GHKKPM: कॉलेज जाते वक्त होगा सई का एक्सिडेंट अब क्या करेगा विराट

टीवी सीरियल ‘गुम है किसी के प्यार में’ (Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin) में इन दिनों हाईवोल्टेज ड्रामा चल रहा है. शो के पिछले एपिसोड में आपने देखा कि  सई को एहसास होता है कि जब भी वह विराट के आसपास रहती हैं तो वह सबसे ज्यादा खुश होती है. शो के अपकमिंग एपिसोड में महाट्विस्ट देखने को मिलने वाला है. आइए आपको बताते हैं, क्या होने वाला है शो में.

‘गुम है किसी के प्यार में’ के अपकमिंग एपिसोड में दिखाया जाएगा कि सई ने कॉलेज के फंक्शन में घरवालों को बुलाया है लेकिन उसने विराट को इस फंक्शन में आने के लिए नहीं कहा.

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शो में आप ये भी देखेंगे कि विराट सई से शिकायत करेगा कि आखिर उसने अपने कॉलेज फंक्शन में उसे क्यों नहीं बुलाया? सई विराट को सफाई देते हुए कहेगी कि ये फंक्शन दिन के समय में होगा और वो इस समय अपनी ड्यूटी पर होगा.

 

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तो वहीं कॉलेज फंक्शन में जाने के लिए चौहान हाउस का हर एक मेंबर जाने की तैयारी करेगा. तो उधर ये भी दिखाया जाएगा कि कॉलेज जाते वक्त सई का एक्सीडेंट हो जाएगा. पुलिस चौहान हाउस में आकर ये खबर पूरे परिवार को सुनाएगी. शो के अपकमिंग एपिसोड में ये देखना दिलचस्प होगा कि क्या पुलिस चौहान परिवार को गिरफ्तार करेगी?

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टीवी शो ‘मोलक्की’ के सेट पर लगी आग, गैस लीक के कारण हुआ ब्लास्ट

कलर्स का पॉपुलर सीरियल ‘मोलक्की’ (Molkki) के सेट पर आग लग गई है. सेट पर गैस लीक  होने के कारण यह हादसा हुआ.  आइए बताते हैं, यह हादसा कैसे हुआ.

खबरों की मानें तो एकता कपूर का सीरियल मोलक्की के सेट पर आग लग गई. दरअसल एकता कपूर का क्लिक निक्सन स्टूडियो में गैस लीक हुआ, जिसकी वजह से ये धमाका हो गया था.

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बताया जा रहा है कि धमाके की वजह से सेट पर आग लग गई थी. जब यह घटना हुई, उस समय अमर उपाध्याय और प्रियाल महाजन जैसे सितारे सीरियल की शूटिंग कर रहे थे.

 

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खबरों के अनुसार ‘मोलक्की’  फेम विपुल यानी नवीन शर्मा ने इस घटना के बारे में बात करते हुए बताया कि ये घटना ज्यादा बड़ी नहीं थी. हालांकि इस छोटे से ब्लास्ट ने हम सभी को डरा दिया था. उन्होंने आगे कहा कि जल्द ही हमारी टीम ने आग पर काबू कर लिया था. स्टूडियो में ऐसी घटनाओं से बचने की पूरे इंतजाम किए जाते हैं.

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सीरियल ‘मोलक्की’ की बात करे तो शो  में जल्द ही धमाकेदार ट्विस्ट आने वाला है. रिपोर्ट्स के अनुसार शो में जैसे ही शादी का सीक्वंस खत्म होते ही वीरेन्द्र प्रताप की पहली पत्नी यानी तोरल रासपुत्रा ‘मोल्क्की’ को अलविदा कहने वाली हैं.

बता दें कि  वीरेन्द्र प्रताप की पहली पत्नी का किरदार  में ‘तोरल रासपुत्रा’ नजर आ रही हैं. वह पूर्वी को घर से बाहर करना चाहती है. इसी वजह से वह पूर्वी और विपुल की शादी करवा रही है.

Satyakatha- चाची के प्यार में बना कातिल: भाग 2

सौजन्य- सत्यकथा

एक दिन मंजीत जुलाई महीने में अपनी सविता चाची के घर पहुंचा. उस के परिवार वाले खेतों पर काम करने गए हुए थे. सविता के बच्चे सोए पड़े थे. सविता बच्चों के पास ही सोई हुई थी. उस समय नींद की आगोश में उस के अंगवस्त्र अस्तव्यस्त हो चुके थे.

मंजीत ने अपनी चाची को इस हाल में सोते देखा तो उस के तनमन के तार झनझनाने लगे. उसी समय सविता की आंखें खुलीं तो उस ने सामने मंजीत को बैठे देखा. वह पहल करते हुए बोली, ‘‘मंजीत तू कब आया? तेरे आने का तो मुझे पता ही नही चला.’’

‘‘बस चाची, यूं समझो कि अभीअभी आया था. घर पर नींद नहीं आ रही थी तो सोचा चाची के पास थोड़ा वक्त काट आऊं. लेकिन यहां आ कर देखा तो आप गहरी नींद में सोई पड़ी थीं.’’

‘‘अरे नहीं, आजकल मुझे गहरी नींद कहां आ रही है. मेरी कमर में दर्द है. उसी से परेशान रहती हूं. कई बार तेरे चाचा से तेल की मालिश करने को कहती हूं, लेकिन उन के पास टाइम ही नहीं है.’’

‘‘कोई बात नहीं, चाचा के पास टाइम नहीं है तो मैं तो हर वक्त खाली ही रहता हूं. अगर आप कहें तो मैं ही आप की मालिश कर देता हूं.’’

सविता का निशाना बिलकुल सही लक्ष्य भेदने को तैयार था. मंजीत की बात सुनते ही सविता उठ खड़ी हुई. उस ने घर का दरवाजा अंदर से बंद कर दिया. फिर उस ने तेल की शीशी उस के हाथ में थमा दी और कंधे पर मालिश करने को कहा.

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मंजीत ने हाथ में तेल ले कर सविता के कंधों से मालिश शुरू की तो उस के हाथ धीरेधीरे कंधे से नीचे फिसलने लगे. सविता को भी उन्हीं पलों का इंतजार था. सविता की बीमारी का इलाज होना शुरू हुआ तो वह इतनी मदहोश हो गई कि उस ने अपनी ब्रा के हुक खोल दिए और सीने के बल चारपाई पर लेट गई.

