सौजन्य- सत्यकथा
अरविंद दोहरे अपने काम से शाम को घर लौटा तो उस की पत्नी सरिता के साथ दलबीर सिंह घर में मौजूद था. उस समय दोनों हंसीठिठोली कर रहे थे. उन दोनों को इस तरह करीब देख कर अरविंद का खून खौल उठा. अरविंद को देखते ही दलबीर सिंह तुरंत बाहर चला गया.
उस के जाते ही अरविंद पत्नी पर बरस पड़ा, ‘‘तुम्हारे बारे में जो कुछ सुनने को मिल रहा है, उसे सुन कर अपने आप पर शरम आती है मुझे. मेरी नहीं तो कम से कम परिवार की इज्जत का तो ख्याल करो.’’
‘‘तुम्हें तो लड़ने का बस बहाना चाहिए, जब भी घर आते हो, लड़ने लगते हो. मैं ने भला ऐसा क्या गलत कर दिया, जो मेरे बारे में सुनने को मिल गया.’’ सरिता ने तुनकते हुए कहा तो अरविंद ताव में बोला, ‘‘तुम्हारे और दलबीर के नाजायज रिश्तों की चर्चा पूरे गांव में हो रही है. लोग मुझे अजीब नजरों से देखते हैं. मेरा भाई मुकुंद भी कहता है कि अपनी बीवी को संभालो. सुन कर मेरा सिर शरम से झुक जाता है. आखिर मेरी जिंदगी को तुम क्यों नरक बना रही हो?’’ ‘‘नरक तो तुम ने मेरी जिंदगी बना रखी है. पत्नी को जो सुख चाहिए, तुम ने कभी दिया है मुझे? अपनी कमाई जुआ और शराब में लुटाते हो और बदनाम मुझे कर रहे हो.’’ सरिता तुनक कर बोली.
पत्नी की बात सुन कर अरविंद का गुस्सा सातवें आसमान पर जा पहुंचा. उस ने उस की पिटाई करनी शुरू कर दी. वह उसे पीटते हुए बोला, ‘‘साली, बदजात एक तो गलती करती है, ऊपर से मुझ से ही जुबान लड़ाती है.’’
सरिता चीखतीचिल्लाती रही, लेकिन अरविंद के हाथ तभी रुके जब वह पिटतेपिटते बेहाल हो गई. पत्नी की जम कर धुनाई करने के बाद अरविंद बिस्तर पर जा लेटा.
सरिता और अरविंद के बीच लड़ाईझगड़ा और मारपीट कोई नई बात नहीं थी. दोनों के बीच आए दिन ऐसा होता रहता था. उन के झगड़े की वजह था अरविंद का दोस्त दलबीर सिंह.
अरविंद के घर दलबीर सिंह का आनाजाना था. अरविंद को शक था कि सरिता और दलबीर सिंह के बीच नाजायज संबंध हैं. इस बात को ले कर गांव वालों ने भी उस के कान भरे थे. बीवी की किसी भी पुरुष से दोस्ती चाहे जायज हो या नाजायज, कोई भी पति बरदाश्त नहीं कर सकता. अरविंद भी नहीं कर पा रहा था. जब भी उस के दिमाग में शक का कीड़ा कुलबुलाता, वह बेचैन हो जाता था.
उत्तर प्रदेश के औरैया जिले के फफूंद थाना क्षेत्र में एक गांव है लालपुर. अरविंद दोहरे अपने परिवार के साथ इसी गांव में रहता था. उस के परिवार में पत्नी सरिता के अलावा 2 बच्चे थे. अरविंद के पास मामूली सी खेती की जमीन थी. वह जमीन इतनी नहीं थी कि मौजमजे से गुजर हो पाती. फिर भी वह सालों तक हालात से उबरने की जद्दोजहद करता रहा.
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सरिता अकसर अरविंद को कोई और काम करने की सलाह देती थी. लेकिन अरविंद पत्नी की बात को नजरअंदाज करते हुए अपनी खेतीकिसानी में ही खुश था. पत्नी की बात न मानने के कारण ही दोनों में अकसर झगड़ा होता रहता था.
