कायरता का प्रायश्चित्त: भाग 1

लेखक-  शुचिता श्रीवास्तव

डा. मिहिर ने जैसे ही अपने चेहरे के सामने से किताब हटाई और सामने बैठे मरीज की तरफ देखा तो वह चौंक गए.

चौंकी तो मिताली भी थी पर उस ने अपनेआप को संयत कर लिया था.

‘‘अरे मिहिर, आप?’’ मिताली बोली, ‘‘मैं ने तो सोचा भी नहीं था कि आप यहां हो सकते हैं.’’

‘‘कहो, मिताली, कैसी हो और क्या हुआ तुम्हें जो एक डाक्टर की जरूरत पड़ गई?’’ डा. मिहिर सामान्य स्वर में बोले.

‘‘मिहिर, मैं तो ठीक हूं पर यहां मैं अपने पति नवीन को दिखाने आई हूं,’’ मिताली बोली, ‘‘पिछले 3-4 माह से उन की तबीयत कुछकुछ खराब रहती थी पर इधर कुछ दिनों से काफी अधिक अस्वस्थ रहने लगे हैं,’’ कह कर मिताली ने

डा. मिहिर का परिचय नवीन से करवाया, ‘‘नवीन, डा. मिहिर का घर कानपुर में मेरी बूआ के घर के बगल में है. मेरे फूफाजी और मिहिर के डैडी बचपन के दोस्त हैं.’’

डा. मिहिर ने नवीन का चेकअप किया व कुछ टेस्ट करवाने का परामर्श दिया जिस की रिपोर्ट ले कर अगले दिन आने को कहा.

मिताली व नवीन चले गए पर

डा. मिहिर का मन उचट गया. एक बार उन के मन में आया कि वह घर लौट जाएं लेकिन जब अपने मरीजों का ध्यान आया जो कई दिन पहले नंबर लगवा चुके थे और काफी दूरदूर से आए थे तो उन्होंने अपनेआप को संभाल लिया और चपरासी से मरीजों को अंदर भेजने के लिए कह दिया.

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शाम के समय मिहिर को किसी दोस्त के घर पार्टी में जाना था पर वह वहां न जा कर सीधे घर आ कर चुपचाप बिस्तर पर लेट गए.

डा. मिहिर को बारबार एक ही बात चुभ रही थी कि जिस मिताली के कारण अपना घर, डैडी का अच्छाखासा नर्सिंग होम छोड़ कर उसे इस अनजान शहर में आ कर अपनी प्रैक्टिस जमानी पड़ी वही मिताली उन के शांत जीवन में कंकड़ फेंकने के लिए यहां भी आ गई.

‘‘साहब, चाय लेंगे या कौफी?’’ हरिया ने अंदर आ कर पूछा.

‘‘नहीं, मैं कुछ नहीं लूंगा,’’ मिहिर ने छोटा सा जवाब दिया तो वह चला गया.

उस के जाते ही मिहिर का मन अतीत के सागर में गोते लगाने लगा.

मिताली को पहली बार मिहिर ने रस्तोगी अंकल की बेटी रानी के जन्मदिन की पार्टी में देखा था. यों तो वह रानी के घर वालों के मुंह से मिताली की सुंदरता की चर्चा पहले भी सुन चुका था पर उस दिन जो देखा तो बस देखता ही रह गया था.

हालांकि मिहिर भी कम सुंदर न था. उस पर संपन्न परिवार का इकलौता लड़का, साथ में डाक्टरी की पढ़ाई. पार्टी में आई तमाम लड़कियों की नजरें उस पर टिकी थीं और वे उस से बातें करने को आतुर थीं. पर मिहिर जिस से बात करना चाहता था वह अपनी सहेलियों से बातें करने में व्यस्त थी.

काफी देर बाद मिहिर को मिताली से बात करने का मौका मिला.

‘आप का नाम मिताली है?’ बातचीत शुरू करने के उद्देश्य से मिहिर ने पूछा.

‘हां, पर आप को मेरा नाम कैसे पता चला?’ मिताली ने उसे आश्चर्य से देखते हुए प्रतिप्रश्न किया.

‘सिर्फ नाम ही नहीं, मैं तो आप के बारे में और भी बहुत कुछ जानता हूं,’ मिहिर ने कहा तो मिताली की आंखें आश्चर्य से फैल गईं.

‘अच्छा, और क्याक्या जानते हैं आप मेरे बारे में?’ उस ने पूछा.

‘यही कि आप रानी के मामा की बेटी हैं और एम.बी.ए. की छात्रा हैं. संगीत सुनना, बैडमिंटन खेलना, कविताएं लिखना आप की हौबी है,’ मिहिर बोला.

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‘हां, आप कह तो सच रहे हैं पर मेरे बारे में इतना सबकुछ आप कैसे जानते हैं? क्या मैं आप का परिचय जान सकती हूं?’ मिताली ने कहा.

‘मैं रानी का पड़ोसी हूं. मेरा नाम मिहिर है. मैं मेडिकल अंतिम वर्ष का छात्र हूं. आजकल छुट्टियों में घर आया हूं,’ मिहिर ने अपना परिचय दिया.

तभी मिताली को किसी ने पुकारा और वह वहां से चली गई. मिहिर भी घर लौट आया. उस की आंखों की नींद व मन का चैन उड़ चुका था. दिनरात, सोते- जागते, उठतेबैठते बस उसे मिताली ही नजर आती थी.

उस दिन मिहिर अपनी छोटी बहन रूपाली के साथ शापिंग करने गया था. रूपाली बुटीक में अपने लिए कपड़े पसंद कर रही थी. मिहिर बोर होने लगा तो वह बाहर आ गया. अचानक उस की नजर सामने की गिफ्ट शाप की तरफ गई तो वह चौंक पड़ा. वहां मिताली कुछ खरीद रही थी. मिहिर उस ओर बढ़ चला.

‘हाय, मिताली, कैसी हो और यहां कैसे?’ मिताली के करीब जा कर मिहिर ने पूछा.