धीरेधीरे मंजीत का धैर्य जबाव दे चुका था

धीरेधीरे मंजीत का धैर्य जबाव दे चुका था. दोनों की रगों में खून गर्म हो कर दौड़ने लगा था. अंत में वह पल भी आ गया कि दोनों ही कामवासना की आग से गुजर गए.

मंजीत ने उस दिन जिंदगी में पहली बार किसी औरत के शरीर का सुख पाया था. वहीं सविता भी बहुत खुश थी. उस दिन दोनों के बीच चाचीभतीजे के रिश्ते तारतार हुए तो यह सिलसिला अनवरत चलता गया.

दोनों के बीच लगभग 3 साल से अनैतिक रिश्ते चले आ रहे थे. लेकिन जब दोनों के बीच नजदीकियां ज्यादा ही बढ़ गईं तो उन की प्रेम कहानी की चर्चा पूरे गांव में फैल गई.

इस बात की जानकारी परिवार तक पहुंची तो चंद्रपाल ने करन से वह मकान खाली करा लिया. करन ने गांव के पास ही थोड़ी सी जमीन खरीद रखी थी, वह उसी में बच्चों को ले कर झोपड़ी डाल कर रहने लगा.

इस बात को ले कर पंचायत हुई. पंचायत में सविता को भी बुलाया गया था. भरी पंचायत में सविता ने अपने ही जेठ पर उसे बदनाम करने का आरोप लगाया था.

बातों ही बातों में चंद्रपाल सविता पर गर्म पड़ा तो

बातों ही बातों में चंद्रपाल सविता पर गर्म पड़ा तो करन ने उसे मारने के लिए घर से कुल्हाड़ी तक निकाल ली थी. जिस के बाद से चंद्रपाल उस से डर कर रहता था. उस के बाद उस ने न तो कभी मंजीत को ही टोका और न ही सविता को.

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उस के कुछ समय बाद ही दोनों के बीच फिर से खिचड़ी पकने लगी थी. चंद्रपाल ने कई बार रामपाल को टोका कि तेरी बीवी जो कर रही है वह ठीक नहीं है. उसे थोड़ा समझा कर रख. इन दोनों के कारण पूरे गांव में उन के परिवार की बदनामी होती है. लेकिन रामपाल तो अपनी बीवी से इतना दब कर रहता था कि उसे कुछ भी कहने की हिम्मत नहीं कर पाता था.

मंजीत और सविता के बीच जो कुछ चल रहा था, रामपाल भी जानता था. लेकिन वह मजबूर था. उस के बाद तो सविता रामपाल पर इस कदर हावी हो चुकी थी कि उस के सामने ही मंजीत को अपने घर पर बुला लेती थी.

इस बार देश में फिर से लौकडाउन लगा तो दोनों ही एकदूसरे से मिलने के लिए परेशान रहने लगे थे. उस दौरान दोनों के बीच जो भी बात होती थी, वह मोबाइल पर ही होती थी. लेकिन दोनों ही एकदूसरे की चाहत में बुरी तरह से परेशान थे.

जब मंजीत की जुदाई सविता से सहन नहीं हो पाई तो उस ने उस के सामने एक प्रश्न रखा. अगर तुम मुझे दिल से प्यार करते हो तो दुनिया की चिंता क्यों करते हो. मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूं. लेकिन यह जुदाई अब मुझ से सहन नहीं

होती. मैं तुम्हारे लिए यह घर छोड़ने को तैयार हूं.

लेकिन मंजीत हमेशा उस की हिम्मत तोड़ देता था. अगर हम दोनों घर से भाग कर शादी कर भी लें तो तुम्हारे बच्चों का क्या होगा? फिर उस के बाद तो हम समाज में मुंह दिखाने लायक भी नही रहेंगे. मंजीत इस वक्त काशीपुर की एक पेपर मिल में काम करता था.

काम करते हुए उस ने कुछ पैसे भी इकट्ठा कर लिए थे. उस ने सोचा उन पैसों के सहारे वह सविता के साथ बाहर कुछ दिन ठीक से काट लेगा. सविता ने भी काफी समय से रामपाल की चोरी से कुछ पैसे इकट्ठा किए थे.

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समस्या: लोन, ईएमआई और टैक्स भरने में छूट मिले

डाक्टर अर्जिनबी यूसुफ शेख

देशभर के कारोबारी आज कोविड 19 के चलते लगे लौकडाउन से बुरी तरह त्रस्त हैं. बाजार बंद हैं. लिहाजा, सामान या तो दुकान और गोदाम में सड़ रहा है या फिर आ नहीं रहा है और न ही जा रहा है, पर खर्च वहीं के वहीं हैं. कहींकहीं कारोबारी कुछ छुटपुट होहल्ला कर रहे हैं, पर उन की कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है.

महाराष्ट्र के अकोला जिले में कोरोना के बाद के हालात देखें. वहां कारोबारियों ने जगहजगह मोरचे निकाले. ‘लोग मरेंगे कोरोना से, हम तो वैसे ही मर जाएंगे’ के नारे लगाए.

कुलमिला कर कोरोना के चलते अब लौकडाउन सहनशक्ति से बाहर होता जा रहा है… कोढ़ पर खाज यह है कि कोरोना मरीज रोजाना बढ़ते ही जा रहे हैं. उन की दैनिक इन्क्वायरी, देखभाल और दवा की कमी जनता में चिंता की बात बनी हुई है. साथ ही, रोजगार और कारोबार कोरोना की चपेट में होने से आजीविका चला पाना मुश्किल हो गया है.

‘अशोक फैशंस’ के रोहित भोजवानी का कहना है, ‘‘पिछले एकडेढ़ साल से उपजी कोरोना महामारी में बड़े कारोबारी अपनेआप को संभाले हुए हैं, लेकिन छोटेमोटे कारोबारी बड़ी बदहाली से गुजर रहे हैं.

‘‘ऐसे कारोबारी वे हैं, जिन्हें अपनी दुकान का किराया देना होता है, लोन और ईएमआई भी देनी होती है, बिजली  के बिल भरने होते हैं, अपने कामगारों को भी संभालना होता है और अपने  घर को भी चलाना होता है.

‘‘सरकार या प्रशासन की ओर से ऐसे कारोबारियों के लिए न तो कोई नीति है और न ही कोई सुविधा. कोरोना में लगे लौकडाउन से यह सीजन भी कारोबारियों के हाथ से निकल चुका है.’’

