30 दिसंबर, 2018 की सुबह साढ़े 10 बजे देवरिया के जिला कारागार में उस समय अफरातफरी मच गई, जब जिलाधिकारी अमित किशोर ने एसडीएम (प्रशासन) राकेश कुमार पटेल, एडीएम रामकेश यादव, जिला सूचना विज्ञान अधिकारी कृष्णानंद यादव, एएसपी शिष्यपाल, सीओ (सदर) वरुण कुमार मिश्र और साइबर एक्सपर्ट सहित करीब 500 पुलिसकर्मियों के साथ जेल में छापा मारा. उन का मुख्य टारगेट था बैरक नंबर-7. इस बैरक में पूर्वांचल के कुख्यात बाहुबली पूर्व सांसद अतीक अहमद बंद थे.

जिलाधिकारी अमित किशोर ने यह काररवाई प्रमुख सचिव (गृह) अरविंद कुमार के निर्देश पर की थी. दरअसल एक दिन पहले 29 दिसंबर को राजधानी लखनऊ के रहने वाले रीयल एस्टेट कारोबारी मोहित जायसवाल ने लखनऊ के कृष्णानगर थाने में पूर्व सांसद अतीक अहमद, उन के बेटे उमर अहमद सहित 4 गुर्गों गुलाम इमामुद्दीन, गुलफाम, फारुख और इरफान के खिलाफ अपहरण, धोखाधड़ी, रंगदारी मांगने, जाली कागज तैयार करने और आपराधिक साजिश रचने की रिपोर्ट दर्ज कराई थी.

मोहित जायसवाल ने पुलिस को बताया कि 26 दिसंबर, 2018 को लखनऊ से उन का अपहरण कर उन्हें देवरिया जेल लाया गया था. जेल में बंद पूर्व सांसद अतीक अहमद की बैरक नंबर-7 में उन के बेटे उमर अहमद, अतीक अहमद और 2 गुर्गों गुलाम इमामुद्दीन और इरफान ने उन्हें जान से मारने की नीयत से बुरी तरह पीटा.

इस के साथ ही इन लोगों ने उन की करीब 45 करोड़ रुपए की संपत्ति हथियाने के लिए उन से जबरन स्टांप पेपरों पर दस्तखत करा लिए थे. उस के बाद उन्हें जबरन गाड़ी में बैठा कर लखनऊ के गोमतीनगर में फेंक दिया और उन की गाड़ी लूट कर चारों गुर्गे मौके से फरार हो गए. गौरतलब है, इलाहाबाद के बहुचर्चित मरियाडीह दोहरे हत्याकांड के केस में अतीक अहमद देवरिया जेल की बैरक नंबर-7 में बंद थे.

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