अरविंद अपनी जमीन पर खेती करने के साथसाथ गांव के दूसरे लोगों की जमीन भी बंटाई पर ले लेता था. फिर भी परिवार के भरणपोषण के अलावा वह कुछ नहीं कर पाता था. अगर बाढ़ या सूखे से फसल चौपट हो जाती, तो उसे हाथ मलने के अलावा कुछ नहीं मिल पाता था.
इसी सब के चलते जब अरविंद पर कर्ज हो गया तो वह खेती की देखभाल के साथ फफूंद कस्बे में एक ठेकेदार के पास मजदूरी करने लगा.
वहां से उस का रोजाना घर आना संभव नहीं था, इसलिए वह फफूंद कस्बे में ही किराए का कमरा ले कर रहने लगा. अब वह हफ्ता-15 दिन में ही घर आता और पत्नी के साथ 1-2 रातें बिता कर वापस चला जाता. 30 वर्षीय सरिता उन दिनों उम्र के उस दौर से गुजर रही थी, जब औरत को पुरुष की नजदीकियों की ज्यादा चाहत होती है.
जैसेतैसे कुछ वक्त तो गुजर गया. लेकिन फिर सरिता का जिस्म अंगड़ाइयां लेने लगा. एक रोज उस की नजर दलबीर सिंह पर पड़ी तो उस ने बहाने से उसे घर बुला लिया. दलबीर सिंह गांव के दबंग छोटे सिंह का बड़ा बेटा था. उस की आर्थिक स्थिति मजबूत थी.
दूध के व्यवसाय से वह खूब कमाता था. दलबीर सिंह और उस के पति अरविंद हमउम्र थे. दोनों में खूब पटती थी. अरविंद जब गांव आता था, तो शाम को दोनों बैठ कर शराब पीते थे. सरिता को वह भाभी कहता था. घर के अंदर आते ही सरिता ने पूछा, ‘‘देवरजी, हम से नजरें चुरा कर कहां जा रहे थे?’’
‘‘भाभी, अभीअभी तो घर से आ रहा हूं. खेत की ओर जा रहा था कि आप ने बुला लिया.’’ दलबीर सिंह ने मुसकरा कर जवाब दिया.
उस दिन दलबीर सिंह को सरिता ज्यादा खूबसूरत लगी. उस की निगाहें सरिता के चेहरे पर जम गईं. यही हाल सरिता का भी था. दलबीर सिंह को इस तरह देखते सरिता बोली, ‘‘ऐसे क्या देख रहे हो मुझे. क्या पहली बार देखा है? बोलो, किस सोच में डूबे हो?’’
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‘‘नहीं भाभी, ऐसी कोई बात नहीं है, मैं तो यह देख रहा था कि साधारण मेकअप में भी तुम कितनी सुंदर लग रही हो. अड़ोसपड़ोस में तुम्हारे अलावा और भी हैं, पर तुम जैसी सुंदर कोई नहीं है.’’
‘‘बस… बस रहने दो, बहुत बातें बनाने लगे हो. तुम्हारे भैया तो कभी तारीफ नहीं करते. महीना-15 दिन में आते हैं, वह भी किसी न किसी बात पर झगड़ते रहते हैं.’’
‘‘अरे भाभी, औरत की खूबसूरती सब को रास थोड़े ही आती है. अरविंद भैया तो अनाड़ी हैं. शराब में डूबे रहते हैं. इसलिए तुम्हारी कद्र नहीं करते.’’
‘‘और तुम?’’ सरिता ने आंखें नचाते हुए पूछा.
‘‘मुझे सचमुच तुम्हारी कद्र है भाभी. यकीन न हो तो परख लो. अब मैं तुम्हारी खैरखबर लेने आता रहूंगा. छोटाबड़ा जो भी काम कहोगी, करूंगा.’’ दलबीर सिंह ने सरिता की चिरौरी सी की.