आलोक खंडेलवाल काफी सालों से एक बुक स्टौल चला रहे हैं. उन्होंने बताया, ‘‘कोरोना का इलाज है, पर इस की दहशत इतनी फैल चुकी है कि ‘कोरोना पौजिटिव है’ सुनते ही मरीज आधा मर जाता है. दूसरी ओर कारोबारी, मजदूर कमाएगा नहीं तो खाएगा क्या?

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‘‘सरकार को इस से कोई सरोकार नहीं कि कोई खाए या भूखा सोए, बल्कि उसे तो केवल अपने टैक्स से मतलब है, जो कारोबारियों को हर हाल में भरना ही भरना है. न कारोबारियों के लिए कोई सुविधा है, न ही कोई छूट.

‘‘वैक्सीनेशन के लिए औनलाइन रजिस्ट्रेशन और उस की फीस मध्यमवर्गीय जनता के लिए चिंता की बात बनी हुई है, तो गरीब जनता कहां जाए और क्या करे?

‘‘कारोबारी तबका स्वाभिमान से जीता आया है, पर कोरोना की इस विकट घड़ी में भरे जाने वाले टैक्स से उसे राहत दी जानी चाहिए.’’

पशु खाद्य विक्रेता अजय बजाज से जब पूछा गया कि इस लौकडाउन को वे कितना उचित मानते हैं, तो उन्होंने कहा, ‘‘लौकडाउन समय की जरूरत है. अगर यह नहीं होता, तो हो सकता है कि मरने वालों की तादाद और ज्यादा बढ़ जाती. पौजिटिव केस ज्यादा बढ़ जाने से उन्हें संभाल पाना मुश्किल होता.

‘‘हां, यह जरूर है कि लौकडाउन से छोटेमोटे कारोबारियों का जीना मुहाल हो चुका है. उन की मदद के लिए कोई सरकारी नीति नहीं है. कारोबारियों को अपना बो झ खुद ढोना पड़ रहा है.

‘‘कुछ कारोबारी मजबूरी के चलते बैकडोर से अपने कारोबार चला रहे हैं. कुछ सजा के डर से घरों में बैठे हैं, पर वे मानसिक तनाव के शिकार होते जा रहे हैं. आमदनी के रास्ते बंद हैं, पर खर्च चलाना अनिवार्य होने से वे मानसिक रूप से तनाव के बो झ तले दबते जा रहे हैं.

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‘‘इस मुश्किल घड़ी में जनता नियमों का पालन करे, सावधानी बरते तो हम कोरोना को जल्दी ही मात दे सकते हैं. बिगड़ते हालात संभल सकते हैं. होना यह चाहिए कि छोटेमोटे कारोबारियों को लोन, ईएमआई, टैक्स, बिजली के बिल भरने में जरूर कुछ सुविधा या छूट दी जाए.’’

लगातार लौकडाउनों के बावजूद सरकार ने टैक्सों में कोई छूट नहीं दी है और आगे देगी, इस की बात भी नहीं की जा रही है.

यह कैसा प्यार- भाग 3

रमा के पिता ने विजय को घर बुला कर कहा, ‘‘तुम घर के लड़के हो. रमा के लिए लड़के वाले देखने आए थे. उन्होंने रमा को पसंद कर लिया है. मैं चाहता हूं तुम मेरे साथ चलो. हम भी उन का घरपरिवार देख आएं.’’

विजय चाह कर भी मना न कर सका. लड़के वालों ने अच्छा स्वागतसत्कार किया. रमा के पिता ने विवाह की स्वीकृति दे दी.

विजय ने बातोंबातों में लड़के का मोबाइल नंबर ले लिया. साथ ही, घर का पता दिमाग में नोट कर लिया. विजय भलीभांति जानता था कि वह जो कर रहा है और करने वाला है, वह गलत है. लेकिन उस ने स्वयं को समझाया कि रास्ता गलत है, पर मकसद तो अपने प्यार को पाना है. विजय ने रमा के चरित्रहनन की झूठी कहानी बना कर लड़के के पते पर भेजी. साथ ही, रमा को पढ़ाने वाले प्रोफैसर, उस की सहेलियों को भी रमा के विषय में लिख भेजा.

एकदो पत्र तो उस ने महल्ले के लड़कों के नाम, एक अधेड़ प्रोफैसर के नाम इस तरह भेजे मानो रमा अपने प्रेम का इजहार कर रही हो. बात तेजी से फैली. कुछ लोगों ने रमा को पत्र का जवाब लिखा. कुछ लोगों ने उस के पिता को पत्र दिखाया. न जाने कितने प्रकार के अश्लील पत्र रमा की तरफ से विजय ने भेजे.

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कालेज, महल्ले में तमाशा खड़ा हो गया. रमा को समझ ही नहीं आया कि यह सब क्या हो रहा है. जितनी सफाई रमा और उस का परिवार देता, मामला उतना ही उछलता. लड़कियों को ले कर भारतीय समाज संवेदनहीन है. सब मजे लेले कर एकदूसरे को किस्से सुना रहे थे.

हालांकि समझने वाले समझ गए थे कि किसी ने शरारत की है लेकिन समझने के बाद भी लोग अश्लील पत्रों का आनंद ले कर एकदूसरे को सुना रहे थे. प्रोफैसर ने तो अपने कक्ष में बुला कर रमा को अपने सीने से लगा लिया और कहा, ‘‘मैं भी तुम से प्यार करता हूं.’’ जब रमा ने थप्पड़ जमाया तब प्रोफैसर को समझ आया कि वे धोखा खा गए.

लड़के के मोबाइल पर अज्ञात नंबर से रमा का प्रेमी बन कर विजय ने यह कहते हुए जान से मारने की धमकी दी कि रमा और मैं एकदूसरे से प्यार करते हैं पर घर वाले उस की जबरदस्ती शादी कर रहे हैं. यदि तुम ने शादी की तो मार दिए जाओगे.

लड़के वालों के परिवार ने रिश्ता तोड़ दिया. अच्छीभली लड़की का पूरे महल्ले में तमाशा बन गया. बेगुनाह होते हुए भी रमा और उस का परिवार किसी से नजर नहीं मिला पा रहे थे.

विजय को अनोखा आनंद आ रहा था. उस के मातापिता का उजाड़ चेहरा देख कर उसे लग रहा था कि मंजिल अब करीब है.

