नरेंद्र मोदी वर्सेज राहुल गांधी:  “खरगोश और कछुए” की नई कहानी

राहुल गांधी ने 18 अप्रैल को ट्वीट करते हुए कहा कि वे पश्चिम बंगाल की चुनावी रैलियों को रद्द कर रहे हैं.

दरअसल,जिस तरह देश में और पश्चिम बंगाल में कोरोना का अति संक्रमण हुआ है उसके मद्देनजर पश्चिम बंगाल में चुनावी रैली आयोजित करना किसी भी तरह से लोकहित में नहीं कहा जा सकता है. राहुल ने देश की इसी मन भावना को , नब्ज को समझ कर के ट्वीट करते हुए जैसे ही या कहा कि वे चुनावी रैलियां कोरोना के मद्देनजर रद्द कर रहे हैं देश में उनका ट्वीट पसंद किया जाने लगा.

ऐसे में भी  जहां भाजपा राहुल गांधी पर आक्रमक हो गई वहीं देशभर में राहुल गांधी के पक्ष में का माहौल दिखाई पड़ रहा है.

अब सवाल यह है कि आगे भाजपा की रणनीति क्या होगी. क्या वह पश्चिम बंगाल के आगामी 3 चरणों का, जो चुनाव बाकी है उसमें प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी की रैलियां अमित शाह की रैलियां आयोजित करने का दुस्साहस कर पाएगी.

देश में जारी पांच राज्य के विधानसभा चुनाव के अब अंतिम समय में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पश्चिम बंगाल की चुनाव रैलियां, कोरोना वायरस की भयंकर रूप से फैलाओ के परिप्रेक्ष्य में रद्द करने के साथ ही यह संदेश देशभर में दे दिया है कि   उन्होंने जो निर्णय लिया है वह  आम लोगों के भले के लिए है. राहुल गांधी के इस फैसले की अखबारों में संपादकीय लिखकर और सोशल मीडिया मे प्रशंसा का दौर शुरू हो गया है यह निसंदेह राहुल गांधी का एक साहसिक कदम है और साथ ही देश के सभी राजनीतिक दलों को एक यह सन्देश भी  की देशवासियों मतदाताओं की जान कीमती है, चुनाव में हार और जीत नहीं. और रैलिया बुलाकर जिस तरीके से भीड़ इकट्ठा की जा रही है वह बड़ी ही शर्मनाक है.

आपकी जानकारी में बताते चलें कि कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष

राहुल गांधी ने  अंग्रेजी में ट्वीट करते हुए यह  कहा,- ‘कोविड की स्थिति को देखते हुए मैं पश्चिम बंगाल में अपनी सभी सार्वजनिक रैलियों को स्थगित कर रहा हूं.मैं सभी राजनीतिक नेताओं को सलाह दूंगा कि मौजूदा परिस्थितियों में बड़ी सार्वजनिक रैलियों के आयोजन के परिणामों पर गहराई से विचार करें.’ आगे राहुल गांधी ने हिन्दी में ट्वीट करते हुए लिखा- “कोविड संकट को देखते हुए, मैंने पश्चिम बंगाल की अपनी सभी रैलियां रद्द करने का निर्णय लिया है राजनैतिक दलों को सोचना चाहिए कि ऐसे समय में इन रैलियों से जनता व देश को कितना ख़तरा है.’

राहुल के सामने मोदी की जुबां बंद!

यह देश जानता है कि भाजपा और भाजपा के नेता जो सत्ता का आनंद ले रहे हैं वे राहुल गांधी को फूटी आंख पसंद नहीं करते. लंबे समय से राहुल गांधी को पप्पू का कहकर उनका मजाक उड़ाने का काम भाजपा के शीर्ष नेता करते रहे हैं. ऐसे में राहुल गांधी ने अनेक दफा यह बताया है कि उनकी सोच कितनी गहरी है जिस का सबसे महत्वपूर्ण उदाहरण वर्तमान में देखने को मिल रहा है .

इस घटनाक्रम के पश्चात भाजपा के बड़े नेता कुछ भी बोलने से गुरेज कर रहे हैं. सभी जानते हैं कि कोरोना कोविड-19 का संक्रमण इस समय कितना भीषण है. ऐसे में जो इस देश के नेता है कर्णधार बने हुए हैं अगर पश्चिम बंगाल के कोने कोने में जाकर रेलिया कर रहे हैं, लाखों लोगों की भीड़ जुटा रहे हैं और सत्ता को किसी भी तरीके से प्राप्त कर लेना चाहते हैं, के सामने यह यक्ष प्रश्न है कि सत्ता बड़ी है या आम जनता का जीवन.

पश्चिम बंगाल के इस चुनाव में हो सकता है भाजपा बाजी मार ले मगर आने वाले समय में वह लोगों को क्या जवाब देगी, जब संक्रमण के कारण जाने कितने लोग हलाक हो चुके होंगे. भाजपा अपनी मोटी चमड़ी और आज के अपने ढीट स्वभाव के कारण चाहे कुछ भी कहे, मगर इतिहास में तो भाजपा को जवाब देना ही होगा.