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सौजन्य- सत्यकथा
दलबीर सिंह की यह बात सुन कर सरिता खिलखिला कर हंस पड़ी. फिर बोली, ‘‘तुम आराम से चारपाई पर बैठो. मैं तुम्हारे लिए चाय बनाती हूं.’’
थोड़ी देर में सरिता 2 कप चाय ले आई. दोनों पासपास बैठ कर गपशप लड़ाते हुए चाय पीते रहे और चोरीछिपे एकदूसरे को देखते रहे. दोनों के दिलोदिमाग में हलचल सी मची हुई थी. सच तो यह था कि सरिता दलबीर पर फिदा हो गई थी. वह ही नहीं, दलबीर सिंह भी सरिता का दीवाना बन गया था.
दोनों के दिल एकदूसरे के लिए धड़के तो नजदीकियां खुदबखुद बन गईं. इस के बाद दलबीर सिंह अकसर सरिता से मिलने आने लगा. सरिता को दलबीर सिंह का आना अच्छा लगता था.
जल्द ही वे एकदूसरे से खुल गए और दोनों के बीच हंसीमजाक होने लगा. सरिता चाहती थी कि पहल दलबीर सिंह करे, जबकि दलबीर चाहता था कि जिस्म की भूखी सरिता स्वयं उसे उकसाए.
आखिर जब सरिता से नहीं रहा गया तो एक रोज रात में उस ने दलबीर सिंह को अपने घर रोक लिया. फिर तो उस रात दोनों ने अपनी हसरतें पूरी कीं. हर रिश्ता टूट कर बिखर गया और एक नए रिश्ते ने जन्म लिया, जिस का नाम है अवैध संबंधों का रिश्ता.
उस दिन के बाद सरिता और दलबीर सिंह अकसर एकांत में मिलने लगे. लेकिन यह सच है कि ऐसे संबंध ज्यादा दिनों तक छिपते नहीं हैं. उन का भांडा एक न एक दिन फूट ही जाता है. सरिता और दलबीर के साथ भी ऐसा ही हुआ.
एक रात जब सरिता और दलबीर सिंह देह मिलन कर रहे थे तो सरिता की देवरानी आरती ने छत से दोनों को देख लिया. उस ने यह बात अपने पति मुकुंद को बताई. फिर तो यह बात गांव में फैल गई. और उन के नाजायज रिश्तों की चर्चा पूरे गांव में होने लगी.
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सरिता के पति अरविंद दोहरे को जब सरिता और दलबीर सिंह के संबंधों का पता चला तो उस के पैरों तले से जैसे जमीन खिसक गई. उस ने इस बारे में पत्नी व दोस्त दलबीर से बात की तो दोनों मुकर गए और साफसाफ कह दिया कि ऐसी कोई बात नहीं है. गांव के लोग उन्हें बेवजह बदनाम कर रहे हैं.
लेकिन एक रोज अरविंद ने जब दोनों को हंसीठिठोली करते अचानक देख लिया तो उस ने सरिता की पिटाई की तथा दलबीर सिंह को भी फटकारा. लेकिन उन दोनों पर इस का कोई
असर नहीं हुआ. दोनों पहले की तरह ही मिलते रहे. पत्नी की इस बेवफाई से अरविंद टूट चुका था. महीना-15 दिन में जब वह घर आता था तो दलबीर को ले कर सरिता से उस की जम कर तकरार होती थी. कई बार नौबत मारपीट तक आ जाती थी. अरविंद का पूरा परिवार और गांव वाले इस बात को जान गए थे कि दोनों के बीच तनाव सरिता और दलबीर सिंह के नाजायज संबंधों को ले कर है.
अरविंद की जब गांव में ज्यादा बदनामी होने लगी तो उस ने फफूंद कस्बे में रहना जरूरी नहीं समझा और अपने गांव आ कर रहने लगा. पर सरिता तो दलबीर सिंह की दीवानी थी. उसे न तो पति की परवाह थी और न ही परिवार की इज्जत की. वह किसी न किसी बहाने दलबीर से मिल ही लेती थी.
