बदलते जमाने के साथ अपराधों के तौरतरीके भी बदल रहे हैं. चोरीडकैती, ठगी और हत्या जैसे अपराध आदिकाल से होते रहे हैं. फर्क केवल इतना है कि समय के साथ इन के चेहरेमोहरे बदल जाते हैं. ठगी के मामले में भारत में नटवर लाल और दुनिया में चार्ल्स शोभराज का नाम प्रसिद्ध है. नटवरलाल कोई ज्यादा पढ़ालिखा नहीं था, लेकिन अपनी लच्छेदार और लुभावनी बातों से लोगों को ऐसा सम्मोहित कर लेता था कि वे खुद उस के बिछाए जाल में फंस कर ठगी का शिकार बन जाते थे. भले ही नटवरलाल से ज्यादा बड़ी रकम की ठगी करने वालों में दूसरे नाम जुड़ गए हों, लेकिन नटवरलाल का नाम आज भी ठगी का पर्याय बना हुआ है.

ठगों की इस दुनिया में अब विज्ञान भी शामिल हो गया है. ठगी के तरीके भी हाईटेक हो गए हैं. यहां तक कि अणु और परमाणु के नाम पर भी ठगी होने लगी है. मैकेनिकल इंजीनियर जैसे सम्मानजनक पेशे से जुड़े लोग भी ठगी की ऐसी वारदातों को अंजाम देने लगे हैं. उच्चशिक्षित और पैसे वाले लोग ऐसी ठगी का शिकार बनते हैं. ठगी भी कोई छोटीमोटी नहीं बल्कि करोड़ोंअरबों रुपए की है. यह कहानी ऐसे ही अंतरराष्ट्रीय ठगों की है, जो न्यूक्लियर पदार्थ रेडियोएक्टिव के नाम पर लोगों से करोड़ों रुपए की ठगी करते रहे हैं.

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पिछले साल की बात है. पुणे के रहने वाले 3 बिजनैसमैन योगेश सोनी, समीर मोहते और गिरीश सोनी का कारोबार के सिलसिले में मध्य प्रदेश के इंदौर निवासी दिनेश आर्य से संपर्क हुआ. दिनेश आर्य ने पुणे के कारोबारियों को रेडियोएक्टिव पदार्थ के बारे में बताया. साथ ही यह भी बताया कि रेडियोएक्टिव के काम में मोटा मुनाफा हो सकता है. शर्त यह है कि इस काम में रकम भी मोटी ही लगानी पड़ेगी.
पुणे के इन तीनों बिजनैसमैनों के पास पैसा था. उन का अच्छाखासा कारोबार चल रहा था. इसलिए उन्होंने दिनेश आर्य से कहा कि पैसों की कोई कमी नहीं है, तुम्हारी नजर में अगर किसी के पास रेडियोएक्टिव पदार्थ हो तो बताना.

उस समय तो बात आईगई हो गई, लेकिन इस के कुछ दिनों बाद दिनेश आर्य ने उन्हें बताया कि उस के एक परिचित सत्यनारायण आरोनिया, जो जयपुर में रहते हैं, के पास अंग्रेजों के जमाने की ईस्ट इंडिया कंपनी की एक डांसिंग डौल है. यह डांसिंग डौल रेडियोएक्टिव पदार्थ की बनी हुई है.

तीनों बिजनैसमैनों ने वह डांसिंग डौल देखने की इच्छा जताई. इस पर दिनेश आर्य ने बातचीत कर एक दिन तीनों बिजनैसमैनों को पुणे से जयपुर बुला लिया. दिनेश खुद भी इंदौर से जयपुर पहुंच गया था. ये लोग एक होटल में ठहरे. जयपुर में दिनेश ने बिजनैसमैन योगेश, समीर और गिरीश की मुलाकात सत्यनारायण से करवाई.

