कम पढ़ीलिखी लड़कियों के लिए नर्सिंग एक अच्छा काम है और नर्स टे्रन करने के लिए देशभर में नर्सिंग कालेजों और इंस्टीट्यूटों की कुकुरमुत्तों की तरह भरमार होने लगी है. इन में 20,000-30,000 खर्च कर के नर्स का डिप्लोमा मिल जाता है, नर्सिंग का काम आता हो या न आता हो, झारखंड में 20 कालेजों को नोटिस दिया गया कि उन का रजिस्टे्रशन क्यों रद्द नहीं किया जाए क्योंकि कुछ के पास पर्याप्त कमरे नहीं थे तो ज्यादा के पास अनुभवी टीचिंग स्टाफ भी नहीं था. अकेले झारखंड में ही 232 कालेज नर्सिंग की शिक्षा दे रहे हैं.
वैसे यह जांच जरूरी है पर सवाल है कि अगर अब पता चल रहा है कि नर्सिंग कालेज 2 कमरे के मकान में चल रहा है तो रजिस्ट्रेशन मिल कैसे गया. वजह साफ है, रजिस्ट्रेशन के समय से धांधलियां शुरू हो जाती हैं. नर्सिंग करने के इच्छुक यह भी नहीं देखते कि सुविधाएं हैं या नहीं, कुछ पढ़ायासम झाया जा रहा है या नहीं. उन्हें तो केवल डिगरी से मतलब होता है. किसी तरह डिगरी मिल जाए फिर देशविदेश में कहीं नौकरी लग जाएगी और फिर अस्पताल अपनेआप सिखा देंगे.
नर्सिंग के काम के लिए शिक्षा और ट्रेनिंग में अगर इस तरह की धांधलियां हैं तो भी नर्स का काम करने के इच्छुकों की कमी नहीं है तो जाहिर है कि लोग कैरियर बनाने के लिए कितना जोखिम लेते हैं. नर्सिंग ही नहीं, हर तरह की शिक्षा में इस तरह का गोरखधंधा हर राज्य में चल रहा है क्योंकि सरकारों ने अपना मूलभूत काम देश को चलाने, पढ़ाने का इंतजाम करना, सड़कें बनाना, पानीबिजली देना, पुलों की देखभाल करना छोड़ दिया है. सभी सरकारें मंदिर बनाने में लगी हैं. किसी भी दिन का अखबार खोल कर देख लो, किसी न किसी मंदिर, धाम, घाट पर प्रधानमंत्री, मंत्रियों, विपक्षी नेताओं के पहुंचने, कुछ करनेकराने के समाचार फोटो समेत दिख जाएंगे.