हां, इतना जरूर था कि अब वह उस से घर के बजाय बाहर मिल लेती थी. दरअसल घर से कुछ दूरी पर अरविंद का प्लौट था. इस प्लौट में एक झोपड़ी बनी हुई थी. इसी झोपड़ी में दोनों का मिल लेते थे.
जुलाई, 2020 में सरिता का छोटा बेटा नीरज उर्फ जानू बीमार पड़ गया. उस के इलाज के लिए सरिता ने अपने प्रेमी दलबीर सिंह से पैसे मांगे, लेकिन उस ने धंधे में घाटा होने का बहाना बना कर सरिता को पैसे देने से इनकार कर दिया.
उचित इलाज न मिल पाने से एक महीने बाद सरिता के बेटे जानू की मौत हो गई. बेटे की मौत का सरिता को बेहद दुख हुआ.
विपत्ति के समय आर्थिक मदद न करने के कारण सरिता दलबीर सिंह से नाराज रहने लगी थी. वह न तो स्वयं उस से मिलती और न ही दलबीर को पास फटकने देती. सरिता सोचती, ‘जिस प्रेमी के लिए उस ने पति से विश्वासघात किया. परिवार की मर्यादाओं को ताक पर रख दिया, उसी ने बुरे वक्त पर धोखा दे दिया. समय रहते यदि उस ने आर्थिक मदद की होती, तो आज उस का बेटा जीवित होता.’
सरिता ने प्रेमी से दूरियां बनाईं तो दलबीर सिंह परेशान हो उठा. वह उसे मनाने की कोशिश करता, लेकिन सरिता उसे दुत्कार देती. दलबीर सरिता को भोगने का आदी बन चुका था. उसे सरिता के बिना कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा था.
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आखिर जब उस से नहीं रहा गया तो उस ने सरिता को मनाने के लिए उसे प्लौट में बनी झोपड़ी में बुलाया. सरिता वहां पहुंची तो दलबीर ने उस से पूछा, ‘‘सरिता, तुम मुझ से दूरदूर क्यों भागती हो. मैं तुम्हें बेइंतहा प्यार करता हूं.’’
‘‘तुम मुझ से नहीं, मेरे शरीर से प्यार करते हो. तुम्हारा प्यार स्वार्थ का है. सच्चे प्रेमी सुखदुख में एकदूसरे का साथ देते हैं. लेकिन तुम ने हमारे दुख में साथ नहीं दिया. जब तुम स्वार्थी हो, तो अब मैं भी स्वार्थी बन गई हूं. अब मुझे भी तन के बदले धन चाहिए.’’
‘‘क्या तुम प्यार की जगह अपने तन का सौदा करना चाहती हो?’’ दलबीर ने पूछा.
‘‘जब प्यार की जगह स्वार्थ पनप गया हो तो समझ लो कि मैं भी तन का सौदा करना चाहती हूं. अब तुम मेरे शरीर से तभी खेल पाओगे, जब एक लाख रुपया मेरे हाथ में थमाओगे.’’
‘‘यदि रुपयों का इंतजाम न हो पाया तो..?’’ दलबीर ने पूछा.
‘‘…तो मुझे भूल जाना.’’
अगले भाग में पढ़ें- राजेश कुमार सिंह ने सरिता की हत्या का खुलासा किया
सौजन्य- सत्यकथा
दलबीर को सपने में भी उम्मीद न थी कि सरिता तन के सौदे की बात करेगी. उसे उम्मीद थी कि वह उस से माफी मांग कर तथा कुछ आर्थिक मदद कर उसे मना लेगा. पर ऐसा नहीं हुआ बल्कि सरिता ने उस से बड़ी रकम की मांग कर दी.