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डांसिंग डौल ने नचाया नाच

सत्यनारायण ने उन बिजनैसमैनों को एक डांसिंग डौल दिखाई. उस ने शीशे के शोकेस में रखी उस डांसिंग डौल के बारे में बताया कि रेडियोएक्टिव पदार्थ से बनी वह डौल दुनिया भर में एकमात्र डौल है. सत्यनारायण ने उस डौल की लंबाई 58 इंच बताई. उस ने बताया कि इस बेशकीमती डांसिंग डौल को बेच कर करोड़ोंअरबों रुपए की कमाई की जा सकती है.

बिजनेसमैनों ने डांसिंग डौल की खूबियां सुन कर उस के बारे में दिलचस्पी दिखाई. इस पर सत्यनारायण ने उन्हें मुंबई की रेनसेल कंपनी के बारे में बताया. साथ ही यह भी कि वह इस कंपनी के डायरेक्टर गणेश इंगले से मिल लें, आगे की बातें वही करेंगे.

इस के बाद तीनों बिजनैसमैन पुणे लौट गए. एक दिन उन्होंने सत्यनारायण की बताई रेनसेल कंपनी के बारे में जानकारी लेने के लिए गूगल पर सर्च किया. रेनसेल टाइप करते ही गूगल पर कई सारी साइटें सामने आ गईं. उन्होंने रेनसेल एनर्जी एंड मेटल लिमिटेड की साइट खोली. साइट पर कंपनी का मुंबई का पता लिखा हुआ था. कंपनी के होम पेज पर अंतरिक्ष यात्रियों जैसी पोशाक में तसवीरें लगी थीं. कंपनी के बारे में लिखा था—हम गर्व के साथ 2016 से सेवाएं प्रदान कर रहे हैं.

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कंपनी के कार्यकलाप के बारे में रेडियोएक्टिव वेस्ट और न्यूट्रीलाइजेशन के बारे में लिखा था. यह भी लिखा था कि हम रेडिशन शेल टैक्नोलौजी एंड स्टेमराड के भारत के आथराइज्ड डिस्ट्रीब्यूटर हैं. यह कंपनी न्यूक्लियर प्रोटेशन, न्यूक्लियर वेस्ट मैनेजमेंट व सोलर एनर्जी के क्षेत्र में इंटरनैशनल स्तर पर खरीदफरोख्त और सेवाएं प्रदान करती है.

कंपनी के होमपेज पर यह भी लिखा था कि रेनसेल एनर्जी एंड मेटल लिमिटेड दुनिया को सुरक्षित, स्वच्छ और कुशल उर्जा देने के लिए काम कर रही है. होमपेज पर कुछ वीडियो भी दिखाए गए थे, जिन में परमाणु वैज्ञानिकों से बातचीत थी.

होमपेज पर कंपनी के बारे में ज्यादा कुछ प्रदर्शित नहीं किया गया था, लेकिन इस कंपनी की दूसरी लिंक साइटों से यह बात पता चल गई कि कंपनी के डायरेक्टर गणेश इंगले हैं. रेनसेल कंपनी की इंग्लैंड की एक साइट भी बनी हुई थी.

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तीनों बिजनैसमैनों ने कुछ ही देर में गूगल पर प्रदर्शित रेनसेल कंपनी से जुड़ी अन्य साइटें खंगाल डालीं. इन में कंपनी की प्रोफाइल और कार्यकलापों को देख कर उन्हें यह भरोसा हो गया कि जयपुर के सत्यनारायण ने उन्हें सही कंपनी का नाम सुझाया है. अब उन्हें इस कंपनी के डायरेक्टर गणेश इंगले से मिलने की जरूरत थी.

एक दिन ये बिजनेसमैन योजना बना कर मुंबई पहुंच गए. मुंबई में रेनसेल एनर्जी एंड मेटल लिमिटेड और औथराइज्ड कंपनी का औफिस लेवल-8 विबग्योर टावर्स, बांद्रा कुर्ला में था. वहां पहुंच कर इन लोगों ने कंपनी के डायरेक्टर गणेश इंगले से मुलाकात की.

