लेखक- धीरज कुमार

देशभर में कोरोना वायरस की जब दूसरी लहर आई, तो छोटे कारोबारियों की दुकानें दोबारा बंद हो गईं. सरकार ने फलसब्जी, दवा और किराने की दुकानें तो कुछ तय समय के लिए खुली रखीं, लेकिन बाकी लोगों की दुकानों पर एक तरह से ताले लटक गए.

छोटेमोटे कारोबारियों के तकरीबन डेढ़ साल से कारोबार बंद पड़े हैं और उन की माली हालत चरमरा गई है. अब उन के घरों में खानेपीने की किल्लत भी होने लगी है. कुछ दुकानदारों ने तो अपनी दुकानें बंद होने के बाद अपनी और अपने परिवार की भूख मिटाने के लिए घूमघूम कर फल और सब्जी बेचना शुरू कर दिया है.

डेहरी औन सोन के रहने वाले विजय कुमार की रेडीमेड कपड़े की दुकान है. उन का कहना है, ‘‘बैंक से लोन ले कर रेडीमेड कपड़े की दुकान खोली थी. अभी 2 साल भी नहीं हुए थे. हर महीने बैंक को ईएमआई भी देनी पड़ती है. पिछले एक साल से दुकान में रखे हुए कपड़े पुराने पड़ रहे हैं.

‘‘इस तरह मेरी सारी पूंजी आंखों के सामने डूब रही है. सम झ में नहीं आ रहा है कि क्या किया जाए. सरकार दवा, फलसब्जी और राशन की दुकानें खोलने की इजाजत तो दे देती है, लेकिन हमारे जैसे दुकानदारों के लिए सरकार कुछ नहीं सोच रही है.

‘‘हम जैसे छोटे कारोबारियों के लिए कोरोना की लहर के साथ हमारे ऊपर कहर बरपा है. बच्चे प्राइवेट स्कूल में पढ़ते हैं. उन की औनलाइन क्लास चल रही हैं. उन की पढ़ाई भी ठीक से नहीं हो पा रही है, फिर भी स्कूल मैनेजमैंट फीस के लिए दबाव बना रहा है.

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