एड्स एक खतरनाक बीमारी है !

1 दिसम्बर का दिन पूरे विश्व में  एड्स दिवस के रूप में मनाया जाता है. जिसका उद्देश्य लोगों को एड्स के प्रति जागरूक करना है. जागरूकता के तहत लोगों को एड्स के लक्षण, इससे बचाव, उपचार, कारण इत्यादि के बारे में जानकारी दी जाती है और कई अभियान चलाए जाते हैं जिससे इस महामारी को जड़ से खत्म करने के प्रयास किए जा सकें. साथ ही एचआईवी एड्स से ग्रसित लोगों की मदद की जा सकें.

विश्व एड्स दिवस की शुरूआत 1 दिसंबर 1988 को हुई थी जिसका मकसद, एचआईवी एड्स से ग्रसित लोगों की मदद करने के लिए धन जुटाना, लोगों में एड्स को रोकने के लिए जागरूकता फैलाना और एड्स से जुड़े मिथ को दूर करते हुए लोगों को शिक्षित करना था.  चूंकि एड्स का अभी तक कोई इलाज नही है इसलिए यह आवश्‍यक है‍ कि लोग एड्स के बारे में जितना संभव हो सके रोकथाम संबंधी जानकारी प्राप्‍त करे और इसे फ़ैलाने से रोके.

एड्स यानि एक्‍वायर्ड इम्‍युनोडेफिशिएंसी सिन्‍ड्रोम एक खतरनाक बीमारी है जो हर किसी के लिए चिंता का विषय है.  1981 में  न्यूयॉर्क में एड्स के बारे में पहली बार पता चला, जब कुछ ”समलिंगी यौन क्रिया” के शौकीन अपना इलाज कराने डॉक्टर के पास गए. इलाज के बाद भी रोग ज्यों का त्यों रहा और रोगी बच नहीं पाए, तो डॉक्टरों ने परीक्षण कर देखा कि इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता खत्म हो चुकी थी. फिर इसके ऊपर शोध हुए, तब तक यह कई देशों में जबरदस्त रूप से फैल चुकी थी और इसे नाम दिया गया ”एक्वायर्ड इम्यूनो डिफिशिएंसी सिंड्रोम” यानी एड्स.

एड्स का मतलब 

– ए यानी एक्वायर्ड यानी यह रोग किसी दूसरे व्यक्ति से लगता है.

– आईडी यानी इम्यूनो डिफिशिएंसी यानी यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता समाप्त कर देता है.

– एस यानी सिण्ड्रोम यानी यह बीमारी कई तरह के लक्षणों से पहचानी जाती है.

एड्स का बढ़ता क्षेत्र

कई देशों में एड्स मौत का सबसे बड़ा कारण बन गया है. पहली बार ऐसा हुआ है कि पिछले एक साल में अफ्रीका में एचआईवी के मामलों में कमी दर्ज की गई है . लेकिन सच यह भी है कि अब भी अफ्रीका में करीब 38 लाख लोग एचआईवी से बुरी तरह से प्रभावित हैं. पूरी दुनिया धीरे-धीरे जानलेवा बीमारी एचआईवी/एड्स की चपेट में आ रही है. संयुक्त राष्ट्र के नए आंकडों के अनुसार  एड्स एक भयावह बीमारी बनाते जा रहा है . संयुक्त राष्ट्र का मानना है कि पूरी दुनिया में करीब 33.3 मिलियन लोग एचआईवी/ एड्स से ग्रस्त हो चुके हैं और हर साल करीब 53 लाख एड्स के नए मामले सामने आ रहे हैं. हर चौबीस घंटे में 7 हजार एचआईवी के नये मामले सामने आ रहे हैं. यही नहीं इस दौरान एक मिलियन संचारित यौन संक्रमण(एसटीडी) के मामले आ रहे हैं. दस साल में तेजी से फ़ैल रहा है यह बीमारी .  एड्स और एचआईवी से ग्रस्त लोगों की संख्या विशेषज्ञों द्वारा दस साल पहले लगाए गए अनुमानों से 50 फीसद अधिक है.

2019 तक 2.9 मिलियन लोग इस इंफेक्शन के संपर्क में आए हैं, जिसमें से 3 लाख 90 हजार बच्चे भी इसकी चपेट में आएं. इतना ही नहीं पिछले पांच सालों में  एड्स से ग्रसित लगभग 1.8 मिलियन लोगों की मौत हो चुकी है.

आमतौर पर देखा गया है कि एड्स अधिकतर उन देशों में है जहां लोगों की आय बहुत कम है या जो लोग मध्यवर्गीय परिवारों से ताल्लुक रखते हैं.

बहरहाल, एचआईवी एड्स आज दुनिया भर के सभी महाद्वीपों में महामारी की तरह फैला हुआ है जो कि पुरुषों, महिलाओं और बच्चों के जीवन के लिए एक बड़ा खतरा है और जिसे मिटाने के हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं.

एक रिपोर्ट में यह भी कहा गया है की कुल मामलों में से 15 से 24 साल की लड़कियां एचआईवी पीड़ित हैं. जबकि 23 फीसद कुल एचआईवी पीड़ितों में 24 की आयु के हैं. 35 फीसद मामले नए संक्रमणों के हैं. संयुक्त राष्ट्र सहायता के कार्य निदेशक पीटर पीयोट कहते हैं कि पूरी दुनिया को इस बात का अंदाजा हो चुका है कि एड्स कितना भयानक रूप ले चुका है.