राहुल गांधी ने  एक और ट्वीट के जरिए नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा, जिसमें अपनी पीठ ठोकते हुए  बंगाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि-” रैली में इतनी भीड़ है कि जहां तक उनकी नजर जा रही है, लोग ही लोग दिख रहे हैं.”

इसी संदर्भ में राहुल गांधी ने ट्वीट कर लिखा- “बीमारों और मृतकों की भी इतनी भीड़ पहली बार देखी है!’

राहुल गांधी के टि्वट में जो भाव है उसे आम लोगों ने महसूस किया और वहीं भाजपा के नेता बौखला गए और कहने लगे कि कांग्रेस की हालत पश्चिम बंगाल में तो खराब है, वह तो पिक्चर में ही नहीं है यही कारण है कि  राहुल की रैलिया रद्द की गई है. हो सकता है भाजपा आज आत्मविश्वास में है और अपनी हालत बहुत अच्छी समझ रही है. तो ऐसे में यह निर्णय करने में क्या गुरेज की रैलियां नहीं की जाएं और चुनाव को कोरोना प्रोटोकॉल के तहत लड़ा जाए.

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आपको खबर रहे, पश्चिम बंगाल विधानसभा का कार्यकाल 30 मई को समाप्त हो रहा है. यहां 17 वीं विधानसभा  के लिए  7,34,07,832 वोटर्स उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला 27 मार्च से जारी है. पश्चिम बंगाल में कुल आठ चरणों में चुनाव हैं अब तक पांच चरणों के लिए मतदान हो चुके है और आगामी छठे चरण में 43 सीटों पर 22 अप्रैल को, सातवें चरण में 36 सीटों पर 26 अप्रैल को और आठवें और अंतिम चरण में 35 सीटों पर 29 अप्रैल को मतदान रखा गया है.

राहुल गांधी की भाजपा को धोबी पछाड़!

साधारण रूप से कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने जिस तरीके से रैलीयों को रद्द करने की बात कही, उसका सभी और स्वागत किया जा रहा है. वहीं भाजपा आवाक है, मौन है या फिर आक्रमक है जो यह बताता है कि भाजपा हर चीज में राजनीति ढूंढ लेती है या फिर फर्जी राष्ट्रवाद का सहारा लेती है.

राहुल गांधी ने जिस तरीके से अपनी बात कही है उसे लोगों ने पसंद किया है और जब महसूस किया है कि इसमें सद्भावना है राजनीति नहीं और यही राजनीति का मूल तत्व भी है.

आने वाले समय में अगर राहुल गांधी के इस अपेक्षा पर मोदी और अन्य राजनीतिक दल खरे नहीं उतरे और आगे चलकर कोरोना के कारण लोगों का संक्रमण बढ़ा महामारी बढ़ गई तो भाजपा को यह महंगा पड़ेगा.

यहां यह आंकड़े भी दिलचस्प है कि प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी ने जहां अभी तक देश में 143 चुनावी रैलियां की हैं वहीं, अकेले पश्चिम बंगाल में उन्होंने 17 रैलियां को संबोधित किया हैं. भाजपा अध्यक्ष अमित शाह भी पश्चिम बंगाल में ताबड़तोड़ रैलियां कर रहे हैं. उन्होंने पश्चिम बंगाल में 17 रैलियां कर चुके हैं.  कांग्रेस के अध्यक्ष रहे राहुल गांधी ने भी रैलियां करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है लेकिन मोदी जी का मुकाबला करने के मामले में वे बहुत पीछे हैं .कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आज दिनांक तक देश में 126 रैलियां की है. हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की तुलना में उन्होंने मात्र तीन रैलियां पश्चिम बंगाल में की है. राहुल गांधी इस चुनाव में अब तक 8 रोड शो कर चुके हैं जबकि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह 20 रोड शो कर चुके हैं.

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मुख्तसर इस “खरगोश कछुआ की दौड़” की नई  कहानी में भले ही भाजपा आगे दिखाएं दे रही है नरेंद्र मोदी अमित शाह बहुत आगे दिखाई दे रहे हैं मगर कोरोना से लड़ने के परिपेक्ष में जिस तरीके से राहुल गांधी ने चुनावी रैलियों से कांग्रेस को पीछे कर लिया है उससे भाजपा के इन  नेताओं की बोलती बंद है.

भाजपा को न तो कुछ करते बन रहा है और न ही कुछ उगलते.

पवन सिंह ने तोड़ा अक्षरा सिंह का दिल, जानें क्या है पूरा मामला

भोजपुरी सिनेमा की सबसे चर्चित जोड़ी अक्षरा सिंह और पवन सिंह का नाम अक्सर सुर्खियों में छाये रहता है. फैंस इनकी जोड़ी को काफी पसंद करते थे लेकिन ऐसा क्या हुआ ऐसा क्या हुआ कि इन दोनों की जोड़ी टूट गई तो आइए बताते हैं इनके प्यार और दुश्मनी की कहानी.

अक्षरा सिंह और पवन सिंह ने एक साथ कई फिल्में की है. और इनकी सारी फिल्में सुपरहिट रही है. शूटिंग के दौरान ही ये दोनों एक-दूसरे का करीब आए.

और फिल्मों की शूटिंग के दौरान पवन सिंह को धीरे-धीरे ही अक्षरा सिंह से मोहब्बत हो गई. इसके बाद दोनों एक साथ काफी सारा वक्त बिताने लगे.

