कोरोना के समय ऐसे करें सेफ सेक्स

अगर कोरोना की महामारी के दौरान आपने और आपके साथी ने खुद को एकांतवास में ले लिया है तो ऐसे में आपकी सेक्स लाइफ में रोमांच लाने के कई तरीके हो सकते हैं. कोरोना वायरस के खौफ के साए में हम चेहरे पर तो हाथ का स्पर्श नहीं ले जा रहे हैं लेकिन बदन के अन्य हिस्सों को तो छुआ जा सकता है.

सेक्स सेफ है

यह बीमारी सेक्स से संक्रमित नहीं होती और न ही ऐसा कोई मामला सामने आया है कि किन्ही युगलों के बीच सेक्स के कारण इसका संक्रमण हो गया हो. यह मूल रूप से सांसों के माध्यम से गिरी बारीक बूंदों और किसी संक्रमित सतह को छूने से हो रही है.

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ओरल सेक्स से बचें

इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि कोविड-19 का संक्रमण योनी या गुदा मैथुन से हुआ हो. सेक्स के दौरान चूमना बहुत आम बात है लिहाजा इसका वायरस मुंह की लार के जरिए फैल सकता है. अगर आपका पार्टनर विदेष दौरे से लौटा/लौटी है तो उस स्थिति में चुंबन लेने से बचें! यात्रा करने के दो हफ्ते बाद ऐसा करना सुरक्षित है. कोविड-19 के ओरल-फिकल ट्रांसमिशन के भी सबूत मिले हैं, लिहाज़ा, ओरल सैक्स से बचना चाहिए.

यदि एक भी पार्टनर कोविड-19 का संदिग्ध रोगी है तो बेहतर यही होगा कि आप एक दूसरे से दूर रहे हैं और जांच के नतीजे मिलने तक अलग-अलग कमरों में ही सोएं.

स्ट्रैस रिलीवर

लेकिन अगर आपमें से किसी में भी किसी किस्म का लक्षण दिखायी नहीं दिया है और किसी संक्रमित व्यक्ति या सतह आदि के संपर्क में भी नहीं आए हैं तथा पूरे समय घर पर ही रहे हैं तो सेक्स से अच्छा और कोई तरीका आनंद लेने का नहीं हो सकता. यह तनावपूर्ण समय में बेचैनी दूर करने का सबसे बढ़िया उपाय है.

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फिलहाल यही सलाह है कि जितना हो सके घर पर रहें और रोज़मर्रा की जरूरतों का सामान खरीदने के वक़्त ही दूसरे लोगों के संपर्क में आएं. इस दौरान भी अन्य लोगों से कम से कम दो मीटर की दूरी बनाएं रखें. हालाकि इस स्थिति में कैजुअल सेक्स करना चुनौतीपूर्ण होगा!

हस्तमैथुन

किसी भी किस्म का अंतरर्वैयक्तिक संबंध तभी कायम करें जब ऐसा करना एकदम जरूरी हो. लिहाज़ा, आगामी कुछ हफ्तों में यौन संसर्ग कुछ कम हो सकता है. लेकिन यौन सुख प्राप्त करने के और भी कई तरीके हैं. जो मौजूदा हालात में उपयोगी साबित हो सकते हैं. इनमें सेक्सटिंग, वीडियो कौल, कामोत्तेजक साहित्य पढ़ना और हस्तमैथुन शामिल हैं. याद रखिये, आप अपने सबसे सुरक्षित सेक्स पार्टनर हैं. ऐसे में हस्तमैथुन बढ़िया विकल्प है और यह आपको कोविड-19 से बचाए रखेगा. ऐसे में भी हाथ धोना मत भूलिये और यदि आप सेक्स टौयज का इस्तेमाल करते हैं तो उन्हें भी सेक्स से पहले और बाद में 20 सेकंड अवश्य धो लें.

डा. अनूप धीर, डायरेक्टर अल्फा वन एंड्रोलॉजी ,फेलो औफ यूरोपीयन काउंसिल औफ सेक्सुअल मेडिसिन से बातचीत पर आधारित

क्या सेक्स करने से भी हो सकता है कोरोना!

एक तरफ जहां कोरोना वायरस से बचाव के लिए सोशल डिस्टैंसिंग को जरूरी बताया जा रहा है, वहीं लोगों के मन में यह सवाल भी उठ रहे हैं कि क्या सेक्स करने से भी कोरोना वायरस फैल सकता है? जानिए, सेक्स को ले कर जुङे तमाम सवालों के जवाब :

पार्टनर के साथ सेक्स करने से कोरोना वायरस फैलने का डर है क्या?

कोरोना वायरस संक्रमण से ही फैलता है मगर यह सेक्स से फैलता है, इस को ले कर अभी कोई ठोस वजह सामने नहीं आया है. मगर जब कोई सेक्स पार्टनर से इंटिमेट होता है तो इस वायरस के फैलने का खतरा हो सकता है. मगर यह तब होगा जब सेक्स पार्टनर में से कोई एक कोरोना वायरस से संक्रमित होगा.

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क्या सोशल डिस्टैंसिंग सेक्स पार्टनर पर भी लागू होता है?

बिलकुल. अगर सेक्स पार्टनर को सूखी खांसी, छींक अथवा नाक बहने के लक्षण हैं तो उस के साथ सेक्स करने से बचना चाहिए और अलग क्वारेंटीन करना चाहिए.

क्या फेस मास्क लगा कर सेक्स किया जा सकता है? यह कितना सेफ है?

सेक्स पार्टनर अगर कोरोना वायरस से संक्रमित है तो उस के साथ सेक्स संबंध बनाने से परहेज करें. इस दौरान दूसरे पार्टनर को भी इफैक्ट होने का चांस हो सकता है. इस का फेस मास्क से कोई लेनादेना नहीं है.

क्या ओरल सेक्स से भी कोरोना वायरस के फैलने का खतरा है?

कोरोना वायरस से संक्रमित सेक्स पार्टनर से ओरल सेक्स सेफ नहीं माना जा सकता क्योंकि इस प्रकिया में भी डीप टच होता है और पूरी संभावना है कि इस से दूसरा भी संक्रमित हो जाए. इसलिए यह कह सकते हैं कि ओरल सेक्स भी पूरी तरह सेफ नहीं है.

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इस समय सेक्स संबंध बनाने से पहले क्या करना चाहिए?

पार्टनर के साथ सेक्स करने से पहले हाइजीन का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. बैडरूम में जाने से पहले कपड़े बदल लें. बेहतर होगा कि बाहर से आने के बाद चप्पलें आदि भी बदल लें. खुद को सैनिटाइज कर नहा लेना चाहिए. सब से जरूरी है कि अगर पार्टनर में कोरोना वायरस के कोई भी लक्षण दिखें तो बेहतर है कि अलगअलग रहें और चिकित्सक से संपर्क करें.

-डा. एल बी प्रसाद एमबीबीएस, एमडी, सीनियर कंसल्टैंट, फिजीशियन ऐंड डाइबेटोलोजिस्ट से बातचीत पर आधारित

#Lockdown: लौक डाउन की पाबन्दी में अनचाही प्रैगनेंसी से कैसें बचें

कोरोना के खतरे को देखते हुए अब आप भी घर से बाहर नहीं निकलेंगें और जब घर से बाहर नहीं निकलेंगे तो निश्चित ही खाली तो बैठेंगे नहीं. आप कहानियां पढेंगे, टीवी देखेंगे, सोसल मीडिया की ख़ाक छानेंगे, कोरोना के बारे में जाननें के लिए इंटरनेट की दुनियां में खो भी जायेंगे. भले ही आप ने आज तक घर में बीबी के साथ खाना पकाने में मदद न की हो लेकिन इस खाली समय में आप अब खाना भी पकाएंगे. यह सब करनें से तो दिन कटने वाला नहीं हैं. इस लिए बीबी के साथ रोमांस भी तो करेंगे.

लेकिन संभल कर क्यों की अगर आप का परिवार पूरा हो चुका है और अब आप और बच्चे नहीं चाहते हैं या अभी आप नें  बच्चे ही की प्लानिंग ही नहीं की है तो कोरोना लौकडाउन में किये जाने वाले रोमांस के दौरान की छोटी सी भी लापरवाही आप के और आपके साथी के लिए मुसीबत बन सकता हैं. क्यों की रोमांस करने को सरकार ने इमरजेंसी में तो रखा नहीं है. ऐसे में हमबिस्तर से होने वाली अनचाही प्रेगनेंसी से बचनें के लिए आप बाहर निकल कर कंडोम, कौन्ट्रसेप्टिव पिल यानी गर्भनिरोधक गोली जैसी कोई चीज नहीं ले सकतें हैं.

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चूंकि आप लौकडाउन के चलते घर में कैद हैं तो कहीं ऐसा न हो की आप की हमबिस्तर होने की चाहत साथी के ऊपर भारी पड़ जाए. तो ऐसे में गर्भनिरोधक की कमी के चलते साथी प्रैग्नेंट भी न हों और लौकडाउन में रोमांस भी हो जाए. इसके लिए इन उपायों को अपना कर आप अनचाही प्रैगनेंसी से बच सकतें हैं.