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रमा के पिता तो शहर छोड़ने का मन मना चुके थे. पुलिस में रिपोर्ट करने पर पुलिस अधिकारी ने उलटा उन्हें ही समझा दिया, ‘‘लड़की का मामला है, आप लोगों की खामोशी ही सब से बढि़या उत्तर है. जितनी आप सफाई देंगे, जांच करवाएंगे, आप की ही मुसीबत बढ़ेगी.’’

विजय को फोन कर के रमा के पिता ने अपने घर बुलाया. रमा की मां का रोरो कर बुरा हाल था. रमा के पिता ने उदास स्वर में विजय से कहा, ‘‘पता नहीं मेरी बेटी से किस की क्या दुश्मनी है कि उसे चरित्रहीन घोषित कर दिया. उस की शादी टूट गई. हम किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहे. बेटा, तुम तो जानते हो रमा को अच्छी तरह से.’’

विजय ने अपनी खुशी को छिपाते हुए गंभीर स्वर में कहा, ‘‘जी अकंलजी, मैं तो बचपन से देख रहा हूं. रमा पाकपवित्र लड़की है. मैं तो आंख बंद कर के विश्वास करता हूं रमा पर.’’

‘‘बेटा, तुम रमा से शादी कर लो,’’ रमा के पिता ने हाथ जोड़ते हुए विजय से कहा, ‘‘मैं तुम्हारा जीवनभर ऋणी रहूंगा. अन्यथा हम तो शहर छोड़ कर जाने की सोच रहे हैं.’’ रमा दरवाजे के पास छिप कर सुन रही थी और देख रही थी अपने दबंग पिता को नतमस्तक होते हुए.

उत्तर प्रदेश में निराश्रित महिलाओं के लिए बनेगी कार्ययोजना

लखनऊ. सूबे के मुखिया योगी आदित्‍यनाथ ने जब से सत्‍ता की बागडोर संभाली है तब से लेकर अब तक वो प्रदेश की महिलाओं व बेटियों की सुरक्षा, स्‍वावलंबन और सम्‍मान के लिए प्रतिबद्ध है. प्रदेश में कवच अभियान और मिशन शक्ति जैसा वृहद अभियान इसके साक्षी हैं. प्रदेश में महिलाओं के लिए कई स्‍वर्णिम योजनाओं का संचालन किया जा रहा है जिससे सीधे तौर पर महिलाओं को लाभ मिल रहा है. प्रदेश में अब जल्‍द ही कोरोना के कारण निराश्रित महिलाओं से जुड़ी एक बड़ी योजना की शुरूआत होने जा रही है. जिसके लिए सीएम ने मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना की तर्ज पर महिला एवं बाल विकास विभाग को विस्तृत कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए हैं. जिसपर विभाग द्वारा तेजी से कार्य शुरू कर दिया गया है.

निराश्रित महिला पेंशन के लिए पात्र महिलाओं को पेंशन वितरण के लिए ब्लॉक व न्याय पंचायत स्तर पर विशेष शिविर आयोजित किए जाने के भी निर्देश दिए हैं. उन्‍होंने राजस्व विभाग द्वारा ऐसी महिलाओं को प्राथमिकता के साथ नियमानुसार पारिवारिक उत्तराधिकार लाभ दिलाए जाने की व्‍यवस्‍था को सुनिश्चित करने के लिए कहा है.

विभाग द्वारा काम किया गया शुरू, सीधे तौर पर मिलेगा महिलाओं को लाभ

कोरोना काल में निराश्रित हुई महिलाओं के लिए एक विशेष योजना को विभाग द्वारा तैयार किया जा रहा है. महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से सीएम के निर्देशानुसार कार्ययोजना पा काम शुरू कर दिया गया है. विभाग के निदेशक मनोज कुमार राय ने बताया कि प्रदेश में कोरोना काल में निराश्रित हुई महिलाओं को पहले चरण में चिन्हित किया जाएगा जिसके बाद इन चिन्हित महिलाओं को राज्‍य सरकार की स्‍वर्णिम योजनाओं से जोड़ते हुए उनको स्‍वावलंबी बनाने का कार्य किया जाएगा. उन्‍होंने बताया कि जल्‍द ही योजना को तैयार कर ली जाएगी.

वृद्धजनों की जरूरतों व समस्याओं का त्वरित लिया जाएगा संज्ञान

सीएम ने आला अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि ओल्ड एज होम में रह रहे सभी वृद्धजनों की जरूरतों और समस्याओं का त्वरित संज्ञान लिया जाए. इनके पारिवारिक विवादों का समाधान जल्‍द से जल्‍द कराने संग इनके स्वास्थ्य की बेहतर ढंग से देखभाल किए जाने के निर्देश दिए.

बैंकिग सेवाओं को गांव-गांव तक पहुंचाने का काम करेगी बैंक सखी

लखनऊ. राज्य सरकार ने महिलाओं को रोजगार देने की में उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ी पहल की है. गांव-गांव तक बैंकिंग सेवाओं को पहुंचाने के लिये उसने 17500 बीसी सखी (बैंकिंग कॉरेस्पोंडेंट) बनाने का काम पूरा कर लिया है.

प्रदेश के ग्रामीण विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने बताया कि 17500 बीसी सखी का प्रशिक्षण पूरा हो चुका है और उनको पैसा हस्तांतरित किया जा रहा है.  इसके अलावा 58 हजार बीसी सखी को प्रशिक्षण देने का काम तेज गति से किया जा रहा है.

सरकार के इस प्रयास से बैंकिंग सेवाएं लोगों के घरों तक पहुंची हैं. ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों को अपने बैंक खातों से धनराशि निकालने और उसे जमा करने में बड़ी आसानी हुई है. उनका बैंक शाखाओं तक जाने का खर्चा बच रहा है और घर के करीब ही बैंक के रूप में बीसी सखी मिल जा रही हैं.

सीएम योगी आदित्यनाथ ने आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश बनाने के लक्ष्य को पूरा करने के लिये मिशन रोजगार, मिशन शक्ति और मिशन कल्याण योजनाओं को शुरु किया है. इसके तहत तैयार किये गये मास्टर प्लान को सरकार से सम्बद्ध संस्थान तेजी से आगे बढ़ा रहे हैं. इस क्रम में बैंक ऑफ बड़ौदा और यूको बैंक के सहयोग से यूपी इंडस्ट्रियल कंसलटेंट्स लिमिटेड (यूपीकॉन) ने 1200 बीसी सखी (बैंकिंग कॉरेस्पोंडेंट) बना लिये हैं. कम्पनी अगले साल तक 7000 बीसी सखी बनाने के लक्ष्य को पूरा करने में लगी है. गांव से लेकर शहरों में बीसी सखी 24 घंटे बैंकिंग सेवाएं दे रहे हैं.