‘अरे मिहिर, आप और यहां. दरअसल आज मेरी एक फैं्रड का जन्मदिन है. मैं उसी के लिए गिफ्ट खरीदने आई हूं, और आप?’ मिताली ने उस से कहा.

‘मैं अपनी बहन रूपाली के साथ आया हूं. वह सामने की दुकान से कपड़े खरीद रही है. बोर होने लगा तो अंदर से बाहर आ गया और तुम यहां दिख गईर्ं.’

मिताली ने एक टेबल लैंप पैक करवा लिया. वह पैसे देने के लिए मुड़ी तो मिहिर ने उसे फिर शो केसों की तरफ बुला लिया और एक सफेद संगमरमर से बने ताजमहल की तरफ इशारा करते हुए बोला, ‘मिताली, देखो तो जरा यह कैसा लग रहा है?’

‘बहुत खूबसूरत है,’ मिताली बोली.

मिहिर ने सोचा, क्यों न वह अपने प्यार का इजहार मिताली को यह सुंदर उपहार दे कर करे? यह सोच कर उस ने वह ताजमहल और साथ में एक खूबसूरत पत्थर का बना कीमती ब्रेसलेट भी खरीद लिया.

तभी मिहिर को ढूंढ़ते हुए वहां रूपाली भी आ गई और मिताली को देख कर उस से बातें करने लगी.

मिहिर मन ही मन खुश हुआ कि चलो वह सफाई देने से बच गया वरना न जाने कितनी देर तक उस की छोटी बहन उस से सिर्फ इसलिए लड़ती कि वह उसे बिना बताए क्यों चला आया.

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‘अच्छा अब मैं चलती हूं,’ घड़ी की तरफ नजर डालते हुए मिताली बोली.

‘मिताली, हमारे साथ ही चलो न, मुझे मेरी दोस्त के घर छोड़ कर मिहिर भैया तुम्हें तुम्हारे घर छोड़ देंगे.’

Satyakatha: मकान में दफन 3 लाशें- भाग 1

सौजन्य- सत्यकथा

पवन ने 2018 में हरियाणा के शहर पानीपत की शिवनगर कालोनी में 5 लाख रुपए में एक मकान खरीदा था. इस से पहले वह अपने परिवार के साथ पानीपत की ही शुगर मिल कालोनी के क्वार्टर में किराए पर रहता था.

पवन ने यह मकान ढाई साल पहले खरीदा था, लेकिन उस में उस ने वहां कोई मरम्मत का काम नहीं करवाया था.

मकान के बाहरी हिस्से में स्थित दालान के एक कोने में छोटी लाल चींटियों ने फर्श में सुराख बना दिए थे. उन्हीं सुराखों के रास्ते बहुत दिनों से फर्श के भीतर बड़ी तादाद में चींटियों का आनाजाना लगा था. यह देख कर पवन और उस की पत्नी बबीता को कुछ अजीब सा लगता था, लेकिन दोनों उस पर ज्यादा माथापच्ची नहीं करते थे.

बात यहीं पर खत्म हो गई, ऐसा नहीं था. दालान वाले फर्श पर जब कभी भी कोई वजनदार चीज गिरती थी तो छन्न की आवाज होती थी. पता नहीं क्यों दोनों को ऐसा लगता था जैसे फर्श के नीचे खोखला हो. एक दिन बबीता पति से बोली, ‘‘देखो जी, चींटियों का सिलसिला तो खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है. पता नहीं कहां से आती हैं और कहां जाती हैं.’’

‘‘कह तो तुम ठीक रही हो बबीता. मैं भी कई दिनों से चींटियों का नजारा देख रहा हूं. इन की लाइन टूटने का नाम ही नहीं ले रही है.’’ पवन ने कहा.

‘‘सच कह रहे हो आप. मैं तो कहती हूं कि किसी राजमिस्त्री को बुला कर फर्श दिखा देते हैं कि ऐसा क्यों होता है.’’ पत्नी ने सुझाव दिया.

‘‘तुम ठीक कहती हो, कल ही किसी राजमिस्त्री को बुला कर दिखाता हूं. पता तो चले कि ऐसा क्यों हो रहा है.’’ पवन ने सहमति जताई.

अगले दिन पवन एक राजमिस्त्री को बुला कर ले आया और फर्श दिखाया. हथौड़े से फर्श के ऊपर मिस्त्री ने चोट की तो सचमुच छन्न की आवाज आ रही थी. फिर उस ने कमरे के फर्श पर चोट की तो वहां ऐसी कोई आवाज नहीं हुई.

राजमिस्त्री को कुछ आशंका हुई. उस ने हथौड़े से फर्श पर छेनी से लगातार 3-4 चोट कीं. इतने से ही फर्श में गहरा छेद बन गया और उस के हाथ से छेनी छूट कर उस छेद में जा गिरी. यह देख कर राजमिस्त्री दंग रह गया था.

उत्सुकतावश मिस्त्री फर्श तोड़ता गया. तो फर्श के भीतर एक गहरा गड्ढा बना मिला, जिस के ऊपर सीमेंट की एक मोटी परत भर चढ़ाई गई थी. यह देख कर सभी दंग रह गए.

इस के बाद राजमिस्त्री ने हथौड़े से पूरे फर्श को तोड़ दिया. 4×6 लंबाई और चौड़ाई तथा 7 फीट गहरे फर्श के नीचे एक गड्ढा मिला. शक होने पर पवन ने गड्ढे से मिट्टी निकलवाई तो अंदर का दिल दहला देने वाला दृश्य देख कर सभी के होश उड़ गए थे. गड्ढे के अंदर बड़ी मात्रा में कंकाल पड़े थे.

पवन को जब कुछ समझ में नहीं आया तो उस ने पुलिस कंट्रोलरूम के 100 नंबर पर फोन कर के घटना की जानकारी दे दी. मामला वाकई चौंकाने वाला था.