पुलआउट मैथेड

कोरोना के कहर के बीच और लौकडाउन के दौरान अगर आप के पास कंडोम या गर्भनिरोधक गोलियों का स्टाक ख़त्म हो गया है या उपलब्धता नहीं हो पा रही है तो निश्चित ही यह मैथेड आप के लिए प्रभावी हो सकता है. ऐसे स्थिति में सेक्स के दौरान मेल साथी को सेक्स के अंतिम क्षणों में अपने अंग को वेजाइना से बाहर निकालना होता है. जिससे शुक्राणु गर्भाशय तक नहीं पहुंच पाते है. इस वजह से गर्भधारण की संभवना शून्य हो जाती है. लेकिन पुलआउट कंडीशन में सेल्फ कंट्रोल की बड़ी आवश्यकता होती है. ऐसे में जब आप के पास कोई उपाय नहीं है तो आप के सामने यही एक सहारा हो सकता है .

स्वास्थ्य कर्मियों का ले सहारा – 

लौकडाउन के दौरान भले ही आप के बाहर निकलनें पर पाबन्दी लगी हो लेकिन शहरों से लेकर गाँवों तक में तैनात स्वास्थ्य कर्मियों की इमरजेंसी ड्यूटी लगाईं गई है. जिन्हें परिवार को सीमित करने के साधनों को मुफ्त या बहुत ही मामूली कीमत पर वितरण हेतु उपलब्ध कराया गया है. इन स्वास्थ्य कर्मियों में आशा, ए एन एम जैसे लोग शामिल हैं. जिन्हें महानगरों से लेकर गांवों तक में सभी राज्यों में तैनात किया गया है. इनको आप काल कर घर पर बुला सकते हैं और उनसे आप अनचाही प्रेग्नेसी से बचनें वाले साधनों की मांग कर सकतें हैं. इसके अलावा मेडिकल स्टोर्स के खुलने पर भी पाबंदी नहीं लगाईं गई है और कई जगहों पर मेडिकल स्टोर्स संचालकों को होम डिलेवरी का भी निर्देश दिया गया है. इनको भी आप फोन कर कंडोम , कौन्ट्रसेप्टिव पिल्स मंगा सकतें हैं.

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किन साधनों का करें उपयोग-

हमबिस्तर के दौरान वैसे तो आप अपनें मर्जी से परिवार नियोजन के साधनों का उपयोग कर सकतें हैं. अगर आपने बिना किसी गर्भनिरोधक साधन के ही सम्बन्ध बना लिया है तो इसके लिए आप आशा कर्मी से इमरजेंसी कौन्ट्रसेप्टिव पिल्स की मांग कर सकतें हैं. इसे हमबिस्तर होने के 72 घंटों के भीतर महिला को खाना होता है. यह इमरजेंसी कौन्ट्रसेप्टिव पिल्स आशा के पास केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकारों को भरपूर मात्रा में उपलब्ध कराई गई हैं. इनके पास कंडोम भी मुफ्त वितरण के लिए उपलब्ध कराया गया है. इसके अलावा माला डी, माला एन जैसी गोलियों का उपयोग भी किया जा सकता है. यह गोलियां भी स्वास्थ्य कर्मियों को फोन कर घर पर ही मुफ्त में मंगाया जा सकता है. लेकिन माला डी, माला एन जैसी गोलियां स्टीरौयड होने के कारण हौर्मोनल होती हैं.  जिसके शरीर पर साइड इफेफ्ट भी देखे जा सकतें है लेकिन इस लॉक डाउन के दौरान यह भी आप की साथी बन सकती हैं.

छाया सबसे अच्छा साधन – 

लौकडाउन के बीच लगी पाबंदियों में अनचाहे गर्भ से बच पायें इसके लिए उपलब्ध साधनों में शामिल खाने की गोलियों में छाया को सबसे अच्छा माना गया है. यह नान हार्मोनल गोली है जो सरकार द्वारा मुफ्त वितरण हेतु छाया के नाम से स्वास्थ्य कर्मियों को को उपलब्ध कराई गई है. महिला को इसे माला-एन की तरह प्रतिदिन सेवन नहीं करना पड़ता है. छाया गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन तीन माह तक सप्ताह में दो बार और तीन माह पूरा होने के बाद सप्ताह में केवल एक बार ही करना होता है. इसमें स्टीरॉयड न होने से यह नान हर्मोनल गर्भ निरोधक गोली होती है, जिसका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है. हार्मोनल गोलियों की तरह छाया के सेवन से मोटापा, मतली होना, उल्टी या चक्कर आना, अधिक रक्तस्त्राव, मुहांसे जैसे कोई दुष्प्रभाव नहीं होते.  इस कारण यह अधिक सुरक्षित है.
तो आप भी लॉक डाउन के दौरान निश्चिंत होकर घर पर अपने साथी के साथ रोमांस कर सकतें है, हमबिस्तर हो सकतें हैं. बस ऊपर बताई गई बातों का ख्याल आप को रखना होगा. आप यह न सोचें की आप को इस इमरजेंसी में गर्भनिरोधक साधन कहाँ मिलेंगे. आप इसे स्वास्थ्य कर्मियों से मुफ्त में घर मंगा सकतें हैं इसके अलावा सेल्फ कंट्रोल द्वारा पुलआउट मैथेड का प्रयोग भी कर सकतें हैं. इस लिए इन बातों का ध्यान जरुर रखें नहीं तो लॉक डाउन की पाबंदियां अनचाहे गर्भ के रूप में सामने आ सकतीं हैं.
इन उपायों के अलावा भी अनचाही प्रैग्नेसी से बचनें के कई स्थाई और अस्थाई उपाय हैं जिसका उपयोग किया जा सकता है. लेकिन यह समय बाकी के उपायों के अजमाने का नहीं हैं. इसे लिए इन्हीं उपायों के सहारे आप साथी के साथ को हसीन बना सकतें हैं.

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भोजपुरी अभिनेता आनंद ओझा रियल हीरो के रूप में लोगों के लिए बनें मसीहा

Lockdown के चलते देश भर में डौक्टर्स और पुलिस की जिम्मेदारी बढ़ गई है. यह लोग कोरोना प्रकोप के चलते न ही पूरी नींद ले पा रहें हैं और न ही इन्हें भरपेट पेट भोजन मिल रहा है. फिर भी देश के असली हीरो के रूप में यह लोग डटे हुए है.

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इसी में एक नाम आनंद ओझा (Anand Ojha) का भी है. वह भोजपुरी के सफलतम अभिनेताओं में गिने जाते हैं. उन्होंने कई हिट फ़िल्में भी दी हैं. आनंद ओझा सिर्फ फिल्मों के हीरो ही नहीं हैं बल्कि वह रियल हीरो है. इन दिनों वह आगरा जोन में उत्तर प्रदेश सरकार में ट्रैफिक इन्सपेक्टर के रूप में सेवा दे रहें हैं. आनंद ओझा एक पुलिस अधिकारी के रूप में दिन रात लॉक डाउन में सेवा देकर यह साबित कर दिया है की वह रियल लाइफ के भी हीरो हैं.

एक ट्रैफिक इंस्पेक्टर के रूप में वह लोगों की मदद मे दिन-रात लगे हैं. वह आगरा में फंसे लोगों के लिए दिन रात एक कर ना केवल कानून व्यवस्था बनाए रखने में अपनी भूमिका  निभा रहें है. बल्कि वह चप्पे- चप्पे पर अपनी नजर बनाये हुए हैं, ताकी कोई बेसहारा खाली पेट न सो पाये. इसके पहले भी आनंद ओझा नें कोरोना के चलते पलायन करने वालों के लिए आगरा के अलग-अलग हिस्सों में में खुद जाकर राहत सामग्री उपलब्ध कराया. इसके साथ ही उन्होंने उन पलायन करने वालों को सही सलामत उनके घरो तक भेजने मे में मदद भी की.

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अभिनेता और इन्सपेक्टर आनंद ओझा नें बताया की जो भी व्यक्ति आगरा के अंदर फंसा है उसके तत्काल रहने और खाने पीने की व्यवस्था की गई. और जो भी लोग दूसरे राज्यो से पलायन कर आगरा या आगरा के सीमा क्षेत्र मे फंसे है उन्हे घबराने की जरूरत नहीं है. आगरा पुलिस उनकी सेवा के लिए हर वक्त मदद के लिए तत्पर हैं, बस वह अपना धैर्य बनाये रखें.

