महिला आयोग की सदस्य किरण नेगी और फिरदौस से मिला.
इस जोड़े ने लव कमांडो के शेल्टर होम में प्रेमी जोड़े की मदद के नाम पर उन के साथ होने वाले अत्याचार और जबरन वसूली करने की एक ऐसी कहानी सुनाई,जिस से महिला आयोग की दोनों सदस्य उन की शिकायत को नजरअंदाज नहीं कर सकीं.
शिकायत गंभीर थी, इसलिए इसे महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल के संज्ञान में लाया गया. स्वाति मालीवाल ने किरण नेगी और फिरदौस की अगुवाई में पुलिस के सहयोग से लव कमांडो के शेल्टर होम पर छापा मार कर सच्चाई का पता लगाने का फैसला लिया.
प्रेमी युगल की हिम्मत ने दिखाई राह
अगले दिन यानी 29 जनवरी को सदस्य किरण नेगी व फिरदौस को साथ ले कर दिल्ली महिला आयोग की मुखिया स्वाति मालीवाल मध्य दिल्ली जिला पुलिस के उपायुक्त मनदीप सिंह रंधावा से मिलीं और उन्हें एक दिन पहले प्रेमी जोड़े से मिली शिकायत से अवगत करा कर जांच के लिए पुलिस बल उपलब्ध कराने का अनुरोध किया.
डीसीपी रंधावा ने मामले की गंभीरता को भांपते हुए तत्काल पहाड़गंज इलाके के एसीपी संजीव गुप्ता और एसएचओ सुनील चौहान को एक रेडिंग पार्टी तैयार करने के लिए कहा, जिस के बाद महिला आयोग की टीम पहाड़गंज थाने पहुंच गई. एसीपी संजीव गुप्ता ने एसएचओ सुनील चौहान के साथ संगतराशां चौकी प्रभारी दीपक कुमार वर्मा और एसआई खजान सिंह को भी टीम के साथ वहां बुलवा लिया था.
महिला आयोग की टीम के साथ पुलिस लव कमांडो के शेल्टर होम पहुंची. संयोग से उस वक्त संजय सचदेव वहां मौजूद था. पुलिस को वहां से 4 प्रेमी जोड़े मिले. इन में से 2 जोड़े ऐसे थे, जिन में लड़के व लडकियां अलगअलग धर्म से संबधित थे.
पुलिस व महिला आयोग की टीम ने चारों जोड़ों को अपने साथ लिया और पहाड़गंज थाने ले आए. वहां महिला आयोग की टीम ने चारों जोड़ों की काउंसलिंग कर के उन्हें समझाया कि शेल्टर होम में उन के साथ जो कुछ भी हुआ, बिना किसी डर या दबाव के बताएं.
चारों प्रेमी जोड़े पहले कुछ झिझक रहे थे लेकिन थोड़ी देर बाद वे खुल गए. इस के बाद उन्होंने शेल्टर होम में होने वाली कारगुजारियों के बारे में जो हकीकत बयान की,उसे सुन कर सब सकते में आ गए.
प्रेमी जोड़ों ने बताया कि लव कमांडो प्रेमी जोड़ों की मदद करने व उन्हें पनाह देने के नाम पर संगठित रूप से जबरन वसूली का एक गिरोह चला रहा था.
महिला आयोग की टीम ने पुलिस से इस मामले की एफआईआर दर्ज करने का अनुरोध किया. 29 जनवरी को ही प्रेमी जोड़ों के बयान के आधार पर थाना पहाड़गंज में भारतीय दंड संहिता की धारा 342, 384, 386, 506, 509 व 34 के तहत मामला दर्ज कर लिया गया. इस की जांच का काम संगतराशां चौकी प्रभारी दीपक वर्मा की निगरानी में एसआई खजान सिंह को सौंपा गया.
खजान सिंह ने उसी दिन चारों प्रेमी जोड़ों को अदालत में पेश कर मजिस्ट्रैट के सामने उन के बयान दर्ज करवा दिए. पुलिस को अपना विस्तृत बयान देने के बाद महिला आयोग की टीम चारों प्रेमी जोड़ों को अपने साथ ले गई और उन्हें दिल्ली सरकार के अलगअलग शेल्टर होम में शरण दे दी.