इंगले ने चलाया चक्कर

गणेश इंगले ने उन की अच्छी आवभगत की. फिर उन्होंने उन के मुंबई आने का मकसद पूछा. व्यापारियों ने बताया कि जयपुर में एक आदमी के पास रेडियोएक्टिव पदार्थ से बनी काफी पुरानी डांसिंग डौल है. हम उस डौल को खरीद कर बेचना चाहते हैं.

उन की सारी बातें सुनने के बाद गणेश ने कहा, ‘‘आप सही जगह आए हैं. हमारी कंपनी इसी तरह का काम करती है. साथ ही वर्ल्ड न्यूक्लियर एसोसिएशन की सदस्य भी है.’’ गणेश ने अपनी बात को मजबूती से रखने के लिए उन्हें कई तसवीरें दिखाईं. वे तसवीरें लंदन, फ्रांस की राजधानी पेरिस, चीन की राजधानी बीजिंग और स्पेन के मेड्रिड शहर में आयोजित न्यूक्लियर से जुड़े कई अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों की थीं.

गणेश इंगले ने बताया कि वह इन कार्यक्रमों में अपने एक पार्टनर अमित गुप्ता के साथ वर्ल्ड न्यूक्लियर एसोसिएशन के सदस्य के रूप में शामिल हुए थे. गणेश ने अमित गुप्ता से भी उन की मुलाकात करा दी.

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न्यूक्लियर पर दुनिया के विभिन्न बड़े शहरों में आयोजित अंतरराष्ट्रीय आयोजनों के कुछ वीडियो भी गणेश ने उन व्यापारियों को दिखाए. इन वीडियो में दुनिया के कई नामी न्यूक्लियर वैज्ञानिक रेडियोएक्टिव पदार्थ की महत्ता और दुनिया में इस की आवश्यकता बताते हुए नजर आ रहे थे. तसवीरें और वीडियो देख कर तीनों बिजनैसमैन काफी प्रभावित हुए. उन्होंने गणेश इंगले से डांसिंग डौल की बात की.

गणेश ने उन्हें बताया कि जिस डांसिंग डौल को आप रेडियोएक्टिव पदार्थ की बनी हुई बता रहे हैं, उस का पहले डीआरडीओ यानी रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन से प्रमाणीकरण करवाना पड़ेगा. प्रमाणीकरण के लिए डीआरडीओ के वैज्ञानिक पहले उस रेडियोएक्टिव आर्टिकल की टैस्टिंग करेंगे. इस टैस्टिंग की फीस 70 लाख रुपए होगी.

बिजनैसमैन डांसिंग डौल की डीआरडीओ के वैज्ञानिकों से टैस्टिंग कराने को तैयार हो गए लेकिन उन्होंने सवाल किया कि वह डौल अगर टैस्टिंग में पास हो गई तो उसे खरीदा कैसे जाएगा.

गणेश ने कहा कि उस न्यूक्लियर पदार्थ को हमारी कंपनी 7 हजार करोड़ रुपए प्रति इंच के हिसाब से खरीद लेगी. इस के लिए कंपनी आप से एक करारनामा भी करेगी. इतना सुन कर व्यापारियों ने मन ही मन हिसाब लगाया कि इस हिसाब से तो 58 इंच की वह डांसिंग डौल 4 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की बिक जाएगी.

इतने मोटे मुनाफे की बात सुन कर उन्होंने गणेश इंगले से सवाल किया कि आप की कंपनी उस डौल का क्या करेगी. गणेश ने हंसते हुए कहा, ‘‘यही तो हमारी कंपनी का काम है. हमारी कंपनी उस डांसिंग डौल वाले रेडियोएक्टिव पदार्थ को करोड़ों रुपए के भाव से अंतरराष्ट्रीय बाजार में या नासा को बेच देगी.’’