एक अनुमान के अनुसार 2009-2019 तक करीब 40 लाख लोग एड्स की बलि चढ़ चुके है. इससे पहले के दशक में  एड्स से इतने लोगों की मौत नहीं हुई है. साथ ही पहली बार ऐसा हुआ है कि जहाँ से यह बीमारी फैलाना शुरू हुई वही अब इस बीमारी के मामले काफी कम प्रकाश में आ रहे है. पिछले एक साल में अफ्रीका में एचआईवी के मामलों में कमी दर्ज की गई है. लेकिन  अब भी अफ्रीका में करीब 38 लाख लोग एचआईवी से बुरी तरह से प्रभावित हैं.  यह हालत तब है जब इस बीमारी की रोकथाम के प्रयास ईमानदारी के साथ किए जा रहे हैं.

विश्व में ढाई करोड़ लोग अब तक इस बीमारी से मर चुके हैं और करोड़ों अभी इसके प्रभाव में हैं. अफ्रीका पहले नम्बर पर है, जहाँ एड्स रोगी सबसे ज्यादा हैं. भारत दूसरे स्थान पर है. भारत में अभी करीबन 1.25 लाख मरीज हैं, प्रतिदिन इनकी सँख्या बढ़ती जा रही है. भारत में पहला एड्स मरीज 1986 में मद्रास में पाया गया था.

क्या है एचआईवी और एड्स?

एचआईवी (ह्यूमन इम्यूनोडिफिशिएंसी वायरस) एक ऐसा से एड्स होता है. जिस इंसान में इस वायरस की मौजूदगी एचआईवी पॉजिटिव कहते हैं. एचआईवी पॉजिटिव होने का मतलब एड्स रोगी नहीं होता. जब एचआईवी वायरस शरीर में प्रवेश हो जाता है, उसके बाद शरीर की प्रतिरोधक क्षमता धीरे-धीरे कम होने लगती है. एचआईवी वायरस व्हाइट ब्लड सेल्स पर आक्रमण करके उन्हें धीरे-धीरे मारते हैं. इस कारण से कई तरह की बीमारियां होने लगती हैं, जिनका असर तत्काल महसूस नहीं होता. यह लगभग 10 साल बाद प्रत्यक्ष रूप में सामने आती है. व्हाइट सेल्स के खत्म होने के बाद संक्रमणऔर बीमारियों से लड़ने की क्षमता कम होने लगती है. परिणामस्वरूप शरीर में विभिन्न प्रकार के इन्फेक्शन होने लगते हैं. एचआईवी इन्फेक्शन वह अंतिम पड़ाव है, जिसे एड्स कहा जाता है.

एचआईवी दो तरह का होता है. एचआईवी-1 और एचआईवी-2. एचआईवी-1 पूरी दुनिया में पाया जाता है.

भारत में भी 80 प्रतिशत मामले इसी श्रेणी के हैं. एचआईवी- 2 खासतौर से अफ्रीका में मिलता है. भारत में भी कुछ लोगों में इसके संक्रमण से पीड़ित पाए जाते हैं.

क्या है एचआईवी पॉजिटिव होने का मतलब ?

एच.आई.वी. पॉजिटिव होने का मतलब है, एड्स वायरस आपके शरीर में प्रवेश कर गया है. इसका अर्थ यह नहीं है कि आपको एड्स है. एच.आई.वी. पॉजिटिव होने के 6 महीने से 10 साल के बीच में कभी भी एड्स हो सकता है. स्वस्थ व्यक्ति अगर एच.आई.वी. पॉजिटिव के संपर्क में आता है, तो वह भी संक्रमित हो सकता है. एड्स का पूरा नाम है ˜ एक्वार्यड इम्यूनो डेफिशिएंसी सिंड्रोम ˜ और यह बीमारी एच.आई.वी. वायरस से होती है.

यह वायरस मनुष्य की प्रतिरोधी क्षमता को कमजोर कर देता है. एड्स एच.आई.वी. पॉजिटिव गर्भवती महिला से उसके बच्चे को, असुरक्षित यौन संबंध से या संक्रमित रक्त या संक्रमित सुई के प्रयोग से हो सकता है. जब आपके शरीर की प्रतिरक्षा को भारी नुकसान पहुंच जाता है, तो एच आई वी का संक्रमण, एड्स के रूप में बदल जाता है. अगर नीचे लिई हुई स्थितियों में से आपको कुछ भी है, तो आपको एड्स है : 200 से कम सी 4 डी सेल (200), 14 प्रतिशत से कम सी डी 4 सेल (14), मौकापरस्त संक्रमण (पुराना), मुंह या योनि में फफूंद, आंखों में सी एम वी संक्रमण (सीएमवी), फेफड़ा में पी सी पी निमोनिया, कपोसी कैंसर.

एच.आई.वी. पॉजिटिव को इस बीमारी का तब तक नहीं चलता, जब तक कि इसके लक्षण प्रदर्शित नहीं होते. इसका मतलब है वे जीवाणु जो शरीर की प्रतिरक्षा को कम करे. एच.आई.वी. से संक्रमित होने पर आपका शरीर इस रोग से लड़ने की कोशिश करता है. आपका शरीर रोग प्रतिकारक कण बनाता है, जिसे एंटीबॉडीज कहते हैं. एच.आई.वी. के जांच में अगर आपके खून में एंटीबॉडीज पाया जाता है, तो इसका मतलब है कि आप एच आई वी के रोगी हैं और आप एच आई वी पॉजिटिव (सकारात्मक एचआईवी) हैं. इसका मतलब यह नहीं है कि आपको एड्स है. कई लोग एच आई वी पॉजिटिव होते हैं किंतु वे सालों तक बीमार नहीं पड़ते हैं.