इस के बाद शुरू हुआ पुलिस की पड़ताल का काम. 30 जनवरी को एचएचओ सुनील चौहान और चौकी प्रभारी दीपक कुमार के नेतृत्व में एक टीम फिर से लव कमांडो के शेल्टर होम पहुंची. शेल्टर होम में 2 छोटे कमरे थे. उन में सभी प्रेमी जोड़ों का रखा जाता था. घर से भागे हुए प्रेमी जोड़ों को चूंकि कोई रास्ता और नहीं दिखता था, इसलिए शरण पाने के लिए उन्हें लव कमांडोज के शेल्टर होम में मिली शरण स्वर्ग से कम नहीं लगती थी.
लेकिन शरण मिलने के बाद उन जोड़ों को जल्दी ही वहां की हकीकत पता चल जाती थी. उन्हें वहां के सारे काम करने पड़ते थे. युवक-युवतियों को झाड़ूपोंछा तक करना पड़ता था. शेल्टर होम में सारा स्टाफ पुरुषों का था,लेकिन मजबूरी में उस जोड़े को स्टाफ के पैर भी दबाने पड़ते थे. वहां मौजूद जोड़ों ने पूछताछ में बताया था कि संजय सचदेव शाम होते ही शराब पी लेता था और लड़कों को जबरदस्ती अपने साथ शराब पिलाता था.
हालांकि लव कमांडो की हेल्पलाइन और प्रचार माध्यमों में यही कहा जाता था कि किसी भी प्रेमी जोड़े को शेल्टर होम में रहने या खाने की व्यवस्था मुफ्त है. लेकिन 1-2 दिन बाद जब कपल से शादी कराने के लिए उन के सभी मूल दस्तावेज लव कमांडो अपने कब्जे में लेते, उस के बाद कानूनी खर्चों के नाम पर और वहां शरण देने के लिए कपल से उस के एवज में मोटी फीस वसूली जाती थी.
इतना ही नहीं, अगर किसी कपल के घर वाले उन्हें पैसे भेजते तो लव कमांडो की टीम थोड़ा सा पैसा कपल को दे कर बाकी सारा खुद अपने पास रख लेते थे. इतना ही नहीं, छोटीछोटी बातों पर प्रेमी जोड़ों से बदसलूकी, गालीगलौज, यहां तक कि कभीकभी मारपीट तक की जाती थी.
वसूली के लिए ले लेते थे पहचान से जुड़े मूल कागजात…….
यही नहीं, लव कमांडो की टीम सभी प्रेमी जोड़ों के आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड और पहचान से जुड़े दूसरे दस्तावेजों की मूल प्रति तब तक के लिए अपने पास रख लेते थे,जब तक कपल से मोटी रकम नहीं वसूल हो जाती थी. ऐसा नहीं था कि प्रेमी जोडे़ इस का विरोध नहीं करते थे, लेकिन वे यह सोच कर चुप रह जाते थे कि चलो, जब तक शादी हो या कोई दूसरा सुरक्षित ठिकाना न मिले, तक तक लव कमांडो की जबरन वसूली को पूरा कर देते हैं.
प्रेमी जोड़े महीना-2 महीना जब तक लव कमांडो के किसी भी शेल्टर होम में पनाह ले कर रहते थे,तब तक उन के दस्तावेज वापस नहीं किए जाते थे. इस बीच लव कमांडो की टीम अलग-अलग बहाने से मोटी रकम ऐंठती रहती थी.
महिला आयोग और पुलिस की टीम ने जिन प्रेमी जोड़ों को वहां से निकलवाया था,उन सब की उम्र 25 साल के आसपास थी. पुलिस टीम ने शेल्टर होम में छापा मार कर तलाशी ली तो वहां उस कमरे से शराब की बहुत सारी खाली बोतलें मिलीं, जहां एक कमरे में संजय सचदेव आराम करता था.