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अक्षरा सिंह ने ये बात खुलकर सबके सामने कह कि वह पवन सिंह से प्यार करती है. उन्होंने यह भी बताया कि वो पवन सिंह को डेट कर रही हैं.

खबरों के अनुसार पवन सिंह ने अक्षरा सिंह से ऐसा रिश्ता तोड़ा कि रातों-रात शादी के बंधन में बंध गए. पवन सिंह की शादी की खबर सुनकर अक्षरा सिंह भी अंदर से टूट गईं. लेकिन इसके बाद भी वो फिल्मों में पवन सिंह के साथ काम करती रहीं.

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मिली जानकारी के अनुसार अक्षरा सिंह और पवन सिंह एक फिल्म की शूटिंग के लिए होटल में रुके हुए थे. शूटिंग के बाद पवन सिंह ने रात को ड्रिंक की और किसी बात पर वो इतना भड़क गए कि उन्होंने सबके सामने अक्षरा सिंह पर हाथ उठा दिया. आपको बता दें कि अक्षरा सिंह ने कई बार खुद ये बात कही हैं कि वो पवन सिंह से प्यार करती थीं.

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Anupamaa स्टार रूपाली गांगुली हुईं थीं रोड रेज का शिकार, बाइकसवारों ने बेटे के सामने की थी बदतमीजी

स्टार प्लस का चर्चित सीरियल  अनुपमा सीरियल की लीड एक्ट्रेस रूपाली गांगुली इन दिनों खूब सुर्खियां बटोर रही हैं. अब खबर यह आ रही है कि अनुपमा स्टार रूपाली गांगुली रोड रेज का शिकार हो चुकी हैं. जी हां, यह हादसा उनके साथ तब हुआ जब वह बेटे को छोड़ने स्‍कूल जा रही थीं.

दरअसल रूपाली गांगुली ने खुद इस हादसे के बारे में सोशल मीडिया पर खुलासा किया है. उन्होंने बताया कि उसी दौरान बाइकसवारों ने उन पर हमला किया. इस हादसे के वक्‍त रूपाली गांगुली काफी डर गई थीं.

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रिपोर्ट्स के अनुसार रुपाली गांगुली ने बताया है कि जब वो अपने पांच साल के बेटे को स्कूल छोड़ने जा रही थीं. रुपाली के साथ कार में उनका बेटा और उसकी केयरटेकर मौजूद थे.

 

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उसी दौरान बाइकसवारों ने उनका कार के शीशे तोड़े और धमकी देना शुरू कर दिया था. इस हादसे में रूपाली के हाथ में चोट लगी थी और उनका बेटा काफी डर गया था.

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बताया जा रहा है कि यह घटना मुंबई के वर्सोवा में अगस्‍त 2018 में हुई थी. खबरों के अनुसार  रूपाली की गाड़ी बाइक पर जा रहे दो लोगों से टकरा गई. रुपाली ने तुरंत इसके लिए माफी मांगी लेकिन बाइकसवार सुनने को राजी ही नहीं हुए. उन लोगों ने रूपाली से बदतमीजी शुरू कर दी.

Ghum hai Kisikey Pyaar Meiin: सई ने किया पुलकित के खिलाफ हुई साजिश का खुलासा, पढ़ें खबर

स्टार प्लस का सीरियल ‘गुम है किसी के प्‍यार में’ में सई और विराट के बीच दूरियां बढ़ती जा रही है. लेकिन सई भी हार मानने वालों में से नहीं है. सीरियल के अपकमिंग एपिसोड में ये दिखाया जाएगा कि विराट के सामने साजिश रचने वाले की पोल खुल जाएगी. तो आइए जानते हैं सीरियल के अपकमिंग एपिसोड में क्या होने वाला है.

शो के बिते एपिसोड में आपने देखा कि विराट ने सई को घर से बाहर निकाल दिया है. शो के अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि पुलकित के खिलाफ रची गई साजिश का सच विराट के सामने आ जाएगा.

 

चौहान फैमिली यह चाहता था कि पुलकित और देवयानी की शादी न हो लेकिन सई ने आखिरकार दोनों की शादी करायी.  चौहान परिवार ने देवयानी की शादी रोकने के लिए एक से बढ़कर एक साजिश रची.

इतना ही नहीं एक गुमनाम चिट्ठी के आधार पर उसे चरित्रहीन तक साबित करना चाहा,  उसका अपहरण कर डराने की कोशिश की. हालांकि अब सई ने कॉलेज की प्र‍िंसिपल को सब सच बताया और प्रिंसिपल अब साजिश में शामिल स्‍टाफ मेंबर को बुलाई.

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तो वहीं  स्टाफ मेंबर्स ने कुबूल कर लिया कि उसने पुलकित के खिलाफ पैसे लेकर साजिश रची और उसे पैसे किसने दिए, यह भी एक फोटो से सामने आएगा.

 

शो के बिते एपिसोड में आपने देखा कि सई ने अपनी ननद देवयानी की शादी प्रोफेसर पुलकित देशपांडे से परिवार के खिलाफ जाकर करा दी. जिसका खामियाजा सई को भुगतना पड़ा रहा है.