आनंद ओझा जल्द ही काजल रघवानी के साथ फिल्म  “रण” में नजर आयेंगे. यह फिल्म से जुड़े लोगों का कहना है की यह फिल्म भोजपुरी सिनेमा की बड़ी बजट वाली फिल्मों में शुमार है. इसके अलावा इस साल उनकी दर्जन भरके करीब फ़िल्में रिलीज होने वाली है. आनंद ओझा नें अपनी फिल्म “पुलिसगीरी” में अपने रोल की बदौलत दर्शकों पर अलग ही छाप छोड़ी थी. इस फिल्म में आनंद ओझा के साथ ही काजल राघवानी, मनोज सिंह टाइगर, संजय पाण्डेय, सीपी भट्ट ,रितु पाण्डेय, ने भी अपनी एक्टिंग का जलवा बिखेरा था.

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जानें इस Lockdown में क्या कर रहें हैं भोजपुरी फिल्मों के स्टार विलेन देव सिंह

भोजपुरी फिल्मों में अपनें दमदार अभिनय की बदौलत निगेटिव किरदार निभा कर चर्चित स्टार अभिनेता देव सिंह (Dev Singh) ने अलग ही छवि बनाई है. इस साल उनकी कई फ़िल्में प्रदर्शित होनें वाली हैं और कई फिल्मों का शेड्यूल भी लगा हुआ था. लेकिन कोरोना के चलते लगाये गये Lockdown के चलते चल रही शूटिंग बीच में ही कैंसिल करनी पड़ी तो फिल्मों के शूटिंग के लिए पहले से तय तारीखें भी आगे बढ़ानी पड़ी. इस दशा में अभिनेता देव सिंह भी दूसरे एक्टर्स की तरह घर में अपने पत्नी और बच्चे के बीच इज्वाय कर रहें हैं.

इस Lockdown के बीच उपजी बोरियत को भगाने के लिए देव सिंह बहुत ही फनी तरीकें अपना रहें हैं जिससे जुडी तस्वीरें और वीडियोज वह अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर शेयर करते रहतें हैं.

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Lockdown के बीच हाल ही में उन्होंने अपने इन्स्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर किया है जिसमें वह अपने एक साल के बच्चे की तेल मालिश कर रहें हैं. इन्स्टाग्राम पर शेयर इस वीडियो के कैप्सन में उन्होंने लिखा है “अपना लॉक डाउन चालू है,,आंनद है इसमें. सोनम जी ने चोरी से वीडीयो बना दिया”. सोनम उनके पत्नीं का नाम हैं.

 

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तंदूरी चाय ☕ गुड़ वाली, ख़ुद के द्वारा निर्मित

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वहीं इन्स्टाग्राम पर ही शेयर किये गए एक दूसरे वीडियो में वह किचन में कुछ बनाते हुए नजर आ रहें अब क्या बना रहें हैं इसके बारे में उन्होंने खुद ही वीडियो के कैप्सन लिखा है “तंदूरी चाय गुड़ वाली, ख़ुद के द्वारा निर्मित” वैसे इस वीडियो को देख कर भी आप जान जायेंगे की देव क्या कर रहें है क्यों की इस वीडियो मेंवह छलनी से कप में चाय छानते हुए नजर आ रहें हैं.

 

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देवांश बाबू अपना सहयोग करते हुए।।

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शेयर किये गए एक वीडियो में अपने बेटे देवांश को पीठ पर बैठा कर वर्कआउट करते नजर आ रहें है तो एक दूसरे वीडियो में वह बेटे को पैरों पर बैठा कर वर्कआउट कर रहें हैं. इस वर्कआउट वीडियो के कैप्शन में उन्होंने लिखा है “लॉकडाउन का मज़ा लेते हुए,परिवार के साथ टाइम स्पेंड कर रहा हूं. फोन खराब होने की वजह से दूर था, अब फोन आ गया, लेकिन बिना फोन के ज्यादा सुकून था. वक़्त है एन्जॉय करिए परिवार के साथ, सतर्क रहिये सुरक्षित रहिये.”एक वीडियो में उन्होंने नें किसी का चैलेन्ज भी एक्सेप्ट किया है जिसे भी उन्होंने शेयर किया है.

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वह अपने पोस्ट में लोगों को कोरोना से बचाव को लेकर जागरूक करनें वाले पोस्ट भी कर रहें हैं. जिसके जरिये वह लोगों से वह सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखनें की अपील करते नजर आ रहें हैं.

 

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Stay home ,stay safe🙏

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देव सिंह नें भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री मे कई यादगार रोल किये हैं जिसमें मैं सेहरा बांध के आऊंगा, भाई जी, बजरंग, इंडियन मदर, मोकामा जीरो किलोमीटर, जिगर, लागी नहीं छूटे रामा, रब्बा इश्क न होवे, डमरू, पवन राजा , राजा जानी, संघर्ष,  निरहुआ चलल ससुराल 2, पत्थर के सनम, राज तिलक, लल्लू की लैला, स्पेशल इनकाउंटर, कुली नंबर, जिद्दी, के रोल को दर्शकों ने खूब पसंद किया था. इन दिनों वह भोजपुरी इंडस्ट्री के सबसे व्यस्त अभिनेता हैं वह हर साल दर्जन भर से अधिक फ़िल्में करते हैं. यही कारण विलेन के रूप में भोजपुरी बेल्ट में दर्शकों के बीच वह काफी पॉपुलर हैं.

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अंधविश्वास को बढ़ावा : बिहार में ‘कोरोना माई’ की पूजा

तकरीबन हर साल जूनजुलाई  महीने में बिहार के गांवों में कोई न कोई अफवाह फैलती है. किसी साल कोई ‘लकड़सुंघवा’ बच्चों को लकड़ी सुंघा कर बेहोश कर के चुराता है, तो किसी साल कोई ‘मुंहनोचवा’ छत पर या बाहर सोए लोगों का रात में आ कर मुंह नोच लेता है, तो किसी साल ‘चोटीकटवा’ का हल्ला होता है, जिस में सोई हुई लड़कियों के रात में बाल कट जाते हैं और लड़की बेहोश हो जाती है.

इस साल ‘कोरोना माई’ के बिगड़ने की अफवाह उतरी, बिहार के छपरा, गोपालगंज और सिवान जिले में यह अफवाह फैलाई गई. इस सिलसिले में वीडियो बना कर एंड्रायड मोबाइल फोन से वायरल किया गया. नतीजतन, दलित और निचले तबके की औरतें ‘कोरोना माई’ की पूजा कर रही हैं. लोगों को यकीन है कि इस से बिगड़ी ‘कोरोना माई’ का गुस्सा शांत होगा और इस बीमारी में कमी आएगी.

इस संबंध में एक औरत वीडियो के जरीए एक कहानी बताती है कि एक खेत में 2 औरतें घास काट रही थीं. वहीं बगल में एक गाय घास चर रही थी. कुछ देर के बाद वह गाय एक औरत बन गई. इस के बाद घास काट रही औरतें डर कर भागने लगीं.

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तब गाय से औरत ने कहा, ‘तुम लोग डरो नहीं. हम कोरोना माता हैं. अभी हम नाराज हैं, जिस का ही प्रकोप आजकल कोरोना के रूप में देखा जा रहा है. देश में मेरा प्रचारप्रसार करो और सोमवार और शुक्रवार को मेरी पूजा करो. इस से हम खुश हो जाएंगे. अगर इसे कोई मजाक में लेता है या हंसता है, तो इस का अंजाम बहुत ही बुरा होगा…’

वीडियो में पूजा करने की पूरी विधि भी बताई गई. इस वीडियो के वायरल होते ही कई गांवों में औरतें पूजा करते देखी गईं.

एक तरफ कोरोना के इस संकट से निकलने के लिए पूरी दुनिया में इस का इलाज ढूंढ़ने के लिए वैज्ञानिक रातदिन लगे हुए हैं, वहीं बिहार के गांवों में ‘कोरोना माई’ की पूजा की जा रही है और इस तबके को विश्वास है कि इस से कोरोना जरूर खत्म हो जाएगा. इस दौरान सोशल डिस्टैंसिंग का भी खयाल नहीं रखा जा रहा है. मास्क का भी इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है.

सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिस में एक औरत बता रही है कि कोरोना कोई वायरस नहीं, बल्कि देवी का एक रूप है. रजंती देवी, मालती देवी, संगीता देवी जैसी औरतें बताती हैं कि अगर ‘कोरोना माई’ की पूजा की जाएगी तो इन का प्रकोप कम हो जाएगा और देवी खुश हो कर लौट जाएंगी. इस अफवाह ने इतना जोर पकड़ा कि छपरा, गोपालगंज और सिवान से  औरतों की पूजा करने की खबरें आने लगीं. ऐसी औरतें 9 लड्डू, उड़हुल के 9 फूल और 9 लौंग से ‘कोरोना माई’ की पूजा कर रही हैं. औरतें पहले एक फुट गड्ढा खोद रही हैं और उस में 9 जगह सिंदूर लगाया जा रहा है और फिर 9 लड्डू, 9 लौंग और उड़हुल के 9 फूल उस में डाल कर मिट्टी से भर दिया जा रहा है.अगरबती जलाई जा रही है. कहींकहीं तो लड्डू की माँग इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि दुकान में लड्डू तक नहीं मिल रहे हैं.