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सूचना मिलते ही कंट्रोलरूम ने किला थाने के सीआईए-1 प्रभारी राजपाल अहलावत को घटना की जानकारी दी और उन्हें वहां पहुंचने के निर्देश दिए.

सूचना मिलते ही सीआईए-1 थाने के प्रभारी राजपाल अहलावत पुलिस टीम के साथ शिवनगर कालोनी पहुंच गए, जहां का यह मामला था. मौके पर पहुंच कर उन्होंने छानबीन शुरू कर दी.

बांस की सीढ़ी के सहारे उन्होंने कांस्टेबल लखन यादव को गड्ढे में उतारा. कांस्टेबल को वहां 3 मानव खोपडि़यां दिखीं. इस का मतलब साफ था कि गड्ढे में हत्या कर के 3 लाशें दफनाई गई थीं. इंसपेक्टर राजपाल ने मकान मालिक पवन से पूछा, ‘‘कब से रह रहे हो यहां?’’

‘‘करीब ढाई साल से.’’ पवन ने सपाट लहजे में जबाव दिया.

‘‘किस की लाशें हैं ये? तुम ने किस की हत्या की और उसे दफना दिया?’’ इंसपेक्टर राजपाल ने पूछा.

‘‘सर, मैं ने किसी की हत्या नहीं की, सर. मैं कुछ नहीं जानता हूं.’’ पवन बोला.

‘‘तुम नहीं जानते तो और कौन जानता है?’’ इंसपेक्टर ने सवाल किया.

‘‘सर, ढाई साल पहले मैं ने इस मकान को अहसान सैफी से 5 लाख रुपए में खरीदा था.’’ पवन ने बताया.

‘‘अहसान सैफी इस समय कहां है? क्या मकान खरीदते समय इस की छानबीन की थी तुम ने?’’ इंसपेक्टर ने अगला सवाल किया.

‘‘नहीं सर, नहीं की थी. मालिक वही था. चाहें तो आप पूछ सकते हैं. उस ने बताया था बीवी और बच्चों के साथ वह जगदीश नगर में किराए का कमरा ले कर रहता है. फिर जब से मैं ने मकान खरीदा है, तब से मैं ने यहां कोई नया काम नहीं कराया.’’

‘‘क्या…?’’ पवन की बात सुन कर राजपाल अहलावत ऐसे चौंके जैसे कोई अजूबा देख लिया हो, ‘‘तुम ने इतने दिनों में कोई काम नहीं कराया?’’

‘‘हां सर, मैं सच कहता हूं, मैं ने कोई काम नहीं कराया. चाहे तो आप पड़ोसियों से पूछ सकते हैं.’’ पवन ने सफाई दी.

‘‘वो तो मैं पूछ ही लूंगा, पहले तुम अहसान सैफी के घर ले चलो. बाकी तो मैं बाद में देखता हूं.’’

इंसपेक्टर राजपाल अहलावत ने पूछताछ करते हुए ही घटना की जानकारी डीएसपी सतीश वत्स, डौग स्क्वायड और फोरैंसिक टीम को दे दी थी. सूचना मिलने के कुछ देर बाद जांच टीम मौके पर आ चुकी थीं. छानबीन के दौरान फोरैंसिक टीम ने मौके से जो 3 खोपडि़यां बरामद की थीं, उस में एक औरत और 2 बच्चों की थीं. हड्डियों के ढांचे के आधार पर एक बच्चे की उम्र करीब 10 साल और दूसरे की 14 साल के आसपास आंकी गई थी.

इंसपेक्टर राजपाल अहलावत ने कंकालों को पोस्टमार्टम के लिए पीजीआई रोहतक भेजवा दिया और तीनों कंकालों से डीएनए टेस्ट के लिए सैंपल लिए और जांच के लिए फोरैंसिक लैब भेजवा दिए.

यह सब करतेकरते दोपहर के 3 बज गए थे. कागजी काररवाई पूरी करने के बाद इंसपेक्टर अहलावत थाने वापस लौट आए और 2 कांस्टेबलों के साथ पवन को जगदीश नगर अहसान सैफी का पता लगाने के लिए भेज दिया. इधर पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 201, 120बी के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया था. यह बात मार्च, 2021 के पहले सप्ताह की है.

अहसान सैफी ने पवन को अपना जो पता बताया था, वहां पूछताछ करने पर मालूम हुआ कि अहसान सैफी नाम का कोई आदमी अपने परिवार के साथ यहां कभी रहा ही नहीं. यह सुन कर सभी दंग रह गए. इस का मतलब साफ था कि अहसान सैफी ने पवन से झूठ बोला था.

दोनों कांस्टेबलों ने इंसपेक्टर राजपाल को फोन कर के पूरी बात बता दी. जिस बात की आशंका उन्हें पहले से थी, आखिरकार वही सच हुआ. इंसपेक्टर अहलावत की नजरों में अहसान सैफी संदिग्ध रूप से चढ़ गया था.

उन्हें शक था कि अहसान ने अपनी बीवी और दोनों बच्चों की हत्या कर के उसे जमींदोज कर के फरार हो गया होगा. तसवीर उस के पकड़े जाने पर साफ होगी, इसलिए पुलिस अहसान सैफी की तलाश में जुट गई.

अहसान सैफी तक पहुंचने के लिए पुलिस ने अपने मुखबिर तंत्र का जाल फैला दिया, जिस का परिणाम सुखद निकला. मुखबिर के जरिए पुलिस को पता चला कि मरने वालों में अहसान सैफी की दूसरी पत्नी नाजनीन और उस के बेटे सोहिल और साजिद थे.

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नाजनीन अमीर घराने के मुन्ना शेख की शादीशुदा बेटी थी. वह मुंबई की कल्याणी घाट की रहने वाली थी. मुखबिर के जरिए पुलिस को मुन्ना शेख का मोबाइल नंबर मिल गया. पुलिस ने फोन कर के उसे सारी बात बताई और पानीपत के किला थाना बुलवाया.