बिजनैसमैनों का न तो डीआरडीओ में कोई संपर्क था और ना ही नासा में उन की कोई जानपहचान थी. इतना जरूर पता था कि नासा और डीआरडीओ बहुत महंगे दामों पर रेडियोएक्टिव पदार्थ खरीदते हैं. इसलिए उन के लिए रेडियोएक्टिव से बनी डांसिंग डौल बेचने के लिए एकमात्र कड़ी के रूप में गणेश इंगले ही था. उन्होंने गणेश इंगले का मोबाइल नंबर ले कर जल्दी ही मुलाकात करने की बात कही.
तीनों व्यापारियों को डांसिंग डौल के सौदे में मोटा फायदा होता दिख रहा था, इसलिए उन्होंने टैस्टिंग के बाद वह डौल खरीदने का फैसला कर लिया. उन्होंने दिनेश आर्य के मार्फत सत्यनारायण से डांसिंग डौल खरीदने की बात जारी रखी. उन्होंने सत्यनारायण से कहा कि पहले वह डीआरडीओ के वैज्ञानिकों से उस डौल की टैस्टिंग कराएंगे.

सत्यनारायण को इस में कोई ऐतराज नहीं था. उस ने कहा कि आप दुनिया के किसी भी वैज्ञानिक से इस की टैस्टिंग करा लें. लेकिन इस का खर्चा आप को ही देना होगा. एक शर्त यह भी होगी कि डौल की टैस्टिंग केवल जयपुर में ही कराई जाएगी. व्यापारियों ने उस की बात मानते हुए टैस्टिंग का खर्चा वहन करने पर सहमति जता दी.

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बढ़ता गया लालच

सत्यनारायण से बात तय होने पर उन्होंने गणेश से मोबाइल पर संपर्क किया. गणेश ने उन्हें डौल की टैस्टिंग के लिए मुंबई आ कर रेनसेल कंपनी में 70 लाख रुपए जमा कराने को कहा. इस पर उन व्यापारियों ने कहा कि डौल की टैस्टिंग हम जयपुर में कराना चाहते हैं.

तब गणेश ने कहा कि डीआरडीओ के वैज्ञानिकों के जयपुर आनेजाने के लिए हवाई यात्रा का खर्च और उन के लिए लग्जरी गाडि़यों के साथ फाइव स्टार होटल में ठहरने की व्यवस्था अलग से करनी होगी.
पुणे के योगेश, समीर और गिरीश बिजनैस के खड़े खिलाड़ी थे. उन्हें पता था कि इस तरह के मामलों में मुंहमांगा पैसा खर्च करना पड़ता है. व्यापारियों ने सोचा कि जब वह डौल की टैस्टिंग के 70 लाख रुपए देंगे तो 5-7 लाख रुपए और ज्यादा खर्च हो जाएंगे. लिहाजा उन्होंने जयपुर में टैस्टिंग कराने को कह दिया.

सारी बातें तय हो जाने पर उन्होंने गणेश इंगले की कंपनी में 70 लाख रुपए जमा करा दिए. पैसे जमा होने के बाद गणेश ने कहा कि डीआरडीओ के वैज्ञानिकों से डौल की टैस्टिंग की तारीख तय कर के उन्हें बता दिया जाएगा. उन्होंने जयपुर में सत्यनारायण को भी बता दिया कि टैस्टिंग के पैसे जमा करा दिए हैं और जल्दी ही डीआरडीओ के वैज्ञानिकों की तारीख मिल जाएगी. इसलिए आप पहले से ही सारा इंतजाम कर लें.