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Serial Story: लव ऐट ट्रैफिक सिगनल- भाग 3

वह चाय और स्नैक्स ले कर आई तो तीनों साथ बैठे थे. मां ने मेरा पूरा नाम और परिवार के बारे में पूछा तो मैं ने कहा कि मेरा नाम अमित रजक है और मेरे मातापिता नहीं हैं. उन्होंने अपना नाम मनोरमा पांडे बताया और कहा कि शोभना के पिता तो बचपन में ही गुजर गए थे. उन्होंने अकेले ही बेटी का पालनपोषण किया है. फिर अचानक पूछ बैठीं, ‘‘तुम्हारे पूर्वज क्या धोबी का काम करते थे?’’

उन का यह प्रश्न तो मुझे बेतुका लगा ही था, मैं ने शोभना की ओर देखा तो वह भी नाराज दिखी थी. खैर, मैं ने कहा, ‘‘आंटी, जहां तक मुझे याद है मेरे दादा तक ने तो ऐसा काम नहीं किया है. दादाजी और पिताजी दोनों ही सरकारी दफ्तर में चपरासी थे और मेरे लिए इस में शर्म की कोई बात नहीं है. और आंटी…’’

शोभना ने मेरी बात बीच में काटते हुए मां से कहा, ‘‘हम ब्राह्मण हैं तो हमारे भी दादापरदादा जजमानों के यहां सत्यानारायण पूजा बांचते होंगे न, मां?  और मैं तो ब्राह्मण हो कर भी मांसाहारी हूं?’’

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मैं मां को नमस्कार कर वहां से चल पड़ा. शोभना नीचे तक छोड़ने आई थी. उस ने मुझ से मां के व्यवहार के लिए माफी मांगी. मैं अपने फ्लैट में वापस आ गया था. दूसरे दिन शोभना ने फोन कर शाम को हुसैन सागर लेक पर मिलने को कहा. हुसैन सागर हैदराबाद की आनबानशान है. वहां शाम को अच्छी रौनक और चहलपहल रहती है. एक तरफ एक लाइन से खेलकूद, बोटिंग का इंतजाम है तो दूसरी ओर खानेपीने के स्टौल्स. और इस बड़ी लेक के बीच में गौतम बुद्घ की विशाल मूर्ति खड़ी है.

शोभना इस बार भी पहले पहुंच गई थी. हम दोनों भीड़ से थोड़ा अलग लेक के किनारे जा बैठे थे. शोभना ने कहा कि उसे मां से ऐसे व्यवहार की आशा नहीं थी.

मैं ने जब पूछा कि मां को जातपात की बात क्यों सूझी, तो उस ने कहा, ‘‘अमित, सच कहूं तो मैं तुम से बहुत प्यार करती हूं. मैं ने मां को बता दिया है कि मैं तुम से शादी करना चाहती हूं. पर दुख की बात यह है कि सिर्फ जातपात के अंधविश्वास के चलते उन्हें यह स्वीकार नहीं है. मैं तो तुम्हारा पूरा नाम तुम्हारे गले में लटके आईडी पर बारबार पढ़ चुकी हूं.’’

इतना कह उस ने मेरा हाथ पकड़ कर रोते हुए कहा, ‘‘मैं दोराहे पर खड़ी हूं, तुम्हें चुनूं या मां को. मां ने साफ कहा है कि किसी एक को चुनो. बचपन में ही पिताजी की मौत के बाद मां ने अकेले दम पर मुझे पालपोस कर बड़ा किया, पढ़ायालिखाया. अब बुढ़ापे में उन्हें अकेले भी नहीं छोड़ सकती. तुम ही कुछ सुझाव दो.’’

मैं ने कहा, ‘‘शोभना, प्यार तो मैं भी तुम से करता हूं, यह अलग बात है कि मैं पहल नहीं कर सका. तुम्हें मां का साथ देना चाहिए. हर प्यार की मंजिल शादी पर आ कर खत्म हो, यह जरूरी नहीं. जिंदगी में प्यार से भी जरूरी कई काम हैं. तुम निसंकोच मां के साथ रहो. तुम भरोसा करो मुझ पर, मुझे इस बात का कोई दुख न होगा.’’

‘‘जितना प्यार और सुकून थोड़ी देर के लिए ही सही, दुबई में मुझे तुम से मिला है उस की बराबरी आजीवन कोई न कर सकेगा.’’

इतना कह वह मेरे सीने से लग कर रोने लगी और बोली, ‘‘बस, आखिरी बार सीने से लगा रही हूं अपने पहले प्यार को.’’ मैं ने उसे समझाया और अलग करते हुए कहा, ‘‘बस, इतना समझ लेना हमारा प्यार उसी रैड सिगनल पर रुका रहा. उसे ग्रीन सिगनल नहीं मिला.’’ और दोनों जुदा हो गए.

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Serial Story: लव ऐट ट्रैफिक सिगनल- भाग 1

आज फिर वही लड़की साइबर टावर के ट्रैफिक सिगनल पर मुझे मिली. हैदराबाद में माधापुर के पास फ्लाईओवर से दाहिने मुड़ने के ठीक पहले यह सिगनल पड़ता है. एक तरफ मशहूर शिल्पा रामम कलाभवन है. इधर लगातार 3 दिनों से सुबह साढ़े 9 बजे मेरी खटारा कार सिगनल पर रुकती, ठीक उसी समय उस की चमचमाती हुई नई कार बगल में रुकती है. मेरी कार में तो एसी नहीं है, इसलिए खिड़की खुली रखता हूं. पर उस की कार में एसी है. फिर भी रेड सिगनल पर मेरे रुकते ही बगल में उस की कार रुकती है, और वह शीशा गिरा देती है. वह अपना रंगीन चश्मा आंखों से ऊपर उठा कर अपने बालों के बीच सिर पर ले जाती है, फिर मुसकरा कर मेरी तरफ देखती है. उस के डीवीडी प्लेयर से एब्बा का फेमस गीत ‘आई हैव अ ड्रीम…’ की सुरीली आवाज सुननेको मिलती है.

सिगनल ग्रीन होते ही वह शीशा चढ़ा कर भीड़ में किधर गुम हो जाती है, मैं ने भी जानने की कोशिश नहीं की. पता नहीं इस लड़की की घड़ी, मेरी घड़ी और मेरी खटारा और उस की नई कार सभी में इतना तालमेल कैसे है कि ठीक एक ही समय पर हम दोनों यहां होते हैं.

खैर, मुझे उस लड़की की इतनी परवा नहीं है जितनी समय पर अपने दफ्तर पहुंचने की. आजकल हैदराबाद में भी ट्रैफिक जाम होने लगा है. गनीमत यही है कि इस सिगनल से दाहिने मुड़ने के बाद दफ्तर के रास्ते में कोई खास बाधा नहीं है. मैं 10 बजे के पहले अपनी आईटी कंपनी में होता हूं. अपने क्लाइंट्स से मीटिंग्स और कौल्स ज्यादातर उसी समय होते हैं.

मेरी कंपनी का अधिकतर बिजनैस दुबई, शारजाह, कुवैत, आबूधाबी, ओमान आदि मध्यपूर्व देशों से है. कंपनी नई है. स्टार्टअप शुरू किया था 2 साल पहले. सिर्फ 2 दोस्तों ने इस स्टार्टअप की शुरुआत अपनी कार के गैराज से की थी जो अब देखतेदेखते काफी अच्छी स्थिति में है. 50 से ज्यादा सौफ्टवेयर इंजीनियर हैं इस कंपनी में. बीचबीच में मुझे दुबई का टूर भी मिल जाता है.

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वैसे तो आमतौर पर शाम 6 बजे तक मैं वापस अपने फ्लैट में होता हूं. इधर 2-4 दिनों से काम ज्यादा होने से लौटने में देर हो रही थी, पर सुबह जाने का टाइम वही है. आज वह लड़की मुझे सिगनल पर नहीं मिली है.

न जाने क्यों मेरा मन पूछ रहा है कि आज वह क्यों नहीं मिली. मैं ने एकदो बार बाएंदाएं देखा, फिर कार के रियर व्यू मिरर में भी देख कर तसल्ली कर ली थी कि मेरे  पीछे भी नहीं है. खैर, सिगनल ग्रीन हुआ तो फिर मैं आगे बढ़ गया. जब तक काम में व्यस्त था, मुझे उस लड़की के बारे में कुछ सोचने की फुरसत न थी, पर लंचब्रैक में उस की याद आ ही गई.

शाम को लौटते समय मैं केएफसी रैस्टोरैंट में रुका था अपना और्डर पिक करने, और्डर मैं ने औफिस से निकलने के पहले ही फोन पर दे दिया था. वहां वह लड़की मुझे फिर मिल गई. वह भी अपना और्डर पिक करने आई थी. वह अपना पैकेट ले कर जैसे ही मुड़ी, मैं उस के पीछे ही खड़ा था. वह मुसकरा कर ‘हाय’ बोली और कहा, ‘‘आप भी यहां. एक खूबसूरत संयोग. आज सिगनल पर नहीं मिली क्योंकि मुझे आज औफिस जल्दी पहुंचना था. मुंबई से डायरैक्टर आए हैं, तो थोड़ी तैयारी करनी थी.’’

वह मेरे पैकेट मिलने तक बगल में ही खड़ी रही थी. मेरी समझ में नहीं आया कि यह सब मुझे क्यों बता रही है क्योंकि मैं तो उसे ढंग से जानता भी नहीं हूं, यहां तक कि उस का नाम तक नहीं मालूम.

‘‘मैं शोभना हूं’’, बोल कर उस ने अपना नाम तो बता दिया. दरअसल, हम दोनों कार पार्किंग तक साथसाथ चल रहे थे. मैं ने  अपना नाम अमित बताया. फिर दोनों अपनीअपनी कार में गुडनाइट कह कर बैठ गए. परंतु वह चलतेचलते ‘सी यू सून’ बोल गई है. जहां एक ओर मुझे खुशी भी हो रही है तो दूसरी ओर सोच रहा था कि यह मुझे से क्यों मिलना चाहती है.

अगले 3-4 दिनों तक फिर शोभना उस सिगनल पर नहीं मिली. एक दिन शाम को मैं शिल्पा रामम में लगी एक प्रदर्शनी में गया तो मेरी नजर शोभना पर पड़ी. गेहुंआ रंग, अच्छे नैननक्श वाली शोभना स्ट्रेचेबल स्किनफिट जींस और टौप में थी. इस बार मैं ही उस के पास गया और बोला, ‘‘हाय शोभना, तुम यहां?’’

