बदलते जमाने के साथ अपराधों के तौरतरीके भी बदल रहे हैं. चोरीडकैती, ठगी और हत्या जैसे अपराध आदिकाल से होते रहे हैं. फर्क केवल इतना है कि समय के साथ इन के चेहरेमोहरे बदल जाते हैं. ठगी के मामले में भारत में नटवर लाल और दुनिया में चार्ल्स शोभराज का नाम प्रसिद्ध है. नटवरलाल कोई ज्यादा पढ़ालिखा नहीं था, लेकिन अपनी लच्छेदार और लुभावनी बातों से लोगों को ऐसा सम्मोहित कर लेता था कि वे खुद उस के बिछाए जाल में फंस कर ठगी का शिकार बन जाते थे. भले ही नटवरलाल से ज्यादा बड़ी रकम की ठगी करने वालों में दूसरे नाम जुड़ गए हों, लेकिन नटवरलाल का नाम आज भी ठगी का पर्याय बना हुआ है.

ठगों की इस दुनिया में अब विज्ञान भी शामिल हो गया है. ठगी के तरीके भी हाईटेक हो गए हैं. यहां तक कि अणु और परमाणु के नाम पर भी ठगी होने लगी है. मैकेनिकल इंजीनियर जैसे सम्मानजनक पेशे से जुड़े लोग भी ठगी की ऐसी वारदातों को अंजाम देने लगे हैं. उच्चशिक्षित और पैसे वाले लोग ऐसी ठगी का शिकार बनते हैं. ठगी भी कोई छोटीमोटी नहीं बल्कि करोड़ोंअरबों रुपए की है. यह कहानी ऐसे ही अंतरराष्ट्रीय ठगों की है, जो न्यूक्लियर पदार्थ रेडियोएक्टिव के नाम पर लोगों से करोड़ों रुपए की ठगी करते रहे हैं.

ये भी पढ़ें- अवैध संबंध पत्नी के, जान गई पति की

पिछले साल की बात है. पुणे के रहने वाले 3 बिजनैसमैन योगेश सोनी, समीर मोहते और गिरीश सोनी का कारोबार के सिलसिले में मध्य प्रदेश के इंदौर निवासी दिनेश आर्य से संपर्क हुआ. दिनेश आर्य ने पुणे के कारोबारियों को रेडियोएक्टिव पदार्थ के बारे में बताया. साथ ही यह भी बताया कि रेडियोएक्टिव के काम में मोटा मुनाफा हो सकता है. शर्त यह है कि इस काम में रकम भी मोटी ही लगानी पड़ेगी.
पुणे के इन तीनों बिजनैसमैनों के पास पैसा था. उन का अच्छाखासा कारोबार चल रहा था. इसलिए उन्होंने दिनेश आर्य से कहा कि पैसों की कोई कमी नहीं है, तुम्हारी नजर में अगर किसी के पास रेडियोएक्टिव पदार्थ हो तो बताना.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 महीना)
USD2
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...