पिछले साल जुलाई में जयपुर में डांसिंग डौल की टैस्टिंग का कार्यक्रम तय किया गया. तय तारीख को गणेश इंगले, पुणे के तीनों बिजनैसमैन, इंदौर का दिनेश आर्य वगैरह जयपुर पहुंच गए. वहां पर जिंदाल नाम का व्यक्ति और उस के सहयोगी भी पहुंचे. उन के पास कई तरह के वैज्ञानिक उपकरण, कैमिकल, एंटी रेडियोएक्टिव सूट आदि थे. गणेश इंगले ने जिंदाल को डीआरडीओ का वैज्ञानिक बताया. जिंदाल और उस के सहयोगियों, गणेश इंगले आदि को जयपुर के नामी फाइव स्टार होटल में ठहराया गया. इन के जयपुर में टैस्टिंग के लिए आनेजाने और घूमनेफिरने के लिए मर्सिडीज गाडि़यों की व्यवस्था की गई.
जयपुर में आमेर इलाके के एक फार्महाउस पर डांसिंग डौल की टैस्टिंग की सारी तैयारी की गई. जिंदाल और उस के सहयोगियों ने एक बंद कमरे में लैब बनाई. फिर एंटी रेडियोएक्टिव सूट पहन कर कई तरह के उपकरणों और कैमिकलों से डांसिंग डौल की टैस्टिंग की. टैस्टिंग के दौरान कमरे में बनी उस लैब में वैज्ञानिक व उस के सहयोगियों के अलावा किसी को नहीं जाने दिया गया.

इसी बीच टैस्टिंग करते समय उस कमरे में अचानक तेज धमाका हुआ. बाहर खड़े बिजनैसमैन और अन्य लोग अंदर पहुंचे, तो वैज्ञानिक और उस के सहयोगी जमीन पर गिरे पड़े थे. उन्होंने बताया कि जांच के दौरान किसी कैमिकल की मात्रा ज्यादा होने के कारण धमाका हो गया और टैस्टिंग फेल हो गई. बाद में होटल आने के बाद सभी लोग अपनेअपने शहरों को चले गए.

इस के बाद उन व्यापारियों ने गणेश इंगले और सत्यनारायण से फिर संपर्क किया. गणेश ने रेडियोएक्टिव की जांच के लिए फिर से 70 लाख रुपए जमा करा लिए. बाद में कभी दोबारा टैस्टिंग कराने, कभी कैमिकल के नाम पर और कभी वैज्ञानिकों को बुलाने के नाम पर 7 करोड़ रुपए से ज्यादा ले लिए.

हुआ अहसास ठगे जाने का

इतनी बड़ी धनराशि खर्च करने के बावजूद अभी तक उन्हें कुछ हाथ नहीं लगा था. न तो डांसिंग डौल की टैस्टिंग हुई थी और ना ही डीआरडीओ का प्रमाणपत्र मिला था. अब उन्हें डांसिंग डौल 7 हजार करोड़ रुपए प्रति इंच के हिसाब से बिकने की बात में भी कोई दम नजर नहीं आ रहा था. उन्होंने रेनसेल कंपनी की असलियत का पता लगाया तो पता चला कि यह पूरी तरह फरजी है.

एक दिन तीनों बिजनैसमैन ने बैठ कर सब बातों पर विचार किया. काफी विचारविमर्श करने पर उन्हें यह यकीन हो गया कि इंदौर के दिनेश आर्य से ले कर जयपुर के सत्यनारायण और मुंबई की रेनसेल कंपनी के डायरेक्टर गणेश इंगले व पार्टनर अमित गुप्ता वगैरह सब लोग एक ही गिरोह से जुड़े हुए हैं.
इस गिरोह ने उन्हें रेडियोएक्टिव के नाम पर बेवकूफ बना कर लगातार ठगी की थी. इस पर उन्होंने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराने का फैसला किया.

इसी साल फरवरी के महीने में पुणे के रहने वाले तीनों बिजनैसमैन योगेश सोनी, समीर मोहते और गिरीश सोनी ने जयपुर के जवाहर नगर पुलिस थाने में एक रिपोर्ट दर्ज कराई. इस रिपोर्ट में इन्होंने कहा कि रेडियो एक्टिव पदार्थ की बनी डांसिंग डौल दिखा कर डीआरडीओ और नासा के नाम पर उन से 7 करोड़ रुपए से ज्यादा की ठगी की गई है.