समय के साथ एच आई वी आपके शरीर की प्रतिरक्षा को कमजोर कर देता है. इस हालत में, विभिन्न प्रकार के मामूली जीवाणु, कीटाणु, फफूंद आपके शरीर में रोग फैला सकते हैं, जिसे मौकापरस्त संक्रमण (अवसरवादी संक्रमण/पुराना) कहते हैं.

ऐसे फैल सकता है एड्स

* एचआईवी पॉजिटिव पुरुष या महिला के साथ अनसेफ (कॉन्डम यूज किए बिना) सेक्स से, चाहे सेक्स होमोसेक्सुअल ही क्यों न हो.

* संक्रमित (इन्फेक्टेड) खून चढ़ाने से.

* एचआईवी पॉजिटिव महिला से पैदा हुए बच्चे में. बच्चा होने के बाद एचआईवी ग्रस्त मां के दूध पिलाने से भी इन्फेक्शन फैल सकता है.

* खून का सैंपल लेने या खून चढ़ाने में डिस्पोजेबल सिरिंज (सिर्फ एक ही बार इस्तेमाल में आने वाली सुई) न यूज करने से या फिर स्टर्लाइज किए बिना निडल और सिरिंज का यूज करने से.

* हेयर ड्रेसर (नाई) के यहां बिना स्टर्लाइज्ड (रोगाणु-मुक्त) उस्तरा, पुराना इन्फेक्टेड ब्लेड यूज करने से.

* सलून में इन्फेक्टेड व्यक्ति की शेव में यूज किए ब्लेड से. सलून में हमेशा नया ब्लेड यूज हो रहा है, यह इंशुअर करें.

ऐसे नहीं फैलता एड्स 

* चूमने से. अपवाद अगर किसी व्यक्ति को एड्स है और उसके मुंह में कट या मसूड़े में सूजन जैसी समस्या है, तो इस तरह के व्यक्ति को चूमने से भी एड्स फैल सकता है.

* हाथ मिलाना, गले मिलना, एक ही टॉयलेट को यूज करना, एक ही गिलास में पानी पीना, छीकने, खांसने से इन्फेक्शन नहीं फैलता.

* एचआईवी शरीर के बाहर ज्यादा देर तक नहीं रह सकता, इसलिए यह खाने और हवा से भी नहीं फैलता.

* रक्तदान करने से बशर्ते खून निकालने में डिस्पोजेबल (इस्तेमाल के बाद फेंक दी जाने वाली) सुई का इस्तेमाल किया गया हो.

* मच्छर काटने से.

* टैटू बनवाने से, बशर्ते इस्तेमाल किए जा रहे औजार स्टर्लाइज्ड हों.

* डॉक्टर या डेंटिस्ट के पास इलाज कराने से. ये लोग भी आमतौर पर स्टरलाइज्ड औजारों का ही इस्तेमाल करते हैं.

इनके जरिए शारीर में पहुंचता है वायरस

* ब्लड

* सीमेन (वीर्य)

* वैजाइनल फ्लूइड (स्त्रियों के जननांग से निकलने वाला दव)

* ब्रेस्ट मिल्क

* शरीर का कोई भी दूसरा फ्लूइड, जिसमें ब्लड हो मसलन, बलगम

लक्षण –  एचआईवी से ग्रस्त इंसान शुरू में बिल्कुल नॉर्मल और सेहतमंद लगता है. कुछ साल बाद ही इसके लक्षण सामने आते हैं. अगर किसी को नीचे दिए गए लक्षण हैं, तो उसे एचआईवी का टेस्ट कराना चाहिए  .

* एक महीने से ज्यादा समय तक बुखार बने रहना, जिसकी कोई खास वजह भी पता न चले.

* बिना किसी वजह के लगातार डायरिया बने रहना.

* लगातार सूखी खांसी.

* मुंह में सफेद छाले जैसे निशान होना.

* बिना किसी वजह के लगातार थकान बने रहना और तेजी से वजन गिरना.

* याददाश्त में कमी, डिप्रेशन आदि.

एचआईवी के लिए मेडिकल टेस्ट  –  एड्स के लक्षणों से शक होने पर निम्न टेस्ट  कराये .

टेस्ट कराएं अगर किसी व्यक्ति को लगता है कि

* कभी वह एचआईवी के संपर्क में आ गया होगा.

* पिछले 12 महीनों के दौरान अगर एक से ज्यादा पार्टनर के साथ उसके सेक्स संबंध रहे हों.

* अपने पार्टनर के सेक्सुअल बिहेवियर को लेकर वह निश्चिंत न हो.

* वह पुरुष हो और उसने कभी किसी पुरुष के साथ अनसेफ सेक्स किया हो. उसे एसटीडी (सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज) हो. वह हेल्थ वर्कर हो, जो ब्लड आदि के सीधे संपर्क में आता हो.

* वह प्रेग्नेंट हो.  बचाव ही  इलाज है!

दुनिया भर में तेजी से पांव पसारते जा रहे एड्स का इलाज भी तक खोजा नहीं जा  सका है, इससे बचाव में ही इसका कारगर इलाज है.

एड्स का कोई उपचार नहीं है. एड्स के लिए जो दवा हैं, वे या तो एच आई वी के जीवाणु को बढ़ने से रोकते हैं या आपके शरीर के नष्ट होते हुए प्रतिरक्षा को धीमा करते हैं. ऐसा कोई ईलाज नहीं है कि एच आई वी के जीवाणु का शरीर से सफाया हो सके. अन्य दवाएं मौकापरस्त संक्रमण को होने से रोकती हैं या उनका उपचार कर सकती हैं. आधिकांश समय, ये दवाइयां सही तरह से काम करती हैं.