22 मई 2020 से उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य की सभी महिलाओं को लाभ पहुंचाने के लिये बीसी सखी योजना की शुरुआत की. इस योजना के तहत उत्तर प्रदेश राज्य की सभी महिलाओं को रोजगार के नए अवसर मिले हैं. उत्तर प्रदेश् राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की ओर से प्रदेश में 30 हजार हजार बीसी सखी बनाने का कार्यक्रम बैंक ऑफ बड़ौदा के साथ मिलकर किया जा रहा है. यूपी इंडस्ट्रियल कंसलटेंट्स लिमिटेड (यूपीकॉन) इसमें भी सहयोगी की भूमिका निभा रहा है. इससे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति, वित्त एवं विकास निगम लिमिटेड के माध्यम से 500 अनुसूचित जाति के युवक-युवतियों को रोजगार के अवसर देते हुए बीसी सखी बनाए हैं.

बीसी सखी बनाने के लिये पूर्व सैनिकों, पूर्व शिक्षकों, पूर्व बैंककर्मियों और महिलाओं को प्राथमिकता दी गई है. बीसी सखी बनने के लिये योग्यता में 12वीं कक्षा पास होना अनिवार्य किया गया है. अभ्यर्थी को कम्यूटर चलाना आना चाहिये, उसपर को वाद या पुलिस केस नहीं होना चाहिये. ऐसे अभ्यर्थी के चयन से पहले एक छोटी सी परीक्षा भी ली जाती है. इसमें उत्तीर्ण होने वाला अभ्यर्थी बीसी सखी बन सकता है.

इज्जतदार काम मिला और लोगों की सेवा का अवसर भी

बड़हलगंज जिला गोरखपुर में बीसी सखी योजना से जुड़ने वाले धर्मेन्द्र सिंह ने बताया कि वो पहले वस्त्र उद्योग से जुड़े थे. बीसी सखी योजना से जुड़ने के बाद उनको काफी फायदा हुआ. उनका कहना है कि इज्जदतार काम मिलने के साथ लोगों की सेवा का भी बड़ा अवसर मिला है. लोगों को तत्काल बैंकिंग सेवा मिलने से खुद को भी खुशी होती है.

बीसी सखी योजना से जुड़कर प्रत्येक माह मिलने लगी एक निश्चित आमदनी

कस्बा सेथल जिला बरेली के आसिफ अली ने बताया कि बीसी सखी बनने के बाद भविष्य सुरक्षित करने के लिये प्रत्येक माह एक निश्चित आमदनी का माध्यम बना है. इससे पहले मैं ऑनलाइन कैफे चलाता था, ऑनलाइन आधार बनाने का भी काम करता था. इन सेंटरों के बंद होने के बाद रोजगार नहीं था. इसके बाद बीसी सखी योजना से जुड़कर एक स्थायी रोजगार मिला है.

लोगों को बैंकों में लाइन लगाना और समय लगाना हुआ बंद

लखनऊ में नक्खास निवासी मोहसिन मिर्जा ने बताया कि बीसी सखी योजना के तहत बैंकिंग सेवाओं को देना रोजी-रोटी का बेहतर साधन बना है. सबसे अधिक फायदा इससे बैंक के ग्राहकों को हुआ है. उनको बैंक में लाइन लगाने और समय लगाना बन्द हो गया है और बैंक तक जाने का किराया भी उनका बचा है. छोटे स्तर पर बैंकिंग सेवाएं लोग हमारे केंन्द्रों से ले रहे हैँ.

बैंकिंग सेवाओं को आसानी से प्राप्त करने की बड़ी पहल

सोनभद्र के भगवान दास बताते हैं कि बीसी सखी योजना से उनको रोजगार मिला है. प्रत्येक माह उनकी आमदनी बढ़ती जा रही है. सबसे अधिक सुविधा ग्राहकों को मिली है. सरकार की ओर से बैंकिंग सेवाओं की बड़ी सौगात खासकर गांव के लोगों को दी गई है. ग्रामीण पहले बैंक से पैसा निकालने और जमा करने में आने-जाने में जो खर्चा करते थे उसकी भी बचत हो रही है.

Satyakatha- जब इश्क बना जुनून: भाग 2

सौजन्य- सत्यकथा

इस की वजह यह थी कि किचन में फर्श से करीब 3 फुट नीचे रईस की अंगुलियां नजर आ गई थीं. सचमुच दृश्य खौफनाक था. अंगुलियां बता रही थीं कि यहां किसी इंसान की लाश दफनाई गई है.

अंगुलियां दिखाई दीं तो खुदाई कर रहे मजदूर बड़ी ही सावधानीपूर्वक खुदाई करने लगे. थोड़ी ही देर में उस गड्ढे से 4 अलगअलग टुकड़ों में एक लाश बरामद हुई, जो उसी घर के 10 दिनों से गायब रईस शेख की थी.

11 घंटे की मेहनत करने के बाद पुलिस ने रईस की लाश किचन से बाहर निकाली. इस के बाद थानाप्रभारी ने लाश बरामद होने की सूचना पुलिस अधिकारियों को दी तो वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी घटनास्थल पर आ गए. सभी ने घटनास्थल का निरीक्षण कर थानाप्रभारी को जरूरी निर्देश दिए और वापस चले गए.

लाश के टुकड़ों को एक पौलीथिन में पैक कर के घटनास्थल की काररवाई पूरी की गई और  उसे पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया गया.

शाहिदा से पूछताछ में रईस के इस हाल में पहुंचने की जो कहानी सामने आई, वह कुछ इस तरह थी—

रईस शेख उत्तर प्रदेश के जिला गोंडा का रहने वाला था. करीब 9 साल पहले सन 2012 में उस की शादी शाहिदा से हुई थी. करीब 6 साल बाद उन के घर एक बेटी हुई. उस के बाद एक बेटा हुआ. 2 बच्चे होने के बाद उन का भरापूरा परिवार हो गया था, जिस से उन की खुशी और बढ़ गई थी.