पहले अफवाह एकदूसरे से बातचीत के जरीए फैलती थी, पर आजकल अफवाहें सोशल मीडिया के जरीए फैलाई जा रही हैं. डिजिटल इंडिया का इस्तेमाल इन अफवाहों को फैलाने में किया जा रहा है. डिजिटल इंडिया पर हम गर्व तो नहीं पर इस तरह की घटनाओं से शर्म ही कर सकते हैं. सरकार और हुक्मरान चाहते तो वीडियो बनाने वाली औरत को गिरफ्तार किया जा सकता था. अफवाह फैलाने के जुर्म में उसे सजा दी जा सकती थी, लेकिन सरकार भी यही चाहती है कि इस देश का निचला तबका इन्हीं चीजों में उलझा रहे, दूसरी समस्याओं की तरफ उस का ध्यान नहीं जाए. पढ़ेलिखे लोग भी इन औरतों को समझा नहीं रहे हैं. इस की वजह से इस अंधविश्वास का रूप और बढ़ता जा रहा है.

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सरकार विज्ञान को बढ़ावा देने का झूठा राग जितना भी अलाप ले, उस का अंतिम हश्र यही होता है कि जनता झाड़फूंक और अंधविश्वास में ही लिप्त हो जाती है. इस कोरोना काल में इन देवीदेवताओं और मंदिरमसजिद से बहुत लोगों का विश्वास जब उठने लगा तो सरकार की तरफ से तत्काल मंदिरों को खोलने का आदेश जारी किया गया. पूरे देश के कई हिस्सों में कोरोना से नजात पाने के लिए हवन और पूजा करने की भी खबरें आ रही हैं. मौलाना लोग नमाज पढ़ कर कोरोना के खत्म होने की दुआ मांग रहे हैं. और ये लोग ही बोलते हैं कि जब पूजापाठ और हवन से ही इस बीमारी से मुक्ति मिल सकती है तो दवा की बात क्यों करते हो? इस देश में लोगों को अंधविश्वास और धार्मिक जाल में उलझा कर देश के हुक्मरान अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने में कामयाब हो रहे हैं.

सामाजिक सरोकारों से जुड़े गालिब साहब ने कहा कि हम जैसा समाज बनाएंगे, वैसा ही उस का नतीजा भी सामने आएगा. वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने की तो बात छोड़ ही दीजिए. सरकार द्वारा अंधविश्वास और धार्मिक नफरत फैलाने की साजिश बड़े पैमाने पर लगातार जारी है.

इस Lockdown में हों रहें हैं बोर तो घर बैठें देखें यह Comedy फिल्में

काम के सिलसिले में हर वक्त बिजी रहनें वाले लोगों के लिए यह समय बहुत ही बोरियत वाला साबित हो रहा हैं. कई लोगों का कहना है की अगर ऐसा ही रहा तो वह मानसिक बिमारियों का शिकार भी हो सकतें हैं. ऐसी स्थिति में दिमाग को फ्रेस रखना बहुत ही जरुरी हो जाता है. इस समय हम घर पर कुछ क्रिएटिव सोच सकतें हैं, कुछ पुराने खेलों को खेल सकतें हैं, अगर लेखन का शौक है तो लिख भी सकतें हैं.

फिर भी अगर आप यह भी नहीं कर सकें तो आप बौलीवुड की बेहतरीन कौमेडी फिल्मों को देख कर अपनी बोरियत और दिमागी परेशानी को दूर करने कर सकतें हैं. तो अपने समय की बौलीवुड की बेहतरीन 10 फिल्मों के बारे में हम बता रहें हैं जिसे देख कर आप फुल एंटरटेनमेंट का मजा ले सकतें हैं. यह सभी फिल्में यूट्यूब पर हाई डेफिनेशन (HD) क्वालिटी में फ्री में देखे जाने के लिए उपलब्ध हैं.

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मुन्नाभाई एमबीबीएस…

वर्ष 2003 में प्रदर्शित हुई इस फुल कौमेडी फिल्म को दर्शकों ने खूब पसंद किया था. इस फिल्म में कौमेडी के साथ-साथ सिस्टम और समाज के लिए सन्देश भी था. फिल्म के निर्देशक राज कुमार हीरानी, निर्माता   विधु विनोद चोपड़ा थे. फिल्म में संजय दत्त का जबरदस्त अभिनय देखने को मिला था. इसके अलावा,अरशद वारसी,सुनील दत्त,ग्रेसी सिंह,बोमन ईरानी, जिमी शेरगिल नें भी लोगों पर अमिट छाप छोड़ी थी.

गरम मसाला…

3 नवंबर, 2005 को प्रदर्शित हुई इस फिल्म के निर्देशक प्रियदर्शन थे. फिल्म में जौन अब्राहम, अक्षय कुमार, परेश रावल, रिमी सेन, राजपाल यादव, नेहा धूपिया, नीतू चन्द्रा, असरानी, लक्ष्मी पंडित, मनोज जोशी, विजू खोटे, की जबरदस्त कौमेडी देखने को मिली थी.

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धमाल…

वर्ष 2007 में प्रदर्शित हुई इस फिल्म नें अपनी कौमेडी के जरिये लोगों का खूब मनोरंजन किया था.  फिल्म में अभिनेता संजय दत्त, अरशद वारसी, जावेद जाफरी और असरानी नें अपने कौमेडी से लोगों को खूब हंसाया था. इस फिल्म का निर्देशन इन्द्र कुमार नें किया था और निर्माता भी इंद्र कुमार ही थे.

पीके…

इस फिल्म का निर्देशन राजकुमार हिरानी ने किया और इस फिल्म के निर्माता राजकुमार हिरानी के साथ-साथ विधु विनोद चोपड़ा और सिद्धार्थ रौय कपूर थे. फिल्म का प्रदर्शन वर्ष 2014 में हुआ था. इस फिल्म में आमिर खान, अनुष्का शर्मा, संजय दत्त, बोमन ईरानी और सुशांत सिंह राजपूत ने मुख्य भूमिका निभाई थी. इस फिल्म ने 642 करोड़ का बिजनेस किया था. जिस आधार पर यह फिल्म भारत की सबसे सफल फिल्मों की लिस्ट में शुमार है.

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गोलमाल…

वर्ष 2006में प्रदर्शित इस फिल्म का निर्देशन रोहित शेट्टी ने किया है. फिल्म में अजय देवगन, अरशद वारसी, तुषार कपूर नें मुख्य भुमिका निभाई थी. इस फिल्म नें फुल कौमेडी के जरिये लोगों को खूब हंसाया था. इस फिल्म की तीन और सीक्वेल भी बन चुकी है. यह फिल्म भी कमाई के मामले में अव्वल रही थी.

एंटरटेनमेंट…

https://www.youtube.com/watch?v=LXXkiUKDK4w

वर्ष 2014 में प्रदर्शित इस फिल्म में अक्षय कुमार और तमन्ना भाटिया ने मुख्य भूमिका निभाई हैं. इसके साथ ही मिथुन चक्रवर्ती, जॉनी लीवर, सोनू सूद, प्रकाश राज और कृष्णा अभिषेक भी अपनी कॉमेडी के जरिये दर्शकों पर छाप छोडनें में कामयाब रहे थे. फिल्म का निर्देशन साजिद-फ़रहाद द्वारा किया गया था.

हेराफेरी…

फिल्म का निर्देशन निर्देशक प्रियदर्शन नें किया था और निर्माता ऐ जी नाडियावाला नें किया. फिल्म में मुख्य भूमिका परेश रावल, अक्षय कुमार, सुनील शेट्टी, तब्बू नें निभाई थी.

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फिर हेराफेरी…

फिल्म का प्रदर्शन वर्ष 2006 में हुआ था फिल्म की मुख्य भूमिकाओं में भूमिका परेश रावल, अक्षय कुमार, सुनील शेट्टी, रहे थे.

वेलकम…

https://www.youtube.com/watch?v=bOqFGkFO3Lo

निर्देशक अनीस बज़मी के निर्देशन में बनीं इस फिल्म नें दर्शकों को खूब गुदगुदाया था. फिल्म में अक्षय कुमार,नाना पाटेकर,अनिल कपूर,मल्लिका शेरावत,कैटरीना कैफ़,फ़िरोज़ ख़ान,परेश रावल,मलाइका अरोरा, विजय राज़, नें मुख्य भूमिकाएं निभाई थीं, यह फिल्म वर्ष 2007 में प्रदर्शित हुई थी.

भागम भाग…

https://www.youtube.com/watch?v=6FqUN9MO0zc

वर्ष  2006 में प्रदर्शित होने वाली इस फिल्म नें अपनी कॉमेडी के जरिये लोगों को खूब गुदगुदाया था. फिल्म का निर्देशन प्रियदर्शन ने और निर्माण सुनील शेट्टी ने किया था. इस फिल्म में गोविंदा, अक्षय कुमार और परेश रावल मुख्य भूमिकाओं में रहे थे.इनके अलावा इस फिल्म में लारा दत्ता, जैकी श्रॉफ और अरबाज़ ख़ान भी नें भी बेहतरीन अभिनय किया था.