इस के अलावा भी पुलिस को वहां रखी फाइलों से बहुत सारे जोड़ों की पहचान से जुड़े मूल दस्तावेज मिले. पुलिस को वहां से संजय के एक बैंक अकाउंट की पासबुक भी मिली. पुलिस का कहना है कि जब इस खाते की पड़ताल की गई तो पता चला कि संजय सचदेव के निजी खाते में पिछले 6 महीनों के दौरान ही 40 लाख से अधिक का ट्रांजैक्शन हुआ है.
संजय सचदेव पूछताछ में यह नहीं बता सका कि इतना पैसा उसे कहां से मिला. इस के बाद पुलिस को पूरा यकीन हो गया कि प्रेमी जोड़ों ने संजय सचदेव पर जबरन वसूली का जो आरोप लगाया था, वह कहीं न कहीं सच है. इस के बाद संजय सचदेव के पास बचाव के लिए बहुत कुछ नहीं रह गया था. इसलिए पुलिस ने उसे उसी दिन गिरफ्तार कर लिया.
थाने ला कर संजय सचदेव से पूछताछ हुई. उस के बाद लव कमांडो चेयरमैन को अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे तिहाड़ जेल भेज दिया गया.
दरअसल, 28 दिसंबर को दिल्ली महिला आयोग के सामने जिस प्रेमी जोड़े ने लव कमांडो संगठन की शिकायत की थी, वह 20 दिसंबर को लव कमांडो के दफ्तर में शरण मांगने पहुंचा था.
वे दोनों संजय सचदेव से फोन पर बात करने के बाद अपनेअपने आईडी प्रूफ के साथ संजय के पास गए थे. वहां पहुंचते ही दोनों के फोन बंद करा दिए गए. प्रोटेक्शन देने व शादी कराने के नाम पर उन से 50 हजार रुपए ले लिए गए. प्रेमी के पास 55 हजार रुपए ही थे. वो भी बैंक में थे. चूंकि उन के दस्तावेज संजय सचदेव ने अपने कब्जे में ले लिए थे, इसलिए पैसा देना मजबूरी हो गई.
और पैसा मिलना नहीं था इसलिए छोड़ दिया गया प्रेमी जोड़े को…
संजय ने अपने 2 आदमी प्रेमी युवक के साथ भेजे और कहा कि एटीएम से पैसा निकाल कर इन को दे देना. सोनू नाम का एक कमांडो गया और प्रेमी ने उसे 40 हजार रुपए एटीएम से निकाल कर दे दिए. चूंकि पैसा पूरा नहीं मिला था, इसलिए इस प्रेमी जोड़े को वहां बंधक बना लिया गया.
लेकिन 28 जनवरी को किसी तरह उन्होंने संजय सचदेव को रजामंद कर लिया कि उन के पास और पैसा नहीं है, उन्हें अब शादी भी नहीं करनी, लिहाजा वे उन्हें जाने दें. संजय सचदेव ने कुछ पेपर उन्हें लौटा दिए. जबकि कुछ अपने पास ही रख लिए और उन्हें जाने की इजाजत दे दी.
इस प्रेमी जोड़े ने उसी वक्त संजय सचदेव के वसूली धंधे की पोल खोलने का मन बना लिया. प्रेमी जोड़े ने समाचार पत्रों में दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल के बारे में बहुत पढ़ा था कि वे इस तरह के मामलों में बहुत संजीदगी से काम करती हैं.
उसी दिन प्रेमी जोड़ा दिल्ली महिला आयोग पहुंचा, जहां आयोग की सदस्य फिरदौस से उन की मुलाकात हुई. जोड़े ने उन्हें अपनी पीड़ा बताई. उस के बाद ही ये सारी काररवाई हुई. नतीजतन सालों से लव कमांडो संस्था की आड़ में चल रहे संजय सचदेव के वसूली धंधे का भंडाफोड़ हो गया.