हालांकि दवाओं की मदद से एचआईवी पॉजिटिव होने से लेकर एड्स होने तक के समय को बढ़ाया जा सकता है. दवाएं देकर व्यक्ति को ज्यादा लंबे समय तक बीमारियों से बचाए रखने की कोशिश की जाती है. इलाज के दौरान एंटी-रेट्रोवायरल ड्रग्स दिए जाते हैं. एजेडटी, डीडीएल, डीडीसी कुछ कॉमन ड्रग्स हैं, लेकिन इनका असर कुछ ही वक्त के लिए होता है.

होम्योपैथी होम्योपैथी कहती है कि बीमारियों से नहीं लड़ा जाता, बल्कि शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जाता.

लक्षण –  एचआईवी से ग्रस्त इंसान शुरू में बिल्कुल नॉर्मल और सेहतमंद लगता है. कुछ साल बाद ही इसके लक्षण सामने आते हैं. अगर किसी को नीचे दिए गए लक्षण हैं, तो उसे एचआईवी का टेस्ट कराना चाहिए  .

* एक महीने से ज्यादा समय तक बुखार बने रहना, जिसकी कोई खास वजह भी पता न चले.

* बिना किसी वजह के लगातार डायरिया बने रहना.

* लगातार सूखी खांसी.

* मुंह में सफेद छाले जैसे निशान होना.

* बिना किसी वजह के लगातार थकान बने रहना और तेजी से वजन गिरना.

* याददाश्त में कमी, डिप्रेशन आदि.

एचआईवी के लिए मेडिकल टेस्ट  –  एड्स के लक्षणों से शक होने पर निम्न टेस्ट  कराये .

* टेस्ट कराएं अगर किसी व्यक्ति को लगता है कि

* कभी वह एचआईवी के संपर्क में आ गया होगा.

* पिछले 12 महीनों के दौरान अगर एक से ज्यादा पार्टनर के साथ उसके सेक्स संबंध रहे हों.

* अपने पार्टनर के सेक्सुअल बिहेवियर को लेकर वह निश्चिंत न हो.

* वह पुरुष हो और उसने कभी किसी पुरुष के साथ अनसेफ सेक्स किया हो. उसे एसटीडी (सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज) हो. वह हेल्थ वर्कर हो, जो ब्लड आदि के सीधे संपर्क में आता हो.

* वह प्रेग्नेंट हो.

बचाव ही  इलाज है!

दुनिया भर में तेजी से पांव पसारते जा रहे एड्स का इलाज भी तक खोजा नहीं जा  सका है, इससे बचाव में ही इसका कारगर इलाज है.

एड्स का कोई उपचार नहीं है. एड्स के लिए जो दवा हैं, वे या तो एच आई वी के जीवाणु को बढ़ने से रोकते हैं या आपके शरीर के नष्ट होते हुए प्रतिरक्षा को धीमा करते हैं. ऐसा कोई ईलाज नहीं है कि एच आई वी के जीवाणु का शरीर से सफाया हो सके. अन्य दवाएं मौकापरस्त संक्रमण को होने से रोकती हैं या उनका उपचार कर सकती हैं. आधिकांश समय, ये दवाइयां सही तरह से काम करती हैं.

हालांकि दवाओं की मदद से एचआईवी पॉजिटिव होने से लेकर एड्स होने तक के समय को बढ़ाया जा सकता है. दवाएं देकर व्यक्ति को ज्यादा लंबे समय तक बीमारियों से बचाए रखने की कोशिश की जाती है. इलाज के दौरान एंटी-रेट्रोवायरल ड्रग्स दिए जाते हैं. एजेडटी, डीडीएल, डीडीसी कुछ कॉमन ड्रग्स हैं, लेकिन इनका असर कुछ ही वक्त के लिए होता है.

होम्योपैथी होम्योपैथी कहती है कि बीमारियों से नहीं लड़ा जाता, बल्कि शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जाता है. होम्योपैथिक इलाज में शरीर के इम्युनिटी स्तर को बढ़ाने की कोशिश की जाती है. इसके अलावा एड्स में होने वाले हर्पीज, डायरिया, बुखार आदि का इलाज किया जाता है.

एचआईवी पर काउंसलिंग  – एचआईवी टेस्ट और काउंसलिंग के लिए सरकार ने पूरे देश में 5 हजार इंटिग्रेटेड काउंसलिंग एंड टेस्टिंग सेंटर (आईसीटीसी) बनाए हैं. इन सेंटरों पर व्यक्ति की काउंसलिंग और उसके बाद बाजू से खून लेकर जांच की जाती है. यह जांच फ्री होती है और रिपोर्ट आधे घंटे में मिल जाती है. आमतौर पर सभी जिला अस्पतालों, मेडिकल कॉलेजों और कुछ कम्यूनिटी हेल्थ सेंटरों पर यह सुविधा उपलब्ध है. यहां पूरी जांच के दौरान व्यक्ति की आइडेंटिटी गुप्त रखी जाती है. पहले रैपिड या स्पॉट टेस्ट होता है, लेकिन इस टेस्ट में कई मामलों में गलत रिपोर्ट भी पाई गई हैं. इसलिए स्पॉट टेस्ट में पॉजिटिव आने के बाद व्यक्ति का एलाइजा टेस्ट किया जाता है. एलाइजा टेस्ट में कन्फर्म होने के बाद व्यक्ति को एचआईवी पॉजिटिव होने की रिपोर्ट दे दी जाती है.

