भारतीय समाज में बच्चे का जन्म त्योहार की तरह मनाया जाता है. लेकिन क्या आप को पता है कि लेबररूम में जब नई जिंदगी जन्म ले रही होती है तो कई बार उस का स्वागत गालियों से होता है.

महिला एवं बाल विकास के लिए काम करने वाली सामाजिक संस्था ‘लाडो’ आंखों देखे ये वाकिए जब जनता के सामने लाई तो हर कोई दंग रह गया.

‘लाडो’ संस्था के कर्मठ कार्यकर्ताओं ने रातरातभर जाग कर इकट्ठी की वह घटिया भाषा व गलत बरताव... जो हमारी औरतें लेबररूम में सुनने को मजबूर होती हैं. जिस समय उन्हें अपनेपन की सब से ज्यादा जरूरत होती है, तब वे गालियां सुन रही होती हैं... जैसे मां बनना जिंदगी की सब से बड़ी गलती हो.

‘लाडो’ संस्था की टीम ने 28 दिन तक 13 जिलों के 98 लेबररूमों की पड़ताल की थी. टीम ने देखा कि लेबररूमों में जबजब बच्चा जनने वाली मांओं की चीख निकलती थी, तबतब उन्हें नर्सों, डाक्टरों की गालियां सुनने को मिलती थीं. इतना ही नहीं, औरतों की चीख को दबाने के लिए नर्सें उन के बाल खींचती थीं व चांटे तक मारती थीं.

तय है कि जब किसी औरत को बच्चा जनने का दर्द उठता है, तो उस के पैर सीधे अस्पताल की ओर ही उठते हैं और वहां डाक्टरों के हाथों में ही सबकुछ होता है.

भारत में ज्यादातर 2 तरह के अस्पताल हैं, एक सरकारी व दूसरे गैरसरकारी. सरकारी अस्पतालों में कदम रखते ही दिल में चुभन करने वाली बातों का सामना करना होता है, जैसे ‘सीधी खड़ी रह’, ‘लाइन में लग जा’, ‘नाटक मत कर’ वगैरह.

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