3 दिनों बाद मुन्ना शेख पानीपत के किला थाने पहुंचा और इंसपेक्टर राजपाल अहलावत से मिला. मामले को ले कर मुन्ना शेख से उन्होंंने विस्तार से पूछताछ की तो पता चला अहसान सैफी से उस की तलाकशुदा बेटी नाजनीन शेख की नजदीकियां शादी डौटकौम के जरिए बढ़ी थीं.

उस के बाद दोनों ने निकाह कर लिया. निकाह के बाद मुंबई से यहां (पानीपत) आ गई और दोनों साथ रहने लगे. बीचबीच में फोन के जरिए बातचीत हो जाया करती थी.

‘‘कब से आप दोनों की बातें नहीं हुईं?’’ राजपाल अहलावत ने पूछा.

‘‘सर, यही कोई 4 साल से.’’

‘‘4 साल से?’’ थानाप्रभारी बुरी तरह चौंके, ‘‘4 सालों से आप दोनों के बीच में बातचीत नहीं हुई तो क्या आप ने यह जानने की कोशिश नहीं की कि बेटी और नाती कहां हैं, किस हाल में हैं?’’

‘‘की थी सर. बेटी और नातियों के बारे में पता लगाने की बहुत बार कोशिश की थी, लेकिन दामाद कोई न कोई बहाना बना कर टाल दिया करता था. तो मैं भी थकहार कर बैठ गया.’’ मुन्ना शेख ने बताया.

‘‘थाने में कोई सूचना नहीं दी थी?’’

‘‘नहीं सर.’’

‘‘ओह नो! कैसे बाप हो तुम. जिस की बेटी और 2-2 नाती गायब हों, वह शख्स भला हाथ पर हाथ धरे कैसे बैठा रह सकता है. हद कर दी तुम ने तो.’’ कुछ सोचते हुए उन्होंने आगे पूछा, ‘‘क्या तुम्हारे पास अहसान का कोई फोन नंबर है?’’

‘‘एक नंबर है साहब, जिस से अकसर बातें हुआ करती थीं कभी.’’ मुन्ना बोला.

उस के बाद मुन्ना शेख ने अहसान सैफी का मोबाइल नंबर उन्हें दे दिया और यह भी बता दिया था कि अहसान उत्तर प्रदेश के भदोही शहर में कहीं रह रहा है. इंसपेक्टर राजपाल ने उस नंबर को सर्विलांस पर लगवा दिया. उस नंबर की लोकेशन भदोही की ही आ रही थी. 24 मार्च, 2021 को एक पुलिस टीम तुरंत भदोही भेज दी.

इत्तफाक से अहसास भदोही में ही मिल गया, जहां वह अपनी तीसरी पत्नी के साथ मजे से रह रहा था.

अहसान सैफी को भदोही से गिरफ्तार कर इंसपेक्टर राजपाल अहलावत ट्रांजिट रिमांड पर पानीपत ले आए और पूछताछ के लिए अदालत में पेश कर 10 दिनों की रिमांड पर उसे ले लिया.

पूछताछ में अहसान सैफी ने पुलिस के सामने कबूल कर लिया कि उसी ने अपनी दूसरी पत्नी नाजनीन और उस के दोनों बेटों सोहेल और साजिद को खाने में नींद की दवा खिला कर मौत के घाट उतार दिया था और राज छिपाने के लिए तीनों की लाशें दालान में गड्ढा खुदवा कर दफना दीं, ताकि किसी को कुछ पता न चले. उस के बाद उस ने पूरी कहानी से परदा उठा दिया.

पूछताछ में उस ने यह भी बताया कि उस की पहली पत्नी नूरजहां और बेटा शाकिर ने हत्या का राज छिपाने और मृतका के कीमती सामानों को रख लेने में उस की मदद की थी. इस आधार पर पुलिस ने मुजफ्फरनगर के जाग्गाहेड़ी से आरोपी अहसान सैफी की पहली पत्नी नूरजहां और बेटे शाकिर को भी गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.

सवा 4 साल से रहस्यमय ढंग से गायब नाजनीन और उस के बेटों सोहेल और साजिद की हत्या की दिल दहला देने वाली कहानी ऐसे सामने आई—

अहसान सैफी मूलरूप से उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के जाग्गाहेड़ी का रहने वाला था. मध्यमवर्गीय परिवार के अहसान सैफी के परिवार में पत्नी नूरजहां और 2 बेटे साहिल और शाकिर थे. पेशे से अहसान सैफी बढ़ई था.

बढ़ई के काम से इतनी कमाई नहीं होती थी कि घर खर्च के बाद भविष्य के लिए 2 पैसे बचा पाएं. जो भी वह कमाता था सारा पैसा परिवार के खर्च में निकल जाता था. यह देख कर अहसान हमेशा परेशान रहता था कि ऐसा क्या करे, जिस से गरीबी से छुटकारा भी मिल जाए और दौलतमंद भी हो जाए.

पत्नी से सलाहमशविरा कर के अहसान सैफी मुजफ्फरनगर से पानीपत किस्मत आजमाने चला आया था. किस्मत ने साथ दिया तो उस के दिन पलट गए. बढ़ई के काम से यहां उसे अच्छे पैसे मिलने लगे थे. परिवार के खर्च के लिए आधा पैसा भेज देता था और आधा अपने पास खर्चे के लिए रखता था.

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डार्क चॉकलेट हो या अंडे, सेक्स ड्राइव बढ़ाने में फायदेमंद हैं किचन में मौजूद ये 11 आइटम

दैनिक आहार में कुछ महत्त्वपूर्ण खाद्यपदार्थ शामिल कर आप अपने उन खास पलों के रोमांच को किस तरह बढ़ा सकते हैं, जरूर जानिए:

सामन:

सामन ओमेगा-3 फैटी ऐसिड डीएचए और ईपीए का एक ज्ञात प्राकृतिक स्रोत है. इस से मस्तिष्क में डोपामाइन स्तर बढ़ने में मदद मिलती है, जिस से उत्तेजना पैदा होती है. ओमेगा-3 डोपामाइन की उत्पादन क्षमता बढ़ाता है. यह मस्तिष्क के लिए एक महत्त्वपूर्ण रसायन है, जो व्यक्ति के चरमसुख की भावना को ट्रिगर करता है.