संजय सचदेव से पूछताछ में पता चला कि इस संस्था में उस के बाद नंबर 2 की हैसियत हर्ष मल्होत्रा की है, जो संस्था का कोऔर्डिनेटर है. हालांकि हर्ष मल्होत्रा पहाड़गंज में ही रहता है और पेशे से प्रौपर्टी डीलर है. लव कमांडो की विशेष टीम में हर्ष मल्होत्रा का छोटा भाई राजेश मल्होत्रा भी शामिल है. इन के अलावा सोनू व गोविंदा नाम के 2 लव कमांडो प्रेमी जोड़ों पर निगाह रखने और उन की शादियां कराने की जिम्मेदारी उठाते थे.
पहाड़गंज थाने की पुलिस ने इन चारों की तलाश में उन के ठिकानों पर छापेमारी की तो हर्ष मल्होत्रा के अलावा तीनों लोग राजेश, सोनू व गोविंदा पुलिस के हत्थे चढ़ गए. उन से पूछताछ में पता चला कि प्रेमी जोड़ों से रकम मिलती थी, उस में से उन्हें भी हिस्सा मिलता था.
पुलिस ने तीनों को पूछताछ के बाद अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. पुलिस हर्ष मल्होत्रा की तलाश में लगातार छापेमारी कर रही है, लेकिन कथा लिखे जाने तक वह पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ा था.
पुलिस को जांच में पता चला है कि संजय सचदेव के शेल्टर होम में प्रेमी जोड़ों को प्रताड़ना देने के अलावा उन से अवैध वसूली कई सालों से चली आ रही थी. पेशे से पत्रकार संजय सचदेव कुछ साल पहले जब रामविलास पासवान रेल मंत्री थे, तब उस ने उन के मीडिया सलाहकार के रूप में काम किया था.
इस के बाद से वह कोई काम नहीं करता था,लेकिन फिर भी ऐशो-आराम भरी जिदंगी बसर करता था. उस की आय का कोई स्थाई साधन नहीं था,फिर भी वह पूरे देश में घूमताफिरता था.
लव कमांडो के नाम पर मीडिया में जम कर अपना प्रचार करता था, जिस की वजह से उस की हैसियत इतनी बड़ी हो गई कि आमिर खान ने भी ‘सत्यमेव जयते’ के अपने कार्यक्रम में संजय सचदेव के अभियान की सराहना की. टीवी कार्यक्रम ‘सत्यमेव जयते’ से मिलने वाली ख्याति का उस ने अनुचित फायदा उठाया और अपने गलत इरादों को पूरा करने के लिए इस का सहारा लिया.
पीड़ितों ने मजिस्ट्रैट को दिए अपने बयान में भी आरोप लगाया कि संजय सचदेव अदालत द्वारा जारी किए गए उन के शादी के प्रमाणपत्र, जन्म प्रमाण पत्र, कालेज की डिग्री और आधार कार्ड की मूल प्रति अपने पास रख लेता था. महिलाओं को बर्तन साफ करने पड़ते थे और साफसफाई करनी पड़ती थी.
यही नहीं, उन से और अधिक पैसे की मांग की जाती थी. जो लोग पैसे दे देते थे उन के प्रमाण पत्र वापस मिल जाते थे और उन्हें शेल्टर होम छोड़ कर जाने दिया जाता था. बाकियों को जबरन शेल्टर होम में रखा जाता था और उन को प्रताडि़त किया जाता था.
अगर कोई बीमार हो जाता तो वहां के कर्मचारी उसे डाक्टर के पास भी नहीं ले जाते थे. जांच में पुलिस को पता चला कि वहां एक व्यक्ति को 3 बार टायफाइड हो गया, लेकिन उस का उचित इलाज नहीं कराया गया. अगर कोई मनमानी फीस दिए बिना वहां से जाने का प्रयास करता तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी जाती. साथ ही उस से कहा जाता कि वे उन के परिवार को बुला कर उन्हें उन के सुपुर्द कर देंगे.
संजय सचदेव की डार्लिंग
पुलिस को जांच में यह भी पता चला कि संजय सचदेव शेल्टर होम में रह रही एक शादीशुदा युवती को हमेशा डार्लिंग कह कर बुलाता था. युवती के इसी आरोप के मद्देनजर पुलिस ने दर्ज केस में आईपीसी की धारा 509 जोड़ी गई.