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उड़ता बिहार

धनबाद और बोकारो जिले की सरहद के पास बसे अमलाबाद इलाके में बिहार से आ कर रह रहे पासियों की लौकडाउन में लौटरी ही लग गई है. धनबाद में शराब की तमाम दुकानें बंद होने के चलते शराबियों को आसानी शराब नहीं मिल रही है. अगर शराब मिल भी रही है, तो उन्हें चोरीछिपे इसे खरीदने के लिए मोटी कीमत चुकानी पड़ रही है. पहले 500 रुपए में मिलने वाली शराब के लिए उन्हें अब 1,000 से 1,200 रुपए देने पड़ रहे हैं, जिस का सीधा असर उन की जेब पर पड़ रहा है. साथ ही, इतनी मोटी रकम चुकाने के लिए शराबी तैयार भी नहीं दिखते.

बढ़ी ताड़ी की मांग

शराबबंदी के चलते अब कई शराबी शराब की जगह ताड़ी पीने को मजबूर हो गए हैं. यह ताड़ी उन्हें कम पैसे में मिल रही है. नशेड़ियों का मानना है कि जो नशा 500 रुपए की शराब में होता था, वही नशा 40 रुपए की ताड़ी में होता है.

इन लोगों का यह भी कहना है कि लौकडाउन के चलते 500 रुपए की शराब 1,200 रुपए तक में मिलने लगी है. इस वजह से लोग शराब छोड़ कर ताड़ी पीने लगे हैं. अमलाबाद से सटे भौंरा, सुदामडीह, डिगवाडीह के रहने वाले लोग सुबह दामोदर नदी पार कर पैदल ही अमलाबाद पहुंच जाते हैं. इन्हें लौकडाउन की भी कोई परवाह नहीं होती और न ही इन पर किसी तरह की ठोस कार्यवाही की जा रही है.

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गोली का गोलमाल

अचानक से बढ़ी ताड़ी की मांग को देख ताड़ी बेचने वाले पासी भी जम कर फायदा उठा रहे हैं और ताड़ी में ज्यादा नशा करने के लिए वे एक दिन या 2 दिन पुरानी ताड़ी और उस में नशे की कोई गोली मिला कर लोगों को दे रहे हैं, जिस वजह से इन दिनों ताड़ी पीने वाले लोगों के लिए भी खतरा बढ़ गया है.

इधर नशा न मिलने पर बिहार का रहने वाला कमल दवा की दुकानों व दूसरी दुकानों पर भटकता फिर रहा है, पर उसे कहीं नशा नहीं मिल पा रहा. वह कहता है, ‘‘आप की कोई पहचान वाला हो तो दिलवा दो भाई साहब, क्योंकि अब मुझ से नशे के बिना रहा नहीं जा रहा है.”

कमल का आगे कहना है कि उस के जैसे कई लोग हैं जो नशे के लिए भटक रहे हैं. चाहो तो शहर की बस्तियों में सर्वे करवा लो. एक स्टडी के मुताबिक, कोरोना संक्रमण के डर से, अकेलेपन से घबरा कर, आनेजाने की मनाही से बड़ी तादाद में लोगों ने खुदकुशी की है. मिसाल के तौर पर विड्रोल सिम्टम्स से ठीक तरह से निकल पाने के साथ लोगों ने आफ्टर शेव लोशन या सैनेटाइजर पी लिया, जिस से कइयों की जान भी जा चुकी है.

कोरोना के चलते लौकडाउन होने से मुजफ्फरपुर समेत 11 जिलों में मानसिक रोगियों की तादाद बढ़ रही है. बेचैनी, घबराहट, चिंता, माइनिया व डिप्रैशन के मरीजों की तादाद में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. इन में कई ऐसे हैं जिन में खुदकुशी करने की सोच की शिकायत मिली है और कइयों ने नशा का रुख अपना लिया है.

नशे के मामले में बिहार भी पंजाब की राह पर चल पड़ा है. राजधानी पटना और आसपास के इलाकों  में ड्रग्स का कारोबार तेजी से फैल रहा है. हेरोइन, ब्राउन शुगर और गांजा जैसी नशीली चीजों के सौदागरों की लगातार गिरफ्तारी से इस बात की तसदीक हो रही है कि बिहार में ड्रग्स के जब्त किए जाने का ग्राफ बढ़ता ही जा रहा है.

दरअसल, यह ग्राफ सरकार ही दिखा रही है और यह भी बता रही है कि कैसे ट्रेन और हवाईजहाज से अब नशीली चीजें बिहार पहुंच रही हैं. बिहार सरकार ने भले ही शराब के कारोबारियों के अरमानों पर बुलडोजर चला दिया हो, लेकिन बिहार में नशे के सौदागरों की जड़ें और मजबूत हो गई हैं.

सरकार भले ही दावा करती है कि बिहार में शराबियों की तादाद अब कम हो गई है, लेकिन हकीकत यह है कि बिहार अब उड़ता पंजाब की तरह उड़ता बिहार बन चुका है, जहां राजधानी पटना से ले कर हर शहर, कसबे तक में नशे के सौदागरों का जाल बिछ गया है. चाहे पड़ोसी देश नेपाल का ड्रग माफिया हो या मुंबई से ले कर कोलकाता तक के नशे के सौदागर, सभी का नैटवर्क बिहार में फैला हुआ है. सरकारी रिपोर्ट की ही मानें तो शराबबंदी के बाद बिहार में नशीली चीजों की बरामदगी का आंकड़ा 1000 गुना बढ़ गया है. ब्राउन शुगर, अफीम, गांजा, चरस और हेरोइन से ले कर नशे की दवाओं का सेवन इस कदर बढ़ा है कि शराबियों की तादाद भी पीछे छूट गई है.

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आखिर क्या हो रहा है ? बिहार में ऐसी चीजों की तस्करी एकाएक कैसे बढ़ गई? कैसे बिहार में नशे का कारोबार रोजाना फलफूल रहा है? यह सब पुलिस के लिए भी परेशानी का सबब बना हुआ है.

पटना में बड़ा गिरोह

साल 2016 में पटना पुलिस ने थाईलैंड से आई हेरोइन पकड़ी थी. चूंकि इस की कीमत ब्राउन शुगर से ज्यादा होती है, इसलिए तस्करों ने इसे बेचना शुरू कर दिया. पिछले 6 महीने में डीआरआई (डायरैक्टोरेट औफ रेवेन्यू इंटैलिजैंस) और बिहार पुलिस ने 30 क्विंटल से ज्यादा गांजा जब्त किया है. वहां साढ़े 6 किलो चरस, 15 किलो ब्राउन शुगर और हेरोइन बरामद की जा चुकी है.

पटना में ब्राउन शुगर ने भी पैर पसार लिए हैं. भाभीजी उर्फ राधा का गिरोह बड़े पैमाने पर यह काम कर रहा है. पुलिस ने उसे 10 लाख रुपए और एक किलोग्राम ब्राउन शुगर के साथ गर्दनीबाग से दबोचा था, वह इन रुपयों से नशे का स्टॉक करने जा रही थी.

इस के बाद अभिमन्यु नामक एक शख्स को 4 किलोग्राम ब्राउन शुगर के साथ पकड़ कर जेल भेजा गया. बेउर जेल में रहने के बावजूद भाभीजी ने धंधा जारी रखा. इस राज पर से परदा तब उठा, जब 3 दिन पहले पोस्टल पार्क से उस के गुरगे सुदामा की गिरफ्तारी हुई. सुदामा के कमरे में पुलिस ने 2.111 किलोग्राम गांजा और 80,000 की नकदी बरामद की थी.

सुदामा ने बताया कि भाभीजी जेल से उसे फोन से बताती है कि कब, कहां और किस के पास माल लेना है. माल (ब्राउन शुगर) ले कर वह कमरे में आता था, एक ग्राम पुड़िया तैयार करता था, जिसे वह एजेंट को 400 रुपए में बेच देता था.

एजेंट नशे के आदी लोगों को 100 रुपए मुनाफे पर एक पुड़िया बेचता था. केवल सुदामा के जरीए भाभीजी उर्फ राधा जेल में रहते हुए 50 लाख रुपए का कारोबार कर लेती थी. उस के जैसे कितने लोग भाभीजी के लिए काम कर रहे हैं , यह उसे नहीं पता.

नैटवर्क दूसरे राज्यों तक

हेरोइन की खरीद और बिक्री के लिए आरा शहर का गंगा इलाका भी बदनाम हो रहा है. यहां के तस्करों का नैटवर्क बिहार की राजधानी पटना से ले कर, झारखंड, कोलकाता और दिल्ली तक फैला हुआ है. भोजपुर का बिहिया और शाहपुर इलाका भी इस की जद में है.