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बच्चे होने से खर्च बढ़ गया था. यहां उन की इतनी आमदनी नहीं थी कि वे अपने बच्चों का भविष्य संवार सकते. इसलिए रईस ने कहीं बाहर जाने की बात की तो शाहिदा ने खुशीखुशी स्वीकृति दे दी. रईस ने मुंबई में रहने वाले अपने कुछ दोस्तों से बात की तो उन्होंने उसे मुंबई बुला लिया, जहां दहिसर में स्टेशन के पास एक कपड़े की दुकान में उसे सेल्समैन की नौकरी मिल गई.

नौकरी मिल गई तो रईस ने रहने के लिए दहिसर (पूर्व) स्थित खान कंपाउंड में एक मकान किराए पर ले लिया और गोंडा जा कर पत्नी और बच्चों को मुंबई ले आया. पत्नी और बच्चों के साथ जिंदगी की गाड़ी बढि़या चल रही थी.

दुकान से रईस को इतना वेतन मिल जाता था कि उस का खर्च आराम से चल रहा था. उसे किसी तरह की कोई परेशानी नहीं हो रही थी.

रईस अपनी बीवी और बच्चों से बहुत प्यार करता था. उन्हीं के लिए वह घरपरिवार छोड़ कर इतनी दूर आया था. शाहिदा भी रईस को बहुत प्यार करती थी. पर मुंबई आने के कुछ दिनों बाद शाहिदा में बदलाव नजर आने लगा. इस की वजह यह थी कि अब वह किसी और से प्यार करने लगी थी.

पतिपत्नी के बीच कोई तीसरा आ गया था. वह कोई और नहीं, अनिकेत मिश्रा उर्फ अमित था. इस की वजह यह थी कि दोनों ही उत्तर प्रदेश के रहने वाले थे.

एक दिन अमित सार्वजनिक नल पर पानी भर रहा था, तभी डिब्बे ले कर शाहिदा भी पानी के लिए पहुंची. उस ने गोद में बेटे को ले रखा था. बेटा उस समय जोरजोर से रो रहा था.

अब शाहिदा बेटे को संभाले या पानी के डिब्बे ले जाए. शाहिदा बहुत ही असमंजस में थी. बेटा उसे छोड़ ही नहीं रहा था. उसे परेशान देख कर अमित ने कहा, ‘‘भाभीजी आप बेटे को संभालिए, मैं आप के पानी के डिब्बे पहुंचाए देता हूं.’’

‘‘आप क्यों परेशान होंगे. रहने दीजिए, मैं बेटे को चुप करा कर उठा ले जाऊगी.’’ शाहिदा ने कहा.

‘‘क्यों, मैं पहुंचा दूंगा तो आप को बुरा लगेगा क्या? ऐसा तो नहीं कि आप मेरा छुआ पानी न पीना चाहती हों?’’ अमित ने मुसकराते हुए कहा.

‘‘ऐसी कोई बात नहीं है. मैं नहीं चाहती कि आप मेरे लिए परेशान हों.’’

‘‘भाभीजी, आज आप परेशान हैं तो मैं आप के काम आ रहा हूं, कल मुझे कोई परेशानी होगी तो आप मेरे काम आ जाना. अच्छा आप चलें. मैं डिब्बे ले कर चल रहा हूं.’’ दोनों हाथों में एकएक डिब्बा उठाते हुए अमित ने कहा.

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अमित पानी के डिब्बे ले कर शाहिदा के घर पहुंचा तो औपचारिकता निभाते हुए उस ने कहा, ‘‘बैठिए, मैं चाय बनाने जा रही हूं. आप चाय पी कर जाइए.’’

‘‘फिर कभी पी लेंगे. आज रहने दीजिए.’’

‘‘आज क्यों नहीं. कहीं ऐसा तो नहीं आप मेरे हाथ की चाय नहीं पीना चाहते हों?’’

‘‘अब तो पी कर ही जाऊंगा. पर थोड़ा जल्दी कीजिएगा. अभी घर के सारे काम करने हैं, नहाना है, खाना बनाना है.’’

‘‘आप अकेले ही रहते हैं क्या?’’ शाहिदा ने पूछा.

‘‘जी, मम्मीपापा गांव में रहते हैं. मैं यहां अकेला ही रहता हूं.’’

‘‘और वाइफ?’’

‘‘अभी शादी ही नहीं हुई है तो वाइफ कहां से आएगी.’’ हंसते हुए अमित ने कहा.

शाहिदा चाय बना कर लाई. दोनों बैठ कर चाय पीते हुए एकदूसरे के बारे में पूछते रहे. चाय खत्म कर के अमित जाने लगा तो शाहिदा ने कहा, ‘‘जब भी चाय पीने का मन हो, बिना संकोच आ जाना. इसे अपना ही घर समझना.’’

सिर हिलाते हुए अमित चला गया.

अमित अभी गबरू जवान था. स्मार्ट भी था. कोई भी लड़की उसे पसंद कर सकती थी. इस के बाद अमित जबतब शाहिदा के घर आनेजाने लगा. धीरेधीरे यह आनाजाना बढ़ता गया. इस का नतीजा यह हुआ कि दोनों एकदूसरे से खुलते गए और उन में हंसीमजाक भी होने लगा.

एक दिन हंसीहंसी में ही जब शाहिदा ने कहा कि इसे अपना ही घर समझना तो अमित ने मजाक करते हुए कहा, ‘‘घर को तो अपना समझ रहा हूं. पर आप को क्या समझूं?’’

अमित की आंखों में आंखें डाल कर मुसकराते हुए शाहिदा ने कहा, ‘‘मुझे भी अपनी ही समझो. पर इस के लिए दम चाहिए, जो तुम में नहीं है.’’

‘‘दम तो बहुत है भाभी, पर थोड़ा संकोच हो रहा था. अब आज की बात से वह भी खत्म हो गया.’’ इतना कह कर अमित ने शाहिदा को बांहों में भर लिया.