संजय का एक बेटा नेवी में है. वह भी इसी होम में रहता था. दूसरा बेटा एयरफोर्स में है. वैसे लव कमांडो की टीम के लोग प्रेमी जोड़ों से संजय सचदेव को पापा कह कर बुलाने के लिए कहते थे,ताकि सब को लगे कि संजय सचदेव एक पिता की तरह प्रेमी जोड़ों का संरक्षण देता है.
युवतियों ने अपने बयान में यह भी बताया कि रात में चारों जोड़ों को अलगअलग कमरे में बंद कर दिया जाता था. भागने के डर से दोनों कमरों पर बाहर से ताले लगा दिए जाते थे. प्रेमी जोड़ों को बासी व साधारण खाना परोसा जाता था. शेल्टर होम के सामने ही संजय सचदेव का निजी घर था, वहां भी प्रेमी जोड़ों से काम करवाया जाता था. यहीं से राशन शेल्टर होम में जाता था.
शेल्टर होम के चेयरमैन संजय ने शेल्टर होम में 3 खूंखार कुत्ते पाल रखे थे. कोई प्रेमी जोड़ा बात नहीं मानता था तो ये उन पर कुत्ते छोड़ देते थे. इस के अलावा कोई बाहर जाने या भागने का प्रयास करता तो कुत्ते नहीं जाने देते थे.
जांच में पता चला कि जिस प्रौपर्टी पर यह शेल्टर होम चल रहा था, उसे ढाई साल पहले किराए पर लिया गया था. पुलिस ने शेल्टर होम का एक रजिस्टर भी जब्त किया है, जिस में तमाम जानकारियां मिलीं.
पुलिस को जांच में पता चला है कि लव कमांडो का यह गैंग अभी तक करीब 500 से ज्यादा कपल से रकम ऐंठ चुका था. कैश खत्म होने के बाद ये लोग कपल्स के रिश्तेदारों, परिवार, दोस्तों व जानकारों से रुपए मंगवाने का दबाव बनाने लगते थे. जो नहीं दे पाता, उसे प्रताडि़त कर वहां से भगाने की तैयारी शुरू कर दी जाती थी.
कपल्स को कम से कम 6 महीने तक रहने के लिए कहा जाता था. पुलिस का कहना है कि नौजवान युवा पीढ़ी में कानून के प्रति जानकारी का अभाव ही एक बड़ी वजह थी, जिस से वे ऐसे लोगों के जाल में फंस जाते थे.
पुलिस अब सभी आरोपियों व संस्था से जुड़े बैंक अकाउंट को भी खंगालने की तैयारी कर रही है ताकि साफ हो सके कि उन के खाते में बीते 9 साल में कितनी रकम जमा करवाई गई.
जांच सिर्फ दिल्ली तक ही नहीं, बल्कि दूसरे राज्यों पर भी फोकस की गई है. 9 साल के भीतर कुल कितने लोग इस संस्था के संपर्क में आए, पुलिस इस का भी पूरा ब्यौरा जुटाने में लगी है ताकि उन्हें भी जरूरत पड़ने पर जांच में शामिल किया जा सके. इस शेल्टर होम में पहले रह चुके युवक-युवतियों से भी पुलिस संपर्क कर शारीरिक शोषण के एंगल से भी जांच करेगी.
लव कमांडो क्यों हुआ चर्चित…
आमतौर पर भारत के छोटे शहरों और गांवों में इज्जत के नाम बेगुनाहों की हत्या कर दी जाती है. लेकिन हाल के दिनों में मीडिया इस बारे में ज्यादा रिपोर्टिंग करने लगा है, जिस से लोग डरने लगे हैं. भारत के कई क्षेत्रों में आज भी प्रेमी युगलों के लिए अन्य जाति से विवाह करना मुश्किल होता है.