इस के बाद सरिता और दलबीर में दूरियां और बढ़ गईं. जब कभी दोनों का आमनासामना होता और दलबीर सरिता को मनाने की कोशिश करता तो वह एक ही जवाब देती, ‘‘मुझे तन के बदले धन चाहिए.’’
13 जनवरी, 2021 की सुबह 5 बजे दलबीर सिंह ने सरिता को फोन कर के अपने प्लौट में बनी झोपड़ी में बुलाया. सरिता को लगा कि शायद दलबीर ने रुपयों का इंतजाम कर लिया है. सो वह वहां जा पहुंच गई.
सरिता के वहां पहुंचते ही दलबीर उस के शरीर से छेड़छाड़ तथा प्रणय निवेदन करने लगा. सरिता ने छेड़छाड़ का विरोध किया और कहा कि वह तभी राजी होगी, जब उस के हाथ पर एक लाख रुपया होगा.
सरिता के इनकार पर दलबीर सिंह जबरदस्ती करने लगा. सरिता ने तब गुस्से में उस की नाक पर घूंसा जड़ दिया. नाक पर घूंसा पड़ते ही दलबीर तिलमिला उठा. उस ने पास पड़ी ईंट उठाई और सरिता के सिर पर दे मारी.
सरिता का सिर फट गया और खून की धार बह निकली. इस के बाद उस ने उस के सिर पर ईंट से कई प्रहार किए. कुछ देर छटपटाने के बाद सरिता ने दम तोड़ दिया. सरिता की हत्या के बाद दलबीर सिंह फरार हो गया.
इधर कुछ देर बाद सरिता की देवरानी आरती किसी काम से प्लौट पर गई तो वहां उस ने झोपड़ी में सरिता की खून से सनी लाश देखी. वह वहां से चीखती हुई घर आई और जानकारी अपने पति मुकुंद तथा जेठ अरविंद को दी.
दोनों भाई प्लौट पर पहुंचे और सरिता का शव देख कर अवाक रह गए. इस के बाद तो पूरे गांव में सनसनी फैल गई और मौके पर भीड़ जुटने लगी.
इसी बीच परिवार के किसी सदस्य ने थाना फफूंद पुलिस को सरिता की हत्या की सूचना दे दी. सूचना पाते ही थानाप्रभारी राजेश कुमार सिंह पुलिस फोर्स के साथ लालपुर गांव की ओर रवाना हो लिए. रवाना होने से पहले उन्होंने पुलिस अधिकारियों को भी सूचित कर दिया था. कुछ देर बाद ही एसपी अपर्णा गौतम, एएसपी कमलेश कुमार दीक्षित तथा सीओ (अजीतमल) कमलेश नारायण पांडेय भी लालपुर गांव पहुंच गए.
पुलिस अधिकारियों ने मौके पर फोरैंसिक टीम को भी बुलवा लिया. पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया तथा मृतका सरिता के पति अरविंद दोहरे तथा अन्य लोगों से पूछताछ की. फोरैंसिक टीम ने भी जांच कर साक्ष्य जुटाए तथा फिंगरप्रिंट लिए.
एसपी अपर्णा गौतम ने जब मृतका के पति अरविंद दोहरे से हत्या के संबंध में पूछताछ की तो उस ने बताया कि उस की पत्नी सरिता के दलबीर सिंह से नाजायज संबंध थे, जिस का वह विरोध करता था. इसी नाजायज रिश्तों की वजह से सरिता की हत्या उस के प्रेमी दलबीर सिंह ने की है. दलबीर और सरिता के बीच किसी बात को ले कर मनमुटाव चल रहा था.
अवैध रिश्तों में हुई हत्या का पता चलते ही एसपी अपर्णा गौतम ने थानाप्रभारी राजेश कुमार सिंह को आदेश दिया कि वह आरोपी के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर उसे गिरफ्तार करें.