एड्स के साथ जिंदगी

एचआईवी पॉजिटिव पाए जाने का मतलब यह नहीं है कि जिंदगी में कुछ नहीं रहा. एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति भी आम लोगों की तरह जिंदगी जी सकते हैं.  अगर डॉक्टरों की सलाह के मुताबिक चला जाए तो यह सम्भव  हैं. तो  आईये जानते है  एड्स के साथ जिंदगी जीने के लिए किन- किन  बातो का ध्यान रखे.

* अपने डॉक्टर से मिलकर एचआईवी इन्फेक्शन से संबंधित अपना पूरा मेडिकल चेकअप कराएं.

* टीबी और एसटीडी का चेकअप भी जरूर करा लें. डॉक्टर की सलाह के मुताबिक दवाएं लें.

* महिलाएं थोड़े-थोड़े दिनों बाद अपनी गाइनिकॉलिजकल जांच कराती रहें.

* अपने पार्टनर को इस बारे में बता दें.

* दूसरे लोग वायरस से प्रभावित न हों, इसके लिए पूरी तरह से सावधानी बरतें.

*अगर अल्कोहल और ड्रग्स का इस्तेमाल करते है , तो बंद कर दें.

* अच्छी पौष्टिक डाइट लें और टेंशन से दूर रहें.

* नजदीकी लोगों से मदद लें और वक्त-वक्त पर प्रफेशनल काउंसलिंग कराते रहें.

* ब्लड, प्लाज्मा, सीमेन या कोई भी बॉडी ऑर्गन डोनेट न करें.

नर्सिंग एक अच्छा ऑप्शन

कम पढ़ीलिखी लड़कियों के लिए नर्सिंग एक अच्छा काम है और नर्स टे्रन करने के लिए देशभर में नर्सिंग कालेजों और इंस्टीट्यूटों की कुकुरमुत्तों की तरह भरमार होने लगी है. इन में 20,000-30,000 खर्च कर के नर्स का डिप्लोमा मिल जाता हैनर्सिंग का काम आता हो या न आता हो,  झारखंड में 20 कालेजों को नोटिस दिया गया कि उन का रजिस्टे्रशन क्यों रद्द नहीं किया जाए क्योंकि कुछ के पास पर्याप्त कमरे नहीं थे तो ज्यादा के पास अनुभवी टीचिंग स्टाफ भी नहीं था. अकेले  झारखंड में ही 232 कालेज नर्सिंग की शिक्षा दे रहे हैं.

वैसे यह जांच जरूरी है पर सवाल है कि अगर अब पता चल रहा है कि नर्सिंग कालेज 2 कमरे के मकान में चल रहा है तो रजिस्ट्रेशन मिल कैसे गया. वजह साफ हैरजिस्ट्रेशन के समय से धांधलियां शुरू हो जाती हैं. नर्सिंग करने के इच्छुक यह भी नहीं देखते कि सुविधाएं हैं या नहींकुछ पढ़ायासम झाया जा रहा है या नहीं. उन्हें तो केवल डिगरी से मतलब होता है. किसी तरह डिगरी मिल जाए फिर देशविदेश में कहीं नौकरी लग जाएगी और फिर अस्पताल अपनेआप सिखा देंगे.

नर्सिंग के काम के लिए शिक्षा और ट्रेनिंग में अगर इस तरह की धांधलियां हैं तो भी नर्स का काम करने के इच्छुकों की कमी नहीं है तो जाहिर है कि लोग कैरियर बनाने के लिए कितना जोखिम लेते हैं. नर्सिंग ही नहींहर तरह की शिक्षा में इस तरह का गोरखधंधा हर राज्य में चल रहा है क्योंकि सरकारों ने अपना मूलभूत काम देश को चलानेपढ़ाने का इंतजाम करनासड़कें बनानापानीबिजली देनापुलों की देखभाल करना छोड़ दिया है. सभी सरकारें मंदिर बनाने में लगी हैं. किसी भी दिन का अखबार खोल कर देख लोकिसी न किसी मंदिरधामघाट पर प्रधानमंत्रीमंत्रियोंविपक्षी नेताओं के पहुंचनेकुछ करनेकराने के समाचार फोटो समेत दिख जाएंगे.

हैल्थ केयर में अस्पताल तो जरूरी हैं. डाक्टर भी जरूरी हैंपर उन से ज्यादा जरूरी नर्स हैं जो मरीज के अस्पताल में घुसते ही पहली देखरेख करती हैं. उन के बिना न डाक्टर कुछ कर सकता है और न छोटा या  20 मंजिला भव्य अस्पताल.

नर्स बनने के लिए लोग तैयार हैंपैसा खर्च कर रहे हैं पर सरकारी लापरवाही की वजह से ढंग की पढ़ाई कराने वाले कालेज नहीं खुले रहे. शायद इसलिए कि सरकार तो सोचती है कि चारधाम जा कर मरीज ठीक हो सकता है तो नर्सिंग की क्या जरूरत है. देश में ओ झाओंस्वामियोंझोलाछाप नीमहकीमों की गिनती लगातार बढ़ती जा रही है.