रेडियोएक्टिव पदार्थ परमाणु बम बनाने के काम भी आते हैं. जयपुर में रेडियोएक्टिव पदार्थ होने की जानकारी गंभीर और महत्वपूर्ण थी. इसलिए थानाप्रभारी ने अपने उच्चाधिकारियों को दर्ज हुई रिपोर्ट की जानकारी दी. पुलिस कमिश्नर आनंद श्रीवास्तव को जब इस बात की जानकारी मिली तो उन्हें चिंता हुई कि अगर जयपुर में किसी के पास अवैध रूप से रेडियोएक्टिव पदार्थ है, तो इस से कभी भी जनहानि हो सकती है.

सब बातों पर गंभीरता से विचार कर पुलिस कमिश्नर ने एडिशनल सीपी (क्राइम) प्रसन्न खमेसरा से चर्चा की. इस के बाद उन्होंने इस मामले की जांच के लिए एक पुलिस टीम गठित की. इस टीम में एडिशनल सीपी (स्पैशल क्राइम) विमल नेहरा के नेतृत्व में एक टीम गठित करने का फैसला किया.

इस टीम में सांगानेर थानाप्रभारी लाखन खटाना, बजाज नगर थानाप्रभारी मानवेंद्र सिंह, भट्टा बस्ती थानाप्रभारी शिवनारायण, ब्रह्मपुरी थानाप्रभारी भारत सिंह, आदर्श नगर थानाप्रभारी अरुण कुमार, मालवीय नगर थानाप्रभारी रघुवीर सिंह, मोतीडूंगरी थानाप्रभारी जोगेंद्र सिंह के अलावा कई तेजतर्रार सबइंसपेक्टरों को शामिल किया गया.

व्यापक जांचपड़ताल के बाद जयपुर पुलिस ने 9 मार्च को मुंबई निवासी गणेश इंगले, गाजियाबाद निवासी अमित गुप्ता व राकेश कुमार गोयल, इंदौर के दिनेश कुमार आर्य, जयपुर के सत्यनारायण सहित कुल 18 लोगों को अलगअलग स्थानों से गिरफ्तार कर लिया. पुलिस का कहना है कि रेडियोएक्टिव के नाम पर ठगी करने वाला यह अंतरराष्ट्रीय गिरोह है.

गिरोह में शामिल जिन अन्य आरोपियों को गिरफ्तार किया गया, उन में दिल्ली के कालकाजी निवासी संतोष सिंघानिया, मुंबई के अंधेरी ईस्ट निवासी अमित प्रजापति, उत्तर प्रदेश के सिकंदराबाद निवासी विपिन कुमार राजपूत, संतोष कुमार जाट, वीरेंद्र सैनी, बुलंदशहर के रहने वाले शंकर सिंह, जयपुर के बापू कालोनी निवासी धर्मवीर वाल्मीकि, सेंट्रल जेल के पीछे रहने वाले अब्दुल रईस, कानोता निवासी मनोहर सिंह चौहान, बीकानेर के मधुर मोहन गुप्ता, भीलवाड़ा के उत्तमचंद नौलखा, नागौर के संजयनाथ, झुंझुनूं के राजेंद्र प्रसाद शामिल थे.

ये लोग ठग गिरोह से जुड़ कर गणेश, अमित गुप्ता, सत्यनारायण आदि के लिए ग्राहकों को फंसाने का काम करते हैं. पुलिस की ओर से गिरफ्तार आरोपियों से की गई पूछताछ में जो कहानी उभर कर सामने आई, वह इस तरह है—

नवी मुंबई के घनसोली स्थित अटलांटिस टावर में रहने वाले 41 साल के गणेश इंगले ने अमरावती विश्वविद्यालय से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीई और मुंबई विश्वविद्यालय से रोबोटिक्स में एमई की डिग्री हासिल की थी. पढ़ाई पूरी करने के बाद इंगले ने भाभा अटौमिक रिसर्च सेंटर में काम किया, लेकिन वहां उस का मन नहीं लगा.