आदेश पाते ही राजेश कुमार सिंह ने मृतका के पति अरविंद दोहरे की तहरीर पर भादंवि की धारा 302 तथा (3) (2) अ, एससी/एसटी ऐक्ट के तहत दलबीर सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया तथा उस की तलाश में जुट गए. 15 जनवरी, 2021 की शाम चैकिंग के दौरान थानाप्रभारी राजेश कुमार सिंह को मुखबिर से सूचना मिली कि हत्यारोपी दलबीर सिंह आरटीओ औफिस की नई बिल्डिंग के अंदर मौजूद है.
मुखबिर की सूचना पर थानाप्रभारी ने आरटीओ औफिस की नई बिल्डिंग से दलबीर सिंह को गिरफ्तार कर लिया. उस की निशानदेही पर पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त खून सनी ईंट तथा खून सने कपड़े बरामद कर लिए.
दलबीर सिंह ने बताया कि सरिता से उस का नाजायज रिश्ता था. सरिता उस से एक लाख रुपए मांग रही थी. इसी विवाद में उस ने सरिता की हत्या कर दी.
राजेश कुमार सिंह ने सरिता की हत्या का खुलासा करने तथा आरोपी दलबीर सिंह को गिरफ्तार करने की जानकारी एसपी अपर्णा गौतम को दी, तो उन्होंने पुलिस लाइन सभागार में प्रैसवार्ता की और आरोपी दलबीर सिंह को मीडिया के समक्ष पेश कर हत्या का खुलासा किया.
16 जनवरी, 2021 को पुलिस ने अभियुक्त दलबीर सिंह को औरैया कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया गया.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित
22 मार्च, 2021 को तेलंगाना के सूर्यापेट जिले में एक कबड्डी मैच के दौरान बड़ा हादसा हो गया था. हुआ यों कि तेलंगाना कबड्डी एसोसिएशन की ओर से कबड्डी मैच कराया जा रहा था. वहां लकड़ी से बनी एक गैलरी पर कई दर्शक बैठे हुए थे. लोगों का वजन ज्यादा होने के चलते वह गैलरी टूट गई और 100 से ज्यादा दर्शक गैलरी के नीचे दबने से घायल हो गए.
यह एक हादसा था, जो कहीं भी और कभी भी हो सकता है. हालांकि प्रशासन की लापरवाही को नकारा नहीं जा सकता. पर इस दूसरे मामले के बारे में आप क्या कहेंगे, जहां एक पढ़ीलिखी मां ने अपनी बेटी के साथ ऐसी करतूत की कि कायनात भी शर्मसार हो जाए.
दिल दहला देने वाली यह वारदात तेलंगाना के सूर्यपेट जिले की है. उस औरत का नाम बी. भारती है और उस ने बीएससी के बाद बीऐड भी की हुई है. अभी तो वह पुलिस की नौकरी का इम्तिहान देने की तैयारी कर रही है.
बी. भारती की शादी 8 साल पहले महबूबाबाद के एक शख्स के साथ हुई थी, पर कुछ समय बाद ही यह शादी टूट गई थी. 2 साल पहले ही वह एक दूसरे आदमी कृष्णा के साथ रिलेशन में आई, जिस से उसे एक बेटी भी पैदा हुई.
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बी. भारती के इस रिश्ते से उस के परिवार वाले खुश नहीं थे. इस बात से वह परेशान थी और उस ने यूट्यूब पर धार्मिक और आध्यात्मिक वीडियो देखने शुरू कर दिए. 15 अप्रैल, 2021 को जब उस का पति काम के सिलसिले में सूर्यपेट गया और ससुराल वाले खेत पर गए, तो बी. भारती ने मूर्ति के सामने अपनी 6 महीने की बेटी रितु की बलि दे दी.
जब घर वाले वापस आए और बच्ची को नदारद पाया, तो बी. भारती से बच्ची के बारे में पूछा. वह चुप रही, तो वे घबरा गए. उन्होंने बच्ची को काफी खोजा, तो उस की गरदन कटी हुई मिली. इस बात से गुस्साया परिवार पुलिस के पास पहुंचा, जिस के बाद बी. भारती को हिरासत में ले लिया गया.