पारिवारिक सदस्यों के साथसाथ कुछ खाप पंचायतों ने भी अन्य जाति से प्यार करने वाले लोगों की जान लेने जैसे सख्त कानून बना रखे हैं. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने भी एक स्वयंसेवी संस्था ‘शक्ति वाहिनी’ की याचिका पर स्वयंभू खाप पंचायतों और प्यार पर बंदिश लगाने वाले अभिभावकों को कड़ी फटकार लगाते हुए ये निर्देश दिया कि बालिग लड़केलड़की की शादी के फैसले में कोई भी दखल नहीं दे सकता.
सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने साफ कहा कि ऐसे मामलों में जोड़ों की सुरक्षा की जिम्मेदारी पुलिस पर होनी चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि कोई शादी कानूनी तौर पर वैध है या नहीं, इस का फैसला अदालतें करेंगी न कि परिवार और खाप पंचायतें. अदालत के इस फरमान से पहले ही संजय सचदेव इस सोच को लव कमांडो बना कर अपनी राह पर बढ़ चुका था.
लव कमांडो संस्था ने कुछ कहानियों को मीडिया में इस तरह प्रचारित किया कि पूरे देश में लव कमांडोज के काम की तारीफ होने लगी. बाद में यह संस्था हर साल शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए कार्यक्रम भी और्गनाइज करने लगी.
कुछ चर्चित मामले जिन्होंने दिलाई सुर्खियां
2 दिसंबर, 2012 को बुलंदशहर के अब्दुल हकीम को उस के घर के पास गोलियों से भून दिया गया.
अब्दुल हकीम और महविश अड़ोसपड़ोस में रहते थे और बचपन से ही एकदूसरे को पसंद करते थे. लेकिन जब महविश के परिजनों को दोनों के प्रेमसंबधों का पता चला तो उस के घरवालों ने उस की पढ़ाई बंद करवा दी. साथ ही घर से निकलने पर भी पाबंदी लगा दी. लेकिन वक्त बीतने के साथ जब हकीम शहर के स्कूल में पढ़ने लगा था तो महविश के परिजनों ने सोचा कि अब महविश अपना प्यार भूल चुकी होगी. उन्होंने धीरेधीरे बंदिशें कम कर दीं.
परिजनों को लगा कि बचपन की प्रेम कहानी खत्म हो गई है. इस बीच महविश का निकाह उस की मौसी के लड़के से तय कर दिया गया. 31 अक्तूबर, 2010 को निकाह की तारीख तय हुई. हकीम के अलावा किसी अन्य से महविश को निकाह कबूल नहीं था, लिहाजा 29 अक्तूबर, 2010 की रात वह अपने प्रेमी अब्दुल हकीम के साथ भाग गई. पहले महविश की तलाश शुरू हुई. शक अब्दुल पर गया. जब वह भी लापता मिला तो दोनों परिवारों के लोगों में तनातनी हो गई.
इस के बाद बिरादरी की खाप पंचायत में प्रेमी जोड़े की हत्या करने वर 50 हजार रुपए का नकद ईनाम देने की घोषणा की. घर से भाग कर महविश और अब्दुल ने पहले अलीगढ़ कोर्ट में 7 नवंबर, 2010 को कोर्ट मैरिज की, फिर मेरठ के तारापुरी के एक मोहल्ले में 11 नवंबर, 2010 को काजी से निकाह पढ़वा कर मजहबी शादी की.
इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले अब्दुल को दिहाड़ी मजदूरी करनी पड़ी. जब इस से काम नहीं चला तो दोनों दिल्ली आ गए और सीलमपुर में आ कर रहने लगे. जहां अब्दुल को औटोरिक्शा चलाना पड़ा. उधर महविश के घरवालों का अब्दुल के भाइयों और मां पर कहर टूटना शुरू हुआ.
प्रेमी जोड़े की हत्या पर रखा ईनाम
महविश अपने पति अब्दुल को ले कर हाईकोर्ट पहुंची और अपने पति के परिवार और अपनी सुरक्षा की मांग की. हाईकोर्ट ने महविश को इंसाफ दिया और बुलंदशहर पुलिस को सुरक्षा देने के आदेश दिए. लेकिन जिला पुलिस ने सुरक्षा नहीं दी.