गणेश ने नौकरी छोड़ कर सन 2004-05 में अपने एक पुराने साथी लोलगे के साथ मिल कर सौफ्टवेयर डवलपमेंट एंड ट्रैनिंग का बिजनैस आरंभ किया. ये दोनों इंजीनियरिंग पासआउट विद्यार्थियों को mसौफ्टवेयर डवलपमेंट और ट्रैनिंग के कोर्स करवाते थे. गणेश इंगले ने इस के साथसाथ वह ज्योतिषी बन कर हस्तरेखा देखने का काम भी करने लगा. हालांकि उसे ज्योतिष का कोई ज्ञान नहीं था, लेकिन उस ने लोगों की कमजोरियां जानसमझ कर उन्हें बेवकूफ बनाया और मोटी रकम ऐंठी.

खड़ी हो गई ठग कंपनी

बाद में सन 2016 में गणेश ने गाजियाबाद निवासी अमित गुप्ता के साथ मिल कर रेनसेल एनर्जी एंड मेटल लिमिटेड नाम की कंपनी बनाई. इस कंपनी का औफिस मुंबई के बांद्रा कुर्ला में खोला गया. इस कंपनी में गणेश डायरेक्टर बना और अमित गुप्ता रिलेशनशिप मैनेजर कम पार्टनर था.

अमित की भतीजी शिवानी गुप्ता को कंपनी में सेके्रट्री बनाया गया. इस कंपनी के माध्यम से गणेश व अमित ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर न्यूक्लियर प्रोटेक्शन, न्यूक्लियर वेस्ट मैनेजमेंट और सोलर एनर्जी के क्षेत्र में ट्रेडिंग और सर्विस का काम शुरू किया.

लोगों को झांसा देने और दिखावे के तौर पर इन्होंने अपनी कंपनी में ओलगा नामक व्यक्ति को एनवायरमेंटल इकोनोमिस्ट, एलेक्स फाल्कन को रेनसेल वेबमास्टर, पीटर मार्गन को अकेडमिक इंगेजमेंट मैनेजर, सांदरा को रिसर्च असिस्टेंट बना रखा था. वास्तव में इन चारों के ये नाम फरजी थे और इन नामों के कोई व्यक्ति कंपनी में नहीं थे.

गणेश और इंगले ने जोड़जुगत कर के वर्ल्ड न्यूक्लियर एसोसिएशन की सदस्यता भी हासिल कर ली थी. इस एसोसिएशन का कार्यालय यूके में सेंट्रल लंदन में है. इस सदस्यता के आधार पर दोनों ने 2017 में लंदन में आयोजित वर्ल्ड न्यूक्लियर एसोसिएशन सिंपोजियम में हिस्सा लिया.

इस आयोजन में इन की मुलाकात इकेटेरिना नामक महिला से हुई. दोनों ने इकेटेरिना को अपने झांसे में लिया और अपनी कंपनी रेनसेल का यूके का डायरेक्टर बना दिया. इकेटेरिना बाद में भारत भी आई थी.
लंदन में हुई इसी सिंपोजियम में गणेश व अमित की मुलाकात टिटियाना साइलाबस नामक बुल्गारियन महिला से भी हुई थी. यह महिला बुल्गारिया की एनआरडब्ल्यू नामक कंपनी में पार्टनर थी. गणेश और अमित ने इस महिला से यह टाईअप किया कि न्यूक्लियर वेस्ट मैनेजमेंट से संबंधित कोई कार्य भारत में रेनसेल कंपनी को मिलता है, तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वह उन का साथ देंगी. बाद में टिटियाना साइलाबस भी भारत आई थी.

ठगी के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बनाई पहचान

यूके के सेंट्रल लंदन में पिछले साल आयोजित ग्लोबल न्यूक्लियर इनवेस्टमेंट समिट में भी गणेश और अमित ने भाग लिया था. इस समिट में दुनियाभर की लगभग 100 कंपनियों के प्रतिनिधि शामिल हुए थे.
जून 2018 में गणेश और अमित ने फ्रांस के पेरिस शहर में आयोजित वर्ल्ड न्यूक्लियर एक्जीबिशन में भी हिस्सा लिया. स्पेन के मैड्रिड शहर में आयोजित वर्ल्ड न्यूक्लियर फ्यूल साइकल 2018 के आयोजन में भी दोनों ने भागीदारी की.