तथाकथित तांत्रिकों के तो कहने ही क्या. बात बेशक साल 2015 की है, पर हमारी आंखें खोलने के लिए उस का जिक्र करना जरूरी है. तब इसी अंधविश्वास के चलते एक 5 साल के मासूम बच्चे की जान चली गई थी.
यह घटना आंध्र प्रदेश के प्रकाशम जिले की है. आरोपी ने पोकुरु गांव में तांत्रिक अनुष्ठान के दौरान बच्चे की बलि चढ़ा दी थी.
पुलिस जांच में पता चला कि बच्चे की बलि चढ़ाने वाले आरोपी 35 साल के तथाकथित तांत्रिक राव ने गांव के ही आंगनबाड़ी केंद्र से एक बच्चे को अगवा किया और उसे अपने घर ले गया. घर ले जाने के बाद उस ने अपने घर में पूजापाठ किया और उसी दौरान बच्चे का सिर काट कर उस की बलि चढ़ा दी. आरोपी ने सिर काटने के बाद उस बच्चे का खून एक बरतन में भर कर पूरे घर में छिड़क दिया.
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जब तांत्रिक राव का भांडा फूटा और गांव वालों को इस की खबर लगी, तो गुस्साए लोगों ने आरोपी को खंभे से बांध कर कैरोसिन छिड़क कर उसे जिंदा जलाने की कोशिश की, पर किसी तरह पुलिस ने उसे छुड़ा लिया.
किसी अंधविश्वास के चलते अपनों या परायों की इस तरह बलि दे देना भारत जैसे अंधविश्वासियों के देश में नई बात नहीं है. जाहिल तांत्रिकों की गंवार सोच पर तो सैकड़ों सवाल उठाए जा सकते हैं, पर जब कोई पढ़ीलिखी औरत अपनी मासूम बेटी के साथ ऐसा करती है, तो कलेजा मुंह को आ जाता है.
यह एक घनघोर अपराध ही नहीं है, बल्कि समाज के मुंह पर तमाचा भी है. वह भी उस समय जब देश में किसी महिला को सुप्रीम कोर्ट का चीफ जस्टिस बनाने की मांग जोर पकड़ रही है.
देशभर में कोरोना के वायरस का कहर देखते हुए लोग केन्द्र सरकार से सम्पूर्ण लॉकडाउन का मांग कर रहे हैं. अब खबर यह आ रही है कि भोजपुरी इंडस्ट्री की फेमस एक्ट्रेस अंजना सिंह ने भी सरकार से एक बार फिर पूर्ण लॉकडाउन लगाने की रिक्वेस्ट की है.
अंजना सिंह ने अपने सभी फैंस से घर पर रहने का आग्रह किया है. एक्ट्रेस ने यह भी बताया है कि कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को देखने के बाद फिल्मों की शूटिंग एक बार फिर रद्द कर दी गई हैं. कई चीजें पेंडिंग रहेगा.
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खबर यह आ रही है कि अंजना सिंह ने सभी से कहा है कि वो जितना हो सके अपने घरों में ही रहें. एक्ट्रेस ने कहा, ‘मैं सभी से अनुरोध करती हूं कि घर पर रहें और अगर कोई वास्तविक कारण नहीं है तो बाहर कदम ना रखें.
एक्ट्रेस ने फैंस से ये भी बताया कि कोरोना वायरस की दूसरी लहर अधिक खतरनाक है. इसलिए मैं सभी से घर पर रहने का अनुरोध करती हूं. उन्होंने आगे कहा कि सरकार को लोगों की सुरक्षा के लिए फिर से लॉकडाउन लागू करना चाहिए.
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सब टीवी का मशहूर कमेडी सीरियल ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ (Taarak Mehta Ka Ooltah Chashmah) को दर्शक काफी पसंद करते हैं. इस शो का हर किरदार काफी एंटरटेनिंग है पर दयाबेन का किरदार दर्शकों के दिल में खास जगह बनाई है. और काफी समय से वह इस शो से दूर है. उनकी वापसी को लेकर आए दिन खबरे आती रहती हैं.