सरकार की पढ़ाईलिखाई के बारे में पौलिसी कुछ पंडितपुरोहित बनाने जैसी है. जैसे जन्म से पुरोहित के घर का बेटा (और बेटी भी) पुरोहित बन सकता है वैसे ही शिक्षा सिर्फ ठप्पेनुमा सर्टिफिकेट कहीं से ले कर भी काम बन सकता है. यह देश के साथ खिलवाड़ है. यही बढ़ती बेकारी की वजह है क्योंकि आज कोई स्कूलकालेज ऐसी पढ़ाई नहीं कराता कि कुछ हुनरमंद जना बन सकेकुछ काम ढंग से कर सके. नर्सिंग कालेजों की धांधलियां तो नमूना भर हैंपढ़ाई कराने वाली हर जगह का हाल यही है.   

जागरूकता: मैं कुंआरी हूं

संवाददाता

क्या यह पता चल सकता है कि कोई लड़की कुंआरी है या नहीं?

पहली रात को खून नहीं निकलता तो क्या लड़की ने सैक्स किया है?

क्या खेलकूद से भी कुंआरेपन की झिल्ली फट जाती है?

ऐसा क्या करें कि कुंआरेपन की झिल्ली सुहागरात तक बची रहे?

पहली बार सैक्स करने में दर्द नहीं तो क्या लड़की कुंआरी नहीं है?

क्या एक बार खोया हुआ कुंआरापन फिर से पाया जा सकता है?

क्या ज्यादा सैक्स करने से औरत के अंग में ढीलापन आ जाता है?

कोई लड़की अपने कुंआरेपन को कैसे साबित कर सकती है?

लड़के के जोर लगाने से क्या लड़की की सुहागरात का पता चलता है?

द्य क्या ज्यादा हस्तमैथुनकरने से कुंआरेपन की झिल्ली फट सकती है?

तकरीबन 42 फीसदी लड़कियों को ही पहले सैक्स के दौरान खून आता है,

इसलिए यह कहना समझदारी नहीं है कि जिन्हें खून नहीं आया है वे कुंआरी भी नहीं हैं.

ऐसे कई सवाल हैं, जो बड़े होने की दहलीज पर खड़े लड़केलड़कियों के मन में कौंधते रहते हैं, पर उन्हें इन का सही जवाब नहीं मिल पाता. इस की एक वजह तो जरूरी सैक्स ऐजूकेशन का न होना है. चूंकि कुंआरेपन का पहलू बड़े तौर पर लड़कियों से ही जुड़ा रहता है, इसलिए लड़कियां ही इस मामले में ज्यादा परेशान रहती हैं. कई लड़कियां तो प्यार, सैक्स और शादी को ठीक से एंजौय नहीं कर पाती हैं.

एक सर्वे से पता चला था कि भारतीय लड़कियां 17 साल की औसत उम्र में अपना कुंआरापन खो रही हैं, जबकि भारतीय लड़की की शादी की औसत उम्र इस से ज्यादा होती है.

एक और सैक्स सर्वे के मुताबिक, शादी से पहले सैक्स कर चुके मर्दों की तादाद औरतों के मुकाबले 3 गुना है. इस के बावजूद 77 फीसदी मर्द कुंआरी दुलहन ही चाहते हैं. इन का कहना है कि अगर इन्हें पता चले कि उन की होने वाली पार्टनर या पत्नी ने पहले सैक्स किया हुआ है, तो वे उस से संबंध ही नहीं बनाएंगे. यही नहीं, शादी से पहले प्यार करने वाले भी चाहते हैं कि लड़की का किसी से पहले सैक्स न हुआ हो.

गायनोकोलौजिस्ट की राय

हाइमन रैस्टोरेशन या रीवर्जिनेशन एक कौस्मैटिक सर्जरी है, जो फटी झिल्ली को रिपेयर करने के लिए की जाती है. टांकों द्वारा फटी झिल्ली को पुरानी जैसा बनाया जाता है. हाइमनोप्लास्टी के बढ़ते चलन के पीछे शादी से पहले सैक्स की बढ़ती सोच है. यह लड़कियों की शादीशुदा जिंदगी पर असर डाल सकती है. हाइमन केवल सैक्स से ही नहीं, बल्कि खेल जैसे घुड़सवारी या मुश्किल शारीरिक कसरत या फिर नाचने से भी फट सकती है.

यह ओपीडी प्रोसीजर है, जो लोकल एनैस्थिसिया दे कर किया जाता है और इस में तकरीबन डेढ़ घंटे का वक्त लगता है. अगर इसे माहिर डाक्टर द्वारा कराया जाए, तो साइड इफैक्ट जैसे आपरेशन के बाद दर्द, असामान्य रूप से खून बहना, असामान्य वैजाइनल डिस्चार्ज, जलन या इंफैक्शन या अंसतोषजनक नतीजे बहुत कम देखने को मिलते हैं. लड़की 2-3 दिन में सामान्य हो कर काम पर लौट सकती है. पूरी तरह से ठीक होने में 6-7 हफ्ते लगते हैं. आपरेशन के 2-3 हफ्तों तक बैठने और भारी कसरत के प्रति सावधानी बरतें. इस के बाद पहली बार सैक्स करने पर दर्द और खून निकलता है.

हाइमनोप्लास्टी सर्जरी को सुहागरात में लड़की कुंआरी है और खून नहीं निकला, इस के लिए कराई जाती है. इस सर्जरी में वैजाइना से ही टिशू ले कर कृत्रिम हाइमन झिल्ली बनाई जाती है. इस का खर्च तकरीबन 70-80 हजार रुपए आता है. यह सर्जरी एक बार के लिए ही होती है.