महविश दोबारा हाईकोर्ट पहुंची. इसी बीच महविश के गांव अड़ौली के 2 दरजन लोगों ने पंचायत कर अब्दुल के पिता मोहम्मद लतीफ को पेड़ पर उलटा लटका दिया और मारपीट की, जिस से लतीफ की मौत हो गई.
पुलिस में हड़कंप मचा, लेकिन उसे नैचुरल मौत बता कर मामला रफादफा कर दिया गया. 21 जुलाई, 2011 को महविश ने एक बेटी को जन्म दिया. इसी बीच कुछ लोगों से जानकारी मिलने पर महविश पहाड़गंज में लव कमांडो के चेयरमैन संजय सचदेव से मिली और उसे अपनी प्रेम कहानी बताई.
संजय सचदेव ने उसे सुरक्षा देने की दिलासा दी. उन्होंने बुलंदशहर के एसएसपी राजेश कुमार राठौर से बात की और हाईकोर्ट के आदेश का पालन करने के लिए राजी किया. इतना ही नहीं संजय सचदेव के जरिए महविश खाप पंचायत के फरमान से लड़ने के लिए आमिर खान के सीरियल सत्यमेव जयते के 5वें एपिसोड में आई और अपनी सुरक्षा की मांग की.
इस का असर ये हुआ कि पुलिस को उन्हें सुरक्षा दे कर गांव में पुनर्वासित कराना पड़ा. लेकिन दिसंबर महीने में महविश के चचेरे भाई व चाचा ने अब्दुल की हत्या कर दी. बाद में पुलिस ने महविश की तहरीर पर हत्या व साजिश का मुकदमा दर्ज कर तीनों आरोपियों गुल्लू, आसिफ और सरवर को गिरफ्तार कर लिया.
हकीम हत्याकांड में इंसाफ दिलाने के लिए भी संजय सचदेव के संगठन लव कमांडो ने महविश की भरपूर मदद की जिस कारण लव कमांडो को खूब सुर्खिया मिलीं. प्रेमियों की मदद करने के नाम पर लव कमांडो ने एक ओर चर्चित मामले से सुर्खियां बटोरी थीं. 9 अक्तूबर, 2016 को संस्था के हेल्पलाइन नंबर पर एक फोन आया, जिस में एक महिला ने रोते हुए कहा, ‘मुझे और मेरे पति को औनर किलिंग से बचा लो, ये दरिंदे हमें जान से मार डालेंगे.’
महिला ने अपना नाम सोनिया शर्मा बताते हुए आगे कहा, ‘मैं पुंछ,जम्मू कश्मीर की रहने वाली हूं. मेरे पति जेल में हैं और उन का कसूर यह है हम ने पिछले महीने लवमैरिज की थी. मैं खुद जम्मू के एक मंदिर में छिप कर रहते हुए अपनी जान व इज्जत बचा रही हूं. हमारी मदद करो. मैं दिल्ली के बस अड्डे तक पहुंच जाऊंगी. लेकिन आगे क्या होगा, मुझे नहीं पता. मेरी जान बचा लो प्लीज.’
अलग कहानी निकली सोनिया शर्मा की…
हर्ष ने सोनिया को दिल्ली आने और बस का नंबर बताने को कहा. सोनिया ने यह भी बताया कि वह ये फोन जम्मू के उस मंदिर में दर्शन के लिए आए किसी दर्शनार्थी के फोन से कर रही है और बस मिलने के बाद किसी यात्री से अनुरोध कर के उस के फोन से नंबर की जानकारी देने की कोशिश करेगी.
10 अक्तूबर की सुबह करीब 7 बजे दिल्ली के कश्मीरी गेट बसअड्डे पर लव कमांडो के कमांडो ट्रेनर सुनील सागर, एक्सपर्ट कमांडो गोविंदा महिला एवं पुरुष कमांडो दस्ते के साथ मौजूद थे और जम्मू से आने वाली हर बस पर निगाह रखे थे.