अब खबर यह आ रही है कि इस शो में उनकी वापसी को लेकर शो के प्रड्यूसर असित मोदी ने कहा, मुझे तो लगता है कि अब मुझे ही दयाबेन बन जाना चाहिए. दिशा वकानी की वापसी को लेकर कई सालों से सवाल चल रहे हैं. हम उनका इंतजार कर रहे हैं. अगर दिशा वकानी शो छोड़ना चाहती हैं तो ये शो नई दयाबेन के साथ आगे बढ़ जाएगा.
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रिपोर्ट्स के अनुसार असित मोदी ने कहा, ‘नटू काका वरिष्ठ नागरिक हैं और अपनी बीमारी से उबर चुके हैं, लेकिन इस कोरोना वायरस महामारी की वजह से, मुझे लगता है कि उन्हें अभी घर पर ही रहना चाहिए और सुरक्षा के नियमों का पालन करना चाहिए. हम उन्हें शो में जरूर वापस लेकर आएंगे, लेकिन तब जब हालात बेहतर हो जाएंगे. इसी तरह पोपटलाल की शादी अहम है, लेकिन मौजूदा हालातों की वजह से इसका भी अभी इंतजार करना होगा.
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आपको बता दें कि इस शो में दिशा वकानी की वापस साल 2017 में मैटरनिटी लीव पर गई थी, जिसके बाद वो शो में वापस नहीं आईं. वह एक एपिसोड में नजर आई थी. अब देखना ये दिलचस्प होगा कि इस शो में दयबेन वापस लौटती हैं या नहीं.
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‘बिग बॉस 14’ की फेमस कंटेस्टेंट में जैस्मिन भसीन अपनी लवलाइफ और बेबाकी के कारण सुर्खियों में छायी रहती हैं. अब उन्होंने एक ऐसे मामले के बारे में खुलासा किया है कि जिसे सुनकर आप भी हैरान हो जाएंगे.
दरअसल बिग बौस हाउस में एक टास्क के दौरान खुद को सुरक्षित करने के लिए जैस्मिन ने अपनी जिंदगी से जुड़ा एक ऐसा सच के बारे में खुलासा किया था, जिसे सुनकर सब शॉक्ड हो गए थे. जैस्मिन भसीन ने बताया था कि स्ट्रगल के दिनों में बार-बार रिजेक्शन झेलने के बाद मेरे मन में ‘सुसाइड थॉट्स’ आने लगे थे.
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अब खबर यह आ रही है कि जैस्मिन भसीन ने इस थॉट्स को लेकर बताया है कि उन्होंने इस ख्याल पर कैसे काबू किया है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जब एक्ट्रेस से ‘सुसाइड थॉट्स’ को लेकर पूछा गया तो जैस्मीन ने कहा, ‘जब मैं मुंबई आई थी और स्ट्रगल कर रही थी. तब मैं अपनी लाइफ में बहुत पहले इस तरह की स्थिति झेल चुकी हूं. वो लड़ाई मेरी खुद के साथ थी. इसलिए कहीं न कहीं मैं अपना कॉन्फिडेंस खो चुकी थी.
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खबरों के अनुसार एक्ट्रेस ने बताया कि मेरे लिए यह सीखने की बात है. आपको पहले अपने आप से उस लड़ाई को समाप्त करने की आवश्यकता है. आपको अपने आप को उसी तरह से स्वीकार करने की आवश्यकता है जैसे आपको अपनी खामियों को स्वीकार करने की आवश्यकता है क्योंकि आपकी खामियां आपको दूसरों से अलग बनाती हैं.
उन्होंने ये भी कहा कि जब तक आप अपने बारे में कॉंफिडेंट महसूस करते हैं और यह नहीं ठान लेते कि यही वह है जो मैं करना चाहती हूं. तब आपकी एहसास होगा कि मैं इसे कर सकती हूं.