बिहार के बक्सर जिले के कई इलाकों के अलावा शहर के शांतिनगर को हेरोइन की उपलब्धता के लिए चिन्हित  किया गया है. 28 मार्च, 2019 को बिहार की भोजपुर पुलिस ने झारखंड के जसीडीह इलाके के गिधनी गांव के बाशिंदे सिकंदर को गिरफ्तार किया था. उस के पास से ब्राउन शुगर की 300 पुड़िया बरामद की गई थी. पूछताछ में पता चला कि बरामद ब्राउन शुगर आरा शहर के गंगाजी इलाके से खरीदने के बाद झारखंड में बेचा जाता है.

अब तक की पूछताछ से पुलिस को जो जानकारी मिली है उस के मुताबिक बक्सर जिले से हेरोइन की तस्करी उत्तर प्रदेश के गाजीपुर से संचालित की जाती है. वहां से माल बक्सर आता है, फिर बक्सर से दूसरे ब्लौकों में रहने वाले तस्करों को इस की सप्लाई की जाती है.

बिहार में पूरी तरह से नशाबंदी है. इस के लिए कठोर कानून भी लागू है, जिस के तहत बिहार में शराब बेचना, पीना और रखना कठोर दंडनीय अपराध है, लेकिन शराबबंदी कानून के लागू होने के बाद भी बिहार के लोग खासकर नौजवान पीढ़ी नशे के लिए तरहतरह की नशीली चीजों का सेवन करने लगे हैं. शराबबंदी के बाद बिहार ड्रग माफिया के लिए बड़े मार्केट में तबदील होता जा चला गया और लोग नशे की तलाश में नएनए रास्ते तलाशते चले गए, जिस में चरस, गांजा, अफीम, हेरोइन के बाद सांप के जहर का भी खूब इस्तेमाल होने लगा.

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नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के पटना जोन के मुताबिक, ओपियम और हाशिश जैसी ड्रग्स के जब्ती मामले में बिहार देश में अव्वल है. गांजा जब्ती में आंध्र प्रदेश के बाद बिहार दूसरे नंबर पर है. सब से खास बात यह है कि साल 2015 के बाद बिहार में ड्रग्स की जब्ती में 1000 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी. साल 2015 में 14.4 किलो ग्राम गांजा जब्त हुआ, साल 2016 में यह 10,800 किलोग्राम हो गया और साल 2017 में 28,888 किलोग्राम की जब्ती यह बताने को काफी है कि शराब का विकल्प गांजा बना.

साल 2015 में बिहार में हशिश जैसे नशीली चीज की कोई जब्ती नहीं हुई, जबकि साल 2017 में यह 244 किलोग्राम हो गया, 2015 में 1.7 किलोग्राम ओपियम जब्त हुआ, जबकि साल 2016 में 14 किलोग्राम और साल 2017 में यह आंकड़ा 329 किलोग्राम पहुंच गया.

नशे के बाजार की पड़ताल

राजधानी पटना की सड़कों पर जब न्यूज 18 ने एक खबर शुरू की तो महज 10 साल के बच्चे ने सब के होश फाख्ता कर दिए और राज्य सरकार की तमाम बंदिशों को ठेंगा दिखाते हुए बताया कि हर दुकान में इन दिनों नशे का कारोबार चल रहा है. जब न्यूज 18 ने इस जाल में फंसे लोगों की नजात में जुटे पटना के सब से बड़े अस्पताल ‘पीएमसीएच’ में जानकारी लेनी चाही तो डाक्टर के साथ मरीज के सवालों ने भी सब को चौंका दिया.

नशे के मकड़जाल में फंसे लोगों को इस जाल से निकालने में जुटी संस्थाओं की भी मानें तो इन संस्थाओं में भी मरीजों की तादाद में इजाफा हुआ.

बिहार के मुख्यमंत्री भी ड्रग्स के इस फैलते जाल से हैरान थे. इधर विपक्ष ने भी शराबबंदी को ही मुख्य मुद्दा बना डाला. राजद के एक नेता का कहना था कि नीतीश सरकार ने जब शराबबंदी का ऐलान किया था, तो यह आत्ममुग्धता वाला कदम था. कोई फ्रेमवर्क नहीं था. कोई तैयारी नहीं थी, इसलिए नशाबंदी में कोई कमी नहीं आई, जिस का नतीजा बिहार भुगत रहा है.

तस्कर नएनए तरीकों से ड्रग्स की तस्करी में जुटे हैं. पटना में गांजा की खेप पकड़ी गई. यह तस्करों का खेल बड़े ही शातिर दिमाग के साथ खेला जा रहा है. सरकार के डाक महकमे के जरीए तस्करी की जा रही है.

बिहार एसटीएफ एसओजी-एक की टीम ने पटना जंक्शन पर बनी रेल मेल सर्विस यानी आरएमएस से तकरीबन डेढ़ क्विंटल गांजे को जब्त किया था. रेलवे पोस्टल महकमे के दफ्तर में रखी गई 7 बोरियों को जब खोला गया तो उस में 13 बंडल मिले और हर बंडल में 10-10 किलोग्राम गांजा रखा था. गांजे के इन बंडलों की पैकिंग इस अंदाज में की गई थी कि किसी को भी भनक न लगे.

जानकारों के मुताबिक, यह गांजे की तस्करी का बिलकुल ही नया तरीका सामने आया. 130 किलोग्राम गांजे की इस खेप को त्रिपुरा से हाजीपुर के लिए बुक कराया गया था. लेकिन यह जान कर हैरानी होगी कि यह खेप सीधे सड़क या ट्रेन से नहीं, बल्कि फ्लाइट के जरीए पटना लाई गई था और फिर ट्रेन से उसे जगहजगह पहुंचाया गया था. इतना ही नहीं, सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ ) की एक टीम ने सांप के 1.87 किलोग्राम जहर पाउडर के साथ 3 लोगों को गिरफ्तार किया था.

आंकड़ों में नशे का कारोबार

जुलाई, 2017 के जो आंकड़े सामने आए हैं, वे काफी चौंकाने वाले थे. शराबबंदी के बाद कुल दर्ज मामले, 25,528 थे, जबकि कुल गिरफ्तारियां 35,414 तक थीं. इस में देशी शराब की जब्ती 3,85,719 लिटर थी और विदेशी शराब की जब्ती 5,961,172 लिटर थी. अप्रैल, 2016 से जून, 2017 तक 1,931 दोपहिया वाहनों को जब्त किया गया, जबकि 739 अन्य वाहन जब्त किए जिन में ट्रक भी शामिल थे. दिलचस्प बात यह है कि ऐसे ही एक ट्रक की 8.5 लाख रुपए में नीलामी की गई थी. 284 निजी भवन या भूखंडों को सील किया गया था और 59 कमर्शियल भवनों मसलन होटल वगैरह पर ताला लगाया गया था.

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शराब नष्ट करने का आंकड़ा देखें तो जून, 2017 तक 97,714 लिटर देशी शराब और 15,8,829 लिटर विदेशी शराब नष्ट की गई थी. शराबबंदी के बाद, बिहार के अलगअलग हिस्सों में साल 2015-16 में 2,492 किलोग्राम गांजा, 17 किलोग्राम चरस, 19 किलोग्राम अफीम, 205 ग्राम हेरोइन के अलावा नशीली दवाओं की 462 गोलियां बरामद की गईं, वहीं साल 2016-17 में 13,884 किलोग्राम गांजा, 63 किलोग्राम चरस, 95 किलोग्राम अफीम और 71 किलोग्राम हेरोइन के साथ नशीली दवाओं की 20,308 गोलियां जब्त की गईं. हालांकि, यह आंकड़ा सरकारी है, लेकिन विभागीय सूत्रों की मानें, तो बरामदगी इस से कहीं ज्यादा थी.

इंटरस्टेट सिंडीकेट ड्रग्स के कारोबार में सक्रिय है और बिहार में धड़ल्ले से ब्राउन शुगर, सांप के जहर और चरस को असम, त्रिपुरा, ओडिशा और दूसरे राज्यों से लाया जाता है.

खोखला करता नशे का कारोबार

बिहार में नशे का कारोबार तेजी से फलफूल रहा है और शराबबंदी के बाद तो इस में और भी तेजी देखी जा रही है, लेकिन दुखद बात यह है कि नशे के इस दुष्चक्र में किशोर और युवा वर्ग के लोग दिनप्रतिदिन फंसते जा रहे हैं. एक तरह से कहें तो जिस तरह चीन में ब्रिटेन ने अफीम युद्ध शुरू किया, ठीक उसी तरह प्रशासनिक अनदेखी ने देश के किशोर और युवाओं को नशे के दलदल में धकेलने का काम किया है. बिहार के कई इलाकों में नशा करने वाले, जुआ खेलने वाले हर चौकचौराहे पर नजर आ जाएंगे. पुराने खंडहरनुमा मकान, गंदी जगह, टूटीफूटी झोंपड़पट्टी या सुनसान जगहों पर धंसी हुई आंखें, पिचके गाल और बेतरतीब बिखरे हुए बाल के साथ हिलते हुए शरीर इन की पहचान हैं. ये नौजवान ब्राउन शुगर, अफीम, चरस और गांजे का सेवन करते हैं. कुछ तो फोर्टविन नामक इंजैक्शन के आदी भी बन गए हैं.