कद्दू के बीज:

कद्दू के बीज जस्ता (जिंक) का एक बड़ा स्रोत हैं, जो टेस्टोस्टेरौन को बढ़ा देते हैं. इन में आवश्यक मोनोअनसैचुरेटेड वसा भी होती है, जिस से शरीर में कोलैस्ट्रौल बनता है. यौन हारमोन को ठीक से काम करने के लिए कोलैस्ट्रौल की जरूरत पड़ती है.

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बैरीज:

स्ट्राबैरी, ब्लैकबैरी, नीले जामुन ये सभी प्राकृतिक मूड बूस्टर हैं. स्ट्राबैरी में पर्याप्त विटामिन सी और बी होता है. ब्लैकबैरी और नीले जामुन फाइटोकैमिकल युक्त होते हैं, जो व्यक्ति के मूड को रामांटिक बनाते हैं.

केला:

केला पोटैशियम का प्राकृतिक स्रोत है. पोटैशियम एक महत्त्वपूर्ण पोषक तत्त्व है, जो मांसपेशी संकुचन को बढ़ाता है और उन खास पलों में बहुत अहम होता है. साथ ही केला ब्रोमेलैन से समृद्ध होता है, जो टेस्टोस्टेरौन उत्पन्न करने के लिए जिम्मेदार होता है.

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तरबूज:

तरबूज में 92% पानी है, लेकिन बाकी 8% पोषक तत्त्वों से भरा होता है. तरबूज का शांत प्रभाव रक्तवाहिकाओं को शांत करता है. यह स्त्री और पुरुष दोनों के अंगों में रक्तप्रवाह सुधारता है.

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लहसुन:

रोजमर्रा के जीवन में इस्तेमाल किए जाने वाला खास आहार लहसुन ऐलिकिन समृद्ध होता है, जो पुरुषों और महिलाओं दोनों के यौन अंगों में रक्तप्रवाह को बढ़ाता है. रात में शहद में भिगो कर रखा गया कच्चा लहसुन खाना लाभप्रद होता है.

सेट पर ‘अनुपमा’ के ये हैं फेवरेट पार्टनर, वीडियो में दिखाई झलक

रुपाली गांगुली, सुधांशु पांडे, मदालसा शर्मा स्टारर सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupamaa)  इन दिनों  लगातार सुर्खियों में है. शो के एक्टर्स आए दिन फैंस का धन्यवाद करते है. यह शो दर्शकों का फेवरेट बन चुका है. अनुपमा फेम रुपाली गांगुली  (Rupali Ganguly) आए दिन  सोशल मीडिया पर अपने फैंस के साथ फोटोज और वीडियो शेयर करती हैं.

अब उन्होंने एक वीडियो शेयर किया है जिसमे यह दिखाया गया है कि सेट पर रुपाली गांगुली यानी अनुपमा कौन है फेवरेट साथी? रुपाली ने इसे शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा है, D&G डाकू एंड गुलगुल.

आप इस वीडियो में देख सकते हैं कि रुपाली सेट पर अपनी डांस प्रेक्टिस करती नजर आ रही हैं. तो वहीं आसपास दो कुत्ते नजर आते हैं. पीछे से किसी की आवाज आती है, इन कुत्तों के सामने मत नाचना अनुपमा’. इस पर रुपाली कहती हैं कि ये तो गुलगुला है. फिर वहां दूसरा कुत्ता आता है तो अनुपमा उसका नाम डाकू बताती हैं. तभी बैकग्राउंड से आवाज आती है कि ये अनुपमा के फेवरेट साथी हैं. यह वीडियो जमकर वायरल हो रहा है.

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इस वीडियो को फैंस खूब पसंद कर रहे हैं. इस पोस्ट पर एक यूजर ने लिखा है कि डॉग लवर तो कई यूजर वे लिखा है, बेस्ट एक्ट्रेस.

अनुपमा सीरियल की बात करें तो शो में दिखाया जा रहा है कि काव्या के बहकावे में आकर पाखी फिर से अनुपमा से नफरत कर रही है. पाखी अनुपमा की कोई भी बात सुनने के लिए तैयार नहीं है. वह सबके सामने अनुपमा की बेइज्जती कर रही है. इस वजह से समर पाखी को फटकार लगाएगा. दोनों के बीच जमकर कहा-सुनी होगी.

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तो उधर काव्या अनुपमा को चुनौती देगी कि वो उसके साथ एक डांस मुकाबला करे. शो के अपकमिंग एपिसोड में काव्या और अनुपमा के बीच डांस कम्पटीशन काव्या होगा. अब देखना ये दिलचस्प होगा कि इस कम्पटीशन में किसकी जीत होती है?

भरी महफिल में इमली को पहली पत्नी का दर्जा देगा आदित्य तो क्या करेगी अपर्णा

टीवी सीरियल इमली में कहानी इन दिनों एक दिलचस्प मोड़ ले रही है. शो में खूब धमाल हो रहा है. शो के बिते एपिसोड में दिखाया गया कि आदित्य घरवालो के खिलाफ जाकर इमली (Sumbul Touqeer Khan) को पत्नी का दर्जा देना चाहता है. इस फैसले से आदित्य की मां यानी अपर्णा गुस्से में नजर आ रही है. शो के अपकमिंग एपिसोड में महाट्विस्ट आने वाला है. आइए बताते हैं, कहानी के नए एपिसोड के बारे में.

शो में दिखाया जा रहा है कि अपर्णा ने फैसला लिया है कि वह मालिनी का इस्तेमाल करके इमली को अपने घर से निकालेगी. तो वहीं घर में पल्लवी की मुंह दिखाई की रस्म होने वाली है. अपर्णा चाहती है कि इस फंक्शन में आदित्य और इमली साथ ना रहे. लेकिन आदित्य ने फैसला लिया है कि वो इस फंक्शन में इमली के साथ ही आएगा.