लेबियाप्लास्टी यानी डिजाइनर अंग आपरेशन के जरीए जननांग के अंदरूनी हिस्से को कम कर दिया जाता है. हीनभावना के चलते लड़कियां लेबियाप्लास्टी कराती हैं. इस में प्यूबिक एरिया की ऐक्स्ट्रा चरबी को लिपोसक्शन के जरीए कम या फिर सर्जरी से ड्रिम कर देते हैं. इस सर्जरी में भी दिन में ही डिस्चार्ज मिल जाता है और इस का खर्च तकरीबन 50-60 से एक लाख रुपए तक आता है.

वैजाइनोप्लास्टी या कहें वैजाइना टाइटनिंग. यह बाकी 2 सर्जरी से बड़ी सर्जरी है. इस के लिए एक दिन रुकना पड़ सकता है. वैजाइना का ढीला हो जाना और उसे सर्जरी द्वारा टाइट व कसावट लाने के लिए यह सर्जरी की जाती है. इस का खर्च 50-60 हजार रुपए ही है. इस में भी 3 हफ्ते तक सैक्स संबंध मना होते हैं. डिलीवरी के बाद महिला के अंग का ढीला पड़ जाना सामान्य बात है. इसे लैक्स पैरिनियम कहते हैं. वैजाइना से ऐक्स्ट्रा लाइनिंग को हटा कर व चारों ओर के मुलायम टिशू और मांसपेशियों में कसावट ला कर वैजाइना का ढीलापन दूर किया जा सकता है.

आम सवाल

मैं कैसे पता करूं कि मेरी गर्लफ्रैंड या होने वाली बीवी कुंआरी है?

इस तरह के आम सवाल डाक्टरों और कौस्मैटिक सर्जनों के मेल बौक्स में ज्यादा पूछे गए हैं. इस का जवाब है कि इसे जानने का कोई रास्ता नहीं है.

डाक्टरों के मुताबिक,कुंआरापन कोई बड़ा मसला नहीं है, मगर मर्दों की यह पुरानी शिकायत रही है कि पहली रात को खून नहीं निकला. ऐसा सभी के साथ होना जरूरी नहीं है. इस का मतलब यह नहीं है कि वह लड़की कुंआरी नहीं है. किसी लड़की की अंदरूनी झिल्ली स्कूल के दिनों में ही फट जाती है, तो किसी की सुहागरात पर भी नहीं फटती.

एक सच

एक गायनोकोलौजिस्ट के मुताबिक, लड़की के प्राइवेट पार्ट में मौजूद झिल्ली के फटने से खून निकलना कुंआरेपन का सुबूत नहीं है. सच बात यह भी है कि कुछ लड़कियों में झिल्ली जन्म से नहीं होती, लेकिन कुछ लड़कियों की यह परत बेहद लचीली होती है और सैक्स के दौरान भी नहीं फटती है. इतना ही नहीं, कई लड़कियों को इस परत के बारे में भी पता नहीं चल पाता है. झिल्ली को सैक्स किए बिना दूसरी चीजों से नुकसान पहुंच सकता है.

ऐसे पता चले कुंआरापन

लड़की या तो खुद स्वीकार कर ले या वह शादी से पहले पेट से हो चुकी हो. बता दें कि एक झिल्ली कभी भी कुंआरेपन का सुबूत नहीं हो सकती, क्योंकि आजकल तो रीवर्जिनिटी के जरीए सर्जन आसानी से झिल्ली की तरह के टिशू बना लेते हैं.

अगर चौइस दी जाए, तो शादी से पहले शारीरिक संबंध बनाने वाले नौजवान ज्यादातर मामलों में अपने लिए भी कुंआरा पार्टनर ही चाहते हैं. ऐसा लड़के और लड़कियां दोनों के केस में

देखने को मिलता है. लड़कों को लड़कियों के मुकाबले इस मामले में अपनी इच्छा जाहिर करने का ज्यादा मौका मिलता है, इसलिए यह माना जाता है कि कुंआरेपन को ले कर मर्द ज्यादा चिंतित रहते हैं.

सर्जरी कराने या न कराने पर कोई ऐसा दर्द नहीं होता, जो झेला न जा सके. ज्यादातर औरतों को सुहागरात की वजह से भी सैक्स के दौरान होने वाला दर्द बढ़ जाता है.

हमारे समाज में लड़कियों को ऐसे सपने दिखाए जाते हैं कि तकरीबन हर लड़की कुंआरेपन के बारे में सोचते हुए ही बड़ी होती है. आसपास के हालात कैसे भी हों, हर लड़की शादी के बाद सुहागरात को सजनेसंवरने और दुनिया की सब से खास शादी करना चाहती है.

जिंदगी की परेशानियों, हालात से इस दिन का कुछ लेनादेना नहीं रह गया है. यही वजह है कि लड़कियों पर इतने फालतू के दबाव बना दिए गए हैं कि उस से प्यार, लिवइन व शादी तक अनछुई, अनदेखी होने की उम्मीद की जाती है.

लड़की के पार्टनर की सब से बड़ी ख्वाहिश यह होती है कि लड़की कुंआरी हो यानी उस के किसी के साथ शारीरिक संबंध न रहे हों. इस बात को शादी से पहले तो लड़का इशारों में खुले तौर पर लड़की से पूछ ही लेता है. प्यार करने वाले भी पूछे बिना नहीं रहते. लड़की के चालचलन के बारे में पूरी जांचपड़ताल कर ली जाती है.