युवा मन को जोश और उमंग की उम्र कहा जाता है. यही उम्र का वह पड़ाव होता है जब वे अपने भविष्य के सपने बुनते हैं और उन्हें आकार देते हैं, पर आज कुछ युवाओं की नसों में जोश कम और नशा ज्यादा दौड़ रहा है. नशा का कारोबार बढ़ता ही जा रहा है और युवा पीढ़ी नशे की आदी होती जा रही है. जिस युवा पीढ़ी के बल पर भारत विकास के पथ पर प्रगतिशील होने का दंभ भर रहा है, उस युवा पीढ़ी में नशे की सेंध लग रही है, जो दिन पर दिन युवा पीढ़ी में अपने पैर पसार रही है. युवाओं में नशा इस कदर हावी हो गया है कि नशा अब मौजमस्ती की नहीं, बल्कि आज की युवा पीढ़ी की जरूरत बन गया है.

अगर हम आंकड़ों की बात करें तो चाइल्ड लाइन इंडिया फाउंडेशन 2014 की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में 65 फीसदी युवा नशाखोरी से ग्रस्त हैं, जिन की उम्र 18 साल से भी कम है. सरकारी आंकड़ों के हिसाब से देश की 70 से 75 फीसदी आबादी किसी न किसी तरह का नशा करती है, जिस में सिगरेट, शराब व गुटका की ओर युवा सब से ज्यादा आकर्षित हो रहे हैं और 3 में से एक युवा किसी न किसी तरह के नशे का आदी है.

एक सर्वे के मुताबिक, देश में हर रोज तकरीबन 5,500 युवा तंबाकू से बनी चीजों का सेवन करने वालों की श्रेणी में आते हैं. तंबाकू का इस्तेमाल 48 फीसदी चबाने, 38 फीसदी बीड़ी और 14 फीसदी सिगरेट के रूप में होता है. उस में सब से ज्यादा 86 फीसदी तंबाकू खैनी, जर्दा के रूप में इस्तेमाल होता है.

औरतें भी पीछे नहीं

भारत में 12 करोड़ से भी ज्यादा लोग धूम्रपान करते हैं, जिस में 20 फीसदी औरतें धूम्रपान करती हैं. सिगरेट पीने के मामले में भारत की लड़कियां और औरतें अमेरिका के बाद पूरी दुनिया में दूसरे नंबर पर हैं.

वाशिंगटन यूनिवर्सिटी ने साल 1980 से साल 2012 तक 185 देशों में सिगरेट पीने वालों पर एक रिसर्च करने के बाद बताया कि औरतों के धूम्रपान के मामले में भारत दुनिया में दूसरे नंबर पर है. साल 1980 में भारत में तकरीबन 53 लाख औरतें सिगरेट पी रही थीं, जिन की तादाद साल 2012 में बढ़ कर 1 करोड़, 27 लाख तक पहुंच गई.

इस के अलावा शराब का सेवन भी भारतीय युवाओं में तेजी से फैल रहा है जिस में औरतें भी अछूती नहीं हैं. पैरिस की और्गनाइजेशन फोर इकोनौमिक कारपोरेशन ऐंड डवलपमैंट नामक एनजीओ द्वारा अमेरिका, चीन, जापान, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और जरमनी समेत 40 देशों में शराबखोरी के हानिकारक असर संबंधी स्टडी में यह बात सामने आई है कि साल 1992 से साल 2012 तक महज 20 सालों में ही भारत में शराब के उपयोग में 55 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई. 20 साल पहले जहां 300 लोगों में से एक आदमी शराब का सेवन करता था, वहीं आज 20 में से एक से ज्यादा आदमी शराब का सेवन कर रहा है. पर औरतों में इस प्रवृत्ति का आना समस्या की गंभीरता को दिखाता है. पिछले 20 सालों में मद्यपान करने वाली औरतों की तादाद में तेजी से बढ़ोतरी हुई है खासकर अमीर और मध्यम वर्ग की औरतों में यह एक फैशन के रूप में शुरू हुआ और फिर धीरेधीरे आदत में शुमार होता चला गया.

औरतों में मद्यपान की बढ़ती प्रवृत्ति के संबंध में किए गए सर्वे दिखाते हैं कि तकरीबन 40 फीसदी औरतें इस की गिरफ्त में आ चुकी हैं.

विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक, तकरीबन 30 फीसदी भारतीय शराब पीने की लत के शिकार हैं और इन में से 50 फीसदी बुरी तरह शराबखोरी की लत के शिकार हैं. अगर सरकारी आंकड़ों की बात करें तो देश में 50 लाख युवा हेरोइन जैसे नशे के आदी हैं. हेरोइन की तरह युवाओं में नशीली दवाओं का सेवन भी नशे के रूप में तेजी से बढ़ रहा है.

भारतीय राष्ट्रीय सर्वेक्षण की रिपोर्ट की मानें, तो भारत की आबादी का बहुत बड़ा हिस्सा नशीली दवाओं का सेवन ही नहीं करता, बल्कि इस का पूरी तरह से आदी हो चुका है, जिस में पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार समेत कई राज्यों में बड़ी तादाद के लोग शामिल हैं.

भारत में नशे का कारोबार बहुत बड़ा है और यह दिन पर दिन एक विकराल रूप लेता जा रहा है. भारत में हर साल इस का 181 अरब रुपए का कारोबार होता है. राज्यों की बात करें तो इस में पंजाब सब से पहले नंबर पर है. एक गैरसरकारी संस्था की रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब में इस समय 75,000 करोड़ रुपए का ड्रग्स की खपत हर साल हो रही है. यही नहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, तंबाकू के इस्तेमाल के चलते दुनियाभर में 54 लाख लोग हर साल अपनी जान गंवाते हैं, जिस में से 19 लाख मौतें केवल भारत में होती हैं. प्रतिदिन हमारे देश में 2,500 लोग तंबाकू की वजह से मौत के मुंह में जा रहे हैं, वहीं शराब के चलते हर साल लाखों लोग मर रहे हैं.

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अगर सरकार और प्रशासन ने इस दिशा में समय रहते कोई ठोस पहल नहीं की तो एक दिन पूरा देश और युवा भारत नशे की गिरफ्त में होगा, जो आने वाले समय के लिए खतरनाक संकेत है. इस के लिए समाज के सभी वर्गों को जागरूक रहने की जरूरत है, वरना यह देश खत्म होते समय नहीं लगेगा, क्योंकि जब युवा ही नहीं रहेगा, फिर देश का भविष्य क्या होगा, इसलिए सरकार को अपने राजस्व का लालच को छोड़ कर नशे के खिलाफ कोई गंभीर कदम उठाने चाहिए.

लौकडाउन के बीच…

बिहार के हाजीपुर में एक सबइंस्पैक्टर शराब के नशे में धुत्त सड़क किनारे पड़ा मिला जिसे स्थानीय युवकों ने उठाया और नगर थाने की पुलिस को इस की सूचना दी. उस ने खुद ही लोगों को बताया कि वह जहानाबाद टाउन थाने में सबइंस्पैक्टर के पद पर तैनात है. सड़क किनारे पड़े इस पुलिस वाले के कपड़े गीले थे और उस की हालत बेहाल दिखी.

उस पुलिस वाले का कहना था कि वह जहानाबाद से पहले मुजफ्फरपुर जिले के थाने में पोस्टेड था, इसलिए तनख्वाह लेने वहीं जाना पड़ता था. वहीं कुछ लोगों के साथ पार्टी में शराब पी ली थी. लेकिन उसे नहीं पता कि वह मुजफ्फरपुर से हाजीपुर कैसे पहुंच गया?

सोचने वाली बात है कि जब पुलिस ही नियमों को तोड़ रही है, तो आम जनता से क्या उम्मीद की जाए.

भूखे लोगों का बने सहारा

कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए लागू किए गए लौकडाउन में सब से ज्यादा दिक्कत फुटपाथ, रेलवे स्टेशन, बस अड्डे और गलीचौराहे पर घूमने वाले दिमागी या जिस्मानी तौर पर कमजोर और लोगों को हुई है. लोगों के घरों से बाहर न निकल पाने से इन बेघरबार लोगों को भूखे पेट ही रहना पड़ रहा है.

ऐसे लोगों के दर्द को महसूस किया है एक छोटे से कसबेनुमा छोटे शहर सालीचौका के एक नौजवान ने. पत्रकारिता से जुड़ा यह नौजवान उमेश पाली जब एक दिन लौकडाउन की खबरों की तलाश में निकला तो इस ने रेलवे स्टेशन के सूने पड़े प्लेटफार्म पर मैले और फटेहाल कपड़ों में 2 भूखेप्यासे लोगों को देखा. उन लोगों के खानेपीने का इंतजाम कर उमेश पाली ने ऐसे ही दूसरे जरूरतमंद लोगों की मदद करने की ठान ली.

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मदद करने के लिए पत्रकार उमेश पाली ने सोशल मीडिया में एक व्हाट्सएप ग्रुप ‘कोरोना आपदा सेवा ग्रुप’ बना कर शुरुआत में कुछ नौजवानों को अपने साथ जोड़ लिया और आपसी सहयोग से ये सब जरूरतमंदों तक खाना पहुंचाने लगे. धीरेधीरे कसबे के दूसरे लोगों ने भी इस काम में अपना सहयोग देना शुरू कर दिया और अब हालात ये हैं कि हर दिन तकरीबन 40 से 50 जरुरतमंद लोगों को खानेपीने का सामान पहुंचाने का काम इन जागरूक नौजवानों द्वारा किया जा रहा है.

सुबह के 11 बजते ही सालीचौका   के इस व्हाट्सएप ग्रुप पर  मोबाइल में मैसेज आने लगते हैं कि रोटीसब्जी तैयार है. फिर क्या, ग्रुप के सदस्य निकल पड़ते हैं और घरघर जा कर 5-5 रोटी जमा करने का सिलसिला शुरू हो जाता है और तकरीबन एक घंटे में 200 के आसपास रोटियां जमा हो जाती हैं.

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घर में बनी हुई रोटियों के साथ सब्जी, अचार या जो सामग्री घर में बनती है, वह ग्रुप के सदस्यों द्वारा जमा होती है. 30 से 40 परिवार से रोटियां जमा कर के एक जगह पर खाने के पैकेट तैयार किए जाते हैं. ठीक 12 बजे दालचावल या फिर सब्जीरोटी रख कर ग्रुप के सदस्य जरूरतमंद लोगो की तलाश में निकल पड़ते हैं. उन लोगों की सेवा देख कर कसबे के पुलिस थाने के पुलिस अफसर, मुलाजिम भी इस मुहिम से जुड़ गए हैं. पुलिस थाने के मुलाजिम भी अपनी गाड़ी में खानेपीने का सामान ले कर आते हैं और फिर शहर में भूखेप्यासे लोगों के पास जा जाकर भोजन बांट दिया जाता है. पुलिस प्रशासन की देखरेख में यह भोजन जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाया जाता है.

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खुशियां मनाते इस तरह

लौकडाउन के चलते जहां किसी भी तरह के फंक्शन या पार्टी पर बंदिश लगी हुई है, ऐसे में शहर के लोग अपने परिवार वालों के जन्मदिन, शादी की सालगिरह गरीब और बेसहारा लोगों की मदद कर के मना रहे हैं. जरूरतमंद लोगों को खाना खिला कर इस ग्रुप के सदस्यों ने एक नई परंपरा शुरू कर दी है. जिस सदस्य का जन्मदिन या शादी की सालगिरह होती है, वह अपने घर से भोजन, नमकीन ,मिठाई पूरीसब्जी, पापड़ या घर में जो भी बनता है, वह लाता है और उसे जरूरतमंद लोगों में बांट दिया जाता है.

लौकडाउन के शुरुआती दिनों से ही ‘कोरोना आपदा सेवा ग्रुप’ की तरफ से काम रोज किया जा रहा है. जरूरत पड़ने पर ग्रुप के सदस्य आटा, गेहूं, चावल, तेल जैसी खाद्य सामग्री दान भी कर रहे हैं.

क्वारंटीन सैंटरों पर मिलता नाश्ता

लौकडाउन में जन सेवा का ढोंग करने वाले ज्यादातर नेता जनता से दूरी बनाए हुए हैं, वहीं नौजवानों का यह ग्रुप देश के दूसरे शहरों से आए गरीब और मजदूर तबके के लिए नाश्ते का इंतजाम भी कर रहा है. इसी ग्रुप द्वारा गोकुल पैलेस साली चौका में क्वारंटीन सैंटर’ बनाया गया है, जहां पर बाहर से आए हुए तकरीबन 50 लोग रह रहे हैं. उन के लिए सुबह पोहा का नाश्ता ग्रुप के सदस्यों की तरफ से दिया जा रहा है.

और भी संस्थाएं कर रही हैं मदद

लौकडाउन में गरीब, मजबूर और बुजुर्गों की मदद करने के लिए भले ही समाज के पूंजीपति, उद्योगपति और धन्ना सेठों ने मुंह फेर लिया हो, लेकिन निम्नमध्यम वर्ग के लोगों ने मदद के लिए हाथ खोल दिए हैं. नरसिंहपुर जिले की तेंदूखेड़ा तहसील की योगदान सेवा समिति ने आसपास के छोटेछोटे गांवदेहात में पहुंच कर भोजन के पैकेट, जरूरत का सामान और दवाएं तक लोगों को पहुंचाई हैं. पर्यावरण संरक्षण की सोच लिए योगदान समिति के अविनाश जैन वृक्षारोपण के कामों को पिछले 13 साल से करते आ रहे हैं. कोरोना आपदा के समय उन्होंने देखा कि जब सरकारी तंत्र लोगों की मदद करने के बजाय सख्ती से पेश आ रहा है, तो वे अपने साथियों के साथ लोगों की मदद करने के लिए गांवगांव जाने लगे.

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प्रवासी मजदूरों की आवाजाही शुरू होते ही योगदान समिति ने नैशनल हाईवे नंबर 12 पर  मजदूरों को खानेपीने की चीजों के साथ हिफाजत के लिए मास्क और सैनेटाइजर भी बांटे. जब सरकार से पुलिस टीम को पीपीई किट नहीं मिली तो डाक्टर शचींद्र मोदी की मदद से पीपीई किट का इंतजाम किया गया. ‘पैड वुमन’ माया विश्वकर्मा की ‘सुकर्मा फाउंडेशन’ नाम की गैरसरकारी संस्था तो सड़क पर कैंप लगा कर प्रवासी मजदूरों को भोजन कराने के बाद जूते, चप्पल, मास्क देने के साथ मजदूर औरतों की माहवारी की समस्याओं पर जानकारी दे कर सैनेटरी पैड भी बांट रही है. इसी तरह अध्यापक संघ के नगेंद्र त्रिपाठी ने शिक्षकों की मदद से पैसे जमा कर क्वारंटीन सैंटर और जिले की सीमाओं पर बनी चैक पोस्ट पर तैनात मुलाजिमों को मास्क, सैनेटाइजर और ग्लव्स दे कर उन की हिफाजत का ध्यान रखा है.

क्वारंटाइन कुत्ता

अजब मध्य प्रदेश की गजब कहानी, कोरोना का इतना खौफ कि मालिक के साथ कुत्ता भी हुआ क्वारेंटाइन, कोरोना का डर लोगों के मन में इस कदर बैठ गया है कि वे कोई भी रिस्क नहीं लेना चाहते हैं, यही वजह है कि प्रशासन द्वारा मालिक के साथ उसके कुत्ते को भी क्वारेंटाइन किया गया है.

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जी हां हम बात कर रहे है टीकमगढ़ जिले की जहां 16 मई को टीकमगढ़ शहर में दो सगी बहनों के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने पर जहां उन्हें जिला अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती किया गया, वही प्रशासन द्वारा उनकी सहेलियों व परिजन के साथ ही नौकर और दूधवाले सहित उनके पालतू कुत्ते शेरू को भी क्वारेंटाइन कर उन्हें जिला मुख्यालय से करीब 6 किलोमीटर दूर बने एक क्वारंटाइन सेंटर में रखा गया है.

दरअसल एक छोटे से वायरस कोरोना ने पूरी दुनिया को इतना बेबस कर दिया है कि जिसके आगे बड़े-बड़े नतमस्तक और भयाक्रांत है, प्रदेश में तेजी से बढते कोरोना के संक्रमण को लेकर आमजन के अलावा प्रशासन भी कोई कमी नही छोडना चाहता, और यही कारण है कि टीकमगढ़ में स्वास्थ्य विभाग ने दो सगी बहिनों के कोरोना पॉजिटिव पाये जाने पर उनके परिजनों के साथ ही उनके कुत्ते को भी क्वारेंटाइन किया है, जो शायद अब तक का पहला मामला है. जब संक्रमण के खतरे को देखते हुए किसी जानवर को क्वारेंटाइन किया गया है.

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क्वारेंटाइन सेंटर प्रभारी लवली सिंह का कहना है कि ऐसा पहली बार देखा गया है जब किसी कुत्ते को क्वारेंटाइन किया गया है, यहां कुत्ते को दूध, बिस्किट सहित मूलभूत सुविधाएं प्रोवाइड कराई जा रही है इसके साथ शेरू सेंटर की बाउंड्री के अंदर ही मालिक के साथ सुबह-शाम सैर करता है और यहां अपने मालिक के साथ ठाट से रहकर शासकीय सुविधाओ का लाभ ले रहा है.

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