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शो के अपकमिंग एपिसोड में हाईवोल्टेज डामा होगा. अपर्णा मेहमनों मालिनी को ही बहू के रूप में इंट्रोड्यूस करवाएगी. मालिनी के मन ही मन सोचेगी कि वो इस घर की बहू ही बनकर रहे.

 

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तो उधर आदित्य इमली के साथ इस फंक्शन में आएगा. आदित्य सबके सामने कहेगा कि इमली ही उसकी पहली पत्नी है. ये सुनकर घर आए मेहमान शॉक्ड हो जाएंगे. सभी त्रिपाठी परिवार को ताना मारेंगे औऱ फंक्शन छोड़कर चले जाएंगे.

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तो वहीं मालिनी आदित्य की बात सुनकर फूट-फूट कर रोएगी. शो में ये देखना दिलचस्प होगा कि आदित्य की मनमानी के कारण अपर्णा इमली को बहू के रूप में स्वीकार करेगी?

Manohar Kahaniya: शैली का बिगड़ैल राजकुमार- भाग 1

सौजन्य- मनोहर कहानियां

आज के समय में सोशल मीडिया का बुखार लोगों के सिर चढ़ कर बोल रहा है. अपनी फोटो, अपनी दिनचर्या, अपनी खुशी अपना गम, सब कुछ इस आभासी दुनिया में शेयर करते हैं. यहां तक कि सच्चे दोस्त और हमसफर की तलाश भी इसी आभासी दुनिया की भीड़ में हो  रही है.

शैली भी फेसबुक पर अपने लिए हमसफर की तलाश कर रही थी. इसी तलाश में उस की दोस्ती राजकुमार उर्फ राज वर्मा से हुई, जिस ने फेसबुक पर अपनी आईडी राज वर्मा नाम से बना रखी थी.

दोस्ती हुई तो उन के बीच बातें होने लगीं. बातों ही बातों में पता चला कि राजकुमार शैली से करीब 14 साल छोटा है. फिर भी उन के बीच दोस्ती बरकरार रही, जो धीरेधीरे प्यार का रूप ले रही थी. शैली को भी पति की मौत के बाद एक सहारे की जरूरत थी. राजकुमार काफी स्मार्ट था और व्यवहार व बातें करने में भी काफी अच्छा था.

समय के साथ दोनों काफी नजदीक आने लगे, एकदूसरे से रूबरू मिलने की इच्छा हुई तो बात कर के मिलने को तैयार हो गए.

शैली हरियाणा के करनाल शहर की थी, राजकुमार भी करनाल का था. लेकिन वह गुड़गांव में प्राइवेट जौब कर रहा था. कहां मिलना है, कितने बजे मिलना है, यह सब उन दोनों ने तय कर लिया था.

फिर निश्चित तिथि पर शाम 6 बजे करनाल के एक पार्क में शैली पहुंच गई. शैली वहां जिस राज वर्मा नाम के युवक से मिलने आई थी, उसे पहले उस ने कभी नहीं देखा था. फेसबुक पर दोनों ने एकदूसरे के फोटो देखे थे, वीडियो कालिंग भी उन में होती थी. इसी के आधार पर दोनों को यकीन था कि सैकड़ों की भीड़ में वे अपने दिलबर को पहचान लेंगे.

शैली पार्क में होने वाली भीड़ से थोड़ा अलग खड़ी हो गई. वहां खड़े हो कर वह राज वर्मा की तलाश में चारों ओर नजरें दौड़ाने लगी. तभी एक युवक अचानक उस के सामने आ खड़ा हुआ, ‘‘हैलो शैली!’’

शैली ने चौंक कर उसे देखा. मन में बसी हुई राज वर्मा की तसवीर से उस के चेहरे का मिलान किया तो सुखद आश्चर्य से चीख पड़ी, ‘‘राज, तुम.’’

‘‘हां मैं,’’ राज वर्मा मुसकराया,‘‘शैली, मैं कहता था न कि मैं सैकड़ों में भी तुम्हें पहचान लूंगा. देखो पहचान लिया न.’’

‘‘हां, मैं भी तो तुम्हें पहचान गई,’’ राज से मिलने का उत्साह और उल्लास शैली के चेहरे से छलक रहा था, ‘‘तुम तो समय से पहले आ गए.’’

‘‘तुम भी तो आधे घंटा पहले आई हो.’’

‘‘दिल जिसे चाहता हो, पहली बार उस से रूबरू मिलने का जोश ही अलग होता है.’’ शैली बोली.

‘‘शैली, सही कहा तुम ने,’’ राज की मुसकान खिली, ‘‘समय पास करना मुश्किल हो रहा था. एकएक लम्हा सदियों की तरह बीत रहा था. इसीलिए मैं 40 मिनट पहले ही पार्क में आ गया.’’

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‘‘इसी को कहते हैं दोनों तरफ बराबर आग लगी होना,’’ शैली हंसती हुई बोली, ‘‘हम कब तक यहां खड़े हो कर बात करेंगे. चलो, कहीं सुकून से बैठ कर बातें करें.’’

‘‘मैं जानता था कि जब हम पहली बार मिलेंगे तो बातें खत्म होने का नाम नहीं लेंगी. किसी तरह का डिस्टरबेंस भी हमें मंजूर नहीं होगा.’’ राज चहक कर बोला, ‘‘इसीलिए मैं ने ऐसी जगह का बंदोबस्त कर लिया है, जहां बेफिक्र हो कर बातें करें.’’

‘‘राज, यह काम तुम ने बहुत सही किया,’’ शैली ने खुशी जाहिर की.

राजकुमार के कदम बढ़े तो शैली भी उस के साथ कदम मिलाने लगी.