ये लोग इंदौर के विजय नगर निवासी दिनेश आर्य के मार्फत ग्राहकों को फांसने का काम करते थे. दिनेश के जरिए ही गणेश इंगले जयपुर के सत्यनारायण के संपर्क में आया था. अमित गुप्ता लगातार सत्यनारायण के संपर्क में रहता था और जयपुर आताजाता रहता था.

पुणे के बिजनैसमैनों को बेवकूफ बनाने के लिए गणेश इंगले खुद भी जयपुर आया था. ये लोग अपने शिकार पर प्रभाव जमाने के लिए फाइव स्टार होटलों में रुकते थे और मर्सिडीज जैसी प्राइवेट लग्जरी कारें किराए पर मंगा कर उपयोग में लाते थे. पिछले साल जुलाई में डांसिंग डौल की टैस्टिंग के नाम पर जयपुर के आमेर इलाके में ड्रामा किया गया था. इस ड्रामे में जिंदाल नामक जिस आदमी को डीआरडीओ का वैज्ञानिक बना कर लाया गया, वह सत्यनारायण का परिचित था.

गणेश इंगले की कंपनी रेनसेल एनर्जी एंड मेटल द्वारा डीआरडीओ, नासा और वर्ल्ड न्यूक्लियर एसोसिएशन के नाम पर फरजी दस्तावेजों का इस्तेमाल कर के लोगों से करोड़ोंअरबों रुपए ठगने की बात पता चली है. पुलिस का दावा है कि इस गिरोह ने जयपुर, दिल्ली व हैदराबाद सहित देश के हिस्सों में लोगों से 300 से 400 करोड़ रुपए तक की ठगी की है.

जयपुर पुलिस ने गिरोह के सदस्यों से 10 लाख रुपए नकद, डीआरडीओ के फरजी लेटरपैड, कथित कैमिकल टैस्टिंग रिपोर्ट और एंटी रेडियोएक्टिव की नकली ड्रेस बरामद की है. पता चला है कि रेनसेल कंपनी ने इजरायल से साढ़े 3 लाख रुपए प्रति नग के हिसाब से 2 एंटी रेडियोएक्टिव सूट खरीदे थे. इन सूटों को दिखा कर ये लोग अपने शिकार को रेडियोएक्टिव की खरीदफरोख्त के लिए फांसते थे.
गिरोह की ओर से अंग्रेजों के जमाने की ईस्ट इंडिया कंपनी की जिस डांसिंग डौल का सौदा ग्राहकों से किया जाता था, वह साधारण लकड़ी की बनी हुई थी, जिसे फिश एक्वारियम में रखा हुआ था. इस डांसिंग डौल को दिखा कर यह गिरोह कई लोगों से ठगी कर चुका है.

जयपुर निवासी सत्यनारायण 2 दशक पहले तक जयपुर नगर निगम में कर्मचारी था. बाद में उस ने सरकारी नौकरी छोड़ दी. अब उस ने जवाहर सर्किल के पास औफिस खोल रखा था. जहां वह जादूटोने, स्टोन, मालाएं, पेंटिंग्स, कैमिकल और एंटीक आइटम्स के नाम पर लोगों से ठगी करता था.

उस के औफिस में हर समय कई एजेंट बैठे रहते थे. सत्यनारायण ने कई शादियां कर रखी हैं. उस ने एक पत्नी के नाम पर आयुर्वेद की फर्म भी रजिस्टर करवा रखी है. इस फर्म के जरिए वह चमत्कारी दवाओं के नाम पर लोगों से ठगी करता था. जयपुर में उसके कई मकान हैं.

पुलिस इस गिरोह के बारे में नए तथ्य जुटाने में लगी है. यह विडंबना है कि पैसे वाले लोग मोटे मुनाफे के लालच में गणेश, अमित और सत्यनारायण जैसे ठगों के चक्कर में फंस जाते हैं. पुलिस मामले की जांच कर रही है.

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