लड़का सुहागरात के दिन लड़की का कुंआरापन भंग करने के सपने देखता है. आजकल भी कई जगहों पर दूल्हे के घर वाले अगले दिन चादर पर दुलहन का कुंआरापन भंग होने की निशानी यानी खून के धब्बे खोजते हैं. जब ‘कुंआरेपन की झिल्ली’ साइकिल चलाने, दौड़ने, तैरने जैसे सामान्य कामों में ही फट सकती है, तो लड़कियों के पास ही रास्ता बचता है रीवर्जिनिटी पाने का. एक डाक्टरी संस्थान के सर्वे से पता चला है कि लड़कियां रीवर्जिनिटी इसलिए करवाती हैं, ताकि उन की शादीशुदा जिंदगी शांति से बीते.

संतान प्राप्ति का झांसा, तांत्रिक से बच कर!

छत्तीसगढ़ के  जिला धमतरी में एक शख्स  महिलाओं को “तंत्र मंत्र” के जरिये गर्भवती करने का झूठा  दावा  करता था.इस शख्स  के जाल में ऐसी महिलाएं आसानी से आ जाती थी जिनकी गोद सूनी होती थी. संतान सुख के खातिर अनेक  महिलाएं वह सब कुछ करने को तैयार हो जाती थी जैसा की  शख्स अर्थात  कथित  तांत्रिक बाबा फरमान जारी किया करते था.

पुलिस के अनुसार  बांझपन से पीड़ित अनेक  महिलाओं को इस बाबा ने अपने मायाजाल में फांसकर उनका दैहिक शोषण किया.कभी लोक-लाज के भय से तो कभी अन्य सामाजिक  कारणों से पीड़ित महिलाओं ने अपना मुँह सी रखा था. मगर  कुछ ऐसी महिलाएं बाबाजी के संपर्क में आई जिन्होंने उसको उसकी असलियत  समाज के सामने  रखने की  ठान ली साहस  का परिचय  देते हुए इन महिलाओं ने पुलिस के समक्ष सच्चाई को रख दिया के बाद पुलिस हरकत में आई और एक दिन कथित तांत्रिक बाबा जेल  के सींखचों के पहुंच गया.  महिलाओं की हिम्मत का सबब यह बना की बाबाजी पुलिस के हत्थे चढ़ गए.अब कई पीड़ित महिलाएं अपनी आपबीती पुलिस को सुना रही है.

ये भी पढ़ें- निर्भया गैंगरेप के गुनहगारों को सुनाया सजा-ए-मौत का फैसला, 22 जनवरी को दी जाएगी फांसी

झाड़ फूंक से होगी संतान!

पुलिस ने जो सनसनीखेज भंडाफोड़ किया है उसके  अनुसारछत्तीसगढ़ के धमतरी जिला के  मगरलोड थाना क्षेत्र में 7 जनवरी को दो बाबा एक नि:संतान दंपत्ति के घर पहुंचे. उन्होंने तंत्र मंत्र व झाड़-फूंक से संतान प्राप्ति कराने का झांसा देते हुए महिला से तंत्र साधना के नाम  पर पहले तो 2100 रूपये ऐंठ लिए. बाबाजी यही नहीं रुके रकम जेब में डालने के बाद उन्होंने घर के ही एक कमरे में उस महिला को देख उनकी लार टपकने लगी फिर वे साथ अश्लील हरकत करने लगे .

यह महिला बाबाजी की मंशा और असलियत पहचान गई  उसने इस अश्लील हरकत का प्रतिरोध कर कथित बाबा को थपपड़ रसीद कर दी.इस पर मजे की बात यार की अपने बचाव में पाखंडी बाबा ने उसे श्राप देने की चेतावनी देनी शुरू  कर  दी.  चेतावनी में उसने उसके पति एवं सास-ससुर की मृत्यु हो जाने का भय दिखाया और कई अपशगुन को लेकर  डराया धमकाया .मगर बहादुर महिला के तांत्रिक बाबाओं की फेर में ना आने पर  दोनों ही बाबा घटनास्थल से भाग खड़े हुए.

अंततः पुलिस ने धर दबोचा

जब कथित तांत्रिक बाबा अपनी मंशा में सफल नहीं हुए और भाग खड़े हुए तब महिला ने घर के परिजनों को बाबा के करतूत की जानकारी दी.

ये भी पढ़ें- एनआरसी से खौफजदा भारत के नागरिक

घटना के उपरांत पीड़ित महिला ने मामले की जानकारी अपने पति एवं पड़ोसियों को दी  तब पीड़ित महिला ने थाना मगरलोड़ में उपस्थित होकर दोनों पाखंडी तांत्रिक  बाबाओ की सचाई  पुलिस को बताई .पुलिस ने दोनों ही आरोपियों के खिलाफ धारा 385, 417, 454, 354, 506, 34 भादवि एवं 6, 7 टोनही प्रताड़ना निवारण अधिनियम पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया  और अंततः ठगी और महिला के यौन शोषण के मामले में

पुलिस अधिक्षक बी पी राजभानु के निर्देश पर थाना प्रभारी मगरलोड की टीम ने आरोपी बाबाओं को खोज निकाला . पुलिस ने हमारे संवाददाता को जानकारी दी कि गिरफ्त में आये बाबा का असली नाम हिंदराज जोशी पिता रामबली जोशी उम्र 45 साल एवं घनश्याम जोशी उम्र 35 साल ग्राम सलोन थाना सलोन जिला रायबरेली उत्तर प्रदेश का निवासी  है .गिरफ्तारी के बाद दोनों तांत्रिक  बाबाओं को अदालत में प्रस्तुत किया गया  और जेल भेज दिया गया.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें