कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए लागू किए गए लौकडाउन में सब से ज्यादा दिक्कत फुटपाथ, रेलवे स्टेशन, बस अड्डे और गलीचौराहे पर घूमने वाले दिमागी या जिस्मानी तौर पर कमजोर और लोगों को हुई है. लोगों के घरों से बाहर न निकल पाने से इन बेघरबार लोगों को भूखे पेट ही रहना पड़ रहा है.

ऐसे लोगों के दर्द को महसूस किया है एक छोटे से कसबेनुमा छोटे शहर सालीचौका के एक नौजवान ने. पत्रकारिता से जुड़ा यह नौजवान उमेश पाली जब एक दिन लौकडाउन की खबरों की तलाश में निकला तो इस ने रेलवे स्टेशन के सूने पड़े प्लेटफार्म पर मैले और फटेहाल कपड़ों में 2 भूखेप्यासे लोगों को देखा. उन लोगों के खानेपीने का इंतजाम कर उमेश पाली ने ऐसे ही दूसरे जरूरतमंद लोगों की मदद करने की ठान ली.

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मदद करने के लिए पत्रकार उमेश पाली ने सोशल मीडिया में एक व्हाट्सएप ग्रुप ‘कोरोना आपदा सेवा ग्रुप’ बना कर शुरुआत में कुछ नौजवानों को अपने साथ जोड़ लिया और आपसी सहयोग से ये सब जरूरतमंदों तक खाना पहुंचाने लगे. धीरेधीरे कसबे के दूसरे लोगों ने भी इस काम में अपना सहयोग देना शुरू कर दिया और अब हालात ये हैं कि हर दिन तकरीबन 40 से 50 जरुरतमंद लोगों को खानेपीने का सामान पहुंचाने का काम इन जागरूक नौजवानों द्वारा किया जा रहा है.

सुबह के 11 बजते ही सालीचौका   के इस व्हाट्सएप ग्रुप पर  मोबाइल में मैसेज आने लगते हैं कि रोटीसब्जी तैयार है. फिर क्या, ग्रुप के सदस्य निकल पड़ते हैं और घरघर जा कर 5-5 रोटी जमा करने का सिलसिला शुरू हो जाता है और तकरीबन एक घंटे में 200 के आसपास रोटियां जमा हो जाती हैं.

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घर में बनी हुई रोटियों के साथ सब्जी, अचार या जो सामग्री घर में बनती है, वह ग्रुप के सदस्यों द्वारा जमा होती है. 30 से 40 परिवार से रोटियां जमा कर के एक जगह पर खाने के पैकेट तैयार किए जाते हैं. ठीक 12 बजे दालचावल या फिर सब्जीरोटी रख कर ग्रुप के सदस्य जरूरतमंद लोगो की तलाश में निकल पड़ते हैं. उन लोगों की सेवा देख कर कसबे के पुलिस थाने के पुलिस अफसर, मुलाजिम भी इस मुहिम से जुड़ गए हैं. पुलिस थाने के मुलाजिम भी अपनी गाड़ी में खानेपीने का सामान ले कर आते हैं और फिर शहर में भूखेप्यासे लोगों के पास जा जाकर भोजन बांट दिया जाता है. पुलिस प्रशासन की देखरेख में यह भोजन जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाया जाता है.

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खुशियां मनाते इस तरह

लौकडाउन के चलते जहां किसी भी तरह के फंक्शन या पार्टी पर बंदिश लगी हुई है, ऐसे में शहर के लोग अपने परिवार वालों के जन्मदिन, शादी की सालगिरह गरीब और बेसहारा लोगों की मदद कर के मना रहे हैं. जरूरतमंद लोगों को खाना खिला कर इस ग्रुप के सदस्यों ने एक नई परंपरा शुरू कर दी है. जिस सदस्य का जन्मदिन या शादी की सालगिरह होती है, वह अपने घर से भोजन, नमकीन ,मिठाई पूरीसब्जी, पापड़ या घर में जो भी बनता है, वह लाता है और उसे जरूरतमंद लोगों में बांट दिया जाता है.

लौकडाउन के शुरुआती दिनों से ही ‘कोरोना आपदा सेवा ग्रुप’ की तरफ से काम रोज किया जा रहा है. जरूरत पड़ने पर ग्रुप के सदस्य आटा, गेहूं, चावल, तेल जैसी खाद्य सामग्री दान भी कर रहे हैं.

क्वारंटीन सैंटरों पर मिलता नाश्ता

लौकडाउन में जन सेवा का ढोंग करने वाले ज्यादातर नेता जनता से दूरी बनाए हुए हैं, वहीं नौजवानों का यह ग्रुप देश के दूसरे शहरों से आए गरीब और मजदूर तबके के लिए नाश्ते का इंतजाम भी कर रहा है. इसी ग्रुप द्वारा गोकुल पैलेस साली चौका में क्वारंटीन सैंटर’ बनाया गया है, जहां पर बाहर से आए हुए तकरीबन 50 लोग रह रहे हैं. उन के लिए सुबह पोहा का नाश्ता ग्रुप के सदस्यों की तरफ से दिया जा रहा है.

और भी संस्थाएं कर रही हैं मदद

लौकडाउन में गरीब, मजबूर और बुजुर्गों की मदद करने के लिए भले ही समाज के पूंजीपति, उद्योगपति और धन्ना सेठों ने मुंह फेर लिया हो, लेकिन निम्नमध्यम वर्ग के लोगों ने मदद के लिए हाथ खोल दिए हैं. नरसिंहपुर जिले की तेंदूखेड़ा तहसील की योगदान सेवा समिति ने आसपास के छोटेछोटे गांवदेहात में पहुंच कर भोजन के पैकेट, जरूरत का सामान और दवाएं तक लोगों को पहुंचाई हैं. पर्यावरण संरक्षण की सोच लिए योगदान समिति के अविनाश जैन वृक्षारोपण के कामों को पिछले 13 साल से करते आ रहे हैं. कोरोना आपदा के समय उन्होंने देखा कि जब सरकारी तंत्र लोगों की मदद करने के बजाय सख्ती से पेश आ रहा है, तो वे अपने साथियों के साथ लोगों की मदद करने के लिए गांवगांव जाने लगे.

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प्रवासी मजदूरों की आवाजाही शुरू होते ही योगदान समिति ने नैशनल हाईवे नंबर 12 पर  मजदूरों को खानेपीने की चीजों के साथ हिफाजत के लिए मास्क और सैनेटाइजर भी बांटे. जब सरकार से पुलिस टीम को पीपीई किट नहीं मिली तो डाक्टर शचींद्र मोदी की मदद से पीपीई किट का इंतजाम किया गया. ‘पैड वुमन’ माया विश्वकर्मा की ‘सुकर्मा फाउंडेशन’ नाम की गैरसरकारी संस्था तो सड़क पर कैंप लगा कर प्रवासी मजदूरों को भोजन कराने के बाद जूते, चप्पल, मास्क देने के साथ मजदूर औरतों की माहवारी की समस्याओं पर जानकारी दे कर सैनेटरी पैड भी बांट रही है. इसी तरह अध्यापक संघ के नगेंद्र त्रिपाठी ने शिक्षकों की मदद से पैसे जमा कर क्वारंटीन सैंटर और जिले की सीमाओं पर बनी चैक पोस्ट पर तैनात मुलाजिमों को मास्क, सैनेटाइजर और ग्लव्स दे कर उन की हिफाजत का ध्यान रखा है.

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