एक के बाद एक परेशानियों ने घेरा शैली को हरियाणा के करनाल जिले के गांव असम की रहने वाली थी शैली. शैली सुशिक्षित व संस्कारी युवती थी. शैली के पिता का नाम खैरातीलाल बल्ला और मां का नाम उषा रानी था. शैली के पिता खैरातीलाल का बैटरियां बेचने का कामधंधा था. उन का यह काम बहुत अच्छा चलता था. जिस वजह से वह आर्थिक रूप से काफी सुदृढ़ थे.

शैली की एक बहन मोनिका और एक भाई करन था. करन जब 13 साल का था, तभी पेट का संक्रमण होने के कारण उस की मृत्यु हो गई थी. वर्ष 1997 में शैली का विवाह दिल्ली निवासी अनिल वर्मा से कर दिया. कालांतर में शैली ने एक बेटी को जन्म दिया, जिस का नाम उन्होंने तान्या रखा.

समय का पहिया घूमता रहा. एक समय वह आया जब अनिल को अपने बिजनैस में काफी घाटा हुआ तो वह परेशान हो गया. वह तनाव में रहने लगा. शैली भी पति को परेशान देख कर दुखी रहने लगी. शैली ने अपने पिता को बात बताई तो उन्होंने दोनों को अपने पास आ कर रहने को कहा.

शैली ने अपने पति अनिल से बात की तो मजबूर अनिल को अपनी ससुराल में रहने के लिए हां कहना पड़ा. शैली पति अनिल और बेटी तान्या के साथ अपने पिता के घर शिफ्ट हो गई.

खैरातीलाल ने दामाद अनिल को अपने बैटरी के बिजनैस में जोड़ लिया. वैसे भी उन का एक ही बेटा था, जोकि अब इस दुनिया में नहीं था. दामाद भी एक तरह से बेटा ही होता है, यही सोच कर खैरातीलाल ने यह कदम उठाया था.

एक बार फिर से शैली की जिंदगी में सब अच्छा चलने लगा. साल दर साल गुजरने लगे. फिर अचानक समय ने अपना रुख बदला. 2014 में शैली की मां का देहांत हो गया. मां की मौत से वह उबर पाती कि 2016 में पति अनिल की भी बीमारी के कारण मौत हो गई.

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शैली की राज से बनीं नजदीकियां

पति के बिना जिंदगी गुजारना बहुत कठिन होता है. शैली के आगे अभी पूरी जिंदगी पड़ी थी और उस के सिर पर बेटी तान्या की भी जिम्मेदारी थी. ऐसे में शैली ने दूसरी शादी करने का फैसला कर लिया. उस ने तमाम माध्यमों से अपने नए हमसफर की तलाश करनी शुरू कर दी.

शैली ने फेसबुक पर अपना एकाउंट बना रखा था. फेसबुक पर वह रोज नए लोगों से मिलती, उन की फ्रैंड रिक्वेस्ट को स्वीकार करती. इन में से ही एक युवक था राजकुमार वर्मा उर्फ राज.

राज करनाल के गांव निगदू का निवासी था. उस के परिवार में मातापिता और एक भाई व 3 बहनें थीं. राज की उम्र शैली से करीब 14 साल कम थी. फेसबुक पर शैली के मित्रों की सूची में उस ने भी जगह बना ली.

राज शैली के मित्रों की सूची में जुड़ने वाला सिर्फ एक नाम बन कर नहीं जुड़ने आया था, वह तो शैली के दिल तक अपनी पहुंच बना कर उसे अपना बनाने आया था. उस ने शैली को मैसेज पर मैसेज करने शुरू कर दिए.

पहले तो वह जानपहचान बढ़ाने के उद्देश्य से शैली को मैसेज कर रहा था. शैली जब उस से मैसेंजर पर बातें करने लगी तो वह एक  सच्चा दोस्त बन कर उस से दोस्ती की बातें करने लगा. शैली को भी उस की बातों में मजा आता था.

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Family Story in Hindi: विश्वास- भाग 2: क्या अंजलि अपनी बिखरती हुई गृहस्थी को समेट पाई?

अंजलि ने शिखा के गाल पर थप्पड़ मारने के लिए उठे अपने हाथ को बड़ी कठिनाई से रोका और गहरीगहरी सांसें ले कर अपने क्रोध को कम करने के प्रयास में लग गई. दूसरी तरफ तनी हुई शिखा आंखें फाड़ कर चुनौती भरे अंदाज में उसे घूरती रहीं.

कुछ सहज हो कर अंजलि ने उस से पूछा, ‘‘वंदना के घर मेरे जाने की खबर तुम्हें उन के घर के सामने रहने वाली रितु से मिलती है न?’’

‘‘हां, रितु मुझ से झूठ नहीं बोलती है,’’ शिखा ने एकएक शब्द पर जरूरत से ज्यादा जोर दिया.

‘‘यह अंदाजा उस ने या तुम ने किस आधार पर लगाया कि मैं वंदना की गैर- मौजूदगी में कमल से मिलने जाती हूं?’’

‘‘आप कल सुबह उन के घर गई थीं और परसों ही वंदना आंटी ने मेरे सामने कहा था कि वह अपनी बड़ी बहन को डाक्टर के यहां दिखाने जाएंगी, फिर आप उन के घर क्यों गईं?’’

‘‘ऐसा हुआ जरूर है, पर मुझे याद नहीं रहा था,’’ कुछ पल सोचने के बाद अंजलि ने गंभीर स्वर में जवाब दिया.

‘‘मुझे लगता है कि वह गंदा आदमी आप को फोन कर के अपने पास ऐसे मौकों पर बुलाता है और आप चली जाती हो.’’

‘‘शिखा, तुम्हें अपनी मम्मी के चरित्र पर यों कीचड़ उछालते हुए शर्म नहीं आ रही है,’’ अंजलि का अपमान के कारण चेहरा लाल हो उठा, ‘‘वंदना मेरी बहुत भरोसे की सहेली है. उस के साथ मैं कैसे विश्वासघात करूंगी? मेरे दिल में सिर्फ तुम्हारे पापा बसते हैं, और कोई नहीं.’’