उस ने भी मुड़ कर मुझे देखा और उसी परिचित मुसकान के साथ ‘हाय’ कहा. फिर उस ने 4 फोल्ंिडग कुरसियां खरीदीं. मैं ने उस से 2 कुरसियां ले कर कार तक पहुंचा दी थी. कार के पास ही खड़खड़े बातें करने लगे थे हम दोनों. शोभना ने कहा, ‘‘मैं कोंडापुर के शिल्पा पार्क एरिया में रघु रेजीडैंसी में नई आई हूं. 2 रूम का फ्लैट एक और लड़की के साथ शेयर करती हूं और आप अमित?’’

‘‘अरे, मैं भी आप के सामने वाले शिल्पा प्राइड में एक रूम के फ्लैट में रहता हूं. वैसे तुम मुझे तुम बोलोगी तो ज्यादा अपनापन लगेगा. तुम में मैं ज्यादा कंफर्टेबल रहूंगा.’’

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शोभना हंसते हुए बोली, ‘‘मुझे पता है. मैं ने अपनी खिड़की से कभीकभी तुम को देखा है. बल्कि मेरे साथ वाली लड़की तो आईने से सूर्य की किरणों को तुम्हारे चेहरे पर चमकाती थी.’’

मैं ने कहा ‘‘मैं कैसे मान लूं कि इस शरारत में तुम शामिल नहीं थीं?’’

‘‘तुम्हारी मरजी, मानो न मानो.’’

दोनों हंस पड़े और ‘बाय’ कह कर विदा हुए.

अगले दिन उसी सिगनल पर फिर हम दोनों मिले, पर सिगनल ग्रीन होने के पहले तय हुआ कि शाम को कौफी शौप में मिलते हैं. शाम को कौफी शौप में मैं ने शोभना से कहा कि एक ब्रेकिंग न्यूज है. शोभना के पूछने पर मैं ने कहा, ‘‘कल सुबह की फ्लाइट से मैं दुबई जा रहा हूं. कंपनी ने दुबई में एक इंटरनैशनल सैमिनार रखा है. उस में कई देशों के प्रतिनिधि आ रहे हैं. उन के सामने प्रैजेंटेशन देना है.’’

‘‘ग्रेट न्यूज, कितने दिनों का प्रोग्राम है?’’ शोभना ने पूछा.

मैं ने उसे बता दिया कि प्रोग्राम तो 2 दिनों का है, पर अगले दिन शाम की फ्लाइट से हैदराबाद लौटना है. तब तक कौफी खत्म कर मैं चलने लगा तो उस ने उठ कर हाथ मिलाया और ‘बाय’ कह कर चली गई.

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Crime Story: माया के लिए किया गुनाह- भाग 3

सौजन्य-  सत्यकथा

इस के लिए उस ने शालिनी के प्रति एक खतरनाक साजिश रच डाली. इस साजिश में उस ने अपने पुराने कर्मचारी सिक्योरिटी गार्ड और ट्रक ड्राइवर मोहम्मद नईम उर्फ पप्पू को भी शामिल कर लिया.

उस ने शालिनी की 30 लाख की जीवन बीमा पौलिसी तो पहले से ही करवा रखी थी. इस के बाद उस ने अपने कारोबार के लिए नवंबर में शालिनी के नाम पर 33 लाख का एक डंपर खरीद लिया. उस डंपर का भी उस ने बीमा करा लिया था.

बीमा की पौलिसी के अनुसार अगर डंपर मालिक की किसी दुर्घटना में मौत हो जाती तो डंपर का पूरा पैसा माफ हो जाता. इस तरह योजना को अंजाम देने पर अनुज को 63 लाख रुपए का फायदा होता.

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साजिश को दिया अंजाम

इस साजिश को सफल बनाने के लिए अनुज ने पहले शालिनी और उस के ससुराल के लोगों के प्रति अपना व्यवहार ठीक किया. फिर घटना के 15 दिन पहले से अनुज शालिनी को साथ ले कर मौर्निंग वाक के लिए कुमारियां गांव के सर्विस रोड पर जाने लगा.

अपनी तरफ धीरेधीरे बढ़ती हुई मौत से अनभिज्ञ शालिनी अपने पति अनुज का साथ देने लगी. इस साजिश में शामिल मोहम्मद नईम को अनुज ने ढाई लाख रुपए देने का वादा किया था. मोहम्मद नईम की अपनी मजबूरी थी. उसे अपनी बेटी की शादी करनी थी. इसलिए वह राजी हो गया था.

साजिश के तहत घटना के दिन मोहम्मद नईम ने घटना से 5 घंटे पहले बालू भरी अपनी ट्रक ला कर घटनास्थल से कुछ दूरी पर खड़ी कर दी.

अपने तय समय के अनुसार सुबह साढ़े 4 बजे जब अनुज अपनी पत्नी शालिनी के साथ उस सर्विस रोड पर आया तो मोहम्मद नईम सावधान हो गया. अनुज और शालिनी आपस में बातें करते हुए जब रघुवीर सैलियम मार्केट के पास आए, उसी समय अनुज ने सुनसान माहौल देख कर शालिनी का कस कर गला दबा दिया.