अगले भाग में पढ़ें- शाहिदा और अमित क्याें घबरा गए

उत्तर प्रदेश में कोविड के समय घर लौटे श्रमिकों की व्यवस्था के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को सराहा

लखनऊ. योगी सरकार ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई पूरी प्रतिबद्धता के साथ जारी रखते हुए विकास और जनकल्‍याणकारी योजनाओं को प्रभावी ढंग से प्रदेश में लागू किया. उच्‍चतम न्‍यायालय ने भी अपने फैसले में कोविड 19 के कारण दूसरे प्रदेशों से घर वापस आने वाले श्रमिकों के लिए प्रदेश सरकार द्वारा की गई व्यवस्थाओं की तारीफ की है. कोर्ट ने संज्ञान लिया कि पोर्टल पर अपलोड डाटा के अनुसार उस दौरान कुल 37,84,255 श्रमिकों की घर वापसी हुई थी. स्किल मैपिंग के बाद अब तक 10,44,710 श्रमिकों को सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत संघटित क्षेत्र में रोजगार दिया जा चुका है. इसके अलावा अधिकांश को रोजगार से जोड़े जाने के कारण दूसरी लहर में सिर्फ चार लाख प्रवासी ही आए. कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ते हुए रोजगार के साथ-साथ विकास की कड़‍ियों को जोड़ते हुए प्रदेश सरकार ने न सिर्फ प्रवासी मजदूरों की घर वापसी कराई बल्कि उनके भरण पोषण की व्‍यवस्‍था करते हुए श्रमिकों को सरकार की स्‍वर्णिम योजनाओं के तहत रोजगार भी दिलाया है.

प्रवासी श्रमिकों की परेशानियों के संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने दो याचिकाओं को निस्‍तारित करते हुए यूपी सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की तारिफ की. कोरोना काल के दौरान प्रदेश सरकार ने श्रमिकों व कामगारों, ठेला, खोमचा,  रेहड़ी लगाने वालों की भरण-पोषण की व्‍यवस्‍था को सुनिश्‍चित किया. लॉकडाउन के दौरान बड़ी संख्‍या में यूपी लौटे श्रमिकों को एक हजार रुपए का भरण-पोषण भत्ता दिया गया. उनको राशन किट का वितरण करने का बड़ा काम किया. बता दें क‍ि नीत‍ि आयोग, बाम्‍बे हाईकोर्ट, डब्‍ल्‍यूएचओ के बाद सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार की सराहना की है.

दक्षता के अनुसार श्रमिकों को दिया गया रोजगार

प्रदेश सरकार ने जिला मुख्‍यालय पर इनकी स्किल मैपिंग कराई और उनकी दक्षता के अनुसार स्थानीय स्तर पर उनको रोजगार देने का भी भरसक प्रयास किया. प्रदेश सरकार के इन प्रयासों का जिक्र करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश सरकार के इन प्रयासों का जिक्र करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में इस बाबत पंजीकरण से लेकर स्किल मैपिंग तक के कार्यो को खुद में बड़ा काम माना है. बता दें कि प्रदेश सरकार ने अपनी कई योजनाओं से इन श्रमिकों को जोड़ते हुए रोजगार दिया.

पारदर्शिता के लिए बनाया गया पोर्टल

सरकार अपने इन कर्यो के बारे में सुप्रीमकोर्ट में शपथपत्र भी दे चुकी है. यही नहीं पारदर्शिता के लिए  http://www.rahat.up.nic.in नाम से एक पोर्टल भी बनवाया था. इसमें वापस आए श्रमिकों और उनके हित में सरकार द्वारा उठाए गए सभी कदमों की अपडेट जानकारी थी.

कम्युनिटी किचन की पहल

जरूरतमंद प्रवासी श्रमिकों और अन्य को भूखा न रहना पड़े इसके लिए प्रदेश सरकार ने कम्युनिटी किचन की शुरुआत की जिसका उल्लेख सुप्रीम कोर्ट ने भी किया और अन्य राज्यों को भी यह व्यवस्था चलाने को कहा.

1,51,82,67,000 रुपये 15.18 लाख प्रवासियों को किए गए हस्तांतरित

योगी सरकार ने कोरोना संक्रमण के दौरान प्रवासी कामगारों व श्रमिकों को सभी तरह की सुविधाएं पहुंचाई. जिसके तहत परिवहन निगम की बसों के जरिए लगभग 40 लाख प्रवासी कामगरों व श्रमिकों को उनके गृह जनपदों तक भेजने, चिकित्‍सकीय सुविधाएं उपलब्‍ध कराने व उनको स्‍थानीय स्‍तर पर रोजगार दिलाने के लिए बड़े पैमाने पर व्‍यवस्‍था की गई. इसके साथ ही प्रवासी श्रमिकों को राशन किट वितरण के साथ ही आर्थिक सहायता देते हुए प्रति श्रमिक एक हजार रुपए की धनराशि भी ऑनलाइन माध्‍यम से दी. इन लाभों में से 20.67 लाख परिवारों ने लाभ उठाया, जिसमें से 16.35 लाख को 15-दिवसीय राशन किट प्रदान किया गया. कुल 1,51,82,67,000 रुपये 15.18 लाख प्रवासियों को हस्तांतरित किए गए हैं. राशन किट के अलावा योगी सरकार ने सामुदायिक रसोई की भी स्थापना की.

Satyakatha- सूदखोरों के जाल में फंसा डॉक्टर: भाग 3

19 मई, 2018 को सिद्घार्थ तिगनाथ अपनी मां, पत्नी के साथ तत्कालीन एसपी मोनिका शुक्ला से मिले थे. उन्हें सूदखोरों के खिलाफ सारे सबूत और 8 लाख की लूट संबंधी प्रमाण भी दिए गए थे. पुरानी फाइलों के पन्ने पलटने पर पुलिस का संदेह यकीन में बदल चुका था कि डा. सिद्धार्थ ने सूदखोरों की प्रताड़ना की वजह से ही यह आत्मघाती कदम उठाया है.

पूरे मामले की जांच कर रहे एसआई जितेंद्र गढ़वाल को एक डायरी हाथ लगी, जिसे पढ़ कर मालूम हुआ कि सूदखोरों के चक्रव्यूह में बुरी तरह फंस चुके थे.

डा. सिद्धार्थ ने अपनी डायरी में मौत से पहले लिखा था, ‘मैं इस विश्वास के साथ दुनिया छोड़ रहा हूं कि मैं सच्चा और इज्जतदार था. बहुत बड़ा योगदान दे सकता था, पर मेरे जीवन में धूर्त लोगों का जमघट रहा है. पिछले 10 सालों से अब बहुत हुआ, इस संसार में रिस्की है अच्छा होना. कमलनाथजी, मोदीजी अवैध सूदखोरी, चैक रख कर ब्लैकमेलिंग करने वालों के खिलाफ कानून जरूर बनाइएगा. शायद मेरी जिंदगी का एक अर्थ निकले.

‘मेरा ये लेटर मीडिया को जरूर देना. शायद इस दबाव में पुलिस कुछ काररवाई करे. जब जीवित रहते किसी ने उन की बात नहीं सुनी तो डायरी में ये सब कुछ लिख कर, अपने जीवन को ही सबूत के तौर पर भेंट चढ़ा दिया.

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इस विश्वास के साथ कि उन्हें न्याय मिलेगा और सरकार इन अपराधों को रोकने के लिए कुछ कानून बनाएगी, जिस से भविष्य में कोई इन सूदखोरों के चक्र में न फंसे.’

डायरी पढ़ कर पता लगा कि प्रतिदिन एक लाख रुपए तक की पैनल्टी लगा कर सूदखोरों ने सिद्धार्थ और उन के पूरे परिवार को जिस तरह से प्रताडि़त किया, उस की कहानी सुनने मात्र से रोंगटे खड़े हो जाते हैं.

10 से 20 फीसद के ब्याज से शुरू हुआ यह खेल आखिरकार 120 फीसद ब्याज की दर के कर्ज तक जा पहुंचा था.

चंद लाख रुपए का कर्जा लेने वाले डा. सिद्धार्थ तिगनाथ ब्याज की अदायगी करतेकरते ही 5 करोड़ रुपए से अधिक की धनराशि सूदखोरों को दे चुके थे. बावजूद इस के सूदखोर कर्जा उतरने ही नहीं दे रहे थे.

नतीजतन परिवार की चलअचल संपत्ति गंवा चुके डा. सिद्धार्थ तिगनाथ ने आखिरकार बीती 22 अप्रैल को दुनिया से अलविदा कह दिया. इस के पूर्व वह एक ऐसी डायरी लिख कर गए, जिस में अपनी मौत का जिम्मेदार सूदखोरों की प्रताड़ना को बताया.

उन की डायरी के पन्नों में नरसिंहपुर के लगभग 20 से अधिक सूदखोरों के नाम और अभी तक उन को दिए गए पैसों का पूरा हिसाब था. मरने से पहले डा. सिद्धार्थ सूदखोरों के चंगुल में फंसे अन्य लोगों को सूदखोरों से बचाने की मार्मिक अपील भी कर गए.

डा. सिद्धार्थ की मौत के बाद उन के परिवार वाले, राजनैतिक हस्तियां और सामाजिक कार्यकर्ता नरसिंहपुर पुलिस पर आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए दबाव बनाने लगे.

समाचार पत्रों में रोज ही सूदखोरों पर शिकंजा कसने के समाचार छप रहे थे. डा. सिद्धार्थ के बहनोई अजय शुक्ला ने फेसबुक पर ‘जस्टिस फार डा. सिद्धार्थ अभियान’ छेड़ दिया था.

इस मुहिम का असर रहा कि युवक कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कुनाल चौधरी, जिला पंचायत नरसिंहपुर के पूर्व अध्यक्ष देवेंद्र पटेल ने भी डा. सिद्धार्थ को न्याय दिलाने के लिए मोर्चा खोल दिया. उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से ले कर डीजीपी व एसपी नरसिंहपुर तक को शिकायत कर दोषी सूदखोरों को गिरफ्तार करने की मांग की.

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मामले की गंभीरता को देखते हुए एसपी विपुल श्रीवास्तव ने व्यक्तिगत रुचि दिखा कर प्रकरण की जांच कराई. नतीजा यह रहा कि सिद्धार्थ की तेरहवीं के ठीक एक दिन पहले ही पुलिस ने 7 लोगों के खिलाफ आत्महत्या करने को विवश करने का मामला दर्ज कर लिया गया.

लंबी पूछताछ के बाद पुलिस ने जिन 7 लोगों के खिलाफ भादंवि की धारा 306, 34 का अपराध दर्ज किया था. उन में सुनील जाट निवासी संजय वार्ड, अजय उर्फ पप्पू जाट, भागचंद उर्फ भग्गी यादव नरसिंहपुर को 6 मई 2021 को गिरफ्तार कर लिया गया.

वहीं 2 मुख्य आरोपी आशीष नेमा के कोविड पौजिटिव होने व सौरभ रिछारिया के घर में परिजन के संक्रमित होने पर ये गिरफ्तार नहीं किए गए थे. इन का जिले के बाहर इलाज चल रहा था. जबकि धर्मेंद्र जाट और राहुल जैन फरार हो गए, जिन की सरगरमी से पुलिस ने तलाश शुरू कर दी.

खैरी गांव का पूर्व सरपंच धर्मेंद्र जाट अपने बीवीबच्चों को जिले से बाहर रिश्तेदारों के यहां भेज कर खुद भी भागने की फिराक में था, मगर पुलिस की सक्रियता से उसे सुबह तड़के खैरी गांव में बने उस के मकान से गिरफ्तार कर लिया. गुलाब चौराहा नरसिंहपुर निवासी राहुल जैन पुलिस को चकमा दे कर भाग गया.

30 मई, 2021 को एसआई जितेंद्र गढ़वाल को मुखबिर के माध्यम से सूचना मिली कि डा. सिद्धार्थ मामले का एक आरोपी राहुल जैन जबलपुर में छिपा हुआ है.

एसआई जितेंद्र गढ़वाल, आरक्षक पंकज और आशीष की टीम वहां पहुंची तो पता चला कि वह तो जबलपुर के कछपुरा इलाके में दूध बेचने का धंधा कर रहा है. पुलिस टीम ने वहां से राहुल जैन को गिरफ्तार कर लिया .

यूं तो डा. सिद्धार्थ की डायरी में उन 20 सूदखोरों के नाम दर्ज थे जो उन से ब्याज के रूप में लाखों की रकम हड़प चुके थे, परंतु पुलिस की जांच में केवल 7 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है. सिद्धार्थ के घर वाले इस बात को ले कर नाराज हैं.

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उन का कहना है कि सभी सूदखोरों के खिलाफ कड़ी कानूनी काररवाई की जाए, जिस से अब कोई शख्स उन सूदखोरों के बनाए चक्रव्यूह में न फंस सके.

कथा संकलन तक 2 मुख्य आरोपी आशीष नेमा और सौरभ रिछारिया को पुलिस गिरफ्तार नहीं कर पाई थी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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