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‘‘तब आप उन के पास लौट क्यों नहीं चलती हो? क्यों कमल अंकल के भड़काने में आ रही हो?’’ शिखा ने चुभते लहजे में पूछा.

‘‘बेटी, तेरे पापा के और मेरे बीच में एक औरत के कारण गहरी अनबन चल रही है, उस समस्या के हल होते ही मैं उन के पास लौट जाऊंगी,’’ शिखा को यों स्पष्टीकरण देते हुए अंजलि ने खुद को शर्म के मारे जमीन मेें गड़ता महसूस किया.

‘‘मुझे यह सब बेकार के बहाने लगते हैं. आप कमल अंकल के कारण पापा के पास लौटना नहीं चाहती हो,’’ शिखा अपनी बात पर अड़ी रही.

‘‘तुम जबरदस्त गलतफहमी का शिकार हो, शिखा. वंदना और कमल मेरे शुभचिंतक हैं. उन दोनों का बहुत सहारा है मुझे. दोस्ती के पवित्र संबंध की सीमाएं तोड़ कर कुछ गलत न मैं कर रही हूं न कमल अंकल. मेरे कहे पर विश्वास कर बेटी,’’ अंजलि बहुत भावुक हो उठी.

‘‘मेरे मन की सुखशांति की खातिर आप अंकल से और जरूरी हो तो वंदना आंटी से भी अपने संबंध पूरी तरह तोड़ लो, मम्मी. मुझे डर है कि ऐसा न करने पर आप पापा से सदा के लिए दूर हो जाओगी,’’ शिखा ने आंखों में आंसू ला कर विनती की.

इस घटना के बाद मांबेटी के संबंधों में आया खिंचाव

‘‘तुम्हारे नासमझी भरे व्यवहार से मैं बहुत निराश हूं,’’ ऐसा कह कर अंजलि उठ कर अपने कमरे में चली आई.

इस घटना के बाद मांबेटी के संबंधों में बहुत खिंचाव आ गया. आपस में बातचीत बस, बेहद जरूरी बातों को ले कर होती. अपने दिल पर लगे घावों को दोनों नाराजगी भरी खामोशी के साथ एकदूसरे को दिखा रही थीं.

शिखा की चुप्पी व नाराजगी वंदना और कमल ने भी नोट की. अंजलि उन के किसी सवाल का जवाब नहीं दे सकी. वह कैसे कहती कि शिखा ने कमल और उस के बीच नाजायज संबंध होने का शक अपने मन में बिठा रखा था.

करीब 4 दिन बाद रात को शिखा ने मां के कमरे में आ कर अपने मन की बातें कहीं.

‘‘आप अंदाजा भी नहीं लगा सकतीं कि मेरी सहेली रितु ने अन्य सहेलियों को सब बातें बता कर मेरे लिए इज्जत से सिर उठा कर चलना ही मुश्किल कर दिया है. अपनी ये सब परेशानियां मैं आप के नहीं, तो किस के सामने रखूं?’’

मुझ से ज्यादा तुम्हें अपनी सहेली पर विश्वास क्यों है

‘‘मुझे तुम्हारी सहेलियों से नहीं सिर्फ तुम से मतलब है, शिखा,’’ अंजलि ने शुष्क स्वर में जवाब दिया, ‘‘तुम ने मुझे चरित्रहीन क्यों मान लिया? मुझ से ज्यादा तुम्हें अपनी सहेली पर विश्वास क्यों है?’’

‘‘मम्मी, बात विश्वास करने या न करने की नहीं है. हमें समाज में मानसम्मान से रहना है तो लोगों को ऊटपटांग बातें करने का मसाला नहीं दिया जा सकता.’’

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‘‘तब क्या दूसरों को खुश करने के लिए तुम अपनी मां को चरित्रहीन करार दे दोगी? उन की झूठी बातों पर विश्वास कर के अपनी मां को उस की सब से प्यारी सहेली से दूर करने की जिद पकड़ोगी?’’

‘‘मुझ पर क्या गुजर रही है, इस की आप को भी कहां चिंता है, मम्मी,’’ शिखा चिढ़ कर गुस्सा हो उठी, ‘‘मैं आप की सहेली नहीं बल्कि सहेली के चालाक पति से आप को दूर देखना चाहती हूं. अपनी बेटी की सुखशांति से ज्यादा क्या कमल अंकल के साथ जुडे़ रहना आप के लिए जरूरी है?’’

‘‘कमल अंकल मेरे लिए तुम से ज्यादा महत्त्वपूर्ण कैसे हो सकते हैं, शिखा? मुझे तो अफसोस और दुख इस बात का है कि मेरी बेटी को मुझ पर विश्वास नहीं रहा. मैं पूछती हूं कि तुम ही मुझ पर विश्वास क्यों नहीं कर रही हो?  अपनी सहेलियों की बकवास पर ध्यान न दे कर मेरा साथ क्यों नहीं दे रही हो? मेरे मन में खोट नहीं है, इस बात को मेरे कई बार दोहराने के बावजूद तुम ने उस पर विश्वास न कर के मेरे दिल को जितनी पीड़ा पहुंचाई है, क्या उस का तुम्हें अंदाजा है?’’ बोलते हुए अंजलि का चेहरा गुस्से से लाल हो गया.

‘‘यों चीखचिल्ला कर आप मुझे चुप नहीं कर सकोगी,’’ गुस्से से भरी शिखा उठ कर खड़ी हो गई, ‘‘चित भी मेरी और पट भी मेरी का चालाकी भरा खेल मेरे साथ न खेलो.’’

‘‘क्या मतलब?’’ अंजलि फौरन उलझन का शिकार बन गई.

‘‘मतलब यह कि पापा ने अपनी बिजनेस पार्टनर सीमा आंटी को ले कर आप को सफाई दे दी तब तो आप ने उन की एक नहीं सुनी और यहां भाग आईं, और जब मैं आप से कमल अंकल के साथ संबंध तोड़ लेने की मांग कर रही हूं तो किस आधार पर आप मुझे गलत और खुद को सही ठहरा रही हो?’’

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