शालिनी उस का विरोध भी न कर पाई और बेहोश हो गई. उस ने शालिनी को गिरने नहीं दिया, वह उसे पकड़े रहा. शालिनी के बेहोश होते ही अनुज का इशारा पा कर मोहम्मद नईम तेजी से अपनी ट्रक उन के पास से ले कर गुजरा तो अनुज ने शालिनी को ट्रक की तरफ धक्का दिया.

इस के पहले कि शालिनी के चिथड़े उड़ जाते, मोहम्मद नईम का मन बदल गया. वह अपने ट्रक को कट मार कर निकाल ले गया. लेकिन फिर भी ट्रक की टक्कर से शालिनी लहूलुहान हो गई.

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अनुज कुछ दूर जा कर खड़ा हो गया. कुछ देर बाद रोड पर जब हलचल बढ़ी तो वह हरकत में आ गया. उस दिन वह जानबूझ कर अपना फोन घर छोड़ आया था. किसी का फोन मांग कर उस ने फोन कर के एंबुलैंस बुलाई और शालिनी को अस्पताल ले गया. लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी. इलाज के दौरान उस की मौत हो गई.

पूछताछ में पुलिस को गुमराह करने के लिए अनुज ने शालिनी की मौत की एक मनगढ़ंत कहानी सुना दी थी.

अनुज कुमार यादव उर्फ मोनू से पूछताछ के बाद पुलिस ने शालिनी की हत्या में शामिल ससुर सोहन सिंह यादव, ननद पूजा उर्फ नीरू यादव, गोपाल और गंगाराम यादव को गिरफ्तार कर लिया.

उन की निशानदेही पर फरार ट्रक ड्राइवर मोहम्मद नईम को भी क्राइम ब्रांच के अधिकारियों ने छापा मार कर सूरत के फाल आरटीओ के पास से गिरफ्त में ले लिया और आगे की जांच के लिए सूरत के पुणा थानाप्रभारी को सौंप दिया.

कथा लिखे जाने तक शालिनी के मायके वाले उस की 2 वर्षीय बेटी को अपने संरक्षण में लेने के लिए कानूनी सलाह ले रहे थे. वह अनुज के रिश्तेदारों के पास रह रही थी.

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सौजन्य-  सत्यकथा

8जनवरी, 2021 की बात है. सुबह के करीब 5 बजे थे. गुजरात के सूरत जिले के पुणा पुलिस थाने को एक अहम सूचना मिली. सूचना देने वाले व्यक्ति ने इंसपेक्टर वी.यू. गड़रिया को फोन पर बताया कि कुमारियां गांव के सर्विस रोड स्थित रघुवीर सिलियम मार्केट के सामने बुरी तरह जख्मी एक महिला पड़ी है. उस के सिर पर गहरी चोट है. मामला सड़क दुर्घटना का लगता है. आप शीघ्र काररवाई करें.

इस जानकारी को इंसपेक्टर वी.यू. गड़रिया ने गंभीरता से लिया. अपने सहायकों को साथ ले कर वह तत्काल घटनास्थल की ओर रवाना हो गए.

घटनास्थल पुणा पुलिस थाने से लगभग एक किलोमीटर दूर था. पुलिस वहां मुश्किल से 10 मिनट में पहुंच गई. इस बीच घटना की जानकारी पूरे इलाके में फैल चुकी थी और वहां अच्छाखासा मजमा लग गया था.

पुलिस टीम जब वहां पहुंची तो खून ही खून फैला हुआ था. खून के अलावा वहां कुछ नहीं था. पुलिस टीम ने जब वहां मौजूद लोगों से पूछताछ की तो मालूम हुआ कि उन के आने के पहले एक एंबुलैंस आई और उसे उठा कर इलाज के लिए पास ही के स्मीमेर अस्पताल ले गई.

इंसपेक्टर वी.यू. गड़रिया को मामला गंभीर लगा. उन्होंने यह जानकारी अपने उच्चाधिकारियों को दे दी. इस के बाद उन्होंने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया.

निरीक्षण करने के बाद वह सीधे स्मीमेर अस्पताल पहुंचे. वहां पता चला कि उस महिला की उपचार के दौरान ही मौत हो गई थी. महिला को उस की ससुराल के लोग अस्पताल लाए थे. वह भी अस्पताल में ही मौजूद थे. थानाप्रभारी ने उन से पूछताछ की तो मालूम हुआ कि मृतक महिला का नाम शालिनी था. उस की मौत अस्पताल लाने के 20 मिनट बाद हुई थी.

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शालिनी के पति अनुज कुमार यादव उर्फ मोनू ने बताया कि वह अपनी पत्नी शालिनी के साथ सुबह 5 बजे अकसर उस रोड पर मौर्निंग वाक के लिए जाता था. एक घंटे की वाक के बाद वे अपने घर आ जाते थे.

घटना के समय टहलते हुए जब वह अपनी पत्नी से कुछ दूर आगे चल रहा था, तभी अचानक रेत से भरा एक ट्रक तेजी से आया और शालिनी को रौंदता हुआ वड़ोदरा की तरफ निकल गया. घबराहट में जब तक वह कुछ समझ पाता, तब तक ट्रक उस की आंखों से ओझल हो गया था.

सुनसान सड़क होने के कारण उसे जल्दी कोई मदद भी नहीं मिली. वह अपना फोन घर भूल आया था. जिस की वजह से मजबूरन उसे शालिनी को घायलावस्था में वहीं छोड़ कर एंबुलैंस लाने के लिए जाना पड़ा.

अस्पताल के डाक्टरों के बयानों के बाद पुलिस ने शालिनी के शव का बारीकी से मुआयना किया और उसे पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भिजवा दिया.

थानाप्रभारी थाने लौट आए. शुरुआती जांचपड़ताल में जहां एक तरफ मामला हिट ऐंड रन का बन रहा था, वहीं दूसरी तरफ शालिनी की हत्या की साजिश से भी इनकार नहीं किया जा सकता था. बहरहाल, शालिनी के पति अनुज यादव की शिकायत पर पुलिस ने ड्राइवर और ट्रक के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया.

दूसरी ओर जब इस हादसे की खबर शालिनी के मायके वालों को मिली तो उन के पैरों तले से जमीन सरक गई. उन की बेटी शालिनी किसी हादसे का शिकार हो गई, यह बात उन के गले नहीं उतर रही थी. उन के पूरे परिवार में बेटी को ले कर कोहराम मच गया. उस की मां, बहनों और भाइयों का रोरो कर बुरा हाल था. शालिनी के पिता धनीराम यादव ने फोन पर इंसपेक्टर वी.यू. गड़रिया से बात की और दूसरे दिन शाम होतेहोते वह आगरा जिले में स्थित अपने गांव से सूरत आ गए.

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साजिश का संदेह

शालिनी के पिता धनीराम यादव ने शालिनी की मौत को एक सोचीसमझी साजिश बता कर उस की ससुराल वालों को संदेह के राडार पर खड़ा कर दिया. मायके वाले शालिनी के शव पर अपना दावा करते हुए उस का दाह संस्कार अपने गांव ले जा कर करना चाहते थे. साथ ही वे शालिनी की 2 वर्षीय बेटी को भी अपने संरक्षण में लेना चाहते थे. लेकिन इस के लिए शालिनी के ससुराल वाले तैयार नहीं थे. ससुराल वाले उस का शव हासिल करने की कोशिश में लगे थे.

जिस प्रकार शालिनी के पिता धनीराम यादव ने उस के पति और ससुराल वालों को शालिनी की मौत का जिम्मेदार ठहरा कर उन पर आरोप लगाया था, उस से मामला उलझ गया था. दोनों तरफ बातों में कितनी सच्चाई है, पुलिस अधिकारी इस का अध्ययन कर अपनी जांच की रूपरेखा तैयार कर ही रहे थे कि सूरत की सीबीसीआईडी के हाथों में चला गया.

पोस्टमार्टम के बाद शालिनी का शव उस के पिता धनीराम यादव को सौंप दिया गया. जो उसे अपने गांव ले गए. अपनी बेटी का दाह संस्कार करने के बाद धनीराम यादव ने सूरत के नए पुलिस कमिश्नर अजय कुमार तोमर से मुलाकात कर बेटी की मौत के मामले की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की.

पुलिस कमिश्नर अजय कुमार तोमर इस मामले पर पहले से ही नजर बनाए हुए थे. उन्होंने शालिनी के केस को गंभीरता से लेते हुए उन्हें इंसाफ दिलाने का भरोसा दिया.

इस के पहले कि पुलिस अधिकारी केस की जांच को ले कर कोई काररवाई करते, शालिनी की मौत को ले कर पूरे शहर में सनसनी फैल गई.

हुआ यह कि शालिनी की मौत को ले कर कई दैनिक अखबारों ने दिलचस्पी लेते हुए उसे हाईलाइट कर दिया. जिस से लोगों में पुलिस के प्रति गुस्सा भर गया. पुलिस अधिकारियों ने किसी तरह लोगों को समझाया.

सीबीसीआईडी के प्रमुख आर.आर. सरवैया मामले की जांच करने में जुट गए. सरवैया काफी सुलझे हुए तेजतर्रार अधिकारी थे. उन की अपनी अलग पहचान थी.

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मामले की जिम्मेदारी लेते ही उन्होंने अपने स्टाफ के इंसपेक्टर प्रदीप सिंह बाला को साथ ले कर केस की जांच शुरू कर दी. उन्होंने अपने स्तर पर अस्पताल और घटनास्थल का दोबारा निरीक्षण किया. उन्होंने वहां लगे सीसीटीवी कैमरों के फुटेज देखने के साथसाथ वहां के निवासियों के बयान लिए.

उन के बयानों का क्राइम ब्रांच अधिकारियों ने जब बारीकी से अध्ययन किया तो उन्हें दाल में कुछ काला नजर आया. जब उन्होंने मामले की जांच की तो पूरी दाल ही काली निकली. सुबहसुबह जिस रोड पर वह वाक करने जाते थे, उस समय वह रोड एकदम सुनसान रहती थी.

अगले भाग में पढ़ें- अनुज ने की परफेक्ट प्लानिंग

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