जम्मू-कश्मीर रोडवेज की एक बस से एक महिला उतरी, जिस की आखें इधरउधर किसी को तलाश रही थीं. लव कमांडो का दस्ता उस के पास पहुंचा और उस से पूछा कि क्या वह सोनिया शर्मा हैं? उस के पूछने पर उन्होंने खुद का परिचय लव कमांडो के रूप में दिया तो सोनिया ने तसल्ली करने के बाद अपना परिचय उन्हें बताया.
बाद में सोनिया को लव कमांडो के बेस शेल्टर पहाड़गंज में लाया गया. जहां संजय सचदेव से उस की मुलाकात हुई. सोनिया की कहानी सुन कर व उस के दस्तावेज देख कर संजय सचदेव चौंक पड़े.
क्योंकि सोनिया का असली नाम फरजाना कौसर था, जिस ने इसलाम धर्म से हिंदू धर्म में परिवर्तित कर के अपना नाम सोनिया शर्मा कर लिया था और अपने प्रेमी रिंकू कुमार निवासी खौर जिला जम्मू से 7 सितंबर, 2015 को आर्यसमाज मंदिर में हिंदू रीतिरिवाज से शादी की थी. गाजियाबाद में शादी पंजीकृत भी करवा ली थी, तब से ये दोनों पतिपत्नी की तरह रह रहे थे.
लेकिन 16 सितंबर को जब ये अपने वकील से मिलने तीसहजारी अदालत स्थित उस के चैंबर की ओर जा रहे थे तो वहां पहुंचने से पहले ही जम्मूकश्मीर पुलिस की टुकड़ी और फरजाना कौसर उर्फ सोनिया शर्मा के भाई एवं परिजनों ने उन्हें दबोच लिया. जिसे देख किसी वकील ने पीसीआर को काल कर दी थी. जिस पर तीसहजारी कोर्ट स्थित पुलिस चौकी का स्टाफ सभी को वहां ले आया था.
इस के बाद स्थानीय पुलिस से मिलीभगत कर के जम्मूकश्मीर पुलिस व सोनिया के परिजनों ने मजिस्ट्रैट को गुमराह कर के फरजाना कौसर उर्फ सोनिया को उस के परिजनों के सुपुर्द कर दिया और प्रेमी रिंकू शर्मा को पुंछ पुलिस के सुपुर्द कर दिया गया.
बाद में फरजाना का अपहरण कर उस के साथ दुष्कर्म करने के आरोप में जम्मूकश्मीर पुलिस ने रिंकू को पुंछ जेल भेज दिया. कुछ दिन बाद सोनिया फिर अपने परिवार को झांसा दे कर घर से भाग निकली और लव कमांडो संगठन से बात कर के दिल्ली पहुंच गई.
सोनिया ने बताया कि उस का मकसद अपने पति रिंकू व उस के परिवार को बचाना है. संजय सचदेव ने पहले उसे अपने शेल्टर होम में शरण दी, फिर खतोखिताबत कर के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, मानवाधिकार आयोग, महिला आयोग सहित तमाम संवैधानिक संस्थाओं तक यह मामला पहुंचा दिया. जिस का असर यह हुआ कि कश्मीर पुलिस को संज्ञान ले कर मामले की जांच करनी पड़ी, जिस से सोनिया को तो न्याय मिला ही, साथ ही रिंकू को भी रिहा कर दिया गया.
हालांकि सोनिया को लंबी लड़ाई के बाद इंसाफ तो मिला, लेकिन इसे भी लव कमांडो ने अपनी उपलब्धि बता कर खूब प्रचारित किया. जबकि हकीकत यह थी कि इस पूरी लड़ाई में रिंकू के परिवार व सोनिया को लाखों रुपए खर्च करने पडे़ थे.
ऐसी ढेरों कहानियां हैं, जिन से प्रचार पा कर लव कमांडो ने शोहरत बटोरी और अपने जबरन वसूली के अनोखे धंधे को बड़े मुकाम तक पहुंचाया.